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Incest भाँजा लगाए तेल, मौसी करे खेल

vakharia

Supreme
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बहुत ही कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
मौसी और रंजन का लेस्बिअन खेल बहुत ही रोमांचक और मदमस्त हैं
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thanks❤️
 

vakharia

Supreme
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मेरी नींद बहुत देर से खुली. मौसी और मौसाजी के हंसने और बोलने की आवाज बाथरूम से आ रही थी. मुझे लगा कि शायद नहा रहे होंगे पर कुछ देर बाद दोनों बिलकुल नंगे बाहर आये तो बिना नहाये. मुझे अचरज लगा कि वे अंदर क्या कर रहे थे. कल भी मौसाजी वापस आने के बाद मौसी को लेकर बाथरूम में चले गये थे. दोनों काफ़ी देर एक साथ बाथरूम में थे. वे वहाँ क्या करते हैं, इस रहस्य का पता मुझे काफ़ी देर बाद चला.

चाय पीकर हम तीनों एक साथ नहाने गये.

नहाने के बाद हमने नंगे ही नाश्ता किया. उसके बाद हमने मौसी को सोफ़े पर लिटा दिया और बारी बारी से उसकी चूत चूसकर उन्हे दो बार झडा दिया.

मौसाजी को काम पर जाना था इसलिये रति यहीं रोक दी गयी. उन्होंने मुझे सूचित किया की आज का पूरा दिन में चुदाई ना करूँ। उन्हों ने यह भी कहा कि मैं आज कपड़े पहना रहूँ ताकि मेरे लंड को पूरा आराम मिले. जब मौसी इस बात पर चिढ़कर चिल्लाने लगी तो अंकल उसे चूमते हुए मुस्कराकर बोले. "मेरी रानी, तुझे कोई तकलीफ़ नहीं होगी, तेरा प्यारा भाँजा तो दिन भर तेरी चूत चूस सकता है. तू मजा कर, वैसे भी तेरी बुर में इतना रस है कि चाहे जितना पियो, खतम नहीं होता."

मौसी का प्यार से चुंबन लेकर मौसाजी काम पर निकल गये. काफ़ी दिन बाद मैं घर में दिन भर कपड़े पहन कर रहा. एक तंग पेन्ट मैंने पहनी थी कि लंड दबा रहे. मौसी ने भी साड़ी और ब्लाउज़ पहन लिया, ब्रा और पेन्टी छोड दी. इससे उसकी चूत और चूचियाँ मेरे लिये हमेशा खुले थे. दिन भर मैंने कई बार उसकी बुर चूसी और मम्मे दबाकर निप्पल चूसे.

दोपहर को हम सो गये क्यों की जाते जाते अंकल यह कह गये थे कि हम खूब आराम कर ले जिससे रात को ताजे दम से रति की जा सके. हम इतनी गाढ़ी नींद सोये कि जब हम उठे तो रात हो चुकी थी. देखा कि अंकल भी सोफ़े पर सो रहे थे. काम से जल्दी आकर उन्हों ने भी एक गहरी नींद ले ली थी. खाना खाने हम बाहर गये जिससे आकर बस अपना काम शुरू किया जा सके. वापस आकर हमने साथ साथ स्नान किया

शुरू में तो मौसी और अंकल सोफ़े पर मुझे बच्चे जैसे गोद में लेकर बैठ गये और मुझे खिलाने लगे. मुझसे तो वे ऐसे खेल रहे थे जैसे मैं कोई गुड्डा हूँ. मौसी मेरे लंड को हथेली में लकर मुठिया रही थी फ़िर मौसी मेरा चुंबन लेने लगी

अब मौसाजी मौसाजी ने तुरंत उसे पकड कर उसकी जांघें खोली और उसकी बुर चूसने लगे. मौसी चुदवाना चाहती थी. "डार्लिंग, इतना मस्त खड़ा है तुम्हारा लंड, जरा चोद तो दो." अंकल नहीं माने और चूत चूसते रहे. "सब्र कर, चूत चुसवा ले पहले."

sk

मौसी मान गयी और मौसाजी के मुंह पर बैठ कर अपनी बुर चुसवाने लगी. जब मौसी उनके मुंह पर बैठ कर चोद रही थी और मौसाजी चूतरस पी रहे थे तब उनका लौडा एकदम तन कर खड़ा हो कर हवा में हिल रहा था.

