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Incest भाँजा लगाए तेल, मौसी करे खेल

Ajju Landwalia

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मैंने खूब हचक कचक कर बिना दया के उसकी गांड मारी. साली चुदैल युवती दर्द के बावजूद मेरा गांड मारना सहती रही और उसे मजा भी बहुत आया. गांड मारते मारते मैंने चमेली के खाली हुए मम्मे भी खूब जोरों से मसले. उधर कमला और मौसी इस क्रीडा को देखते हुए सिक्सटी नाइन करने में जुट गईं. आखिर जब मैं झडा तो चार घंटे की वासना शांत हुई.

चुदाई खतम हो गयी थी. कमला और चमेली कपड़े पहनने लगी. कल आने का वादा करके दोनों घर चली गईं. अब रोज यह मस्ती होने लगी. मेरी हालत देखकर मौसी ने मेरे झडने पर राशन लगा दिया क्यों की बाद में मौसी और मौसाजी के साथ भी तो मुझे चुदाई करना पडती थी.

अब रोज चमेली मुझे बच्चे जैसे दूध पिलाने लगी. साथ ही हर तरह की चुदाई हम चारों मिलकर करते.

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एक बार कमला ने मुझे फुसफुसाकर कहा... “मुन्ना एक बार हमारे घर भी आ.. तेरी ऐसी हालत करेंगे की तुझे मज़ा आ जाएगा... “ सुनते ही में डर गया पर कुछ ना बोला

कमला अब धीरे धीरे मौसी को उकसाने लगी कि कभी अगर वह और मौसाजी बाहर जाएँ तो मुझे उनके पास छोडकर जाएँ, वह और चमेली मेरा पूरा खयाल रखेंगे. चमेली को भी मालूम था कि उसकी अम्मा क्या गुल खिला रही है. वह रांड भी मेरी ओर देखकर मुस्कराती और अपनी आँखों से यह कहती कि बच्चे, हमारे चंगुल में अकेले फँसो तो कभी, देखो तुम्हारे साथ क्या क्या करते हैं.

मैंने मौसी से यह सब कभी नहीं कहा क्यों की मेरा लंड यह कल्पना करके ही बुरी तरह खड़ा हो जाता था. आखिर कमला ने अपनी बात मनवा ही ली और एक बार मुझे दो दिन उन दोनों चुदैल और बदमाश माँ बेटी के हवाले करके मौसाजी और मौसी दो तीन दिन को किसी काम से चले गये. मैं मौसी को बता देता कि कमला क्या कह रही थी, तो शायद वह कभी मुझे उनके हवाले नहीं करती.

पर मैं एक अजीब उहापोह में था. आखिर तक मैंने सिर्फ़ मौसी से प्रार्थना की कि मुझे कमला और चमेली के साथ अकेला न छोड़ें, उसे कारण नहीं बताया. शायद मैं भी मन ही मन उस परवर्टेड मौके की तलाश में था. मौसी को लगा कि मैं सिर्फ़ शरम के कारण ऐसा कह रहा हूँ और उसने मेरी एक न सुनी.

मुझे तीन दिन उन रंडी माँ बेटी के साथ अकेला रहना पड़ा. उस दौरान क्या हुआ वह बताने लायक नहीं है. हाँ इतना कह सकता हूँ कि वासना का अतिरेक हो गया और उन दोनों कमीनियों ने मुझे झड़वा झड़वाकर कमजोर कर दिया. पर मैंने बाद में मौसी से शिकायत नहीं की. मजा भी बहुत आया था मुझे.

-----------------------------------------------------------------------------------------------------

हमारे इस स्वर्गिक संभोग में और भी कई मतवाली घटनाएं घटी. एक दोपहर को फ़िर रंजन का फ़ोन आया कि वह यहाँ शहर में आई हुई है और कल आयेगी और ऑफिस से गोल मारकर दोपहर भर रहेगी. अंकल दौरे पर थे और कमला ने उस दिन छुट्टी ले ली थी इसलिये रास्ता साफ़ था.

इस बार मौसी ने निश्चय कर लिया कि रंजन के साथ उसके संभोग में मुझे शामिल करके रहेगी. रंजन को उसने फ़ोन पर ही बता दिया कि वह उसे कुछ मज़ेदार चीज़ दिखाना चाहती है.

