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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

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Update:-138





आरव अपने सर का बाल नोचते, 4-5 छड़ी घुमा दिया… "चुटिया हम तुम्हारा भूतो और वर्तमान तो जानते ही है, ज्यादा बकवास की ना तो भविष्य भी यहीं लिख देंगे।


ऐमी:- देवरजी, मै भी यहीं हूं, थोड़ा लहजा रखिए।


आरव:- सॉरी भाभी।


अपस्यु:- एक मिनिट थोड़ा शांत हो जाओ, और प्रकाश सर को बोलने दो। इतिहास के कुछ पन्ने शायद अछूते है, उन्हें जानने का मौका मिला है। प्रकाश सर आपके यूएस की कहानी पता है। पहले चिंदिगीरी करके भक्त बनाए, फिर एक गरीब पॉलिटीशियन की बेटी से शादी किए और बाद में उसके कुछ समाज सेवा और अपनी कुछ चिंदिगिरी से यूएस सीनेटर तक का सफर तय किया। ऑटोबायोग्राफी लिखने के लिए बहुत समय है अभी। इंट्रेस्टिंग पार्ट तो यह है कि तुमलोग से वो नकारा चन्द्रभान कैसे टकरा गया।


विक्रम:- "इसे यहां के बारे में कुछ पता हो तो ना। मै बताता हूं राजस्थान की कहानी। तब कुंवर सिंह और चन्द्रभान के पिता के बीच मूंछ की लड़ाई थी, हालांकि रघुवंशी परिवार की कोई आैकाद ही नहीं थी कुंवर के आगे, लेकिन समाज में जहां कहीं भी दोनो आमने-सामने होते, बस एक दूसरे पर तंज कसा करते थे। हालांकि मेरे चाचा कुंवर सिंह, चन्द्रभान और मेरे पिता को जोकर से ज्यादा कुछ नहीं समझते थे, इसलिए केवल अपने मनोरंजन के लिए उनकी बात सुना करते थे।"

"हम एक ही परिवार के थे लेकिन हमारी स्थिति भी रघुवंशी से ज्यादा अच्छी नहीं थी। कुंवर सिंह से मै भी खुन्नस खाए घूम रहा था और चन्द्रभान भी। बस ऐसे ही एक सामाजिक कार्यक्रम में हम दोनों की मुलाकात हुई, मकसद एक जैसे थे इसलिए जल्द ही हम में घनिष्ठता भी हो गई।"

"अभी तुमने अनुप्रिया और उसके 3 साथियों के बारे में सुने, कोई दो राय नहीं की ये चारो मिलकर आज पूरे देश की सरकार को ही चला रहे है, लेकिन चन्द्रभान रघुवंशी इन सब का भी बाप था। उसके दिमाग में अगले 20 साल तक का प्रोजेक्शन चलता था। उसी ने पहले मुझे सैटल किया। उसी के कहने पर मै कुंवर सिंह के करीब पहुंचा और भीख में अपनी संपत्ति बनाई थी।"

"वहीं चन्द्रभान अब भी बड़े मौके की तलाश में था और वो मौक अनुप्रिया बनकर आयी थी। अनुप्रिया प्रचार के सिलसिले में जयपुर पहुंची, वहीं पहली बार अनुप्रिया और चन्द्रभान कि मुलाकात हुई। मै भी था उस वक़्त चन्द्रभान के साथ। पहली मुलाकात में ही उसने अनुप्रिया से सामने से कहा था…. "तुम मेरी पत्नी बन जाओ, मै तुम्हारे हर सपने को साकार कर दूंगा।"

"अनुप्रिया अचंभित, उसके सेवक आक्रोशित लेकिन चन्द्रभान वहां अडिग खड़ा रहा। लंबी बहस के बाद अनुप्रिया ने कुछ सोचकर उसे बोलने का मौका दिया। फिर चन्द्रभान ने अपनी भविष्य नीति को बताया कि उसके और अनुप्रिया के मिलने से अगले 5 साल में वो कहां होगा, 10 साल में कहां पहुंचेगा और आने वाले 20 साल में वो कहां होंगे।"

"अनुप्रिया उससे इंप्रेस तो हुई, लेकिन उसने चन्द्रभान से खुद को साबित करने के लिए कही। चन्द्रभान ने अनुप्रिया का अपॉइंटमेंट राजस्थान के सीएम से लीया। उस मीटिंग में चन्द्रभान ने सीधे उस सीएम से कहा था कि वो उसके ट्रस्ट में इन्वेस्ट करे, कुछ ही दिनों में वो उसके ब्लैक को व्हाइट में बदल देगा।"

"सीएम ने साफ मना कर दिया और दोनो को निकाल दिया। सीएम तो हाथ नहीं लगा, लेकिन छोटे-छोटे पॉलिटीशियन जो अपना माल सीएम और पार्टी अध्यक्ष से छिपाकर जमा करते थे, उसके काम मिलने शुरू हो गए। साथ ही साथ उन लोगों ने पॉलिटिकल पार्टी के प्रचार का भी जिम्मा उठाया और अलग-अलग तरह के प्रचार के लिए अलग-अलग रेट तय हुआ।"

"खैर ये अनुप्रिया और चन्द्रभान कि मुलाकात का पहला साल था और पहले साल में ही चन्द्रभान ने खुद को सबसे काबिल साबित कार दिया था। अनुप्रिया चन्द्रभान चन्द्रभान का प्रस्ताव मानकर गुप्त विवाह कर ली। कहानी इनकी आगे बढ़ते रही और कमाल के दिमाग वाले समूह का एक मजबूत हिस्सा था चन्द्रभान।"

"उन्हीं दिनों चन्द्रभान के घर से उसके शादी का दवाब आने लगा। अनुप्रिया और चन्द्रभान अपनी शादी गुप्त रखने के लिए, अनप्रिया ने ही चन्द्रभान को शादी कर लेने के लिए कही और चन्द्रभान से शादी कर ली। इस शादी के बाद तो जैसे उसके स्लो विजन को रातों रात पंख मिल गए हो।"


प्रकाश:- हां पंख क्यों ना लगेंगे, क्योंकि प्रताप ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक प्रताप सिंह ने पूरी एक कंपनी खड़ी करके दी थी, वो भी अपनी पत्नी के कहने पर, उसकी छोटी बहन और जमाई को। कुछ समझे की नहीं विक्रम या साले अब भी अक्ल पर पर्दा परा है। ये दोनो चन्द्रभान के लड़के है। दोनो का दिमाग तो अपने बाप से भी 10 कदम आगे का है रे।


अपस्यु ने आरव के ओर देखा और दोनो पर छड़ी पड़ने शुरू हो गए…. "क्यों इतने एक्साइटेड हो रहे हो, मुझे तुम दोनो में कोई दिलचस्पी नहीं है, छूट जाओगे। अभी रिश्तेदारी निभाने का वक़्त नहीं है रे। बस मुझे कुछ समझना है वो समझा दो। गुरु निशी और उनके शिष्यों को मारना जरूरी था क्या? और क्या तुम्हे पता था कि चन्द्रभान के 2 बेटे है?


विक्रम और प्रकाश एक साथ… नाह ! हमे केवल इतना पता था कि चन्द्रभान का केवल 1 बेटा है और वो चन्द्रभान साल में एक बार जब अपनी पत्नी को भारत लाता था, तो वो उसे गुरू निशी के आश्रम में छोड़कर खुद माहीदीप के साथ वाले आश्रम में रहता था।


अपस्यु:- इस कहानी में भूषण रघुवंशी का रोल क्या था?


विक्रम:- उसे नंदनी के शादी के कारण अपने जान से हाथ धोना पड़ा था। एक लंबे प्लान के हिस्से के तहत चन्द्रभान ने भूषण को अपनी कंपनी में पार्टनरशिप दी थी और उसके दिमाग में मायलो ग्रुप टारगेट हो रहा था। लेकिन वो नेक्स्ट स्टेप प्लान था, क्योंकि एक पूरी रॉयल फैमिली को हटाने के लिए स्ट्रॉन्ग बैकअप और कंप्लीट प्लान की जरूरत पड़ती और हवाले का काम जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा था, हमे पॉलिटिकल और एडमिनिस्ट्रेटिव बैकअप मजबूत होता जा रहा था।


अपस्यु:- अबे कम अक्ल लोग तुम तो चन्द्रभान के बारे में डिटेल कर दिए, सवाल का पहले हिस्सा का जवाब कौन देगा?


प्रकाश:- गुरु निशी और उसके शिष्यों को साफ कर की प्लांनिंग यूएस में मेरे यहां ही हुई थी। हम पॉलिटिकली काफी स्ट्रॉन्ग हो चुके थे, ब्लैक मनी हमारे पास हद से ज्यादा थी, और मायलो ग्रुप पर कब्जे की पूर्ण तैयारी चल रही थी।


अपस्यु:- अबे "सी.ए.बी" कंपनी तो पहले से ही थी ना उसके पास, फिर मायलो ग्रुप।


प्रकाश:- "चन्द्रभान की कंपनी ब्लैक लिस्टेड हो गई थी क्योंकि बिना कोई माल बेचे ये कंपनी प्रोफिट में जा रही थी। खैर ये बहुत छोटा कारण था। दरअसल मायलो ग्रुप काफी दान करती थी, और हमारे अपने ब्लैक को व्हाइट करने का समय आ चुका था। तय ये हुआ कि मायलो ग्रुप के मालिक को साथ मिलाकर 4 साल का सपोर्ट लेंगे। पहले उनकी कंपनी को प्रोफिट करवाएंगे और बाद में उस प्रोफिट को हम दान के रूप लेंगे। वो दान के पैसे बिल्कुल व्हाइट मनी होते जिसे कहीं भी इन्वेस्ट करके उससे पैसे कमाए जाते।"

"कुंवर सिंह राठौड़ इस बात के लिए राजी नहीं हुआ, तब एक खेल रचा गया "टोटल कंट्रोल"। जिसकी प्लांनिंग मेरे घर पर हुई। चन्द्रभान की कंप्लीट प्लांनिंग का नतीजा है ये पुरा एम्पायर। विक्रम के हाथ आयी मायलो ग्रुप का कंट्रोल, और हमारी ब्लैक मनी आसानी से व्हाइट होनी शुरू हो गई।"

"गुरु निशी और उसके शिष्यों को हटाने की जरूरत ना होती, यदि गुरु निशी अरे नहीं होते। हमने उन्हें भी मिलकर काम करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने तो युद्ध छेड़ने की बात कह दी। प्रस्ताव मै और विक्रम लेकर गए थे और गुरु निशी को पता तक नहीं था कि आस्तीन में उन्होंने कितने सांप पाले है। गुरु निशी हमारे खिलाफ जंग करने की तैयारी में थे और कानूनन उन्होंने ट्रस्ट माहीदीप के नाम कर दिया।"

"बुड्ढे की क्षमता को हम नजरंदाज नहीं कर सकते थे, क्योंकि उन्होंने अगर कुछ करने की ठान ली हो, फिर तो उसके रास्ते में भगवान क्यों ना आ जाए, वो उससे भी लड़कर जीत हासिल कर सकता था। इसलिए यहां भी कुंवर सिंह के परिवार की तरह, गुरु निशी और उसके समस्त परिवार को एक साथ साफ कर दिया। पूर्ण योजना थी गुरु निशी के भी केस में। हमे बस मॉनिटर करना था। सोच बहुत साफ थी हमारी, जिसने भी आवाज़ उठाया उसे गायब कर देना। क्योंकि इतने सारे लोग में कौन मरा कौन बचा, कौन हिसाब रखे। जो मिला उसे आग में झोंक दो, और बचे हुए लोग जब हल्ला करे तो उसे गायब कर दो।"

"लगभग 4 सालों तक अनुप्रिया अपने ब्लैक मनी मायलो के प्रोफिट में दिखाती रही। जितना भी रकम प्रोफिट में जाता, उसका 20% हिस्सा मुझे और विक्रम को मिलता, 10% हिस्सा कंपनी ग्रोथ में और 70% हिस्सा उनके ट्रस्ट को दान। 4 सालों में अनुप्रिया की जब खुद की कंप्लीट इंडस्ट्री तैयार हो गई, जहां वो खुद के ब्लैक पैसे को, खुद के ही इंडस्ट्री में प्रोफिट दिखाकर वापस उसे मार्केट में इन्वेस्ट कर सकती थी, तब उसने मायलो से रिश्ता तोड़ लिया। उसने हमे अपने धंधे के लिए स्वतंत्र कर दिया और वो खुद अपने धंधे में व्यस्त हो गई।


आरव:- अबे जब गुरु निशी ने ट्रस्टी माहीदीप को बनाया था, फिर मेघा के नाम मुख्य ट्रस्टी में क्यों रजिस्टर है?


प्रकाश:- लंबी योजना का एक छोटा सा हिस्सा था। जिस लीगल डॉक्यूमेंट पर गुरु निशी ने सिग्नेचर किए वहां मेघा का नाम डाला गया था। पैसे को घूमने की कमाल कि नीति। अनुप्रिया को अपने ब्लैक को जल्द से जल्द व्हाइट बनाना था, इसलिए आधे पैसे मायलो से व्हाइट होकर सीधा अनुप्रिया के ट्रस्ट में दान दिया जाता था। वहीं मेघा यूएस सिटिज़न थी, इसलिए ट्रस्ट को यूएस में लीगल किया गया और वहां के लॉ के हिसाब से हमे यहां आसानी हो गई। यहां तो सीधा ट्रस्ट के अकाउंट में पैसा आता था और गुरु निशी का विदेशी ट्रस्ट अपने देशी ट्रस्ट की स्तिथि मजबूत करने के लिए सीधा दान करती थी।


अपस्यु:- चलो बस एक छोटी सी गुत्थी थी, जो अब सुलझ गई। जल्द ही वो लोग भी यहां होंगे…


प्रकाश:- फूड इंडस्ट्री, शिपिंग इंडस्ट्री, फार्मास्यूटकल्स, होटल चेन, रिटेल मार्केटिंग चेन, फिल्म इंडस्ट्री में अपना प्रोडक्शन हाउस। दिल्ली एनसीआर में 40 एकर में फैला उसका शमशान घाट। हर दिन निम्मी जैसी लड़कि को जहां नोचा जाता हो। खुदाई करवाई वहां की तो ना जाने कितने कंकाल मिलेंगे। असेम्बली के दीगर नेता जहां अपने कपड़े उतारकर हवस मिटाते है, तुम्हारा मुंह बोला बाप जिसके किसी भी नाजायज मांग को ना नहीं कर सकता.. ऐसे लोग को तुम यहां लाओगे। मस्त खवाब है। जैसा कि तुम्हारे बाप ने अनुप्रिया से कहा था, अगले 25 से 30 सालों में वो पुरा पॉवर उसके कदमों में ला देगा, सो उसने कर दिखाया। तुम अगले 50 साल तक कोशिश कर लो, वो इतने मजबूत और संगठित है की अपनी ज़िंदगी जी कर वो मर जाएंगे, लेकिन तुम कभी उसे यहां तक नहीं ला पाओगे।


आरव:- यार काफी इंफॉर्मेशन जब इन लोगो ने हमे दी है, तो बदले में हम भी एक इंफॉर्मेशन दे देते है। विक्रम राठौड़ जिस लोकेश राठौड़ को तुम अपना बेटा मानते हो वो दरअसल माहीदीप अचार्य का बेटा है। शायद अब तुम समझ सकते हो कि क्यों तेरे गावर से परिवार में ये एक दिमाग वाला आ गया, और ऐसा क्या हो गया था जो तेरी पत्नी ने बोलना ही छोड़ दिया। वो इतने गहरे सदमे में थी कि कब ये लोकेश पैदा हो गया उसे होश ही नहीं था।


जबतक आरव यह झटका दे रहा था तब तक अपस्यु, लोकेश को भी खींचकर ले आया। तीनों को कैद में डालने से पहले, उन्हें देखकर हंसते हुए अपस्यु कहने लगा… "बड़बोला कहीं का, कुछ ज्यादा ही तारीफ कर गया हमारे दुश्मनों का।"…


तीनों के कर्म की सजा का वक़्त आ चुका था। खास अंधेरी कोठरी जिसके चारो ओर की दीवार, परत दर परत गद्दे का बना हुआ था, जिसका आखरी सरफेस पर पुआल और रस्सी के बंधे काम दिखते थे, लेकिन था वो भी गद्दा, जिसके ऊपर 2 जाली लगाकर टाईट किया गया था। नीचे फर्श पर रेत। बाल गायब नाखून गायब और साथ ही आत्महत्या कि जितनी भी कोशिश हो सकती थी वो सब गायब कर दिया गया था। लोकेश, प्रकाश और विक्रम के हिस्से की बची जिंदगी, जिसमें मरने कि इजाज़त नहीं थी बस अंधेरे में अकेले जिंदगी बितानी थी।


तीनों जब लिफ्ट के ओर बढ़ रहे थे तब ऐमी…. "बेबी यहां कौन से सवाल के जवाब ढूंढ़ने आए थे?"


