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Adultery भाभियों का रहस्य

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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Nishant ne sahi kiya hum kisi or ki galati ki saza kisi or ko nahi de sakte hai lekin iska matlab ye nahi hai ki ankit or gunjan bhabhi ko baksh diya jaayega badla to hum lenge hi bas andaaz alag honga thik keh raha hu na mai Dr sahab :D
Koku gusse me or bhi jaada pyaari lagti hai :love: dono ke bich hawai ghamasan yudh hone ki aashanka hai :approve:

Annu musibat me hai or isme koi shak nahi hai saccha pyaar karti hai, in sab me uska koi dosh nahi hai bewajh dr sahab ki wajh se wah taklif me hai :sigh: iski saza dr sahab ko dene chahiye :D or ab agar nishant use bachane jaata hai to shayad bigadi hui baat ban sakti hai :?:
 

Studxyz

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कुंवर जी भी काजल का विकास बन कर रह गया है दो बार इसपर जान लेवा हमला हो चुका है लेकिन ये महाशय सड़कों पर मखमली गद्दे लगवा कर के चुदाई का आनंद लेता रहता है और किसी चीज़ की इसे परवाह नहीं है इसकी चोदम चुदाई की करतूतों की वजह से अम्मॉ को अपने दुश्मनों से हाथ मिलाना पड़ा और अब कोकु जी के साथ ना जाने कहाँ माँ चुदाने को उड़ गया है ऊपर से अन्नू भी अगवाह हो गयी ये काम भी कोकु जी का ना हो ?
 
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bantoo

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Behtreen update :applause:
 

Studxyz

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भोसड़ीवाली गुंजन को ज़िंदा छोड़ देना ठरकी चुदाई के बादशाह की बहुत भारी भूल है कुंवर जी को अभी गुंजन व् अंकित के विश्वासघात से अक्ल नहीं आई जो इन दोनों के बस अपने तीसरे दुश्मन यानि कि भतीजे को पैदा होने दे रहा है पर ये बेचारे भी क्या करे विकास का बीज लगता है :D
 

