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Incest बैलगाड़ी,,,,,

hotshot

The things you own, end up owning you
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गुलाबी को ऐसा ही लगता था कि अंधेरे की वजह से उसका भतीजा राजु,,, कमर के नीचे उसके नंगे पन को नहीं देख पाया है इसलिए थोड़ा इत्मीनान था लेकिन इस बात से सकते में आ गई थी कि वह ऐसे कैसे अपनी सलवार पहनना भुल गई थी,,,,, बार-बार उसके मन में यही ख्याल आ रहा था किरात को अपने गुलजार भाई की गरमा गरम चुदाई देखकर खुद अपनी पूर्व में उंगली डालकर अपनी गर्मी को शांत की थी जहां से खड़ी होकर अपने भैया और भाभी की चुदाई देख रही थी वहीं पर अपनी सलवार उतार कर फेंक दी थी और शायद,,,अपने बदन की गर्मी शांत करके संतुष्टि भरे एहसास के साथ वह खटीया पर पड़ी और गहरी नींद में सो गई और शायद इसीलिए बार-बार पहनना भूल गई थी लेकिन इस बात के लिए वह बार-बारभगवान को धन्यवाद दे रही थी कि अंधेरे की वजह से उसका भतीजा उसका कुछ देख नहीं पाया था,,,,। लेकिन फिर अपने मन में यह सोचने लगे कि अगर उसका भतीजा कमर के नीचे उसके नंगे पन को देख भी लेता तो क्या होता क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि रांची दूसरे लड़कों की तरह आवारा नहीं था तो शायद उसकी नजर अगर उसकी नंगी बुर पर भी पड़ जाती तो राजू कुछ नहीं करता,,,,,,,।

यह ख्याल मन में आते ही वह अपने ही मन से सवाल कर रही थी कि ऐसा खयाल उसे क्यों आ रहा है,,,, अच्छा ही तो हुआ राजू ने कुछ देखा नहीं,,,, लेकिन देख लेता तो शायद मर्द होने के नाते एक खूबसूरत नौजवान लड़की की वर देखने की वजह से उसका लंड खड़ा हो जाता तो क्या उसका चोदने का मन नहीं करता,,,, जरूर करता,,,, अगर ऐसा हो जाता तो कितना मजा आता बाहर कहीं भी मुंह मारने की जरूरत ही नहीं पड़ती और राजू उसके वश में रहता पूरी तरह से,,, इस बात की किसी को कानों कान खबर भी नहीं पड़ती और जवान लड़का होने के नाते डाई करने में उसे परम आनंद की अनुभूति होती और यह आनंद वह खोना नहीं चाहता,,,,,


गुलाबी के मन में ऐसे ख्याल आते ही उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी,,, उसे ऐसा महसूस होने लगा था कि जो कुछ भी हो सोच नहीं है वह सच हो जाएगा,,,, और इस बात का भी इसे तसल्ली थी कि उसके भतीजे का लंड उसके भाई हरिया से भी तगड़ा था,,,।जिस की गर्मी को वह अपने हथेली में लेकर महसूस कर चुकी थी और जिस तरह सेउसके लंड में पिचकारी छोड़ी थी उसे देखकर उसकी दोनों टांगों के बीच में हलचल सी मच गई थी,,,,,,, यह सब ख्याल आते ही गुलाबी का मन बहकने लगा था,,, वह कुछ कर गुजरने की सोच रही थी वह अच्छी तरह से चाहती थी कि राजू जवान होता हुआ लड़का है और वह खुद एक जवान खूबसूरत लड़की,,,, और उसका भतीजा जरूर उसकी तरफ आकर्षित होगा,,,,, गुलाबी अपनी जवानी की प्यास बुझाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार थी लेकिन उसे डर भी था कि कहीं उस्ताद आओ उल्टा ना पड़ जाए वरना वह किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगी,,,,, यही सब सोचते हुए गुलाबी घर का काम कर रही थी,,,,,,,,


