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Romance भंवर (पूर्ण)

Nevil singh

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18 June 2014 USA Trip…

शाम का वक्त था। आरव होटल के कैसिनो में बैठकर, वहां पर ड्रिंक के मज़े ले रहा था। वो वहां के बार काउंटर पर बैठकर लोगों के हारने और जितने कि प्रतिक्रिया को देखकर अपना मन बहला रहा था।

कैसिनो के अंदर का वो प्यारा सा संगीत उस माहोल में चार चांद लगा रहा था। तभी सामने से, मनीष मिश्रा, साची के पिताजी, का बड़ा बेटा कबीर जो लगभग 26 साल का था कैसिनो के अंदर आया। उसके साथ उसका चचेरा भाई नीरज, जो राजीव मिश्रा, लावणी के पिताजी, का बड़ा बेटा, लगभग 24 साल का था, वो भी आ रहा था।

दोनों अाकर वहीं बार काउंटर पर आरव के पास बैठ गए। कोई एक दूसरे को जानता नहीं था और सब अपने अपने हिसाब से वहां मज़े कर रहे थे। आरव का फोन बजा… "हे स्वीटी, तुमने व्हाट्स एप से मुझे अनब्लॉक कर दिया क्या?"

लावणी:- वेरी फनी.. क्या चाहते हो मै फिर से ब्लॉक कर दूं।

आरव:- बिल्कुल नहीं बेबी, तुम तो गुस्सा हो गई.. आई लव यू..

लावणी:- लव यू टू। अब जल्दी से बताओ कहां हो। तुम्हे देखने के लिए तरप गई हूं।

आरव:- कहां हो मै आता हूं ना, बताओ…

लावणी:- ना मै आती हूं, तुम बताओ कहां हो?

आरव:- अपने कमरे में, आ जाओ..

लावणी:- नाइस जोक.. लेकिन शाम के 7 बजें तुम्हारा भाई ये बात कहता तो मान भी लेती। लेकिन तुम इस वक़्त अपने रूम में हो मान ही नहीं सकती। जरूर किसी गोरी के पाऊं या उसके क्लीवेज ताड़ रहे होगे।

आरव:- क्या मेरा इतना रेपो गिरा हुआ है…

लावणी:- ओ मेरा बेबी मायूस हो गए.. आती हूं उदासी दूर करने… अब बताओ भी…

आरव:- ओके बाबा कैसिनो में आ जाओ, यहीं बैठा हूं…

लावणी चहकती हुई कैसिनो के अंदर पहुंची और वहां पहुंच कर वो आरव को ढूंढ़ने लगी। और जब आरव मिला तब उसकी आखें बड़ी हो गई। वो जैसे ही आयी वैसे ही वहां से भागने लगी, लेकिन इस बीच आरव उसे देख चुका था और वो दूर से ही उसे हाथ दिखाने लगा..

लावणी क्यों कोई प्रतिक्रिया दे या फिर मुड़ कर ही देखे। वो तो सीधे-सीधे वहां से रवाना हुई। उसके पीछे-पीछे आरव भी गया, लेकिन कैसिनो से बाहर निकलते ही उसने अपना रास्ता बदला और बाहर के ओर चल दिया, क्योंकि रिसेप्शन लॉबी में लावणी, अनुपमा और सुलेखा के साथ बातें कर रही थी।

माहौल को समझते हुए आरव भी वहां से दबे पाऊं बिना किसी के नजर में आए निकलने लगा। वो होटल के बाहर जा ही रहा था कि तभी उस होटल में मानो कोई बहुत बड़ी हस्ती ने अभी-अभी कदम रखा हो। बॉडीगार्ड रास्ता क्लियर करते हुए आरव को किनारे किए और बीच से एक इंडियन फैमिली चली आ रही थी।

उस फैमिली को रिसीव करने खुद मनीष और राजीव भी नीचे पहुंच चुके थे, और पूरी मिश्रा परिवार देखते ही देखते वहां जमा हो चुका था। आरव वहीं किनारे खड़े होकर, दूर चल रहे मिश्रा परिवार का ये भारत मिलाप के सीन को समझने कि कोशिश कर ही रहा था तभी साची की नजर आरव पर पड़ी। साची अपने परिवार को छोड़कर चुपके से जाकर आरव के पास खड़ी हो गई…

"लावणी आज काफी प्यारी दिख रही है ना।"…. "वो तो मेरी जान … वो वो वो.... साची तुम, व्हाट्स अ प्लीजेट सरप्राइज।"..

साची:- अच्छा बच्चू, नाटक हो रहा है.. हां..

आरव:- तुमसे झूट नहीं कहूंगा साची, तुम जो सोच रही हो वही बात हैं।

साची:- कमाल है ना आरव, ये तो कमाल ही हो गया।

आरव:- क्या हुआ साची, क्या कमाल कर दिया मैंने?

साची:- तुमने नहीं बल्कि तुम दोनों भाई ने। दोनों ने कभी मुझसे झूठ बोला ही नहीं। काश बोला होता।

आरव साची का हाथ पकड़कर कहने लगा…. कभी-कभी अच्छे लोग ज्यादा दर्द दे जाते है। और अपस्यु उन्हीं में से एक है। कभी वक़्त मिले तो उसकी कहानी मुझसे सुन लेना क्योंकि वो तो ठीक से अपनी कहानी भी बता नहीं सकता।

साची:- हमारा रिश्ता शायद किस्मत को ही मंजूर नहीं थी, लेकिन फिर भी ये दिल है कि मानता नहीं।

आरव:- साची तुम्हे मायूस देखता हूं तो मेरे दिल में दर्द होने लगता है।

साची:- छोड़ो वो सब, अब बीते वक़्त पर रोने से अच्छा है कि उसे स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए। मै भी कहां अपनी कहानी लेकर बैठ गई। अभी तो तुम्हारी टांगें तोड़नी है। तो आज सुबह वो तुम थे जिसे देख कर लावणी चहकने लगी.. हां..

आरव:- मै तो यहां से 5 दिनों से हूं, लावणी से मिला भी नहीं अब तक।

साची:- ओय.. साची को उल्लू बनाने चले हो मिस्टर… सोच लो पहरा लगा दूंगी मै फिर। सब सच-सच निकालना चाहिए…

आरव ने फिर शुरू से यूएस आने की कहानी उसे बता दिया…. "ओह हो तो कुंजल भी आयी है, पक्का वो कहीं और घूम रही होगी।"

आरव:- अरे ऐसी कोई बात नहीं है। वो उसके साथ, उसके कुछ और दोस्त थे तो वो उन्हीं के साथ न्यूयॉर्क निकल गई।

साची:- कोई नहीं तुमसे मै कल बात करती हूं, अपना रूम नंबर बताओ..

आरव:- 806

साची:- ठीक है आराम से सुबह मिलती हूं अभी जरा उन सब के बीच जाऊं वरना पूरा खानदान मुझे ढूंढ़ते तुम्हारे पास पहुंच जाएगा। अभी चलती हूं लेकिन कल सुबह मै तुम्हारी खबर लेती हूं।

आरव:- साची सुनो तो.. ये बड़े-बड़े लोग कौन है..

साची:- पता नहीं मुझे भी यार.. सोची थी यूएस घूमने का प्रोग्राम होगा लेकिन पापा ने अपने किसी दोस्त को बुला लिए, फैमिली मीटिंग करने।

आरव:- बाप रे, ये तो कोई बिलियनेयर लगता है वो भी डॉलर में कमाने वाला..

साची:- हीहीहीही.. मुझे भी पता नहीं, सुबह पूरी डीटेल मिल जाएगी। अब जाने दो और ज्यादा मस्ती नहीं हां..

आरव अपने दोनो कान पकड़ कर सिर को झुका दिया और उसे देखकर साची हंसती हुई अपने परिवार के पास पहुंची।

19 June 2014.. Banglore…

रात के 9 बज रहे थे। अपस्यु और ऐमी अपनी तैयारियों पर एक बार पुनः नजर डालते हुए हर बारीकियों पर अपनी नजर बनाए थे, साथ ही साथ हर संभावनाओं पर अपनी चर्चा कर रहे थे।

अपस्यु:- सो, तैयार हो…

ऐमी:- शुरू से तैयार हूं…

ऐमी फिर वही अपना जैकेट पहनी। अपस्यु भी कोट और टाय के साथ बिल्कुल जेंटलमैन कि तरह तैयार हुआ। एक होटल बॉय को बुलवाकर अपना बड़ा बैग उठवाया। वो बैग कार में रखा और दोनों चल दिए।

वहां से तकरीबन 2 किलोमीटर दूर जाकर कार किसी कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स के पार्किंग में रुकी। आज यहां पर संगीत का कोई क्रयक्रम आयोजित था जहां ऐमी भी गाने वाली थी। दोनों ने अपनी एंट्री दर्ज करवाई और उनके परफॉर्मेंस के वक़्त आने तक दोनों को एक कमरा दे दिया गया ठहरने के लिए।

दोनों जैसे ही उस कमरे में पहुंचे, ऐमी लैपटॉप ऑन करती एक धीमा संगीत शुरू की और उसी के साथ-साथ उसने वहां का सर्विलेंस को हैक कर लिया। हैक होने के बाद दोनों ने जल्दी से अपने ऊपर के कपड़े उतारे, जिसके नीचे दोनों ने काले रंग का बुलेट प्रूफ कपड़ा डाल रखा था।

अपने काम का सरा सामान अपस्यु ने एक छोटे से बैग में पैक किया और अपने कंधे में टांग कर खिड़की से बाहर निकला। छज्जे के ऊपर पाइप से और पाइप के सहारे फिर से छज्जा और ऐसे करते हुए वो उस बिल्डिंग के टॉप पर था।

16 माले की बिल्डिंग के सबसे टॉप पर अपस्यु… फिर अपस्यु ने दौड़ लगाई। 38 की रफ्तार से दौड़ते हुए वो बिल्डिंग से छलांग लगाते उसने तकरीबन 8 फिट की लंबी छलांग लगाई और दूसरी बिल्डिंग के 14th फ्लोर के एक छोटे से छज्जे को अपने हाथ से मजबूती के साथ पकड़ा…

ऐमी अपने लैपटॉप से उसे पूरा एसिस्ट कर रही थी। उस बिल्डिंग के 14th फ्लोर से वो फिरसे ऊपर चढ़ना शुरू किया और चढ़ते चढ़ते वो 20th फ्लोर के ऊपर जाकर एक बार फिर टॉप पर था।

अपस्यु ने वापस से दौर लगाया और एक बिल्डिंग के टॉप से कूद कर दूसरी बिल्डिंग के 2-3 फ्लोर नीचे लैंड करता वो आगे बढ़ता जा रहा था। फाइनली वो आरडी के हेड ऑफिस के ठीक पास वाले बिल्डिंग के टॉप पर खड़ा था… "तुम्हारी बारी अब.. कांउटडाउन शुरू करो"… अपस्यु ने ऐमी को अनुदेश दिया। और दोनों ने 3 की गिनती पर 10 मिनट का कांउटडाउन शुरू किया।

ऐमी भी खिड़की से निकली और हॉल के पीछे अंधेर में गुम होती उसने सड़क पर दौड़ लगा दी। 25 की रफ्तार से वो दौड़ती तकरीबन 200 मीटर की दूरी पर जब थी, अपने बैग को हाथ में ली और हर कदम बढ़ती वो स्मोक बॉम्ब गिराती, वहां कोहरा बनाने लगी.. घड़ी की उल्टी गिनती छटवे मिनट पर और अपस्यु उस बिल्डिंग के टॉप से नीचे आना शुरु कर चुका था।

आरडी हेड ऑफिस के बाहर का गार्ड दूर उठते धुएं को देखकर कंफ्यूज हो गया.. लेकिन इस से पहले की वो स्विच ऑन करता अपस्यु पहले ही नीचे पहुंच चुका था। उसने वहां 6 स्मोक बॉम्ब एक साथ चारो ओर गिराते हुए, अपने कमर में टंगा दोनों रोड निकाल कर तेजी से दौड़ते हुए उस गार्ड के पास पहुंचा।