रंजन के आने के पहले उसने पिछली बार जैसे ही अपनी पेन्टी मेरे मुंह में ठूंस कर ब्रेसियर से मुझे बांध दीया और बिस्तर पर लिटा दिया. रंजन आने के बाद वे दोनों साथ के बेडरूम में अपनी कामक्रीडा में जुट गईं. मुझे कुछ दिख तो नहीं रहा था पर चुंबनों और चूसने की आवाज से क्या चल रहा होगा, इसका अम्दाजा मैं कर सकता था.

कुछ देर बाद मौसी सिसकने लगी. "हाय रंजन डार्लिंग, कितना अच्छा चूसती है तू, तेरे जैसी चूत कोई नहीं चूसता, सिवाय मेरे खिलौने के." उसके बाद फ़िर पलंग चरमराने और चूसने की आवाजें आने लगी. शायद सिक्सटी नाइन चल रहा था.

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कुछ देर बाद चूसने की आवाजें बंद हो गईं और फ़िर चुंबनों के स्वर सुनायी देने लगे. दोनों झडने के बाद लिपट कर चुंबन लेते हुए प्यार की बातें कर रही थीं. रंजन ने पूछा. "दीदी, खिलौने का क्या कह रही थी?" मौसी बोली "रंजन रानी, सुन, आज कल मेरे पास एक बडा प्यारा खिलौना है, उसे मैं जैसा चाहे इस्तेमाल करती हूँ, चूत चुसवाती हूँ, चुदवाती हूँ और गांड भी मराती हूँ."

रंजन की आवाज में आश्चर्य और अविश्वास था. "झूठ बोलती हो दीदी, मजाक मत करो, रबर का बडा गुड्डा मँगवा लिया है शायद तूने बहार से, जैसा उस दिन हमने एक किताब के इश्तिहार में देखा था. पर गुड्डा ऐसा कैसे करेगा?" वह शायद रबर के उन बड़े फ़ुल साइज़ गुड्डों और गुड़ियों के खिलौनों के बारे में सोच रही थी जो बाहर के देशो में मिलते हैं और जिनका उपयोग स्त्री पुरुष संभोग के लिये करते हैं.

मौसी बोली "डार्लिंग रबर का नहीं, जीता जागता प्यारा लड़का है, और कोई पराया नहीं, मेरी बड़ी बहन का लड़का है, मेरा सगा भाँजा" स्मित ने हंस कर दाद दी. "दीदी, तू तो बड़ी हरामी छुपी रुस्तम निकली." मौसी ने पूछा "देखेगी? आज कल मेरे पास ही है. चल तुझे दिखाऊ, अरे घबरा मत, काटेगा नहीं, बांध कर रखा है"

दरवाजा खुला और दोनों नग्न सुंदरियाँ अंदर आई. मौसी का मध्यम वयी परिपक्व रूप और रंजन की मादक जवानी को देखकर मैं कसमसा उठा क्यों की मुंह में मौसी की पेन्टी होने से बोलने का सवाल नहीं था.

मौसी ने मेरे पास आकर मेरे तन कर खड़े शिश्न को प्यार से पुचकारते हुए कहा. "देख क्या प्यारा चिकना लंड है". रंजन खड़ी खड़ी मुझे बड़ी दिलचस्पी से देखती रही और फ़िर मेरे बंधे शरीर को देखकर उसे दया आ गयी. "अरे बेचारा, इसे बांध कर क्यों रखा है दीदी? और मुंह में क्या ठूँसा है?"

मौसी बोली "अरे मेरी पेन्टी और ब्रा है, उसे चूसने से इसका और मस्त खड़ा हो जाता है. और बाम्धूम्गी नहीं तो अभी हस्तमैथुन चालु कर देगा, बडा शैतान है, हमेशा मेरी चूत चूसने की फ़िराक में रहता है."

रंजन बोली कि मैं बिलकुल उसके छोटे भाई जैसा दिखता हूँ और मेरे पास बैठकर प्यार से मेरे बालों में उँगलियाँ फ़ेरने लगी. अब तक मौसी ने मेरा लंड निगल कर चूसना शुरू कर दिया था और जब मैंने अपने नितंब उछाल कर नीचे से ही उसका मुंह चोदना चाहा तो हंसते हुए उसने मुंह में से लंड निकाल दिया. रंजन बोली. "क्यों सताती हो दीदी बेचारे बच्चे को? खोल दो उसका मुंह"

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मौसी ने मेरा मुंह खोल दिया. बोली कि मुझे चूत रस पिलाने का टाइम भी हो गया है. फ़िर रंजन के सामने ही मेरे मुंह पर बैठ कर वह अपनी बुर मेरे होंठों पर रगडते हुए वह मुझसे चुसवाने लगी. मेरे भूखे मुंह और जीभ ने उसे ऐसा चूसा कि दो ही मिनिट में स्खलित होकर उसने मेरे मुंह में अपना बुर का पानी छोड दिया.

