सबसे पहले तो नैन भाई बधाई आपको पांच सौ पेज पुरे होने पर......... लेकिन आपके कहानी का प्लाट हजार पेज से भी ऊपर का होना चाहिए ।
आप को एक बार और धन्यवाद कहना चाहता हूं..... कहानी के प्रति आपका समर्पण और लगन......... एक साथ दो दो कहानियां लिखना और हर दो चार दिनों में कंटिन्यू अपडेट करना ।........ और कल तो आपने एक बार में ही चार अपडेट भी दे दिए । आपके मेहनत को मेरा हार्दिक नमन।
अब मैं कुछ कहानी के लिए कहना चाहता हूं..........
अमेरिका में जिंदल फेमिली ने प्राइवेट आर्मी संचालित फर्म को बहुत ही बड़ी कीमत पर हाॅयर किया था । एक बार तो मुझे लगा कि शायद श्रेया और उसकी टीम सार्जेंट जेम्स होप्स के ही प्यादे हों...... लेकिन श्रेया एंड टीम तो यहां महीनों से अपस्यू के पड़ोसी है जबकि शिकागो में कुछेक दिन ही हुए हैं नवीन , कृपाल , मुर्तुजा आदि को मारे हुए ।
इसका मतलब श्रेया एंड कंपनी के साथ कुछ और ही कहानी हो सकती है ?
लेकिन सार्जेंट होप्स कुछ न कुछ तो कर ही रहा होगा । कैसे अपस्यू ने वो हैरतअंगेज कारनामा कर दिखाया ?
सालों पहले एक आश्रम में १६० बच्चों के साथ साथ कई लोगों को जिंदा जला दिया गया...... हत्यारे सौ लोग थे । लेकिन अंततः वहां से पन्द्रह ही हत्यारे सही सलामत बच कर वापस आएं । उन पन्द्रह लोगों ने बाकी के अपने पचासी साथियों को वहीं पर समाधी बनवा दिया........ कैसे ? ....
वैसे तो मुर्तुजा टीम के साथ ही उन सभी पन्द्रह की जीवनलीला समाप्त हो गई ।
एक सवाल और भी है...... जहां पर ये जघन्य कृत्य हुआ था... क्या वो गुरूकुल था ?....
क्योंकि पार्थ , स्वस्तिका , ऐमी , ऐमी की मां और भाई , अपस्यू की मां और भाई आरव...... एक साथ गुरुकुल में ही मिल सकते थे ।
इस कांड में चंद्रभान के अलावा मनीष , राजीव के अलावा भी कुछ लोग शामिल हो सकते हैं । शायद जिंदल के अलावा विक्रम सिंह ?
अपस्यू का बाप चंद्रभान.....जो इस विभत्स कांड का सरगना था.....उसे उस आश्रम से क्या स्वार्थ था ?
प्रकाश जिंदल..... शायद इस पुरे कांड का मास्टरमाइंड होगा ?
अपस्यू की मां के साथ क्या हुआ था ? सुलेखा के साथ दोस्ती थी , ये तो समझ में आया लेकिन उनके बारे में अभी कोई भी जानकारी नहीं है ।
नंदनी राजस्थान के राजपरिवार से है लेकिन उसके चचेरे भाई विक्रम सिंह के कारण उसके पिता कुंवर सिंह को लोग घृणा की दृष्टि से देखते हैं...... विक्रम सिंह ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से नंदनी की सारी संपत्ति हड़प ली ।...... कैसे ?
और वहीं पार्थ , वीरभद्र और निम्मी के साथ धमाल मचायेगा ।.... शायद !
कहने को तो बहुत कुछ है... अब पुरा कहानी पढ़ लिया है तो धीरे-धीरे अगले अपडेट में कहता जाऊंगा ।
अपस्यू....आरव....ऐमी.... लावणी....साची....कुंजल..... स्वस्तिका.... पार्थ.... वीरभद्र.... निम्मी.... नंदनी.... एडवोकेट सिन्हा....दीपेश... निर्मल....
प्रकाश जिंदल...मेघा....धृव...हाडविक... विक्रम सिंह... कंवल...लोकेश.... दोनों की पत्नियां... कुसुम....
मनीष... अनुपमा... राजीव... सुलेखा.... नीरज.... कबीर...
श्रेया और कम्पनी....
होम मिनिस्टर...
मेम्बर आफ पार्लियामेंट.... उनकी बेटी....
और चंद्रभान रघुवंशी । ( मुझे लगता है ये शख्स अभी भी जिंदा है )
बहुत सारे कैरेक्टर हैं...... वैसे मुझे ऐमी और अपस्यू ज्यादा पसंद हैं ।
बहुत बहुत ही सुन्दर कहानी और आपके डायलॉग के बारे में तो पहले ही कह चुका हूं...... अद्भुत ।