Luckyloda
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाऐसे ही 1 दिन मधु रात के समय खाना बना रही थी,,,,, और मधु गुलाबी को घर के पीछे से इंधन के लिए लकड़ियां लाने के लिए बोली,,,,,, और गुलाबी जो की सब्जियां काट रही थी वह ,,,,बोली,,,।
जा रही हूं भाभी पहले सब्जियां काट लु तब जाती हुं,,,,(ऐसा कहते हुए वह सब्जियां काटती रही तो मधु बोली,,)
अरे गुलाबी देर हो रही है और यहां लकड़ियां खत्म हो गई है,,, तेरे भैया आ गए होंगे जल्दी जाकर लकड़िया ले आ मैं सब्जी काट देती हूं,,,,
ठीक है भाभी लो तुम सब्जी काट लो मुझे जोर की पेशाब भी लगी है,,,
अरे तुझे कितनी पेशाब लगती है खाना बनाने से पहले ही तो मेरे साथ गई थी और फिर से तुझे लग गई,,,,
हा भाभी पता नहीं क्यों मुझे बार बार जोरों की पेशाब लग जाती है,,,,
पता नहीं तेरी बुर में कितनी पेशाब भरी हुई है,,,
धत्,,, भाभी कैसी बातें करती हो,,,,(गुलाबी शरमाते हुए बोली)
अरे सच कह रही हूं तुझे चोर चोर की पेशाब लगती है ना बार-बार अब तुझे दूल्हे की जरूरत है,,,,
लो अब इसमें दूल्हा क्या करने वाला है,,,?(गुलाबी ईतरातें हुए बोलि,,,)
अरे पगली जब तेरा दूल्हा अपना मोटा लंड तेरी बुर में डाल कर रात भर चोदेगा तो खुद ही तेरे बदन की गर्मी चुदाई से निकल जाएगी,,,, फिर यह बार-बार मुतना बंद हो जाएगा,,,(मधु हंसते हुए बोली,,,)
क्या भाभी तुम भी लगता है भैया से शादी करने के बाद तुम्हारा भी बार-बार मुतना बंद हो गया,,,
हां रे तू सच कह रही है जब नई नई मैं इधर आई थी तो मुझे भी बार-बार पेशाब लग जाती है लेकिन तेरे भैया का लंड बुर में जाते ही तकलीफ दूर हो गई,,,,( मधु एकदम बेशर्म बन कर अपनी ननदसे बोली वैसे भी भाभी और ननद का रिश्ता ही हंसी मजाक का होता है और हंसी मजाक में कितनी गंदी बातें एक दूसरे को बोलते ही रहते हैं,,,)
मुझे इस तरह से तकलीफ दूर नहीं करवाना है,,,(इतना कहकर वह चलने लगी तो मधु पीछे से ही आवाज लगाते हुए बोली,,,)
अरे तू चाहे या ना चाहे शादी के बाद तेरा दूल्हा तेरी बुर में डालेगा ही डालेगा,,,,
(अपनी भाभी की बातें सुनकर गुलाबी शर्म से लाल हो गई थी और उत्तेजित भी हो गई थी,,, अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को वह देख चुकी थी और उसे अपनी भाभी की बुर में अंदर बाहर होता हुआ भी देख चुकी थी और अपने भाई से भी ज्यादा दमदार लंड उसे अपने भतीजे राजू का लगा था,,,,भले ही वह अपने मुंह से बोल कर आई थी कि इस तरह से अपनी तकलीफ दूर नहीं करवाना है लेकिन एक मोटे गर्लफ्रेंड को अपनी बुर में लेने की उत्सुकता उसके चेहरे के हाव भाव से सांप पता चल रही थी,,,। लकड़ी लेने के लिए पेशाब करने के लिए घर के पीछे पहुंच गई थी जहां पर ढेर सारी सूखी लकड़ियां रखी हुई थी और पास में ही बेल के लिए घास फूस की झोपड़ी बनी हुई थी जिसमें रोज उसके भैया बैल को बांध दिया करते थे,,,,। गुलाबी सूखी सूखी लकड़ियों को उठाने लगी मन में यह सोच कर कि लकड़ी को भाभी के पास रखकर वह बाद में पेशाब करने आएगी लेकिन लकड़ी को उठाते हुए उसके पेट में जोड़ों का दर्द होने लगा जो कि पैसाब की वजह से ही हो रहा था वह समझ गई कि ज्यादा देर रुकना ठीक नहीं है,,,, इसलिए वह तुरंत लकड़ियों को नीचे पटक दि और दो कदम की दूरी पर जाकर अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी इस बात से अनजान की थोड़ी देर पहले ही उसका बड़ा भाई हरिया बेलगाडी को लेकर घर आ चुका था और बैल को उस घास फूस की झोपड़ी में बाधकर वहीं बैठ गया था और बीड़ी सुलगा कर पी रहा था जब वहां गुलाबी आई थी तो वह जानता था वह लकड़ी ले जाने में उसकी मदद करने के लिए झोपड़ी से बाहर आना चाहता था लेकिन बीड़ी का आखिरी तक खींचने के लिए वहीं बैठ गया था लेकिन इतनी देर में गुलाबी लकड़ियों को पटक कर दो कदम आगे जा चुकी थी और इसीलिए हरिया उत्सुकता वश बैठा रहा था यह देखने के लिए की आखिरकार वह लकड़ी को उठा कर क्यो नीचे फेंक दी,,,, उसे आवाज भी लगाने वाला था की लकड़ियों को क्यों पटक दी लेकिन जैसे ही पर दो कदम की दूरी पर जाकर अपने दोनों हाथों को अपने सलवार की डोरी पर ले जाकर उसे खोलने को हुई की हरिया का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि वह समझ गया था कि उसकी बहन गुलाबी क्या करने जा रहे हैं वह पीछे से आवाज लगाना चाहता था लेकिन लगा नहीं पाया उसे समझ में नहीं आ रहा कि वह क्या करें क्योंकि उसकी बहन ठीक उसके सामने खड़ी थी ऐसे में वह इधर उधर भी नहीं हो सकता था क्योंकि उसके इधर-उधर होने से आवाज आ सकती थी और उसकी बहन की निगाह उस पर पढ़ सकती थी और ऐसे हालात में उसका इस तरह से पकड़े जाना अपनी ही बहन के नजर में शायद शक के दायरे में खड़ा कर देना जैसा होता उसकी बहन को ऐसा ही लगता कि उसका भाई उसे पेशाब करते हुए देख रहा है हालांकि अभी गुलाबी पेशाब करना शुरू नहीं की थी बस अपनी सलवार की डोरी खोलने जा रही थी इतने से ही हरिया की हालत खराब हो गई थी,,,, हरिया दूसरे लोगों की तरह बिल्कुल भी नहीं था वह शर्म से गड़े जा रहा था क्योंकि वह जानता था कि कुछ ही देर में उसकी बहन अपने सलवार को नीचे सरका देगी और इस अवस्था में वह अपनी बहन को देखना गवारा नहीं समझ रहा था,,,,,,
