• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

Prime
23,612
80,684
259

nain11ster

Prime
23,612
80,684
259
Update:-124




जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. लेकिन आपमें और मुख्य सचिव में तो बनती नहीं थी ना भैय्या।


जेके:- "हां सो तो है, लेकिन जब वो मदद मांगने आया तो उसका विषय सुनकर मै मदद किए बिना रह नहीं पाया। हुआ ये था कि मायलो ग्रुप के विपक्ष और पक्ष के संबंध को देखकर होम मिनिस्टर थोड़ा सचेत हो गया था। याद है, राजीव मिश्रा की हरकत, उस वक़्त मायलो ग्रुप ने पुरा महाभियोग चला दिया और होम मिनिस्टर को उसके पद से हटाने की वो पूरी तैयारी कर चुका था।"

"बस इसी बात से खिसियाकर, होम मिनिस्टर ने उस बक्शी को ही मायलो ग्रुप के पीछे लगा दिया। बक्शी जब इसके पीछे गया, तभी तो सारी बातों का खुलासा हुआ। मायलो ग्रुप में जिसके पीछे बक्शी की पूरी इन्वेस्टिगेशन चल रही थी, यानी कि नंदनी रघुवंशी, मायलो ग्रुप की मालकिन, वो कभी बक्शी को मिली ही नहीं। बक्शी भी चक्कर खा गया और मेरे पास पता लगाने आया था कि नंदनी रघुवंशी कैसे पर्दे के पीछे सारा खेल रच रही है?

"वहीं से फिर पता चला था कि ये लोकेश, नंदनी रघुवंशी के नाम पर बहुत से कांड किए है और चूंकि नंदनी रघुवंशी को किसी ने देखा नहीं, इसलिए सब इस बात में जुटे रह गए की जिसके मालिक ने आज तक एक भी दस्तावेज सिग्नेचर नहीं किए उसे कैसे फसाया जाए।"

"तभी तो मैंने तुझसे कहा था कि जिस दिन नंदनी इन लोगों को मिलेगी। केवल 2 दिन में ये लोग अपना सभी बड़े टारगेट को खत्म करके नंदनी रघुवंशी पर सारा इल्ज़ाम डालेंगे और खुद बाहर रहकर पुरा कंट्रोल अपने हाथ में रखेंगे।"


अपस्यु:- इस डेढ़ साने का बड़ा टारगेट होम मिनिस्टर ही था। अब समझ में आया मुझे, की इसने देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करके केवल इतना क्यों कहा कि मायलो ग्रुप की मालकिन मिल गई और प्रेस के किसी भी सवाल का उत्तर क्यों नहीं दिया।


जेके:- हां वो तो मैंने भी देखा। अब भी इसके दिमाग ने खिचड़ी पक ही रही है।


अपस्यु:- हां शायद, तभी तो दूसरों को हिंट कर गया कि मां शुरू से पर्दे की पीछे थी, बस अब सामने आ रही है।


जेके:- कर लेने दे अब उसे अपनी बची खुची प्लांनिंग, मैंने बक्शी को नंदनी और उसका पूरा इतिहास खोल दिया है। तू तो बस 15 अगस्त की अब प्लांनिंग कर, बाकी का काम तो बक्शी की टीम कर जाएगी क्योंकि उन्हें अब मामला समझ में आ चुका है और एक्शन प्लान तो उनका बन ही चुका होगा।


अपस्यु:- हां इधर सब संतुलन में ही है समझो। आप दोनो से लेकिन मै काफी नाराज हूं। कहां गए ना तो वो बताए हो और ना ही ये की कब मिशन शुरू कर रहे।


जेके:- हम एक्शन प्लान से बाहर है, बस कुछ इन्वेस्टिगेशन का जिम्मा मिला है।


पल्लवी:- सॉरी ये वादा मैंने किया था और मै तुम दोनों को अपडेट नहीं कर सकी। हम दोनों इस वक़्त रोंचेस्टर सिटी में है और मयो क्लीनिक का इन्वेस्टिगेशन में आए है।


अपस्यु:- ये वही मायो क्लीनिक है ना जिसके लिए कुछ इंडियन डॉक्टर्स ने रिक्वेस्ट की थी और तब नाना जी ने अपने कंपनी में नाम से यह हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर खोला था।


