sunoanuj
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Badhiya updates bus thoda chota laga…
Nice update, Gulabo ka gulab kab kilega aur raju kab apna zanda gaadkar sahi me raja banega ........हरिया बैलगाड़ी को हांक कर सीधे रेलवे स्टेशन पर ही खड़ा हुआ,,,बेल गाड़ी पर बैठ कर आया था लेकिन फिर भी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह इस कदर अपनी बहन की मस्ताई चुचियों को प्यासी नजरों से देख रहा था,,,,हरिया अपने मन में सोच कर हैरान हो रहा था कि यह उसे क्या हो रहा है उसके अंदर अपनी बहन को देखकर बदलाव क्यों आ रहा है जबकि वह अपनी बहन को जान से भी ज्यादा मानता था उसके बारे में कभी भी गंदे विचार उसके मन में नहीं आए थे लेकिन कुछ दिनों से हालात कुछ और ही बयां कर रहे थे उसके ना चाहते हुए भी अनजाने में ही उसकी आंखों के सामने ऐसे तेरे से नजर आ जा रहे थे कि लाख मनाने के बावजूद भी उसका मन बहक जा रहा था,,,, ऐसा उसके साथ कभी भी नहीं हुआ था हरिया स्टेशन के बाहर बैलगाड़ी पर बैठे-बैठे उस दिन की घटना से अब तक के उस दृश्य को याद करने लगा जो अचानक ही उसकी आंखों के सामने आए थे और उन पर उसको देखना उसके जेहन में उसके दिलो-दिमाग पर अपनी बहन के बारे में ही गंदे विचार आने लगे थे,,,,,,हरिया के दिमाग में पहली बार की घटना याद आ रही थी जब वह खटिया पर बैठकर दातुन कर रहा था और उसकी आंखों के सामने उसकी बहन गुलाबी घर की सफाई करते हुए झाड़ू मार रही थी,,, झाड़ू मारने की वजह से वह झुकी हुई थी जिसकी वजह से उसकी गोलाकार गांड उभर कर हरिया की आंखों के सामने अपने आप ही प्रदर्शित हो रही थी जिसे देख कर हरीया की धोती में खलबली मच गई थी,,, हरिया के लिए वह पहला मौका था जब वह अपनी बहन को दूसरी नजरों से देख कर उत्तेजित हो रहा था अपने जनपद में में उत्तेजना महसूस किया था किसी भी तरह से अपने आप को हरिया ने संभाल लिया था और आगे ना बढ़ने का अपने आप से ही वादा किया था अपनी इस हरकत पर उसे खुद भी गुस्सा आया था,,,, दूसरी मर्तबा घर के पीछे बेल को बांधते हुए अनजाने में ही उसकी बहन उसकी आंखों के सामने आ गई थी,,,उस समय हरिया को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही उसकी बहन अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी थी उसकी पीठ हरिया की तरफ थी लेकिन उसकी बहन नहीं जानती थी कि उसकी पीठ पीछे उसका भाई का है हरिया अजीब सी कशमकश महसूस कर रहा था और देखते ही देखते उसकी पहन अपनी सलवार की डोरी खोल कर के साफ करने के लिए बैठ गई अपने आपको लाख संभालने के बावजूद भी हरिया अपनी बहन की नंगी काम को देखने की लालच को रोक नहीं पाया था और उसे प्यासी आंखों से देख रहा था,,,, उसने हरिया के मन में क्या चल रहा था उससे हरिया पूरी तरह से वाकिफ था,,,,, और हरिया अपने मन पर काबू नहीं कर पाया था और अभी-अभी पानी में भीगी हुई अपनी बहन की कुर्ती में से झांक रही उसकी दोनों गुलाबी चुचियों को देखकर हरिया का मन पूरी तरह से लोटपोट हो चुका था,,, वह पूरी तरह से अपनी बहन की चूचीयो की तरफ आकर्षित हो गया था,,,,,,, जैसे ही अपनी बहन की चुचियों के आकर्षण के मंत्रमुग्ध माया में से बाहर निकला वह पूरी तरह से हड़बड़ा गया था और बैलगाड़ी को सीधा हांक कर रेलवे स्टेशन पर खड़ा हुआ था,,,, उन सब वाक्ए के बारे में सोच कर इस समय हरिया के दिल की धड़कन बढ़ गई थी और उसकी धोती में पूरी तरह से बवंडर उठ रहा था,,,, कि तभी उसका दोस्त उसका हाथ पकड़कर झकझोरते हुए बोला,,,।
