राजू के चेहरे पर अद्भुत विजई मुस्कान थी और अशोक की बीवी के चेहरे पर संतुष्टि भरा एहसास दोनों पूरी तरह से तृप्त हो चुके थे,,, राजू उसके ऊपर ही पसर गया था,,, दोनों संतुष्टि का अहसास करते हुए गहरी गहरी सांसे ले रहे थे,,,, राजू की संभोग गाथा में आज एक और पराक्रम जुड़ गया था,,, किसी गैर मर्द के साथ अशोक की बीवी का यह पहला संभव था तभी तो उसे इस बात का अहसास हुआ कि असली चुदाई किसे कहते हैं अब तक उसका पति सिर्फ उसके साथ खेल खेलता आ रहा था,,,,,, मोटे तगड़े लंबे लंड से चुदाई किस प्रकार से तृप्ति का एहसास दिलाती है यह अब उसे भली-भांति एहसास होने लगा था,,, बुर की अंदरूनी दीवारो की रगड़ एक मोटे तगड़े लंड की वजह से किस कदर अद्भुत होती है इस एहसास को भी वह पहली बार महसूस की थी,,,, तभी तो वह एकदम पानी पानी हो गई थी,,,,,।
राजू उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर सर रखकर गहरी सांसे ले रहा था और अशोक की बीवी भी गहरी गहरी सांस ले रही थी जिसकी वजह से उसकी छातियों का उठना बैठना लगातार जारी था और यह एहसास राजू को और ज्यादा गदगद किए जा रहा था,,,,,,,, कुछ देर बाद एकदम शांति सी छा गई चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ था केवल उन दोनों की गहरी गहरी सांसो की ही ध्वनि सुनाई दे रही थी,,,, राजू का लंड अशोक की बीवी की बुर से बाहर निकल चुका था लेकिन उसके ऊपर लेटने की वजह से उसका मोटा तगड़ा लंड हल्के से ढीलेपन के साथ उसकी दोनों जांघों के बीच आराम कर रहा था,,,,,, राजू बहुत खुश था,, क्योंकि अशोक की खूबसूरत बीवी जो उसे चोदने को मिल गई थी,,,। वह उसपर लेटे हुए ही बोला,,,,।
आंखे खोलो रानी,,,,(इतना कहने के साथ ही वह हल्के से उसके रसीले होठों का चुंबन ले लिया,,,, और वह एकदम से सिहर उठी,,,,वह अभी भी गहरी गहरी सांसे ले रही थी और सांसो की लय के साथ उसकी उठती बैठती गोल गोल चूचियां राजू के सीने पर अपनी गोलाईयों का एहसास करा रही थी,,,) इतना क्यों शर्माना भाभी,,, अब तो शर्म का पर्दा पूरी तरह से हट गया है तुम नंगी हो मैं नंगा हूं और अभी अभी तुम्हारी बुर में अपना लंड डालकर तुम्हारी चुदाई कीया हुं,,,,फिर अब क्यों शर्मा रही हो,,,, मेरी रानी,,,(राजू जानबूझकर अशोक की बीवी से इस तरह की गंदी बातें कर रहा था,,,,,वह नहीं चाहता था कि पहली चुदाई में ही वह थक कर सो जाए बड़ी मुश्किल से आज की रात मौका मिला था,,,, इस मौके को ईस चांदनी रात को राजु ऐसे ही जाया नहीं होने देना चाहता था,,, इस रात को और ज्यादा रंगीन बनाना चाहता था इसलिए वह गंदी गंदी बातें कर रहा था,,,। और उसकी इस तरह की बातों को सुनकर अशोक की बीवी मचल रही थी,,,।,,राजू की गरम बातें उसे और ज्यादा गर्म कर रही थी हालांकि अभी अभी उसकी जवानी की गर्मी राजु ने शांत किया था,,, लेकिन इस तरह की बातों को सुनकर उसके तन बदन में एक बार फिर से हलचल सी होने लगी,,,,
अब क्यों शर्मा रही हो भाभी,,,
शरंम तो आएगी ही ना बबुआ,,,,
नहीं आना तो नहीं चाहिए,,, क्योंकि अभी अभी बेशर्म बनकर तो चुदवाई हो,,,,
(राजू की यह बात सुनकर अशोक की बीवी शर्म से पानी पानी होने लगी क्योंकि राजू की बात एक दम सही थी,, वह वास्तव में बेशर्म बनकर एक अनजान जवान लड़के के साथ संभोग का सुख प्राप्त की थी,,, वासना की आग में वह पूरी तरह से झुलस रही थी जिसके कारण उसकी आंखों पर मदहोशी की पट्टी चढ गई थी,,, जिससे उसे यह भी भान नहीं रहा की ,, बगल में ही उसका पति लेटा हुआ है भले ही नशे की हालत में बेसुध था लेकिन उसके करीब तो था लेकिन फिर भी बदन की आग को शांत करने के लिए अशोक की बीवी ने अपनी पति के मौजूदगी का भी लिहाज नहीं की और एक अनजान जवान लड़के के साथ हमबिस्तर होते हैं उसके साथ संभोग सुख की आनंद की प्राप्ति कर ली लेकिन इस बात से वह अच्छी तरह से वाकिफ की थी उसका यह कदम उसे स्त्री सुख से भलीभांति वाकिफ भी करायावरना उसके पति के साथ तो उसे स्त्री सुख की संतुष्टि क्या है इस बात का बिल्कुल भी एहसास तक नहीं था मर्द की मर्दानगी क्या होती है इस बारे में वह समझ ही नहीं पाई थी राजू से मिलने के बाद उसे वास्तविक स्त्री सुख और संतुष्टि का अहसास हुआ,,,, जिसके बारे में सोच करो वहां अपने द्वारा उठाए गए इस कदम का पूरी तरह से समर्थन भी कर रही थी,,,।
