बेचारा निशांत अब पीछे भी नही है सकता और आगे भेजने वाली अन्नू ही अब उसको वापस खींच भी सकती है। क्या वाकई निशांत खुद को पूरी तरह आजाद कर पाएगा और अपनी शक्तियों को पूरा नियंत्रित भी रख सकेगा। सुंदर अपडेट।अध्याय 23
पायलो की छम छम की आवाज मेरे कानो में गूंजी ..
“आमी जे तुमार …”
क्या प्यारी आवाज थी , ये आवाज मैं पहचानता था , मैंने पलट कर देखा तो मेरे चहरे में मुस्कान खिल गई ..
प्यारी सी सूरत और भोली भाली अदाओ वाली , मधुर गीत और होठो में मुस्कान लिए वो मेरे पास आ रही थी , मैं उसी पत्थर में बैठा हुआ था , वो मेरे पास आकर बैठ गई , आज उसने एक घाघरा चोली पहनी थी जैसे कोई गांव की लड़की हो , हाथो में ढेर सारी चुडिया , एक छोटी सी बिंदिया माथे पर थी .
“अब चुड़ैले फ़िल्मी गीत भी गाने लगी “
मैंने उसे देखते हुए पूछा
“हम मार्डेन चुड़ैल है कुवर जी “
कोकू की बात सुनकर मैं जोरो से हँसा और हँसते हँसते ही उसके प्यारे से चहरे को निहारने लगा ..
“कितनी प्यारी लग रही हो आज “ मैंने उसके गालो को हलके से सहलाया , उसके होठो में भी मुस्कान आ गई …
“कुछ परेशान लग रहे हो आप “ वो मेरे कंधे पर अपना सर टिकाते हुई बोली
“परेशान तो नही लेकिन … कुछ दुविधा में जरुर हु , समझ नही आ रहा है की अब क्या ??, मेरे जीवन का उद्देश्य क्या होगा , मुझे क्या करना चाहिए , इतनी शक्तियों के बावजूद मैं एक आम जिंदगी तो नहीं जी सकता “
वो हलके से हँसी
“तो तुम अपनी शैतनी ताकतों को आजाद करना चाहते हो ?? सोच लो दिखने में तो ये बहुत ही अच्छा लगता है लेकिन इससे तुम्हारा ही अहित हो सकता है , तुम इसके गुलाम बन जाओगे या ये समझो की उस आनन्द के गुलाम बन जाओगे जो तुम्हे इसके इस्तमाल करने से मिलेगा “
“हा मैं जानता हु , लेकिन सोचो न ये शक्तिया आखिर मुझे मिली ही क्यों है अगर मैं इनका इस्तमाल ही ना करू , सोचो मैं अभी भी नहीं चाहता की मैं किसी महिला के साथ सम्भोग करू जबकि ये मेरी जिम्मेदारी भी है , मुझे ये शक्तिया दी ही इसलिए गई है की मैं ये सब कर सकू लेकिन मैं अपनी ही ताकतों से भाग रहा हु , क्या मैं सिर्फ इसलिए ही इनसे दूर नहीं हु क्योकि मुझे डर है की ये मुझपर हावी हो जाएगी ?? क्या इसी डर से मैं अपनी जिम्मेदारियों से मुख मोड़ता रहूँगा ??? तुम ही बताओ कोकू की मैं क्या करू ??
मैं परेशान नहीं हु लेकिन एक अजीब सी दुविधा में फंसा हुआ हु , राह दिखाई नहीं दे रही , खुद को मैं कितना नियंत्रित करूँगा “
उसने अपना हाथ मेरे बालो में सहलाया और प्यार से एक चुम्मन मेरे गालो में दिया , वो गिला चुम्मन मेरे अंदर एक गुदगुदी पैदा करने को काफी था
“तुम छोड़ दो … छोड़ दो खुद को … पूरी तरह से बिना किसी नियंत्रण के उडो , ये पूरा आकश ही तुम्हारा है कुवर , क्यों चिंता करते हो , और किसकी चिंता करते हो ,इस समाज की या इनके नियमो की , सब कोरे है , इन्हें तुम अपने हिसाब से फिर से लिख सकते हो ,क्या तुम अपने परिवार की चिंता कर रहे हो ??