अरे कहां खोया है ट्रेन आ चुकी है जल्दी चल वरना सवारी हाथ से निकल जाएगी,,,,।
(अपने दोस्त की बात सुनते ही जैसे वह नींद से जागा हो एकदम से हड़बड़ा गया,,,)
सो रहा था क्या भाभी लगता है रात भर सोने नहीं देती,,,,
अरे नहीं यार ऐसे ही चल जल्दी चल,,,
(और इतना कहने के साथ ही हरिया बैलगाड़ी से नीचे उतरा और सीधे रेलवे स्टेशन की तरफ दौड़ लगा दिया)
कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए,,,,,, राजू के मन में अपनी बुआ की बुर देखने की चाहत बढ़ने लगी थी,,, इसलिए वह सुबह जल्दी जागने की कोशिश करता था लेकिन ऐसा हो नहीं पाता था और गुलाबी भी लोक लाज के डर से मन होते हुए भी सलवार पहनकर सोती थी,,,,,,, उस समय तो हालात को देखते हुए और शर्म के मारे गुलाबी यही सोचकर संतुष्ट थी कि उसके भतीजे ने उसकी नंगी बुर को देखा नहीं थालेकिन अब जैसे-जैसे उसकी बुर की प्यास बुर की गर्मी बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे अपने मन में यही सोच रही थी कि काश उसका भतीजा राजु उसकी बुर को देख लिया होता तो शायद उसके मन और तन की प्यास बुझने का कोई तरीका निकाल आता,,,, लेकिन उसी तरह से अपनी बुर दिखाने की हिम्मत उसकी नहीं हो रही थी,,, उसके मन में इस बात का डर बराबर बना हुआ था कि अगर वहां कैसे सलवार उतार कर सोएगी और उसका भतीजा उसे उस हाल में देख लेगा तो कहीं ऐसा ना हो कि वह अपनी मां से बता दे कि वह बिना सलवार पहने सोती है तब क्या होगा क्योंकि वह अपने भतीजे राजू की नादानियत को अच्छी तरह से जानती थी,,,, भले ही वह शरीर से लंबा तंबा हो गया था लेकिन औरतों के मामले में उसका दिमाग ज्यादा नहीं चलता था,,,, अगर वह भी दूसरे लड़कों की तरह होता तो शायद ही खूबसूरत लड़कि के साथ एक ही खटिया पर सोने की वजह से वह अब तक उसके अंगो से छेड़खानी जरूर किया होता,,, और उसे चोदने का अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया था लेकिन ऐसाआज तक नहीं हुआ था कि जाने अनजाने में ही वह उसके अंगों को स्पर्श किया हो इसलिए गुलाबी को डर लगता था बिना सलवार पहने सोने में,,,,,,। हालांकि वह रोज अपने भैया और भाभी की चुदाई देखकर पूरी तरह से मस्त हो जाती थी उसकी आदत सी पड़ गई थी अपनी बुर मे उंगली करके सोने की,,,, ऐसे ही एक रात को राजू की नींद खुल गई उसने जोरों की प्यास लगी थी ,,,, वह नींद से उठकर खटिया पर बैठ गया,,, तो देखा कि उसकी बुआ खटीए पर ना होकर दीवार के पास खड़ी होकर कुछ देख रही थी राजू को कुछ समझ में नहीं आया वह अभी भी नींद में ही था बस प्यास लगने की वजह से जाग गया था,,,,,, वह अपनी बुआ की तरफ देखते हुए बोला,,,
बुआ मुझे प्यास लगी है,,, तुम वहां क्या कर रही हो,,,?