इस से पहले को अपस्यु कुछ कहता, आरव कहने लगा…. "भाभी, मेरी मां जनवरी में आश्रम आती थी, उस साल जून में आयी थी। सवाल ये था कि क्या चन्द्रभान रघुवंशी किसी दबाव में आकर, अचानक उस आश्रम को जलाने आया था जहां उसके बीवी और बच्चे थे, या फिर अपने पूरे परिवार को ही खत्म करने की मनसा से वो सबको यहां लेकर आया था?


अपस्यु:- गुस्से में उसे फांसी देने का बहुत अफ़सोस हो रहा है आज मुझे… सामने से चैलेंज करने की इक्छा हो रही। खैर मुझे एक बात और जाननी थी, गुरु निशी के गुरुकुल में चन्द्रभान का बेटा था, यह बात इन लोगों को पता थी या नहीं। कमाल का प्लानर, वो शुरू से हम सब को मारना चाह रहा था, इसलिए उसने मुझे यहां छोड़ा, ताकि जब भी वो अपने फ्यूचर प्लान पर अमल करे, हम भी स्वाहा हो जाएं। चलो चला जाए, 4.45 यहीं हो गए, देर ज्यादा हुई तो नंदनी रघुवंशी हमारा खाल खींच लेगी…


ऐमी:- बेबी एक ट्विस्ट तो मुझे भी नहीं बताया, लोकेश वाकई आचार्य का बेटा है।


अपस्यु:- मुझे क्या पता, वो तो आरव के दिमाग की उपज थी, जो मुझे भी अभी अभी पता चली।


ऐमी:- हीहीहीहीही… देवर जी मस्त तीर मारा है। 4 साल में जिस लोकेश ने 46000 करोड़ बनाए हो, वो तो अनुप्रिया का भी बाप होगा। देखते है ये अनुप्रिया की लंका का विभीषण बनता है या नहीं।


तीनों वापस उस जगह से उड़ चले थे। आखों का विश्वास बता रहा था कि उन्होंने क्या हासिल करके यहां से निकले है। युद्ध की धुनकी तो कल रात से ही शुरू थी। एक आजमाइश हो गई थी, अब बस आखरी पड़ाव बाकी था…
 
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Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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चिड़िया दाना चुग चुकी थी, और अब लोकेश इस पार्टी हॉल से कहीं चला जाय, सवाल ही नही पैदा होता। उल्टा मामला पैसों का था इसलिए लोकेश ने वहां आसपास के सभी 40 वीरदोयी को यहीं पार्टी हॉल में पहुंचने के लिए बोल दिया।


लंबे खेल का आरंभ, अपस्यु के पार्टी हॉल में पहुंचने के साथ ही हो चुका था। अारूब की अगुवाई में टीम ठीक उसी वक़्त लोकेश के बेस के अंदर घुसी, जब अपस्यु पार्टी हॉल में पहुंचा। ऐमी के कमाल का विजन और अारूब की मदद से उसने कंट्रोल रूम को ऐसा भरमाया की वहां मौजूद लोगों को वही सब नजर आ रहा था, जैसा ऐमी उसे दिखाना चाहती थी।


अब बस जरूरत थी तो कंट्रोल रूम पर कबजे की, ताकि वाकी की मैनुअल सूचना प्रणाली भी अपने हाथ में आ जाए। 6 कार जब महल के आसपास धूल उड़ाते निकली थी, तब किसी को अंदाजा भी नहीं था कि वो धूल क्या कमाल कर सकती थी। वो माइक्रो पैक्टिकल्स आरव और ऐमी के कमांड से, कंट्रोल रूम के अंदर पहुंच चुकी थे। धीरे-धीरे एक गुमनाम हवा, वहां काम कर रहे 20 स्टाफ को ऐसे जकड़ ली की वो हिलने की हालत में भी नहीं थे। आरव और ऐमी ने जैसे ही अपना काम खत्म किया उसने तुरंत सभी टीम को एक्शन लेने के लिए बोल दिया।


अारूब ने 20 स्नाइपर और 48 ऑफिसर की टीम को 4 हिस्सों में बांटकर, 5 स्नाइपर और 12 कचरा साफ करने वाले ऑफिसर 4 ठिकाने पर पहुंच चुके थे। इधर दृश्य ने एक्शन कहा और उधर स्नाइपर की टीम ने अपने दो टारगेट को आपस में बांटकर हेड शॉट लेना शुरू किया। मौत कब कहां से आ गई किसी को पता भी नहीं चला। एक ही वक़्त में सभी स्नाइपर ने एक्शन लिया और मात्र 5 सेकंड के अंतर से 2 गोली फायर करते हुए, सभी टारगेट को ढेर कर दिया।


40 जल्लाद जिसे मौत का खेल रचने में काफी उत्सुकता रहती थी, वो ढेर हो चुके थे और कचरा साफ करने वाले ऑफिसर, जो पहले से उनके ठिकाने से थोड़ी दूर पर घात लगाए थे, तुरंत अंदर दाखिल हुए और बिना किसी की नजर में आए सभी लाश को वैन में लोड करके, अारूब को ऑल क्लियर का संदेश भेज दिया।


इधर स्निपर से गोली निकलकर, उन वीरदोयी का भेजा निकालते हुए, उन्हें मौत कि नींद सुला रही थी और इधर कमरे में बैठा पुरा डेविल ग्रुप जोश में आकर हूटिंग करते हुए, वीडियो को दोबारा स्लो मोशन में प्ले करते हुए सभी की मौत को एन्जॉय कर रहे थे।


40 और बचे वीरदोयी के साथ भी वही खेल रचा जाना था, इसलिए टीम लोकेशन फिर से सेट की गई। वहीं प्रक्रिया फिर से दोहराई गई और उन 40 के साथ भी वही हुआ। मात्र 5 सेकंड के फासले में सभी टारगेट समाप्त हो चुके थे और पुरा कचरा साफ हो चुका था।


अारूब की टीम के काम का पहला भाग समाप्त हो चुका था और अगले काम के लिए लंबा वक़्त लिया जाना था, इसलिए उसे काया द्वारा बताए गए एक सुरक्षित ठिकाने पर इंतजार करने के लिए कहा गया। महल के जिस कमरे में सभी लोग थे खासकर आरव, ऐमी, स्वास्तिका, और पार्थ इनकी खुशी तो देखती बनती थी।


ये सभी लोग हल्के नम आशु के साथ दृश्य के सामने खड़े हो गए और अपने जाम लहराते हुए उसके सम्मान में अपना सर झुका लिया। दृश्य, अश्क और निम्मी को समझ में तो नहीं आया की मस्ती करने वाले ये लोग इतने भावुक क्यों थे, लेकिन दृश्य उनकी पिरा को भांपते हुए कहने लगा…. "तुम सब रोते हुए अच्छे नहीं लगते, वैसे भी अभी एक ही पड़ाव खत्म हुआ है, मुख्य लोग तो अभी बाकी है आज शाम का खेल तो अभी पुरा बाकी है।"…


कुंजल सबके बीच खड़ी होकर कहने लगी…. "भईया शादी का अरेंजमेंट आपने काफी बढ़िया किया है… बारातियों का स्वागत तो हो गया, अब जरा फेरे करवाकर दुल्हन को विदा करवा दीजिए, बाकी का रोना हम दुल्हन की विदाई के बाद कर लेंगे।"…


कुंजल की बात सुनकर सब लोग हंसते हुए हूटिंग करने लगे। तभी ऐमी सबको शांत करती हुई कहने लगी….. "पार्टी के अंदर मै और अपस्यु लीड करेंगे। केवल उन्हीं लोगों की लाश गिरेगी जिसकी तस्वीर हमने सबको भेजी है। यदि तस्वीर ना भी याद हो तो बता दूं कि लाश केवल वीरदोयी की गिरेगी, बाकी उनके अलावा किसी को भी मारने का फैसला मेरा और अपस्यु का होगा। दृश्य भईया, ये खासकर मै आपसे कह रही।"

दृश्य:- येस बॉस मै समझ गया।


निम्मी:- और लोकेश राठौड़..


दृश्य:- अपने चाकू तुम केवल 1 के लिए इस्तमाल करोगी और जितना कुरुर हो सकती हो उतनी कुरूर हो जाना। लोकेश केवल और केवल तुम्हारा है निम्मी।


स्वास्तिका:- अब सभी बातें क्लियर हो गई हो तो चले क्या पार्टी में… शादी को जारा शुरू से एन्जॉय किया जाए…


सभी लोग वहां से केवल अपने मोबाइल के साथ बिल्कुल खाली हाथ निकले। ठीक रात के 9 बजकर 15 मिनट पर, पार्टी में उन लोगो ने शिरकत किया। आखों के सामने सजी-सवड़ी इतनी खूबसूरत और हॉट बाला को देखकर, सभी का ध्यान उन्हीं के ओर गया। दिमाग में वो संदेश भी घूमने लगा जिसमे एक वीरदोयी ने लिखा था, "ये लड़का अपने घर की औरतों के साथ आया है, देखकर तबीयत हरी भी होगी और रात के अंधेरे में मज़ा का भरपूर मौका भी मिलेगा।" संदेश में लिखी गई बात लोगों के जहन में थी और नजरे बार-बार उनकी मादक जवानी पर।


अपस्यु बार काउंटर कर बैठा ड्रिंक एन्जॉय कर रहा था और एक-एक करके उसके दोनो ओर से, उसके सभी हमराही बैठ गए। अपस्यु बिल्कुल बीच में और 4 लोग अपस्यु के दाएं और 4 लोग अपस्यु के बाएं। अपस्यु के ठीक दाएं ऐमी और बाएं दृश्य बैठा हुआ था।


"यहां का माहौल इतना शांत और लोग ऐसे क्यों देख रहे है।"… दृश्य ने अपस्यु से पूछा।


अपस्यु, जोड़ से हंसते हुए… "ये सभी व्हाइट और ब्लैक कॉलर वाले लोग, 5000 करोड़ की व्यवस्था में लगे है भईया… ओह भिड़, मै तो परिचय करवाना ही भुल गया.. ये हैं मशहूर, दिलदार रईश.. साहिल प्रताप सिंह। प्रताप इंडस्ट्री के अकेला वारिस और उसके बाजू में है मेरी स्वीट भाभी मिसेज अश्क प्रताप सिंह, मेरे भैया जिसके गुलाम है।"


दृश्य के बारे में जैसे ही सबने सुना एक बार फिर, भिड़ में चर्चा का विषय बना हुआ था। इधर बेटिंग के इक्छुक लोग जिन्हें अपनी जीत सुनिश्चित लग रही थी, सबने कुबेर का धन खजाना, यानी की इंटरनेशनल बैंक के पैसों को लोकेश के अकाउंट में ट्रांसफर कर चुके थे। किस-कीस ने कितने पैसे जमा करवाए है, उसको पन्ने पर लिखा जा रहा था, ताकि अंत में हिसाब के वक़्त कोई समय ना हो। 5000 करोड़ की बेटिंग में जब लोगों को जीत दिखने लगी तो महज 1 घंटे के अंदर सभी के पैसे लोकेश के अकाउंट ने पहुंच चुके थे…


लोकेश जोड़ से चिल्लाते हुए… "भाई हमारे ओर से कुल 10000 करोड़ की बेटिंग है। क्या कहते हो..


अपस्यु अपना जाम पीते हुए…. " कहीं घर के कागजात और बीवी के गहने बेचकर तो पैसा ना इकट्ठा कर लिए ये लोग लोकेश भईया?


लोकेश कुछ बोलता, उससे पहले ही पार्टी में आया एक व्हाइट कॉलर विपक्ष का मजबूत नेता कहने लगा… "अभी तो हमने अपने काले धन का आधा हिस्सा भी नहीं लगाया है। सुनो बेटा तुम्हारे पास जो वो दाएं से वो मुलायम और दूध सी चिकनी कन्या बैठी है, उसे देखकर, उसके साथ कई आशन लेने का मन कर रहा है.. उसके लिए मै 500 करोड़ तक देने को तैयार हूं.. बस यही बैठकर बोल दे भोग आसान लगाने"..


सभी गुस्से में पागल से नजर आ रहे थे, लेकिन अपस्यु अपने दाएं बाएं देखकर केवल इतना ही कहा… "आज शाम की बॉस"…. ऐमी झट से अपने टेबल से उतरी और सबको शांत रहने का इशारा करती हुई अपने कदम बढ़ाती हुई कहने लगी… लेट मी इंट्रोड्यूस माय सेल्फ… ऐमी की कदमों में तेजी आयी… "माय नेम इज ऐमी"..


वहां क्या हुआ ये तब पता चला जब ऐमी "माय नेम इज ऐमी" कहकर खड़ी हुई। उस नेता का कटा गला फर्श पर था और धर फरफराता हुआ नीचे गिर रहा था। वहीं उसके बाजू में उसका एक और साथी था, जो उस नेता का पाला हुआ मुख्य गुंडा था, उसके गले से खून की धार निकल रही थी, और वो गुंडा अपने गले को हाथों से दबोचे, घिरे धीरे नीचे गिरता जा रहा था। फर्श पर चारो ओर खून ही खून फ़ैल रहा था और कई देखने वालों ने तो वहीं उल्टियां कर दी।


चंद ही सेकंड में क्या हो गया उसे देखने के लिए, वहां लगे बड़े-बड़े स्क्रीन पर, स्लो मोशन में वीडियो प्ले हुआ। ऐमी की रफ्तार बढ़ी, तेजी से कदम बढाती उसने ड्रिंक सर्व होती ट्रे से ग्लास उठाई, थोड़े दूर आगे बढ़ी होगी और गलास का आधा हिस्सा टूटकर नीचे। ऐमी बिल्कुल हवा में और उसके पेंसिल हिल, धातु की बनी वो धारदार ब्लेड निकली, जिसे काले रंग के पेंट ने उजागर तो नही होने दिया, लेकिन हवा की रफ्तार से जब उसने अपने पाऊं चलाए तो वो नेता का गला नीचे फर्श पर था और ठीक आधे फिट की दूरी पर को गुंडा था, जिसने कान में उस नेता से कुछ कहा था। उसके गले में वो टूटा कांच का ग्लास घुसकर गला चीरते हुए बाहर निकाल चुका था।


स्क्रीन पर चले एक्शन रिप्ले देखते सबकी आखें बड़ी हो गई और अपस्यु ताली बजाता खड़ा हुआ…. "स्वीटी क्या मूव थी, अवसोम बेबी।".. इधर अश्क पागलों की तरह सिटी बजाकर रोल करती हुई कहने लगी…. "ऐमी तुम्हारे सामने तो मुझे सब हिजड़ों की ही जमात नजर आ रही। क्या मूव दिखाया है दिल खुश हो गया।"… अपस्यु के ओर से लोगों ने इतनी सीटियां बजाई की सबके कान के पर्दे उड़ गए।


पूरी भिड़ सकते में आ चुकी थी। वीरदोयी जल्लाद लोकेश के पास एक्शन की मांग के लिए पहुंचे, वहीं लोकेश अपने सभी जल्लादों को समझाकर भिड़ को शांत करके एक किनारे ले जाने के लिए कहा। भन्नया विक्रम राठौड़ गुस्से में पागल होकर कहने लगा… "उसने महज 4 शब्द बोले थे उसने अपस्यु, और तुमलोग ने यह गलत कदम उठा लिया। मै अपने लोगों को रोक रखा हूं, वरना तुम सब की लाश गिरने में 2 मिनट नहीं लगेंगे।"


ऐमी:- हट बड़बोला कहीं का। मिस्टर विक्रम राठौड़ तुम्हे हमारी लाश गिरानी है ना और सिर्फ 2 मिनट लगेंगे, तो देर किस बात की रण सज चुका है, 10000 करोड़ की बोली लग चुकी है.. शुरू कर दो लाशों का खेल। यदि तुमने 2 मिनट में अपस्यु की लाश गिरवा दी ना, तो नंदनी रघुवंशी के बाकी बच्चे पुरा मायलो ग्रुप तुम्हारे नाम कर देंगे और 10000 करोड़ अभी हम दाव पर लगाते है। वैसे तुम भिकारि, विक्रम, तुम्हारे पास तो कोई कंपनी होगी नहीं, तो यदि तुम शर्त हार जाना तो बस मेरी ननद कुंजल के सैंडल को अपने जीभ से चाट कर साफ कर देना। औकाद है तो चैलेंज एक्सेप्ट करो, वरना मैंने तो लाश गिरा दी, अब चाहो तो तुम चूड़ियां पहन कर गीदड़ धमकी देते रहो।


एक शेरनी की दहाड़ सबने सुनी, ललकार सुनकर तो शांत रहने वाला लोकेश भी पूरे तैश में आ गया। ऊपर से उसकी नजर के सामने जिसने (अपस्यु) कम से कम 15 ड्रिंक पिया हो, वो नशेड़ी भला कैसे लड़ सकता था। 1000 करोड़ कैश पहुंच चुके थे। एक ओर लोकेश के बचे 9000 करोड़ और दूसरी तरफ अपस्यु के ओर से 500 करोड़ मेघा और बचे पैसे दृश्य लगा रहा था।


स्विस के नए एकाउंट में 19000 करोड़ जमा हो चुके थे, जिसका आईडी पासवर्ड दृश्य और लोकेश के पास था। दोनो एक जगह आराम से बैठ चुके थे और बीच मे टेबल परे एक लैपटॉप को एक हाई सिक्योरिटी सेफ बॉक्स में बंद करके रखा गया था, जो 19000 करोड़ की चाभी थी। बिना उस लैपटॉप के दूसरे डिवाइस की पहली लॉगिन स्वीकृत नहीं थी।


एक ओर 20 गुना क्षमता वाला वीरदोयी का सबसे तेज लड़का और दूसरी ओर अपस्यु जो किसी भी इंसान के मुकाबले 20 गुना ज्यादा नरक की आग में जला था, और सामने अपने दिल की आग को ठंडा करने का एक मौका।


लड़ाई आमने-सामने की थी और डेविल ग्रुप रण की ओर देख रही थी। अपस्यु के दिल में अग्नि आवाहन था, युद्ध के बिगुल बज चुके थे और प्रतिशोध की जलती ज्वाला, आज जिन-जिन को मौत की सजा दे चुकी थी, उसपर कोई रहम नहीं होना था।
Super fantastic update bhai ????
Sachhai aur andhera ki yudh ka sankhnad hochaka hai dekhte hain ki koun bhari padta hai
 

nain11ster

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Aaj sare back comment cover kar diye .. hafte bhar ka pending waiting bhi khatm kar dala .. aur thanks Black water bro ka jo aaj mere virha ke posting me akela sathi bane rahe..