हरिया नहा धोकर बेल गाड़ी ले जाने के लिए तैयार था,,, बस जाते समय रोटी ले जाने का इंतजार कर रहा था,,, उसकी बीवी मधु उसके लिए भोजन तैयार करके उसे एक बर्तन में रखकर कपड़ा बांधकर उसे थमा देती थी जिसे हरिया अपने साथ ले जाता था और दोपहर के समय जब उसे भूख लगती थी तो खा लेता था,,,, अपने बेल को चारा पानी से तैयार करते हैं अपने बेल पर हाथ रख कर उसे सहलाते हुए वह बोला,,,।



अरे सुनती हो भोजन तैयार होगा कि नहीं बहुत देर हो रही है स्टेशन पहुंचना है वरना ट्रेन आ गई तो,,,, मेरे पहुंचने से पहले ही सवारी निकल जाएगी तब कोई फायदा नहीं रहेगा,,,,



थोड़ा रुकिए तैयार हो गया है बस बांध रही हूं,,,,,(रोटी को साफ कपड़े में बांधते हुए)

अरे खुला भी सुन तो जैसे जल्दी से अपने भैया को दे कर आ जा उन्हें बहुत देर हो रही है,,,,(गुलाबी ख्यालों में खोई हुई वहीं पास में कपड़े धो रही थी लेकिन उसे मधु की आवाज सुनाई नहीं दी तो मधु फिर जोर से बोली,,)
अरे सुन रही है या बहरी हो गई है,,,, ना जाने कौन से ख्याल में खोई हुई है,,,,,(मधु कीबातों का असर गुलाबी पर बिल्कुल भी नहीं हो रहा था वह अपनी ही धुन में थी इसलिए मधु को खड़ा होना पड़ा और वह कपड़े धो रही गुलाबी के कंधे को पकड़कर उसे जोर से झगझोरते हुए बोली,,,।)

अरे गुलाबी कौन से ख्यालों में खोई हुई है तुझे कुछ समझ में आ रहा है मैं कब से आवाज लगा रही हूं,,,,।
(मधु के द्वारा इस तरह से झकझोरे जाने पर गुलाबी एकदम से हड़बड़ा कर खड़ी हो गई मानो की किसी ने नींद में से उसे पानी डालकर जगाया हो,,,)


ककककक,,,, क्या हुआ भाभी,,,?(गुलाबी एकदम से हडबडाए हुए स्वर में बोली,,,,)


अरे हुआ कुछ नहीं तू सो गई थी इसलिए तुझे इस तरह से जगाना पड़ा,,,, रात भर जाग रही थी क्या,,,,?


नननन,,,नहीं,,,,नहीं,,,, नहीं तो,,,,, बस थोड़ा सा आंख लग गई थी,,,।(गुलाबी घबराहट के मारे हक लाते हुए बोली,,)

रात भर तेरे भैया मुझे सोने नहीं देते और सुबह तुझे नींद आती है,,,,



भला भैया क्यों तुम्हें सोने नहीं देते,,,,



इतनी ही जानने की उत्सुक है तो जाकर अपने भैया से क्यों नहीं पूछ लेती,,, मुझे सोने क्यों नहीं देते,,,,(रोटी और सब्जी रुमाल में बांदीकुई गुलाबी को थमाते हुए बोली,,,)

जा जाकर अपने भैया को दे कर आ कब से इंतजार कर रहे हैं और पूछ भी लेना कि मुझे रात भर सोने क्यों नहीं देते,,।

(अपनी भाभी की ऐसी बात सुनकर गुलाबी मुस्कुराने लगी क्योंकि अपनी भाभी के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझती थी और अपनी आंखों से देख भी चुकी थी भले ही उसके भैया रात भर उसकी भाभी को जगाते हैं लेकिन साथ में उसके भैया की वजह से वो खुद जागती रहती है,,, अब इस बात को वह अपनी भाभी को तो बता नहीं सकती थी,,,,)


