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Romance भंवर (पूर्ण)

Black water

Vasudhaiv Kutumbakam
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Update:-141




नीलू:- तुम दोनो भागो यहां से और जब हमारे कार मॉडिफाइड हो जाएंगे तब मुझे बुला लेना। यहां के सब लोगो को लेकर हम धमा चौकड़ी मचाने दिल्ली आएंगे.. और अभी के लिए एक पार्टी नाईट… काया सब को बुला लो यहीं उन्हें भी खुशखबरी दे दूं जरा….


अपस्यु:- प्लीज़ मुझे यहां मत रोको, मुझे एमी के साथ होना है..


नीलू, उसे आखें दिखाती…. "आज हम लोगों के बीच रुको, कल तुम और काया यहीं से साथ में चले जाना।"..


अपस्यु:- मरवा दिया तुमने, चलो कोई ना आज यहां की खुशियों में शरीक हो जाते हैं।


पार्टी नाईट यहां शुरू हो चुकी थी और अपस्यु सबकी खुशियों में शरीक होकर झूम रहा था। वहां की खुशियां तब दुगनी हो गई जब उन सब ने नीलू का अनाउंमेंट सुना, जिसे सुनकर सब ऐसा मेहसूस कर रहे थे, मानो एक अच्छी जिंदगी अब यहां शुरू होने वाली है।


पार्टी का माहौल केवल विषेन गांव में ही नहीं बल्कि मुंबई से थोड़ी दूर स्थित लुनावला के एक रिजॉर्ट में भी था, जहां राधाकृष्ण बंधु, यानी कि कलकी, परमहंस और युक्तेश्वर राधाकृष्ण अपने कई करीबी लोगों के साथ पार्टी मना रहे थे।


जाम टोस्ट हुआ और कालकी चिल्लाती हुई कहने लगी…. "प्रभु उन्हें सजा दे ही देते हैं, जो हमारा रास्ता काटने की कोशिश करते हैं।"..


युक्तेश्वर:- लोकेश जैसे कीड़े को साफ करने और दिल्ली का सारा मामला सुलझाने के लिए, मै श्रेया को बधाई देता हूं। ये श्रेया और उसकी टीम का कमाल ही था, जो दिल्ली में हमारा पुरा मामला सैटल कर आयी।


श्रेया:- नहीं मै इसके पीछे नहीं थी। हां जगदीश राय की कहानी का सेहरा मेरे सर दे सकते हो, लेकिन लोकेश के पीछे तो स्वयं काल लगा हुआ था, मायलो ग्रुप के मालिक का लड़का अपस्यु। लोकेश को तो प्रभु भी नहीं बचा सकते थे। यहां इस महफिल में कहना ग़लत नहीं होगा कि अपस्यु यदि आपके पीछे है, तो बुद्धिमानी इसी में है कि आप उससे रहम की भीख मांग ले और अपनी बची हुई जिंदगी उसके हिसाब से जी ले।


परमहंस:- इतने पहुंच वाले और क्षमता वाले ग्रुप के सामने, जब श्रेया उस लड़के अपस्यु की तारीफ कर रही है, मतलब उसके अंदर जरूर कुछ बात रही होगी। इसलिए जैसा की श्रेया ने कहा, वो बहुत क्षमता वाला है, इसलिए मै अपने भाई बहन के ओर से ये अनाउंसमेंट करता हूं कि लोकेश ने मायलो ग्रुप के साथ, हमारे सात्विक ट्रस्ट की कंपनी, वेरिएंट ग्रुप के बीच जो एक जंग छेड़ी थी, उसे मैं विराम देते हुए, हम नए मालिकों के साथ साफ-सुथरी प्रतियोगिता रखेंगे और प्रोफिट के लिए मार्केट के दूसरे सेक्टर्स में उतरेंगे, ताकि हमारा कभी आमना-सामना ना हो।

यदि भविष्य में आमना सामना होता भी है तो हम टेबल पर बैठकर मुद्दे को सुलझा लेंगे, क्योंकि बुद्धिमानी इसी में है कि ईगो के चक्कर में नए दुश्मन नहीं पाले जाए। तुम सब का क्या कहना है।


कलकि:- मै तो परम की बात का परम भक्त हूं, बिल्कुल सही कहा परम।

युक्तेश्वर:- हां सही है, जब दोस्त बनाकर काम होता है तो दुश्मन क्यों बनना। चलो पार्टी एन्जॉय किया जाए।


देर रात 1 बजे तक उनकी पार्टी चलती रही। सभी लोगों के जाने के बाद, तीनों भाई बहन एक टेबल पर बैठ गए। जहां अपस्यु और उसके क्षमता को लेकर चर्चा होने लगी। इस संदर्व में उन्होंने होम मिनिस्टर के ऑफिस के कुछ लोगों से बात भी किए और पूरे मामले की जानकारी भी लिया, की आखिर कैसे 15 अगस्त की रात अरेस्ट हुए इतने मजबूत लोग बाहर नहीं आ पाये। फिर जो उनको कहानी पता चली, होम मिनिस्टर के पीए शुक्ला से, उसपर तो तीनों स्तब्ध रह गए। जिन लोगों लोग को अपस्यु ने फंसाया था, उन्हीं के पैसे से उनको सजा दिलवा दिया।


सभी बातों पर गौर करती हुई कलकि कहने लगी…… "परम, युक्ते, क्या कहना है इसके बारे में।


युक्तेश्वर:- दीदी, इसमें बहुत गहराई है। हम इससे दुश्मनी नहीं करने का फैसला तो कर चुके हैं, अच्छा फैसला है, लेकिन..


परमहंस:- छोटे लेकिन क्या ?


युक्तेश्वर:- लेकिन इसके कुछ लोगों को करप्ट करना होगा, ताकि इसके अंदर की इंफॉर्मेशन मिलती रहे। मायलो ग्रुप हमारा डायरेक्ट कॉम्पिटीटर है, हम ब्लैक और व्हाइट दोनो घंधे में जितना नुकसान पिछले 1 साल से उठा रहे हैं, उतना तो हमने 4 साल में नहीं कमाया था। अब अगर ये मायलो से हमे टारगेट करता है और अपने बेस से हमारे ब्लैक को टारगेट करेगा तो अगले एक साल में हम बर्बाद हो जाएंगे।


परमहंस:- बात तो सही है दीदी, और पैसा किसे प्यारे नहीं। भले ही ब्लैक मनी का छोटा हिस्सा देकर उसने लोकेश और उसके कॉन्टैक्ट को खत्म किया हो। लेकिन जैसे ही उसे धंधे के बारे में पता चलेगा, वो उसमे हाथ जरूर डालेगा। और जिस हिसाब से पैसे खर्च करके उसने सबको सजा दिलवाया है, एक बात तो साफ है कि वो लोगों की सही कीमत जानता है और कौन कैसे टूटेगा उसका पूरा ज्ञान है। ऐसे लोग जब हमारे ब्लैक और व्हाइट दोनो धंधे को टारगेट करेगा, तब हमे बर्बाद होने ने महीना भी नहीं लगेगा।


कलिका:- "कभी-कभी जितने से ज्यादा हारना जरूरी होता है। कभी-कभी खुद को बलवान साबित करने से ज्यादा अच्छा, खुद को बेवकूफ और कमजोर दिखाना ज्यादा अच्छा है। बस नजर रखो और उसका एक भी आदमी, फिर चाहे वो लोकेश के गैंग का हो या फिर इससे जुड़ा हुआ कोई भी, अपने आस पास भी मंडराए तो समझ लेना वो हमे टारगेट कर रहा है।"

"वो अपनी रक्षा कर सकता है, अपने फैमिली कि रक्षा कर सकता है, लेकिन हर किसी पर नजर रख पाए संभव नहीं। उसे जितने दो, हमे नुकसान पहुंचाने दो और हम एक साथ पहला 10 टारगेट लेंगे। ऐसा मरेंगे उसे, की वो बौखलाकर पागल हो जाएगा। परेशान हो जाएगा कि पैसे बढ़ाए या परिवार बचाए और तब हम आमने-सामने बैठकर बातें करेंगे।"

"पैसे वो कमाये या हम अंत में आने तो हमारे पास ही है। वैसे भी वो लोकेश हमे 40000 करोड़ का नुकसान दे चुका था, अग्ला 100000 करोड़ का भी ये हमे नुकसान देदे, तब भी ये केवल हमारे हिस्से को ही बर्बाद करेगा, हमे नहीं। कर लेने दो इसे हमे बर्बाद, जीत लेने दो इसे अगर ये हमसे जितना चाह रहा है तो। अनुकूल टक्कर भी देते रहो, ताकि उसे लगे नहीं की जीत आसानी से मिल रही। पंगे करने का शौक है तो कर लेने दो पंगा… हम तीनो अंत में खेलना शुरू करेंगे।"


शतरंज की विषाद बिछ चुकी थी और दोनो ही पक्षों ने अपनी पहली चाल चल दी थी। शायद इस बार दोनो ही पक्ष एक जैसा खेल दिखाने के इरादे से उतरे थे। अपनी चाल चलकर बस सामने वाले पर नजर दिए रहना और दोनो को कोई भी हड़बड़ी नहीं थी कि सामने वाला चाल अगली चाल चलने में कितनी देर लगाने वाला है।


बहरहाल तकरीबन डेढ़ बजे तीनों भाई बहन ने अपने सभा को समाप्त किया और सोने चले गए। वहीं अपस्यु की सभा भी लगभग उतने ही बजे खत्म हुई, लेकिन वो सोने के बजाय, कार निकाला और ऐमी के पास चल दिया।


अंधेरी रात और लगभग सब सोए हुए। अपस्यु कार खड़ी करके अपने आंख मूंदकर आकलन करने लगा कि ऐमी कहां होगी। और जैसे ही उसे ऐमी का ख्याल आया, उसी के साथ प्यारी सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ गई। वो समझ चुका था कि ऐमी इस वक़्त कहां होगी, लेकिन इससे पहले कि ऊपर छत पर जाता, पीछे से उसके कंधे पर हाथ पड़ा और अपस्यु पीछे मुड़कर देखने लगा..


