Update:- 112
सुबह के 7.30 बज रहे थे। फ्लैट की बेल जोड़ों से बज रही थी। अपस्यु ने जैसे ही दरवाजा खोला, एसपी के साथ पुलिस की पूरी टीम दरवाजे पर खड़ी थी। अपस्यु पुरा दरवाजा खोलते हुए… "सॉरी मै वो सो रहा था सर, आइये ना अंदर।"
अपस्यु सबको हॉल में बिठाकर, ऐमी को जगा दिया और वापस से उनके बीच चला आया। अपस्यु के आते ही एसपी ने सीधे सवाल करने शुरू कर दिए, मामला था इस अपार्टमेंट में हुए कल रात की वारदात और उसी वारदात का एक लिंक जगदीश राय के घर तक जाता था, क्योंकि चोरी कि गई कार इसी अपार्टमेंट के बाहर से उठाई गई थी और शक था कि जिसने यहां कत्ल किए है वही जगदीश राय के यहां भी गया होगा।
अपस्यु। के चेहरे पर घोर आश्चर्य के भाव थे और वह जिज्ञासावश पूछने लगा कि कल इस अपार्टमेंट में हुआ क्या था, क्योंकि कल शाम शॉपिंग मॉल की घटना से बाद उसकी अभी आंख खुल रही है।
एसपी ने मामले का संज्ञान लेते हुए अपस्यु से उसके साथ हुई कल शाम की घटना के बारे में पूछने लगा। बेहोश होने के पहले तक का अपस्यु ने बता दिया और उसके बाद सीधा उसकी आंख यही खुली।
इतने में ऐमी सबके लिए चाय ले आयी और सबको चाय देने के बाद आगे की घटना का जिक्र करती हुई पूरी बात बताई। कैसे फिर वहां पार्किंग में अजिंक्य और उनके थाने के लोग पहुंचे, सभी हमलावरों को अरेस्ट करने के बाद फिर वहां से अपस्यु को हॉस्पिटल लेकर गए। वहां डॉक्टर ने बताया की घबराने वाली बात नहीं है, बस बेहोश किया गया है, उसी के साथ अजिंक्य सर ने डॉक्टर से अकेले में कुछ बात की और डॉक्टर ने मुझे कुछ दवा लिखकर दी।
अजिंक्य सर खुद यहां आए थे। उनके हवलदार की मदद से हमने अपस्यु को लिटाया और फिर मुझे वो दावा खिलाकर यहां से चले गए। उसके कुछ देर बाद नींद आ गई और अभी जाग रही हूं। एसपी पुरा मामला सुनने के बाद क्रॉस चेक किया और अजिंक्य से पूरे मामले की जानकारी लेकर वहां से चलते बाना।
उनसब के जाते ही अपस्यु ने दरवाजा बंद किया और किचेन में पहुंचकर, ऐमी के कमर में हाथ डालकर उसके गले को चूमने लगा… ऐमी गहरी श्वांस लेती अपने हाथ को किचेन स्लैब से टिका दी और अपनी आखें मूंद ली।
अपस्यु गले को चूमते हुए अपने हाथ धीमे से खिसकाते हुए लोअर के अंदर ले जाने लगा… "अम्मम ! बेबी अभी रुक जाओ ना प्लीज, काम बहुत परे है। खत्म तो कर लेने दो।"….. गले पर हल्के दातों का निशान देते हुए अपस्यु हाथ को धीमे से पैंटी के अंदर खिसकाते उसे चूमने लगा।
श्वांस दोनो की ही चढ़ आयी थी, तभी अपस्यु के फोन की घंटी बज गई। एक पूरी रिंग होकर कट गई लेकिन अपस्यु ने ध्यान नहीं दिया। वो धीरे-धीरे अपने हाथ चलाते, ऐमी की उत्तेजना को बढ़ाने में लगा था। तभी फिर से दोबारा रिंग होना शुरू हुआ।
ऐमी, अपस्यु को धक्का देकर दूर की…. "हद है फोन बज रहा है अपस्यु, उठाओ उसे पहले।"… अपस्यु गुस्से में फोन को घूरा और फोन उठाकर हॉल में चला आया…. "हां बोल भाई"..