(अपने भतीजे की आवाज सुनते ही गुलाबी एकदम से चौक गई क्योंकि कमरे में लालटेन चल रही थी पूरे कमरे में लालटेन की रोशनी और उस समय गुलाबी दूसरे कमरे में अपने भैया भाभी कीगरमा गरम चुदाई को देखकर सलवार के ऊपर से अपनी बुर को मसल रही थी,,, राजू की आवाज कानों में पडते ही वह झट से अपने हाथ को पीछे की तरफ खींच ली,,,,सारा मजा किरकिरा हो गया था क्योंकि अंदर गुलाबी का भाई अपने लंड को उसकी भाभी की बुर में डालने ही वाला था,,,)
ककककक,,, क्या हुआ,,,?(एकदम से राजू की तरफ देखते हुए हक लाते हुए बोली)
मुझे प्यास लगी है बुआ,,,
रुक अच्छा दे रही हुं,,,(इतना कहकर वह तुरंत कमरे में ही कोने पर रखे हुए मटके में से गिलास भर कर पानी निकाल कर राजू को थमाते हुए बोली,,,)
ले पी ले,,,, रात रात को जाग कर पानी पीता है,,,
(राजू पानी का गिलास लेकर पानी पीने लगा गुलाबी की हालत खराब हो रही थी उत्तेजना के मारे उसकी बुर से पानी निकल रहा था,,।वह अपनी शर्मा की दुल्हनिया खोलकर अलीपुर में उंगली डालने की तैयारी में थी कि तभी उसकी आवाज आ गई थी इसलिए उसके सारे मजे पर पानी फिर गया था,,, गुलाबी मन ही मन में राजू पर गुस्सा कर रही थी,,, राजू पानी पीकर ग्लास को अपनी बुआ को थमाते हुए बोला,,)
लो बुआ रख दो,,,,(गुलाबी गिलास थामकर उसे वापस भटके के पास रख दी और खड़ी हो गई उसे लगा कि राजू अभी सो जाएगा लेकिन राजू बुआ की तरफ देखते हूए बोला)
दीवाल के अंदर क्या देख रही थी बुआ,,,?
(राजू के इस सवाल पर गुलाबी एकदम से झेंप गई और हकलाहट भरे स्वर में बोली)
ककककक,,, कुछ तो नहीं वो क्या है ना कि छिपकली आ गई थी इसलिए मैं उसे भगा रही थी और वह दीवाल में चली गई,,,
ओहहहह ,,,,,,, अच्छा हुआ बुआ तुम छिपकली को भगा दी मुझे छिपकली से डर लगता है,,,, अब आओ जल्दी से सो जाओ,,
तू सो जा मुझे नींद नहीं आ रही है,,,
मुझे भी नहीं आ रही है बुआ,,,,
(राजू की बात सुनकर गुलाबी को और ज्यादा गुस्सा आने लगा लेकिन कर भी क्या सकती थी वह जानते थे कि उसके जागते हैं वह अंदर के दृश्य को नहीं देख पाएगी,,, इसलिए ना चाहते हुए भी उसे सोना पड़ा,,, थोड़ी ही देर में दोनों को नींद आ गई,,,)
