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Romance भंवर (पूर्ण)

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Update:-130





अश्क:- वो एक दौर था जो गुजर गया। गलतियां हम दोनों से हुई, लेकिन आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ होगा की दृश्य ने एक ही बात के लिए 4 बार नाराजगी जताई हो, और देख ना मैंने दृश्य से यहां भी झगड़ा कर लिया।


"कोई बात नहीं है दीदी, अब चलो भी तैयार हो जाओ। पहले बारातियों का स्वागत देखना है फिर बाद में हमे भी तो धमाल मचाना है।".. ऐमी अपने कपड़े बदलती हुई बात करने लगी।


अश्क:- आह ! मै तो आलसी हूं, आज तेरा एक्शन देखूंगी बस..


ऐमी:- क्यों अपने लव का एक्शन देखते-देखते बोर हो गई क्या।


अश्क:- कूल, ये फैंसी लिंगरी की शॉपिंग मुझे भी करवाएगी क्या?


ऐमी:- आप नहीं खरीदती क्या?


अश्क:- यार सोचकर जाती तो हूं कि खरीदना है, लेकिन जब वो दिखता है तो बस इत्तू सा छोटा कपड़ा लगता है कुछ समझ में ही नहीं आता।


ऐमी, स्ट्रेचेबल पेंसिल जीन्स डालती… "ठीक है जब कभी भी दिल्ली आना तो साथ चलेंगे शॉपिंग पर। अब उठो भी, वहां कहां आप बिस्तर पर जमी है। आप पहले किसी के साथ तैयार ना हुई क्या, जो ऐसे बैठकर मुझे तैयार होते देख रही है।"..


अश्क:- नाह मुझे देखना है कि जब तुम जैसी ट्रेंड फाइटर तैयार होती है तो अपने कपड़ों के साथ क्या-क्या कैरी करती है।


ऐमी:- दीदी ये फिर कभी और किसी मौके पर देखने को मिलेगा, क्योंकि आज का थीम है, उन्हीं के चराग से उन्ही का आशियाना जलाना है।


अश्क:- ओह ! चल ठीक है फिर मै भी तैयार हो लू..


इधर स्वास्तिका ने अपना बैग खोलकर बिस्तर पर सारा समान बिखेर दी, बड़ी तेजी से वो दृश्य के चेहरे पर हाथ चलाती गई, और अंत में एक गाढ़े हरे रंग की कॉन्टैक्ट लेंस दृश्य के आखों में लगाने के बाद… "ये हो गया आप का मेकअप सर"..


दृश्य:- ये सर क्या है, तू मुझे भाई नहीं मानती क्या?


स्वास्तिका:- मै रिश्ते मानने में नहीं, रिश्ते निभाने में विश्वास रखती हूं।


दृश्य:- प्वाइंट तो बी नोटेड, और हां मेरे लिए रिश्ता मुंहबोली नहीं, बल्कि दिल से जुड़ा होता है, इसलिए ज्यादा बातें नहीं, और मुझे अच्छा लगेगा जब तुम हक दिखाओगी।


स्वास्तिका हंसती हुई…. "जी भईया, वैसे कैसा लगा मेकअप।"


दृश्य:- निम्मी जारा देखकर बताओ की मै पहचाना जाऊंगा या नहीं।


निम्मी:- भईया आपके करीबी को छोड़कर कोई आपको पहचान नहीं पाएगा। और कितना भी करीबी क्यों ना हो, जबतक ध्यान से ना देखे पता, नहीं चलने वाला है।


दृश्य, स्वास्तिका के दोनो गाल खिंचते…. "थैंक्यू सो मच, क्या मेरे कुछ लोगों ये कला सीखा सकती हो।"


स्वास्तिका:- बिल्कुल भाई, दिल्ली में ही रहूंगी और अपना हॉस्पिटल खोलने वाली हूं, साथ में मेरा एक सपना है कि बहुत बरा रिसर्च सेंटर भी होता, लेकिन आपकी कहानी जानने के बाद वो विचार मैंने छोड़ दिया। सो एक हॉस्पिटल और उसमे मेरे अपने छोटे-छोटे क्यूट से रिसर्च। आप भी उनको भेज देना जिन्हे ये कला सीखनी हो।


दृश्य:- ऐसा नहीं है कि रिसर्च कोई भी बुरा होता है। हां लेकिन कुछ विकृत मानसिकता के महत्वकांक्षी लोग, उस प्रयोग को अभिशाप बना देते है, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि अच्छे काम छोड़ दिए जाए। जब ऐमी का टेक्निकल सपोर्ट मिलेगा, तब तुम्हारे एक्सपेरिमेंट को कोई चुरा नहीं सकता, इसलिए अपना आइडिया ड्रॉप मत करो। और हां इसी बहाने मुझे भी किसी के लिए कुछ करने का मौका मिल जाएगा…


स्वास्तिका:- किसके लिए भाई?


दृश्य:- वैदेही है…. जिसने अपने एक्सपेरिमेंट से मेरे अंदर जीवन की नई परिभाषा डाली, डॉक्टर शांतनु की बेटी। वो भी अपने पिता की तरह एक काबिल खोजकर्ता है, लेकिन उसके पिता की दुर्गति जब मुझे याद आती है, तो मेरा रूह कांप जाता है। तुम्हारे हॉस्पिटल में वो सबके बीच और तुम्हारे टीम के साथ अपना प्रयोग जारी रख सकती है। क्या तुम मेरी मदद करोगी ?


स्वास्तिका:- इसपर आराम से बैठकर बात करेंगे भाई, अभी आप जाओ मुझे निम्मी को भी तैयार करना है, आपके पीए की तरह।


दृश्य जैसे ही बाहर निकला, स्वास्तिका निम्मी का मेकअप करती… "निम्मी, एक बात कहूं।"


निम्मी:- मै जानती हूं वो बात, मैंने अपस्यु को दी है सारी बातें। इसलिए प्लीज पार्थ को लेकर कोई बात नहीं करो।


स्वास्तिका:- हम्मम ! ठीक है नहीं करती, मै अपने बारे में तो कर सकती हूं ना।


निम्मी:- हां क्यों नहीं।


स्वास्तिका:- मैंने 19 साल की उम्र में अपनी वर्जिनिटी लूज की थी। 2 टाइमपास बॉयफ्रेंड रहे है और अपनी मर्जी अनुसार सेक्स को एन्जॉय किया। फिर एक दिन दीपेश से मुलाकात हुई, दिल में प्यार वाली फीलिंग जागी, उसके बाद मेरी सारी खुशियां उससे जुड़ गई। एक बात बड़े ईमानदारी से कहूंगी, आज तक कभी मेरे दिल मे उसके पिछले अफेयर जानने का ख्याल नहीं आया और ना ही उसने कभी अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से मेरे अफेयर्स के बारे में जानने की कोशिश किया।


निम्मी:- आप लोग अलग सोसायटी में पले बढ़े हो और मैं अलग।


स्वास्तिका:- "यही तो मै भी समझाना चाहती हूं। उसने भी कई सालों से अलग सोसायटी को देखा है, आज बस तुम्हारा होकर रहना चाहता है। मै तुम्हे फोर्स नहीं कर रही लेकिन बस इतना समझना चाहती हूं कि जैसे मेरे या दीपेश के दिल में कभी अतीत को लेकर कोई ख्याल नहीं आया, ठीक वैसे ही कभी पार्थ तुम्हारे अतीत को लेकर अपने मन में कोई ख्याल नहीं लाएगा, और विश्वास मानो वो रिश्ते निभाने में वो बेईमान नहीं।

"तुम दोनो एक हो जाओ उसका एक स्वार्थ तो यह है कि उस घुमक्कड़ को एक स्थाई ठिकाना मिल जाए, क्योंकि मै जानती हु, यहां का काम खत्म होते ही वो फिर हमारे लिए अजनबी होने वाला है। एक तो उसे बांधे रखने की ख्वाहिश है दूसरा जब से तुम्हरे बारे में जाना है, तबसे एक टीस ही उठती है। किसी और कि गलती के लिए तुमने हर खुशियों से मुंह मोड़ लिया।"


निम्मी:- स्वास्तिका मेरे बदन को यहां नहीं नोचा गया था, बल्कि मेरे आत्मा को नोचकर निकाल दिया गया था। बस दिल की आग ही है जो मुझे जीने की मकसद दी है, उसके बाद फिर मेरा कोई अस्तित्व नहीं।


स्वास्तिका:- सिर्फ तुम्हारा ही अतीत कलेजा चीरने वाला नहीं है, उसके हंसते चेहरे के पीछे भी कई दर्द छिपे है और जो मैंने बताया ना की कल से वो हमारे लिए अजनबी हो जाएगा, वो भी उसी ओर इशारा है कि उसने भी अपने जीने का मकसद नहीं बनाया और शायद वो भी तुम्हारे तरह ही सोचता है। एक छोटी सी उम्मीद कि किरण जागी है, बस दुआ करूंगी तुम दोनो को अपना अस्तित्व एक दूसरे में मिल जाए। हो गया तुम्हारा मेकअप भी। जारा देखकर बताओ कैसा है?


