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Adultery भटकइयाँ के फल

rakmis

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Dear Readers,

माफ करना, समस्याएं जारी हैं, इसलिए ऐसा हो गया, पर निराश न हो, कहानी बंद नही होगी, updates आएंगे, ये update थोड़ा छोटा दिया है next update bda hi aaega.

मैंने काफी readers को निराश कर दिया, इसके लिए मुझे माफ़ करना यारों, हो जाता है कभी कभी।

धन्यवाद
कोई बात नही मित्र, अगर यही बता दिए होते तो भी इतनी प्रतिक्रियाएं ना आतीं । लोग आपकी कहानी शीघ्रअतिशीघ्र पढना चाहते हैं इस वजह से•••••🙂🙂
 

xxxlove

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Hamesha ki tarah ek aur behtreen update S kumar Ji.Ab lagta hai ki chudai bas shuru hi hone wali hai.
Bahut badhiya S Kumar Ji........... :thanks:
 

aamirhydkhan

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वह लौट के आया है मनाने को
शायद आजमा चूका है जमाने को
 

Ayush2017

Natural beauty is real beauty
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Dear Readers,

माफ करना, समस्याएं जारी हैं, इसलिए ऐसा हो गया, पर निराश न हो, कहानी बंद नही होगी, updates आएंगे, ये update थोड़ा छोटा दिया है next update bda hi aaega.

मैंने काफी readers को निराश कर दिया, इसके लिए मुझे माफ़ करना यारों, हो जाता है कभी कभी।

धन्यवाद
Jingi hai dost ye har lamh koi na koi pareshani ya samasya aati hi rahti hai. Par koi jaldi khatm ho jati hai toh koi samay laga jati hai.

Bas pahle apne ghar ko dekhiye baad mein story.
 

Ayush2017

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सौम्या धीरे से सिसकते हुए बोली- करते वक्त बताऊंगी पापा जी..... जब हम दोनों करेंगे तब बताऊंगी......जब आप अपनी बेटी की दोनों जाँघों के बीच की उस चीज़ को प्यार से खा रहे होगे न तब मैं उसका नाम बताऊंगी अपने पापा को।

सत्तू फिर से सनसना गया, खुद सौम्या भी ऐसा बोलते हुए बहुत उत्तेजित होती जा रही थी, सत्तू बार बार तेजी से अपने लंड से सौम्या की पनियायी बूर पर साड़ी के ऊपर से ही धक्का मार रहा था जिससे सौम्या मदहोश हो जा रही थी, उससे खड़ा नही रहा जा रहा था मन तो कर रहा था कि बिस्तर पर लेट जाऊं, पर वो अभी चाह कर भी बहुत आगे नही बढ़ना चाहती थी।

तभी न जाने कैसे सौम्या की नज़र खिड़की से बाहर गयी और उसने अम्मा को घर की तरह आते देखा - अम्मा इधर ही आ रही हैं अब।


सत्तू ने अपनी भाभी के गालों पर प्यार से चूमते हुए उन्हें छोड़ दिया और भारी सांसों से जल्दी से सौम्या के कमरे से निकल गया, सौम्या ने भी जल्दी से खुद को संभाला और वहीं बेड पर लेट गयी, सत्तू अपने कमरे में आकर दुबारा बेड पर लेट गया।

अब आगे.......



Update- 14

सत्तू आंखें मूंदे कुछ देर लेटा रहा, लेटे लेटे उसकी आंख लग गयी, उसकी अम्मा अंजली घर में आ चुकी थी, सौम्या भी तब तक संभल चुकी थी।

अंजली- सौम्या।

सौम्या- हाँ अम्मा

अंजली- ये सत्येन्द्र कब आया, खाना खाया इसने?

सौम्या- हाँ अम्मा खा लिया है, मैंने खिला दिया था, गए थे किसी दोस्त के यहां, अभी तो आये हैं कुछ देर पहले।

अंजली- अच्छा आ चल खाना निकाल और तू भी खा ले, ये अल्का और किरन नही आई अभी तक खेत से।

सौम्या- नही अम्मा, अभी तक तो नही आई।

अंजली- ठीक है उनको भी आने दे, साथ में ही खाएंगे फिर।


अंजली अपनी बहू सौम्या के कमरे में बेड पर बैठ गयी तो सौम्या ने उन्हें लिटाकर उनके पैर दबाने शुरू कर दिए।

अंजली- अरे सौम्या रहने दे पैर मत दबा, थकी थोड़ी हूँ मैं।

सौम्या- थकी क्यों नही हो, सुबह से लगी हुई हो और कहती हो थकी नही हूँ, लेटे रहो मुझे पैर दबाने दो।