अम्मा की या अन्नू की … वो तुम्हारे सहयोगी होंगे ना की तुम्हारे विरोधी “
“लेकिन … अन्नू ने मुझे रोका है … वो नहीं चाहती की मैं किसी और के साथ सम्भोग करू , वो तो ये जिम्मेदारी है की मुझे ये सब करना पड़ रहा है वरना “
कोकू हँस पड़ी
“कोई प्रेयसी अपने प्रेमी को किसी दुसरे के साथ नहीं देख सकती कुवर , लेकिन तुम अलग ओ और बात अन्नू भी जानती हु , तुम खुद को कितना दबाओगे , तुम्हारी ताकते नियंत्रण के लिए नहीं बनी तुम आजाद रहने के लिए बने हो , उड़ने के लिए तुम जितना इन्हें दबा कर रखोगे उतना ही ये तुम्हे तकलीफ देंगी “
मैं अब भी चुप था , उसने मेरे बालो को सहलाया
“कुवर जरुरी नहीं की तुम हमेशा ही हीरो बने रहो , कभी कभी विलन बनने का भी अपना मजा होता है और कभी कभी ये बहुत ही जरुरी भी होता है “
मेरी आँखे अचानक से खुली मैं अपने बिस्तर में लेटा हुआ था , शराब के नशे में मुझे गहरी नींद आई थी , मैंने इधर उधर देखा लेकिन कोकू को कही नहीं पाया , बल्कि कामिनी भाभी झाड़ू लगाते हुए वंहा पहुची थी …
वो मुझे मुस्कुरा कर देख रही थी
“क्या हुआ कुवर किसे ढूँढ रहे हो “
मैं समझ गया था की ये सिर्फ एक सपना था , लेकिन हकीकत की तरह ही महत्वपूर्ण सपना , मुझे कोकू ने समझा दिया था की आगे क्या करना है , उसकी बात मेरे जेहन में गूंज रही थी की जरुरी नहीं की तुम हमेशा ही हीरो बने रहो …
मैंने खुद को आजाद करने की सोच ली , लेकिन एक डर अभी भी मेरे अन्द्र्र था की ये आजादी कही मुझे हवस का गुलाम ना बना दे …
“अबे लौड़े छोड़ दे खुद को , इस उम्र में इतना बोझ सही नहीं होता इतना मत सोच “ मेरे अंदर का लौडू चिल्लाया , वो सच कह रहा था इस उम्र में मेरे उपर बहुत सारी जिम्मेदारी आ गई थी और इसे अगर निभाना था तो मुझे अपने हवस को आजाद करना होगा , यु नियमो में बंधकर मैं शायद अपनी शक्तियों का सही उपयोग ना कर पाऊ …
“ठीक है मैं खुद को आजाद कर दूंगा , अब तो खुश “
मेरे बोलने पर लौडू जैसे नाच उठा
“याहू … अब सब मुझे जंगली कहेंगे हा हा हा , तो शिकार शुरू करे कुवर , पहला तो सामने ही खड़ा है “
मेरी नजर कामिनी भाभी पर पड़ी
“कुवर जी तबियत तो ठीक है ना आपकी कुछ बहके बहके नजर आ रहे हो “
मैंने मुस्कुराते हुए उनके साड़ी से झांकते हुए नाभि के पास देखा , हल्का सांवला रंग और गदराया बदन , तीखे नयन नक्स की मलिका थी कामिनी भाभी ..
मैंने उन्हें अपने पास बुलाया
“जरा यंहा आके बैठो “
वो मेरे पास आकार बैठ गई मैंने अपने शरीर से चादर हटा दिया , मैं पूर्ण रूप से नंगा था , मुझे देखकर एक बार उनका मुह खुला का खुला रह गया , उसने हाथ बढ़ा कर मेरे शरीर को छुवा
मैंने पहली बार कामिनी के चहरे में शर्म का भाव देखा था ..
“हाय री दइया ये तो लोहे जैसा मजबूत है “
वो मेरे शरीर पर अपने हाथ फेर रही थी , मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया जो अभी तक पूरी तरह से खड़ा हो गया था , मेरे लिंग पर हाथ पड़ते ही कामिनी जैसी कामुक महिला के भी पसीने छुट गए , वो हवस भरी नजरो से मेरे लिंग को देखे जा रही थी …
“कुवर … मुझे डर लग रहा है “ उसके स्वर लड़खड़ाने लगे थे …
“हाथो में अच्छा नहीं लग रहा तो मुह में लेके देखो “
उसने अजीब निगाहों से मुझे देखा , उसने मुझे इतना बेबाक कभी नहीं देखा था हमेशा ही मुझे छेड़ा करती थी लेकिन आज मैं खुद के हवस को आजाद करने के कार्यक्रम में था , मुझे इसे अब और काबू नहीं करना था बल्कि अपने अंदर के हवस से भरे हुए शैतान को बाहर निकलना था , अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करना था और साथ ही इसका भरपूर मजा भी उठाना था …
वो कांपते हुए मेरे लिंग की ओर झुकी मैंने उसका सर पकड कर जोरो से उसे अपने लिंग के उपर रख दिया ..