निम्मी:- बहुत शानदार है। चलती हूं अब।


इधर अपस्यु अपने कमरे में सारा इंतजाम करवा चुका था। बड़ा सा स्क्रीन तो पहले से उस कमरे में लगा हुआ था और अब वो सिस्टम से भी कनेक्ट हो चुका था। सबसे पहले पहुंची कुंजल, और वो अपस्यु के पास जाकर उसके बनाए छोटे से बार काउंटर पर बैठ गई।


कुंजल:- पियक्कड़ कहीं के, पुरा बार ही खोल लिया है अपने लिए तो। अब तो लगता है आपसे बात करना छोड़ दू उसी शर्त पर ये पीने की लत भी छोड़ दोगे।


अपस्यु:- सिर्फ ऐमी को पता है ये बात, आज तुम्हे बता रहा हूं, एक्सट्रीम ठंड और पहाड़ पर सीधी चढ़ाई लगातार चढ़ने के कारण, मेरे बॉडी में एक्स्ट्रा बॉडी फ्लूइड विकसित हुआ था। हर किसी के शरीर में यह थोड़े मात्रा में पहले से पाया जाता है, लेकिन मेरे अंदर ये काफी मात्रा में उत्पन होता है।

"जब कड़ाके के ठंड में भी मै गर्मियों के आम दिन की तरह कपड़े पहनकर अपना काम पूरे ध्यान से करता, बिना कापें, तब गुरुजी का ध्यान मुझपार गया। 4 दिन की यात्रा के बाद गुरुजी मुझे एक आऊर्वेदाचर्या के पास लेकर गए और मेरे बारे में उन्हें अवगत करवाया।"

"उन्होंने पुरा निरक्षण के बाद गुरु निशी से से कहा कि चिंता का विषय नहीं है, मानव शरीर की संरचना ही कुछ ऐसी है कि शरीर में वातावरण और काम के हिसाब से कुछ चीजें विकसित होती है तो कुछ चीजों के प्रयोग ना हो पाने के कारन विलुप्त हो जाती है। मेरे शरीर ने भी ऐसा ही एक एक्स्ट्रा फ्लूइड विकसित किया है।"


कुंजल:- इससे आपके पीने का क्या संबंध..


अपस्यु:- ये फ्लूइड जब अल्कोहल के साथ मिलता है तो इसके परिणाम काफी रोचक होते है। पहला तो मैं दिन रात-पिता रहूं, ये किडनी और लिवर में पहुंचने से पहले ही मेरे लिए दवा का काम करता है और मेरे इस एक्स्ट्रा फ्लूइड को स्टेबल कर देता है जो मेरे ध्यान लगाने की शक्ति में अदभुत मदद करता है।

"मै अपने आस पास की चीजों को महसूस कर सकता हूं। एक बार जिस जगह को देख लूं, मै इंच के हिसाब से बता सकता हूं। गोली की रफ्तार को 2000 गुना भी बढ़ा दो, फिर भी मै काफी दूर से हवा में हुए परिवर्तन को भांप लेता हूं, और एक चीज जो मै अबतक सबसे छिपाते आया हूं, मै हवा की गति को भांपकर उसी तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए बच भी सकता हूं।"

"सबको लगता है कि मै धुएं की आड़ में बचने कि कोशिश करता हूं, लेकिन सच तो यह है कि हवा के गति में परिवर्तन होते ही, जैसे ही खतरे का अंदाज़ा होता है मेरा शरीर भी उसी स्पीड से प्रतिक्रिया में बचता है और कहीं बच पाना संभव नहीं होता, तो शरीर में जहां सबसे कम नुकसान हो, शरीर वहां पर वार झेल लेता है। मेरे हर विषय पढ़ने के पीछे की रुचि, मेरे कुछ नया सीखने की रुचि, और कुछ ही समय में किसी काम में महारथ हासिल करने की रुचि, इन सब का राज वो एक्स्ट्रा फ्लूइड ही है और अल्कोहल उसे स्टेबल करके दिशा प्रदान करने में मदद करता है।"


कुंजल:- आप तो सुपर स्टार निकले भईया। वैसे कहीं कोई कहानी तो नहीं बना रहे ना…..


अपस्यु:- मतलब मै इतने बड़े राज से पर्दा उठा रहा हूं, और तुम मुझे ही झूठा बोल रही।


कुंजल:- हीहीहीहीही, भईया जब आप सफाई देते हो तो बहुत मस्त दिखते हो। अच्छा सुनो ना मै क्या कह रही थी..……


अपस्यु:- हां बोल ना ?

कुंजल, कुछ सोचती हुई… "नहीं कुछ नहीं बस ऐसे ही"..


"हद है अपस्यु, अब यहां भी बार काउंटर"… ऐमी, अश्क के साथ कमरे में शिरकत करती हुई कहने लगी…


हाय क्या अदा थी ऐमी की, वो हल्के मेकअप के साथ, अपने लंबे और खूबसूरत तराशे बदन पर, जब वो बिजनेस क्लास वूमेन की तरह, पेंसिल हिल पर पेंसिल जीन्स और शर्ट पहने शिरकत की, अपस्यु के होश उड़े।… "कुछ देर पहले तो मै हॉटी थी, और अभी अपने होने वाली पर से नजर नहीं हट रही, कमाल है।"… अश्क, अपस्यु के आखों के सामने चूटकी बजाती अपनी बात कही और उसकी बात सुनकर तीनों ही हसने लगे।


ऐमी:- हद होती है अपस्यु, बेबी कुछ देर में हम पार्टी में तो होते ही। अब क्या सारा एन्जॉय यही कर लोगे।


कुंजल, ऐमी से….. भाभी हमारी पार्टी तो बस थोड़ी देर में शुरू होने वाली है, आधा इधर एन्जॉय करेंगे, आधा उधर एन्जॉय करेंगे..


अश्क:- सही है ये तो, बिल्कुल सही है, लेकिन एन्जॉय करने के लिए होश में होना जरूरी होगा, ना की पीकर बेहोश हो जाओ।


अपस्यु:- इसलिए तो यहां अल्कोहल की केवल एक ड्रिंक सर्व होगी, बाकी सब फ्रूट जूस पिएंगे…


"अच्छा उपाय है, हर किसी पर लागू कर दो, सिर्फ बाबा अपस्यु को छोड़कर, क्योंकि हमारा एक उनके 10 के बराबर होता है, और वो भी शायद मैंने कुछ कम बता दिया होगा।"… आरव पीछे से ताना देते हुए उनके पास आकर बैठ गया, और उसके साथ में पार्थ भी।
 
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Update:-131








अश्क, पार्थ से… देखो दोस्त या तो प्यार में देवदास बन जाओ या फिर प्यार को प्यार से अपने ओर आकर्षित करने की कोशिश करो, मर्जी तुम्हारी है।..


पार्थ:- नाह मै अभी प्यार के बारे में नहीं सोच रहा, ये वक़्त तो हमारे परिवार का है.. और मैं पार्थ आप सबका होस्ट, आप सबका दोस्त, यहां आप सबको आज की इस महफिल में स्वागत करता हूं। पीकर होश खोने की रात नहीं है, क्योंकि ये होश में पूरे एन्जॉय करके बेहोश होने की रात है। और इस शाम को यादगार बनाने के लिए मै अपनी खूबसूरत और हॉट दोस्त ऐमी को एक डांस के लिए इन्वाइट करना चाहूंगा।..


जैसे ही पार्थ का जोश भड़ा अनाउंसमेंट हुआ, सभी लोग हूटिंग करना शुरू कर दिए।…. "रुको, रुको, रुको… शो शुरू होने में केवल 10 मिनट रह गए हैं, तो मुझे भी एक डांस पार्टनर की जरूरत है।".... अश्क भी उनके पागलपन में शरीक होती कहने लगी।


आरव अपने घुटने पर बैठते… "भाभी, ऐसे चिल्लाकर कहोगी तो एक पार्टनर नहीं, अनेक पार्टनर की लाइन लग जाएगी।"…


अपस्यु ने म्यूज़िक प्ले कर दिया और एक ओर पार्थ नाचने लगा और दूसरी ओर आरव। ऐमी की नजर डांस करते हुए भी लगातार अपस्यु पर बनी हुई थी। जब से वो कमरे में घुसी थी, उसे ऐसा लग रहा था मानो अपस्यु का आकर्षण उसे खींच रहा है। अपस्यु भी मुसकुराते हुए बस ऐमी को देख रहा था और हवा में जाम लहराते हुए टेस्ट कर रहा था।


इसी बीच दृश्य भी पहुंच गया और वहां का नजारा देखकर थोड़ा हैरान सा हो गया। कुछ बोलने से अच्छा सीधा बार काउंटर पर चला गया… "8 बजने वाले है, प्लान पर एक्शन लेने का समय है, और ऐसे समय में तुम"..