आरव:- कहां था, पूरी घंटी हुई फिर भी कॉल नहीं उठाया।
अपस्यु:- कुछ काम कर रहा था। तू सुना कैसी चल रही है छुट्टियां।
आरव:- अरे यार तेरा कल रात का शो हमदोनो ने देखा, अब मैडम को भी इक्छा हो रही है, वैसे ही एक इजहार की।
अपस्यु:- हाहाहाहा.... प्यारी सी ख्वाइश है कर दे पूरी, इसमें इतना सोच क्यों रहा है। वो छोड़ तू आराम से रह और चिंता ना कर, समझा।
आरव:- कामिना, अब कौन मन की भाषा पढ़ रहा?
अपस्यु:- जुड़वा तो मरने के बाद भी जुड़वा होते है, फिर तू सोच कैसे लिया कि तेरी बात मै ना समझूं या तू मेरी ना समझेगा।
आरव:- हम्मम ! सो तो है, बस मन ना लग रहा तुम लोगों के बिना। तू और ऐमी यहां होते तो बात ही कुछ और होती।
अपस्यु:- अभी लावणी को समय दे समझा, और ज्यादा बहस नहीं।
आरव:- ठीक है गुरुजी समझ गया। चल मै फोन रखता हूं।
अपस्यु ने सोचा, "ये फोन बार-बार तंग ना करे इसलिए खुद ही सबको फोन लगा दूं"। अपस्यु ने फिर एक तरफ से सबको कॉल लगाना शुरू कर दिया। जब वो कुंजल को कॉल लगाया तब उसका फोन व्यस्त आ रहा था। अपस्यु किचेन में झांककर देखा तो ऐमी फोन पर लगी थी, वह समझ गया दोनो लगे हैं, इसलिए उससे छोड़ बाकी सबसे बात कर लिया।
कुछ देर बाद उखड़ा सा चेहरा बनाती ऐमी हॉल में आयी और टेढ़े मुंह अपस्यु को फोन देती कहने लगी… "कुंजल है लाइन पर बात कर लो"..
अपस्यु इशारों में अपने दोनो कान पकड़ते सॉरी कहने लगा… ऐमी फोन उसके पास रखकर रूम में चली गई। जबतक अपस्यु कुंजल से बात करता, ऐमी नहाकर, तैयार होकर कमरे से बाहर निकली। ऐमी को देखकर ही समझ में आ गया, आज इसका पारा फिर चढ़ा…. "कहीं बाहर जा रहे है क्या बेबी।".. अपस्यु ऐमी का हाथ पकड़ कर खींचते हुए बाहों में लेकर पूछने लगा।
ऐमी:- खाना ऑर्डर कर दिया है, 12.30 बजे तक आ जाएगा। मै घर का रही हूं।
अपस्यु, ऐमी के कानो के नीचे से बाल को किनारे करते चूमते हुए कहने लगा… "सॉरी बाबा, वो कॉल आ गया था।"
ऐमी:- कोई बात नहीं है अपस्यु, मै जा रहीं हूं तुम खाना खा लेना।
अपस्यु, ऐमी से अलग होकर उसको अपनी ओर घुमाया, और अपने दोनो कान पकड़ कर कहने लगा…. "गलती हो गई बाबा, मुझे मान जाना चाहिए था। तुम जब कही तब हट जाना चाहिए था। अब माफ भी करो और गुस्सा शांत करो।"
ऐमी, अपनी आखें शुकुड़ती…. "अगली बार ऐसे जिद तो नहीं करोगे ना, और कहूंगी अभी नहीं, तो मान जाओगे ना।"..