“कुवर आराम से ..” वो बस इतना ही बोल पाई थी की उसके मुह में मेरा लिंग जा चूका था , उसके थूक के गीलेपन ने मेरे लिंग को और भी कड़ा कर दिया , उसने चूसने में जैसे महारत हासिल कर रखी थी , बड़े ही नाज से वो मेरा लिंग चूस रही थी , मैंने उसे अपने पास खिंच लिया , मैं उसके कुलहो को साड़ी के उपर से भी दबोचने लगा , वो भी मचल रही थी मैंने अपना हाथ उसके साड़ी के अदर डाला और साड़ी को कमर से उपर कर दिया ,
‘चटाक ‘
एक जोरदार थप्पड़ मैंने उसके कुलहो पर मारा , वो सिहर गई लेकिन अपने काम ले लगी रही …
मैं आनन्द की गहराईयो में गोते लगा रहा था , सच में हवस में डूब जाने का अपना ही मजा था , दिमाग से हर फिक्र को निकाल कर मैं इस यौन क्रिया का आनंद ले रहा था …
तभी दरवाजा खुला सामने अम्मा खड़ी थी , हमें इस अवस्था में देखकर वो मुह फाडे हुए वही खड़े हो गई , मैं मुस्कुराते हुए उन्हें ही देख रहा था जबकि कामिनी जैसे दुनिया को भूल चुकी थी , अम्मा यंहा अकेले नहीं आई थी बल्कि उनके साथ बाबूलाल भी था , बाबूलाल कामिनी का पति था , वो भी मुह फाडे अपनी बीवी को अपने मालिक के लिंग को चूसते हुए देख रहा था …
“दोनों अंदर आ जाओ “
मैंने लेटे लेटे ही आदेश दिया , आनंद में मैं ऐसा डूबा हुआ था की मेरी आँखे बार बार बंद हो रही थी ,
मैंने बाबूलाल को पास बुलाया , वो किसी रोबोट की तरह मेरे पास आया , मैंने कामिनी के कच्छी को निचे कर दिया , वो अभी किसी कुतिया की तरह पोश में थी और मेरे लिंग को चूस रही थी , मैंने बाबूलाल को इशारा किया …
“चाटो इसे और गिला करो “
एक बार को वो हडबडा गया लेकिन अगले ही पल वो निचे बैठ कर कामिनी के योनी में अपनी जीभ फेरने लगा ..
“आह …” कामिनी मजे से सिसकी लेने लगी थी
बाबूलाल अपने बीवी की योनी को जैसे खा ही जा रहा था , मैंने अम्मा की ओर देखा और उन्हें भी अपने पास बुला लिया , वो भी जैसे किसी सम्मोहन के वस में बंधी हुई मेरे पास चली आई और मेरे दुसरे बाजू आकर लेट गई , मैंने हवस से थोड़ी दूर जाकर प्रेम से उन्हें देखा और उनकी मोहक सुन्दरता में खुद को खोता हुआ पाया , मैंने उन्हें अपनी ओर खिंच लिया और उनके होठो में अपने होठ सटा दिए , हम दोनों ही एक दुसरे के होठो में खोते जा रहे थे तभी …
“ये सब यंहा क्या हो रहा है …???’
सामने अन्नू खड़ी थी और वो गुस्से से आग बबूला थी ..
उसने इतने जोरो से चिल्लाया की वंहा उपस्थित सभी का जैसे सम्मोहन टूट गया हो , सभी अपनी अवस्था को देख कर हडबडा उठे , बाबूलाल जल्दी से उठा वही कामिनी भी अपने वस्त्रो को सम्हालते हुए उठ खड़ी हुई , वही अम्मा ने बिस्तर में ही बैठे हुए शर्म से अपना सर झुका लिया …
मैं जो की हवस की गोद में बैठा हुआ खेल रहा था अन्नू के गुस्से भरे आवज से जैसे हकीकत में आ पहुचा था , सभी तूरंत ही वंहा से भागे, मैं अभी भी वंहा लेटा हुआ था और अन्नू को देख रहा था ..
