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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

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Update:-126





ऐमी जब पीछे मुरी तब अपस्यु की हरकत देख वो भी हसने लगी। कुंजल का चिल्लाना सुनकर पीछे से वीरभद्र और निम्मी भी वहां पहुंचे। अपस्यु खड़ा होकर कुंजल को अपने पास बुलाया…. "ये क्या है कुंजल, तेरा मुंह क्यों फुल गया।".. तबतक वीरभद्र और निम्मी भी उनके पास पहुंच गए थे।


कुंजल वीरभद्र और निम्मी को देखती हुई कहने लगी… "अगर वीरे जी से मुझे शादी करनी हुई, तो क्या आपको ऐतराज होगा।"..


अपस्यु:- हाहाहाहाहा…. नाह बिल्कुल ऐतराज नहीं होगा, हां बस तुमसे शादी के लिए वीरे को तुम्हारा दिल जीतना होगा। क्या कोई मालिक नौकर वाली बात कही किसी ने?


कुंजल:- हां इसकी बहन निम्मी ने।


अपस्यु:- तुम्हारा हाथ कैसा है निम्मी।


निम्मी, खामोशी से… "ठीक है, बस हल्का स्क्रैच आया था। मै सोचती थी बस मेरा निशाना ही परफेक्ट है, लेकिन आपने मेरा भ्रम तोड़ दिया।"..


ऐमी:- हमारी छोटी से ऐसा क्या कह दी, जो बेचारी का खिला चेहरा उतर गया।


निम्मी:- कुछ नहीं, बस आप सब बड़े लोग है और छोटी सी गलतफहमी बहुत असर करती है। मेरे भाई की तो परमानेंट नौकरी है, इसलिए वो रहेगा तो आप लोगों के साथ ही, और इनका मज़ाक कहीं कोई गलतफहमी ना पैदा कर दे इसलिए पहले से सचेत कर रही थी।


ऐमी:-:हां ये गलतफहमी अच्छी चीज नहीं। लेकिन अगर वीरे चाहे तो कुंजल का दिल जीतने की कोशिश कर सकता है। हम दोनो को लड़का पसंद है।


कुंजल:- अरे अरे अरे… ये आप लोग कौन सा स्टेशन पकड़ लिए। मैं तो बस निम्मी को समझना चाहती थी कि हमारे घर में कोई ऐसा नहीं जिन्हें मेरा वीर जी से बात करना बुरा लगे।


निम्मी:- हां मै जानती हूं ये बात। और मैंने आपके लिए नहीं कहा था। मैं अपने भाई को ही समझा रही थी। कई बार हम लड़कियों का हंसकर बात करना, हमारे लिए पाप हो जाता है। हम तो बस हंसकर बात करते है और सामने वाला कोई और ही मतलब निकाल लेता है।


अपस्यु:- हम्मम ! बात तो निम्मी की भी सही है। क्यों भाई वीरे जी आपका क्या सोचना है इस मुद्दे पर।


वीरभद्र:- मुझे नहीं पता कि निम्मी ने अचानक चल रहे अच्छे माहौल में ऐसी बातें क्यों कही, लेकिन विश्वास रखिए, मै कुंजल जी के मज़ाक को महज मज़ाक के तौर पर लेता हूं। किसी भी बेवाक कहीं बात पर ना तो मेरी सोच गलत हो सकती है और ना ही मेरी नजर।


अपस्यु:- अब क्या कहना है निम्मी…


निम्मी:- कुछ नहीं छोड़िए सर, शायद मै ही कुछ पुराने बातों को लेकर कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर गई।


निम्मी, अपस्यु को लेकर एकांत में लती हुई..… "मै चाहती हूं आप मेरे भाई को वहां ना लेकर जाएं, कुछ बातें उसे ना ही पता चले तो अच्छा है।"


अपस्यु:- ना ही वो जाएगा और ना ही तुम्हारे साथ क्या हुआ वो जान पाएगा। अब खुश।


निम्मी:- खुशी तो कबकी खत्म हो गई है सर, बस जिंदा हूं।


अपस्यु:- पार्थ तुम्हे पसंद करता है, तुम उसे थोड़ा वक़्त क्यों नहीं देती।


निम्मी:- नहीं सर, अब मन नहीं किसी को भी वक़्त देने का। लोकेश से अपना हिसाब बराबर करने के बाद मै दृश्य भईया के साथ निकलूंगी। अब मेरा काम और मेरा जीवन उन्हीं को समर्पित है। उनके साथ काम करके कम से कम सुकून तो रहता है।


अपस्यु:- पार्थ को तुम भी चाहती हो ना।


निम्मी:- प्लीज सर दिल के अरमानों के तार मत छेड़ो। मेरी भी इक्छाएं है लेकिन पार्थ जैसे लोग किसी एक के होकर नहीं हो सकते। किसी भी तरह के अरमान उसके साथ संजोना ही बेईमानी होगी। वैसे भी कल जब उसे मेरे बारे में सब पता चलेगा फिर उसकी चाहत भी खत्म हो जानी है।


अपस्यु:- और यदि सब सच जानने के बाद भी तुम्हारे पीछे आया तब..

निम्मी:- एक तो ऐसा होगा नहीं लेकिन ऐसा हुआ तो मैं यही समझूंगी की आपने अपने दोस्त का ब्रेनवाश किया है। ऊपर से मै वो क्षण झेलना नहीं चाहती जब किसी दिन के झगड़े में वो मेरे अतीत को उलट दे।


अपस्यु:- एक बात का भरोसा मै तुम्हे दिलाता हूं, वो कभी भी गांव के माहौल में नहीं पला इसलिए वो बीती बातों को मुद्दा नहीं बनाएगा। रही बात उसके ब्रेनवाश की तो मै कुछ नहीं बताने वाला, यकीन मानो। अब बताओ.. सब सच जानने के बाद भी वो तुम्हारे पीछे आया तो…


निम्मी, मुस्कुराती हुई… "फिर उसकी नजर और दिलफेंक अदा को कैसे काबू में रखना है वो मै जानती हूं।"


अपस्यु:- उम्मीद करता हूं तुम्हारे अरमानों के पंख को हवा मिल जाए।


निम्मी गुमसुम आयी थी, लेकिन मुसकुराती हुई लौट रही थी। इधर आरव और स्वास्तिका, अपने बड़बोले और दिलफेंक दोस्त को सुन रहे थे, और पार्थ की बात सुनते हुए दोनो की हंसी ही नहीं रुक रही थी। पार्थ के अनुसार उसने आज तक इतनी गंभीर और फोकस लड़की को नहीं देखा। जितना काम होता है उतने के अलावा वो बात ही नहीं करती।


