Update:-134
पहले से खौफजदा लोगों में नील ने और खौफ भड़ते, सबको हॉल के एक हिस्से में बिठाया और भागने का अंजाम वैसे ही कटी लाश का रूप दिखाया। देखते ही देखते खूनी खेल खत्म हो गया। रक्त में सरोवर होकर अपस्यु, लाशों कि ढेर पर खड़े होकर हुंकार भरी…. "तो दोस्तों पार्टी कैसी रही।"..
अपस्यु की आवाज़ बता रही थी कि अब इंसाफ होगा, रक्त का खेल खत्म हुआ। अपस्यु की आवाज़ पर एक-एक करके जैसे सबकी हिम्मत टूटी हो, सब के सब बेसुध होकर अपनी जगह बैठकर, कुछ देर तक रोते रहे। अपस्यु के आखों में भी आशु थे, ऐसा लगा जैसे अब शरीर में उसके भी जान नही, लेकिन खुद को संभाले वो अब बस अपने बचे दुश्मनों को देख रहा था।
इसी बीच अारूब की अगुवाई वाली इटेलिजेंस टीम भी वहां पहुंच गई। उफ्फ क्या मंजर था, पूरी जगह से खून की बू आ रही थी और कटे हुए लाश के पास कुछ रोते लोग और खून में पूरे डूबे सिना ताने खड़ा 2 आदमी दृश्य और अपस्यु।
इंटेलिजेंस टीम का एक एजेंट:- माय गॉड, दरिंदगी और हैवानियत है ये.. किसने किया ये पुरा कांड..
अपस्यु एक कदम आगे आकर… "अपनी एजेंसी में बता दीजिएगा, जेके और पल्लवी खत्री के शागिर्दों ने ये पुरा कांड किया है।"
इंटेलिजेंस ऑफिसर:- आज क्या हमे पुरा कचरा साफ करने के लिए रखा गया है?
अारूब:- हम ऑर्डर फॉलो करेंगे ऑफिसर। जो आज के दिन खत्म हुए है वो कोई साधु या महात्मा नहीं है।
अपस्यु:- काया, इन लोगों को जारा दिखा दो, किन कमीनो को अरेस्ट करना है।
काया ने जैसे ही अपने द्वारा अलग किए लोगों को दिखाई, वैसे ही प्रकाश जिंदल, विक्रम राठौड़ और लोकेश चिल्लाने लगा… "हमे भी अरेस्ट कर लो प्लीज, हमे भी अरेस्ट कर लो।"..
जैसे ही लोकेश ने अपनी जुबान खोली, निम्मी एक बड़ी मोटी सी पीन उसके जुबान के इस पार से उस पार निकालती, उसकी जुबान बंद कर दी। सारे ऑफिसर्स देखकर ही दंग रह गए… "सर आप अपना काम करो ना, ये कुछ ज्यादा ही बोल गुहार लगा रहा था, इसलिए जुबान बंद कर दी।
अारूब:- ऑफिसर्स टेक चार्ज और इन लोगों को इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर लेकर चलो। भाई अगर प्रूफ मिल जाता तो आगे की कार्यवाही शुरू हो जाती।
दृश्य:- अपस्यु इनके अरेस्ट होने की वजह दो।
अपस्यु:- कुंजल बेटा वो इनके सर्वर की बैकअप फाइल की हार्ड डिस्क दे दो।
अारूब वो हार्ड डिस्क लेने के बाद…. "थैंक्स ए लौट, हमारा काम खत्म हो गया है। हम कल तक का इंतजार करेंगे, बचे हुए मुख्य आरोपी की कहानी हम तक पहुंच जानी चाहिए।"..
