बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गयाअब रंजन ऐसी फ़डक उठी कि सीधा मेरे मुंह पर बैठकर मेरे मुंह को चोदने लगी और झड कर ही दम लिया. मुझे मेरी मेहनत का खूब फ़ल भी मिला, उसकी बुर के स्वादिष्ट रस के रूप में.
उठकर उसने मौसी को बधाई दी कि मेरे जैसा प्यारा गुलाम उसे मिला. रंजन अब मुझसे इतनी खुश थी कि मेरे तडपते लंड को चूसने में भी वह मौसी के साथ कदम से कदम मिला कर चली. बारी बारी से उसने मौसी के साथ मेरा लौडा चूसा और जब मैं आखिर झडा तो जरा भी न झिझके उसने भी मेरा वीर्य अपने मुंह में लिया. मेरे लिये यह बहुत गर्व की बात थी कि रंजन जैसी पक्की लेस्बियन को भी मैं इतना खुश कर सका.
जब आखिर रंजन जाने लगी तो मेरा गाल चूमकर बोली कि आगे से मौसी मुझे भी अपने कामकर्म में शामिल करेगी, उसे बहुत अच्छा लगेगा. मौसी को वह बोली कि अब हर हफ़्ते कम से कम एक बार वह आया करेगी. मुझे प्यार से चूम कर वह बोली."विजय, तैयार रहना, अब जब भी आऊम्गी तो खूब चुदवाऊँगी."
उसके जाने पर बतौर इनाम के मौसी ने सारे दिन और रात मुझे अपनी गांड मारने दी. इसके बाद जब भी रंजन आती, हम तीनों धुआंधार कामुक रति करते. बस एक बात का मुझे अफ़सोस है कि रंजन ने कभी मुझे गांड मारने नहीं दिया, हाँ, उसका अमृत जैसा बुर का रस उसने मुझे खूब पिलाया.
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एक दिन मौसी और मौसाजी ने बुलाकर मुझसे कहा कि उन्हें हफ़्ते भर के लिये जरूरी काम से बाहर जाना है. "क्या तू अकेला रह लेगा बेटे या फ़िर घर जाना चाहता है माँ के पास?"
अब भी गर्मी की छुट्टी का पूरा एक महिना बचा था. मौसी के साथ मेरी धुआंधार चुदाई चल रही थी. यह सब छोडकर मैं नहीं जाना चाहता था. "मैं रह लूँगा मौसी. तुम जाकर आओ, मेरी चिंता न करो."
कमला वहीं झाड़ू लगा रही थी. तपाक से बोली. "दीदी, इसे अकेला मत छोड़ो. वैसे अभी यह छोटा ही है. और इसके खाने पीने का भी तो इंतेजाम करना पड़ेगा. तुम बोलो तो मैं और चमेली यहाँ रह जाते हैं इसकी देखभाल करने को."
मेरी ओर देख कर अब वह बड़े दुष्ट और मादक अंदाज में मुस्करा रही थी. मेरा दिल बैठ गया. मुझे पता था वह ऐसा क्यों कह रही है. दोपहर को अक्सर जब मेरी, मौसी की, कमला की और उसकी बेटी की सामूहिक चुदाई होती थी, कमला हमेशा मौका देखकर मुझे कहती थी कि आ, मेरे साथ रह, तुझे मज़ा करवाऊँगी! मैंने मौसी से शिकायत नहीं की क्यों की जहाँ एक तरफ़ मुझे घिन सी आती थी, वहीं इस काम की सिर्फ़ कल्पना से मुझे एक बहुत मादक अनुभूति होती थी. लंड बुरी तरह खड़ा हो जाता था और चोदने में और मजा आता था.