पार्थ के अनुसार निम्मी, ना तो ज्यादा बात बनना और ना ही इधर-उधर की बातों में कोई रुचि लेना। अपने भाई और मां के आलावा किसी से हंसी मज़ाक नहीं करती और कोई कुछ भी उल्टा बोल दे या कुछ ग़लत कर दे, फिर तो उसके गुस्से का प्रकोप फुट परता है। कुल मिलाकर पार्थ अपना दिल हार चुका था, लेकिन लगभग 2 महीने में निम्मी उससे ठीक से बात तक नहीं करती।


पार्थ की हालत पर आरव और स्वास्तिका दोनो बहुत ही हंसे जा रहे थे। तभी आरव जब अपस्यु के ओर देखा…… "अबे तेरे साथ कोई बात आगे नहीं बढ़ी और तेरी निम्मी अपस्यु के साथ बात करते हुई मुस्कुरा रही है।"...


पार्थ की नजर भी उस ओर गई…. "क्या यार ये पहली बार मिल रहा है फिर उसके साथ इतना अच्छे से बात कर रही, मुझमें क्या काटें लगे है।"


स्वास्तिका:- तुझमें काटें नहीं लगे पार्थ, बस उसके छोटे से अरमान होंगे कि जो उससे प्यार करे वो सिर्फ उसी का होकर रहे और ये यकीन तू उसे दिला नहीं पाया है। चल आरव इसकी लव स्टोरी फ्लॉप है।


पार्थ:- तू ऐसा क्यों बोल रही..


आरव:- क्योंकि तू जिसके प्यार में परा है उसके अरमान तो तुम्हे समझ में नहीं आए, तो अपने लिए उसके दिल में विश्वास क्या घंटा पैदा करोगे। स्वार्थ वाली भावना है तुम्हारी पार्थ, जिसमें केवल तुम्हे अपने दिल के अरमान दिख रहे। फिर तो शायद तुम्हारा प्यारा, प्यारा ना होकर बल्कि एक फीलिंग हो की इतनी लड़कियों को पटाने के बाद, इसने तुम्हे इग्नोर क्यों कर दिया।


आरव और स्वास्तिका पार्थ को उसके हाल पर छोड़कर सबके बीच आ गए। कुछ देर की बातचीत के बाद सब लोग घर के अंदर पहुंचे। रात के खाने के बाद सब लोगों के बीच काफी लंबी चर्चा चली। हंसी मज़ाक और तीखी नोक-झोंक के कारन घर का पूरा माहौल की हसी की की किलकारियों से गूंज रहा था।


रात के तकरीबन 11 बजे सब सोने चल दिए। तैयारियां पूरी होने के बाद एक सुकून की रात थी। अपस्यु रात की इस खामोशी को अपना साथी और साक्ष्य बनाते, खुले छत के ऊपर लेटा आसमान को ताक रहा था। एक के बाद एक हुई सभी घटना जैसे उसके दिमाग में चल रही थी और आंखों के किनारे से कुछ बूंदे बहते चले जा रहे थे।


कमाल की मनोदशा थी उसकी। आखों में गम के आशु थे, लेकिन हर जाने वाले को मुसकुराते चेहरे से याद कर रहा था। उनकी हर प्यारी छवि और तस्वीर उसके दिमाग में थी। ख़ामोश रात उसके लिए जैसे समा बांध रहा हों।


छोटी सी उंगली, एक-एक करती अपस्यु के आंसू पोंछती, उसके होंठ से होंठ को स्पर्श करके ऐमी उसके पास लेट गई… "वो दूर देखो 2 तारे जो साथ में है, एक सुनीता (ऐमी की मां) है और दूसरी सुनंदा (अपस्यु की मां)। दोनो साथ ही है और ऊपर से हमे देख रही।"


अपस्यु करवट लेकर ऐमी के ओर मुरकर, अपनी उंगली उसके चेहरे पर फिराते…. "तब तो उन दोनों ने हमे चूमते हुए देखा होगा।"..


ऐमी भी अपस्यु के ओर करवट लेती, उसके नाक पर अपनी उंगली फीराती… "नाह ! दोनो ने अपनी आखें मूंद ली होगी और ऊपर से मुसकुराते हुए आशीवार्द से रही होगी।"


अपस्यु नाक से नाक को स्पर्श करते… "बस तुम्हे यकीन है ना कि वो दोनो खुश होंगे।"..


ऐमी:- हां बिल्कुल खुश होंगे। तुमने तो अपने बदला लेने से पहले, दोनो के प्रिय लोगों को संजोए है। खुश क्यों नहीं होंगे।


अपस्यु:- नाह ! मैंने एक के साथ बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया ऐमी। मैं कुंजल और मां को देखता हूं तो खुद में दोषी सा महसूस करने लगता हूं। जैसे मैंने अपनी मासी की तलाश की थी, उसी प्रकार पहले मुझे अपने बहन और छोटी मा की तलाश करनी चाहिए थी। अंदर के द्वेष ने मुझे रोका और हर पल मुझे इस बात का एहसास होते है कि काश मैंने कोशिश की होती तो उन्हें नरक के कई साल झेलने ना परते।


ऐमी, अपस्यु का चेहरा अपने सीने से लगाकर बालों में हाथ फेरते हुए कहने लगी…. "तुम्हे जीते देखती हूं तो अच्छा लगता है। खुद को बीते वक़्त में ले जाने से अच्छा है, अब जब वो साथ है तो उन्हें हर खुशी दी जाए।"


अपस्यु, सुकून से अपना आखें बंद करते… " हां ये भी सही है अवनी"..


ऐमी:- हां मै समझ रही हूं, तुम मुझे अवनी क्यों पुकार रहे हो। ठीक है कल का काम खत्म करके चलेंगे मासी और मामा के यहां। मै भी जोड़ने कि एक कोशिश करती हूं, लेकिन अब भी यदि कोई विकार उगल दिए उन लोगों ने…


अपस्यु:- तो उसे मात्र एक इंसानी स्वाभाविक सोच, समझकर हम मुकुराएंगे और यह मान लेंगे की वो भी अपने है, बस सोच नहीं बदली जा सकती।


ऐमी:- आई लव यू..