और हरिया मन में उठ रही कशमकश को दबाते हुए नजर को दूसरी तरफ फेर लिया,,,,, हरिया एक काफी सुलझा हुआ इंसान था मान मर्यादा इज्जत उसके लिए सब कुछ थी,,,, मान मर्यादा संस्कार के मामले में वह खरा सोना था,,,,रिश्तो को वह अच्छी तरह से समझता था उसकी आंखों के सामने तो उसकी खुद की बहन गुलाबी थी,,,, लेकिन सारे रिश्ते नाते को ताक पर रखकर सबसे पहले वह एक मर्द था,,,,और उसकी आंखों के सामने ,,, 5 कदम की दूरी पर जो लड़की खड़ी थी वह हरिया की बहन से पहले एक औरत थी,,,, और दुनिया में मर्द और औरत के प्रति आकर्षण और खींचाव का रिश्ता कभी खत्म होने वाला नहीं था और इसीलिए एक मर्द होने के नाते हरिया अपने आपको लाख बनाने के बावजूद भी अपने मन को अपने वश में नहीं कर पा रहा था और उसकी नजर बार-बार उसकी बहन गुलाबी की तरफ चली जा रही थी जो कि अभी भी अपनी सलवार की डोरी को खोलने में उलझी हुई थी,,,,,,,
और बार-बार हरिया अपनी बहन गुलाबी की तरफ देख ले रहा था और फिर वापस नजर को दूसरी तरफ फेर ले रहा था,,,, ऐसा वह बार-बार कर रहा था,,,, काफी मेहनत करने के बाद गुलाबी आखिरकार सलवार की डोरी खोलने में कामयाब हो चुकी थी जो कि वह जल्दबाजी में कसकर बांध ली थी,,,,, उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी थी जो की इस बात से ही समझ में आ जा रहा था कि वह बार-बार अपने पैरों को पटक रही थी,,,।अपनी बहन को लाबी की हरकत और उसकी चलेगा जी को देखकर हरिया के तन बदन में अजीब सी उत्तेजना का एहसास हो रहा था और वह इस उत्तेजना से अपने अंदर में भी महसूस कर रहा था लेकिन वह अपने आप को रोक भी नहीं पा रहा था,,,
चारों तरफ अंधेरा छा चुका था लेकिन फिर भी चांदनी रात होने की वजह से हरिया को सब कुछ साफ नजर आ रहा था और वह इस बात के लिए भगवान को धन्यवाद भी दे रहा था जोकि अपने मन में चांदनी रात के लिए भगवान को धन्यवाद देते हुए वह शर्मिंदगी का अहसास भी कर रहा था,,,।देखते ही देखते गुलाबी सलवार एक झटके में अपने घुटनों तक सरकारी प्रेशर करते हुए वह आगे की तरफ से जो कभी गई थी जिसकी वजह से उसकी मदमस्त गोरी गोरी गदराई गांड आसमान में चमक रहे चांद की तरह नजर आने लगी,,,,,,अपनी बहन की गोरी गांड देखते ही हरिया के मुंह में पानी आ गया साथ ही उसकी धोती में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो,, गया,,,,,, उत्तेजना के मारे हरिया का गला सूखता चला जा रहा था और दूसरी तरफ गुलाबी इस बात से बेखबर कि ठीक उसके पीछे खड़ा होकर उसका बड़ा भाई उसकी मदमस्त गांड के दर्शन करके मस्त हो रहा है,,,,वह तो नीचे बैठते ही अपनी गुलाबी बुर से पेशाब की धार मारने लगी क्योंकि बड़ी तेज सीटी की आवाज के साथ घर के पीछे के वातावरण में पूरी तरह से घुलने लगा,,, और इस मधुर मादक दूर से निकल गई सीटी की आवाज सुनते ही हरिया का मन डोल उठाऔर वह ना चाहते हुए भी धोती के ऊपर से ही अपने लंड को हाथ में पकड़ कर मसलने लगा,,,।
हरिया के लिए यह पहला मौका था जब वह इंसान बहन की नंगी गांड को अपनी आंखों से देख रहा था और साथ ही उसे पेशाब करते हुए भी देख रहा था यह उसके लिए सोने पर सुहागा था कामोत्तेजना के परम शिखर पर पलभर में ही वह विराजमान हो चुका था इतनी उत्तेजना सहन कर पाना उसके पास में बिल्कुल भी नहीं था हालांकि एक खूबसूरत बीवी का पति होने के नाते वह रोज अपनी खूबसूरत बीवी की चुदाई करता था और उसमें तृप्त हो जाता था लेकिन मर्द तो आखिर मर्द ही रहता है घर की मुर्गी दाल बराबर का कथन उसके ऊपर बराबर बैठ रहा था क्योंकि उसकी बीवी मधु बेहद खूबसूरत औरत की और बेहद खूबसूरत मादक जिस्म की मालकिन भी थी जिसको जब चाहे वह भोग सकता था,,, और गुलाबी उसकी बीवी मधु से ज्यादा खूबसूरत बिल्कुल भी नहीं थी,,,,लेकिन मर्दों का आकर्षण हमेशा से औरतों के नंगे बदन खास करके उन की गोरी गोरी कांड उनकी बुर और उनकी चूची पर हमेशा टिकी रहती थी और उसी प्रचलन के चलते हरिया भी अपने आप को संभाल नहीं पाया था,,,,, वह अपनी उत्तेजना को संभालना सकने के कारण दूसरी बीडी को धीरे से सुलगा कर उसे फूक रहा था,,,। बीड़ी से ज्यादा अपनी बहन की नंगी गांड और उसे इस तरह से पेशाब करते हुए देख कर वह खुद सुलग रहा था,,,,।
बीड़ी पीते हुए हैं वह इस बात का शुक्रगुजार था कि अभी तक उसे खांसी नहीं आई थी वरना उसका भांडा फूट जाता और वह शर्मिंदा हो जाता,,,,,,, गुलाबी भी अपनी हरकतों से अपने बड़े भाई हरिया पर अनजाने में ही बिजलियां गिरा रही थी,,। वह बार-बार अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी गोरी गोरी गांड को ऐसे थाम ले रही थी मानो जैसे किसी खरबूजे को थाम ले रही हो,,,।,, यह देखकर हरिया का मन लालच जा रहा उसके मन मेंहो रहा था कि वह खुद आगे बढ़कर अपनी बहन की गांड को अपनी दोनों हथेली में भरकर जोर-जोर से दबाए,,,, लेकिन ऐसा करना उचित नहीं था,,,,
