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Romance भंवर (पूर्ण)

Nevil singh

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"वो अपने वक़्त में हमे आजमाकर भूल चुके है, माना कि उन्हें आजमाने के लिए अभी थोड़ा और वक़्त लगना है, लेकिन जिस दिन हम उन्हें आजमाना शुरू करेंगे वो हताश होकर ना तो जमीन को तकेंगे और ना आसमान। अपने मौके के लिए सही वक़्त का इंतजार करो, हताश होने से बेहतर है खुद को तैयार करो"……

ऐमी मुस्कुराती हुई अपस्यु के गले लगी और फिर वहां से दोनों पहले पहुंचे सिन्हा जी के घर। अपस्यु दरवाजे के बाहर ही खड़ा रहा और वहीं उसने पहले स्नान किया और कपड़े पहन कर अंदर आया।

आते ही सबसे पहले वो वैभव से मिला और उसे अपने सीने से लगाकर पूछने लगा…. तो मिस्टर वैभव कैसा लग रहा है यहां आकर।

वैभव:- अभी एक दिन ही हुए है भैय्या, अभी थोड़ा मुश्किल है कह पाना। कुछ दिन यहां रहकर मै आकलन करूंगा, फिर अपना सही विचार बता पाऊंगा।

अपस्यु:- क्या बात है। इतने छोटे से दिमाग में इतनी ज्यादा सोच। किसने सिखाई ये बातें।

वैभव:- ऐमी दीदी ने सिखाया।

अपस्यु:- शाबाश, चलो जाओ अब तुम खेलने मै आता रहूंगा तुम्हे देखने।

ऐमी:- और मुझे कौन देखेगा…

अपस्यु ने जैसे ही नजर उठाकर देखा….. "देखी लख-लख परदेशी गर्ल, नो बॉडी लाइक माय देशी गर्ल। तुम आज किसी को पागल बनाने निकली हो क्या?

ऐमी:- नाः… आज स्टूडियो में एथेनिक पहन कर आने का आदेश मिला है।

अपस्यु:- सॉरी, लेकिन क्या तुम कोई सिंपल सलवार-कुर्ता पहन सकती हो क्या?

ऐमी:- क्यों ? तुम पागल तो ना हुए जा रहे?

अपस्यु:- हाहाहाहा… हां शायद हो भी रहा हूं। किंतु बात वह नहीं है। अभी हम घर चलेंगे ना, और हमारे ही फ्लोर पर एक डेथ हुई है…

ऐमी:- ओह !! इट्स ओके, मै अभी अाई चेंज करके।

ऐसा लग रहा था आज किस्मत भी मज़ाक के मूड से थी। अपार्टमेंट के सामने ही एक बार फिर भीड़ लगी थी। इस बार मामला ये था कि दो गाड़ी सामने से टकराई थी और दोनों गाड़ी के लोग आरोप-प्रत्यारोप करने में लगे हुए थे।

फिर से एक बार दोनों की गाड़ी किनारे लगी हुई थी और दोनों आमने-सामने। लेकिन फर्क सिर्फ इतना था कि इसबार अपस्यु की गाड़ी साची के दरवाजे पर थी और साची की स्कूटी ठीक उसके सामने।

अपस्यु का ध्यान उनके झगड़े पर था, उसका ध्यान साची पर नहीं गया था।… "हेल्लो मिस्टर, कैजुअली आप ने अपनी गाड़ी मेरे रास्ते में खड़ी कर चुके है, हटाइए।" … बोल्ड एंड सेक्सी लुक, ऊपर से आखों पर चस्मा लगाए। अपस्यु तो साची को एक बार ऊपर से नीचे तक देखता ही रह गया, और साची अपनी बात कहकर वापस अपने स्कूटी के ओर चल दी।

ऐमी जब साची को सुनी, वो जोड़-जोड़ से हंसती हुई कहने लगी…. "काजुआली गाड़ी क्यों खड़ी कर दिए".…. ऐमी की बात सुनकर अपस्यु भी हंसने लगा।…. "ऐमी, ब्रेकअप के बाद इसमें बहुत बदलाव अा गया है। पहले से ज्यादा हॉट और सेक्सी दिख रही। इसमें तो घायल करने वाला एटिट्यूड अा गया है।"…… "होता है अपस्यु, ब्रेकअप के बाद गर्लफ्रेंड कुछ ज्यादा ही अट्रैक्टिव लगने लगती है। लेकिन .. लेकिन.. लेकिन…"…. "हां आगे भी तो बोलो ऐमी"….. "लेकिन ये तुम्हारी कैजुअली पार्किंग"… फिर से दोनों जोड़-जोड़ से हसने लगे….

साची को लगा दोनों उसपर ही हंस रहे है। साची थोड़ी चिढ़ गई, और चिढ़ते हुए उसने दोनों को सुनाते हुए, उन झगर रहे लोगों पर चिल्लाती हुई कहने लगी…. "ओए… यहां जमा कैजुअली लोग, जल्दी से अपना लफड़ा खत्म करो और भागो यहां से। ब्लडी काजुअल्स"…. झगर रहे लोगों में से तो किसी कानो तक उसका चिल्लाना नहीं पहुंचा, लेकिन ऐमी और अपस्यु, साफ-साफ उसकी आवाज़ सुन चुके थे।

साची की बात सुनकर ऐमी कार का दरवाजा जोड़ से खोलती हुई बड़े ही एटिट्यूड के साथ साची के पास पहुंची और उसे घूरती हुई कहने लगी….. "ग्रो उप किड्ढो" और चल दी झगड़े के बीच में। जो ही उसने दोनों गाड़ियों वालों पर तांडव मचाई, बस 2 मिनट में ट्रैफिक क्लियर और दोनों अपार्टमेंट में।

साची भी अपनी स्कूटी लेकर अंदर घर पहुंची…. "दीदी वो कौन थी जो बड़े ही एटिट्यूड के साथ आप को सुना कर गई और आप कुछ बोल नहीं पाई।"

साची:- ये वही कैजुअल रिलेशन वाली कमिनी थी।

लावणी:- एटिट्यूड तो सॉलिड था दीदी, तुम्हारी छोड़ो उसने तो उन दोनों गाड़ियों वाले की भी बोलती बंद कर दी।

साची:- तू बड़ी मुखियान क्यों बन रही है। चल, चलकर पैकिंग करते है।

शाम के 7 बजे….

ऐमी, अपस्यु के साथ म्यूजिक स्टूडियो पहुंचा। ऐमी अपने बैंड के साथ बैठी और थोड़ी देर बाद अपनी सुरीली आवाज़ में गाना शुरू किया….


कहते हैं खुदा ने इस जहां में सभी के लिए
किसी ना किसी को है बनाया हर किसी के लिए
तेरा मिलना है उस रब का इशारा
मानो मुझको बनाया तेरे जैसे ही किसी के लिए

कुछ तो है तुझसे राबता, कुछ तो है तुझसे राबता

कैसे हम जानें, हमें क्या पता, कुछ तो है तुझसे राबता


इतनी मीठी आवाज़ थी कि अपस्यु खोता चला गया। संगीत आगे बढ़ता जा रहा था और वो धीमे-धीमे सुकून मेहसूस करता जा रहा था। प्यारी सी मुस्कान उसके चेहरे पर अा गई थी।

"चले, या यहीं बैठना है।"…. अपस्यु एक गहरी नींद से जाग रहा हो जैसे। ऐमी को पास देखकर, अपनी नज़रों को उसके चेहरे पर ठहरने दिया और मुस्कुराते हुए कहने लगा… "ऐमी कल शाम भी तो साथ रहेंगे, आज मुझे तुम्हे सुनना है। मेरे लिए कुछ और भी गाने गा सकती हो क्या?

