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Incest बैलगाड़ी,,,,,

Naik

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हरिया बैलगाड़ी को हांक कर सीधे रेलवे स्टेशन पर ही खड़ा हुआ,,,बेल गाड़ी पर बैठ कर आया था लेकिन फिर भी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था कि वह इस कदर अपनी बहन की मस्ताई चुचियों को प्यासी नजरों से देख रहा था,,,,हरिया अपने मन में सोच कर हैरान हो रहा था कि यह उसे क्या हो रहा है उसके अंदर अपनी बहन को देखकर बदलाव क्यों आ रहा है जबकि वह अपनी बहन को जान से भी ज्यादा मानता था उसके बारे में कभी भी गंदे विचार उसके मन में नहीं आए थे लेकिन कुछ दिनों से हालात कुछ और ही बयां कर रहे थे उसके ना चाहते हुए भी अनजाने में ही उसकी आंखों के सामने ऐसे तेरे से नजर आ जा रहे थे कि लाख मनाने के बावजूद भी उसका मन बहक जा रहा था,,,, ऐसा उसके साथ कभी भी नहीं हुआ था हरिया स्टेशन के बाहर बैलगाड़ी पर बैठे-बैठे उस दिन की घटना से अब तक के उस दृश्य को याद करने लगा जो अचानक ही उसकी आंखों के सामने आए थे और उन पर उसको देखना उसके जेहन में उसके दिलो-दिमाग पर अपनी बहन के बारे में ही गंदे विचार आने लगे थे,,,,,,हरिया के दिमाग में पहली बार की घटना याद आ रही थी जब वह खटिया पर बैठकर दातुन कर रहा था और उसकी आंखों के सामने उसकी बहन गुलाबी घर की सफाई करते हुए झाड़ू मार रही थी,,, झाड़ू मारने की वजह से वह झुकी हुई थी जिसकी वजह से उसकी गोलाकार गांड उभर कर हरिया की आंखों के सामने अपने आप ही प्रदर्शित हो रही थी जिसे देख कर हरीया की धोती में खलबली मच गई थी,,, हरिया के लिए वह पहला मौका था जब वह अपनी बहन को दूसरी नजरों से देख कर उत्तेजित हो रहा था अपने जनपद में में उत्तेजना महसूस किया था किसी भी तरह से अपने आप को हरिया ने संभाल लिया था और आगे ना बढ़ने का अपने आप से ही वादा किया था अपनी इस हरकत पर उसे खुद भी गुस्सा आया था,,,, दूसरी मर्तबा घर के पीछे बेल को बांधते हुए अनजाने में ही उसकी बहन उसकी आंखों के सामने आ गई थी,,,उस समय हरिया को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि उसकी आंखों के सामने ही उसकी बहन अपनी सलवार की डोरी खोलने लगी थी उसकी पीठ हरिया की तरफ थी लेकिन उसकी बहन नहीं जानती थी कि उसकी पीठ पीछे उसका भाई का है हरिया अजीब सी कशमकश महसूस कर रहा था और देखते ही देखते उसकी पहन अपनी सलवार की डोरी खोल कर के साफ करने के लिए बैठ गई अपने आपको लाख संभालने के बावजूद भी हरिया अपनी बहन की नंगी काम को देखने की लालच को रोक नहीं पाया था और उसे प्यासी आंखों से देख रहा था,,,, उसने हरिया के मन में क्या चल रहा था उससे हरिया पूरी तरह से वाकिफ था,,,,, और हरिया अपने मन पर काबू नहीं कर पाया था और अभी-अभी पानी में भीगी हुई अपनी बहन की कुर्ती में से झांक रही उसकी दोनों गुलाबी चुचियों को देखकर हरिया का मन पूरी तरह से लोटपोट हो चुका था,,, वह पूरी तरह से अपनी बहन की चूचीयो की तरफ आकर्षित हो गया था,,,,,,, जैसे ही अपनी बहन की चुचियों के आकर्षण के मंत्रमुग्ध माया में से बाहर निकला वह पूरी तरह से हड़बड़ा गया था और बैलगाड़ी को सीधा हांक कर रेलवे स्टेशन पर खड़ा हुआ था,,,, उन सब वाक्ए के बारे में सोच कर इस समय हरिया के दिल की धड़कन बढ़ गई थी और उसकी धोती में पूरी तरह से बवंडर उठ रहा था,,,, कि तभी उसका दोस्त उसका हाथ पकड़कर झकझोरते हुए बोला,,,।


अरे कहां खोया है ट्रेन आ चुकी है जल्दी चल वरना सवारी हाथ से निकल जाएगी,,,,।
(अपने दोस्त की बात सुनते ही जैसे वह नींद से जागा हो एकदम से हड़बड़ा गया,,,)


सो रहा था क्या भाभी लगता है रात भर सोने नहीं देती,,,,


अरे नहीं यार ऐसे ही चल जल्दी चल,,,
(और इतना कहने के साथ ही हरिया बैलगाड़ी से नीचे उतरा और सीधे रेलवे स्टेशन की तरफ दौड़ लगा दिया)




कुछ दिन ऐसे ही गुजर गए,,,,,, राजू के मन में अपनी बुआ की बुर देखने की चाहत बढ़ने लगी थी,,, इसलिए वह सुबह जल्दी जागने की कोशिश करता था लेकिन ऐसा हो नहीं पाता था और गुलाबी भी लोक लाज के डर से मन होते हुए भी सलवार पहनकर सोती थी,,,,,,, उस समय तो हालात को देखते हुए और शर्म के मारे गुलाबी यही सोचकर संतुष्ट थी कि उसके भतीजे ने उसकी नंगी बुर को देखा नहीं थालेकिन अब जैसे-जैसे उसकी बुर की प्यास बुर की गर्मी बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे अपने मन में यही सोच रही थी कि काश उसका भतीजा राजु उसकी बुर को देख लिया होता तो शायद उसके मन और तन की प्यास बुझने का कोई तरीका निकाल आता,,,, लेकिन उसी तरह से अपनी बुर दिखाने की हिम्मत उसकी नहीं हो रही थी,,, उसके मन में इस बात का डर बराबर बना हुआ था कि अगर वहां कैसे सलवार उतार कर सोएगी और उसका भतीजा उसे उस हाल में देख लेगा तो कहीं ऐसा ना हो कि वह अपनी मां से बता दे कि वह बिना सलवार पहने सोती है तब क्या होगा क्योंकि वह अपने भतीजे राजू की नादानियत को अच्छी तरह से जानती थी,,,, भले ही वह शरीर से लंबा तंबा हो गया था लेकिन औरतों के मामले में उसका दिमाग ज्यादा नहीं चलता था,,,, अगर वह भी दूसरे लड़कों की तरह होता तो शायद ही खूबसूरत लड़कि के साथ एक ही खटिया पर सोने की वजह से वह अब तक उसके अंगो से छेड़खानी जरूर किया होता,,, और उसे चोदने का अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया था लेकिन ऐसाआज तक नहीं हुआ था कि जाने अनजाने में ही वह उसके अंगों को स्पर्श किया हो इसलिए गुलाबी को डर लगता था बिना सलवार पहने सोने में,,,,,,। हालांकि वह रोज अपने भैया और भाभी की चुदाई देखकर पूरी तरह से मस्त हो जाती थी उसकी आदत सी पड़ गई थी अपनी बुर मे उंगली करके सोने की,,,, ऐसे ही एक रात को राजू की नींद खुल गई उसने जोरों की प्यास लगी थी ,,,, वह नींद से उठकर खटिया पर बैठ गया,,, तो देखा कि उसकी बुआ खटीए पर ना होकर दीवार के पास खड़ी होकर कुछ देख रही थी राजू को कुछ समझ में नहीं आया वह अभी भी नींद में ही था बस प्यास लगने की वजह से जाग गया था,,,,,, वह अपनी बुआ की तरफ देखते हुए बोला,,,

बुआ मुझे प्यास लगी है,,, तुम वहां क्या कर रही हो,,,?
(अपने भतीजे की आवाज सुनते ही गुलाबी एकदम से चौक गई क्योंकि कमरे में लालटेन चल रही थी पूरे कमरे में लालटेन की रोशनी और उस समय गुलाबी दूसरे कमरे में अपने भैया भाभी कीगरमा गरम चुदाई को देखकर सलवार के ऊपर से अपनी बुर को मसल रही थी,,, राजू की आवाज कानों में पडते ही वह झट से अपने हाथ को पीछे की तरफ खींच ली,,,,सारा मजा किरकिरा हो गया था क्योंकि अंदर गुलाबी का भाई अपने लंड को उसकी भाभी की बुर में डालने ही वाला था,,,)

ककककक,,, क्या हुआ,,,?(एकदम से राजू की तरफ देखते हुए हक लाते हुए बोली)


मुझे प्यास लगी है बुआ,,,


रुक अच्छा दे रही हुं,,,(इतना कहकर वह तुरंत कमरे में ही कोने पर रखे हुए मटके में से गिलास भर कर पानी निकाल कर राजू को थमाते हुए बोली,,,)

ले पी ले,,,, रात रात को जाग कर पानी पीता है,,,
(राजू पानी का गिलास लेकर पानी पीने लगा गुलाबी की हालत खराब हो रही थी उत्तेजना के मारे उसकी बुर से पानी निकल रहा था,,।वह अपनी शर्मा की दुल्हनिया खोलकर अलीपुर में उंगली डालने की तैयारी में थी कि तभी उसकी आवाज आ गई थी इसलिए उसके सारे मजे पर पानी फिर गया था,,, गुलाबी मन ही मन में राजू पर गुस्सा कर रही थी,,, राजू पानी पीकर ग्लास को अपनी बुआ को थमाते हुए बोला,,)

लो बुआ रख दो,,,,(गुलाबी गिलास थामकर उसे वापस भटके के पास रख दी और खड़ी हो गई उसे लगा कि राजू अभी सो जाएगा लेकिन राजू बुआ की तरफ देखते हूए बोला)

दीवाल के अंदर क्या देख रही थी बुआ,,,?
(राजू के इस सवाल पर गुलाबी एकदम से झेंप गई और हकलाहट भरे स्वर में बोली)

ककककक,,, कुछ तो नहीं वो क्या है ना कि छिपकली आ गई थी इसलिए मैं उसे भगा रही थी और वह दीवाल में चली गई,,,


ओहहहह ,,,,,,, अच्छा हुआ बुआ तुम छिपकली को भगा दी मुझे छिपकली से डर लगता है,,,, अब आओ जल्दी से सो जाओ,,

तू सो जा मुझे नींद नहीं आ रही है,,,

मुझे भी नहीं आ रही है बुआ,,,,
(राजू की बात सुनकर गुलाबी को और ज्यादा गुस्सा आने लगा लेकिन कर भी क्या सकती थी वह जानते थे कि उसके जागते हैं वह अंदर के दृश्य को नहीं देख पाएगी,,, इसलिए ना चाहते हुए भी उसे सोना पड़ा,,, थोड़ी ही देर में दोनों को नींद आ गई,,,)