लेकिन आंखों के सामने का मादक दृश्य उसे पूरी तरह से मदहोश किए जा रहा था वह जोर-जोर से धोती के ऊपर से अपने लंड को दबा रहा था,,,,, उसे आज अपनी बहन की गांड देखकर अपना लंड कुछ ज्यादा ही फूला हुआ महसूस हो रहा था,,,। उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका पानी ना निकल जाए,,,,उसकी बहन की बुर से लगातार पानी की धार फूट रही थी और उसमें से मधुर संगीत रूपी सीटी की आवाज कानों में गूंज रही थी,,, पैसा नहीं था कि वह पहली बार किसी औरत को पेशाब करते हुए देखना वह अपनी बीवी को बहुत बार पेशाब करते हुए देखकर मस्त भी हो चुका है और पेशाब करने की अपने अंदर जाग रही मदहोश माता पिता के पास होकर वह अपनी बीवी को पेशाब करते करते उसकी चुदाई भी किया है लेकिन आज की बात कुछ और थी आज उसकी आंखों के सामने उसकी बहन के साथ कर रही थी वह पूरी तरह से मस्त हो गया था और अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रहा था,,,। उसका मन अपनी बहन को चोदने के लिए बहुत कर रहा था क्योंकि वह जानता था कि शुरू के दिनों में जब उसकी नई नई शादी हुई थी तब उसकी बीवी की बहुत ही टाइट और संकरी थी,,, जिसमें उसका लंड बड़ी मुश्किल से जाता था,,, इसलिए अपने मन में सोच रहा था कि इस समय उसकी बहन की भी बुर बहुत ही टाइट और उसकी गलियारी एकदम संकरी होगी जिसमें उसे लंड डालने में बहुत मजा आएगा,,,,, यह सोचकर वह अपने तन बदन में मदहोशी का रस घोल रहा था,,,,,,,, उसका मन आगे बढ़ने को कर रहा था वह इसी समय अपनी बहन को घर के पीछे ही चोदना चाहता था लेकिन उसके मन में यह डर भी था कि कहीं उसकी बहन इस बात से बुरा मान गई और अपनी भाभी को बता दी तो क्या होगा वह तो कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाएगा डूब मरने वाली बात उसके लिए होगी इसलिए काफी कशमकश के बाद वह अपने कदमों को वही टिका कर रखा था,,,,,
देखते ही देखते पेशाब की धार कमजोर पड़ने लगी और पेशाब करने के बाद गुलाबी उठ खड़ी हुई और अपनी सलवार को ऊपर कमर तक चढ़ाकर अपनी सलवार की डोरी बांधने लगी,,,।पेशाब करते समय अपनी भाभी के द्वारा कही गई बात को याद करके काफी उत्तेजना का अनुभव भी कर रही थी जिससे उसके तन बदन में अजीब सा एहसास हो रहा था अपनी भाभी की बातों को सुनकर उसका मन बहुत करता था अपनी बुर में लंड लेने के लिए लेकिन वह जानती थी कि उसकी बुर की किस्मत मे अभी लंड नहीं लिखा था,,,,।
इसलिए जल्दी-जल्दी अपने सलवार की डोरी बांधकर सूखी लकड़ियों को उठाकर वापस चली गई और हरिया अपनी बहन को जाते हुए देखता रह गया,,,, उसका ध्यान जब अपनी धोती पर गया तो वह हैरान रह गया क्योंकि धोती से कब उसका लंड बाहर आ गया और कब वह उसे पकड़कर हिलाना शुरू कर दिया था उसी को पता नहीं चला,,,, अपनी बहन की मादक गांड के उत्तेजना में वह इस कदर डूब गया कि अपनी बहन की कल्पना करते हुए अपने लंड को मुठीयाना शुरू कर दिया ,,,इसे अनुभव उसके लिए बिल्कुल नया था पहले भी वह लूटमार चुका था लेकिन तब उसके ख्यालों में उसकी खूबसूरती रहती थी और जब कभी भी वह मायके जाती थी तभी लेकिन आज उसके ख्यालों में उसकी खूबसूरत बहन गुलाबी थी जिसकी कल्पना करके वह पूरी तरह से मस्त हुए जा रहा था,,,,
और थोड़ी ही देर में देखते ही देखते उसके लंड से पानी की पिचकारी छुट पड़ी,,,,,,, तब जाकर उसे शांति मिली,,,,,,,।
कुछ देर तक वह इधर-उधर घूमता रहा और थोड़ी देर बाद घर पहुंचा तो खाना तैयार था,,,वह गुलाबी सी नजर नहीं मिला पा रहा था,,,,कुछ देर पहले जो कुछ भी उसने देखा था और करा था उससे उसे शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था लेकिन गुलाबी को इस बात का बिल्कुल भी पता नहीं था कि उसे पेशाब करते हुए उसका भाई देख रहा था और अपना लंड हीला रहा था,,,, गुलाबी अपने हाथों से खाना परोस कर अपने भाई को खिला रही थी और अपनी भाभी को भी राजू भी पास में ही बैठा हूं थोड़ी देर बाद गुलाबी भी बैठ कर खाने लगी,,,,।
रात को सोते समय अपनी बहन की गांड और उसे पेशाब करता हुआ देखकर जो उत्तेजना का अनुभव से नहीं किया था वह सारी कसर अपनी बीवी से उसकी चुदाई करके उतार रहा था और गुलाबी दीवार के उसी छेद में से उस नजारे को देख रही थी और उत्तेजित हो रही थी सलवार उतार कर वह अपनी भाभी की बात को याद करके की शादी के बाद उसकी बुर में उसके दूल्हे का लंड जाएगा तब बार-बार पेशाब लगने वाली आदत छुट जाएगी,,, इस बात को याद करके और अपनी भैया भाभी की चुदाई बेटे करो पूरी तरह से फिट हो गई थी और अपनी बुर में उंगली डालकर अंदर बाहर कर रही थी,,,, थोड़ी देर में उसके भैया भाभी के साथ वो खुद शांत हो गई और खटिए पर आकर राजू के पास बिना सलवार पहने ही सो गई,,,,।