पल्लवी:- लड़का अपने खानदान का पूरा इतिहास समेटे है। हां ये वही मायो क्लीनिक है।


अपस्यु:- ठीक है भाभी, आप दोनो इन्वेस्टिगेशन का मजा लो और हमे अपडेट करते रहना। पता नहीं क्यों मेरा भी दिल कर रहा है आप दोनो के साथ एक बार पूरे एक केस पर काम करने की।


जेके:- चल रे इमोशनलेस प्राणी, लोगों के बीच रहकर ज्यादा इमोशनल होने वाली बीमारी ना पाल।


पल्लवी:- हां अपस्यु जेके ने सही कहा। हम दोनों जल्द ही मिलते है, तबतक तुम दोनो मिलकर एक जूनियर ऐमी या जूनियर अपस्यु का प्रोडक्शन करके रखना। यह हमारा आखरी केस है, इसके बाद हमने फैसला किया है कि फील्ड जॉब छोड़कर नए रिक्रूट को ट्रेंड करेंगे।


ऐमी:- बेरा गर्क हो। ओय भाभी फिर उस फक्र की मौत का क्या जिसके हसीन सपने दोनो मियां बीवी देखते थे, फील्ड में एक्शन करते हुए मरना।


पल्लवी:- हीहीहीही… अब फील्ड तो नसीब ही नहीं होगा। यहां भी तो हमे फील्ड से बाहर रखकर बस इन्वेस्टिगेशन में डाले हैं। केवल इन्वेस्टिगेशन करो और रिपोर्ट दो। चल अब रखती हूं, दोनो अपना ख्याल रखना और हमारे आने तक एक जूनियर को ले आना।


पल्लवी अपनी बात पूरी करके कॉल डिस्कनेक्ट कर दी। और इधर ऐमी को देखकर अपस्यु… "चलो फिर चलते है।"..


ऐमी:- कहां बेबी।


अपस्यु:- सुनी नहीं क्या भाभी ने क्या कहा, उनके लौटने तक मेहनत करके एक बच्चा उनकी गोद में देना है।


ऐमी, अपनी आखें बड़ी करती… "तुम्हे नहीं लगता आंटी के जाने के बाद तुम्हे खुला खजाना मिल गया है।"


अपस्यु, ऐमी को पकड़ने की कोशिश कर ही रहा था कि ठीक उसी वक़्त घर की बेल बजी…. "जाओ देखो आ गई छिपकली, हमारा रोमांस खत्म करने। अगर श्रेया हुई ना तो तुम देख लेना।"..


अपस्यु, दरवाजे के ओर बढ़ते… "और नहीं हुई तो क्या करोगी।"..


ऐमी:- मैंने केवल श्रेया के होने पर क्या होगा वो बताई, बाकी ना होगी तो तुम्हारे लिए अच्छा होगा। अब दरवाजा खोलकर सस्पेंस दूर कर लो।


अपस्यु:- डफर, सीसीटीवी भी नहीं देखती क्या, दरवाजे पर कुसुम है।


अपस्यु दरवाजा खोलने लगा और ऐमी अपने सर पर हाथ मारती दरवाजे के ओर देखने लगी। दरवाजा खुलते ही कुसुम अंदर आयी और दरवाजा बंद करके हॉल में बैठ गई। थोड़ी परेशान दिख रही थी। ऐमी कुसुम के ओर पानी बढ़ाती… "तुम इतनी परेशान क्यों नजर आ रही हो।"


कुसुम:- जब से सुनी हूं, भईया मेरे कजिन है तब से जितनी खुश नहीं हूं, उस से ज्यादा मै परेशान हूं। आप लोग मेरे भाई और पापा को नहीं जानते, वो अच्छे लोग नहीं है।


अपस्यु:- हेय । मैं तो कुसुम को जनता हूं ना, वो तो अच्छी और प्यारी है। तुम चिंता नहीं कर, हमे कुछ नहीं होगा।


कुसुम:- भईया आप समझते क्यों नहीं, सब के सब झल्लाद है। जबतक स्वार्थ है तबतक आपके साथ है, एक बार इनका मतलब निकल गया, फिर ये लोग, लोगों को गायब कर देते है।


कुसुम की चिंता उसकी बातों से साफ झलक रही थी। तकरीबन आधे घंटे तक कुसुम केवल यह समझने की कोशिश में जुटी रही की उसके पिता और भाई पॉवर और पैसों के लिए कुछ भी कर सकते है, और अपस्यु बस इधर उधर की बातों से उसका दिल बहलाता रहा।


अंत में जब वो वहां से जाने लगी तब भी वो गुमसुम थी, एक फीकी मुस्कान के साथ वो अपस्यु को अपना ख्याल रखने के लिए बोलकर चली गई। कुसुम कबका दरवाजे से निकल गई, लेकिन ऐमी अब भी दरवाजे के ओर ही देख रही थी…. "इतनी गहरी सोच, बहुत मासूम है ना वो।"..