अशोक की बीवी को राजू अपनी बातों से बहला रहा था बीच-बीच में उसके लाल-लाल होठों का चुंबन भी कर रहा था,,, और साथ ही कभी-कभी अपनी हथेलियों में उसकी चूची को लेकर दबा भी दे रहा था,,,। जिससे अशोक की बीवी को एक बार फिर से आनंद की अनुभूति होने लगी थी अभी अभी वह अपनी गर्मी अपनी बुक की संकरी दीवारों से बाहर निकाली थी और एक बार फिर से उसमे उबाल आना शुरू हो गया था,,,,, राजू यह चाहता था कि उसे नींद ना आए वह उसे जगाना चाहता था क्योंकि वह जानता था अगर एक बार की चुदाई के बाद उसे नींद आ गई तो फिर चुदाई में मजा नहीं आएगा,,, इसलिए वह बार-बार उसकी चूची को जोर जोर से दबा दे रहा था ताकि वह सो नहीं जाए,,, राजू की अवधारणा बिल्कुल ही गलत थी जवानी के सुख को पहली बार में बोल रही थी ऐसे में नींद तो दूर की बात है झपकि भी नहीं आ सकती थी,,, वह तो राजू की हरकतों का मजा ले रही थी,,,।
क्यों भाभी मजा आया ना,,,
(अशोक की बीवी बोली कुछ नहीं बस हां में सिर हिला दी उसके चेहरे पर शर्म की लाली साफ नजर आ रही थी,,,राजू को उसका जवाब मिल गया था लेकिन वह उसके मुंह से सुनना चाहता था इसलिए फिर से बोला)
ऐसे नहीं भाभी बोल कर बताओ,,ना,,,। मजा आया कि नहीं,,,,
बहुत मजा आया,,,(शर्म के मारे अपनी नजरों को दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली,,)
चाचा से मेरा लंड ज्यादा मोटा और लंबा था ना,,,।
हां,,,(वह शरमाते हुए बोली,,वह अच्छी तरह से जानती थी कि झूठ बोलने में कोई मजा नहीं है क्योंकि उसके पति की हालत को देखकर कोई भी समझ सकता था कि उसके अंदर कितनी मर्दानगी भरी हुई है,,, और राजू लगातार उसके बदन से फिर से खेलना शुरू कर दिया था,उसकी गोल गोल चुचियों को दबाते हुए राजू फिर से उत्तेजित हो रहा था और साथ ही अशोक की बीवी को भी गर्म कर रहा था,,, और इसी तरह से गंदी बातों को जारी रखते हुए बोला)
भाभी तुम्हारी बुर में तो महसूस हो रहा था ना,, मेरा लंड जब अंदर रगड़ रगड़ कर जा रहा था,,,।
(राजू के इस सवाल पर वह एकदम से सिहर उठी थी,,, क्योंकि उसे वहां पर याद आ गया था जब राजू अपने मोटे लंड को उसकी बुर की अंदरूनी दीवारों में रगड़ रगड़ कर उसे पेल रहा था,,,,,,अशोक की बीवी के चेहरे पर राजू की गरम गरम बातें और उसकी हरकत ने एक बार फिर से असर दिखाना शुरू कर दिया था उसके चेहरे की लाली मां बता रही थी कि फिर से वह तैयार हो रही थी,,,,,, लेकिन आप राजू के वजन से वह कसमसा रही थी और उसे एक बार फिर से जोड़ों की पेशाब लगी हुई थी,,,यह शायद संभोग की अद्भुत तृप्ति का एहसास की वजह से ही था कि उसे इतनी जल्दी फिर से पेशाब लग गई थी,,,, वह राजू के सवाल का जवाब दिए बिना हीं बोली,,,,,,)
चल अब हट जा बबुआ उठने दे मुझे,,,,( वह उठने की कोशिश करते हुए बोली,,,)
नहीं भाभी,,, अभी तो खेल शुरू हुआ है सारी रात तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूं,,, क्योंकि तुम्हारी बुर बहुत कसी हुई है,,,,
(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी को मजा आ रहा था लेकिन फिर भी वह राजू को अपने ऊपर से हटाने की कोशिश करती हुई बोली,,,)
चल हट जा बबुआ,,,, अब कसी हुई नहीं है,,, तेरे नाप की हो गई है,,,
हाय मेरी रानी यह क्या बोल दि,, तुमने,,अब, तो दुबारा डालने का मन कर रहा है,,,,।
(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी हैरान थी,,, क्योंकि वह उसे फिर से चोदने की बात कर रहा था और जहां तक उसका ख्याल था कि उसका पति एक बार थोड़ी ही देर में झड़ भी जाता था और गहरी नींद में सो भी जाता था,,, उसके साथ आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि दोबारा उसके पति ने उसके चुदाई किया हो और दोबारा वह कभी अपने पति के लंड को खड़ा होते नहीं देखी थी,,,,, इसलिए वह आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)
फिर से,,,!
तो क्या मेरी रानी एक बार में तुमसे मेरा मन भरने वाला थोड़ी है,,, तुम चीज ही कुछ ऐसी हो,,,
(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी की सांसे गहरी चलने लगी थी फिर भी वह अपने आप को संभाल कर बोली)
उठने दे बबुआ मुझे,,,,
नहीं उठने दूंगा,,, तुम मुझे सारी रात दोगी कि नहीं,,,
अरे बबुआ यह कैसी बातें कर रहा है,,,, तुझे नींद नहीं आ रही है क्या,,,?
