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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

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Update:-132




चिड़िया दाना चुग चुकी थी, और अब लोकेश इस पार्टी हॉल से कहीं चला जाय, सवाल ही नही पैदा होता। उल्टा मामला पैसों का था इसलिए लोकेश ने वहां आसपास के सभी 40 वीरदोयी को यहीं पार्टी हॉल में पहुंचने के लिए बोल दिया।


लंबे खेल का आरंभ, अपस्यु के पार्टी हॉल में पहुंचने के साथ ही हो चुका था। अारूब की अगुवाई में टीम ठीक उसी वक़्त लोकेश के बेस के अंदर घुसी, जब अपस्यु पार्टी हॉल में पहुंचा। ऐमी के कमाल का विजन और अारूब की मदद से उसने कंट्रोल रूम को ऐसा भरमाया की वहां मौजूद लोगों को वही सब नजर आ रहा था, जैसा ऐमी उसे दिखाना चाहती थी।


अब बस जरूरत थी तो कंट्रोल रूम पर कबजे की, ताकि वाकी की मैनुअल सूचना प्रणाली भी अपने हाथ में आ जाए। 6 कार जब महल के आसपास धूल उड़ाते निकली थी, तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि वो धूल क्या कमाल कर सकती थी। वो माइक्रो पैक्टिकल्स आरव और ऐमी के कमांड से, कंट्रोल रूम के अंदर पहुंच चुकी थे। धीरे-धीरे एक गुमनाम हवा, वहां काम कर रहे 20 स्टाफ को ऐसे जकड़ ली की वो हिलने की हालत में भी नहीं थे। आरव और ऐमी ने जैसे ही अपना काम खत्म किया उसने तुरंत सभी टीम को एक्शन लेने के लिए बोल दिया।


अारूब ने 20 स्नाइपर और 48 ऑफिसर की टीम को 4 हिस्सों में बांटकर, 5 स्नाइपर और 12 कचरा साफ करने वाले ऑफिसर 4 ठिकाने पर पहुंच चुके थे। इधर दृश्य ने एक्शन कहा और उधर स्नाइपर की टीम ने अपने दो टारगेट को आपस में बांटकर हेड शॉट लेना शुरू किया। मौत कब कहां से आ गई किसी को पता भी नहीं चला। एक ही वक़्त में सभी स्नाइपर ने एक्शन लिया और मात्र 5 सेकंड के अंतर से 2 गोली फायर करते हुए, सभी टारगेट को ढेर कर दिया।


40 जल्लाद जिसे मौत का खेल रचने में काफी उत्सुकता रहती थी, वो ढेर हो चुके थे और कचरा साफ करने वाले ऑफिसर, जो पहले से उनके ठिकाने से थोड़ी दूर पर घात लगाए थे, तुरंत अंदर दाखिल हुए और बिना किसी की नजर में आए सभी लाश को वैन में लोड करके, अारूब को ऑल क्लियर का संदेश भेज दिया।


इधर स्निपर से गोली निकलकर, उन वीरदोयी का भेजा निकालते हुए, उन्हें मौत कि नींद सुला रही थी और इधर कमरे में बैठा पुरा डेविल ग्रुप जोश में आकर हूटिंग करते हुए, वीडियो को दोबारा स्लो मोशन में प्ले करते हुए सभी की मौत को एन्जॉय कर रहे थे।


40 और बचे वीरदोयी के साथ भी वही खेल रचा जाना था, इसलिए टीम लोकेशन फिर से सेट की गई। वहीं प्रक्रिया फिर से दोहराई गई और उन 40 के साथ भी वही हुआ। मात्र 5 सेकंड के फासले में सभी टारगेट समाप्त हो चुके थे और पुरा कचरा साफ हो चुका था।


अारूब की टीम के काम का पहला भाग समाप्त हो चुका था और अगले काम के लिए लंबा वक़्त लिया जाना था, इसलिए उसे काया द्वारा बताए गए एक सुरक्षित ठिकाने पर इंतजार करने के लिए कहा गया। महल के जिस कमरे में सभी लोग थे खासकर आरव, ऐमी, स्वास्तिका, और पार्थ इनकी खुशी तो देखती बनती थी।