मौसी आखिर झड़ी और लस्त होकर उनके मुंह पर बैठी रही. में अपना तन्नाया लंड मुठ्ठी में लेकर उन दोनों को देखता रहा... मौसी अब धीरे से मौसाजी के मुंह से उतर गई और टांगें फैलाकर मुझे न्योता देने लगी... मैंने आव देखा न ताव... योनि रस से लसलसित मार्गे में पुचुक की आवाज के साथ मेरा लंड मौसी की चुत में घुस गया... में उनकी निप्पलों को बारी बारी चूसते हुए धनाधन धक्के लगाने लगा... मौसी की चुत की मांसपेशियों ने मेरे लंड को अंदर से निचोड़ते हुए पकड़ रखा था... ऐसी स्थिति में मेरा ओर टीक पाना संभव न था... में कराहते हुए उनकी चुत के अंदर झड़ गया... हांफते हुए मैंने लंड बाहर निकाला और उनके बगल में लेट गया। थका होने से मेरी आँख लग गयी. सोते सोते मुझे याद है कि अब मौसाजी मौसी पर चढ़ कर उसे चोद रहे थे.

fs
सुबह जब मैं उठा तो सूरज काफ़ी ऊपर आ गया था. मौसाजी उठ कर जा चुके थे, बिस्तर में मैं और मौसी ही थे. उनकी नींद पहले ही खुल गयी थी और वे मुझे बाँहों में लेकर चूम रही थी और मेरा शिश्न रगड कर उसे खड़ा कर रही थी. उनकी निप्पल तनकर खड़ी हो गई थी. बडा अच्छा लग रहा था और उनके चूमने के जवाब में मैं भी उनकी चुम्मी लेने लगा. पलट कर वे उलटी बाजू से सो गई और सिक्सटी नाइन का पोज़ बना लिया. चूसते हुए उनकी जीभ मेरे लंड को पागल कर रही थी. मैंने भी मुंह खोल कर जितना हो सकता था, उतना चुत के अंदर जीभ घुसेड़कर चूसने लगा.

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मेरा लंड मस्त होकर खड़ा था और मौसी के चूसने के बाद करीब करीब कल रात जितना ही बडा हो गया था. आधे से ज्यादा लंड मुंह में लेकर चूसने में मौसी को बडा मजा आ रहा था. अब उन्हों ने जरा गर्दन लम्बी की और मेरी जांघों के बीच सिर डाल कर मेरी गांड को चाटने लगी। उनकी तपती गीली जीभ मेरी गांड में घुसी और मैं आनंद से हुमक उठा. मौसी पर मुझे बहुत प्यार आ रहा था. मुझे यही लगा कि शायद अब हम एक दूसरे का शरीर का रस पी कर ही उठेंगे। प्यार के अलावा मौसी के दिमाग पर वासना का शैतान भी सवार था.

सहसा मुझे सीधा लिटा कर वे मुझ पर चढ़ बैठी. मेरी समझ में आने के पहले ही उन्हों ने मेरा सुपाड़ा अपनी चुत के होंठों के बीच रखा और अपने शरीर का पूरा वज़न डाल दिया. उनकी चुत मेरी लार से पहले ही काफी चिपचिपी थी, इसलिये मेरा सुपाडा सट करके उनकी चुत में घुस गया. अब मौसी पागलों की तरह उछल उछल कर मेरे लँड पर इतनी जोर से कूदने लगी की उत्तेजित होने के बावजूद मेरे लंड में दर्द होने लगा... में चीखते हुए उन्हे रुकने के लिए कहने लगा पर उन्होंने मेरी एक न सुनी...


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मौसाजी ने हल्ला सुना तो देखने को आए कि क्या गडबड चल रही है. मैंने चिल्लाते हुए उससे मौसाजी को शिकायत की. "मौसाजी, मौसी को जरा डाँटिए ना, देखो मना कर रहा हूँ फिर भी लंड पर कूदती जा रही है, बहुत दर्द हो रहा है मौसी, मैं मर जाऊंगा. "

मौसाजी ने अपने पत्नी का ही साथ दिया. वासना से भरी उनकी आँखों को चूम कर वह मेरे पास बैठ गए. वह पूरे नग्न थे. "कूदने दे बेटे, इतना चिकना लंड जब मिली है तो पूरा मजा लेंगी ही. मजे करने की चीज़ है तो मजे तो करेंगी ही ना!! चल में इसे ठंडा करने में तेरी मदद करता हूँ..” उन्होंने बैठे बैठे मौसी की चूचियों को मसलना शुरू कर दिया और मौसी से कहा. “पूरा मजा वसूल करना मेरी रानी. इतना मस्त छोकरा है, चुदवाकर अपनी चुत को ठंडी कर ले."