उसका गोरा चहरा टमाटर की तरह लाल हो चूका था और आँखों में आंसू की बुँदे झलकने लगी थी …….
आखिर शैतान जाग गया और उसने अपनी हरकते शुरू भी कर दी। देखना है की ये हद कहां जा कर खतम होगी।अध्याय 24कमरा खाली था और सामने वो लड़की जिससे मैं प्रेम करता था , शायद उसे लग रहा हो की मैंने उससे बेवफाई की है , वो जानती थी की मेरा हाल क्या है लेकिन फिर भी उसने मुझसे कई उम्मीदे बांध कर रखी थी , उसने कई सपने मेरे साथ संजोये थे , कई अभिलाषाए और कई आशाये उसके मन में कलि की तरह खिल रहे थे , शायद मेरे इस एक हरकत ने उसके सभी उम्मीदों को तार तार कर दिया …
वो वही खड़ी थी बिलकुल किसी पत्थर की तरह , ये वही लड़की थी जिसने मुझे अम्मा के साथ सम्भोग के लिए मनाया था , ये वही लड़की थी जिसने मुझे गांव की ओरतो की लिस्ट दी थी जिसके साथ मुझे सम्भोग करना था , ये वही लड़की थी जिसने मेरे जिस्मानी संबंधो के लिए पूरी प्लानिंग की थी , लेकिन आज ये मेरे कृत्य से दुखी थी …
आखिर ऐसा मैंने क्या कर दिया …???
मैंने उसकी उम्मीद तोड़ दी थी , उसके सपनो को बिखेर दिया था ,
आखिर कैसे …???
वो मेरे जिस्म और हवस पर अपना नियंत्रण चाहती थी , लेकिन मैंने ये नियंत्रण अपने हाथो में लेने की सोच ली , वो मेरे जिस्म पर खुद का अधिकार समझती थी और मैंने उसे झूठा साबित कर दिया था , उसकी आँखे लाल थी और दिल भारी , मैं उसे ऐसे ही छोड़ सकता था , लेकिन मैं उससे प्यार करता था , जिस्म के आकर्षण से अलग भी हमारा एक सम्बन्ध था ..
मैं उसके पास आया और उसके बांहों को थाम लिया ..
“छूना मत मुझे “
वो चिल्लाई
“अन्नू मेरी बात तो सुनो …”
“कुछ नहीं सुनना है मुझे , मैंने तुम्हे कब किसी गैर महिला के साथ सम्बन्ध बनाने से माना किया था , लेकिन वो सिर्फ जिम्मेदारी निभाने के लिए था , ना ही अपनी हवस मिटाने के लिए , तुम ऐसा करोगे ये मैंने सोचा भी नहीं था , क्या ये सब करते हुए तुम्हे मेरा बील्कुल भी ख्याल ना आया ?“
उसका गुस्सा जायज था लेकिन मैं भी तो ऐसे नहीं रह सकता था ..
“अन्नू … जो तुमने देखा मैं ऐसा ही हु , अब खुद को धोखा देने से कुछ नहीं होगा , हम दोनों जानते है की मैंने खुद को कितना नियंत्रित करके रखा है और इसके कारन मैं दबा दबा सा रहने लगा हु , क्या तुम नहीं चाहती की मैं भी खुल कर जीयु …”
“ऐसे खुलकर जीयोगे तुम हा ..”
“मेरी बात समझो अन्नू , “
“बस बहुत हो गया कुवर , मैं ही मुर्ख थी जो तुम्हारे प्यार में पड़ गई , सोचा तुम दूसरो से अलग हो लेकिन नहीं तुम भी दूसरो की ही तरह हवस की आग में डूबे हुए इंसान निकले “
इतना कहकर अन्नू कमरे से बाहर जाने लगी
“अन्नू सुनो तो …” मैं उसके पीछे जाने लगा लेकिन वो सीधे एक ड्राईवर के पास जाकर गाड़ी निकलवा कर ले आई ..
“अन्नू मेरी बात तो सुनो ..”