ये सभी लोग हल्के नम आशु के साथ दृश्य के सामने खड़े हो गए और अपने जाम लहराते हुए उसके सम्मान में अपना सर झुका लिया। दृश्य, अश्क और निम्मी को समझ में तो नहीं आया की मस्ती करने वाले ये लोग इतने भावुक क्यों थे, लेकिन दृश्य उनकी पिरा को भांपते हुए कहने लगा…. "तुम सब रोते हुए अच्छे नहीं लगते, वैसे भी अभी एक ही पड़ाव खत्म हुआ है, मुख्य लोग तो अभी बाकी है आज शाम का खेल तो अभी पुरा बाकी है।"…


कुंजल सबके बीच खड़ी होकर कहने लगी…. "भईया शादी का अरेंजमेंट आपने काफी बढ़िया किया है… बारातियों का स्वागत तो हो गया, अब जरा फेरे करवाकर दुल्हन को विदा करवा दीजिए, बाकी का रोना हम दुल्हन की विदाई के बाद कर लेंगे।"…


कुंजल की बात सुनकर सब लोग हंसते हुए हूटिंग करने लगे। तभी ऐमी सबको शांत करती हुई कहने लगी….. "पार्टी के अंदर मै और अपस्यु लीड करेंगे। केवल उन्हीं लोगों की लाश गिरेगी जिसकी तस्वीर हमने सबको भेजी है। यदि तस्वीर ना भी याद हो तो बता दूं कि लाश केवल वीरदोयी की गिरेगी, बाकी उनके अलावा किसी को भी मारने का फैसला मेरा और अपस्यु का होगा। दृश्य भईया, ये खासकर मै आपसे कह रही।"

दृश्य:- येस बॉस मै समझ गया।


निम्मी:- और लोकेश राठौड़..


दृश्य:- अपने चाकू तुम केवल 1 के लिए इस्तमाल करोगी और जितना कुरुर हो सकती हो उतनी कुरूर हो जाना। लोकेश केवल और केवल तुम्हारा है निम्मी।


स्वास्तिका:- अब सभी बातें क्लियर हो गई हो तो चले क्या पार्टी में… शादी को जारा शुरू से एन्जॉय किया जाए…


सभी लोग वहां से केवल अपने मोबाइल के साथ बिल्कुल खाली हाथ निकले। ठीक रात के 9 बजकर 15 मिनट पर, पार्टी में उन लोगो ने शिरकत किया। आखों के सामने सजी-सवड़ी इतनी खूबसूरत और हॉट बाला को देखकर, सभी का ध्यान उन्हीं के ओर गया। दिमाग में वो संदेश भी घूमने लगा जिसमे एक वीरदोयी ने लिखा था, "ये लड़का अपने घर की औरतों के साथ आया है, देखकर तबीयत हरी भी होगी और रात के अंधेरे में मज़ा का भरपूर मौका भी मिलेगा।" संदेश में लिखी गई बात लोगों के जहन में थी और नजरे बार-बार उनकी मादक जवानी पर।


अपस्यु बार काउंटर कर बैठा ड्रिंक एन्जॉय कर रहा था और एक-एक करके उसके दोनो ओर से, उसके सभी हमराही बैठ गए। अपस्यु बिल्कुल बीच में और 4 लोग अपस्यु के दाएं और 4 लोग अपस्यु के बाएं। अपस्यु के ठीक दाएं ऐमी और बाएं दृश्य बैठा हुआ था।


"यहां का माहौल इतना शांत और लोग ऐसे क्यों देख रहे है।"… दृश्य ने अपस्यु से पूछा।


अपस्यु, जोड़ से हंसते हुए… "ये सभी व्हाइट और ब्लैक कॉलर वाले लोग, 5000 करोड़ की व्यवस्था में लगे है भईया… ओह भिड़, मै तो परिचय करवाना ही भुल गया.. ये हैं मशहूर, दिलदार रईश.. साहिल प्रताप सिंह। प्रताप इंडस्ट्री के अकेला वारिस और उसके बाजू में है मेरी स्वीट भाभी मिसेज अश्क प्रताप सिंह, मेरे भैया जिसके गुलाम है।"