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई राजू को अनजाने में ही अपनी बुआ गुलाबी की गोरी चिकनी गुलाबी बुर के दर्शन हो गया पेसाब लगने की वजह से उसे जाना पड़ा कमला काकी की तो नही देख पाया अपनी बुआ की देख ली अब आगे क्या होता हैगुलाबी अपनी जवानी को संभाल पाने में धीरे-धीरे असमर्थ होती जा रही थी दिन-ब-दिन उसके बदन की प्यास उसे तड़पा रही थी,,,, उम्र के मुताबिक यह सब कुछ औपचारिक ही था क्योंकि गुलाबी उम्र के उस दौर से गुजर रही थी जिस दौर में लड़कियों की शादी हो जाएगा करती थी,,,, लेकिन गुलाबी अभी तक कुंवारी थी,,,, इसलिए तो उसकी बुर में ज्यादा खुजली हो रही थी,,,,। और इस उमर में गरमागरम नजारा देखकर उसकी इच्छा और ज्यादा प्रज्वलित होती जा रही थी,,,।,,, दीवार की दरार में से अपने भैया भाभी के कमरे में उन दोनों की घमासान चुदाई देखना उसकी आदत बन चुकी थी अपनी भाभी की गरमा गरम सिसकारियों की आवाज को सुनकर उसकी मादक जवानी को अपने लंड से रोंदता हुआ अपने बड़े भाई को देख कर इतना तो वह जानती होते कि इस खेल में बहुत ज्यादा मजा आता है,,,, इसलिए इस खेल को खेलने के लिए वह भी तड़प रही थी,,,।लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था क्योंकि ऐसा खेल खेलने के लिए उसे 1 साथी की जरूरत थी और वह साथी कौन होगा इस बारे में उसे भी बिल्कुल भी पता नहीं था,,,यह बात गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि बाहर इस तरह का खिलाड़ी खेलने में मजा तो आएगा ही लेकिन बदनाम होने का डर भी है इसलिए वह अपने कदम आगे बढ़ाना नहीं चाहते थे लेकिन बदन की जवानी की गर्मी उसके मन को विचलित कर रही इसीलिए तो अपने भैया भाभी की गरमा गरम जुदाई को देखकर भाई अपनी उंगली को अपनी पूर्व में पहन कर अपनी जवानी की गर्मी को शांत कर चुकी थी और अपने भतीजे के बगल में बिना सलवार पहने ही सो गई थी,,,,।
बड़े सवेरे ही जल्दी राजू की नींद खुल गई उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,, वह आलस को मारता हुआ खटिया पर उठ कर बैठ गया आंखों में नींद अभी भी छाई हुई थी,,,।
उठने का मन है उसका बिल्कुल भी नहीं कर रहा था वीडियो सोना चाहता था लेकिन जोरो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए उठना जरूरी था,,। सुबह की पहली पहर होने की वजह से बाहर अभी भी अंधेरा छाया हुआ था,,, कमरे में लालटेन की रोशनी अपनी आभा बिखेर रही थी,,,, राजू खटिया पर से उठने ही वाला था कि उसकी नजर गुलाबी की टांग पर घुटनों के नीचे की तरफ पहले पड़ी,,,,
राजू को तो पहले सब कुछ सामान्य ही लगा उसे लगा कि साथ सलवार घुटनों तक चढ गई होगी लेकिन उत्सुकतावश अपनी नजरों को ऊपर की तरफ उठाने लगा तो जैसे जैसे उसकी नजर ऊपर की तरफ आ रही थी वैसे वैसे उसे अपनी बुआ की नंगी टांग और भी ज्यादा नंगी होती हुई नजर आने लगी जब उसकी नजर घुटने तक पहुंच गई फिर भी उसे सलवार की किनारी नजर नही आई तो उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा कि वहां क्या करें संस्कारी होने की वजह से वह अपनी बुआ की बहुत इज्जत करता था और उसकी नंगी टांगों को देखना भी उसके लिए गवारा नहीं था वह इसी कशमकश में था कि अपनी नजरों को और ऊपर उठाए या उसी तरह से बाहर चला जाए,,,,, उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था तभी उसे सुबह जो उसकी आंखों के सामने कमला चाची के अर्ध नग्न बदन के दर्शन हुए थे वह नजारा नजर आने लगा,,, उस दृश्य को याद करके उसके बदन में उत्तेजना की लहरें दौड़ने लगी,,,। अपने बदन में उत्तेजना की लहर को महसूस करके वह वहां से चला जाना चाहता था लेकिन अपने मन को बहलाने में वह नाकामयाब रहा अपने मन में सोचने लगा कि उसकी बुआ तो सो रही है अगर ऐसे में कुछ देख भी लेगा तो उसकी बुआ को कहां पता चलने वाला है इसलिए वह वहीं रुका रहा,,,, अपनी नजरों को ऊपर की तरफ धीरे-धीरे बढ़ाने लगा,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,
इस बात को लेकर कभी भी वह अपने वतन में उत्तेजना महसूस नहीं किया कि 1 जवान खूबसूरत लड़की जो कि उसकी बुआ ही है वह उसके साथ एक ही खटिया पर सोती है,,,,,,,,, लेकिन पलभर में ही उसे इस बात का एहसास होने लगा कि उसके बगल में जवानी से भरपूर उसकी बुआ सोती है,,,, धीरे-धीरे अपनी नजरों को ऊपर की तरफ ले जा रहा था लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था रात भर लालटेन इसी तरह से चलती रहती थी क्योंकि अंधेरे में राजू को नींद नहीं आती थी यह उसकी शुरु से आदत थी,,, गुलाबी की मक्खन जैसी चिकनी टांग देखकर राजू की हालत खराब हो रही थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि आगे क्या होने वाला है वह धड़कते दिल से अपनी नजरों को उपर की तरफ ले जा रहा था,,,
और उसकी बुआ गुलाबी निश्चिंत होकर अपनी जवानी की गर्मी निकाल कर खटिया पर सोई हुई थी अपनी पुर की गर्मी शांत करने के बाद उसे इस बात का भी होश नहीं था कि वह सलवार नहीं पहनी है और वह उसी अवस्था में सो गई थी,,,,,।
राजू का दिल जोरो से धड़कना शुरू हो गया था क्योंकि उसकी नजर अपनी बुआ की इतनी मांसल जांघों पर पहुंच चुकी थी और जांघों वाला बदन भी नंगा ही था,,, अनायास उसके मन में यह ख्याल आ गया कि जिस अंग को वह सुबह कमला चाची को नहाते हुए नहीं देख पाया था शायद वह अभी देख ले,,,,, लेकिन यह ख्याल मन में आते ही राजू के तन बदन में हलचल सी होने लगी लेकिन एक मन उसका यह भी कह रहा था कि जो वह सोच रहा है वह गलत है अपनी बुआ के बारे में इस तरह के ख्याल लाना पाप है,,,, लेकिन एक मन की सद्बुद्धि वाली बातें उसके दिमाग के पल्ले नहीं पड़ रही थी लेकिन दूसरे मन की कुबुद्धि वाली विचार उसके मन को जकड़े हुए थी,,,, जिसके पास में वह पूरी तरह से हो गया था,,,,,