इसलिये मैंने मौसी से तो कुछ न कहा पर कमला की इस बात का जम कर विरोध किया. मुझे मालूम था कि मैं अगर अकेला उसके पल्ले पड गया तो वह मेरा बुरा हाल करेगी. अपनी चुदैल बेटी से साथ मिलकर मुझसे तरह तरह के गंदे काम करावयेगी. पर मेरे विरोध के बावजूद मौसी और मौसाजी को बात पसंद आ गयी. वे राजी हो गये. "ठीक है कमला, तू चमेली के साथ हफ़्ते भर यहीं रहना. इसका खयाल रखना. खाने पीने की कोई तकलीफ़ न हो इसे."
"दीदी, आप दोनों जाओ. मैं और चमेली इसे खिला पिला कर मस्त कर देंगे." मेरी ओर देख कर मुस्कराते हुए आँख मार कर कमला बोली. मुझे अब भी मौका था कि मौसी से साफ़ सब कह दूँ कि दोनों माँ बेटी मेरे साथ कैसा सलूक करेंगी. पर मेरी अजीब हालत हो गयी थी. एक तरफ़ इन दोनों चुदैलो के चंगुल में फँसने का डर था और दूसरी ओर लंड में ऐसी मीठी चुभन हो रही थी जो मुझे उकसा रही थी. "हो जाने दे जो होगा. ऐसी गंदी बातो में ही तो असली मजा है सेक्स का. सादी चुदाई तो कोई भी करता है."
मैं चुप रहा. कमला मेरे पास आकर कान में बोली. "घबरा मत बेटे, हम तेरे दुश्मन तो नहीं हैं. पर तेरे जैसा सुंदर कच्चा छोकरा फंसा है, देख तेरा क्या हाल करती हूँ! इसके बाद हम माँ बेटी को छोड तुझे कुछ अच्छा नहीं लगेगा."
उस रात मैं अपनी होने वाली हालत के बारे में सोच सोच कर घबराया होने के बावजूद ऐसा उत्तेजित था कि मौसी भी चकरा गई. मैंने दो बार उनकी गांड मारी और एक बार चुत में चोदा फ़िर भी मेरा कस कर खड़ा था. मौसी मेरे लंड को चूसने बैठ गयी और फिर बोली "आज तो यह छोकरा ज्यादा ही नमकीन लग रहा है, क्या मस्त गांड मारी है मेरी! कल से इसकी याद आयेगी. एक हफ़्ते भी इससे दूर रहना मुश्किल है."
मौसी और मौसा अगली शाम को गये. कमला और चमेली पहले ही अपना सामान लेकर आ गये थे. मुझे लगा कि तुरंत मुझे पटककर वे दोनों शुरू हो जाएंगी पर उन्हों ने शुरुआत पड़े प्यार से की. चमेली ने पहले मुझे अपना दूध पिलाया और तब तक कमला ने बड़े प्यार से मेरा लंड चूसकर उसे खड़ा किया.
फ़िर चुदाई शुरू हुई. दोनों माँ बेटी ने मुझसे खूब चुदाया. चमेली ने पीछे से और कमला ने मुझ पर चढ़कर. बस मुझे झडने नहीं दिया. बीच में खाना बनाने और खाने के लिये दो घंटे का ब्रेक मिला. खाना बहुत अच्छा बना था. मैंने तारीफ़ की तो कमला शुरू हो गयी. "ठीक से खा ले बेटा.. तभी तो बढ़िया वीर्य बनेगा और हमें उस रसदार मलाई चाटने का मौका मिलेगा"
मेरे लंड ने उछल कर इस गंदी बात का जवाब दिया जबकि मैं खुद डर से परेशान हो गया था. मैं बलि के बकरे की तरह उसके पीछे हो लिया. लंड तन कर खड़ा था. साली दोनों माँ बेटी थी ही ऐसी सेक्सी और चुदैल. गांड हिला हिला कर कमला मेरे सामने नंगी चल रही थी. उसके काले मटकते हुए चूतड देखकर ऐसा लगता था कि अभी उसकी मार लूँ. वैसे रात को वह दोनों अपनी गांड मुझे मारने देंगी ऐसी मुझे आशा थी.
