reeya batliwala
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awesome update hai dr sahab,अध्याय 17 जैसे एक तूफ़ान थम चूका हो , चारो ओर बस शांति थी …
चमन ने मेरे कंधे पर हाथ रखा …
“तुम्हे इन शक्तियों का उपयोग करना सीखना होगा , मेरे ख्याल से तुम्हे कुछ दिनों के लिए घर से दूर रहना चाहिए “
बाकि सभी लोगो को भेजने के बाद मैं और चमन वही रुक गए , सुबह होते ही वही पास पहाड़ी के नीचे मेरे लिए एक झोपडी बनवा दी गई , अभी मुझे कुछ दिनों तक वही रुकना था ..
चमन दिन भर मुझे ज्ञान दे रहा था जिसमे मुझे बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं था लेकिन मैं उसे सुनता रहा , आखिर कार शाम होने को आई …
“यंहा से तुम्हारा सफ़र अकेले ही रहेगा निशांत , याद रखना की शायद पूरी दुनिया तुम्हारे साथ चले लेकिन तुम रहोगे अकेले ही , यही इस शक्ति का अभिश्राप है “
मैंने उसकी बात सुन ली लेकिन मुझे वो बात समझ नहीं आई ..
शाम होते ही मुझे कुछ विधिया बताकर वो वंहा से चला गया , मेरे मन में अन्नू को देखने की उससे मिलनी की इक्छा बलवती हो रही थी , लेकिन चमन ने कह रखा था की 15 दिनों तक मुझसे कोई भी शाम को मिलने ना आये , हो सके तो कोई मिलने ही ना आये और आना हो तो सुबह भोर के समय से दोपहर ढलने से पहले तक मिलकर चला जाए , मुझे अपना खाना भी खुद ही बनाना था , ये सब सिर्फ इसलिए की मैं इन शक्तियों को अच्छे से समझ पाऊ …
शाम हो चली थी और मैं अकेले बैठे बैठे बोर हो रहा था तो मैं झील के पास पंहुचा , दूसरी ओर मुझे बहुत भीड़ दिखाई दी , स्वाभाविक था की वंहा हुए हत्याकांड के बाद लोगो को लाश मिल गई होगी , मुझे वंहा पुलिस वाले भी दिखाई दे रहे थे , किसी ने मुझे वंहा देख लिया और पुलिस वाले मुझतक पहुचे …
“कौन हो तुम और यंहा क्या कर रहे हो …”एक पुलिस वाले ने कडक आवाज में पूछा , उसके कंधे पर बने स्टार से लग रहा था की वो एक इंस्पेक्टर है
मैं इस समय एक उसी पत्थर में बैठा हुआ था …
“मैं कुवर पुर का रहने वाला हु ,निशांत ठाकुर , अम्मा का भतीजा हु , मैं यंहा अक्सर घुमने आता हु “
मेरी बात सुनकर वो थोडा सकपकाया
“ओह कुवर आप …मैंने तो सुना था की आप कोमा में है “
“हा कोमा में ही था , कुछ दिनों पहले ही होश आया , यंहा क्या हुआ है “
“कुछ लोग जंगल की ओर आये हुए थे , वापस नहीं पहुचे , सर्च के लिए गांव वाले आये तो कई लाशे मिली , कुछ को तो बहुत बुरी तरह से मारा गया है , ऐसा लगता है की किसी दरिन्दे का काम है “
मैं थोड़े देर तक खामोश रहा
“आज कल माहोल सही नहीं चल रहा , मुझे तो लगता है की कोई अपराधी गिरोह इन जंगलो में घूम रहा है “
मैंने हलके स्वर में कहा , इंस्पेक्टर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी फिर अचानक बोला
“कुवर मेरी मानिये तो आप भी अकेले इधर मत आया कीजिये , सभी को पता है आप पर हमला किसने करवाया था , लेकिन कोई पुलिस कम्प्लेंट नहीं की गई , अब ये क्या पता की आपके ही गांव के लोगो का काम हो “
मैं हँसने लगा और इंस्पेक्टर के कंधे पर हाथ धर दिया …
“इनमे से कुछ लोग वही थे जिन्होंने मुझपर हमला किया था , लेकिन अभी बदला बराबर नहीं हुआ है , और इन लोगो को मेरे गांव वालो ने नही बल्कि मैंने मारा है , वो भी अकेले “
इंस्पेक्टर मुझे देखने लगा फिर मुस्कुराया
“क्यों मजाक करते हो कुवर , अम्मा के बहुत अहसान है मुझपर किसी और के सामने ये मत कहियेगा, एक भी सबुत अगर आपके खिलाफ मिल गया तो बलवंत आपको जेल पहुचाने के लिए पूरा जोर लगा देगा , अभी उसकी ही सरकार है… आप अभी अभी तो कोमा से उठे हो , आराम कीजिये … हो सकते हो इस इलाके में मत आया कीजिये बहुत खतरा है ,बाकि मुझे सम्हालने दो …”
मैंने उसके बेच को देखा नाम था वीरेंदर प्रताप , 30 साल का युवा था , दिखने में अच्छा खासा लग रहा था ..
मैंने उसकी बात पर सहमती दी और वो वंहा से वापस चला गया ..
मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ , मुझे यु होशियारी नहीं दिखानी चाहिए अभी बलवंत सच में ताकतवर है ,पहले उसे कमजोर करना जरुरी था …
रात हो चुकी थी मैं झील के किनारे उसी पत्थर में बैठा हुआ सामने बह रही झील की आवाज में खोया था , पास ही मैंने थोड़ी आग जलाई थी , ये अजीब परीक्षा थी इतने दिन आखिर मुझे अकेले रहने क्यों कह दिया गया था , अकेलापन भी बहुत बेचैन करता है , मैं भी बेचैन हो रहा था ..
अचानक कही से छम छम की आवाजे आनी शुरू हो गयी , मैंने चारो ओर देखा लेकिन कही कोई नहीं दिखाई दे रहा था , ऐसा लग रहा था जैसे कई ओरते एक साथ मेरे तरफ ही आ रही है ,,,चारो ओर देखने पर भी कही कोई नहीं दिखा , मुझे लगा की शायद ये कोई वहम होगा , मैंने आँखे बंद कर ली उस मनोरम जगह के सुकून में कुछ देर मैं खुद को भर लेना चाहता था ..
“कुवर ..”
एक प्यारी आवाज मेरे कानो में पड़ी ..
“कौन है …” मैंने झटके से आँखे खोली , इधर उधर देखा लेकिन कही कोई भी नहीं था
क्या ये वहम था ???
लेकिन कैसे वो मधुर आवाज , वो भी इतना स्पष्ट ??
मैंने फिर से आँखे बंद की इस बार किसी ने मेरे कानो को कांट लिया ..
“आऊ ..” मैं झटके से उठ कर बैठ गया , कही कोई नहीं था ..
डर की एक हलकी सी अनुभूति मेरे अंदर आई ,हलकी हवाओ ने जिस्म को सहलाया और एक झुरझुरी सी उठी …
“क्या हो रहा है ये , कौन है …???”
मैं डर तो रहा था लेकिन फिर भी मेरे अंदर उत्तेजना ज्यादा थी डर कम
“कुवर जी….”
फिर से एक हवा का झोका मुझे छू के निकला
“अबे लौडू उठ ये क्या हो रहा है , मैं पागल हो रहा हु या मैं नींद में हु “
मैंने लौडू को आवाज दी
“ओ साला , बिना लडकियों के मुझे मत जगाया कर , मुझे भुत नहीं मुझे चूत चाहिए … आई वांट पुसीस बेबी “
“अबे भोसड़ीके अंग्रेज , चूत तब मिलेगी ना जब मैं जिन्दा रहूँगा , बता ये सब क्या हो रहा है “
“कुवर जी …” एक हवा का झोका फिर से मुझे छूता हुआ निकला
‘ओ माय गॉड , इतनी सेक्सी आवाज , आवाज इतनी सेक्सी है तो ये कितनी होगी “ लौडू बोल उठा
“मतलब ये सही है ये आवाजे सही में आ रही है “
“बिलकूल मेरे दोस्त लगता है इस वीराने में भी फुल खिलने वाला है “
लौडू की बात सुनकर मैं थोडा चौकन्ना हुआ
“कौन है सामने आओ …”
मैंने जोरो से चिल्लाया
तभी झील के पानी में कुछ हलचल हुई ऐसा लगा जैसे वंहा से कोई बाहर निकल रहा है ..