ऐमी मुस्कुराई और वापस अपने क्रु के पास पहुंच गई।… दूसरा गाना उसने शुरू किया… गाने से पहले उसके आखों में थोड़े आंसू और चेहरे पर मुस्कान थी.. गाने से पहले वो कहने लगी…. "इस गाने का हर शब्द मुझे खींचता है। ऐसा लगा जैसे ये मुझे जोड़ रहा हो"… और फिर वो गाना शुरू की….


जिसे ज़िन्दगी ढूंढ रही है, क्या ये वो मक़ाम मेरा है
यहां चैन से बस रुक जाऊं, क्यों दिल ये मुझे कहता है
जज़्बात नए मिले हैं, जाने क्या असर ये हुआ है
इक आस मिली फिर मुझको, जो क़बूल किसी ने किया है

हां… किसी शायर की ग़ज़ल, जो दे रूह को सुकून के पल
कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर
मैं मौसम की सेहर या सर्द में दोपहर
कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर

जैसे कोई किनारा, देता हो सहारा, मुझे वो मिला किसी मोड़ पर
कोई रात का तार, करता हो उजाला, वैसे ही रौशन करे, वो शहर

दर्द मेरे वो भुला ही गया, कुछ ऐसा असर हुआ
जीना मुझे फिर से वो सिख रहा
हम्म जैसे बारिश कर दे तर, या मरहम दर्द पर
कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर
मैं मौसम की सेहर, या सर्द में दोपहर
कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर

मुस्काता ये चेहरा, देता है जो पहरा
जाने छुपाता क्या दिल का समंदर
औरों को तो हरदम साया देता है
वो धुप में है खड़ा ख़ुद मगर
चोट लगी है उसे फिर क्यों
महसूस मुझे हो रहा
दिल तू बता दे क्या है इरादा तेरा

हम्म परिंदा बेसबर, था उड़ा जो दरबदर
कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर
मैं मौसम की सेहर, या सर्द में दोपहर
कोई मुझको यूँ मिला है, जैसे बंजारे को घर
जैसे बंजारे को घर, जैसे बंजारे को घर

जैसे बंजारे को घर..


वाकई ऐमी ने जब इसे गाना शुरू की और इस सिद्दत से उसने अपनी आवाज़ दी कि वो अपने जज़्बात सबको मेहसूस करवा गई। अपस्यु, सुनकर बस मुस्कुराए जा रहा था। 4 गाने वो लगातार गाने के बाद अपस्यु के पास आकर बैठ गई और पानी पीती हुई वो अपस्यु को देखने लगी। अपस्यु अब भी उसके संगीत में जैसे खोया ही हुआ था।

"जगिए मोहन प्यारे, भोर भई"…. ऐमी धीमे से हिलाती हुई उस कहने लगी… "शानदार शाम थी ये ऐमी, मज़ा ही अा गया… और ये बंजारा सोंग पर क्या कह गई तुम"..

ऐमी:- दर्द मेरे वो भुला ही गया, कुछ ऐसा असर हुआ, जीना मुझे फिर से वो सिख रहा।

अपस्यु:- तुम भी ना .. पागल कहीं की। तैयार हो भूतों से मिलने के लिए।

ऐमी:- ना जाने कब से बेकरार हूं मै अपस्यु। उनसे पिछला हिसाब भी तो बराबर करना है।

अपस्यु:- तुम हिसाब बराबर करने का सोच रही हो और मुझे लग रहा है एक और हिसाब तुम पर ना चढ़ जाए।

ऐमी:- इसपर बहस क्यों करना, चलकर आजमा ही लेते है फिर।

दोनों निकल पड़े एक दोस्ताना आजमाइश पर। यूं तो मिलने का वक़्त 9 बजे था, लेकिन दोनों तय जगह पर पौने नौ बजे ही पहुंच चुके थे। दोनों बिल्कुल तैयार, उस सुनसान अंधेरे खंडहर के ओर चल दिए। कुछ दूर आगे चलकर दोनों अलग हुए और आगे का रास्ता तय करने लगे…

माहौल बिल्कुल अंधेरा और खामोश, तभी हवा कि ध्वनि में एक छोटा सा परिवर्तन और अपस्यु बड़ी तेजी से किनारे हुआ। कोई बुलेट थी जो सीधे जमीन में घुसी। … "क्या भइया, ट्रांकुलाइजर पर ही अटके हो, कितनी बार बताया है कि स्नाइपर ट्रंकुलाइजर ध्वनि उत्पन करती है। ये बेकार कोशिश थी। कुछ और ट्राय करो।"…

इधर ऐमी जैसे ही आगे बढ़ी, कुछ तेज से उसकी ओर आता हुआ। ऐमी खुद को किनारे करती उसे अपने नाक के पास से गुजरते हुए मेहसूस कर रही थी। उसने अपने तेज हाथों का इस्तमाल करती अपने हाथ से पकड़ ली। एक धारदार चाकू जो उसकी ओर फेका गया था। दिशा का ज्ञान करती हुई, उसने अपने तेज हाथ से पकड़ते हुए कहने लगी…. "नीचे अा जाओ भाभी, आप के हुस्न का चाकू ही धारदार है, ये बेकार सी कोशिश है।"..

अपस्यु और ऐमी दोनों उनके पोजिशन समझ चुके थे। जेके और पल्लवी दोनों ऊपर कहीं पर बैठे थे और वहीं से हमला कर रहे थे। दोनों ने कुछ और कोशिश की लेकिन अपस्यु और ऐमी अपने प्रतिभा में और ज्यादा निखार का प्रदर्शन करते हुए, उनके सभी हमलों को बेकार किए जा रहे थे।

जेके:- नॉट बैड हां !! पल्लवी वन टू वन क्या कहती हो, अंधेरे का खेल बहुत हुआ।

अपस्यु:- डर लग रहा तो अंधेरे का ही सहारा लिए रहो। थोड़ी और कोशिश कर लो।

ऐमी:- भाभी जल्दी डिसीजन लो, क्योंकि इस बार यदि वन टू वन हुआ ना तो नाक टूटनी है।

तभी वहां के अंधेरे को चीरती हुई रौशनी हुई। 4 फोकस लाइट और उन उनके मध्य में मिस्टर एंड मिसेज खत्री अपने चिर परिचित अंदाज़ में दिखने लगे।

जेके:- सभी रिलैक्स.. आज के लिए इतना ही।

फाइट कॉल ऑफ का संकेत और ऐमी उनके ओर चल दी। वो जैसे ही वहां पहुंची, एक जोरदार पंच उसके नाक पर और नाक से खून निकलने लगा। ऐमी का दिमाग झन्ना गया। वो अपने हाथ से नाक को पोछति, अपना खून देखने लगी और जंप करती हुई अपने हाथ को पूरे फोर्स से पीछे लेे जाकर… ऐमी अपने वार के लिए तैयार।

पल्लवी अपने दोनो पाऊं फैला कर, 180 डिग्री का तेज फ्लिप ली और ऐमी का वार खाली गया। वो ठीक पल्लवी के आगे लैंड हुई और पल्लवी ने उसके दोनों पाऊं पकड़ कर तेजी से खींच दी। अचानक इस हमले से बचने के लिए ऐमी ने हवा में 360 डिग्री का फ्लिप ली और सीधी खड़ी हो गई जमीन पर।

जेके और अपस्यु दोनों वहीं नीचे बैठ कर फाइट का लुफ्त उठाने लगे। ऐमी के इस मूव पर दोनों अपने बियर की बोतल हवा में लहराकर हूटिंग करने लगे। दोनों में जंग छिड़ चुकी थी। दोनों हवा और जमीन पर कलाबाजियां दिखा रही थी। इसी दौरान ऐमी के हाथ एक डंडा लगा।

