कमला ने उसकी इस हरकत पर मुस्कराकर आखिर हार मान ली और मेरे मुंह पर चढ़ते हुए बोली. "विजय राजा, यह भूखी है, अब चूस के ही छोड़ेगी, चल तब तक तू मेरी चूत चूस ले" उसकी गीली बुर में मुंह छुपा कर मैं चूसने लगा. चमेली ने उधर ऐसा जोर से मुझे चूसा कि कमला की चूत में ही एक हल्की चीख निकालकर मैं झड गया.
चमेली ने ऐसे मेरा वीर्य निगला जैसे आइसक्रीम हो. बूंद बूंद निकालकर ही उसने मुझे छोडा. उठकर एक तृप्ति की डकार लेकर उसने अपनी माँ का चुंबन लिया. "अम्मा, बहुत मजा आया, तू सच कहती थी, इस बच्चे की मलाई में जादू है". कमला ने शायद पहले ही उसे हमारे चलने वाले कामकर्म के बारे में सब बता दिया था. अब तक कमला मेरे मुंह में झड़कर मुझे अपनी बुर का पानी पिला चुकी थी. वह नीचे उतरी और चमेली मेरे होंठों को वासना से चूसने लगी.
तब तक कमला ने अपनी बेटी की ब्रेसियर उतार दी थी. उसकी बड़ी बड़ी तोतापूरी आमो जैसी चूचियाँ ब्रेसियर से छूटते ही अपने वजन से डोलने लगी. उनके बीच में चमेली का मंगलसूत्र फंसा हुआ था जो उसने नहीं उतार. उनके मोटे मोटे भूरे निप्पलों से अब सफ़ेद बूंदें टपक रही थीं. कमला ने एक निप्पल मुंह में लिया और चूसने लगी. मैं गुस्से से चिल्ला उठा. मेरे हिस्से का दूध कोई पी जाये यह मुझे सहन नहीं हो रहा था. "चमेली, मुझे पीने दे ना, देख तेरी अम्मा ही पिये जा रही है." अब तक कमला ने दूसरा निप्पल मुंह में ले लिया था.
![lesn lesn](https://i.ibb.co/V2Yq5RV/lesn.gif)
चमेली ने हंसकर मुझे शांत किया. "घबरा मत भैया, माँ तो बस इसलिये चूस रही है कि टपकना बन्द हो जाये. नहीं तो इसे तो दिन रात मेरा दूध मिलता है. अभी अभी सुबह पेट भर पिलाया था मैंने इसे."
कमला अपने होंठ चाटते हुए सीधी हुई और मेरे लंड को चूमते हुए बोली. "अब इसे खड़ा कर जल्दी जिससे मेरी बेटी इसे चोद सके. जब चोदने लायक हो जायेगा तो तुझे चोदते हुए फ़िर अपना दूध पिलायेगी." दोनों मिलकर मेरे लंड को खड़ा करने में जुट गयी. साली चुदैलो ने मेरे लाख कहने पर भी मेरे हाथ पैर नहीं खोले, उन्ह्मे एक बंधे हुए किशोर से खेलने में इतना मजा आ रहा था जैसे बच्चों को गुड्डे से खेलने में आता है.
मेरा लंड अब काफ़ी कडा हो गया था. कमला उसे अपनी चूत में घुसेड़ कर मुझपर चढ़ बैठी और चोदने लगी. "पहले मैं चोदती हूँ अपने प्यारे मुन्ना को. बेटी, तू तब तक इसे अपनी बुर तो चटवा." कमला ने मुझे चोदते चोदते ही चमेली को मेरे मुंह पर चढ़ने में सहायता की. चमेली की बुर मौसी की तरह घने बालों से घिरी थी इसलिये उसने उंगलियों से बाल बाजू में करके फ़िर अपने भगोष्ठ मेरे होंठों से लगाये.
मैंने उस रसीली मसालेदार चूत को खूब चूसा. अलग टेस्ट था पर रस बहुत था, पानी की तरह बह रहा था. आखिर जवान छोकरी थी. जीभ भी मैंने अंदर डाली. बड़ी मुलायम चूत थी पर थोड़ी ढीली थी, अभी अभी आठ महीने ही तो हुए थे उसे बच्चा जने.