मैं बिलकुल चौकन्ना हो गया , तभी ऐसा लगा जैसे कोई पीछे है ..
चारो ओर से छम छम की आवजे आने लगी , और देखते ही देखते कई ओरतो का जिस्म मेरे सामने प्रगट होने लगा , सभी ने सफ़ेद रंग की साडी पहनी थी जो उनके जिस्म में बिलकुल ही फिट थी , मेरे चारो ओर ओरते थी , वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी वही मैं बिलकुल आवाक था ..
तभी सामने झील से एक ओरत निकल कर आई , वो पानी से निकल कर आ रही थी लेकिन उसके बाल गिले नहीं थे , चाल किसी साधे हुए मॉडल की तरह थी , उस कामिनी की काय को देखकर अच्छे अच्छो का जी मचल जाए , सुराहीदार कमर और उठे हुए कुल्हो वही वो अप्सरा मुझे किसी स्वप्न का भान करवा रही थी , पैरो के घुंघरू छम छम की आवाज कर रहे थे लेकिन इतने कोमल प्रतीत हो रहे थे की एक बार मेरी नजर उसके पैरो की ओर भी चली गई , और मैंने जो देखा वो देखकर मेरी सांसे एक पल के लिए थम ही गई …
वंहा कोई पैर नहीं था , मात्र पैरो का आभास था , वो हवा में थी , जब मैंने थोड़े ध्यान से देखा तो पाया की शायद उनके धड तक का ही अस्तित्व है , निचे साडी के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन इतना तो मुझे पता था की ये लोग हवा में लटके है और इनके पैर गायब है …
वो मेरे पास आई , दुधिया रंग और खुले काले बाल , माथे में एक बड़ी सी बिंदिया लगाये हुए थी, वक्षो को सफ़ेद रंग के अन्तःवस्त्र ढके हुए थे लेकिन उभरे वक्षो सुडोलता में कोई कमी नहीं थी , वही कमर का भाग किसी कपडे से विहीन था जिससे उसकी दुधिया कमर चमक रही थी …
“कुवर ..”
वो मेरे पास आकर बोली , ऐसे लगा जैसे उसके शब्द हवा में घुलकर चारो ओर फ़ैल गए हो …
इन्हें देखकर जन्हा मैं सचेत होकर खड़ा हो गया था , वही लौडू ने अपना आतंक दिखाते हुए मेरा खड़ा कर दिया था,
“भोसड़ीवाले तुझे हॉरर और इरोटिक में अंतर समझ नहीं आता क्या , इतना क्यों खुश हो रहा है “ मैंने उसे डांटा
“भाई क्या मस्त माल है देख तो उनको , पकड़ कर बस …आ …मजा आ जायेगा “
“चुप कर भोसड़ीके पता नहीं ये है क्या , पहले समझ तो लेने दे की क्या हो रहा है ??”
मैंने लौडू को चुप करवाया और उनकी ओर देखने लगा
“कौन हो तुम लोग “
सभी किसी भुत की तरह हवा में उड़ते हुए मेरे बहुत पास आ चुके थे
“हम सभी चुड़ैले है कुवर , मैं इनकी मुखिया हु, मेरा नाम है कोकू “
“इतनी सुंदर चुड़ैले ??? मैंने तो सोचा था की चुड़ैले बदसूरत होती होंगी “
वो हलके से मुस्कुराई
“हम सालो से आपकी प्रतीक्षा कर रहे थे कुवर “
“मेरी प्रतीक्षा ???”
“जी , सालो पहले हमें एक जादूगर ने यंहा कैद कर रखा था , अपने उसे मारकर हमें आजाद कर दिया “
“क्या …???”
मैं बुरी तरह से चौका , मैंने कहा कोई जादूगर को मारा था
“जी कुवर गलती से ही सही लेकिन आपने जब कल गोलिया चलाई थी तो वो पेड़ के नीचे ध्यान कर रहे जादूगर को लगी , उसने सिद्धि हासिल की थी जिससे वो सिर्फ अमावास की रात में और वो भी किसी शैतान के अंश धरने वाले के हाथो से ही मर सकता था , कल ये दोनों चीजे एक साथ हो गई , इससे हम तो आजाद हो गए लेकिन इस झील में हम कैद है , रात में तो हम निकल सकते है लेकिन दिन में नहीं , जब तक जादूगर के शरीर को जलाया नहीं जायेगा तब तक हम पूर्ण तरह से मुक्त नहीं होंगे , आपसे निवेदन है की हमें मुक्त कीजिये और हमें अपना पूर्ण रूप प्रदान कीजिये …”
सभी मेरे सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई …
“भाई कुछ लोचा मालूम हो रहा है , साला तू इन्हें मुक्त करेगा तो आखिर तुझे क्या मिलेगा “ लौडू बोल उठा …
जैसे कोकू ने मेरे मन की बात सुन ली हो वो बोल पड़ी
“अगर हम आजाद होकर अपने पूर्ण रूप में आ गई तो हम आपको हर चीज दे सकते है , छिपा हुआ खजाना , या पूर्ण यौवन से भरी सुंदर हुरे , या विश्वविजेता वाली ताकत , आप जो बोले हम वो आपको दिला सकते है ….”
मैं शांत था मैंने अपने जीवन को एक बार फिर से देखा , जीवन में किसी भी चीज का कोई मतलब नहीं रह जाता , हर चीज पुरानी हो जाती है , हवस और इक्षाए कभी पूरी नही होती , कोई चीज हमें हमेशा के लिए ख़ुशी नहीं देती , जो चिरस्थाई है वो केवल मैं का होना है , अपना अस्तित्व ही स्थाई है , शायद मरने के बाद , इस शरीर को छोड़ने के बाद भी जो बचेगा वो केवल अस्तित्व ही होगा , और सभी नश्वर ही है , और जो नश्वर ही है उसका मोह हमें डूबा देता है , ऐसे भी मैं कई मोह माया में पहले से ही पड़ा हुआ था मुझे और की चाह नहीं थी …
“मुझे कुछ नहीं चाहिए , मेरे वजह से आप बंधन से मुक्त हो आये इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए …”
मेरी बात सुनकर वो जोरो से चिल्लान्ने लगी वो सभी किसी चमगादड़ो की तरह हवा में उड़ने लगी , मैं आश्चर्य से उन्हें देख रहा था , वो हवा में एक बवंडर की तरह एक साथ उड़ते हुए मेरे गोल घुमने लगी और अचानक से सब ख़त्म हो गया , वो सभी एक साथ हवा में उपर उठी और मेरे सामने ही सीधे जमीन में जा घुसी ..
मुझे लगने लगा था की शायद मैं कोई अजीब सा सपना देख रहा हु लेकिन तभी जिस जगह वो जमीन में समां गई थी वही से हवा के रूप में एक आकृति उभरी, वो एक नारी की आकृति थी और धीरे धीरे वो आकृति एक पूर्ण स्त्री में तब्दील हो गई … वो कोकू ही थी लेकिन इस बार वो पूर्ण नंग थी …
मैंने उसे उपर से निचे तक देखा , खुले हुए काले बाल , गोरा शरीर जो की कुंदन सा दमक रहा था , इस बार ना माथे पर बिंदिया थी ना ही और कुछ , बड़े बड़े और सुड़ोल वक्ष उसके छाती में उन्नत खड़े थे , पतली कमर के नीछे सुराही दार कुल्हे नंग थे और उनके बीचो बीच हलके बालो में ढकी हुई उसकी योनी मेरे सामने थी , उसके कोमल पैर मुझे अब साफ साफ दिखाई देने लगे थे , वो एक मरजात नंग और मुकम्मल स्त्री थी लेकिन सामान्य स्तिर्यो से कही ज्यादा मादक और आकर्षक , मादकता उसके अंग अंग से मानो टपक रही हो , लौडू को तो जिसे खजाना ही मिल गया हो , वो बेताब हो गया था , मेरा लिंग अपने पूर्ण आकार में खड़ा था , मैंने उसके चहरे की ओर देखा उसके होठो में मुस्कान थी और आँखों में हल्का पानी ….