उसने पूरे तेजी के साथ वो डंडा सामने से चला दिया। मात्र छन भर का समय मिला पल्लवी को और उसने अपने दोनो हाथ आगे करके अपने उपर बॉडी को कवर कर लिया। लेकिन ऐमी के प्लान में उतने ही तेजी के साथ बदलाव आया। उसने दाएं से बाएं हाथ में डंडा पास किया और हौक कर तेज डंडा उसके पीछे चिपका दी।

पल्लवी बिल्कुल सरप्राइज होती हुई छटपटा गई और अपने हाथ के कवर को खोल चुकी थी। एक छोटा सा मौका और ऐमी नहीं चुकी। पल्लवी अपने सरप्राइज से उबरी भी नहीं थी कि अगले ही पल उसके नाक पर ऐमी का जोरदार प्रहार और उसका नाक भी गया।

पल्लवी अपने नाक पर हाथ देती हसने लगी और ऐमी को रुकने का इशारा किया। वो भी हंसती हुई अाकर अपस्यु के पास बैठ गई। अपस्यु अपना रुमाल निकालकर उसके नाक को साफ करने लगा। इधर पलालवी भी रिलैक्स हुई और अपना खून साफ करने लगी।

पल्लवी:- ऐमी तूने सरप्राइज मूव देकर तो मेरा पिछ्वाड़ा लाल कर दिया।..

ऐमी:- हीहीहीही… भाभी आज पेबैक के इरादे से अाई ही थी मैदान में… चीयर्स…

ऐमी भी एक बियर उठा कर टोस्ट करती हुई पीन लगी। कुछ देर तक चारो की आपस में बातें होती रहीं। उसी दौरान अपस्यु ने जगदीश राय (जगदीश राय वही क्रिमिनल, जिसके अंडरग्राऊंड फाइट वाली जगह में घुसकर अपस्यु और आरव ने उसके सेफ से फाइल उड़ाई थी) के पास से मिली डायरी की तस्वीरें जेके को सौंप दिया। जेके चूंकि इन्हीं क्रिमिनल्स के कब्र खोदने में लगने वाला था इसलिए उसने अपस्यु को दिल से धन्यवाद किया।

15 मिनट बाद चारों एक टेबल पर इकट्ठा हुए और जेके कुछ पुराने फाइल्स उस टेबल पर रखते हुए कहने लगा…. "जून 2007 में हुई आचार्य निशी और उनके चेलों की भीषण हत्याकांड का एक मुख्य कड़ी जो अब तक हमारे नजरों से ओझल रहा था वो एक छोटे से सुराग से अब सामने आ चुका है।"
Shaandaar update hai Kaviraj.
 

Nevil singh

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15 मिनट बाद चारों एक टेबल पर इकट्ठा हुए और जेके कुछ पुराने फाइल्स उस टेबल पर रखते हुए कहने लगा…. "जून 2007 में हुई आचार्य निशी और उनके चेलों की भीषण हत्याकांड का एक मुख्य कड़ी जो अब तक हमारे नजरों से ओझल रहा था, वो एक छोटे से सुराग से अब सामने अा चुका है।"

जेके अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहने लगा….

तुम लोग को देखकर यही एक बात दिमाग में अा रही है… ख्वाहिश एक बदल की थी हाथ पूरा आसमान लग गया। नंदनी रघुवंशी, डॉटर ऑफ कुंवर सिंह राठौड़, इस वक़्त 2000 करोड़ के संपति की मालकिन है, और यदि उसने अपने कजिन विक्रम सिंह राठौड़ को रास्ते से हटा दे, तो वो 20000 करोड़ के एम्पायर की अकेली मालकिन हो जाएगी।

जिन हवाला सिंडिकेट के पीछे तुमलोग पड़े हो उसका बरगद है… मायलो ग्रुप। बेशक मुखिया बदला नहीं है, इसे भी वही ऑपरेट कर रहा है, लेकिन जिस नीव के साथ वो आगे बढ़ा है, तुम्हारे दिमाग की नशें हिल जाएगी उसे बर्बाद करने में।

चन्द्रभान की प्लैनिंग ने भूषण रघुवंशी और मानस रघुवंशी की जान ली थी। दोनों भाइयों के बीच कभी संपत्ति को लेकर लड़ाई हुई ही नहीं। बहस तो बस इतना था कि भूषण को गैर-कानूनी पैसे कभी नहीं चाहिए थे। चन्द्रभान रघुवंशी जो भी पैसों के इधर-उधर करता, वो कंपनी के प्रॉफिट में शो करता और वो उसमे से भूषण को भी हिस्से भेजता था और बदले में चाहता था कि वो भी यही काम करे।

लेकिन भूषण ने कभी भी चन्द्रभान के प्रॉफिट का शेयर एक्सेप्ट नहीं किया और उसे अब किसी भी कीमत पर बिजनेस के 2 हिस्से चाहिए थे क्योंकि ऐसे माहौल में वो अपने भाई के साथ पार्टनरशिप पर काम नहीं कर सकता था, और यहीं से भूषण रघुवंशी पर काल मंडराने लगा।

सी.ए.बी लिमिटेड शक के दायरे में आना शुरू हो चुका था, क्योंकि वेस्ट मैनेजमेंट के जो रिसाइकिल डिवाइस सी.ए.बी इंस्टॉल्ड किया करती थी, वो गुणवत्ता के आधार पर रिजेक्ट किया जा रहा था। इनका एक प्रोडक्ट कहीं इंस्टॉल नहीं हो रहा था, फिर भी इसका प्रॉफिट में होना एक बहुत बड़ा सवाल था।

साल 2006 से प्लान बनना शुरू हुआ। ब्लैक से व्हाइट के धंधे में इन्हे मजबूत आधार चाहिए थे, इसके लिए 2 आधार को तैयार किया गया। एक आचार्य निशी के ट्रस्ट का नाम और दूसरा एक मजबूत बिजनेस एम्पायर, जिसके लिए चुना गया कुंवर सिंह राठौड़ की एम्पायर, क्योंकि चन्द्रभान मायलो ग्रुप के बारे में पूरा रिसर्च कर चुका था। चन्द्रभान ने पहले तो रिश्तेदार होने के नाते, सामने से ऑफर दिया और जब वो नही माने तब एक खेल रचा गया।

एक खूनी खेल जिसमे नंदनी के कजिन विक्रम सिंह ने उसके पूरे परिवार का केवल इकलौता वारिश छोड़ा, नंदनी रघुवंशी। अब उसके परिवार का कोई जिंदा नहीं। लगभग 80 करोड़ के बॉन्ड्स और कुछ शेयर चन्द्रभान ने अपने भाई के नाम छोड़े, ताकि भूषण के मौत के बाद, नंदनी को यह यकीन दिलाया जा सके कि उसने पूरा बटवारा पहले ही कर दिया था।

कुछ दिन नंदनी को वही फ्रांस में रखा जाना था, फिर उसके परिवार की मौत की खबर दी जाती और उसे मायलो ग्रुप का चार्ज लेने इंडिया वापस बुलाया जाता, ताकि उनके काले धंधे को एक व्हाइट फेस मिल सके। पीछे क्या चल रहा है नंदनी को कुछ पता नहीं लगने दिया जाता और पूरा गैर-कानूनी बिल उसके नाम से फाड़े जाने थे।

मास्टर माइंड चन्द्रभान की ये दोहरी नीति … एक कंपनी जो लगातार प्रॉफिट में थी और एक बहुत पुराना ट्रस्ट जिसपर सबको अटूट विश्वास था… दो मुख्य बेस जिसमे आचार्य निशी के ट्रस्ट में 100 करोड़ और 500 करोड़ का मायलो ग्रुप… कुल 600 करोड़ के बेसिक स्टार्ट के साथ हवाला का धंधा। क्या दिमाग पाया था।

भूषण के मौत का समय और तारीख सब पहले से तय हो चुका था, किंतु चन्द्रभान से एक ही चूक हुई और वो मारा गया।… इसी चक्कर में उन लोगों को कभी नंदनी मिली ही नहीं। और उस रात…

अपस्यु:- बस अब उस रात की कोई बात नहीं… ऐमी तुम ठीक हो।

ऐमी:- येस सर..