दूसरी तरफ कमला चाची जानबूझकर राजू को अपना अंग दिखाने की कोशिश करते हुए जिस तरह की उत्तेजना का अनुभव की थी उससे वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,, बहू वाली हो जाने के बावजूद भी इस उम्र में कमला चाची की उत्तेजना बरकरार थी,,,, इसीलिए तो वहां मन ही मन में अपने आपको राजू को समर्पित करने की ठान ली थी क्योंकि वह जानती थी जवान लंड को अपनी बुर में लेने से अत्यधिक आनंद आएगा,,,,,, कमला चाची पूरी तरह से तैयार थी लेकिन उन्हें कोई मौका नहीं मिल रहा था,,,,,,
ऐसे ही एक दिन वह अपने घर पर बैठी हुई थी उनकी बहू खाना बना रही थी कमला चाची को भूख लगी थी खाना बनने में थोड़ी देर थी उसी समय राजू अपने मन में एक आस लेकर कि आज के कुछ देखने को मिल जाएगा इसलिए वह कमला चाची के घर पर आया,,, तो दरवाजे पर खड़ा होकर दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोला,,,।


चाची घर पर हो कि नहीं,,,,
(राजू की आवाज कानों में पड़ते ही कमला चाची का तन बदन में आनंद की लहर दौड़ में लगी लेकिन अपनी बहू की मौजूदगी में उन्हें खुशी नहीं हुई लेकिन फिर भी राजू की आवाज सुनते ही वह बोली,,,)


हां घर पर ही हूं आ जा,,,,

(कमला चाची की आवाज सुनते ही राजू दरवाजे को थोड़ा धक्का दिया तो दरवाजे अपने आप ही खुल गया और अंदर कदम रखते ही व कमला चाची को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और खाना बना रही उनकी बहू को भी नमस्ते भाभी बोल कर उनका अभिवादन किया,,,, राजू को एक बार फिर से अपनी आंखों के सामने खड़ा देखकर कमला चाची की बहू रमा उसे एकटक देखने लगी रामा को राजू अच्छा लगने लगा था उसका भोलापन उसे भा गया था,,,)

आ बैठ,,,,,(कमला चाची खटिया पर बैठने का इशारा करते हुए बोली,,,,,,, लेकिन राजू कम ने चाची को खटिया पर बैठा हुआ देखकर और धमाके उपस्थिति को देखते हुए उसका मन उदास हो गया उसे ऐसा था कि आज भी कमला चाची नहा रही हो तो मजा आ जाए,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था इसलिए कमला चाची की बात सुनते ही वो बोला,,)


नहीं नहीं चाची बैठने में नहीं आया हूं बस यहां से गुजर रहा था तो सोचा आप से मिलता चलु,,,।



ठीक कीया राजू,,, जो तु मिलने आ गया,,, तू अच्छा लड़का है,,,,,
(कमला चाची की :ऐसी बात सुनकर राजु मन ही मन प्रसन्न हो गया और मुस्कुराते हुए बोला,,,,)




ठीक है चाची मे चलता हूं खेतों में थोड़ा काम है,,,,,,,
(इतना कहकर वह जैसे ही चलने को हुआ तुरंत कमला चाची बोली,,,)

अरे रुक मैं भी चलती हूं मुझे भी खेतों में थोड़ा काम है,,,,
(इतना कहकर कमला चाची खटिया पर से खड़ी हो गई तो उनकी बहु रमा बोली,,)


अरे मा जी खाना तो खाते जाइए बस थोड़ी देर रह गई, है,,..
(लेकिन अपनी बहु की बात अनसुनी करते हुए कमला चाची उसके पीछे पीछे चल दी,,, कमला चाची की बहू को लगा कि शायद खाना मैं देर हो जाने के कारण हम गुस्सा कर चली गई है इसलिए वह जल्दी जल्दी बनाने लगी,,, कमला चाची को अपने पास आता देखकर राजु को अंदर ही अंदर खुशी हो रही थी,,,क्योंकि नहाते समय जिस तरह से कमला चाची अपनी अंगो का प्रदर्शन की थी उसे देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहरों में लगी थी और उसी अंगप्रदर्शन की लालच की वजह से ही राजू कमला चाची के पास दोबारा आया था वरना कमला चाची के पास भटकने की उसकी हिम्मत नहीं होती थी,,,। और यह हकीकत ही था कि,,, कमला चाची के अंगों को देखकर ही उसके बारे में पता चला था और रही सही कसर राजू ने अपनी बुआ की बुर देखकर पूरी कर ली थी,,,।
Bahot behtareen
Shaandaar update bhai
 

Naik

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राजू को ऐसे तो कोई भी काम नहीं था बस वह एक बहाना बनाया था कमला चाची से मिलने के लिए,,,, और उसका यह बहाना कामयाब भी हो चुका,,,,एक औरत से इस तरह से मिलने कि राजु में बिल्कुल भी हिम्मत नहीं होती थी,,, लेकिन जब से वहां कमला चाची के अंगों को अपनी जवान और उत्सुक आंखों से टटोला था और अपनी खूबसूरत बुआ की बुर के दर्शन किया था तब से औरतों के अंगों को ऐसी नजरों से देखने में उसे अधिक आनंद की अनुभूति होती थी और इसी आनंद की अनुभूति के लिए बहाना बनाकर कमला चाची से मिलने आया था,,,,,, और कमला चाची भीकहां संस्कारी होना थी वह तो खुद राजु को अपने अंगों को बड़ी अच्छे से दिखाना चाहती थी,,,,, और वही कमला चाची के अंगो का जादू ही था जो वो खुद बहाना बना कर उससे मिलने के लिए आया था,,,,,




मुझे भी थोड़ा कोई तो मैं काम है सोच रही हूं तु साथ रहेगा तो जल्दी से हो जाएगा,,, तू साथ देगा ना मेरा,,,,


हां चाची क्यों नहीं तुम्हारा साथ में बराबर दूंगा,,,,


तू बहुत अच्छा लड़का है गांव में सबसे अच्छा लड़का तु ही है और तुझे ही मैं अच्छा मानती हूं,,,, बाकी सारे लड़के तो आवारा है,,,,(ऐसा कहते हुए कमला चाची राजु के बराबर चलने लगी थी,,,,।)

नहीं चाची ये तो आपका बड़प्पन है,,,, वरना मैं भी दूसरों की तरह ही हूं,,,


नहीं नहीं तु दूसरों की तरह नहीं तु सबसे अलग है,,,( ऐसा कहते हुए कमला चाचीकदमों को जल्दी से आकर पढ़ाने लगी क्योंकि मैं रांची से आगे चलना चाहती थी क्योंकि अब खेत शुरू हो रहा था और पगडंडी काफी संकरी थी जिसपे एक साथ दो लोग नहीं चल सकते थे 1 को आगे तो दूसरे को पीछे चलना पडता थाऔर इसीलिए कमला चाची राजू से आगे चलना चाहती थी ताकि वह अपनी बड़ी-बड़ी गांड को उसकी आंखों के सामने मटका सके जिसे देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगे,,,, और कमला चाची राजू से एक कदम आगे पहुंच चुकी थी,,, और शायद राजू भी मन में यही चाहता था,,,। क्योंकि कमला चाची को अपनी आंखों के सामने अपनी गांड मटका कर चलती हुए देखकर राजू के तन बदन में हलचल सी होने लगी क्योंकि कमला चाची की गांड चलते ही बड़े मादक तरीके से हील रहीं थी,,,। कमला चाची अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

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इसीलिए तो मैं तुझे पसंद करती हूं और दूसरे लड़के को हमेशा डांटती रहती हूं,,, लेकिन तू ही है कि मुझसे भागता रहता है,,,, पता नहीं आज कैसे मुझसे मिलने के लिए आ गया,,,,(कमला चाची आगे चलते हुए पीछे नजर घुमाकर राजू की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली,,,,कमला चाची को मुस्कुराता हुआ देखकर राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी,,,. और वह बोला)


ऐसा नहीं है मैं हमेशा से आपकी इज्जत करता हूं उस दिन आपके घर में ले आया था ना इसलिए सोचा कि फिर से आपसे मिलने चलु,,,
(राजू की बातें सुनकर कमला चाची समझ गई थी कि वह किस उद्देश्य से उसके घर पर मिलने के लिए आया था उस दिन जिस तरह का दृश्य उसने राजू को दिखाकर आकर्षण जमाई थी वही देखने के लिए और यह बात का आभास होते ही कमला चाची के तन बदन में भी हलचल सी होने लगी,,,,,, राजू की बातें सुनकर कमला चाची मन ही मन में खुश हो रही थी खेत शुरू हो चुका था,,,राजू की नजर कमला चाची की बड़ी बड़ी गांड के ऊपर टिकी हुई थी जिसकी थिरकन को देखकर उसका मन डोल रहा था,,, कमला चाची के नितंबों के ऊपर की गहरी बाकी बेहद आकर्षक नजर आ रही थी,,, कमला चाची का बदन गोरा था,,, और इस उम्र में भी बेहद मादकता से भरी हुई खूबसूरत लग रही थी इस उम्र में औरत का आकर्षण इतना अत्यधिक नहीं होता है,, लेकिन कमला चाची की बात कुछ और ही थी,,,,,,आगे आगे चलती हुई अपनी गांड मत खा कर सपने अंगो का प्रदर्शन करते हुए कमला चाची को देखकर बार-बार राजू के मन में वही दृश्य बार-बार नजर आ रहा था चाची के घर पर पहुंचने पर कमला चाची नहा रही थी और पेटीकोट को इधर-उधर करके अपने नितंबों का प्रदर्शन कर रही थी,,,,,, उन दृश्यों को याद करके राजू के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी औरतों के प्रति इस तरह का आकर्षण राजू को पहले कभी नहीं हुआ था लेकिन उसके हावभाव बदलने लगे थे भले ही कमला चाची तो खूबसूरत साड़ी के अंदर था लेकिन फिर भी साड़ी के ऊपर से उसके बदन के कटाव का नाप लेकर मस्त हो रहा था,,,,,,, एक तरह से करमला चाची के पीछे चलने में राजू का ही फायदा था,,, कमला चाची उससे 3 फीट की दूरी पर आगे आगे चल रही थी और इतनी दूरी पर पहली बार राजू किसी औरत के बदन को निहार रहा था,,,।


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और कमला थी कि अपने बदन की चाल को बेहद मादक बना रही थी वह जानती थी कि ,,, ऊंची नीची टेंढी मेढी पगडंडियों से चलते हुए उसकी कमर बलखा जा रही है जिसकी वजह से उसकी भारी-भरकम गांड की लचक कुछ ज्यादा ही मचक दे रही है,,,,,,। कमला चाची आगे आगे चलते हुए अपने मन में ही कहीं युक्तियों को जन्म दे रही थी कि किस तरह से वह राजू के सामने अपने अंग का प्रदर्शन करें जिसकी वजह से राजू पूरी तरह से उत्तेजना पास होकर उसके साथ संभोग सुख प्राप्त करें और उसे इस उम्र में भी जवानी का मजा चखा दे,,, और इस बात को भी वह चित्र भी जानती थी कि राजु पूरी तरह से औरतों के साथ खेले जाने वाले खेल में अनाड़ी है उसे धीरे-धीरे सिखाना भी पड़ेगा,,,, लेकिन एक शिक्षिका के भांती संभोग के बाराखडी में कमजोर अपने विद्यार्थी को संभोग का संपूर्ण अध्ययन कराने के लिए वह बेहद उत्सुक थी,,,,,,, और गुरु दक्षिणा के रूप में वह राजू से संपूर्ण संतुष्टि चाहती थी,,,।



