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Adultery भाभियों का रहस्य

sunoanuj

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snidgha12

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कथानक १०० पृष्ठ तक पहुंच गया है, और मात्र १५ अपडेट्स ही हुए हैं... कथा एवं कथाकार को बहुमान... कथा १००० पृष्ठ तक पहुंचे और अपने उत्कर्ष को पहुंचने तक सफलता के सारे किर्तिमान स्थापित करें ऐसी हार्दिक शुभकामनाएं...
 
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aman rathore

Enigma ke pankhe
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अध्याय 15
चेतना धीरे धीरे लौटने लगी थी , लेकिन अभी भी मुझे शरीर का अहसास नहीं हो पा रहा था,मुझे लग रहा था की मैं हु , लेकिन मेरा शरीर कहा है इसका आभास ही नहीं था …
मैं दुनिया देखना चाहता था , क्या मैं जिन्दा हु …???
समय का कोई ज्ञान नही हो रहा था ,बस मैं हु ये एक मात्र ज्ञान मुझे था ..
ना जाने कितना समय बिता था जब मुझे पहली बार अपने शरीर का भान हुआ , मुझे अपने कानो में कुछ आवाजे सुनाई दी , और हलकी रोशनी का आभास किया , मुझे कुछ धुंधला सा दिखने लगा था …
“इसने पलके झपकाई … डॉ …नर्स इसने पलके झपकाई …” किसी लड़की की आवाज मेरे कानो में पड़ी , वो चिल्ला रही थी , उस आवाज को मैं कैसे भूल सकता था , इससे तो मेरी शादी होने वाली थी …
थोड़ी देर में कमरे में थोड़ी हलचल बढ़ गई , मेरी आँखे थोड़ी और खुली लेकिन कुछ भी साफ़ नहीं दिखाई पड़ रहा था ना ही शरीर महसूस हो रहा था , कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद फिर से मेरी चेतना गायब हो गई …
पता नहीं कितना समय बिता था , मुझे मेरी उंगलिया महसूस हो रही थी , शरीर के कई हिस्सों को मैं महसूस कर पा रहा था … आँखों को खोलने की कोशिस करने लगा , आँखे ऐसी बोझिल थी जैसे सदियों से सो कर उठने पर होता है ..
“तुम मुझे सुन पा रहे हो … “
एक करुण आवाज मेरे कानो में पड़ी ..उस आवाज में दर्द था ऐसा दर्द जो सीधे मेरे दिल से लग रहा था , एक कम्पन थी जिसने मुझे जगा दिया था , मैंने आँखे खोलने की भरसक कोशिस की , वो चहरा अभी भी धुंधला ही था …
“लौट आओ निशांत ,मेरे निक्कू लौट आओ ..” वो रो पड़ी , उसका रोना मेरे लिए दर्दनाक था लेकिन मेरी मज़बूरी की मैं उठकर उसके आंसू नही पोछ सकता था ..
मैंने पूरी ताकत लगा कर हलके से पलके झपकाई …
वो चहक उठी ..
“इसने पलके झपकाई , इसने मेरे बात का जवाब दिया “ वंहा मौजूद सभी लोग उम्मीद से मेरी ओर देख रहे थे , उसकी इस अदा पर मुझे बड़ा प्यार आया , मैं मुस्कुरा कर उसका जवाब देना चाहता था लेकिन शरीर में जैसे कोई संवेदना ही ना रही हो …
ना जाने कितना समय बीत गया ,कभी अन्नू तो कभी अम्मा मेरे पास होती ..
अन्नू तो लगभग यही रहा करती थी , वो मेरे पास बैठे मुझे कविता सुनाती , गाने गुनगुनाती , कभी हंसकर बाते करती तो कभी शिकायतों के पुलिंदे सामने खोल देती , उसे शिकायत थी की मैं उसके बातो का जवाब नहीं देता , कभी हँसते हँसते ही वो रो पड़ती थी , मैं कभी कभी पलके झपकाकर उससे ये बताता की मैं उसे सुन रहा हु .. वो खुश हो जाती , उसकी उम्मीद और भी गहरी हो जाती की एक दिन आएगा जब मैं उठ खड़ा होऊंगा ..
वो कहती की हम अपनी शादी में साथ नाचेंगे , गायेंगे , पता नहीं वो दिन कब आने वाला था , मैं भी उसके इन्तजार में था , उम्मीद की छोटी सी किरण के सहारे हम दोनों ही अपने इस रिश्ते को निभा रहे थे ….
ना जाने कितना समय बीत गया , मैं अपने शरीर को महसूस कर पा रहा था लेकिन उसे कंट्रोल नहीं कर पा रहा था , मैंने अपनी उंगलिया हिलाई थी , लेकिन किसी ने देखा नही , अगर अन्नू देख लेटी तो झूम जाती , लेकिन वो वंहा नही थी …
ना जाने कितना समय बीत गया , अन्नू प्यार से मुझे कबिता रही थी , मेरी पसंदीदा कबिता रश्मिरथी

“सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,

शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,

विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुख से न कभी उफ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,

जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं, “

वो गए जा रही थी और मैं दिनकर जी के कवित्वा को साधुवाद दे रहा था , हर बार की तरह मैं इसे सुनकर प्रफुल्लित था , मैं भी इस विपत्ति से विचलित नहीं होना चाहता था , मैं इसे पार करके अपने प्यार के पास आना चाहता था , मैंने कोशिस जारी रखी , आज मैंने आपने आँखे पूरी खोली , अन्नू पुस्तक पकडे एक ले में गा रही थी , अचानक उसने मुझे देखा …
मैं एकटक उसे ही देख रहा था ,ना जाने कितने वक्त के बाद मैंने उसके सुन्दर चहरे को देखा था , कभी हमेशा ही खिला रहने वाला चहरा कितना मुरझा गया था , मेरे आँखों में आंसू की बुँदे अनायास ही आ गई ,
वो कुछ देर तक बस मुझे देखती रही , और अचानक से वो जोरो से रो पड़ी …
“नर्स .. डॉ .. अम्मा कोई है… देखो मेरा निक्कू उठ गया , मेरा निक्कू उठ गया “
उसने मेरे माथे को चूमना शुरू कर दिया
“मैं जानती थी तुम मुझे सुन रहे हो , मैं जानती थी की तुम उठोगे …” वो रोते हुए बोलती रही
तभी कुछ लोग भागते हुए वंहा आये ..
“मेडम प्लीज थोडा हटिए “ एक नर्स ने कहा , डॉ ने एक इंजेक्शन तैयार किया
सबके पीछे अम्मा भी वंहा आया गयी थी वो मेरे पास ना आई बस ही खड़ी हो गई ..
“देखो ना अम्मा निक्कू जाग गया है “
अन्नू उनके पास गई , और अम्मा .. वो रोते हुए वही बैठ गई थी …
ना जाने कितना समय बीत गया था , अब मैं पलके झपकाता , आंखे खोलकर अन्नू और अम्मा को निहारता , अपनी उंगलिया भी हिलाने लगा था , बोलने की कोशिस करता लेकिन अभी आवाज बहुत ही धीमी थी , अन्नू अपने कान मेरे मुह के पास लाकर सुनने की कोशिस करती लेकिन कुछ समझ ना पाती ..
सब लोग खुश थे , मुझे बताया गया की मैं अभी अपने हवेली में हु , मुझे मार कर नदी में फेंक दिया गया था , जिसकी जानकारी रामिका ने अम्मा को दी और अम्मा ने उसके साथ मिलकर मुझे बचाया , बताया गया की जब वलवंत मुझे लेने आया तो मैंने अपना मोबाइल वही छोड़ दिया था , रामिका ने जब मुझे जाते देखा तो उन लोगो का पीछा किया , जब वो वंहा पहुची तब तक उन लोगो ने मुझे बुरी तरह से जख्मी कर दिया था , रामिका ने तुरंत मेरे मोबाइल से अम्मा को फोन किया और उन लोगो का छिपकर पीछा किया , उनके जाने के बाद वो नदी में कूदकर मेरे शरीर को नदी के किनारे तक ले आई , अम्मा और बाकि के लोग कुछ देर में वंहा पहुचे , मुझे हॉस्पिटल में रखा गया लेकिन वंहा भी मेरी जान को खतरा हो सकता था , ना जाने बलवंत के लोग मुझपर कब हमला कर देते , इसलिए मुझे हवेली में ही शिफ्ट कर दिया गया , बलवंत को भी पता चल चूका था की मैं जिन्दा बच गया हु , लेकिन उसे ये नै पता था की मुझे बचाने वाली उसकी ही बेटी है …
मेरी जो हालत थी उसमे बच पाना लगभग नामुमकिन था ,लगभग डेढ़ साल से मैं कोमा में था , मुझे होश तो आ गया था लेकिन अभी भी मेरा शरीर किसी काम का नही था , मैं अच्छे से बोल भी नहीं पा रहा था ,
अन्नू दिन भर मेरे पास बैठी रहती वो मुझे गांव के किस्से बताती , उसने बताया की अब्दुल ने UPSC का एग्जाम निकाल लिया , उसका चयन आई.ए .एस . के लिए हो गया है , कुछ दिन ही हुए वो ट्रेनिंग के लिए चला गया ..
अन्नू बताती की कभी कभी अंकित भी मुझे देखने आता,मेरे पास बैठ कर रोता लेकिन बिना कुछ कहे वंहा से चला जाता ..
समय बीत रहा था लेकिन मैं उंगलियों को थोडा मोड़ा हिलाने के अलावा और कुछ भी नहीं कर पा रहा था , मैं अंदर से टूटने लगा था , मुझे लगने लगा था की इससे अच्छी तो मौत थी , मुझे कोई कुछ बताता नहीं लेकिन मैंने महसूस किया था की शायद मेरा जीवन ऐसे ही बीतने वाला है , अम्मा और अन्नू डॉ से बात करने के बाद अक्सर दुखी दिखाई पड़ते , मेरे सामने आने पर वो अपने आंसू तो कमरे के बाहर छोड़ कर आते लेकिन उनके चहरे को देखकर मैं समझ सकता था की कोई बड़ी दिक्कत जरुर चल रही है ..
मेरे आवाज में थोड़ी ताकत आने लगी भी , मैं थोडा बहुत बोल पा रहा था …
“अन्नू मुझे क्या हुआ है , मैं अपने शरीर को महसूस क्यों नहीं कर पा रहा “
एक दिन मैंने अन्नू से कहा , मेरी आवाज बहुत कमजोर थी लेकिन अब वो समझ में आने लगी थी …
“कुछ भी नही हुआ है , तुम जल्द ही ठीक हो जाओगे “
वो मुस्कुरा कर बोली ..
झूठ मत बोलो अन्नू मुझे बताओ की आखिर मुझे हुआ क्या है …
“अरे कुछ भी तो नहीं हुआ है बाबु , तू बस आराम करो ,सब ठीक हो जाएगा …”
हर बार मैं पूछता और हर बार मुझे यही कह दिया जाता , समय बीतने लगा था , मुझे होश आये अब 4 महीने बीत चुके थे , मुझे बाहर घुमाने ले जाया जाता , जो भी मुझे देखता उसकी आँखों में मेरे लिए बस हमदर्दी होती , वो हमदर्दी मुझे इतनी चुभने लगी थी की मुझे लगता की मैं जीवन भर ऐसा ही रहने वाला हु …
मुझे वीलचेयर पर बिठाने के लिए ३ लोग लगते थे , मैं अच्छे से अपना गला भी सम्हाल नही पाता , अगर बैठने से मेरा गला निचे गिर जाता तो उसे उठाने के लिए भी एक आदमी की मदद लगती थी …
सच में ऐसे जीवन से मौत बेहतर थी …
एक दिन मेरे कमरे में कुछ लोग आये , साथ में अम्मा और अन्नू भी थे … उनमे से एक शख्स को मैं पहले भी मिल चूका था ..
वो थे डॉ चुतिया …
“अब कैसे हो कुवर …”
डॉ ने मेरे पास रखी स्टूल में बैठते हुए कहा ..
“जी रहा हु डॉ ..”
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराये
“तुम सिर्फ जीने के लिए पैदा नहीं हुए हो , तुम्हे अभी बहुत कुछ करना है , मैंने कहा था ना की मैं तुमसे फिर मिलूँगा … लो मैं फिर से आ गया …”
मैंने उनकी बातो का कोई जवाब नहीं दिया ..
“फिक्र मत करो बस आज की रात और कल से तुम बिलकुल ठीक होगे “
इतना कहकर डॉ और उनके साथ आये लोग वंहा से चले गए ..
मैं बस उन्हें देखता रह गया था , और मेरे दिमाग में बस एक ही सवाल था …आखिर कैसे ??????
:superb: :good: :perfect: awesome update hai dr sahab,
Behad hi shandaar aur lajawab update hai,
 