ऐमी, तेज श्वांस छोड़ती…. "और बहुत मायूस भी थी, आगे आने वाला वक्त इसके लिए काफी मुश्किल से भड़ा होगा।"…… "ऑफ ओ अपस्यु"..


"ऐमी, उसके लिए तो आने वाला वक्त मुश्किलों से भड़ा है, लेकिन मेरा भारी वक़्त तो ना जाने कब से शुरू है।"…


ऐमी, अपस्यु को मुसकुराते हुई देखी, अपने होंठ से अपस्यु के होंठ को स्पर्श करती…. "हम हर मुश्किल वक़्त को बांट लेंगे। आधा तुम्हारा आधा मेरा।"..


14 अगस्त की सुबह….


प्यार भरे सुकून के पल बांटने के बाद एक खुशनुमा सुबह की शुरवात हो रही थी। ऐमी मीठी अंगड़ाई लेकर जाग रही थी और अपस्यु वहीं पास में सुकून से लेटा हुआ था। उसे खामोशी से यूं सुकून से लेटे देख, ऐमी कुछ सोच कर हंसने लगी।


ऐमी अपने दोनो पाऊं उसके कमर के दोनों ओर करके, उसका गला पकड़कर जोड़-जोड़ से हिलाने लगी…. अपस्यु ने जैसे ही अपनी आखें खोली, उसके होंठ से होंठ लगाकर जोरदार और लंबी किस्स करना शुरू कर दी। आह्हह ! इस से बेहतरीन सुबह की शुरवात भला हो सकती थी क्या? अपस्यु तो मदहोश होकर जागा।


ऐमी जब किस्स को तोड़कर अलग हुई, दोनो की श्वांस चढ़ी हुई और आखों में चमक और हंसती हुई कहने लगी…. "किसी एक दिन मेरी सुबह की शुरवात भी इतनी धमाकेदार हुई थी लेकिन पुरा दिन किसी को मेरा ख्याल नहीं आया। पे बैक टाइम बेबी"

इससे पहले कि अपस्यु उठकर उसे दबोच पता, ऐमी हंसती हुई उसके पास से भागकर दूसरे कमरे में आ गई, और दरवाजा लॉक करके हंसने लगी। ऐमी बिस्तर पर बैठकर हसने लगी और इधर अपस्यु भी उसकी इस अदा पर हंस रहा था।…. कुछ ही देर में दोनों तैयार होकर हॉल में बैठे थे। अपस्यु सोफे से टिका था और ऐमी उसके सीने पर सर रखकर दोनो प्यार भरी बातें कर रहे थे। तभी खटाक की आवाज़ के साथ दरवाजा खुला और सामने आरव था।


आरव की देखकर, ऐमी और अपस्यु के चेहरे खिल गए। आरव दौड़ता हुआ पहुंचा दोनो के बीच और तीनों गले मिलने लगे…. तीनों साथ बैठकर कुछ देर बात करते रहे, फिर आरव वहां से उठकर अपने कमरे चला गया।


ऐमी:- 15 को लौटता ना ये तो, एक दिन पहले चला आया।


अपस्यु:- अब ये तो आरव ही जाने, लेकिन आज सुबह की शुरवात जिस जोरदार रोमांस से हुई थी, उसमे ये ग्रहण लगाने चला आया।


ऐमी:- हीहीहीहीही… बोल दूं क्या चला जाए यहां से।


अपस्यु:- कभी-कभी ना तुम्हारी ये खीखी मेरा सुलगा देती है।


ऐमी अपनी पाचों उंगली अपस्यु के चेहरे पर फिराती…. "रात ही तो अपनी मर्जी का सब किए थे, अब सुबह-सुबह ऐसे चिढ़ जाओगे तो कैसे काम चलेगा। चलो, स्माइल करो।


अपस्यु, ऐमी को खींचकर अपने सीने से टिकते… "होंठ से बस होंठ को छू लो, स्माइल तो ऐसे ही आ जाने है।"..


ऐमी बड़ी अदा से मुस्कुराती हुई…. "और किस्स ना करूं तो बेबी के फेस पर स्माइल नहीं रहेगी क्या?"..