दृश्य के बारे में जैसे ही सबने सुना एक बार फिर, भिड़ में चर्चा का विषय बना हुआ था। इधर बेटिंग के इक्छुक लोग जिन्हें अपनी जीत सुनिश्चित लग रही थी, सबने कुबेर का धन खजाना, यानी की इंटरनेशनल बैंक के पैसों को लोकेश के अकाउंट में ट्रांसफर कर चुके थे। किस-कीस ने कितने पैसे जमा करवाए है, उसको पन्ने पर लिखा जा रहा था, ताकि अंत में हिसाब के वक़्त कोई समय ना हो। 5000 करोड़ की बेटिंग में जब लोगों को जीत दिखने लगी तो महज 1 घंटे के अंदर सभी के पैसे लोकेश के अकाउंट ने पहुंच चुके थे…


लोकेश जोड़ से चिल्लाते हुए… "भाई हमारे ओर से कुल 10000 करोड़ की बेटिंग है। क्या कहते हो..


अपस्यु अपना जाम पीते हुए…. " कहीं घर के कागजात और बीवी के गहने बेचकर तो पैसा ना इकट्ठा कर लिए ये लोग लोकेश भईया?


लोकेश कुछ बोलता, उससे पहले ही पार्टी में आया एक व्हाइट कॉलर विपक्ष का मजबूत नेता कहने लगा… "अभी तो हमने अपने काले धन का आधा हिस्सा भी नहीं लगाया है। सुनो बेटा तुम्हारे पास जो वो दाएं से वो मुलायम और दूध सी चिकनी कन्या बैठी है, उसे देखकर, उसके साथ कई आशन लेने का मन कर रहा है.. उसके लिए मै 500 करोड़ तक देने को तैयार हूं.. बस यही बैठकर बोल दे भोग आसान लगाने"..


सभी गुस्से में पागल से नजर आ रहे थे, लेकिन अपस्यु अपने दाएं बाएं देखकर केवल इतना ही कहा… "आज शाम की बॉस"…. ऐमी झट से अपने टेबल से उतरी और सबको शांत रहने का इशारा करती हुई अपने कदम बढ़ाती हुई कहने लगी… लेट मी इंट्रोड्यूस माय सेल्फ… ऐमी की कदमों में तेजी आयी… "माय नेम इज ऐमी"..


वहां क्या हुआ ये तब पता चला जब ऐमी "माय नेम इज ऐमी" कहकर खड़ी हुई। उस नेता का कटा गला फर्श पर था और धर फरफराता हुआ नीचे गिर रहा था। वहीं उसके बाजू में उसका एक और साथी था, जो उस नेता का पाला हुआ मुख्य गुंडा था, उसके गले से खून की धार निकल रही थी, और वो गुंडा अपने गले को हाथों से दबोचे, घिरे धीरे नीचे गिरता जा रहा था। फर्श पर चारो ओर खून ही खून फ़ैल रहा था और कई देखने वालों ने तो वहीं उल्टियां कर दी।


चंद ही सेकंड में क्या हो गया उसे देखने के लिए, वहां लगे बड़े-बड़े स्क्रीन पर, स्लो मोशन में वीडियो प्ले हुआ। ऐमी की रफ्तार बढ़ी, तेजी से कदम बढाती उसने ड्रिंक सर्व होती ट्रे से ग्लास उठाई, थोड़े दूर आगे बढ़ी होगी और गलास का आधा हिस्सा टूटकर नीचे। ऐमी बिल्कुल हवा में और उसके पेंसिल हिल, धातु की बनी वो धारदार ब्लेड निकली, जिसे काले रंग के पेंट ने उजागर तो नही होने दिया, लेकिन हवा की रफ्तार से जब उसने अपने पाऊं चलाए तो वो नेता का गला नीचे फर्श पर था और ठीक आधे फिट की दूरी पर को गुंडा था, जिसने कान में उस नेता से कुछ कहा था। उसके गले में वो टूटा कांच का ग्लास घुसकर गला चीरते हुए बाहर निकाल चुका था।