DARK WOLFKING

Supreme
15,565
31,995
259
अध्याय 14

ठाकुर ने मुझे हिदायत दी थी की मैं अपने कमरे से ना निकलू , लोगो को बताया गया था की मुझे कैद में रखा गया है , मैंने अम्मा से बात करने की बात की तो उन्होंने मेरा मोबाइल भी मुझे लौटा दिया था …
मैं अपने कमरे में बैठा था की रामिका वंहा आई …
उसके हाथो में एक थाली थी …
“तुम्हारा फेवरेट बिरियानी और कबाब “
“वाओ तुम्हे याद है ..???”
“अरे यार कैसे भूलूंगी , ऐसे ये लफड़ा क्या है , पापा ने तुम्हे किडनेप करवाया और तुम्हारे साथ बैठ कर ड्रिंक कर रहे थे , और कोई कैदी को बिरियानी खिलाता है क्या ..??”
मैं हँस पड़ा
“बेबी ये सब राजनीती की बाते है , तुम छोडो और बताओ कैसा चल रहा है “
“क्या बताऊ यार कालेज के बाद से सब कुछ बेकार लगता है , पापा को पड़ी है की मेरी शादी करवा दे , और मुझे इनका बिजिनेस सम्हालना है , लेकिन नहीं बिजिनेस अंकुर सम्हालेगा (अंकुर रामिका का छोटा भाई है जो अभी स्कुल में था ) , वाह ये क्या बात हुई …”
“कोई नहीं ठाकुर साहब से मैं बात करके देखूंगा , ऐसे तुम एक अच्छी बिजनेसवुमेन बनोगी , और साथ में एक अच्छी राजनितज्ञ भी “
“कास पापा भी मुझपर इतना भरोसा करते , छोडो तुम खाओ … तुमने मुझे सच में सरप्राइज कर दिया .. यार मेरे दो दोस्तों की शादी … मजा आ जायेगा “
वो बच्चो के जैसे उछली , मैं भी उसे देख कर हँसने लगा
“हा मजा तो आएगा , अगर मैं आज यंहा से जिन्दा बच कर चला गया “
‘यार फिक्र मत करो पापा तुम्हे कुछ भी नहीं करेंगे “
“मुझे पता है रामिका , लेकिन उन लोगो का क्या जिनके परिवार वाले मेरे कारण मारे गए “
“ओह आम के बगीचे में हुई लड़ाई में तुम्हारा भी हाथ था …” वो चौकी
“तो तुम्हे क्या लगता है मुझे यंहा क्यों पकड कर लाया गया … चलो छोडो , अभी थोडा आराम कर लेता हु , सुबह ही मुझे उन लोगो के हवाले सौप दिया जायेगा ,कुछ प्लानिंग भी करनी होगी जिन्दा बचने के लिए … सब ठीक रहा तो मैं तुम्हे फोन करता हु आराम से मिलकर बात करते है “
‘यार ये तुम क्या कह रहे हो मुझे तो डर लग रहा है “
“डरो मत मैं कुछ जुगाड़ लगा लूँगा …”
मैंने उसे भेजा और फिर अम्मा को काल लगा दिया , उन्हें मैंने कहा की सिर्फ दो लोगो को झील से थोड़ी दूर रहने बोल देना , मैं भाग कर वही आऊंगा, कोई झील की तरफ ना जाए और किसी को इस बात की कानो कान खबर भी नहीं होनी चाहिए , अम्मा पहले तो डर गई लेकिन मैंने उन्हें समझाया की मैंने बलवंत के साथ एक डील की है , मैंने उन्हें सारी बात बताई , उन्हें ये कहा की बलवंत मुझे वंहा से निकालेगा …
ऐसे तो आँखों में नींद नही थी लेकिन मैंने सोने की कोशिस की , सुबह के 4 बजे का वकत था जब मुझे किसी ने उठाया , ये खुद ठाकुर साहब थे …
“चलिए कुवर जाने का समय हो गया …”
उन्होंने मुझे निचे एक कोठी में ले जाकर बंद कर दिया , कुछ देर बाद कुछ लोग आये और उन्होंने मेरे हाथ बांध दिए और लगभग घसीटते हुए एक गाडी में बिठा दिया …
मैंने चारो ओर देखा , वंहा सिर्फ मर्द ही मर्द दिखाई दे रहे थे , पास ही ठाकुर बलवंत भी खड़े हुए मुस्कुरा रहे थे …
वो मेरे पास आये ..
“कुवर बाते तो बहुत अच्छी करते हो तुम , दिमाग भी बहुत चलाते हो लेकिन तुम ये भूल गए की मैं एक राजनेता हु , वादों से मुकरना मेरी पुरानी आदत है , एक अम्मा ने मेरे नाक में दम कर रखा है अब उसके भतीजा आ गया , वो भी अम्मा से कई गुना शातिर .. यार माफ़ करना लेकिन तुम्हे छोड़ देना खुद के पैरो में कुल्हाड़ी मरने जैसा होगा , कल को तुम बड़े नेता बन जाओगे तो साला मेरी ही तो मुश्किल बढ़ेगी ना ….अगर तुम कोई चूतिये होते तो शायद तुम्हे छोड़ भी देता लेकिन तुम बड़े शातिर हो तुम्हे नहीं छोडूंगा .. बाय बाय कुवर जी “
बलवंत की बात सुनकर मेरी हालत गंभीर हो गई , ये साला तो सच में नेता निकला सीधे बात से पलट गया ..
“सुनो बे इसके इलाके में नहीं जाना है समझ गए , और ख़ामोशी से मारो साले को फिर जश्न मनाते है “
बलवंत की बात सुनकर मैं काँप गया , साला बलवंत बहुत चालू निकला , आज मौत साफ साफ दिखाई देने लगी थी , उन लोगो ने मुझे जिप में डाला और चल दिए …
“तू तो गया रे छोटे …अपने को बहुत शातिर समझता था ना अब भुगत , बोला था तुझे की जितनी हो सके उतनी लडकिया चुदवा ले , अभी तक मेरी भी शक्ति बढ़ जाती , लेकिन नहीं तुझे तो शराफत का भुत चढ़ा था , तू तो गया बेटा “ अचानक से लौडू की आवाज आई
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चूका था , गांव के बाहर लौडू बेअसर था वही इन लोगो के साथ कोई लड़की भी नहीं थी , कुल मिलाकर आज मेरा मरना तय था ..
ये लोग मुझे एक बड़े से आम के बगीचे में ले गए , ये वही बगीचा था जो दोनों गांवो की सीमा पर था और यही वो कांड हुआ था जिसके कारन मैं यंहा था …
‘भाई इसी कमीने के कारण हमारे लोग मरे थे , इस साले को आसन मौत नहीं देंगे , इसे ऐसी मौत मारेंगे की आज के बाद कोई कुवरपुर वाला हमारे ओर देखने से भी काँप जायेंगे “
“सही कहा तुमने …इस साले को तो कुत्ते की मौत मारेंगे , बांध दो साले को “
उन्होंने मुझे एक पेड़ से बांध दिया..
एक आदमी सामने आया और उसने मेरे पेट में एक जोरदार मुक्का मारा ,
“आआ आ …” मेरे मुह से एक चीख निकली , उसके बाद कुछ लोग डंडा पकड कर आ गए और उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया …
मैं चिल्लाने लगा लेकिन यंहा रहम की कोई गुंजाईश नहीं बची थी , तभी एक ने मेरे सर पर पिस्तौल तान दी
“मादरचोद खुद को बहुत बढ़ा हीरो समझता है , क्या बोला था ये अपने साथी को ,फिक्र मत करो मुझे कुछ नहीं होगा .. मैं कल तक वापस आ जाऊंगा … हलवा है क्या ??? हमारे गांव के लोगो को मरवा कर तु जिन्दा कैसे जायेगा रे कुवर…. “
धाय …
एक गोली सीधे मेरे कानो के पास से गुजरी . कुछ देर तक सब कुछ सन्नाटा सा हो गया , मुझे उन लोगो के हसते हुए चहरे दिखाई दे रहे थे , वो सभी मुझपर ही हँस रहे थे ..
एक आदमी ने मेरे मुह को पकड लिया
“फिक्र मत कर इतने जल्दी नहीं मारेंगे तुझे “ सभी जोरो से हँसने लगे
उन लोग ने आग जलाई और एक सरिया उसमे गर्म करने लगे , उसे देख कर मैं काँप रहा था ,मौत सामने दिखाई दे रही थी , जो कुछ जीवन में किया सब आँखों के सामने चलने लगा था . आँखों के सामने अम्मा तो कभी अन्नू की तस्वीर आ जाती , दोनों कितने खुश थे , घर में शादी की धूम होने वाली थी लेकिन अब … अब मेरे मौत का मातम होगा … मेरे मर जाने के बाद गांव वालो का क्या होगा ,वो हमेशा कहते थे की गांव की जिमेदारी मेरे उपर है , उस श्राप का क्या होगा ???, भाभियों का क्या होगा ???
इतनी जिम्मेदारियों का बोझ लेकर मैं सुकून से कैसे मर सकता था ??
उन्होंने गर्म सरिया उठा लिया
मौत सामने तांडव करने लगी थी ,मैंने अपनी आँखे बंद कर ली , मुझे अपने चहरे के पास गर्मी का अहसास हुआ …
“आँख खोल साले नपुंसक …” कोई चिल्लाया , मैंने आँखों को और भी जोरो से बंद कर लिया ,उन्होंने मेरे आँखों को जबरदस्ती खोलने की कोशिस की लेकिन मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी , सरिये की गर्मी मुझे साफ महसूस हो रही थी , उन्होंने हलके उसे उसे मेरे गालो में झुआ दिया ..
“नही ………” मैं चीखा
वो खिलखिलाकर हँसने लगे
“ये टाइम पास बंद करो , इसे मारो और निकलो , ठाकुर साहब का फोन आ रहा है “
एक अधेड़ उम्र का आदमी बोल उठा
“भैया बहुत मजा आ रहा है , और ठाकुर साहब को आखिर क्या जल्दी है ??”
जिसके हाथ में सरिया था वो बोल उठा , लेकिन इससे वो अधेड़ उम्र का व्यक्ति गुस्सा हो गया
“भोसड़ी के तू बहस करेगा … जल्दी करो और लाश ठिकाने लगा दो “
सरिया पकडे हुए आदमी ने मुह बनाया और सरिया सीधे मेरे पेट में घोंप दिया ..
“माँ चुदा …”
“आआआअ … “ दर्द से मैं चिल्ला उठा , इस दर्दनाक चीख से पूरा बगीचा ही गूंज उठा ,लेकिन यंहा मेरी चीख को सुनने वाला कोई भी नहीं था …
“अबे क्या बकचोदी कर रहे हो तुम लोग हटो ..” वो अधेड़ आदमी इस हरकत से गुस्से में आ गया , उसने सभी को हटाया और पिस्तौल मेरे सामने तान दी ..
धाय धाय धाय …
तीन गोलिया सीधे मेरे शरीर पर जा लगी , मेरे सामने अब सब धुंधला होने लगा था , शरीर से खून फुहारे मार कर बह रहा था , तभी किसी ने मेरे शरीर में लगा हुआ सरिया निकाल दिया …
“इसे नदी में फेक दो “
आँखे बंद होते होते मुझे बस यही सुनाई दिया था ……….
romanchak update ..to thakur sahi me neta nikla jo apni jaban se palat gaya .
lodu ki baat naa maanne ka natija bhugatna pada nishant ko .
dardnak maut di gaonwalo ne nishant ko ,ab dekhna hai ki kaise jinda bachta hai nishant 🤔. kya lodu kuch kar payega nishant ke liye .
 