पल्लवी:- अभी तक येस सर। हिहिहिही … उस दिन फूल तोड़ते हुए अपस्यु गिरा और दिमाग पर ऐमी के चोट लगी।

ऐमी:- कैसे भाभी…

पल्लवी:- उस दिन जो हमने उपाधि वाली कहानी सुनाई थी .. अंग्रेज अपने महान लोगों को सर कहकर संबोधित करते थे…

ऐमी:- हीहीहीही.. सर निकोलस, सर न्यूटन, सर अपस्यु..

पल्लवी:- अब तो छोड़ दो, उस वक़्त तो केवल हमने तुम्हारे साथ बस एक प्रेंक किया था।

ऐमी:- अच्छा अच्छा.. वो प्रैंक था। अब रहने भी दो आप.. मेरा मुंह दबाकर मुझे उठाकर लाए थे। प्राण हलख में अटक गए थे। किडनैपिंग कहिए उसको…

अपस्यु:- एक और आस्तीन का सांप। कोई नहीं जेके भैय्या ये एहसान रहा।

जेके:- नो फ़्री सर्विस बेटा। तुम हम में से एक हो, एक अनाधिकारिक एजेंट। एक केस में मै तुम्हारी मदद कर रहा हूं, बदले में तुम भी मदद कर दिया करते हो। इसलिए फॉर्मेलिटी नहीं।

"लेकिन एक बात जो मुझे जरूरी लग रहा है बताना…. अभी उनकी जड़ें बहुत ही मजबूत है। तुम्हे अंदाज़ा भी नहीं की ये लोग कितने व्हाइट कॉलर लोगों के ब्लैक पैसे को व्हाइट करते है। इनपर कमजोर हाथ डालोगे तो समझ लो कि तुमने भारत के टॉप पॉलिटीशियन, बिजनेसमैन, ऑर्गनाइजेशन, क्रिमिनल्स और ना जाने कितने ब्यूरेक्रेट्स पर हाथ डाल दिए। एक बार मे तुम और तुमसे जुड़े सभी लोग गायब हो जाओगे, किसीको कनोकान भनक तक नहीं लगेगी। जैसे 2007 में हुआ था पूरा एक आश्रम जल गया, 160 बच्चे मर गए, एक पूरी रॉयल फ़ैमिली खत्म हो गई और किसी अखबार के छोटे कोने में भी नहीं छापा।"

"इसलिए जब भी इनको आजमाना उस वक़्त एक साथ हमले होने चाहिए। पता ना चले इन्हे की क्या हो रहा है। बौखलाकर एक दूसरे को नोचने लगे… पागलों की तरह अपना सर पीटने लगे… किसी को भी मारना मत, जिंदगी सजा लगे वो हाल करना। पूरे धैर्य के साथ आगे बढ़ना, अनुकूल समय दिखे तो इनके नेटवर्क को तोड़ते रहना और सही वक़्त पर अपने हर साथी का उस निर्मम हत्या का पूरा हिसाब लेना। और सबसे जरूरी बात"..…


अपस्यु:- जबतक हम जिंदा है तभी तक हमारा न्याय जिंदा है। हम गए तो साथ हमारा न्याय भी चला जाएगा…

जेके:- आय शाबाश… इसे कहते है सच्चा खिलाड़ी…. चलो आज की मीटिंग यहीं खत्म होती है।…

पल्लवी:- जेके तुम जाओ आज रात का प्रोग्राम मैंने अपस्यु के साथ सेट किया है। क्यों छोड़े तैयार है।

अपस्यु:- अरे यार संभालो अपनी बीवी को वो फिर पागल हो गई है।

जेके:- पागल क्यों ना हो, कल ही उसने एक कहानी पढ़ी थी.. कौन सी थी वो पल्लवी…

पल्लवी…. भाभी के साथ सुहागरात मनाई भाय्या के बगल में।

ऐमी:- मै जा रही हूं, इसे और सुनूंगी तो आत्महत्या कर लूंगी…

अपस्यु:- रुकी ऐमी… मै भी आया…

दोनों तेज नहीं चले बिल्कुल वहां से दुम दबाकर भाग गए। उसको ऐसे भागते देख पल्लवी और जेके दोनों हसने लगे। …. "तुम्हारी आखें इतनी जली-बुझी सी क्यों थी मिस्टर जुगल किशोर"… पल्लवी उसे एक हाथ मारती हुई पूछने लगी।

जेके:- यार उसे ऑफर पर ऑफर दिए जा रही थी और मैं बेचारा 4 दिन का प्यासा। पत्नी होने के बावजूद हाथों से काम चलाना पड़ रहा है।

पल्लवी:- ओह ऐसा है क्या.. कोई नहीं आज तुम्हे पूरा मौका मिलेगा मिस्टर हसबैंड। जो बैंड ऐमी ने मेरे पिछवाड़े की बजाई है, अब तो उसे तुम्हारे हाथ के मालिश की ही जरूरत होगी।

जेके:- यार क्या शानदार मूव था वो। मै तो दंग ही रह गया। लगभग वो हमला कर चुकी थी। लेकिन आखरी वक़्त का उसका वो बदलाव.. ध्यान, एकाग्रता, और पूरा बैलेंस.. कमाल की अचीवमेंट की हैं।

पल्लवी:- आज वायग्रा लेे लेना.. पूरा फ्री है तो अभी से ही तुम मेहनत करना ताकि सुबह तक तुम्हारे लिए भी कहा जा सके.. कमाल का अचीवमेंट।

अपस्यु और ऐमी दोनों भागते हुए कार में आए और वहां से जल्दी में निकल गए…. "यार ये पल्लवी भाभी कभी नहीं सुधर सकती। लास्ट ईयर नागपुर का किस्सा भूल तो नहीं।"..

अपस्यु:- मत याद दिलाओ वरना मै गाड़ी से कूद जाऊंगा।

ऐमी उसका कंधा पकड़ कर खींचती हुई उसके चेहरे को अपने चेहरे के करीब लाई और कहने लगी….. "भाभी के शिकार होने से बचने के लिए एक युवक ने कुएं में छलांग लगा दिया… हिहिहिहिही….".

अपस्यु:- बेकार सा जोक था हंसी नहीं आयी।

ऐमी:- हंसी नहीं आती हो तो मोड़ लो गाड़ी, भाभी अभी तक वहीं होंगी।

अपस्यु:- बस रे बाबा बस आज के लिए मेरी इतनी छिलाई काफी है।

ऐमी:- 11 बज रहे है, डिस्को चले क्या?