स्क्रीन पर चले एक्शन रिप्ले देखते सबकी आखें बड़ी हो गई और अपस्यु ताली बजाता खड़ा हुआ…. "स्वीटी क्या मूव थी, अवसोम बेबी।".. इधर अश्क पागलों की तरह सिटी बजाकर रोल करती हुई कहने लगी…. "ऐमी तुम्हारे सामने तो मुझे सब हिजड़ों की ही जमात नजर आ रही। क्या मूव दिखाया है दिल खुश हो गया।"… अपस्यु के ओर से लोगों ने इतनी सीटियां बजाई की सबके कान के पर्दे उड़ गए।


पूरी भिड़ सकते में आ चुकी थी। वीरदोयी जल्लाद लोकेश के पास एक्शन की मांग के लिए पहुंचे, वहीं लोकेश अपने सभी जल्लादों को समझाकर भिड़ को शांत करके एक किनारे ले जाने के लिए कहा। भन्नया विक्रम राठौड़ गुस्से में पागल होकर कहने लगा… "उसने महज 4 शब्द बोले थे उसने अपस्यु, और तुमलोग ने यह गलत कदम उठा लिया। मै अपने लोगों को रोक रखा हूं, वरना तुम सब की लाश गिरने में 2 मिनट नहीं लगेंगे।"


ऐमी:- हट बड़बोला कहीं का। मिस्टर विक्रम राठौड़ तुम्हे हमारी लाश गिरानी है ना और सिर्फ 2 मिनट लगेंगे, तो देर किस बात की रण सज चुका है, 10000 करोड़ की बोली लग चुकी है.. शुरू कर दो लाशों का खेल। यदि तुमने 2 मिनट में अपस्यु की लाश गिरवा दी ना, तो नंदनी रघुवंशी के बाकी बच्चे पुरा मायलो ग्रुप तुम्हारे नाम कर देंगे और 10000 करोड़ अभी हम दाव पर लगाते है। वैसे तुम भिकारि, विक्रम, तुम्हारे पास तो कोई कंपनी होगी नहीं, तो यदि तुम शर्त हार जाना तो बस मेरी ननद कुंजल के सैंडल को अपने जीभ से चाट कर साफ कर देना। औकाद है तो चैलेंज एक्सेप्ट करो, वरना मैंने तो लाश गिरा दी, अब चाहो तो तुम चूड़ियां पहन कर गीदड़ धमकी देते रहो।


एक शेरनी की दहाड़ सबने सुनी, ललकार सुनकर तो शांत रहने वाला लोकेश भी पूरे तैश में आ गया। ऊपर से उसकी नजर के सामने जिसने (अपस्यु) कम से कम 15 ड्रिंक पिया हो, वो नशेड़ी भला कैसे लड़ सकता था। 1000 करोड़ कैश पहुंच चुके थे। एक ओर लोकेश के बचे 9000 करोड़ और दूसरी तरफ अपस्यु के ओर से 500 करोड़ मेघा और बचे पैसे दृश्य लगा रहा था।


स्विस के नए एकाउंट में 19000 करोड़ जमा हो चुके थे, जिसका आईडी पासवर्ड दृश्य और लोकेश के पास था। दोनो एक जगह आराम से बैठ चुके थे और बीच मे टेबल परे एक लैपटॉप को एक हाई सिक्योरिटी सेफ बॉक्स में बंद करके रखा गया था, जो 19000 करोड़ की चाभी थी। बिना उस लैपटॉप के दूसरे डिवाइस की पहली लॉगिन स्वीकृत नहीं थी।


एक ओर 20 गुना क्षमता वाला वीरदोयी का सबसे तेज लड़का और दूसरी ओर अपस्यु जो किसी भी इंसान के मुकाबले 20 गुना ज्यादा नरक की आग में जला था, और सामने अपने दिल की आग को ठंडा करने का एक मौका।


लड़ाई आमने-सामने की थी और डेविल ग्रुप रण की ओर देख रही थी। अपस्यु के दिल में अग्नि आवाहन था, युद्ध के बिगुल बज चुके थे और प्रतिशोध की जलती ज्वाला, आज जिन-जिन को मौत की सजा दे चुकी थी, उसपर कोई रहम नहीं होना था।
 