अपस्यु:- स्माइल तो तब भी रहेगी लेकिन जो स्माइल तुम्हारी नजरें ढूंढती है वो ना रहेगी।


ऐमी अपना चेहरा ऊंचा करके धीरे-धीरे ऊपर बढाने लगी। अपस्यु के होटों पर आयी मुस्कान को देखकर ऐमी का चेहरा खिल गया। इंच दर इंच धीरे-धीरे ऐमी के होंठ अपस्यु के होंठ के बिल्कुल करीब आ गए। होंठ से होंठ स्पर्श होने लगे और दिल में कुछ गुदगुदा सा महसूस होने लगा। सौम्य सी छुअन थी होंठ की और दोनो की आखें बंद होने लगी।


गले की तेज खड़ास की आवाज़ के साथ… "इतनी बेख्याली की लोग कब घर में घुसे पता ही ना चले।"..


गले की खराश की आवाज़ के साथ ही दोनो झटक कर अलग हो गए। नंदनी जबतक अपना डायलॉग बोल रही थी, तबतक कुंजल दौर कर अपस्यु से लिपट गई और ऐमी अपना सर पुरा नीचे झुकाए, अंदर ही अंदर हंस रही थी, जिसे अपस्यु भाली-भांति महसूस कर रहा था।


इस से पहले की नंदनी कुछ सवाल-जवाब करती, ऐमी झट से नंदनी के पास पहुंची और उसके पाऊं छूकर कहने लगी…. "मां, मै आपसे आकर मिलती हूं। बस जा ही रही थी और विदाई सेशन चल रहा था हमरा।".. नंदनी, ऐमी को रोकती रह गई लेकिन वो रुकी नहीं।


नंदनी, ऐमी का चुलबुला पन देखकर हसने लगी और हंसती हुई अपने कमरे में चली गई। इधर कुंजल, अपस्यु को बिठाकर बातें करने लगी और अपस्यु का ध्यान स्वास्तिका के खिले हुए चेहरे पर था। वो स्वास्तिका के अंदर चल रहे खुशी को महसूस कर सकता था।


"भईया, सुनो तो आप, मै क्या कह रही हूं।"… कुंजल अपस्यु का ध्यान अपनी ओर खींचती हुई कहने लगीं। अपस्यु, कुंजल को कुछ देर शांत रहने का इशारा करके स्वास्तिका को अपने पास बुलाया…. "15 अगस्त की रात से पहले इन आखों में आशु नहीं आने चाहिए। तुम समझ रही है ना।"..


स्वास्तिका, कुछ बोल तो नहीं पाई लेकिन खुशी से अपना सर "हां" में हिलानें लगी। स्वास्तिका को अपने पास बिठाकर उसके सर को सीने से लगाकर अपस्यु कहने लगा…. "वर्षों से जल रही आग का कल हिसाब हो जाएगा। हम जब कल उन्हें आजमाना शुरू करेंगे, तो वादे अनुसार उनको हम अपने कतरे-कतरे जले अरमानों से अवगत करवा देंगे।"


कुंजल:- मुझे भी अपनी जलन शांत करनी है। क्या मैं भी आपके साथ चल सकती हूं।


स्वास्तिका:- नहीं ! वहां बहुत खतरा है।


अपस्यु:- ये अपनी दीदी और भाभी के बीच रहेगी। जिसके आगे पीछे इसके दो भाई रहेंगे, और सर के ऊपर पुरा सुरक्षित शाया। कल मेरी बहन जाएगी और जरूर जाएगी। लेकिन एक बात याद रखना, 7 साल का नासूर दर्द सीने में है, कोई किसी को मारना मत। मृत्यु उनके लिए मोक्ष होगी और मै किसी को भी मोक्ष नहीं देना चाहता।


"तुम कहां जा रहे हो और क्या होने वाला है, उसमे कितना खतरा है ये सब देखने की जिम्मेदारी तुम्हारी है अपस्यु लेकिन मुझे अपने सभी बच्चे मेरे नजरों के सामने चाहिए, बिना किसी नुकसान के।" … नंदनी पीछे से आकर तीनों के सर पर हाथ फेरती हुई कहने लगी।
 
Last edited:

nain11ster

Prime
23,612
80,684
259
Update:-125





अपस्यु:- मां आप बेफिक्र रहो। कल हम सब वैसे भी एक्शन ना के बराबर करेंगे और पुरा शो पॉपकॉर्न के साथ एन्जॉय करेंग। आप भी हमारे साथ क्यों नहीं चलती।