अपस्यु अपना चेहरा ऐमी के सीने से अलग किया और उसके चेहरे को देखते हुए मुस्कुराने लगा। ऐमी भी मुसकुराते हुए अपनी ललाट ऊपर खींचती इशारे में पूछने लगी "क्या हुआ"…


अपस्यु जवाब में ऐमी के होंठ से होंठ लगाकर प्यार से चूमते हुए अलग हुआ और उसके आखों में आखें डालकर कहने लगा…. "लव यू टू"..… दोनो एक दूसरे को देखकर मुसकुराते रहे और अपस्यु अपने आलिंगन में ऐमी को लेकर सो गया। सुबह कौतूहल में दोनो की नींद टूट गई। सुबह के 6 बज रहे थे, और बच्चे काफी उत्साह से फ्लैग होस्टिंग के लिए कतार बनाकर जा रहे थे।


अपस्यु उनके कतार को देखकर मुस्कुराते हुए कहने लगा…. "देश तो इन बच्चो के दिलों में धड़क रहा है, वरना हम तो काम में इतने फिक्रमंद हो गए की कभी जुबान से देश का नाम नहीं निकला।


ऐमी:- टैक्स चोरी नहीं कर रहे ना, बस हो गई देश सेवा, और आज तो हम अपना निजी स्वार्थ साधने के चक्कर में कहीं ना कहीं देश के काम भी आ ही जाएंगे..


अपस्यु:- वकील की बेटी हो ना, लॉजिक तो जोड़ ही दोगी। चलो चलकर फ्लैग होस्टिंग का हम भी हिस्सा बने।


अपस्यु जल्दी से तैयार होकर सबको हॉल में बुला लिया। सब लोग इकट्ठा होकर टीवी चालू करके झंडारोहण में हिस्सा लेने लगे। पूरा कार्यक्रम सब ने देखा। शक्ति प्रदर्शन को देखकर गर्व सा महसूस करते सबने एक बार उन सहासी वीर जवानों को नमन किया।


सुबह के 9 बजे, सब वहां से निकल गए। अपस्यु, वीरभद्र को कुछ बातें समझाकर वहां से सबसे आखरी में निकला। 6 गाडियां एक कतार में एक जैस गति को बनाए, लोकेश के इलाके में घुस रहे थे। लोकेश के हाई टेक गांव के सरहद पर अपस्यु के पुरा कारवां रोककर कंट्रोल रूम से संपर्क किया गया। वहां से ऑर्डर मिलते ही सभी गाड़ियों को आगे जाने दिया गया।


तकरीबन 2 किलोमीटर अंदर घुसने के बाद विक्रम राठौड़ का भी साम्राज्य दिखने लगा, जिसे लोकेश के इशारे पर री मॉडलिंग किया गया था। चारो ओर खूबसूरत बिल्डिंग, सड़क और फेंसिंग ऐसी मानो हॉलीवुड की पुरा कॉपी करके उतार दिया गया हो। 12 लेन की सड़क के दोनों ओर निश्चित दूरी पर डुप्लेक्स मकान बने हुए थे जिनके आगे का इंटरियर पूरे सिसे का था। हर घर के आगे बागवानी और पुरा गांव छोटी सी घाटी में बसा था। दूर से देखने पर ऐसा लगता था, एक घर के ठीक ऊपर दूसरा घर बना है, लेकिन जब उन घरों के बीच से निकलो, फिर पता चलता कि घाटियों की घुमावदार सड़क है, जो हल्का स्लोप बनाते उपर की ओर ले जाती है।
 
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Update:-127






सबसे ऊपर और घाटी के आखरी में एक शानदार महल बाना था, जिसकी सीमा तकरीबन 500 मीटर में फैली थी। महल की बाउंड्री से कई सारे स्वीट्स और 3-4 मनमोहक स्विमिंग पूल थी, और ठीक उन सब के बीचों बीच, बड़ा सा महल था… तकरीबन 200 मीटर के दायरे में 80 फिट ऊंचा महल।


एक-एक करके सभी गाडियां उस महल में घुसने लगी। एक स्टाफ ने इशारे से सभी कार को सेपरेट पार्किंग देकर, अपने पीछे आने के लिए कहा। कुछ छोटी सी पिकअप वैन उन्हें लेने के लिए पहुंची। भाव्य महल के मुख्य द्वार पर लोकेश और मेघा दोनो खड़े थे। अपस्यु को सामने देखकर उसके गले मिलते हुए लोकेश कहने लगा…. "आज से पहले किसी से मिलने की इतनी बेताबी कभी नहीं हुई।"..


"क्यों हम सब का श्राद यहीं पर करने के लिए मरे तो ना जा रहे लोकेश सर।"… पीछे से आरव से तंज कसते हुए कहने लगा।


लोकेश:- जब साथ मिलकर हम पूरी दुनिया जीत सकते है फिर एक दूसरे को मारकर ताकत कम क्यों करना। राजपुताना इतिहास गवाह है कि जब-जब भाइयों कि शक्ति इकात्रित हुई है, हमने फतह हासिल की है।


आरव:- फिर ऐमी सिन्हा यानी कि ये तो मेरी भाभी की बेज्जती कर रहे है, क्योंकि वो हमारे साथ ना हो तो दुनिया तो दूर की बात है, गाली फतह ना कर पाए।


स्वास्तिका:- क्यों आप इन सब बातों को छेड़कर बाबा अपस्यु को बोलने पर मजबूर कर रही हो, जो खुद को ब्राह्मण मानता है।


ऐमी:- और ये आरव तो वैश्य है ना।


लोकेश इनकी बातें सुनकर हैरानी से सबका चेहरा देखते…. "ये तुम लोग मेरे साथ मज़ाक कर रहे हो ना।"


कुंजल, लोकेश का कन्फ्यूजन से भरा चेहरा देखती हुई कहने लगी…. "बस भी करो सब, बंद करो लोकेश भईया को छेड़ना। लोकेश भैय्या इनकी बातों को ध्यान मत दो, वरना आपको संन्यास लेना होगा। वो आपका स्टाफ हमारा बैग लेकर वहां क्या कर रहा है?