Baki sabhi aalsiyon .. 19 update post kiya hun .. lihaj rakh lena kuch dhang ke comment na 19 to 4-5 to maar kar hi chale jana :D .. ab mai chala .. milta hun baad me
 

Indrajeet

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आरव अपने सर का बाल नोचते, 4-5 छड़ी घुमा दिया… "चुटिया हम तुम्हारा भूतो और वर्तमान तो जानते ही है, ज्यादा बकवास की ना तो भविष्य भी यहीं लिख देंगे।


ऐमी:- देवरजी, मै भी यहीं हूं, थोड़ा लहजा रखिए।


आरव:- सॉरी भाभी।


अपस्यु:- एक मिनिट थोड़ा शांत हो जाओ, और प्रकाश सर को बोलने दो। इतिहास के कुछ पन्ने शायद अछूते है, उन्हें जानने का मौका मिला है। प्रकाश सर आपके यूएस की कहानी पता है। पहले चिंदिगीरी करके भक्त बनाए, फिर एक गरीब पॉलिटीशियन की बेटी से शादी किए और बाद में उसके कुछ समाज सेवा और अपनी कुछ चिंदिगिरी से यूएस सीनेटर तक का सफर तय किया। ऑटोबायोग्राफी लिखने के लिए बहुत समय है अभी। इंट्रेस्टिंग पार्ट तो यह है कि तुमलोग से वो नकारा चन्द्रभान कैसे टकरा गया।


विक्रम:- "इसे यहां के बारे में कुछ पता हो तो ना। मै बताता हूं राजस्थान की कहानी। तब कुंवर सिंह और चन्द्रभान के पिता के बीच मूंछ की लड़ाई थी, हालांकि रघुवंशी परिवार की कोई आैकाद ही नहीं थी कुंवर के आगे, लेकिन समाज में जहां कहीं भी दोनो आमने-सामने होते, बस एक दूसरे पर तंज कसा करते थे। हालांकि मेरे चाचा कुंवर सिंह, चन्द्रभान और मेरे पिता को जोकर से ज्यादा कुछ नहीं समझते थे, इसलिए केवल अपने मनोरंजन के लिए उनकी बात सुना करते थे।"

"हम एक ही परिवार के थे लेकिन हमारी स्थिति भी रघुवंशी से ज्यादा अच्छी नहीं थी। कुंवर सिंह से मै भी खुन्नस खाए घूम रहा था और चन्द्रभान भी। बस ऐसे ही एक सामाजिक कार्यक्रम में हम दोनों की मुलाकात हुई, मकसद एक जैसे थे इसलिए जल्द ही हम में घनिष्ठता भी हो गई।"

"अभी तुमने अनुप्रिया और उसके 3 साथियों के बारे में सुने, कोई दो राय नहीं की ये चारो मिलकर आज पूरे देश की सरकार को ही चला रहे है, लेकिन चन्द्रभान रघुवंशी इन सब का भी बाप था। उसके दिमाग में अगले 20 साल तक का प्रोजेक्शन चलता था। उसी ने पहले मुझे सैटल किया। उसी के कहने पर मै कुंवर सिंह के करीब पहुंचा और भीख में अपनी संपत्ति बनाई थी।"

"वहीं चन्द्रभान अब भी बड़े मौके की तलाश में था और वो मौक अनुप्रिया बनकर आयी थी। अनुप्रिया प्रचार के सिलसिले में जयपुर पहुंची, वहीं पहली बार अनुप्रिया और चन्द्रभान कि मुलाकात हुई। मै भी था उस वक़्त चन्द्रभान के साथ। पहली मुलाकात में ही उसने अनुप्रिया से सामने से कहा था…. "तुम मेरी पत्नी बन जाओ, मै तुम्हारे हर सपने को साकार कर दूंगा।"

"अनुप्रिया अचंभित, उसके सेवक आक्रोशित लेकिन चन्द्रभान वहां अडिग खड़ा रहा। लंबी बहस के बाद अनुप्रिया ने कुछ सोचकर उसे बोलने का मौका दिया। फिर चन्द्रभान ने अपनी भविष्य नीति को बताया कि उसके और अनुप्रिया के मिलने से अगले 5 साल में वो कहां होगा, 10 साल में कहां पहुंचेगा और आने वाले 20 साल में वो कहां होंगे।"

"अनुप्रिया उससे इंप्रेस तो हुई, लेकिन उसने चन्द्रभान से खुद को साबित करने के लिए कही। चन्द्रभान ने अनुप्रिया का अपॉइंटमेंट राजस्थान के सीएम से लीया। उस मीटिंग में चन्द्रभान ने सीधे उस सीएम से कहा था कि वो उसके ट्रस्ट में इन्वेस्ट करे, कुछ ही दिनों में वो उसके ब्लैक को व्हाइट में बदल देगा।"

"सीएम ने साफ मना कर दिया और दोनो को निकाल दिया। सीएम तो हाथ नहीं लगा, लेकिन छोटे-छोटे पॉलिटीशियन जो अपना माल सीएम और पार्टी अध्यक्ष से छिपाकर जमा करते थे, उसके काम मिलने शुरू हो गए। साथ ही साथ उन लोगों ने पॉलिटिकल पार्टी के प्रचार का भी जिम्मा उठाया और अलग-अलग तरह के प्रचार के लिए अलग-अलग रेट तय हुआ।"

"खैर ये अनुप्रिया और चन्द्रभान कि मुलाकात का पहला साल था और पहले साल में ही चन्द्रभान ने खुद को सबसे काबिल साबित कार दिया था। अनुप्रिया चन्द्रभान चन्द्रभान का प्रस्ताव मानकर गुप्त विवाह कर ली। कहानी इनकी आगे बढ़ते रही और कमाल के दिमाग वाले समूह का एक मजबूत हिस्सा था चन्द्रभान।"

"उन्हीं दिनों चन्द्रभान के घर से उसके शादी का दवाब आने लगा। अनुप्रिया और चन्द्रभान अपनी शादी गुप्त रखने के लिए, अनप्रिया ने ही चन्द्रभान को शादी कर लेने के लिए कही और चन्द्रभान से शादी कर ली। इस शादी के बाद तो जैसे उसके स्लो विजन को रातों रात पंख मिल गए हो।"


प्रकाश:- हां पंख क्यों ना लगेंगे, क्योंकि प्रताप ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक प्रताप सिंह ने पूरी एक कंपनी खड़ी करके दी थी, वो भी अपनी पत्नी के कहने पर, उसकी छोटी बहन और जमाई को। कुछ समझे की नहीं विक्रम या साले अब भी अक्ल पर पर्दा परा है। ये दोनो चन्द्रभान के लड़के है। दोनो का दिमाग तो अपने बाप से भी 10 कदम आगे का है रे।


अपस्यु ने आरव के ओर देखा और दोनो पर छड़ी पड़ने शुरू हो गए…. "क्यों इतने एक्साइटेड हो रहे हो, मुझे तुम दोनो में कोई दिलचस्पी नहीं है, छूट जाओगे। अभी रिश्तेदारी निभाने का वक़्त नहीं है रे। बस मुझे कुछ समझना है वो समझा दो। गुरु निशी और उनके शिष्यों को मारना जरूरी था क्या? और क्या तुम्हे पता था कि चन्द्रभान के 2 बेटे है?


विक्रम और प्रकाश एक साथ… नाह ! हमे केवल इतना पता था कि चन्द्रभान का केवल 1 बेटा है और वो चन्द्रभान साल में एक बार जब अपनी पत्नी को भारत लाता था, तो वो उसे गुरू निशी के आश्रम में छोड़कर खुद माहीदीप के साथ वाले आश्रम में रहता था।


अपस्यु:- इस कहानी में भूषण रघुवंशी का रोल क्या था?


विक्रम:- उसे नंदनी के शादी के कारण अपने जान से हाथ धोना पड़ा था। एक लंबे प्लान के हिस्से के तहत चन्द्रभान ने भूषण को अपनी कंपनी में पार्टनरशिप दी थी और उसके दिमाग में मायलो ग्रुप टारगेट हो रहा था। लेकिन वो नेक्स्ट स्टेप प्लान था, क्योंकि एक पूरी रॉयल फैमिली को हटाने के लिए स्ट्रॉन्ग बैकअप और कंप्लीट प्लान की जरूरत पड़ती और हवाले का काम जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा था, हमे पॉलिटिकल और एडमिनिस्ट्रेटिव बैकअप मजबूत होता जा रहा था।


अपस्यु:- अबे कम अक्ल लोग तुम तो चन्द्रभान के बारे में डिटेल कर दिए, सवाल का पहले हिस्सा का जवाब कौन देगा?


प्रकाश:- गुरु निशी और उसके शिष्यों को साफ कर की प्लांनिंग यूएस में मेरे यहां ही हुई थी। हम पॉलिटिकली काफी स्ट्रॉन्ग हो चुके थे, ब्लैक मनी हमारे पास हद से ज्यादा थी, और मायलो ग्रुप पर कब्जे की पूर्ण तैयारी चल रही थी।


अपस्यु:- अबे "सी.ए.बी" कंपनी तो पहले से ही थी ना उसके पास, फिर मायलो ग्रुप।


प्रकाश:- "चन्द्रभान की कंपनी ब्लैक लिस्टेड हो गई थी क्योंकि बिना कोई माल बेचे ये कंपनी प्रोफिट में जा रही थी। खैर ये बहुत छोटा कारण था। दरअसल मायलो ग्रुप काफी दान करती थी, और हमारे अपने ब्लैक को व्हाइट करने का समय आ चुका था। तय ये हुआ कि मायलो ग्रुप के मालिक को साथ मिलाकर 4 साल का सपोर्ट लेंगे। पहले उनकी कंपनी को प्रोफिट करवाएंगे और बाद में उस प्रोफिट को हम दान के रूप लेंगे। वो दान के पैसे बिल्कुल व्हाइट मनी होते जिसे कहीं भी इन्वेस्ट करके उससे पैसे कमाए जाते।"

"कुंवर सिंह राठौड़ इस बात के लिए राजी नहीं हुआ, तब एक खेल रचा गया "टोटल कंट्रोल"। जिसकी प्लांनिंग मेरे घर पर हुई। चन्द्रभान की कंप्लीट प्लांनिंग का नतीजा है ये पुरा एम्पायर। विक्रम के हाथ आयी मायलो ग्रुप का कंट्रोल, और हमारी ब्लैक मनी आसानी से व्हाइट होनी शुरू हो गई।"

"गुरु निशी और उसके शिष्यों को हटाने की जरूरत ना होती, यदि गुरु निशी अरे नहीं होते। हमने उन्हें भी मिलकर काम करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने तो युद्ध छेड़ने की बात कह दी। प्रस्ताव मै और विक्रम लेकर गए थे और गुरु निशी को पता तक नहीं था कि आस्तीन में उन्होंने कितने सांप पाले है। गुरु निशी हमारे खिलाफ जंग करने की तैयारी में थे और कानूनन उन्होंने ट्रस्ट माहीदीप के नाम कर दिया।"

"बुड्ढे की क्षमता को हम नजरंदाज नहीं कर सकते थे, क्योंकि उन्होंने अगर कुछ करने की ठान ली हो, फिर तो उसके रास्ते में भगवान क्यों ना आ जाए, वो उससे भी लड़कर जीत हासिल कर सकता था। इसलिए यहां भी कुंवर सिंह के परिवार की तरह, गुरु निशी और उसके समस्त परिवार को एक साथ साफ कर दिया। पूर्ण योजना थी गुरु निशी के भी केस में। हमे बस मॉनिटर करना था। सोच बहुत साफ थी हमारी, जिसने भी आवाज़ उठाया उसे गायब कर देना। क्योंकि इतने सारे लोग में कौन मरा कौन बचा, कौन हिसाब रखे। जो मिला उसे आग में झोंक दो, और बचे हुए लोग जब हल्ला करे तो उसे गायब कर दो।"

"लगभग 4 सालों तक अनुप्रिया अपने ब्लैक मनी मायलो के प्रोफिट में दिखाती रही। जितना भी रकम प्रोफिट में जाता, उसका 20% हिस्सा मुझे और विक्रम को मिलता, 10% हिस्सा कंपनी ग्रोथ में और 70% हिस्सा उनके ट्रस्ट को दान। 4 सालों में अनुप्रिया की जब खुद की कंप्लीट इंडस्ट्री तैयार हो गई, जहां वो खुद के ब्लैक पैसे को, खुद के ही इंडस्ट्री में प्रोफिट दिखाकर वापस उसे मार्केट में इन्वेस्ट कर सकती थी, तब उसने मायलो से रिश्ता तोड़ लिया। उसने हमे अपने धंधे के लिए स्वतंत्र कर दिया और वो खुद अपने धंधे में व्यस्त हो गई।


आरव:- अबे जब गुरु निशी ने ट्रस्टी माहीदीप को बनाया था, फिर मेघा के नाम मुख्य ट्रस्टी में क्यों रजिस्टर है?