क्या भाभी जब खटिया पर इतनी खूबसूरत औरत नंगी लेटी हो तो वह बेवकूफ ही होगा जिसे नींद आएगी,,,।
लेकिन यह तो तुरंत सो जाते हैं,,,
तभी तो भाभी तुम्हारा यह हाल है कि तुम्हारी बुर अभी भी कसी हुई है जो कि अच्छी बात तो है ही लेकिन तुम्हें कभी मर्दानगी का अहसास तक नहीं हुआ चुदाई क्या होती है यह बात तुम जान नहीं पाई,,, क्योंकि चाचा तुम्हारे लायक है ही नहीं तुम्हारे शरीर देखी हो तुम्हारा खूबसूरत बदन ऐसा लगता है कि जैसे कामदेव के लिए बनाई गई हो और चाचा मुझे नहीं लगता कि तुम्हारी चुदाई जी भर कर कर पाते होंगे दो-तीन धक्के में तो उनका निकल जाता होगा,,,, क्यों भाभी सच कह रहा हूं ना,,,।
(राजू की बातों में सच्चाई थी और अशोक की बीवी के पास छुपाने लायक कुछ भी नहीं था इसलिए वह राजू की बात पर सहमति दर्शाते हुए बोली,,,)
हां जैसा तुम कह रहे हो वैसा ही होता है,,,
तब तो भाभी आज तो तुम तो मस्त हो गई होगी,,,,।
(अशोक की बीवी को हां कहने में शर्म आ रही थी इसलिए मुस्कुराते हुए हां में सिर हिला दी,,,, उसकी हामी सुनते ही राजू एक बार फिर से उसके होठों का चुंबन करने लगा उसका लंड फिर से अपनी औकात में आ चुका था जो कि ठीक उसकी दोनों जांघों के बीच ठोकर मार रहा था और अशोक की बीवी पूरी तरह से मस्त होकर उस ठोकर को अपनी बुर के अंदर महसूस करना चाहती थी लेकिन इस समय उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए थोड़ा जोर लगाकर राजू को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली,,,)
बबुआ तुम्हें मैं कब से कह रही हूं कि मेरे ऊपर से हट जाओ मुझे पेशाब करने जाना है,,,
क्या भाभी अभी अभी तो करके आई हो कितना मुतोगी,,,।
(अशोक की बीवी को खटिया पर से उठ कर नीचे पैर रखकर खटिया से खड़े होते देख रहा था)
अरे अब जोरों की लगी है तो क्या करें,,,(नीचे गिरी साड़ी को उठाते हुए बोली)
चलो कोई बात नहीं लेकिन करोगी कहां,,,?(उसकी तनी हुई चूचियों की तरफ ललचाई नजरों से देखते हुए बोला,,,)
बाहर और कहां तुझे भी साथ में चलना होगा,, क्योंकि मुझे बाहर डर लगता है,,,(इतना कहने के साथ ही वह केवल साडी को कमर से बांघते लगी ,, यह देखकर तुरंत खटिया पर से उठ कर खड़ा हो गया और अशोक जी के हाथ से साड़ी लेकर उसे जमीन पर नीचे फेंकते हुए बोला,,)
मैं तुम्हारे साथ बाहर चलने के लिए तैयार हूं लेकिन तुम्हें बिना कपड़ों के एकदम नंगी होकर वहां चलना होगा,,,।
धत्,,,,,,यह क्या कह रहे हो,,बबुआ,,,, यह मुझसे नहीं होगा,,,,(वह उसी तरह से नग्न अवस्था में खडे हुए ही बोली,,,,, राजू उसके नंगे बदन को ही देख रहा था जो कि लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था,,, राजू भी पूरी तरह से नंगा था,,, उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा हो चुका था जिस पर अशोक की बीवी की नजर चली जा रही थी,,और वह उसके खड़े लंड को देख कर मस्त हुए जा रही थी,,, राजू ठीक उसके पीछे आकर खड़ा हो गया और उसे पीछे से अपनी बाहों में भरते हुए बोला,,,)
होगा मेरी रानी तुमसे ही होगा,,,,(इतना कहने के साथ ही वह उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसकी दोनों चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया और साथ ही अपने खड़े लंड को उसकी नरम नरम गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया,,,, अशोक की बीवी दोनों तरफ से पीसी जा रही थी ऊपर से भी राजू उसकी चुचियों से खेलता हुआ उसे मस्त कर रहा था और नीचे से अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ कर उसे फिर से मदहोशी के सागर में लिए जा रहा था,,,, लंड की रगड और स्तन मर्दन की मस्ती पाकर अशोक की बीवी पूरी तरह से गर्मा गई और अपनी आंखों को बंद करते हुए मदहोशी भरे स्वर में बोली ,,,)
ससहहहह ,,,, बबुआ यह क्या कर रहे हो मुझसे नहीं हो पाएगा,,,
हो जाएगा भाभी,,,(दोनों चुचियों को जोर-जोर से मसलते हुए अपने होठों को उसकी गर्दन पर रख कर चूमते हुए उसकी गर्मी को ज्यादा बढ़ाते हुए,,) यह काम सिर्फ तुम ही कर सकती हो सोचो कितना मजा आएगा तुम नंगी होकर घर से बाहर निकलेगी और वह भी एकदम रात में आधी रात में,,उफफफ,,, खुले में नंगी चलने का मजा ही कुछ और होता है,,,।
(राजू की हरकतों से अशोक की बीवी पूरी तरह से गर्म हो रही थी उसका भी मन नंगी होकर घूमने को कर रहा था,,, और वह राजु की बात मान गई,, और बोली,,,)
ठीक है बबुआ लेकिन कोई आ गया तो,,,,।(उसके मुंह से यह सुनते ही राजू खुश हो गया क्योंकि उसकी बात को सुनकर राजू समझ गया था कि यह उसकी बात मान गई है इसलिए उसे तसल्ली दिलाते हुए बोला,,)
कोई नहीं आएगा भाभी मुझ पर भरोसा रखो इतनी रात को यहां कौन आने वाला है,,,, बस अब चलो,,,,