"निम्मी तुम, नींद नहीं आ रही थी क्या?"… अपस्यु पीछे मुड़ते हुए पूछने लगा..


निम्मी:- मैंने सुना था आप हर वक़्त चौकन्ने रहते है। इसे चौकन्ना कहेंगे। जितने लापरवाह आप अभी हुए हैं, इतने में तो पिस्तौल की पूरी मैग्जीन खाली हो जाती।


अपस्यु:- हा हा हा हा… मुझे माफ़ कीजिए मिस, आगे से इस बात का खास ख्याल रखूंगा।


निम्मी:- मुझे समझने के लिए आप का शुक्रिया। मुझे यकीन था आप जरूर आएंगे, इसलिए इंतजार कर रही थी।


अपस्यु:- लोकेश का क्या हुआ यही जानना है ना?


निम्मी:- आप को कैसे पता?


अपस्यु:- ये सीने कि आग ही कुछ ऐसी होती है। रुको दिखता हूं।


अपस्यु ने अपने मोबाइल का स्क्रीन ऑन किया और वहां लगे नाईट विजन कैमरे में वो लोकेश को देख पा रही थी जो नीचे लेटा काफी छटपटा रहा था। … "इसे कही कैद कर दिया है।"


अपस्यु:- केवल कैद ही नहीं किया है बल्कि जिंदगी में अंधेरा भी भर दिया है। बस दिन के कुल 1 घंटे की रौशनी इसके हिस्से में है जो इसके खाना पहुंचने के वक़्त होगा, बाकी 23 घंटे अंधेरे में जिएगा।


निम्मी:- आह ! सुकून मिला सुनकर। 4 दिन बाद मै निकल रही हूं, दृश्य भईया के साथ, क्या पार्थ भी चल सकता है हमारे साथ?


अपस्यु:- जब उसे चाहती हो फिर इतनी दूरी क्यों बनाई हुई थी।


निम्मी:- खुलकर चाहने का अवसर तो अब मिला है पहले तो शंका थी कि वो मुझे चाहता है, या मेरे जिस्म को। और बस इसी ख्याल से अपनी चाहत को समेटी थी क्योंकि पता ना अपनी नादानी में एक और बड़ी गलती कहीं ना कर जाती। वैसे भी सच कहूं तो प्यार जैसे कोई बात नहीं है, बस उसके साथ अब अच्छा लगने लगा है।


अपस्यु:- इसी को तो चाहत कहते हैं। खैर तुम उसे आराम से ले जाओ और दोनो एक दूसरे का ख्याल रखना। अब जाओ तुम आराम करो।


निम्मी:- ऐमी छत पर सो रही है लेकिन..


अपस्यु:- हां लेकिन तुम सब को आश्चर्य तब हो गया होगा जब मेरी मां पहले उसके साथ सोई होगी और देखते ही देखते मेरा पूरा खानदान वहीं सो गया होगा।


निम्मी हंसती हुई…. "आप सब पूरे मेंटल हो। मैं पहली बात इतने जिंदा लोगों को देख रही हूं। और हां आप लोगो की संगति में मेरा भाई भी सुधर गया है। अब पहले की तरह उसका व्यवहार नहीं रहा। मैं जा रही हूं, सुभ रात्रि।


निम्मी के साथ अपस्यु भी अंदर गया। छत पर जब वो पहुंचा तब वहां का नजारा ही कुछ और था। सब लोगो के बीच में ऐमी लेटी हुई थी।… "जब हमे ही परेशान करना है तो हम क्यों ना परेशान करें?"..


अपस्यु अपनी बात सोचकर मुस्कुराया। जुगाड भिड़ाया और नकली बारिश का खेल शुरू हो गया। कच्चे पक्के से सभी आंख मिंजते हुए हड़बड़ा कर उठे और तेजी में नीचे भागने लगे। सभी जम्हाई लेते हुए नीचे आ गए। कुछ वक़्त लगा सामान्य होने में, जबतक वीरभद्र, उसकी मां और निम्मी भी उनके पास पहुंच गई।


सब थोड़े से परेशान होते हुए, बारिश के बारे में कह ही रहे थे कि तभी उनका ध्यान निम्मी पर गया जो हंस रही थी… "ये कमीना अपस्यु, उसका सर फोड़ दूंगा मै".. आरव थोड़े गुस्से में कहने लगा….


नंदनी:- भाई को ऐसा बोलता है, थप्पड़ खाएगा क्या?


कुंजल:- और तक रात के 2.30 बजे आकर जिसने हमारे ऊपर पानी डाला और अपनी होने वाली को ले उड़ा, उसका कुछ नहीं। उसके नाम पर तो आपकी जुबान भी नही खुलती।


नंदनी भिड़ पर गौर करती…. "ऐमी कहां है।"..


स्वास्तिका:- तब से सब क्या कोरियन भाषा में समझा रहे थे। आपका चहेता अपनी बीवी के लिए हमे परेशान करके उसे ले गया। खुद तो एक दूसरे के साथ गुटुर-गुटूर कर रहे होंगे और फालतू में हमारी नींद खराब कर दिया।


इधर लोगों की जब भगदड़ मची थी, तब सब सीढ़ियों कि ओर जा रहे थे और ऐमी मुस्कुराती हुई पानी टंकी के ओर। दोनो की नजर जब एक दूसरे से मिली, दोनो मुसकुराते हुए एक दूसरे को चूमने लगे और चोर की तरह नीचे उतर गए। गाड़ी तेज रफ्तार में चल रही थी और दोनो एक दूसरे को देखकर हंसते हुए घरवालों के रिएक्शन के बारे में सोच रहे थे।
Super fabulous update bhai
 

aman rathore

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सजा तय हो चुकी थी और बची खुची जिंदगी अब अंधेरों में गुजरने वाली थी। विक्रम, प्रकाश और लोकेश को जिंदा रखने का सारा इंतजाम वहां पहले से कर दिया गया था, और उन्हें हर हाल में जिंदा रखना था। हर वक़्त अपने मौत कि कामना करे ऐसी ज़िन्दगी देकर, तीनों वहां से निकल गए।


ऐमी:- आरव वीरदोयी की एक छोटी सी टीम के साथ तुम आगे बढ़ो, और उसकी एक टीम के साथ हम आगे बढ़ते हैं।


अपस्यु:- ज्यादा काम सेहत के लिए अच्छा नहीं है स्वीटी, 1 महीने का विश्राम लेंगे।


आरव:- कमिनेपन की हद। जब-जब इसने कहा है हम कुछ दिनों के लिए कोई काम नहीं करेंगे, तब-तब ये अकेले पूरे व्यूह की रचना कर जाता है। मेरे इंगेजमेंट के वक़्त भी इसने सबको स्टैंडबाय में रखा था और किसी को बिना खबर किए सारा खेल रच दिया। मुझे तुमपर विश्वास नहीं।


ऐमी:- और मुझे भी..


अपस्यु:- तुम दोनो थोड़ा धीरज धरो। मैंने तुम दोनों को 1 महीने का विश्राम दिया है। मैं भी विश्राम में ही रहूंगा बस बहुत ही धीमे तरीके से आगे चलेंगे। इस पूरे इवेंट का बॉस मैं हूं, शुरू में ही तय हो गया था, कोई सवाल।


आरव:- बस मरना मत, कोई सवाल नही।


ऐमी:- मै अब तुमसे दूर नहीं रह सकती, बाकी 1 महीने का विश्राम मंजूर है।


अपस्यु:- ठीक है चलो अब मां के पास, 5 बजने ही वाले है।


हेलीकॉप्टर वहीं निमेष गांव के पास ही लैंड हुई, जहां नंदनी रघुवंशी पहले से ही पहुंची हुई थी। सच ही है आज के युग में धन ही धर्म है। कुंवर सिंह के जिस परिवार को लोग अब तक बुरा कहते आ रहे थे, 24 घंटे के अंदर सबके विचार स्वतः ही बदल गए।


ना तो खुद को सच्चा साबित करने की जरूरत हुई और ना ही कोई दलील पेश किए गए, लेकिन फिर भी गांव के लोग कुंवर सिंह राठौड़ जिंदाबाद, नंदनी रघुवंशी जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। एक प्रशिक्षित टीम वहीं खड़ी थी जो गांव वालों को पूरा नक्शा समझा रही थी और कानूनी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर लिए जा रहे थे।


नंदनी गांव के पंचायत भवन में बैठी वहां के लोगों को सुन रही थी, अपनें दोनो बेटे और बहू को देखकर नंदनी मुस्कुराने लगी और धीमे से कुंजल के कान में कुछ कहने लगी। कुंजल, नंदनी की बात सुनकर थोड़ी हैरान हुई और वहां से उठकर दोनो के पास चली आयी…. "मां बोल रही है वो ये सारा काम खुद हैंडल करना चाहती है, वीरभद्र के यहां तबतक तुम लोग रिश्ते की बात शुरू करो।"..


ऐमी, हंसती हुई… "तो तुम क्यों इतना मायूस बनी हुई हो।"..


कुंजल:- सब लोग बाहर आओ, यहां नहीं बात करना मुझे…


चारो बाहर निकल कर आए, कुंजल अपस्यु और ऐमी पर बरसती हुई…. "मैंने तो बस ऐसे ही कही थी, आप लोग तो सीरियसली मेरी शादी वीरे से करवाने पर उतारू हो गए। मां को किसने बताया, इस बारे में।


आरव:- वैसे तेरे और वीरे की शादी होगी तो जुगलबंदी अच्छी सुनने को मिलेगी.. वीरे जी, कुंजल जी..


कुंजल, आरव का कॉलर पकड़ती… "ज्यादा मज़ाक किए तो मैं मुंह तोड़ दूंगी।"


अपस्यु:- हद है, तुझे अरेंज मैरेज भी करना है, लड़का घर जमाई भी चाहिए और जब हम रिश्ते की बात करने जा रहे हैं तब तू गुंडई पर उतर आयी है..