रोते बच्चों को चुप कराने के लिये जैसे औरतें करती हैं वैसे मौसी ने झुक कर मेरे मुंह में अपनी एक निप्पल दे दी ताकि मैं शांत हो जाऊँ. अब वह थोड़ा धीरे धीरे कूद रही थी इसलिए मेरा दर्द भी कम हो गया था और मुझे मजा आने लगा था. रोना बंद करके अब मैं अपने चूतड उछाल कर और जोर से मौसी की चुत मारने की कोशिश कर रहा था.

मौसाजी मेरे इस उतावलेपन पर लाड से हंसने लगे. "देख रानी, अभी तक रो रहा था बदमाश, अब कैसा मस्ती से चोद रहा है, अपने चूतड उछाल उछाल के. डार्लिंग, आज तो मैं छुट्टी ले लेता हूँ, दिन भर हम तीनों चुदाई करेंगे."

पंद्रह मिनिट तक यूं उछलने के बाद वे झड़ी और बिस्तर पर ढेर हो गई.

थोड़ी देर आराम करने के बाद मौसी ने कहा कि सब अब नहाने को चले. हम तीनों मिलकर गरम शावर लेने लगे।

मौसी अब झुक कर टब का किनारा पकड कर खड़ी हो गई. उसे कुतिया स्टाइल में चुदाना था. अंकल ने उसके पीछे खड़े होकर उसकी बुर में लंड डाला और चोदने लगे. उसे उन्हों ने आधे घंटे तक चोदा और तीन चार बार झडा कर खुश कर दिया. सारे समय मैं मौसी के सामने खड़ा था और वह मेरा लंड चूस रही थी. अंकल के कहने पर मैंने उसके लटकते स्तन भी खूब दबाये. वे अंकल के झटकों से पेंडुलम जैसे हिल रहे थे.

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मैं इतना उत्तेजित था कि वासना से सिसकने लगा. "मौसी, चूस ले मेरा लंड, प्लीज़, मुझसे नहीं रहा जाता." मौसी के स्तन पकड़े पकड़े ही मैं ऐसा झडा कि किलकारिया मारने लगा.

मौसी ने मन लगाकर मेरा वीर्य पान किया और इस बीच अंकल ने उसे एक बार और चोद डाला और अपना लंड बाहर निकालकर मौसी की गोल चूतड़ों पर लंड की पिचकारी दे मारी... . हम तीनों को फिर से शावर लेना पड़ा।

नहाने के बाद हम नाश्ते पर बैठे. नाश्ता खतम करके हम ड्रॉइंग रूम में गये. मुझे बाँहों में लेकर चूमते हुए वे दोनों सलाह मशवरा करने लगे कि मेरे साथ अब क्या किया जाये, जैसे मैं कोई जिंदा किशोर नहीं, उनका खिलौना हूँ जिससे चाहे जैसे खेला जा सकता है. आखिर मौसी मेरी तरफ़ दुष्ट निगाह से देखती हुई बोली. "उस दिन वीडीओ पर देखा था वही ब्लू फिल्म देखते है."

मौसाजी ने तुरंत वह वीडीओ लगाई और हम साथ बैठ कर मजा लेने लगे. फ़िल्म बिलकुल हमारी रति जैसी ही थी, फ़रक इतना था कि एक लडके के बजाय एक उन्नीस साल की लड़की अपने डैडी के साथ मजे ले रही थी. वह एक परिवार प्यार या इन्सेस्ट की कथा थी और उसमें पति-पत्नी मिलकर अपनी ही जवान किशोर बेटी को भोग रहे थे.