अपस्यु:- मेघा, मनीष मिश्रा के साथ तुम यहां से निकलो। और हां अपने पिता को आखरी बार देखते जाना, बाकी बात मै बाद में करूंगा।
मेघा:- अपस्यु वो मेरे डैड है।
अपस्यु:- मेघा तुम्हे एक मौका मिल रहा है, और ये मौका मै तुम्हे केवल और केवल ध्रुव के वजह से दे रहा हूं, इसलिए तुम डिसाइड कर लो, तुम्हे यहां रुकना है या सुकून से आगे की जिंदगी, ईमानदारी से बितानी है।
मेघा:- सॉरी डैड, शायद स्वार्थी होना मैंने आपसे ही सीखा है। अपना ख्याल रखना।
तकरीबन 40 व्हाइट और ब्लैक कॉलर लोगों को लेकर वहां से इंटलीजेंस टीम निकल गई। साथ में 2 ड्रॉप थे मेघा और मनीष मिश्रा। उन सबके जाते ही 300 लोग उस पार्टी हॉल में पहुंच चुके थे। तकरीबन 100 वीरदोयी लड़कियां जो मन मारकर मजबूरी में उन करुर वीरदोयी के साथ फसी हुई थी, जिनको जीने का हौसला नील देती आ रही थी। इसके अलावा 20 के करीब वीरदोयी पुरुष भी बचे हुए थे जो अपने औरतों कि मजबूरी देखकर यहां रुकने और उनका कहा मानने पर विवश थे। 180 के करीब यहां के इनोसेंट स्टाफ और मज़े के लिए लाई गई लड़कियां थी जो यहां के लोगों के लिए काम करने के साथ उनका मनोरंजन भी किया करती थी।
नील:- कंट्रोल रूम में सजा में हकदार लोग चिपके है, मै चाहती हूं उस खोल दो ताकि उनका भी हिसाब इसी हॉल में हम कर दे। बहुत सोषण किया है हमारा इन हरामजादों ने।
ऐमी:- जैसा तुम चाहो।
ऐमी अपनी बात कहती कमांड ऑफ कर दी और सभी डस्ट पार्टिकल को वापस आने का कमांड दे दी।
दृश्य:- निम्मी जो शुरू किया है उसे अंजाम तक पहुंचा दो।
निम्मी:- नहीं मै नरक की आग ने जी हूं, इसने मेरे जिस्म को उन भूखे कुत्तों के सामने नहीं फेका था, बल्कि मेरे रूह को भी फेका था। मै चाहती हूं, ये जिंदा क्यों है इस बात के लिए तरसे। हर पल खुद को मारने के नए नए तरीके ढूंढे लेकिन इसे मौत ना मिले। नाह ! इसे मारना नहीं है, जिस नरक की आग से मै गुजरी हूं, उस नरक की आग ने जलाना है।
अपस्यु:- स्वास्तिका, इस धरती के बोझ को तैयार करो और मेडिकल सपोर्ट दो। लगता है दोनो बाप बेटे साथ ही रहेंगे। विक्रम राठौड़ तुम्हारे लिए तो ये अच्छी खबर है।
इतने में काया और नील के इशारे पर सभी टेक्निकल टीम के लोगों को उस हॉल में ले आया गया। उन लोगों ने जब वहां की हालत देखी और जिनके सह पर यहां के लड़कियों और औरतों को, बड़े ही निचपुर्ण ढंग से नोचते थे, उसकी लाशों के ढेर देखकर तो कितनों कि मूत निकल आयी। पहला हमला काया ने ही किया था। किसी पागल की तरह वो लगातार रोती हुई, उस अजय को जब चाकू से चीरना शुरू की, तब कई निर्दोष जो इनके सताए थे, सब की आग ऐसी भड़की की केवल लतों और घुसो से उनका काम तमाम कर दिया। ..
लगभग सारा माहौल पूर्ण रूप से शांत पर चुका था। वहां केवल 3 लोग जिंदा बचे थे, और तीनों को बांधकर बार काउंटर के पीछे डाल दिया गया था। अपस्यु काया को इशारे करते हुए कहने लगा, ये जगह तुमलोग साफ करके सभी लोग महल में मिलो।
रात के 11 बजे महल में सभा लग चुकी थी। काया और नील दोनो बराबर बैठी थी। अश्क, नील और काया की हालत देखकर शायद खुद में शर्मिंदा थी। बस यही ख्याल आता, इनके लड़कपन के दिनों में पहले उस डॉक्टर भार्गव ने इन्हे छला, और बाद में इनके अपने ही लोगों ने यहां लाकर इन्हे नोचा। उन्हें देखकर अश्क अपने कान पकड़ती हुई सॉरी कहने लगी… नील और काया दोनो ने उसके कान से हाथ हटाकर कहने लगी… "दिल में प्यार हो तो रिश्ते बने रहते है। अब फिर से मै बीते वक़्त की चर्चा नहीं कर सकती, शायद अब हम कभी ना मिले, कल तक हम ये जगह छोड़कर जा चुके होंगे। एक ही अच्छी याद लेकर जाऊंगी, मेरा बच्चा कोई दरिंदा नहीं बनेगा और तुमने हमारे लिए आशु बहाए।"..