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मौसी हाँफते हुए मुझे पानी पिलाते हुए बड़े गर्व से बोली "देखा रानी, कितना अच्छा चूसता है! झडा दिया मुझे दो मिनिट में, तेरे साथ इतनी देर संभोग के बाद भी मेरी झड़ी चूत में से रस निकाल लिया!". फ़िर मौसी मेरे लंड को अपनी चूत में घुसाकर मुझे ऊपर से चोदने लगी. रंजन टक लगाकर मौसी की चूत से निकलता घुसता मेरा किशोर कमसिन लंड बड़े गौर से देख रही थी. उसकी आँखों में भी अब खुमारी भर गयी थी.

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उसका यह हाल देखकर मौसी ने उसे बाँहों में भर लिया और चूमने लगी. रंजन भी मौसी के स्तन दबाती हुई उसके चुंबनों का जवाब देने लगी. एक बार फ़िर झड कर मौसी सुस्ताने लगी. रंजन से बोली. "मैं मन भर कर इसे चोद लेती हूँ, तब तक तू जरा अपना चूत रस पिला दे ना बेचारे को, देख कैसा ललचा कर तेरी सुंदर चूत को देख रहा है"

रंजन पहले तैयार नहीं हो रही थी. वह पक्की लेस्बियन थी और शायद एक मर्द से, भले ही वह मेरे जैसा चिकना छोकरा हो, अपनी चूत चुसवाने की खयाल उसे कुछ अटपटा लग रहा था. मैंने भी उसे ’दीदी’ ’दीदी’ कहकर छोटे भाई जैसी जिद करते हुए खूब मनाया तब जाकर वह तैयार हुई.

मौसी की मदद से रंजन मेरे मुंह पर अपनी बुर जमाकर बैठ गयी. आखिर मुझे उसकी प्यारी खूबसूरत चूत पास से देखने का मौका मिला. रंजन ने पूरी झांटें शेव की हुई थीं और उसकी वह गोरी गोरी चिकनी बुर ऐसी लग रही थी जैसी बच्चियोम की होती है. गुलाबी मुलायम भगोष्ठों से घिरा उसका लाल रसीला छेद और एक लाल मोती जैसा चमकता उसका क्लिट देखकर मैं झूम उठा.

वह मेरे मुंह पर बैठ गयी और उस मुलायाम गुप्तांग में मुंह छुपाकर मैंने उसे ऐसा चूसना शुरू किया जैसे जन्म जन्म का भूखा हूँ. जीभ अंदर डालकर उसे प्यार से चोदते हुए उस्का शहद निकाला और निगलने लगा. जीभ से उसके क्लिट को ऐसा गुदगुदाया कि रंजन पाँच मिनिट में ढेर हो गयी. मुझे बडा गर्व हुआ कि एक पक्की लेस्बियन को मैंने इतना सुख दिया. मेरे मुंह में गाढ़े मीठे चिपचिपे शहद की धार लग गयी. इतना स्वादिष्ट अमृत मैंने कभी नहीं चखा था. अब समझ में आया कि मौसी क्यों रंजन से इतना प्यार करती है. ऐसा अमृत तो नसीब वालों को ही मिलता है.

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मौसी भी मेरा यह करतब देखकर बड़ी खुश हुई "मैं कहती थी ना कि लड़का बडा प्यारा और माहिर है! अब तू चोदती रह इसके मुंह को, मैं भी पीछे से आती हूँ, दोनों मिलकर मजा करेंगे." मौसी ने आगे झुककर रंजन के स्तन पीछे से पकड लिये और उन्हें प्यार से दबाती हुई फ़िर मुझे चोदने लगी.