कुंजल:- ऑफ ओ … मैं कही क्या मुझे अभी शादी करनी है, लड़का ढूंढो अभी। देखो मेरा दिमाग मत खराब करो और हां मुझे वीरे पसंद नहीं।


ऐमी:- मतलब कोई और पसंद है..


"हद है यार"… कुंजल नकियाते हुए कहने लगी और चिढ़कर वहां से भाग गई। उसे ऐसे भागते देख तीनों हसने लगे। तकरीबन 1 घंटे बाद नंदनी वहां का सारा काम निपटाकर वीरभद्र के घर चली आयी।


नंदनी के कदम उस घर में क्या परे ऐसा लगा जैसे श्री कृष्ण, सुदामा के यहां पधारे हो। आव भगत और स्वागत में कोई कमी नहीं थी। लेकिन माहौल तब बिगड़ गया जब नंदनी तकरीबन 40 लोगों के बीच में यह बात कहने लगी कि वो उसके घर रिश्ता लेकर आयी है।


जैसे ही यह बात कुंजल के कान में गई वो बौखलाकर नंदनी के ओर जाने लगी किन्तु स्वास्तिका मामले को संभालती हुई उसका हाथ पकड़कर रोकती हुई, उससे बात खत्म होने तक का इंतजार करने के लिए धीमे से कहीं।


इधर वीरभद्र की मां ये बात सुनकर क्या कहे और क्या ना कहे उसे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। वो घबराई सी आवाज़ में पूछने लगी…. "जी आप ये क्या कह रही है।"..


नंदनी:- हां आपने बिल्कुल सही सुना है। मुझे मेरे बेटे पार्थ के लिए आपकी बेटी निम्मी का हाथ चाहिए। दोनो एक दूसरे को देख चुके है। पार्थ को निम्मी बेहद पसंद है, आप चाहे तो निम्मी से पूछ लीजिए, यदि उसे भी पार्थ पसंद हो तो हम दोनों कि सगाई करते हुए चले जाएंगे।


पार्थ जो तब से केवल ख़ामोश बैठा हुआ था, नंदनी की बात सुनकर बिल्कुल हैरान सा हो गया। हालांकि हैरान वहां 2 लोग थे। एक तो कुंजल, जिसका सर दर्द केवल इतनी सी बात को लेकर हो गया, कि वो बस समझाने के लिए वीरे और उसकी शादी की बात कह रही थी और लोगों ने सीरियसली ले लिया।


दूसरे अपने पार्थ भईया जो निम्मी की पजल में डूबे थे कि निम्मी उस शाम किस ओर इशारा कर गई जो अब तक वो समझ नहीं पाया और अगर जल्द ही उसने निम्मी बातों का सही मतलब नहीं निकाल पाया तो वो दृश्य के साथ चली जाएगी।
पार्थ, स्वास्तिका से… "नॉटी, ये आंटी अचानक से रिश्ते की बात करने आ गई"…


स्वास्तिका:- क्यों तुझे अच्छा नहीं लगा। रुक एक मिनट, मां पार्थ कुछ कह रहा है..


नंदनी:- हां बोलो ना पार्थ..


पार्थ:- मैं कहां कुछ बोल रहा था, वो स्वास्तिका को सुनने में कुछ गलतफमियां हुई थी शायद….. (फिर धीमे से स्वास्तिका से) पागल है क्या तू नॉटी..


स्वास्तिका:- डफर कहीं का.. उस दिन निम्मी ने साफ तौर पर तो कही थी कि वो गांव के लोगो और उनकी नजर को जानती है, इसलिए किसी को अपने मुंह नहीं लगने देती। वहीं उसने लोकेश के बारे में भी बताया, जबकि उसे पता था कि तुम यह बात जानते हो..


पार्थ:- कमिने हो तुम सब, छिपकर मेरी बात सुन रहे थे।


स्वास्तिका:- तेरे लिए हमारा बात सुनना मायने रखता है या निम्मी।


पार्थ:- निम्मी…


स्वास्तिका:- हां तो ध्यान से सुन, निम्मी का साफ इशारा था, तुम उससे अच्छे लगते हो, बस दूसरी लड़कियों को ताड़ना बंद कर दो और वो अपना प्यार तुम्हे तब दिखाएगी जब उसकी मां तुम्हारे और उसके रिश्ते के लिए राजी हो जाए।


पार्थ:- पहले प्यार का इजहार करने में क्या परेशानी थी?


स्वास्तिका:- गधा है तू, डफर। यह गांव है। यहां प्यार मतलब सेक्स और शादी मतलब इमोशन।


पार्थ:- अती बेवकूफ हो, प्यार मतलब सेक्स कब से होने लगा..


स्वास्तिका:- तुझे बात की गहराई को जाननी है तो अपस्यु से मिल ले। हद है यार, ये गांव है, यहां जात में शादी होती है, और एक ही गांव लड़का और लड़की की शादी भी नहीं होती। ऐसे में वो किसी से प्यार करके, फिर उसके लिए घरवालों से लड़े, बाद में उसके घरवाले दोनो को कबूल करते है या इमोशनल ब्लैकमेल करके उसकी शादी कहीं और करवा देते है, उतना रिस्क वो नहीं लेना चाहती थी, इसलिए उसने मन बना लिया था कि जिससे शादी होगी, प्यार उसी से कर लेगी और तबतक वो अपने काम में व्यस्त रहेगी। बस ये मेरी समीक्षा है और शायद सारी बातें समझा दी मैंने। अपस्यु को भी पता है ये बात, तभी तो उसने कल लोकेश की कहानी समाप्त करने के बाद भी तेरे लिए सोचा और ना जाने कब मां से बात करके ये सब प्लान कर लिया, वरना देर रात तक तो वो हम सब से बातें ही कर रहा था।


पार्थ:- यार कितना गजब है ना अपस्यु। इतना बड़ा काम करने के बाद तो दिमाग में जीत कि खुशी ही चलती। लेकिन फिर भी उसे मेरा ख्याल रहा।


स्वास्तिका:- ज्यादा इमोशनल ना हो। बात हम सब में से किसी की भी होती तो वो लोकेश का काम भले 4 दिन में समाप्त करता, लेकिन अपना काम पहले कर देता।


दोनो अपनी बात कर रहे थे और दोनो में से किसी का ध्यान वहां के माहौल पर तबतक नहीं गया, जबतक नंदनी ने पार्थ से ये नहीं कह दी कि जाकर तैयार होकर आए, बस कुछ ही देर में उसकी सगाई है। पार्थ को ऐसा लगा जैसे बिन मांगे सब मुराद मिल गई है।


इधर स्वास्तिका खुद गई और निम्मी को तैयार करके लाई। अलहड़ सी दिखने वाली लगी, जब सगाई के लिए तैयार होकर अाई थी, तब पहली बार उसकी खूबसूरती का भी पता लग रहा था। और चेहरे पर आयी वो शर्मो-हया, जो घरवालों के पास होने के कारन निम्मी मेहसूस कर रही थी और लोगों को वो साफ दिख रहा था।


इन दोनों का काम तो हो गया, साथ ही साथ जब सब फुरसत हुए तो कुंजल से क्या बदला लिया गया था। स्वास्तिका और ऐमी ने तो जैसे उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया हो। जबतक वो नंदनी के आंचल में अपना मुंह ना छिपा ली, तबतक सब उसे चिढ़ाते ही चले गए।


सभी कार्यक्रम पूर्ण होने में काफी समय लग चुका था, इसलिए तय यह हुआ कि एक रात वीरभद्र की मेहमान नवाजी स्वीकार करने के बाद कल सुबह सब यहां से निकलेंगे। नंदनी की बात मानते हुए हर कोई वहीं रुक गया सिवाय अपस्यु के जिसके दिमाग में कल रात से ही कुछ और चल रहा था, जिसे वो फिलहाल किसी के साथ साझा नहीं कर सकता था।


थोड़ी सी मेहनत थोड़ी सी झूठ और अपस्यु जिस हेलीकॉप्टर से आया था उसी हेलीकॉप्टर में बैठकर अपने हाई टेक गांव निमेष पहुंच गया था। जैसे ही अपस्यु वहां के महल में दाखिल हुआ, सामने हॉल में ही….. "इतने सारे घर खाली परे हैं फिर भी यहां हॉल में"…


नीलू:- तू चालू रख रे, मज़ा ना खराब करो… उम्म्म ! अभी निकलो यहां से या बैठकर टीवी देखो, लेकिन मज़े को बर्बाद नहीं करो…


अपस्यु अपना सर पीटते हुए वहां से चला गया और नीलू को अपना मज़ा खत्म करके, काया के साथ कमरे में आने के लिए बोल दिया। तकरीबन आधे घंटे बाद दोनो कमरे में पहुंची….


अपस्यु:- हद है, खुले हॉल में सेक्स कौन करता है, यार इतने तो कमरे है यहां..


नीलू:- वो लड़का बेचारा अपनी मां के पास हमेशा के लिए जा रहा था और आज तक यहां किसी लड़की को टच भी नहीं कर पाया था, जबकि उसके सामने कई लोग मज़े लिया करते थे। बेचारे पर दया आ गई और वक़्त कम था, इसलिए उसकी हसरत वहीं पूरी कर दी। अब क्या तुम इस बात को लेकर टोक रहे.. वैसे तुम्हे यहां कौन सी याद खींचकर ले आयी।


अपस्यु:- बस ऐसे ताने की जरूरत नहीं। सेक्स की भूख नहीं खींच लाई मुझे, जो ऐसे पूछ रही हैं मैम। आप सब आदरणीय है और मुझे आपके लाइफ स्टाइल से कोई आपत्ती नहीं, मुझे एक बड़ा काम निपटाना है और उसपर कल से काम शुरू करना है।


काया:- मतलब हमारी मदद चाहिए।


अपस्यु:- हां मदद कि उम्मीद से आया हूं।


नीलू:- इसमें हमारा क्या फायदा होगा..


अपस्यु:- क्या फायदा चाहिए।


नीलू:- सम्मान..

अपस्यु:- मतलब..


