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Adultery भटकइयाँ के फल

aalu

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kya yaar yeh karm ke chakar mein aur koi karm bhi na kar paa raha hain sahi see, bechara bechaini se mara jaa raha hain. Ab yeh dada log ko kya chul machi rahti hain, koi bhi karm likh do, pura toh doosre ko karna parta hain na, ab dekhte hain yeh kya karna parta hain.

Ab sattu bhai nai jee ke ghar jayenge, toh pata chalega hame, theek hain kal chalte hain nai ke ghar.
 

odin chacha

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अगले अपडेट के लिए प्रतीक्षारत!
 

S_Kumar

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Update- 4

अगले दिन सत्तू सुबह सुबह ही सुखराम के घर गया, सुखराम अपने द्वार पर बैठ सुबह सुबह बांस की टोकरी बिन रहा था, वह नाई का काम करने के साथ साथ बांस और अरहर की लकड़ी की टोकरियाँ बनाकर बाजार में बेचता था, सत्तू को देखते ही वो समझ गया और उसका स्वागत करते हुए बोला- आओ बेटा आओ, कब आये शहर से?

सत्तू- कल ही आया चाचा, आप कैसे हो?

सुखराम- ठीक हूँ बेटा, आओ बैठो, आज मैं आने ही वाला था तुम्हारे घर, एक जिम्मेदारी है तुम्हारी हमारे पास, उसी के विषय में तुम्हे बताने आता, पर तुम ही आ गए तो अच्छा ही किये।

सत्तू- हां चाचा मैं ही आ गया, बाबू ने बता दिया सब और बोला कि आपके पास मेरा कर्म रखा हुआ है।

सुखराम- हां बेटा तुम्हारा कर्म हमारे घर पर रखा हुआ है, लो पहले पानी पियो, फिर देता हूँ निकाल कर।

सत्तू ने पानी पिया, सुखराम ने अपने घर वालों को थोड़ी देर के लिए बाहर बैठने के लिए बोला और कुदाल लेकर आंगन में आकर खोदने लगा, लगभग दो हाँथ गहरा गढ्ढा खोद डाला तो सत्तू ने देखा कि एक पुराना सा बक्सा रखा था, उसको सुखराम ने खोला तो उसमे एक घड़ा रखा था, सुखराम ने वो घड़ा उठाकर सत्तू को पकड़ाते हुए बोला- लो बेटा ये अपनी अमानत, यही है तुम्हारा कर्म, इसको एकांत में कहीं रास्ते में खोलना।

सत्तू ने सुखराम को धन्यवाद किया और बड़ी ही उत्सुकता से वो घड़ा लेकर चल पड़ा, रास्ते में काफी दूर आने के बाद, जब उसने देखा कि कोई आस पास नही है तो एक पेड़ के पास बैठकर उस घड़े को फोड़ा, उसके अंदर एक पुराना से कागज था, उस कागज को देखकर उसकी धड़कने बढ़ गयी, बड़ी ही उत्सुकता से उसने अपने हिस्से के कर्म को पढ़ने के लिए उस कागज को खोला तो उसमे जो कर्म सत्तू के दादा जी ने उसके लिए लिखा था वो कुछ इस प्रकार था-

"मेरे प्रिय पौत्र,
अपने सुखी विवाहित जीवन के लिए तुम्हे यह कर्म करना अनिवार्य है, मुझे पूरा विश्वास है कि तुम इसे जरूर पूरा करोगे।
तुम्हारा कर्म-
" भटकइयाँ के पके हुए रसीले फल को घर की सभी शादीशुदा स्त्री (बहन, बुआ और रिश्ते में कोई बेटी लगती हो उसको छोड़कर) की योनि में रखें फिर अपने लिंग की चमड़ी को बिना खोले लिंग योनि में डालकर भटकइयाँ के फल को योनि की गहराई में गर्भाशय तक लिंग से ठेलकर ले जाएं, बच्चेदानी के मुहाने पर भटकइया का फल पहुँचने के बाद स्त्री अपने हांथों से योनि में पूर्णतया समाये हुए लिंग को आधा बाहर निकलकर उसकी चमड़ी पीछे खींचकर योनि के अंदर ही लिंग को खोले और फिर पुरुष अपने लिंग से योनि में ठोकर मार मार कर बच्चेदानी के मुहाने पर पड़े भटकइया के फल को कुचलकर, दबाकर फोडें और लिंग से ही फल को मसल मसल कर मीज दे, फल फूटने पर पट्ट की आवाज आने के बाद योनि और लिंग जब उसके रस से सराबोर हो जाये तो योनि को लिंग का सुख देते हुए योनि को चोदें, योनि और लिंग स्लखित होने के बाद निकलने वाले काम रस को किसी चीज़ में इकठ्ठा करें, ध्यान रहे यह कर्म घर की सभी स्त्रियों के साथ एक साथ नही होना चाहिए और न ही उन्हें एक दूसरे के बारे में पता चलना चाहिए कि यह कर्म उनके साथ भी हुआ है,ताकि उनकी शर्मो हया, मान सम्मान, घर की इज़्ज़त बरकरार रहे, सभी के साथ किये गए इस कर्म से इकट्ठा काम रस को मिलाकर इकट्ठा करें और अपनी सुहागरात में अपने लिंग पर यही लेप लगाएं और अपनी पत्नी का योनि भेदन करें।

सुखमय विवाहित जीवन का आनंद लें।

मेरा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ रहेगा।"
 

Studxyz

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हाहाहाहा यार ये तो बहुत फाडू कर्म है भटकइयाँ के फल को लंड से योनि में रगड़ रगड़ के निचोड़ना है :vhappy1:

कहानी म्स्त है पर अपडेट की रफ्तार बहुत धीमी है
 
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