DARK WOLFKING

Supreme
15,565
31,995
259
अध्याय 15
चेतना धीरे धीरे लौटने लगी थी , लेकिन अभी भी मुझे शरीर का अहसास नहीं हो पा रहा था,मुझे लग रहा था की मैं हु , लेकिन मेरा शरीर कहा है इसका आभास ही नहीं था …
मैं दुनिया देखना चाहता था , क्या मैं जिन्दा हु …???
समय का कोई ज्ञान नही हो रहा था ,बस मैं हु ये एक मात्र ज्ञान मुझे था ..
ना जाने कितना समय बिता था जब मुझे पहली बार अपने शरीर का भान हुआ , मुझे अपने कानो में कुछ आवाजे सुनाई दी , और हलकी रोशनी का आभास किया , मुझे कुछ धुंधला सा दिखने लगा था …
“इसने पलके झपकाई … डॉ …नर्स इसने पलके झपकाई …” किसी लड़की की आवाज मेरे कानो में पड़ी , वो चिल्ला रही थी , उस आवाज को मैं कैसे भूल सकता था , इससे तो मेरी शादी होने वाली थी …
थोड़ी देर में कमरे में थोड़ी हलचल बढ़ गई , मेरी आँखे थोड़ी और खुली लेकिन कुछ भी साफ़ नहीं दिखाई पड़ रहा था ना ही शरीर महसूस हो रहा था , कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद फिर से मेरी चेतना गायब हो गई …
पता नहीं कितना समय बिता था , मुझे मेरी उंगलिया महसूस हो रही थी , शरीर के कई हिस्सों को मैं महसूस कर पा रहा था … आँखों को खोलने की कोशिस करने लगा , आँखे ऐसी बोझिल थी जैसे सदियों से सो कर उठने पर होता है ..
“तुम मुझे सुन पा रहे हो … “
एक करुण आवाज मेरे कानो में पड़ी ..उस आवाज में दर्द था ऐसा दर्द जो सीधे मेरे दिल से लग रहा था , एक कम्पन थी जिसने मुझे जगा दिया था , मैंने आँखे खोलने की भरसक कोशिस की , वो चहरा अभी भी धुंधला ही था …
“लौट आओ निशांत ,मेरे निक्कू लौट आओ ..” वो रो पड़ी , उसका रोना मेरे लिए दर्दनाक था लेकिन मेरी मज़बूरी की मैं उठकर उसके आंसू नही पोछ सकता था ..
मैंने पूरी ताकत लगा कर हलके से पलके झपकाई …
वो चहक उठी ..
“इसने पलके झपकाई , इसने मेरे बात का जवाब दिया “ वंहा मौजूद सभी लोग उम्मीद से मेरी ओर देख रहे थे , उसकी इस अदा पर मुझे बड़ा प्यार आया , मैं मुस्कुरा कर उसका जवाब देना चाहता था लेकिन शरीर में जैसे कोई संवेदना ही ना रही हो …
ना जाने कितना समय बीत गया ,कभी अन्नू तो कभी अम्मा मेरे पास होती ..
अन्नू तो लगभग यही रहा करती थी , वो मेरे पास बैठे मुझे कविता सुनाती , गाने गुनगुनाती , कभी हंसकर बाते करती तो कभी शिकायतों के पुलिंदे सामने खोल देती , उसे शिकायत थी की मैं उसके बातो का जवाब नहीं देता , कभी हँसते हँसते ही वो रो पड़ती थी , मैं कभी कभी पलके झपकाकर उससे ये बताता की मैं उसे सुन रहा हु .. वो खुश हो जाती , उसकी उम्मीद और भी गहरी हो जाती की एक दिन आएगा जब मैं उठ खड़ा होऊंगा ..
वो कहती की हम अपनी शादी में साथ नाचेंगे , गायेंगे , पता नहीं वो दिन कब आने वाला था , मैं भी उसके इन्तजार में था , उम्मीद की छोटी सी किरण के सहारे हम दोनों ही अपने इस रिश्ते को निभा रहे थे ….
ना जाने कितना समय बीत गया , मैं अपने शरीर को महसूस कर पा रहा था लेकिन उसे कंट्रोल नहीं कर पा रहा था , मैंने अपनी उंगलिया हिलाई थी , लेकिन किसी ने देखा नही , अगर अन्नू देख लेटी तो झूम जाती , लेकिन वो वंहा नही थी …
ना जाने कितना समय बीत गया , अन्नू प्यार से मुझे कबिता रही थी , मेरी पसंदीदा कबिता रश्मिरथी

“सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,

शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,

विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुख से न कभी उफ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,

जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं, “

वो गए जा रही थी और मैं दिनकर जी के कवित्वा को साधुवाद दे रहा था , हर बार की तरह मैं इसे सुनकर प्रफुल्लित था , मैं भी इस विपत्ति से विचलित नहीं होना चाहता था , मैं इसे पार करके अपने प्यार के पास आना चाहता था , मैंने कोशिस जारी रखी , आज मैंने आपने आँखे पूरी खोली , अन्नू पुस्तक पकडे एक ले में गा रही थी , अचानक उसने मुझे देखा …
मैं एकटक उसे ही देख रहा था ,ना जाने कितने वक्त के बाद मैंने उसके सुन्दर चहरे को देखा था , कभी हमेशा ही खिला रहने वाला चहरा कितना मुरझा गया था , मेरे आँखों में आंसू की बुँदे अनायास ही आ गई ,
वो कुछ देर तक बस मुझे देखती रही , और अचानक से वो जोरो से रो पड़ी …
“नर्स .. डॉ .. अम्मा कोई है… देखो मेरा निक्कू उठ गया , मेरा निक्कू उठ गया “
उसने मेरे माथे को चूमना शुरू कर दिया
“मैं जानती थी तुम मुझे सुन रहे हो , मैं जानती थी की तुम उठोगे …” वो रोते हुए बोलती रही
तभी कुछ लोग भागते हुए वंहा आये ..
“मेडम प्लीज थोडा हटिए “ एक नर्स ने कहा , डॉ ने एक इंजेक्शन तैयार किया
सबके पीछे अम्मा भी वंहा आया गयी थी वो मेरे पास ना आई बस ही खड़ी हो गई ..
“देखो ना अम्मा निक्कू जाग गया है “
अन्नू उनके पास गई , और अम्मा .. वो रोते हुए वही बैठ गई थी …
ना जाने कितना समय बीत गया था , अब मैं पलके झपकाता , आंखे खोलकर अन्नू और अम्मा को निहारता , अपनी उंगलिया भी हिलाने लगा था , बोलने की कोशिस करता लेकिन अभी आवाज बहुत ही धीमी थी , अन्नू अपने कान मेरे मुह के पास लाकर सुनने की कोशिस करती लेकिन कुछ समझ ना पाती ..
सब लोग खुश थे , मुझे बताया गया की मैं अभी अपने हवेली में हु , मुझे मार कर नदी में फेंक दिया गया था , जिसकी जानकारी रामिका ने अम्मा को दी और अम्मा ने उसके साथ मिलकर मुझे बचाया , बताया गया की जब वलवंत मुझे लेने आया तो मैंने अपना मोबाइल वही छोड़ दिया था , रामिका ने जब मुझे जाते देखा तो उन लोगो का पीछा किया , जब वो वंहा पहुची तब तक उन लोगो ने मुझे बुरी तरह से जख्मी कर दिया था , रामिका ने तुरंत मेरे मोबाइल से अम्मा को फोन किया और उन लोगो का छिपकर पीछा किया , उनके जाने के बाद वो नदी में कूदकर मेरे शरीर को नदी के किनारे तक ले आई , अम्मा और बाकि के लोग कुछ देर में वंहा पहुचे , मुझे हॉस्पिटल में रखा गया लेकिन वंहा भी मेरी जान को खतरा हो सकता था , ना जाने बलवंत के लोग मुझपर कब हमला कर देते , इसलिए मुझे हवेली में ही शिफ्ट कर दिया गया , बलवंत को भी पता चल चूका था की मैं जिन्दा बच गया हु , लेकिन उसे ये नै पता था की मुझे बचाने वाली उसकी ही बेटी है …
मेरी जो हालत थी उसमे बच पाना लगभग नामुमकिन था ,लगभग डेढ़ साल से मैं कोमा में था , मुझे होश तो आ गया था लेकिन अभी भी मेरा शरीर किसी काम का नही था , मैं अच्छे से बोल भी नहीं पा रहा था ,
अन्नू दिन भर मेरे पास बैठी रहती वो मुझे गांव के किस्से बताती , उसने बताया की अब्दुल ने UPSC का एग्जाम निकाल लिया , उसका चयन आई.ए .एस . के लिए हो गया है , कुछ दिन ही हुए वो ट्रेनिंग के लिए चला गया ..
अन्नू बताती की कभी कभी अंकित भी मुझे देखने आता,मेरे पास बैठ कर रोता लेकिन बिना कुछ कहे वंहा से चला जाता ..
समय बीत रहा था लेकिन मैं उंगलियों को थोडा मोड़ा हिलाने के अलावा और कुछ भी नहीं कर पा रहा था , मैं अंदर से टूटने लगा था , मुझे लगने लगा था की इससे अच्छी तो मौत थी , मुझे कोई कुछ बताता नहीं लेकिन मैंने महसूस किया था की शायद मेरा जीवन ऐसे ही बीतने वाला है , अम्मा और अन्नू डॉ से बात करने के बाद अक्सर दुखी दिखाई पड़ते , मेरे सामने आने पर वो अपने आंसू तो कमरे के बाहर छोड़ कर आते लेकिन उनके चहरे को देखकर मैं समझ सकता था की कोई बड़ी दिक्कत जरुर चल रही है ..
मेरे आवाज में थोड़ी ताकत आने लगी भी , मैं थोडा बहुत बोल पा रहा था …
“अन्नू मुझे क्या हुआ है , मैं अपने शरीर को महसूस क्यों नहीं कर पा रहा “
एक दिन मैंने अन्नू से कहा , मेरी आवाज बहुत कमजोर थी लेकिन अब वो समझ में आने लगी थी …
“कुछ भी नही हुआ है , तुम जल्द ही ठीक हो जाओगे “
वो मुस्कुरा कर बोली ..
झूठ मत बोलो अन्नू मुझे बताओ की आखिर मुझे हुआ क्या है …
“अरे कुछ भी तो नहीं हुआ है बाबु , तू बस आराम करो ,सब ठीक हो जाएगा …”
हर बार मैं पूछता और हर बार मुझे यही कह दिया जाता , समय बीतने लगा था , मुझे होश आये अब 4 महीने बीत चुके थे , मुझे बाहर घुमाने ले जाया जाता , जो भी मुझे देखता उसकी आँखों में मेरे लिए बस हमदर्दी होती , वो हमदर्दी मुझे इतनी चुभने लगी थी की मुझे लगता की मैं जीवन भर ऐसा ही रहने वाला हु …
मुझे वीलचेयर पर बिठाने के लिए ३ लोग लगते थे , मैं अच्छे से अपना गला भी सम्हाल नही पाता , अगर बैठने से मेरा गला निचे गिर जाता तो उसे उठाने के लिए भी एक आदमी की मदद लगती थी …
सच में ऐसे जीवन से मौत बेहतर थी …
एक दिन मेरे कमरे में कुछ लोग आये , साथ में अम्मा और अन्नू भी थे … उनमे से एक शख्स को मैं पहले भी मिल चूका था ..
वो थे डॉ चुतिया …
“अब कैसे हो कुवर …”
डॉ ने मेरे पास रखी स्टूल में बैठते हुए कहा ..
“जी रहा हु डॉ ..”
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराये
“तुम सिर्फ जीने के लिए पैदा नहीं हुए हो , तुम्हे अभी बहुत कुछ करना है , मैंने कहा था ना की मैं तुमसे फिर मिलूँगा … लो मैं फिर से आ गया …”
मैंने उनकी बातो का कोई जवाब नहीं दिया ..
“फिक्र मत करो बस आज की रात और कल से तुम बिलकुल ठीक होगे “
इतना कहकर डॉ और उनके साथ आये लोग वंहा से चले गए ..
मैं बस उन्हें देखता रह गया था , और मेरे दिमाग में बस एक ही सवाल था …आखिर कैसे ??????
nice update ..dedh saal se comma me hai nishant ,aur ab bhi apne sharir ko control nahi kar paa raha hai .
ramika ne dosti ka saath diya na ki apne baap ka ,bhale waqt par nahi bacha paayi par nadi se nikal jarur liya .
ab ye dr chutiya aisa kya karnewala hai jisse nishant bilkul theek ho jayega .
aur lodu koi baat nahi kar raha nushant se ,kya wo bhi bhag nikla nishant ki aisi halat hone par 🤣.
annu abhi bhi saath hai ye uska nishpap pyar hi hai 😍.
 