नीलू:- जाने अंजाने में हम बहुत गलत कर गए हैं, अब कुछ ऐसा काम चाहिए जो अपने आप में लगे कि इस जीवन में कुछ तो अच्छा किया है।


अपस्यु:- हम्मम ! आज के बाद कभी ऐसा मेहसूस नहीं होगा कि पहले कभी गलत की हो।


नीलू:- मै तैयार हूं।


काया:- तुम्हारे काम के लिए हम सब तैयार है, और आखरी तक तैयार रहेंगे..


अपस्यु:- ठीक है फिर तैयार रहो, किसी की लंका भेदनी है।


काया:- हमे करना क्या होगा।


अपस्यु:- 3 लोगों को पूरी तरह सड़क पर लाना।


काया:- उनकी डिटेल..


अपस्यु कुछ तस्वीरें दिखाते…. "इस तस्वीर में जो लड़की है.."


जबतक अपस्यु इतना बोल रहा था तभी बीच में नीलू कहने लगी… "सात्विक आश्रम के संचालक महादीपी की भांजी और अनुप्रिया की बेटी कलकी है। दूसरा उसका छोटा भाई परमहंस और तीसरा सबसे छोटा भाई युक्तेश्वर है। जिल्लत की नई ऊंचाई दिखाई थी इसने मुझे। मेरा चरित्र क्या है इसे अच्छे से समझाया था मुझे। दोनो ही कमिने पन की नई परिभाषा है, बिल्कुल मीठा जहर।
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सजा तय हो चुकी थी और बची खुची जिंदगी अब अंधेरों में गुजरने वाली थी। विक्रम, प्रकाश और लोकेश को जिंदा रखने का सारा इंतजाम वहां पहले से कर दिया गया था, और उन्हें हर हाल में जिंदा रखना था। हर वक़्त अपने मौत कि कामना करे ऐसी ज़िन्दगी देकर, तीनों वहां से निकल गए।


ऐमी:- आरव वीरदोयी की एक छोटी सी टीम के साथ तुम आगे बढ़ो, और उसकी एक टीम के साथ हम आगे बढ़ते हैं।


अपस्यु:- ज्यादा काम सेहत के लिए अच्छा नहीं है स्वीटी, 1 महीने का विश्राम लेंगे।


आरव:- कमिनेपन की हद। जब-जब इसने कहा है हम कुछ दिनों के लिए कोई काम नहीं करेंगे, तब-तब ये अकेले पूरे व्यूह की रचना कर जाता है। मेरे इंगेजमेंट के वक़्त भी इसने सबको स्टैंडबाय में रखा था और किसी को बिना खबर किए सारा खेल रच दिया। मुझे तुमपर विश्वास नहीं।


ऐमी:- और मुझे भी..


अपस्यु:- तुम दोनो थोड़ा धीरज धरो। मैंने तुम दोनों को 1 महीने का विश्राम दिया है। मैं भी विश्राम में ही रहूंगा बस बहुत ही धीमे तरीके से आगे चलेंगे। इस पूरे इवेंट का बॉस मैं हूं, शुरू में ही तय हो गया था, कोई सवाल।


आरव:- बस मरना मत, कोई सवाल नही।


ऐमी:- मै अब तुमसे दूर नहीं रह सकती, बाकी 1 महीने का विश्राम मंजूर है।


अपस्यु:- ठीक है चलो अब मां के पास, 5 बजने ही वाले है।


हेलीकॉप्टर वहीं निमेष गांव के पास ही लैंड हुई, जहां नंदनी रघुवंशी पहले से ही पहुंची हुई थी। सच ही है आज के युग में धन ही धर्म है। कुंवर सिंह के जिस परिवार को लोग अब तक बुरा कहते आ रहे थे, 24 घंटे के अंदर सबके विचार स्वतः ही बदल गए।


ना तो खुद को सच्चा साबित करने की जरूरत हुई और ना ही कोई दलील पेश किए गए, लेकिन फिर भी गांव के लोग कुंवर सिंह राठौड़ जिंदाबाद, नंदनी रघुवंशी जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे। एक प्रशिक्षित टीम वहीं खड़ी थी जो गांव वालों को पूरा नक्शा समझा रही थी और कानूनी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर लिए जा रहे थे।


नंदनी गांव के पंचायत भवन में बैठी वहां के लोगों को सुन रही थी, अपनें दोनो बेटे और बहू को देखकर नंदनी मुस्कुराने लगी और धीमे से कुंजल के कान में कुछ कहने लगी। कुंजल, नंदनी की बात सुनकर थोड़ी हैरान हुई और वहां से उठकर दोनो के पास चली आयी…. "मां बोल रही है वो ये सारा काम खुद हैंडल करना चाहती है, वीरभद्र के यहां तबतक तुम लोग रिश्ते की बात शुरू करो।"..


ऐमी, हंसती हुई… "तो तुम क्यों इतना मायूस बनी हुई हो।"..


कुंजल:- सब लोग बाहर आओ, यहां नहीं बात करना मुझे…


चारो बाहर निकल कर आए, कुंजल अपस्यु और ऐमी पर बरसती हुई…. "मैंने तो बस ऐसे ही कही थी, आप लोग तो सीरियसली मेरी शादी वीरे से करवाने पर उतारू हो गए। मां को किसने बताया, इस बारे में।


आरव:- वैसे तेरे और वीरे की शादी होगी तो जुगलबंदी अच्छी सुनने को मिलेगी.. वीरे जी, कुंजल जी..


कुंजल, आरव का कॉलर पकड़ती… "ज्यादा मज़ाक किए तो मैं मुंह तोड़ दूंगी।"


अपस्यु:- हद है, तुझे अरेंज मैरेज भी करना है, लड़का घर जमाई भी चाहिए और जब हम रिश्ते की बात करने जा रहे हैं तब तू गुंडई पर उतर आयी है..


कुंजल:- ऑफ ओ … मैं कही क्या मुझे अभी शादी करनी है, लड़का ढूंढो अभी। देखो मेरा दिमाग मत खराब करो और हां मुझे वीरे पसंद नहीं।


ऐमी:- मतलब कोई और पसंद है..


"हद है यार"… कुंजल नकियाते हुए कहने लगी और चिढ़कर वहां से भाग गई। उसे ऐसे भागते देख तीनों हसने लगे। तकरीबन 1 घंटे बाद नंदनी वहां का सारा काम निपटाकर वीरभद्र के घर चली आयी।


नंदनी के कदम उस घर में क्या परे ऐसा लगा जैसे श्री कृष्ण, सुदामा के यहां पधारे हो। आव भगत और स्वागत में कोई कमी नहीं थी। लेकिन माहौल तब बिगड़ गया जब नंदनी तकरीबन 40 लोगों के बीच में यह बात कहने लगी कि वो उसके घर रिश्ता लेकर आयी है।


जैसे ही यह बात कुंजल के कान में गई वो बौखलाकर नंदनी के ओर जाने लगी किन्तु स्वास्तिका मामले को संभालती हुई उसका हाथ पकड़कर रोकती हुई, उससे बात खत्म होने तक का इंतजार करने के लिए धीमे से कहीं।


इधर वीरभद्र की मां ये बात सुनकर क्या कहे और क्या ना कहे उसे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। वो घबराई सी आवाज़ में पूछने लगी…. "जी आप ये क्या कह रही है।"..


नंदनी:- हां आपने बिल्कुल सही सुना है। मुझे मेरे बेटे पार्थ के लिए आपकी बेटी निम्मी का हाथ चाहिए। दोनो एक दूसरे को देख चुके है। पार्थ को निम्मी बेहद पसंद है, आप चाहे तो निम्मी से पूछ लीजिए, यदि उसे भी पार्थ पसंद हो तो हम दोनों कि सगाई करते हुए चले जाएंगे।


पार्थ जो तब से केवल ख़ामोश बैठा हुआ था, नंदनी की बात सुनकर बिल्कुल हैरान सा हो गया। हालांकि हैरान वहां 2 लोग थे। एक तो कुंजल, जिसका सर दर्द केवल इतनी सी बात को लेकर हो गया, कि वो बस समझाने के लिए वीरे और उसकी शादी की बात कह रही थी और लोगों ने सीरियसली ले लिया।


दूसरे अपने पार्थ भईया जो निम्मी की पजल में डूबे थे कि निम्मी उस शाम किस ओर इशारा कर गई जो अब तक वो समझ नहीं पाया और अगर जल्द ही उसने निम्मी बातों का सही मतलब नहीं निकाल पाया तो वो दृश्य के साथ चली जाएगी।
पार्थ, स्वास्तिका से… "नॉटी, ये आंटी अचानक से रिश्ते की बात करने आ गई"…


स्वास्तिका:- क्यों तुझे अच्छा नहीं लगा। रुक एक मिनट, मां पार्थ कुछ कह रहा है..


नंदनी:- हां बोलो ना पार्थ..


पार्थ:- मैं कहां कुछ बोल रहा था, वो स्वास्तिका को सुनने में कुछ गलतफमियां हुई थी शायद….. (फिर धीमे से स्वास्तिका से) पागल है क्या तू नॉटी..


स्वास्तिका:- डफर कहीं का.. उस दिन निम्मी ने साफ तौर पर तो कही थी कि वो गांव के लोगो और उनकी नजर को जानती है, इसलिए किसी को अपने मुंह नहीं लगने देती। वहीं उसने लोकेश के बारे में भी बताया, जबकि उसे पता था कि तुम यह बात जानते हो..


पार्थ:- कमिने हो तुम सब, छिपकर मेरी बात सुन रहे थे।


स्वास्तिका:- तेरे लिए हमारा बात सुनना मायने रखता है या निम्मी।


पार्थ:- निम्मी…


स्वास्तिका:- हां तो ध्यान से सुन, निम्मी का साफ इशारा था, तुम उससे अच्छे लगते हो, बस दूसरी लड़कियों को ताड़ना बंद कर दो और वो अपना प्यार तुम्हे तब दिखाएगी जब उसकी मां तुम्हारे और उसके रिश्ते के लिए राजी हो जाए।


पार्थ:- पहले प्यार का इजहार करने में क्या परेशानी थी?