मैंने पूछ लिया "कमला, फ़िर गांड मारने दोगी? रात भर मारूँगा तुम दोनों माँ बेटी की."
"गांड तो मिलेगी मेरे राजा पर पहले हमारी चुत की आग को ठंडा करना पड़ेगा." कमला अपनी बुर में उंगली करते हुए बोली. "हमें ठंडा किए बिना भूलकर भी झड़ मत जाना."
में उसे अपनी बुर में चिपचिपी उंगली को अंदर बाहर करते देख बेहद उत्तेजित हो गया. तुरंत उसकी दोनों जांघों के बीच चला गया. मैंने चुपचाप चेहरा ऊपर किया और मुंह खोल दिया. कमला की बुर बस मेरी आँखों के जरा सी ऊपर थी. उसमें से रिसता चिपचिपा शहद देखकर उसे चाटने का मन हो आया. कमला मेरे मन की भांप कर बोली. "चाट ले बेटे, फ़िर मन भर कर अपना रज चखाऊँगी. आज ज्यादा ही चिपचिपा और सफ़ेद है सुबह से, शायद तेरे कारण."
"हाय हाय, क्या मन लगा कर चाट रहा है छोरा? चमेली मैं कहती थी ना कि आज इस छोरे के मुंह से चटवाऊँगी? शाम से हालत खराब है मेरी पर अब ठीक है, इसे अपना सारा रस पिला देती हूँ मेरी चुत का." और साली ने सच में मेरे मुंह में चुत रस की धार छोड़ दी.
वह दो बार झड़ गई. मैं उठने लगा तो कमला ने कहा. "थोड़ा ओर नहीं चाटेगा बेटे? अच्छा चल, बिस्तर पर चल, वहाँ आराम से चटवाऊँगी."
चमेली बोली. "अम्मा, मुझे भी चुनचुनी हो रही है. मैं भी चटवाऊँगी इसके मुंह से." कमला बोली. "ऐसा कर बेटी, थोडा और सब्र कर.. मेरी आग तो बुझ जाने दे पहले"
मुझे बिस्तर पर लिटा कर कमला मेरे मुंह पर बैठ गयी और मेरे मुंह को चोदते हुए मुझे अपनी बुर का चिपचिपा पानी पिलाने लगी. उसके झडने के बाद चमेली ने मुझे अपनी चूत चटवायी. मेरा अब ऐसा खड़ा था कि लगता था कि फ़ट जायेगा.
"कमला गांड मारने दे ना अब, देख तूने वादा किया था." मैंने उसके मम्मे दबाते हुए कहा. कमला मान गयी. "एक शर्त है मुन्ना. चमेली तेरे लंड को चूस देगी. और तू भी चूस कर मेरी गांड गीली कर. अंदर जीभ डाल दे."
अब मैं ऐसा उत्तेजित था कि उसकी इस बात से भी नहीं डिगा. उसे पट लिटाकर मैं कमला की गांड चूसने लगा. साली के काले चूतड़ों के बीच का छेद बहुत संकरा था. गांड में से सौंधी भीनी खुशबू आ रही थी. उसने मुझे और मदहोश कर दिया.
अंदर जीभ डाली तो कमला चहक उठी. "बहुत अच्छे मुन्ना, और अंदर डाल. हाय" मैंने उसकी यह बात अनसुनी करके चमेली के मुंह से लंड निकाला और कमला पर चढ़ गया. उसकी गांड में लंड ठूंस दिया. वह चिल्लाई क्यों की उसे दुखा होगा. मैंने परवाह नहीं की और पूरा लंड अंदर गाड कर उसकी चूचियाँ मसलते हुए गांड मारने लगा.