मैं अभी भी नंगा था और अपने हवेली के बाहर खड़ा था
वो एक ओडी में बैठ चुकी थी
“जाओ कुवर, शायद मैं तुम्हे तुम्हारी जिंदगी नहीं जीने दे सकती , मेरा दूर चले जाना ही तुम्हारे लिए ठीक होंगा “
मैं चिल्लाता रहा और अन्नू ने अपने गाड़ी का शीशा चढ़ा लिया , गाड़ी चली और मैं उसके पीछे भागता हुआ सड़क तक आ गया लेकिन गाड़ी नहीं रुकी और वो मेरे आँखों से ओझल होते चली गई …
अन्नू मुझे छोड़ कर जा चुकी थी , मैं नंगा ही सड़क पर खड़ा था , पूरी हवली मेरे पीछे भागी थी , लोग अजीब नजरो से अपने कुवर को इस तरह नंगा खड़ा हुआ देख रहे थे ,
“कुवर “ एक आदमी मेरे पास एक चादर लेकर आ गया , मैंने उसके हाथो से चादर लेकर उसे वही हवा में फेक दिया ..
“बोल दो पुरे कुवरपुर को की कुवर नंगा हो गया है …”
इतना बोलकर मैं फिर से हवेली की ओर चल दिया , ये गुस्सा सा या प्यार मुझे नहीं पा लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे अंदर से कुछ खाली हो गया है …
मैं हवेली की ओर जाने लगा तभी रास्ते में कुछ ओरते मुझे दिखाई दी , वो किसी काम से जा रही थी और मुझे ऐसे अवस्था में देखकर वही रुक गई थी , वो मुझे बड़े ही आश्चर्य से देख रही थी …
“क्या देख रही हो “
मैं गुस्से में चिल्लाया
वो सभी हडबडा गई
“कुछ नहीं कुवर “
“मादरचोदो मेरा घर टूटता हुआ देख कर मजे कर रही हो , मैं तुम्हरा घर तोड़ता हु “
मैं उनकी ओर बढ़ गया वो डर से कापने लगी थी , वो ३ महिलाये थी जो अपने घर्र का सामान लेने घर से निकली थी , वही एक को पकड़ कर उसकी साड़ी को खिंच दिया …
“कुवर क्या कर रहे हो ..”
वो चिल्लाई लेकिन मैंने किसी की एक ना सुनी बाकि की दो अपना सामान छोड़कर वंहा से भागने को हुई लेकिन मैंने दोनों के हाथ पकड़ कर वही जमीन में उन्हें गिरा दिया
“मालिक माफ़ कर दो हमें जाने दो … यु सरेआम हमें बदनाम मत करो “
वो हाथ जोड़ कर रोने लगी , सड़क में चलती हुई जनता वही थम चुकी थी .लोग मेरे इस व्यवहार से सकते में आ गए थे लेकिन किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी की वो मुझे कुछ बोल पाए , जो मुझे रोकने वाला था वो अभी अभी इस गांव को और मुझे छोड़कर चला गया था …
“मेरे इज्जत को उतरता हुआ देख कर खुश हो ही थी ना , अब पुरे गांव के सामने बीच सड़क में तुम तीनो की इज्जत उतारूंगा “
मैं क्रोध में भरकर बोला
वो तीनो ही रोने लगी ..
“कुवर माफ़ी … माफ़ी कर दो हमें “
उनकी गलती बस इतनी थी की वो गलत समय में गलत जगह पर थी , मैंने एक ओरत को पकड़ कर उसे वही झुका दिया और उसके साड़ी को उसके कमर से उपर कर दिया , बाकि की दो जमीन में गिरी हुई अभी भी काँप रही थी …
“तुम सबको बच्चा चाहिए ना , मादरचोदो अब देता हु बच्चा “
मैंने बिना कुछ सोचे समझे अपना लिंग झुकी हुई महिला के योनी में डाल दिया ..
वो चिल्लाई और रोने लगी लेकिन मैं जैसे पागल ही हो गया था , मैं जोरो से धक्के लगा रहा था , वंहा खड़े लोग आँखे फाड़ कर मुझे देख रहे थे …
“मादरचोदो जो यंहा खड़ा रह कर मुझे देखेगा , इसको निपटा कर उसके घर जाकर उनकी बहन बेटी और बीवी और बहु को उसके सामने ही चोदुंगा “
मैंने चिल्ला कर कहा और वंहा जैसे हडकंप मच गया लोग वंहा से भागने लगे थे , इतनी ताकत का अंदाजा मुझे आज लगा था , जो लोग मुझे भगवान् की तरह मानते थे वो आज मुझसे किसी शैतान की तरह डर रहे थे ..