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एक एक्सपेरिमेंटल बच्चा, 200 गुना ज्यादा क्षमता वाला दृश्य, आम मनुष्य की क्षमता वाले अपने भाई पर भरोसा जताए, एक छुब्द मानसिकता वाले धरती के बोझ लोकेश पर पुरा नजर डाले था। अपस्यु के अजीज साथी केवल इस इंतजार में थे कि बस ये पैसे लोकेश से दूर हो जाए, फिर एक तबाही का मंजर शुरू होगा जिसका आमंत्रण खुद लोकेश देगा और उस आने वाले वक़्त की पूरी तैयारी में पहले से कमर कस चुके थे स्वास्तिका, पार्थ और आरव।


ऐमी की ललकार उन 160 साथियों की ललकार थी, जिन्हें खोने के दर्द ने इन्हे कुछ भी कर गुजरने के काबिल बना दिया था। इन्हे ना तो उस एक वीरदोयी का डर था, जो अकेले अपनी क्षमता के दम पर पूरे डेविल ग्रुप को समाप्त कर सकता था और ना ही उनके पूरे भिड़ का कोई खौफ। सबके बीच खड़ी होकर ऐमी ने बेकौफ होकर युद्ध का बिगुल बजाया और मुस्कुराते हुए अपने सभी साथियों को देख रही थी।


बीच का एक बहुत बड़ा जगह लड़ाई के लिए खाली करवाई गई। अपने हुनर और ताकत के घमंड की ललकार वीरदोयी ने भी लगाया। अट्टहास सी हंसी के बीच बड़े ताव से कहा गया, चुन ले वो अपने हथियार और कर ले कोई भी वार, लेकिन जान देने को रहे तैयार।


अपस्यु ने जाम को अपने दोस्तों के सामने लहराया, उनके सामने सर झुकाया, मानो कह रहा हो बिल्कुल अंतिम पड़ाव अब आ गया है, पहले मै रण में जाता हूं फिर तुम सब मेरे पीछे आओ। अपने भाई के गले लगा और कानो में बड़े धीमे से कहा, ऐमी और आरव को छोड़कर यहां की बची जिंदगियां की हिफाज़त उसके जिम्मे। और सबसे आखरी में वो निम्मी से हाथ मिलता चला।


अपस्यु बिल्कुल मध्य में खड़ा हुआ, मुसकुराते हुए सबको एक बार देखा और हाथों के इशारे से उसने वीरदोयी को भेजने कहा। दुश्मन को बुलाकर अपस्यु खुद अपनी आखें मूंदे बस मेहसूस कर रहा था। लोगों के दिए हौसले के बीच वो वीरदोयी लड़ाका उतरा मैदान में, अपने हाथ में स्टील की छोटी सी मजबूत कुल्हाड़ी लिए। चलाने में आसान और आस्तीन में नीचे बड़े आराम से जिन्हे छिपाया जा सकता था।


चाइनीज और कोरियन गैंग द्वारा इस्तमाल किया जाने वाला ये एक फिट की छोटी सी कुल्हाड़ी, इस्तमाल करने का कॉन्सेप्ट शायद वहीं से प्रेरित था। हवा की तेजी से दौड़ते वो वीरदोयी लड़ाका अपस्यु के सर पर निशाना लगाया, और अपस्यु बस खुद में खोया सा, मुस्कुराते हुए हवा की गति में परिवर्तन के हिसाब से अपने अपने बदन और सर को ऐसे लहरा रहा था मानो बस खोकर वो हवा को पढ़ते हुए उसके अनुसार अपनी प्रतिक्रिया दे रहा हो।


अपस्यु मदहोश होकर जैसे ही हवा में सर को लहराया, वो वीरदोयी अपना निशाना चुककर, अपनी गति से उसके आगे बढ़ चला। निम्मी सें उधार मांगी गई वो छोटी सी चाकू जो अपस्यु के मुट्ठी में बंद थी, वीरदोयी के पीछे गले में घुसकर निकल गई और लड़खड़ाते हुए वो आगे फर्श पर बिछ कर, अपनी श्वांस तेज-तेज ले रहा था।