देखते ही देखते दोनों घने खेतों के बीच पहुंच चुके थे,,,,,, खेतों के बीच पहुंचते ही कमला चाची बेहद उत्सुकता दिखाते हुए राजू की तरफ घूम गई और उससे बोली,,,,।




राजू हमें यह हरी हरी घास जो दिख रही है ना इन्हें उखाड़ कर एक तरफ रखना है ताकि यह जगह एकदम साफ हो जाए और हम इस पर अनाज लगा सके,,,,,,
(लेकिन शायद कमला चाची की बात कर राजू का ध्यान नहीं गया वह एकदम सन्न होकर एकटक कमला चाची की विशाल छातियों की तरफ देख रहा था,,,और देखता भी क्यों नहीं आखिरकार उसकी आंखों के सामने कमला चाची की छातियों का नजारा है कुछ अद्भुत और आकर्षक था कमला चाची राजू के आगे आगे चलते हुए मन में युक्ति सोचते हुए वह जानबूझकर अपने ब्लाउज के ऊपर के 2 बटन को खोल दी थी ताकि उनमें से उसकी चुचियों का अधिकांश भाग राजु को दिखाई दे और ऐसा ही हो रहा था,,, कमला चाची की मदमस्त कर देने वाली चुचीयां आधे से ज्यादा बाहर को झलक रही थी ऐसा लग रहा था कि कमला चाची के ब्लाउज बड़े-बड़े दशहरी आम रखे हुए हैं और वह पक कर बाहर आने के लिए मचल रहे हैं,,,, राजू की तो सांसे उपर नीचे हो रही थी क्योंकि करना चाहती थी चूचियों के निप्पल तो नहीं लेकिन निप्पल के इर्द-गिर्द भूरे रंग का घेराव साफ नजर आ रहा था,,,, राजू की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी,,,, उसके दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी कमला चाची मन में युक्ति सोचकर जिस तरह का प्रहार राजू के ऊपर की थी उससे वह खड़े खड़े ढेर हो चुका था क्योंकि खेतों में काम करने के बारे में जिस तरह का निर्देश कमला चाची बता रही थी उस पर राजू का बिल्कुल भी ध्यान नहीं था और राजू अपनी फटी आंखों से कमला चाची की छातियों को बोल रहा था यह देखकर कमला चाची के तन बदन में भी अजीब सी हलचल हो रही थी,,,। कमला चाची को अपनी युक्ति कामयाब होती नजर आ रही थी,,,। राजू के मुंह से एक भी शब्द नहीं फुट रहे थे,,,, कमला चाची ही उसका ध्यान भंग करते हुए बोली,,,)


कहां खो गया मैं तुझसे कुछ कह रही हूं,,,,,
(कमला चाची की आवाज कान में पडते ही जैसे वह होश में आया हो इस तरह से हड़बड़ा गया,,,)

ककककक,, क्या करना है चाची,,,,




अरे मैं कह रही हूं कि खेतों में से घास उखाड़ कर एक बगल में रखना है,,,,


ठीक है चाची,,,,(और इतना कहने के साथ ही वह नीचे झुककर हरी हरी घास दोनों हाथों से उखाड़ना शुरू कर दिया,,, कमला चाची वहीं पास में खड़ी मुस्कुरा रही थी वह जानती थी कि उसकी युक्ती पूरी तरह से काम कर रही थी,,,,,,, उसके मन में अभी भी कुछ और युक्ति चल रही थी वह ठीक उसके सामने खड़ी हो गई और नीचे झुककर घास उखाड़ने को हुई ही थी कि,,,आधे से ज्यादा बाहर झांक रही उसकी दोनों चूचियां गप्प से ब्लाउज से बाहर निकलकर दशहरी आम की तरह झूलने लगी,,,,,,,कमला चाची अच्छी तरह से जानती थी कि उसके इस तरह से छुप जाने की वजह से उसकी भारी-भरकम खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज में ठहर नहीं पाएंगी और लचक कर लटक जाएंगी,,, जैसे ही उसकी दोनों चूचियां पके हुए आम की तरह ब्लाउज में से बाहर झूल गई वैसे ही उसके मुंह से आह निकल गई,,,,)




आहहहहहह,,, यह क्या हो गया,,,,(कमला चाची यह सब तो जानबूझकर पहुंची थी ताकि वह राजू का ध्यान अपनी और कर सके क्योंकि वह जानती थी कि वह नजर मिला पानी में शर्म महसूस कर रहा थाकमला चाची के नाम से इतना निकलते ही राजू आश्चर्य से उसकी तरफ देखने लगा तो उसकी रही है सही ताकत भी एकदम क्षीण हो गई,,,, उसकी आंखों के सामने कमला चाची की दोनों खरबूजा जैसी चूचियां उसकी छाती पर लटक रही थी मानो के जैसे कोई पपिया का फल पपिया के पेड़ पर झूल रहा हो,,, उत्तेजना के मारे राजू का गला सूखने लगा वह नीचे झुका हुआ ही कमला चाची की मदमस्त कर देने वाली चुचीयों को देख रहा था,,, जिंदगी में पहली बार राजू किसी नंगी चूची को देख रहा था,,,, इसके लिए उसकी सांसे ऊपर नीचे हो चली कमला चाची जानती थी कि राजू की उत्तेजना को बढ़ाने के लिए इतना काफी था इसलिए,,, वह अपनी दोनों चुचियों को मादक अंदाज में अपने दोनों हाथेली में पकड़कर उठाते हुए खुद भी खड़ी होते हुए बोली,,,)
कमला चाची की बड़ी बड़ी चूची हो तो देख कर राजू का मन कर रहा था कि वह खुद कमला चाची के ब्लाउज के बटन को खोले



अरे दैया यह तो बाहर निकल गई,,,, बड़ी बेशर्म है किसी का भी लिहाज नहीं करती,,,(कमला चाची मुस्कुराते हुए बोली औरअपनी दोनों चुचियों को बारी-बारी से अपने हाथ से पकड़ कर ब्लाउज में ठुसने लगी,,,, राजू के लिए उसके कोमल उम्र की तुलना में यह दृश्य असहनीय था,,,।कमला चाची अपनी कामुक हरकत की वजह से ही राज्यों के तन बदन पर अपनी कामुकता का वार पर वार कर रही थी,, और राजू के लिए कमला चाची का हर एक वार घातक सिद्ध हो रहा था राजू की उमंग मारती जवानी और ज्यादा मचल उठ रही थी,,,,,, कमला चाची जानबूझकर अपनी चाची को जोर जोर से दबाते हुए और राजू को दिखाते हुए अपने ब्लाउज मे भर रही थी वह जानती थी कि ऐसा करके वह राजू के तन बदन में आग लगा रही है और यही तो वह चाहती ही थी कमला चाची की हरकत को देखकर राजू जोकि इस खेल में बिल्कुल भी अनजान था वह अपने मन में सोचने लगा कि कास कमला चाची की चूचियां उसके हाथ में होती तो कितना मजा आ जाता ,,,,
कमला चाची की कामुक हरकत को देखकर राजू का मन कमला चाची की चूचियों को दबाने का कर रहा था,,



राजू की आंखों के सामने ही कमला चाची अपनी चुचियों को बारी-बारी से अपने ब्लाउज में भरकर बटन बंद कर ली इस बार केवल एक ही बटन खुला रखी क्योंकि वो जानती थी कि अगर दोनों बटन खुला रखी थी तो फिर से दोनों बाहर निकल आएगी और जितना वह राजू को दिखा चुकी थी उतना काफी था राजू के पजामे में उसके समझ के परे ही तंबू बन चुका था जिस पर कमला चाची की नजर पड़ चुकी थी और उस तंबू को देखकर कमला चाची की बुर गीली होने लगी थी,,,। राजू अपने सूखे गले को थूक निगल कर गिला करने की कोशिश करते हुए बोला,,,)


यह कैसे हो गया चाची,,,,


अरे बटन खुला था ना इसलिए,,,,(इतना कहते हुए कमला चाची अपनी साड़ी को थोड़ा ऊपर की तरफ उठाकर कमर में खुश ले जिससे उसकी साड़ी उसकी पिंडलियों तक उठ गई और उसकी चिकनी मोटी मांसल पिंडलिया साफ दीखने लगी,,,)


बटन बंद कर लेना चाहिए था ना चाची,,,,


कोई बात नहीं कहां किसी गैर ने देख लिया है तू ही तो देखा है,,,,(इतना कहकर कमला चाची मुस्कुराने लगी और कमला चाची की बात सुनकर राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई वह वापस नीचे झुक कर घास तोड़ने लगा,,,, और कमला चाची भी घास उखाड़ने लगी,,,, राजू अपने मन में सोच रहा था कि कमला चाची के घर देखने को छोड़ आया था लेकिन कमला चाची तो उससे भी ज्यादा दिखा दीराजू अपने मन में सोचने लगा कि कमला चाची की चूचीया कितनी बड़ी बड़ी है,,, दबाने में बहुत बहुत मजा आएगा,,, इस तरह की बातों को राजू पहली बार अपने मन में ला रहा था जिस पर उसका भी बस नहीं था,,,,,अपनी लटकती हुई चूचियों को दबा दबा कर अपने ब्लाउज में भरने की वजह से और राजू को दिखाकर उकसाने की वजह से कमला चाची की भी हालत खराब हो रही थी,,,,। कमला चाची के मन में उत्सुकता बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह राजु को मर्दों की सबसे बड़ी कमजोरी अपनी बुर दिखाना चाहती थी क्योंकि वह जानती थी कि बुरे के लिए इंसान कुछ भी कर सकता है,,, लेकिन कैसे दिखाएं उसे समझ नहीं आ रहा था,,,,


कुछ देर ऐसे ही गुजर गए दोनों घास उखाड़ उखाड़ कर घास का ढेर लगा चुके थे राजू के मन में वही दृश्य बार-बार घूम रहा था कमला चाची की चींटियां उसके होश उड़ा चुकी थी,,,,, वह अपने मन में यही सब सोच रहा था कि तभी कमला चाची अपनी साड़ी पकड़कर जोर-जोर से उछलने लगी,,,।


हाय ,,,, दैया काट ली रे,,,,हाय मैं मर गई बहुत जोर से काट रही है मुझे दर्द कर रहा है,,,(कमला चाची उछलते हुए अपने साडी को जोर-जोर से झटक रही थी,,, राजू के समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है कमला चाची जोर-जोर से उछल रहे थे मानो कि जैसे उनकी साड़ी में बिच्छू घुस गया हो,,,)


क्या हुआ चाची क्या हुआ क्या काट लिया,,,,,


अरे लगता है चींटी काट लई बहुत जोर से दर्द कर रहा है,,,,


चींटी लाल वाली चींटी तब तो चाची सूजन आ जाएगी,,,, जल्दी से उसे दूर करो नहीं तो और ज्यादा काट लेगी,,,,
(राजू को लग रहा था कि सही में कमला चाची को चींटी काट रही है वह यह नहीं जानता था कि कमला चार्ज की बस एक बहाना कर रही थी उसे अपनी बुर दिखाने के लिए,,,,)