स्वास्तिका:- कितने शर्म कि बात है, हमारे अंडरगारमेंट्स को आखें फाड़े ये लोग नुमाइश के तौर पर देख रहे है, वो देखो एक-एक कपड़ा उठाकर चेक कर रहे। शर्म आनी चाहिए आपको।


अपस्यु:- लोकेश भईया, उनसे कहो अभी के अभी बैग पैक कर दे। विश्वास मानो अगर मुझे यहां का पूरा कुनवा साफ करने का इरादा होता तो महज एक रात की कहानी थी। आपसी विवाद ना हो कहीं इन छोटी छोटी बातों से और मै ये सोचने पर मजबूर हो जाऊं की भीख में मिली हमारी इस जगह पर आप हमारी बेज्जती कर रहे हो।


बातों ही बातों में लोकेश की ऐसी घोर बेज्जती हो गई की वो गुस्से का घूंट पीकर अपने स्टाफ के पास गया और खींचकर तमाचा मारते हुए अच्छे से समझा दिया कि जो आए है वो मेहमान नहीं, बल्कि परिवार के लोग है, बैग को पैक करके चुपचाप कमरे तक पहुंचा दिया जाए।


वहां के स्टाफ को समझाने के बाद लोकेश स्टाफ हेड मिस काया के पास पहुंचा और आए हुए लोगों के बारे में सभी बातें समझाकर, वापस अपस्यु के पास लौटा…. "लगता है हम दोनों को कुछ वक़्त साथ गुजरना होगा एक दूसरे को समझने के लिए। अभी हुई बदतमीजी के लिए मै माफी चाहता हूं, यहां केवल बाहरी लोग आते है और काम ऐसा है कि एक छोटी सी गड़बड़ी के कारन हमारी छिपी दुनिया बाहर आ सकती है। कभी यहां परिवार लेकर आए ही नहीं जो इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखते। अभी के लिए माफ करो, मैंने यहां के स्टाफ हेड काया को सब समझा दिया है, एक इंच भर की भी परेशानी नहीं आएगी।"..


अपस्यु:- थैंक्स भईया, ये जगह को आपने कमाल का डेवलप किया है, यहां अगर परिवार को नहीं लाते हैं, तो गलती आपकी है।


लोकेश:- चलो इस गलती को भी जल्द सुधार लूंगा, अभी मै चलता हूं। यहां आराम से घूमो फिरो, एन्जॉय करो। रात को सभी पार्टनर्स के साथ एक छोटी सी पार्टी है और पार्टी के होस्ट हम सब ही है, इसलिए शार्प 8 बजे तक पार्टी हॉल में ही मुलाकात होगी और फिर काम कि सारी बातों पर चर्चा कल सुबह।


अपस्यु:- ठीक है भईया।


लोकेश मेघा की लेकर वहां से निकल गया और ये सभी लोग काया के साथ अपने अपने कमरे के ओर चल दिए। जैसे ही लोकेश महल से बाहर आया, मेघा से झुंझलाकर कहने लगा…. "ये लोग क्या पागल है, मेरी जगह पर खड़े होकर मुझे ही बेज्जत कर रहे थे। 2 मिनट नहीं लगेंगे और सबकी कहानी समाप्त हो जाएगी।"


मेघा, लोकेश के चिढ़े चेहरे को देख सुकून सी महसूस करती हुई ठंडी श्वांस अपने अंदर खींची और हंसती हुई कहने लगी…. "तुम बेवकूफ हो क्या लोकेश। तुम्हरे बुलाने पर वो पुरा परिवार लेकर आया है और तुम ऐसे उसके कपड़े चेक करवा रहे थे। यार सच में बहुत बेगैरत हो। एक भाई का खून तो खौलेगा ही।"

किसी के बैग की ऐसी चैकिंग मतलब उस आदमी पर संदेह होना। साथ मिलकर काम भी करना है और इतना छोटा सोच भी रखना है। अब कम से कम यह दावा मत करना की उन्हें 2 मिनट में समाप्त कर सकते हो, ऐसा होता तो उनको ऐसे संदेह से नहीं देखते, बल्कि खुद में विश्वास होना चाहिये था की बैग में ये कुछ भी लेकार आओ लेकिन यहां का बादशाह मै हूं और यहां तुम मेरा बाल भी बांका नहीं कर सकते।


लोकेश:- हम्मम ! हां अब सब साफ समझ में आया। लगता है बहुत बड़ी गलती हो गई। खैर काया को और अच्छे से समझा दू और सारे रिस्ट्रिक्शन हटाने कहता हूं।


लोकेश फौरन काया से बात करके उसे साफ समझ दिया कि इस जगह पर जो अन्य लोगों के लिए प्रतिबंध होता है, वो इनपर लागु ना किए जाए, सिवाय कंट्रोल रूम के। वहां छोड़कर जहां जाने की इक्छा है वहां ले जाओ, जो करना चाहते है वो करने दो और जो वो कहते है, वो काम पहले पुरा होना चाहिए।


काया इस वक़्त जो अपस्यु और ऐमी के साथ उसके कमरे में आयी थी, लोकेश से बात करके हां में अपना सर हिला दी…. "क्या हुआ लोकेश ने बोल दिया हर रूम के सर्विलेंस को बढ़ा दो और उन लोगों की एक्टिविटी लगातार वॉच करते रहो। ये इतना लीचड़ कैसे हो सकता है।".. ऐमी तंज करती हुई कहने लगी।


काया:- नो मैम, उन्होंने कहा है की रूम के जितने भी सर्विलेंस है उन्हें हटा दिया जाए और आप सब फैमिली मेंबर है, इसलिए उन्होंने कहा है आप को मालिक की तरह ट्रीट किया जाए। बस केवल कंट्रोल रूम के ओर मना किया है आने से। वो चाहते हैं कि शाम की पार्टी और मीटिंग के बाद लोकेश आपको वो पूरी जगह खुद दिखाए और आराम से समझा सके कि वहां से क्या-क्या होता है।


काया हर सर्विलेंस को बंद करके अपस्यु के पास पहुंची… "लंच में अभी टाइम है सर, आप कहीं घूमकर आना चाहेंगे।"..