सौम्या नही मानी और अंजली के पैर दबाने लगी, तभी बाहर से अल्का और किरन की हंसी ठिठोली की आवाज़ें आने लगी।

अंजली- लो आ गयी तूफान, नाम लिया हाज़िर।

सौम्या भी हंसने लगी, अल्का और किरन ने हरे चारे के बड़े बड़े एक एक बोझ अपने सर पर लाद रखे थे, अल्का अपने सर से चारा मशीन के सामने हरे चारे के बोझ को धम्म से गिराते हुए बोली- लो हो गयी दो दिन की फुरसत।

किरन ने भी अपने सिर से चारे के बोझ नीचे पटकते हुए बोला- कितना भारी है भौजी ये, मेरी तो गर्दन में दर्द हो गया।

अल्का- बोल तो रही थी कि ये छोटा वाला बोझ ले ले ये हल्का है तब तो बड़ी पहलवानी दिखा रही थी, नही भौजी यही दो, मैं लेके चली जाऊंगी, अब आ गयी न मोच, चल नाजुक कली अभी तेरे भैया से मालिश करवा देती हूं।

किरन- जीवन में सारे काम भैया से ही करवाएं हैं तुमने लगता है, तभी जब देखो भैया ही याद आते हैं।

अल्का- एक बार मसलवा के तो देख मेरी नाजुक कली, खुद पता लग जायेगा भैया का मजा क्या होता है, सारा दर्द न गायब हो गया तो कहना।

किरन ने अल्का के गुदाज जांड पर एक जोर से चिकोटी काटी तो वो घर की तरफ देखते हुए उछल पड़ी।

अल्का- अरे पगली क्या कर रही है, अम्मा देख लेंगी तो क्या सोचेंगी, मैं तो मजाक कर रही थी, तू तो शुरू ही हो गयी....सबर रख मेरी ननद रानी मिलेगा... तुझे भी मिलेगा खाने को....तड़प मत।

और इतना कहकर अल्का जोर से हंसकर घर की ओर भागी किरन उसके पीछे हो ली- बताती हूँ रुक अभी।

जैसे ही दोनों गेट तक पहुंची सौम्या बाहर आ गयी- अरे आ गयी दोनों, कब से इंतजार कर रही हैं अम्मा और तुम लोगों का, भूख लगी हैं उन्हें......चल जल्दी हाँथ मुँह धो कर आ और सबका खाना लगा।

अल्का- हाँ दीदी लगाती हूँ...... अरे ये हैं न ननदिया ये बहुत प्यासी है, जब देखो तब मुझे ही परेशान करती रहती है, अब बताओ मेरे पास क्या है जो मैं इन्हें दे पाऊंगी.....क्यों दीदी।

सौम्या ने एक नज़र अपने कमरे में लेटी अपनी सासू माँ पे डाली और अल्का की तरफ देखकर उसे झूठा गुस्सा दिखाते हुए की "बहुत बदमाशी हो रही है तेरी" और हल्का सा हंस दी।

किरन जैसे ही अल्का पर लपकी, सौम्या- अरे बाबा बस.....अब खाना खा ले पहले तब बदला ले लेना।

फिर अल्का और किरन ने मस्ती करते हुए खाना निकाला और सभी औरतों ने खाना खाया, सत्तू सोता रहा, अल्का, सौम्या और किरन तीनो का ध्यान अपने अपने मन में सत्तू के ऊपर ही लगा हुआ था।

अल्का ने खाना खाते हुए अपनी सासू मां से पूछा- अम्मा.....मेरे देवर जी ने खाना खाया या ऐसे ही सो रहे हैं?

सौम्या- खा लिया है उसने तू चिंता न कर खाना खा।

अल्का- क्यों न चिंता करूँ एक ही तो देवर है मेरा।

(किरन मन में सोचने लगी कि मेरा भी तो एक ही देवर है और वो है मेरा ही सगा भाई, और ये सोचकर हल्का से मुस्कुरा कर खाना खाने लगी)

ऐसे ही बातों बातों में दोपहर बीत गया, अलका, सौम्या, किरन खाना खाकर थोड़ा आराम करने के लिए सौम्या के कमरे में ही लेट गयी, सत्तू की माँ भी काफी देर उन लोगों के साथ शादी की बातें करती रही फिर उठकर बाग की तरह चली गयी।