Tiger 786

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अध्याय 13
मैं अभी एक कुर्सी में बैतः हुआ था और सामने एक मोटा शख्स खड़ा था …
“तो तुम ही हो जिसके कारन हमारे लोग मारे गए …”
“आप ठाकुर बलवंत है ??? नमस्कार ठाकुर साहब “
वो मुस्कुराया
“मैंने तो सोचा था की तुम्हे लाने के लिए बहुत मारपीट करनी पड़ेगी , तुम तो खुद ही इतने आसानी से आ गए , बहुत हिम्मत है तुममे “
बलवंत मुस्कुराते हुए बोला
“ठाकुर साहब हिम्मत नहीं बस दिमाग है , इतना तो मैं समझता हु की आप मुझे यंहा जान से मारने के लिए नहीं लाये , बस इसलिए लाये हो क्योकि आपको भी अपने लोगो को जवाब देना पड़ता है …”
वो पास रखे सोफे पर बैठ गए
“अच्छा तुम्हे इतना यकीन क्यों है की हम तुम्हे जान से नहीं मरेंगे “
उनकी बात सुनकर मैं भी मुस्कुराया
“क्योकि अम्मा मुझसे कहा करती थी की आप एक दिमागदार व्यक्ति है , और दिमाग वाले पहले दिमाग चलाते है बाद में हथियार , आप एक विधायक है , मंत्री भी है , आप अपने दामन में कोई दाग लगने नहीं देंगे , आप को भी पता है की मैं अम्मा का एकलौता वारिस हु और मुझे मरने का सीधा मतलब होगा कुवरगढ़ से सीधा युद्ध का ऐलान कर देना , भले ही आप ज्यादा ताकतवर हो लेकिन ऐसा आप नहीं सीधा युद्ध नहीं चाहेंगे , कोई दिमाग वाला व्यक्ति नहीं चाहता , इसलिए मरने मारने को प्यादे होते है , राजा और राजकुमार नहीं …”
वो हँस पड़े …
“तुमने जो किया उसे देखकर मुझे ये तो समझ आ गया था की तुम दिमाग वाले हो लेकिन तुम तो राजनीती के भी जानकार निकले … अच्छा है बेचारी अम्मा को भी इससे थोड़ी राहत मिल जाएगी , क्या पीना पसंद करोगे विस्की या रम “
“ठाकुर साहब आज पूरा शरीर थक गया है एक विस्की पिला दीजिए “
वो खड़े हुए और पास बने छोटे से बार से दो पेक बना कर ले आये , उन्होंने एक पेक मेरे ओर बढ़ा दिया ..
“आप जैसे अनुभवी और खानदानी व्यक्ति के साथ बैठकर पीना मेरा सौभाग्य है “
मैंने पेक थोडा ऊँचा करते हुए कहा
“हम्म्म अम्मा का परिवार और मेरा परिवार खानदानी दुश्मन रहा है , लेकिन अम्मा के आने से चीजे बदल गई ,दोनों गांवो में थोड़ी शांति फैली ,अम्मा बात को समझती है , राजनीती समझती है और शांति और बातचीत से काम लेती है , ये अलग बात है की हमारे लोग अभी भी एक दुसरे के खून के प्यासे रहते है और ये सम्हालना हमारे लिए कभी कभी बहुत मुश्किल हो जाता है , तुमने जो किया उससे हमारे गांव के लोग बुरी तरह से बौखला गए है , अब तुम्हे जिन्दा छोड़ दिया तो मेरी इज्जत पर भी आंच आ जाएगी “
उन्होंने एक सिप लेते हुए कहा
उनकी बात सुनकर मैं मुस्कुराया
“ठाकुर साहब मुझे मारकर एक जंग शुरू करने से तो अच्छा है की कोई बीच का ही रास्ता निकाल लिया जाए , आप अपने लोगो को समझा सकते है , ऐसे ही तो इतने बड़े राजनितज्ञ नहीं कहलाते , क्यों ना अपने कोयले की माइंस वाले मामले पर कोई हल निकाल ले , मुझे पता है की आप वंहा हो रहे आन्दोलन से बहुत परेशान है , वंहा के गांव वाले आपको जमीन खोदने नहीं देंगे और वंहा आपकी भी हिस्सेदारी है , काम जितना लेट होगा उतना घाटा …”
बलवंत एक बार रुक कर मुझे देखने लगा , फिर हँस पड़ा
“तू तो सच में बहुत शातिर निकला बे …”
मैं भी हँसा ,
“आज ही काम शुरू किया हु और सबसे पहले आप की सारी डिटेल्स को एनालिसिस किया “
“हम्म पढ़ा लिखा होने के बहुत फायदे है की आप चीजो को समझने लगते हो “ वो हँसने लगे तभी कोई उस कमरे के पास से गुजरा
“अरे निशांत तुम , वाट अ प्लेसेंट सप्राइज “ एक लड़की आई और उसे देख कर मैं भी खड़ा हो गया हम दोनों ही एक दुसरे के गले से लगे ..
“तुम यंहा कैसे …???”
उसने आश्चर्य से पूछा
“बस यार तुम्हारे पापा ने मुझे किडनेप करवाया है “ मैं हँसने लगा , वो और भी आश्चर्य से अपने पिता की ओर देखने लगी
“तुम एक दुसरे को जानते हो ??”
“हम एक साथ ही पढ़े है ठाकुर साहब “
मैंने मुस्कुराते हुए उन्हें देखा
“बड़ी अजीब बात है अम्मा का भतीजा और मेरी बेटी एक साथ पढ़े है और मुझे पता भी नहीं “
मैं थोडा हँसा
“ठाकुर साहब अम्मा ने मुझे हमेशा दुनिया से छिपा कर रखा था , कालेज के समय में भी एक सामान्य बच्चे की तरह ही रहा , हां मुझे जरुर पता था की रामिका आप की बेटी है “
मैंने रामिका की ओर देखा
“अन्नू कैसी है , आजकल मेरा फोन नहीं उठा रही “
उसने फिर से सवाल दागा
“अच्छी है आज ही उसे शहर छोड़कर आया , मेरे साथ ही गांव आई हुई थी और एक गुड न्यूस भी है , हम दोनों शादी कर रहे है “
मेरी बात सुनकर रामिका उछल पड़ी
“वाओ यार , मुझे पता था की तुम दोनों के बीच कुछ तो है … तू मेरे साथ चल तुझसे बहुत सारी बाते करनी है “
रामिका ने मेरा हाथ पकड लिया , तभी ठाकुर साहब बोल पड़े
“अरे बेटा आराम से बात कर लेना ये आज यही रुकने वाला है , अभी हम थोडा बिजिनेस की बात कर ले “
रामिका मुझे बाय बोलकर निकल गई , हम फिर से बैठे , ठाकुर साहब ने एक गहरी साँस ली
“दुनिया बहुत छोटी है कुवर “
“अरे ठाकुर साहब आप मुझे क्यों कुवर बुला रहे है , आप मुझे नाम से बुलाए “
वो बस मुस्कुराये
“अब तो तुम्हे मरना और भी मुश्किल हो गया , आखिर मेरी बेटी के दोस्त भी निकल गए , लेकिन लोगो का दिल रखने के लिए मारना तो पड़ेगा ही … अब बताओ अगर ऑफर अच्छा ना हुआ तो फिर सॉरी “
मैं मुस्कुराया
“ठाकुर साहब कट टू कट वाला ऑफ़र देता हु आपके इन्वेस्टमेंट का 40 -60 “
वो हँस पड़े
“मुर्ख समझते हो क्या , पूरा पैसा मैंने लगाया और उसका 40% तुम्हे दे दू “
“ठाकुर साहब कौन सा आपने अपने जेब से पैसा लगाया है , आपके 90% शेयर तो कम्पनी ने यंहा कोयला खोदने के परमिट के एवज में आपको दिए है और बाकि जो पैसा आपने दिया वो भी कमीशन के ही है … आपके जेब से तो एक ढेला नहीं गया होगा “
“पैसा नहीं तो पॉवर तो मेरा लगा है …”
“बिलकुल और इसी हम भी तो अपने पॉवर का ही पैसा आपसे मांग रहे है , मैं चाहू तो मेरे एक बार बोलने से समझोता हो जाएगा , वरना आप कोई भी ऑफर गांव वालो के सामने रख दो , आन्दोलन नही रुकने वाला , और ये बात आप भी अच्छे से जानते हो , अगर कंपनी को घटा हुआ तो आपकी शाख पर भी सवाल उठेगा , आप नही तो कंपनी के सीईओ हमसे ही समझोता करेंगे और वो जो परसेंट हमें देंगे वो आपके ही हिस्से तो देंगे …अब आपके पास एक मौका है की आप उनके नजरो में भी बने रहे , अपनी शाख भी बचा ले और प्रॉफिट भी कमा ले “
वो सोच में पड़ गए उन्होंने एक घुट जल्दी से मारा और दूसरा पैक बनाया …
“30-70 “ उन्होंने जल्दी से कहा
मै हँस पड़ा
“क्या ठाकुर साहब यंहा क्या भाजी लेने आये है जो यु मोलभाव कर रहे है “
“बेटा एक परसेंट की कीमत यंहा 100 करोड़ से भी ज्यादा है , और मैं अकेले थोड़े खाऊंगा , पूरी पार्टी को खिलाना पड़ता है “
“सही कहा ठाकुर साहब , लेकिन सोचिये ना हमें भी तो पूरी पार्टी को खिलाना पड़ेगा … चलिए बीच का करते है 35-65 में फिक्स करते है , देखिये आप भी अच्छे से जानते है की ये डील आपके लिए फायदेमंद ही है …अब इसमें से दोनों पार्टी 5-5 पर्शेंट का रहत पैकज देंगी मतलब 500 -500 करोड़ के आसपास का , उन लोगो के लिए जिनकी जमीन जा रही है , कंपनी से बोलकर उनके लोगो को नौकरी दीजिए , अलग से जमीन दीजिए और घर बना कर दीजिए … इससे आपकी भी राजनीती चमकेगी और हमारी भी शाख बच जायेगी …”
“हम्म्म लेकिन अम्मा ने अगर मना कर दिया तो , तुम्हारे बात का क्या ही मोल है “
मैं हँसा
“फिक्र मत करिए अब से मेरे ही बात का मोल है … आप बताइए आप तो खुश है ना “
“बिलकुल…. बड़े दिनों से इस बात को लेकर परेशान था , पार्टी का प्रेशर अलग से … “
“तो एक ड्रिंक और हो जाए “
“बिलकुल “ उन्होंने एक ड्रिंक और मेरे सामने रख दी
“लेकिन अब गांव वालो को क्या बोलू ..ये सब तो तुम्हे मारने को बेचैन है “
मैं हँस पड़ा
“ठाकुर साहब अब ये तो आप मुझसे ज्यादा अच्छे से समझते है की क्या करना चाहिए … मुझे नही लगता की ये मुझे बताने की जरूरत पड़ेगी ..कम से कम 10 हजार करोड़ की डील हुई है , कुछ पैसे गांव वालो को भी खिलाइए , अभी के लिए फिर से उस बगीचे में कब्ज़ा कर लीजिए , आपके गांव वालो को थोड़ी राहत मिलेगी “
“हां लेकिन जब कोई अपने को खो देता है तो उसका दुःख बहुत ज्यादा हो जाता है , अगर किसी की मौत नहीं हुई होती तो शायद मुझे इतनी मुशकिल नहीं होती , तुमने ये गलत कर दिया कुवर “
“ठाकुर साहब…. मुझे भी तो खुद को प्रूव करना था , ये सब नहीं करता तो क्या आज आपके साथ डील कर पाने की हैसियत बना पाता , जो हुआ वो हो गया , अब से ध्यान रखेंगे की किसी की जान ना जाये , आप मेरा मोबाइल दिलवा दीजिए और मुझे उसी बगीचे में मारने भेज दीजिए सुबह का समय ज्यादा अच्छा रहेगा , मैं यंहा से सेटिंग कर देता हु वही से आपके लोगो के हाथो से बच कर निकल जाऊंगा , फिर तो कोई आप पर उंगली नहीं उठाएगा “
ठाकुर साहब सोच में पड़ गए …
“लेकिन कुवर कुछ गड़बड़ हो गई तो … अगर तुम्हारे लोग सही टाइम में नहीं आये और मेरे लोगो ने तुम्हे कुछ कर दिया तो , गड़बड़ हो जायेगी “
ठाकुर ने बात तो सही कही थी , मैंने आँखे बंद की और लौडू को आवाज लगाई
“अबे लौडू कहा सो गया है आज दिन भर से ….”
“अरे कुवर साले दिन भर से फालतू की जगहों में घूम रहा है , पार्टी ऑफिस में ले जा कर मुस्झाये हुए लंड और चूत दिखा रहा है , सब साले बुड्डे इन्हें देखकर तो कोई भी सो जाए … हा ये रामिका माल है …देगी क्या ..??”
“क्यों … तू नहीं ले सकता क्या इसकी अपनी शक्तियों से ??”
“यंहा नहीं , इसे अपने गांव के दायरे में ले जा वंहा मेरी शक्तिया काम करेगी , या तो कम से कम 10 माँ बेटे को उस पत्थर में चुदवा तो शायद मेरी शक्ति इतनी बढ़ जाए की मैं गांव के दायरे के बाहर भी लोगो को प्रभावित कर सकू …”
“ठीक , कल सुबह गांव के दायरे के भीतर हम फिर से होंगे, मेरी जान तेरे हाथो में होगी , कोई 20-30 लोगो पर जादू करना होगा तुझे कर पायेगा “
“हम्म एक साथ तो मुमकिन नहीं होगा …. हा अगर सब पत्थर के पास रहे तो बिलकुल हो जायेगा , और सभी के साथ अगर स्त्री हो और हो सके तो उनकी माँ बहन या बेटी हो , तब तो समझ ले तुझे छोड़कर सभी गैंगबैंग में लग जायेंगे “
मैं मुस्कुराया और आंखे खोल दी
“क्या हुआ कुवर …”
“एक गजब का रास्ता मिल गया ,आपके उपर कोई भी बात नही आएगी और आपके लोग खुद मुझे छोड़ देंगे , पूरा इल्जाम उन लोगो पर ही हो जायेगा …”
ठाकुर की आँखे चमक गई ..
“वो कैसे .. देखो फिर से कोई बढ़ा कांड मत कर बैठना जिसका मुझे फिर से बदला लेना पड़ जाए , दुश्मनी निभाने के चक्कर में बहुत संसाधन नष्ट हो जाते है “
“नहीं कोई हथियार उठाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी , बस अपने लोगो से बोलना की उन्हें मुझे मेरे ही गांव की सीमा के अंदर मारना है , इससे मेरे गांव वालो में दहशत फ़ैल जायेगी … और उनके साथ कुछ लडकिया भी होनी चाहिए , हो सके तो उनके ही परिवार की , सभी कोई कहिये की वो अपनी जवान बहनों , बेटियों को भी साथ ले आये , वो नवजवान है वो अपनी माओ के साथ वंहा जाए , झील के उस किनारे एक पत्थर है उसके उपर ही मेरी बलि चढ़ा दे , इससे उनका शौर्य उनके परिवार की स्त्रियाँ भी देखेंगी …क्या ये हो पायेगा …”
ठाकुर ने मुझे बड़े आश्चर्य से देखा …
“यार तुम आदमी बड़े अजीब हो , ये कैसी बात हुई , आखिर इससे तुम बचोगे कैसे ….”
“ठाकुर साहब वो मेरी टेंशन है आप बस इतना कर दीजिए , बाकि सब मैं ठीक कर दूंगा , अब तो खुश “
“ठीक है हो जायेगा , कल सुबह भोर होने से पहले ही तुम्हारा जुलुस निकाल दिया जायेगा ..”
ठाकुर साहब मुस्कुराये और अपना पेक मेरी ओर उठा दिया …..
Awesome update
 