नंदनी:- नहीं मै नहीं आ सकती बेटा। जैसे तुम्हारी अपनी योजना है वैसे ही मेरी अपनी योजना है। एक अच्छे आदमी का नाम खराब किया है अपस्यु इन लोगो ने। मरणोपरांत किसी के नाम को मिट्टी में मिला दिया गया। मेरे पापा और मेरे भाई ने कभी किसी का बुरा नहीं चाहा, और ना ही कभी पैसों को तब्बजो दिया है। बस अपनी मां की एक ख्वाहिश पूरी कर देना, जब तुम लौटो तो उनका नाम पर लगा कलंक साफ हो जाना चाहिए, और इधर मै उनके एक बहुत बड़े सपने को साकार करने की दिशा में काम करूंगी। 16 अगस्त को जब सब सामान्य हो जाएगा, मै उसी दिन ये घोषणा करना चाहती हूं। क्या तुम मेरे लिए एक अच्छी टीम अरेंज कर सकते हो जो मेरे प्रोजेक्ट को पूरी तरह से प्लान कर दे।


अपस्यु:- मेरे बापू कब काम आएंगे मां। आप सिन्हा जी से मिल लीजिए, आपका सारा काम हो जाएगा….


नंदनी:- मै भी वही सोच रही थी। तुम सब अपने काम में लग जाओ, और हां ऐमी को भी बुला लो, उसे इस वक़्त यहां होना चाहिए।


कुंजल:- आप खाली थप्पड़ चलाने के लिए हो क्या मां, इतना तो आप भी कर सकती है, वो भी पूरे हक से।


स्वास्तिका, कुंजल के सर पर एक हाथ मारती…. "पागल कहीं की, बोलते-बोलते कुछ भी बोल जाती है।"..


अपस्यु:- हो गया, छोटी के मुंह से कुछ ज्यादा निकल गया हो तो एडजस्ट कर लो तुम लोग।


नंदनी:- तेरे छोटी और बड़ी कि हेंकरी तो मै 17 अगस्त से निकालूंगी, अभी जारा मै काम कर लूं। वैसे आते वक़्त मैंने गुफरान और प्रदीप को नहीं देखी, दोनो को कहीं भेजे हो क्या?


अपस्यु:- दोनो काम छोड़ गए मां। रुको आरव को बोलता हूं छोड़ आएगा।


तीनों एक साथ आश्चर्य… "आरव यहां है और अब तक कमरे के बाहर नहीं आया।"


अपस्यु:- कुछ जरूरी काम कर रहा होगा इसलिए बाहर नहीं आया।


नंदनी:- नहीं उसे रहने दो , मैं सिन्हा जी को बोल देती हूं किसी को भेज देंगे। और ऐमी को भी फोन लगा देती हूं।


अपस्यु:- मां, आज आप अकेली ही रहना, हम सब कुछ देर में राजस्थान के लिए निकलेंगे।


नंदनी:- मै अकेली क्यों रहूंगी, श्रेया तो है ना।


अपस्यु:- नाह ! उसने तो कल ही फ्लैट छोड़ दिया।


नंदनी:- हम्मम ! कोई बात नहीं, आज मै अपने 120 पोते-पोतियों के बीच सोऊंगी। पूरा भड़ा पुरा माहौल में, वो भी पूरी मस्ती के साथ। तुम लोगों को जहां जाना है वहां जाओ।


नंदनी ने ऐमी को ही कॉल लगाकर किसी ड्राइवर के साथ आने के लिए कह दी। कुछ देर बाद ऐमी फ्लैट के अंदर थी और नंदनी सिन्हा जी से मिलने चली गई। सुबह के 11 बज रहे थे, अपस्यु सबको वैन में लेकर दिल्ली राजस्थान हाईवे पर था।


सभी के मन में कई सवाल थे लेकिन अपस्यु बस उन्हें शांत रहकर सरप्राइज का इंतजार करने के लिए कहने लगा। 10 मिनट के बाद वैन एक बड़े से स्क्रैप यार्ड के पास खड़ी हो गई। सबको वैन में रुकने के लिए बोलकर, अपस्यु स्क्रैप यार्ड के अंदर घुसा और वहां एक लड़के से बात करने लगा। उस से बात करने के बाद अपस्यु वापस वैन में बैठा और वैन कुछ दूर आगे जाकर रुकी।


अपस्यु सबको नीचे आने का कहकर एक बड़े से गराज का शटर खोला, अंदर एक लाइन में 5 कार खड़ी थी जिसके ऊपर पेपर का कवर चढ़ाया गया था।… "क्या यार हम राजस्थान के लिए निकले है या यहां एनएच के कबाड़खाना देखने आए है।"…