प्रकाश:- लंबी योजना का एक छोटा सा हिस्सा था। जिस लीगल डॉक्यूमेंट पर गुरु निशी ने सिग्नेचर किए वहां मेघा का नाम डाला गया था। पैसे को घूमने की कमाल कि नीति। अनुप्रिया को अपने ब्लैक को जल्द से जल्द व्हाइट बनाना था, इसलिए आधे पैसे मायलो से व्हाइट होकर सीधा अनुप्रिया के ट्रस्ट में दान दिया जाता था। वहीं मेघा यूएस सिटिज़न थी, इसलिए ट्रस्ट को यूएस में लीगल किया गया और वहां के लॉ के हिसाब से हमे यहां आसानी हो गई। यहां तो सीधा ट्रस्ट के अकाउंट में पैसा आता था और गुरु निशी का विदेशी ट्रस्ट अपने देशी ट्रस्ट की स्तिथि मजबूत करने के लिए सीधा दान करती थी।


अपस्यु:- चलो बस एक छोटी सी गुत्थी थी, जो अब सुलझ गई। जल्द ही वो लोग भी यहां होंगे…


प्रकाश:- फूड इंडस्ट्री, शिपिंग इंडस्ट्री, फार्मास्यूटकल्स, होटल चेन, रिटेल मार्केटिंग चेन, फिल्म इंडस्ट्री में अपना प्रोडक्शन हाउस। दिल्ली एनसीआर में 40 एकर में फैला उसका शमशान घाट। हर दिन निम्मी जैसी लड़कि को जहां नोचा जाता हो। खुदाई करवाई वहां की तो ना जाने कितने कंकाल मिलेंगे। असेम्बली के दीगर नेता जहां अपने कपड़े उतारकर हवस मिटाते है, तुम्हारा मुंह बोला बाप जिसके किसी भी नाजायज मांग को ना नहीं कर सकता.. ऐसे लोग को तुम यहां लाओगे। मस्त खवाब है। जैसा कि तुम्हारे बाप ने अनुप्रिया से कहा था, अगले 25 से 30 सालों में वो पुरा पॉवर उसके कदमों में ला देगा, सो उसने कर दिखाया। तुम अगले 50 साल तक कोशिश कर लो, वो इतने मजबूत और संगठित है की अपनी ज़िंदगी जी कर वो मर जाएंगे, लेकिन तुम कभी उसे यहां तक नहीं ला पाओगे।


आरव:- यार काफी इंफॉर्मेशन जब इन लोगो ने हमे दी है, तो बदले में हम भी एक इंफॉर्मेशन दे देते है। विक्रम राठौड़ जिस लोकेश राठौड़ को तुम अपना बेटा मानते हो वो दरअसल माहीदीप अचार्य का बेटा है। शायद अब तुम समझ सकते हो कि क्यों तेरे गावर से परिवार में ये एक दिमाग वाला आ गया, और ऐसा क्या हो गया था जो तेरी पत्नी ने बोलना ही छोड़ दिया। वो इतने गहरे सदमे में थी कि कब ये लोकेश पैदा हो गया उसे होश ही नहीं था।


जबतक आरव यह झटका दे रहा था तब तक अपस्यु, लोकेश को भी खींचकर ले आया। तीनों को कैद में डालने से पहले, उन्हें देखकर हंसते हुए अपस्यु कहने लगा… "बड़बोला कहीं का, कुछ ज्यादा ही तारीफ कर गया हमारे दुश्मनों का।"…


तीनों के कर्म की सजा का वक़्त आ चुका था। खास अंधेरी कोठरी जिसके चारो ओर की दीवार, परत दर परत गद्दे का बना हुआ था, जिसका आखरी सरफेस पर पुआल और रस्सी के बंधे काम दिखते थे, लेकिन था वो भी गद्दा, जिसके ऊपर 2 जाली लगाकर टाईट किया गया था। नीचे फर्श पर रेत। बाल गायब नाखून गायब और साथ ही आत्महत्या कि जितनी भी कोशिश हो सकती थी वो सब गायब कर दिया गया था। लोकेश, प्रकाश और विक्रम के हिस्से की बची जिंदगी, जिसमें मरने कि इजाज़त नहीं थी बस अंधेरे में अकेले जिंदगी बितानी थी।


तीनों जब लिफ्ट के ओर बढ़ रहे थे तब ऐमी…. "बेबी यहां कौन से सवाल के जवाब ढूंढ़ने आए थे?"


इस से पहले को अपस्यु कुछ कहता, आरव कहने लगा…. "भाभी, मेरी मां जनवरी में आश्रम आती थी, उस साल जून में आयी थी। सवाल ये था कि क्या चन्द्रभान रघुवंशी किसी दबाव में आकर, अचानक उस आश्रम को जलाने आया था जहां उसके बीवी और बच्चे थे, या फिर अपने पूरे परिवार को ही खत्म करने की मनसा से वो सबको यहां लेकर आया था?


अपस्यु:- गुस्से में उसे फांसी देने का बहुत अफ़सोस हो रहा है आज मुझे… सामने से चैलेंज करने की इक्छा हो रही। खैर मुझे एक बात और जाननी थी, गुरु निशी के गुरुकुल में चन्द्रभान का बेटा था, यह बात इन लोगों को पता थी या नहीं। कमाल का प्लानर, वो शुरू से हम सब को मारना चाह रहा था, इसलिए उसने मुझे यहां छोड़ा, ताकि जब भी वो अपने फ्यूचर प्लान पर अमल करे, हम भी स्वाहा हो जाएं। चलो चला जाए, 4.45 यहीं हो गए, देर ज्यादा हुई तो नंदनी रघुवंशी हमारा खाल खींच लेगी…


ऐमी:- बेबी एक ट्विस्ट तो मुझे भी नहीं बताया, लोकेश वाकई आचार्य का बेटा है।


अपस्यु:- मुझे क्या पता, वो तो आरव के दिमाग की उपज थी, जो मुझे भी अभी अभी पता चली।


ऐमी:- हीहीहीहीही… देवर जी मस्त तीर मारा है। 4 साल में जिस लोकेश ने 46000 करोड़ बनाए हो, वो तो अनुप्रिया का भी बाप होगा। देखते है ये अनुप्रिया की लंका का विभीषण बनता है या नहीं।


तीनों वापस उस जगह से उड़ चले थे। आखों का विश्वास बता रहा था कि उन्होंने क्या हासिल करके यहां से निकले है। युद्ध की धुनकी तो कल रात से ही शुरू थी। एक आजमाइश हो गई थी, अब बस आखरी पड़ाव बाकी था…
Iski maa ka bharosa .......sala ye chandrabhan to bahut bada harami tha ....aur sasura mai ye samjh raha tha ki aaj story wrap up ho jayegi abhi to ek yudh baki h .....ab dekhte h aage kya dekhne ko milta h
 

Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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एक एक्सपेरिमेंटल बच्चा, 200 गुना ज्यादा क्षमता वाला दृश्य, आम मनुष्य की क्षमता वाले अपने भाई पर भरोसा जताए, एक छुब्द मानसिकता वाले धरती के बोझ लोकेश पर पुरा नजर डाले था। अपस्यु के अजीज साथी केवल इस इंतजार में थे कि बस ये पैसे लोकेश से दूर हो जाए, फिर एक तबाही का मंजर शुरू होगा जिसका आमंत्रण खुद लोकेश देगा और उस आने वाले वक़्त की पूरी तैयारी में पहले से कमर कस चुके थे स्वास्तिका, पार्थ और आरव।


ऐमी की ललकार उन 160 साथियों की ललकार थी, जिन्हें खोने के दर्द ने इन्हे कुछ भी कर गुजरने के काबिल बना दिया था। इन्हे ना तो उस एक वीरदोयी का डर था, जो अकेले अपनी क्षमता के दम पर पूरे डेविल ग्रुप को समाप्त कर सकता था और ना ही उनके पूरे भिड़ का कोई खौफ। सबके बीच खड़ी होकर ऐमी ने बेकौफ होकर युद्ध का बिगुल बजाया और मुस्कुराते हुए अपने सभी साथियों को देख रही थी।


बीच का एक बहुत बड़ा जगह लड़ाई के लिए खाली करवाई गई। अपने हुनर और ताकत के घमंड की ललकार वीरदोयी ने भी लगाया। अट्टहास सी हंसी के बीच बड़े ताव से कहा गया, चुन ले वो अपने हथियार और कर ले कोई भी वार, लेकिन जान देने को रहे तैयार।


अपस्यु ने जाम को अपने दोस्तों के सामने लहराया, उनके सामने सर झुकाया, मानो कह रहा हो बिल्कुल अंतिम पड़ाव अब आ गया है, पहले मै रण में जाता हूं फिर तुम सब मेरे पीछे आओ। अपने भाई के गले लगा और कानो में बड़े धीमे से कहा, ऐमी और आरव को छोड़कर यहां की बची जिंदगियां की हिफाज़त उसके जिम्मे। और सबसे आखरी में वो निम्मी से हाथ मिलता चला।


अपस्यु बिल्कुल मध्य में खड़ा हुआ, मुसकुराते हुए सबको एक बार देखा और हाथों के इशारे से उसने वीरदोयी को भेजने कहा। दुश्मन को बुलाकर अपस्यु खुद अपनी आखें मूंदे बस मेहसूस कर रहा था। लोगों के दिए हौसले के बीच वो वीरदोयी लड़ाका उतरा मैदान में, अपने हाथ में स्टील की छोटी सी मजबूत कुल्हाड़ी लिए। चलाने में आसान और आस्तीन में नीचे बड़े आराम से जिन्हे छिपाया जा सकता था।


चाइनीज और कोरियन गैंग द्वारा इस्तमाल किया जाने वाला ये एक फिट की छोटी सी कुल्हाड़ी, इस्तमाल करने का कॉन्सेप्ट शायद वहीं से प्रेरित था। हवा की तेजी से दौड़ते वो वीरदोयी लड़ाका अपस्यु के सर पर निशाना लगाया, और अपस्यु बस खुद में खोया सा, मुस्कुराते हुए हवा की गति में परिवर्तन के हिसाब से अपने अपने बदन और सर को ऐसे लहरा रहा था मानो बस खोकर वो हवा को पढ़ते हुए उसके अनुसार अपनी प्रतिक्रिया दे रहा हो।


अपस्यु मदहोश होकर जैसे ही हवा में सर को लहराया, वो वीरदोयी अपना निशाना चुककर, अपनी गति से उसके आगे बढ़ चला। निम्मी सें उधार मांगी गई वो छोटी सी चाकू जो अपस्यु के मुट्ठी में बंद थी, वीरदोयी के पीछे गले में घुसकर निकल गई और लड़खड़ाते हुए वो आगे फर्श पर बिछ कर, अपनी श्वांस तेज-तेज ले रहा था।


प्राण किसी कि मुक्ति मांग रही थी। मौजूद लोगों की आखों में अब तक ऐमी के कुरुरता के मंजर छापे थे, और अब अपस्यु एक बार और उनके रौंगटे खड़े करने बढ़ रहा था। फर्श पर बिछे उस वीरदोयी को मौत के आखरी दर्शन करवाने अपस्यु ने कदम जैसे ही बढ़ाया, एक बार और हवा की गति में उसने परिवर्तन को पाया।


ताकत की मद में जिसे मारने का सोचकर एक ही वक़्त में 2 वीरदोयी दाएं और बाएं से आगे बढ़े, उन्हें तनिक भी अंदाज़ा ना था अपस्यु के रिफ्लेक्स और रिएक्शन का। दोनो वीरदोयी तो अपनी पूरी क्षमता से दाएं और बाएं से, हवा में उछलकर हमला कर गए, लेकिन अपस्यु अपने पाऊं जमीन में फैलाकर, ठीक होते हमले के बीच बैठा और हवा में हुए इस हमले से वीरदोयी ने एक दूसरे को ही गंभीर रूप से घायल कर चुका था।


एक का कांधा गया था, तो दूसरे की पसली गई थी। वीरदोयी नीचे जब घायल अवस्था में गिर रहा था, तब नीचे मौत इंतजार कर रही थी। जमीन में परी थी उन्हीं के एक साथी की कुल्हाड़ी और हाथ में थी एक छोटी सी चाकू प्यारी। आज मौत से ना बच पाए अपस्यु ने वो तांडव दिखाया, गिरते एक वीरदोयी के गले में चाकू उतारा तो दूसरे वीरदोयी के सर पर ही एक जोरदार कुल्हाड़ी का वार कर दिया।


एक वीरदोयी प्रतिद्वंदी जिसे हराने कि बात थी, वो अब भी नीचे परा था और उसके जीवित होने से खेल अब भी जिंदा था। दोस्तों की हूटिंग चल रही थी लगातार और लोकेश के सर पर एसी में भी पसीना आए बार-बार। कहां लोकेश आज तक वो दूसरों को उकसाकर सारा माल अंदर बटोर लिया करता था, लेकिन आज खुद ही द्वेष और गुस्सा का शिकार हो चुका था।


बेखौफ मुसकुराते हुए अब जब अपस्यु आगे बढ़ा, दुश्मनों के कलेजे में कंपन हो गए। ताकत के नशे में जो इंसान और इंसानों की इंसानियत को रौंदा करते थे आज कांपते बस उनके मुख से इतना ही निकल रहा था,.. "क्या इसमें थोड़ी भी दया, करुणा और इंसानियत नहीं बची, जो इतनी बेरहमी में सबको मारता जा रहा।"


और फिर अंत में अपस्यु के कदम जैसे ही उस खिलाड़ी के पास ठहरे, जिसे मारकर बाजी खत्म करनी थी, तभी एक जोर की चींख लोकेश की निकली… "इस लड़के को खत्म कर डालो।"… शायद मायलो ग्रुप का लालच अब भी दिल से ना जा पाया, इसलिए तो लोकेश ये ना कह पाया कि मार डालो इन सब को।


हाय री किस्मत, नायकों के समूह के बीच बैठकर ये क्या गलती कर डाला, खुद ही लोकेश ने लड़ाई का आमंत्रण दे डाला। एक साथ सभी वीरदोयी ने तेज दौर लगाया था, पर मूर्खों को कहां पता था उन्हें तो अपस्यु ने आजमाया था। खेल अब आमने-सामने की थी और सबको एक साथ टूटते देख अब पूरे नायकों के समूह ने दौड़ लगाया था।


जो नहीं जा पाए थे उनमें बची थी, अश्क, निम्मी और कुंजल। लोकेश मामला हाथ से निकलता देख चुपचाप वो कुबेर के खजाने वाला लैपटॉप को हथियाया, लेकिन मेकअप के पीछे कौन उसके पास आकर बैठ चुकी थी वो भांप ना पाया। नतीजा लैपटॉप के ओर जैसे ही अपना हाथ था बढ़ाया, एक प्यारा सा खंजर उसने भेंट स्वरूप पाया।


लोकेश की हथेली के आर-पार जाता वो खंजर, निम्मी ने टेबल में ऐसा घुसाया की दर्द में लोकेश कररह गया था। विक्रम राठौड़ अपने बेटे पर ये हमला सह नहीं पाया और तिलमिला कर वो निम्मी की तरफ आया लेकिन ठीक उसी वक़्त अश्क ने अपना पाऊं उसके पाऊं में फसाकर उसे जमीन की याद दिलाई…. "क्यों बूढ़उ जी, अभी तो बेटा जिंदा है ना, ज्यादा उछलकूद किया तो वो यहीं दम तोड़ जाएगा। चलो जो पहले शर्त लगाया है वो सजा पाओ और चुपचाप जाकर अपनी जगह पर बैठ जाओ। वरना आप की ये बुढ़ी हड्डी टूटना झेल ना पाएगी और आप की जिंदगी अपंग की तरह बिस्तर पर गुजर जाएगी।"


विक्रम राठौड़ जबतक कुछ सोच ने डूबा रहा, निम्मी अपने मेकअप को हटाकर ठीक लोकेश के सामने आयी। उसे देख लोकेश को पूरा मामला ही समझ में आया। जिसे मरा समझ वो फेक आया था, उसके बदले की आग ने उसे जिलाया था और किसी भूत की तरह वो लोकेश के सामने आयी थी।


इससे पहले कि लोकेश कुछ कह पता, निम्मी का दूसरा खंजर भी इंसाफ मांगती दूसरे हथेली के आर पार थी और वो भी जाकर टेबल में घुसी थी। सिसक सा गया था लोकेश, दर्द जो बर्दाश्त के बाहर सा होता जा रहा था। विक्रम अपने बेटे का हाल देखकर घबराया और जमीन पर रेंगते हुए वो निम्मी के पाऊं में आया।


निम्मी की तेज हंसी जब गूंजी थी, विक्रम का दिल घबराया सा था, और बेटे की जान के बदले निम्मी ने हार की शर्त याद दिलाया था। जान बचाने के लिए विक्रम राठौड़ बिलबिलाए, सीधा जाकर कुंजल के पाऊं में आया। उसके सैंडल को कुत्ते की तरह चाटा फिर पुरा साफकर, अपने हाथ जोड़े वो दुर्गा और काली के समान रौद्र रूप दिखा रही देवियों से भीख मांगता खड़ा हो गया।


निम्मी मुस्कुराई और दर्द से लोकेश को छुटकारा देती उसके दोनो हाथ में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाई। दर्द तो चला गया लेकिन ऐसा लगा जैसे शरीर से वो अंग भी जा चुका था। कुंजल अट्टहास भरती कहने लगी…. "अभी हिसाब बाकी है, अभी और इंतकाम बाकी है। जिसकी हिम्मत पर तुम उछालते हो अभी तो उसका अंजाम देखना बाकी है।"..