Tiger 786

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अध्याय 13
मैं अभी एक कुर्सी में बैतः हुआ था और सामने एक मोटा शख्स खड़ा था …
“तो तुम ही हो जिसके कारन हमारे लोग मारे गए …”
“आप ठाकुर बलवंत है ??? नमस्कार ठाकुर साहब “
वो मुस्कुराया
“मैंने तो सोचा था की तुम्हे लाने के लिए बहुत मारपीट करनी पड़ेगी , तुम तो खुद ही इतने आसानी से आ गए , बहुत हिम्मत है तुममे “
बलवंत मुस्कुराते हुए बोला
“ठाकुर साहब हिम्मत नहीं बस दिमाग है , इतना तो मैं समझता हु की आप मुझे यंहा जान से मारने के लिए नहीं लाये , बस इसलिए लाये हो क्योकि आपको भी अपने लोगो को जवाब देना पड़ता है …”
वो पास रखे सोफे पर बैठ गए
“अच्छा तुम्हे इतना यकीन क्यों है की हम तुम्हे जान से नहीं मरेंगे “
उनकी बात सुनकर मैं भी मुस्कुराया
“क्योकि अम्मा मुझसे कहा करती थी की आप एक दिमागदार व्यक्ति है , और दिमाग वाले पहले दिमाग चलाते है बाद में हथियार , आप एक विधायक है , मंत्री भी है , आप अपने दामन में कोई दाग लगने नहीं देंगे , आप को भी पता है की मैं अम्मा का एकलौता वारिस हु और मुझे मरने का सीधा मतलब होगा कुवरगढ़ से सीधा युद्ध का ऐलान कर देना , भले ही आप ज्यादा ताकतवर हो लेकिन ऐसा आप नहीं सीधा युद्ध नहीं चाहेंगे , कोई दिमाग वाला व्यक्ति नहीं चाहता , इसलिए मरने मारने को प्यादे होते है , राजा और राजकुमार नहीं …”
वो हँस पड़े …
“तुमने जो किया उसे देखकर मुझे ये तो समझ आ गया था की तुम दिमाग वाले हो लेकिन तुम तो राजनीती के भी जानकार निकले … अच्छा है बेचारी अम्मा को भी इससे थोड़ी राहत मिल जाएगी , क्या पीना पसंद करोगे विस्की या रम “
“ठाकुर साहब आज पूरा शरीर थक गया है एक विस्की पिला दीजिए “
वो खड़े हुए और पास बने छोटे से बार से दो पेक बना कर ले आये , उन्होंने एक पेक मेरे ओर बढ़ा दिया ..
“आप जैसे अनुभवी और खानदानी व्यक्ति के साथ बैठकर पीना मेरा सौभाग्य है “
मैंने पेक थोडा ऊँचा करते हुए कहा
“हम्म्म अम्मा का परिवार और मेरा परिवार खानदानी दुश्मन रहा है , लेकिन अम्मा के आने से चीजे बदल गई ,दोनों गांवो में थोड़ी शांति फैली ,अम्मा बात को समझती है , राजनीती समझती है और शांति और बातचीत से काम लेती है , ये अलग बात है की हमारे लोग अभी भी एक दुसरे के खून के प्यासे रहते है और ये सम्हालना हमारे लिए कभी कभी बहुत मुश्किल हो जाता है , तुमने जो किया उससे हमारे गांव के लोग बुरी तरह से बौखला गए है , अब तुम्हे जिन्दा छोड़ दिया तो मेरी इज्जत पर भी आंच आ जाएगी “
उन्होंने एक सिप लेते हुए कहा
उनकी बात सुनकर मैं मुस्कुराया
“ठाकुर साहब मुझे मारकर एक जंग शुरू करने से तो अच्छा है की कोई बीच का ही रास्ता निकाल लिया जाए , आप अपने लोगो को समझा सकते है , ऐसे ही तो इतने बड़े राजनितज्ञ नहीं कहलाते , क्यों ना अपने कोयले की माइंस वाले मामले पर कोई हल निकाल ले , मुझे पता है की आप वंहा हो रहे आन्दोलन से बहुत परेशान है , वंहा के गांव वाले आपको जमीन खोदने नहीं देंगे और वंहा आपकी भी हिस्सेदारी है , काम जितना लेट होगा उतना घाटा …”
बलवंत एक बार रुक कर मुझे देखने लगा , फिर हँस पड़ा
“तू तो सच में बहुत शातिर निकला बे …”
मैं भी हँसा ,
“आज ही काम शुरू किया हु और सबसे पहले आप की सारी डिटेल्स को एनालिसिस किया “
“हम्म पढ़ा लिखा होने के बहुत फायदे है की आप चीजो को समझने लगते हो “ वो हँसने लगे तभी कोई उस कमरे के पास से गुजरा
“अरे निशांत तुम , वाट अ प्लेसेंट सप्राइज “ एक लड़की आई और उसे देख कर मैं भी खड़ा हो गया हम दोनों ही एक दुसरे के गले से लगे ..
“तुम यंहा कैसे …???”
उसने आश्चर्य से पूछा
“बस यार तुम्हारे पापा ने मुझे किडनेप करवाया है “ मैं हँसने लगा , वो और भी आश्चर्य से अपने पिता की ओर देखने लगी
“तुम एक दुसरे को जानते हो ??”
“हम एक साथ ही पढ़े है ठाकुर साहब “
मैंने मुस्कुराते हुए उन्हें देखा
“बड़ी अजीब बात है अम्मा का भतीजा और मेरी बेटी एक साथ पढ़े है और मुझे पता भी नहीं “
मैं थोडा हँसा
“ठाकुर साहब अम्मा ने मुझे हमेशा दुनिया से छिपा कर रखा था , कालेज के समय में भी एक सामान्य बच्चे की तरह ही रहा , हां मुझे जरुर पता था की रामिका आप की बेटी है “
मैंने रामिका की ओर देखा
“अन्नू कैसी है , आजकल मेरा फोन नहीं उठा रही “
उसने फिर से सवाल दागा
“अच्छी है आज ही उसे शहर छोड़कर आया , मेरे साथ ही गांव आई हुई थी और एक गुड न्यूस भी है , हम दोनों शादी कर रहे है “
मेरी बात सुनकर रामिका उछल पड़ी
“वाओ यार , मुझे पता था की तुम दोनों के बीच कुछ तो है … तू मेरे साथ चल तुझसे बहुत सारी बाते करनी है “
रामिका ने मेरा हाथ पकड लिया , तभी ठाकुर साहब बोल पड़े
“अरे बेटा आराम से बात कर लेना ये आज यही रुकने वाला है , अभी हम थोडा बिजिनेस की बात कर ले “
रामिका मुझे बाय बोलकर निकल गई , हम फिर से बैठे , ठाकुर साहब ने एक गहरी साँस ली
“दुनिया बहुत छोटी है कुवर “
“अरे ठाकुर साहब आप मुझे क्यों कुवर बुला रहे है , आप मुझे नाम से बुलाए “
वो बस मुस्कुराये
“अब तो तुम्हे मरना और भी मुश्किल हो गया , आखिर मेरी बेटी के दोस्त भी निकल गए , लेकिन लोगो का दिल रखने के लिए मारना तो पड़ेगा ही … अब बताओ अगर ऑफर अच्छा ना हुआ तो फिर सॉरी “
मैं मुस्कुराया
“ठाकुर साहब कट टू कट वाला ऑफ़र देता हु आपके इन्वेस्टमेंट का 40 -60 “
वो हँस पड़े
“मुर्ख समझते हो क्या , पूरा पैसा मैंने लगाया और उसका 40% तुम्हे दे दू “
“ठाकुर साहब कौन सा आपने अपने जेब से पैसा लगाया है , आपके 90% शेयर तो कम्पनी ने यंहा कोयला खोदने के परमिट के एवज में आपको दिए है और बाकि जो पैसा आपने दिया वो भी कमीशन के ही है … आपके जेब से तो एक ढेला नहीं गया होगा “
“पैसा नहीं तो पॉवर तो मेरा लगा है …”