अध्याय 17 जैसे एक तूफ़ान थम चूका हो , चारो ओर बस शांति थी …
चमन ने मेरे कंधे पर हाथ रखा …
“तुम्हे इन शक्तियों का उपयोग करना सीखना होगा , मेरे ख्याल से तुम्हे कुछ दिनों के लिए घर से दूर रहना चाहिए “
बाकि सभी लोगो को भेजने के बाद मैं और चमन वही रुक गए , सुबह होते ही वही पास पहाड़ी के नीचे मेरे लिए एक झोपडी बनवा दी गई , अभी मुझे कुछ दिनों तक वही रुकना था ..
चमन दिन भर मुझे ज्ञान दे रहा था जिसमे मुझे बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं था लेकिन मैं उसे सुनता रहा , आखिर कार शाम होने को आई …
“यंहा से तुम्हारा सफ़र अकेले ही रहेगा निशांत , याद रखना की शायद पूरी दुनिया तुम्हारे साथ चले लेकिन तुम रहोगे अकेले ही , यही इस शक्ति का अभिश्राप है “
मैंने उसकी बात सुन ली लेकिन मुझे वो बात समझ नहीं आई ..
शाम होते ही मुझे कुछ विधिया बताकर वो वंहा से चला गया , मेरे मन में अन्नू को देखने की उससे मिलनी की इक्छा बलवती हो रही थी , लेकिन चमन ने कह रखा था की 15 दिनों तक मुझसे कोई भी शाम को मिलने ना आये , हो सके तो कोई मिलने ही ना आये और आना हो तो सुबह भोर के समय से दोपहर ढलने से पहले तक मिलकर चला जाए , मुझे अपना खाना भी खुद ही बनाना था , ये सब सिर्फ इसलिए की मैं इन शक्तियों को अच्छे से समझ पाऊ …
शाम हो चली थी और मैं अकेले बैठे बैठे बोर हो रहा था तो मैं झील के पास पंहुचा , दूसरी ओर मुझे बहुत भीड़ दिखाई दी , स्वाभाविक था की वंहा हुए हत्याकांड के बाद लोगो को लाश मिल गई होगी , मुझे वंहा पुलिस वाले भी दिखाई दे रहे थे , किसी ने मुझे वंहा देख लिया और पुलिस वाले मुझतक पहुचे …
“कौन हो तुम और यंहा क्या कर रहे हो …”एक पुलिस वाले ने कडक आवाज में पूछा , उसके कंधे पर बने स्टार से लग रहा था की वो एक इंस्पेक्टर है
मैं इस समय एक उसी पत्थर में बैठा हुआ था …
“मैं कुवर पुर का रहने वाला हु ,निशांत ठाकुर , अम्मा का भतीजा हु , मैं यंहा अक्सर घुमने आता हु “
मेरी बात सुनकर वो थोडा सकपकाया
“ओह कुवर आप …मैंने तो सुना था की आप कोमा में है “
“हा कोमा में ही था , कुछ दिनों पहले ही होश आया , यंहा क्या हुआ है “
“कुछ लोग जंगल की ओर आये हुए थे , वापस नहीं पहुचे , सर्च के लिए गांव वाले आये तो कई लाशे मिली , कुछ को तो बहुत बुरी तरह से मारा गया है , ऐसा लगता है की किसी दरिन्दे का काम है “
मैं थोड़े देर तक खामोश रहा
“आज कल माहोल सही नहीं चल रहा , मुझे तो लगता है की कोई अपराधी गिरोह इन जंगलो में घूम रहा है “
मैंने हलके स्वर में कहा , इंस्पेक्टर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी फिर अचानक बोला
“कुवर मेरी मानिये तो आप भी अकेले इधर मत आया कीजिये , सभी को पता है आप पर हमला किसने करवाया था , लेकिन कोई पुलिस कम्प्लेंट नहीं की गई , अब ये क्या पता की आपके ही गांव के लोगो का काम हो “
मैं हँसने लगा और इंस्पेक्टर के कंधे पर हाथ धर दिया …
“इनमे से कुछ लोग वही थे जिन्होंने मुझपर हमला किया था , लेकिन अभी बदला बराबर नहीं हुआ है , और इन लोगो को मेरे गांव वालो ने नही बल्कि मैंने मारा है , वो भी अकेले “
इंस्पेक्टर मुझे देखने लगा फिर मुस्कुराया
“क्यों मजाक करते हो कुवर , अम्मा के बहुत अहसान है मुझपर किसी और के सामने ये मत कहियेगा, एक भी सबुत अगर आपके खिलाफ मिल गया तो बलवंत आपको जेल पहुचाने के लिए पूरा जोर लगा देगा , अभी उसकी ही सरकार है… आप अभी अभी तो कोमा से उठे हो , आराम कीजिये … हो सकते हो इस इलाके में मत आया कीजिये बहुत खतरा है ,बाकि मुझे सम्हालने दो …”
मैंने उसके बेच को देखा नाम था वीरेंदर प्रताप , 30 साल का युवा था , दिखने में अच्छा खासा लग रहा था ..
मैंने उसकी बात पर सहमती दी और वो वंहा से वापस चला गया ..
मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ , मुझे यु होशियारी नहीं दिखानी चाहिए अभी बलवंत सच में ताकतवर है ,पहले उसे कमजोर करना जरुरी था …
रात हो चुकी थी मैं झील के किनारे उसी पत्थर में बैठा हुआ सामने बह रही झील की आवाज में खोया था , पास ही मैंने थोड़ी आग जलाई थी , ये अजीब परीक्षा थी इतने दिन आखिर मुझे अकेले रहने क्यों कह दिया गया था , अकेलापन भी बहुत बेचैन करता है , मैं भी बेचैन हो रहा था ..
अचानक कही से छम छम की आवाजे आनी शुरू हो गयी , मैंने चारो ओर देखा लेकिन कही कोई नहीं दिखाई दे रहा था , ऐसा लग रहा था जैसे कई ओरते एक साथ मेरे तरफ ही आ रही है ,,,चारो ओर देखने पर भी कही कोई नहीं दिखा , मुझे लगा की शायद ये कोई वहम होगा , मैंने आँखे बंद कर ली उस मनोरम जगह के सुकून में कुछ देर मैं खुद को भर लेना चाहता था ..
“कुवर ..”
एक प्यारी आवाज मेरे कानो में पड़ी ..
“कौन है …” मैंने झटके से आँखे खोली , इधर उधर देखा लेकिन कही कोई भी नहीं था
क्या ये वहम था ???
लेकिन कैसे वो मधुर आवाज , वो भी इतना स्पष्ट ??
मैंने फिर से आँखे बंद की इस बार किसी ने मेरे कानो को कांट लिया ..
“आऊ ..” मैं झटके से उठ कर बैठ गया , कही कोई नहीं था ..
डर की एक हलकी सी अनुभूति मेरे अंदर आई ,हलकी हवाओ ने जिस्म को सहलाया और एक झुरझुरी सी उठी …
“क्या हो रहा है ये , कौन है …???”
मैं डर तो रहा था लेकिन फिर भी मेरे अंदर उत्तेजना ज्यादा थी डर कम
“कुवर जी….”
फिर से एक हवा का झोका मुझे छू के निकला
“अबे लौडू उठ ये क्या हो रहा है , मैं पागल हो रहा हु या मैं नींद में हु “
मैंने लौडू को आवाज दी
“ओ साला , बिना लडकियों के मुझे मत जगाया कर , मुझे भुत नहीं मुझे चूत चाहिए … आई वांट पुसीस बेबी “
“अबे भोसड़ीके अंग्रेज , चूत तब मिलेगी ना जब मैं जिन्दा रहूँगा , बता ये सब क्या हो रहा है “
“कुवर जी …” एक हवा का झोका फिर से मुझे छूता हुआ निकला
‘ओ माय गॉड , इतनी सेक्सी आवाज , आवाज इतनी सेक्सी है तो ये कितनी होगी “ लौडू बोल उठा
“मतलब ये सही है ये आवाजे सही में आ रही है “
“बिलकूल मेरे दोस्त लगता है इस वीराने में भी फुल खिलने वाला है “
लौडू की बात सुनकर मैं थोडा चौकन्ना हुआ
“कौन है सामने आओ …”
मैंने जोरो से चिल्लाया
तभी झील के पानी में कुछ हलचल हुई ऐसा लगा जैसे वंहा से कोई बाहर निकल रहा है ..
मैं बिलकुल चौकन्ना हो गया , तभी ऐसा लगा जैसे कोई पीछे है ..