प्राण किसी कि मुक्ति मांग रही थी। मौजूद लोगों की आखों में अब तक ऐमी के कुरुरता के मंजर छापे थे, और अब अपस्यु एक बार और उनके रौंगटे खड़े करने बढ़ रहा था। फर्श पर बिछे उस वीरदोयी को मौत के आखरी दर्शन करवाने अपस्यु ने कदम जैसे ही बढ़ाया, एक बार और हवा की गति में उसने परिवर्तन को पाया।


ताकत की मद में जिसे मारने का सोचकर एक ही वक़्त में 2 वीरदोयी दाएं और बाएं से आगे बढ़े, उन्हें तनिक भी अंदाज़ा ना था अपस्यु के रिफ्लेक्स और रिएक्शन का। दोनो वीरदोयी तो अपनी पूरी क्षमता से दाएं और बाएं से, हवा में उछलकर हमला कर गए, लेकिन अपस्यु अपने पाऊं जमीन में फैलाकर, ठीक होते हमले के बीच बैठा और हवा में हुए इस हमले से वीरदोयी ने एक दूसरे को ही गंभीर रूप से घायल कर चुका था।


एक का कांधा गया था, तो दूसरे की पसली गई थी। वीरदोयी नीचे जब घायल अवस्था में गिर रहा था, तब नीचे मौत इंतजार कर रही थी। जमीन में परी थी उन्हीं के एक साथी की कुल्हाड़ी और हाथ में थी एक छोटी सी चाकू प्यारी। आज मौत से ना बच पाए अपस्यु ने वो तांडव दिखाया, गिरते एक वीरदोयी के गले में चाकू उतारा तो दूसरे वीरदोयी के सर पर ही एक जोरदार कुल्हाड़ी का वार कर दिया।


एक वीरदोयी प्रतिद्वंदी जिसे हराने कि बात थी, वो अब भी नीचे परा था और उसके जीवित होने से खेल अब भी जिंदा था। दोस्तों की हूटिंग चल रही थी लगातार और लोकेश के सर पर एसी में भी पसीना आए बार-बार। कहां लोकेश आज तक वो दूसरों को उकसाकर सारा माल अंदर बटोर लिया करता था, लेकिन आज खुद ही द्वेष और गुस्सा का शिकार हो चुका था।


बेखौफ मुसकुराते हुए अब जब अपस्यु आगे बढ़ा, दुश्मनों के कलेजे में कंपन हो गए। ताकत के नशे में जो इंसान और इंसानों की इंसानियत को रौंदा करते थे आज कांपते बस उनके मुख से इतना ही निकल रहा था,.. "क्या इसमें थोड़ी भी दया, करुणा और इंसानियत नहीं बची, जो इतनी बेरहमी में सबको मारता जा रहा।"


और फिर अंत में अपस्यु के कदम जैसे ही उस खिलाड़ी के पास ठहरे, जिसे मारकर बाजी खत्म करनी थी, तभी एक जोर की चींख लोकेश की निकली… "इस लड़के को खत्म कर डालो।"… शायद मायलो ग्रुप का लालच अब भी दिल से ना जा पाया, इसलिए तो लोकेश ये ना कह पाया कि मार डालो इन सब को।


हाय री किस्मत, नायकों के समूह के बीच बैठकर ये क्या गलती कर डाला, खुद ही लोकेश ने लड़ाई का आमंत्रण दे डाला। एक साथ सभी वीरदोयी ने तेज दौर लगाया था, पर मूर्खों को कहां पता था उन्हें तो अपस्यु ने आजमाया था। खेल अब आमने-सामने की थी और सबको एक साथ टूटते देख अब पूरे नायकों के समूह ने दौड़ लगाया था।


जो नहीं जा पाए थे उनमें बची थी, अश्क, निम्मी और कुंजल। लोकेश मामला हाथ से निकलता देख चुपचाप वो कुबेर के खजाने वाला लैपटॉप को हथियाया, लेकिन मेकअप के पीछे कौन उसके पास आकर बैठ चुकी थी वो भांप ना पाया। नतीजा लैपटॉप के ओर जैसे ही अपना हाथ था बढ़ाया, एक प्यारा सा खंजर उसने भेंट स्वरूप पाया।