शाम को इंद्रजीत (सत्तू के पिता) भी आ गए, दोपहर को आराम करके शाम तक सब उठ चुके थे, सत्येन्द्र को अपने कर्म की चिंता सताए जा रही थी, वो सोच में डूबा था कि इसकी शुरुआत कैसे और किससे करे, उसकी सगी बहन भी अब तो उसकी भाभी बन चुकी थी, कर्म के हिसाब से वो भी अब इस दायरे में आने लगी थी। एक दो दिन ऐसे ही बीते और अब सत्तू भी घर के कुछ बाहर के कामों को संभालने लगा, पर शादी के दिन नजदीक आ रहे थे, अल्का तो उससे मिलने के लिए पागल हुई ही जा रही थी उधर सौम्या भी सत्तू से मिलन की आस लिए रोज रात को अपने बच्चों के साथ मन को समझकर सो जाती थी, हालांकि दिन में जब भी मौका मिलता सत्तू सौम्या को दबोचकर चूमने और सहलाने से नही चूकता, सौम्या अत्यधिक उत्तेजित होकर रह जाती थी, पर ज्यादा वक्त न मिल पाने की वजह से दोनों ही तड़प कर रह जाते, वही हाल सत्तू का अल्का के साथ भी था, उधर किरन भी मन में भाई से व्यभिचार की कामना लिए सही वक्त का इंतज़ार कर रही थी।

एक दिन दोपहर को इंद्रजीत ने अकेले में सत्तू से पूछ ही लिया- बेटा वो तुम्हारा कर्म तुम्हें मिल गया है न।

सत्तू एक बार को सकपका गया फिर बोला- हाँ पिताजी मिल गया है, सुखराम काका ने दे दिया था।

इंद्रजीत- ठीक है बेटा उसे समय रहते पूरा जरूर कर लेना।

(अब इंद्रजीत को क्या पता कि उसमे क्या लिखा हुआ है)

सत्तू ने हाँ में सर हिलाया और उठकर चला गया। इंद्रजीत समझ गया कि कर्म कुछ कठिन ही जान पड़ता है, पर वो पूछ सकता नही था, ये नियम के खिलाफ था।

सत्तू खेतों की तरफ चला गया और एक जगह बैठ कर ठीक से सोचने लगा, इसकी शुरुआत वो करे किससे? फिर उठा और घर की तरफ चल दिया, अभी घर में और मेहमान आना शुरू नही हुए थे, यह काम उसे समय रहते कर लेना था नही तो घर मेहमानों से भर जाएगा तो बड़ी मुश्किल हो जाएगी।

आज रात को सब आंगन में ही बैठकर खाना खा रहे थे, किरन, सौम्या और सत्तू की माँ एक तरफ बैठे थे अल्का सबको खाना परोस रही थी, सत्तू अपने बाबू के बगल में बैठा था, जैसे ही अल्का ने सत्तू की थाली में एक रोटी रखनी चाही सत्तू ने जानबूझकर दो रोटी खुद ही उठाते हुए बोला एक नही दो (दो शब्द को उसने जोर देकर बोला, अल्का सत्तू का इशारा समझ गयी और हल्का सा मुस्कुराहट उसके होंठों पर आ गयी, क्योंकि बगल में ही ससुर जी भी बैठे थे इसलिए वह थोड़ी सतर्क थी)

अल्का- क्या बात है देवर जी आज लगता है सुबह से भूखे हो, रोज मुझे जबरदस्ती खिलाना पड़ता था और आज खुद ही।

सत्तू- हां छोटकी भौजी आज तो भूख बर्दाश्त नही हो रही, कुछ ज्यादा ही लगी है।

अल्का- अच्छा जी तो ये लो एक रोटी और खा लो मेरी तरफ से, आज सारी भूख मिटा दूंगी तुम्हारी।

(अल्का ने जबरदस्ती एक रोटी और ढेर सारा चावल और दाल और डाल दिया सत्तू की थाली में, सब हंसने लगे)

सत्तू- अरे भौजी इतना भी नही खा पाऊंगा मैं, कितना सारा डाल दिया तुमने मेरी थाली में।

किरन- कोई बात नही भैया, छोड़ देना यही खाएगी, अपना जुगाड़ देख रही है भौजी।

अल्का- हां देवर जी, मैं खा लूंगी, जो खाना हो खा लो नही तो छोड़ देना, जुगाड़ भी देखना पड़ता है कभी कभी।

सत्तू- छोड़ना क्या? लो अभी खाओ जो ढेर सारा डाल दिया है तुमने खाना।

अल्का- मेरे देवर जी तुम खा लो मैं फिर खा लूंगी।

अल्का तब तक सबकी थाली में जो कुछ कम था परोस चुकी थी।

सबने खाना खाया, इंद्रजीत बाहर आकर अपनी खाट पर लेट गया, किरन और सत्तू की माँ थोड़ी दूर पर अपनी अपनी खाट पर लेटकर बातें कर रही थी, इंद्रजीत दिनभर की भाग दौड़ के कारण काफी थका हुआ था इसलिए बिस्तर पर पड़ते ही कुछ देर में सो गया, सौम्या रोज की तरह अपने कमरे में बच्चों के साथ लेटी थी, अल्का भी आपने कमरे में लेटने जा रही थी कि तभी वह सौम्या के कमरे में गयी और बोली- दीदी आज मौसम थोड़ा बारिश वाला हो रहा है, मच्छर भी लग रहे है, मच्छरदानी लगा के सोना नही तो बच्चों को रात भर परेशान करेंगे ये मच्छर।