आहहहहह,,,ऊईईईई , मां,,,,,,,,,,आहहहहहहह,,,,,दैया रे,,,,
(ऐसा कहते हुए कमला चाची जानबूझकर साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर वाली जगह को हथेली में भरकर दबाने लगी,,,,)

आहहहहहह ,,,, बहुत दर्द कर रहा है,,,,, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है राजू,,,,,

(कमला चाची का दर्द राजु से देखा नहीं जा रहा था जो कि बनावटी दर्द था,,,, वह इस बात से अनजान था कि कमला चाची सिर्फ और सिर्फ नाटक कर रही है,,,,,लेकिन उसका ध्यान बार-बार कमला चाची के उतरने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूची हो तो जा रहा था क्योंकि बड़े गेंद की तरह ब्लाउज में उछल रहा था,,, कमला चाची की उछलती हुई चुचियों को देख कर राजू का लंड अकड रहा था,,,,, उस नजारे पर वह पूरी तरह से मर मिटा था,,,,, तेज चलती सांसों के साथ,,,,, अपना चाची का उछलना देख रहा था,,,, कमला चाची इंतजार में कि कि राजू कुछ करें या कुछ बोले तभी राजू बोला,,,)

चाची को झाड़ी के पीछे जाकर चींटी निकाल दो नहीं तो ज्यादा दिक्कत हो जाएगी,,,,,
(राजू की इस बात पर कमला चाची को मन ही मन बहुत गुस्सा आया वह अपने मन में यही सोच रही थी कि अगर राजू की जगह दूसरा कोई लड़का होता तो इस मौके का जरूर फायदा उठाता हूं और खुद ही उसकी साड़ी उठाकर चींटी निकालने के बहाने उसकी बरर को प्यासी नजरों से देख कर उससे छेड़खानी करता,,, लेकिन राजू बेवकूफ का बेवकूफ ही है,,, लेकिन कमला चाची इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं थी इसीलिए वह उसी तरह से उछलते हुए बोली,,,,)


नहीं राजू मुझसे नहीं हो पाएगा तु ही कुछ कर,,,, मुझे तो लग रहा है कि चींटी अंदर घुसश रही है,,,,


अंदर ,,,,,,अंदर कहां चाची,,,?(राजू आश्चर्य जताते हुए बोला,,,)


अरे तू ही क्यों नहीं देख लेता,,,,(कमला जान बुझकर दर्द दायक चेहरा बनाते हुए बोली,,,)


ममममम,,,, में,,,, मैं कैसे चाची,,,,(राजू एकदम हैरान होते हुए बोला,,,)


हां तु,,, देख कर निकाल दे वरना यह चींटी ना जाने कहां कहां काटेंगी,,,,

(कमला चाची की बातें सुनकर राजू का दिल जोरो से धड़कने लगा क्योंकि कमला चाची जी जिस बारे में बात कर रही थी इस तरह की उम्मीद राजू को कभी भी नहीं थी इसलिए वह हैरान था,,,,, पर आश्चर्य से कमला चाची के चेहरे की तरफ और उसकी उछलती हुई चुचियों की तरफ देखे जा रहा था,,,।)
Behad shaandaar
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कमला चाची की हालत को देखकर राजू को लग रहा था कि कमला चाची को बहुत दर्द कर रहा है और वैसे भी चींटी के काटने के दर्द से वह अनजान नहीं था वह चित्र से जानता था कि जिस जगह पर चींटी काटती है तो थोड़ा उस जगह जलन भी करती है और सूज भी जाती है,,,। इसलिए राजू को भी चिंता हो रही थी,,,, राजू के मन में दो भाव पैदा हो रहे थे एक तो उसे कमला चाची की चिंता भी हो रही थी और उसके इस तरह से उछल कूद में जाने की वजह से जिस तरह से उसकी खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज में गदर मचा रही थी उसे देखकर उसे उत्तेजना भी महसूस हो रही थी और तो कमला चाची जब खुद बात बोल दी कि तु ही चींटी निकाल दे तो इस बात से राजू एकदम उत्तेजना से भर गया,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, वह बस एक टक कमला चाची को देखे जा रहा था,,,,। उसे इस तरह से आश्चर्य से देखते हुए कमला चाची बोली,,,।


ऐसे क्या देख रहा है तू ही निकाल दे,,,,


ममममम,,, में,,, कैसे चाची,,,,




अरे क्यों नहीं,,,? , तु निकाल सकता है,,,, देख राजु मेरी जल्दी मदद कर बड़े जोरों से काट रही है,,,,,आहहहहह ,,,ऊईईईईई,, मां,,,,,(दर्द से आह भरते हुए कमला चाची साड़ी के ऊपर से ही जोर से अपनी बुर को हथेली में दबोच ली,,,, कमला चाची की इस हरकत पर राजू पूरी तरह से मोहित हो गया,,,,,,, अपने अंदर वह अजीब सी हलचल तो महसूस कर रहा था उसके पजामे में पूरी तरह से तंबू तन चुका था,,, जिस पर राजू का तो नहीं लेकिन कमला चाची का ध्यान बराबर बना हुआ था कमला चाची के तन बदन में राजू के तंबू को देखकर सुरूर सा चढने लगा था,,,।राजू को इसी तरह से खाना देखकर कमला चाची अपने मन में सोची कि उसे ही कुछ करना होगा इसलिए वह,,, बोली,,)


राजु,,,, जल्दी कुछ कर,,,,,( और इतना कहने के साथ ही कमला चाची,,,एक झटके से अपनी साड़ी पकड़कर कमर तक उठा दी,,,,, पल भर के लिए भी अपनी इस हरकत को लेकर कमला चाची शर्मा महसूस नहीं की वो एकदम से बेशर्म बन चुकी थी वह जानती थी कि वह क्या कर रही है वह पूरी तरह से होशो हवास में थी,,,,साड़ी के अंदर उसे किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं थी उसे किसी चींटी ने नहीं काटी थी बस वह तो 1 बहाने से मर्दों की सबसे बड़ी कमजोरी दिखाना चाहती थी इसे देखते हैं मर्दो पर मदहोशी छाने लगती है और वही मदहोशी वह राजू के तन बदन में उसके चेहरे पर देखना चाहती थी,,,,कमला चाची एक झटके से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी कमर को थोड़ा सा आगे की तरफ कर दी एक बेहद अद्भुत दुर्लभ और अतुल्य दृश्य राजू की आंखों के सामने था उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी आंखों के सामने कोई औरत इस तरह से हरकत करेगी और कमला चाची पर तो उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,,,,,



दोपहर का समय था दुर दुर तक कोई नजर नहीं आ रहा था,,, चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था सिर्फ पंछियों के कलरव की आवाज ही सुनाई दे रही थी,,, ऐसे में खेतों के बीच अद्भुत और कामुकता से भरा हुआ दृश्य अपनी कामुकता फैला रहा था,,,,,, राजू की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी सब कुछ उसकी आंखों के सामने था फिर भी उसे किसी सपने की तरह लग रहा था क्योंकि हकीकत की तो उसे उम्मीद भी नहीं थी,,,, कमला चाची की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थीक्योंकि वह जिसके सामने अपनी साड़ी उठाकर खड़ी थी और उसके बेटे से भी कम उम्र का था और कभी कमला चाची ने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी कम उम्र के लड़के के सामने उसे इस तरह से साड़ी उठाकर अपनी वासना का प्रदर्शन करना होगा और वैसे भी बहुत पहले से ही वासनामई औरत थी,,,,,,। गहरी सांस लेते हुए कमला चाची बोली,,,।


देख राजु चीटियां नजर आ रही है कि नहीं,,,,! (कमला चाची को अच्छी तरह से मालूम था कि कोई चींटी वीटी नहीं थी फिर भी वह एक बहाने से राजू को अपने पास बुलाना चाहती थी ताकी अपनी रसीली बुर कि उसे दर्शन करा सकें,,,कमला चाची की बात सुनते ही वह अपना एक कदम आगे बढ़ाया उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह वहीं रुक कर कमला चाची की दोनों टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेने लगा,,, राजु के तन बदन में आग लग रही थी,,,, वह वहीं खड़ा हो कर देख रहा था आगे बढ़ने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी तो कमला चाची फिर बोली,,,)

अरे दूर से क्या देख रहा है पास आकर देख,,,,
(कमला चाची की इस तरह की बातें राजू के लिए खुला आमंत्रण थी लेकिन राजू उसके आमंत्रण को उसके इशारे को समझ नहीं पा रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि वाकई में कमला चाची से चीटियां देखने के लिए कह रही है,,,, कमला चाची की बात सुनकर और एक कदम और आगे बढ़ाया उसके और कमला चाची के बीच केवल अब 1 फीट की दूरी का ही फासला रह गया था,,,, अद्भुत नजारा राजू ने कभी सपने में भी नहीं देखा था राजू के लिए यह नजारा मादकता का विस्फोट कि तरह था,,, किसी जवान औरत का इस तरह से साड़ी उठाकर अपनी बुर दिखाना शायद इतना उत्तेजक नहीं होता उनकी एक उम्र दराज औरत का इस तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बुर का प्रदर्शन करना बेहद कामोत्तेजक और उन मादक था राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर अपने चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी अगर उत्तेजना नापने का कोई साधन होता तो शायद इस समय उत्तेजना का कांटा पार कर गया होता,, जैसे ज्वर नापने का थर्मामीटर होता है अगर इसी तरह से कुत्ते से ना कभी थर्मामीटर होता तो शायद उत्तेजना के मारे थर्मामीटर भी भूल जाता है इस तरह की उत्तेजना का अनुभव राजू अपने तन बदन में कर रहा था कमला चाची की सांसे भी तेजी से चुल रही थीक्योंकि उम्र के इस दौर में अब तक उसने इस तरह की हरकत कभी नहीं की थी हालांकि मर्दों के प्रति उसका आकर्षण हमेशा से बनाई रहता था लेकिन राजू के उम्र के लड़के के साथ यह उसका पहला अनुभव था,,,,।


कमला चाची उसी तरह से साड़ी को कमर तक उठाएं अपनी बुर दिखा रही थी जिस पर झांटों का झुरमुट से बना हुआ था,,,, और घूंघराले बालों के झुरमुट में छुपी बुर को देखने की कोशिश राजू बड़े जोड़-तोड़ से कर रहा था लेकिन घने बालों की वजह से कमला चाची की बुर उसे नजर नहीं आ रही थी,,,, राजू बड़े गौर से कमला चाची की बुर वाली जगह पर देख रहा था कि तभी कमला चाची बोल पड़ी,,,,



आहहहहह राजु,,, देखना कब से काट रही है मुझे परेशान की हुई है और तू दूर से बस देखे जा रहे हैं पास आकर देख जल्दी से इसे अपने हाथों से निकाल,,,,(कमला चाची उत्तेजना में और राजू को मदहोश करने के उद्देश्य से ऐसा बोलते हुए अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे मसल दी,,,राजू के लिए कमला चाची की हरकत उत्तेजना की पराकाष्ठा थी वह और ज्यादा नजदीक आ गया उसका खुद का मन कर रहा था कि वह अपने हाथों से कमला चाची की बुर को स्पर्श करें उसे छू ले लेकिन उसे डर लग रहा था,,,,,,, वो डरते हुए कमला चाची से बोला,,,)