इससे पहले की वो कोई प्रतिक्रिया देता सिर के नीचे एक रोड और वो वहीं धराशाही हो गया। अपस्यु को पता था ऐमी धुएं के अंदर एक कदम नहीं चल सकती इसलिए वो तय समय के हिसाब से 5 सेकंड रुका और तय जगह पर बिना किसी परेशानी के पहुंच कर उसने ऐमी का हाथ थामा और फिर ऐमी अपस्यु के कदम से कदम मिला कर बस दौड़ने लगी।

उल्टी गिनती बिल्कुल 5 मिनट पर थी। ऐमी अपना लैपटॉप ऑन कर चुकी थी और अपस्यु सभी माइक्रो डिवाइस फैला चुका था। दोनों सामने से ग्राउंड फ्लोर के दरवाजे से अंदर घुसे। 4 हथियारबंद ट्रेंड गार्ड के नजरों के सामने कई सारे लोग नजर आने लगे। चोरों की पूरी टोली जो काले लिबास में सिर से पाऊं तक खुद को ढके हुए थे। एक गार्ड ने तुरंत सिक्योरिटी अलर्ट किया, दूसरे ने पूरे ग्राउंड फ्लोर को सील कर दिया .. बचे दो गार्ड तबतक अपनी गन निकाल कर फायरिंग शुरू करने ही वाले थे…

इधर अंदर आते ही ये दोनों भी अपने काम पर लग चुके थे.. ऐमी तेजी के साथ स्मोक बॉम्ब निकाल कर बिखेरने लगी और अपस्यु अपने आंख पर पट्टी बांध रहा था। … जबतक पहली गोली फायर हुई… इधर ग्राउंड फ्लोर स्टील के दीवार के पीछे सील हो रहा था… और सिक्यूरिटी अलर्ट का सिग्नल भेजा जा रहा था… इतने वक़्त में ऐमी 4 स्मोक बॉम्ब डाल चुकी थी और पहली फायरिंग से पहले अपस्यु अपने आखों पर पट्टियां लगाकर, ऐमी का हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए विस्थापित (displacement) कर तय जगह पर छोड़ चुका था।

ग्राउंड फ्लोर पूरा कोहरे में था। कहीं कुछ दिख नहीं रहा था, बस जलती हुई लाइट के कारण वो जगह उजले धुएं से घिरा हुआ नजर आ रहा था। ऐमी बिना कोई हरकत के अपनी जगह पर लेटकर माइक्रो डिवाइस को कमांड कर रही थी। और इधर अपस्यु हर आहट पर अपना जवाब देते हुए अपने रोड से वार करता जा रहा था।

चारो कुशल प्रशिक्षित गार्ड खुद को उस धुएं के कोहरे में असहाय महसूस कर रहे थे। गोलियां एक दूसरे को लग ना जाए इस वजह से अपने डंडे और चाकू का प्रयोग कर रहे थे और अपस्यु हवा के ध्वनि में आए बदलाव पर प्रतिक्रिया देते हुए हमला करता जा रहा था।

किसी गार्ड को कुछ दिख तो नहीं रहा था, लेकिन उस लोकेशन के चप्पे चप्पे और हर इंच को अपस्यु अपने दिमाग में डाउनलोड कर चुका था। वो अपने हर कदम एक निश्चित दिशा में रखता और वापस अपने जगह पर अाकर फिर से दूसरी दिशा में आगे बढ़ता। अपस्यु के रोड जब उन गार्ड को पड़ते तो बस वहां चिख ही निकाल रही थी।

उल्टी गिनती का वक़्त नीचे आता 210 सेकंड का और वक़्त बचा। "बस 90 सेकंड है तुम्हारे पास, शुरू करो"… अपस्यु ऐमी के बनाए एक डिवाइस को सिक्योरिटी अलर्ट स्विच के पीछे पीन करते हुए कहा।

ऐमी अपने लैपटॉप पर हाथ चलना शुरू की। सभी सिक्योरिटी को भेदकर ऐमी नीचे का रास्ता खोल चुकी था और उन रास्तों से सभी माइक्रो डिवाइस चींटी की कतार में तेजी से नीचे जाने लगे।

उल्टी गिनती 150 सेकंड पर… माइक्रो डिवाइस नीचे जा चुकी थी। और इधर जबतक अपस्यु अपना कुछ बचाव करता, मोटी पीन जैसी छोटी बुलेट, अपस्यु के बुलेट प्रूफ जैकेट को भेदकर उसके सीने में घुस चुकी थी। लगभग 10 फिट की दूरी से चली थी ये बुलेट जो रफ्तार के साथ बुलेट प्रूफ़ जैकेट को भेदने में सफल हो चुकी थी। एक प्रतिबंधित वैपन जिसका स्कोप बॉडी के थर्मल हीट को डिटेक्ट करता है। 20 फिट मोटी दीवार के पीछे का भी जो डिटेक्ट करने की क्षमता रखता हो। स्पेशल ऑपरेशन में इस्तमल किया जाने वाले गन से शूट किया जा रहा था।

अच्छी बात ये थी कि अपस्यु ने खुद को इतनी तेजी से हटाया, की गोली दिल के सही निशाने पर ना लग कर थोड़ी बाएं जाकर घुसी… अपस्यु बचाव के लिए जबतक बेहोश पड़े गार्ड के पास लेटता, उससे पहले ही उसके शरीर को 2 गोली और भेद चुकी थी। दर्द ने उसके गति को धीमा तो किया लेकिन वो दो गार्ड के बीच लेटकर अपने लिए थोड़ा वक़्त लिया। उल्टी गिनती के अब 90 सेकंड ही बचे थे।
Shandaar romanchkari drishyo se puran ek update.
 

Tinkuram

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अत्यंत रोचक, प्यारा और अतुलनीय। जैसा मैंने पहले कहा कि थ्रिल के साथ रोमैन्स और इस विषय पर आपकी कहानी से बार कर फॉरम पर और कोई भी न चल रही है।
 

nain11ster

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सबसे पहले तो नैन भाई बधाई आपको पांच सौ पेज पुरे होने पर......... लेकिन आपके कहानी का प्लाट हजार पेज से भी ऊपर का होना चाहिए ।

आप को एक बार और धन्यवाद कहना चाहता हूं..... कहानी के प्रति आपका समर्पण और लगन......... एक साथ दो दो कहानियां लिखना और हर दो चार दिनों में कंटिन्यू अपडेट करना ।........ और कल तो आपने एक बार में ही चार अपडेट भी दे दिए । आपके मेहनत को मेरा हार्दिक नमन।

अब मैं कुछ कहानी के लिए कहना चाहता हूं..........

अमेरिका में जिंदल फेमिली ने प्राइवेट आर्मी संचालित फर्म को बहुत ही बड़ी कीमत पर हाॅयर किया था । एक बार तो मुझे लगा कि शायद श्रेया और उसकी टीम सार्जेंट जेम्स होप्स के ही प्यादे हों...... लेकिन श्रेया एंड टीम तो यहां महीनों से अपस्यू के पड़ोसी है जबकि शिकागो में कुछेक दिन ही हुए हैं नवीन , कृपाल , मुर्तुजा आदि को मारे हुए ।

इसका मतलब श्रेया एंड कंपनी के साथ कुछ और ही कहानी हो सकती है ?

लेकिन सार्जेंट होप्स कुछ न कुछ तो कर ही रहा होगा । कैसे अपस्यू ने वो हैरतअंगेज कारनामा कर दिखाया ?

सालों पहले एक आश्रम में १६० बच्चों के साथ साथ कई लोगों को जिंदा जला दिया गया...... हत्यारे सौ लोग थे । लेकिन अंततः वहां से पन्द्रह ही हत्यारे सही सलामत बच कर वापस आएं । उन पन्द्रह लोगों ने बाकी के अपने पचासी साथियों को वहीं पर समाधी बनवा दिया........ कैसे ? ....
वैसे तो मुर्तुजा टीम के साथ ही उन सभी पन्द्रह की जीवनलीला समाप्त हो गई ।

एक सवाल और भी है...... जहां पर ये जघन्य कृत्य हुआ था... क्या वो गुरूकुल था ?....
क्योंकि पार्थ , स्वस्तिका , ऐमी , ऐमी की मां और भाई , अपस्यू की मां और भाई आरव...... एक साथ गुरुकुल में ही मिल सकते थे ।

इस कांड में चंद्रभान के अलावा मनीष , राजीव के अलावा भी कुछ लोग शामिल हो सकते हैं । शायद जिंदल के अलावा विक्रम सिंह ?

अपस्यू का बाप चंद्रभान.....जो इस विभत्स कांड का सरगना था.....उसे उस आश्रम से क्या स्वार्थ था ?
प्रकाश जिंदल..... शायद इस पुरे कांड का मास्टरमाइंड होगा ?


अपस्यू की मां के साथ क्या हुआ था ? सुलेखा के साथ दोस्ती थी , ये तो समझ में आया लेकिन उनके बारे में अभी कोई भी जानकारी नहीं है ।

नंदनी राजस्थान के राजपरिवार से है लेकिन उसके चचेरे भाई विक्रम सिंह के कारण उसके पिता कुंवर सिंह को लोग घृणा की दृष्टि से देखते हैं...... विक्रम सिंह ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नंदनी की सारी संपत्ति हड़प ली ।...... कैसे ?
और वहीं पार्थ , वीरभद्र और निम्मी के साथ धमाल मचायेगा ।.... शायद !

कहने को तो बहुत कुछ है... अब पुरा कहानी पढ़ लिया है तो धीरे-धीरे अगले अपडेट में कहता जाऊंगा ।

अपस्यू....आरव....ऐमी.... लावणी....साची....कुंजल..... स्वस्तिका.... पार्थ.... वीरभद्र.... निम्मी.... नंदनी.... एडवोकेट सिन्हा....दीपेश... निर्मल....

प्रकाश जिंदल...मेघा....धृव...हाडविक... विक्रम सिंह... कंवल...लोकेश.... दोनों की पत्नियां... कुसुम....
मनीष... अनुपमा... राजीव... सुलेखा.... नीरज.... कबीर...
श्रेया और कम्पनी....
होम मिनिस्टर...
मेम्बर आफ पार्लियामेंट.... उनकी बेटी....

और चंद्रभान रघुवंशी । ( मुझे लगता है ये शख्स अभी भी जिंदा है )

बहुत सारे कैरेक्टर हैं...... वैसे मुझे ऐमी और अपस्यू ज्यादा पसंद हैं ।

बहुत बहुत ही सुन्दर कहानी और आपके डायलॉग के बारे में तो पहले ही कह चुका हूं...... अद्भुत ।

Sabse pahle to dhanywad ... Yah khas dhanywad aapke sawalon ke liye... Kahani me suspense hai to sawal hote rahne chahiye... Kyonki hum bhi insan hain aur lakh kosis kar len kuch na kuch chhut hi jata hai... Jab kabhi kahani samapt hone ke baad wo sawal achanak se takra gaye tab dhyan aate hai ki ... Ye to rah hi gaya...

Khair main ek ek karke sawal leta hun ..

Sargent hopes ka chepter abhi pura baki hai .. isliye aap iske bare me pure vistar se padhenge... Haan rahi baat apasyu ke uss hairatangej karname ki to wo US se laut'kar hi Aarav aur aimi ke sath discuss hone the.. lekin India me alag hi scene chal rahe the aur Apasyu lagbhah mahine din baad lauta to main aage ke scene me ulajh kar iss ghtna ko bistar karna bhul gaya.. shayad yah sawal nahi dekhta to chhut jata... Main adjust karke uss karname ko vistar roop se batata hun ....


Chandrbhan ke aashrm ka swarth aur Maylo group ka swarth Jk aur Apasyu ki meeting me hai .. jab Apasyu ne Jk ko bhushan Raghuvanshi ki detail di thi... Wahan saf tha ki chandrbhan ki company c&b shak ke dayre me hain... Inhe hawala ke paison ko profit me dikhane ke liye koi strong base chahiye ... Aur isi ke tahat target kiya gaya tha .. Guru Nishi ke aashram aur Maylo group ko...