सौम्या- हां अल्का अभी लगा लूंगी, तू भी लगा के सोना, और वो लोग देखो ऐसे ही सो रहे है सब, मुझसे तो बिल्कुल नही सोया जाता अगर एक भी मच्छर बदन पर बैठ जाये, ये लोग न जाने कैसे सो जाते हैं।

अल्का- सही कहा दीदी यही हाल मेरा है, एक भी मच्छर ने काट लिया न तो नींद तो फिर आने की नही मुझे, सच में दीदी देखो कैसे आराम से लेटे हैं सब।

अल्का और सौम्या कुछ देर बातें करती रही फिर अल्का अपने कमरे में आ गयी, सौम्या ने उसको बाहर का दरवाजा बंद करने के लिए कहा तो अल्का दरवाजे तक तो गयी पर बाहर का दरवाजा बंद नही किया बस हल्का सा सटा कर अपने कमरे में आ गयी, बिस्तर पर लेटकर वो बस रात के 2 बजने का इंतजार करने लगी, उधर सौम्या भी सत्तू के बारे में सोचते सोचते न जाने कब सो गई।

बाहर किरन और उसकी माँ कुछ देर बातें करती रही।

किरन- अम्मा

अंजली- हां..

किरन- तीन साड़ी तो मैं अपने ससुराल ही भूल आयी, बक्से में रखी है, सोचा जाते वक्त सूटकेस में रख लूंगी पर देखो जल्दबाजी में वहीं भूल आयी, उसमें से दो तो मैंने दोनों भौजी के लिए खरीदी थी।

अंजली- तो जा के ले आना, इसमें इतना दुखी क्यों हो रही है।

किरन- हां अम्मा मैं भी सोच रही थी किसी दिन भैया के साथ जाकर ले आऊंगी वो साड़ियाँ।

अंजली- हाँ चली जाना उसके साथ और इस बार सब ले आना जो भी भूली हो....ठीक है बाद में फिर वक्त नही मिलेगा।

किरन- हां अम्मा ठीक है एक दो दिन में जाऊंगी।

किरन का मन खुशी से झूम उठा, उसका ससुराल बहुत एकांत था, वहां कोई दखल अंदाजी करने वाला नही था, सगे भाई को देवर के रूप में पाकर उससे मिलने वाले सुख की कल्पना मात्र से ही उसका बदन सनसना गया।
Awesome update bro
 

Jiashishji

दिल का अच्छा
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बहुत ही बेहतरीन कामुक और उत्तेजक अपडेट कृपया अपडेट देते रहें कहानी बहुत ही शानदार है ऐसी कहानियों में ज्यादा देर होने पर इंतजार करना मुश्किल हो जाता है कोशिश करें थोड़ा जल्दी-जल्दी अपडेट दें धन्यवाद
 

Napster

Well-Known Member
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एक बहुत ही बेहतरीन और मनमोहक अपडेट के साथ वापसी :adore:
बहुत ही सुंदर और दमदार अपडेट है भाई
मजा आ गया :applause:
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

aalu

Well-Known Member
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akhir aag laga hi dee sabke andar..... badhiya hain behen ko bhabhi bana ke bolta hain wo bhabhi hain toh uski bhi bhatka ke fal foor shakta hain.. aur jo bhabhi ko behen bana liya toh uska kya ab ande forega apne....

waise abhi tak bhatikoi ka fal na laya... maal pata liya... intejam bhi kar lo...
ek sawal hain kya karm jo mile hain usme vyabhichar sirf sattu ke hisse mein aaya tha ya phir saare bhaio aur baap tak ne yahee kiya... aur unhone ne kaha kee kuchh jyada hi kathin mila hain matlab unke liye aasan karm hoga aisa lagta hain...

behen sasural lee jaa rahi hain.. bewi ke aane tak teen teen bewi ghar mein hi ho gayee... dayre mein toh mata shree bhi aati hain... waise kya sattu karm ke baare mein kisi apne pita ke alawa apne bhabhi ya maa se baat karega ya phir danda aur goli hi chalegi....

yaar waapsi ke liye dhanyawad... aap inta achha likhte ho kee logo ko aadat lag gayee... khair zindagi mein utarchadhaw toh aate hi rahte hain uss hissab se nirantarta banaye rakhna sambhaw na hain... bas apni vyasthata kee suchna dete rahe thore kam adheer honge yehan pe log...

swasthya rahe tanavmukt rahe...
 
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