अब क्या करूं चाची,,,,


अरे करना क्या है मेरी बुर पर देख झांट के बाल में देख,,, चिंटीव फसी हो तो जल्दी से निकाल,,,,(कमला चाची गहरी सांस लेते हुए बोली,,, राजू अजीब सी उलझन में फंसा हुआ था जो कुछ भी कमला चाची कह रही थी वह सब उसे करने का बहुत मन कर रहा था लेकिन डर रहा था,,,, फिर भी डरते हुए बोला)


मैं करूं चाची,,,,


हां और कौन करेगा मैं ठीक से ढूंढ नहीं पाऊंगी,,,,



लेकिन कोई देख लेगा तो,,,( राजू घबराते में चारों तरफ नजर दौड़ाते हुए बोला,,,,राजू की बातें सुनकर कमला चाची मन में ही मुस्कुराने लगी वह इस बात से ही संतुष्ट थी कि चलो रांची को इतना तो पता है कि यह सब अकेले में सबसे छिपकर किया जाता है,,,)

तू डर मत यहां कोई नहीं आने वाला है और कोई देखने वाला भी नहीं है और वैसे भी तू कोई केयर थोड़ी है तो अच्छा लड़का है तुझे मैं अपना समझती हूं इसलिए मैं तुझे बोल रही हूं फिर जगह अगर कोई होता तो मैं उससे से थोड़ी बोलती,,,
(कमला चाची की बातें सुनकर राजु को थोड़ी तसल्ली हुई वह,,, थोड़ा सा छुप गया था कि कमला चाची की बुर को अच्छे से देख सके,,,, झुकने पर राजू को कमला चाची की बुर बड़े अच्छे से दिखाई दे रही थी अपना हाथ आगे बढ़ा कर कमला चाची के घुंघराले बालों पर रख दिया और उसके अंदर उंगली घुमाने लगा राजू की यह हरकत कमला चाची के तन बदन में उत्तेजना की लहर को बढ़ावा दे रही थी,,,, राजू तो सच में जाटों के झुरमुट के बीच में चीटियों को ढूंढ रहा था उसकी उंगली चारों तरफ घूम रही थी इस हरकत को अंजाम देने में राजू को भी अत्यधिक आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी रह रह कर उसकी उंगलियां कमला चाची की बुर पर स्पर्श हो जा रही थी जिससे कमला चाची की उत्तेजना पर जा रही थी और राजू की हालत खराब हो जा रही थी,,,, वह अपनी उंगली को झांटों में गोल गोल घुमा रहा था,,,, तो कमला चाची बोली,,,।


क्या हुआ मिला क्या,,,,?


नहीं चाची कुछ भी नजर नहीं आ रहा है,,, मुझे लगता है कि चींटी चली गई है,,,,(कमला चाची की तरफ देखते हुए राजू बोला)


आहहहहह,,,, ऐसे कैसे चली गई है देख मुझे अभी भी काट रही है अच्छे से देख बालों को फैला फैलाकर देख,,,,।

(राजू बड़े अच्छे से कमला चाची की बुर को देखना चाहता था जिंदगी में एक ही बार गुड़ के दर्शन किया था और वह भी अपनी बुआ गुलाबी की बुर के जो कि एक पतली दरार के रूप में थी और बेहद खूबसूरत नजार‌ आ रहीं थी उस पर हल्के हल्के ही बाल थे,,,, लेकिन कमला चाची की बुर पर तो बालों का जंगल उगा हुआ थागुलाबी की बुर देखने में राजू को बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हो रही थी लेकिन कमला चाची की बुर देखने में राजू को दिक्कत महसूस हो रही थी लेकिन अब चाची की बात सुनते ही उसे उम्मीद की किरण नजर आने लगी और वह अपने हाथों की उंगलियों से कमला चाची की बुर के बाल को इधर-उधर फैलाते हुए उसकी बुर देखने की कोशिश करने लगा और ऐसा करने पर उसे कमला चाची की बुर उसकी गुलाबी पत्ती उसकी पतली दरार बड़े अच्छे से नजर आने लगी,,,,,कमला चाची की फोटो देखने में उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसकी बाकि पुर मात्र एक पतली दरार के रूप में नजर आ रही थी और कमला चाची की बुक हल्की सी खुली हुई थी शायद यह उम्र की वजह से थी,,।


राजू अपनी उंगली से बड़े अच्छे से बुरके ऊपर ईधर उधर घुमा कर चींटी को ढूंढ रहा था,,, लेकिन उसे चींटी कहीं भी नजर नहीं आ रही थी लेकिन ऐसा करने में उसे ऐसा सुख प्राप्त हो रहा था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था कमला चाची की बुर से अनजाने में खेलते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच लटकता खंजर में दर्द महसूस होने लगा था,,,, क्योंकि उसके लंड की अकड़ बढ़ते जा रही थी,,,,दूसरी तरफ एक जवान लड़के के ऊंगलीयो का स्पर्श अपनी बुर के ऊपर महसूस करके कमला चाची पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी इस उम्र में भी उसकी उत्तेजना बरकरार थी,,, राजू की हरकतों में उसे पूरी तरह से चुदवासी बना दिया था जिसके चलते उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में से मदन रस का रिसाव होना शुरू हो गया था,,,, जोकि धीरे-धीरे राजू की अंगुलियों पर रीश रहा था,,,। राजू का ध्यान पूरी तरह से कमला चाची की बुर पर टिका हुआ था,,, वह अपनी नजरों को इधर उधर भी नहीं घुमा रहा था,,,। कमला चाची की बुर का जायजा लेने में वह पूरी तरह से मशरुफ हो चुका था,,। देखते-देखते अनजाने में ही राजू ने अपनी उंगली के पोर से कमला चाची की बुर के गुलाबी पत्तियों को छेड़ दिया,,,, तो वैसे ही तुरंत कमला चाची के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,।


nicem cute emojis
सहहहहह आहहहहहहह,,,,,,,,ऊमममममममम,,,,


क्या हुआ चाची,,,(उसकी गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर राजेश की तरफ देखते हुए बोला,,,)

ककककक,,, कुछ नहीं राजू फिर से काट रही है,,,,(कमला चाची गर्म आहे भरते हुए बोली,,,)


लेकिन चाची यहां तो मुझे कुछ भी नजर नहीं आ रहा है,,,,(राजू अपने दोनों हाथों की उंगलियों से झांट के बालों को फैलाते हुए बोला,,,)


ध्यान से देख राजु मुझे बड़ी तकलीफ हो रही है,,,,आहहहहह नहीईईईई,,,,,।


क्या चाची सच में बहुत तकलीफ हो रही है,,,


अरे बहुत तकलीफ हो रही है मुझे तो डर है कहीं सूज ना जाए,,,,। देख बड़े अच्छे से मेरी बुर को देख,,,,आहहहहह राजु,,,
(कमला चाची के मुंह से बुर शब्द सुन कर राजु पूरी तरह से रोमांचित हो उठा,,,)


रुको चाची में फिर से देखता हूं,,,,,,

(कमला चाची उसी तरह से अपनी साड़ी उठाए हुए राजू को अपनी बुर बड़े अच्छे से दिखा रही थी और राजू को मजा भी आ रहा था लेकिन इस बात से अनजान था कि कमला चाची उसे चींटी वाली बात झूठ कह रही है और वह चींटी ढूंढने में ही व्यस्त था,,, लेकिन चींटी ढुंढते हुए उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति भी हो रही थी,,,, राजू फिर से बड़े ध्यान से देखने लगा राजू को कमला चाची की बुर का गुलाबी छेद बड़े साफ तौर पर नजर आ रहा था वह उसे गुलाबी छेद को देखते हुए कमला चाची से बोला,,,)

चाची चींटी तो नहीं नजर आ रही है लेकिन तुम्हारे बुर का गुलाबी छेद नजर आ रहा है,,,,।
(राजू के मुंह से बुर शब्द और गुलाबी छेद सुनकर वह पूरी तरह से मस्त हो गई,,, पलवल में ही राजू के इन शब्दों ने उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा दिया क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि राजू किस बारे में बात कर रहा है,,, इसलिए मदहोशी भरे शब्दों में वह बोली,,)


हां,,, राजू लगता है चींटी उसी चीज में चली गई है मुझे वही दर्द हो रहा है,,,,सहहहहह,,आहहहहहह,,,,,(कमला चाची पूरी तरह से मदहोश हो गई थी उसकी बातों को सुनकर राजु बोला,,,)


तो अब क्या करूं चाची,,,,(राजू उत्सुकता बस कमला चाची की तरफ देखते हुए बोला,,,, राजू की बात सुनकर कमला चाची बोली)


करना क्या है राजू उसे निकालना तो पड़ेगा ही अपनी उंगली डालकर उसे निकाल बाहर वरना यह मेरी बुर सुजा देगा,,,,,,
(कमला चाची पर हस्ताक्षर में बनी कमला चाची की इस तरह की गंदी बातों को सुनकर राजू के तन बदन में जो आग लग रही थी उसे बयां करना शायद शब्दों में मुश्किल हो रहा था कमला चाची की गंदी बातें उत्तेजना की आग में घी डालने का काम कर रहा था,,,, कमला चाची की बातें सुनकर राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढने लगी और उसका गला सूखने लगा,,, इसलिए वह अपने थुक से अपने गले को गिला करने की कोशिश करने लगा,,,, कमला चाची ने उसे अद्भुत काम सौंप दीया था,,,। जिसे करने में राजू को बहुत खुशी भी हो रही थी और वह उत्सुक भी था,,, कमला चाची चाहती तो राजू से सीधे-सीधे उसका लंड अपनी बुर में डालने के लिए कह देती और राजू इंकार भी नहीं करता लेकिन उसे न जाने क्यों धीरे-धीरे इस खेल में मजा आ रहा था राजू के नादानियत उसे और ज्यादा मदहोश कर रही थी,,,


राजू के दिल की धड़कन बढने लगी थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,, वह अपनी बीच वाली उंगली को बुरके छेद में डालना शुरू कर दिया,,,,कमला चाची अपने मन में यही सोच रही थी कि राजू के लिए यह संभोग का पहला शबक था जिसमें वह धीरे-धीरे कामयाब हो रहा था,,, कमला चाची की बुर उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसीलिए राजू की उंगली बड़े आराम से अंदर की तरफ सरक रही थी,,,,जैसे-जैसे राजू की उंगली बुर के अंदर जा रही थी वैसे वैसे कमला चाची की हालत खराब होती जा रही थी उसके चेहरे का हाव भाव उसका रंग बदलता जा रहा था और पल भर में ही उसके गोरे गोरे गाल लाल टमाटर कि तरह हो गए,,,,, राजू की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, उसे मजा आ रहा था कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि दोबारा कभी उसे इतनी नजदीक से किसी औरत की बुर को देखने का मौका भी मिलेगा और उसने उंगली डालने का भी मौका मिलेगा लेकिन राजू के सोचने के विपरीत हो रहा था और इसमें राजू को मजा भी आ रहा था,,,,धीरे-धीरे करके राजु अपनी आधी से ज्यादा ऊंगली वकमला चाची की बुर के अंदर डाल दिया था,,, बुर के अंदर अपनी उंगली पर बेहद गर्मी महसुस हो रही थी,,, इसलिेए वह उत्सुकता बस बोला,,,,।