उधर रंजन भी अब वासना से मेरे सिर को कस कर पकड़ कर ऊपर नीचे होकर मेरे मुंह पर ह्स्तमैथुन कर रही थी. आधे घंटे तक उन्हों ने खूब मस्ती से मेरे लंड और मुंह को मन भर कर चोदा. आखिर तृप्त होकर जब रंजन उठी तो बोली. "सच बहुत प्यारा बच्चा है, दीदी तूने तो बडा लम्बा हाथ मारा है"

मौसी मेरे तन्नाये लंड को पक्क से अपनी चुदी बुर में से खींच कर उठ बैठी. मेरा लंड और पेट मौसी के रस से भीग गये थे. रंजन बड़ी ललचायी आँखों से अपनी दीदी के उस रस को देख रही थी. मौसी ने हंस कर उसका साहस बंधाया. "देखती क्या है रानी, चाट ले ना, तुझे तो मेरी चूत का पानी बहुत अच्छा लगता है ना? तो ले ले मुंह में और चूस"

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लंड चूसने के नाम से रंजन थोड़ी हिचकिचा रही थी पर आखिर मन पक्का करके मेरा पेट और शिश्न चाटने लगी. साफ़ करने के बाद वह सीधी हुई.

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मौसी ने उसकी चूचियाँ मसलते हुए और उसे चूमते हुए समझाया. "मैंने कहा था ना रानी, मेरा गुलाम है और अब तेरा भी"

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अब रंजन ऐसी फ़डक उठी कि सीधा मेरे मुंह पर बैठकर मेरे मुंह को चोदने लगी और झड कर ही दम लिया. मुझे मेरी मेहनत का खूब फ़ल भी मिला, उसकी बुर के स्वादिष्ट रस के रूप में.

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Wah vakharia Bhai,

Sama hi badh dete ho aap...............kya mast update post ki he aapne..............

Maja hi gaya Bhai
 

sunoanuj

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Bhai wah gajab ka update diya … 👏🏻👏🏻👏🏻
 

Ek number

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मैंने खूब हचक कचक कर बिना दया के उसकी गांड मारी. साली चुदैल युवती दर्द के बावजूद मेरा गांड मारना सहती रही और उसे मजा भी बहुत आया. गांड मारते मारते मैंने चमेली के खाली हुए मम्मे भी खूब जोरों से मसले. उधर कमला और मौसी इस क्रीडा को देखते हुए सिक्सटी नाइन करने में जुट गईं. आखिर जब मैं झडा तो चार घंटे की वासना शांत हुई.

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अब रोज चमेली मुझे बच्चे जैसे दूध पिलाने लगी. साथ ही हर तरह की चुदाई हम चारों मिलकर करते.

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एक बार कमला ने मुझे फुसफुसाकर कहा... “मुन्ना एक बार हमारे घर भी आ.. तेरी ऐसी हालत करेंगे की तुझे मज़ा आ जाएगा... “ सुनते ही में डर गया पर कुछ ना बोला

कमला अब धीरे धीरे मौसी को उकसाने लगी कि कभी अगर वह और मौसाजी बाहर जाएँ तो मुझे उनके पास छोडकर जाएँ, वह और चमेली मेरा पूरा खयाल रखेंगे. चमेली को भी मालूम था कि उसकी अम्मा क्या गुल खिला रही है. वह रांड भी मेरी ओर देखकर मुस्कराती और अपनी आँखों से यह कहती कि बच्चे, हमारे चंगुल में अकेले फँसो तो कभी, देखो तुम्हारे साथ क्या क्या करते हैं.

मैंने मौसी से यह सब कभी नहीं कहा क्यों की मेरा लंड यह कल्पना करके ही बुरी तरह खड़ा हो जाता था. आखिर कमला ने अपनी बात मनवा ही ली और एक बार मुझे दो दिन उन दोनों चुदैल और बदमाश माँ बेटी के हवाले करके मौसाजी और मौसी दो तीन दिन को किसी काम से चले गये. मैं मौसी को बता देता कि कमला क्या कह रही थी, तो शायद वह कभी मुझे उनके हवाले नहीं करती.

पर मैं एक अजीब उहापोह में था. आखिर तक मैंने सिर्फ़ मौसी से प्रार्थना की कि मुझे कमला और चमेली के साथ अकेला न छोड़ें, उसे कारण नहीं बताया. शायद मैं भी मन ही मन उस परवर्टेड मौके की तलाश में था. मौसी को लगा कि मैं सिर्फ़ शरम के कारण ऐसा कह रहा हूँ और उसने मेरी एक न सुनी.

मुझे तीन दिन उन रंडी माँ बेटी के साथ अकेला रहना पड़ा. उस दौरान क्या हुआ वह बताने लायक नहीं है. हाँ इतना कह सकता हूँ कि वासना का अतिरेक हो गया और उन दोनों कमीनियों ने मुझे झड़वा झड़वाकर कमजोर कर दिया. पर मैंने बाद में मौसी से शिकायत नहीं की. मजा भी बहुत आया था मुझे.