Aate hain ab sath aaye 85 log kaise mare.. ek preplanned tha... Itne bade hatya kand ko itne logon ke bich sajha nahi rakha ja sakta tha... Kewal head of log bache the... 15 log jo hawala ka kaam karte the .. baki bhare ke log ko 1,2 karke girate chala gaya tha... Iss group se us group ko kaha gaya tha girane .. anth me ek group bacha jise mukhya logon ne gira diya..


Update :-57,58,64,65,66 ... Inme atit ki baat puri tarah se clear hai ... Update 66 me hi clear tha ki 160 logon ke sath hi Sunanda aur Sunita jali thi .. aur jo sabse pahli lash giri thi us bhatti me wo Apasyu ke maa ki hi thi... June ka samay tha ... Aur sab log wahin par the ...


Sinha ji ke baad ke update me dikhaya hai ki wo 2 din ke liye Delhi case ke silsile me aaya tha... Aag lagane ki jimmedari chandrbhan Raghuvanshi ki thi jise apasyu ne khud apne hathon se fasi di thi... To uske jinda hone ka to sawal hi nahi hota hai..


Sulekha aur Apasyu ki maa Sunanda ka ek chhota sa chepter baki hai .. so uski gahraiyon me nahi jate hai..


Pahle aate hain uss aag lagane ke waqt kaun kaun tha aur kaun kaun nahi ... To yah tay kar pana muskil tha ki wahan par kaun kaun tha.. ek gurukul jahan diye ki raushni ho aur aag ki jaltii lau par chehra dekha jaye to kah nahi sakte kaun kaun hoga... Haan ye sawal hai ki fir apasyu aur uski team ko kaise pata chala .. soo ek inki kadi jo tha Rajeev aur Manish.. se investigation shuru hui thi... Aur sab kuch clear hote hote lagbhag 5 sal lag gaye.. usi ke baad in logon ne yojna banana shuru kiya..


Sampatti hadap nahi li hai.. haan lekin indirectly uska istamal kar rahe hain Vikram singh .. baki is chepter ki ore to badh rahe hi hain .. to wahin baki barikiyon ko samjh lenge ..

Ummid hai maine aap ke sare sawal le liye hain .. baki yadi aur koi sawal ho to awashya puche .. dhanywad
 

Naina

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बहुत सारे कैरेक्टर हैं...... वैसे मुझे ऐमी और अपस्यू ज्यादा पसंद हैं ।
nahiii :faint: :fainted: :cry:
nain11ster ji yeh kya ho raha :dwarf:
 
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Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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सुबह के 7.30 बज रहे थे। फ्लैट की बेल जोड़ों से बज रही थी। अपस्यु ने जैसे ही दरवाजा खोला, एसपी के साथ पुलिस की पूरी टीम दरवाजे पर खड़ी थी। अपस्यु पुरा दरवाजा खोलते हुए… "सॉरी मै वो सो रहा था सर, आइये ना अंदर।"


अपस्यु सबको हॉल में बिठाकर, ऐमी को जगा दिया और वापस से उनके बीच चला आया। अपस्यु के आते ही एसपी ने सीधे सवाल करने शुरू कर दिए, मामला था इस अपार्टमेंट में हुए कल रात की वारदात और उसी वारदात का एक लिंक जगदीश राय के घर तक जाता था, क्योंकि चोरी कि गई कार इसी अपार्टमेंट के बाहर से उठाई गई थी और शक था कि जिसने यहां कत्ल किए है वही जगदीश राय के यहां भी गया होगा।


अपस्यु। के चेहरे पर घोर आश्चर्य के भाव थे और वह जिज्ञासावश पूछने लगा कि कल इस अपार्टमेंट में हुआ क्या था, क्योंकि कल शाम शॉपिंग मॉल की घटना से बाद उसकी अभी आंख खुल रही है।


एसपी ने मामले का संज्ञान लेते हुए अपस्यु से उसके साथ हुई कल शाम की घटना के बारे में पूछने लगा। बेहोश होने के पहले तक का अपस्यु ने बता दिया और उसके बाद सीधा उसकी आंख यही खुली।


इतने में ऐमी सबके लिए चाय ले आयी और सबको चाय देने के बाद आगे की घटना का जिक्र करती हुई पूरी बात बताई। कैसे फिर वहां पार्किंग में अजिंक्य और उनके थाने के लोग पहुंचे, सभी हमलावरों को अरेस्ट करने के बाद फिर वहां से अपस्यु को हॉस्पिटल लेकर गए। वहां डॉक्टर ने बताया की घबराने वाली बात नहीं है, बस बेहोश किया गया है, उसी के साथ अजिंक्य सर ने डॉक्टर से अकेले में कुछ बात की और डॉक्टर ने मुझे कुछ दवा लिखकर दी।


अजिंक्य सर खुद यहां आए थे। उनके हवलदार की मदद से हमने अपस्यु को लिटाया और फिर मुझे वो दावा खिलाकर यहां से चले गए। उसके कुछ देर बाद नींद आ गई और अभी जाग रही हूं। एसपी पुरा मामला सुनने के बाद क्रॉस चेक किया और अजिंक्य से पूरे मामले की जानकारी लेकर वहां से चलते बाना।


उनसब के जाते ही अपस्यु ने दरवाजा बंद किया और किचेन में पहुंचकर, ऐमी के कमर में हाथ डालकर उसके गले को चूमने लगा… ऐमी गहरी श्वांस लेती अपने हाथ को किचेन स्लैब से टिका दी और अपनी आखें मूंद ली।


अपस्यु गले को चूमते हुए अपने हाथ धीमे से खिसकाते हुए लोअर के अंदर ले जाने लगा… "अम्मम ! बेबी अभी रुक जाओ ना प्लीज, काम बहुत परे है। खत्म तो कर लेने दो।"….. गले पर हल्के दातों का निशान देते हुए अपस्यु हाथ को धीमे से पैंटी के अंदर खिसकाते उसे चूमने लगा।


श्वांस दोनो की ही चढ़ आयी थी, तभी अपस्यु के फोन की घंटी बज गई। एक पूरी रिंग होकर कट गई लेकिन अपस्यु ने ध्यान नहीं दिया। वो धीरे-धीरे अपने हाथ चलाते, ऐमी की उत्तेजना को बढ़ाने में लगा था। तभी फिर से दोबारा रिंग होना शुरू हुआ।


ऐमी, अपस्यु को धक्का देकर दूर की…. "हद है फोन बज रहा है अपस्यु, उठाओ उसे पहले।"… अपस्यु गुस्से में फोन को घूरा और फोन उठाकर हॉल में चला आया…. "हां बोल भाई"..


आरव:- कहां था, पूरी घंटी हुई फिर भी कॉल नहीं उठाया।


अपस्यु:- कुछ काम कर रहा था। तू सुना कैसी चल रही है छुट्टियां।


आरव:- अरे यार तेरा कल रात का शो हमदोनो ने देखा, अब मैडम को भी इक्छा हो रही है, वैसे ही एक इजहार की।


अपस्यु:- हाहाहाहा.... प्यारी सी ख्वाइश है कर दे पूरी, इसमें इतना सोच क्यों रहा है। वो छोड़ तू आराम से रह और चिंता ना कर, समझा।


आरव:- कामिना, अब कौन मन की भाषा पढ़ रहा?


अपस्यु:- जुड़वा तो मरने के बाद भी जुड़वा होते है, फिर तू सोच कैसे लिया कि तेरी बात मै ना समझूं या तू मेरी ना समझेगा।


आरव:- हम्मम ! सो तो है, बस मन ना लग रहा तुम लोगों के बिना। तू और ऐमी यहां होते तो बात ही कुछ और होती।


अपस्यु:- अभी लावणी को समय दे समझा, और ज्यादा बहस नहीं।


आरव:- ठीक है गुरुजी समझ गया। चल मै फोन रखता हूं।


अपस्यु ने सोचा, "ये फोन बार-बार तंग ना करे इसलिए खुद ही सबको फोन लगा दूं"। अपस्यु ने फिर एक तरफ से सबको कॉल लगाना शुरू कर दिया। जब वो कुंजल को कॉल लगाया तब उसका फोन व्यस्त आ रहा था। अपस्यु किचेन में झांककर देखा तो ऐमी फोन पर लगी थी, वह समझ गया दोनो लगे हैं, इसलिए उससे छोड़ बाकी सबसे बात कर लिया।


कुछ देर बाद उखड़ा सा चेहरा बनाती ऐमी हॉल में आयी और टेढ़े मुंह अपस्यु को फोन देती कहने लगी… "कुंजल है लाइन पर बात कर लो"..


अपस्यु इशारों में अपने दोनो कान पकड़ते सॉरी कहने लगा… ऐमी फोन उसके पास रखकर रूम में चली गई। जबतक अपस्यु कुंजल से बात करता, ऐमी नहाकर, तैयार होकर कमरे से बाहर निकली। ऐमी को देखकर ही समझ में आ गया, आज इसका पारा फिर चढ़ा…. "कहीं बाहर जा रहे है क्या बेबी।".. अपस्यु ऐमी का हाथ पकड़ कर खींचते हुए बाहों में लेकर पूछने लगा।


ऐमी:- खाना ऑर्डर कर दिया है, 12.30 बजे तक आ जाएगा। मै घर का रही हूं।


अपस्यु, ऐमी के कानो के नीचे से बाल को किनारे करते चूमते हुए कहने लगा… "सॉरी बाबा, वो कॉल आ गया था।"


ऐमी:- कोई बात नहीं है अपस्यु, मै जा रहीं हूं तुम खाना खा लेना।


अपस्यु, ऐमी से अलग होकर उसको अपनी ओर घुमाया, और अपने दोनो कान पकड़ कर कहने लगा…. "गलती हो गई बाबा, मुझे मान जाना चाहिए था। तुम जब कही तब हट जाना चाहिए था। अब माफ भी करो और गुस्सा शांत करो।"


ऐमी, अपनी आखें शुकुड़ती…. "अगली बार ऐसे जिद तो नहीं करोगे ना, और कहूंगी अभी नहीं, तो मान जाओगे ना।"..


अपस्यु:- हां बाबा सच में। चलो अब गुस्सा छोड़ो और आराम से बैठ जाओ। आज मै तुम्हे अपने हाथों का बना खिलाऊंगा…


ऐमी:- येस ! यह अच्छा विचार है। वो चीज वाली आलू दम जो तुमने मियामी में खिलाई थी, वहीं बनाओ।


अपस्यु:- ठीक है फिर वो रेस्ट्रो के खाने का आर्डर कैंसल कर दो, और जबतक तुम बाजार से चीज ले आओ, मै बाकी का काम करके रखता हूं।


ऐमी:- प्रदीप को भेज दो ना, अब क्या बाजार भी मै ही जाऊं…


अपस्यु:- नाह ! उन गावरों को रहने दो, मुझे और भी कुछ याद आ गया है, मै खुद बाजार जाता हूं, जबतक तुम आलू छिलकर रखना और 8-10 प्याज काट लेना।


ऐमी:- जी सर जैसा आप कहें।


अपस्यु, ऐमी को काम समझकर निकल गया, वो जबतक किचेन में अपना काम समाप्त करती तबतक अपस्यु भी बाजार से लौट आया था। अपस्यु जब लौटकर आया, ऐमी किचेन में ही थी। अपस्यु किचेन में जाकर सारा समान रख दिया और पीछे से ऐमी को गले लगाते, उसके गाल को चूमते हुए…. "चलो अब तुम जाओ मैं सब रेडी करता हूं।


ऐमी मुस्कुराती वहीं किचेन स्लैब पर बैठती हुई कहने लगी…. "नाह ! तुम पकाओ और मै तुम्हे देखती रहूंगी।…


लगभग 8.30 से 10 बजने को आए थे। श्रेया और उसकी पूरी टीम उन दोनो पर नजर बनाए-बनाए पक से गए थे। रात को इतने बड़े काम की अंजाम देने के बाद भी सुबह उठकर एक शब्द की भी चर्चा नहीं। ना ही पुलिस उनके दरवाजे पर थी तो उनके हाव-भाव में कोई बदलाव।


सब के सब अपना सर पटक रहे थे और दोनो के बीच का रोमांस देखकर बस यही सोच रहे थे… "पागल है क्या दोनो, पूरी दिल्ली में पुलिस प्रशासन हिली हुई है। पूरा अपार्टमेंट पागल बना हुआ है, और इन्हे कोई फर्क ही नहीं पर रहा। आपस में ही लगे है।"