चारो ओर से छम छम की आवजे आने लगी , और देखते ही देखते कई ओरतो का जिस्म मेरे सामने प्रगट होने लगा , सभी ने सफ़ेद रंग की साडी पहनी थी जो उनके जिस्म में बिलकुल ही फिट थी , मेरे चारो ओर ओरते थी , वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी वही मैं बिलकुल आवाक था ..
तभी सामने झील से एक ओरत निकल कर आई , वो पानी से निकल कर आ रही थी लेकिन उसके बाल गिले नहीं थे , चाल किसी साधे हुए मॉडल की तरह थी , उस कामिनी की काय को देखकर अच्छे अच्छो का जी मचल जाए , सुराहीदार कमर और उठे हुए कुल्हो वही वो अप्सरा मुझे किसी स्वप्न का भान करवा रही थी , पैरो के घुंघरू छम छम की आवाज कर रहे थे लेकिन इतने कोमल प्रतीत हो रहे थे की एक बार मेरी नजर उसके पैरो की ओर भी चली गई , और मैंने जो देखा वो देखकर मेरी सांसे एक पल के लिए थम ही गई …
वंहा कोई पैर नहीं था , मात्र पैरो का आभास था , वो हवा में थी , जब मैंने थोड़े ध्यान से देखा तो पाया की शायद उनके धड तक का ही अस्तित्व है , निचे साडी के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन इतना तो मुझे पता था की ये लोग हवा में लटके है और इनके पैर गायब है …
वो मेरे पास आई , दुधिया रंग और खुले काले बाल , माथे में एक बड़ी सी बिंदिया लगाये हुए थी, वक्षो को सफ़ेद रंग के अन्तःवस्त्र ढके हुए थे लेकिन उभरे वक्षो सुडोलता में कोई कमी नहीं थी , वही कमर का भाग किसी कपडे से विहीन था जिससे उसकी दुधिया कमर चमक रही थी …
“कुवर ..”
वो मेरे पास आकर बोली , ऐसे लगा जैसे उसके शब्द हवा में घुलकर चारो ओर फ़ैल गए हो …
इन्हें देखकर जन्हा मैं सचेत होकर खड़ा हो गया था , वही लौडू ने अपना आतंक दिखाते हुए मेरा खड़ा कर दिया था,
“भोसड़ीवाले तुझे हॉरर और इरोटिक में अंतर समझ नहीं आता क्या , इतना क्यों खुश हो रहा है “ मैंने उसे डांटा
“भाई क्या मस्त माल है देख तो उनको , पकड़ कर बस …आ …मजा आ जायेगा “
“चुप कर भोसड़ीके पता नहीं ये है क्या , पहले समझ तो लेने दे की क्या हो रहा है ??”
मैंने लौडू को चुप करवाया और उनकी ओर देखने लगा
“कौन हो तुम लोग “
सभी किसी भुत की तरह हवा में उड़ते हुए मेरे बहुत पास आ चुके थे
“हम सभी चुड़ैले है कुवर , मैं इनकी मुखिया हु, मेरा नाम है कोकू “
“इतनी सुंदर चुड़ैले ??? मैंने तो सोचा था की चुड़ैले बदसूरत होती होंगी “
वो हलके से मुस्कुराई
“हम सालो से आपकी प्रतीक्षा कर रहे थे कुवर “
“मेरी प्रतीक्षा ???”
“जी , सालो पहले हमें एक जादूगर ने यंहा कैद कर रखा था , अपने उसे मारकर हमें आजाद कर दिया “
“क्या …???”
मैं बुरी तरह से चौका , मैंने कहा कोई जादूगर को मारा था
“जी कुवर गलती से ही सही लेकिन आपने जब कल गोलिया चलाई थी तो वो पेड़ के नीचे ध्यान कर रहे जादूगर को लगी , उसने सिद्धि हासिल की थी जिससे वो सिर्फ अमावास की रात में और वो भी किसी शैतान के अंश धरने वाले के हाथो से ही मर सकता था , कल ये दोनों चीजे एक साथ हो गई , इससे हम तो आजाद हो गए लेकिन इस झील में हम कैद है , रात में तो हम निकल सकते है लेकिन दिन में नहीं , जब तक जादूगर के शरीर को जलाया नहीं जायेगा तब तक हम पूर्ण तरह से मुक्त नहीं होंगे , आपसे निवेदन है की हमें मुक्त कीजिये और हमें अपना पूर्ण रूप प्रदान कीजिये …”
सभी मेरे सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई …
“भाई कुछ लोचा मालूम हो रहा है , साला तू इन्हें मुक्त करेगा तो आखिर तुझे क्या मिलेगा “ लौडू बोल उठा …
जैसे कोकू ने मेरे मन की बात सुन ली हो वो बोल पड़ी
“अगर हम आजाद होकर अपने पूर्ण रूप में आ गई तो हम आपको हर चीज दे सकते है , छिपा हुआ खजाना , या पूर्ण यौवन से भरी सुंदर हुरे , या विश्वविजेता वाली ताकत , आप जो बोले हम वो आपको दिला सकते है ….”
मैं शांत था मैंने अपने जीवन को एक बार फिर से देखा , जीवन में किसी भी चीज का कोई मतलब नहीं रह जाता , हर चीज पुरानी हो जाती है , हवस और इक्षाए कभी पूरी नही होती , कोई चीज हमें हमेशा के लिए ख़ुशी नहीं देती , जो चिरस्थाई है वो केवल मैं का होना है , अपना अस्तित्व ही स्थाई है , शायद मरने के बाद , इस शरीर को छोड़ने के बाद भी जो बचेगा वो केवल अस्तित्व ही होगा , और सभी नश्वर ही है , और जो नश्वर ही है उसका मोह हमें डूबा देता है , ऐसे भी मैं कई मोह माया में पहले से ही पड़ा हुआ था मुझे और की चाह नहीं थी …
“मुझे कुछ नहीं चाहिए , मेरे वजह से आप बंधन से मुक्त हो आये इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए …”
मेरी बात सुनकर वो जोरो से चिल्लान्ने लगी वो सभी किसी चमगादड़ो की तरह हवा में उड़ने लगी , मैं आश्चर्य से उन्हें देख रहा था , वो हवा में एक बवंडर की तरह एक साथ उड़ते हुए मेरे गोल घुमने लगी और अचानक से सब ख़त्म हो गया , वो सभी एक साथ हवा में उपर उठी और मेरे सामने ही सीधे जमीन में जा घुसी ..
मुझे लगने लगा था की शायद मैं कोई अजीब सा सपना देख रहा हु लेकिन तभी जिस जगह वो जमीन में समां गई थी वही से हवा के रूप में एक आकृति उभरी, वो एक नारी की आकृति थी और धीरे धीरे वो आकृति एक पूर्ण स्त्री में तब्दील हो गई … वो कोकू ही थी लेकिन इस बार वो पूर्ण नंग थी …
मैंने उसे उपर से निचे तक देखा , खुले हुए काले बाल , गोरा शरीर जो की कुंदन सा दमक रहा था , इस बार ना माथे पर बिंदिया थी ना ही और कुछ , बड़े बड़े और सुड़ोल वक्ष उसके छाती में उन्नत खड़े थे , पतली कमर के नीछे सुराही दार कुल्हे नंग थे और उनके बीचो बीच हलके बालो में ढकी हुई उसकी योनी मेरे सामने थी , उसके कोमल पैर मुझे अब साफ साफ दिखाई देने लगे थे , वो एक मरजात नंग और मुकम्मल स्त्री थी लेकिन सामान्य स्तिर्यो से कही ज्यादा मादक और आकर्षक , मादकता उसके अंग अंग से मानो टपक रही हो , लौडू को तो जिसे खजाना ही मिल गया हो , वो बेताब हो गया था , मेरा लिंग अपने पूर्ण आकार में खड़ा था , मैंने उसके चहरे की ओर देखा उसके होठो में मुस्कान थी और आँखों में हल्का पानी ….
Behtreen updateअध्याय 17 जैसे एक तूफ़ान थम चूका हो , चारो ओर बस शांति थी …
चमन ने मेरे कंधे पर हाथ रखा …
“तुम्हे इन शक्तियों का उपयोग करना सीखना होगा , मेरे ख्याल से तुम्हे कुछ दिनों के लिए घर से दूर रहना चाहिए “
बाकि सभी लोगो को भेजने के बाद मैं और चमन वही रुक गए , सुबह होते ही वही पास पहाड़ी के नीचे मेरे लिए एक झोपडी बनवा दी गई , अभी मुझे कुछ दिनों तक वही रुकना था ..