चाची तुम्हारे बुर के अंदर तो बहुत गर्मी है,,,

क्यों क्या हुआ रे,,,,(कमला चाची मदहोश होते हुए बोली,,)


मेरी उंगली तुम्हारी बुर के अंदर जाकर जल रही है,,,,

(राजू की बात सुनकर पूरी तरह से कामोत्तेजना मे मदहोश होते हुए भी हंसने लगी और वह बोली,,)


तो क्या तुझे क्या लगा औरत की बुर ऐसे ही नरम नरम होती है सिर्फ ऊपर से ही मुलायम होती है अंदर तो‌ शोला दहकता रहता है,,,,


सच में चाची बहुत गर्म है,,,,,(ऐसा कहते हुए राजू अपनी पूरी उंगली कमला चाची की बुर में डाल दिया,,, जैसे ही उसकी पूरी उंगली बुर के अंदर तक घुशी वैसे ही कमला चाची कि सिसकारी फूट पड़ी,,,,)


सहहहहह आहहहहहहह,,,,,


क्या हुआ ,,,, चाची,,,,


ककककक,,,कुछ नहीं अपनी उंगली को अंदर बाहर कर ताकि चींटी आराम से बाहर भी कर सकें,,,
(कमला चाची की बात सुनते ही राजू उसी तरह से अपनी ऊंगलीको अंदर बाहर करते हुए अनजाने में ही उसकी बुर में अपनी उंगली पेलने लगा,,, कमला चाची की उत्तेजना और सिसकारी बढ़ने लगी,,,, राजू का मजा आने लगा,,, राजू जो कि अभी तक औरत की बुर तो देख लिया मैंने तुम कहां के दर्शन नहीं कर पाया था जो कि उसकी आंखों के बेहद करीब थी लेकिन फिर भी उसका ध्यान कमला चाची की गांड पर ना होकर उसकी बुर पर ही टिका हुआ था,,, लेकिन उत्तेजना के मारे वहअपना एक हाथ कमला चाची के पीछे की तरफ ले जाकर उसकी नरम नरम बड़ी-बड़ी गांड को अपनी हथेली में दबाए हुए था,,,जिससे वह पूरी तरह से अनजान था लेकिन कमला चाची को इसका अहसास बड़ी अच्छी तरह से था और जिस तरह से वह अपनी हथेली में जोर-जोर से उसकी गांड को दबा रहा था उससे चाची का मजा दोगुना होता जा रहा था,,,।

सहहहहह आहहहहह ,,,आहहहहहहह,,,,, और जोर से राजू और जोर से अंदर बाहर कर,,,,आहहहहहहहह,,,,
Kamlaa chachi


(कमला चाची की बातें सुनकर राजू बड़ी तेजी से अपनी ऊंगली को बुर के अंदर बाहर कर रहा था जिसमें से चप-चप की आवाज आना शुरू हो गई थी,,,कमला और राजू दोनों चींटी के बारे में बिल्कुल भी भुल गए थे बस दोनों अपने अपने तरीके से मजा ले रहे थे,,,, कमला की गरम सिसकारियां खेतों में गूंजने लगी थी वह गर्म सिसकारी लेते हुए बोली,,,।)


सहहहहह ,आहहहहह,,, राजु तुझे मेरी बुर कैसी लगी,,,?


आहहहहहह बहुत अच्छी है चाची ,,,,, बहुत खूबसूरत है,,,,


मेरी बुर के अंदर तेरी उंगली तुझे बहुत गर्म महसूस हो रही है ना,,


बहुत ज्यादा गर्म लग रही है चाची,,,


मैं जानती हूं बुर के अंदर उंगली बुर की गर्मी नही सहन कर पाती,,,, बुर के अंदर केवल एक ही चीज इसकी गर्मी को सहन कर पाती है,,,।


कौन सी चीज है चाची,,(राजू लपालप अपनी उंगली को कमला की बुर में पेलते हुए बोला,,,)


लंड,,,,,,

(कमला चाची के मुंह से लंड शब्द सुनकर जैसे कि राजू को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था इसलिए वह दोबारा पूछा,,)

क्या चाची,,,?


लंड रे,,,,,बुर की गर्मी को केवल लंड ही सहन कर सकता है और बुर की गर्मी को उतार भी सकता है,,,,


क्या कह रही हो चाची,,,,
(राजू आश्चर्य जताते हुए बोला चाची के मुंह से सुनी यह बातें राजु के लिए बिल्कुल नंई थी,,, कमला चाची इसी मौके की तलाश में थी वह राजू से एकदम से पूछ बैठी,,,)


तु अपनी उंगली की जगह लंड डालेगा इसमें,,,,
(कमला चाची के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर राजू उत्सुकता उत्तेजना और आश्चर्य से कमला चाची की तरफ देखने लगा उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कमला चाची उससे यह सवाल पूछ रही है,,,, राजू का गला सूखता जा रहा था,,,, कमला चाची की बुर में अभी भी उसकी उंगली पूरी तरह से घुसी हुई थी,,, कमला चाची देखना चाहती थी कि राजू क्या कहता है व चित्र से जानती थी कि राजु उसकी बात को इंकार नहीं कर पाएंगा,,, राजू ही क्यों कोई भी लड़का उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा नहीं पाएगा वह अच्छी तरह से जानती थी,,, राजू कि हां मैं जवाब देता इससे पहले ही उसके कानों में और कमला के कानों में जो आवाज पड़ी उससे वह दोनों एकदम से चौक गए,,,।


माजी खाना लेकर आई हूं,,,,
(इतना सुनते ही कमला चाची के होश उड़ गए वह तुरंत राजू से बोली,,)

निकाल निकाल अपनी उंगली निकाल जल्दी कर,,,,(राजू की आवाज सुनकर हैरान हो गया था और तुरंत अपनी उंगली को कमला चाची की बुर से बाहर निकाल लिया था,,, कमला चाची तुरंत अपनी साड़ी को कमर से नीचे छोड़ दी और व्यवस्थित करने लगी और अपनी बहू रमा के आने से पहले ही बाहर राजू को जो काम कर रहा था वह काम करने के लिए बोल दिया और इस बारे में उसी से बिल्कुल भी बात ना करें,, यह बात, राजू भी अच्छी तरह से जानता था कि इस तरह की बातें किसी को बताना नहीं चाहिए था इसलिए व कमला चाची की बात मानते हुए घास उखाड़ना शुरू कर दिया,,, कमला चाची अपने काम में लग गई,,, और उसकी बहू रमा खाना लेकर पहुंच गई,,,।
 
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कमला चाची की हालत को देखकर राजू को लग रहा था कि कमला चाची को बहुत दर्द कर रहा है और वैसे भी चींटी के काटने के दर्द से वह अनजान नहीं था वह चित्र से जानता था कि जिस जगह पर चींटी काटती है तो थोड़ा उस जगह जलन भी करती है और सूज भी जाती है,,,। इसलिए राजू को भी चिंता हो रही थी,,,, राजू के मन में दो भाव पैदा हो रहे थे एक तो उसे कमला चाची की चिंता भी हो रही थी और उसके इस तरह से उछल कूद में जाने की वजह से जिस तरह से उसकी खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज में गदर मचा रही थी उसे देखकर उसे उत्तेजना भी महसूस हो रही थी और तो कमला चाची जब खुद बात बोल दी कि तु ही चींटी निकाल दे तो इस बात से राजू एकदम उत्तेजना से भर गया,,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,, वह बस एक टक कमला चाची को देखे जा रहा था,,,,। उसे इस तरह से आश्चर्य से देखते हुए कमला चाची बोली,,,।


ऐसे क्या देख रहा है तू ही निकाल दे,,,,


ममममम,,, में,,, कैसे चाची,,,,


अरे क्यों नहीं,,,? , तु निकाल सकता है,,,, देख राजु मेरी जल्दी मदद कर बड़े जोरों से काट रही है,,,,,आहहहहह ,,,ऊईईईईई,, मां,,,,,(दर्द से आह भरते हुए कमला चाची साड़ी के ऊपर से ही जोर से अपनी बुर को हथेली में दबोच ली,,,, कमला चाची की इस हरकत पर राजू पूरी तरह से मोहित हो गया,,,,,,, अपने अंदर वह अजीब सी हलचल तो महसूस कर रहा था उसके पजामे में पूरी तरह से तंबू तन चुका था,,, जिस पर राजू का तो नहीं लेकिन कमला चाची का ध्यान बराबर बना हुआ था कमला चाची के तन बदन में राजू के तंबू को देखकर सुरूर सा चढने लगा था,,,।राजू को इसी तरह से खाना देखकर कमला चाची अपने मन में सोची कि उसे ही कुछ करना होगा इसलिए वह,,, बोली,,)


राजु,,,, जल्दी कुछ कर,,,,,( और इतना कहने के साथ ही कमला चाची,,,एक झटके से अपनी साड़ी पकड़कर कमर तक उठा दी,,,,, पल भर के लिए भी अपनी इस हरकत को लेकर कमला चाची शर्मा महसूस नहीं की वो एकदम से बेशर्म बन चुकी थी वह जानती थी कि वह क्या कर रही है वह पूरी तरह से होशो हवास में थी,,,,साड़ी के अंदर उसे किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं थी उसे किसी चींटी ने नहीं काटी थी बस वह तो 1 बहाने से मर्दों की सबसे बड़ी कमजोरी दिखाना चाहती थी इसे देखते हैं मर्दो पर मदहोशी छाने लगती है और वही मदहोशी वह राजू के तन बदन में उसके चेहरे पर देखना चाहती थी,,,,कमला चाची एक झटके से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी कमर को थोड़ा सा आगे की तरफ कर दी एक बेहद अद्भुत दुर्लभ और अतुल्य दृश्य राजू की आंखों के सामने था उसकी आंखें फटी की फटी रह गई थी उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसकी आंखों के सामने कोई औरत इस तरह से हरकत करेगी और कमला चाची पर तो उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी,,,,,,,

दोपहर का समय था दुर दुर तक कोई नजर नहीं आ रहा था,,, चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था सिर्फ पंछियों के कलरव की आवाज ही सुनाई दे रही थी,,, ऐसे में खेतों के बीच अद्भुत और कामुकता से भरा हुआ दृश्य अपनी कामुकता फैला रहा था,,,,,, राजू की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी सब कुछ उसकी आंखों के सामने था फिर भी उसे किसी सपने की तरह लग रहा था क्योंकि हकीकत की तो उसे उम्मीद भी नहीं थी,,,, कमला चाची की भी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थीक्योंकि वह जिसके सामने अपनी साड़ी उठाकर खड़ी थी और उसके बेटे से भी कम उम्र का था और कभी कमला चाची ने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी कम उम्र के लड़के के सामने उसे इस तरह से साड़ी उठाकर अपनी वासना का प्रदर्शन करना होगा और वैसे भी बहुत पहले से ही वासनामई औरत थी,,,,,,। गहरी सांस लेते हुए कमला चाची बोली,,,।


