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Adultery भयानक हवस का षडयंत्र

Guri006

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भयानक हवस का षडयंत्र






Update - 1






हैलो दोस्तों मेरा नाम अब्दुल अहमद है. मै खोलीपूरा नाम के पिछड़े हुए गांव से हु. मेरी उम्र कुछ 44 साल होगी. दिखने में तो मैं किसी चलते फिरते सांड के जैसा दिखता हू. मेरा निकाह भी अभी अभी ही हुआ है चार साल पहले ही. मेरा निकाह एक रजिया नाम की दो बार की तलाक शुदा औरत से हुआ है. मेरी गरीबी और अनपढ़ होने की वज़ह से निकाह हो ही नहीं पा रहा था और सबसे खास बात मेरी सांड जैसी कसरती बॉडी थी. यहां आप कसरती का मतलब यह मत समझना की बड़े मसल या सिक्स पैक वाली बॉडी होगी. नहीं मेरा तो पेट निकल आया था आगे की और बड़ा सा. देसी मुफ्त की दारू पीने से. मैं भले ही दिखता काले सांड जैसा था पर मे सबसे प्रेम और सम्मान से ही बात करता था. शायद गरीबी और अनपढ़ता करवाती थी.





मैं अपने गांव में निकाह से पहले देसी ठेके पर काम करता था. पर मेरा निकाह ही यही शर्त पर हुआ था कि मुझको निकाह के बाद अपनी बेगम को लेकर शहर जाना होगा और उधर कुछ नोकरी करनी होगी. मै मेरी बीवी को लेकर इंदौर आ गया. और इंदौर आकर मेरी बीवी के नखरे शुरू हो गये उसको झुग्गी झोपड़ी में नहीं रहना था उसको तो किसी बड़े वीआईपी घरों में रहना था या वीआईपी सोसाइटी में. पर मेरी तो इतनी औकात थी नहीं की रह पाउ फिर जैसे तैसे करके एक कमरा खोजा जो किसी वीआईपी नालंदा नाम की सोसाइटी के सामने था. पर वो कमरा सोसाइटी में नही आता था. उसका भाड़ा भी में मुश्किल से दे पा रहा था. फिर मैंने खुद के लिये मुश्किल से एक कॉटन मिल में एक चौकीदार की नोकरी ढूंढी. और वो चौकीदार की नोकरी मिल भी गयी. कॉटन मिल में कुछ वर्कर थोड़ा बहुत कच्चा कॉटन और कपड़ा चुरा कर ले जाते थे उनकी छुट्टी होने के बाद और बाहर सौ या दौसौ में बेच देते थे. मैं भी इनको गेट पर नहीं रोकता था और इनसे दस बीस रुपये की रिश्वत ले लेता था. पर कुछ कहो मैं मेरे गाँव से तो ज्यादा ही रुपया कमा रहा था. भले ही यह कमाई से दो वक़्त का खाना और किराया ही निकल पाता था.





पर कुछ भी कहो मेरे सामने वालीं नालंदा सोसाइटी की औरते काफी सुन्दर और सेक्सी थी. मैंने शहर में आने से पहले कभी ऐसी खूबसूरत औरतों को नहीं देखा था. मादरजात यहां शहरो की और यह वीआईपी नालंदा सोसायटी की औरते कितनी खूबसूरत साड़ी और छोटे ब्लाउज पहनती है और कुछ तो छोटे कपड़े भी पहनती थी. इन छोटे ब्लाउज में इनकी गोरी कमर , खुली सफेद पीठ और बड़े बड़े निप्पल दिखते थे. यहां की औरते हमारे गाँव में लगने वाले सिनेमा की हीरोइन की तरह दिखती थी. कुछ औरतों और ल़डकियों को तो मैं छुप छुप कर देखता भी था.





यही सब में अब तीन महीने निकल गये थे.....................