कुंजल ने सामने की ओर ध्यान था दिलाया जहां अब नायकों के समूह ने कहर था बरसाया। साहिल अपने रौद्र रूप में जब आया, सारे मेकअप उतारने के बाद सारे वीरदोयी को उसमे काल नजर आ चुका था। सबके जहन में सिर्फ इतना आया था कि एक ये अपस्यु कम था जो ये भी यहां आया।


लेकिन कुछ ही देर में एक और भ्रम टूटता नजर आया, जब आरव और ऐमी ने अपना तांडव दिखाया। आज हाथो में वो 4 फिट के 2 रॉड नहीं थे, बल्कि 1 फिट की दो छोटी सी कुल्हाड़ी थी। ऐमी और आरव की नजरे एक दूसरे से मिली तो दोनो मुस्कुरा रहे थे। आपस में 4 फिट की दूरी बनाए एक लाइन से आरव, तो दूसरे लाइन से ऐमी ने काटने का वो नजारा दिखाया की 20 गुना ज्यादा क्षमता वाले ये एक्सपेरिमेंटल जल्लाद खुद को धराशाही पाए।


बीच में फसा अपस्यु भी आज दोनो हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े हवा की धुन पर मस्त था। लहर की भांति अपस्यु हवा के धुन पर लहराते जब दोनो हाथो से कुल्हाड़ी को भी लहराते हुए चलाता, तो बस चींख और मौत का तांडव ही गूंज कर रह जाता। ऐसा लग रहा था शिव अपनी धुन में मस्त होकर तांडव करते जा रहे है, रक्त चरण अभिषेक कर रहे थे और लाशों पर पाऊं रखकर जब उसने काटना शुरू किया तो वीरदोयी के कलेजे मूह को आने लगे।


वीरदोयी की गोल झुंड को दाएं और बाएं की लाइन से काटते हुए, ऐमी और आरव जगह बना रहे थे और अपस्यु उनके मध्य खड़ा होकर तांडव कर ही रहा था। बिजली की तरह दृश्य भी बरस रहा था और बिना कोई रहम दिखाए अपने पंजे से वीरदोयी का सिना चीरकर, सीने को फर्श पर बिछाता रहा और बिना सीने के तड़पते सरीर को वहीं फर्स पर फेंकता चला जाता।


बदले की आग स्वास्तिका और पार्थ के सीने में भी जल ही रही थी और भिड़ से भागते वीरदोयी का हिसाब उनके खाते में आ जाता। हालांकि दोनो मार कला में उतने निपुण नहीं थे, लेकिन भागते वीरदोयी पर पहले से आरव और ऐमी की बिजली गिर चुकी होती, और आखरी अंजाम के लिए दोनो को बहुत ज्यादा मेहनत ना करते हुए सीधा प्वाइंट ब्लैक रेंज चुन रखे थे। एक निशाना और खेल खल्लास।


20 मिनट में ही सभी आत्माविहीन जल्लादों का भाग्य लिखा जा चुका था। अच्छे लोग जब कूरुर होते है तो किस हद तक कूरूर हो सकते है ये हर व्हाइट और ब्लैक कॉलर वाले लोगो को समझ में जैसे ही आया, अपने प्राण बचाने वो दरवाजे की ओर भागा था, लेकिन अपस्यु कि नीति काम आयी और दरवाजे पर काया और नील के साथ उनके सभी लोग खड़े रास्ते को ऐसा रोका था कि वापस वहां बैठने के अलावा कोई जरिया नजर नहीं आया।


पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..


लंबे चले सेशन के बाद दोनो सोने चल दिए। अपस्यु सोने से पहले कुछ जरूरी काम निपटाने बैठ गया, जिसके लिए ऐमी को भी जगाना पर गया। सबसे पहले तो कॉल गया होम मिनिस्टर के पास। पूरी कहानी समझाने के बाद अपस्यु ने पूछ लिया कि 10000 करोड़ का क्या किया जाए?
Marvelous fight scene ? bhai
Zehar wala .......
 

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पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..


अपस्यु की आवाज़ बता रही थी कि अब इंसाफ होगा, रक्त का खेल खत्म हुआ। अपस्यु की आवाज़ पर एक-एक करके जैसे सबकी हिम्मत टूटी हो, सब के सब बेसुध होकर अपनी जगह बैठकर, कुछ देर तक रोते रहे। अपस्यु के आखों में भी आशु थे, ऐसा लगा जैसे अब शरीर में उसके भी जान नही, लेकिन खुद को संभाले वो अब बस अपने बचे दुश्मनों को देख रहा था।


इसी बीच अारूब की अगुवाई वाली इटेलिजेंस टीम भी वहां पहुंच गई। उफ्फ क्या मंजर था, पूरी जगह से खून की बू आ रही थी और कटे हुए लाश के पास कुछ रोते लोग और खून में पूरे डूबे सिना ताने खड़ा 2 आदमी दृश्य और अपस्यु।


इंटेलिजेंस टीम का एक एजेंट:- माय गॉड, दरिंदगी और हैवानियत है ये.. किसने किया ये पुरा कांड..


अपस्यु एक कदम आगे आकर… "अपनी एजेंसी में बता दीजिएगा, जेके और पल्लवी खत्री के शागिर्दों ने ये पुरा कांड किया है।"


इंटेलिजेंस ऑफिसर:- आज क्या हमे पुरा कचरा साफ करने के लिए रखा गया है?


अारूब:- हम ऑर्डर फॉलो करेंगे ऑफिसर। जो आज के दिन खत्म हुए है वो कोई साधु या महात्मा नहीं है।


अपस्यु:- काया, इन लोगों को जारा दिखा दो, किन कमीनो को अरेस्ट करना है।


काया ने जैसे ही अपने द्वारा अलग किए लोगों को दिखाई, वैसे ही प्रकाश जिंदल, विक्रम राठौड़ और लोकेश चिल्लाने लगा… "हमे भी अरेस्ट कर लो प्लीज, हमे भी अरेस्ट कर लो।"..


जैसे ही लोकेश ने अपनी जुबान खोली, निम्मी एक बड़ी मोटी सी पीन उसके जुबान के इस पार से उस पार निकालती, उसकी जुबान बंद कर दी। सारे ऑफिसर्स देखकर ही दंग रह गए… "सर आप अपना काम करो ना, ये कुछ ज्यादा ही बोल गुहार लगा रहा था, इसलिए जुबान बंद कर दी।


अारूब:- ऑफिसर्स टेक चार्ज और इन लोगों को इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर लेकर चलो। भाई अगर प्रूफ मिल जाता तो आगे की कार्यवाही शुरू हो जाती।


दृश्य:- अपस्यु इनके अरेस्ट होने की वजह दो।


अपस्यु:- कुंजल बेटा वो इनके सर्वर की बैकअप फाइल की हार्ड डिस्क दे दो।


अारूब वो हार्ड डिस्क लेने के बाद…. "थैंक्स ए लौट, हमारा काम खत्म हो गया है। हम कल तक का इंतजार करेंगे, बचे हुए मुख्य आरोपी की कहानी हम तक पहुंच जानी चाहिए।"..


अपस्यु:- मेघा, मनीष मिश्रा के साथ तुम यहां से निकलो। और हां अपने पिता को आखरी बार देखते जाना, बाकी बात मै बाद में करूंगा।


मेघा:- अपस्यु वो मेरे डैड है।


अपस्यु:- मेघा तुम्हे एक मौका मिल रहा है, और ये मौका मै तुम्हे केवल और केवल ध्रुव के वजह से दे रहा हूं, इसलिए तुम डिसाइड कर लो, तुम्हे यहां रुकना है या सुकून से आगे की जिंदगी, ईमानदारी से बितानी है।


मेघा:- सॉरी डैड, शायद स्वार्थी होना मैंने आपसे ही सीखा है। अपना ख्याल रखना।


तकरीबन 40 व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को लेकर वहां से इंटलीजेंस टीम निकल गई। साथ में 2 ड्रॉप थे मेघा और मनीष मिश्रा। उन सबके जाते ही 300 लोग उस पार्टी हॉल में पहुंच चुके थे। तकरीबन 100 वीरदोयी लड़कियां जो मन मारकर मजबूरी में उन करुर वीरदोयी के साथ फसी हुई थी, जिनको जीने का हौसला नील देती आ रही थी। इसके अलावा 20 के करीब वीरदोयी पुरुष भी बचे हुए थे जो अपने औरतों कि मजबूरी देखकर यहां रुकने और उनका कहा मानने पर विवश थे। 180 के करीब यहां के इनोसेंट स्टाफ और मज़े के लिए लाई गई लड़कियां थी जो यहां के लोगों के लिए काम करने के साथ उनका मनोरंजन भी किया करती थी।


नील:- कंट्रोल रूम में सजा में हकदार लोग चिपके है, मै चाहती हूं उस खोल दो ताकि उनका भी हिसाब इसी हॉल में हम कर दे। बहुत सोषण किया है हमारा इन हरामजादों ने।


ऐमी:- जैसा तुम चाहो।


ऐमी अपनी बात कहती कमांड ऑफ कर दी और सभी डस्ट पार्टिकल को वापस आने का कमांड दे दी।


दृश्य:- निम्मी जो शुरू किया है उसे अंजाम तक पहुंचा दो।


निम्मी:- नहीं मै नरक की आग ने जी हूं, इसने मेरे जिस्म को उन भूखे कुत्तों के सामने नहीं फेका था, बल्कि मेरे रूह को भी फेका था। मै चाहती हूं, ये जिंदा क्यों है इस बात के लिए तरसे। हर पल खुद को मारने के नए नए तरीके ढूंढे लेकिन इसे मौत ना मिले। नाह ! इसे मारना नहीं है, जिस नरक की आग से मै गुजरी हूं, उस नरक की आग ने जलाना है।


अपस्यु:- स्वास्तिका, इस धरती के बोझ को तैयार करो और मेडिकल सपोर्ट दो। लगता है दोनो बाप बेटे साथ ही रहेंगे। विक्रम राठौड़ तुम्हारे लिए तो ये अच्छी खबर है।


इतने में काया और नील के इशारे पर सभी टेक्निकल टीम के लोगों को उस हॉल में ले आया गया। उन लोगों ने जब वहां की हालत देखी और जिनके सह पर यहां के लड़कियों और औरतों को, बड़े ही निचपुर्ण ढंग से नोचते थे, उसकी लाशों के ढेर देखकर तो कितनों कि मूत निकल आयी। पहला हमला काया ने ही किया था। किसी पागल की तरह वो लगातार रोती हुई, उस अजय को जब चाकू से चीरना शुरू की, तब कई निर्दोष जो इनके सताए थे, सब की आग ऐसी भड़की की केवल लतों और घुसो से उनका काम तमाम कर दिया। ..


लगभग सारा माहौल पूर्ण रूप से शांत पर चुका था। वहां केवल 3 लोग जिंदा बचे थे, और तीनों को बांधकर बार काउंटर के पीछे डाल दिया गया था। अपस्यु काया को इशारे करते हुए कहने लगा, ये जगह तुमलोग साफ करके सभी लोग महल में मिलो।


रात के 11 बजे महल में सभा लग चुकी थी। काया और नील दोनो बराबर बैठी थी। अश्क, नील और काया की हालत देखकर शायद खुद में शर्मिंदा थी। बस यही ख्याल आता, इनके लड़कपन के दिनों में पहले उस डॉक्टर भार्गव ने इन्हे छला, और बाद में इनके अपने ही लोगों ने यहां लाकर इन्हे नोचा। उन्हें देखकर अश्क अपने कान पकड़ती हुई सॉरी कहने लगी… नील और काया दोनो ने उसके कान से हाथ हटाकर कहने लगी… "दिल में प्यार हो तो रिश्ते बने रहते है। अब फिर से मै बीते वक़्त की चर्चा नहीं कर सकती, शायद अब हम कभी ना मिले, कल तक हम ये जगह छोड़कर जा चुके होंगे। एक ही अच्छी याद लेकर जाऊंगी, मेरा बच्चा कोई दरिंदा नहीं बनेगा और तुमने हमारे लिए आशु बहाए।"..



आरव:- अरे आप सब जाने की बात क्यों कर रही हो। मै इस जगह को कमर्शियली डेवलप करने वाला हूं, नए लोगों को कहां से खोज कर लाऊंगा। इस जगह को डेवलप करने के लिए मै 2500 करोड़ देता हूं। आप दोनो यहीं रुको, और सबको पहले कि तरह लीड करो। इस जगह को अच्छे से डेवलप करो.. 4 रुपया आप प्रोफिट बनाओ, उसमे से बस 20 पैसा मुझे दे देना बाकी 3.80 रुपया आपस में बांट लो। अगर ये जगह डेवलप करने में 2500 करोड़ कम लग रहे हैं तो बता दो, मैं और फंडिंग कर दूंगा, बस ये जगह ना छोड़कर जाओ।


आरव की बात सुनकर, दृश्य हैरानी से देखते… "अबे ये क्या है, मतलब ये बहुत बड़ा बिजनेस खोपड़ी है क्या?"..


ऐमी:- येस ! पूरा मायलो ग्रुप की कमान ये सिंगल हैंड संभालने वाला है। इसकी बिजनेस करने का तरीका और आईडिया कमाल के है। ये किसी को भी फेयर टक्कर दे सकता है, बाकी गलत तरीके से कोई हमे टक्कर दे सकता है क्या।


अश्क:- नील, काया, काम भी मिल रहा है और जिम्मेदारी भी। प्लीज यहां से मत जाओ… तुम यहां रुकी रहोगी तो जूनियर और वैभव भी तुम्हरे पास आ जाएंगे। और उन दोनों से मिलने हम भी आते रहेंगे। सॉरी लव, सॉरी अपस्यु, मैंने बिना पूछे अपनी जुबान दे दी।


अश्क की बात सुनकर अपस्यु केवल ऐमी को ही देख रहा था, और ऐमी काया को… ऐसा लग रहा था जैसे अपस्यु और ऐमी का दिल जोड़ों से धड़क रहा हो और वो कुछ भी फैसला नहीं कर पा रहे।..


नील:- हम यहीं रुक रहे है। मेरा बच्चा अपनी दादा दादी के पास पल रहा है, उन्हें वहीं रहने दो। मै ही जाकर मिल लिया करूंगी। ऐमी, अपस्यु तुम्हारे बच्चे तुमसे कोई नहीं लेगा, क्योंकि सबको पता है उनके मां बाप कमजोर नहीं।


काया:- मै भी अपने बच्चे से मिल लीया करूंगी, उसे वहीं रहने दो, और दोनो ऐसे मायूस ना हो। हां लेकिन ये अश्क जुबान बहुत देती है। अश्क जी बस एक ख्वाहिश पूरी करने की जुबान दे दो। एक बार ये दृश्य बिना मेरा नाम जाने और मेरा चेहरा ठीक से देखे, मेरे साथ जो किया था, वो दोबारा अब करने बोलो, मुझे जानने के बाद, फिर मै यहां रुकती हूं।


अश्क:- हीहीहीही.. कपड़े उतारने के बाद किस बेवकूफ को नाम जानने या चेहरा देखने में इंट्रेस्ट रहता है झल्ली। जा ले जा, ना मै रोकूंगी और ना ही दृश्य को ताने दूंगी। बस इस बार ये मत कह देना, वीरदोयी अपना जबजों का वंश बढ़ने के लिए दृश्य और तुम्हरे मिलन से एक बच्चा चाहता है।…


अश्क की बात सुनकर सब लोग हंसने लगे.. इसी बीच स्वास्तिका हाथ के इशारे से दिखाने लगी, जहां पार्थ अकेले में बैठा ड्रिंक ले रहा था और उसके करीब निम्मी जा रही थी।…. स्वास्तिका इशारा करती हुई ऐमी से कहने लगी… "भाभी, प्लीज मुझे इन दोनों की बातें सुननी है।"..


ऐमी मुस्कुराती हुई सबको देखी, पार्थ के लिए हर कोई मुस्कुरा रहा था।.. ऐमी ने उस एरिया का ऑडियो कनेक्ट करके, सबके मोबाइल पर ऑडियो-वीडियो लाइव प्ले लिंक भेज दिया। हर कोई इयरपीस लगाकर, मोबाइल के जरिए कान और आंख दोनो पर लगाए…


निम्मी, पार्थ के ठीक सामने बैठकर अपनी हाथ आगे बढ़ती हुई… "हाय, मै निम्मी सिंह।"..


पार्थ:- नाइस टू मीट यू निम्मी, वैसे ये अजनबी की तरह मिलना।


निम्मी:- तुम्हरे पूरे टीम से मिली हूं, हर कोई कमाल का है और हर किसी में अद्भुत गुण, बस मै तुम्हे जज करने मै असफल हूं की तुममें कौन से गुण हैं।


पार्थ:- कमाल है जी, मैंने एक सवाल पूछा और उसका जवाब देने के बदले उल्टा एक अलग ही सवाल पूछ लिया।

निम्मी:- शायद मै गलत तरीके से मिली और मुझे तुम्हारे सवालों ने ये फील करवाया इसलिए जवाब ना देकर बात आगे बढ़ा दी।


पार्थ:- हाहाहाहा, चलो ये भी अच्छा है। और हां मुझमें कोई गुण नहीं। पहले तो ये भ्रम था कि मैं लड़कियों को पटाकर अपना काम निकाल सकता हूं, तुमसे मिला तो औक़द पता चली कि जिन लड़कियों को मैंने पटाया, वो दरसअल मुझ से खुद पटना चाहती थी।


निम्मी:- मतलब तुम इन लोगों के साथ केवल दोस्ती की वजह से हो, बाकी तुममें कुछ खास नहीं।


पार्थ:- हां मेरा दिल बहलाने के लिए मेरे दोस्त मुझसे कह देते थे कि मै ये जाल बनता हूं, वो जाल बनता हूं, लेकिन हम दोनों को ही पता था कि सब फेक है। हां लेकिन ऐसा नहीं कि मुझमें कोई खास बात नहीं। मै उनसे अलग होकर कहीं कोई गुमनाम ज़िन्दगी बिताऊं और कोई मुझे मारकर चले जाए। बस उनके कान तक ये खबर पहुंच जाए, फिर स्टेटस उनका जो भी हो, उनकी बैंक स्टोरी कितनी भी स्ट्रॉन्ग क्यों ना हो, मेरे दोस्त आएंगे और सबको साफ कर जाएंगे। सो मुझे खास बनाते हैं मेरे दोस्त और मुझे नहीं लगता कि इससे खास भी कुछ हो सकता है।


निम्मी:- हम्मम ! चलो अब मै चलती हूं। एक बार फिर से थैंक्स।


पार्थ:- ओ हसीना, शायद तुमने ठीक से सुना नहीं, मैंने कहा था जितनी लड़कियों को मैंने पटाया वो दरसअल खुद मुझसे पटना चाहती थी..