अपस्यु:- मेरे पाऊं में पहले से छाले पड़े हुए थे, ऊपर से जेके भैय्या ने अपनी स्नाइपर के ताल पर मुझे नचाया, तुम खुद डिसाइड कर लो अब।

ऐमी:- कोई बात नही.. तुम आराम करो लेकिन कल पक्का हम डिस्को चल रहे है और इसपर कोई बहस नहीं।

अपस्यु:- ठीक है पक्का.. अच्छा सुनो तुम पार्थ, आरव और स्वस्तिका को फॉल बैंक का संदेश देकर, 29 जून को बार्सिलोना में एक मीटिंग का कॉल दो।

ऐमी:- जी सर अपस्यु…

अपार्टमेंट के गेट पर अपस्यु उतर गया और ऐमी वहां से चली गई। अपस्यु मुस्कुराते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था और वो शाम के संगीत को याद करके खुश हुआ जा रहा था।

अपस्यु अपने धुन में घुसा, सामने नंदनी खड़ी थी। ये अंदर की भावना… अभी वो संगीत में डूबा था और नंदनी का चेहरा देख कर दर्द में अा गया। वो नंदनी को गले लगाकर कहने लगा…. "आप ने बहुत दर्द झेले है। सिर्फ एक सनकी की वजह से आपको ये सब झेलना पड़ा है।"

नंदनी उसे खुद से अलग करती हुई उसका मुंह सूंघने लगी…. "तुम पी कर तो नहीं आए।"

अपस्यु, नंदनी के दोनों गाल पकड़ के खींचते हुए…. "क्या आप भी ना मां, बहुत तेज भूख लगी है कुछ खाने को दो।… तभी उसकी नजर हॉल के दूसरे हिस्से पर पड़ती है…. "मां ये सब"….

नंदनी:- वो उनके यहां नियम है कि 4-5 दिनों तक खाना नहीं बनता है, अब कहां वो लोग बार-बार रेस्टुरेंट से ऑर्डर देकर इतने लोगो का खाना मंगवाते, इसलिए उस हॉल का किचेन उन लोगों को इस्तमाल करने के लिए दे दिया।

अपस्यु:- और घर में कुछ चोरी वग्रह हुई तो, या रात को किसी ने आपके गले पर चाकू रखकर सब कुछ लूट लिया तो।

नंदनी:- अपना सबकुछ तो बैंक में है, यहां लुटकर क्या करेंगे? जो भी लूटने आएंगे उन्हें मै बोल दूंगी… सुनिए आप मेरी नींद खराब मत कीजिए, जो भी ले जाना है बड़े आराम से लीजिएगा।

अपस्यु:- हाहाहाहाहा.…. मां मेरा एक काम करोगी?

नंदनी:- क्या?

अपस्यु:- मेरे रूम में जाकर वो जड़ी बूटियों वाला बैग लेे आओ ना। मै जबतक हमारे लिए खाना गर्म करके लगाता हूं।

नंदनी:- क्या हो गया, तुम्हारा चेहरा फिर जला क्या? लेकिन देखने से तो नहीं लगता की किसी ने कॉफी फेकी हो…

अपस्यु:- हा … हा … हा … मस्त जोक था। मां ला दो ना प्लीज़।

नंदनी:- अच्छा ठीक है ला देती हूं, लेकिन तुम खाना रहने दो, जाकर हाथ मुंह धोकर आराम से बैठो।

"ठीक है मां, जैसा आप कहो।"… और अपस्यु हाथ मुंह धो कर सोफे पर लेट गया। नंदनी जब बैग लेकर अाई तब उसकी नजर पहली बार उसके तलवों पर गई, जिसपर से अपस्यु ने पट्टी हटा दिया था।

बहुत ही बुरी स्थिति में उसके लाऊं की हालत थी, नंदनी से देखा नहीं गया। सर छू कर देखी तो बदन भी गरम था… अपस्यु, नंदनी को चिंता में देखकर कहने लगा…. "बस थोड़े से छाले पड़े है मां, वो लेप लगा लूंगा तो रात भर में आराम मिल जाएगा।"

नंदनी:- तुम्हे डॉक्टर से परहेज़ है क्या? ये तो बहुत बुरे कंडीशन में है बेटा।

अपस्यु:- आप चिंता ना करे मां, वो बैग ला दीजिए मै सामग्री निकाल देता हूं। आप बस गुलाब जल में इसका लेप बनाकर लगा दीजिए, सुबह तक ठीक हो जाएगा।

थोड़ी ही देर में नंदनी बैग लेकर पहुंच गई।अपस्यु ने नंदनी को सारा समान निकाल कर दे दिया, वो जल्दी में गई और ग्राइंडर में पीसकर उसका लेप तैयार करने लगी। इतने में वहां साची और लावणी भी पहुंच गई। "क्या आंटी आप दरवाजा तो बंद कर लिया करो कम से कम"… साची दरवाजे से ही तेज चिल्लाती हुई कहने लगी, शायद अपस्यु को सुना रही थी, और लावणी तो अंदर आते ही चारो ओर ताक-झांक शुरू कर दी।

नंदनी किचेन से लेप लाती हुई सीधा अपस्यु के पास ही अाई….. "वहां क्यों खड़ी हो अा जाओ।"….

साची और लावणी दोनों वहां पहुंची, नंदनी जबतक अपस्यु के बाएं तलवे में लेप लगा रही थी। दाएं पाऊं का हाल देख कर दोनों बहने सिहर गई। …. इधर नंदनी लेप लगाने के चक्कर में थोड़ी देर के लिए भूल ही गई की वहां साची और लावणी भी है। फिर उसे जब ये ख्याल आया तब वो दाएं पाऊं में लेप लगाती हुई पूछने लगी…. "किसी काम से आए थे क्या तुम दोनों।"…. नंदनी ने दोबारा पूछा, लेकिन फिर भी कोई जवाब नहीं और जब वो पीछे मुड़कर देखी तो दोनों में से कोई नहीं थी, बल्कि वहां श्रेया खड़ी थी, जो बड़े ध्यान से नंदनी को लेप लगाते हुए देख रही थी।
Behtreen update hai mitr.
 

Xfan

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Romance aur Action Se bhara behatarin update...
Pahle pradip apane sath le jana kucch Hajam nhi hua...
Dusra propose karna wo bhi us flower ko deke jo rare hai (aisa mera manana hai) jo ki ussi ashram ke pass milta hoga...
baki jo apasyu aur ami ke bich ki chemistry hai na wo alag hi level ki hai...
keep posting...
 

Nevil singh

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फ्लाइट में .. रात के 8 बजे….

तीनों बिजनेस क्लास से जा रहे थे और क्रिश इकॉनमी क्लास में था। इस चक्कर में क्रिश बार-बार उठकर विन्नी से मिलने बिजनेस क्लास में आ जाता, जिस वजह से वहां बैठे पैसेंजर काफी गुस्से में आते हुए उसकी शिकायत फ्लाइट क्रु से करने लगे।

मजबूरन माहौल को संभालने के लिए आरव ने क्रिश के पास वाली सीट पर बैठे एक सज्जन को बिजनेस क्लास में जाने का आग्रह किया और स्वयं उसकी जगह बैठ गया…. "अबे ओ घोंचू, पूरा 1 महीना छुट्टी पर है, फ्लाइट में ऐसी तुच्ची हरकत करते शर्म नहीं आती।"

क्रिश:- यार कॉलेज से दुकान और दुकान से घर, मेरे पप्पा ने कभी मुझे वक़्त ही नहीं दिया, जो मै अपनी विन्नी को घुमा भी सकु। आज पहली बार कहीं इतनी दूर जा रहा हूं, मेरी भी तो फीलिंग्स है यार। लेकिन यहां भी बिजनेस क्लास और इकॉनमी क्लास कि दीवार।