देख राजु चीटियां नजर आ रही है कि नहीं,,,,! (कमला चाची को अच्छी तरह से मालूम था कि कोई चींटी वीटी नहीं थी फिर भी वह एक बहाने से राजू को अपने पास बुलाना चाहती थी ताकी अपनी रसीली बुर कि उसे दर्शन करा सकें,,,कमला चाची की बात सुनते ही वह अपना एक कदम आगे बढ़ाया उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, वह वहीं रुक कर कमला चाची की दोनों टांगों के बीच की स्थिति का जायजा लेने लगा,,, राजु के तन बदन में आग लग रही थी,,,, वह वहीं खड़ा हो कर देख रहा था आगे बढ़ने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी तो कमला चाची फिर बोली,,,)

अरे दूर से क्या देख रहा है पास आकर देख,,,,
(कमला चाची की इस तरह की बातें राजू के लिए खुला आमंत्रण थी लेकिन राजू उसके आमंत्रण को उसके इशारे को समझ नहीं पा रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि वाकई में कमला चाची से चीटियां देखने के लिए कह रही है,,,, कमला चाची की बात सुनकर और एक कदम और आगे बढ़ाया उसके और कमला चाची के बीच केवल अब 1 फीट की दूरी का ही फासला रह गया था,,,, अद्भुत नजारा राजू ने कभी सपने में भी नहीं देखा था राजू के लिए यह नजारा मादकता का विस्फोट कि तरह था,,, किसी जवान औरत का इस तरह से साड़ी उठाकर अपनी बुर दिखाना शायद इतना उत्तेजक नहीं होता उनकी एक उम्र दराज औरत का इस तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर अपनी बुर का प्रदर्शन करना बेहद कामोत्तेजक और उन मादक था राजू के तन बदन में उत्तेजना की लहर अपने चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी अगर उत्तेजना नापने का कोई साधन होता तो शायद इस समय उत्तेजना का कांटा पार कर गया होता,, जैसे ज्वर नापने का थर्मामीटर होता है अगर इसी तरह से कुत्ते से ना कभी थर्मामीटर होता तो शायद उत्तेजना के मारे थर्मामीटर भी भूल जाता है इस तरह की उत्तेजना का अनुभव राजू अपने तन बदन में कर रहा था कमला चाची की सांसे भी तेजी से चुल रही थीक्योंकि उम्र के इस दौर में अब तक उसने इस तरह की हरकत कभी नहीं की थी हालांकि मर्दों के प्रति उसका आकर्षण हमेशा से बनाई रहता था लेकिन राजू के उम्र के लड़के के साथ यह उसका पहला अनुभव था,,,,।


कमला चाची उसी तरह से साड़ी को कमर तक उठाएं अपनी बुर दिखा रही थी जिस पर झांटों का झुरमुट से बना हुआ था,,,, और घूंघराले बालों के झुरमुट में छुपी बुर को देखने की कोशिश राजू बड़े जोड़-तोड़ से कर रहा था लेकिन घने बालों की वजह से कमला चाची की बुर उसे नजर नहीं आ रही थी,,,, राजू बड़े गौर से कमला चाची की बुर वाली जगह पर देख रहा था कि तभी कमला चाची बोल पड़ी,,,,



आहहहहह राजु,,, देखना कब से काट रही है मुझे परेशान की हुई है और तू दूर से बस देखे जा रहे हैं पास आकर देख जल्दी से इसे अपने हाथों से निकाल,,,,(कमला चाची उत्तेजना में और राजू को मदहोश करने के उद्देश्य से ऐसा बोलते हुए अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखकर उसे मसल दी,,,राजू के लिए कमला चाची की हरकत उत्तेजना की पराकाष्ठा थी वह और ज्यादा नजदीक आ गया उसका खुद का मन कर रहा था कि वह अपने हाथों से कमला चाची की बुर को स्पर्श करें उसे छू ले लेकिन उसे डर लग रहा था,,,,,,, वो डरते हुए कमला चाची से बोला,,,)


अब क्या करूं चाची,,,,


अरे करना क्या है मेरी बुर पर देख झांट के बाल में देख,,, चिंटीव फसी हो तो जल्दी से निकाल,,,,(कमला चाची गहरी सांस लेते हुए बोली,,, राजू अजीब सी उलझन में फंसा हुआ था जो कुछ भी कमला चाची कह रही थी वह सब उसे करने का बहुत मन कर रहा था लेकिन डर रहा था,,,, फिर भी डरते हुए बोला)


मैं करूं चाची,,,,


हां और कौन करेगा मैं ठीक से ढूंढ नहीं पाऊंगी,,,,



लेकिन कोई देख लेगा तो,,,( राजू घबराते में चारों तरफ नजर दौड़ाते हुए बोला,,,,राजू की बातें सुनकर कमला चाची मन में ही मुस्कुराने लगी वह इस बात से ही संतुष्ट थी कि चलो रांची को इतना तो पता है कि यह सब अकेले में सबसे छिपकर किया जाता है,,,)

तू डर मत यहां कोई नहीं आने वाला है और कोई देखने वाला भी नहीं है और वैसे भी तू कोई केयर थोड़ी है तो अच्छा लड़का है तुझे मैं अपना समझती हूं इसलिए मैं तुझे बोल रही हूं फिर जगह अगर कोई होता तो मैं उससे से थोड़ी बोलती,,,
(कमला चाची की बातें सुनकर राजु को थोड़ी तसल्ली हुई वह,,, थोड़ा सा छुप गया था कि कमला चाची की बुर को अच्छे से देख सके,,,, झुकने पर राजू को कमला चाची की बुर बड़े अच्छे से दिखाई दे रही थी अपना हाथ आगे बढ़ा कर कमला चाची के घुंघराले बालों पर रख दिया और उसके अंदर उंगली घुमाने लगा राजू की यह हरकत कमला चाची के तन बदन में उत्तेजना की लहर को बढ़ावा दे रही थी,,,, राजू तो सच में जाटों के झुरमुट के बीच में चीटियों को ढूंढ रहा था उसकी उंगली चारों तरफ घूम रही थी इस हरकत को अंजाम देने में राजू को भी अत्यधिक आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी रह रह कर उसकी उंगलियां कमला चाची की बुर पर स्पर्श हो जा रही थी जिससे कमला चाची की उत्तेजना पर जा रही थी और राजू की हालत खराब हो जा रही थी,,,, वह अपनी उंगली को झांटों में गोल गोल घुमा रहा था,,,, तो कमला चाची बोली,,,।


क्या हुआ मिला क्या,,,,?


नहीं चाची कुछ भी नजर नहीं आ रहा है,,, मुझे लगता है कि चींटी चली गई है,,,,(कमला चाची की तरफ देखते हुए राजू बोला)


आहहहहह,,,, ऐसे कैसे चली गई है देख मुझे अभी भी काट रही है अच्छे से देख बालों को फैला फैलाकर देख,,,,।

(राजू बड़े अच्छे से कमला चाची की बुर को देखना चाहता था जिंदगी में एक ही बार गुड़ के दर्शन किया था और वह भी अपनी बुआ गुलाबी की बुर के जो कि एक पतली दरार के रूप में थी और बेहद खूबसूरत नजार‌ आ रहीं थी उस पर हल्के हल्के ही बाल थे,,,, लेकिन कमला चाची की बुर पर तो बालों का जंगल उगा हुआ थागुलाबी की बुर देखने में राजू को बिल्कुल भी दिक्कत नहीं हो रही थी लेकिन कमला चाची की बुर देखने में राजू को दिक्कत महसूस हो रही थी लेकिन अब चाची की बात सुनते ही उसे उम्मीद की किरण नजर आने लगी और वह अपने हाथों की उंगलियों से कमला चाची की बुर के बाल को इधर-उधर फैलाते हुए उसकी बुर देखने की कोशिश करने लगा और ऐसा करने पर उसे कमला चाची की बुर उसकी गुलाबी पत्ती उसकी पतली दरार बड़े अच्छे से नजर आने लगी,,,,,कमला चाची की फोटो देखने में उसे इस बात का एहसास हुआ था कि उसकी बाकि पुर मात्र एक पतली दरार के रूप में नजर आ रही थी और कमला चाची की बुक हल्की सी खुली हुई थी शायद यह उम्र की वजह से थी,,।


राजू अपनी उंगली से बड़े अच्छे से बुरके ऊपर ईधर उधर घुमा कर चींटी को ढूंढ रहा था,,, लेकिन उसे चींटी कहीं भी नजर नहीं आ रही थी लेकिन ऐसा करने में उसे ऐसा सुख प्राप्त हो रहा था जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं किया था कमला चाची की बुर से अनजाने में खेलते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच लटकता खंजर में दर्द महसूस होने लगा था,,,, क्योंकि उसके लंड की अकड़ बढ़ते जा रही थी,,,,दूसरी तरफ एक जवान लड़के के ऊंगलीयो का स्पर्श अपनी बुर के ऊपर महसूस करके कमला चाची पूरी तरह से मदहोश हुए जा रही थी इस उम्र में भी उसकी उत्तेजना बरकरार थी,,, राजू की हरकतों में उसे पूरी तरह से चुदवासी बना दिया था जिसके चलते उसकी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में से मदन रस का रिसाव होना शुरू हो गया था,,,, जोकि धीरे-धीरे राजू की अंगुलियों पर रीश रहा था,,,। राजू का ध्यान पूरी तरह से कमला चाची की बुर पर टिका हुआ था,,, वह अपनी नजरों को इधर उधर भी नहीं घुमा रहा था,,,। कमला चाची की बुर का जायजा लेने में वह पूरी तरह से मशरुफ हो चुका था,,। देखते-देखते अनजाने में ही राजू ने अपनी उंगली के पोर से कमला चाची की बुर के गुलाबी पत्तियों को छेड़ दिया,,,, तो वैसे ही तुरंत कमला चाची के मुंह से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,।


सहहहहह आहहहहहहह,,,,,,,,ऊमममममममम,,,,


क्या हुआ चाची,,,(उसकी गरम सिसकारी की आवाज को सुनकर राजेश की तरफ देखते हुए बोला,,,)

ककककक,,, कुछ नहीं राजू फिर से काट रही है,,,,(कमला चाची गर्म आहे भरते हुए बोली,,,)


लेकिन चाची यहां तो मुझे कुछ भी नजर नहीं आ रहा है,,,,(राजू अपने दोनों हाथों की उंगलियों से झांट के बालों को फैलाते हुए बोला,,,)


ध्यान से देख राजु मुझे बड़ी तकलीफ हो रही है,,,,आहहहहह नहीईईईई,,,,,।


क्या चाची सच में बहुत तकलीफ हो रही है,,,


अरे बहुत तकलीफ हो रही है मुझे तो डर है कहीं सूज ना जाए,,,,। देख बड़े अच्छे से मेरी बुर को देख,,,,आहहहहह राजु,,,
(कमला चाची के मुंह से बुर शब्द सुन कर राजु पूरी तरह से रोमांचित हो उठा,,,)