लोकेश की हथेली के आर-पार जाता वो खंजर, निम्मी ने टेबल में ऐसा घुसाया की दर्द में लोकेश कररह गया था। विक्रम राठौड़ अपने बेटे पर ये हमला सह नहीं पाया और तिलमिला कर वो निम्मी की तरफ आया लेकिन ठीक उसी वक़्त अश्क ने अपना पाऊं उसके पाऊं में फसाकर उसे जमीन की याद दिलाई…. "क्यों बूढ़उ जी, अभी तो बेटा जिंदा है ना, ज्यादा उछलकूद किया तो वो यहीं दम तोड़ जाएगा। चलो जो पहले शर्त लगाया है वो सजा पाओ और चुपचाप जाकर अपनी जगह पर बैठ जाओ। वरना आप की ये बुढ़ी हड्डी टूटना झेल ना पाएगी और आप की जिंदगी अपंग की तरह बिस्तर पर गुजर जाएगी।"


विक्रम राठौड़ जबतक कुछ सोच ने डूबा रहा, निम्मी अपने मेकअप को हटाकर ठीक लोकेश के सामने आयी। उसे देख लोकेश को पूरा मामला ही समझ में आया। जिसे मरा समझ वो फेक आया था, उसके बदले की आग ने उसे जिलाया था और किसी भूत की तरह वो लोकेश के सामने आयी थी।


इससे पहले कि लोकेश कुछ कह पता, निम्मी का दूसरा खंजर भी इंसाफ मांगती दूसरे हथेली के आर पार थी और वो भी जाकर टेबल में घुसी थी। सिसक सा गया था लोकेश, दर्द जो बर्दाश्त के बाहर सा होता जा रहा था। विक्रम अपने बेटे का हाल देखकर घबराया और जमीन पर रेंगते हुए वो निम्मी के पाऊं में आया।


निम्मी की तेज हंसी जब गूंजी थी, विक्रम का दिल घबराया सा था, और बेटे की जान के बदले निम्मी ने हार की शर्त याद दिलाया था। जान बचाने के लिए विक्रम राठौड़ बिलबिलाए, सीधा जाकर कुंजल के पाऊं में आया। उसके सैंडल को कुत्ते की तरह चाटा फिर पुरा साफकर, अपने हाथ जोड़े वो दुर्गा और काली के समान रौद्र रूप दिखा रही देवियों से भीख मांगता खड़ा हो गया।


निम्मी मुस्कुराई और दर्द से लोकेश को छुटकारा देती उसके दोनो हाथ में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाई। दर्द तो चला गया लेकिन ऐसा लगा जैसे शरीर से वो अंग भी जा चुका था। कुंजल अट्टहास भरती कहने लगी…. "अभी हिसाब बाकी है, अभी और इंतकाम बाकी है। जिसकी हिम्मत पर तुम उछालते हो अभी तो उसका अंजाम देखना बाकी है।"..


कुंजल ने सामने की ओर ध्यान था दिलाया जहां अब नायकों के समूह ने कहर था बरसाया। साहिल अपने रौद्र रूप में जब आया, सारे मेकअप उतारने के बाद सारे वीरदोयी को उसमे काल नजर आ चुका था। सबके जहन में सिर्फ इतना आया था कि एक ये अपस्यु कम था जो ये भी यहां आया।


लेकिन कुछ ही देर में एक और भ्रम टूटता नजर आया, जब आरव और ऐमी ने अपना तांडव दिखाया। आज हाथो में वो 4 फिट के 2 रॉड नहीं थे, बल्कि 1 फिट की दो छोटी सी कुल्हाड़ी थी। ऐमी और आरव की नजरे एक दूसरे से मिली तो दोनो मुस्कुरा रहे थे। आपस में 4 फिट की दूरी बनाए एक लाइन से आरव, तो दूसरे लाइन से ऐमी ने काटने का वो नजारा दिखाया की 20 गुना ज्यादा क्षमता वाले ये एक्सपेरिमेंटल जल्लाद खुद को धराशाही पाए।