मैंने मन भर के चूसा और तब तक कमला ने चोद कर मेरा लंड फ़िर तन्ना दिया. दोनों ने अपनी जगहें बदल ली. चमेली की ढीली ढाली गीली बुर में मेरा लंड ऐसा समाया कि मुझे पता ही नहीं चला. चमेली जब मुझे चोदने लगी तो कमला ने उसे समझाया. "ढीला है ना बेटी, बच्चा छोटा है अभी पर तू भी तो अपना भोसडा लेकर आई है. जरा कस ले अपना भोसडा, चूत सिकोड और फ़िर चोद."
चमेली ने अपनी चूत सिकोड़ी तो ऐसे मेरे लंड को पकडा कि मैं सुख से सिहर उठा. मैंने नहीं सोचा था कि उसकी ढीली चूत इतने जोर से मेरे लंड को पकड सकती है. मेरे आश्चर्य पर मुस्काराती हुई कमला बोली. "तन्दुरुस्त मेहनती बेटी है मेरी, चूत को कसना जानती है"
जैसे जैसे मैं चुदता गया, मेरी वासना बढ़ती गयी, मैं भी नीचे से चूतड उछाल कर उसे चोदने की कोशिश करने लगा. चमेली ने मेरे इस उतावलेपन पर धमकी दी. "अगर झडा तो दूध नहीं पिलाऊँगी साले, घंटे भर चोदना है मुझे". कमला उसके बाजू में बैठकर उसे चूमते हुए उसके स्तन मसलने लगी. साली अपनी उंगली से अपने क्लिट को सहलाती हुई दो उँगलियाँ बुर में डालकर मुठ्ठ भी मारने लगी. मुझसे न रहा गया. "कमला बाई, चूत मुझे चूसने दे ना, मुठ्ठ क्यों मारती है?"
सुख से सिसकती हुई वह बोली. "नहीं बेटे, मुझे इसमें भी मजा आता है, मैं तो उंगली से ही करूंगी, दो दिन हुए सडका लगाये". पर मुझ पर तरस खा कर बीच बीच में वह अपनी उँगलियाँ बुर से निकालकर मुझे चटाने लगी.
पर अपनी बेटी पर वह ज्यादा मेहरबान थी. एक बार मुठ्ठ मार कर वह पलंग पर चमेली के सामने खड़ी हो गयी और अपनी चूत उसके मुंह में दे दी. चमेली बड़े प्यार से अपनी माँ की बुर चूसते हुए मुझे चोदती रही. वह भी बदमाश अपनी माँ की तरह एक्स्पर्ट थी, मुझे झडने के कगार पर लाकर अपनी चूत ढीली कर देती और उस बड़े भोसड़े में घर्षण न मिलने से मैं फ़िर झडने से बच जाता.
आधे घंटे मुझे तडपा तडपा कर चोदने के बाद और चमेली के कई बार स्खलित होने के बाद आखिर उन्हों ने मेरी भूख बुझाने का निश्चय किया. कमला ने मेरे कंधे के नीचे दो बड़े तकिये रखकर मेरा सिर ऊंचा किया और चमेली मेरे ऊपर झुक गयी. उसके मम्मे अब मेरे मुंह के ऊपर लटक रहे थे.
साली ने फ़िर मुझे तडपाना शुरू किया. निप्पल मेरे मुंह के पास लाती और जब मैं वह मुंह में लेने को करता तो हंस कर दूर हो जाती. कमला ने मुझे मुंह खोलने को कहा और फ़िर चमेली की चूची दबाकर कुछ दूध की बूंदें मेरे मुंह में निचोड दीं. इतना मीठा और मादक दूध था कि मैं उसे फ़टाफ़ट पी गया. मेरे इस उतावलेपन पर दोनों को मजा आ गया.