चमन दिन भर मुझे ज्ञान दे रहा था जिसमे मुझे बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं था लेकिन मैं उसे सुनता रहा , आखिर कार शाम होने को आई …
“यंहा से तुम्हारा सफ़र अकेले ही रहेगा निशांत , याद रखना की शायद पूरी दुनिया तुम्हारे साथ चले लेकिन तुम रहोगे अकेले ही , यही इस शक्ति का अभिश्राप है “
मैंने उसकी बात सुन ली लेकिन मुझे वो बात समझ नहीं आई ..
शाम होते ही मुझे कुछ विधिया बताकर वो वंहा से चला गया , मेरे मन में अन्नू को देखने की उससे मिलनी की इक्छा बलवती हो रही थी , लेकिन चमन ने कह रखा था की 15 दिनों तक मुझसे कोई भी शाम को मिलने ना आये , हो सके तो कोई मिलने ही ना आये और आना हो तो सुबह भोर के समय से दोपहर ढलने से पहले तक मिलकर चला जाए , मुझे अपना खाना भी खुद ही बनाना था , ये सब सिर्फ इसलिए की मैं इन शक्तियों को अच्छे से समझ पाऊ …
शाम हो चली थी और मैं अकेले बैठे बैठे बोर हो रहा था तो मैं झील के पास पंहुचा , दूसरी ओर मुझे बहुत भीड़ दिखाई दी , स्वाभाविक था की वंहा हुए हत्याकांड के बाद लोगो को लाश मिल गई होगी , मुझे वंहा पुलिस वाले भी दिखाई दे रहे थे , किसी ने मुझे वंहा देख लिया और पुलिस वाले मुझतक पहुचे …
“कौन हो तुम और यंहा क्या कर रहे हो …”एक पुलिस वाले ने कडक आवाज में पूछा , उसके कंधे पर बने स्टार से लग रहा था की वो एक इंस्पेक्टर है
मैं इस समय एक उसी पत्थर में बैठा हुआ था …
“मैं कुवर पुर का रहने वाला हु ,निशांत ठाकुर , अम्मा का भतीजा हु , मैं यंहा अक्सर घुमने आता हु “
मेरी बात सुनकर वो थोडा सकपकाया
“ओह कुवर आप …मैंने तो सुना था की आप कोमा में है “
“हा कोमा में ही था , कुछ दिनों पहले ही होश आया , यंहा क्या हुआ है “
“कुछ लोग जंगल की ओर आये हुए थे , वापस नहीं पहुचे , सर्च के लिए गांव वाले आये तो कई लाशे मिली , कुछ को तो बहुत बुरी तरह से मारा गया है , ऐसा लगता है की किसी दरिन्दे का काम है “
मैं थोड़े देर तक खामोश रहा
“आज कल माहोल सही नहीं चल रहा , मुझे तो लगता है की कोई अपराधी गिरोह इन जंगलो में घूम रहा है “
मैंने हलके स्वर में कहा , इंस्पेक्टर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी फिर अचानक बोला
“कुवर मेरी मानिये तो आप भी अकेले इधर मत आया कीजिये , सभी को पता है आप पर हमला किसने करवाया था , लेकिन कोई पुलिस कम्प्लेंट नहीं की गई , अब ये क्या पता की आपके ही गांव के लोगो का काम हो “
मैं हँसने लगा और इंस्पेक्टर के कंधे पर हाथ धर दिया …
“इनमे से कुछ लोग वही थे जिन्होंने मुझपर हमला किया था , लेकिन अभी बदला बराबर नहीं हुआ है , और इन लोगो को मेरे गांव वालो ने नही बल्कि मैंने मारा है , वो भी अकेले “
इंस्पेक्टर मुझे देखने लगा फिर मुस्कुराया
“क्यों मजाक करते हो कुवर , अम्मा के बहुत अहसान है मुझपर किसी और के सामने ये मत कहियेगा, एक भी सबुत अगर आपके खिलाफ मिल गया तो बलवंत आपको जेल पहुचाने के लिए पूरा जोर लगा देगा , अभी उसकी ही सरकार है… आप अभी अभी तो कोमा से उठे हो , आराम कीजिये … हो सकते हो इस इलाके में मत आया कीजिये बहुत खतरा है ,बाकि मुझे सम्हालने दो …”
मैंने उसके बेच को देखा नाम था वीरेंदर प्रताप , 30 साल का युवा था , दिखने में अच्छा खासा लग रहा था ..
मैंने उसकी बात पर सहमती दी और वो वंहा से वापस चला गया ..
मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ , मुझे यु होशियारी नहीं दिखानी चाहिए अभी बलवंत सच में ताकतवर है ,पहले उसे कमजोर करना जरुरी था …
रात हो चुकी थी मैं झील के किनारे उसी पत्थर में बैठा हुआ सामने बह रही झील की आवाज में खोया था , पास ही मैंने थोड़ी आग जलाई थी , ये अजीब परीक्षा थी इतने दिन आखिर मुझे अकेले रहने क्यों कह दिया गया था , अकेलापन भी बहुत बेचैन करता है , मैं भी बेचैन हो रहा था ..
अचानक कही से छम छम की आवाजे आनी शुरू हो गयी , मैंने चारो ओर देखा लेकिन कही कोई नहीं दिखाई दे रहा था , ऐसा लग रहा था जैसे कई ओरते एक साथ मेरे तरफ ही आ रही है ,,,चारो ओर देखने पर भी कही कोई नहीं दिखा , मुझे लगा की शायद ये कोई वहम होगा , मैंने आँखे बंद कर ली उस मनोरम जगह के सुकून में कुछ देर मैं खुद को भर लेना चाहता था ..
“कुवर ..”
एक प्यारी आवाज मेरे कानो में पड़ी ..
“कौन है …” मैंने झटके से आँखे खोली , इधर उधर देखा लेकिन कही कोई भी नहीं था
क्या ये वहम था ???
लेकिन कैसे वो मधुर आवाज , वो भी इतना स्पष्ट ??
मैंने फिर से आँखे बंद की इस बार किसी ने मेरे कानो को कांट लिया ..
“आऊ ..” मैं झटके से उठ कर बैठ गया , कही कोई नहीं था ..
डर की एक हलकी सी अनुभूति मेरे अंदर आई ,हलकी हवाओ ने जिस्म को सहलाया और एक झुरझुरी सी उठी …
“क्या हो रहा है ये , कौन है …???”
मैं डर तो रहा था लेकिन फिर भी मेरे अंदर उत्तेजना ज्यादा थी डर कम
“कुवर जी….”
फिर से एक हवा का झोका मुझे छू के निकला
“अबे लौडू उठ ये क्या हो रहा है , मैं पागल हो रहा हु या मैं नींद में हु “
मैंने लौडू को आवाज दी
“ओ साला , बिना लडकियों के मुझे मत जगाया कर , मुझे भुत नहीं मुझे चूत चाहिए … आई वांट पुसीस बेबी “
“अबे भोसड़ीके अंग्रेज , चूत तब मिलेगी ना जब मैं जिन्दा रहूँगा , बता ये सब क्या हो रहा है “
“कुवर जी …” एक हवा का झोका फिर से मुझे छूता हुआ निकला
‘ओ माय गॉड , इतनी सेक्सी आवाज , आवाज इतनी सेक्सी है तो ये कितनी होगी “ लौडू बोल उठा
“मतलब ये सही है ये आवाजे सही में आ रही है “
“बिलकूल मेरे दोस्त लगता है इस वीराने में भी फुल खिलने वाला है “
लौडू की बात सुनकर मैं थोडा चौकन्ना हुआ
“कौन है सामने आओ …”
मैंने जोरो से चिल्लाया
तभी झील के पानी में कुछ हलचल हुई ऐसा लगा जैसे वंहा से कोई बाहर निकल रहा है ..
मैं बिलकुल चौकन्ना हो गया , तभी ऐसा लगा जैसे कोई पीछे है ..
चारो ओर से छम छम की आवजे आने लगी , और देखते ही देखते कई ओरतो का जिस्म मेरे सामने प्रगट होने लगा , सभी ने सफ़ेद रंग की साडी पहनी थी जो उनके जिस्म में बिलकुल ही फिट थी , मेरे चारो ओर ओरते थी , वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी वही मैं बिलकुल आवाक था ..