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मौसी की चूत अब ऐसे पसीज रही थी कि पानी बाहर बहने लगा था. फ़िल्म का का सीन खतम होने पर वह हमारे सामने खड़ी हो गयी और मेरा सिर खींच कर अपनी झांटों में मेरा मुंह दबा दिया. मुझे उसने आदेश दिया कि उसकी बुर चुसूँ और वह बड़ी खुशी से मैंने किया. मेरे मुंह को वह चोदने लगी और मौसाजी उसके मम्मे दबाने लगे.

उधर पिक्चर में उस किशोरी की अम्मा आखरी सीन में अपनी बेटी से चूत चुसवा रही थी और उसके डैडी कुतिया स्टाइल मे उसकी गांड मार रहे थे. पिक्चर खतम होने तक मौसाजी ने धीरज रखा. फ़िर खिसक कर मौसी को लिये वे फ़र्श पर आ गये जहाँ पहले ही प्रिया मौसी ने इस काम के लिये एक गद्दी बिछा रखी थी. मौसी को गद्दी पर लिटाकर वे उस पर चढ़ गये और बेतहाशा उसकी चुत को चोदने लगे.

उनका लौडा अब बड़ी आसानी से उसकी मख्खन सी चिकनी और फ़ुकला हुई चुत में अंदर बाहर हो रहा था. उस मोटे लंड और सूजे सुपाड़े के घर्षण से उन्हे असहनीय सुख मिल रहा था. मेंने अपना लंड मौसी के मुंह में दे दिया और वह बड़े मजे से मेरे सुपाड़े को चूसने लगी।

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थोड़ी देर में मौसा जी झड़कर सोफ़े पर बैठ गए और अब मेरी बारी आई.. मैंने मौसी की जांघों को फैलाकर उनकी वीर्य से सनी चुत में पेल दिया... बार बार झड़ने के बावजूद मौसी की भूख कम नहीं हो रही थी... मैंने अंगूठे से उनके भगोष्ठ को रगड़ते हुए चोदना जारी रखा... कुछ ही देर में हम दोनों एक साथ झड़ गए और में मौसी के दोनों स्तनों के बीच सिर रखकर लेट गया।

कुछ देर बाद सुस्ता कर जैसे ही मेरा लंड खड़ा हुआ की हम फ़िर शुरू हो गये. दिन भर मौसी की चुदाई चलती रही. कभी में उन्हे चोदता तो कभी मौसा जी.
 

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मेरी नींद बहुत देर से खुली. मौसी और मौसाजी के हंसने और बोलने की आवाज बाथरूम से आ रही थी. मुझे लगा कि शायद नहा रहे होंगे पर कुछ देर बाद दोनों बिलकुल नंगे बाहर आये तो बिना नहाये. मुझे अचरज लगा कि वे अंदर क्या कर रहे थे. कल भी मौसाजी वापस आने के बाद मौसी को लेकर बाथरूम में चले गये थे. दोनों काफ़ी देर एक साथ बाथरूम में थे. वे वहाँ क्या करते हैं, इस रहस्य का पता मुझे काफ़ी देर बाद चला.