Yamanadu

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अध्याय 24
कमरा खाली था और सामने वो लड़की जिससे मैं प्रेम करता था , शायद उसे लग रहा हो की मैंने उससे बेवफाई की है , वो जानती थी की मेरा हाल क्या है लेकिन फिर भी उसने मुझसे कई उम्मीदे बांध कर रखी थी , उसने कई सपने मेरे साथ संजोये थे , कई अभिलाषाए और कई आशाये उसके मन में कलि की तरह खिल रहे थे , शायद मेरे इस एक हरकत ने उसके सभी उम्मीदों को तार तार कर दिया …
वो वही खड़ी थी बिलकुल किसी पत्थर की तरह , ये वही लड़की थी जिसने मुझे अम्मा के साथ सम्भोग के लिए मनाया था , ये वही लड़की थी जिसने मुझे गांव की ओरतो की लिस्ट दी थी जिसके साथ मुझे सम्भोग करना था , ये वही लड़की थी जिसने मेरे जिस्मानी संबंधो के लिए पूरी प्लानिंग की थी , लेकिन आज ये मेरे कृत्य से दुखी थी …
आखिर ऐसा मैंने क्या कर दिया …???
मैंने उसकी उम्मीद तोड़ दी थी , उसके सपनो को बिखेर दिया था ,
आखिर कैसे …???
वो मेरे जिस्म और हवस पर अपना नियंत्रण चाहती थी , लेकिन मैंने ये नियंत्रण अपने हाथो में लेने की सोच ली , वो मेरे जिस्म पर खुद का अधिकार समझती थी और मैंने उसे झूठा साबित कर दिया था , उसकी आँखे लाल थी और दिल भारी , मैं उसे ऐसे ही छोड़ सकता था , लेकिन मैं उससे प्यार करता था , जिस्म के आकर्षण से अलग भी हमारा एक सम्बन्ध था ..
मैं उसके पास आया और उसके बांहों को थाम लिया ..
“छूना मत मुझे “
वो चिल्लाई
“अन्नू मेरी बात तो सुनो …”
“कुछ नहीं सुनना है मुझे , मैंने तुम्हे कब किसी गैर महिला के साथ सम्बन्ध बनाने से माना किया था , लेकिन वो सिर्फ जिम्मेदारी निभाने के लिए था , ना ही अपनी हवस मिटाने के लिए , तुम ऐसा करोगे ये मैंने सोचा भी नहीं था , क्या ये सब करते हुए तुम्हे मेरा बील्कुल भी ख्याल ना आया ?“
उसका गुस्सा जायज था लेकिन मैं भी तो ऐसे नहीं रह सकता था ..
“अन्नू … जो तुमने देखा मैं ऐसा ही हु , अब खुद को धोखा देने से कुछ नहीं होगा , हम दोनों जानते है की मैंने खुद को कितना नियंत्रित करके रखा है और इसके कारन मैं दबा दबा सा रहने लगा हु , क्या तुम नहीं चाहती की मैं भी खुल कर जीयु …”
“ऐसे खुलकर जीयोगे तुम हा ..”
“मेरी बात समझो अन्नू , “
“बस बहुत हो गया कुवर , मैं ही मुर्ख थी जो तुम्हारे प्यार में पड़ गई , सोचा तुम दूसरो से अलग हो लेकिन नहीं तुम भी दूसरो की ही तरह हवस की आग में डूबे हुए इंसान निकले “
इतना कहकर अन्नू कमरे से बाहर जाने लगी
“अन्नू सुनो तो …” मैं उसके पीछे जाने लगा लेकिन वो सीधे एक ड्राईवर के पास जाकर गाड़ी निकलवा कर ले आई ..
“अन्नू मेरी बात तो सुनो ..”
मैं अभी भी नंगा था और अपने हवेली के बाहर खड़ा था
वो एक ओडी में बैठ चुकी थी
“जाओ कुवर, शायद मैं तुम्हे तुम्हारी जिंदगी नहीं जीने दे सकती , मेरा दूर चले जाना ही तुम्हारे लिए ठीक होंगा “
मैं चिल्लाता रहा और अन्नू ने अपने गाड़ी का शीशा चढ़ा लिया , गाड़ी चली और मैं उसके पीछे भागता हुआ सड़क तक आ गया लेकिन गाड़ी नहीं रुकी और वो मेरे आँखों से ओझल होते चली गई …
अन्नू मुझे छोड़ कर जा चुकी थी , मैं नंगा ही सड़क पर खड़ा था , पूरी हवली मेरे पीछे भागी थी , लोग अजीब नजरो से अपने कुवर को इस तरह नंगा खड़ा हुआ देख रहे थे ,
“कुवर “ एक आदमी मेरे पास एक चादर लेकर आ गया , मैंने उसके हाथो से चादर लेकर उसे वही हवा में फेक दिया ..
“बोल दो पुरे कुवरपुर को की कुवर नंगा हो गया है …”
इतना बोलकर मैं फिर से हवेली की ओर चल दिया , ये गुस्सा सा या प्यार मुझे नहीं पा लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे अंदर से कुछ खाली हो गया है …
मैं हवेली की ओर जाने लगा तभी रास्ते में कुछ ओरते मुझे दिखाई दी , वो किसी काम से जा रही थी और मुझे ऐसे अवस्था में देखकर वही रुक गई थी , वो मुझे बड़े ही आश्चर्य से देख रही थी …
“क्या देख रही हो “
मैं गुस्से में चिल्लाया
वो सभी हडबडा गई
“कुछ नहीं कुवर “
“मादरचोदो मेरा घर टूटता हुआ देख कर मजे कर रही हो , मैं तुम्हरा घर तोड़ता हु “