तभी सामने झील से एक ओरत निकल कर आई , वो पानी से निकल कर आ रही थी लेकिन उसके बाल गिले नहीं थे , चाल किसी साधे हुए मॉडल की तरह थी , उस कामिनी की काय को देखकर अच्छे अच्छो का जी मचल जाए , सुराहीदार कमर और उठे हुए कुल्हो वही वो अप्सरा मुझे किसी स्वप्न का भान करवा रही थी , पैरो के घुंघरू छम छम की आवाज कर रहे थे लेकिन इतने कोमल प्रतीत हो रहे थे की एक बार मेरी नजर उसके पैरो की ओर भी चली गई , और मैंने जो देखा वो देखकर मेरी सांसे एक पल के लिए थम ही गई …
वंहा कोई पैर नहीं था , मात्र पैरो का आभास था , वो हवा में थी , जब मैंने थोड़े ध्यान से देखा तो पाया की शायद उनके धड तक का ही अस्तित्व है , निचे साडी के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन इतना तो मुझे पता था की ये लोग हवा में लटके है और इनके पैर गायब है …
वो मेरे पास आई , दुधिया रंग और खुले काले बाल , माथे में एक बड़ी सी बिंदिया लगाये हुए थी, वक्षो को सफ़ेद रंग के अन्तःवस्त्र ढके हुए थे लेकिन उभरे वक्षो सुडोलता में कोई कमी नहीं थी , वही कमर का भाग किसी कपडे से विहीन था जिससे उसकी दुधिया कमर चमक रही थी …
“कुवर ..”
वो मेरे पास आकर बोली , ऐसे लगा जैसे उसके शब्द हवा में घुलकर चारो ओर फ़ैल गए हो …
इन्हें देखकर जन्हा मैं सचेत होकर खड़ा हो गया था , वही लौडू ने अपना आतंक दिखाते हुए मेरा खड़ा कर दिया था,
“भोसड़ीवाले तुझे हॉरर और इरोटिक में अंतर समझ नहीं आता क्या , इतना क्यों खुश हो रहा है “ मैंने उसे डांटा
“भाई क्या मस्त माल है देख तो उनको , पकड़ कर बस …आ …मजा आ जायेगा “
“चुप कर भोसड़ीके पता नहीं ये है क्या , पहले समझ तो लेने दे की क्या हो रहा है ??”
मैंने लौडू को चुप करवाया और उनकी ओर देखने लगा
“कौन हो तुम लोग “
सभी किसी भुत की तरह हवा में उड़ते हुए मेरे बहुत पास आ चुके थे
“हम सभी चुड़ैले है कुवर , मैं इनकी मुखिया हु, मेरा नाम है कोकू “
“इतनी सुंदर चुड़ैले ??? मैंने तो सोचा था की चुड़ैले बदसूरत होती होंगी “
वो हलके से मुस्कुराई
“हम सालो से आपकी प्रतीक्षा कर रहे थे कुवर “
“मेरी प्रतीक्षा ???”
“जी , सालो पहले हमें एक जादूगर ने यंहा कैद कर रखा था , अपने उसे मारकर हमें आजाद कर दिया “
“क्या …???”
मैं बुरी तरह से चौका , मैंने कहा कोई जादूगर को मारा था
“जी कुवर गलती से ही सही लेकिन आपने जब कल गोलिया चलाई थी तो वो पेड़ के नीचे ध्यान कर रहे जादूगर को लगी , उसने सिद्धि हासिल की थी जिससे वो सिर्फ अमावास की रात में और वो भी किसी शैतान के अंश धरने वाले के हाथो से ही मर सकता था , कल ये दोनों चीजे एक साथ हो गई , इससे हम तो आजाद हो गए लेकिन इस झील में हम कैद है , रात में तो हम निकल सकते है लेकिन दिन में नहीं , जब तक जादूगर के शरीर को जलाया नहीं जायेगा तब तक हम पूर्ण तरह से मुक्त नहीं होंगे , आपसे निवेदन है की हमें मुक्त कीजिये और हमें अपना पूर्ण रूप प्रदान कीजिये …”
सभी मेरे सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई …
“भाई कुछ लोचा मालूम हो रहा है , साला तू इन्हें मुक्त करेगा तो आखिर तुझे क्या मिलेगा “ लौडू बोल उठा …
जैसे कोकू ने मेरे मन की बात सुन ली हो वो बोल पड़ी
“अगर हम आजाद होकर अपने पूर्ण रूप में आ गई तो हम आपको हर चीज दे सकते है , छिपा हुआ खजाना , या पूर्ण यौवन से भरी सुंदर हुरे , या विश्वविजेता वाली ताकत , आप जो बोले हम वो आपको दिला सकते है ….”
मैं शांत था मैंने अपने जीवन को एक बार फिर से देखा , जीवन में किसी भी चीज का कोई मतलब नहीं रह जाता , हर चीज पुरानी हो जाती है , हवस और इक्षाए कभी पूरी नही होती , कोई चीज हमें हमेशा के लिए ख़ुशी नहीं देती , जो चिरस्थाई है वो केवल मैं का होना है , अपना अस्तित्व ही स्थाई है , शायद मरने के बाद , इस शरीर को छोड़ने के बाद भी जो बचेगा वो केवल अस्तित्व ही होगा , और सभी नश्वर ही है , और जो नश्वर ही है उसका मोह हमें डूबा देता है , ऐसे भी मैं कई मोह माया में पहले से ही पड़ा हुआ था मुझे और की चाह नहीं थी …
“मुझे कुछ नहीं चाहिए , मेरे वजह से आप बंधन से मुक्त हो आये इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए …”
मेरी बात सुनकर वो जोरो से चिल्लान्ने लगी वो सभी किसी चमगादड़ो की तरह हवा में उड़ने लगी , मैं आश्चर्य से उन्हें देख रहा था , वो हवा में एक बवंडर की तरह एक साथ उड़ते हुए मेरे गोल घुमने लगी और अचानक से सब ख़त्म हो गया , वो सभी एक साथ हवा में उपर उठी और मेरे सामने ही सीधे जमीन में जा घुसी ..
मुझे लगने लगा था की शायद मैं कोई अजीब सा सपना देख रहा हु लेकिन तभी जिस जगह वो जमीन में समां गई थी वही से हवा के रूप में एक आकृति उभरी, वो एक नारी की आकृति थी और धीरे धीरे वो आकृति एक पूर्ण स्त्री में तब्दील हो गई … वो कोकू ही थी लेकिन इस बार वो पूर्ण नंग थी …
मैंने उसे उपर से निचे तक देखा , खुले हुए काले बाल , गोरा शरीर जो की कुंदन सा दमक रहा था , इस बार ना माथे पर बिंदिया थी ना ही और कुछ , बड़े बड़े और सुड़ोल वक्ष उसके छाती में उन्नत खड़े थे , पतली कमर के नीछे सुराही दार कुल्हे नंग थे और उनके बीचो बीच हलके बालो में ढकी हुई उसकी योनी मेरे सामने थी , उसके कोमल पैर मुझे अब साफ साफ दिखाई देने लगे थे , वो एक मरजात नंग और मुकम्मल स्त्री थी लेकिन सामान्य स्तिर्यो से कही ज्यादा मादक और आकर्षक , मादकता उसके अंग अंग से मानो टपक रही हो , लौडू को तो जिसे खजाना ही मिल गया हो , वो बेताब हो गया था , मेरा लिंग अपने पूर्ण आकार में खड़ा था , मैंने उसके चहरे की ओर देखा उसके होठो में मुस्कान थी और आँखों में हल्का पानी ….
bhai ho gaya kajal purani ho gayi , ab use lana hoga to sidhe nayi story hi likhenge
अध्याय 17 जैसे एक तूफ़ान थम चूका हो , चारो ओर बस शांति थी …
चमन ने मेरे कंधे पर हाथ रखा …
“तुम्हे इन शक्तियों का उपयोग करना सीखना होगा , मेरे ख्याल से तुम्हे कुछ दिनों के लिए घर से दूर रहना चाहिए “
बाकि सभी लोगो को भेजने के बाद मैं और चमन वही रुक गए , सुबह होते ही वही पास पहाड़ी के नीचे मेरे लिए एक झोपडी बनवा दी गई , अभी मुझे कुछ दिनों तक वही रुकना था ..