निम्मी:- तो..


पार्थ:- जब 2 महीने में इतने फासले तय करके सामने बैठ ही गई हो, तो कुछ अपने बारे में भी बताती चली जाओ..


निम्मी:- मै बहुत छोटे से कस्बे में पली हूं, चाकू चलाने का काफी शौक था, ये शौक मुझे गांव के मेले से आया, जब तमाशा दिखाने वाले चाकू का खेल दिखाया करते थे। छोटी सी उम्र का शौक, प्रैक्टिस करते-करते मैं इतना महिर हो गई की लोग मुझसे दूरियां, सिर्फ चाकू की वजह से बनाकर रखते थे। मै गांव के माहौल से वाकिफ थी, नज़रों में हवस और मौके की तलाश, इसलिए मै ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाया करती थी।
Awesome update bhai
 
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निम्मी:- मै बहुत छोटे से कस्बे में पली हूं, चाकू चलाने का काफी शौक था, ये शौक मुझे गांव के मेले से आया, जब तमाशा दिखाने वाले चाकू का खेल दिखाया करते थे। छोटी सी उम्र का शौक, प्रैक्टिस करते-करते मैं इतना महिर हो गई की लोग मुझसे दूरियां, सिर्फ चाकू की वजह से बनाकर रखते थे। मै गांव के माहौल से वाकिफ थी, नज़रों में हवस और मौके की तलाश, इसलिए मै ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाया करती थी।

एक दिन मै गांव की सरहद पर थी, जब लोकेश की गाड़ी गुजर रही थी। शायद मेरे जिंदगी कि बहुत बड़ी भुल, क्योंकि हमारे यहां देवता की तरह वो पूजा जाता था। उसकी गाड़ी जब रुकी तो मै जिंदगी में पहली बार अपनी पूरी खुशी का इजहार कर दी। मुझे लगा भले लोग है, इसलिए उनकी मेहमान नवाजी भी स्वीकार कर ली। लगा सहर के लोग है किसी के हसने या बोलने का गलत मतलब ये लोग थोड़े ना निकाल सकते है। दिल्ली में तो मुझसे भी खूबसूरत लड़कियां बेवाक होकर हर तरह की बातें कर देती है। ये लोग कंजर्वेटिव माइंड के नहीं होंगे। मेरा बहुत बरा भ्रम, जिसका खामियाजा मुझे इस तरह से देना परा की अब बस दृश्य भईया के साथ टांग जाऊंगी और उन्हीं के साथ काम करूंगी। इतनी ही कहानी है मेरे बारे में।


पार्थ:- तुम्हारी कहानी में मै नहीं?


निम्मी:- तुम भी सहर के ओपन खयालात के लोग हो पार्थ।


पार्थ:- चलो मान लो कि मेरी जगह अपस्यु होता और वो तुमसे अपने दिल की बात कर रहा होता, तो तुम क्या करती।


निम्मी:- पार्थ गलत टॉपिक है ये, यहां बात हम दोनों की है।


पार्थ:- हां क्यों नहीं। वो छोटी आंख वाला, मासूम सी सूरत वाला जिसे प्यार तो बचपन से था और चुपके से अफेयर में भी था। अफेयर में होने के बावजूद भी उसके संबंध.. संबंध मतलब फिजिकल संबंध, कम से कम 12 लड़कियों से होंगे और वो मेघा भी इसकी लिस्ट में आती है।


जैसे ही पार्थ संबंध पर था, ठीक उसी वक़्त ऐमी ने ऑडियो पॉज कर दिया.... जैसे ही ऑडियो पॉज हुआ, हर कोई हैरानी से देख रहा था। ऐमी, अपस्यु का हाथ थामकर बस मुस्कुरा रही थी। स्वास्तिका सबका कन्फ्यूजन दूर करती हुई कहने लगी…. "वो कहावत नहीं सुनी क्या, हर एक फ्रेंड कामिना होता है।"..


अश्क:- लेकिन फिर भी ये ऐमी की बच्ची कलंक है लड़कियों के नाम पर। अभी तक तो झगड़ा करके रूठ जाना चाहिए था, थोड़ा भाव खाना चाहिए था, ड्रामे 3 दिनों तक होते रहने चाहिए थे।


कुंजल:- हुंह ! जब दोनो प्यार करते है तो इतने ड्रामे क्यों? पुरानी सोच।


अश्क:- इसको कोई अब तक मिला नहीं है क्या?


ऐमी:- हमारे घर की पहली अरेंज मैरेज होगी, कुंजल की शादी।


कुंजल:- येस !!


अश्क:- ठीक है बेटा तुझसे बात मैं तेरे शादी के बाद करूंगी, और फिर जान लूंगी तेरी फिलॉस्फी भी..


आरव:- तुम सब बाहर जाकर ये ड्रामा करो, भाभी ऑडियो ऑन करो, सुनने तो दो, उस कमिने का घर बसा या नहीं?


जैसे ही ऑडियो ऑन हुई, उधर से निम्मी कह रही थी…. "किसी को गलत साबित करके खुद कैसे सही हो सकते हो पार्थ, वैसे भी यकीन बड़ी बात है। मै तुम दोनों को निंजी तौर पर नहीं जानती, फिर उनका कैरेक्टर कैसे तय कर सकती हूं?"


पार्थ:- हां दुनिया में एक चरेक्टरलेस मै ही हूं।


निम्मी:- अगर ऐसा है तो फिर पहले कैरेक्टर को ही सुधारो।


पार्थ:- अरे यार और कितना भाव खाओगी, कुछ तो बताओ की क्या करूं मै तुम्हारे लिए।


निम्मी:- अभी जितनी बातें हमारे बीच हुई है उसमे तुम्हारे सवालों के जवाब है। अपनी दिलफेंक आदतें बंद कर देना और जवाब जल्दी ढूंढ लेना, क्योंकि मै दृश्य भईया की टीम ज्वाइन कार चुकी हूं और मुझे उनके साथ काम करने में काफी मज़ा भी आ रहा है।


शायद इनकी बातें बन गई, अभी के माहौल से तो ऐसा ही लग रहा था। और बात बने भी क्यों ना, आज का तो दिन ही है हर बात के बनने का। एक लंबे से युद्ध का लगभग विराम लग चुका था। वक़्त अभी तो पूर्ण खुशी का नहीं था, किन्तु जो लोग दर्द को भी चीरकर, खुशी के पल ढूंढ लेते हो, उनके लिए तो वाकई ये बहुत बड़ा खुशी का समय चल रहा था।


फिर वही हो जाता है, अकेले खुश हुए तो क्या खुश हुए। अपस्यु के साथियों के अलावा भी कई ऐसे लोग थे जो उनके काम के परिणाम से काफी खुश थे। वहां काम कर रहे स्टाफ के लिए आज इतनी खुशी की रात थी कि उनकी खुशी देखते बनती थी। जबतक लोग बातों में लगे थे, तबतक उनके पास ही खाने से लेकर ड्रिंक तक सर्व होने लगा।


सबसे खास ट्रे तो अपस्यु के आगे लगा। उसकी पसंदीदा ड्रिंक सर्व की जाने लगी और वो सबसे बात करते हुए आराम से ड्रिंक का मज़ा लेने लगा… "अबे कितना पिएगा, तुम्हे चढ़ती है कि नहीं।"… दृश्य अपस्यु को एक हाथ मारते हुए पूछा।


आरव:- ये और इसकी ड्रिंक, कभी ना छुटने वाली है। भोले बाबा की आराधना करते-करते ये पक्का नशेड़ी बन गया हैं।


दृश्य:- पागल हो तुम लोग, 4 पेग के बाद बॉडी रिस्पॉन्ड करती है अल्कोहल। हां लोग कम, ज्यादा या बहुत ज्यादा ड्रिंक लेते है, लेकिन उन सबमें एक बात सामान्य होती है उनका नाश में होना। कितना भी छिपाने कि कोशिश क्यों ना करे नशा में है पता चल जाता है।


स्वास्तिका:- प्वाइंट तो बी नोटेड, लेकिन ये कितना भी पीकर दिखाने की कोशिश करे, पता नहीं चलता कि ये नशे में है। इसका मतलब साफ है या तो इसे पता है कि ये "क्यों" पी रहा है। या फिर इसे अपने "क्यों" का पता नहीं लेकिन अपने उसी "क्यों" के लिए पीता है। भाभी जी जारा इस राज से पर्दा उठा देंगी।


ऐमी:- अरे यार कुछ नहीं बस ये अपने ध्यान लगाने की प्रक्रिया को निपुण कर रहे है। शून्य काल तक कैसे अपने मस्तिष्क को पहुंचाया जाए, उसी की प्रैक्टिस जारी है। ये नशे के लिए नहीं बल्कि अपने मस्तिष्क में उपजे नशे को कंट्रोल करने का एक्सपेरिमेंट कर रहे। सीधा-सीधा कहूं तो सेंट्रल नर्वस सिस्टम को ऑटो मोड से मैनुअल मोड पर डालने की कोशिश जारी है।


दृश्य:- कमाल का कॉन्सेप्ट है, मै भी ट्राय करूं क्या क्यूटी।


अश्क:- पहले नाजायज बच्चों पर कंट्रोल करना सीखो, अभी तो यूएस नहीं गई 2-3 साल वहां भी तो रुके थे।


सब लोगों के ठहाके निकल आए। रातें छोटी सी थी और बातें काफी लंबी। सुबह के 4 बज चुके थे। एक-एक करके हर कोई उसी हॉल में सो गया। बस केवल दृश्य और अपस्यु जागे थे। दोनो भाई एक छोटे से वॉक पर निकले..


अपस्यु:- अब कहां निकल रहे हो भाई।


दृश्य:- निजी स्वार्थ के कारन तो बहुत खून बहाया है अपस्यु, अब ऑर्डर फॉलो करूंगा। बक्शी सर ने एक रिजिलियांट ग्रुप का केस दिया है, पूरी टीम को लेकर मै उसी मिशन पर निकल रहा हूं। वैसे तुमने काफी हैरान किया, तुम्हारे रिफ्लेक्स इतने तेज थे कि कई मौकों पर मै जबतक देखता, उससे पहले तुम काम खत्म कर चुके होते। मैं तो कभी उतनी तेज रिफ्लेक्स की सोच भी नहीं सकता। तुम्हारी तैयारी इन चूहों से बहुत ऊपर की है.. फिर इतना वक़्त इंतजार क्यों?


अपस्यु:- वक़्त मैंने बदला लेने के लिए नहीं लिया था भई, बल्कि मुझे लोगों को उनके जीने कि वजह देनी थी, वरना आज जो अच्छा दिख रहा है वो कल को बुरा बनते देर नहीं लगती। इसलिए मै तो बस अपना परिवार समेट रहा था।


दृश्य:- तुमसे बहुत कुछ सीखना है अपस्यु। चाहत तो मेरी यह थी कि तुम्हे भी इस मिशन के लिए आमंत्रण दू, लेकिन मुझे यकीन है कि तुमने अपनी कहानी मुझे पूरी नहीं बताई। थोड़ा बुरा जरूर लगा है इस बात का, लेकिन शायद कुछ सोचकर ही नहीं बताया होगा।


अपस्यु:- सॉरी भईया, मै नहीं चाहता था कि आप अपना फोकस मुझ पर दे, सिर्फ इस वजह से नहीं बताया। हा लेकिन आपका मेरे पास आना, मेरे प्लान का हिस्सा था। तब मुझे निम्मी का केस तो पता नहीं था, लेकिन वीरदोयी के सामने हमारी टीम नहीं टिक पाती, इसलिए मैंने गुप्त रूप से आप तक सूचना भिजवाई थी कि आपका बच्चा मेरे पास है।


दृश्य:- पागल है तू पुरा। कितनी जल्दी और कितनी सफाई से तू प्लान कर लेता है।


अपस्यु:- हां लेकिन आप बिना प्लान के ही किसी कि भी धज्जियां उड़ा सकते हो। वैसे भाभी से मैंने अब तक माफी नहीं मांगी और शायद हिम्मत भी नहीं होगी। आपको भड़काने कि बहुत चिप ट्रिक अपनाया था मैंने।


दृश्य:- हाहाहाहा.. और भड़काने के बाद भी जिंदा बच गया, कमाल का गुट्स और कमाल की प्लांनिंग थी। वैसे उस दिन अनजाने में ही बहुत सी बातें सीखा गए, और मुझे ऐमी की याद दिला गए।


अपस्यु:- अारूब जब उनके बारे में बता रहा था, उनके जाज़्बे और आप सब के साथ की कहानी ने रुला दिया। एक स्वार्थहिन चालाक मेंटोर की कहानी जो हर खतरे से निकल सकती थी, बस दोस्ती के मोह में फस गई।


दृश्य:- सुन ना मै समर वैकेशन में सब बच्चो…

अपस्यु:- बस भाई ये समर वैकेशन की बात अभी रहने दो फिर कभी कर लेंगे। वैसे मुझ पर विश्वास दिखाकर मेरा प्लान फॉलो करने के लिए दिल से धन्यवाद।


दृश्य:- अरे ऐसे कैसे थैंक्स, हम दोनों को एक दूसरे की जरूरत थी, अब मुझे तुम्हारी कैसे जरूरत थी वो एक्सप्लेन करने पर मजबूर ना कर और पहले तू मेरा सुन.. मै उन वीरदोयी के बच्चों के लिए कुछ नहीं कर पाया, इसलिए मेरे ओर से उसकी जिम्मेदारी भी तू उठा लेना। कल कंपनी मर्ज के पेपर मिल जाएगा, आरव को बोलना दोनो कंपनी की रेस्पोसिबिलिटी ले लेने के लिए। मै अपनी पायल दीदी और जीजू को कंपनी से रिलीफ करना चाहता हूं, ताकि जो ज़िन्दगी जीना भूलकर कंपनी के पीछे पीस रहे है, वो छोड़कर पुरा वक़्त घर पर दे सके। वैसे भी जीजू बहुत बुरे बिजनेसमैन है यार। और अंत में मुझे बहुत से टेक्निकल सपोर्ट की जरूरत होगी, इसलिए क्या ऐमी फ्री रहेगी हमे टेक्निकल सपोर्ट देने के लिए।


अपस्यु:- सारी बातें तो अच्छी है, लेकिन ये कंपनी मर्जर कुछ ज्यादा ना हो रहा।


दृश्य:- ओह बातों बातों में मै भुल ही गया, मै वैदेही को भेज रहा हूं दिल्ली, वो तुम लोगो के साथ रहेगी। 10000 करोड़ का एक फंड मै हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर के लिए सेंक्शन कर चुका हूं, लेकिन किसी पर यकीन नहीं था इसलिए वैदेही को अकेले ही रिसर्च करने के लिए कहा। स्वास्तिका से बाकी बातें हो गई है। दोनो मिलकर एक साथ काम करेंगे और दोनो की जैसी रिक्वायरमेंट हो वैसा पुरा करवा देना, पैसों की कोई चिंता मत करना।


अपस्यु:- भई वो सब तो ठीक है लेकिन कंपनी मर्जर..


दृश्य:- देख सिम्पल सी बात है हम में से तो किसी से कंपनी चलने से रही। मेरे जीजू भी हम में से एक ही है। अब किसी दूसरे के हाथ में कंपनी देने से कहीं लोकेश वाला ना हाल हो जाए, यार पैसे का सीधा रिश्ता पॉवर से होता है और पॉवर का नशा तो तू जानता ही है ना। इसलिए अब कोई बहस नहीं, और हां उस वैदेही मत कहना बल्कि वेली पुकारना।


अपस्यु:- और कोई हुक्म सर..


दृश्य:- नहीं सर, चलकर आराम किया जाए। तेरे मुताबिक जगह की पूरी बनावट कर दी गई है, अारूब ने पूरी डिटेल ऐमी से साझा कर दिया है। और हां जल्दी से अब उन्हें भी अंजाम तक पहुंचा दो, जो बचे हुए है और मुझे फिर पूरी कहानी डिटेल में बता देना।
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लंबे चले सेशन के बाद दोनो सोने चल दिए। अपस्यु सोने से पहले कुछ जरूरी काम निपटाने बैठ गया, जिसके लिए ऐमी को भी जगाना पर गया। सबसे पहले तो कॉल गया होम मिनिस्टर के पास। पूरी कहानी समझाने के बाद अपस्यु ने पूछ लिया कि 10000 करोड़ का क्या किया जाए?