"हम्मम ! अच्छा सवाल हैं। लेकिन इस सवाल का जवाब इन पेपर के अंदर छिपे कार में है।"….. अपस्यु एक कार के ऊपर के सारे पेपर हटाते हुए कहने लगा। … "पेश है पूरी तरह कस्टम की गई फरारी। ऑटोमोबाइल इंजीनियिंग का नायाब कारीगरी, जिसे आपकी प्यारी भाभी और मेरी होनी वाली प्यारी पत्नी ने आप सबको गिफ्ट किया है।"


कुंजल:- ऐसा क्या खास कस्टम किया है भाई ?


अपस्यु:- "कार की खास बात सिर्फ इतनी सी है कि, हम किसी के यहां बुलावे पर खाली हाथ अशहाय की तरह पहुंचेंगे और हमारी सारी जरूरत ये कार पूरी करेगी। इसके अलावा बहुत से और भी गुण के साथ इसे कस्टम किया है। हर किसी के लिए यहां उसकी अपनी कस्टम कार है और हर कार पर उसके मालिक का नाम लिखा है। 100% कंप्यूटराइज्ड बायोमेट्रिक सुरक्षा तकनीक के साथ जिसे बिना आपके कमांड के ऑपरेट नहीं किया जा सकता। इसके अलवा अंदर के सारे फंक्शन भी आपके हुक्म के गुलाम है।"

"बाकी सारी डिटेल कार के अंदर है, धीरे-धीरे सभी खूबियां समझ में आ जाएगी। यहां से वीरभद्र के गांव का सफर लगभग 700 किलोमीटर का है । हम बीच में जयपुर में हॉल्ट लेकर लंच करेंगे और फिर वहां से उदयपुर और उदयपुर से वीरभद्र के गांव। जयपुर हॉल्ट का जीपीएस लोकेशन मैंने भेज दिया है, यहां से हम अपनी कार में रेस करते हुए निकलेंगे।"


सभी लोग हूटिंग करते हुए कार का कवर खोले। कुछ ही समय में सभी कार सड़क पर थी। इंजन की आवाज़ घन-घन करने लगी और सबने अपने कार को भगाना शुरू कर दिया। कार हवा से बातें करना शुरू कर चुकी थी। जल्द ही सबके कार की गति 140-150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के हिसाब से चलने लगी थी। इससे ज्यादा तेज गति में कार ले जाने की हिम्मत किसी में नहीं हुई सिवाय अपस्यु के, जो टॉप स्पीड में लगभग 300 से 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ते हुए सबके बीच दूरियां बनता जा रहा था।


सभी लोगों कि गाड़ी हॉल्ट डेस्टिनेशन पर जैसे ही रुकी…. "आज क्या गाड़ियों की सेल लगी थी, जो हर कोई फरारी लिए घूम रहा है।"… आरव पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी करते हुए सोचने लगा। यही हाल स्वास्तिका और कुंजल का भी था।


"ज्यादा आश्चर्य करने की जरूरत नहीं है, 20 कार कस्टम की गई थी, जिसमें से 7 अपने पास है।"…. ऐमी तीनों के पीछे खड़ी होकर कहने लगी।


आरव:- ओह हो मतलब 13 गाडियां कॉलीब्रेशन की है। अब मुझे समझ में आ गया कि दृश्य भईया किस धरती के बोझ की बात कर रहे थे, और अपस्यु ने अचानक ही सारे योजना को किनारे करके नई योजना पर क्यों काम शुरू कर दिया।


स्वास्तिका:- तुम दोनो कोड में बात क्यों कर रहे हो।


कुंजल:- उम्मीद है इस कोड का खुलासा किए बिना अब हमे इंतजार करने के लिए कहा जाएगा।


ऐमी:- हां इंतजार करने कहा जाएगा और साथ में यह भी की शादी जैसा माहौल होने वाला है।


सभी एक साथ…. "ये शादी जैसा माहौल का क्या मतलब है।"


ऐमी:- जैसे एक रिश्ता, शादी तक पहुंचाने के लिए घरवाले पूरी मेहनत करते हैं ठीक वैसे ही हमने अपने काम को आखरी अंजाम तक पहुंचा दिया है। अब शादी में बस हम सब को एन्जॉय करना है, पुरा एन्जॉय और शादी का पूरा भार किसी जिम्मेदार को सौंप दिया है।