चमेली ने आखिर मुझ पर तरस खाया और झुक कर एक चूची मेरे मुंह में दे दी. उसके चमड़ीले लम्बे निप्पल को चूसता हुआ मैं उस अमृत जैसे मीठी दूध को घूंट घूंट पीने लगा. चमेली ने आवेश में आकर जोर लगाकर करीब आधी चूची मेरे मुंह में भर दी. मैं आँखें बंद करके मदहोश होकर अपने बचपन के बाद के पहले दुग्धपान का मजा लेता रहा. जब चमेली ने देखा कि मैं ठीक से पी रहा हूँ तो वह फ़िर मुझे चोदने लगी. पर मुझे जता दिया. "विजय भैया, झडना मत, नहीं तो दूध पिलाना बंद कर दूँगी."
मैं बच्चे जैसा पीता रहा और अपनी चुदासी के जोश में चमेली और ज्यादा चूची मेरे मुंह में ठूंसती गयी जब तक करीब करीब पूरा मम्मा मेरे मुंह में नहीं भर गया. कमला ने कुछ देर मेरा दुग्धपान देखा और फ़िर चमेली को लिपटकर अपना मुंह उसके मुंह पर रख दिया. गहरे चुंबन में बंधी वे दोनों मुझे भोगती रहीम. अब चमेली की बुर में चलते मेरे लंड के ’पॉक-पॉक-पॉक’ की आवाज के अलावा कमरे में सन्नाटा था. मैं स्वर्ग में था पर उस असहनीय सुख से कोई मुझे बचाये यही प्रार्थना मैं कर रहा था.
"मेरे भांजे को चोद रही हो दोनों मिलके! झडाया तो नहीं उसे?" मौसी की आवाज पर मुझे जरा धीरज बंधा कि अब तो मेरी कोई सुनेगा और मुझे झडने देगा. कमला चुंबन तोड कर खिलखिलाते हुए उठ बैठी. "नहीं दीदी, आपके बिना कैसे झडाते इसे, अब आप जैसा बोलो वैसा करेंगे." चमेली इतनी मस्ती में थी कि मौसी के आने के बाद भी मुझे चोदती रही, बस थोडा शरमा कर मौसी की ओर देखा और फ़िर उछलने लगी.
मौसी ने मेरे मुंह में ठूँसा उसका उरोज देखा और समझ गयी कि मुझे दूध पिलाया जा रहा है. खुश होकर चमेली को चूमते हुई बोली. "क्या मस्त चुदैल बिटिया है तेरी कमला, बहुत प्यारी है. एकदम सुंदर है. आज तक इसे छिपाया क्यों मुझसे? पहले ही बता देती. चमेली बेटी, सारा दूध खतम कर दिया तूने या कुछ बचा है?"
कमला अब तक मौसी को नंगा करने में जुट गयी थी. "नहीं दीदी, बचा कर रखा है आप के लिये." मौसी ने भी बड़ी उत्तेजना से कपड़े उतार फ़ेके और फ़िर चमेली का दूसरा मम्मा हाथ में लेकर सहलाने लगी. उसे उसने दबाया तो दूध निकलने लगा. मौसी खुशी से उछल पड़ी. "चमेली बेटी, अभी इस चूची में दूध है, वाह मजा आ गया." और मौसी चमेली का निप्पल मुंह में लेकर चूसने लगी.
दो घूंट पीकर मौसी ने मुंह से चूची निकाली और प्यार से कमला की कमर में हाथ डालकर बोली. "साली, अब समझी तू क्यों अपनी बेटी के दूध की दीवानी है, इतना मीठा है जैसे शक्कर घुली हो, चल, वहाँ खड़ी खड़ी क्या कर रही है, मेरी चूत चूस." मौसी चढ़ कर पलंग पर मेरे बाजू में लेट गयी और फ़िर चमेली का दूसरा स्तन मुंह में लेकर उसका दूध पीने लगी. कमला अब तक खुशी खुशी अपनी मालकिन की बुर चूसने में लग गयी थी.
मौसी ने घूंट घूंट करके धीरे धीरे स्वाद लेकर बहुत देर चमेली का दूध पिया. मम्मा खाली होने पर ही उठी. उसे क्या था, वह तो दूध पीते हुए मस्त अपनी नौकरानी से बुर चुसवाकर झडने का भी मजा ले रही थी. कितना भी समय लगे, उसे उसकी परवाह नहीं थी. यहाँ मैं मरा जा रहा था! पर मौसी ने मेरा तडपना नजरअंदाज कर दिया और चमेली को मुझे चोदने में मदद करती रही. आखिर चमेली पूरी तृप्त होकर निढाल होकर मेरे शरीर पर गिर पड़ी तभी मौसी ने उसकी चूची छोड़ी.