दूसरी तरफ कमला चाची जानबूझकर राजू को अपना अंग दिखाने की कोशिश करते हुए जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव की थी उससे वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, बहू वाली हो जाने के बावजूद भी इस उम्र में कमला चाची की उत्तेजना बरकरार थी,,,, इसीलिए तो वहां मन ही मन में अपने आपको राजू को समर्पित करने की ठान ली थी क्योंकि वह जानती थी जवान लंड को अपनी बुर में लेने से अत्यधिक आनंद आएगा,,,,,, कमला चाची पूरी तरह से तैयार थी लेकिन उन्हें कोई मौका नहीं मिल रहा था,,,,,,
ऐसे ही एक दिन वह अपने घर पर बैठी हुई थी उनकी बहू खाना बना रही थी कमला चाची को भूख लगी थी खाना बनने में थोड़ी देर थी उसी समय राजू अपने मन में एक आस लेकर कि आज के कुछ देखने को मिल जाएगा इसलिए वह कमला चाची के घर पर आया,,, तो दरवाजे पर खड़ा होकर दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोला,,,।
चाची घर पर हो कि नहीं,,,,
(राजू की आवाज कानों में पड़ते ही कमला चाची का तन बदन में आनंद की लहर दौड़ में लगी लेकिन अपनी बहू की मौजूदगी में उन्हें खुशी नहीं हुई लेकिन फिर भी राजू की आवाज सुनते ही वह बोली,,,)
हां घर पर ही हूं आ जा,,,,
(कमला चाची की आवाज सुनते ही राजू दरवाजे को थोड़ा धक्का दिया तो दरवाजे अपने आप ही खुल गया और अंदर कदम रखते ही व कमला चाची को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और खाना बना रही उनकी बहू को भी नमस्ते भाभी बोल कर उनका अभिवादन किया,,,, राजू को एक बार फिर से अपनी आंखों के सामने खड़ा देखकर कमला चाची की बहू रमा उसे एकटक देखने लगी रामा को राजू अच्छा लगने लगा था उसका भोलापन उसे भा गया था,,,)
आ बैठ,,,,,(कमला चाची खटिया पर बैठने का इशारा करते हुए बोली,,,,,,, लेकिन राजू कम ने चाची को खटिया पर बैठा हुआ देखकर और धमाके उपस्थिति को देखते हुए उसका मन उदास हो गया उसे ऐसा था कि आज भी कमला चाची नहा रही हो तो मजा आ जाए,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था इसलिए कमला चाची की बात सुनते ही वो बोला,,)
नहीं नहीं चाची बैठने में नहीं आया हूं बस यहां से गुजर रहा था तो सोचा आप से मिलता चलु,,,।
ठीक कीया राजू,,, जो तु मिलने आ गया,,, तू अच्छा लड़का है,,,,,
(कमला चाची की :ऐसी बात सुनकर राजु मन ही मन प्रसन्न हो गया और मुस्कुराते हुए बोला,,,,)
ठीक है चाची मे चलता हूं खेतों में थोड़ा काम है,,,,,,,
(इतना कहकर वह जैसे ही चलने को हुआ तुरंत कमला चाची बोली,,,)
अरे रुक मैं भी चलती हूं मुझे भी खेतों में थोड़ा काम है,,,,
(इतना कहकर कमला चाची खटिया पर से खड़ी हो गई तो उनकी बहु रमा बोली,,)
अरे मा जी खाना तो खाते जाइए बस थोड़ी देर रह गई, है,,..