भाभी तुम्हारी समस्या है तुम ही पूछो,,,(इतना कहते हो वह खाना लेकर के पास आ गई ,,, उसके भैया बैलगाड़ी पर सवार हो चुके थे,,,,, और गुलाबी को खाना लेकर आते देखकर वह बोले)

ला जल्दी कर गुलाबी बहुत देर हो रही है,,,,


लो भैया समय पर खा लेना,,,,,(इतना कहते हुए गुलाबी कपड़ों में बंधा हुआ खाना अपने भाई हरिया को समाने लगी और हरी अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसे थामने लगा कि तभी उसकी नजर गुलाबी की कुर्ती पर गई जो कि कपड़े धोने की वजह से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और भीगे हुए कुर्ती में से गुलाबी कि दोनों चूचियां एकदम साफ झलक रही थी,,,। और जिस तरह के गंदे कपड़े धोते समय गुलाबी के मन में आ रहे थे उन उत्तेजक ख्यालों की वजह से उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ ने लगी थी जिसकी उत्तेजना उसकी दोनों टांगों के बीच की दरार और उसकी चुचीयों में साफ महसूस हो रही थी जिसकी वजह से उसकी चूची की निप्पल तन कर खड़ी हो गई थी,,,, अपनी बहन की झलकती हुई चुची और उसकी कड़ी निप्पल को देखते ही,,, हरिया की धोती में खलबली मचने लगी,,, उसका लंड मुंह उठाकर देखने लगा,,,, हरिया भोजन को थाम ते हुए अपनी आंखों को अपनी बहन की छातियों पर गड़ाए हुए था पहले तो गुलाबी को कुछ समझ में नहीं आया लेकिन जैसे ही अपने बड़े भाई की नजर के सिधान को वह अपनी छातीयो पर महसूस की,,,उस बात को महसूस क्योंकि उसकी कुर्ती पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और गीली कुर्ती में से उसकी चूचियां साफ़ झलक रही थी उसकी निप्पल साफ झलक रही थी ,,, अपने भैया के नजर को भांपते ही वह एकदम शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,, और वह अपनी भाई की प्यासी नजरों को अच्छी तरह से समझ रही थी,,,,,, क्योंकि वह इसी तरह से अपने भैया को अपनी चुचूयों को देखते हुए देखी थी,,,,,,


पल भर में ही गुलाबी की सांसे भारी हो गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें,,,, उसके लिए यह पल बेहद कशमकश भरा हुआ था,,,,उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है लेकिन इतना तो जानती थी कि उसका भाई उसकी चुचियों को देखकर स्तब्ध रह गया है,,,, ऐसा उसके साथ कभी भी नहीं हुआ था कभी भी उसने अपने भाई को इस तरह से गंदी नजरों से देखते नहीं पाई थी,,,, लेकिन आज जो कुछ भी हो रहा था वह कोई स्वप्न या कल्पना नहीं था ,,,, हकीकत था,,,,, अभी भी गुलाबी उसी तरह से रोटी की पोटली को आगे बढ़ाई हुई थी और उसका भाई हरिया उसे था में हुए था वह पूरी तरह से जडवंत मूर्ति बन चुका था,,,,,,,

हरिया के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ उठी थी,,, यापन उसके लिए भी बेहद अतुल्य और लुभावना लग रहा था क्योंकि आज तक उसने इतने नजदीक से कभी भी अपनी बहन के खूबसूरत अंगो को देखा नहीं था,,,, उसकी आंखों के सामने उसकी खूबसूरत बहन गुलाबी के संतरे नजर आ रहे थे हालांकि वह कुर्ती के अंदर थे लेकिन कुर्ती के किले होने की वजह से उसका आकार और उसका हल्का का रंग साफ नजर आ रहा था,,,,,,, हरिया के लिए तो यह मौका मानो कि अनजाने में भी पुस के ढेर में रसीले आम नजर आ जाने के बराबर था,,,,इसलिए तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी और उसकी आंखों में वासना की चमक साफ नजर आ रही थी,,,, हरिया के लिए यह दूसरा मौका था जब अपनी बहन की खूबसूरत अंगों को देख कर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था,,,रात को ही उसने अनजाने में ही अपनी बहन को पेशाब करते हुए देखा था उसकी नंगी में गोल गोल गांड को देखकर जिस तरह से उसका लंड ऊबाल मार रहा था उसे अपनी जवानी का दिन याद आ गया था,,,,,, उस समय हरिया अपने आप को किसी तरह से संभाल ले गया था वरना उसका मन तो कर रहा था कि आगे बढ़े और अपनी बहन की गोरी गोरी गांड को अपने दोनों हाथों से थाम कर उसे जी भर कर प्यार करें,,,,,,,,