आरव:- अरे आप सब जाने की बात क्यों कर रही हो। मै इस जगह को कमर्शियली डेवलप करने वाला हूं, नए लोगों को कहां से खोज कर लाऊंगा। इस जगह को डेवलप करने के लिए मै 2500 करोड़ देता हूं। आप दोनो यहीं रुको, और सबको पहले कि तरह लीड करो। इस जगह को अच्छे से डेवलप करो.. 4 रुपया आप प्रोफिट बनाओ, उसमे से बस 20 पैसा मुझे दे देना बाकी 3.80 रुपया आपस में बांट लो। अगर ये जगह डेवलप करने में 2500 करोड़ कम लग रहे हैं तो बता दो, मैं और फंडिंग कर दूंगा, बस ये जगह ना छोड़कर जाओ।
आरव की बात सुनकर, दृश्य हैरानी से देखते… "अबे ये क्या है, मतलब ये बहुत बड़ा बिजनेस खोपड़ी है क्या?"..
ऐमी:- येस ! पूरा मायलो ग्रुप की कमान ये सिंगल हैंड संभालने वाला है। इसकी बिजनेस करने का तरीका और आईडिया कमाल के है। ये किसी को भी फेयर टक्कर दे सकता है, बाकी गलत तरीके से कोई हमे टक्कर दे सकता है क्या।
अश्क:- नील, काया, काम भी मिल रहा है और जिम्मेदारी भी। प्लीज यहां से मत जाओ… तुम यहां रुकी रहोगी तो जूनियर और वैभव भी तुम्हरे पास आ जाएंगे। और उन दोनों से मिलने हम भी आते रहेंगे। सॉरी लव, सॉरी अपस्यु, मैंने बिना पूछे अपनी जुबान दे दी।
अश्क की बात सुनकर अपस्यु केवल ऐमी को ही देख रहा था, और ऐमी काया को… ऐसा लग रहा था जैसे अपस्यु और ऐमी का दिल जोड़ों से धड़क रहा हो और वो कुछ भी फैसला नहीं कर पा रहे।..
नील:- हम यहीं रुक रहे है। मेरा बच्चा अपनी दादा दादी के पास पल रहा है, उन्हें वहीं रहने दो। मै ही जाकर मिल लिया करूंगी। ऐमी, अपस्यु तुम्हारे बच्चे तुमसे कोई नहीं लेगा, क्योंकि सबको पता है उनके मां बाप कमजोर नहीं।
काया:- मै भी अपने बच्चे से मिल लीया करूंगी, उसे वहीं रहने दो, और दोनो ऐसे मायूस ना हो। हां लेकिन ये अश्क जुबान बहुत देती है। अश्क जी बस एक ख्वाहिश पूरी करने की जुबान दे दो। एक बार ये दृश्य बिना मेरा नाम जाने और मेरा चेहरा ठीक से देखे, मेरे साथ जो किया था, वो दोबारा अब करने बोलो, मुझे जानने के बाद, फिर मै यहां रुकती हूं।
अश्क:- हीहीहीही.. कपड़े उतारने के बाद किस बेवकूफ को नाम जानने या चेहरा देखने में इंट्रेस्ट रहता है झल्ली। जा ले जा, ना मै रोकूंगी और ना ही दृश्य को ताने दूंगी। बस इस बार ये मत कह देना, वीरदोयी अपना जबजों का वंश बढ़ने के लिए दृश्य और तुम्हरे मिलन से एक बच्चा चाहता है।…
अश्क की बात सुनकर सब लोग हंसने लगे.. इसी बीच स्वास्तिका हाथ के इशारे से दिखाने लगी, जहां पार्थ अकेले में बैठा ड्रिंक ले रहा था और उसके करीब निम्मी जा रही थी।…. स्वास्तिका इशारा करती हुई ऐमी से कहने लगी… "भाभी, प्लीज मुझे इन दोनों की बातें सुननी है।"..