(लेकिन अपनी बहु की बात अनसुनी करते हुए कमला चाची उसके पीछे पीछे चल दी,,, कमला चाची की बहू को लगा कि शायद खाना मैं देर हो जाने के कारण हम गुस्सा कर चली गई है इसलिए वह जल्दी जल्दी बनाने लगी,,, कमला चाची को अपने पास आता देखकर राजु को अंदर ही अंदर खुशी हो रही थी,,,क्योंकि नहाते समय जिस तरह से कमला चाची अपनी अंगो का प्रदर्शन की थी उसे देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहरों में लगी थी और उसी अंगप्रदर्शन की लालच की वजह से ही राजू कमला चाची के पास दोबारा आया था वरना कमला चाची के पास भटकने की उसकी हिम्मत नहीं होती थी,,,। और यह हकीकत ही था कि,,, कमला चाची के अंगों को देखकर ही उसके बारे में पता चला था और रही सही कसर राजू ने अपनी बुआ की बुर देखकर पूरी कर ली थी,,,।
Nice updateहरिया बैलगाड़ी को हांक कर सीधे रेलवे स्टेशन पर ही खड़ा हुआ,,,बेल गाड़ी पर बैठ कर आया था लेकिन फिर भी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह इस कदर अपनी बहन की मस्ताई चुचियों को प्यासी नजरों से देख रहा था,,,,हरिया अपने मन में सोच कर हैरान हो रहा था कि यह उसे क्या हो रहा है उसके अंदर अपनी बहन को देखकर बदलाव क्यों आ रहा है जबकि वह अपनी बहन को जान से भी ज्यादा मानता था उसके बारे में कभी भी गंदे विचार उसके मन में नहीं आए थे लेकिन कुछ दिनों से हालात कुछ और ही बयां कर रहे थे उसके ना चाहते हुए भी अनजाने में ही उसकी आंखों के सामने ऐसे तेरे से नजर आ जा रहे थे कि लाख मनाने के बावजूद भी उसका मन बहक जा रहा था,,,, ऐसा उसके साथ कभी भी नहीं हुआ था हरिया स्टेशन के बाहर बैलगाड़ी पर बैठे-बैठे उस दिन की घटना से अब तक के उस दृश्य को याद करने लगा जो अचानक ही उसकी आंखों के सामने आए थे और उन पर उसको देखना उसके जेहन में उसके दिलो-दिमाग पर अपनी बहन के बारे में ही गंदे विचार आने लगे थे,,,,,,हरिया के दिमाग में पहली बार की घटना याद आ रही थी जब वह खटिया पर बैठकर दातुन कर रहा था और उसकी आंखों के सामने उसकी बहन गुलाबी घर की सफाई करते हुए झाड़ू मार रही थी,,, झाड़ू मारने की वजह से वह झुकी हुई थी जिसकी वजह से उसकी गोलाकार गांड उभर कर हरिया की आंखों के सामने अपने आप ही प्रदर्शित हो रही थी जिसे देख कर हरीया की धोती में खलबली मच गई थी,,, हरिया के लिए वह पहला मौका था जब वह अपनी बहन को दूसरी नजरों से देख कर उत्तेजित हो रहा था अपने जनपद में में उत्तेजना महसूस किया था किसी भी तरह से अपने आप को हरिया ने संभाल लिया था और आगे ना बढ़ने का अपने आप से ही वादा किया था अपनी इस हरकत पर उसे खुद भी गुस्सा आया था,,,, दूसरी मर्तबा घर के पीछे बेल को बांधते हुए अनजाने में ही उसकी बहन उसकी आंखों के सामने आ गई थी,,,उस समय हरिया को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही उसकी बहन अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी थी उसकी पीठ हरिया की तरफ थी लेकिन उसकी बहन नहीं जानती थी कि उसकी पीठ पीछे उसका भाई का है हरिया अजीब सी कशमकश महसूस कर रहा था और देखते ही देखते उसकी पहन अपनी सलवार की डोरी खोल कर के साफ करने के लिए बैठ गई अपने आपको लाख संभालने के बावजूद भी हरिया अपनी बहन की नंगी काम को देखने की लालच को रोक नहीं पाया था और उसे प्यासी आंखों से देख रहा था,,,, उसने हरिया के मन में क्या चल रहा था उससे हरिया पूरी तरह से वाकिफ था,,,,, और