अपनी तो बुआ की चिकनी मांसल जांघों को देखकर उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी पेशाब भी रुक गई थी,,,, आखिरकार नजरों ने अपनी मंजिल को ढूंढ ही लिया था बस पहुंचना बाकी था और देखते ही देखते राजू अपनी नजरों को ऊपर की तरफ उठाते उठाते एकदम ऊपर पहुंच गया जहां का नजारा देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसके होश उड़ गए और पल भर में उसके चेहरे का रंग बदलने लगा,,,,
राजू की नजर इस समय उसकी पुकाकी दोनों टांगों के बीच टिकी हुई थी उसकी कुर्ती कमर से ऊपर थी,,,,और राजू को गुलाबी के बदन का वह अंग नजर आ रहा था जिसके बारे में उसने अभी तक कल्पना भी नहीं किया था उसकी सांसों की गति पलभर में ही तेज हो गई थी,,,। उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,,वह एक नजर अपनी बुआ के चेहरे की तरफ जाना और वापस उसकी दोनों टांगों के बीच अपना ध्यान केंद्रित करने लगा उसकी बुआ अभी भी गहरी नींद में सो रही थी इस बात से बेखबर कि वह सलवार नहीं पहनी है उसकी कुर्ती ऊपर चढ़ी हुई है,,,,।
वह बड़े गौर से अपनी बुआ गुलाबी की पूरी देख रहा था जो कि एक पतली दरार की शक्ल में थी और उसके इर्द गिर्द वाली जगह तवे पर फुली हुई रोटी की तरह फुली हुई थी,,,,,,और उस पर हल्के हल्के रेशमी बाल उगे हुए थे जो कि उसकी खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा रहे थे,,,,, राजू अभी तक औरतों के इस अंग के भूगोल से पूरी तरह से अनजान था,,,,, इसलिए तो पहली बार अपनी बुआ की बुर देखते ही उसके तन बदन में मादकता भरे सितार बजने लगे थे,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा था,,,,,,, औरतों की भजन के भूगोल से पूरी तरह से अनजान राजू इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहता था आखिरकार वह भी एक मर्द था इसलिए तो औरत के खूबसूरत बुर जो कि वह बुर से बिल्कुल अनजान था फिर भी उसकी तरफ आकर्षित हुआ जा रहा था और होता भी क्यों नहीं आखिरकार मर्दों का औरतों के ईस अंग से जन्मो जन्म का नाता जो है,,,,।
राजू के मुंह में अपनी बुआ की कुल देखकर पानी आ रहा था साथ ही उसके लंड की अकड़ बढ़ती जा रही थी,,, वह अपनी औकात से ज्यादा फूल चुका था,,,राजू को अपना मोटा तगड़ा लंड बगावत करता हुआ महसूस होने लगा तो वह अपने हाथ से अपने पजामे के ऊपर से अपने लंड को पकड़ लिया,,,। राजू के लिए यह पहला मौका था जब वह किसी नंगी बुर को देखकर अपने लंड को पकड़े हुआ था,,।
राजू के लिए यह पल बेहद अद्भुत था,,,। राजू ने कभी सपने में भी नहीं देखा था कि वह कभी इस तरह से बुर के दर्शन कर पाएगा हालांकि एक मर्द होने के नाते इतना तो पता ही था कि औरतों के दोनों टांगों के बीच ही बुर होती है लेकिन किस तरह की होती है यह पहली बार देख रहा था और समझ रहा था,,,, उसे अपनी दुआ की बुर की बनावट बेहद मदहोश कर देने वाली लग रही थी केवल पतली दरार नजर आ रही थी अब वह दरार के अंदर कैसी है यह उसे पता नहीं था,,,,
सुबह का वक्त होने के बावजूद भी उत्तेजना के मारे उसके माथे से पसीना टपक रहा था,,,,वह अपनी बुआ की बुर को अपने हाथ से छूना चाहता था,,,, लेकिन ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी सुबह-सुबह कमला चाची उसे अपनी गांड चुची के साथ-साथ अपनी बुर भी दिखाना चाहती थी लेकिन बुर दिखा नहीं पाई थी जिसका मलाल कमला चाची को बहुत था,,,,लेकिन शायद राजू की किस्मत में कमला चाची की नहीं अपनी खूबसूरत और जवान बुर पहले देखना दिखा था इसीलिए तो आज उसे बिना किसी मशक्कत के बुर के दर्शन हो गए थे,,,।
राजू का दिमाग काम नहीं कर रहा था लंड पूरी तरह से अकड चुका था,,,। अब उसे पेशाब का जोर और बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था उससे वहां और ज्यादा देर ठहर पाना सहन नहीं हो पा रहा था और इसीलिए वह अपने आप पर गुस्सा भी कर रहा था क्योंकि वह इस नजारे को और देर तक देखना चाहता था जो कि लालटेन की रोशनी में साफ नजर आ रही थी,,,वह अपने मन में यह सोचने लगा कि अच्छा हुआ उसकी बुआ करवट लेकर नहीं सोई हुई थी वरना उसे आज अपनी बुआ की बुर के दर्शन नहीं हो पाते और वह औरत के इस खूबसूरत अंग के बारे में इतनी जल्दी जान नहीं पाता,,,। गुलाबी पीठ के बल लेटी हुई थी राजु उसके खूबसूरत चेहरे को देख रहा था तभी उसकी नजर उसकी चूचियों पर गई लेकिन वह कुर्ती पहनी हुई थी,,,।कुर्ती पहनी हुई थी तो कर राजू को निराशा हाथ लगी लेकिन फिर भी आज उसकी आंखों ने बहुत कुछ देख लिया था जोरो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए बर्दाश्त नहीं हुआ,,,, वह खटिया से नीचे उतरने लगा खटिया से नीचे उतर कर एक बार फिर से वह अपनी बुआ की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार को देखने लगा और अपने लंड को जोकी पजामे में तंबू बनाए हुए था,,,, पजामे में बने तंबू को देखकर खुद राजू भी हैरान हो गया था,,,, क्योंकि एकदम खूंटे की तरह था और वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर इस पर कपड़े टांग दिया जाए तो आराम से टंगा रह जाएगा,,,,,मुझे सोच कर कमरे से बाहर निकलने ही वाला था कि उसके मन में ख्याल आया कि अगर उसकी बुआ जाग