कुंजल:- लेकिन भाभी, थोड़ा-नाच गाना और विधि वाले काम तो हमारे हिस्से में है ना।


ऐमी:- हां हां वो हमारे हिस्से में ही है और हम लोग पूरे मज़े के साथ उसे करने वाले है। चलो अन्दर चला जाए।


सभी लोग जैसे ही अंदर पहुंचे, अपस्यु किसी के गले लगकर उसके कानों में कुछ कहा और वो पलट कर सबको हाथ दिखता वहां से चला गया। सभी लोग एक टेबल पर आकर बैठ गए…. "अब ये महाशय कौन है।"… स्वास्तिका ने पूछा।


आरव:- ये दृश्य भईया है, मौसेरे भाई। शादी का पूरा व्यवस्था देखना इन्हीं के जिम्मे है और अपना काम होगा पूरी शादी एन्जॉय करना।


कुंजल, अपनी छोटी सी आंख बनाती, कुछ कहने ही वाली थी, उस से पहले ही अपस्यु कहने लगा…. "सब आराम से यहां लंच एन्जॉय करो। वैसे भी तमाम उम्र सवाल जवाब में ही गुजरा है, सो मैं चाहता हूं तुमलोग शादी एन्जॉय करो, बाकी बातें तो ये इवेंट एन्जॉय करने के बाद भी होता रहेगा।"


अपस्यु की बात मानकर सभी लंच करने लगे। लंच के दौरान तीखी बहस छिड़ी हुई थी। आपस में चिढाना और खींचा तानी लगा हुआ था। जयपुर हॉल्ट से सभी लोग तकरीबन 3 बजे निकले। इस बार जब जयपुर से निकले, तभी कुंजल सबको आखें दिखती कह दी… "इस बार कोई आगे पीछे नहीं भागेगा। सब साथ में चलेंगे।"


कुंजल की बता भला कोई ना माने। ऐमी ने सभी 5 गाड़ी के एसेस कंट्रोल लिया और अपस्यु के कार को कमांड दे दिया। ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी का क्या कॉम्बो कस्टम किया था। सभी कार ऑटो ड्राइव कमांड में थे। आगे अपस्यु अपनी कार ड्राइव कर रहा था, और पीछे इंजन से लगे बोगी की तरह बाकी कार चल रही थी।


ऐमी कुंजल के साथ आकर बैठ गई और आरव स्वास्तिका के साथ। बातचीत करते हुए सभी 6 बजे के आसपास उदयपुर की सीमा में घुसे। वहां से फिर सभी अपने-अपने कार में सवार होकर वीरभद्र के घर। सायं-सायं करती सभी कार वीरभद्र के घर के आगे रुकी। चूंकि वीरभद्र को पहले से सूचना थी, इसलिए वो बाहर खड़ा ही उनका इंतजार कर रहा था।


इतनी सारी कार एक साथ आते देख लोगों की भीड़ भी आकर वहां जमा होना शुरू हो गई। वीरभद्र ने तुरंत सभी कार को अपने पीछे आने का इशारा किया। थोड़ी ही देर में कार वीरभद्र के वर्किंग सेक्शन के पास खड़ी थी। अपस्यु के इशारे पर आरव सबको लेकर वीरभद्र के ट्रेनिंग एरिया के ओर चल दिया…


कुंजल:- वीरे जी..

वीरभद्र:- जी कुंजल जी…


कुंजल:- अरे मै इतने दिन बाद मिल रही हूं, ना कोई दुआ ना कोई सलाम, आप तो इधर-उधर घूम रहे है।


निम्मी:- ये छोड़ा जारा शर्मिला है। लड़कियों से ठीक से बात नहीं कर पाता, ऊपर से मालिक की बेटी, कहां से नजर मिला पाएगा।


कुंजल:- और तुम्हारी तारीफ।


एक छोटे से परिचय के बाद सब लोग आपस में बात करने लगे। पार्थ भी वहीं पर था, लेकिन सभी लोगों ने जो एक बात गौर की वो था पार्थ का बदला स्वभाव। बोल्ड और बेवाक बातें करने वाला पार्थ, किसी भीगी बिल्ली की तरह बस थोड़ा सा हंस रहा था और थोड़ा सा बोल रहा था।