होम मिनिस्टर अमाउंट सुनकर ही झटका खा गए। सबसे पहले तो उन्होंने 5000 करोड़ का काला धन की पूरी डिटेल सेंड करने बोल दिया, ताकि देश को फायदा हो और केस पुरा मजबूत बने। उसके बाद 2000 करोड़ का अनुदान उन्होंने अपने स्विस अकाउंट में लिया, वो भी पुरा कारन समझते…. कि कुछ कमीनो को आउटसोर्स से हटाना होता है, जिसके लिए काफी पैसे लगते है। कभी-कभी गलत को गलत साबित करने के लिए भी पैसे देने पड़ते है, ठीक वैसे ही जैसे आज गिरफ्तार लोग अंजाम तक पहुंचेंगे।


बचे 3000 करोड़ के फैसले के लिए होम मिनिस्टर ने विपक्ष और पक्ष के अध्यक्ष को कॉन्फ्रेंस में लिया और पकड़े गए लोगों को कोर्ट से सजा के लिए डील तय होना शुरू हो गया। 500-500 करोड़ दोनो अध्यक्ष के निजी खाते में और बचे 2000 करोड़ में से 600 करोड़ विपक्ष के पार्टी फंड और 1400 करोड़ पक्ष के पार्टी फंड में जमा करने का फैसला लिया गया।


होम मिनिस्टर से पैसों और सजा का हिसाब किताब होने के बाद अपस्यु ने पूरे घटना की मीडिया कहानी भी उसे अच्छे से समझा दिया। जबतक बात हो रही थी तबतक ऐमी सबके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर मारकर चेक करने के लिए बोल दी। होम मिनिस्टर तो सुनिश्चित था, लेकिन पक्ष और विपक्ष जिसका समर्थन अब तक पन्नों पर था, पैसा मिलते ही सुबह से अमल में आना शुरू हो गया।


होम मिनिस्टर से बात करने के बाद अपस्यु ने नंदनी को कॉल लगाया। नंदनी को सबसे पहले सुकून देते हुए बता दिया कि हर एक सुरक्षित है और वो अपने पिता के सपने को अब पुरा साकार कर सकती है। कुछ देर की बातचीत के बाद कॉल डिस्कनेक्ट ही गया।


जैसे ही फोन सर्विस का काम खत्म हुआ ऐमी…… "अपस्यु जीतनें भी लोगों ने आज अपने काला अकाउंट को पार्टी हॉल से लॉगिन किया था, उसके टोटल अमाउंट 22000 करोड़ है, और 41 लॉगिन। इसके अलावा लोकेश के अकाउंट में 12000 करोड़, विक्रम के अकाउंट में 600 करोड़ और कौन बनेगा अरबपति में प्रकाश जिंदल ने तो सबसे ज्यादा बाजी मारी है, 16000 करोड़।


अपस्यु आश्चर्य से आखें बड़ी करते… "50600 करोड़। सालों ने कितनो कि लाश के ऊपर से ये पैसा बनाया होगा। पॉलिटीशियन को शो कर दूं ये अमाउंट तो पता ना कितने पैसे देश के पास पहुंचेगा, मै चाहता हूं ये पुरा अमाउंट आरबीआई को जाए।


ऐमी:- मामला ठंडा होने दो वरना होम मिनिस्टर को शक हो जाएगा और ये पैसा भी हवा हो जाएगा। दृश्य भईया का अमाउंट वैसे ट्रांसफर मार दिया है, और ये 50600 करोड़, 9500 करोड़ वाले अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया है। दृश्य भईया को केवल उनके 9500 करोड़ ट्रांसफर किए है, और मेघा के 500 करोड़ भी अपने ही पास है। इनके हिसाब का क्या करना है। 1000 करोड़ का कैश भी परा है यार।


अपस्यु:- एक काम करो मेघा को 1000 करोड़ ट्रांसफर कर दो, और उस 50600 करोड़ के फिगर को राउंड करके, बचे पैसे उन्हीं से पूछकर ट्रांसफर मार देना।.. कैश को फिलहाल यहीं के लॉकर में रखवा दो, उसका बाद में सोचते है। थक गया स्वीटी, कोई काम और बचा है क्या..


ऐमी:- हां, बस मुझे प्यार से चूमना रह गया।


अपस्यु, बिस्तर पर लेटकर, ऐमी को बाहों में भींचते प्यार से उसके होंठ को चूमा और सुकून से आखें मूंद लिया। दोनो कुछ ही देर में काफी गहरी नींद में थे। वैसे यह कहना भी गलत नहीं होगा कि आज इस महल में जितने भी लोग सो रहे थे वो काफी सुकून में थे।


16 अगस्त के सुबह 5 बजे से ही खबरों का बाजार गरम था। लोग इंटेलिजेंस टीम की छापेमारी और हाई प्रोफाइल लोगों को सलाखों के पीछे की खबर सुनकर आधी खुली नींद चौंक कर पूरी खुल जाती। 16 अगस्त की खबरों में सुबह से ही होम मिनिस्ट्री और इंटेलिजेंस के ही छापे की चर्चा चल रही थी, जिसमें लगभग 70 लोगों पर काले धन छुपाना और देशद्रोह जैसे इल्ज़ाम, सबके ऊपर सामान्य रूप से लगे थे। इसके अलावा मिले सबूत के अनुसार हर किसी पर अलग-अलग लोगों मारने की साजिश रचने और बलात्कार जैसे इल्ज़ाम भी लगे थे। 40 अरेस्ट होकर पहुंचे थे 27 को इंटेलिजेंस टीम ने उनके घर से उठाया था, जिसमें से एक विक्रम का बड़ा बेटा कंवल भी था।


3 मास्टरमाइंड, प्रकाश जिंदल, विक्रम राठौड़ और लोकेश राठौड़ भागने में कामयाब हो गए। जिस पर देशद्रोह और मर्डर केस के अलावा नंदनी रघुवंशी के पति और बेटे की हत्या कि साजिश रचने और कुंवर सिंह राठौड़ के पूरे परिवार की हत्या का इल्ज़ाम लग चुका था। देशभर के तमाम थाने में तीनों की तस्वीर पहुंचा दी गई थी। 80 लोगों को इंटेलिजेंस टीम ने मौके पर मार गिराया जो इन मास्टरमाइंड के इशारे पर किसी भी काम को अंजाम दिया करते थे।


कई सारे लोग जो लापता हो चुके थे, वो लोकेश के सिस्टम से मिल गए, जिनका कत्ल यहीं उसके बेस पर किया गया था। कुल मिलाकर सभी के लिए ऐसा केस बाना था जिसमे कम से कम उम्र कैद तो तय थी।


नील, काया, मेघा, और वहां काम करने वाले कई लोग सरकारी गवाह थे, जिनकी गवाही से केस को और भी ज्यादा मजबूत बनाया गया और उसी के साथ यूएस पॉलिटिक्स में भी काफी भूचाल देखने को मिला था, जहां के एक सीनेटर को किसी विदेशी अदालत में सजा तय होनी थी और ये सजा तय करवाने में जेम्स हॉप्स और उसकी टीम की गवाही भी अहम थी।


मेघा उसी वक़्त से जेम्स हॉप्स जैसे लोगों पर हंस रही थी, जबसे उसे पता चला था कि हवाले के पैसे गायब करने में अपस्यु का हाथ था और ये निकम्मे बस केवल संभावित कारणों को लेकर आगे बढ़े थे, ताकि काम देने वालों का विश्वास बाना रहे। तभी से मेघा ने उसकी पूरी टीम को स्टैंडबाय मोड पर डाल चुकी थी। अपस्यु ने सुबह ही मेघा को कॉल करके उसका भविष्य बताया था, इसी के चलते मेघा ने पहले अपने पिता का कच्चा चिट्ठा यूएस में खुलवा दिया और यहां अपनी टीम के साथ गवाही दर्ज करवाने चली आयी थी।


अपस्यु के साथ देने का कारन भी साफ नजर आ रहा था। शायद उस घमंडी मेघा में इतनी तो अक्ल जरूर थी, जो भांप चुकी थी कि जो लड़का इंडिया में बैठकर, योजना बनाकर यूरोप से पैसा ले उड़ा, वो कोई मामूली प्लानर नहीं हो सकता। जो लड़का सबके सामने रहकर भी छिपा रहा वो दिमाग का इतना भी कमजोर नहीं हो सकता की लोकेश के मौत के जाल में फस जाए। सभी बातों पर समीक्षा करके अंत में फैसला उसने यही किया कि वो बस किनारे होकर तमाशा देखने में विश्वास रखेगी, चाहे नतीजा जो भी हो।


शायद ये बात वो होशियार लोकेश समझ जाता तो आज उसकी स्थिति मजबूत होती। लेकिन गलती लोकेश की भी नहीं थी, क्योंकि अपस्यु की शार्प प्लांनिंग का ही असर था, कि वो पुरा समय लेकर अंदर जड़ तक घुसा। उसे किसी भी बात की जल्दी बिल्कुल नहीं थी। खुद को हमेशा काम का साबित किया, जिससे उसका वर्तमान रौशन नजर आए और अतीत पर किसी की भनक तक ना परे।


खुद को अकेला काम करने वाला दिखाया ताकि कोई समझ ना पाए कि ये यूरोप जैसे देश में भी अपने ऑपरेशन करता आया हो। क्या दिमाग पाया था उसने। लोग हमेशा छिपे हुए को ढूंढ़ते है और ये कभी किसी से छिपा ही नहीं। किसी के साथ ना होकर भी उसे सामने से ऑब्जर्व करता रहा। खुद को इतना आसान टारगेट दिखाया कि लोगों को हमेशा ये फीलिंग रही की इसे मारना तो कितना आसान है और जब वक़्त आया तांडव दिखने का, फिर तो ऐसा उत्पात मचाया की किसी के पास रिएक्ट करने तक का मौका नहीं था।


संतुलन बनाए रखने की अभूपूर्व नीति, जिसमे पॉलिटीशियन के साथ ना होकर भी, उनके ही बीच के लोगों को सजा तक पहुंचना। किसे पकड़ना है, किसे छोड़ना है और पैसों को कहां लुटा दिया जाए, इसका ज्ञान का ही नतीजा था कि जितने भी बिग शॉट पकड़े गए थे, एक तरफ तो उन्हें आर्थिक रूप से इतना कंगाल कर चुका था कि वो अपने केस में किसी को खरीद ना सके, वहीं दूसरी ओर उसी का पैसा इस्तमाल करके, उन्हें सही या ग़लत तरीके से उनकी सजा लगभग तय करवा चुका था।


वहीं दूसरी बड़ी खबर में, नंदनी, सिन्हा जी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही थी, जहां पहले नंदनी चुप थी और सिन्हा जी एक-एक करके सारे टेक्निकल सवाल ले रहे थे। नंदनी रघुवंशी के इतने सालों तक छिपे रहने कि वजह सामने आ चुकी थी। इस मामले में एक बार और होम मिनिस्ट्री को ही क्रेडिट दिया गया, जहां नंदनी रघुवंशी अपनी बात रखती हुई बताई की उसके पति और बेटे की हत्या हुई थी और ठीक उसी वक़्त यहां उसके परिवार को भी मार दिया गया था।


तब उसके ऊपर बच्चो कि जीमेमदरी थी और उनके बच्चों के कत्ल की आशंका भी, इसलिए वो छिपकर अपने बच्चो को पाल रही थी और साथ में मौत के गुत्थी को भी सुलझने की कोशिश कर रही थी। इसी सिलसिले में साल भर पहले होम मिनिस्टर से उनकी पहली मुलाकात हुई और ये केस इंटेलिजेंस वालों को सौंपा गया। काफी तकलीफ झेलनी पड़ी लेकिन न्यान पालिका ने अपना काम किया।

कंपनी के अधिकार और विक्रम के परिवार को लेकर जब सवाल हुए उसपर नंदनी जवाब देती हुई कहने लगी… जो गुनहगार थे उन्हें सजा मिल गई, लेकिन जो निर्दोष है उनके साथ अन्याय नहीं होना चाहिए, इसलिए नंदनी रघुवंशी ने विक्रम की दोनो बहू में 5000 करोड़ को राशि बराबर बंटवारा करने का फैसला लिया, जिसपर पूर्ण रूप से उनका अधिकार होगा।

विक्रम राठौड़ की बेटी कुसुम को कंपनी अगले 10 वर्षों तक कंपनी का 30% प्रोफिट दिया जाएगा। यह एक स्पेशल क्लोज लिया गया है ताकि कुसुम राठौड़ और उसकी मां को पूर्ण सहयोग मिले। इन सबके अलावा ये अभी शुरवती फैसले है, आगे विक्रम राठौड़ की फैमिली से विचार करके यदि कोई फेर बदल होती है तो सूचना मिल जाएगा।


कंपनी के नया मालिक के विषय में चर्चा करती हुई नंदनी रघुवंशी ने साफ तौर पर अपनी मनसा जाहिर कर दी कि कंपनी उनके बच्चों के बीच बराबर की है, लेकिन कंपनी चलाने का स्वतंत्र प्रभार केवल और केवल आरव रघुवंशी का होगा, जिसमें उसकी भी कोई दखलंदाजी नहीं होगी।


साथ ही साथ उनके पिताजी एक सपना था हाई टेक मॉडल गांव जिसके तर्ज पर उन्होंने विशेन गांव (वहीं गांव जो लोकेश का बेस था) का निर्माण किया था। अफ़सोस उस गांव को किसी और काम के लिए इस्तमाल कर लिया गया और क्रेडिट खुद बटोर कर अच्छे आदमी को बदनाम कर दिया गया। इसके अलावा जो हमारा पैतृक गांव हुआ करता था, निषेम गांव (वीरभद्र का गांव), वहां के मॉडल पर काम शुरू होने से पहले ही उन्हें कत्ल कर दिया गया। इसलिए मै उस अधूरे काम को शुरू करने के लिए आज शाम ही नीव रखूंगी और आनेवाले 3 महीने में वो गांव भी पुरा तैयार हो चुका होगा। उसके बाद दोनो गांव सैलानियों तथा अन्य लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे।


सुबह का समाचार जैसे कईयों के लिए खुशी के का संकेत लेकर आया था, वहीं काफी लोग हताश भी थे। दोपहर के खाने के वक़्त से थोड़ा पहले ऐमी और अपस्यु को जगाया गया। दोनो जागते ही सबसे पहले न्यूज ही देखना शुरू किये। जिंदगी में पहली बार न्यूज देखना इतने सुकून भड़ा लग रहा था।


कुछ ही देर में सभी लोग फ्रेश होकर नीचे महल के हॉल में पहुंचे। हर कोई चेहरे से खुश नजर आ रहा था।…. "पार्थ नजर नहीं आ रहा यहां।".. ऐमी पूछी।


स्वास्तिका:- कहां गया होगा, अपनी लैला के पीछे-पीछे उसके घर।


अपस्यु:- मां ने सबको वीरभद्र के यहां 5 बजे तक पहुंचने कहा है, आज उस गांव को भी हाई-टेक बनाने की नीव रखी जाएगी।


ऐमी:- ठीक है फिर चलो, अधूरा काम पूरा कर लिया जाए।


अपस्यु:- स्वास्तिका, हमारे गुनहगारों के सारे काम पूरा हो गए है क्या?


स्वास्तिका:- हां


तीन बड़े सूटकेस तैयार रखे थे। हेलीकॉप्टर ले जाने के लिए एविएशन डिपार्टमेंट की भी क्लीयरेंस मिल चुकी थी, लेकिन स्वास्तिका की हिम्मत नहीं हुई अपस्यु के साथ जाने की और जब स्वास्तिका नहीं गई तो कुंजल भी स्वास्तिका के साथ वीरभद्र के यहां निकलने का फैसला कर ली।
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इधर अपस्यु, ऐमी और आरव बड़ा सा सूटकेस लेकर हेलीकॉप्टर से निकल गए। जैसे-जैसे वो अपने बचपन के ठिकाने पर पहुंचने लगे, तीनों की ही धड़कने काफी बढ़ी हुई थी, और सीने में दर्द सा उठने लगा था।….