अपस्यु:- हां बाबा सच में। चलो अब गुस्सा छोड़ो और आराम से बैठ जाओ। आज मै तुम्हे अपने हाथों का बना खिलाऊंगा…
ऐमी:- येस ! यह अच्छा विचार है। वो चीज वाली आलू दम जो तुमने मियामी में खिलाई थी, वहीं बनाओ।
अपस्यु:- ठीक है फिर वो रेस्ट्रो के खाने का आर्डर कैंसल कर दो, और जबतक तुम बाजार से चीज ले आओ, मै बाकी का काम करके रखता हूं।
ऐमी:- प्रदीप को भेज दो ना, अब क्या बाजार भी मै ही जाऊं…
अपस्यु:- नाह ! उन गावरों को रहने दो, मुझे और भी कुछ याद आ गया है, मै खुद बाजार जाता हूं, जबतक तुम आलू छिलकर रखना और 8-10 प्याज काट लेना।
ऐमी:- जी सर जैसा आप कहें।
अपस्यु, ऐमी को काम समझकर निकल गया, वो जबतक किचेन में अपना काम समाप्त करती तबतक अपस्यु भी बाजार से लौट आया था। अपस्यु जब लौटकर आया, ऐमी किचेन में ही थी। अपस्यु किचेन में जाकर सारा समान रख दिया और पीछे से ऐमी को गले लगाते, उसके गाल को चूमते हुए…. "चलो अब तुम जाओ मैं सब रेडी करता हूं।
ऐमी मुस्कुराती वहीं किचेन स्लैब पर बैठती हुई कहने लगी…. "नाह ! तुम पकाओ और मै तुम्हे देखती रहूंगी।…
लगभग 8.30 से 10 बजने को आए थे। श्रेया और उसकी पूरी टीम उन दोनो पर नजर बनाए-बनाए पक से गए थे। रात को इतने बड़े काम की अंजाम देने के बाद भी सुबह उठकर एक शब्द की भी चर्चा नहीं। ना ही पुलिस उनके दरवाजे पर थी तो उनके हाव-भाव में कोई बदलाव।
सब के सब अपना सर पटक रहे थे और दोनो के बीच का रोमांस देखकर बस यही सोच रहे थे… "पागल है क्या दोनो, पूरी दिल्ली में पुलिस प्रशासन हिली हुई है। पूरा अपार्टमेंट पागल बना हुआ है, और इन्हे कोई फर्क ही नहीं पर रहा। आपस में ही लगे है।"
सादिक, श्रेया का साथी और जेन के भाई का किरदार निभाने वाले… "यार या तो ये बहुत ज्यादा होशियार है या लापरवाह। इतने बड़े कांड के बाद कुछ तो चर्चा होती ना।"
श्रेया:- यह भी तो हो सकता है कि उनके अनुसार उन लोगों ने पुरा मैटर रात को हो सॉल्व कर लिया हो, इसलिए कल के इजहार के बाद दोनो बस आपस में ही लगे है।
जेन:- हां लेकिन अब हम क्या करें, उनका रोमांस देखकर तो मुझे अंदर से कुछ रोमांटिक और कुछ एग्जॉटिक सी फीलिंग आने लगी है।
सादिक:- मेरा भी वही हाल है।
श्रेया:- हम्मम ! कहीं ऐसा तो नहीं कि इसने मुझे कल रात जित्तू के पास देख लिया था और शक हो की हम उसके घर में घुसपैठ करके उनपर नजर बनाए हुए हूं।
जेन:- प्वाइंट में दम तो है, लेकिन उनके प्रतिक्रिया इतने नेचुरल है कि कुछ समझ पाना नामुमकिन है। वैसे जिस हिसाब से दोनो के बीच का प्यार और रोमांस है, उसे देखकर तो यही लगता है कि, अगर वो तुम्हे कल सबके साथ देख लेता तो वहां 5 की जगह 6 लाश होती।
श्रेया:- हम्मम ! ठीक है, कुछ देर और वॉच पर रहो, मै कुछ सोचती हूं।
इधर ऐमी किचेन स्लैब पर बैठी अपस्यु को प्यार से खाना बनाते हुए देख रही थी। अपस्यु बड़े ही प्रेम से और पुरा ध्यान खाना पकाने पर दिए हुए था… "कुछ बोलो भी ऐमी, पास हो और इतनी ख़ामोश।"..
ऐमी:- नाह तुम्हे देखने का मज़ा ही कुछ और है। अपनी ये शर्ट क्यों नहीं उतार देते। जरा नजर भर तुम्हारे दिलकश बदन को देख लूं।
अपस्यु अपनी नजर ऐमी पर दिया, आंखों में शरारत और होटों पर कातिलाना हंसी… अपस्यु अपने होंठ आगे बढ़ाकर ऐमी के होठों को चूमते… "अब कौन रिझा रहा है।"..
ऐमी:- हीहीहीही… पहले शर्ट उतारो फिर बताती हूं।
अपस्यु:- तुम खाली बैठी हो, इतनी मेहनत तो तुम भी कर सकती हो।
ऐमी:- नाना, आज मै आलसी हूं, सब तुम्हे ही करना होगा…
"उफ्फ ! मार ही डाला।"… अपस्यु आंख मरते हुए अपनी शर्ट उतार लिया और उसे लपेटकर ऐमी के मुंह पर फेंक दिया। ऐमी, अपस्यु की इस हरकत पर हंसती हुई कहने लगी… "नजर ना लगे, इन्ना सोना। चलो अब अपने पैंट उतारो।"
अपस्यु, आश्चर्य में अपनी आखें बड़ी किए….. "क्या?"