कराहते हुए कमला बोली. "चमेली, देख कैसी बेदर्दी से मेरी मार रहा है हरामखोर." चमेली को भी अम्मा की गांड चुदते देख मजा आ रहा था. "अम्मा, चल तू मेरी चूत चूस और मन बहला. तूने वादा किया है तो मरानी ही पड़ेगी. मुन्ना, तू जल्दी मार. अब नहीं रहा जाता मुझसे."
मन भर कर मैंने कमला की मारी और झड गया.
मैं थक कर लेट गया. कमला ने कहा. "चमेली, अभी तू ऐसा कर इसे अपनी बुर चुसवा. मैं इसे चोदती हूँ. साला गरम हो जायेगा तो फ़िर खड़ा हो जाएगा."
चमेली अपनी झांटों से भरी चूत मेरे मुंह में दे कर बैठ गयी. उसमें से बहुत रस बह रहा था. मैं चूत रस का दीवाना तो था ही, चूसने लगा. उधर कमला ने मेरा लंड आधा खड़ा किया और अपनी बुर में घुसेडकर बैठ गयी और मुझे चोदने लगी.
दस मिनिट में मैं फ़िर मस्त हो गया. कमला ने मौका देखकर मेरी गांड में उंगली कर दी. में चुपचाप पड़ा रहा. कमला खुशी से चहक उठी. "चमेली, लोंडा मस्त हो गया. अब करूँ?"
“नहीं अम्मा, पहले मेरी प्यास बुझ जाने दो..”
मेरा लंड कस कर खड़ा था. उन दोनों ने मिलकर उसे चूस लिया. मैं झड कर सो गया. बहुत थका था और. सोते सोते देखा कि चमेली जाकर किचन से एक मोटा गाजर ले आई थी.
कमला पैर फ़ैला कर चूत खोलकर लेट गयी. "चमेली बेटी, आज बहुत अच्छा लग रहा है. किसी मोटे लंड से चुदवाने का मन होता है. तू अब इस गाजर से चोद डाल अपनी प्यारी अम्मा को. जरा मख्खन लगा ले रे, नहीं तो फ़ट जायेगी तेरी माँ की बुर, धीरे धीरे अंदर डाल बिटिया तो पूरी ले लूँगी"
गाजर डालने में कमला को दर्द हुआ पर साली ऐसी गरमायी थी कि गाजर अंदर ले कर ही मानी. फ़िर चमेली कमला का मुंह चूमते हुए गाजर से उसकी मुठ्ठ मारने लगी. मैं देख रहा था पर थका होने से जल्द ही सो गया.
सुबह बहुत देर से उठा. दोनों चुदैले नहा धो कर नंगी बैठी नाश्ता कर रही थीं. लगता है कि कमला ने मीठा हलुआ बनाया था. मैं मुंह धो कर और नहा कर बाहर आया और नाश्ता किया।
“अब हो गया तरोताजा... चल अब तुझे मेरी चुत का रस पिलाती हूँ” शैतानी मुस्कान के साथ चमेली ने कहा
चमेली मेरे मुंह पर अपनी साँवली चुत रखकर बैठ गई... मैं उसकी चुत की गलियों मैं खो गया... उसकी चुत से रस चु रहा था... मेरा पूरा चेहरा उसके रस ने भिगो दिया... मेरा लंड तन के खड़ा हो गया था।
दोनों चुदैलो ने बीस पच्चीस मिनिट तक मेरा मजा लिया. पूरे समय मेरा लंड खड़ा था. चमेली बड़ी सफ़ाई से उसे अपनी बुर चटवाते हुए मेरे लँड को सहलाकर उसे मस्त किये हुई थी पर झडने नहीं देती थी.
"बेटी अब मैं भी एक बार रस पीला दूँ मेरी चुत का?." कमला मचल कर बोली.