हरिया अपने मन पर काबू नहीं कर पाया था और अभी-अभी पानी में भीगी हुई अपनी बहन की कुर्ती में से झांक रही उसकी दोनों गुलाबी चुचियों को देखकर हरिया का मन पूरी तरह से लोटपोट हो चुका था,,, वह पूरी तरह से अपनी बहन की चूचीयो की तरफ आकर्षित हो गया था,,,,,,, जैसे ही अपनी बहन की चुचियों के आकर्षण के मंत्रमुग्ध माया में से बाहर निकला वह पूरी तरह से हड़बड़ा गया था और बैलगाड़ी को सीधा हांक कर रेलवे स्टेशन पर खड़ा हुआ था,,,, उन सब वाक्ए के बारे में सोच कर इस समय हरिया के दिल की धड़कन बढ़ गई थी और उसकी धोती में पूरी तरह से बवंडर उठ रहा था,,,, कि तभी उसका दोस्त उसका हाथ पकड़कर झकझोरते हुए बोला,,,।
अरे कहां खोया है ट्रेन आ चुकी है जल्दी चल वरना सवारी हाथ से निकल जाएगी,,,,।
(अपने दोस्त की बात सुनते ही जैसे वह नींद से जागा हो एकदम से हड़बड़ा गया,,,)
सो रहा था क्या भाभी लगता है रात भर सोने नहीं देती,,,,
अरे नहीं यार ऐसे ही चल जल्दी चल,,,
(और इतना कहने के साथ ही हरिया बैलगाड़ी से नीचे उतरा और सीधे रेलवे स्टेशन की तरफ दौड़ लगा दिया)
कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए,,,,,, राजू के मन में अपनी बुआ की बुर देखने की चाहत बढ़ने लगी थी,,, इसलिए वह सुबह जल्दी जागने की कोशिश करता था लेकिन ऐसा हो नहीं पाता था और गुलाबी भी लोक लाज के डर से मन होते हुए भी सलवार पहनकर सोती थी,,,,,,, उस समय तो हालात को देखते हुए और शर्म के मारे गुलाबी यही सोचकर संतुष्ट थी कि उसके भतीजे ने उसकी नंगी बुर को देखा नहीं थालेकिन अब जैसे-जैसे उसकी बुर की प्यास बुर की गर्मी बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे अपने मन में यही सोच रही थी कि काश उसका भतीजा राजु उसकी बुर को देख लिया होता तो शायद उसके मन और तन की प्यास बुझने का कोई तरीका निकाल आता,,,, लेकिन उसी तरह से अपनी बुर दिखाने की हिम्मत उसकी नहीं हो रही थी,,, उसके मन में इस बात का डर बराबर बना हुआ था कि अगर वहां कैसे सलवार उतार कर सोएगी और उसका भतीजा उसे उस हाल में देख लेगा तो कहीं ऐसा ना हो कि वह अपनी मां से बता दे कि वह बिना सलवार पहने सोती है तब क्या होगा क्योंकि वह अपने भतीजे राजू की नादानियत को अच्छी तरह से जानती थी,,,, भले ही वह शरीर से लंबा तंबा हो गया था लेकिन औरतों के मामले में उसका दिमाग ज्यादा नहीं चलता था,,,, अगर वह भी दूसरे लड़कों की तरह होता तो शायद ही खूबसूरत लड़कि के साथ एक ही खटिया पर सोने की वजह से वह अब तक उसके अंगो से छेड़खानी जरूर किया होता,,, और उसे चोदने का अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया था लेकिन ऐसाआज तक नहीं हुआ था कि जाने अनजाने में ही वह उसके अंगों को स्पर्श किया हो इसलिए गुलाबी को डर लगता था बिना सलवार पहने सोने में,,,,,,। हालांकि वह रोज अपने भैया और भाभी की चुदाई देखकर पूरी तरह से मस्त हो जाती थी उसकी आदत सी पड़ गई थी अपनी बुर मे उंगली करके सोने की,,,, ऐसे ही एक रात को राजू की नींद खुल गई उसने जोरों की प्यास लगी थी ,,,, वह नींद से उठकर खटिया पर बैठ गया,,, तो देखा कि उसकी बुआ खटीए पर ना होकर दीवार के पास खड़ी होकर कुछ देख रही थी राजू को कुछ समझ में नहीं आया वह अभी भी नींद में ही था बस प्यास लगने की वजह से जाग गया था,,,,,, वह अपनी बुआ की तरफ देखते हुए बोला,,,
बुआ मुझे प्यास लगी है,,, तुम वहां क्या कर रही हो,,,?