ऐमी:- हीहीहीही.. पैंट उतारो।
अपस्यु:- हट पागल, मै कहता हूं तुम अपने ये जीन्स उतारो।
"पहले ही कहीं मै आज आलसी हूं, बाकी तुम्हारी मर्जी है, मुझे कोई ऐतराज नहीं।"… ऐमी हंसती हुई आंख मारते कहने लगी…
अपस्यु, हंसते हुए अपना सर झुका लिया और अपना काम करने लगा।… "बेबी, शर्ट की तरह पैंट भी फेको ना। प्लीज।"..
"आज पागल हो गई हो तुम।" .. अजीब शर्म सी हंसी हंसते हुए अपस्यु ने अपने पैंट उतरकर भी ऐमी के मुंह पर मरा। … "भिंगे होंठ तेरे, प्यासा दिल मेरा… मेरे इमरान हाशमी, अंदर तो काफी सेक्सी बॉक्सर पहन रखी है, कहीं और परफॉरमेंस तो नहीं देने वाले थे।"..
अपस्यु:- बस भी करो, अब खुश तो हो ना..
ऐमी:- नाह ! वो आखरी वस्त्र, बॉक्सर भी उतार कर दो।
अपस्यु:- पागल, सुंबह-सुबह कोई पोर्न तो नहीं देख ली।
ऐमी:- आय हाय लड़का तो शर्मा गया। अच्छा तुम्हारी लाज्जा को देखते हुए छोड़ती हूं। जाओ नहा लो, सब तो लगभग पक गया है।
अपस्यु:- बस 5 मिनट का रह गया है, जबतक ये पकता है, तबतक मैं तुम्हे भी निर्वस्त्र कर दूं।
ऐमी फाटक से किचेन स्लैब से नीचे उतरती…. "अभी कुछ देर पहले ही ना कान पकड़ कर बोल रहे थे, मै मना कर दूंगी तो मना हो जाओगे। तो चलो अब मना हो जाओ।"
अपस्यु खा जाने वाली नज़रों से घूरा .. "बहुत शरारत सूझ रही है मिस ऐमी, अभी बताता हूं तुम्हे।"… अपस्यु दौड़ा, ऐमी भागी.. भागते दौड़ते, सामान गिराते पीछा चालू था। ऐमी की खिल खिलहट पूरे घर में गूंज रही थी और अपस्यु उसके पीछे दौड़कर पकड़ने कि कोशिश में लगा था….
अंततः अपस्यु ऐमी को पकड़कर कमर से उठाया और तेजी से गोल घूमते हुए उसके कान के नीचे गले पर अपने दांत जोड़ से गड़ाते हुए कहने लगा… "मेरे तो सीधे-सीधे इमोशंस थे, लेकिन ये सुबह से जो तुम मुझे परेशान कर रही हो ना, अभी बताता हूं।"..
एमी:- क्या करोगे नहीं मानूंगी तो, रेप ही करोगे ना, और क्या.. हीहीहीही।
अपस्यु, ऐमी को उठाकर डायनिंग टेबल पर बिठाते हुए… "तुमने वो सुना है"..
ऐमी:- क्या ?
अपस्यु:- बोंडेज एंड डिसिप्लिन (Bondage and Discipline), डमिनेंस एंड सबमिशन (Dominance and Submission) सदोचिज्म एंड मसोचिज्म (Sadochism and Masochism).
ऐमी, अपनी दोनो आखें फाड़े अपस्यु को देखती हुई… "क्या बीडीएसएम (BDSM)"
अपस्यु:- येस । बिल्कुल यही, सही सुन रही हो।
ऐमी, अपस्यु के बालों पर प्यार से हांथ फेरती…. "बेबी ऐसा ना करो ना, प्लीज। एक बार और सोच लो ना बेबी। मूड तो मेरा भी बहुत हो रहा है, लेकिन ये…."
अपस्यु:- ई.. हा.. हा.. हा… अब तो यही फाइनल है।
ऐमी:- ठीक है फिर हंटर खाने तैयार रहना, मेरी तैयारी पूरी है। सबमिसिव और डिसिपिलन बनकर रहना।
इधर श्रेया के घर में….. चल रहे रोमांस को देखकर सभी पागल हुए जा रहे थे। जेन तो पानी-पीते और बाथरूम जाते-जाते परेशान थी, वही हाल बाकियों का भी था। श्रेया से जब रहा नहीं गया तब वो कहने लगी…. "ये तो अपनी रास लीला में लगता है लीन रहेंगे और कुछ बात करने वाले नहीं। इनके रंग में भंग मै ही डालती हूं। जाती हूं अभी दोनो के पास।"