स्वास्तिका और आरव उसे लेकर कोने में पहुंचे। निम्मी, पार्थ के विषय में बहुत कुछ देखकर भी अनदेखा करके वीरभद्र और कुंजल के साथ बातों में लगी हुई थी। तीनों आपस में बातें कर रहे थे, बीच, बीच में कुंजल वीरभद्र को छेड़ देती और उसका शर्माना देखकर निम्मी और कुंजल हंसने लगती। बातों के दौरान कुंजल के हंसी मजाक को देखकर निम्मी ने कह ही दिया…


"आप हमारे मालिक की बेटी है, और जिस तरह से आप घुल मिलकर मज़ाक कर रही है उस से लगता है, आप सबकी चहेती होंगी। देखने में तो कोई जवाब ही नहीं, किसी भी लड़के का दिल धड़क जाए… मेरी विनती है कि मालिक और नौकर के बीच मेल-जोल थोड़ा कम ही रहे तो अच्छा है।"..



कुंजल का हंसता चेहरा, निम्मी की बात सुनकर जैसे मुरझा सा गया हो। वीरभद्र भी समझ नहीं पाया कि अचानक ही निम्मी ने ऐसा क्यों कह दिया। लेकिन उसे भी निम्मी की बात कहीं ना कहीं सही ही लगी, इसलिए उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिया। कुंजल चुपचाप वहां से उठकर अपस्यु और ऐमी के पास चली आयी जो इस वक़्त कार के अंदर की सब व्यवस्था पर चर्चा कर रहे थे।


दोनो आपस में बात कर रहे थे, तभी बात करते-करते दोनो की नजर कुंजल पर गई।… "बच्ची का मुंह कहे उतरा है। अभी तो इसकी खिली सी हंसी की आवाज़ आ रही थी।"… अपस्यु कुंजल को देखते हुए ऐमी से कहा।


ऐमी:- लगता है कोई बात चुभ गई है। चलो देखते हैं।


ऐमी जैसे ही 2 कदम आगे बढ़ी अपस्यु पीछे से जमीन पर लेटकर नागिन डांस करने लगा। कुंजल के उतरे चेहरे पर हंसी की लहर तैर गई। जोर से चिल्लाती हुई वो कहने लगी… "भाभी, इनकी नौटंकी शुरू हो गई। प्लीज उठाओ भईया को, कहीं भी लेटकर नागिन डांस दिखाने लगते है।"


ऐमी जब पीछे मुरी तब अपस्यु की हरकत देख वो भी हसने लगी। कुंजल का चिल्लाना सुनकर पीछे से वीरभद्र और निम्मी भी वहां पहुंचे। अपस्यु खड़ा होकर कुंजल को अपने पास बुलाया…. "ये क्या है कुंजल, तेरा मुंह क्यों फुल गया।".. तबतक वीरभद्र और निम्मी भी उनके पास पहुंच गए थे।
 
Last edited:

Adirshi

Royal कारभार 👑
Staff member
Sr. Moderator
38,461
54,689
304
4 update kabke post nar diye .. aaj to index dekhkar shuru karna 120 se :D
Dhanyawad aapne aajka sunday badhiya bana diya hamara :bow:
 
  • Like
Reactions: Nevil singh

nain11ster

Prime
23,612
80,684
259
aapse to hum sikhe the bawa PGK padhne ke bad hi ek qatra ishq likhi thi xp pe
Ek katra ishq bahut baad me aur bahut slow likha tha u ne .. mood offu kar diye the adrishi babu... Pura kahani ka link pm karne ka re baba .. meri adhuri atki hai wo kahani
 
  • Like
Reactions: Nevil singh

nain11ster

Prime
23,612
80,684
259
Shreya apne sathiyo ke sath Apsue v Ami ka romance dekh kar ukta jaate hai aur Shreya Apsue ke flait per aati hai aur Kishor Hacker se milkar wapish apni team ke pass aa jati hai Aur Ami v Apsue Shreya ko apne flait ki chabiya dekar nikal jate hai Aarav ki khoj me jo kidnep ho chuka hai. Idher Pallwi bhabhi un kidnappers ki locetion bhej deti hai Apsue ko Delhi ke aash -pass ki. Ab dekhte hai aage kya hoga Aarav ka v Apsue ke mosere bhai ka aur Shikari ya Shikar Shreya jaan ka.
Bahut hi sunder varno se nirmit ek aur update laaye hai Master Nain apne shabd koush se.
Waise apasyu ke mausere bhai ki lagbhag kahani 280+ update ki hai jo purn ho chuki hai.. uski puri leela ka varnan ho chuka hai.. :D..

Baki dekhiye aage kya hota hak Nevil bhai
 
  • Like
Reactions: Nevil singh
Top