कुंजल, दृश्य से:- सुनो भईया, क्या आपने प्लान पहले से बना लिया लिया था?


दृश्य:- हां, वो भी बिल्कुल परफेक्ट..


कुंजल:- सबको प्लान के हिसाब से उसका काम अच्छे से समझा दिया?


दृश्य:- हां बिल्कुल..


कुंजल:- यहां पर मौजूद लोगों में से उसके हिस्से का काम शुरू हो चुका है क्या?


दृश्य:- ना अभी उसमे समय है…


कुंजल:- फिर इतना टेंशन में क्यों हो, आराम से ड्रिंक लीजिए और एन्जॉय कीजिए, जब हमारा वक़्त आएगा तब हम अपना काम शुरू करेंगे।


दृश्य:- इसे लापरवाही कहते है। अपस्यु तुम सुन भी रहे हो?


कुंजल:- वो अपनी बीवी को देखने में व्यस्त है। वैसे अश्क भाभी भी कम मस्त नहीं लग रही, चाहे तो आप भी उन्हें बड़े प्यार से देख सकते है। वैसे भी आपसे नाराज होकर गई थी।


दृश्य:- है तो सबसे छोटी लेकिन बातें बड़ी-बड़ी..


कुंजल:- भईया एक बात पूछूं..


दृश्य:- हां पूछो ना..


कुंजल:- दिखने में तो आप करेला लगते हो फिर इतनी मस्त आइटम पटाई कैसे।


कुंजल अपनी बात कहकर हंसने लगी और उधर से अपस्यु का एक हाथ सीधा कुंजल के सर पर लगा, जबकि उसकी नजरें ऐमी पर ही थी…. "देखा दृश्य भईया, इनका ध्यान हमारी बातों पर ही था, लेकिन नजरे और दिल वहीं टिकी है।"..


तभी वहां का म्यूज़िक बंद हो गया.. अचानक से एक बार लाइट गई और फिर आयी…. "अब आप सब यहां आकर आराम से बिना कोई आवाज़ के शो का मज़ा ले।"… अपस्यु अपनी बात कहते हुए बड़े से स्क्रीन को चालू कर दिया और सभी लोग अपस्यु के द्वारा व्यवस्थित बार काउंटर के पास अपनी-अपनी जगह ले लिए।


अारूब एक लाइन पर दृश्य से संपर्क बनाए हुए था, साथ में सबको कमांड भी दे रहा था और इधर अपस्यु अपने लैपटॉप के स्क्रीन पर पार्टी में आए मेहमानों पर नजर दिए हुए था। पार्टी में शिरकत करते मेहमान को देख अपस्यु कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था इंतकाम और न्याय सब एक साथ मिल जाएगा।


कुछ लोग जैसे शिपिंग किंग जवेरी, साची के पिता मनीष मिश्रा, प्रकाश जिंदल और एक छिपा हुआ एक स्लीपिंग पार्टनर अमोघ अग्रवाल, एक प्राइवेट बैंक का मालिक, ये सब विक्रम राठौड़ के साथ शुरू से बने हुए थे। इसके अलावा आने वालों मेहमानों को देखकर बहुत सारी तस्वीरें खुद व खुद साफ हो गई।


पक्ष और विपक्ष के नेता जो होम मिनिस्टर के लिए गड्ढे खोद रहा था, कई नाम चिह्न बिजनेसमैन, जिन्हे काले और उजले पैसों में काफी रुचि रहती है। सरकारी पदों पर अच्छे पोस्ट को होल्ड किए कई सरकारी डिपार्टमेंट के उच्च अधिकारी और निदेशक। इन सब का साथ होना केवल इसी ओर इशारा कर रहा था कि लोकेश ने वीरदोयी की मदद से इनके कई सपने साकार किए होंगे।


इधर उस कमरे का माहौल शांत होते ही, ऐमी मुस्कुराती हुई बार काउंटर के पीछे आयी। अपस्यु की देखकर तो ऐमी कबसे खींची जा रही थी। सबकी व्यस्त देखकर ऐमी अपनी दबी अरमान को हवा देती, अपस्यु के होंठ को प्यार से चुमकर अलग हटी। अपस्यु आश्चर्य से अपनी आखें बड़ी करके वो चारो ओर देखने लगा। हर कोई अपनी नजर बड़ी सी टीवी स्क्रीन पर डाले हुए था।

अपस्यु, पहले खुद काउंटर के नीचे बैठा और ऐमी का हाथ खींचने के लिए जैसे ही अपना हाथ उपर लेकर गया, ऐमी फिर खड़ी हंसती हुई अपस्यु को अंगूठा दिखा रही थी। अपस्यु गुस्से से ऐमी को घूरा और चुपचाप उठकर खड़ा हो गया।

ऐमी अंदर ही अंदर हंसती हुई सबका ध्यान अपनी ओर खींच और सबके लिए एक ड्रिंक बनाने लगी। पहला ड्रिंक कुंजल को सर्व हुआ जो मोकटेल की जगह मार्टिनी था। कुछ नज़रों के संवाद कुंजल और ऐमी के बीच हुआ और कुंजल ऐमी की चतुराई पर हंसे बिना नहीं रह पाई।


दूसरी ओर अारूब का एक्शन पैक धमाल भी शुरू हो चुका था। अपस्यु अपने स्क्रीन से पार्टी हॉल पर नजर जमाए हुए था और सभी लोग रूम के स्क्रीन पर नजरें जमाए… अपस्यु ने दृश्य को होल्ड का सिग्नल भेजा और लगातार अपने स्क्रीन देख रहा था।


8 बजे से शुरू होने वाला मिशन 8.15 तक होल्ड पर रखा हुआ था। अपस्यु जब सुनिश्चित हो गया कि इतने मेहमानों के बीच में लोकेश अब फंस गया है, तब अपस्यु ने कंप्लीट फॉरवर्ड का इशारा किया और ऐमी के कान में कुछ समझाकर बड़े आराम से लोकेश की पार्टी के लिए निकल गया।


अपस्यु, काया को साथ लेकर पार्टी में पहुंचा। बहुत से व्हाइट कॉलर लोगों के अलावा बहुत से ब्लैक कॉलर लोग भी पहुंचे थे। माहौल किसी रंगीन पार्टी जैसा था, जिसमें बदन कि नुमाइश करती कई सारी लड़कियां ड्रिंक और स्नैक्स सर्व करती हुई, लोगों के आखों और हाथों का भी मनोरंजन कर रही थी।


अपस्यु जैसे ही अंदर घुसा, काया के कान में कुछ बोलते हुए, लोकेश के ओर बढ़ने लगा, जो इस वक़्त आपने पापा विक्रम राठौड़ और प्रकाश जिंदल के साथ खड़ा, अपने एक बिजनेस पार्टनर के. डी. जवेरी से बात कर रहा था। लोकेश की नजर जैसे ही अपस्यु पर गई, अपने दोनो हाथ खोलकर उसे वेलकम करते हुए माईक पर बोलने लगा….. "आज की शाम जिस खास होस्ट के नाम है वो हमारे बीच चला आया। क्या आप में से कोई बता सकता है कि ये कौन है?"..


कुछ को छोड़कर बाकियों को कुछ भी पता नहीं था। लोकेश 15 सेकंड का एक पॉज लेकर, फिरसे बोलना शुरू किया….

"सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वाकील अनुरुद्ध सिन्हा का होने वाला दामाद, सेंट्रल होम मिनिस्टर का मुंह बोला बेटा, दिल्ली के लोकल गैंग से लेकर मुंबई अंडरवर्ल्ड तक जिसके नाम की सुपाड़ी नहीं के सकते, प्रतप ग्रुप ऑफ कंपनी के मालिक का खास दोस्त, और मायलो ग्रुप का मालिक मिस्टर अपस्यु रघुवंशी।"…


"मेरा परिचय तो काफी धांसू था, लव यू ब्रो। यहां आए सभी व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को मेरा नमस्कार। यहां मौजूद ज्यादातर लोग को मै जानता हूं, चाहे वो मशहूर बिजनेस मैन माणिकचंद जी हो या फिर शिपिंग किंग जवेरी। मै किसी से परिचय करने में रुचि नहीं रखता, मै काम करने में विश्वास करता हूं, शायद इसलिए कम वक़्त मेरा अपना मुकाम है। इसलिए प्लीज मेरे पास भिड़ लगाकर अपना परिचय देने से अच्छा है कोई काम की बात हो तो ही मेरे पास आइए, वरना ये पार्टी एन्जॉय करने के लिए है। आप भी एन्जॉय कीजिए और मुझे भी पार्टी एन्जॉय करने दीजिए।"

"एक बात और, मै शुरू से फैमिली बिजनेस करता हूं, इसलिए अपने भाई लोकेश के साथ आज खड़ा हूं। यहां आयी लड़कियों के कपड़े में थोड़ी तब्दीली मैंने कर दी है, आप सब भी अपने आचरण के तब्दीली कर लीजिए। और यदि औरत की जरूरत इतनी ही मेहसूस होती हो तो घर से अपनी बीवी या गर्लफ्रेंड को लेकर चला कीजिए, क्योंकि यहां आप की जरुरत बढ़ रही होगी और पता चला कि उसकी जरूरत कोई और पूरी कर रहा हो। मुझे सुनने के लिए धायवाद, एन्जॉय दी पार्टी।"


अपस्यु अपने तेवर से वाकिफ करवाते बार काउंटर पर आकर अपना ड्रिंक एन्जॉय करने लगा और इधर लोकेश के लिए परिस्थिति से निपटना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। अपस्यु ने अपने शब्द के तीर ऐसे चला चुका था की हर कोई घायल होकर बिलबिला रहा था। लोकेश ने मेघा को इशारा से अपस्यु के पास भेजा और खुद एक वीरदोयी के कान में कुछ ऐसा कहा जिससे वो हसने लगा।


वो वीरदोयी लोकेश की बात को संदेश के तौर पर सभी वीरदोयी के पास तुरंत भेज दिया। वो लोग भी संदेश खोलकर देखते हुए हंसे और चुपके से वहां मौजूद सभी लोगों के बीच फैला दिया। इधर मेघा, अपस्यु के साथ बैठकर अपना ड्रिंक टोस्ट करने लगी।…. "हम्मम ! आते ही अपने तेवर से सबको वाकिफ करवा गए।"..


अपस्यु, मुसकुराते हुए…. "लुकिंग कूल मेघा। लगता है पार्टी के ख्याल से पिछले 5 घंटे से तैयार हो रही हो।"


मेघा:- औरतों के तैयार होने में लगे वक़्त का तुम्हे बड़ा अनुभव है, क्यों ऐमी को बिठाकर तुम खुद ही तैयार करते हो क्या?


"क्या बच्चे, ये क्या सॉफ्ट ड्रिंक पी रहा है "… अपस्यु के पास एक वीरदोयी लड़ाका खड़ा होते हुए कहने लगा… "तुम्हारी यहां जरूरत है क्या?"… मेघा ने जवाब दिया..


लड़ाका…. "मैं तो बस देखने आया था कि जिस अंदाज़ में इसने बात किया, उस अंदाज़ के लायक भी है क्या?


अपस्यु, हंसते हुए…. "तू यहां का स्टाफ है ना जाकर काम देख। काम से छुट्टी मिली है तो पार्टी एन्जॉय कर, बाकी मेरे लायक या नालायक होने का प्रूफ आराम से देते रहेंगे, अभी तू तो यहीं रहेगा ना।"


वीरदोयी लड़ाका…. बात मुझ अकेले की नहीं है, बल्कि यहां मौजूद सभी लोगों की है। बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण भी तो होने चाहिए ना सर।


अपस्यु चिल्लाते हुए कहने लगा…. "तो यहां सबको ये बात खटक रही की, बॉस जैसे ऐटिट्यूड के लिए बॉस जैसे गुण होने चाहिए… और बेसिकली वो गुण कौन से होने चाहिए…


वीरदोयी लड़ाका….. "हमे हराकर दिखाओ और हमारी वफादारी पाओ।"..


अपस्यु:- क्यों लोकेश ने भी यही किया था क्या?


वीरदोयी लड़का:- नहीं उसने ऐसा नहीं किया, इसलिए तो वो हमारा बॉस नहीं, हम पार्टनर्स है और सभी पार्टनर्स ने लोकेश की लीडरशिप को एक्सेप्ट किया है, और तुम हमारी जगह पर खड़े होकर, हमारे लीडरशिप को चैलेंज कर रहे… कहां से काम चलेगा मुन्ना…


अपस्यु:- "मुझे पता था कि तू मुझे लड़ने कि ही चुनौती देगा। वो क्या है ना हर ताकतवर के साथ यही समस्या होती है, उसे अक्ल से ज्यादा बड़ी भैंस लगती है, इसलिए शारीरिक बल होने के बाद भी किसी नेते के पास रहकर उसके जूते चाटना, किसी बिजनेस मैन के हाथों की कठपुतली होना, यही उनकी किस्मत है। मूल रूप से ताकत और बुद्धि का कोई मेल नहीं, और बहुत कम लोगों के पास ये दोनो साथ होते है।"

"मै फाइट करूंगा, लेकिन एक शर्त पर, कम से कम 5000 करोड़ की बेटिंग होनी चाहिए। मैं बिना किसी फायदे या नुकसान के कोई काम नहीं करता। बॉस का एटिट्यूड है इसलिए पैसा बनाऊंगा और शेर का जिगरा है इसलिए किसी भी जगह पर खड़े होने की हिम्मत है।"..


मेघा अपस्यु की बात सुनकर सिटी बजाती हुई कहने लगी…. "500 करोड़ मै लगाऊंगी अपस्यु तुम्हारे ओर से।"..


अपस्यु:- लव यू मेघा, मुझे यकीन था कि तुम्हे मेरे एटिट्यूड से कोई पंगा नहीं होगा। और बाकी के लोग आपस में सलाह मशवरा करके जल्दी से पैसों का इंतजाम करके मुझे सूचना दो, जबतक मै अपना ड्रिंक एन्जॉय करता हूं।


अपस्यु अपनी बात कहकर वापस बार काउंटर पर आकर ड्रिंक लेने लगा। प्रकाश जिंदल जो इस वक़्त अपने कुछ खास दोस्तों के बीच था, वो मेघा को अपने साथ कोने में ले जाकर, उसके फैसले पर उसे बहुत सुनाने लगा। लेकिन मेघा भी अपने फैसले को लेकर बहुत ही सुनिश्चित थी, इसलिए वो अपने पापा के खिलाफ चली गई।


एक ओर अारूब का मिशन शुरू हो चुका था, वहीं दूसरी ओर पार्टी के अंदर अपस्यु ने पुरे माहौल को ऐसा फसाया था कि हर किसी को 5000 करोड़ अपनी खोली में नजर आ रहा था। एक 21-22 का अय्याश और आवारा लड़का, वीरदोयी लड़ाका से लड़ेगा, और साथ 5000 करोड़ की शर्त।


चूंकि मामला 5000 करोड़ का था और इतने पैसे लगाना किसी एक के बूते की बात थी नही, इसलिए सब अपना ज्यादा-ज्यादा पैसा लगाने के लिए पैसों के इंतजाम में जुटे हुए थे। सबसे ज्यादा चमक तो लोकेश के ही आखों में नजर आ रहा था। लोकेश को भी कमाने की चाहत काफी बढ़ चुकी थी। 1000 करोड़ कैश तो उसके इस बेस पर था, लेकिन वो इस डील में कम से कम 2500 करोड़ लगाना चाहता था, इसलिए वो भी बंदोबस्त में जुट गया।


चिड़िया दाना चुग चुकी थी, और अब लोकेश इस पार्टी हॉल से कहीं चला जाय, सवाल ही नही पैदा होता। उल्टा मामला पैसों का था इसलिए लोकेश ने वहां आसपास के सभी 40 वीरदोयी को यहीं पार्टी हॉल में पहुंचने के लिए बोल दिया।
 
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Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
5,857
21,062
188
Update:-123







अजय:- सर अपने 4 हाई क्लास स्नाइपर, 22 हाई क्लास ट्रेंड सिपाही लापता है। गोवा के एक गैंग के 20 मेंबर इस वक़्त हॉस्पिटल में है। उनकी गंभीर हालात देखकर और अन्य जगह पता लगाने के बाद, गोवा के कॉन्ट्रैक्ट किलर्स ने अपने टारगेट का कॉन्ट्रैक्ट लेने से मना कर दिया। दिल्ली और मुंबई में तो इस से भी बुरे हाल थे। गोवा में तो एक ने कॉन्ट्रैक्ट ले भी लिया लेकिन मुंबई और दिल्ली के किसी भी कॉन्ट्रैक्ट किलर में इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनका कॉन्ट्रैक्ट ले सके। आपने अपने दुश्मन को बहुत कम आंका सर।