स्वास्तिका:- गधा है तू, डफर। यह गांव है। यहां प्यार मतलब सेक्स और शादी मतलब इमोशन।


पार्थ:- अती बेवकूफ हो, प्यार मतलब सेक्स कब से होने लगा..


स्वास्तिका:- तुझे बात की गहराई को जाननी है तो अपस्यु से मिल ले। हद है यार, ये गांव है, यहां जात में शादी होती है, और एक ही गांव लड़का और लड़की की शादी भी नहीं होती। ऐसे में वो किसी से प्यार करके, फिर उसके लिए घरवालों से लड़े, बाद में उसके घरवाले दोनो को कबूल करते है या इमोशनल ब्लैकमेल करके उसकी शादी कहीं और करवा देते है, उतना रिस्क वो नहीं लेना चाहती थी, इसलिए उसने मन बना लिया था कि जिससे शादी होगी, प्यार उसी से कर लेगी और तबतक वो अपने काम में व्यस्त रहेगी। बस ये मेरी समीक्षा है और शायद सारी बातें समझा दी मैंने। अपस्यु को भी पता है ये बात, तभी तो उसने कल लोकेश की कहानी समाप्त करने के बाद भी तेरे लिए सोचा और ना जाने कब मां से बात करके ये सब प्लान कर लिया, वरना देर रात तक तो वो हम सब से बातें ही कर रहा था।


पार्थ:- यार कितना गजब है ना अपस्यु। इतना बड़ा काम करने के बाद तो दिमाग में जीत कि खुशी ही चलती। लेकिन फिर भी उसे मेरा ख्याल रहा।


स्वास्तिका:- ज्यादा इमोशनल ना हो। बात हम सब में से किसी की भी होती तो वो लोकेश का काम भले 4 दिन में समाप्त करता, लेकिन अपना काम पहले कर देता।


दोनो अपनी बात कर रहे थे और दोनो में से किसी का ध्यान वहां के माहौल पर तबतक नहीं गया, जबतक नंदनी ने पार्थ से ये नहीं कह दी कि जाकर तैयार होकर आए, बस कुछ ही देर में उसकी सगाई है। पार्थ को ऐसा लगा जैसे बिन मांगे सब मुराद मिल गई है।


इधर स्वास्तिका खुद गई और निम्मी को तैयार करके लाई। अलहड़ सी दिखने वाली लगी, जब सगाई के लिए तैयार होकर अाई थी, तब पहली बार उसकी खूबसूरती का भी पता लग रहा था। और चेहरे पर आयी वो शर्मो-हया, जो घरवालों के पास होने के कारन निम्मी मेहसूस कर रही थी और लोगों को वो साफ दिख रहा था।


इन दोनों का काम तो हो गया, साथ ही साथ जब सब फुरसत हुए तो कुंजल से क्या बदला लिया गया था। स्वास्तिका और ऐमी ने तो जैसे उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया हो। जबतक वो नंदनी के आंचल में अपना मुंह ना छिपा ली, तबतक सब उसे चिढ़ाते ही चले गए।


सभी कार्यक्रम पूर्ण होने में काफी समय लग चुका था, इसलिए तय यह हुआ कि एक रात वीरभद्र की मेहमान नवाजी स्वीकार करने के बाद कल सुबह सब यहां से निकलेंगे। नंदनी की बात मानते हुए हर कोई वहीं रुक गया सिवाय अपस्यु के जिसके दिमाग में कल रात से ही कुछ और चल रहा था, जिसे वो फिलहाल किसी के साथ साझा नहीं कर सकता था।


थोड़ी सी मेहनत थोड़ी सी झूठ और अपस्यु जिस हेलीकॉप्टर से आया था उसी हेलीकॉप्टर में बैठकर अपने हाई टेक गांव निमेष पहुंच गया था। जैसे ही अपस्यु वहां के महल में दाखिल हुआ, सामने हॉल में ही….. "इतने सारे घर खाली परे हैं फिर भी यहां हॉल में"…


नीलू:- तू चालू रख रे, मज़ा ना खराब करो… उम्म्म ! अभी निकलो यहां से या बैठकर टीवी देखो, लेकिन मज़े को बर्बाद नहीं करो…


अपस्यु अपना सर पीटते हुए वहां से चला गया और नीलू को अपना मज़ा खत्म करके, काया के साथ कमरे में आने के लिए बोल दिया। तकरीबन आधे घंटे बाद दोनो कमरे में पहुंची….


अपस्यु:- हद है, खुले हॉल में सेक्स कौन करता है, यार इतने तो कमरे है यहां..


नीलू:- वो लड़का बेचारा अपनी मां के पास हमेशा के लिए जा रहा था और आज तक यहां किसी लड़की को टच भी नहीं कर पाया था, जबकि उसके सामने कई लोग मज़े लिया करते थे। बेचारे पर दया आ गई और वक़्त कम था, इसलिए उसकी हसरत वहीं पूरी कर दी। अब क्या तुम इस बात को लेकर टोक रहे.. वैसे तुम्हे यहां कौन सी याद खींचकर ले आयी।


अपस्यु:- बस ऐसे ताने की जरूरत नहीं। सेक्स की भूख नहीं खींच लाई मुझे, जो ऐसे पूछ रही हैं मैम। आप सब आदरणीय है और मुझे आपके लाइफ स्टाइल से कोई आपत्ती नहीं, मुझे एक बड़ा काम निपटाना है और उसपर कल से काम शुरू करना है।


काया:- मतलब हमारी मदद चाहिए।


अपस्यु:- हां मदद कि उम्मीद से आया हूं।


नीलू:- इसमें हमारा क्या फायदा होगा..


अपस्यु:- क्या फायदा चाहिए।


नीलू:- सम्मान..

अपस्यु:- मतलब..


नीलू:- जाने अंजाने में हम बहुत गलत कर गए हैं, अब कुछ ऐसा काम चाहिए जो अपने आप में लगे कि इस जीवन में कुछ तो अच्छा किया है।


अपस्यु:- हम्मम ! आज के बाद कभी ऐसा मेहसूस नहीं होगा कि पहले कभी गलत की हो।


नीलू:- मै तैयार हूं।


काया:- तुम्हारे काम के लिए हम सब तैयार है, और आखरी तक तैयार रहेंगे..


अपस्यु:- ठीक है फिर तैयार रहो, किसी की लंका भेदनी है।


काया:- हमे करना क्या होगा।


अपस्यु:- 3 लोगों को पूरी तरह सड़क पर लाना।


काया:- उनकी डिटेल..


अपस्यु कुछ तस्वीरें दिखाते…. "इस तस्वीर में जो लड़की है.."


जबतक अपस्यु इतना बोल रहा था तभी बीच में नीलू कहने लगी… "सात्विक आश्रम के संचालक महादीपी की भांजी और अनुप्रिया की बेटी कलकी है। दूसरा उसका छोटा भाई परमहंस और तीसरा सबसे छोटा भाई युक्तेश्वर है। जिल्लत की नई ऊंचाई दिखाई थी इसने मुझे। मेरा चरित्र क्या है इसे अच्छे से समझाया था मुझे। दोनो ही कमिने पन की नई परिभाषा है, बिल्कुल मीठा जहर।
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
sab ko chhutti dekar apasyu ab phir se aage ki planning mein lag gaya hai :D,
ab dekhte hain ki aage kya hota hai
 

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जबतक अपस्यु इतना बोल रहा था तभी बीच में नीलू कहने लगी… "सात्विक आश्रम के संचालक महादीपी की भांजी और अनुप्रिया की बेटी कलकी है। दूसरा उसका छोटा भाई परमहंस और तीसरा सबसे छोटा भाई युक्तेश्वर है। जिल्लत की नई ऊंचाई दिखाई थी इसने मुझे। मेरा चरित्र क्या है इसे अच्छे से समझाया था मुझे। दोनो ही कमिने पन की नई परिभाषा है, बिल्कुल मीठा जहर।


काया:- बिल्कुल यही अनुभव मेरा भी है। हमारी जिल्लत भरी जिंदगी का राज यही दोनो भाई तो है। नशा देना, ग्रुप सेक्स में मज़े लेना और जब लड़की पिरा से पागल हो रही हो, तो इन्हे वो कामुक आवाज़ समझ में आती है। इसी कमिने की वजह से लोकेश ने अपने क्लाइंट को संभोग की नई दुनिया से अवगत करवाया था। कास अजय की जगह मैंने इन दोनों भाई में से किसी को मांग लिया होता।


नीलू:- जानते हो अपस्यु, जब लोकेश ने इन तीनों भाई बहन को बर्बाद करने कि ठानी थी, तब पहली बार मुझे लोकेश के साथ काम करने में मज़ा आया था। क्योंकि जब वीरदोयी यहां आए लोकेश के पास और इन दोनो भाई का एक बड़ा काम हमारी मदद से लोकेश ने पुरा करवा दिया था, तब इसी दोनो भाई ने लोकेश को बुद्धि दी थी, कि कैसे अपने अच्छे लोगों को और अपने क्लाइंट को खुश रख सकते हैं।

इन्हीं दोनों भाइयों ने लोकेश को समझाया था कि जब दोस्त बनाकर काम अच्छे से होता है तो नए दुश्मन क्यों बनना। और सबको कैसे खुश रखते है उसका डेमो दिया था। हमारे लोगो ने हमे ही भरी सभा में नंगा किया था, हमारे कपड़े उतारे थे। हमारी चींख पर हूटिंग किए थे। हमारी बेबसी का वीडियो बनाकर, क्लाइंट के सामने पेश किया गया था। इनके क्लाइंट भी मस्त हो जाते। इनके क्लाइंट कई लोगो के बीच ग्रुप सेक्स को देखते हुए, अपने लिए यहां सिंगल पार्टनर चुना करते थे और साले मज़े किया करते थे। तुमने वाकई हमे बहुत अच्छा काम दिया है।



अपस्यु:- मतलब इनका भी पुरा चरित्र गया हुआ है। खैर लोकेश इनके धंधा में सेंध लगा रहा था इसलिए यें लोग लोकेश को रास्ते से हटाना चाह रहे थे।


काया:- हां लोकेश को मारने कि इक्छ तो प्रबल थी, लेकिन वीरदोयी के आगे ये घुटने टेक चुके थे। पिछले एक साल से लोकेश ने, इन्हे हमारे दम पर पानी पिलाए हुए था। ..