ऐमी मुस्कुराती हुई सबको देखी, पार्थ के लिए हर कोई मुस्कुरा रहा था।.. ऐमी ने उस एरिया का ऑडियो कनेक्ट करके, सबके मोबाइल पर ऑडियो-वीडियो लाइव प्ले लिंक भेज दिया। हर कोई इयरपीस लगाकर, मोबाइल के जरिए कान और आंख दोनो पर लगाए…
निम्मी, पार्थ के ठीक सामने बैठकर अपनी हाथ आगे बढ़ती हुई… "हाय, मै निम्मी सिंह।"..
पार्थ:- नाइस टू मीट यू निम्मी, वैसे ये अजनबी की तरह मिलना।
निम्मी:- तुम्हरे पूरे टीम से मिली हूं, हर कोई कमाल का है और हर किसी में अद्भुत गुण, बस मै तुम्हे जज करने मै असफल हूं की तुममें कौन से गुण हैं।
पार्थ:- कमाल है जी, मैंने एक सवाल पूछा और उसका जवाब देने के बदले उल्टा एक अलग ही सवाल पूछ लिया।
निम्मी:- शायद मै गलत तरीके से मिली और मुझे तुम्हारे सवालों ने ये फील करवाया इसलिए जवाब ना देकर बात आगे बढ़ा दी।
पार्थ:- हाहाहाहा, चलो ये भी अच्छा है। और हां मुझमें कोई गुण नहीं। पहले तो ये भ्रम था कि मैं लड़कियों को पटाकर अपना काम निकाल सकता हूं, तुमसे मिला तो औक़द पता चली कि जिन लड़कियों को मैंने पटाया, वो दरसअल मुझ से खुद पटना चाहती थी।
निम्मी:- मतलब तुम इन लोगों के साथ केवल दोस्ती की वजह से हो, बाकी तुममें कुछ खास नहीं।
पार्थ:- हां मेरा दिल बहलाने के लिए मेरे दोस्त मुझसे कह देते थे कि मै ये जाल बनता हूं, वो जाल बनता हूं, लेकिन हम दोनों को ही पता था कि सब फेक है। हां लेकिन ऐसा नहीं कि मुझमें कोई खास बात नहीं। मै उनसे अलग होकर कहीं कोई गुमनाम ज़िन्दगी बिताऊं और कोई मुझे मारकर चले जाए। बस उनके कान तक ये खबर पहुंच जाए, फिर स्टेटस उनका जो भी हो, उनकी बैंक स्टोरी कितनी भी स्ट्रॉन्ग क्यों ना हो, मेरे दोस्त आएंगे और सबको साफ कर जाएंगे। सो मुझे खास बनाते हैं मेरे दोस्त और मुझे नहीं लगता कि इससे खास भी कुछ हो सकता है।
निम्मी:- हम्मम ! चलो अब मै चलती हूं। एक बार फिर से थैंक्स।
पार्थ:- ओ हसीना, शायद तुमने ठीक से सुना नहीं, मैंने कहा था जितनी लड़कियों को मैंने पटाया वो दरसअल खुद मुझसे पटना चाहती थी..
निम्मी:- तो..
पार्थ:- जब 2 महीने में इतने फासले तय करके सामने बैठ ही गई हो, तो कुछ अपने बारे में भी बताती चली जाओ..
निम्मी:- मै बहुत छोटे से कस्बे में पली हूं, चाकू चलाने का काफी शौक था, ये शौक मुझे गांव के मेले से आया, जब तमाशा दिखाने वाले चाकू का खेल दिखाया करते थे। छोटी सी उम्र का शौक, प्रैक्टिस करते-करते मैं इतना महिर हो गई की लोग मुझसे दूरियां, सिर्फ चाकू की वजह से बनाकर रखते थे। मै गांव के माहौल से वाकिफ थी, नज़रों में हवस और मौके की तलाश, इसलिए मै ज्यादा किसी को मुंह नहीं लगाया करती थी।