“बिलकुल और इसी हम भी तो अपने पॉवर का ही पैसा आपसे मांग रहे है , मैं चाहू तो मेरे एक बार बोलने से समझोता हो जाएगा , वरना आप कोई भी ऑफर गांव वालो के सामने रख दो , आन्दोलन नही रुकने वाला , और ये बात आप भी अच्छे से जानते हो , अगर कंपनी को घटा हुआ तो आपकी शाख पर भी सवाल उठेगा , आप नही तो कंपनी के सीईओ हमसे ही समझोता करेंगे और वो जो परसेंट हमें देंगे वो आपके ही हिस्से तो देंगे …अब आपके पास एक मौका है की आप उनके नजरो में भी बने रहे , अपनी शाख भी बचा ले और प्रॉफिट भी कमा ले “
वो सोच में पड़ गए उन्होंने एक घुट जल्दी से मारा और दूसरा पैक बनाया …
“30-70 “ उन्होंने जल्दी से कहा
मै हँस पड़ा
“क्या ठाकुर साहब यंहा क्या भाजी लेने आये है जो यु मोलभाव कर रहे है “
“बेटा एक परसेंट की कीमत यंहा 100 करोड़ से भी ज्यादा है , और मैं अकेले थोड़े खाऊंगा , पूरी पार्टी को खिलाना पड़ता है “
“सही कहा ठाकुर साहब , लेकिन सोचिये ना हमें भी तो पूरी पार्टी को खिलाना पड़ेगा … चलिए बीच का करते है 35-65 में फिक्स करते है , देखिये आप भी अच्छे से जानते है की ये डील आपके लिए फायदेमंद ही है …अब इसमें से दोनों पार्टी 5-5 पर्शेंट का रहत पैकज देंगी मतलब 500 -500 करोड़ के आसपास का , उन लोगो के लिए जिनकी जमीन जा रही है , कंपनी से बोलकर उनके लोगो को नौकरी दीजिए , अलग से जमीन दीजिए और घर बना कर दीजिए … इससे आपकी भी राजनीती चमकेगी और हमारी भी शाख बच जायेगी …”
“हम्म्म लेकिन अम्मा ने अगर मना कर दिया तो , तुम्हारे बात का क्या ही मोल है “
मैं हँसा
“फिक्र मत करिए अब से मेरे ही बात का मोल है … आप बताइए आप तो खुश है ना “
“बिलकुल…. बड़े दिनों से इस बात को लेकर परेशान था , पार्टी का प्रेशर अलग से … “
“तो एक ड्रिंक और हो जाए “
“बिलकुल “ उन्होंने एक ड्रिंक और मेरे सामने रख दी
“लेकिन अब गांव वालो को क्या बोलू ..ये सब तो तुम्हे मारने को बेचैन है “
मैं हँस पड़ा
“ठाकुर साहब अब ये तो आप मुझसे ज्यादा अच्छे से समझते है की क्या करना चाहिए … मुझे नही लगता की ये मुझे बताने की जरूरत पड़ेगी ..कम से कम 10 हजार करोड़ की डील हुई है , कुछ पैसे गांव वालो को भी खिलाइए , अभी के लिए फिर से उस बगीचे में कब्ज़ा कर लीजिए , आपके गांव वालो को थोड़ी राहत मिलेगी “
“हां लेकिन जब कोई अपने को खो देता है तो उसका दुःख बहुत ज्यादा हो जाता है , अगर किसी की मौत नहीं हुई होती तो शायद मुझे इतनी मुशकिल नहीं होती , तुमने ये गलत कर दिया कुवर “
“ठाकुर साहब…. मुझे भी तो खुद को प्रूव करना था , ये सब नहीं करता तो क्या आज आपके साथ डील कर पाने की हैसियत बना पाता , जो हुआ वो हो गया , अब से ध्यान रखेंगे की किसी की जान ना जाये , आप मेरा मोबाइल दिलवा दीजिए और मुझे उसी बगीचे में मारने भेज दीजिए सुबह का समय ज्यादा अच्छा रहेगा , मैं यंहा से सेटिंग कर देता हु वही से आपके लोगो के हाथो से बच कर निकल जाऊंगा , फिर तो कोई आप पर उंगली नहीं उठाएगा “
ठाकुर साहब सोच में पड़ गए …
“लेकिन कुवर कुछ गड़बड़ हो गई तो … अगर तुम्हारे लोग सही टाइम में नहीं आये और मेरे लोगो ने तुम्हे कुछ कर दिया तो , गड़बड़ हो जायेगी “
ठाकुर ने बात तो सही कही थी , मैंने आँखे बंद की और लौडू को आवाज लगाई
“अबे लौडू कहा सो गया है आज दिन भर से ….”
“अरे कुवर साले दिन भर से फालतू की जगहों में घूम रहा है , पार्टी ऑफिस में ले जा कर मुस्झाये हुए लंड और चूत दिखा रहा है , सब साले बुड्डे इन्हें देखकर तो कोई भी सो जाए … हा ये रामिका माल है …देगी क्या ..??”
“क्यों … तू नहीं ले सकता क्या इसकी अपनी शक्तियों से ??”
“यंहा नहीं , इसे अपने गांव के दायरे में ले जा वंहा मेरी शक्तिया काम करेगी , या तो कम से कम 10 माँ बेटे को उस पत्थर में चुदवा तो शायद मेरी शक्ति इतनी बढ़ जाए की मैं गांव के दायरे के बाहर भी लोगो को प्रभावित कर सकू …”
“ठीक , कल सुबह गांव के दायरे के भीतर हम फिर से होंगे, मेरी जान तेरे हाथो में होगी , कोई 20-30 लोगो पर जादू करना होगा तुझे कर पायेगा “
“हम्म एक साथ तो मुमकिन नहीं होगा …. हा अगर सब पत्थर के पास रहे तो बिलकुल हो जायेगा , और सभी के साथ अगर स्त्री हो और हो सके तो उनकी माँ बहन या बेटी हो , तब तो समझ ले तुझे छोड़कर सभी गैंगबैंग में लग जायेंगे “
मैं मुस्कुराया और आंखे खोल दी
“क्या हुआ कुवर …”
“एक गजब का रास्ता मिल गया ,आपके उपर कोई भी बात नही आएगी और आपके लोग खुद मुझे छोड़ देंगे , पूरा इल्जाम उन लोगो पर ही हो जायेगा …”
ठाकुर की आँखे चमक गई ..
“वो कैसे .. देखो फिर से कोई बढ़ा कांड मत कर बैठना जिसका मुझे फिर से बदला लेना पड़ जाए , दुश्मनी निभाने के चक्कर में बहुत संसाधन नष्ट हो जाते है “
“नहीं कोई हथियार उठाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी , बस अपने लोगो से बोलना की उन्हें मुझे मेरे ही गांव की सीमा के अंदर मारना है , इससे मेरे गांव वालो में दहशत फ़ैल जायेगी … और उनके साथ कुछ लडकिया भी होनी चाहिए , हो सके तो उनके ही परिवार की , सभी कोई कहिये की वो अपनी जवान बहनों , बेटियों को भी साथ ले आये , वो नवजवान है वो अपनी माओ के साथ वंहा जाए , झील के उस किनारे एक पत्थर है उसके उपर ही मेरी बलि चढ़ा दे , इससे उनका शौर्य उनके परिवार की स्त्रियाँ भी देखेंगी …क्या ये हो पायेगा …”
ठाकुर ने मुझे बड़े आश्चर्य से देखा …
“यार तुम आदमी बड़े अजीब हो , ये कैसी बात हुई , आखिर इससे तुम बचोगे कैसे ….”
“ठाकुर साहब वो मेरी टेंशन है आप बस इतना कर दीजिए , बाकि सब मैं ठीक कर दूंगा , अब तो खुश “
“ठीक है हो जायेगा , कल सुबह भोर होने से पहले ही तुम्हारा जुलुस निकाल दिया जायेगा ..”
ठाकुर साहब मुस्कुराये और अपना पेक मेरी ओर उठा दिया …..
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अध्याय 14