मेरी चौकीदार की नोकरी भी ऐसी थी कि कभी दिन में जाना होता तो कभी शाम में तो कभी जाना ही नहीं पड़ता. बढ़िया और सुकून की नोकरी थी. मेरी नौकरी ऐसी थी कि रोज़ मुझे सैलरी के अलावा सौ - दौसों की रिश्वत मिल जाती थी। रजिया यानी मेरी बेगम मुझे ठीक से सेक्स नहीं करने देती थी क्योंकि उसे मोटी भेसी को मेरी कम कमाई और खराब शकल से काफी परेशानी थी। हमारी नौकरानी का नाम सबीना था, उसकी उम्र 41 साल के करीब होगी, वह हमारे यहाँ 3 महीने से काम कर रही थी मैंने मेरी बीवी को खुश करने के लिये यह काम वाली को रख रखा था वो भी मेरे रिश्वत के रुपयों से.






सबीना की चूचियाँ तनी हुई और थोड़ी बड़ी-बड़ी संतरे जैसी थीं। अक्सर मैं अपनी बीवी से नज़र बचाकर, जब वो मेरे कमरे में पौंछा लगाती थी तो उसके ब्लाउज से झांकती हुई चूचियों का मज़ा लेता था। एक दो बार उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा भी था और हल्की सी मुस्कुराहट भी दी थी। एक दिन मेरी बीवी रजिया नीचे बाज़ार से कुछ सामान लेने गई तभी सबीना मेरे कमरे में पौंछा लगाने आई और अंगड़ाई लेकर बोली- बाबूजी, आज गर्मी बहुत हो रही है ! और उसने अपने ब्लाउज के तीन बटन खोल लिए। नीचे ब्रा वो नहीं पहने थी पूरी चूचियाँ एकदम से बाहर आ गईं। चुचूक आधे से ज्यादा बाहर थे। पौंछा लगाते लगाते वो मुस्कुरा रही थी। मैं भी अन्दर ही अन्दर खुश होने लगा.







सबीना मुस्कुरा कर बोली- बाबू, आप मुझे 200 रुपए दे दो ! मेरा लौड़ा पूरा टनटना रहा था, मैं बोला- ठीक है, लो ! और मैं उसे रुपए देने लगा तो उसने जानबूझ कर अपना पल्लू नीचे गिरा दिया। पूरी नंगी होती चूचियाँ मेरी आँखों के सामने थी। सबीना कामुक मुस्कान दे रही थी, मेरे से रहा नहीं गया, मैंने उसकी चूचियाँ दोनों हाथों से दबा दीं। इतने से उसका आखिरी बटन भी खुल गया। अब पूरी नंगी चूचियां मेरे सामने थी। मैंने कस कर दो तीन बार उन्हें मसल दिया। सबीना मुझे हटाती हुई बोली- बीबी जी आने वाली हैं, जब मायके जाएँ तब पूरे मज़े ले लेना ! आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो। इतना कह कर उसने हल्के से मेरा लण्ड सहला दिया और मेरे होंटों पर एक पप्पी दे दी।







दो हफ़्ते बाद ही मेरी बेगम को दस दिन के लिए अपने घर जाना पड़ा। अब मैं घर में इतने दिन अकेला था। मेरे मन में सबीना को चोदने का ख्याल पलने लगा।







To Be Continued.........
Nice
 

Guri006

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Update 7








यूसुफ ने लौड़ा नेहा के मुँह से निकल लिया. सबीना ने भी मुँह से लण्ड निकाल दिया और नेहा को हटाकर यूसुफ का लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मैंने नेहा को अपनी तरफ खींच लिया पर वो आना नहीं चाहती थी मेरे पास. सबीना ने मेरी तरफ एक इशारा किया. फिर मैंने दम लगा कर जोर से नेहा को अपनी तरह खींच लिया.