अजय की पूरी डिटेल सुनने के बाद लोकेश तो पागल सा हो गया। कहां होम मिनिस्टर को मारने कि प्लांनिंग हो रही थी और यहां एक लड़का और उसका परिवार मार नहीं पाए, उल्टा अपने सबसे बेस्ट लड़के और शार्प शूटर्स को भी खो दिया। अजय को खींचकर 2 थप्पड़ लगाने के बाद वहां उसे कंट्रोल रूम से बाहर भेजकर लोकेश सभी फुटेज को देखने लगा।


एक ही सीन को बार-बार, कई बार दोहरा कर देखते हुए समझने की कोशिश कर रहा था कि वहां हुआ क्या होगा? कौन है ये अपस्यु और कितनी बड़ी है उसकी गैंग, जिसकी सुपाड़ी अंडरवर्ल्ड तक नहीं के रहा।


लोकेश को जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उसने मेघा को दिल्ली से वापस अपने बेस पर बुला लिया। लोकेश ने अजय को भी वापस कंट्रोल रूम में बुलाया और बंद हुए ऑडियो वीडियो डिवाइस से पुनः कनेक्शन बनाने के लिए कहने लगा। अजय अपने काम में लग गया और लोकेश अपनी मूर्खता पर बस इतना ही सोच रहा था कि…..


"मैंने पूरी ताकत से हमला किया, उस लड़के को कोई फर्क नहीं पड़ा, ये दिल्ली में ही था, जब चाहता तब मुझे मार सकता था, लेकिन क्षमता होने के बावजूद भी मारा क्यों नहीं?"..


लोकेश का दिमाग पजल बाना हुआ था और अपस्यु उसके लिए किसी रहस्य से कम नहीं। तभी ऑपरेटर अजय चौंककर कहने लगा… "सर स्क्रीन देखो।"


लोकेश ने जैसे ही स्क्रीन देखा… सामने अपस्यु, ऐमी, और आरव तीनों उनके लाइन पर थे और अपना हाथ हिला रहे थे। लोकेश उन्हें देखकर जवाब में अपना हाथ हिलाया।


आरव:- क्यों खडूस ये अपने लोकेश भईया कुछ ज्यादा ही कंफ्यूज दिख रहे है।


अपस्यु:- हां कंफ्यूज तो दिख रहा है ये आस्तीन का सांप, लेकिन सुबह से कितना डराया है हमे। अपने बुआ के परिवार पर हमला, जारा इसे भी डर से परिचय करवाओ।


ऐमी:- क्यों नहीं अभी करवा देते है।


लोकेश ख़ामोश होकर तीनों की बातें सुन रहा था, तभी उनके स्क्रीन पर चिल्ड्रंस केयर की विजुअल आने लगे, जहां लोकेश की प्यारी पत्नी मीरा और उसकी लाडली बहन कुसुम, चिल्ड्रंस केयर के लड़के-लड़कियों के साथ प्यार से वक़्त बिता रहे थे।


लोकेश अपने चेहरे का पसीना साफ करते…. "देखो मानता हूं मैंने गलत किया है, लेकिन प्लीज उन्हें जाने दो।"


आरव:- लोकेश भईया, पत्नी तो सबको प्यारी होती है, फिर मेरी होने वाली पत्नी पर हमला।


लोकेश:- देखो मै ताकत के नशे में अंधा हो गया था। प्लीज उन्हें जाने दो… (लोकेश यहां तक मिन्नते भरे लहजे में विनती कर रहा था.. उसके बाद गूंजी उसकी अट्टहास भारी हंसी)… या फिर खुद ही रख ले या मार दे, लेकिन तुम जैसे पिद्दी ये सोच लो कि मुझे ब्लैकमेल कर सकते हो, तो यह तुम्हारी भुल होगी। मेरे पास इतना पैसा है कि मै मीरा जैसी चार पत्नियां घर में रख लूं। दूसरी वो बहन, जब तेरे मामा ने अपनी जिंदा बहन का श्राद्ध कर दिया। मेरा बाप तेरी मां को गोली मारने से पहले सोचेगा तक नहीं, ऐसे कुल में पैदा हुए लड़के को तू बहन के नाम से डरा रहा है। शौक से मार दे।


अपस्यु:- जैसी तुम्हारी इक्छा।


अपस्यु इतना कहकर इशारा किया और लोकेश के नज़रों के सामने 2 स्निपर की गोली एक साथ चली, एक कुसुम और दूसरी मीरा को लगी। लोकेश हंसते हुए कहने लगा…. "तेरा तो मै फैन हो गया। मुझे ऐसे लोग पसन्द है जो बातों से ज्यादा एक्शन दिखाते है। मैंने तेरे परिवार को जान से मारने कि कोशिश की और बदले में तुमने मेरे 26 लोग और 2 परिवार के सदस्य को लुढ़का दिया। दिल जीत लिया तूने।"


आरव:- ये भाई इतनी तारीफ काहे कर रहा है। लगता है दिमाग में कहीं ना कहीं होगा की लोभ दो, अपने बेस पर बुलाओ और टपका डालो।


लोकेश:- ओह मतलब मुझपर पूरा होमवर्क करके आए हो। मेरा कोई बेस है यह तक पता है तुम लोगों को। शाबाश !!!


ऐमी:- सॉरी जेठ जी, लेकिन आप जैसे लोग को यहां दिल्ली में चुटिया कहते है। हमे तो बस विक्रम राठौड़ चाहिए, आप बेकार में खुद को हाईलाइट किए हो।


लोकेश:- कुछ बातें पब्लिक के बीच ना हो तो ही अच्छा है। मुझे ऐसा क्यों लगा रहा है कि हम साथ मिलकर बहुत ज्यादा धमाल कर सकते हैं। तुम तीनों कोई आम इंसान तो कतई नहीं हो सकते। मेरा न्योता स्वीकार करो और यहां चले आओ।


अपस्यु:- तुम पर भरोसा नहीं लोकेश… इसलिए तुम ही यहां दिल्ली क्यों नहीं चले आते।


लोकेश:- भरोसा तो तुम पर भी मुझे नहीं अपस्यु। अभी-अभी तुम्हारे परिवार को मारने कि मैंने कोशिश की और जिस हिसाब से तुमने उन्हें सुरक्षा दे रखा था, तुम पहले से हमले ले लिए तैयार थे। इसलिए हालात को समझे और परिवार के प्रति तुम्हारे प्यार को देखते हुए मेरी तो इक्छा ही मर गई अपने बेस से निकलने की।


अपस्यु:- फिर चलने दो चूहे बिल्ली का खेल, मुझे तो मज़ा आ रहा है।


लोकेश:- लेकिन मुझे तो मज़ा नहीं आ रहा ना। तुम कुछ ऐसा बताओ जिसके करने के बाद तुम्हे मुझ पर यकीन हो जाए।


अपस्यु:- तुम पर यकीन नहीं लेकिन मै खुद पर तो यकीन करता हूं। 15 अगस्त की शाम, आजादी का जश्न तुम्हारे यहां ही होगा। तुम्हारे सारे आदमी सुरक्षित है, कल उन्हें 16 अगस्त के बाद उठा लेना। तुम्हारी प्यारी पत्नी और बहन को मैंने ट्रांकुलाइजार दिया था। उनके होश में आते ही मै उन्हें सुरक्षित पहुंचा दूंगा।


लोकेश:- रहम दिल अपस्यु। खैर अब मेरे ओर से भी कोई कोशिश नहीं होगी, मिलते हैं 15 अगस्त को फिर।


जबतक लोकेश अपस्यु से बात कर रहा था, मेघा भी वहां पहुंच गई। वो ख़ामोश एक कोने में खड़ी होकर दोनो की बातें सुन रही थी। अपस्यु से बात समाप्त करके लोकेश और मेघा प्राइवेट मीटिंग रूम में पहुंचे। कल से जो जीत के घोड़े पर सवार था, आज मेघा से बात करते वक़्त तो ऐसा लग रहा था कि उसके जीत के घोड़े में पंख भी लग गया हो।


कहानी जैसे पुरा ही पलटी मार चुकी थी, और कहानी की यह पलटी कहीं ना कहीं मेघा के मन में वो ज़हर घोल गई, जिसका अंदाज़ा लोकेश नहीं लगा सकता था। जिस अपस्यु को महज एक छोटा मोहरा बोलकर मेघा को यह कहने पर मजबूर किया गया कि… "काम को लेकर अब उसकी रुचि अपस्यु में नहीं रही"… आज वही लोकेश, अपस्यु के साथ मिलकर अपने भविष्य की नीति बाना रहा था।