"हाँ माँ, अभी तो पूरा एक हफ़्ता है दीदी को आने में. तब तक हम इसका इस्तेमाल करेंगे. पूरा लंड निचोड़ देंगे भोंसड़ीवाले लौंडे का." चमेली मुठ्ठ मारती हुई बोली.
"देख माँ, मचल रहा है पर हरामी का लंड कैसा खड़ा है देख! नखरा कर रहा है" चमेली बोली.
कमला मेरी आँखों में झांकती हुई वह बोली. "चमेली की चुत चाटकर मजा आया हरामजादे? बहुत प्यारा और चोदू लड़का है. देख कैसा मस्त लोहे जैसा लंड हो गया है इसका. चल अब दोपहर भर चोदेंगे इसे."
"कमला, मुझे अब तेरी गांड तो मारने दे" मैंने अनुरोध किया. कमला की गांड अब ऐसी गरम और चिकनी थी कि मैं उसे मारने को मरा जा रहा था. पर वह नहीं मानी. "रात को एडवान्स में मारी थी ना साले हरामी तूने?" कहकर वे दोनों मुझे उठाकर बेडरूम में ले गईं.
दिन भर मेरी चुदाई हुई. मेरे हाथ पैर उन्हों ने बांध कर ही रखे. एक के बाद एक, दोनों चढ़कर मुझे चोदती रही, पर छिनालो ने मुझे नहीं झडने दिया, एकदम मस्त करके रखा. मेरी हालत बुरी थी. लंड फ़नफ़नाया था और मैं उस हालत में उनकी कोई भी बात मानने को तैयार था.
मुझे दूध पिलाना अब चमेली ने कम कर दिया था. बस एक ही बार पिलाया. बोली "यह अब अम्मा के लिये रहने दे,” आखिर दोपहर भर मेरा लंड खड़ा रहने के बाद शाम को मुझे चूस कर झडाया गया. मैं ऐसा स्खलित हुआ कि बेहोश हो गया.
थोड़ी देर सोने के बाद मैं जाग गया..
मैंने साहस करके कहा. "कमला बाई, अब मुझे चमेली की गांड मारने देना. सुबह तो तूने मारने नहीं दी"
कमला कुछ देर मेरी ओर देखती रही फ़िर मुस्करा दी. "ठीक है मुन्ना, चमेली, मरवायेगी ना गांड?"
"हाँ अम्मा, मरवा लूँगी, पर इसे कहो अपनी टाँगे खोले. और अपना लोडा चूसने दे, अब नहीं रहा जाता मुझसे." चमेली वासना से तडपती हुई बोली. मैं चुपचाप टांगें खोले पड़ा रहा और चमेली तुरंत मेरी टांगों के बीच उकड़ूँ बैठकर मेरा लंड मुंह में ले लिया. साली ने एक ही बार में मेरे पूरे लंड को निगल लिया. पर कमीनी ने मुझे झड़ने ही नहीं दिया
आधा घंटा यह काम चलता रहा. एक तो चमेली की हवस खतम नहीं हो रही थी. दूसरे वह एक असहाय किशोर के साथ कामुक हरकत से ऐसी गरमायी थी कि वहीं अपनी माँ को लिपटकर चुदासी से हचकने लगी. चूमा चाटी करते हुए माँ बेटी ने खूब मजा किया. एक दूसरे की मुठ्ठ मारी और मम्मे दबाये. बीच में ही कमला आकर मेरे लंड को अपनी चूत में डालकर चुदवा लेती.
आखिर चमेली का मन भर गया.
“अब तो चमेली की गांड मारने देंगे ना!!”
"हाँ हाँ, चल, बेचारे को अपनी गांड मारने दे. इसने अपना काम किया है, अब जरा मजे करने दे." कमला बोली. वह खुद एक दीवार से टिक कर बैठ गयी और चमेली को अपनी तरफ़ खींच कर उसकी चूत से मुंह लगाती हुई बोली. "मैं तेरी बुर चूसती हूँ रानी बिटिया. तेरी बुर अब मस्त पानी फेंक रही है. और कमीने, तू पीछे खड़ा हो जा और इसकी गांड मार ले. मन भर कर मार. फ़िर अब जब मुझसे मरवाएगा तभी मेरी मारने मिलेगी, उसके पहले नहीं."