जब चमेली ने मेरा लंड अपने भोसड़े से निकाला तो वह सूज कर लाल लाल गाजर जैसा हो गया था. मौसी ने तुरंत झपटकर मेरे लंड पर लगे और पेट पर बह आये चमेली के बुर के पानी को चाटा और फ़िर कमला को बधाई दी. "कमला रानी, तेरी बेटी की चूत तो एकदम मस्त है, रस की खान है, साली इसीलिये तू बचपन से इसकी चूत चूसती है. चमेली बेटी आ, मेरी बाँहों में आजा, मैं भी तेरी माँ जैसी हूँ, अपनी मालकिन को भी अपनी बुर चुसवा, अम्मा तो रात को भी चूस लेगी".
चमेली को बाँहों में भरकर मौसी उस की चूत पर टूट पड़ी. उसकी मोटी मोटी जांघें अलग कर के वह चमेली की बुर पर मुंह लगाकर उसमें से निकल रहे रस पर ताव मारने लगी. चमेली को भी मजा आ रहा था और गर्व का अनुभव हो रहा था कि उसकी माँ की मालकिन अपनी नौकरानी की बेटी की चूत इतने चाव से चूस रही है.
मैं करीब करीब रोने को आ गया था. मौसी से प्रार्थना करने लगा कि मुझे कोई झडाये. मौसी पेट भर कर चमेली का रस पी चुकी थी, उठ कर चमेली की जांघों के बीच बैठ गयी और मेरे लंड को हाथ में लेकर कहने लगी. "अब बता कौन यह लौडा लेगा? खूब चुदा लिया तुम दोनों ने, अब इस मस्त खड़े लंड से कोई गांड मरवाओ, गांड में यह मोटा लंड बहुत मजा देगा."
कमला की तरफ़ जब उसने देखा तो वह मुकर गयी. मेरे लंड से गांड मराते हुए उसे वैसे ही दुखता था. इस हालत में तो वह कतई तैयार नहीं होती. मैंने मन ही मन सोचा कि कमला अगर मेरे लंड से गांड मराने में इतना घबराती है तो अगर मौसाजी का सोंटा देखेगी तो क्या करेगी. शायद डर से मर ही जायेगी!
चमेली गांड मरवाने को तैयार थी. खुशी खुशी बोली. "मैं मराती हूँ चलो. बहुत दिन से गांड मराने की इच्छा है, अब इस छोकरे के प्यारे लंड से अच्छा लंड कहाँ मिलेगा?" वह पलंग पर औंधी लेट गयी. कमला ने चाट कर और चूस कर अपनी बेटी का गुदा गीला कर दिया और उधर मौसी ने मुंह में लेकर मेरा लंड गीला किया.
मैं चमेली पर चढ़ बैठा और अपना सुपाडा उसकी गांड में घुसाने लगा. मौसी और कमला ने मुझसे कहा कि जरा प्यार से धीरे धीरे मारूँ पर मैं ऐसा उत्तेजित था कि कोई ध्यान नहीं दिया और जोर से चमेली की गांड में लौडा पेल दिया. वह दर्द से कराह उठी पर मेरी दशा समझते हुए मुझे प्यार से बोली कि मैं उसकी परवाह न करूँ, और घुसेड़ दूँ पूरा लंड उसके चूतड़ों के बीच. दो धक्को में ही मेरा लंड जड तक उन मोटे मोटे मुलायम चूतड़ों के बीच उतर गया.
मैंने खूब हचक कचक कर बिना दया के उसकी गांड मारी. साली चुदैल युवती दर्द के बावजूद मेरा गांड मारना सहती रही और उसे मजा भी बहुत आया. गांड मारते मारते मैंने चमेली के खाली हुए मम्मे भी खूब जोरों से मसले. उधर कमला और मौसी इस क्रीडा को देखते हुए सिक्सटी नाइन करने में जुट गईं. आखिर जब मैं झडा तो चार घंटे की वासना शांत हुई.