(अपने भतीजे की आवाज सुनते ही गुलाबी एकदम से चौक गई क्योंकि कमरे में लालटेन चल रही थी पूरे कमरे में लालटेन की रोशनी और उस समय गुलाबी दूसरे कमरे में अपने भैया भाभी कीगरमा गरम चुदाई को देखकर सलवार के ऊपर से अपनी बुर को मसल रही थी,,, राजू की आवाज कानों में पडते ही वह झट से अपने हाथ को पीछे की तरफ खींच ली,,,,सारा मजा किरकिरा हो गया था क्योंकि अंदर गुलाबी का भाई अपने लंड को उसकी भाभी की बुर में डालने ही वाला था,,,)
ककककक,,, क्या हुआ,,,?(एकदम से राजू की तरफ देखते हुए हक लाते हुए बोली)
मुझे प्यास लगी है बुआ,,,
रुक अच्छा दे रही हुं,,,(इतना कहकर वह तुरंत कमरे में ही कोने पर रखे हुए मटके में से गिलास भर कर पानी निकाल कर राजू को थमाते हुए बोली,,,)
ले पी ले,,,, रात रात को जाग कर पानी पीता है,,,
(राजू पानी का गिलास लेकर पानी पीने लगा गुलाबी की हालत खराब हो रही थी उत्तेजना के मारे उसकी बुर से पानी निकल रहा था,,।वह अपनी शर्मा की दुल्हनिया खोलकर अलीपुर में उंगली डालने की तैयारी में थी कि तभी उसकी आवाज आ गई थी इसलिए उसके सारे मजे पर पानी फिर गया था,,, गुलाबी मन ही मन में राजू पर गुस्सा कर रही थी,,, राजू पानी पीकर ग्लास को अपनी बुआ को थमाते हुए बोला,,)
लो बुआ रख दो,,,,(गुलाबी गिलास थामकर उसे वापस भटके के पास रख दी और खड़ी हो गई उसे लगा कि राजू अभी सो जाएगा लेकिन राजू बुआ की तरफ देखते हूए बोला)
दीवाल के अंदर क्या देख रही थी बुआ,,,?
(राजू के इस सवाल पर गुलाबी एकदम से झेंप गई और हकलाहट भरे स्वर में बोली)
ककककक,,, कुछ तो नहीं वो क्या है ना कि छिपकली आ गई थी इसलिए मैं उसे भगा रही थी और वह दीवाल में चली गई,,,
ओहहहह ,,,,,,, अच्छा हुआ बुआ तुम छिपकली को भगा दी मुझे छिपकली से डर लगता है,,,, अब आओ जल्दी से सो जाओ,,
तू सो जा मुझे नींद नहीं आ रही है,,,
मुझे भी नहीं आ रही है बुआ,,,,
(राजू की बात सुनकर गुलाबी को और ज्यादा गुस्सा आने लगा लेकिन कर भी क्या सकती थी वह जानते थे कि उसके जागते हैं वह अंदर के दृश्य को नहीं देख पाएगी,,, इसलिए ना चाहते हुए भी उसे सोना पड़ा,,, थोड़ी ही देर में दोनों को नींद आ गई,,,)
दूसरी तरफ कमला चाची जानबूझकर राजू को अपना अंग दिखाने की कोशिश करते हुए जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव की थी उससे वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, बहू वाली हो जाने के बावजूद भी इस उम्र में कमला चाची की उत्तेजना बरकरार थी,,,, इसीलिए तो वहां मन ही मन में अपने आपको राजू को समर्पित करने की ठान ली थी क्योंकि वह जानती थी जवान लंड को अपनी बुर में लेने से अत्यधिक आनंद आएगा,,,,,, कमला चाची पूरी तरह से तैयार थी लेकिन उन्हें कोई मौका नहीं मिल रहा था,,,,,,