चमन दिन भर मुझे ज्ञान दे रहा था जिसमे मुझे बिलकुल भी इंटरेस्ट नहीं था लेकिन मैं उसे सुनता रहा , आखिर कार शाम होने को आई …
“यंहा से तुम्हारा सफ़र अकेले ही रहेगा निशांत , याद रखना की शायद पूरी दुनिया तुम्हारे साथ चले लेकिन तुम रहोगे अकेले ही , यही इस शक्ति का अभिश्राप है “
मैंने उसकी बात सुन ली लेकिन मुझे वो बात समझ नहीं आई ..
शाम होते ही मुझे कुछ विधिया बताकर वो वंहा से चला गया , मेरे मन में अन्नू को देखने की उससे मिलनी की इक्छा बलवती हो रही थी , लेकिन चमन ने कह रखा था की 15 दिनों तक मुझसे कोई भी शाम को मिलने ना आये , हो सके तो कोई मिलने ही ना आये और आना हो तो सुबह भोर के समय से दोपहर ढलने से पहले तक मिलकर चला जाए , मुझे अपना खाना भी खुद ही बनाना था , ये सब सिर्फ इसलिए की मैं इन शक्तियों को अच्छे से समझ पाऊ …
शाम हो चली थी और मैं अकेले बैठे बैठे बोर हो रहा था तो मैं झील के पास पंहुचा , दूसरी ओर मुझे बहुत भीड़ दिखाई दी , स्वाभाविक था की वंहा हुए हत्याकांड के बाद लोगो को लाश मिल गई होगी , मुझे वंहा पुलिस वाले भी दिखाई दे रहे थे , किसी ने मुझे वंहा देख लिया और पुलिस वाले मुझतक पहुचे …
“कौन हो तुम और यंहा क्या कर रहे हो …”एक पुलिस वाले ने कडक आवाज में पूछा , उसके कंधे पर बने स्टार से लग रहा था की वो एक इंस्पेक्टर है
मैं इस समय एक उसी पत्थर में बैठा हुआ था …
“मैं कुवर पुर का रहने वाला हु ,निशांत ठाकुर , अम्मा का भतीजा हु , मैं यंहा अक्सर घुमने आता हु “
मेरी बात सुनकर वो थोडा सकपकाया
“ओह कुवर आप …मैंने तो सुना था की आप कोमा में है “
“हा कोमा में ही था , कुछ दिनों पहले ही होश आया , यंहा क्या हुआ है “
“कुछ लोग जंगल की ओर आये हुए थे , वापस नहीं पहुचे , सर्च के लिए गांव वाले आये तो कई लाशे मिली , कुछ को तो बहुत बुरी तरह से मारा गया है , ऐसा लगता है की किसी दरिन्दे का काम है “
मैं थोड़े देर तक खामोश रहा
“आज कल माहोल सही नहीं चल रहा , मुझे तो लगता है की कोई अपराधी गिरोह इन जंगलो में घूम रहा है “
मैंने हलके स्वर में कहा , इंस्पेक्टर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी फिर अचानक बोला
“कुवर मेरी मानिये तो आप भी अकेले इधर मत आया कीजिये , सभी को पता है आप पर हमला किसने करवाया था , लेकिन कोई पुलिस कम्प्लेंट नहीं की गई , अब ये क्या पता की आपके ही गांव के लोगो का काम हो “
मैं हँसने लगा और इंस्पेक्टर के कंधे पर हाथ धर दिया …
“इनमे से कुछ लोग वही थे जिन्होंने मुझपर हमला किया था , लेकिन अभी बदला बराबर नहीं हुआ है , और इन लोगो को मेरे गांव वालो ने नही बल्कि मैंने मारा है , वो भी अकेले “
इंस्पेक्टर मुझे देखने लगा फिर मुस्कुराया
“क्यों मजाक करते हो कुवर , अम्मा के बहुत अहसान है मुझपर किसी और के सामने ये मत कहियेगा, एक भी सबुत अगर आपके खिलाफ मिल गया तो बलवंत आपको जेल पहुचाने के लिए पूरा जोर लगा देगा , अभी उसकी ही सरकार है… आप अभी अभी तो कोमा से उठे हो , आराम कीजिये … हो सकते हो इस इलाके में मत आया कीजिये बहुत खतरा है ,बाकि मुझे सम्हालने दो …”
मैंने उसके बेच को देखा नाम था वीरेंदर प्रताप , 30 साल का युवा था , दिखने में अच्छा खासा लग रहा था ..
मैंने उसकी बात पर सहमती दी और वो वंहा से वापस चला गया ..
मुझे भी अपनी गलती का अहसास हुआ , मुझे यु होशियारी नहीं दिखानी चाहिए अभी बलवंत सच में ताकतवर है ,पहले उसे कमजोर करना जरुरी था …
रात हो चुकी थी मैं झील के किनारे उसी पत्थर में बैठा हुआ सामने बह रही झील की आवाज में खोया था , पास ही मैंने थोड़ी आग जलाई थी , ये अजीब परीक्षा थी इतने दिन आखिर मुझे अकेले रहने क्यों कह दिया गया था , अकेलापन भी बहुत बेचैन करता है , मैं भी बेचैन हो रहा था ..
अचानक कही से छम छम की आवाजे आनी शुरू हो गयी , मैंने चारो ओर देखा लेकिन कही कोई नहीं दिखाई दे रहा था , ऐसा लग रहा था जैसे कई ओरते एक साथ मेरे तरफ ही आ रही है ,,,चारो ओर देखने पर भी कही कोई नहीं दिखा , मुझे लगा की शायद ये कोई वहम होगा , मैंने आँखे बंद कर ली उस मनोरम जगह के सुकून में कुछ देर मैं खुद को भर लेना चाहता था ..
“कुवर ..”
एक प्यारी आवाज मेरे कानो में पड़ी ..
“कौन है …” मैंने झटके से आँखे खोली , इधर उधर देखा लेकिन कही कोई भी नहीं था
क्या ये वहम था ???
लेकिन कैसे वो मधुर आवाज , वो भी इतना स्पष्ट ??
मैंने फिर से आँखे बंद की इस बार किसी ने मेरे कानो को कांट लिया ..
“आऊ ..” मैं झटके से उठ कर बैठ गया , कही कोई नहीं था ..
डर की एक हलकी सी अनुभूति मेरे अंदर आई ,हलकी हवाओ ने जिस्म को सहलाया और एक झुरझुरी सी उठी …
“क्या हो रहा है ये , कौन है …???”
मैं डर तो रहा था लेकिन फिर भी मेरे अंदर उत्तेजना ज्यादा थी डर कम
“कुवर जी….”
फिर से एक हवा का झोका मुझे छू के निकला
“अबे लौडू उठ ये क्या हो रहा है , मैं पागल हो रहा हु या मैं नींद में हु “
मैंने लौडू को आवाज दी
“ओ साला , बिना लडकियों के मुझे मत जगाया कर , मुझे भुत नहीं मुझे चूत चाहिए … आई वांट पुसीस बेबी “
“अबे भोसड़ीके अंग्रेज , चूत तब मिलेगी ना जब मैं जिन्दा रहूँगा , बता ये सब क्या हो रहा है “
“कुवर जी …” एक हवा का झोका फिर से मुझे छूता हुआ निकला
‘ओ माय गॉड , इतनी सेक्सी आवाज , आवाज इतनी सेक्सी है तो ये कितनी होगी “ लौडू बोल उठा
“मतलब ये सही है ये आवाजे सही में आ रही है “
“बिलकूल मेरे दोस्त लगता है इस वीराने में भी फुल खिलने वाला है “
लौडू की बात सुनकर मैं थोडा चौकन्ना हुआ
“कौन है सामने आओ …”
मैंने जोरो से चिल्लाया
तभी झील के पानी में कुछ हलचल हुई ऐसा लगा जैसे वंहा से कोई बाहर निकल रहा है ..
मैं बिलकुल चौकन्ना हो गया , तभी ऐसा लगा जैसे कोई पीछे है ..
चारो ओर से छम छम की आवजे आने लगी , और देखते ही देखते कई ओरतो का जिस्म मेरे सामने प्रगट होने लगा , सभी ने सफ़ेद रंग की साडी पहनी थी जो उनके जिस्म में बिलकुल ही फिट थी , मेरे चारो ओर ओरते थी , वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी वही मैं बिलकुल आवाक था ..