सादिक, श्रेया का साथी और जेन के भाई का किरदार निभाने वाले… "यार या तो ये बहुत ज्यादा होशियार है या लापरवाह। इतने बड़े कांड के बाद कुछ तो चर्चा होती ना।"


श्रेया:- यह भी तो हो सकता है कि उनके अनुसार उन लोगों ने पुरा मैटर रात को हो सॉल्व कर लिया हो, इसलिए कल के इजहार के बाद दोनो बस आपस में ही लगे है।


जेन:- हां लेकिन अब हम क्या करें, उनका रोमांस देखकर तो मुझे अंदर से कुछ रोमांटिक और कुछ एग्जॉटिक सी फीलिंग आने लगी है।


सादिक:- मेरा भी वही हाल है।


श्रेया:- हम्मम ! कहीं ऐसा तो नहीं कि इसने मुझे कल रात जित्तू के पास देख लिया था और शक हो की हम उसके घर में घुसपैठ करके उनपर नजर बनाए हुए हूं।


जेन:- प्वाइंट में दम तो है, लेकिन उनके प्रतिक्रिया इतने नेचुरल है कि कुछ समझ पाना नामुमकिन है। वैसे जिस हिसाब से दोनो के बीच का प्यार और रोमांस है, उसे देखकर तो यही लगता है कि, अगर वो तुम्हे कल सबके साथ देख लेता तो वहां 5 की जगह 6 लाश होती।


श्रेया:- हम्मम ! ठीक है, कुछ देर और वॉच पर रहो, मै कुछ सोचती हूं।


इधर ऐमी किचेन स्लैब पर बैठी अपस्यु को प्यार से खाना बनाते हुए देख रही थी। अपस्यु बड़े ही प्रेम से और पुरा ध्यान खाना पकाने पर दिए हुए था… "कुछ बोलो भी ऐमी, पास हो और इतनी ख़ामोश।"..


ऐमी:- नाह तुम्हे देखने का मज़ा ही कुछ और है। अपनी ये शर्ट क्यों नहीं उतार देते। जरा नजर भर तुम्हारे दिलकश बदन को देख लूं।


अपस्यु अपनी नजर ऐमी पर दिया, आंखों में शरारत और होटों पर कातिलाना हंसी… अपस्यु अपने होंठ आगे बढ़ाकर ऐमी के होठों को चूमते… "अब कौन रिझा रहा है।"..


ऐमी:- हीहीहीही… पहले शर्ट उतारो फिर बताती हूं।


अपस्यु:- तुम खाली बैठी हो, इतनी मेहनत तो तुम भी कर सकती हो।


ऐमी:- नाना, आज मै आलसी हूं, सब तुम्हे ही करना होगा…


"उफ्फ ! मार ही डाला।"… अपस्यु आंख मरते हुए अपनी शर्ट उतार लिया और उसे लपेटकर ऐमी के मुंह पर फेंक दिया। ऐमी, अपस्यु की इस हरकत पर हंसती हुई कहने लगी… "नजर ना लगे, इन्ना सोना। चलो अब अपने पैंट उतारो।"


अपस्यु, आश्चर्य में अपनी आखें बड़ी किए….. "क्या?"


ऐमी:- हीहीहीही.. पैंट उतारो।


अपस्यु:- हट पागल, मै कहता हूं तुम अपने ये जीन्स उतारो।


"पहले ही कहीं मै आज आलसी हूं, बाकी तुम्हारी मर्जी है, मुझे कोई ऐतराज नहीं।"… ऐमी हंसती हुई आंख मारते कहने लगी…


अपस्यु, हंसते हुए अपना सर झुका लिया और अपना काम करने लगा।… "बेबी, शर्ट की तरह पैंट भी फेको ना। प्लीज।"..


"आज पागल हो गई हो तुम।" .. अजीब शर्म सी हंसी हंसते हुए अपस्यु ने अपने पैंट उतरकर भी ऐमी के मुंह पर मरा। … "भिंगे होंठ तेरे, प्यासा दिल मेरा… मेरे इमरान हाशमी, अंदर तो काफी सेक्सी बॉक्सर पहन रखी है, कहीं और परफॉरमेंस तो नहीं देने वाले थे।"..


अपस्यु:- बस भी करो, अब खुश तो हो ना..


ऐमी:- नाह ! वो आखरी वस्त्र, बॉक्सर भी उतार कर दो।


अपस्यु:- पागल, सुंबह-सुबह कोई पोर्न तो नहीं देख ली।


ऐमी:- आय हाय लड़का तो शर्मा गया। अच्छा तुम्हारी लाज्जा को देखते हुए छोड़ती हूं। जाओ नहा लो, सब तो लगभग पक गया है।


अपस्यु:- बस 5 मिनट का रह गया है, जबतक ये पकता है, तबतक मैं तुम्हे भी निर्वस्त्र कर दूं।


ऐमी फाटक से किचेन स्लैब से नीचे उतरती…. "अभी कुछ देर पहले ही ना कान पकड़ कर बोल रहे थे, मै मना कर दूंगी तो मना हो जाओगे। तो चलो अब मना हो जाओ।"


अपस्यु खा जाने वाली नज़रों से घूरा .. "बहुत शरारत सूझ रही है मिस ऐमी, अभी बताता हूं तुम्हे।"… अपस्यु दौड़ा, ऐमी भागी.. भागते दौड़ते, सामान गिराते पीछा चालू था। ऐमी की खिल खिलहट पूरे घर में गूंज रही थी और अपस्यु उसके पीछे दौड़कर पकड़ने कि कोशिश में लगा था….


अंततः अपस्यु ऐमी को पकड़कर कमर से उठाया और तेजी से गोल घूमते हुए उसके कान के नीचे गले पर अपने दांत जोड़ से गड़ाते हुए कहने लगा… "मेरे तो सीधे-सीधे इमोशंस थे, लेकिन ये सुबह से जो तुम मुझे परेशान कर रही हो ना, अभी बताता हूं।"..


एमी:- क्या करोगे नहीं मानूंगी तो, रेप ही करोगे ना, और क्या.. हीहीहीही।


अपस्यु, ऐमी को उठाकर डायनिंग टेबल पर बिठाते हुए… "तुमने वो सुना है"..

ऐमी:- क्या ?


अपस्यु:- बोंडेज एंड डिसिप्लिन (Bondage and Discipline), डमिनेंस एंड सबमिशन (Dominance and Submission) सदोचिज्म एंड मसोचिज्म (Sadochism and Masochism).


ऐमी, अपनी दोनो आखें फाड़े अपस्यु को देखती हुई… "क्या बीडीएसएम (BDSM)"


अपस्यु:- येस । बिल्कुल यही, सही सुन रही हो।


ऐमी, अपस्यु के बालों पर प्यार से हांथ फेरती…. "बेबी ऐसा ना करो ना, प्लीज। एक बार और सोच लो ना बेबी। मूड तो मेरा भी बहुत हो रहा है, लेकिन ये…."

अपस्यु:- ई.. हा.. हा.. हा… अब तो यही फाइनल है।


ऐमी:- ठीक है फिर हंटर खाने तैयार रहना, मेरी तैयारी पूरी है। सबमिसिव और डिसिपिलन बनकर रहना।


इधर श्रेया के घर में….. चल रहे रोमांस को देखकर सभी पागल हुए जा रहे थे। जेन तो पानी-पीते और बाथरूम जाते-जाते परेशान थी, वही हाल बाकियों का भी था। श्रेया से जब रहा नहीं गया तब वो कहने लगी…. "ये तो अपनी रास लीला में लगता है लीन रहेंगे और कुछ बात करने वाले नहीं। इनके रंग में भंग मै ही डालती हूं। जाती हूं अभी दोनो के पास।"
Awesome fantastic update bhai
Apasyu aur Ami ke rang me bhang dalne keliye shreya aarahi hai super
 

Nevil singh

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अपस्यु बचाव के लिए जबतक बेहोश पड़े गार्ड के पास लेटता, उससे पहले ही उसके शरीर को 2 गोली और भेद चुकी थी। दर्द ने उसके गति को धीमा तो किया लेकिन वो दो गार्ड के बीच लेटकर अपने लिए थोड़ा वक़्त निकला। उल्टी गिनती के अब 90 सेकंड ही बचे थे।

सभी माइक्रो डिवाइस नीचे खुले रास्ते में जरिए नीचे पहुंच चुके थे। एक बड़ा सा वाल्ट था, जिसके ऊपर एक रेटीना स्कैनेर लगा हुआ था। सारे माइक्रो डिवाइस, उस स्कैनर के ऊपर आकर उसे पूरा कवर कर चुके थे। उसके कोने से वो जगह बनाते धीरे-धीरे अन्दर घुसते चले गए। स्कैनर में लगे वायर के रास्ते वो सारे डिवाइस वाल्ट के अंदर तक पहुंच चुके थे। वहां जितनी भी फाइल रखी थी लगभग सभी फाइल्स में घुसकर अंदर हर पन्ने को पूरा स्कैन होने लगा।

ऐमी वक़्त पर काम ख़त्म करके सभी डिवाइस को वापस आने का कमांड दे चुकी थी और इस बीच अपस्यु भी बेहोश गार्ड के बीच आकर लेट चुका था। अपस्यु को इस बात का इल्म था कि जो भी फायरिंग कर रहा है वो लेटे हुए पर इसलिए गोली नहीं चला सकता क्योंकि वो उसी के साथी होंगे।

अपस्यु जैसे ही लेटा, उसकी तेज चलती सासों के साथ आ रही दर्द कि हल्की आवाज ऐमी साफ सुन पा रही थी। "वहां क्या हो रहा है.. तुम सुरक्षित तो हो अल्फा (अपस्यु)"…. "लेटे रहना बीटा (ऐमी).. क्या तुम 6 फिट ऊंचा आग जला सकते हो बीटा"…. "कितने सेकंड का विंडो चाहिए"… "3 सेकंड का विंडो चाहिए…. 30⁰ पुरव 1 मीटर के रेडियस में आग चाहिए।"

10 सेकंड का वक़्त लेती हुई ऐमी ने जवाब दिया… "मै तैयार हूं अल्फा"…. "मेरे 3 की गिनती पर तैयार हो जाना एक बार फिर कदम मिला कर भागने के लिए बीटा"… "मै तैयार हूं।"…

3 की गिनती के साथ ही ऐमी कमांड देकर दौड़ने के लिए तैयार थी। ऐमी के कमांड देते ही सभी माइक्रो डिवाइस 1 मीटर के रेडियस का सर्किल बनाते हुए, वहां 10 फिट ऊंचा धमाका हुआ। अचानक से तेज लपटें उठीं, और अपस्यु ऐमी का हाथ पकड़ कर तुरंत ग्राउंड फ्लोर के बाहर आया।

इधर आग जलने के कारण थर्मल डिवाइस बॉडी स्कैन तो नहीं कर पा रही थी लेकिन हवा में लगातार गोलियां फायर हो रही थी। बाहर निकलते ही ऐमी ने सिक्योरिटी अलर्ट के पास लगी डिवाइस में एक छोटा सा धमाका की और देखते ही देखते फिर से वो ग्राउंड फ्लोर स्टील के मजबूत दीवारों से ढक चुकी थी।

उल्टी गिनती के 30 सेकंड बचे थे। बाहर घुएं का कोहरा छटने लगा था, पुलिस के सायरन की आवाज़ दोनों को सुनाई भी देने लगी। अपस्यु ने फिर से बाहर स्मोक का कोहरा बना दिया और ऐमी ने लैपटॉप बैग में डाला। दोनों वापसी के लिए तैयार थे।

दौड़ते हुए दोनों ने तकरीबन 100 मीटर की दूरी तक पूरा कोहरा की चादर बिछाते हुए आगे बढ़े और अपने तय समय से 1 मिनट की देर से 10.21 मिनट पर वापस कमरे के पीछे पहुंच चुके थे।