आरव:- किस चीज कि दुकान है तुम्हारी।

क्रिश:- दिल्ली में 4 रेस्टुरेंट की दुकान है।

आरव:- अबे रेस्टुरेंट को दुकान बोल रहा है…

क्रिश:- पप्पा कहते है, चाहे शॉपिंग मॉल हो या ऑनलाइन बाज़ार सब दुकान है और दुकान अपना इमान है।

आरव:- नाम क्या है तेरे पप्पा का।

क्रिश:- श्याम सुन्दर पटेल…

आरव:- तू गुजराती मानस है।

क्रिश:- हां

आरव:- अबे तेरे टोन से कभी पता ही नहीं चलता।

क्रिश:- इसी कारण से तो घर में रोज गालियां खाता हूं। मेरे पप्पा कहते है हॉस्पिटल में मेरा बेटा ही किसी ने बदल दिया।

आरव जोड़ जोड़ से हंसते हुए कहने लगा…. "शायद तेरे पप्पा का अनुमान सच हो।"

क्रिश:- क्या यार मज़ाक उड़ा रहे हो मेरा। ऐसा कुछ नहीं है, अब पैदा होने से लेकर आज तक मै दिल्ली में रहा। ऊपर से अपने धंधे के चक्कर में उन्होंने मेरी पूरी स्कूलिंग बोर्डिंग से करवाया। घंटा मै कुछ सीख पता। अब इनको कौन समझाए।

आरव:- अबे तू तो इमोशनल हो गया। अच्छा ये बता जब तू 4 रुपए के लागत का माल 400 में बेचता है फिर अपनी गर्लफ्रेंड का खर्चा क्यों नहीं उठाया। साले कंजूस….

क्रिश:- मै तो तैयार ही था लेकिन उसके भाई को देख कर मेरी फट जाती है। एक बार मैं और विन्नी कॉलेज में एक दूसरे का हाथ पकड़कर घूम रहे थे। विन्नी के भैय्या ने हमे देख लिया। बस इतनी सी बात के लिए मुझे कोपचे में लेे जाकर 2 थप्पड लगा दिए और जाते-जाते वार्निंग भी देते गए मुझे, हमेशा दूरी बना कर रखो।

आरव:- अच्छा सुन अब तो हमने तेरा काम कर दिया ना… तो तू 14 लाख दे देना, विन्नी के आने जाने का भाड़ा।

क्रिश:- क्या 14 लाख !!!.. मेरा तो आना-जाना सब 2 लाख 2 हजार का है।

आरव:- साले कंजर, जून का महीना, 5 दिन पहले बिजनेस क्लास की टिकट.. छुट्टियों के सीजन में 5 गुना तक कीमत वसूल कर लेते है ये एयरलाइंस वाले। वैसे एक बात बता, दोनों कितने साल से रिलेशन में हो..

क्रिश:- 4 साल से..

आरव:- हां तो तू राउंड फिगर 15 लाख दे देना।

क्रिश:- मेरा 4 साल का रिलेशन जान कर सीधा 1 लाख बढ़ा दिए…

आरव:- साले कंजर, अपने पप्पा के दुकान में बैठ कर तो तू उसे कॉफी पिलाता नहीं रोज, तो 200 रुपया रोज के कॉफी का पकड़ ले, फिर हफ्ते में एक दिन सिनेमा जाता उसका हफ्ते का 2000 पकड़ कर रख। फिर महीने में एक महंगी ट्रिप बनता, उसका 10000 पकड़। इसके अलावा ड्रेस और गिफ्ट का खर्च 10000 रुपया महीना मान ले। चल अब जोड़ कर बता कितना खर्चा आया 1 महीने का और इस हिसाब से महंगाई में 20% हर साल इजाफे के साथ 4 साल का खर्च कैलकुलेट कर।

क्रिश, आरव के ओर मुड़कर देखते हुए…. "आरव, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?"

आरव:- अब तू मेरे गर्लफ्रेंड की इंक्वायरी क्यों कर रहा है।

क्रिश:- तुम्हारे घर मै पप्पा को भेजता हूं ना, जैसा दामाद वो ढूंढ़ रहे है तुम में वो सारे गुण है। मेरे परिवार के ओर से ये रिश्ता मै आज ही पक्का कर देता हूं।

आरव:- हट, तू दूर हट… साला उल्टी खोपड़ी…


साची का घर

"क्या हुआ दीदी आप के लिए तो वो मात्र एक आम लड़का था, तो फिर उसके लिए इतना सोच में डूबना क्यों?"… लावणी साची को अपने ख्यालों से बाहर निकालती हुई पूछने लगी।

साची:- उसकी जगह कोई भी होता तो उसके लिए भी मै इतना ही सोचती, कितनी बुरी तरह जला हुए था उसका पाऊं।

लावणी:- हां लेकिन किसी भी लड़के का पाऊं जला होगा इस व्याकुलता से तुम उसके घर नहीं जाती उसे देखने, वो भी रात में साढ़े ग्यारह बजे। उस वक़्त मै भी आप के पीछे ही बैठी थी, और मैंने सब देखा। कैसे आपने अपने नंगे पाऊं सड़क पर डाल कर चेक किया था।

साची:- मुझे इस बारे ने बात नहीं करनी।

लावणी:- मै भी आप से इस विषय पर बात नहीं करना चाहती। मै बस इतना कहना चाहती हूं कि नफरत आप को जलाती रहेगी। अगर किसी को चाहा है तो चाहते रहिए, ये चाहत और नफरत के साथ जिंदगी बेकार होते चली जाएगी।

साची:- तू एग्जैक्टली कहना क्या चाहती है?

लावणी:- दोनों भाई पैसे वाले है। पर्सनैलिटी तो किसी भी लड़की को आकर्षित कर ले, फिर भी कभी दोनों भाई को देखी हो कभी भी किसी लड़की को अपने खाली घर में लाया हो। ये दिल्ली है दीदी, उसकी जगह कोई और होता ना तो आप को वहां हर दूसरे या तीसरे दिन पर कोई नई लड़की दिख जाति।

साची:- तू उनकी अच्छाई गिना कर मुझे पिघलाने की कोशिश कर रही है। ये संभव नहीं।

लावणी:- आप ना तो इस पार हो ना उस पार। ना तो भूलकर आगे बढ़ना चाहती हो, और ना ही परिस्थिति को स्वीकार कर कोई विचार बना पा रही हो। तुम भी तो यहां बॉयफ्रेंड बनाने अाई थी। थोड़ा खुलकर जीने अाई थी, तो क्या जिसे बॉयफ्रेंड बनती उसके साथ लाइफलोग रिलेशन चलता। थोड़ा अपनी सोच का भी दायरा बढ़ाओ। जानती हो मुझे क्या लगता है, आप जितना ब्रेकअप से नहीं हताश है उससे कहीं ज्यादा आप को इस बात की इर्ष्या है कि वो किसी और लड़की के साथ वो क्यों है? भला लड़का था जो उसने सब पहले बताना सही समझा क्योंकि वो अपने रिलेशन उस लड़की से खत्म नहीं कर सकता था और ना ही आप को अंधेरे में रखना चाहता था। वरना यहां तो लड़के हो या लड़कियां सब कई रिलेशन एक साथ मेंटेन करते है, फीलिंग की किसे परवाह।

साची:- भुटकि, तू समर्टली खेल गई हां..