इस हालात में गुलाबी के तन बदन में अजीब सी कसमसाहट हो रही थी वह समझ नहीं पा रही थी कैसे हालत में वह क्या करें वह अपने भैया की हालत को अच्छी तरह से समझ रही थी उसका भाई पूरी तरह से उसकी चूचियों की तरफ आकर्षित हो चुका था,,,,,,, गुलाबी को इस बात का डर था कि जिस लालच भरी निगाहों से उसका उसकी चूची को देख रहा था कहीं वहां अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसकी चूचीयो को थाम न ले,,,, इसलिए गुलाबी खुद ही इस आकर्षण के भंवर को तोड़ते हुए बोली,,,।


भैया समय मिले तो जल्दी खाना खा लेना,,,,
(गुलाबी की आवाज सुनते ही जैसे हरिया की तंद्रा भंग हुई होगा इस तरह से हर बढ़ाते हुए अपना हाथ पीछे खींच लिया और बिना कुछ बोले और बिना नजर मिला ही बस हां ठीक है बोलकर बैलगाड़ी को आगे की तरफ हांक दिया,,, गुलाबी कुछ देर तक वहीं खड़े अपने भाई को जाकर भी देखती रही और फिर जब एक नजर अपनी छातियों पर घुमाई तो वो खुद शर्मिंदा हो गई क्योंकि उसकी गोल-गोल चूचियां एकदम साफ झलक रही थी,,,, गुलाबी का दील अभी भी जोरों से धड़क रहा था वह वापस घर में आ गई और इस बार मधु की नजर उसकी छातियों पर पड़ी तो वह जोर जोर से हंसने लगी,,,, अपनी भाभी को इस तरह से हंसता हुआ देखकर गुलाबी बोली)


तुम क्यों हंस रही हो तुम्हें क्या हो गया,,,,


अरे मुझे कुछ नहीं हुआ है लेकिन अपनी हालत तो देख तेरी कुर्ती देख पूरी तरह से गीली हो चुकी है और तेरी चूची दिख रही है,,,
(अपनी भाभी के मुंह से चुची सबसे सुनकर गुलाबी गनगना गई,,,,,,)

अरे यह तो कपड़े धोते समय गीला हो गया,,,,(अपनी कुर्ती को अपने दोनों हाथों से पकड़कर उसे झाड़ते हुए बोली)


तेरे भैया ने तो देख ही लिया होगा तेरी चूची,,,,


नहीं तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,,,,


अरे पगली तू नहीं जानती तेरे भैया को चूचियां बड़ी अच्छी लगती है,,,,, देख नहीं रही है मेरी चूची को क्या हाल किए है दबा दबा कर,,,,,(मधु अपनी चूचियों की तरफ नजर डालते हुए बोली,,,,)


अरे भाभी भैया को तो बड़ी-बड़ी चूचियां पसंद होगी ना मेरी तो अभी संतरे जैसी है,,,,


अरे बुद्धू मेरी भी पहले संतरे जैसी ही थी तेरे भैया ने दबा दबा कर मेहनत की है तभी तो खरबूजे जैसी हो गई है,,,,(मधु हंसते हुए बोली)


क्या भाभी तुम भी,,,,(इतना कहकर गुलाबी फिर से कपड़े धोने बैठ गई)