(इतना कहने के साथ ही राजू उसे चलने के लिए बोल कर पीछे से उसकी कमर पकड़ कर उसे आगे की तरफ प्यार से धकेलते हुए उसे दरवाजे के पास ले जाने लगा,,, अब अशोक की बीवी के तन बदन में भी उन्माद चढने लगा था,,,इस समय वह अपने घर के आंगन में पूरी तरह से नंगी थी और राजू भी पूरी तरह से नंगा था,, आंगन में ही अशोक नशे की हालत में गहरी नींद में सो रहा था,,,, अशोक की बीवी आगे-आगे चल रही थी,,, और राजू तुरंत लालटेन को अपने हाथ में ले लिया था ताकि सब कुछ साफ नजर आए,,,।एक अजीब सी कसमसाहहट अशोक की बीवी के तन बदन को अपनी आगोश में लिए हुए थी,,,, यह उसका पहला अनुभव था जो बिना कपड़ों के घर से बाहर निकल रही थी और वह भी आधी रात में,,,उसके दिल की धड़कन तबले की थाप की तरह बज रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई उसे देख ना ले,,,, वासना और मदहोशी में चोर कार्ड और उसके दिमाग से निकल चुका था राजू के मोटे तगड़े लंड को अपनी बुर में दे देने के बाद उसके अंदर एक अजीब सी मस्ती छाने लगी थी ,,, राजू का संग पाते ही उसका भोलापन धीरे-धीरे दूर होने लगा था उसे भी अब एक मर्द के साथ मजे करने में दिलचस्पी आने लगी थी तभी तो वहां राजू की बात मानते हुए बिना कपड़ों के ही घर से बाहर निकल रही थी,,,। दरवाजे की कुंडी को खोल कर अशोक की बीवी ने दरवाजे को हल्के हाथों से पकड़ कर अंदर की तरफ खींची दरवाजा खुल गया बाहर पूरी तरह से सन्नाटा छाया हुआ था,,, समय चक्र को अंधेरा अपनी आगोश में लिए हुए बैठा था और अशोक की खूबसूरत नव युवा बीवी,,,बाहर चारों तरफ देखकर अपने एक कदम को दहलीज पर रख दी थी और ऐसा करने से उसकी गोल गोल गांड का घेराव अद्भुत आकर्षण के लिए हुए बाहर की तरफ उभर आया था जिसे लालटेन के पीली रोशनी में देखकर राजू के तन बदन में उत्तेजना का प्रसार बड़ी तेजी से होने लगा और उसकी मदद की जवानी को देखकर राजू का लंड सलामी देते हुए ऊपर नीचे होने लगा,,,,, एक बार उसको भोग लेने के बाद भी उसके अंगों के मरोड़ को देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,,,मन तो उसका कर रहा था कि घर की दहलीज पर ही उसकी कमर थाम कर पीछे से अपने लंड को उसकी बुर में डालकर उसकी चुदाई कर दे,,,, लेकिन आज उसका मन उसको पूरी तरह से नंगी होकर घर के बाहर बैठकर पेशाब करते हुए देखने के लिए में चल रहा था इसलिए वह अपने आप को संभाल ले गया,,।
अशोक की बीवी अभी भी दहलीज पर पैर रखकर चारों तरफ बड़ी तसल्ली के साथ देख रही थी तो खुद ही राजू पीछे से बोला,,,।
चलो रानी इतनी रात को कोई नहीं आएगा,,,,।
(और राजु की बात सुनते ही अशोक की बीवी घर से बाहर निकल गई,,, कदम को होले होले जमीन पर रखते हुए उसके नितंबों पर जो थिरकन हो रही थी उसे देखकर राजू के सब्र का बांध टूटता जा रहा था,,,, लेकिन बड़ी मुश्किल से हूं अपने आप पर काबू किए हुए था देखते ही देखते अशोक की बीवी घर के बाहर घने पेड़ के नीचे झाडीयों के पास पहुंच गई,,,चांदनी रात होने के बावजूद भी घने पेड़ के छांव में चांदनी की रोशनी नहीं पहुंच पा रही थी इसलिए चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था लेकिन राजू के हाथ में लालटेन होने की वजह से राजू को सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था और यही उसकी खुशनसीबी भी थी,,,।
अशोक की बीवी के बदन की भाषा को देखकर राजू समझ गया था कि वह मुतने वाली है,,, इसलिेए राजू पीछे से बोला,,,।
बैठ जाओ रानी कोई दिक्कत नहीं है,,,,।
(वासना और मदहोशी क्या हाल है अशोक जी को राजु के मुंह से निकले हुए हर एक शब्द नशीले लग रहे थे जो कि उसके दिलो दिमाग को , अपने काबू में किए हुए थे,,,अशोक की बीवी को पेशाब की तीव्रता बड़ी तेजी से महसूस हो रही थी इसलिए वह तुरंत नीचे बैठ गई और अपनी गुलाबी बुर के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार को बाहर मारने लगी,,, एक बार राजू के लंड को अपनी बुर में ले लेने के बाद अशोक की बीवी के मनसे धीरे-धीरे शर्म दूर होने लगी थी वह जानती थी किपीछे खड़ा राजे उसके नंगे बदन को देख रहा होगा उसकी गांड को देख रहा होगा लेकिन अब उसके में कोई भी चेक नहीं थी इस बात को लेकर अब वह तो खुद चाहती थी कि राजू प्यासी नजरों से उसके बदन के हर कोने को देखें,,,,।