लावणी:- क्या हुआ दी, आप ऐसे शक्की नजरों से मुझे क्यों घूर रही है…

साची:- एक सोची समझी चाल, एक भाई से दूसरे बहन का रिश्ता खराब तो दूसरे भाई के साथ तेरे रिलेशन में कहीं कोई दरार ना अा जाए…

लावणी:- नहीं नहीं मेरा वो मकसद तो बिल्कुल भी नहीं था.. सॉरी दी लेकिन प्लीज मेरी बात को मेरे रिलेशन से मत जोड़ों…

साची:- हिहिहिहीही… डरपोक कहीं की.. वो गाना नहीं सुनी क्या, जब प्यार किया तो डरना क्या। और हां थैंक्स.. बातों बातों में तुमने बहुत कुछ सीखा दिया। अभी छुट्टियों को एन्जॉय करते है और मै एक गैप लेती हूं। वापस लौटकर निपटेंगे हमसे टकराए, इस केजुअल रिलेशन वाले अपस्यु से…

लावणी:- ये हुई ना बात.. डॉट्स माह सट्रोंग दीदी।

साची… और तू प्यारी सी मेरी भूटकि। वैसे एक बात तो है, तू बिल्कुल हैंडपंप है। ऊपर से तो 4 फिट की नजर आती है लेकिन अंदर की गहराई का पता नहीं चलता।

लावणी:- अरे अरे अरे… मैं 5 फिट 5 इंच की हूं। बस आप लोगों से थोड़ी कम हाइट है, इसका मतलब ये नहीं कि 4 फिट का ही बोल दो…

जैसे पुरानी साची वापसी करने को तैयार थी। 15-20 दिन के ठहराव के बाद आज पहली बार वो खुल कर मुस्कुरा रही थी और लावणी के साथ नोक झोंक चल रहा था….


अपस्यु का घर….

दाएं पाऊं पर लेप लगाते हुए जब नंदनी ने 2 बार उन्हें पूछ लिया लेकिन फिर भी कोई जवाब ना आया, नंदनी पलटी और पीछे श्रेया खड़ी थी…

नंदनी:- तुम हो श्रेया, वो दोनों कहां गई…

श्रेया:- मै जब इधर अा रही थी तभी वो गई।

नंदनी:- कुछ बताई भी नहीं क्यों अाई थी, रुकी भी नहीं। जाने दो उनको, सभी गेस्ट खाना खा लिए।

श्रेया:- हां आंटी सबने खा लिया। क्या मै आप के गले लग सकती हूं।

नंदनी:- एक शर्त पर, यदि गले लग कर रोना नहीं है तब इजाज़त है वरना नहीं।

श्रेया, नंदनी के गले लगती कहने लगी… "आप बहुत स्वीट हो, आपने बहुत मदद की वरना आज मै भागते दौड़ते परेशान हो जाती"

नंदनी:- इतने सारे तो लोग है, और तुम्हारे दोनों भाई भी तो है.. सब मिलकर कर लेते।

श्रेया:- हां वो तो कर ही लेते सब मिलकर लेकिन मै क्या घर में बैठी रहती मुझे भी तो उनके साथ भाग दौड़ करनी परती ना।

नंदनी:- हाहाहाहा… हां सो तो मैंने भी देखा, यहां भी तुमने कम भागदौड़ नहीं की। चलो अब बैठकर तुम मेरे साथ खाना खा लो।

श्रेया नंदनी को कुर्सी बार बिठाते…. "आप यहीं बैठिए, मै निकलती हूं खाना।"…. श्रेया अपास्यु को खाने के लिए कहने गई….. "आंटी अपस्यु तो सो गया है, इसे जगा दूं।"

नंदनी:- आराम करने दो उसे श्रेया, रात को उठकर खा लेगा…

श्रेया, प्लेट लगाती…. "पक्का उठ कर खा लेगा क्या?"

नंदनी:- हां इस मामले में मेरा बेटा बहुत जागरूक है। अपने हेल्थ पर पूरा ध्यान देता है। वो उधर उस हिस्से में बड़ा सा पार्टीशन जो देख रही हो, वहां रोज ये अपने भाई बहन के साथ एक्सरसाइज करता है।

श्रेया:- ये तो अच्छी बात है आंटी। एक बात समझ में नहीं आयी, जब इतना हेल्थ कॉन्शस है फिर पाऊं में क्या लगाया है। मैंने दिन में ऑइंटमेंट और मेडिसिन दी तो थी।

नंदनी:- मत कहो बेटा। पता नहीं इसे तो जैसे डॉक्टर से ही नफरत है। अपने बैग में जड़ीबूटियां भरे रहता है और खुद ही अपना इलाज कर लेता है।

श्रेया:- अम्म .. आंटी ये असर भी करती है क्या?

नंदनी:- मुझे भी इसी बात का शक था लेकिन असर करता है। तुम सुबह खुद ही देख लेना।

श्रेया:- आंटी अगर आपके बेटे जैसे सब हो गए तब तो मेरा क्लीनिक खुलने से पहले ही बंद हो जाएगा।

हल्की फुल्की बातों का लुफ्त उठाते दोनों खा रहे थे। थोड़ी देर बाद दोनों कि सभा समाप्त हुई और श्रेया, नंदनी को सुभ रात्रि कहकर निकल गई। सुबह सुबह का वक़्त था। श्रेया ट्रे में चाय लिए अपने सभी गेस्ट को चाय दे रही थी। चाय देते हुए वो नंदनी के पास पहुंची… "आंटी चाय"..… "थैंक्स बेटा"…. "आंटी अपस्यु कहीं दिख नहीं रहा"….. "वो एक्सरसाइज कर रहा है।"..

श्रया, बाहर से ही नॉक करती… "क्या अंदर अा सकती हूं।"… "एक मिनट"… अपस्यु अपने ऊपर शर्ट डालते हुए दरवाजा खोला…. "आप है, आइए"…

श्रेया एक कप चाय अपस्यु को देती हुई, अपना अपने चाय के प्याले के साथ वहीं बैठ गई…. "सो इट्स डेस्टिनी हां।"..

अपस्यु:- हां कह सकते है।

श्रेया:- आप को ज्योत्षी होना चाहिए था।

अपस्यु:- ये तारों और ग्रहों की दिशा समझने के लिए पूरा एक जीवन भी कम पड़ जाएगा, मुझ से तो ना होगा।

श्रेया:- आप तो ऐसे बोल रहे है जैसे आपने कोशिश की थी।

अपस्यु:- जी कोशिश तो कभी नहीं किया, लेकिन एक महान ज्योत्षी से मुलाकात हुई थी। उनके अध्यन और विषय कि गहराई समझने के बाद बता रहा हूं।

श्रेया:- बहुत रोचक है आप। वैसे जरा अपना पाऊं दिखा सकते है क्या?

अपस्यु, अपना पाऊं ऊपर किया और श्रेया उसे देखने लगी…. "क्या बात है इसमें तो पहले से काफी सुधार है। इनफैक्ट ये तो कमाल हो गया, मेडिसिन से एक रात में इतना रिकवर होना थोड़ा मुश्किल था।

अपस्यु:- आप ने जो मेडिसिन दी थी उसमें से एंटीबायोटिक लिया था मैंने, बस ऑइंटमेंट की जगह अपना स्वदेशी उपचार किया।

श्रेया:- आप ने आयुर्वेद पढ़ा है क्या?

अपस्यु:- पढ़ा थोड़ा काम ही है पर कई तरह के जड़ी-बूटी का ज्ञान मुझे गुरुजी ने जबरदस्ती दे दिया था।

श्रेया:- कूल हां, मतलब आप गुरुकुल के छात्र रहे है।

अपस्यु:- जी कह सकते है।

श्रेया:- अच्छा लगा आप से मिलकर, चलती हूं बहुत सारे काम पड़े है।

श्रेया वहां से चल दी और अपस्यु अपने व्यायाम में लगा रहा। सुबह से 7.30 बज रहे होंगे जब कई सारे ड्राइवर्स की भीड़ अपस्यु के दरवाजे के बाहर थी, और नंदनी एक एक करके सबका इंटरव्यू ले रही थी।…. "मां अब ये सब क्या है।"…

नंदनी:- तू तो कल अपनी उस बेकाबू कार को वहीं सड़क पर खड़ी करके चला गया था, मैंने सोचा खुद से अंदर कर देती हूं लेकिन..