ऐमी खिड़की से अंदर गई और पीछे से अपस्यु पहुंचा… दोनों बिना कोई देर किए अपने बुलेट प्रूफ जैकेट को निकालाना शुरू कर चुके थे। ऐमी जबकि अपने ऊपर कपड़े डाल रही थी और अपस्यु अपने चोट खाई जगह को कॉटन से दबा कर खून को नीचे गिरने से रोक रहा था।

"ऐमी, क्या तुम जल्दी से इनपर पट्टियां बांध कर मास्क करोगी।" ऐमी पीछे पलटकर, जब अपस्यु के खुले बदन पर बहते खून को कॉटन से साफ करती देखी, तो वो हताश हो गई…. "अपस्यु तुम्हे ट्रीटमेंट की जरूरत है। अभी हॉस्पिटल चलो।"

अपस्यु:- हां मै जानता हूं मुझे ट्रीटमेंट की जरूरत है लेकिन अभी नहीं। पट्टियां लगाओ और उपर बॉडी को मास्क करो। भूल गई पुलिस पहले अपने पास ही आएगी पूछताछ के लिए।

ऐमी:- लेकिन तुम्हे बुलेट लगी है, आम जख्म नहीं है।

अपस्यु:- जानता हूं। मै वो सेल रिकवर थेरेपी लेता हूं, कुछ वक़्त का सपोर्ट मिल जाएगा जबतक तुम स्वस्तिका से बात करके देखो यदि वो बंगलौर आ सके तो।

ऐमी की घबराहट और बेचैनी दोनों अपने सबब पर थी। वो टाइट पट्टी लगा कर अपस्यु के बदन के उपरी हिस्से में स्किन की बनी एक सूट डाली जों देखने में बिल्कुल असली और उसको ऊपर से काटने पर खून भी निकलता था।

ऐमी उसके उपर की बॉडी मास्क करके, वहां के फ्लोर पर टपके खून पर किसी तरह का केमिकल डालकर, तेजी के साथ साफ की। दोनों के बुलेट प्रूफ जैकेट और अन्य संदेह जनक सामान को लेकर एक बार फिर से खिड़की से बाहर गई और छिपाने के तय स्थान पर उनको छिपा कर वापस आयी।

अपस्यु लेटा हुआ था, ऐमी ने वापस अाकर सबसे पहले बचा काम खत्म की। अपने लैपटॉप से सारे स्कैन फाइल को एक साथ डिलीट मारी और सारे हैकिंग सॉफ्टवेर को वो अपने लैपटॉप से गायब कर दी। काम खत्म करने के बाद वो अपस्यु के सिरहाने बैठी और उसके बालों मै हाथ फेरती उसे देखने लगी…. "11.10 में मुंबई से स्वस्तिका की फ्लाइट है। लगभग 1 बजे तक वो हमारे साथ होगी।"….

अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है। वैसे तुम इतनी मायूस होकर मुझे क्यों देख रही हो?

ऐमी के आंसू टपक कर अपस्यु के चेहरे के ऊपर गिरी। ऐमी अपने आशु पोंछती कहने लगी… "पहली बार तुम्हारे चेहरे पर मै दर्द को देख रही हूं। तुमसे ये दर्द नहीं छिप रहा अपस्यु।

अपस्यु:- हां जानता हूं, मुझे शवंस लेने ने भी बहुत तकलीफ़ हो रही है। क्या तुम कहीं से कोकीन ला सकती हो क्या?

ऐमी हड़बड़ी में वहां से निकली और कार स्टार्ट करके पास में ही किसी डिस्को का पता लगाकर वहां पहुंची। नजरे अब बस उसकी ढूंढ़ने लगीं… ज्यादा वक़्त नहीं लगा, उसे एक ड्रग बेचने वाला मिल गया।

ऐमी जल्दी से उसके पास पहुंची और हड़बड़ी में पैसे निकालकर उससे कोकीन मांगने लगी। उस ड्रग डीलर ने पहले उसे ऊपर से नीचे तक देखा और देखकर मना कर दिया। ऐमी उससे मिन्नतें करने लगी… "प्लीज दे दो।" लेकिन वो ड्रग डीलर ऐमी को सुनने के लिए तैयार ही नहीं हो रहा था।

ऐमी परेशान होने लगी लेकिन वो अपनी जिद पर अड़ा रहा। ऐमी अपने बैग से 1लाख की पूरी गद्दी टेबल पर पटककर कहने लगी….. "या तो अभी मेरी चीज दे दो। और कहीं तुम्हे ऐसा लगता हो की मै कोई खबरी हूं तो तुम इस वक़्त तो गलत हो, लेकिन मेरे पास इतना पैसा है कि मै देखूंगी तुम कभी जेल से बाहर ना आने पाओ।"..

उसके ड्रग डीलर के साथ एक और डीलर था, वो पैसे उठाकर कहने लगा…. "इतने से नहीं होगा और पैसे चाहिए, और हां तेरे पास कितने भी पैसे हो, हमारे बैकग्राउंड के आगे सब मूत देंगे।"

ऐमी ने अपना बैग देखा उसने पैसे नहीं थे, फिर वो अपनी डायमंड इयर रिंग उतार कर देती हुई कहने लगी…. "12 लाख की कीमत का है… अब दोगे या मै कहीं और जाऊं।"

दोनों ड्रग डीलर जोड़-जोड़ से हंसते हुए, ऐमी को कोकीन कि एक छोटी सी पुड़िया थामा कर, उसके पीछे हाथ फेरते हुए कहने लगा…. "हम तुझे यहीं मिल जाएंगे, दोबारा जब जरूरत हो तो फिर आना।"

ऐमी वो पुड़िया उठकर वहां से जाते-जाते बोली…. "फ़िक्र मत करो मै वापस जरूर आऊंगी, ये वादा रहा।"…

ऐमी जबतक वापस पहुंची 11.30 बजने ही वाला था। वो जैसे ही कमरे के पास पहुंची, 2 स्टाफ वहां पहले से खड़े थे…. "मैडम आप कहां चली गई थी, आप का इंतजार हो रहा है बैंक स्टेज पर, 11.30 बजे से आप का शो है।

ऐमी:- प्लीज मुझे माफ़ कीजियेगा। आप लोग बढ़िये मै आयी...

स्टाफ:- मैम इट्स ओके, हम यहां इंतजार कर रहे है।

ऐमी झटपट में अंदर गई और अपस्यु को एक नजर देखने लगी। उसका बदन पूरा जल रहा था, उसकी आखें बिल्कुल लाल हो चुकी थी, लेकिन इतना होने के बाद भी वो अपनी आखें खोले हुए था।…. "ऐमी वो दो और जाओ, मैं भी आया तुम्हारे पीछे।"

उसकी हालत देखकर वो अपने आंसू छिपाती, वहां से निकल गई। अपस्यु किसी तरह उठकर टेबल पर ड्रग फैलाया और अपने नाक से उसे खींचने लगा। ऐमी के द्वारा लाए हुए कोकीन को वो पूरा इस्तमाल करने के बाद कुछ देर के लिए बैठा और फिर लड़खड़ाते किसी तरह खड़ा हुआ।

खड़ा होकर सिर को वो 2 बार झटका। बैग के अंदर से 2 सीरप की बॉटल निकला। इनमे सेल रिकवर और डेवलपमेंट वाली वहीं द्रव्य था जो आईवी सेट के जरिए अपस्यु ने अपने एक्सिडेंट के वक़्त इस्तमाल किया था। दोनों सीरप को पीने के बाद वो कुछ देर और वहीं बैठा.. फिर खुद को सामान्य की स्तिथि में दिखाते हुए वो प्रोग्राम हॉल में पहुंचा।

बिल्कुल खामोश, बिल्कुल शांत जैसे सब अपनी धड़कने रोके ऐमी के दर्द को सुन रहे थे… फिर उस खामोशी में दर्द के साथ वो आवाज़ आयी... "सुन रहा है ना तू, रो रही हूँ मैं सुन रहा है ना तू, क्यूँ रो रही हूँ मैं… सुन रहा है ना तू, क्यूँ रो रही हूँ मैं.. यारा"…

ऐमी का गाना जैसे ही समाप्त हुआ, लोग खड़े होकर तालियां बजाने लगे। अपस्यु को ऐमी का हाल-ए-दिल पता था, इसलिए वह बैंक स्टेज पर पहुंचा। जब वो पहुंचा तब ऐमी उसे देख कर दौड़कर उसके पास पहुंची और उसके गले लगकर खुद को शांत करने लगी।

अपस्यु उसे खुद से अलग करता हुआ, उसके चेहरे को साफ किया… "आय मिस अवनी, रोते नहीं है।"

ऐमी:- मै कहां रो रही हूं, बस तुम्हारी हीरोगिरी रुला रही है।
अपस्यु:- शांत बच्चा शांत। चलो यहां से चलते है।

दोनों बैंक स्टेज से निकलकर वापस आ ही रहे होते है कि पुलिस की एक टुकड़ी उन्हें ढूंढते हुए वहां पहुंचती हैं। प्रोग्राम ऑर्गनाइजर उन्हें ऐमी और अपस्यु के पास लेकर पहुंच ही रहे होते और सभी रास्ते में ही टकराते है…

ऑर्गनाइजर:- यहीं है दोनों, जिन्हे आप ढूंढ़ रहे है।
पुलिस:- आप मिस्टर अपस्यु और मिस ऐमी है।
अपस्यु:- क्या हुआ सर, कोई बात हुई है क्या?

पुलिस:- हमे प्लीज कोऑपरेट कीजिए। जितना पूछा जाए उतना ही जवाब दीजिए।

अपस्यु:- सॉरी सर.. हां मै अपस्यु हूं और ये ऐमी।

पुलिस:- आप दोनों अपनी-अपनी आईडी दिखाइए।

दोनों अपनी आईडी पुलिस वाले को दिखाने लगे। आईडी देखने के बाद पुलिसवाला पूछने लगा…. "आप दोनों 10.00 बजे कहां थे।

ऐमी:- मेरा प्रोग्राम था इसलिए हम दोनों यहीं थे।

क्रॉस चेक करने के लिए पुलिस वालों ने पूरा सीसी टीवी फुटेज देखा उनके कमरे की तलाशी ली। बैग लैपटॉप सरा सामान उन लोगों ने चेक कर लिया… जब वो चेक करके अपस्यु से कुछ पूछने लगे तभी ऐमी बीच में ही पूछने लगी…

"सर आधे घंटे से आप हमसे पूछताछ कर रहे है, अब बताइएगा हुआ क्या है।"… ऐमी थोड़ा तेवर दिखाती हुई पूछने लगी..

"मिस कहा ना आप हमे कोऑपरेट कीजिए.. आप बिल्कुल शांत खड़े रहीए।".. पुलिसवाला उसे घूरते हुए कहने लगा… ऐमी ने भी बिना देर लिए सिन्हा जी को फोन लगा दी… "पापा देखो ना यहां पुलिस वाला अाधे घंटे से हमे परेशान कर रहा है और कुछ बता भी नहीं रहा कि क्यों हमसे पूछताछ कर रहा है।"…

ऐमी अपनी बात समाप्त करके फोन स्पीकर पर डाली…. "हेल्लो तुम किस केस में मेरी बच्ची से इंक्वायरी कर रहे हो।"…

पुलिस:- देखिए यहां एक रॉबरी हुई है उसी के सिलसिले में पूछताछ चल रही है। आप प्लीज हमे हमारा काम करने दीजिए।

सिन्हा जी:- ऐमी बेटा, वो उनकी छोटी सी इंक्वायरी चल रही है, और कोई परेशानी नहीं है। हां अगर ऐसा लगे कि जानबुझ कर परेशान किया जा रहा है फिर फोन करना।

सिन्हा जी ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और पुलिस वाला ऐमी से पूछने लगा… "आप के पापा क्या करते हैं।"

ऐमी:- सुप्रीम कोर्ट में वकील है, एडवोकेट अनिरुद्ध सिन्हा..

पुलिस:- क्या !! आप वो मशहूर वकील एडवोकेट सिन्हा की बेटी है।

ऐमी:- जी हां सर। वैसे आप को तसल्ली हो गई या और कुछ पूछना है। मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि कोई रॉबरी हुई है तो आप क्रिमिनल को पकड़ने के बदले यहां पूछताछ करने क्यों आ गए?