रात के सन्नाटे में अशोक की बीवी की बुर के गुलाबी छेद से निकल रहे पेशाब की धार की आवाज वातावरण के सन्नाटे में पूरी तरह से खुल जा रही थी और एक मादक वातावरण का एहसास करा रही थी जिसमें राजू पूरी तरह से डूबता चला जा रहा था,,,, राजू से बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हुआ और वह लालटेन को पेड़ की एक छोटी सी टहनी में टांग दिया और मोटे डंडे को कोई पेड़ के सहारे खड़ा करके ठीक अशोक की बीवी के पीछे बैठ गया,,,, और एकदम से सट गया ऐसा करने से गुलाबी के भजन में हलचल सी मच गई,,, वह एकदम से सिहर उठी उत्तेजना के मारे उसका रोम-रोम खिल उठा,,,,राजू अपनी हरकत को अंजाम देते हुए अपने हाथ को नीचे की तरफ ना यार अपने लंड को पकड़ कर उसकी गोल गोल गांड के आगे उसकी बुर की तरफ कर दिया राजू का लंड को ज्यादा बढ़ा थे इसलिए बड़े आराम से उसके गुलाबी करके छोड़ तक पहुंच गया था जिसमें से अभी भी पेशाब की धार बाहर निकल रही थी,,,।
राजू की गर्म सांसे अशोक की बीवी के गर्दन को मदहोशी और उन्माद प्रदान कर रही थी जिसे अशोक की बीवी के तन बदन में आग लगी जा रही थी एक बार फिर से उसका मन चुदवाने को कर रहा था,,,,।
रांची अपने लंड की लंबाई का पूरा सेट करते हुए अपने लंड को उसकी जड़ से पकड़ कर उसे ऊपर नीचे करके हिलाने लगा जिससे उसके लंड का आलू बुखारा जैसा सुपाड़ाउसकी बुर पर लगने लगा और साथ ही उसके बुर से निकले अमृत के धार में लंड का सुपाड़ा भीजने लगा ,,, एक असीम सुख दोनों को मिलने लगा अशोक की बीवी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि एक अनजान लड़के के साथ हुआ इस कदर मस्ती का लुफ्त उठाएगी,,, जवानी का मजा तो उसे राजू के साथ ही आ रहा था राजू उत्तेजना में अपने फ्रेंड को जोर-जोर से उसके गुलाबी छेद पर मरने लगा था जिससे गुलाबी के तन बदन में आग लग रही थी और वह लगातार मुते जा रही थी,,, राजू के लंड का सुपाड़ा पूरी तरह से उसके पेशाब में भीग गया था,,, और यह अनुभव राजू को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी,,,,,, अपने लंड को उसकी बुर पर मारते हुए राजू बोला,,,।
अब कैसा लग रहा है मेरी रानी,,,।
सहहहहहह ,,, बबुआ अब कुछ मत मुझे तो ना जाने क्या हो रहा है ऐसा सुख मैंने कभी नहीं पाई हूं,,,सहहहहह,,आहहहहह,,,
मैं जानता था मेरी रानी तुम्हें संपूर्ण सुख सिर्फ मैं ही दे सकता हूं,,,,,,।(ऐसा कहते हुए राजू अपने लंड के सुपाड़े को उसके बुलाती छेद पर रगड़ने लगाजिससे गुलाबी के तन बदन में मस्ती की लहर उठने लगी उसका मन राजू को अपनी बुर में लेने के लिए तडपने लगा,,, वह कसमसा रही थी हल्के हल्के ऊपर नीचे हो रही थी उसकी कसमाहट देखकर राजू समझ गया कि वह पूरी तरह से तैयार हो चुकी है एक बार फिर से उसके लंड को अपनी बुर में लेने के लिए,,,। और राजू उसे थोड़ा और ज्यादा तडपाने के उद्देश्य से,,, वह भी मुतना शुरू कर दियालेकिन अपने पेशाब की धार को उसके गुलाबी छेद पर मार रहा था,,, और जैसे ही उसके पेशाब की धार उसको अपनी बुर् के गुलाबी छेद पर महसूस हुई वह एकदम से मचल उठी,,।
सहहहहहह ,,, आहहहहहहह,,,,बबुआआआआ,,,,,ऊहहहहह,,,,,
क्या हुआ रानी,,,,
यह क्या कर रहे हो बबुआ,,,,(मदहोशी भरे स्वर में बोली)
तुम्हारी बुर को और ज्यादा रसीला बना रहा हूं,,,,।
सहहहह आहहहहहहहहह,, मेरा अंग अंग टूट रहा है,,,,
मैं इलाज जानता हूं,,,, मेरी रानी,,,,
तो करो ना बबुआ तड़पा क्यों रहे हो,,,,।
ओहहहह मेरी रानी मैं अभी तुम्हारी तडप को दूर कर देता हूं,,,(इतना कहते हुए राजू पेशाब करने के तुरंत बाद अपने लंड के सुपाड़े को बैठे-बैठे हीउसकी पुर के छेद पर रख कर उसे अंदर डालने की कोशिश करने लगा,,,,लेकिन इस तरह से आराम से जा नहीं रहा था लेकिन फिर भी राजू कोशिश में लगा हुआ था और अशोक की बीवी थी कि तड़प रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था इसलिए वह खुद ही थोड़ा सा अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा दीअभी भी वह बैठी हुई मुद्रा में ही थी बस 5 अंगुल ही गांड को उसने ऊपर उठाई थी ताकि वह राजू के लंड को अपनी बुर में आराम से ले सके,,, और उसकी यह सहकार की भावना रंग लाने लगी राजू का लंड एक बार फिर से गुलाबी बुर के छेद में था,,,, और राजू अशोक की बीवी की कमर को थाम लिया,,,,।
यह आसन राजू के लिए बिल्कुल ही नया था,,,एक नया अनुभव के साथ वह अशोक की बीवी की चुदाई करने जा रहा था,,, जिसमें अशोक की बीवी की पूर्ण रूप से सहमती थी,,,,
देखते ही देखते राजू का पूरा का पूरा लंड अशोक की बीवी की बुर में समा गया,,,, अशोक की बीवी पूरी तरह से हैरान हो गई थी इस तरह से भी चुदाई की जाती है उसे आज पता चल रहा था,,,, राजू नीचे से धक्के लगाने लगा अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया बैठे बैठे ही अपनी कमर को हिलाने में उसे बहुत मजा आ रहा था,,,,,,इस अवस्था में बड़े आराम से राजू अशोक की बीवी की चुदाई कर रहा था,,,।