अपस्यु:- बस यही पानी पिलाना जारी रखना है। लोकेश की कहानी जिंदा रखो यहां और उसी के नाम से सब कुछ ऑपरेट करते रहो… इनके कालाबाजारी को तुम सब सेंध लगाते रहो, इनकी कंपनी को मै डुबोता हूं, मैं चाहता हूं ये तीनों खुद को ऐसा बेबस समझने लगे, जैसे किसी के पास हर चीज होते हुए भी कितने असहाय है इस बात का एहसास होते रहे…


नील, अपना सर अपस्यु के आगे झुकती……. "A man with brain, always dengerous than god"..


अपस्यु, हंसते हुए…. "मैं इसका मतलब नहीं पूछूंगा"..


नील:- लेकिन मुझे तो मेरे सवालों के जवाब चाहिए ना… तुम्हे वीरदोयी का साथ चाहिए था, इसलिए तुमने दृश्य की हेल्प लिये, लोकेश को हटाने के लिए। तुम्हारा काम होते ही दृश्य को जाने दिया, क्योंकि तुम पहले से आगे की योजना में हमे सामिल कर चुके थे…


अपस्यु:- देखो झूठ नहीं कहूंगा, तुम्हारा सोचना बिल्कुल सही है। महादिपी के मैन और ब्रेन पॉवर से निपटने के लिए बहुत पहले से वीरदोयी के साथ टीमअप कि सोच चल रही थी। ठीक वैसे ही जैसे लोकेश और वीरदोयी से निपटने के लिए मैंने अपने भाई के बारे में सोच रखा था।


काया, अपने दोनो हाथ जोड़ती…. "बाबा चमत्कारी पुरुष। दिन का पूरा इस्तमाल और घंटे का पुरा उपयोग कोई इन से सीखे। ये जहां भी रहेंगे चमत्कार करेंगे।"


अपस्यु:- काबिल बनो बच्चा, कामयाबी झक मारकर तुम्हारे पीछे आएगी।।अब ये फिल्मी ताने मुझे दिए जाएंगे। सुनो काया, कभी-कभी अपने स्वार्थ से भी अच्छा हो सकता है, इसका उदहारण मेरा कर्म पथ है। मैं कुछ चंद टूटे लोगों के साथ निकला था, और मुझे रास्ते में कई मेरे जैसे मिल गए।


काया:- ज्यादा इतिहास में नहीं घुसते है, किन्तु अपस्यु तुम केवल दिखने में छोटे लगते हो, लेकिन हो उतने ही बड़े शातिर। दृश्य को जरा भी भनक नहीं लगा कि तुम उसका इस्तमाल कर रहे.. वो शुरू से मामू का मामू ही रह गया..


अपस्यु:- पागल हो तुम काया, ना तो मैंने दृश्य का इस्तमाल किया और ना ही तुम लोगो के बारे में ऐसा विचार है। बस सभी लोगों से एक उम्मीद थी और अपने सोच पर विश्वास था, कि जब लोग एक दूसरे के साथ होते है, तो उनसे उम्मीद लगी ही रहती है।


नीलू:- हम्मम ! मैं सहमत हूं तुम्हारी बातों से। लोग ही लोग के काम आते हैं। खैर तुम्हारी योजना जो भी रही हो हमे लेकर, लेकिन तुमपर आंख मूंद कर एक भरोसा तो है, कि तुम्हारी मनसा कभी गलत नहीं थी। पर हम साथ काम करें इसके लिए जरूरी यह है कि हमे एक दूसरे पर पुरा भरोसा हो।


काया:- मुझे लकेश के बारे में इसलिए इतना पता है, क्योंकि उसका राइट हैंड अजय मेरा दीवाना था। हालांकि मुझे यहां केवल नोचा ही गया, वो भी मेरे अपने लोगों के के कारन, वरना मजाल नहीं था कि कोई मेरी मर्जी के बगैर मुझे छू भी लेता। यहां हमे बस भोगने की वस्तु से ज्यादा कुछ नहीं समझा गया, ये थी मेरी सच्चाई। इमोशन, लव और फैमिली तो जैसे किताब के पन्नों के शब्द बन गए हो, जो हमारे जिंदगी कि सच्चाई से कोसो दूर हो गए।


नील:- मै लोकेश की ऑपरेशन हैंडलर थी, हां लेकिन मुझे ना चाहते हुए भी कितनो के साथ बिस्तर में जाना परा, ये भी एक सच्चाई है। घुटन भरी जिंदगी जो एक बार शुरू हुई, वो अब तक चल रही है। तुम्हारे होने से कुछ अच्छा होने जैसा मेहसूस होता है अपस्यु। तुम मुझसे नहीं भी मिले थे तब भी काया से तुम्हारे बारे में बहुत कुछ सुन रखी थी। इसके अलावा लोकेश के ऑपरेशन हैंडल करती या उसके क्लाइंट के बिस्तर मे जब भी होती, तो अपने कान खुले रखती थी, इसका नतीजा ये हुआ कि हम आने वाले 6 महीने का प्लान कर चुके थे और लोकेश के साथ हम उन लोगो। को भी नाप देते, जो हमे यहां हाई प्रोफाइल वैश्या का दर्जा दिए हुए थे। तुम्हारा और दृश्य का धन्यवाद, जिसने हमारे 6 महीने नरक की जिंदगी को कम कर दिया। ये थी मेरी सच्चाई…


अपस्यु:- मैं विक्रम और अनुप्रिया के पीछे दिल्ली पहुंचा था, पीछे से बहुत सी जानकारियां इकट्ठा किए। दिल्ली आकर मुझे वीरदोयी की एक टीम राठौड़ मेंशन में दिखी थी और मै समझ गया कि जिसके पास वीरदोयी हो, वो किसी से भी पंगे कर सकता था। मेरा शक सही निकला, लोकेश का जरा भी ध्यान हवाले के पैसे पर नहीं था, बल्कि उसकी पूरी नजर अनुप्रिया और माहिदीपी के पूरे साम्राज्य पर थी।


फिर मैंने अपना पूरा फोकस लोकेश पर कर लिया, क्योंकि लोकेश की जगह मुझे मिल गई, तो यहां से मुझे अनुप्रिया को बर्बाद करने का रास्ता मिल जाएगा। कई दिन के कोशिश के बाद, एक जरिया मुझे मिला, जयेश। जयेश को मैंने काया के साथ देखा था, इसलिए उससे बात करना मुझे सेफ लगा। मैंने बस छोटा सा तार छेड़ दिया जयेश के पास और उसी ने अंदर की पूरी जानकारी दी। नील को मैं नहीं जनता था तब, लेकिन काया के बारे में सुनकर मुझे योजना सफल होते दिख गया।


बस जब ये सारी बातों का खुलासा हो गया, फिर मैं पूरी योजना के साथ दिल्ली वापसी किया और लग गया काम पर। मेरा पहला पड़ाव था काया तक पहुंचना और काया के सभी लोगों को सफेली निकालना, ताकि आगे अनुप्रिया और महिदीपी के घर में सेंध लगा सकूं… ये थी मेरे योजना कि पूरी सच्चाई।


काया:- जयेश अब नहीं रहा हमारे बीच। इनके महत्वकांक्षा ने उसे ले डूबा। खैर बीती बातों को हम एक बुरा सपना मान लेते हैं। आगे क्या करना है?


अपस्यु:- कुछ नहीं बस खुद को तैयार रखो, क्योंकि वो तुम्हारी क्षमता को पहचानते हैं, इसलिए वो खुद तुमसे संपर्क करेंगे। उन्हें सामने से आने दो और तबतक उनके साथ खेलने के लिए तैयार हो जाओ।


नील:- हम यहां कुल 60 के आस पास वीरदोयी बचे हुए हैं, जिसमें से 10 केवल है जो अब आगे इन पेचीदा काम के लिए राजी होंगे, बाकी 50 को कोई दिलचस्पी नहीं किसी भी तरह के उल्टे काम से। वो जब लोकेश के आगे नहीं टूटे, तो हम उनकी शांत जीवन में थ्रिल क्यों लाए।


अपस्यु:- और बाकी के 10..


नील:- काया को छोड़कर बाकी के 8 लोग मेरे साथ है जो एक्शन लवर है, बस काम अच्छा होना चाहिए और एक बची काया, तो वो तो तुम्हारी फैन है, तुम्हारे लिए हर जोखिम उठा लेगी।


अपस्यु:- डेविल परिवार में तुम् सब का स्वागत है। नील मैम आप फ़्री हैंड काम करो यहां। आरव के साथ मिलकर इस जगह को डेवलप करो, और उन राधाकृष्ण बंधुओं के संपर्क करने का इंतजार करो। रही बात काया मैम की, तो वो हमारे साथ चल रही है, इनके लिए कुछ अलग ही प्लांनिंग है।


काया:- सूखे-सूखे डेविल परिवार में स्वागत। मुझे भी वैसी मॉडिफाइड कार चाहिए जों गराज में है।


नील:- एक मुझे भी प्लीज।


अपस्यु:- कितने परिवार है यहां वैसे..


काया:- परिवार तो एक भी नहीं है, लेकिन अगर लाने कि इजाज़त मिल जाए तो 200 परिवार तो आ ही जाएंगे।


अपस्यु:- और यहां के मूल निवासी जो यहां इस गांव के थे, जिनकी जमीनों पर ये पुरा हाई टेक गांव खड़ा है?