फिर नेहा के मुँह पर अपना लण्ड रख दिया, नेहा बोली- आपका तो बहुत बड़ा है? यह पहली बार था मैंने एक शादी शुदा सुन्दर औरत को हाथों में पकडा था फिर उसके मुँह पर अपना मूसल लण्ड रख दिया था.


मैंने उसके कान में कहा- अपने गुलाबी होंठों से मुँह में रखो मज़ा भी बड़ा देगा। नेहा गर्म हो चुकी थी, उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में लिया। अब दोनों औरतें यूसुफ और मेरा लण्ड मस्त होकर चूस रहीं थीं। नेहा की बड़ी चूचियाँ भी अब मेरे हाथों में खेल रही थीं। थोड़ी देर बाद सबीना ने यूसुफ का लण्ड अपने मुँह से निकाल दिया और नेहा के मुँह से भी मेरा लण्ड हटा दिया।




यूसुफ नेहा की चूत पर हाथ फेरते हुए बोला- अब्दुल मिया, वाकई सबीना जी ने तो आज सच में लौड़ा चूसने का असली मज़ा दिया। यह मेरी कुतिया तो चूसना जानती ही नहीं, सिर्फ मुँह आगे पीछे करती है।



यह सुन कर नेहा यूसुफ को तिरछी नजर से गुस्से से देखती है.


सबीना मुस्कुराते हुए बोली- आपकी माल को आज सब सिखा दूंगी। अब इसकी थोड़ी चूत की सेवा कर दीजिये, हरामिन की चुदने को कुलबुला रही है।


यूसुफ उठा और उसने नेहा की टांगें चौड़ी करके उसमें अपना लण्ड घुसा दिया। नेहा की चूत बजने लगी, सबीना ने भी मेरा लण्ड अपनी चूत में डलवा लिया था। अब मेरी खटिया पर दोनों औरतों की चुदाई चल रही थी, कमरा ऊहाह आह ऊहाह आह !!!!! आह की आवाज़ों से गूँज रहा था।


नेहा यूसुफ का वीर्य या गाढ़ा माल नहीं चाहती थी अपनी चुत में.....पर यूसुफ ने नेहा की कोई बात नहीं मानी और अपना पूरा वीर्य नेहा की चुत में भर दिया. थोड़ी देर बाद दोनों की चूतें गाढ़े वीर्य से नहाई हुई थीं।


सबीना नेहा से बोली- अपने यार का लौड़ा चाट ले ! बहुत स्वादिष्ट लगता है वीर्य चोदने के बाद !


नेहा बोली - मुझको यह सब गंदा वीर्य चाटने और अपने अन्दर लेना पसन्द नहीं है यह बात यूसुफ जी को पता है.


सबीना - ओह ओह हो मेरी मल्लिका ए हुस्न यह तेरे सब नखरे तेरे पति को दिखाना मेरे सामने यह सब नहीं चलेगा.


नेहा को दिखाते हुए सबीना ने मेरे सुपाड़े पर अपनी जीभ फिरा दी। फिर थोड़ा डरते हुए नेहा ने भी यूसुफ का लण्ड थोड़ी देर चाटा। इसके बाद 5 मिनट तक हम चारों खटिया पर पस्त हो गए। थोड़ी देर के लिए नेहा कमरे से बाहर गयी. उसको देख कर मैं भी कमरे से बाहर आ गया. नेहा को देख कर लग रहा था कि वो ज्यादा खुश नहीं है शायद. यह भी हो सकता है कि यूसुफ और सबीना के द्वारा नेहा के साथ एक वेश्या की तरह बरताव किया जा रहा था इसलिए वो खुश नहीं थी. मेरी हिम्मत तो हो नहीं रही थी पर फिर भी मैंने नेहा से बात करनी शुरू करी.


मैंने बोला नेहा से - आप काफी सुन्दर हो नेहा जी. वेसे मेरा नाम अब्दुल अहमद है.