बीच में फसा अपस्यु भी आज दोनो हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े हवा की धुन पर मस्त था। लहर की भांति अपस्यु हवा के धुन पर लहराते जब दोनो हाथो से कुल्हाड़ी को भी लहराते हुए चलाता, तो बस चींख और मौत का तांडव ही गूंज कर रह जाता। ऐसा लग रहा था शिव अपनी धुन में मस्त होकर तांडव करते जा रहे है, रक्त चरण अभिषेक कर रहे थे और लाशों पर पाऊं रखकर जब उसने काटना शुरू किया तो वीरदोयी के कलेजे मूह को आने लगे।


वीरदोयी की गोल झुंड को दाएं और बाएं की लाइन से काटते हुए, ऐमी और आरव जगह बना रहे थे और अपस्यु उनके मध्य खड़ा होकर तांडव कर ही रहा था। बिजली की तरह दृश्य भी बरस रहा था और बिना कोई रहम दिखाए अपने पंजे से वीरदोयी का सिना चीरकर, सीने को फर्श पर बिछाता रहा और बिना सीने के तड़पते सरीर को वहीं फर्स पर फेंकता चला जाता।


बदले की आग स्वास्तिका और पार्थ के सीने में भी जल ही रही थी और भिड़ से भागते वीरदोयी का हिसाब उनके खाते में आ जाता। हालांकि दोनो मार कला में उतने निपुण नहीं थे, लेकिन भागते वीरदोयी पर पहले से आरव और ऐमी की बिजली गिर चुकी होती, और आखरी अंजाम के लिए दोनो को बहुत ज्यादा मेहनत ना करते हुए सीधा प्वाइंट ब्लैक रेंज चुन रखे थे। एक निशाना और खेल खल्लास।


20 मिनट में ही सभी आत्माविहीन जल्लादों का भाग्य लिखा जा चुका था। अच्छे लोग जब कूरुर होते है तो किस हद तक कूरूर हो सकते है ये हर व्हाइट और ब्लैक कॉलर वाले लोगो को समझ में जैसे ही आया, अपने प्राण बचाने वो दरवाजे की ओर भागा था, लेकिन अपस्यु कि नीति काम आयी और दरवाजे पर काया और नील के साथ उनके सभी लोग खड़े रास्ते को ऐसा रोका था कि वापस वहां बैठने के अलावा कोई जरिया नजर नहीं आया।


पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..
 
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Hmmm to ye drisy syndicate wali story ka h aur dono hero cousins h .....aur apna Vaibhav bhi super human h .....dekhte h aage kya hota h
Yesss.. aap ne padhi hai ki nahi wo story indrajit babu... Haan vaibhaw drishy ka beta hai lekin super human hai ki nahi wo pata bahi :D
 
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Der aaye durusat aaye bandhu.
Jahan aankh khule vahi sawera.
Niyati ke hath me sabhi bandhe hai mitr.
Samay ka pahiya kish moud pe kya dikhaye yeh toh rachiyata hi jane.
Bash vartman achha hai toh aage bhi achha hoga.
Aap jaishe mitr nasib se milte hai pata nahi kounse janam ke mooti daan kiye hue kaam aa gue joh ek durlabh sahityekar se mulakat ho gai.
Shukriya mitr hrideye se.
Itti jyada tarif :vhappy: :toohappy: waise Nevil bhai durlabh sahityakar kuch jyada nahi ho gaya... Kyonki mamla aisa hai ki logon ne sahitya padhna chhod diya to hindi ke muh shabdon se dur ho chale hain aur main thoda sa mul shabd janta hun lekin sahityik bhasha se kafi dur hun .. :)
 
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nain11ster

Prime
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Behtarin story he bhai or bichme dris ko lakar aapne ye nischit kardiya ki vo bhi madad me aayega agle update ka besabri se intejar he
Shukriya aur swagat hai aapka hellohoney bhai.. waise aap ka user name mast laga... Aisa lag raha hai jaise main apne college ki kanyaon ko pukar raha hun ... Hello ? honey ❤️?
 
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