काया:- इस जगह के 3 किलोमीटर पश्चिम में रहते है, काफी सुदृढ़ गांव है और गांव के माहौल को यहां के हवा से दूर रखा गया था।


अपस्यु:- चलो एक काम तो अच्छा किया उन लोगों ने। यहां कितनी मॉडिफाइड कार है।


काया:- 5 कार है, केवल एक कार में स्वास्तिका और कुंजल गई थी बाकी सब कार यहीं है।


अपस्यु:- ठीक है 4 मॉडिफाइड रख लो तुम लोग, मै 1 लेकर चला जाऊंगा। रह गए 6 और मॉडिफाइड कार देना, तो वो 1 हफ्ते बाद ले लेना। अब खुश।


नीलू:- क्या मै गले लग सकती हूं..


अपस्यु:- हां क्यों नहीं..


नीलू अपस्यु के गले लगती… "वाव ! मै बहुत खुश हूं।"..


नीलू जैसे ही हटी, काया भी उसके गले लगती… "बिल्कुल खुश कर दिया, वैसे लगा नहीं था कि अपनी मॉडिफाइड कार दे दोगो, दिमाग के अंदर यही था कि बहुत ज्यादा से ज्यादा होगा तो एक अल्टो चिपका दोगे।"..


अपस्यु:- डेविल परिवार मतलब परिवार का पुरा हिस्सा। एक बात और केवल एक बार मै फिजूल खर्ची के लिए पैसे देता हूं। 1000 करोड़ कैश लॉकर में रखा है, नीलू वो सारे पैसे तुम्हारे है। तुम्हे यहां के लोगों की खुशियां बढ़ाने के लिए जितने खर्च करने हो कर देना, लेकिन 1 बार। बचे पैसे संभाल कर रखना और अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च करना।


नीलू:- येस बॉस..


अपस्यु:- काया कल सुबह तुम अपनी कार लेकर उन 1000 करोड़ में से 75 करोड़ कैश लेकर चले आना।


नीलू:- ओय छोटी आंख वाले, इस अकेली को 75 करोड़ और मुझे 200 लोगों को 925 करोड़ में देखना है। ऐसी बात है तो इसकी जगह मै ही चलूंगी, इसे यहीं रहने दो।


अपस्यु:- अब ये छोटी आंख वाला क्या है। और इसके 75 करोड़ में से 30 करोड़ के तो तुम्हारे 6 कार में लग जाएंगे और 25 करोड़ में 5 और कार मॉडिफाइड होंगे, जिनकी कार तुम्हे दिया है। उनहे वापस भी करूंगा की नहीं। अब 20 करोड़ की विदाई भी ना इसे यहां से दोगी, तो क्या दोगी।


नीलू:- नो नो नो… गिफ्ट मतलब गिफ्ट, मैं अपने पैसों मै से 1 एक रुपया नहीं दूंगी।


अपस्यु:- उल्लू हो नीलू मैम, अब क्या इन माया के लिए आपस मै लड़ रही है। ठीक है 50 करोड़ दे देना। हां एक बात और, पैसे जरूरत के लिए होता है, कभी पैसे को जरूरत मत बनने देना।


नीलू:- बाबा जी आपके वचन सर आखों पर, लेकिन मैं उन 1000 करोड़ में से 25 करोड़ दूंगी और ये फाइनल है, लेना है तो लो वरना हवा आने दो।


अपस्यु:- हुंह ! कंजर है ये पूरे, मुंह में सिक्का दबा कर पैदा हुई थी। ठीक है जो इक्छा है वहीं देना।


काया:- ये है ही जलकुकरी… ले जाओ इसे ही, मै ही यहां रहती हूं।


नीलू:- बकवास बंद, यहां की हेड मै हूं और तुम लोग मेरा कहा मानोगे।


अपस्यु और काया एक साथ… "जी मैम कहिए"..
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Behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
aaj to nilu full form mein hai, bilkul baniya bani baithi hai :lol:,
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नीलू:- तुम दोनो भागो यहां से और जब हमारे कार मॉडिफाइड हो जाएंगे तब मुझे बुला लेना। यहां के सब लोगो को लेकर हम धमा चौकड़ी मचाने दिल्ली आएंगे.. और अभी के लिए एक पार्टी नाईट… काया सब को बुला लो यहीं उन्हें भी खुशखबरी दे दूं जरा….


अपस्यु:- प्लीज़ मुझे यहां मत रोको, मुझे एमी के साथ होना है..


नीलू, उसे आखें दिखाती…. "आज हम लोगों के बीच रुको, कल तुम और काया यहीं से साथ में चले जाना।"..


अपस्यु:- मरवा दिया तुमने, चलो कोई ना आज यहां की खुशियों में शरीक हो जाते हैं।


पार्टी नाईट यहां शुरू हो चुकी थी और अपस्यु सबकी खुशियों में शरीक होकर झूम रहा था। वहां की खुशियां तब दुगनी हो गई जब उन सब ने नीलू का अनाउंमेंट सुना, जिसे सुनकर सब ऐसा मेहसूस कर रहे थे, मानो एक अच्छी जिंदगी अब यहां शुरू होने वाली है।


पार्टी का माहौल केवल विषेन गांव में ही नहीं बल्कि मुंबई से थोड़ी दूर स्थित लुनावला के एक रिजॉर्ट में भी था, जहां राधाकृष्ण बंधु, यानी कि कलकी, परमहंस और युक्तेश्वर राधाकृष्ण अपने कई करीबी लोगों के साथ पार्टी मना रहे थे।


जाम टोस्ट हुआ और कालकी चिल्लाती हुई कहने लगी…. "प्रभु उन्हें सजा दे ही देते हैं, जो हमारा रास्ता काटने की कोशिश करते हैं।"..


युक्तेश्वर:- लोकेश जैसे कीड़े को साफ करने और दिल्ली का सारा मामला सुलझाने के लिए, मै श्रेया को बधाई देता हूं। ये श्रेया और उसकी टीम का कमाल ही था, जो दिल्ली में हमारा पुरा मामला सैटल कर आयी।


श्रेया:- नहीं मै इसके पीछे नहीं थी। हां जगदीश राय की कहानी का सेहरा मेरे सर दे सकते हो, लेकिन लोकेश के पीछे तो स्वयं काल लगा हुआ था, मायलो ग्रुप के मालिक का लड़का अपस्यु। लोकेश को तो प्रभु भी नहीं बचा सकते थे। यहां इस महफिल में कहना ग़लत नहीं होगा कि अपस्यु यदि आपके पीछे है, तो बुद्धिमानी इसी में है कि आप उससे रहम की भीख मांग ले और अपनी बची हुई जिंदगी उसके हिसाब से जी ले।


परमहंस:- इतने पहुंच वाले और क्षमता वाले ग्रुप के सामने, जब श्रेया उस लड़के अपस्यु की तारीफ कर रही है, मतलब उसके अंदर जरूर कुछ बात रही होगी। इसलिए जैसा की श्रेया ने कहा, वो बहुत क्षमता वाला है, इसलिए मै अपने भाई बहन के ओर से ये अनाउंसमेंट करता हूं कि लोकेश ने मायलो ग्रुप के साथ, हमारे सात्विक ट्रस्ट की कंपनी, वेरिएंट ग्रुप के बीच जो एक जंग छेड़ी थी, उसे मैं विराम देते हुए, हम नए मालिकों के साथ साफ-सुथरी प्रतियोगिता रखेंगे और प्रोफिट के लिए मार्केट के दूसरे सेक्टर्स में उतरेंगे, ताकि हमारा कभी आमना-सामना ना हो।

यदि भविष्य में आमना सामना होता भी है तो हम टेबल पर बैठकर मुद्दे को सुलझा लेंगे, क्योंकि बुद्धिमानी इसी में है कि ईगो के चक्कर में नए दुश्मन नहीं पाले जाए। तुम सब का क्या कहना है।


कलकि:- मै तो परम की बात का परम भक्त हूं, बिल्कुल सही कहा परम।

युक्तेश्वर:- हां सही है, जब दोस्त बनाकर काम होता है तो दुश्मन क्यों बनना। चलो पार्टी एन्जॉय किया जाए।


देर रात 1 बजे तक उनकी पार्टी चलती रही। सभी लोगों के जाने के बाद, तीनों भाई बहन एक टेबल पर बैठ गए। जहां अपस्यु और उसके क्षमता को लेकर चर्चा होने लगी। इस संदर्व में उन्होंने होम मिनिस्टर के ऑफिस के कुछ लोगों से बात भी किए और पूरे मामले की जानकारी भी लिया, की आखिर कैसे 15 अगस्त की रात अरेस्ट हुए इतने मजबूत लोग बाहर नहीं आ पाये। फिर जो उनको कहानी पता चली, होम मिनिस्टर के पीए शुक्ला से, उसपर तो तीनों स्तब्ध रह गए। जिन लोगों लोग को अपस्यु ने फंसाया था, उन्हीं के पैसे से उनको सजा दिलवा दिया।


सभी बातों पर गौर करती हुई कलकि कहने लगी…… "परम, युक्ते, क्या कहना है इसके बारे में।


युक्तेश्वर:- दीदी, इसमें बहुत गहराई है। हम इससे दुश्मनी नहीं करने का फैसला तो कर चुके हैं, अच्छा फैसला है, लेकिन..


परमहंस:- छोटे लेकिन क्या ?