नेहा ना मेरी तरफ देखा ना ही कोई जवाब दिया.


मेने फिर बोलना शुरू किया - नेहा जी अगर आपको मेरे द्वारा जबरदस्ती करने से बुरा लगा हो तो उसके लिये मैं आपसे माफ़ी माँगता हू.


नेहा ने अब मेरी ओर देखा पर कोई जवाब नहीं दिया.


फिर मैंने बोला - वेसे नेहा जी एक बात बोलू अगर आप बुरा नहीं माने तो....


नेहा ने थोड़ी देर सोच कर बोला - हा बोलिये !


मैंने बोला - यूसुफ के चक्कर में कैसे आ गयी ? आप तो बहुत पढ़ी लिखी और समझदार दिखती है.


नेहा - क्या ! आप क्या बोल रहे है अब्दुल जी ! मेरी खुद की जॉब है. आपको यह सब बकवास किसने बताई.....?


मैं तो यह सुन कर शौकड और आश्चर्यचकित हो गया. मुझको यकीन नहीं हुआ कि सबीना ने मुझको झूठ क्यों बोला.


पर मैंने बोला - पर आप तो वो रुचि मैडम के घर......


नेहा के उदास चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आयी और उसने बोला कि रुचि मेरी सहेली है. ना कि मालकिन.


मैं सुन होकर चुप चाप सुनता रहा........


नेहा - और बात रही खाना बनाने की बात तो मैं दरसल रुचि के पति यानी मेरे ऑफिस के बॉस मिस्टर राहुल अग्रवाल के यहां काम करती हू. वो क्या है आज से कुछ तीन चार महीने पहले रुचि और राहुल जी की किसी बात पर डिस्कस ( बहस ) हो गयी थी. इसके बात से ही राहुल जी यानी मेरे बॉस ने मेरी ड्यूटी ऑफिस से हटा कर उनके घर पर लगा दी. अब मैं और रूचि मिलकर अब ऑफिस कुछ काम घर पर बैठ कर करते है.


नेहा की यह सब हाई स्टैंडर्ड की बातें मेरे सर के ऊपर से जा रही थी. मुझको कुछ समझ नहीं आ रहा था. बस मुझको तो यह बात की खुशी थी की नेहा मुझसे बात कर रही है. और साथ ही इस बात का दुख था कि सबीना ने मुझको सब क्यों नहीं बताया.


नेहा बोली - रुचि को खाना बनाने आता नहीं है बराबर से इसलिये ज्यादातर टाइम मैं बना देती हूं. राहुल जी और रूचि को मेरे हाथ से बना खाना अच्छा लगता है.


अब मैं यह सब सुन कर सक पका गया था और वो पूछ ही लिया जो मैं पूछने आया था बाहर खास तौर से मैं बोला - फिर आप नेहा जी आप यह यूसुफ जी के चक्कर में कैसे फस गयी.


यह सुनते ही जो नेहा के चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कान आयी थी वो गायब हो गयी और फिर हल्की से उदासी भरे चेहरे से बोली - अब्दुल जी मैं यूसुफ के चक्कर में फंसी नहीं मुझको फंसाया गया है. इसके पीछे बहुत लंबी साजिश है आप मुझको ठीक लग रहे है इसलिये मैं आपको बाद में बताऊँगी.


मैं एक दम से डर गया पर अभी तक तो यूसुफ ने मेरे साथ बरताव अच्छे से ही किया था... पर ये यूसुफ से बच कर रहना पड़ेगा.