अपस्यु:- हां, हां क्यों नहीं, लेकिन आप हमे घूमने लेकर चलें और कोई मस्त सी जगह हो।


काया मुस्कुराती हुई अपस्यु को देखी और बस 2 मिनट बाद बाहर आने कही। 2 मिनट बाद जब अपस्यु और ऐमी बाहर आए, काया एक कार लिए दरवाजे पर इंतजार कर रही थी। अपस्यु और ऐमी, काया के साथ निकले। तकरीबन 10 मिनट की ड्राइविंग के बाद तीनों एक आर्टिफिशियल झील के पास पहुंचे। काया दोनो को झील दिखाते हुए आगे बढ़ने लगी।


चलते-चलते तीनों झील के पीछे पहुंचे जहां झील की पहली नीव रखी हुई थी। जैसे ही तीनों वहां पहुंचे, काया झट से अपस्यु के क़दमों में गिरती… "मेरा बच्चा कैसा है। कितना बड़ा हो गया वो। कोई तस्वीर हो तो प्लीज मुझे दिखा दो।"


ऐमी काया को उठाती….. "आपका बच्चा यूं समझो अब हमारा बच्चा है, और विश्वास मानिए उसके नए पिता बहुत ही केयरिंग है।"..


काया:- हां मै जानती हूं। बहुत दर्दनाक फैसला था वो, लेकिन मै कभी नहीं चाहूंगी की मेरा बच्चा या तो मुझ जैसा बने या अपने बाप जैसा।


अपस्यु:- उसके बाप में क्या बुराई है?


काया:- मुझे नहीं लगता कि तुम्हे बताने कि जरूरत है। जब मैंने तुम्हे वैभव को सौंपी थी तभी बताई थी… जिन बच्चों का हाथ तुमने थामा है, उसे ना तो वो देखने आए जो हमारे दिमाग को खराब करके हमे गलत करने के लिए मजबूर करते थे और ना ही उसने कभी ध्यान दिया जो सबको एक तराजू में तौलकर अपने तांडव से सबको बस यतीम करता चला गया।


अपस्यु:- वो आया था अपना बच्चा लेने..


काया, अपस्यु के ओर सवालिया नज़रों से देखने लगी, मानो उसका धड़कता दिल पूछ रहा हो, क्या मेरा बच्चा अभी उसके पास है या उसका पिता लेकर गया। काया की दुविधा को भांपते हुए ऐमी कहने लगी…. "ना तो तुम्हारा बच्चा यतीम है और ना ही उसके अभिभावक कमजोर। फिर यह ख्याल क्यों आया कि वो हमसे उस बच्चे को ले गया होगा।"


काया:- हम्मम ! थैंक्स.. वैसे सुनकर थोड़ा सुकून हुआ की कम से कम अपने बच्चे को ढूंढने तो आया दृश्य। वैसे तुम दोनो इस जल्लाद लोकेश के परिवार से हो, सुनकर थोड़ा अजीब लगता है।


अपस्यु:- एक अजीब बात और बताऊं, तुम्हारे बच्चे का बाप जो है, वो मेरा मौसेरा भाई है।


काया:- आह ! तभी मै सोचूं की वो अपने बच्चे को लेने आया और खाली हाथ कैसे गया। शायद तुम उसके भाई थे यह सोचकर कुछ नहीं किया वरना उसका गुस्सा सही गलत में फर्क नहीं करता।


अपस्यु:- काया ये बहुत लंबी कहानी है और समझना थोड़ा पेंचीदा। मुझे और दृश्य दोनो को पता है कि बचे हुए वीरदोयी लोकेश को अपनी सेवा दे रहे है।

काया:- नहीं, सभी बचे हुए वीरदोयी तो यहां नहीं है लेकिन हां जिनको खून खराबा और पॉवर का नशा सर पर है वो यहां है। और उन वीरदोयी के यहां होने से बहुत से वीरदोयी मजबूरी में फस गए जो आम ज़िन्दगी जीने की ख्वाहिश रखते थे। लेकिन दृश्य को पता चल चुका है कि बचे हुए वीरदोयी यहां है तो क्या वो आ रहा है?


अपस्यु:- घबराओ मत वो यहां तुम्हारे लिए नहीं आया था। तुम समझ सकती हो की यदि वो यहां आया होगा तो किसके पीछे आया होगा और उसके कारन एक बार फिर से तुम लोग उसके नज़रों में आ गए।


काया:- हम्मम ! किस्मत देखो.. बहुत से वीरदोयी यहां मज़े के लिए काम करते है तो बहुत से मजबूरी में। मैं दृश्य को भी गलत कहकर क्या करूंगी, जब अपने ही लोग अपना अस्तित्व मिटाने पर लगे है।


अपस्यु:- लंच के बाद तुम मेरे कमरे में मिलो, वहां हम दोनों मिलकर उन लोगो को बचा सकते है जो मजबूरी में यहां फसे है।


काया:- संभव नहीं है। मै इस कोने में इसलिए तुमसे बात कर पा रही हूं, क्योंकि यहां उनका सर्विलेंस नहीं है। वैसे भी जिस तरह से तुम लोगों ने लोकेश को डरा रखा है कम से कम 10 नजरें तो तुम सब पर टिकी ही होगी।


अपस्यु:- लोकेश क्या वाकई में डरा हुआ है?


काया:- हां ये बात सभी वर्किंग स्टाफ और उसके ऑपरेशन हैंडलर को पता है, तभी तो तुम लोगों के आने से पहले, 40 वीरदोयी लड़ाके को कंट्रोल रूम से लेकर महल तक काम पर लगाया है, वरना पहले तो सर्विलेंस के जरिए ही पुरा नजर रखा जाता था।


अपस्यु:- कोई बात नहीं है उसे डरने दो। तुम बस लंच के बाद मेरे कॉल का इंतजार करना।


ऐमी:- फिलहाल एक काम कर दो हमारे लिए। ऐसी जगह जहां कोई सर्विलेंस ना हो और वहां तारों का पूरा जाल बिछा हो।


काया, वैभव की मां और दृश्य की एक अनचाही पार्टनर, जिसे सिर्फ़ इसलिए दृश्य के बच्चे की मां बनने पर मजबूर किया गया था ताकि दृश्य को यदि मारना परे तो तो आगे के एक्सपेरिमेंट, काया और अपस्यु से पैदा हुए बच्चे पर किया जाना था। लेकिन बच्चे को जन्म देते ही, एक मां कि ममता जाग गई और वो अपने बच्चे को किसी पागल साइंटिस्ट के हाथ में नहीं सौंपना चाहती थी जो उसके ऊपर अपना एक्सपेरिमेंट करे।


छिपते भागते उसे एक दिन अपस्यु के बारे में पता चला था और रात के अंधेरे में वो अपने बच्चे को अपस्यु को हाथ में सौंप अाई थी। उसके बाद वो आज मिली थी। हालांकि अपस्यु को पहले से पता था कि दृश्य के तूफान से बचे वीरदोयी एक जगह जमा होकर कहां काम कर रहे है।