चाय पीकर हम तीनों एक साथ नहाने गये.नहाने के बाद हमने नंगे ही नाश्ता किया. उसके बाद हमने मौसी को सोफ़े पर लिटा दिया और बारी बारी से उसकी चूत चूसकर उन्हे दो बार झडा दिया.मौसाजी को काम पर जाना था इसलिये रति यहीं रोक दी गयी. उन्होंने मुझे सूचित किया की आज का पूरा दिन में चुदाई ना करूँ। उन्हों ने यह भी कहा कि मैं आज कपड़े पहना रहूँ ताकि मेरे लंड को पूरा आराम मिले. जब मौसी इस बात पर चिढ़कर चिल्लाने लगी तो अंकल उसे चूमते हुए मुस्कराकर बोले. "मेरी रानी, तुझे कोई तकलीफ़ नहीं होगी, तेरा प्यारा भाँजा तो दिन भर तेरी चूत चूस सकता है. तू मजा कर, वैसे भी तेरी बुर में इतना रस है कि चाहे जितना पियो, खतम नहीं होता."मौसी का प्यार से चुंबन लेकर मौसाजी काम पर निकल गये. काफ़ी दिन बाद मैं घर में दिन भर कपड़े पहन कर रहा. एक तंग पेन्ट मैंने पहनी थी कि लंड दबा रहे. मौसी ने भी साड़ी और ब्लाउज़ पहन लिया, ब्रा और पेन्टी छोड दी. इससे उसकी चूत और चूचियाँ मेरे लिये हमेशा खुले थे. दिन भर मैंने कई बार उसकी बुर चूसी और मम्मे दबाकर निप्पल चूसे.दोपहर को हम सो गये क्यों की जाते जाते अंकल यह कह गये थे कि हम खूब आराम कर ले जिससे रात को ताजे दम से रति की जा सके. हम इतनी गाढ़ी नींद सोये कि जब हम उठे तो रात हो चुकी थी. देखा कि अंकल भी सोफ़े पर सो रहे थे. काम से जल्दी आकर उन्हों ने भी एक गहरी नींद ले ली थी. खाना खाने हम बाहर गये जिससे आकर बस अपना काम शुरू किया जा सके. वापस आकर हमने साथ साथ स्नान कियाशुरू में तो मौसी और अंकल सोफ़े पर मुझे बच्चे जैसे गोद में लेकर बैठ गये और मुझे खिलाने लगे. मुझसे तो वे ऐसे खेल रहे थे जैसे मैं कोई गुड्डा हूँ. मौसी मेरे लंड को हथेली में लकर मुठिया रही थी फ़िर मौसी मेरा चुंबन लेने लगीअब मौसाजी मौसाजी ने तुरंत उसे पकड कर उसकी जांघें खोली और उसकी बुर चूसने लगे. मौसी चुदवाना चाहती थी. "डार्लिंग, इतना मस्त खड़ा है तुम्हारा लंड, जरा चोद तो दो." अंकल नहीं माने और चूत चूसते रहे. "सब्र कर, चूत चुसवा ले पहले."
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मौसी मान गयी और मौसाजी के मुंह पर बैठ कर अपनी बुर चुसवाने लगी. जब मौसी उनके मुंह पर बैठ कर चोद रही थी और मौसाजी चूतरस पी रहे थे तब उनका लौडा एकदम तन कर खड़ा हो कर हवा में हिल रहा था.मौसी आखिर झड़ी और लस्त होकर उनके मुंह पर बैठी रही. में अपना तन्नाया लंड मुठ्ठी में लेकर उन दोनों को देखता रहा... मौसी अब धीरे से मौसाजी के मुंह से उतर गई और टांगें फैलाकर मुझे न्योता देने लगी... मैंने आव देखा न ताव... योनि रस से लसलसित मार्गे में पुचुक की आवाज के साथ मेरा लंड मौसी की चुत में घुस गया... में उनकी निप्पलों को बारी बारी चूसते हुए धनाधन धक्के लगाने लगा... मौसी की चुत की मांसपेशियों ने मेरे लंड को अंदर से निचोड़ते हुए पकड़ रखा था... ऐसी स्थिति में मेरा ओर टीक पाना संभव न था... में कराहते हुए उनकी चुत के अंदर झड़ गया... हांफते हुए मैंने लंड बाहर निकाला और उनके बगल में लेट गया। थका होने से मेरी आँख लग गयी. सोते सोते मुझे याद है कि अब मौसाजी मौसी पर चढ़ कर उसे चोद रहे थे.