युक्तेश्वर:- लेकिन इसके कुछ लोगों को करप्ट करना होगा, ताकि इसके अंदर की इंफॉर्मेशन मिलती रहे। मायलो ग्रुप हमारा डायरेक्ट कॉम्पिटीटर है, हम ब्लैक और व्हाइट दोनो घंधे में जितना नुकसान पिछले 1 साल से उठा रहे हैं, उतना तो हमने 4 साल में नहीं कमाया था। अब अगर ये मायलो से हमे टारगेट करता है और अपने बेस से हमारे ब्लैक को टारगेट करेगा तो अगले एक साल में हम बर्बाद हो जाएंगे।


परमहंस:- बात तो सही है दीदी, और पैसा किसे प्यारे नहीं। भले ही ब्लैक मनी का छोटा हिस्सा देकर उसने लोकेश और उसके कॉन्टैक्ट को खत्म किया हो। लेकिन जैसे ही उसे धंधे के बारे में पता चलेगा, वो उसमे हाथ जरूर डालेगा। और जिस हिसाब से पैसे खर्च करके उसने सबको सजा दिलवाया है, एक बात तो साफ है कि वो लोगों की सही कीमत जानता है और कौन कैसे टूटेगा उसका पूरा ज्ञान है। ऐसे लोग जब हमारे ब्लैक और व्हाइट दोनो धंधे को टारगेट करेगा, तब हमे बर्बाद होने ने महीना भी नहीं लगेगा।


कलिका:- "कभी-कभी जितने से ज्यादा हारना जरूरी होता है। कभी-कभी खुद को बलवान साबित करने से ज्यादा अच्छा, खुद को बेवकूफ और कमजोर दिखाना ज्यादा अच्छा है। बस नजर रखो और उसका एक भी आदमी, फिर चाहे वो लोकेश के गैंग का हो या फिर इससे जुड़ा हुआ कोई भी, अपने आस पास भी मंडराए तो समझ लेना वो हमे टारगेट कर रहा है।"

"वो अपनी रक्षा कर सकता है, अपने फैमिली कि रक्षा कर सकता है, लेकिन हर किसी पर नजर रख पाए संभव नहीं। उसे जितने दो, हमे नुकसान पहुंचाने दो और हम एक साथ पहला 10 टारगेट लेंगे। ऐसा मरेंगे उसे, की वो बौखलाकर पागल हो जाएगा। परेशान हो जाएगा कि पैसे बढ़ाए या परिवार बचाए और तब हम आमने-सामने बैठकर बातें करेंगे।"

"पैसे वो कमाये या हम अंत में आने तो हमारे पास ही है। वैसे भी वो लोकेश हमे 40000 करोड़ का नुकसान दे चुका था, अग्ला 100000 करोड़ का भी ये हमे नुकसान देदे, तब भी ये केवल हमारे हिस्से को ही बर्बाद करेगा, हमे नहीं। कर लेने दो इसे हमे बर्बाद, जीत लेने दो इसे अगर ये हमसे जितना चाह रहा है तो। अनुकूल टक्कर भी देते रहो, ताकि उसे लगे नहीं की जीत आसानी से मिल रही। पंगे करने का शौक है तो कर लेने दो पंगा… हम तीनो अंत में खेलना शुरू करेंगे।"


शतरंज की विषाद बिछ चुकी थी और दोनो ही पक्षों ने अपनी पहली चाल चल दी थी। शायद इस बार दोनो ही पक्ष एक जैसा खेल दिखाने के इरादे से उतरे थे। अपनी चाल चलकर बस सामने वाले पर नजर दिए रहना और दोनो को कोई भी हड़बड़ी नहीं थी कि सामने वाला चाल अगली चाल चलने में कितनी देर लगाने वाला है।


बहरहाल तकरीबन डेढ़ बजे तीनों भाई बहन ने अपने सभा को समाप्त किया और सोने चले गए। वहीं अपस्यु की सभा भी लगभग उतने ही बजे खत्म हुई, लेकिन वो सोने के बजाय, कार निकाला और ऐमी के पास चल दिया।


अंधेरी रात और लगभग सब सोए हुए। अपस्यु कार खड़ी करके अपने आंख मूंदकर आकलन करने लगा कि ऐमी कहां होगी। और जैसे ही उसे ऐमी का ख्याल आया, उसी के साथ प्यारी सी मुस्कान उसके चेहरे पर आ गई। वो समझ चुका था कि ऐमी इस वक़्त कहां होगी, लेकिन इससे पहले कि ऊपर छत पर जाता, पीछे से उसके कंधे पर हाथ पड़ा और अपस्यु पीछे मुड़कर देखने लगा..


"निम्मी तुम, नींद नहीं आ रही थी क्या?"… अपस्यु पीछे मुड़ते हुए पूछने लगा..


निम्मी:- मैंने सुना था आप हर वक़्त चौकन्ने रहते है। इसे चौकन्ना कहेंगे। जितने लापरवाह आप अभी हुए हैं, इतने में तो पिस्तौल की पूरी मैग्जीन खाली हो जाती।


अपस्यु:- हा हा हा हा… मुझे माफ़ कीजिए मिस, आगे से इस बात का खास ख्याल रखूंगा।


निम्मी:- मुझे समझने के लिए आप का शुक्रिया। मुझे यकीन था आप जरूर आएंगे, इसलिए इंतजार कर रही थी।


अपस्यु:- लोकेश का क्या हुआ यही जानना है ना?


निम्मी:- आप को कैसे पता?


अपस्यु:- ये सीने कि आग ही कुछ ऐसी होती है। रुको दिखता हूं।


अपस्यु ने अपने मोबाइल का स्क्रीन ऑन किया और वहां लगे नाईट विजन कैमरे में वो लोकेश को देख पा रही थी जो नीचे लेटा काफी छटपटा रहा था। … "इसे कही कैद कर दिया है।"


अपस्यु:- केवल कैद ही नहीं किया है बल्कि जिंदगी में अंधेरा भी भर दिया है। बस दिन के कुल 1 घंटे की रौशनी इसके हिस्से में है जो इसके खाना पहुंचने के वक़्त होगा, बाकी 23 घंटे अंधेरे में जिएगा।


निम्मी:- आह ! सुकून मिला सुनकर। 4 दिन बाद मै निकल रही हूं, दृश्य भईया के साथ, क्या पार्थ भी चल सकता है हमारे साथ?


अपस्यु:- जब उसे चाहती हो फिर इतनी दूरी क्यों बनाई हुई थी।


निम्मी:- खुलकर चाहने का अवसर तो अब मिला है पहले तो शंका थी कि वो मुझे चाहता है, या मेरे जिस्म को। और बस इसी ख्याल से अपनी चाहत को समेटी थी क्योंकि पता ना अपनी नादानी में एक और बड़ी गलती कहीं ना कर जाती। वैसे भी सच कहूं तो प्यार जैसे कोई बात नहीं है, बस उसके साथ अब अच्छा लगने लगा है।


अपस्यु:- इसी को तो चाहत कहते हैं। खैर तुम उसे आराम से ले जाओ और दोनो एक दूसरे का ख्याल रखना। अब जाओ तुम आराम करो।


निम्मी:- ऐमी छत पर सो रही है लेकिन..


अपस्यु:- हां लेकिन तुम सब को आश्चर्य तब हो गया होगा जब मेरी मां पहले उसके साथ सोई होगी और देखते ही देखते मेरा पूरा खानदान वहीं सो गया होगा।


निम्मी हंसती हुई…. "आप सब पूरे मेंटल हो। मैं पहली बात इतने जिंदा लोगों को देख रही हूं। और हां आप लोगो की संगति में मेरा भाई भी सुधर गया है। अब पहले की तरह उसका व्यवहार नहीं रहा। मैं जा रही हूं, सुभ रात्रि।


निम्मी के साथ अपस्यु भी अंदर गया। छत पर जब वो पहुंचा तब वहां का नजारा ही कुछ और था। सब लोगो के बीच में ऐमी लेटी हुई थी।… "जब हमे ही परेशान करना है तो हम क्यों ना परेशान करें?"..


अपस्यु अपनी बात सोचकर मुस्कुराया। जुगाड भिड़ाया और नकली बारिश का खेल शुरू हो गया। कच्चे पक्के से सभी आंख मिंजते हुए हड़बड़ा कर उठे और तेजी में नीचे भागने लगे। सभी जम्हाई लेते हुए नीचे आ गए। कुछ वक़्त लगा सामान्य होने में, जबतक वीरभद्र, उसकी मां और निम्मी भी उनके पास पहुंच गई।


सब थोड़े से परेशान होते हुए, बारिश के बारे में कह ही रहे थे कि तभी उनका ध्यान निम्मी पर गया जो हंस रही थी… "ये कमीना अपस्यु, उसका सर फोड़ दूंगा मै".. आरव थोड़े गुस्से में कहने लगा….


नंदनी:- भाई को ऐसा बोलता है, थप्पड़ खाएगा क्या?


कुंजल:- और तक रात के 2.30 बजे आकर जिसने हमारे ऊपर पानी डाला और अपनी होने वाली को ले उड़ा, उसका कुछ नहीं। उसके नाम पर तो आपकी जुबान भी नही खुलती।


नंदनी भिड़ पर गौर करती…. "ऐमी कहां है।"..


स्वास्तिका:- तब से सब क्या कोरियन भाषा में समझा रहे थे। आपका चहेता अपनी बीवी के लिए हमे परेशान करके उसे ले गया। खुद तो एक दूसरे के साथ गुटुर-गुटूर कर रहे होंगे और फालतू में हमारी नींद खराब कर दिया।


इधर लोगों की जब भगदड़ मची थी, तब सब सीढ़ियों कि ओर जा रहे थे और ऐमी मुस्कुराती हुई पानी टंकी के ओर। दोनो की नजर जब एक दूसरे से मिली, दोनो मुसकुराते हुए एक दूसरे को चूमने लगे और चोर की तरह नीचे उतर गए। गाड़ी तेज रफ्तार में चल रही थी और दोनो एक दूसरे को देखकर हंसते हुए घरवालों के रिएक्शन के बारे में सोच रहे थे।
:superb: :good: amazing update hai nain bhai,
behad hi shandaar aur lajawab update hai bhai,
Wow apasyu to bahot chalu nikla, sab ko baarish mein bhingakar apni hone wali ko lekar bhaag nikla :lol1: ,
Ab dekhte hain ki aage kya hota hai
 

Chinturocky

Well-Known Member
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Behtareen update,
Lekhak mahoday se sanamra nivedan hai ki wo apasyu ki family tree bana ke Dede, taki Mujh jaise mandbuddhi ko inke rishte samajh me aaye aakhir kaun kya hai.
 

rgcrazyboy

:dazed:
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ye chal kya raha hain.
pahale drish ko lake usko galt batya or ab apsayu ko galt bata rahai ho :bat:
tum chate kya ho. :?:
or vidhrdaiyi kabile vale logo ko tum masoom bata rahai ho jese un logo ne kise ke satha buraa kiya he nahi or bechare be wajah he atyachar saha rahai he :bat:
 
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