पुलिस:- हमारा काम है हर संभावना को देखना। कल रात ओवर स्पीड ड्राइविंग तुम लोग ही कर रहे थे ना, और किसी कार का एक्सिडेंट भी हुआ था तुमसे रेस करने के चक्कर में।

ऐमी:- वो ! अच्छा हुआ ऐक्सिडेंट हो गया उनका सर। आप जानते भी है कल क्या हुआ था हमारे साथ।

पुलिस:- हां मै सब जानता हूं। खैर मै चलता हूं, थैंक्स फॉर कोऑपरेशन। और हां अपने दोस्त को बोलो थोड़ा नशा कम करे।

ऐमी हंसती हुई उसके बात का अभिवादन की और उसके जाते ही वो अपस्यु को देखने लगी। ऐमी अपने साथ ऑर्गनाइजर के एक स्टाफ को लेकर वहां का सरा सामान पैक करवाई और अपस्यु को लेकर पार्किंग तक पहुंची।

रास्ते में ऐमी, अपस्यु से बात करती रही लेकिन अपस्यु हिम्मत अब टूट चुकी थी। वो बेहोश सा होने लगा था, फिर भी वो किसी तरह खुद को खींचते हुए पार्किंग तक पहुंचा। लेकिन ज्यों ही वो कार में बैठा, उसके मुंह से खून की उल्टियां होने लगी और वो बेहोश होकर वहीं सीट पर गिर गया।
JABARDAST UPDATE BANDHU.
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Nowadays, seeing romantic scene, my heartbeat also intensifies. :love: Well, rage and persuade, There is joy in it. :approve: On one hand Apasyu and Amy are enjoying a moment of happiness, on the other hand Shreya and her team cannot understand anything. :lol: Even then, both could not enjoy properly, that someone came to disturb. :angryno:
As always the update was great, You are writing very well, Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story.
Thank You...

???
 

Nevil singh

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रास्ते में ऐमी, अपस्यु से बात करती रही लेकिन अपस्यु हिम्मत अब टूट चुकी थी। वो बेहोश सा होने लगा था, फिर भी वो किसी तरह खुद को खींचते हुए पार्किंग तक पहुंचा। लेकिन ज्यों ही वो कार में बैठा, उसके मुंह से खून की उल्टियां होने लगी और वो बेहोश होकर वहीं सीट पर गिर गया।

आखें बंद हो चुकी थी, श्वांस बिल्कुल मध्यम, ना के बराबर। अपस्यु को इस हाल में देखकर ऐमी की भी श्वास अटकने लगी थी और आखें भिंग चुकी थी। अपस्यु का हाथ पकड़कर ऐमी अपनी आखें मूंद ली, तेज श्वास अंदर खींचती कुछ पल को याद याद करने में बाद अपनी आखें खोली।

अपने आंसू पोंछ कर वो इधर-उधर देखने लगी। पास में ही एक बियर की बॉटल पड़ी थी। ऐमी उस बॉटल को तोड़कर अपस्यु के पेट के मास्क स्किन को चिर दी। घड़ी में समय देखी और ड्राइविंग करती हुई स्वस्तिका को कॉल लगाई…

"कामिनी कहीं की.. तू यदि मुझे मिल गई ना तो देखना मै तुम्हारा क्या हाल करती हूं।"… ड्राइविंग करती वो पूरे गुस्सा उतारती हुई कहने लगी…

स्वस्तिका:- हेय क्यूटी, कितनी बार सॉरी कहूं… बस मै बंगलौर एयरपोर्ट से बाहर निकल ही रही हूं मेरी जान।

ऐमी:- जहां से आयी है वहीं वापस लौट जा। मेरा प्रोग्राम कब का खत्म हो गया और तू क्या मेरे जले पर नमक छिड़कने आयी है। वैसे भी इस अपस्यु ने मेरा जीना हराम कर दिया आज। इतने नशे में था कि बियर की बॉटल पर गिर गया। एक तो मै अकेली हूं ऊपर से इसकी ऐसी हरकतें। मै ही पागल हो जाऊंगी…

स्वस्तिका:- अरे यार, इसका कुछ नहीं हो सकता। तुम उसे एडमिट करवाओ, मै भी वहां पहुंच रही हूं…

ऐमी:- मै अकेली सब कर लूंगी.. तू दिखियो भी नहीं होस्पिटल में।

ऐमी गुस्से में फोन रखी और एयरपोर्ट के रास्ते में पड़ने वाले हॉस्पिटल में पहुंची। आते ही उसने सारी कहानी बता कर अपस्यु को उस हॉस्पिटल में एडमिट करवाई। नजर बस अब प्रवेश द्वार पर ही था, और प्राण हलख में। तभी जैसे सामने प्रवेश द्वार से उसकी हसी वापस आ रही हो। स्वस्तिका एयरपोर्ट से सीधे हॉस्पिटल आयी और भागती हुई ऐमी के पास पहुंची।

जैसी ही वो ऐमी के पास पहुंची, एक तमाचा उसके गाल पर पड़ा और ऐमी उससे झगड़ा करती हुई ऑपरेशन थियेटर कि ओर चल दी। .. ऑपरेशन फ्लोर पर आते ही वो वाशरूम में घुसी और वहां के सर्विलेंस को हैक करती हुई स्वस्तिका को ऑपरेशन थियेटर में जाने का इशारा कर दी।

3 सेकंड का पॉवर ऑफ हुआ और स्वस्तिका ऑपरेशन थियेटर के अंदर थी। खुद के चेहरे को एंटी गैस मास्क से कवर करके, उस ऑपरेशन थियेटर में उसने एक बेहोशी की गैस छोड़ दी.. बस 5 सेकंड में ही अंदर के डॉक्टर और सभी स्टाफ वहां बेहोश परे थे।…

स्वस्तिका दरवाजा नॉक करती हुई ऐमी को अंदर ली और तेजी के साथ अपस्यु के उप्पर बॉडी मास्क को सावधानी से निकली।…. "ऐमी.. प्लस चेक करो.. ऐमी".. स्वस्तिका को उसे जगाने के लिए थोड़ा चिल्लाना परा…

"हां… कुछ नहीं होगा तुम्हे .. अपस्यु"… बावरी सी बनी ऐमी कुछ भी बोल जा रही थी। स्वस्तिका अपस्यु को इंजेक्शन लगाते हुए ऐमी से कहने लगी…. "जब ये 300 फिट के पर्वत से गिर कर नहीं मारा तो क्या ये बुलेट से मरेगा।.. अब या तो तुम मेरी मदद करो या फिर बाहर जाकर रो लो।"…

ऐमी, दोनों हाथों से अपनी आखें पोंछती… "सॉरी बताओ क्या करना है।"…

2 घंटे के ऑपरेशन और 3 घंटे के मेडिकल सपोर्ट के साथ अपस्यु की स्थिति सामान्य थी। सुबह के लगभग 7 बज चुके थे। अंदर बेहोश डॉक्टर को छोड़कर दोनों बाहर आ गई। ऐमी वापस से वाशरूम जाकर सर्विलेंस पर से अपना कमांड हटाई और चेहरा धोकर वापस आ गई। तबतक स्वस्तिका रिसेप्शन पर पहुंच कर हंगामा मचा रही थी।

वहां के सभी स्टाफ को हड़कती वो कहने लगी… "मै भी मेडिकल प्रोफेशनल हूं, आखिर एक मामूली कट के लिए तुमलोग कितने देर तक मेरे दोस्त को ऑपरेशन थियेटर में रखोगे। कहीं तुम लोगों का किडनी निकाल कर बेचने का इरादा तो नहीं।"

इतने में पीछे से ऐमी भी पहुंच गई और आते ही वो भी उन सब पर बरसने लगी। उसने तुरंत 100 नंबर डायल करके पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाई। पुलिस का नाम सुनकर ही हॉस्पिटल प्रबंधन सकते में आ गया। कुछ सीनियर डॉक्टर ऑपरेशन थियेटर में घुसे, और इधर बेहोश हुए डॉक्टर और स्टाफ, उठकर समझने की कोशिश में जुटे थे कि यहां हुआ क्या था।

सीनियर डॉक्टर्स अंदर घुसते ही पेशेंट् की कंडीशन और उसके कट के ऊपर लगे स्टिच को देखकर कहने लगे…. "मामूली 5 स्टिच करने में आप लोगों को 6 घंटे कैसे लग गए? पेशेंट के साथ आए लोग पुलिस कंपलेंट कर चुके हैं।"…

फिर क्यों किसी को ख्याल आए की रात क्या हुआ था। अब तो मेडिकल और हॉस्पिटल लाइसेंस बचाने कि नौबत आ चुकी थी। तुरंत ड्रामा सेट किया गया, कुछ फर्जी मेडिकल रिपोर्ट बनाई गई और हालत को अत्यधिक ही नाजुक दिखाया गया। बियर बॉटल की कांच किडनी में घुसा, कुछ कांच के टुकड़े अंदर टूट गए .. छोटे-छोटे कांच के टुकड़े किडनी के अंदर फसे थे, जिस कारण स्तिथि नाजुक हो गई थी और इन्हीं कांच के टुकड़ों को निकालने में समय लग गया था। पेशेंट अब स्टेबल है लेकिन 4 दिन आईसीयू में रखकर निगरानी देनी होगी। ..

ड्रामा तैयार था.. इधर तबतक ऐमी की शिकायत पर पुलिस भी पहुंच चुकी थी। वहां के सभी डॉक्टर पूरी कहानी के साथ अपस्यु की रिपोर्ट पुलिस को सौंपते हुए अपनी सफाई पेश करने में जुट गए। पेशेंट की हालत जाने बिना शिकायत दर्ज करवाने के लिए पुलिस ने ऐमी को खूब सुनाया। जाने से पहले ऐक्सिडेंट की रिपोर्ट उन्होंने दर्ज की और होश में आते ही उसका सबसे पहले बयान दर्ज किया जाना है ऐसा हॉस्पिटल प्रबंधन को कहते हुए सभी पुलिस वाले वहां से निकल गए।

अब इतना बड़ा ऑपरेशन था तो जाहिर सी बात है माल भी उतना ही लगना था। हॉस्पिटल प्रबंधन ने पुलिस बुलाने कि गलती के लिए ऐमी से ऑपरेशन कि भरी कीमत वसूल लिए। ऐमी खुशी-खुशी अपना कार्ड स्वैप करवाकर वहां से स्वस्तिका के साथ कैफेटेरिया चली आयी।

स्वस्तिका:- अब सब ठीक है, इतने ख्यालों में डूबी रहोगी तो काम कैसे चलेगा।

ऐमी:- नहीं मै अपस्यु के बारे में नहीं बल्कि हमारी पहली मुलाकात को याद कर रही थी।

स्वस्तिका:- अतीत दर्द है उसे छोड़ दो, वर्तमान में जियो और खूब मस्ती करो। चलो अब स्माइल करो..

ऐमी, मुस्कुराती हुई… शुक्रिया स्वस्तिका, तुम नहीं होती तो पता नहीं क्या होता।

स्वस्तिका:- मै नहीं होती तो कोई और होता। अब फिर से वहीं इमोशनल बातें। अच्छा वो छोरो और ये बताओ कि तुम्हारे ये फिगर इतना सेक्सी क्यों होता जा रहा है। कहां तुम्हे समतल मै बुलाया करती थी और आज तो 34 के दिख रहे है।

ऐमी:- मेहनती करती हूं फिगर पर ऐसे ही थोड़े ना बनता है ऐसे फिगर।

स्वस्तिका, आंख मारती हुई कहने लगी….. किसकी मेहनत तुम्हारी या किसी और कि..