आज उसी लोकेश को अपस्यु एक मामूली प्यादा नहीं, बल्कि बराबर का एक साथी मान रहा था। जिस होम मिनिस्टर को कल से मारने का सपना संजोए जा रहे थे, आज उसी होम मिनिस्टर को अपने पाले में मिलने और आने वाला लोकनसभा इलेक्शन पर नजरें बनाया जा रहा था। एक ही रात में कहानी ने ऐसी पलटी मारी, की मेघा का दिमाग ही घूम गया।


अपस्यु को लेकर उसके बदले विचार के बारे में जब पूछा गया, तब लोकेश ने अजय को बुला लिया और सुबह से हुई सारी घटना सुनाने के लिए बोल दिया। अजय जब एक-एक करके सभी बातों पर प्रकाश डाला, तब कहीं जाकर मेघा के दिल को सुकून मिला। मेघा अपने साथ हुए धोक को लेकर हताश तो थी ही किन्तु उसे लोकेश का भविष्य भी समझ में आ चुका था।


सारी बातें सुनने के बाद मेघा हंसती हुई कहने लगी… "कल तो मै उसे साथ मिलाकर काम करने वाली थी, और आज उसी अपस्यु को तुमने अपने पाले में मिला लिया।"


लोकेश:- तुमने उसे कम आंका और मैंने उसी अनुसार योजना बनाई। आज सुबह जब मै उससे टकराया तब मुझे उसकी क्षमता का अंदाज़ा हुआ।


मेघा:- क्षमता का अंदाज़ा तो ठीक है लेकिन क्या वो साथ काम करेगा ?


लोकेश:- देखा जाए तो अभी वो 40000 करोड़ का वारिस है। जितना क्षमता और कनेक्शन है उसके, वो चाहता तो कबका मायलो ग्रुप का पूरा मालिक बन जाता। और हां ! मैं तो उसके बारे में कल से जाना हूं, लेकिन वो तो मेरे बारे में बहुत पहले से जानता था। एक छोटी सी भी यदि वो प्लांनिंग करता, तो मुझे भनक भी नहीं लगती और मैं खत्म। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया, इसका मतलब साफ है वो दुश्मन बनाने में नहीं, बल्कि साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखता है।


मेघा:- एक ही दिन में इतना विश्वास?


लोकेश:- विश्वास की कहानी इतनी सी है कि हम दोनों को साथ काम करना है। कुछ तो छिपे मकसद उसके भी है और कुछ छिपे मकसद मेरे। हम दोनों के छिपे मकसद जबतक पूरे नहीं होते तबतक हम एक दूसरे को नहीं ही मार सकते है।


मेघा:- और उसके बाद..


लोकेश:- उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को जान चुके होंगे। तब तो 2 ही बात होगा, या तो मौका देखकर हम में से कोई एक दूसरे को खत्म कर देगा या फिर एक मकसद खत्म होने के बाद किसी दूसरे मकसद के लिए राजी कर लिया जाए।


मेघा:- ऐसा लग रहा है तुम्हारे सारे सितारे जोड़ मार रहे है। ..


लोकेश हंसते हुए कहने लगा… "मेरे सितारे की नई दिशा जो तय करने वाला है वो लकी तो तुम्हारे गोद में पुरा बैठा है, ये क्यों भुल जाती हो। हो ना हो वो अपने हर काम में तुम्हे साथ रखेगा।"..


मेघा:- वो तो आने वाले 15 तारीख को ही पता चलेगा… फिलहाल और कुछ जो हमे करना चाहिए..


लोकेश:- हां बिल्कुल, मायलो ग्रुप की मालकिन लौट आयी है, ये बात सबको पता चलना चाहिए।


लोकेश और मेघा अपनी बातचीत खत्म करके दिल्ली के लिए रवाना हो गए। कुछ ही देर में एक बड़े से प्रेस कॉन्फेंस का आयोजन किया गया, जिसमें मायलो ग्रुप की मालकिन को दिखाया गया। साथ ही साथ कई सारे सवालों का जवाब लोकेश और विक्रम ने दिए।


मायलो ग्रुप के मालकिन के बारे में जानकर फिर तो प्रेस रिपोर्ट्स ने सवालों के बौछार लगा दिए। जिसमे नंदनी रघुवंशी का उनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में ना आना, पारिवारिक कलह और बीते इतने वर्षों में वो क्यों छिपी रही, यह प्रमुख सवालों में से एक था।


लोकेश सभी सवालों से बचते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया और बस यह कहकर निकल लिया की उनके सवाल का जवाब नंदनी बेहतर तरीके से दे सकती है। उन्हें भी नंदनी रघुवंशी के बारे में आज ही पता चला है, वो भी कई वर्षों की तलाश के बाद।


अपस्यु बड़े सुकून से अपने घर के हॉल में बैठा हुआ था। ऐमी बिल्कुल उसके पास और दोनो बैठकर आराम से लोकेश के प्रेस कॉन्फ्रेंस का मज़ा ले रहे थे। ऐमी, अपस्यु के ओर मुस्कुराती हुई देखने लगी…


अपस्यु:- हेय लव तुम्हे क्या हुआ?


ऐमी:- शायद कल रात हम दोनों की कुछ चिंता थी, अभी काफी सुकून मिल रहा है।


अपस्यु, किनारे से ऐमी को अपने बाहों में समेटकर उसके गले को चूमते…. "आह ! ऐसा नहीं लग रहा, काफी सुकून में आ गए हैं हम दोनों।"


ऐमी:- अच्छा और सुकून में आते ही ये तुम्हारे हाथ जो साइड से शरारतें कर रहा है उसका क्या?


अपस्यु, ऐमी के कानो को नीचे चूमते… "आप को जब पता हो कि कल आपके पूरे परिवार पर हमला होने वाला है, तब ऐसे ऐसे बुरे ख्याल दिल में आते है कि एक पल काटना दूभर हो जाता है।


"आव, बेशर्म... दूर रहो थोड़ा सा, और चलो जारा अपने गॉडफादर और गॉडमदर से भी बात कर लिया जाए। दोनो वादा करके मुकड़ गए।"… ऐमी अपस्यु के बाहों के घेरे से उठती हुई, अपनी बात कही और प्राइवेट लाइन से कनेक्ट हो गए..


पल्लवी:- हाय रात को याद कर रहा है मेरा देवर, कुछ-कुछ होने तो ना लगा..


ऐमी:- भाभी, मेरे होने वाले को रिझाना बंद करो, वरना झगड़ा हो जाएगा।


पल्लवी:- सुन ले अपस्यु मै कहे देती हूं, ये ऐमी की बच्ची तेरे लिए ठीक ना है, अभी से हमारे बीच की दीवार बन रही है।


अपस्यु:- आप दोनो बस भी करो। भाभी काम कि बात कुछ कर ले।


पल्लवी:- सबसे ज्यादा काम कि बात तो कर ही रही हूं, तू है कि दुनिया कि तमाम चीजें कर केवल एक यह जबरदस्त काम छोड़कर।


जेके:- बस भी करो तुम पल्लवी। अपस्यु बधाई हो, आज तो कमाल ही कर दिया। हम दोनों न्यूज में तुम्हारी ही खबर देख रहे थे।


अपस्यु:- आप सब तो शर्मिंदा ना कीजिए। किसने बताया था मुझे की लोकेश आधे दिन में हमारे परिवार की पूरी जानकारी पता लगाएगा। बचे आधे दिन में वो अपने सारे एक्सपर्ट को हमारे पूरे परिवार को मारने के लिए हमारे पीछे लगाएगा और अगले दिन सुबह से ही मौका देखकर सबको साफ कर दिया जाएगा।


जेके:- तुमने भी तो जगदीश राय की तिजोरी से मुझे वो डायरी दी थी, जिसकी मदद से 6 महीने में सॉल्व होने वाला केस, सिर्फ 2 महिने में निपट गया। ऊपर से हम जिसे नहीं ढूंढ पाते, उस डायरी की मदद से हमने उन्हें भी खोद निकला।


अपस्यु:- इसमें तो थैंक्स फिर मेरे ससुर जी को दे दो। क्योंकि उन्होंने ही मुझे जगदीश राय की तिजोरी खोलने का कॉन्ट्रैक्ट दिया था और वहीं पर ये काम की डायरी दिख गई तो मैंने चुरा लिया।


जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।
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जेके:- और इसी डायरी की वज़ह से मैंने केस जल्दी सॉल्व कर लिया और एनएसए (NSA) हेड को लगा कि दिल्ली में मेरे बहुत ज्यादा कॉन्टैक्ट है इसलिए केस का नतीजा इतना जल्दी आ गया। इसी गलतफहमी के साथ वो अपनी एक समस्या मुझ से डिस्कस कर गए।