अजीब सा माहौल बना हुआ था बेहद अद्भुत मादकता से भरा हुआ,,, चांदनी रात में भी पेड़ के नीचे घनी झाड़ियों के बीच लालटेन की पीली रोशनी में,,,, शीतल हवा के झोंकों का आनंद लेते हुए राजू अशोक की बीवी की चुदाई कर रहा था और राजू की बीवी पूरी तरह से मस्त हुए जा रही थी,,, वह अभी भी अपनी गांड को हवा में लटकाए हुए चुदवा रही थी,,,। राजूकभी उसकी कमर को तो कभी उसकी गोल-गोल कांड को जैसे उसे सुविधाजनक लग रहा थावैसे वासु की बीवी की चुदाई कर रहा था लेकिन मोटा लंबा लंड बड़े आराम से उसकी गुलाबी बुर के छेद में अंदर बाहर हो रहा था,,,,
अब तो डर लग नहीं रहा है ना भाभी,,,।
सहहहह नही बबुआ तुम्हारे होते हुए मुझे बिल्कुल भी डर नहीं लग रहा है,,,,
कितना मजा आ रहा है ना खुले में चुदवाने में,,,,
बहुत मजा आ रहा है बबुआ मुझे तो पहले डर लग रहा था लेकिन अब मुझे इतना मजा आ रहा है कि पूछो मत,,,,।
मेरा साथ दोगी तो इसी तरह से मजा पाओगी,,,
तो आ जाया कर बबुआ उनको छोड़ने के बहाने,,,,
ओहहहह मेरी रानी तू कितनी अच्छी हो,,,,(इतना कहने के साथ ही वह थोड़ा सा जहमत अशोक की बीवी को देते हुए उसकी कमर को थाम कर उसे ऊपर नीचे करने लगा भोली भाली अशोक की बीवी राजू के संगत में उसके इशारे को समझ गई थी और वह खुद ही अपने गांव को पर नीचे करके राजू के लंड को अपने बुर के अंदर बाहर लेने लगी थी,,,, थोड़ी देर बाद जब इसी तरह से अपनी गांड उठाए हुए अशोक की बीवी को दर्द करने लगा तो वह बोली,,,।
ओहहहह बबुआ,,,, गांड उठाए उठाए दर्द करने लगा,,,
कोई बात नहीं भाभी,,,,,(इतना कहने के साथ ही राजू अपने लंड को अशोक की बीवी की बुर में डाले हुए ही,,, उठने लगा,,, और उसे भी उठाने लगा दोनों खड़े हो गए थे लेकिन अभी भी राजू का लंड उसकी बुर के अंदर था,,, राजू अशोक की बीवी की कमर पकड़े हुए हीउसे जाकर पेड़ की डाली पकड़ने के लिए बोला और उसकी कमर को अपने से एकदम सटाए रखा क्योंकि यह आसन एकदम सटीक था उसकी जबरदस्ती चुदाई करने के लिए,,, लालटेन की पीली रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा थाअगर दो कोई खड़ा होता तो उसे भी है नजारा देखने को मिल जाता लेकिन राजू जानता था कि आधी रात के बाद गांव से बाहर कोई बिना काम के निकलता नहीं,, है इसलिए वह पूरी तरह से निश्चिंत था,,,,,,।
अब देखना मेरी जान कितना मजा आता है,,,,।(और इतना कहने के साथ ही राजू अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,उसका मोटा तगड़ा लंड चपचप की आवाज करते हुए अंदर बाहर होने लगा,,,अशोक की बीवी मदहोश होने जा रही थी क्योंकि इस तरह के आसन से राजू का लंड बड़े आराम से उसके बच्चेदानी तक पहुंच रहा था और उस पर ठोकर मार रहा था जब जब उसके दर्द की ठोकर से अपने बच्चेदानी का महसूस होती है पूरी तरह से सिहर जाती और उत्तेजना के मारे अपनी गांड को आगे की तरफ सिकोड ले रही ही थीऔर राजू उसकी कमर को कस के काम कर उसे अपनी तरफ खींच ले रहा था यह खींचातानी तब तक चलती रही जब तक राजू उसे झाड़ने के बाद खुद नहीं झड़ गया,,,, दोनों झड़ चुके थे राजू अपने लंड की पिचकारी उसकी बुर के अंदर उसके बच्चेदानी पर मारा था और अशोक की बीवी को यह साफ महसूस हो रहा था इसलिए वह पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,,।
थोड़ी ही देर में अपना पूरा गर्म लावा उसकी बुर में गार देने के बादराजू अपने लंड को उसके गुलाबी छेद से बाहर निकाला जो कि अभी भी पूरी तरह से खड़ा था,,, अशोक की बीवी भी गहरी गहरी सांस लेते हुएआहिस्ता आहिस्ता खड़ी हुई और एक नजर अपनी दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार पर डाली तो शर्म से पानी पानी होने लगी,,,, यह देखकर राजू उससे बोला,,,।
अब कैसा लग रहा है भाभी,,,
(अशोक की बीवी एक कदम चलते हुए बोली)
दैयारे तूने कैसा हालत कर दिया है ठीक से चला भी नहीं जा रहा है,,,
कोई बात नहीं भाभी मैं तुम्हें अपनी गोद में उठा कर ले जाऊंगा,,,।
उठा लोगे मुझे,,,
हां क्यों नहीं एकदम आराम से,,,
अरे रहने दो बबुआ कमर की नस खिंचा गई तो हमें ही दोष देते रहोगे,,,,
अरे कुछ नहीं भाभी मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है बड़े आराम से तुम्हें उठा दूंगा तुम्हें एक कदम भी चलने की जरूरत नहीं है,,,,।
(राजू की बातों को सुनकर अशोक की बीवी को मजा आ रहा था और वह भी अंदर से यही चाह रही थी कि राजू से अपनी गोद में उठाकर अंदर तक ले जाए और इसी बहाने वह उसकी बाहर की भी ताकत को देख लेना चाहती थी अब तक तो अंदरूनी ताकत से वह पूरी तरह से वाकिफ हो चुकी थी,,,, वह अभी बोल ही रही थी कि राजू आगे बढ़ा और एक झटके से उसे अपनी गोद में उठा लिया वह इतनी आराम से और इतनी जल्दबाजी में उठाया था कि इस बात का आभास अशोक की बीवी को बिल्कुल भी नहीं हुआ और एकदम सेवट वह चौक गई,,
अरे अरे संभाल कर संभाल कर बबुआ,,,,,
कोई बात नहीं मेरी जान तुम तो मुझे एकदम रुई जैसी हल्की लग रही हो,,,
क्या हम एकदम रुई की तरह है बिल्कुल भी वजन हमारा नहीं है,,,,