गई और उसे खटिया पर ना पाकर और अपनी स्थिति को देखकर यही समझेगी कि वह उसकी बुर को जरूर देख रहा होगा और वह ऐसा नहीं चाहता था इसलिए जाते जाते वहां लालटेन बुझा देना चाहता था ताकि कमरे में अंधेरा रहे और उसकी बुआ को यही लगेगी लालटेन अपने आप बुझ गई थी कमरे में धूप्प अंधेरे को देख कर उन्हें ऐसा ही लगेगा तो मैंने कुछ देखा नहीं हूं,,,, राजू अपने मन में यह सोचता हुआ लालटेन को बुझा दिया,,,, लेकिन बुझाने से पहले उसे दीवार के किनारे अपनी बुआ की सलवार नजर आई,,, तो अपने मन में सोचने लगा कि उसकी बुआ ने सलवार निकालकर इधर क्यो फेंकी हैं लेकिन इसे कोई समझ नहीं आ रहा था अपने मैंने उसे लगा कि शायद गर्मी ज्यादा होने की वजह से निकाल दी होंगी और वह घर से बाहर निकल गया,,,, पेशाब करने के बाद भी वह घर वापस नहीं गया क्योंकि धीरे-धीरे उजाला होने लगा था,,,,
लेकिन उजाला होने से पहले गुलाबी की नींद खुल गई थी कमरे में चारों तरफ अंधेरा था उसे ऐसा लगा कि राखी उसके पास सोया हुआ है इसलिए अपने बगल में हाथ रखकर टटोलने लगी तो वहां कोई नहीं था उसे तभी अपनी हालत का अहसास हुआ तो वह झट से उठ खड़ी हुई,,,,,,
उसे याद आ गया कि वह जल्दबाजी में सलवार पहनना भूल गई थी और बिना सलवार के भी सो रही थी और वह सोचने लगी कि उसका भतीजा राजू इससे पहले उठकर कमरे से चला गया था तो जरूर उसकी नजर उसकी बुर पर पड़ी होगी,,,,,लेकिन उसे इस बात का एहसास हुआ कि लालटेन बंद होने की वजह से कमरे में अंधेरा था वैसे मैं उसे कुछ नजर नहीं आया होगा क्योंकि वह अपनी तसल्ली के लिए कमरे के चारों तरफ और अपने आपको खुद को देखने की कोशिश कर रही थी लेकिन इतना ज्यादा दे रहा था कि उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था तो जाकर उसे इत्मीनान हुआ और वह तुरंत खटिया से नीचे उतर कर अपनी सलवार उठा कर पहनने लगी,,,, और अपने मन में सोचने लगी कि उसका भतीजा अगर उसे इस हाल में देख लेता तो क्या होता ,,,,,,,,, और ऐसा सोचते हुए वह कमरे से बाहर निकल गई और दिनचर्या में लग गई,,।
बहुत ही लाजवाब कमेंटएक बहूत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गया
आखिर राजु को हर औरत दो टांगो के बिच के खजाने (बुर) के प्रथम दर्शन हो ही गये वो भी अपनी खुबसुरत और कामुक बुवा गुलाबी के गुलाबी बुर के
राजू का तगडा मोटा लंबा लंड भी अपनी बुवा की बुर देखकर अपनी औकात में आ गया
बुवा और राजु एक ही खटिया पर सोते हैं तो कही राजु और गुलाबी अपने लंड और बुर का उद्घाटन तो नहीं कर बैठते
शायद राजू का बुवा की तरफ देखने का नजरीया बदलने वाला है
बुर वाली बुवा
देखते हैं आगे क्या होता है
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
गुलाबी अपनी जवानी को संभाल पाने में धीरे-धीरे असमर्थ होती जा रही थी दिन-ब-दिन उसके बदन की प्यास उसे तड़पा रही थी,,,, उम्र के मुताबिक यह सब कुछ औपचारिक ही था क्योंकि गुलाबी उम्र के उस दौर से गुजर रही थी जिस दौर में लड़कियों की शादी हो जाएगा करती थी,,,, लेकिन गुलाबी अभी तक कुंवारी थी,,,, इसलिए तो उसकी बुर में ज्यादा खुजली हो रही थी,,,,। और इस उमर में गरमागरम नजारा देखकर उसकी इच्छा और ज्यादा प्रज्वलित होती जा रही थी,,,।,,, दीवार की दरार में से अपने भैया भाभी के कमरे में उन दोनों की घमासान चुदाई देखना उसकी आदत बन चुकी थी अपनी भाभी की गरमा गरम सिसकारियों की आवाज को सुनकर उसकी मादक जवानी को अपने लंड से रोंदता हुआ अपने बड़े भाई को देख कर इतना तो वह जानती होते कि इस खेल में बहुत ज्यादा मजा आता है,,,, इसलिए इस खेल को खेलने के लिए वह भी तड़प रही थी,,,।लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था क्योंकि ऐसा खेल खेलने के लिए उसे 1 साथी की जरूरत थी और वह साथी कौन होगा इस बारे में उसे भी बिल्कुल भी पता नहीं था,,,यह बात गुलाबी अच्छी तरह से जानती थी कि बाहर इस तरह का खिलाड़ी खेलने में मजा तो आएगा ही लेकिन बदनाम होने का डर भी है इसलिए वह अपने कदम आगे बढ़ाना नहीं चाहते थे लेकिन बदन की जवानी की गर्मी उसके मन को विचलित कर रही इसीलिए तो अपने भैया भाभी की गरमा गरम जुदाई को देखकर भाई अपनी उंगली को अपनी पूर्व में पहन कर अपनी जवानी की गर्मी को शांत कर चुकी थी और अपने भतीजे के बगल में बिना सलवार पहने ही सो गई थी,,,,।
बड़े सवेरे ही जल्दी राजू की नींद खुल गई उसे जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,, वह आलस को मारता हुआ खटिया पर उठ कर बैठ गया आंखों में नींद अभी भी छाई हुई थी,,,।
उठने का मन है उसका बिल्कुल भी नहीं कर रहा था वीडियो सोना चाहता था लेकिन जोरो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए उठना जरूरी था,,। सुबह की पहली पहर होने की वजह से बाहर अभी भी अंधेरा छाया हुआ था,,, कमरे में लालटेन की रोशनी अपनी आभा बिखेर रही थी,,,, राजू खटिया पर से उठने ही वाला था कि उसकी नजर गुलाबी की टांग पर घुटनों के नीचे की तरफ पहले पड़ी,,,,