रुको चाची में फिर से देखता हूं,,,,,,

(कमला चाची उसी तरह से अपनी साड़ी उठाए हुए राजू को अपनी बुर बड़े अच्छे से दिखा रही थी और राजू को मजा भी आ रहा था लेकिन इस बात से अनजान था कि कमला चाची उसे चींटी वाली बात झूठ कह रही है और वह चींटी ढूंढने में ही व्यस्त था,,, लेकिन चींटी ढुंढते हुए उसे अद्भुत आनंद की प्राप्ति भी हो रही थी,,,, राजू फिर से बड़े ध्यान से देखने लगा राजू को कमला चाची की बुर का गुलाबी छेद बड़े साफ तौर पर नजर आ रहा था वह उसे गुलाबी छेद को देखते हुए कमला चाची से बोला,,,)

चाची चींटी तो नहीं नजर आ रही है लेकिन तुम्हारे बुर का गुलाबी छेद नजर आ रहा है,,,,।
(राजू के मुंह से बुर शब्द और गुलाबी छेद सुनकर वह पूरी तरह से मस्त हो गई,,, पलवल में ही राजू के इन शब्दों ने उसकी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा दिया क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि राजू किस बारे में बात कर रहा है,,, इसलिए मदहोशी भरे शब्दों में वह बोली,,)


हां,,, राजू लगता है चींटी उसी चीज में चली गई है मुझे वही दर्द हो रहा है,,,,सहहहहह,,आहहहहहह,,,,,(कमला चाची पूरी तरह से मदहोश हो गई थी उसकी बातों को सुनकर राजु बोला,,,)


तो अब क्या करूं चाची,,,,(राजू उत्सुकता बस कमला चाची की तरफ देखते हुए बोला,,,, राजू की बात सुनकर कमला चाची बोली)


करना क्या है राजू उसे निकालना तो पड़ेगा ही अपनी उंगली डालकर उसे निकाल बाहर वरना यह मेरी बुर सुजा देगा,,,,,,
(कमला चाची पर हस्ताक्षर में बनी कमला चाची की इस तरह की गंदी बातों को सुनकर राजू के तन बदन में जो आग लग रही थी उसे बयां करना शायद शब्दों में मुश्किल हो रहा था कमला चाची की गंदी बातें उत्तेजना की आग में घी डालने का काम कर रहा था,,,, कमला चाची की बातें सुनकर राजू की उत्तेजना और ज्यादा बढने लगी और उसका गला सूखने लगा,,, इसलिए वह अपने थुक से अपने गले को गिला करने की कोशिश करने लगा,,,, कमला चाची ने उसे अद्भुत काम सौंप दीया था,,,। जिसे करने में राजू को बहुत खुशी भी हो रही थी और वह उत्सुक भी था,,, कमला चाची चाहती तो राजू से सीधे-सीधे उसका लंड अपनी बुर में डालने के लिए कह देती और राजू इंकार भी नहीं करता लेकिन उसे न जाने क्यों धीरे-धीरे इस खेल में मजा आ रहा था राजू के नादानियत उसे और ज्यादा मदहोश कर रही थी,,,


राजू के दिल की धड़कन बढने लगी थी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,, वह अपनी बीच वाली उंगली को बुरके छेद में डालना शुरू कर दिया,,,,कमला चाची अपने मन में यही सोच रही थी कि राजू के लिए यह संभोग का पहला शबक था जिसमें वह धीरे-धीरे कामयाब हो रहा था,,, कमला चाची की बुर उत्तेजना के मारे पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसीलिए राजू की उंगली बड़े आराम से अंदर की तरफ सरक रही थी,,,,जैसे-जैसे राजू की उंगली बुर के अंदर जा रही थी वैसे वैसे कमला चाची की हालत खराब होती जा रही थी उसके चेहरे का हाव भाव उसका रंग बदलता जा रहा था और पल भर में ही उसके गोरे गोरे गाल लाल टमाटर कि तरह हो गए,,,,, राजू की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, उसे मजा आ रहा था कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि दोबारा कभी उसे इतनी नजदीक से किसी औरत की बुर को देखने का मौका भी मिलेगा और उसने उंगली डालने का भी मौका मिलेगा लेकिन राजू के सोचने के विपरीत हो रहा था और इसमें राजू को मजा भी आ रहा था,,,,धीरे-धीरे करके राजु अपनी आधी से ज्यादा ऊंगली वकमला चाची की बुर के अंदर डाल दिया था,,, बुर के अंदर अपनी उंगली पर बेहद गर्मी महसुस हो रही थी,,, इसलिेए वह उत्सुकता बस बोला,,,,।


चाची तुम्हारे बुर के अंदर तो बहुत गर्मी है,,,

क्यों क्या हुआ रे,,,,(कमला चाची मदहोश होते हुए बोली,,)


मेरी उंगली तुम्हारी बुर के अंदर जाकर जल रही है,,,,

(राजू की बात सुनकर पूरी तरह से कामोत्तेजना मे मदहोश होते हुए भी हंसने लगी और वह बोली,,)


तो क्या तुझे क्या लगा औरत की बुर ऐसे ही नरम नरम होती है सिर्फ ऊपर से ही मुलायम होती है अंदर तो‌ शोला दहकता रहता है,,,,


सच में चाची बहुत गर्म है,,,,,(ऐसा कहते हुए राजू अपनी पूरी उंगली कमला चाची की बुर में डाल दिया,,, जैसे ही उसकी पूरी उंगली बुर के अंदर तक घुशी वैसे ही कमला चाची कि सिसकारी फूट पड़ी,,,,)


सहहहहह आहहहहहहह,,,,,


क्या हुआ ,,,, चाची,,,,


ककककक,,,कुछ नहीं अपनी उंगली को अंदर बाहर कर ताकि चींटी आराम से बाहर भी कर सकें,,,
(कमला चाची की बात सुनते ही राजू उसी तरह से अपनी ऊंगलीको अंदर बाहर करते हुए अनजाने में ही उसकी बुर में अपनी उंगली पेलने लगा,,, कमला चाची की उत्तेजना और सिसकारी बढ़ने लगी,,,, राजू का मजा आने लगा,,, राजू जो कि अभी तक औरत की बुर तो देख लिया मैंने तुम कहां के दर्शन नहीं कर पाया था जो कि उसकी आंखों के बेहद करीब थी लेकिन फिर भी उसका ध्यान कमला चाची की गांड पर ना होकर उसकी बुर पर ही टिका हुआ था,,, लेकिन उत्तेजना के मारे वहअपना एक हाथ कमला चाची के पीछे की तरफ ले जाकर उसकी नरम नरम बड़ी-बड़ी गांड को अपनी हथेली में दबाए हुए था,,,जिससे वह पूरी तरह से अनजान था लेकिन कमला चाची को इसका अहसास बड़ी अच्छी तरह से था और जिस तरह से वह अपनी हथेली में जोर-जोर से उसकी गांड को दबा रहा था उससे चाची का मजा दोगुना होता जा रहा था,,,।

सहहहहह आहहहहह ,,,आहहहहहहह,,,,, और जोर से राजू और जोर से अंदर बाहर कर,,,,आहहहहहहहह,,,,

(कमला चाची की बातें सुनकर राजू बड़ी तेजी से अपनी ऊंगली को बुर के अंदर बाहर कर रहा था जिसमें से चप-चप की आवाज आना शुरू हो गई थी,,,कमला और राजू दोनों चींटी के बारे में बिल्कुल भी भुल गए थे बस दोनों अपने अपने तरीके से मजा ले रहे थे,,,, कमला की गरम सिसकारियां खेतों में गूंजने लगी थी वह गर्म सिसकारी लेते हुए बोली,,,।)


सहहहहह ,आहहहहह,,, राजु तुझे मेरी बुर कैसी लगी,,,?


आहहहहहह बहुत अच्छी है चाची ,,,,, बहुत खूबसूरत है,,,,


मेरी बुर के अंदर तेरी उंगली तुझे बहुत गर्म महसूस हो रही है ना,,


बहुत ज्यादा गर्म लग रही है चाची,,,


मैं जानती हूं बुर के अंदर उंगली बुर की गर्मी नही सहन कर पाती,,,, बुर के अंदर केवल एक ही चीज इसकी गर्मी को सहन कर पाती है,,,।


कौन सी चीज है चाची,,(राजू लपालप अपनी उंगली को कमला की बुर में पेलते हुए बोला,,,)


लंड,,,,,,

(कमला चाची के मुंह से लंड शब्द सुनकर जैसे कि राजू को अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था इसलिए वह दोबारा पूछा,,)

क्या चाची,,,?


लंड रे,,,,,बुर की गर्मी को केवल लंड ही सहन कर सकता है और बुर की गर्मी को उतार भी सकता है,,,,


क्या कह रही हो चाची,,,,
(राजू आश्चर्य जताते हुए बोला चाची के मुंह से सुनी यह बातें राजु के लिए बिल्कुल नंई थी,,, कमला चाची इसी मौके की तलाश में थी वह राजू से एकदम से पूछ बैठी,,,)


तु अपनी उंगली की जगह लंड डालेगा इसमें,,,,
(कमला चाची के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर राजू उत्सुकता उत्तेजना और आश्चर्य से कमला चाची की तरफ देखने लगा उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कमला चाची उससे यह सवाल पूछ रही है,,,, राजू का गला सूखता जा रहा था,,,, कमला चाची की बुर में अभी भी उसकी उंगली पूरी तरह से घुसी हुई थी,,, कमला चाची देखना चाहती थी कि राजू क्या कहता है व चित्र से जानती थी कि राजु उसकी बात को इंकार नहीं कर पाएंगा,,, राजू ही क्यों कोई भी लड़का उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा नहीं पाएगा वह अच्छी तरह से जानती थी,,, राजू कि हां मैं जवाब देता इससे पहले ही उसके कानों में और कमला के कानों में जो आवाज पड़ी उससे वह दोनों एकदम से चौक गए,,,।


माजी खाना लेकर आई हूं,,,,
(इतना सुनते ही कमला चाची के होश उड़ गए वह तुरंत राजू से बोली,,)

निकाल निकाल अपनी उंगली निकाल जल्दी कर,,,,(राजू की आवाज सुनकर हैरान हो गया था और तुरंत अपनी उंगली को कमला चाची की बुर से बाहर निकाल लिया था,,, कमला चाची तुरंत अपनी साड़ी को कमर से नीचे छोड़ दी और व्यवस्थित करने लगी और अपनी बहू रमा के आने से पहले ही बाहर राजू को जो काम कर रहा था वह काम करने के लिए बोल दिया और इस बारे में उसी से बिल्कुल भी बात ना करें,, यह बात, राजू भी अच्छी तरह से जानता था कि इस तरह की बातें किसी को बताना नहीं चाहिए था इसलिए व कमला चाची की बात मानते हुए घास उखाड़ना शुरू कर दिया,,, कमला चाची अपने काम में लग गई,,, और उसकी बहू रमा खाना लेकर पहुंच गई,,,।
Is kahani ko padhane ke baad mai lajwab ho gya hu kya kahani likhate ho bhai............ Lajwab update.......
Agale update ka intejar......
 
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