अपस्यु:- हाहाहा.. लेकिन आप ने ठोक दी… वैसे कहीं से टूटी-फूटी तो नहीं दिख रही आप।

नंदनी:- वाह बेटा, मतलब अपनी मां को टूटा-फूटा देखना चाहता है। मै तो नहीं टूटी लेकिन वो सरला जी की कार बुरी तरह डैमेज हो गई।

अपस्यु:- अब ये सरला कौन है…

नंदनी:- सरला मेरे लिए तेरे लिए आंटी.. 304 फ्लैट उन्हीं का है ना…

अपस्यु:- ओह !!! कोई ना, उनकी कार गारेज गई की नहीं।

नंदनी:- मैंने इतना ध्यान ही नहीं दिया, टक्कर हुई तो मैं इतना घबरा गई थी कि इन सब बातों पर ध्यान ही नहीं गया… तू जाकर उधर देख लेगा क्या? मै जबतक अपने लिए एक ड्राइवर रख लूं।

अपस्यु:- आप रहने दो मां, मै आप के लिए ड्राइवर देख लेता हूं, आप जाकर उधर पता लगा आओ।

नंदनी:- अब तुम मुझे आदेश दोगे। जैसा मै कहूंगी वहीं होगा।

अपस्यु:- ठीक है मां… जैसा आप चाहो.. मै ही जाता हूं..

नंदनी:- नहीं ! तुम ड्राइवर सिलेक्ट करो मै उधर जा रही हूं…

दोनों हसने लगे। नंदनी उधर चली गई और अपस्यु ड्राइवर को परखने लगा.. 20 लोगों में से उसने 2 को अलग किया… एक का नाम गुफरान था और दूसरे का प्रदीप… बाकी सबको कुछ पैसे देकर अपस्यु ने सबको वहां से विदा किया।
Marmsaparshi update hai bandhu.
 

mohit98075

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हर मोड़- मोड़, हर डगर- डगर
भंवर है ये भंवर- भंवर....
कोई नोटों की कमाई में लिप्त है
कोई वोटों की दुहाई में संलिप्त है।
हर किसी कहानी कि बस एक दास्तां
जहां घिरे वहीं फसे, फसे तो बस फंसते रहे
फिर चाहे प्यार में फसे या परिवार में फसे
व्यापार में फसे या गलत कारोबार में फसे
हर मोड़- मोड़, हर डगर- डगर

भंवर है ये भंवर- भंवर....
:applause: aage kuch na kahuga is line ke bare me itna aaj padh liya fir aage ka kal :D
 
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सबसे पहले तो नैन भाई बधाई आपको पांच सौ पेज पुरे होने पर......... लेकिन आपके कहानी का प्लाट हजार पेज से भी ऊपर का होना चाहिए ।

आप को एक बार और धन्यवाद कहना चाहता हूं..... कहानी के प्रति आपका समर्पण और लगन......... एक साथ दो दो कहानियां लिखना और हर दो चार दिनों में कंटिन्यू अपडेट करना ।........ और कल तो आपने एक बार में ही चार अपडेट भी दे दिए । आपके मेहनत को मेरा हार्दिक नमन।

अब मैं कुछ कहानी के लिए कहना चाहता हूं..........

अमेरिका में जिंदल फेमिली ने प्राइवेट आर्मी संचालित फर्म को बहुत ही बड़ी कीमत पर हाॅयर किया था । एक बार तो मुझे लगा कि शायद श्रेया और उसकी टीम सार्जेंट जेम्स होप्स के ही प्यादे हों...... लेकिन श्रेया एंड टीम तो यहां महीनों से अपस्यू के पड़ोसी है जबकि शिकागो में कुछेक दिन ही हुए हैं नवीन , कृपाल , मुर्तुजा आदि को मारे हुए ।

इसका मतलब श्रेया एंड कंपनी के साथ कुछ और ही कहानी हो सकती है ?

लेकिन सार्जेंट होप्स कुछ न कुछ तो कर ही रहा होगा । कैसे अपस्यू ने वो हैरतअंगेज कारनामा कर दिखाया ?

सालों पहले एक आश्रम में १६० बच्चों के साथ साथ कई लोगों को जिंदा जला दिया गया...... हत्यारे सौ लोग थे । लेकिन अंततः वहां से पन्द्रह ही हत्यारे सही सलामत बच कर वापस आएं । उन पन्द्रह लोगों ने बाकी के अपने पचासी साथियों को वहीं पर समाधी बनवा दिया........ कैसे ? ....
वैसे तो मुर्तुजा टीम के साथ ही उन सभी पन्द्रह की जीवनलीला समाप्त हो गई ।

एक सवाल और भी है...... जहां पर ये जघन्य कृत्य हुआ था... क्या वो गुरूकुल था ?....
क्योंकि पार्थ , स्वस्तिका , ऐमी , ऐमी की मां और भाई , अपस्यू की मां और भाई आरव...... एक साथ गुरुकुल में ही मिल सकते थे ।

इस कांड में चंद्रभान के अलावा मनीष , राजीव के अलावा भी कुछ लोग शामिल हो सकते हैं । शायद जिंदल के अलावा विक्रम सिंह ?

अपस्यू का बाप चंद्रभान.....जो इस विभत्स कांड का सरगना था.....उसे उस आश्रम से क्या स्वार्थ था ?
प्रकाश जिंदल..... शायद इस पुरे कांड का मास्टरमाइंड होगा ?


अपस्यू की मां के साथ क्या हुआ था ? सुलेखा के साथ दोस्ती थी , ये तो समझ में आया लेकिन उनके बारे में अभी कोई भी जानकारी नहीं है ।

नंदनी राजस्थान के राजपरिवार से है लेकिन उसके चचेरे भाई विक्रम सिंह के कारण उसके पिता कुंवर सिंह को लोग घृणा की दृष्टि से देखते हैं...... विक्रम सिंह ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नंदनी की सारी संपत्ति हड़प ली ।...... कैसे ?
और वहीं पार्थ , वीरभद्र और निम्मी के साथ धमाल मचायेगा ।.... शायद !

कहने को तो बहुत कुछ है... अब पुरा कहानी पढ़ लिया है तो धीरे-धीरे अगले अपडेट में कहता जाऊंगा ।

अपस्यू....आरव....ऐमी.... लावणी....साची....कुंजल..... स्वस्तिका.... पार्थ.... वीरभद्र.... निम्मी.... नंदनी.... एडवोकेट सिन्हा....दीपेश... निर्मल....

प्रकाश जिंदल...मेघा....धृव...हाडविक... विक्रम सिंह... कंवल...लोकेश.... दोनों की पत्नियां... कुसुम....
मनीष... अनुपमा... राजीव... सुलेखा.... नीरज.... कबीर...
श्रेया और कम्पनी....
होम मिनिस्टर...
मेम्बर आफ पार्लियामेंट.... उनकी बेटी....

और चंद्रभान रघुवंशी । ( मुझे लगता है ये शख्स अभी भी जिंदा है )

बहुत सारे कैरेक्टर हैं...... वैसे मुझे ऐमी और अपस्यू ज्यादा पसंद हैं ।

बहुत बहुत ही सुन्दर कहानी और आपके डायलॉग के बारे में तो पहले ही कह चुका हूं...... अद्भुत ।
 
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