होगा दूसरों के लिए लेकिन मेरे लिए तो तुम एकदम गुलाब का फूल हो,,(राजू कि इस तरह के चिकनी चुपड़ी बातें सुनकर अशोक की बीवी शर्मा गई,,,, और राजू मुस्कुराते हुए,,,उसे गोद में उठाए हुए थोड़ा सा नीचे झुका और लालटेन को अपने हाथ में ले लिया और एक हाथ में डंडे को ले लिया लेकिन फिर भी वह बड़े आराम से अशोक की बीवी को उठाए हुए,,,था,,, अशोक की बीवी का खूबसूरत बदन एकदम नरम नरम मखमल की तरह था,,, जिसे अपनी गोद में उठाए हुए राजू के तन बदन में हलचल सी मच रही थी,,, चुदाई करने के बाद थोड़ा सा ढीला होकर राजू का लंड अशोक की बीवी की बुर में से बाहर निकला था लेकिन उसे गोद में उठाते ही एक बार फिर से उसके घंटे में जाना गई थी और फिर से एकदम कड़क हो गया था जो कि अशोक की बीवी को उसकी कमर पर रगडता हुआ महसूस हो रहा था,,,लंड की रगड़ अपनी कमर और पीठ पर महसूस करते हैं अशोक की बीवी के तन बदन में उत्साह फैलने लगा,,,, और वह बोली,,,।
बबुआ तुम्हारा तो अभी भी खडा है,,,।
तो क्या भाभी रात भर अगर तुम्हें पेलु फिर भी यह ढीला नहीं होगा,,, और चाचा का,,,
उनका तो तुरंत ढीला हो जाता है,,,
तभी तो मेरी जान इतनी खूबसूरत होने के बावजूद भी चुदाई का मजा नहीं ले पाई थी,,,
तुम सच कह रहे हो बबुआ,,,,।
(अशोक की बीवी हैरान थी राजू की ताकत को देखकर वह बड़े आराम से उसे गोद में उठाए चल रहा था और अभी भी उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था,,,,,,जबकि उसके पति का लंड तो थोड़ी ही देर में टांय टायं फिश हो जाता था,,, देखते ही देखते राजु घर में प्रवेश किया और उसे खटिया पर पीठ के बल लिटा दीया,,,,,, अशोक की बीवी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी पहली बार उसे चुदाई का असली सुख प्राप्त हो रहा था,,,,इसलिए उसे बिल्कुल भी शर्म नहीं आ रही थी कि पास में ही खटिया पर उसका पति नशे की हालत में बेहोश पड़ा था और उसके नशे में होने का पूरा फायदा उठाते हुए वह एक अनजान जवान लड़के से संभोग का चरम सुख प्राप्त कर रही थी,,,,,, राजू भी खटिया पर बैठ गया,,,और अशोक की बीवी पीठ के बल लेटे हुए थी,,, राजू चुटकी लेने के उद्देश्य से पास में ही सोए अशोक को बोला,,,।
अरे चाचा कैसे नशे की हालत में रहोगे तो कोई घर का खजाना लूट जाएगा,,, जैसे मैं लूट रहा हूं,,,।
( उसकी बातों को सुनकर उसकी बीवी के चेहरे पर मुस्कान तेरी लगी,,,, अगर और कोई समय होता है तो शायद वहराजू की आवाज सुनकर उसके पति के उठने का डर होता है लेकिन वह जानती थी कि सुबह से पहले बिना उसके जगाए,, वह उठने वाला नहीं था इसलिए वह अपने पति की तरफ से पूरी तरह से निश्चिंत थी,,,,। दोनों के बीच इसी तरह से वार्तालाप शुरू हो गई,,,, सुबह के 4:00 बजने में तकरीबन 1 घंटा रहेगा तब राजुफिर से अशोक की बीवी के साथ चुदाई का मजा लूटना चाहता था हालांकि उसे भी नींद नहीं आ रही थी वह भी राजू से बात कर रही थी और एक बार फिर से राजू का लेने के लिए तड़प रही थी राजू उसकी मांसल जांघों को धीरे धीरे सहला रहा था,,,,,, और उसकी बुर की दरार पर अपनी उंगली को फिराते हुए बोला,,,।)
क्यों भाभी एक बार और हो जाए,,,, सुबह होने वाली जाते जाते एक बार और दे दो तो मजा आ जाए,,,,।
बाप रे तुम्हारा मन अभी भरा नहीं,,,
क्या करूं मेरी जान तुम चीज ही हो ऐसी की,,,, एक रात में पूरी तरह से मन भरने वाला नहीं है,,,,
तब मैं क्या करूं बोलो,,,,(अशोक की बीवी की यह बात उसकी सहमति दर्शा रही थी क्योंकि वह भी फिर से चुदवाना चाहती थी,,,,)
तुम्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं है भाभी,,,(और इतना कहने के साथ ही राजू एक बार फिर से अशोक की बीवी पर एक नया आसन आजमाते हुए उसके कंधों के इर्द-गिर्द अपना घुटना रखकर उसकी दोनों टांगों के बीच झुकने लगा,,,और अगले ही पल में उसकी बुर पर अपने होंठ रख कर चाटना शुरू कर दिया,,,, राजू का लंड बार-बार कभी उसके गालों पर तो कभी उसके होठों पर रगड़ खा जा रहा था,,,राजू चाहता था कि उसका लंड अशोक की बीवी अपने मुंह में लेकर जी भर कर चूसेऔर वो जानता था कि यह सामा कब करेगी जब पूरी तरह से मस्तीया जाएगी तभी वह ऐसा करेगी इसलिए राजू भी उसे मस्ती के सागर में उतारने की पूरी कोशिश कर रहा था उसकी बुर को लपालप चाट रहा था जिससे अशोक की बीवी के सब्र का बांध टूटता जा रहा था बार-बार अपने होठों पर लंड के गरम सुपाड़े का स्पर्श महसूस करके वह पूरी तरह से पानी-पानी हुए जा रही थी,,, आखिरकार अशोक की बीवी को तड़पाने की राजू की हिम्मत रंग लाई और का अपनी जीभ को बाहर निकाल कर उसके लंड के सुपाड़े को चाटने लगी,,,राजू मन ही मन खुश हो रहा था और अगले ही पल अपने हाथ में लेकर बड़ी मस्ती के साथ राजू के लंड को मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दीयह अशोक की बीवी की तरफ से हिसाब बराबर कर देने वाली हरकत है जिस तरह की हरकत राजू उसकी बुर के साथ कर रहा था वही हरकत अशोक की बीवी उसके लंड के साथ कर रही थी दोनों पूरी तरह से मस्त हुए जा रहे थे,,,राजू उत्तेजित अवस्था में अपने दोनों हाथ से उसकी गांड पकड़ कर उसे ऊपर की तरफ उठाकर उसकी बुर को चाट रहा था तभी उसकी नजर उसके भूरे रंग के छेद पर गई और वह उसे चेहरे पर अपनी उंगली का पोर रखकर हल्के हल्के सहलाने लगा,,, राजू की यह हरकत अशोक की बीवी के तन बदन में आग लगा रही थी उसे रहा नहीं जा रहा था और वह कसमसा रही थी,,,,,,।