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सुबह जब मैं उठा तो सूरज काफ़ी ऊपर आ गया था. मौसाजी उठ कर जा चुके थे, बिस्तर में मैं और मौसी ही थे. उनकी नींद पहले ही खुल गयी थी और वे मुझे बाँहों में लेकर चूम रही थी और मेरा शिश्न रगड कर उसे खड़ा कर रही थी. उनकी निप्पल तनकर खड़ी हो गई थी. बडा अच्छा लग रहा था और उनके चूमने के जवाब में मैं भी उनकी चुम्मी लेने लगा. पलट कर वे उलटी बाजू से सो गई और सिक्सटी नाइन का पोज़ बना लिया. चूसते हुए उनकी जीभ मेरे लंड को पागल कर रही थी. मैंने भी मुंह खोल कर जितना हो सकता था, उतना चुत के अंदर जीभ घुसेड़कर चूसने लगा.
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मेरा लंड मस्त होकर खड़ा था और मौसी के चूसने के बाद करीब करीब कल रात जितना ही बडा हो गया था. आधे से ज्यादा लंड मुंह में लेकर चूसने में मौसी को बडा मजा आ रहा था. अब उन्हों ने जरा गर्दन लम्बी की और मेरी जांघों के बीच सिर डाल कर मेरी गांड को चाटने लगी। उनकी तपती गीली जीभ मेरी गांड में घुसी और मैं आनंद से हुमक उठा. मौसी पर मुझे बहुत प्यार आ रहा था. मुझे यही लगा कि शायद अब हम एक दूसरे का शरीर का रस पी कर ही उठेंगे। प्यार के अलावा मौसी के दिमाग पर वासना का शैतान भी सवार था.सहसा मुझे सीधा लिटा कर वे मुझ पर चढ़ बैठी. मेरी समझ में आने के पहले ही उन्हों ने मेरा सुपाड़ा अपनी चुत के होंठों के बीच रखा और अपने शरीर का पूरा वज़न डाल दिया. उनकी चुत मेरी लार से पहले ही काफी चिपचिपी थी, इसलिये मेरा सुपाडा सट करके उनकी चुत में घुस गया. अब मौसी पागलों की तरह उछल उछल कर मेरे लँड पर इतनी जोर से कूदने लगी की उत्तेजित होने के बावजूद मेरे लंड में दर्द होने लगा... में चीखते हुए उन्हे रुकने के लिए कहने लगा पर उन्होंने मेरी एक न सुनी...
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मौसाजी ने हल्ला सुना तो देखने को आए कि क्या गडबड चल रही है. मैंने चिल्लाते हुए उससे मौसाजी को शिकायत की. "मौसाजी, मौसी को जरा डाँटिए ना, देखो मना कर रहा हूँ फिर भी लंड पर कूदती जा रही है, बहुत दर्द हो रहा है मौसी, मैं मर जाऊंगा. "मौसाजी ने अपने पत्नी का ही साथ दिया. वासना से भरी उनकी आँखों को चूम कर वह मेरे पास बैठ गए. वह पूरे नग्न थे. "कूदने दे बेटे, इतना चिकना लंड जब मिली है तो पूरा मजा लेंगी ही. मजे करने की चीज़ है तो मजे तो करेंगी ही ना!! चल में इसे ठंडा करने में तेरी मदद करता हूँ..” उन्होंने बैठे बैठे मौसी की चूचियों को मसलना शुरू कर दिया और मौसी से कहा. “पूरा मजा वसूल करना मेरी रानी. इतना मस्त छोकरा है, चुदवाकर अपनी चुत को ठंडी कर ले."रोते बच्चों को चुप कराने के लिये जैसे औरतें करती हैं वैसे मौसी ने झुक कर मेरे मुंह में अपनी एक निप्पल दे दी ताकि मैं शांत हो जाऊँ. अब वह थोड़ा धीरे धीरे कूद रही थी इसलिए मेरा दर्द भी कम हो गया था और मुझे मजा आने लगा था. रोना बंद करके अब मैं अपने चूतड उछाल कर और जोर से मौसी की चुत मारने की कोशिश कर रहा था.मौसाजी मेरे इस उतावलेपन पर लाड से हंसने लगे. "देख रानी, अभी तक रो रहा था बदमाश, अब कैसा मस्ती से चोद रहा है, अपने चूतड उछाल उछाल के. डार्लिंग, आज तो मैं छुट्टी ले लेता हूँ, दिन भर हम तीनों चुदाई करेंगे."पंद्रह मिनिट तक यूं उछलने के बाद वे झड़ी और बिस्तर पर ढेर हो गई.थोड़ी देर आराम करने के बाद मौसी ने कहा कि सब अब नहाने को चले. हम तीनों मिलकर गरम शावर लेने लगे।मौसी अब झुक कर टब का किनारा पकड कर खड़ी हो गई. उसे कुतिया स्टाइल में चुदाना था. अंकल ने उसके पीछे खड़े होकर उसकी बुर में लंड डाला और चोदने लगे. उसे उन्हों ने आधे घंटे तक चोदा और तीन चार बार झडा कर खुश कर दिया. सारे समय मैं मौसी के सामने खड़ा था और वह मेरा लंड चूस रही थी. अंकल के कहने पर मैंने उसके लटकते स्तन भी खूब दबाये. वे अंकल के झटकों से पेंडुलम जैसे हिल रहे थे.