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हमारे इस स्वर्गिक संभोग में और भी कई मतवाली घटनाएं घटी. एक दोपहर को फ़िर रंजन का फ़ोन आया कि वह यहाँ शहर में आई हुई है और कल आयेगी और ऑफिस से गोल मारकर दोपहर भर रहेगी. अंकल दौरे पर थे और कमला ने उस दिन छुट्टी ले ली थी इसलिये रास्ता साफ़ था.

इस बार मौसी ने निश्चय कर लिया कि रंजन के साथ उसके संभोग में मुझे शामिल करके रहेगी. रंजन को उसने फ़ोन पर ही बता दिया कि वह उसे कुछ मज़ेदार चीज़ दिखाना चाहती है.

रंजन के आने के पहले उसने पिछली बार जैसे ही अपनी पेन्टी मेरे मुंह में ठूंस कर ब्रेसियर से मुझे बांध दीया और बिस्तर पर लिटा दिया. रंजन आने के बाद वे दोनों साथ के बेडरूम में अपनी कामक्रीडा में जुट गईं. मुझे कुछ दिख तो नहीं रहा था पर चुंबनों और चूसने की आवाज से क्या चल रहा होगा, इसका अम्दाजा मैं कर सकता था.

कुछ देर बाद मौसी सिसकने लगी. "हाय रंजन डार्लिंग, कितना अच्छा चूसती है तू, तेरे जैसी चूत कोई नहीं चूसता, सिवाय मेरे खिलौने के." उसके बाद फ़िर पलंग चरमराने और चूसने की आवाजें आने लगी. शायद सिक्सटी नाइन चल रहा था.

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कुछ देर बाद चूसने की आवाजें बंद हो गईं और फ़िर चुंबनों के स्वर सुनायी देने लगे. दोनों झडने के बाद लिपट कर चुंबन लेते हुए प्यार की बातें कर रही थीं. रंजन ने पूछा. "दीदी, खिलौने का क्या कह रही थी?" मौसी बोली "रंजन रानी, सुन, आज कल मेरे पास एक बडा प्यारा खिलौना है, उसे मैं जैसा चाहे इस्तेमाल करती हूँ, चूत चुसवाती हूँ, चुदवाती हूँ और गांड भी मराती हूँ."

रंजन की आवाज में आश्चर्य और अविश्वास था. "झूठ बोलती हो दीदी, मजाक मत करो, रबर का बडा गुड्डा मँगवा लिया है शायद तूने बहार से, जैसा उस दिन हमने एक किताब के इश्तिहार में देखा था. पर गुड्डा ऐसा कैसे करेगा?" वह शायद रबर के उन बड़े फ़ुल साइज़ गुड्डों और गुड़ियों के खिलौनों के बारे में सोच रही थी जो बाहर के देशो में मिलते हैं और जिनका उपयोग स्त्री पुरुष संभोग के लिये करते हैं.

मौसी बोली "डार्लिंग रबर का नहीं, जीता जागता प्यारा लड़का है, और कोई पराया नहीं, मेरी बड़ी बहन का लड़का है, मेरा सगा भाँजा" स्मित ने हंस कर दाद दी. "दीदी, तू तो बड़ी हरामी छुपी रुस्तम निकली." मौसी ने पूछा "देखेगी? आज कल मेरे पास ही है. चल तुझे दिखाऊ, अरे घबरा मत, काटेगा नहीं, बांध कर रखा है"

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मौसी बोली "अरे मेरी पेन्टी और ब्रा है, उसे चूसने से इसका और मस्त खड़ा हो जाता है. और बाम्धूम्गी नहीं तो अभी हस्तमैथुन चालु कर देगा, बडा शैतान है, हमेशा मेरी चूत चूसने की फ़िराक में रहता है."