राजू अपनी हरकत को बढ़ा रहा था अपने मन में सोच रहा था कि बिना आज गांड मारने का उद्घाटन अशोक की बीवी के साथ ही किया जाए इसलिए वह अपनी उंगली को छोटे से छेद में डालने की कोशिश करने लगा जो की बुर के काम रस से पूरी तरह से गिली चुकी थी,,,,, लेकिन गांड का छेद इतना छोटा था कि उसकी बीच वाली उंगली भी अंदर की तरफ बराबर नहीं जा रही थी और वह जबरदस्ती डालने की कोशिश करता तो अशोक की बीवी दर्द से कराहने लगती,,, एकाएक राजू अपनी आखिरी उंगली उसकी गांड के छेद में डाल दिया तो दर्द के मारे अशोक की बीवी बिलबिला उठी और दर्द से कराहते हुए बोली,,,।)
यह क्या कर रहे हो बबुआ निकालो जल्दी से मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,
रुको ना भाभी बहुत मजा आ रहा है,,,
अरे तुम्हे मजा आ रहा है ना लेकिन मुझे नहीं आ रहा है मुझे तो दर्द हो रहा है,, जल्दी निकालो,,,,(वह पीछे की तरफ अपना हाथ ना कर राजू के हाथ को पकड़ने की कोशिश करने लगी और राजू भी समझ गया था कि छोटे से छेद में उसका मोटा लंड जाने वाला नहीं है अगर वह जगह ही करेगा तो एक खूबसूरत जुगाड़ उसके हाथों से ज्यादा रहेगा इसलिए वह मनमानी करने के फिराक में बिल्कुल भी नहीं था और अपनी उंगली को बाहर निकाल लिया,,, और वापस अपना सारा ध्यान अशोक की बीवी की गुलाबी छेद पर केंद्रित कर दिया,,,। एक बार फिर से अशोक की बीवी जवानी की मस्ती में हिलोरे मारने लगी ,,थोड़ी ही देर में हथोड़ा पूरी तरह से गर्म हो चुका था और उन दोनों का तीसरी पारी शुरू होने वाली थी,,,,।
बस डाल दो मेरे राजा अपना लंड मेरी बुर में,,,।
(इसी के साथ अशोक की बीवी का शर्म और लिहाज दोनों जाता रहा,,, राजू समझ गया था कि लोहा गर्म हो चुका है और उस परहथौड़ी का वार करना उचित है इसलिए तुरंत राजू उसके ऊपर से उठ कर उसकी दोनों टांगों के बीच में का बना दिया और अगले ही पल उसका मोटा तगड़ा लंड एक बार फिर से अशोक की बीवी की बुर की गहराई नापने लगा,,,दो बार चढ़ने के बाद राजू अच्छी तरह से जानता था कि इस बार उसका पानी जल्दी निकलने वाला नहीं है इसलिए वह,,, पहले धक्के के साथ ही अपनी रफ्तार को तेज कर दिया था,,,हर धक्के के साथ अशोक की बीवी स्वर्ग का आनंद लूट रही हो इस तरह का अनुभव कर रही थी,,, यह चुदाई राजू के मुताबिक बहुत लंबी चली और चार बजने के 10-15 मिनट पहले ही वह अशोक की बीवी को झाड़ने के बाद खुद भी झड़ गया,,,,। और उसके ऊपर लेट कर हांफने लगा,,,।
राजू ने अशोक की बीवी के साथ अद्भुत संभोग कलाकृति का नमूना पेश किया था जिसमें वह पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी और ऐसी खुशी ऐसा सुकून से पहले कभी नहीं मिला था इसलिए भाव विभोर होकर वह राजू को अपने गले से लगा ली थी,,,,।
थोड़ी देर बाद राजू उठा और अपने कपड़े पहनने लगा अभी भी अंधेरा था लेकिन सुबह होने वाली थी,,,। आज की रात उसकी जिंदगी की यादगार रात बन गई थी अनजाने में ही अशोक की बीवी जो उसी रात गुजारने के लिए मिल गई थी,,,, अशोक की बीवी भी खटिया पर से उठी और अपने कपड़े जो कि बिखरे पड़े थे उसे उठाकर पहनने लगी,,,,जाते-जाते राजू उसे अपनी बाहों में भर कर उसका लाल-लाल होठों का चुंबन लेते गया,,,अशोक की बीवी उसे दरवाजे तक छोड़ने आई और जब तक वह आंखों से ओझल नहीं हो गया तब तक वह दरवाजे पर खड़ी रही,,,।
दूसरी तरफ हरीया भी अपनी बहन गुलाबी की रात भर चुदाई करके तृप्त हो चुका था और बड़े सवेरे ही अपने कमरे में से निकल कर वापस बगल वाले कमरे में अपनी बीवी के पास जाकर सो गया था ताकि उसे बिल्कुल भी शक ना हो,,,,, हरिया का अपने बेटे को भी चलाना सिखा ना असफल हो गया था और यह बात राजू पर भी लागू होती थी क्योंकि अगर वह बैल गाड़ी चलाना नासिक का तो उसे उसके पिताजी अशोक को घर छोड़ने के लिए नहीं बोलते और उसे अशोक की खूबसूरत बीवी चोदने को ना मिलती और अगर राजू बेल चलाना नासिका होता तो आज हरिया को भी है सुनहरा मौका नहीं मिलता रात भर गुलाबी की चुदाई करने का,,,।
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