लगता है तेरे भैया ठीक से तेरी चुची को देखे नहीं वरना,,,,,(इतना कहकर मधु चुप हो गई,,,)


वरना क्या भाभी,,,,(गुलाबी कपड़े धोते हुए बोली गुलाबी और जानना चाहती थी इसलिए हो सकता हूं बस अपनी भाभी को बोली थी,, ताकि उसकी भाभी उसे आगे की बात बता सके गुलाबी का दिल जोरो से,,, धड़क रहा था,,,, खास करके उसके भैया से जुड़ी बातें ना जाने क्यों अच्छी लग रही थी,,,, गुलाबी की बात सुनकर मधु बोली,,,,)


वरना क्या ,,,अरे तेरे भैया बैलगाड़ी छोड़कर तुरंत तेरी कुर्ती उतार कर फेंक देते और तेरी चुची दबा दबा कर मुंह में भर कर पीना शुरू कर देते,,,,


धत् भाभी कैसी बातें करती हो,,,,(गुलाबी एकदम से शरमा गई और शर्माते हुए बोली,,,,)


अरे सच कह रही हूं तेरे भैया को तु जानती नहीं है,,,, एक बार मौका देकर देख अपना मोटा तगड़ा लंड तेरी बुर में डालकर तेरी चुदाई करने से भी नहीं चूकेंगे,,,,,
(अपनी भाभी की इस तरह की गंदी बातें सुनकर गुलाबी पूरी तरह से उत्तेजना से गनगना गई,,,, उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी बातें उसके भैया को लेकर इतनी गंदी बात बोलेगी लेकिन गुलाबी को इसमें मजा आ रहा था उसकी बुर पनिया रही थी,,, अपनी भाभी की बातें सुनकर गुलाबी भी अपनी भाभी को चिढ़ाने के उद्देश्य से बोली,,,)


भाभी अगर भैया मेरे पीछे पड़ जाएंगे तो तुम्हारा क्या होगा तूमे तो भूल ही जाएंगे,,,,


अरे भगवान का लाख-लाख शुक्र होगा जो तेरे भैया मुझे छोड़ कर तेरे पीछे पड़ जाएंगे तो मेरी जान तो बचेगी नही तो रात भर सोने नहीं देते फिर तु झेलना अपने भैया को,,,,
(इतना कहकर गुलाबी काम करने लगी और गुलाबी अपनी भाभी की बातों को कल्पना का रूप देने लगी,,,,, कि कैसे उसके भैया अपने हाथों से उसकी कुर्ती निकाल कर उसके संतरे जैसी चूची को अपनी हथेली में भर भर कर दबा रहे हैं और उसे मुंह में भरकर पी रहे हैं इसके बाद अपनी गोद में उठाकर खटिया पर लेटाते हुएसलवार की डोरी को अपने हाथों से खोल कर उसकी सलवार उतार कर खटिया से नीचे फेंक दिया और अपने मोटे तगड़े लंड को हिलाते हुए खटिया पर चढ़कर उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसकी दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाते हुए अपने लंड को उसकी बुर में डाल दिया और जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिए इस कल्पना को करते हुए गुलाबी कपड़े धोना भुल गई और इस कल्पना में इस कदर खोई की उसकी बुर से पानी निकल गया
nice
 
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Bhosmarani

ChudasiKuttiHu
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बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया हरीया की तो अनजाने में लाटरी लग गयी
गुलाबी की गोरी चिकनी गांड का दर्शन हो गया और उत्तेजना के चरम पर लंड से पानी निकल गया
हरीया गुलाबी को चोदने के लाइन में लग गया
गुलाबी की गोरी गुलाबी अनचुदी बुर का गुलाबी छेद राजु के मोटे तगडे और लंबे लंड का गुलाबी सुपाडा घुसकर ही उद्घाटन होना चाहिए दोनो सीलबंद और अनुभवहीन
अनाडी का चोदना चुद का सत्यानाश
अगले धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Kahani jitni garam ho itni bhosde me aag lagti h.
 
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