अपस्यु:- हाहाहाहा.. लेकिन आपमें और मुख्य सचिव में तो बनती नहीं थी ना भैय्या।


जेके:- "हां सो तो है, लेकिन जब वो मदद मांगने आया तो उसका विषय सुनकर मै मदद किए बिना रह नहीं पाया। हुआ ये था कि मायलो ग्रुप के विपक्ष और पक्ष के संबंध को देखकर होम मिनिस्टर थोड़ा सचेत हो गया था। याद है, राजीव मिश्रा की हरकत, उस वक़्त मायलो ग्रुप ने पुरा महाभियोग चला दिया और होम मिनिस्टर को उसके पद से हटाने की वो पूरी तैयारी कर चुका था।"

"बस इसी बात से खिसियाकर, होम मिनिस्टर ने उस बक्शी को ही मायलो ग्रुप के पीछे लगा दिया। बक्शी जब इसके पीछे गया, तभी तो सारी बातों का खुलासा हुआ। मायलो ग्रुप में जिसके पीछे बक्शी की पूरी इन्वेस्टिगेशन चल रही थी, यानी कि नंदनी रघुवंशी, मायलो ग्रुप की मालकिन, वो कभी बक्शी को मिली ही नहीं। बक्शी भी चक्कर खा गया और मेरे पास पता लगाने आया था कि नंदनी रघुवंशी कैसे पर्दे के पीछे सारा खेल रच रही है?

"वहीं से फिर पता चला था कि ये लोकेश, नंदनी रघुवंशी के नाम पर बहुत से कांड किए है और चूंकि नंदनी रघुवंशी को किसी ने देखा नहीं, इसलिए सब इस बात में जुटे रह गए की जिसके मालिक ने आज तक एक भी दस्तावेज सिग्नेचर नहीं किए उसे कैसे फसाया जाए।"

"तभी तो मैंने तुझसे कहा था कि जिस दिन नंदनी इन लोगों को मिलेगी। केवल 2 दिन में ये लोग अपना सभी बड़े टारगेट को खत्म करके नंदनी रघुवंशी पर सारा इल्ज़ाम डालेंगे और खुद बाहर रहकर पुरा कंट्रोल अपने हाथ में रखेंगे।"


अपस्यु:- इस डेढ़ साने का बड़ा टारगेट होम मिनिस्टर ही था। अब समझ में आया मुझे, की इसने देर शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस करके केवल इतना क्यों कहा कि मायलो ग्रुप की मालकिन मिल गई और प्रेस के किसी भी सवाल का उत्तर क्यों नहीं दिया।


जेके:- हां वो तो मैंने भी देखा। अब भी इसके दिमाग ने खिचड़ी पक ही रही है।


अपस्यु:- हां शायद, तभी तो दूसरों को हिंट कर गया कि मां शुरू से पर्दे की पीछे थी, बस अब सामने आ रही है।


जेके:- कर लेने दे अब उसे अपनी बची खुची प्लांनिंग, मैंने बक्शी को नंदनी और उसका पूरा इतिहास खोल दिया है। तू तो बस 15 अगस्त की अब प्लांनिंग कर, बाकी का काम तो बक्शी की टीम कर जाएगी क्योंकि उन्हें अब मामला समझ में आ चुका है और एक्शन प्लान तो उनका बन ही चुका होगा।


अपस्यु:- हां इधर सब संतुलन में ही है समझो। आप दोनो से लेकिन मै काफी नाराज हूं। कहां गए ना तो वो बताए हो और ना ही ये की कब मिशन शुरू कर रहे।


जेके:- हम एक्शन प्लान से बाहर है, बस कुछ इन्वेस्टिगेशन का जिम्मा मिला है।


पल्लवी:- सॉरी ये वादा मैंने किया था और मै तुम दोनों को अपडेट नहीं कर सकी। हम दोनों इस वक़्त रोंचेस्टर सिटी में है और मयो क्लीनिक का इन्वेस्टिगेशन में आए है।


अपस्यु:- ये वही मायो क्लीनिक है ना जिसके लिए कुछ इंडियन डॉक्टर्स ने रिक्वेस्ट की थी और तब नाना जी ने अपने कंपनी में नाम से यह हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर खोला था।


पल्लवी:- लड़का अपने खानदान का पूरा इतिहास समेटे है। हां ये वही मायो क्लीनिक है।


अपस्यु:- ठीक है भाभी, आप दोनो इन्वेस्टिगेशन का मजा लो और हमे अपडेट करते रहना। पता नहीं क्यों मेरा भी दिल कर रहा है आप दोनो के साथ एक बार पूरे एक केस पर काम करने की।


जेके:- चल रे इमोशनलेस प्राणी, लोगों के बीच रहकर ज्यादा इमोशनल होने वाली बीमारी ना पाल।


पल्लवी:- हां अपस्यु जेके ने सही कहा। हम दोनों जल्द ही मिलते है, तबतक तुम दोनो मिलकर एक जूनियर ऐमी या जूनियर अपस्यु का प्रोडक्शन करके रखना। यह हमारा आखरी केस है, इसके बाद हमने फैसला किया है कि फील्ड जॉब छोड़कर नए रिक्रूट को ट्रेंड करेंगे।


ऐमी:- बेरा गर्क हो। ओय भाभी फिर उस फक्र की मौत का क्या जिसके हसीन सपने दोनो मियां बीवी देखते थे, फील्ड में एक्शन करते हुए मरना।


पल्लवी:- हीहीहीही… अब फील्ड तो नसीब ही नहीं होगा। यहां भी तो हमे फील्ड से बाहर रखकर बस इन्वेस्टिगेशन में डाले हैं। केवल इन्वेस्टिगेशन करो और रिपोर्ट दो। चल अब रखती हूं, दोनो अपना ख्याल रखना और हमारे आने तक एक जूनियर को ले आना।


पल्लवी अपनी बात पूरी करके कॉल डिस्कनेक्ट कर दी। और इधर ऐमी को देखकर अपस्यु… "चलो फिर चलते है।"..


ऐमी:- कहां बेबी।


अपस्यु:- सुनी नहीं क्या भाभी ने क्या कहा, उनके लौटने तक मेहनत करके एक बच्चा उनकी गोद में देना है।


ऐमी, अपनी आखें बड़ी करती… "तुम्हे नहीं लगता आंटी के जाने के बाद तुम्हे खुला खजाना मिल गया है।"


अपस्यु, ऐमी को पकड़ने की कोशिश कर ही रहा था कि ठीक उसी वक़्त घर की बेल बजी…. "जाओ देखो आ गई छिपकली, हमारा रोमांस खत्म करने। अगर श्रेया हुई ना तो तुम देख लेना।"..


अपस्यु, दरवाजे के ओर बढ़ते… "और नहीं हुई तो क्या करोगी।"..


ऐमी:- मैंने केवल श्रेया के होने पर क्या होगा वो बताई, बाकी ना होगी तो तुम्हारे लिए अच्छा होगा। अब दरवाजा खोलकर सस्पेंस दूर कर लो।


अपस्यु:- डफर, सीसीटीवी भी नहीं देखती क्या, दरवाजे पर कुसुम है।


अपस्यु दरवाजा खोलने लगा और ऐमी अपने सर पर हाथ मारती दरवाजे के ओर देखने लगी। दरवाजा खुलते ही कुसुम अंदर आयी और दरवाजा बंद करके हॉल में बैठ गई। थोड़ी परेशान दिख रही थी। ऐमी कुसुम के ओर पानी बढ़ाती… "तुम इतनी परेशान क्यों नजर आ रही हो।"


कुसुम:- जब से सुनी हूं, भईया मेरे कजिन है तब से जितनी खुश नहीं हूं, उस से ज्यादा मै परेशान हूं। आप लोग मेरे भाई और पापा को नहीं जानते, वो अच्छे लोग नहीं है।


अपस्यु:- हेय । मैं तो कुसुम को जनता हूं ना, वो तो अच्छी और प्यारी है। तुम चिंता नहीं कर, हमे कुछ नहीं होगा।


कुसुम:- भईया आप समझते क्यों नहीं, सब के सब झल्लाद है। जबतक स्वार्थ है तबतक आपके साथ है, एक बार इनका मतलब निकल गया, फिर ये लोग, लोगों को गायब कर देते है।


कुसुम की चिंता उसकी बातों से साफ झलक रही थी। तकरीबन आधे घंटे तक कुसुम केवल यह समझने की कोशिश में जुटी रही की उसके पिता और भाई पॉवर और पैसों के लिए कुछ भी कर सकते है, और अपस्यु बस इधर उधर की बातों से उसका दिल बहलाता रहा।


अंत में जब वो वहां से जाने लगी तब भी वो गुमसुम थी, एक फीकी मुस्कान के साथ वो अपस्यु को अपना ख्याल रखने के लिए बोलकर चली गई। कुसुम कबका दरवाजे से निकल गई, लेकिन ऐमी अब भी दरवाजे के ओर ही देख रही थी…. "इतनी गहरी सोच, बहुत मासूम है ना वो।"..