काया के मिलने से अपस्यु का काफी समय बच गया, वरना तारों के जाल को अपने माइक्रो डिवाइस से ढूंढने में काफी वक़्त लग जाता। अपस्यु ने जैसा बताया काया ने ठीक वैसी एक जगह पर अपस्यु को ले गई। ऐमी के लिए ये जैकपॉट से कम नहीं था, क्योंकि सर्वर का मुख्य कनेक्शन वायर मिल चुकी थी। 5 मिनट में हैकिंग डिवाइस सेट हो चुका था। वापस दोनो अपने कार पार्किंग से होते हुए लौटे और कार से हर जरूरत का सामान निकालकर अपने बैग में पैक हो चुका था।
 
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nain11ster

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:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
aaj phir jabardast action hone wala hai,
arav ko kidnap karke vo log apasyu se deal karne wale hain aur ye mausere bhai ka kya chakkar hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai,
Hahaha .. age dekhiye aman bhai mausere bhai ka pura chakkar milne wala hai :D
 
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Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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Update:-120




शाम लगभग ढलने को थी। मेघा की अपस्यु से मिलने की रुचि जो सुबह थी, वो कहीं ना कहीं ठंडी पर चुकी थी। वैसे भी मेघा अब अपस्यु से मिलकर करती भी क्या, जो कभी भी शिकार हो सकता था। इन्हीं सब बातों का आकलन करती हुई मेघा पब के लिए निकल गई।


7 बजे के करीब वो एक आलीशान पब में पहुंची। जैसे ही वो पहुंची, एक वेटर उसे ड्रिंक सर्व करने पहुंच गया। मेघा उस वेटर को देखकर कहने लगी… "जाकर ये ड्रिंक उसके मुंह पर मार आओ, जिसने भी भेजा है।"..


वेटर:- सर ने बताया था आप का जवाब ऐसा ही कुछ होगा, इसलिए साथ में एक पत्र भी दिया है।


मेघा उस पत्र को देखी, उसपर बड़े अक्षरों में "अपस्यु" लिखा था। मेघा उसकी अदा पर मुस्कुराती हुई ड्रिंक उठाई और अपने कदम बढ़ाती बार काउंटर तक पहुंची…. "हेय हीरो ! कोई उम्मीद नहीं थी कि तुम यहां मिलोगे।"..


अपस्यु:- हाय ये झूठ बोलने की अदा। मुझे ऐसा क्यूं लग रहा है आंटी की आप मेरा पीछा कर रही है।


मेघा, आंखें गुर्राती :- सिर्फ 31 साल का होना से आंटी की श्रेणी में आता है। बहुत ही भद्दा था ये…


अपस्यु:- अच्छा तो फिर मैं अपने से 9-10 साल बड़ी लेडी को क्या कहूं?


मेघा:- चलो कहीं अकेले में चलकर सब समझाती हूं कि क्या कहना चाहिए और क्या करना चाहिए मुझ जैसी हॉट, टॉप क्लास मॉडल के साथ।


अपस्यु:- हम्मम ! तुम्हारी अदा और तुम्हारी बातें आज कुछ मैच नहीं हो रही मेघा। लगता है तुम्हे जो मुझ से उम्मीदें थीं वो कोई और पुरा कर रहा है।


मेघा:- तुम कहना क्या चाहते हो…


अपस्यु अपने राउंड टेबल को घुमाया और उसके होंठो को अपने होंठ से छूकर खड़ा हो गया और चलते-चलते…. "सॉरी स्वीट हार्ट, तुम मुझे शाम को मिलने का वादा करके अपना कार्यक्रम बदल ली। फिर कभी मुलाकात होगी।" … इतना कहकर, अपस्यु फिर माईक लेकर जोड़ से कहने लगा…. "श्रेया तुम केवल बेवकूफ हो, इस से ज्यादा कुछ नहीं। मेरा पीछा करने से अच्छा, मुझ से सामने से बात करती तो तुम्हारे लिए मै ज्यादा फायदेमंद होता। मै ज़रा अकेले घूमना चाहता हूं इसलिए प्लीज मेरे पीछे मत आना।"…


मेघा को अपने लिए कही बात तो समझ में आ गई, लेकिन बीच में ये श्रेया कौन आ गई, इसपर वो सोचती रह गई। तभी मेघा ने देखा पब के कोने से एक लड़की उठकर अपस्यु के पीछे भागी। मामला थोड़ा पेंचीदा था, इसलिए मेघा भी उसके पीछे जाने लगी, और इन दोनों के पीछे लोकेश का एक शातिर आदमी, जो सुबह से अपस्यु के पीछे था, पब के पीछे सुनसान से जगह को सुनिश्चित करने के बाद…. उसने तुरंत लोकेश से संपर्क किया…


"सर आप का शक सही निकला। शायद इस लड़के को आपके बारे में सब पता है।"… इतना कहने के बाद लोकेश से वो आज सुबह से लेकर अब तक की घटनाओं का ब्योरा देने लगा, जिसमें एक क्लोज डोर मीटिंग की बात बताया, जो इतना हाई टेक जगह था कि जितने भी जतन उसने किए, लेकिन अपस्यु के साथ किसकी बात हुई और क्या बात हुई, वो सुन नहीं सका। अपस्यु, मेघा को उलझाने के लिए कैसे उस पब में पहले से पहुंचा और साथ में यह भी उसपर एक लड़की पहले से नजर बनाए हुई थी जिसके बारे में अपस्यु को पहले से पता था। ..