रंजन बोली कि मैं बिलकुल उसके छोटे भाई जैसा दिखता हूँ और मेरे पास बैठकर प्यार से मेरे बालों में उँगलियाँ फ़ेरने लगी. अब तक मौसी ने मेरा लंड निगल कर चूसना शुरू कर दिया था और जब मैंने अपने नितंब उछाल कर नीचे से ही उसका मुंह चोदना चाहा तो हंसते हुए उसने मुंह में से लंड निकाल दिया. रंजन बोली. "क्यों सताती हो दीदी बेचारे बच्चे को? खोल दो उसका मुंह"

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मौसी ने मेरा मुंह खोल दिया. बोली कि मुझे चूत रस पिलाने का टाइम भी हो गया है. फ़िर रंजन के सामने ही मेरे मुंह पर बैठ कर वह अपनी बुर मेरे होंठों पर रगडते हुए वह मुझसे चुसवाने लगी. मेरे भूखे मुंह और जीभ ने उसे ऐसा चूसा कि दो ही मिनिट में स्खलित होकर उसने मेरे मुंह में अपना बुर का पानी छोड दिया.

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मौसी हाँफते हुए मुझे पानी पिलाते हुए बड़े गर्व से बोली "देखा रानी, कितना अच्छा चूसता है! झडा दिया मुझे दो मिनिट में, तेरे साथ इतनी देर संभोग के बाद भी मेरी झड़ी चूत में से रस निकाल लिया!". फ़िर मौसी मेरे लंड को अपनी चूत में घुसाकर मुझे ऊपर से चोदने लगी. रंजन टक लगाकर मौसी की चूत से निकलता घुसता मेरा किशोर कमसिन लंड बड़े गौर से देख रही थी. उसकी आँखों में भी अब खुमारी भर गयी थी.

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रंजन पहले तैयार नहीं हो रही थी. वह पक्की लेस्बियन थी और शायद एक मर्द से, भले ही वह मेरे जैसा चिकना छोकरा हो, अपनी चूत चुसवाने की खयाल उसे कुछ अटपटा लग रहा था. मैंने भी उसे ’दीदी’ ’दीदी’ कहकर छोटे भाई जैसी जिद करते हुए खूब मनाया तब जाकर वह तैयार हुई.

मौसी की मदद से रंजन मेरे मुंह पर अपनी बुर जमाकर बैठ गयी. आखिर मुझे उसकी प्यारी खूबसूरत चूत पास से देखने का मौका मिला. रंजन ने पूरी झांटें शेव की हुई थीं और उसकी वह गोरी गोरी चिकनी बुर ऐसी लग रही थी जैसी बच्चियोम की होती है. गुलाबी मुलायम भगोष्ठों से घिरा उसका लाल रसीला छेद और एक लाल मोती जैसा चमकता उसका क्लिट देखकर मैं झूम उठा.

वह मेरे मुंह पर बैठ गयी और उस मुलायाम गुप्तांग में मुंह छुपाकर मैंने उसे ऐसा चूसना शुरू किया जैसे जन्म जन्म का भूखा हूँ. जीभ अंदर डालकर उसे प्यार से चोदते हुए उस्का शहद निकाला और निगलने लगा. जीभ से उसके क्लिट को ऐसा गुदगुदाया कि रंजन पाँच मिनिट में ढेर हो गयी. मुझे बडा गर्व हुआ कि एक पक्की लेस्बियन को मैंने इतना सुख दिया. मेरे मुंह में गाढ़े मीठे चिपचिपे शहद की धार लग गयी. इतना स्वादिष्ट अमृत मैंने कभी नहीं चखा था. अब समझ में आया कि मौसी क्यों रंजन से इतना प्यार करती है. ऐसा अमृत तो नसीब वालों को ही मिलता है.

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उधर रंजन भी अब वासना से मेरे सिर को कस कर पकड़ कर ऊपर नीचे होकर मेरे मुंह पर ह्स्तमैथुन कर रही थी. आधे घंटे तक उन्हों ने खूब मस्ती से मेरे लंड और मुंह को मन भर कर चोदा. आखिर तृप्त होकर जब रंजन उठी तो बोली. "सच बहुत प्यारा बच्चा है, दीदी तूने तो बडा लम्बा हाथ मारा है"

मौसी मेरे तन्नाये लंड को पक्क से अपनी चुदी बुर में से खींच कर उठ बैठी. मेरा लंड और पेट मौसी के रस से भीग गये थे. रंजन बड़ी ललचायी आँखों से अपनी दीदी के उस रस को देख रही थी. मौसी ने हंस कर उसका साहस बंधाया. "देखती क्या है रानी, चाट ले ना, तुझे तो मेरी चूत का पानी बहुत अच्छा लगता है ना? तो ले ले मुंह में और चूस"

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vakharia

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Wah vakharia Bhai,

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Maja hi gaya Bhai
Thanks bhai❤️❤️💖💖
 
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