SANJU ( V. R. )
Divine
शहर से गांव आने के हफ्ते दस दिनों में इतना कुछ हो गया जो अमूमन किसी व्यक्ति के साथ होता नहीं है । बहुत ही मनहूस घड़ी होगी जब निशांत ने शहर छोड़ा होगा । गांव आते ही उसके पाक दामन पर दाग लगना शुरू हुआ....मन में सेक्स को लेकर बुरी बुरी भावनाएं पनपने लगी....कम उम्र में ही उसे घर और गांव की बड़ी रिस्पांसबिलिटी सम्हालने को कहा गया और आखिर में एक बुरी आत्मा ने उस पर अपना अधिकार जमा लिया ।
अभी तो इससे भी ज्यादा बुरा होना बाकी था । मैच्योरिटी के अभाव में बलवंत जैसे घाघ राजनीतिक पर भरोसा कर बैठा और मौत के दहलीज पर जा खड़ा हुआ ।
वो करीब डेढ़ साल से कोमा में रहा और जब होश आया तब उसे महसूस हुआ कि वो एक मृत व्यक्ति से भी बदतर अवस्था में पहुंच गया है । भगवान ऐसा किसी के साथ न करें । इससे बेहतर तो मौत ही है ।
इस दुखद क्षण में कांति देवी और अनू ने उसका भरपूर साथ दिया । दोनों महिलाएं , सच में निशांत की वेल वीशर हैं । अंकित ने भी हर समय अपनी मौजूदगी दर्ज करा के दोस्ती का फर्ज निभाया । रमिका , जो बलवंत की सुपुत्री है , ने भी एक सहपाठी का धर्म निभाया । बहुत ही अच्छे अच्छे लोग उसके इर्द गिर्द हैं और यह निशांत के लिए सौभाग्य की बात है ।
एक अपडेट में आपने रामधारी सिंह दिनकर की कविता का उल्लेख किया था । बहुत ही बेहतरीन कविता थी । प्रेरणादायक और सच्चाई से रूबरू कराती हुई कविता ।
वैसे डॉ चुन्नीलाल की मौजूदगी से ऐसा लगता है निशांत के बुरे दिन , बस कुछ दिन के लिए ही है । वो जल्दी से स्वस्थ हो और सबसे पहले बलवंत सिंह से अपना हिसाब चुकता करे और उसके बाद गांव की नारियों का उद्धार !
सभी अपडेट्स बेहद ही शानदार थे डॉ साहब ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
अभी तो इससे भी ज्यादा बुरा होना बाकी था । मैच्योरिटी के अभाव में बलवंत जैसे घाघ राजनीतिक पर भरोसा कर बैठा और मौत के दहलीज पर जा खड़ा हुआ ।
वो करीब डेढ़ साल से कोमा में रहा और जब होश आया तब उसे महसूस हुआ कि वो एक मृत व्यक्ति से भी बदतर अवस्था में पहुंच गया है । भगवान ऐसा किसी के साथ न करें । इससे बेहतर तो मौत ही है ।
इस दुखद क्षण में कांति देवी और अनू ने उसका भरपूर साथ दिया । दोनों महिलाएं , सच में निशांत की वेल वीशर हैं । अंकित ने भी हर समय अपनी मौजूदगी दर्ज करा के दोस्ती का फर्ज निभाया । रमिका , जो बलवंत की सुपुत्री है , ने भी एक सहपाठी का धर्म निभाया । बहुत ही अच्छे अच्छे लोग उसके इर्द गिर्द हैं और यह निशांत के लिए सौभाग्य की बात है ।
एक अपडेट में आपने रामधारी सिंह दिनकर की कविता का उल्लेख किया था । बहुत ही बेहतरीन कविता थी । प्रेरणादायक और सच्चाई से रूबरू कराती हुई कविता ।
वैसे डॉ चुन्नीलाल की मौजूदगी से ऐसा लगता है निशांत के बुरे दिन , बस कुछ दिन के लिए ही है । वो जल्दी से स्वस्थ हो और सबसे पहले बलवंत सिंह से अपना हिसाब चुकता करे और उसके बाद गांव की नारियों का उद्धार !
सभी अपडेट्स बेहद ही शानदार थे डॉ साहब ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
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