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मैं इतना उत्तेजित था कि वासना से सिसकने लगा. "मौसी, चूस ले मेरा लंड, प्लीज़, मुझसे नहीं रहा जाता." मौसी के स्तन पकड़े पकड़े ही मैं ऐसा झडा कि किलकारिया मारने लगा.मौसी ने मन लगाकर मेरा वीर्य पान किया और इस बीच अंकल ने उसे एक बार और चोद डाला और अपना लंड बाहर निकालकर मौसी की गोल चूतड़ों पर लंड की पिचकारी दे मारी... . हम तीनों को फिर से शावर लेना पड़ा।नहाने के बाद हम नाश्ते पर बैठे. नाश्ता खतम करके हम ड्रॉइंग रूम में गये. मुझे बाँहों में लेकर चूमते हुए वे दोनों सलाह मशवरा करने लगे कि मेरे साथ अब क्या किया जाये, जैसे मैं कोई जिंदा किशोर नहीं, उनका खिलौना हूँ जिससे चाहे जैसे खेला जा सकता है. आखिर मौसी मेरी तरफ़ दुष्ट निगाह से देखती हुई बोली. "उस दिन वीडीओ पर देखा था वही ब्लू फिल्म देखते है."मौसाजी ने तुरंत वह वीडीओ लगाई और हम साथ बैठ कर मजा लेने लगे. फ़िल्म बिलकुल हमारी रति जैसी ही थी, फ़रक इतना था कि एक लडके के बजाय एक उन्नीस साल की लड़की अपने डैडी के साथ मजे ले रही थी. वह एक परिवार प्यार या इन्सेस्ट की कथा थी और उसमें पति-पत्नी मिलकर अपनी ही जवान किशोर बेटी को भोग रहे थे.
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मौसी की चूत अब ऐसे पसीज रही थी कि पानी बाहर बहने लगा था. फ़िल्म का का सीन खतम होने पर वह हमारे सामने खड़ी हो गयी और मेरा सिर खींच कर अपनी झांटों में मेरा मुंह दबा दिया. मुझे उसने आदेश दिया कि उसकी बुर चुसूँ और वह बड़ी खुशी से मैंने किया. मेरे मुंह को वह चोदने लगी और मौसाजी उसके मम्मे दबाने लगे.उधर पिक्चर में उस किशोरी की अम्मा आखरी सीन में अपनी बेटी से चूत चुसवा रही थी और उसके डैडी कुतिया स्टाइल मे उसकी गांड मार रहे थे. पिक्चर खतम होने तक मौसाजी ने धीरज रखा. फ़िर खिसक कर मौसी को लिये वे फ़र्श पर आ गये जहाँ पहले ही प्रिया मौसी ने इस काम के लिये एक गद्दी बिछा रखी थी. मौसी को गद्दी पर लिटाकर वे उस पर चढ़ गये और बेतहाशा उसकी चुत को चोदने लगे.उनका लौडा अब बड़ी आसानी से उसकी मख्खन सी चिकनी और फ़ुकला हुई चुत में अंदर बाहर हो रहा था. उस मोटे लंड और सूजे सुपाड़े के घर्षण से उन्हे असहनीय सुख मिल रहा था. मेंने अपना लंड मौसी के मुंह में दे दिया और वह बड़े मजे से मेरे सुपाड़े को चूसने लगी।
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थोड़ी देर में मौसा जी झड़कर सोफ़े पर बैठ गए और अब मेरी बारी आई.. मैंने मौसी की जांघों को फैलाकर उनकी वीर्य से सनी चुत में पेल दिया... बार बार झड़ने के बावजूद मौसी की भूख कम नहीं हो रही थी... मैंने अंगूठे से उनके भगोष्ठ को रगड़ते हुए चोदना जारी रखा... कुछ ही देर में हम दोनों एक साथ झड़ गए और में मौसी के दोनों स्तनों के बीच सिर रखकर लेट गया।

कुछ देर बाद सुस्ता कर जैसे ही मेरा लंड खड़ा हुआ की हम फ़िर शुरू हो गये. दिन भर मौसी की चुदाई चलती रही. कभी में उन्हे चोदता तो कभी मौसा जी.

मस्त अपडेट... मौसी के साथ मौसा भी करे खेल
 
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