तभी अन्दर से सबीना की आवाज आयी.... आवाज सुनते ही मैं और नेहा अन्दर चले गये. यूसुफ मुझको नेहा के साथ अन्दर आता देख अजीबोगरीब निगाहों से देखने लगा. फ़िर 5 मिनट बाद सबीना ने दो पाउडर वाली पानी की ड्रिंक बना ली एक उसने यूसुफ को दी और एक मुझको दी। यूसुफ का लण्ड ठंडा हो रहा था। मैंने लुंगी बाँध ली थी।


सबीना बोली- यह लीजिये यूसुफ मिया, आज आपकी पीछे से सवारी की इच्छा भी पूरी हो जाएगी। यूसुफ ने पूरी ड्रिंक ली। थोड़ी सी सबीना ने नेहा को भी पिलाने की कोशिश करी पर नेहा स्पष्ट रूप से मना कर दिया. फिर वो ड्रिंक सबीना ने पी ली .


इसके बाद एक मोटे लंबे डिल्डो पर सबीना ने कंडोम चढ़ाया और यूसुफ से बोली- यूसुफ जी थोडा डिल्डो को नेहा के मुँह में डालिए। ये डिल्डो जैसी चीज मैंने अपनी जिन्दगी में पहली बार देखी थी कि ऐसा भी कुछ मिलता है इन शहरों में.



इसके बाद सबीना ने एक दूसरा डिल्डो लिया और उस डिल्डो को नेहा की गाण्ड में घुसा दीया, नेहा नाह......नाह.... करती हुई बोली- निकालो दर्द हो रहा है। सबीना ने डिल्डो पूरा निकाल लिया और बोली- दर्द तो जब यूसुफ तेरी मारेंगे तब पता चलेगा ! और अब्दुल जी ने घुसा दिया तो दो दिन तक ठीक से नहीं चल पाएगी तू।



यह सुन नेहा मुझको तिरछी गुस्से भरी निगाह से देखने लगी. इस गुस्से में भी क्या हॉट लग रही थी. पर मैं भी उसको लाचार भरी निगाह से देखने लगा.



सबीना के इशारे पर यूसुफ ने दो उँगलियाँ नेहा की गाण्ड में घुसा दीं। सबीना बोली- पूरी अंदर तक गाण्ड में घुसा कर अच्छी मालिश कर दीजिये मेमसाहब की ! नहीं तो गाण्ड नहीं मार पायेंगे। यूसुफ की उँगलियाँ रेखा की गाण्ड में आगे-पीछे होने लगीं।


नेहा को दर्द में कराते देख मुझको बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था. नेहा का दर्द मुझको अब अपने दर्द की तरह लग रहा था.


फिर अचानक क्या हो गया मुझको मैं जोर से चिल्ला पड़ा - "रुको रुक जाओ, बहुत दर्द में है वो बेचारी"


फिर मैं चुप हो गया, मुझको भी नहीं पता मेरे में इतनी हिम्मत कहा से आ गयी.


फिर सबीना मेरी ओर गुस्से से आँख निकाल कर......! पर यूसुफ के गुस्से वाले चेहरे की ओर देख हस्ते हुए बोली - लगता है अब्दुल मिया कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गये है. ये ऐसे बीच बीच में करते है यह इनकी आदत है. हा हा हा ( सबीना नखली हसी निकालते हुए )


अब सबीना वहाँ से उठ कर कर मेरे पास आयी और मुझको एक कोने में ले गयी और बोली - क्या कर रहे हों ये अब्दुल मिया ! क्यों मेरा बना बनाया खेल बिगाड़ रहे हो.


उसकी गुस्से भरी काली शक्ल के सामने मैं कुछ बोल ज्यादा बोल नहीं पाया पर इतना जरूर बोला कि उसको शायद बहुत दर्द हो रहा है.


सबीना हस्ते हुए बोली - मेरे भोलू अब्दुल मिया ! जब किसी लड़की या औरत की पहली बार चुत या गाँड में कुछ घुसता है तो उसको बहुत दर्द होता है पर इसके बाद तो मानो उसकी जिंदगी ही बदल जाती है. एक अलग सुख की प्राप्ति होती है.