राजू को तो पहले सब कुछ सामान्य ही लगा उसे लगा कि साथ सलवार घुटनों तक चढ गई होगी लेकिन उत्सुकतावश अपनी नजरों को ऊपर की तरफ उठाने लगा तो जैसे जैसे उसकी नजर ऊपर की तरफ आ रही थी वैसे वैसे उसे अपनी बुआ की नंगी टांग और भी ज्यादा नंगी होती हुई नजर आने लगी जब उसकी नजर घुटने तक पहुंच गई फिर भी उसे सलवार की किनारी नजर नही आई तो उसका दिल जोरो से धड़कने लगा,,,,,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा कि वहां क्या करें संस्कारी होने की वजह से वह अपनी बुआ की बहुत इज्जत करता था और उसकी नंगी टांगों को देखना भी उसके लिए गवारा नहीं था वह इसी कशमकश में था कि अपनी नजरों को और ऊपर उठाए या उसी तरह से बाहर चला जाए,,,,, उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था तभी उसे सुबह जो उसकी आंखों के सामने कमला चाची के अर्ध नग्न बदन के दर्शन हुए थे वह नजारा नजर आने लगा,,, उस दृश्य को याद करके उसके बदन में उत्तेजना की लहरें दौड़ने लगी,,,। अपने बदन में उत्तेजना की लहर को महसूस करके वह वहां से चला जाना चाहता था लेकिन अपने मन को बहलाने में वह नाकामयाब रहा अपने मन में सोचने लगा कि उसकी बुआ तो सो रही है अगर ऐसे में कुछ देख भी लेगा तो उसकी बुआ को कहां पता चलने वाला है इसलिए वह वहीं रुका रहा,,,, अपनी नजरों को ऊपर की तरफ धीरे-धीरे बढ़ाने लगा,,,, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,
इस बात को लेकर कभी भी वह अपने वतन में उत्तेजना महसूस नहीं किया कि 1 जवान खूबसूरत लड़की जो कि उसकी बुआ ही है वह उसके साथ एक ही खटिया पर सोती है,,,,,,,,, लेकिन पलभर में ही उसे इस बात का एहसास होने लगा कि उसके बगल में जवानी से भरपूर उसकी बुआ सोती है,,,, धीरे-धीरे अपनी नजरों को ऊपर की तरफ ले जा रहा था लालटेन की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था रात भर लालटेन इसी तरह से चलती रहती थी क्योंकि अंधेरे में राजू को नींद नहीं आती थी यह उसकी शुरु से आदत थी,,, गुलाबी की मक्खन जैसी चिकनी टांग देखकर राजू की हालत खराब हो रही थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि आगे क्या होने वाला है वह धड़कते दिल से अपनी नजरों को उपर की तरफ ले जा रहा था,,,
और उसकी बुआ गुलाबी निश्चिंत होकर अपनी जवानी की गर्मी निकाल कर खटिया पर सोई हुई थी अपनी पुर की गर्मी शांत करने के बाद उसे इस बात का भी होश नहीं था कि वह सलवार नहीं पहनी है और वह उसी अवस्था में सो गई थी,,,,,।
राजू का दिल जोरो से धड़कना शुरू हो गया था क्योंकि उसकी नजर अपनी बुआ की इतनी मांसल जांघों पर पहुंच चुकी थी और जांघों वाला बदन भी नंगा ही था,,, अनायास उसके मन में यह ख्याल आ गया कि जिस अंग को वह सुबह कमला चाची को नहाते हुए नहीं देख पाया था शायद वह अभी देख ले,,,,, लेकिन यह ख्याल मन में आते ही राजू के तन बदन में हलचल सी होने लगी लेकिन एक मन उसका यह भी कह रहा था कि जो वह सोच रहा है वह गलत है अपनी बुआ के बारे में इस तरह के ख्याल लाना पाप है,,,, लेकिन एक मन की सद्बुद्धि वाली बातें उसके दिमाग के पल्ले नहीं पड़ रही थी लेकिन दूसरे मन की कुबुद्धि वाली विचार उसके मन को जकड़े हुए थी,,,, जिसके पास में वह पूरी तरह से हो गया था,,,,,
अपनी तो बुआ की चिकनी मांसल जांघों को देखकर उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी और उत्तेजना के मारे उसकी पेशाब भी रुक गई थी,,,, आखिरकार नजरों ने अपनी मंजिल को ढूंढ ही लिया था बस पहुंचना बाकी था और देखते ही देखते राजू अपनी नजरों को ऊपर की तरफ उठाते उठाते एकदम ऊपर पहुंच गया जहां का नजारा देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसके होश उड़ गए और पल भर में उसके चेहरे का रंग बदलने लगा,,,,
राजू की नजर इस समय उसकी पुकाकी दोनों टांगों के बीच टिकी हुई थी उसकी कुर्ती कमर से ऊपर थी,,,,और राजू को गुलाबी के बदन का वह अंग नजर आ रहा था जिसके बारे में उसने अभी तक कल्पना भी नहीं किया था उसकी सांसों की गति पलभर में ही तेज हो गई थी,,,। उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था,,,,,वह एक नजर अपनी बुआ के चेहरे की तरफ जाना और वापस उसकी दोनों टांगों के बीच अपना ध्यान केंद्रित करने लगा उसकी बुआ अभी भी गहरी नींद में सो रही थी इस बात से बेखबर कि वह सलवार नहीं पहनी है उसकी कुर्ती ऊपर चढ़ी हुई है,,,,।
वह बड़े गौर से अपनी बुआ गुलाबी की पूरी देख रहा था जो कि एक पतली दरार की शक्ल में थी और उसके इर्द गिर्द वाली जगह तवे पर फुली हुई रोटी की तरह फुली हुई थी,,,,,,और उस पर हल्के हल्के रेशमी बाल उगे हुए थे जो कि उसकी खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा रहे थे,,,,, राजू अभी तक औरतों के इस अंग के भूगोल से पूरी तरह से अनजान था,,,,, इसलिए तो पहली बार अपनी बुआ की बुर देखते ही उसके तन बदन में मादकता भरे सितार बजने लगे थे,,,, उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा था,,,,,,, औरतों की भजन के भूगोल से पूरी तरह से अनजान राजू इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहता था आखिरकार वह भी एक मर्द था इसलिए तो औरत के खूबसूरत बुर जो कि वह बुर से बिल्कुल अनजान था फिर भी उसकी तरफ आकर्षित हुआ जा रहा था और होता भी क्यों नहीं आखिरकार मर्दों का औरतों के ईस अंग से जन्मो जन्म का नाता जो है,,,,।