ऐमी, तेज श्वांस छोड़ती…. "और बहुत मायूस भी थी, आगे आने वाला वक्त इसके लिए काफी मुश्किल से भड़ा होगा।"…… "ऑफ ओ अपस्यु"..


"ऐमी, उसके लिए तो आने वाला वक्त मुश्किलों से भड़ा है, लेकिन मेरा भारी वक़्त तो ना जाने कब से शुरू है।"…


ऐमी, अपस्यु को मुसकुराते हुई देखी, अपने होंठ से अपस्यु के होंठ को स्पर्श करती…. "हम हर मुश्किल वक़्त को बांट लेंगे। आधा तुम्हारा आधा मेरा।"..


14 अगस्त की सुबह….


प्यार भरे सुकून के पल बांटने के बाद एक खुशनुमा सुबह की शुरवात हो रही थी। ऐमी मीठी अंगड़ाई लेकर जाग रही थी और अपस्यु वहीं पास में सुकून से लेटा हुआ था। उसे खामोशी से यूं सुकून से लेटे देख, ऐमी कुछ सोच कर हंसने लगी।


ऐमी अपने दोनो पाऊं उसके कमर के दोनों ओर करके, उसका गला पकड़कर जोड़-जोड़ से हिलाने लगी…. अपस्यु ने जैसे ही अपनी आखें खोली, उसके होंठ से होंठ लगाकर जोरदार और लंबी किस्स करना शुरू कर दी। आह्हह ! इस से बेहतरीन सुबह की शुरवात भला हो सकती थी क्या? अपस्यु तो मदहोश होकर जागा।


ऐमी जब किस्स को तोड़कर अलग हुई, दोनो की श्वांस चढ़ी हुई और आखों में चमक और हंसती हुई कहने लगी…. "किसी एक दिन मेरी सुबह की शुरवात भी इतनी धमाकेदार हुई थी लेकिन पुरा दिन किसी को मेरा ख्याल नहीं आया। पे बैक टाइम बेबी"

इससे पहले कि अपस्यु उठकर उसे दबोच पता, ऐमी हंसती हुई उसके पास से भागकर दूसरे कमरे में आ गई, और दरवाजा लॉक करके हंसने लगी। ऐमी बिस्तर पर बैठकर हसने लगी और इधर अपस्यु भी उसकी इस अदा पर हंस रहा था।…. कुछ ही देर में दोनों तैयार होकर हॉल में बैठे थे। अपस्यु सोफे से टिका था और ऐमी उसके सीने पर सर रखकर दोनो प्यार भरी बातें कर रहे थे। तभी खटाक की आवाज़ के साथ दरवाजा खुला और सामने आरव था।


आरव की देखकर, ऐमी और अपस्यु के चेहरे खिल गए। आरव दौड़ता हुआ पहुंचा दोनो के बीच और तीनों गले मिलने लगे…. तीनों साथ बैठकर कुछ देर बात करते रहे, फिर आरव वहां से उठकर अपने कमरे चला गया।


ऐमी:- 15 को लौटता ना ये तो, एक दिन पहले चला आया।


अपस्यु:- अब ये तो आरव ही जाने, लेकिन आज सुबह की शुरवात जिस जोरदार रोमांस से हुई थी, उसमे ये ग्रहण लगाने चला आया।


ऐमी:- हीहीहीहीही… बोल दूं क्या चला जाए यहां से।


अपस्यु:- कभी-कभी ना तुम्हारी ये खीखी मेरा सुलगा देती है।


ऐमी अपनी पाचों उंगली अपस्यु के चेहरे पर फिराती…. "रात ही तो अपनी मर्जी का सब किए थे, अब सुबह-सुबह ऐसे चिढ़ जाओगे तो कैसे काम चलेगा। चलो, स्माइल करो।


अपस्यु, ऐमी को खींचकर अपने सीने से टिकते… "होंठ से बस होंठ को छू लो, स्माइल तो ऐसे ही आ जाने है।"..


ऐमी बड़ी अदा से मुस्कुराती हुई…. "और किस्स ना करूं तो बेबी के फेस पर स्माइल नहीं रहेगी क्या?"..


अपस्यु:- स्माइल तो तब भी रहेगी लेकिन जो स्माइल तुम्हारी नजरें ढूंढती है वो ना रहेगी।


ऐमी अपना चेहरा ऊंचा करके धीरे-धीरे ऊपर बढाने लगी। अपस्यु के होटों पर आयी मुस्कान को देखकर ऐमी का चेहरा खिल गया। इंच दर इंच धीरे-धीरे ऐमी के होंठ अपस्यु के होंठ के बिल्कुल करीब आ गए। होंठ से होंठ स्पर्श होने लगे और दिल में कुछ गुदगुदा सा महसूस होने लगा। सौम्य सी छुअन थी होंठ की और दोनो की आखें बंद होने लगी।


गले की तेज खड़ास की आवाज़ के साथ… "इतनी बेख्याली की लोग कब घर में घुसे पता ही ना चले।"..


गले की खराश की आवाज़ के साथ ही दोनो झटक कर अलग हो गए। नंदनी जबतक अपना डायलॉग बोल रही थी, तबतक कुंजल दौर कर अपस्यु से लिपट गई और ऐमी अपना सर पुरा नीचे झुकाए, अंदर ही अंदर हंस रही थी, जिसे अपस्यु भाली-भांति महसूस कर रहा था।


इस से पहले की नंदनी कुछ सवाल-जवाब करती, ऐमी झट से नंदनी के पास पहुंची और उसके पाऊं छूकर कहने लगी…. "मां, मै आपसे आकर मिलती हूं। बस जा ही रही थी और विदाई सेशन चल रहा था हमरा।".. नंदनी, ऐमी को रोकती रह गई लेकिन वो रुकी नहीं।


नंदनी, ऐमी का चुलबुला पन देखकर हसने लगी और हंसती हुई अपने कमरे में चली गई। इधर कुंजल, अपस्यु को बिठाकर बातें करने लगी और अपस्यु का ध्यान स्वास्तिका के खिले हुए चेहरे पर था। वो स्वास्तिका के अंदर चल रहे खुशी को महसूस कर सकता था।


"भईया, सुनो तो आप, मै क्या कह रही हूं।"… कुंजल अपस्यु का ध्यान अपनी ओर खींचती हुई कहने लगीं। अपस्यु, कुंजल को कुछ देर शांत रहने का इशारा करके स्वास्तिका को अपने पास बुलाया…. "15 अगस्त की रात से पहले इन आखों में आशु नहीं आने चाहिए। तुम समझ रही है ना।"..


स्वास्तिका, कुछ बोल तो नहीं पाई लेकिन खुशी से अपना सर "हां" में हिलानें लगी। स्वास्तिका को अपने पास बिठाकर उसके सर को सीने से लगाकर अपस्यु कहने लगा…. "वर्षों से जल रही आग का कल हिसाब हो जाएगा। हम जब कल उन्हें आजमाना शुरू करेंगे, तो वादे अनुसार उनको हम अपने कतरे-कतरे जले अरमानों से अवगत करवा देंगे।"


कुंजल:- मुझे भी अपनी जलन शांत करनी है। क्या मैं भी आपके साथ चल सकती हूं।


स्वास्तिका:- नहीं ! वहां बहुत खतरा है।


अपस्यु:- ये अपनी दीदी और भाभी के बीच रहेगी। जिसके आगे पीछे इसके दो भाई रहेंगे, और सर के ऊपर पुरा सुरक्षित शाया। कल मेरी बहन जाएगी और जरूर जाएगी। लेकिन एक बात याद रखना, 7 साल का नासूर दर्द सीने में है, कोई किसी को मारना मत। मृत्यु उनके लिए मोक्ष होगी और मै किसी को भी मोक्ष नहीं देना चाहता।


"तुम कहां जा रहे हो और क्या होने वाला है, उसमे कितना खतरा है ये सब देखने की जिम्मेदारी तुम्हारी है अपस्यु लेकिन मुझे अपने सभी बच्चे मेरे नजरों के सामने चाहिए, बिना किसी नुकसान के।" … नंदनी पीछे से आकर तीनों के सर पर हाथ फेरती हुई कहने लगी।
Fabulous update bhai
Lagta hai kahani ka antim bhag chal raha hai. 15aug ko kya hoga ispar hoga ya uspar dekhna padega
 
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