जैसे-जैसे हेलीकॉप्टर नीचे आ रही थी, गुरुकुल की वो जगह देखकर तीनों के आखों से कब आशु आने लगे, उन्हें खुद भी पता नहीं चला। आरव और ऐमी के लिए खुद को संभालना अब मुश्किल हो रहा था। दोनो अपस्यु के कंधे पर अपना सर डाले रोते रहे। रुवासी आवाज़ में अपस्यु कहने लगा… "हमने उन्हें आजमा लिया आरव, ऐमी.. कहीं दूर तक नहीं वो हमारे सामने टिक नहीं पाए। चलो अपनी तरप का बदला लिया जाए, उनको सजा दिया जाए।"…


लोकेश की जब आखें खुली तब वो जंगल के किसी इलाके में खुद को लेटा हुआ पाया। हाथ और पाऊं बंधे हुए थे, जिसका एक सिरा खूंटे से बंधा था। लेकिन खूंटा निकालने के लिए बेचारा कोशिश भी नहीं कर सकता था क्योंकि उसके दोनो हथेली फिलहाल तो काम करने से रहे।


पास में ही उसके पापा और प्रकाश जिंदल भी लेटा हुआ था। लोकेश उसे हिलाते और "पैं, पै" करते उठाने लगा। निम्मी के वार से जुबान ने भी काम करना बंद कर दिया था। 2 बार थोड़ी सी आवाज निकालने से ही दर्द का ऐसा आभाष हुआ कि उसने बोलना बंद करके, किसी तरह हिलाने लगा।


प्रकाश और विक्रम उठकर पहले लोकेश को देखे फिर चारो ओर देखने लगे। प्रकाश, लोकेश से पूछने लगा… "ये हमें कहां लेकर आया है?".. लोकेश इशारों में बताने लगा कि उसकी जुबान काम नहीं कर रही और वो कुछ बोलने कि हालात में नहीं है। तभी अचानक से प्रकाश तेज तेज चिंखने लगा… "नहीं, नहीं, नहीं.. ये नहीं हो सकता… नहीं।"..


प्रकाश:- क्या हुआ विक्रम?


विक्रम:- ये वही आश्रम है जिसे हमने प्लान बनाकर जला दिया था।


प्रकाश और लोकेश दोनो सवालिया नज़रों से विक्रम को देखने लगा। तभी पीछे से तीनों ताली बजाते हुए सामने आए… "7 साल पुरानी बात याद आ गई।"


विक्रम, काफी हैरानी से उन तीनों को देखते हुए… "कौन हो तुम लोग?"..


अपस्यु:- बस थोड़ी देर में ही पता चल जाएगा… हमने भी इस पल का बहुत लंबे अरसे से इंतजार किया है, थोड़ा तुम भी कर लो। आरव तीनों को लोड कर दे जरा।


आरव ने खुली ट्रूक में उन्हें किसी सामान की तरह लोड कर दिया। ऐमी और आरव ड्राइव करने लगे और अपस्यु विक्रम और प्रकाश को बिठाकर वो जगह दिखाते हुए… "ये सारा इलाका देख रहा है, कुछ दिन पहले ही तुम लोगों के हवाले के जो पैसे उड़ाए थे उससे ये सारी जमीन खरीद ली। कमाल है ना। अरे प्रकाश, विक्रम पहुंच गए यार..


जैसे ही विक्रम ने वो जगह देखी लड़खड़ा कर पीछे हो गया। वहां अब भी 20 फिट गहरा और तकरीबन 5 मीटर के रेडियस का गोलाकार बना हुआ था। आरव अपने आखों में खून उतारकर विक्रम का गला पकड़ते हुए कहने लगा… "क्या हुआ खुद का भी वहीं हाल सोचकर कलेजा दहल रहा है क्या? फिक्र मत कर तेरे लिए सजा तय हुई है मौत नहीं।"


वहां एक पिलर में लगे एक स्विच को ऐमी ने ऑन किया और नीचे का सरफेस ऊपर आने लगा। ऐमी प्रकाश के सर पर एक टाफ्ली मारती… "अबे देख क्या रहा है घोंचू, ये स्पेशल लिफ्ट है।


लिफ्ट की बनावट कुछ इस प्रकार थी कि गड्ढे के ऊपर जब वो आयी तो उसके उपरी सुरफेस और नीचे के बीच 7 फिट लोहे का का चादर लगा था। ऐमी उस लोहे के चादर पर अपनी हथेली लगाई और बीच से दरवाजा खुल गया… "देवर जी मेहमानों को अंदर ले आओ।"


ओह माय गॉड.. लिफ्ट जब ऊपर अाई तो उसके उपरी सरफेस पुरा धूल में डूबा था। सरफेस से नीचे तक जो 7 फिट की चादर थी वो जंग लगी, और जब अंदर दाखिल हुए तो पुरा फर्निश लुक। चारो ओर हार्ड फाइबर बिल्कुल चमचमाता हुआ। हर जगह डिजिटल लुक और तभी ऐमी ने अपने आवाज़ का कमांड दिया… "जारा चेहरा दिखाने के लिए आइना लगा दिया जाए, मेरी ननद स्वास्तिका ने कुछ कीड़ों के रूप को सवार दिया है।"


जैसे ही ऐमी ने कमांड दिया चारो ओर सीसे आ गए जिसमें विक्रम, जिंदल और लोकेश खुद को पाऊं से लेकर सर तक देख सकता था.. जैसे ही लोकेश ने अपना हुलिया देखा, आखें बड़ी करते… फिर से बोलने कि नाकाम कोशिश… "पै, पै".. और दो बार बोलकर अपना सर इधर उधर झटकने लगा।


लोकेश के साथ-साथ विक्रम और प्रकाश का भी वही हाल था। ऊपर सर के बाल ऐसे गायब हुए थे, जैसे वो कभी थे है नहीं। चेहरे से लेकर हाथों तक के बाल गायब। कपड़े उतारे नहीं, वरना शरीर से पुरा बाल गायब हो चुका था। हाथ और पाऊं के नाखून भी गायब हो चुके थे।


प्रकाश और विक्रम चिल्लाने लगे, बेबस होकर उनसे पूछने लगे…. "आखिर वो उनके साथ करने क्या वाले है?"..


अपस्यु मुसकुराते हुए…. "कई सारे सवालों के जवाब ढूंढ़ने में हमे वर्षों लग गए, थोड़ा धीरज रख सब पता चलेगा।"


लिफ्ट के रुकते ही ऐमी ने फिर से अपने हथेली का कमांड दिया और सामने से एक दरवाजा तो खुला, लेकिन कुछ नजर नहीं आ रहा था।… "भाभी आज पहला दिन है, जारा इनके नए घर को रौशन तो कर दो।"…. "ठीक है देवर जी, जैसा आप कहें।" .. ऐमी, आरव की बात मानकर लाइट का कमांड दी। दरवाजा से लगा 5 फिट का पैसेज नजर आने लगा जो तकरीबन 20 फिट लंबा था।


पैसेज का जब अंत हुआ तो अंदर की जगह काफी लंबी-चौड़ी और बड़ी थी। ऐसा लग रहा था किसी होटल के रिसेप्शन में खड़े है।… आरव, प्रकाश और विक्रम के सर कर हाथ मारते हुए कहने लगा… "मस्त बनी है ना जगह, तुम लोगों के हवाले के पैसे जो हमने गायब किए थे उसका पूरा इस्तमाल यहीं किया है। आओ अब कमरा में ले चलता हूं।"


ऐमी ने कमांड दिया और किनारे से 3 दरवाजे खुले। जैसे ही तीनों ने अंदर झांका, बड़ा ही अजीब सा बनावट था। नीचे कोई फर्श नहीं बल्कि रेत थी। तीन ओर की दीवार रस्सी और पुआल की बनी दीवार थी जिसके ऊपर जालीदार लगा कर पुरा टाईट किया गया था।


आरव:- भाभी इनका जीवन कैसा होना है जारा डेमो दे दिया जाए..


ऐमी मुस्कुराती हुई… "हां बिल्कुल देवर जी, क्यों नहीं। डालना शुरू करो अंदर।


पहले लोकेश को डाला जा रहा था एक दरवाजे के अंदर, वो प्रतिरोध तो कर रहा था लेकिन उसे खुद के शरीर में कुछ जान ही नहीं लग रहा था। जैसे ही वो गया, ऐमी ने उसका दरवाजा बंद कर दिया। ठीक यही सब एक के बाद एक प्रकाश और विक्रम के साथ भी हुआ।


तकरीबन 10 मिनट बाद ऐमी ने दरवाजा खोला। तीनों 10 मिनट में ही पागल की तरह बाहर आए। बाहर आते ही विक्रम, प्रकाश और लोकेश जमीन पर बैठ कर पाऊं पड़ने लगे।…. मात्र 10 मिनट अंधेरे में बिताया गया समय का असर था, जो तीनों भविष्य की कल्पना कर डर चुके थे।


प्रकाश:- तुम जो बोलोगे वो मै करूंगा, मेरे पास उम्मीद से बढ़कर पैसा है वो सब ले लो लेकिन मुझे जाने दो।


अपस्यु:- कितना पैसा है रे खजूर… यदि तू अपने 16000 करोड़ की बात कर रहा तो उसे मैंने उड़ा दिया। इसके अलावा है तो बता फिर तेरी रिहाई का सोचूंगा।


प्रकाश अपस्यु का गला पकड़ते…. "तूने मेरे सारे पैसे चोरी कर लिए।"..


अपस्यु ने बस नजर घुमा कर ऐमी और आरव के ओर देखा और दोनो के हाथ की पतली छड़ी उन पर बरसने लगी। विक्रम का भी पैसा गायब हो चुका था लेकिन प्रकाश के पीठ पर छड़ी के मार के छाले को देखकर उसने कुछ ना किया। दोनो में लोकेश चालाक निकला। उंगलियां चलाकर उसने अपना दूसरा अकाउंट ओपन किया और उस खाते के पैसे को देखकर तो आरव का मुंह खुला रह गया… "साला मामलामाल वीकली एक्सप्रेस, 30000 करोड़ इस खाते में भी हैं।"..


अपस्यु:- चल भाई लोकेश तू पीछे बैठ जा तेरी रिहाई का समय आ गया है। हां लेकिन बाप को ले जाने की बात करेगा तो जा नहीं पाएगा।


लोकेश अपने रिहाई की बात सुनकर खुश होते हुए एक किनारे बैठ गया। अपस्यु प्रकाश और विक्रम को देखकर कहने लगा… "यार तुम दोनो ने तो पैसे दिए नहीं, अच्छा चलो मेरे सवाल का जवाब दे दो और बदले में अपनी रिहाई ले लो। एक और बंपर ऑफर है, जवाब यदि काम का हुआ तो बदले में सारे केस हटवाकर खाते में 1000 करोड़ भी डलवा दूंगा, ताकि तुम्हारी बची जिंदगी आराम से कट सके। तो तैयार हो।"…. दोनो ने अपना सर हां में हिला दिया।


अपस्यु:- चन्द्रभान रघुवंशी के बच्चे के बारे में बताओ।


विक्रम:- चन्द्रभान रघुवंशी, तुम कैसे जानते हो?


चार छड़ी विक्रम की पीठ पर और छटपटा कर रह गया वो…. "सवालों के जवाब बस चाहिए, सवाल के बदले सवाल नहीं।"


ऐमी:- हुंह !


अपस्यु:- तुम्हे क्या हुआ स्वीटी.. अब ये गुस्सा क्यों?


ऐमी:- बेबी थोड़ा सा दे दो ना क्लैरिफिकेशन..


अपस्यु:- ऐमी ने कहा इसलिए बता देता हूं। हम तीनो इसी गुरुकुल के शिष्य है, और अपने 160 साथियों का बदला ले रहे है। विक्रम तुम्हारी सच्चाई जब मैंने नंदनी रघुवंशी से बताई तो वो मेरी हर बात मानती चली गई। उसे जो चाहिए था वो उसे मिला, और मुझे जो चाहिए था वो मुझे मिला। इसके बाद अब कोई सवाल मत पूछना, वरना बिना जवाब लिए मै जाऊंगा और तुम्हारी पूरी जिंदगी नरक बाना दूंगा। चन्द्रभान रघुवंशी के बच्चे के बारे में बताओ।


विक्रम:- उसकी 2 शादियां थी। एक शादी उसकी देहरादून में हुई थी, अचार्य माहिदीप की बहन अनुप्रिया से, और दूसरी शादी उसकी राजस्थान में कहीं हुई थी। अनुप्रिया से उसके 3 बच्चे है… सबसे बड़ी बेटी कलकी राधाकृष्ण, उससे छोटा एक बेटा परमहंस राधाकृष्ण और सबसे छोटा युक्तेश्वर राधाकृष्ण। दूसरी पत्नी को वो विदेश में रखता था इसलिए उसके बारे में पता नहीं, बस एक बेटा था उस पत्नी से।


अपस्यु:- बड़ा पेंचीदा इतिहास है रे बाबा। पहले तो तू ये बता की क्या अनुप्रिया को चन्द्रभान कि दूसरी शादी के बारे में पता था, और क्या उसकी दूसरी पत्नी या उसके परिवार को चन्द्रभान कि पहली शादी के बारे में पता था?


प्रकाश:- चन्द्रभान की दूसरी पत्नी को चन्द्रभान के बारे में कुछ नहीं पता था, और ना ही उसके परिवार को। हालांकि उनके परिवार को शक था लेकिन उन्हें इस बात का कभी फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि वो किसी भी तरह से अपनी बेटी की ब्याहना चाहते थे। दहेज में काफी धन संपत्ति भी मिला था चन्द्रभान को। शुरू में दोनो जयपुर रहे लेकिन बाद में चन्द्रभान कि दूसरी पत्नी की बहन ने चन्द्रभान को यूरोप में बिजनेस शुरू करने के लिए काफी मदद कि और वो लोग वहीं सैटल हो गए। यूं समझ लो कि उसकी दूसरी पत्नी के कारन वो खुद को यूरोप में स्थापित कर चुका था।


अपस्यु:- इसकी पहली पत्नी अनुप्रिया के बारे में बता?


प्रकाश:- अनुप्रिया मोहिनी है, ऐसा रूप जिसमे हर कोई फंस जाय।


विक्रम:- साले ठीक से बता ना तेरे भी उसके साथ संबंध रहे है, और ये जो तू कुछ साल पहले तक उसे आंख बंद करके सपोर्ट जो करता था, वो क्यों करता था?


अपस्यु:- मैंने सोचा छड़ी का प्रयोग ना करू लेकिन तुम मजबुर कर रहे विक्रम…


प्रकाश:- "मै बताता हूं पूरी कहानी। यदि तुम इस गुरुकुल के शिष्य रहे हो तो ये लोग तुम्हारे सीनियर बैच के है। गुरु निशी के पहले शिष्य। अनुप्रिया मतलब यूं समझ लो कि हम सबकी बॉस, आचार्य माहीदीप उसका भाई और उसकी साम्राज्य का सबसे दमदार खिलाड़ी, उसे सेकंड बॉस मान लो। जब इनकी सिक्षा पूरी हुई थी, तब इन दोनों भाई बहन ने गुरु निशी के नक्शे पर चलने का फैसला लिया और गुरुकुल का प्रचार करते थे।"

"गुरु निशी नैनीताल में आश्रम बनाए हुए थे और उनका आश्रम देहरादून के आसपास था। आचार्य माहीदीप देहरादून में शिष्यों को शिक्षा देते थे। वहीं अनुप्रिया भ्रमण करके गुरुकुल की सीक्षा का प्रचार किया करती थी। इसके 2 साथी और थे, जो शुरू से छिपे है। हालांकि हम लोगों के बीच ये चर्चा आम थी कि अनुप्रिया के द्वारा ये 2 साथी केवल भ्रमाने के लिए बताए गए थे, वरना इनका कोई अस्तित्व नहीं।"

"अगर उस मनगढ़ंत कैरेक्टर को सच भी मान ले तो ये लोग कुल 4 साथी थे, जिनके अंदर पागलपन कि भूख सवार रहती थी। मेरे पापा यूएस में एक प्रोफेसर थे और हमारी आमदनी भी अच्छी थी। हमारी पहली मुलाकात यूएस में ही हुई थी, जब अनुप्रिया यहां गुरुकुल के प्रचार के लिए आयी थी।"

"मै अनुप्रिया को देखकर जैसे पागल सा हो गया था। फिर उसके प्रवचन सुनने लगा। इनकी टोली में सामिल हो गया और 3 महीने मुझे माहीदीप के पास रखकर इसने मुझे ढोंगी वाचक बनना सिखाया था। मै पहली बार इसके मकसद से रू बरु हो रहा था। अनुप्रिया ने उसी दिन मुझ से कहा था, यदि मै उसके बताए रास्ते पर चलूंगा तो कुछ सालों बाद यूएस की पॉलिटिक्स में मेरा बहुत बड़ा नाम होगा। "

"जैसा-जैसा वो बोलती गई, वैसा मैं करता गया। इंडियन कम्युनिटी में मेरा अच्छा नाम हुआ। इसके अलावा कई यूएस के सिटिज़न भी हम से जुड़ गए और देखते ही देखते वहां मेरा नाम होने लगा।"

आरव अपने सर का बाल नोचते, 4-5 छड़ी घुमा दिया… "चुटिया हम तुम्हारा भूतो और वर्तमान तो जानते ही है, ज्यादा बकवास की ना तो भविष्य भी यहीं लिख देंगे।"
Mind blowing update bhai story kahan se kahan pahunch gayi aage dekhna padega
 
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