लोकेश ने जब उसके आखरी के कुछ बातें सुनी, फिर वो समझ चुका था कि जितना छोटा उसने अपने इस नए दुश्मन को समझा था वो उतना भी छोटा नहीं। अपने जासूस कि बात पर वो तेज हसने लगा। फोन लाइन के दूसरे ओर उसके अट्टहास भरि हंसी वो जासूस सुन रहा था, तभी एक चींख निकली और वो जासूस सदा के लिए ख़ामोश हो गया।


दूसरे फोन लाइन से लोकेश को आवाज़ आयी… "काम हो गया।"… लोकेश उसे फिर आज रात अपस्यु को खत्म करने का हुक्म देकर लाइन कट किया, और दूसरे लाइन से मेघा को सुनने लगा।…


इधर पब से निकलकर अपस्यु पार्किंग के ओर बढ़ा, श्रेया दौड़ती हुई उसके पीछे पहुंची और उसके कपड़े को पकड़ कर खींचने लगी… अपस्यु पीछे मुड़कर उसे देखते ही हसने लगा।…. "मै अभी एक काम निपटा रहा हूं, इसलिए अभी कुछ भी समझा नहीं पाऊंगा। तुम सीधा अपने फ्लैट चली जाओ, मै आज रात तुमसे मिलता हूं।".. श्रेया इससे पहले कुछ कहती सामने से मेघा भी उसी के ओर आने लगी। उसे देखते ही अपस्यु एक बार फिर बोला…. "अब जाओ यहां से और हमारे बारे में अपने टीम से भी डिस्कस मत करना। वरना अपनी बेवकूफी का एक परिणाम तुम पहले भी देख चुकी हो। अब जाओ।"…


श्रेया अनगिनत सवाल अपने मन में लिए वहां से चली गई। इधर जबतक अपने इठलाते क़दमों को आगे बढ़ती हुई मेघा अपस्यु के पास पहुंची…. "ओह तो ये श्रेया है।"


अपस्यु:- हां जबसे मेरा और ऐमी का रिश्ता सामने आया है, बेचारी का दिल टूट गया और मुझे रिझाने के लिए ये मेरे आस पास ही मिल जाती है।


मेघा:- ओह ! मतलब तुम्हे बस संका थी और उसी आधार पर तुमने एक तीर मारा था।


अपस्यु:- हां हर होशियार इस अंधेरे के तीर का शिकार हो ही जाता है। हम तो कुछ नहीं जानते, लेकिन जैसे ही उसे आभाष करा दो हमे उसके बारे में सब पता है फिर हड़बड़ी में गड़बड़ी कर ही जाते है। खैर छोड़ो, आज तो मै शिकार पर निकला हूं, खाली हाथ थोड़े ना अपनी रात बिताऊंगा..


मेघा:- हीहीहीही… शिकार यहां खुद तैयार हैं। वैसे हां ये सही है कि अब काम को लेकर तुम में कोई रुचि नहीं रही। लेकिन फुरसत की एक रात के लिए तो हमेशा ही रुचि रहेगी… क्यों ना आज रात तुम मेरा शिकार कर लो…


अपस्यु, मेघा को आंख मारते… "आ जाओ बैठ जाओ फिर, आज रात फिर से एक बार सिना जोड़ी का खेल हो जाए।".. "नहीं प्लीज वो खेल नहीं।"…. "क्यों तुम्हे मज़ा नहीं आया था क्या।"…. "हीहीहीही… मज़ा था या साजा आज तक तय नहीं कर पा रही, लेकिन जो भी था, वो कातिलाना था।"…


दोनो की हॉट एरोटिक बातें शुरू हो गई। लोकेश उनकी बात सुन सुनकर विचित्र ही मनोदशा में चला गया था। कभी एक मन सोचता कि लड़के ने तुक्का मरा और मेरा एक एजेंट मरा गया, तो फिर दिमाग में ख्याल आता कि मेघा को कहीं कोई ऑफर देने से पहले उसे फसा तो नहीं रहा। कुल मिलकर लोकेश की भी वहीं हालत हो चुकी थी, जैसा कुछ दिन पहले श्रेया की थी। …


बिल्कुल भ्रमित करने वाला माहौल, जिसमे एक पल लगे कि ये लड़का अपस्यु सब कुछ जान रहा है और लंबी योजना पर काम कर रहा है, तो अगले पल लगता कि कुछ नहीं जानता केवल एक दिलफेंक आवारा है जो अपनी मर्जी का कर रहा।


इधर लोकेश उनकी आवाज़ साफ सुन रहा था.. दरवाजा खुलने से बंद होने तक की आवाज़। फिर उधर से को हंसी की किलकारियों के साथ कभी मादक आह तो कभी तेज जोड़ की चीखें। कभी मेघा की मिन्नतें तो कभी अट्टहास भरी हंसी। और इसी बीच एक तेज खटाक की आवाज़ और उस ओर से आने वाली सभी आवाज़ बंद…


लोकेश अपने ऑपरेटर से जवाब तलब करते… "क्या हुआ ये आवाज़ आना क्यों बंद हो गया।"


ऑपरेटर:- सर लगता है ब्रा पाऊं के नीचे आ गया होगा, डिवाइस बेकार हो गई है।


लोकेश चिल्लाते हुए…. "आखिर उसे पता कैसे चला की हमने माईक ब्रा में छिपा रखी थी।"


ऑपरेटर:- सर दोनो का जोश को देखकर लगता नहीं कि उन्हें कुछ पता भी होगा।


लोकेश:- कुछ भी करो लेकिन मुझे अभी उसकी बात सुननी है।


ऑपरेटर:- बस कुछ देर सर..


वो ऑपरेटर कंप्यूटर पर काफी तेज खिटीर पिटीर करते अपने हाथ चलाया और एक मिनट बाद लोकेश को इशारे से मेघा को कॉल लगाने के लिए कहने लगा। लोकेश ने मेघा को कॉल लगाया। पहली घंटी पूरी हो गई मेघा ने कॉल नहीं लिया। लोकेश ने दोबारा फोन लगाया.. कुछ देर के बाद मेघा कॉल पिक करती… "अभी .. आह्ह्हह्ह ! बाद में बात करो!" .. तेज चढ़ती श्वांस में मेघा ने जल्दी से अपनी बात कही और कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।


इधर से ऑपरेटर जीत का अंगूठा दिखाते, फोन के माईक से आ रही आवाज़ को सुनाने लगा। अब भी मेघा की मादक सिसकारी आ रही थी। कभी तेज दो कभी धीमी। ऐसा लग रहा था जैसे वहां सब बिना वीडियो के पोर्न के ऑडियो का पूरा मज़ा ले रहे थे।


और कुछ देर बाद वहां बिल्कुल सन्नाटा पारा रहा, बस बीच-बीच में एक दो बार चूमने कि आवाज़ और लगभग 15 मिनिट… "कहां जा रही हो मुझे छोड़कर"


मेघा:- आह्ह ! क्या मज़ा दिया है तुमने… एक हॉट शॉवर लेकर वापस आती हूं।


अपस्यु:- तुम ऐसे नंगी खड़ी ना रहो मेरा खड़ा हो जाता है…


मेघा:- हीहीहीहीही… तुम्हारा क्या होता है और क्या नहीं ये मुझे क्यों बता रहे हो। मैं तो यहां जबतक हूं पूरी ओपन हूं।