चमेली अपने ऊपरी शरीर को दीवार से टिकाकर खड़ी हो गयी और खड़े खड़े कमला का सिर पकड़ कर उसके मुंह को चोदने लगी. मैंने उसके पीछे खड़ा होकर अपना लंड उसके काले गोल मटोल चूतड़ों के बीच पेल दिया. गीली गांड में वह सट्ट से घुस गया. गांड अंदर से तप रही थी. मुझे मजा आ गया और मैं हचक हचक कर चमेली की गांड मारने लगा.
आखिर जब मैं झडा तब बीस मिनिट हो गये थे. मैंने भरसक कोशिश की थी कि और मारूँ और जल्दी न झड़ूँ पर उस सुख के आगे मेरी एक न चली. कमला ने अपनी बेटी को चूस चूस कर बहुत बार झडा दिया था. मुझे वे फ़िर बेडरूम में ले गईं और बांध कर पलंग पर पटक दिया और खुद बाजू में लेट कर एक दूसरे की बुर चूसने लगी.
उस रात उन्हों ने मेरे साथ ज्यादा कुछ नहीं किया. बस मेरा लंड खड़ा करके मुझसे चुदवाती रही. मुझे झडने नहीं दिया. मुझे चूत चुसवाई, मेरा लंड अपनी बुर में लेकर मुझ पर चढ़ कर मुझे बारी बारी से चोदा, लंड को खूब चूसा, यहाँ तक के चमेली ने एक बार अपनी गांड में मेरा लंड ले कर मेरे पेट पर बैठ कर ऊपर नीचे होते हुए आधे घंटे अपनी गांड मरवाई.
मैं अब उनसे गिडगिडाकर मुझे झडाने को कह रहा था. इतना सुख मुझे सहन नहीं हो रहा था. “माँ कसम अब तुम दोनों जो कहोगी मैं करूंगा, बस मुझे झडा दे."
दोनों मेरी बेताबी पर खुश होकर चहक रही थीं पर सालियो ने मुझे झडाया नहीं. चमेली आखिर गांड मरवा कर जब उठी तो उसकी गांड से मेरा सूजा लंड निकाला.. बड़ी ही मिन्नतों के बाद उन दोनों ने मुझे झड़ने की अनुमति दी।
शाम को मौसी और मौसाजी आये. मुझे देखकर वे बहुत खुश हुए. कमला और चमेली को एक हजार रुपये इनाम में दिये. "कमला, तूने बहुत अच्छे से रखा मेरे भांजे को. लगता है काफ़ी खिलाया पिलाया है. देख कैसा मस्त दिख रहा है." कमला हंसने लगी. "दीदी, अब आप कभी भी जाओ, मुझे और चमेली को बुला लेना. अगली बार और अच्छी खातिर करूंगी मुन्ना की. एक हफ़्ते में जो हो सकता था, मैंने किया. चमेली ने भी मेरी खूब मदद की."
वह दोनों खुशी खुशी चले गए...
गरमी की छुट्टी भर हमारा यह संभोग चला. आखिर छुट्टी खतम हुई और मैं घर जाने को तैयार हुआ. प्रिया मौसी और अजय अंकल ने मुझे विदा किया और कहा कि अब हर छुट्टी में मैं यहीं आऊ. दीवाली की छुट्टी बस चार माह में आने ही वाली थी.
अब हर छूटियों में मौसी के घर पहुँच जाता... अब मौसी-मौसा, कमला -चमेली और में मिलकर भरपूर चुदाई करते थे..
समाप्त
कहानी का समापन बडा ही खतरनाक हैं