तभी सामने झील से एक ओरत निकल कर आई , वो पानी से निकल कर आ रही थी लेकिन उसके बाल गिले नहीं थे , चाल किसी साधे हुए मॉडल की तरह थी , उस कामिनी की काय को देखकर अच्छे अच्छो का जी मचल जाए , सुराहीदार कमर और उठे हुए कुल्हो वही वो अप्सरा मुझे किसी स्वप्न का भान करवा रही थी , पैरो के घुंघरू छम छम की आवाज कर रहे थे लेकिन इतने कोमल प्रतीत हो रहे थे की एक बार मेरी नजर उसके पैरो की ओर भी चली गई , और मैंने जो देखा वो देखकर मेरी सांसे एक पल के लिए थम ही गई …
वंहा कोई पैर नहीं था , मात्र पैरो का आभास था , वो हवा में थी , जब मैंने थोड़े ध्यान से देखा तो पाया की शायद उनके धड तक का ही अस्तित्व है , निचे साडी के कारण कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन इतना तो मुझे पता था की ये लोग हवा में लटके है और इनके पैर गायब है …
वो मेरे पास आई , दुधिया रंग और खुले काले बाल , माथे में एक बड़ी सी बिंदिया लगाये हुए थी, वक्षो को सफ़ेद रंग के अन्तःवस्त्र ढके हुए थे लेकिन उभरे वक्षो सुडोलता में कोई कमी नहीं थी , वही कमर का भाग किसी कपडे से विहीन था जिससे उसकी दुधिया कमर चमक रही थी …
“कुवर ..”
वो मेरे पास आकर बोली , ऐसे लगा जैसे उसके शब्द हवा में घुलकर चारो ओर फ़ैल गए हो …
इन्हें देखकर जन्हा मैं सचेत होकर खड़ा हो गया था , वही लौडू ने अपना आतंक दिखाते हुए मेरा खड़ा कर दिया था,
“भोसड़ीवाले तुझे हॉरर और इरोटिक में अंतर समझ नहीं आता क्या , इतना क्यों खुश हो रहा है “ मैंने उसे डांटा
“भाई क्या मस्त माल है देख तो उनको , पकड़ कर बस …आ …मजा आ जायेगा “
“चुप कर भोसड़ीके पता नहीं ये है क्या , पहले समझ तो लेने दे की क्या हो रहा है ??”
मैंने लौडू को चुप करवाया और उनकी ओर देखने लगा
“कौन हो तुम लोग “
सभी किसी भुत की तरह हवा में उड़ते हुए मेरे बहुत पास आ चुके थे
“हम सभी चुड़ैले है कुवर , मैं इनकी मुखिया हु, मेरा नाम है कोकू “
“इतनी सुंदर चुड़ैले ??? मैंने तो सोचा था की चुड़ैले बदसूरत होती होंगी “
वो हलके से मुस्कुराई
“हम सालो से आपकी प्रतीक्षा कर रहे थे कुवर “
“मेरी प्रतीक्षा ???”
“जी , सालो पहले हमें एक जादूगर ने यंहा कैद कर रखा था , अपने उसे मारकर हमें आजाद कर दिया “
“क्या …???”
मैं बुरी तरह से चौका , मैंने कहा कोई जादूगर को मारा था
“जी कुवर गलती से ही सही लेकिन आपने जब कल गोलिया चलाई थी तो वो पेड़ के नीचे ध्यान कर रहे जादूगर को लगी , उसने सिद्धि हासिल की थी जिससे वो सिर्फ अमावास की रात में और वो भी किसी शैतान के अंश धरने वाले के हाथो से ही मर सकता था , कल ये दोनों चीजे एक साथ हो गई , इससे हम तो आजाद हो गए लेकिन इस झील में हम कैद है , रात में तो हम निकल सकते है लेकिन दिन में नहीं , जब तक जादूगर के शरीर को जलाया नहीं जायेगा तब तक हम पूर्ण तरह से मुक्त नहीं होंगे , आपसे निवेदन है की हमें मुक्त कीजिये और हमें अपना पूर्ण रूप प्रदान कीजिये …”
सभी मेरे सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई …
“भाई कुछ लोचा मालूम हो रहा है , साला तू इन्हें मुक्त करेगा तो आखिर तुझे क्या मिलेगा “ लौडू बोल उठा …
जैसे कोकू ने मेरे मन की बात सुन ली हो वो बोल पड़ी
“अगर हम आजाद होकर अपने पूर्ण रूप में आ गई तो हम आपको हर चीज दे सकते है , छिपा हुआ खजाना , या पूर्ण यौवन से भरी सुंदर हुरे , या विश्वविजेता वाली ताकत , आप जो बोले हम वो आपको दिला सकते है ….”
मैं शांत था मैंने अपने जीवन को एक बार फिर से देखा , जीवन में किसी भी चीज का कोई मतलब नहीं रह जाता , हर चीज पुरानी हो जाती है , हवस और इक्षाए कभी पूरी नही होती , कोई चीज हमें हमेशा के लिए ख़ुशी नहीं देती , जो चिरस्थाई है वो केवल मैं का होना है , अपना अस्तित्व ही स्थाई है , शायद मरने के बाद , इस शरीर को छोड़ने के बाद भी जो बचेगा वो केवल अस्तित्व ही होगा , और सभी नश्वर ही है , और जो नश्वर ही है उसका मोह हमें डूबा देता है , ऐसे भी मैं कई मोह माया में पहले से ही पड़ा हुआ था मुझे और की चाह नहीं थी …
“मुझे कुछ नहीं चाहिए , मेरे वजह से आप बंधन से मुक्त हो आये इससे ज्यादा मुझे और क्या चाहिए …”
मेरी बात सुनकर वो जोरो से चिल्लान्ने लगी वो सभी किसी चमगादड़ो की तरह हवा में उड़ने लगी , मैं आश्चर्य से उन्हें देख रहा था , वो हवा में एक बवंडर की तरह एक साथ उड़ते हुए मेरे गोल घुमने लगी और अचानक से सब ख़त्म हो गया , वो सभी एक साथ हवा में उपर उठी और मेरे सामने ही सीधे जमीन में जा घुसी ..
मुझे लगने लगा था की शायद मैं कोई अजीब सा सपना देख रहा हु लेकिन तभी जिस जगह वो जमीन में समां गई थी वही से हवा के रूप में एक आकृति उभरी, वो एक नारी की आकृति थी और धीरे धीरे वो आकृति एक पूर्ण स्त्री में तब्दील हो गई … वो कोकू ही थी लेकिन इस बार वो पूर्ण नंग थी …
मैंने उसे उपर से निचे तक देखा , खुले हुए काले बाल , गोरा शरीर जो की कुंदन सा दमक रहा था , इस बार ना माथे पर बिंदिया थी ना ही और कुछ , बड़े बड़े और सुड़ोल वक्ष उसके छाती में उन्नत खड़े थे , पतली कमर के नीछे सुराही दार कुल्हे नंग थे और उनके बीचो बीच हलके बालो में ढकी हुई उसकी योनी मेरे सामने थी , उसके कोमल पैर मुझे अब साफ साफ दिखाई देने लगे थे , वो एक मरजात नंग और मुकम्मल स्त्री थी लेकिन सामान्य स्तिर्यो से कही ज्यादा मादक और आकर्षक , मादकता उसके अंग अंग से मानो टपक रही हो , लौडू को तो जिसे खजाना ही मिल गया हो , वो बेताब हो गया था , मेरा लिंग अपने पूर्ण आकार में खड़ा था , मैंने उसके चहरे की ओर देखा उसके होठो में मुस्कान थी और आँखों में हल्का पानी ….
ओ साला , बिना लडकियों के मुझे मत जगाया कर , मुझे भुत नहीं मुझे चूत चाहिए … आई वांट पुसीस बेबी “
Hme kajal bdi pyari thi uski lene ko hm rato me sapne dekhte hainbhai ho gaya kajal purani ho gayi , ab use lana hoga to sidhe nayi story hi likhenge
Waise najayaj aap kuch dino me sun sakte ho padhne ki jarurat nhi fr aapko audible me ya fr Kindle se book issue krwa skte honahi dost abhi padhne ka time nahi mil pata jyada abhi 3 story bookmark karke rkha hu pahle wo padh lu fir dusara padhunga ...
abhi TheBlackBlood ki pyar ka sabut , Kala Nag ki vishwrup aur avsji ki sanjog ka suhag
ye teeno bahut dino se rakha hu padhne ke liye pahle ye padh lu fir dekhte hai kuchh aur ...