दोनों हसने लगे.. फिर गर्ल्स चिट-चाट शुरू हो चुकी थी… एक बार जो बातें शुरू हुई, फिर होती ही चली गई। बातों के दौरान ही स्वस्तिका को कोकीन लाने की कहानी भी पता चली और दोनों ने तय किया कि कल रात उस डिस्को में जाना कुछ ज्यादा ही जरूरी है।

इधर जब तक ऐमी और स्वस्तिका कैफेटेरिया में अपनी चिट-चैट में व्यस्त थी कल रात वाला वो पुलिस दोबारा आया था। इस बार वर्दी में था… सिटी एसपी.. वो आते ही अपस्यु का पूरी केस फाइल देखा फिर वहां के सर्विलेंस को पूरा चेक करने के बाद आईसीयू में जाकर अपस्यु के जख्म देखे और वापस आ गया।

वापस आते ही उसने आरडी के मालिक वेंकट रेड्डी को कॉल लगाया…. "सर कल रात से पूरा नजर बनाए हुए था, पर ये दोनों कोई आम से लड़का लड़की लग रहे है। इनकी फोन कॉल कल से चेक कर रहा हूं। जितने लोगों से इनकी बात हुई है सब दिल्ली में ही है। हां इनका एक कॉमन फ्रेंड वो कल रात इनसे मिलने पहुंची थी।"

रेड्डी:- तुम्हारा मन क्या कहता है.. क्या ये लोग इन्वॉल्व हो सकते हैं?

एसपी:- देखिए सर, दोनों जब से बंगलौर आए हैं बस दोनों साथ में घूम ही रहे थे। मैंने हर जगह के सर्विलेंस को देखा है। दोनों शायद गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड है। पहले दिन ये लोग बंगलौर घूमे। मूवी देखे और वापस अपने होटल। दूसरे दिन भी ये लोग डिस्को में थे.. तीसरे दिन संगीत में हिस्सा लिया था लड़की ने.. और क्या गीत गायी वो.. कोई बनावटी नहीं बल्कि ओरिजनल कला थी वो। अब यदि इनपर फोकस करते रहेंगे, तो हम उन प्रोफेशनल तक कभी नहीं पहुंच पाएंगे।

रेड्डी:- मै तो इनकी प्रोफ़ाइल देखकर शुरू से कह रहा था ये दोनों नहीं हो सकते तुम्हे ही शक था।

एसपी:- उस दिन के कार चेस को देखकर कुछ शक सा हुआ था। ऊपर से इन दोनों के होटल भी ऐसे लोकेशन पर है जहां से सब कुछ कवर किया जा सकता है।

रेड्डी:- अरे केवल चेस यहीं थोड़े कर रहे थे, वो 8 लोकल लड़के और भी तो थे। वैसे उस लड़की ने ऐसी आग लगाई थी वहां डिस्को में कि कोई भी पीछे पर जाए। अब इस उम्र में अपनी गर्लफ्रेंड के साथ, गाड़ी में स्पीड अपने आप आ ही जाती है। तुम उन बच्चों को छोड़ो और असली चोर को ढूंढो। आखरी वो कौन सा चोरों का ग्रुप है जो मेरे वाल्ट तक घुसने कि हिम्मत कर सकता है।


USA Trip… 18 June 2014…


मिश्रा फैमिली अपने फैमिली फ्रेंड्स के साथ पुनर्मिलन कर रही थी। सभी लोग मेल मिलाप करते हुए बैंक्वेट हॉल में आए जो पहले से इनके लिए आरक्षित रखा गया था। यूएस के रुलिंग पार्टी के सेनेटर और मशहूर उद्योगपति प्रकाश जिंदल अपने परिवार के साथ अपने पुराने मित्र से मिलने के लिए पहुंचे हुए थे।

लेकिन इनके मिलने की विशेष वजह ये भी थी कि जिंदल के छोटे सुपुत्र ध्रुव जिंदल की मुलाकात साची से करवाई जाए। ये दोनों कुछ दिन साथ रहकर एक दूसरे को जान सके और पसंद कर सके, ताकि इनके रिश्ते की बात आगे बढ़ाई जा सके।

इसी नेक ख्याल के साथ दोनों परिवार आपस में मिल रहे थे। इधर साची भीड़-भाड़ से अलग बैठकर लावणी के साथ बातों में लगी हुई थी…. "हेल्लो, आई एम् ध्रुव जिंदल, सन ऑफ मिस्टर प्रकाश जिंदल।"..

साढ़े 6 फिट का, इंडो-यूएस हाइब्रिड, एक दिलकश नौजवान साची के ओर अपना हाथ बढ़ाते हुए अपना परिचय दिया… साची भी उससे हाथ मिलती हुई कहने लगी…. "हाई, आई एम् साची।"

ध्रुव:- आप…. बहुत.... खूबसूरत... लग रही हो।

साची, उसकी बात सुनकर हंसती हुई… "जी शुक्रिया।"

ध्रुव थोड़ा कंफ्यूज होते हुए पूछने लगा…. "क्या… हुआ, ….. आप ऐसे… हंस… क्यों… रही हो।"

इस बार लावणी और साची दोनों हसने लगी…. "सॉरी, वो आप की हिंदी इतनी प्यारी है कि हमे हंसी आ गई।"… साची अपनी हंसी रोकती हुई कहने लगी…

ध्रुव:- वो.. अभी.. मै थोड़ा थोड़ा…. ही सीख.. पाया… हूं… इसलिए.. मै.. तोड़ तोड़.. कर… बोल रहा… हूं। मेरे… कुछ… मित्र… भी… मेरी.. हिंदी.. पर.. ऐसे.. ही.. प्रति…क्रिया ….. देते है।

उसकी बातें सुनकर तो साची और लावणी अपनी हंसी रोक ही नहीं पा रही थी और ध्रुव साची की खिली हंसी में खोया जा रहा था।… "जब… आप.. हंसती है… तो… बाहर… आ.. जाती है…

साची:- व्हाट्… आप ने अभी अभी बाहर कहा…

ध्रुव:- no, sleep of tongue.. it's blossom..

साची:- ओह ! इसे बाहर नहीं बहार कहते है…

ध्रुव:- ब हा र… बहार…

साची:- राईट…

लावणी वहां से उठकर जाने लगी, तभी उसे बिठाते हुए साची पूछने लगी… "तू किधर चली।"..

लावणी:- देख नहीं रही क्या दीदी… बड़ी मां मुझे बुला रही है।

साची:- ठीक है जा…

लावणी, साची को छोड़कर भीड़ का हिस्सा बनने चल दी और इधर साची ध्रुव की हर बात पर हंसती हुई उसके साथ बातें करने लगी। लावणी जब सबके बीच पहुंची तो उसे ऐसा लगा, जैसे वो किसी कन्फ्यूजन के शिकार हुए किसी फिल्मी परिवार से मिल रही है।

साची और ध्रुव को ऐसे हंसकर बातें करते हुए देख सभी लोगों के ख्यालों में ऐसा गलतफहमी का बीज उगा की दोनों की कुंडलियां बदलते हुए कहने लगे… "लगता है दोनों ने एक दूसरे को पसंद करना शुरू कर दिया है… हम भी कुंडलियां मिला ही लेते है।"…
Khubsurat update hai mitr.
 

Nevil singh

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साची और ध्रुव को ऐसे हंसकर बातें करते हुए देख सभी लोगों के ख्यालों में ऐसा गलतफहमी का बीज उगा की दोनों की कुंडलियां बदलते हुए कहने लगे… "लगता है दोनों ने एक दूसरे को पसंद करना शुरू कर दिया है… हम भी कुंडलियां मिला ही लेते है।"…

रात के वक़्त दोनों बहने अपने रूम में थी। लावणी साची के पास बैठकर उसे देखती हुई, आज शाम की हुई घटना को बताने लगी। आश्चर्य तो उसे तब हो गया जब साची ने उसे ये कहा कि उसे सारी बातें पहले से पता थी। बस एक लड़के मिलना था.. सो वो मिल ली, अब वक़्त बताएगा की वो पसंद आता है कि नहीं, वैसे लगता है पसंद आ ही जाएगा।

साची की बात पर लावणी को यकीन नहीं हुआ और वो बार-बार यही कहती रही की आप हर काम में जल्दबाजी करने लग जाती है। इसपर साची उसे समझाती हुई कहने लगी….. "ब्वॉयफ्रैंड तो 10 मिल जाएंगे, जीवन साथी एक ही होता है। हां थोड़ा खिंचाव था अपस्यु को लेकर, कोई बात नहीं। ध्रुव को भी वक़्त दूंगी, झुकाव उस ओर भी हो ही जायेगा"

लावणी:- और यदि इसका भी पहले से कोई चक्कर हुआ तो?

"ये कम से कम उस गधे अपस्यु की तरह बताने तो नहीं आएगा। और जिसे ना देखा और ना सुना उसके बारे में क्या सोचना। वैसे भी आज शाम को ही आरव ने मुझे बताया था.. अच्छे लोग ज्यादा दर्द देते है। मैंने उसकी बात पर गौर किया और पाया कि वो सच बोल रहा था।"…

फिर जब एक बार अराव की बात शुरू हुई तब तो साची ने लावणी को घेर ही लिया। सोने तक में तो साची ने लावणी को लगभग रुला ही दिया। सुबह उठकर दोनों बहन तैयार हुई और नाश्ते के बाद वो दोनों पहुंची कमरा नंबर 806 में। आरव अपने कमरे में बैठा टॉम एंड जेरी का मज़ा ले रहा था, तभी उसके रूम की बेल बजी और दरवाजा खोला तो दोनों बहने बाहर खड़ी थी।

आरव और लावणी ने जब एक दूसरे को देखा, तो एक दूसरे से लिपटने को मचल गए, लेकिन साथ में साची थी, कुछ किया भी नही जा सकता था। दोनों अंदर आते हुई बैठी और साची आरव के ओर देखती हुई अपनी भौंहें चढ़ा कर लावणी के ओर इशारा करने लगी… आरव अपने हाथ जोड़कर साची के पाऊं में सीधा दंडवत हो गया… साची उसे आशीर्वाद देती कहने लगी… "खुश रहो बच्चा।"..

तीनों के बीच बातें शुरू हुई। यूं तो बात तीनों ही कर रहे थे, लेकिन ध्यान दोनों का एक दूसरे पर ही था जिनके बीच साची कुंडली मार कर बैठ चुकी थी। कुछ देर बात करने के बाद साची ने अचानक ही कुंजल को कॉल लगाने के लिए बोल दी…

आरव उसे कॉल लगाते हुए साची को फोन थामा दिया…. "हां मोनू…"

"मोनू नहीं साची बोल रही हूं। किधर हो अभी तुम"..

कुंजल:- न्यूयॉर्क आयी हूं साची। बाय द वे, हैप्पी हॉलीडे..

साची:- अच्छा हैप्पी हॉलीडे, इसलिए कामिनी अकेली भाग गई घूमने, सोची यहां रहोगी तो कहीं मेरा मेलोड्रामा ना झेलनी पड़े।

कुंजल:- ना रे बाबा, तुम्हारा बिल्कुल सोचना गलत है। मै यहां पहले आयी थी तो विन्नी और क्रिश के साथ न्यूयॉर्क पहुंच गई मस्ती करने।

साची:- बहुत मस्ती हो गई चल अब वापस आ जाओ। मेरे किसी दोस्त का यहां ना होना मुझे खल रहा हैं।

कुंजल:- क्या हुआ फिर किसी बात को लेकर परेशान हो क्या?