ऐसे ही एक दिन वह अपने घर पर बैठी हुई थी उनकी बहू खाना बना रही थी कमला चाची को भूख लगी थी खाना बनने में थोड़ी देर थी उसी समय राजू अपने मन में एक आस लेकर कि आज के कुछ देखने को मिल जाएगा इसलिए वह कमला चाची के घर पर आया,,, तो दरवाजे पर खड़ा होकर दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोला,,,।
चाची घर पर हो कि नहीं,,,,
(राजू की आवाज कानों में पड़ते ही कमला चाची का तन बदन में आनंद की लहर दौड़ में लगी लेकिन अपनी बहू की मौजूदगी में उन्हें खुशी नहीं हुई लेकिन फिर भी राजू की आवाज सुनते ही वह बोली,,,)
हां घर पर ही हूं आ जा,,,,
(कमला चाची की आवाज सुनते ही राजू दरवाजे को थोड़ा धक्का दिया तो दरवाजे अपने आप ही खुल गया और अंदर कदम रखते ही व कमला चाची को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और खाना बना रही उनकी बहू को भी नमस्ते भाभी बोल कर उनका अभिवादन किया,,,, राजू को एक बार फिर से अपनी आंखों के सामने खड़ा देखकर कमला चाची की बहू रमा उसे एकटक देखने लगी रामा को राजू अच्छा लगने लगा था उसका भोलापन उसे भा गया था,,,)
आ बैठ,,,,,(कमला चाची खटिया पर बैठने का इशारा करते हुए बोली,,,,,,, लेकिन राजू कम ने चाची को खटिया पर बैठा हुआ देखकर और धमाके उपस्थिति को देखते हुए उसका मन उदास हो गया उसे ऐसा था कि आज भी कमला चाची नहा रही हो तो मजा आ जाए,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था इसलिए कमला चाची की बात सुनते ही वो बोला,,)
नहीं नहीं चाची बैठने में नहीं आया हूं बस यहां से गुजर रहा था तो सोचा आप से मिलता चलु,,,।
ठीक कीया राजू,,, जो तु मिलने आ गया,,, तू अच्छा लड़का है,,,,,
(कमला चाची की :ऐसी बात सुनकर राजु मन ही मन प्रसन्न हो गया और मुस्कुराते हुए बोला,,,,)
ठीक है चाची मे चलता हूं खेतों में थोड़ा काम है,,,,,,,
(इतना कहकर वह जैसे ही चलने को हुआ तुरंत कमला चाची बोली,,,)
अरे रुक मैं भी चलती हूं मुझे भी खेतों में थोड़ा काम है,,,,
(इतना कहकर कमला चाची खटिया पर से खड़ी हो गई तो उनकी बहु रमा बोली,,)
अरे मा जी खाना तो खाते जाइए बस थोड़ी देर रह गई, है,,..
(लेकिन अपनी बहु की बात अनसुनी करते हुए कमला चाची उसके पीछे पीछे चल दी,,, कमला चाची की बहू को लगा कि शायद खाना मैं देर हो जाने के कारण हम गुस्सा कर चली गई है इसलिए वह जल्दी जल्दी बनाने लगी,,, कमला चाची को अपने पास आता देखकर राजु को अंदर ही अंदर खुशी हो रही थी,,,क्योंकि नहाते समय जिस तरह से कमला चाची अपनी अंगो का प्रदर्शन की थी उसे देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहरों में लगी थी और उसी अंगप्रदर्शन की लालच की वजह से ही राजू कमला चाची के पास दोबारा आया था वरना कमला चाची के पास भटकने की उसकी हिम्मत नहीं होती थी,,,। और यह हकीकत ही था कि,,, कमला चाची के अंगों को देखकर ही उसके बारे में पता चला था और रही सही कसर राजू ने अपनी बुआ की बुर देखकर पूरी कर ली थी,,,।