ठाकुर ने मुझे हिदायत दी थी की मैं अपने कमरे से ना निकलू , लोगो को बताया गया था की मुझे कैद में रखा गया है , मैंने अम्मा से बात करने की बात की तो उन्होंने मेरा मोबाइल भी मुझे लौटा दिया था …
मैं अपने कमरे में बैठा था की रामिका वंहा आई …
उसके हाथो में एक थाली थी …
“तुम्हारा फेवरेट बिरियानी और कबाब “
“वाओ तुम्हे याद है ..???”
“अरे यार कैसे भूलूंगी , ऐसे ये लफड़ा क्या है , पापा ने तुम्हे किडनेप करवाया और तुम्हारे साथ बैठ कर ड्रिंक कर रहे थे , और कोई कैदी को बिरियानी खिलाता है क्या ..??”
मैं हँस पड़ा
“बेबी ये सब राजनीती की बाते है , तुम छोडो और बताओ कैसा चल रहा है “
“क्या बताऊ यार कालेज के बाद से सब कुछ बेकार लगता है , पापा को पड़ी है की मेरी शादी करवा दे , और मुझे इनका बिजिनेस सम्हालना है , लेकिन नहीं बिजिनेस अंकुर सम्हालेगा (अंकुर रामिका का छोटा भाई है जो अभी स्कुल में था ) , वाह ये क्या बात हुई …”
“कोई नहीं ठाकुर साहब से मैं बात करके देखूंगा , ऐसे तुम एक अच्छी बिजनेसवुमेन बनोगी , और साथ में एक अच्छी राजनितज्ञ भी “
“कास पापा भी मुझपर इतना भरोसा करते , छोडो तुम खाओ … तुमने मुझे सच में सरप्राइज कर दिया .. यार मेरे दो दोस्तों की शादी … मजा आ जायेगा “
वो बच्चो के जैसे उछली , मैं भी उसे देख कर हँसने लगा
“हा मजा तो आएगा , अगर मैं आज यंहा से जिन्दा बच कर चला गया “
‘यार फिक्र मत करो पापा तुम्हे कुछ भी नहीं करेंगे “
“मुझे पता है रामिका , लेकिन उन लोगो का क्या जिनके परिवार वाले मेरे कारण मारे गए “
“ओह आम के बगीचे में हुई लड़ाई में तुम्हारा भी हाथ था …” वो चौकी
“तो तुम्हे क्या लगता है मुझे यंहा क्यों पकड कर लाया गया … चलो छोडो , अभी थोडा आराम कर लेता हु , सुबह ही मुझे उन लोगो के हवाले सौप दिया जायेगा ,कुछ प्लानिंग भी करनी होगी जिन्दा बचने के लिए … सब ठीक रहा तो मैं तुम्हे फोन करता हु आराम से मिलकर बात करते है “
‘यार ये तुम क्या कह रहे हो मुझे तो डर लग रहा है “
“डरो मत मैं कुछ जुगाड़ लगा लूँगा …”
मैंने उसे भेजा और फिर अम्मा को काल लगा दिया , उन्हें मैंने कहा की सिर्फ दो लोगो को झील से थोड़ी दूर रहने बोल देना , मैं भाग कर वही आऊंगा, कोई झील की तरफ ना जाए और किसी को इस बात की कानो कान खबर भी नहीं होनी चाहिए , अम्मा पहले तो डर गई लेकिन मैंने उन्हें समझाया की मैंने बलवंत के साथ एक डील की है , मैंने उन्हें सारी बात बताई , उन्हें ये कहा की बलवंत मुझे वंहा से निकालेगा …
ऐसे तो आँखों में नींद नही थी लेकिन मैंने सोने की कोशिस की , सुबह के 4 बजे का वकत था जब मुझे किसी ने उठाया , ये खुद ठाकुर साहब थे …
“चलिए कुवर जाने का समय हो गया …”
उन्होंने मुझे निचे एक कोठी में ले जाकर बंद कर दिया , कुछ देर बाद कुछ लोग आये और उन्होंने मेरे हाथ बांध दिए और लगभग घसीटते हुए एक गाडी में बिठा दिया …
मैंने चारो ओर देखा , वंहा सिर्फ मर्द ही मर्द दिखाई दे रहे थे , पास ही ठाकुर बलवंत भी खड़े हुए मुस्कुरा रहे थे …
वो मेरे पास आये ..
“कुवर बाते तो बहुत अच्छी करते हो तुम , दिमाग भी बहुत चलाते हो लेकिन तुम ये भूल गए की मैं एक राजनेता हु , वादों से मुकरना मेरी पुरानी आदत है , एक अम्मा ने मेरे नाक में दम कर रखा है अब उसके भतीजा आ गया , वो भी अम्मा से कई गुना शातिर .. यार माफ़ करना लेकिन तुम्हे छोड़ देना खुद के पैरो में कुल्हाड़ी मरने जैसा होगा , कल को तुम बड़े नेता बन जाओगे तो साला मेरी ही तो मुश्किल बढ़ेगी ना ….अगर तुम कोई चूतिये होते तो शायद तुम्हे छोड़ भी देता लेकिन तुम बड़े शातिर हो तुम्हे नहीं छोडूंगा .. बाय बाय कुवर जी “
बलवंत की बात सुनकर मेरी हालत गंभीर हो गई , ये साला तो सच में नेता निकला सीधे बात से पलट गया ..
“सुनो बे इसके इलाके में नहीं जाना है समझ गए , और ख़ामोशी से मारो साले को फिर जश्न मनाते है “
बलवंत की बात सुनकर मैं काँप गया , साला बलवंत बहुत चालू निकला , आज मौत साफ साफ दिखाई देने लगी थी , उन लोगो ने मुझे जिप में डाला और चल दिए …
“तू तो गया रे छोटे …अपने को बहुत शातिर समझता था ना अब भुगत , बोला था तुझे की जितनी हो सके उतनी लडकिया चुदवा ले , अभी तक मेरी भी शक्ति बढ़ जाती , लेकिन नहीं तुझे तो शराफत का भुत चढ़ा था , तू तो गया बेटा “ अचानक से लौडू की आवाज आई
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चूका था , गांव के बाहर लौडू बेअसर था वही इन लोगो के साथ कोई लड़की भी नहीं थी , कुल मिलाकर आज मेरा मरना तय था ..
ये लोग मुझे एक बड़े से आम के बगीचे में ले गए , ये वही बगीचा था जो दोनों गांवो की सीमा पर था और यही वो कांड हुआ था जिसके कारन मैं यंहा था …
‘भाई इसी कमीने के कारण हमारे लोग मरे थे , इस साले को आसन मौत नहीं देंगे , इसे ऐसी मौत मारेंगे की आज के बाद कोई कुवरपुर वाला हमारे ओर देखने से भी काँप जायेंगे “
“सही कहा तुमने …इस साले को तो कुत्ते की मौत मारेंगे , बांध दो साले को “
उन्होंने मुझे एक पेड़ से बांध दिया..
एक आदमी सामने आया और उसने मेरे पेट में एक जोरदार मुक्का मारा ,
“आआ आ …” मेरे मुह से एक चीख निकली , उसके बाद कुछ लोग डंडा पकड कर आ गए और उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया …
मैं चिल्लाने लगा लेकिन यंहा रहम की कोई गुंजाईश नहीं बची थी , तभी एक ने मेरे सर पर पिस्तौल तान दी
“मादरचोद खुद को बहुत बढ़ा हीरो समझता है , क्या बोला था ये अपने साथी को ,फिक्र मत करो मुझे कुछ नहीं होगा .. मैं कल तक वापस आ जाऊंगा … हलवा है क्या ??? हमारे गांव के लोगो को मरवा कर तु जिन्दा कैसे जायेगा रे कुवर…. “
धाय …
एक गोली सीधे मेरे कानो के पास से गुजरी . कुछ देर तक सब कुछ सन्नाटा सा हो गया , मुझे उन लोगो के हसते हुए चहरे दिखाई दे रहे थे , वो सभी मुझपर ही हँस रहे थे ..
एक आदमी ने मेरे मुह को पकड लिया
“फिक्र मत कर इतने जल्दी नहीं मारेंगे तुझे “ सभी जोरो से हँसने लगे
उन लोग ने आग जलाई और एक सरिया उसमे गर्म करने लगे , उसे देख कर मैं काँप रहा था ,मौत सामने दिखाई दे रही थी , जो कुछ जीवन में किया सब आँखों के सामने चलने लगा था . आँखों के सामने अम्मा तो कभी अन्नू की तस्वीर आ जाती , दोनों कितने खुश थे , घर में शादी की धूम होने वाली थी लेकिन अब … अब मेरे मौत का मातम होगा … मेरे मर जाने के बाद गांव वालो का क्या होगा ,वो हमेशा कहते थे की गांव की जिमेदारी मेरे उपर है , उस श्राप का क्या होगा ???, भाभियों का क्या होगा ???
इतनी जिम्मेदारियों का बोझ लेकर मैं सुकून से कैसे मर सकता था ??
उन्होंने गर्म सरिया उठा लिया
मौत सामने तांडव करने लगी थी ,मैंने अपनी आँखे बंद कर ली , मुझे अपने चहरे के पास गर्मी का अहसास हुआ …
“आँख खोल साले नपुंसक …” कोई चिल्लाया , मैंने आँखों को और भी जोरो से बंद कर लिया ,उन्होंने मेरे आँखों को जबरदस्ती खोलने की कोशिस की लेकिन मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी , सरिये की गर्मी मुझे साफ महसूस हो रही थी , उन्होंने हलके उसे उसे मेरे गालो में झुआ दिया ..
“नही ………” मैं चीखा
वो खिलखिलाकर हँसने लगे
“ये टाइम पास बंद करो , इसे मारो और निकलो , ठाकुर साहब का फोन आ रहा है “
एक अधेड़ उम्र का आदमी बोल उठा
“भैया बहुत मजा आ रहा है , और ठाकुर साहब को आखिर क्या जल्दी है ??”
जिसके हाथ में सरिया था वो बोल उठा , लेकिन इससे वो अधेड़ उम्र का व्यक्ति गुस्सा हो गया
“भोसड़ी के तू बहस करेगा … जल्दी करो और लाश ठिकाने लगा दो “
सरिया पकडे हुए आदमी ने मुह बनाया और सरिया सीधे मेरे पेट में घोंप दिया ..
“माँ चुदा …”
“आआआअ … “ दर्द से मैं चिल्ला उठा , इस दर्दनाक चीख से पूरा बगीचा ही गूंज उठा ,लेकिन यंहा मेरी चीख को सुनने वाला कोई भी नहीं था …
“अबे क्या बकचोदी कर रहे हो तुम लोग हटो ..” वो अधेड़ आदमी इस हरकत से गुस्से में आ गया , उसने सभी को हटाया और पिस्तौल मेरे सामने तान दी ..
धाय धाय धाय …
तीन गोलिया सीधे मेरे शरीर पर जा लगी , मेरे सामने अब सब धुंधला होने लगा था , शरीर से खून फुहारे मार कर बह रहा था , तभी किसी ने मेरे शरीर में लगा हुआ सरिया निकाल दिया …
“इसे नदी में फेक दो “
आँखे बंद होते होते मुझे बस यही सुनाई दिया था ……….
Behtreen update
 
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