मैं उस ओरत के योनी में पुरे ताकत से धक्के मार रहा था , वो भी अब मतवाली होकर इसका मजा ले रही थी , वो अपने घर की इज्जत की फिक्र ही छोड़ चुकी थी , बाकि की दो भी हमें देखकर शांत हो चुकी थी , उनके अंदर भी उत्तेजना हिलोरे मारने लगी थी लेकिन अब भी वो समाज में अपनी इज्जत की फिक्र करके चुप चाप बैठी ही थी , मैंने और तेजी लाइ और अपने वीर्य की धार उस महिला के कोख में डाल दिया ,
शयद इसका कोख भरना भी मेरी जिम्मेदारी थी लेकिन उसे मैं ऐसा पूरा करूँगा ये कोई नहीं सोच सकता था …
जो इसका हिसाब किताब रखती वो अब जा चुकी थी मन एक खुले सांड जैसे आजाद था , दिल में अन्नू के जाने का गम तो था लेकिन वो गम अब गुस्से में बदल चूका था ..
अपने वीर्य की धार उस महिला के योनी में छोड़कर मैं शांत हुआ , हवेली के पुरे कर्मचारी और अम्मा भी मुझे डर से देख रहे थे …
मैंने उनकी ओर नजर डाली
“एक गद्दा सडक में लगा दो जब तक इन दोनों के अन्दर अपना वीर्य नहीं छोडूंगा मैं यंहा से जाने वाला नहीं हु “
मैंने हवेली के एक नौकर को आवाज दी ..
अम्मा के आँखों में आंसू था वो सामने आई
“निशांत हमारे सालो की इज्जत को यु ना उछाल , हमने कभी किसी के साथ अन्याय नहीं किया और तू ये सब कर रहा है , अन्नू फिर से वापस आ जाएगी , तू खुद को सम्हाल “
अम्मा ने आगे आ कर मुझसे कहा
“मादरचोद गद्दा लगा आज मैं तुम्हारी ठकुराइन को भी इसी सड़क में चोदुंगा , और इस सड़क में कोई नहीं आना चाहिए …”
मेरी बात सुनकर वंहा एक शान्ति छा गई लेकिन कुछ सेकण्ड के बाद ही कुछ नौकर तेजी से अपने काम में लग गए … उन्होंने सड़क को रोक दिया और मेरे लिए सड़क के बीचो बीच एक गद्दा लगा दिया ..
अब इस गद्दे में मैं दूसरो की ही नहीं अपनी ही हवेली की इज्जत को उतरने को तैयार था ….
एक एक करके मैंने बाकि की दोनों महिलाओ के साथ बीच सड़क में सम्भोग किया , उनके योनी में अपना वीर्य डाल दिया ..
मैंने अब पास खड़ी अम्मा को आने का इशारा किया ..
पूरी हवेली ये नजारा देख रही थी , साथ ही गाँव के और भी लोग थे जो वंहा दूर खड़े हुए थे ..
अम्मा के आँखों में शर्म और आंसू थे , वो मुझे डांटना चाहती थी लेकिन वो अपने ही जिस्म में उठने वाले तूफ़ान के आगे मजबूर थी ..
वो बुत बनी वही खड़ी रही मैंने आगे जाकर उनके हाथो को थाम लिया और उन्हें लाकर सीधे गद्दे में पटक दिया …
“बंद कमरों में बहुत कर लिया अब तो जो होगा वो खुले में होगा “
मैं चिल्लाया
यंहा मेरा विरोध करने वाला कोई नहीं था , सभी सर झुका कर खड़े थे , मैंने अम्मा के अंगो से उनके वस्त्र को हटाना शुरू किया , वो छटपटाई और मैंने अपनी शक्ति से उनके हवस से भर दिया
वो चाह कर भी खुद को वंहा से हटा नही पा रही थी , आखिर मैंने वही किया जो मुझे करना था , पुरे समाज के सामने मैंने अपनी ही अम्मा के साथ सम्भोग किया , सभी सर झुकाए हुए खड़े थे , और मेरे अंदर शैतान नाचने लगा था , मैं अब एक इन्शान नहीं रह गया था मेरे अंदर एक शैतान का जन्म हो चूका था …