तभी फिर कुछ क़दमों कि आवाज़ और फोन से बिल्कुल आवाज़ आना बंद हो गया। लोकेश वापस से चिल्लाया, ऑपरेटर अपना छोटा सा मुंह बनाते…. "सर अब दोनो बाथरूम के अन्दर रास लीला मना रहे, तो इसमें मै क्या कर सकता हूं। शूटर को भेजकर दोनो को खत्म ही कर दीजिए ना।


लोकेश:- नहीं, शूटर को वापस बुला लो। इसपर से सारे सर्विलेंस हटाओ, हम गलत जगह फोकस कर रहे है। इसे और इसके परिवार को हम जब चाहे तब मार सकते है, और जब मारना ही है तो इसपर इतना ध्यान क्यों। वैसे भी इसकी जो भी प्लांनिंग होगी वो उद्योगपति विक्रम राठौड़ और लोकेश राठौड़ के लिए होगी। इसकी तो रूह ही समझेगी की मै क्या हूं?


इधर जैसे ही अपस्यु फ्लैट पहुंचा, उसका खेल शुरू हो चुका था। सेक्स के दौरान वो इतना हावी रहा की मेघा पागल हो गई उन उन्माद में। जैसे ही वो माईक टूटा अपस्यु को एक छोटा सा विंडो मिल गया। तुरंत ही उसने ब्रा की कारीगरी में छिपे माईक को दिखाते हुए, अपस्यु ने मेघा से कहा था कि ये बेकार हो गया है, अब लोकेश उसकी बात सुनने के लिए कोई नया हथकंडा अपनाएगा।


मेघा तो दंग थी, लेकिन अपस्यु ने उसके सारे आश्चर्य के भाव को पुनः एक कामुक उन्माद में परिवर्तित करते हुए बस अभी उसे फॉलो करने और एन्जॉय करने का सलाह दिया। फोन छोड़कर दोनो बाथरूम में जाने के बदले एक कमरे में गए…


मेघा, जैसे ही कमरे में पहुंची…. "तो वो तुम और तुम्हारी टीम थी जो लोकेश से बदला लेने के चक्कर में हमारे पैसों का नुकसान किया।"..


अपस्यु:- क्या बात है, मैंने एक माईक क्या दिखा दिया तुम तो जड़ से पकड़ना शुरू कर दी।


मेघा:- यह मेरे सवाल का जवाब नहीं..


अपस्यु:- जब बात बदले कि हो रही हो, तो सीधा सा गणित होता है मेघा, गेहूं के साथ घुन भी पिसता है। क्या ऑफर किया लोकेश ने अपने बेस पर, आज सुबह की मीटिंग में…


मेघा:- ओह तो तुम्हे उसके साम्राज्य और उसके ठिकाने का पूरा पता है और वो होशियार समझता है कि तुम्हारी प्लांनिंग दिल्ली के बॉडी गार्ड को देखते हुए होगी। खैर तुम्हे उसके साम्राज्य के बारे में पता होने से क्या होता है, तुम और तुम्हारी फैमिली वैसे भी मरोगे, क्योंकि उसके पाले सैतानो का मुकाबला करना किसी के बस की बात नहीं। तुम्हारे जाने का थोड़ा सा अफ़सोस तो होगा डार्लिंग, लेकिन खुशी इस बात की होगी की हमारे बीच रहकर जिस दुश्मन को पहचान ना पाए, वो मर जाएगा। चिंता मत करो, तुम्हारे इस राज के बारे में मै किसी को नहीं बताउंगी।


अपस्यु:- हाहाहाहाहा… जी शुक्रिया, वैसे एक बात बताओ, हवाला के पैसे जाने का शक तो पहले एक दूसरे पर ही किए होगे, फिर अब तुम दोनो मिल गए तो पुरा इल्ज़ाम किस गरीब के सर फोड़ दी?


मेघा:- अच्छा सवाल है। वैसे कमाल का गेम था वो भी वाकई, लेकिन ये क्यों भुल जाते हो, हम लंबे समय से पार्टनर्स है और बिना भरोसे धंधा नहीं होता। और कहते है ना जो गड्ढा खोदता है लोग उसी में फंसते है। बस तुम्हारे खेल का नतीजा भी वही होगा। तुम्हारा क्लोज वो होम मिनिस्टर और उसके साथ तुम्हारे प्यारे भाई का वो ससुर राजीव मिश्रा साथ में उसकी पत्नी, बेटी, बेटा सब मरेंगे। ये कतई नहीं सोचना कि मै तुम्हारी बातों में आकर ये राज खोल रही, बस तुमने मुझे एहसास करवाया की कोई मुझ पर लगातार नजर दिए है सो उसके बदले मैंने तुम्हे यह जानकारी दी।
Fabulous update bhai
Koun kiske upar bhari padega dekhna dilchasp hoga
 
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nain11ster

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:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
Aaj to bilkul maja hi aa gaya hai :o ,
itna shandaar action se bharpur update padhkar,
aur ye kya nimmi drishya ke team mein kaise aa gayi,
Khair abhi apasyu ne use tatkal ke liye khamosh kar diya hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai,
Waiting for next update

Hahaha .. nimmi kaise team me aa gayi wo to kuch dino me pata hi chal jayega ... Firlhaal mausere bhai ki kahani samjh me aayi ki nahi.. waise in bhai sahab ke upar puri ek kahani likh di gayi hai :D
 
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nain11ster

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:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
ye drishya to bilkul saand ki tarah attack kar raha tha aur ispar bachpan mein hi halk jaisa experiment hua tha, khair halk kitna bhi takatavar ho iron man use apne kaabu mein kar hi leta hai :D,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
Hahaha well said .. haan iss hulk par maa ke garv me hi experiment hua tha... Kahani hai iski ouri .. "Kuch nahi tere bin" .. baki ki detail wahan se mil jayega
 
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nain11ster

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:superb: :good: :perfect: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
bahot hi shandaar family reunion tha,
sulekha aur sunanda ki kahani bhi aaj apasyu aur arav ko pata chal gayi hai,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai,
Waiting for next update
Yep marmik kahani thi dono dost ki ... Khair atit ke kuch raaj bahut kuch bata dete hain .. yahan apne paitrk khandan ki bhi jankari mili apasyu ko
 
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