साची:- हां बहुत बड़ी परेशानी है। मैंने एक लड़का पसंद किया है और बस ऐसे वक़्त में एक दोस्त के सहारे की बहुत जरूरत है। अब हर बात हर किसी से शेयर तो नहीं कर सकती ना।

कुंजल:- ओहके डार्लिंग, आज भर यहां मस्ती मार लेने दे कल सुबह मिलती हूं।

कुंजल से बात समाप्त करके जब साची कमरे के कोने से पीछे मुड़ी… एकदम ध्यान मुद्रा में दोनों बिस्तर पर बैठे बैठे ऐसे गले लगे थे, मानो एक दूसरे से लिपट कर वहीं सो रहे हो। साची गले की खराश के साथ दोनों का ध्यान भंग करती अपनी आखें दिखाने लगी… और इधर दोनों ही शर्माकर एक लेफ्ट तो दूसरी राईट को ताकने लगी।…

इधर साची और लावणी दोनों उसके कमरे से निकले और आरव के दिल में अजीब सी बेचैनी उठने लगी। उसे अचानक ही बिना किसी चोट के तेज दर्द मेहसूस होने लगा। श्वांस लेने में काफी तकलीफ़ सी होने लगी। आरव ने जब समय देखा तो सुबह के लगभग 11 बज रहे थे।

बेचैन होकर उसने नंदनी को फोन लगाया। नंदनी उससे बात करने लगी और वहां का हाल चाल लेने लगी। आरव को बात करने में भी तकलीफ़ हो रही थी, लेकिन वो किसी तरह हंसते हुए अपनी मां से बात कर रहा था। फिर अंत में उसे पता चला कि अपस्यु सिन्हा जी के काम से बंगलौर निकला है।

आरव का दिमाग सन्न और दिल बेचैन हो उठा। बार काउंटर पर जाकर उसने पूरी बॉटल पी ली, दिल को फिर भी चैन नहीं। पीते-पीते उसके होश उड़े थे रास्ते में क्या हुआ किससे टकराया, किस से कितनी बातें हुई, कोई खबर नहीं।

अपने कमरे पहुंच कर वो ऐमी को फोन लगाया कोई जवाब नहीं। लगातार वो फोन लगाता रहा किंतु ऐमी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वो प्रतिक्रिया देती भी कैसे अपस्यु और प्लैनिंग के बीच ऐसी फसी थी कि उसका ध्यान ही नहीं गया फोन पर।

हार कर उसने स्वस्तिका को कॉल लगाया। स्वस्तिका फ्लाइट में थी इसलिए वो फोन ले नहीं सकती थी। आरव कॉल करके थक चुका था और अब एकटक बस अपने फोन को देख रहा था।

रात के तकरीबन 12.30 बज रहे होंगे। आरव अब भी बस अपनी खुली आंखों से फोन को ही देख रहा था। ठीक इस वक़्त स्वस्तिका और ऐमी अपनी चिट-चैट खत्म करके कैफेटेरिया से निकल रही थी। तभी ऐमी को ख्याल आया कि आरव से तो उसने बात ही नहीं की और जब उसने अपने कॉल लॉग पर ध्यान दी तब उसकी रूह सिहर गई…

तुरंत उसने आरव को कॉल लगाए… ऐमी का फोन देखते ही आरव ने अपनी पलकें झपकी और फोन उठाया…. "सुरक्षित है कि नहीं मेरा भाई।"…

ऐमी:- हां वो ठीक है। सॉरी आरव..

आरव:- नाह … सॉरी नहीं.. तुम ठीक हो..

ऐमी:- नहीं मुझे कुछ नहीं हुआ…

आरव, गहरी श्वांस लेते… नॉटी है क्या वहां..

ऐमी:- हां यहीं है..

आरव:- बात करवाओ मेरी..

ऐमी, स्वस्तिका को फोन देती… आरव है लाइन पर.. "कहां घूम रहा है लड़के"… स्वस्तिका फोन उठाती हुई पूछने लगी…

आरव:- नॉटी ऐमी ठीक है ना… उसकी कंडीशन स्टेबल तो है ना।

स्वस्तिका:- तू शॉक्ड हो जाता अगर ऐमी को यहां अभी देखता तो। बहुत हिम्मत दिखाई इसने तो।

आरव:- भाई को दिखाएगी क्या… मुझे देखना है?

स्वस्तिका:- हां दिखाती हूं रुको…

थोड़ी ही देर में स्वस्तिका आईसीयू में थी जहां अपस्यु बेसुध लेटा हुआ था। कुछ देर वो अपने भाई को देखता रहा, फिर उसने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। कुछ तसल्ली हुई आरव को, और वो वहीं परे-परे ही गहरी नींद में सो गया। इधर आरव गहरी नींद में सोया था और उधर अपस्यु।

नींद की गहराइयों में धीरे धीरे फिर से वही छवि बनना शुरू हो गया। दिमाग के कोने में वो गहरी सी यादें……



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वर्ष 2002….


दिए की रौशनी में जब आखें खुली सामने ऐमी उस फूल को मांग रही थी जिसे तोड़ने अपस्यु ऊपर चढ़ा हुआ था। गुरु निशी कुटिया में जैसे ही पहुंचे.. अपस्यु उठकर बैठ गया। सदैव की भांति गुरु के मुख पर वहीं तेज और चेहरे पर मुस्कान थी जिसे देखने मात्र से कई पिरा का निवारण हो जाए…

"अपस्यु, आप को पहले भी माना किया था ना ऊंचाई से दूर रहने"
"क्षमा गुरु देव, मै केवल मोह वाश उस फूल को तोड़ने चला गया था।"
"आप ने मेरा हृदय दुखाया है, आप को इसका दंड मिलेगा"

अपस्यु अपने शिस झुकाकर नमन करते हुए…. "आज्ञा गुरुदेव।"

"आज से महादेव वंदना और उनकी आराधना आप की जिम्मेदारी होगी। और आप बिना विफल हुए रोज ये कार्य करेंगे।
"जी गुरुदेव"
"अब आराम कीजिए और इस बालिका ने आपकी बहुत सेवा की है, इसलिए इसके निः स्वार्थ कार्य का फल मिले ऐसी कोशिश कीजिएगा।"
"जैसी आपकी इक्छा गुरुदेव"

गुरु निशी के जाते ही अपस्यु उठा और अपने बैग से वो उजला नीला फूल निकालकर ऐमी को भेंट करते हुए कहने लगा…. "यहीं फूल चाहिए था ना।"

ऐमी:- हां .. लवली फ्लॉवर। ए सुनो, तुम्हे डर नहीं लगता उस बाबा से। वो बच्चों को उठा कर ले जाते है।

अपस्यु, उसकी बात पर हंसते हुए कहने लगा…. "चिंता नहीं कीजिए आप यहां सुरक्षित है। इतनी रात को आप मेरे समीप है आप के माता-पिता आप को ढूंढ़ रहे होंगे।

ऐमी:- ऊफ़् ओ बहुत टफ लैंग्वेज में तुम बात करते हो, मुझे समझ में नहीं आया। दोबारा बताओ।

अपस्यु;- आप को फूल मिल गया ना, अब आप यहां से जाइए, आपके मम्मी-पापा इंतजार कर रहे होंगे।

ऐमी:- मै तो कई दिनों से तुम्हारे साथ ही सोती हूं डफर। अब चलो सोते हैं।

अपस्यु:- ठीक है।

ऐमी जबतक जागती रही तबतक वो बातें करती रही और अपस्यु बस उसे सुनता जा रहा था। गुरु निशी के कहे अनुसार अपस्यु सुबह के प्रहर उठकर स्नान किया और 900 मीटर की लगभग सीधी चढ़ाई के बाद ऊपर बने भगवान शिव के मंदिर पहुंचा और विधिवत पूजा करी।

महादेव वंदना की समाप्ति के बाद अपस्यु वापस उसी रास्ते से उतरने वाला था लेकिन उसके सामने जेके और पल्लवी थे… दोनों ने फिर पूछना शुरू किया कि वो 10 दिनों से कहां गायब था। अपस्यु ने सारी घटना बता दिया। अपस्यु को सुनने के बाद दोनों वापस चले गए।

उस दिन जब अपस्यु खाली समय में जेके और पल्लवी के पास पहुंचा तब वहां एक जाना पहचाना आवाज़ की भनक अपस्यु के कान में लगी। अपस्यु आवाज़ के सहारे ऐमी तक पहुंचा जो एक तरह से जेके और पल्लवी के कैद में थी।

यह कोई पहला मौका नहीं था जेके और पल्लवी के लिए, जब अपस्यु ने दोनों को चौंकाया था। नाम मात्र की निकली आवाज़ का दूर से पीछा करके वहां तक पहुंचने की अद्भुत कला पर दोनों दंपत्ति हैरान हो गए। अपस्यु के प्रशिक्षण को नया दिशा देते हुए अब उसे ब्लाइंड मूव्स और किसी अनजान जगह को दिमाग में बिल्कुल इंच दर इंच प्लॉट करने की सिक्षा मिलनी शुरू हो चुकी थी।

कुछ दिनों के बाद ऐमी अपनी छुट्टियां बीता कर वहां से चली गई। जबतक ऐमी छुट्टियों में वहां रुकी, बस अपस्यु के ही साथ होती। यहां तक कि वो उसके प्रशिक्षण के वक़्त भी उसी के साथ रहती। लगभग 6 मिहिने हुए थे अपस्यु को जेके और पल्लवी के साथ, उसके बाद वो दोनों भी वहां से चले गए और जाते जाते पूरा कॉटेज ही अपस्यु को देकर चले गए। जहां अपस्यु के लिए नई चीजों को सीखने का पूरा खजाना छोड़ा गया था।

2002 के साल का अंत भी हो रहा था, जब गुरुजी निशी अपने शिष्यों में से "प्रथम" और सहायक को चुनते। इस वर्ष पार्थ को "प्रथम" चुना गया था और वशी को "सहायक".. इसी के साथ इस वर्ष अपस्यु के दल में भी एक छोटा सा बदलाव किया गया था। उसके विज्ञान कि रुचि और जीव विज्ञान में उसके ज्ञान को देखते हुए गुरु जी ने उसके साथ अपनी पुत्री स्वस्तिका और 2 अन्य शिष्यों को उसके साथ रखे, जिनका लक्ष्य मानव जीवन को पिरा रहित सेवा देना था।

ये अपस्यु का ही प्रभाव था कि उसके साथी मित्र हर समय अपस्यु से कुछ ना कुछ नया सीखते थे। इसी क्रम में अपस्यु अक्सर पार्थ और स्वस्तिका के साथ उस कॉटेज में भी जाया करता था और उन्हें विज्ञान के साथ-साथ अन्य कला भी थोड़ी-बहुत सीखने के लिए मिल जाती थी।

2003 की सुरवात हो रही थी। हर साल अपस्यु के लिए जनवरी का महीना खुशियों से भड़ा होता था, क्योंकि पूरे महीने उसका भाई आरव और मां सुनंदा उसके साथ होती। जहां एक ओर सभी शिष्य ठंड के कारण अपने काम की गति को धीमा कर चुके होते वहीं अपस्यु हर काम को सही तरीके से जल्दी निपटाकर अपना पूरा वक़्त अपने भाई और मां को दिया करता था।

हालांकि वो उम्र ऐसी थी जहां चीजें समझ में ना आना एक आम सी बात होती है और आरव भी इसी खुन्नस में वहां रहता था, कि क्यों उसे अपने दोस्तों से दूर इस जंगल में 1 महीने के लिए पटक दिया गया है। सुनंदा आरव के इस चिढ़ को अपने प्यार से खत्म करती और अपस्यु के साथ उसे रहने के लिए प्रेरित किया करती थी।

दोनों भाई में सीखने की क्षमता तो एक जैसी थी लेकिन एक पुरव था तो दूसरा पश्चिम। अपस्यु जिस काम को लगन के साथ पूरा कर देता वहीं आरव पूरे लापरवाही के साथ उस काम को पूरा करता। हां लेकिन पूरा जरूर कर देता था। सुनंदा अपने आंचल तले अपने दोनों बच्चों पर पूरा प्यार बिखेर देती। वो वक़्त भी काफी भारी होता जब सुनंदा महीने के अंत में वापस जाती। अपस्यु रोना तो भूल चुका था, शायद चेहरे से उसके दर्द के एहसास को भी नहीं पढ़ा जा सकता था लेकिन उसके अंदर की भावना हर पल रोते रहती जिसे सिर्फ़ सुनंदा मेहसूस कर सकती थी।

वो जब भी अपस्यु को छोड़ कर जाती बस इतना ही कहती…. "मेरा बच्चा, बस कुछ दिन और यहां सीख लो, फिर हम सब साथ होंगे।" … वैसे एक हैरानी कि बात और भी इस दौरान होती, जब भी आरव उसे छोड़ कर जाता, ना चाहते हुए भी वो बिलख-बिलख कर रोता था… और अपस्यु भी उसे चुप कराते बस अपनी मां के कहे शब्द को उससे कह दिया करता।

माहौल गमगीन होता, सुनंदा और आरव की आखें नम होती किंतु अपस्यु के चेहरे पर ठीक गुरु निशी जैसा तेज होता, जो मुस्कुराते हुए अपने भाई और अपनी मां को जाते हुए देखता था
Atiunder update hai mitr.
 
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