फिर अचानक वापस सबीना मुझको देख गुस्से से बोली तुम ये नेहा के प्रति कोई हमदर्दी मत रखो. नेहा को अपने लंड का गुलाम बनाना है. नेहा को बस तुमको जोरदार वाला पेलना है. नेहा गुप्ता की तुमको जबरदस्त चुदाई करनी है. वरना तुम रुचि को भूल जाओ. तुम्हारे जैसे हज़ारों आदमी है इस शहर में. मैं ये तोफा किसी को भी दे सकती हूँ.


अब मैं यह समझ चुका था कि मुझको अपने नेहा के प्रति प्रेम और ठंडे भाव को बदलना पड़ेगा और सही मायने में नेहा और सबीना को उसकी औकात दिखानी पड़ेगी की एक मर्द क्या क्या कर सकता है.


अब सबीना वापस चली गयी यूसुफ के पास फिर यूसुफ ने उँगलियाँ नेहा की गाँड में आगे-पीछे की, उसके बाद सबीना ने डिल्डो को यूसुफ के हाथ में दे दिया और बोली- अब डिल्डो से इसकी गाण्ड चोदिये। 2-3 मिनट तक नेहा लेटी हुई चुपचाप लण्ड चूसती रही और यूसुफ डिल्डो से उसकी गाण्ड में आगे पीछे करता रहा। 5 मिनट के बाद यूसुफ ने नेहा के मुह से लण्ड निकाल लिया ओर अब नेहा की गाण्ड लण्ड से गुदनी थी।


सबीना ने खटिया पर एक पतला गद्दा बिछा दिया और नेहा से बोली- अपनी गाण्ड एक बार मरवा ली तो चूत का मज़ा भूल जाएगी तू ! प्यार से मरवाना ! शुरू में दर्द होगा, बाद में तो मज़ा आना है। यूसुफ जी का लण्ड तो बड़ा है, झेल तो लेगी तू के नहीं कर पायेगी, देख जिन भी औरतों की गाण्ड बड़े लण्ड से फटती है वो तो कई बार बेहोश हो जाती हैं। चल अब जरा घोड़ी बन ! और नेहा के बाल सहलाते हुए सबीना ने उसे घोड़ी बना दिया।


नेहा घोड़ी बनने को तैयार नहीं थी. पर सबीना नेहा के बलों को सहलाने के साथ साथ उसके ना नकुर करने के कारण खींच भी रही थी. नेहा के सारे बाल सबीना के द्वारा जोर जोर से सहलाने के कारण उसकी गोरे बांह और पीठ पर आ गए थे. नेहा क्या सेक्सी दिख रही थी. पर बेचारी नेहा क्या करती उसको आखिर कार यूसुफ और सबीना के डर से घोड़ी बन गई और अपनी कोहनी बिस्तर पर लगा ली थी। पर मैं भी अब तैयार था सबीना के इशारे का इन्तेज़ार कर रहा था ..! मैं भी अब कोई नेहा गुप्ता को छोड़ने वाला नहीं था बस सही मोके के इन्तेजार में था....!



नेहा, यूसुफ और मुझको देखकर सबीना के दिमाग में कुछ चल रहा था. अब आगे यही देखना था कि ये सबीना रंडी आगे क्या करती है..............?







To Be Continued...........
Keep writing
 

Kanhasolanki

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भाई ये कहानी दूसरी वेबसाइट की है बस नाम थोड़े बदल दिए है
 

Mohik

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भाई ये कहानी दूसरी वेबसाइट की है बस नाम थोड़े बदल दिए है
Nahi Bro Dusri Site Ki Story Ka Writer bhi mai he hu. Go and Check it. Bus thoda yaha par rules & regulations strict hone ki vajah se thoda sa Badlav kiya hai.
 
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कहानी बहुत जबरदस्त ढंग से आगे बढ़ रही है । क्या षड़यंत्र रचा जा रहा है । ये तो अगले अपडेट में ही पता चल पाएगा । अगले अपडेट का इंतजार रहेगा
 
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