राजू के मुंह में अपनी बुआ की कुल देखकर पानी आ रहा था साथ ही उसके लंड की अकड़ बढ़ती जा रही थी,,, वह अपनी औकात से ज्यादा फूल चुका था,,,राजू को अपना मोटा तगड़ा लंड बगावत करता हुआ महसूस होने लगा तो वह अपने हाथ से अपने पजामे के ऊपर से अपने लंड को पकड़ लिया,,,। राजू के लिए यह पहला मौका था जब वह किसी नंगी बुर को देखकर अपने लंड को पकड़े हुआ था,,।
राजू के लिए यह पल बेहद अद्भुत था,,,। राजू ने कभी सपने में भी नहीं देखा था कि वह कभी इस तरह से बुर के दर्शन कर पाएगा हालांकि एक मर्द होने के नाते इतना तो पता ही था कि औरतों के दोनों टांगों के बीच ही बुर होती है लेकिन किस तरह की होती है यह पहली बार देख रहा था और समझ रहा था,,,, उसे अपनी दुआ की बुर की बनावट बेहद मदहोश कर देने वाली लग रही थी केवल पतली दरार नजर आ रही थी अब वह दरार के अंदर कैसी है यह उसे पता नहीं था,,,,
सुबह का वक्त होने के बावजूद भी उत्तेजना के मारे उसके माथे से पसीना टपक रहा था,,,,वह अपनी बुआ की बुर को अपने हाथ से छूना चाहता था,,,, लेकिन ऐसा करने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी सुबह-सुबह कमला चाची उसे अपनी गांड चुची के साथ-साथ अपनी बुर भी दिखाना चाहती थी लेकिन बुर दिखा नहीं पाई थी जिसका मलाल कमला चाची को बहुत था,,,,लेकिन शायद राजू की किस्मत में कमला चाची की नहीं अपनी खूबसूरत और जवान बुर पहले देखना दिखा था इसीलिए तो आज उसे बिना किसी मशक्कत के बुर के दर्शन हो गए थे,,,।
राजू का दिमाग काम नहीं कर रहा था लंड पूरी तरह से अकड चुका था,,,। अब उसे पेशाब का जोर और बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था उससे वहां और ज्यादा देर ठहर पाना सहन नहीं हो पा रहा था और इसीलिए वह अपने आप पर गुस्सा भी कर रहा था क्योंकि वह इस नजारे को और देर तक देखना चाहता था जो कि लालटेन की रोशनी में साफ नजर आ रही थी,,,वह अपने मन में यह सोचने लगा कि अच्छा हुआ उसकी बुआ करवट लेकर नहीं सोई हुई थी वरना उसे आज अपनी बुआ की बुर के दर्शन नहीं हो पाते और वह औरत के इस खूबसूरत अंग के बारे में इतनी जल्दी जान नहीं पाता,,,। गुलाबी पीठ के बल लेटी हुई थी राजु उसके खूबसूरत चेहरे को देख रहा था तभी उसकी नजर उसकी चूचियों पर गई लेकिन वह कुर्ती पहनी हुई थी,,,।कुर्ती पहनी हुई थी तो कर राजू को निराशा हाथ लगी लेकिन फिर भी आज उसकी आंखों ने बहुत कुछ देख लिया था जोरो की पेशाब लगी हुई थी इसलिए बर्दाश्त नहीं हुआ,,,, वह खटिया से नीचे उतरने लगा खटिया से नीचे उतर कर एक बार फिर से वह अपनी बुआ की दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार को देखने लगा और अपने लंड को जोकी पजामे में तंबू बनाए हुए था,,,, पजामे में बने तंबू को देखकर खुद राजू भी हैरान हो गया था,,,, क्योंकि एकदम खूंटे की तरह था और वह अपने मन में सोचने लगा कि अगर इस पर कपड़े टांग दिया जाए तो आराम से टंगा रह जाएगा,,,,,मुझे सोच कर कमरे से बाहर निकलने ही वाला था कि उसके मन में ख्याल आया कि अगर उसकी बुआ जाग गई और उसे खटिया पर ना पाकर और अपनी स्थिति को देखकर यही समझेगी कि वह उसकी बुर को जरूर देख रहा होगा और वह ऐसा नहीं चाहता था इसलिए जाते जाते वहां लालटेन बुझा देना चाहता था ताकि कमरे में अंधेरा रहे और उसकी बुआ को यही लगेगी लालटेन अपने आप बुझ गई थी कमरे में धूप्प अंधेरे को देख कर उन्हें ऐसा ही लगेगा तो मैंने कुछ देखा नहीं हूं,,,, राजू अपने मन में यह सोचता हुआ लालटेन को बुझा दिया,,,, लेकिन बुझाने से पहले उसे दीवार के किनारे अपनी बुआ की सलवार नजर आई,,, तो अपने मन में सोचने लगा कि उसकी बुआ ने सलवार निकालकर इधर क्यो फेंकी हैं लेकिन इसे कोई समझ नहीं आ रहा था अपने मैंने उसे लगा कि शायद गर्मी ज्यादा होने की वजह से निकाल दी होंगी और वह घर से बाहर निकल गया,,,, पेशाब करने के बाद भी वह घर वापस नहीं गया क्योंकि धीरे-धीरे उजाला होने लगा था,,,,
लेकिन उजाला होने से पहले गुलाबी की नींद खुल गई थी कमरे में चारों तरफ अंधेरा था उसे ऐसा लगा कि राखी उसके पास सोया हुआ है इसलिए अपने बगल में हाथ रखकर टटोलने लगी तो वहां कोई नहीं था उसे तभी अपनी हालत का अहसास हुआ तो वह झट से उठ खड़ी हुई,,,,,,
उसे याद आ गया कि वह जल्दबाजी में सलवार पहनना भूल गई थी और बिना सलवार के भी सो रही थी और वह सोचने लगी कि उसका भतीजा राजू इससे पहले उठकर कमरे से चला गया था तो जरूर उसकी नजर उसकी बुर पर पड़ी होगी,,,,,लेकिन उसे इस बात का एहसास हुआ कि लालटेन बंद होने की वजह से कमरे में अंधेरा था वैसे मैं उसे कुछ नजर नहीं आया होगा क्योंकि वह अपनी तसल्ली के लिए कमरे के चारों तरफ और अपने आपको खुद को देखने की कोशिश कर रही थी लेकिन इतना ज्यादा दे रहा था कि उसे कुछ नजर नहीं आ रहा था तो जाकर उसे इत्मीनान हुआ और वह तुरंत खटिया से नीचे उतर कर अपनी सलवार उठा कर पहनने लगी,,,, और अपने मन में सोचने लगी कि उसका भतीजा अगर उसे इस हाल में देख लेता तो क्या होता ,,,,,,,,, और ऐसा सोचते हुए वह कमरे से बाहर निकल गई और दिनचर्या में लग गई,,।