मैं उनकी ओर बढ़ गया वो डर से कापने लगी थी , वो ३ महिलाये थी जो अपने घर्र का सामान लेने घर से निकली थी , वही एक को पकड़ कर उसकी साड़ी को खिंच दिया …
“कुवर क्या कर रहे हो ..”
वो चिल्लाई लेकिन मैंने किसी की एक ना सुनी बाकि की दो अपना सामान छोड़कर वंहा से भागने को हुई लेकिन मैंने दोनों के हाथ पकड़ कर वही जमीन में उन्हें गिरा दिया
“मालिक माफ़ कर दो हमें जाने दो … यु सरेआम हमें बदनाम मत करो “
वो हाथ जोड़ कर रोने लगी , सड़क में चलती हुई जनता वही थम चुकी थी .लोग मेरे इस व्यवहार से सकते में आ गए थे लेकिन किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी की वो मुझे कुछ बोल पाए , जो मुझे रोकने वाला था वो अभी अभी इस गांव को और मुझे छोड़कर चला गया था …
“मेरे इज्जत को उतरता हुआ देख कर खुश हो ही थी ना , अब पुरे गांव के सामने बीच सड़क में तुम तीनो की इज्जत उतारूंगा “
मैं क्रोध में भरकर बोला
वो तीनो ही रोने लगी ..
“कुवर माफ़ी … माफ़ी कर दो हमें “
उनकी गलती बस इतनी थी की वो गलत समय में गलत जगह पर थी , मैंने एक ओरत को पकड़ कर उसे वही झुका दिया और उसके साड़ी को उसके कमर से उपर कर दिया , बाकि की दो जमीन में गिरी हुई अभी भी काँप रही थी …
“तुम सबको बच्चा चाहिए ना , मादरचोदो अब देता हु बच्चा “
मैंने बिना कुछ सोचे समझे अपना लिंग झुकी हुई महिला के योनी में डाल दिया ..
वो चिल्लाई और रोने लगी लेकिन मैं जैसे पागल ही हो गया था , मैं जोरो से धक्के लगा रहा था , वंहा खड़े लोग आँखे फाड़ कर मुझे देख रहे थे …
“मादरचोदो जो यंहा खड़ा रह कर मुझे देखेगा , इसको निपटा कर उसके घर जाकर उनकी बहन बेटी और बीवी और बहु को उसके सामने ही चोदुंगा “
मैंने चिल्ला कर कहा और वंहा जैसे हडकंप मच गया लोग वंहा से भागने लगे थे , इतनी ताकत का अंदाजा मुझे आज लगा था , जो लोग मुझे भगवान् की तरह मानते थे वो आज मुझसे किसी शैतान की तरह डर रहे थे ..
मैं उस ओरत के योनी में पुरे ताकत से धक्के मार रहा था , वो भी अब मतवाली होकर इसका मजा ले रही थी , वो अपने घर की इज्जत की फिक्र ही छोड़ चुकी थी , बाकि की दो भी हमें देखकर शांत हो चुकी थी , उनके अंदर भी उत्तेजना हिलोरे मारने लगी थी लेकिन अब भी वो समाज में अपनी इज्जत की फिक्र करके चुप चाप बैठी ही थी , मैंने और तेजी लाइ और अपने वीर्य की धार उस महिला के कोख में डाल दिया ,
शयद इसका कोख भरना भी मेरी जिम्मेदारी थी लेकिन उसे मैं ऐसा पूरा करूँगा ये कोई नहीं सोच सकता था …
जो इसका हिसाब किताब रखती वो अब जा चुकी थी मन एक खुले सांड जैसे आजाद था , दिल में अन्नू के जाने का गम तो था लेकिन वो गम अब गुस्से में बदल चूका था ..
अपने वीर्य की धार उस महिला के योनी में छोड़कर मैं शांत हुआ , हवेली के पुरे कर्मचारी और अम्मा भी मुझे डर से देख रहे थे …
मैंने उनकी ओर नजर डाली
“एक गद्दा सडक में लगा दो जब तक इन दोनों के अन्दर अपना वीर्य नहीं छोडूंगा मैं यंहा से जाने वाला नहीं हु “
मैंने हवेली के एक नौकर को आवाज दी ..
अम्मा के आँखों में आंसू था वो सामने आई
“निशांत हमारे सालो की इज्जत को यु ना उछाल , हमने कभी किसी के साथ अन्याय नहीं किया और तू ये सब कर रहा है , अन्नू फिर से वापस आ जाएगी , तू खुद को सम्हाल “
अम्मा ने आगे आ कर मुझसे कहा
“मादरचोद गद्दा लगा आज मैं तुम्हारी ठकुराइन को भी इसी सड़क में चोदुंगा , और इस सड़क में कोई नहीं आना चाहिए …”
मेरी बात सुनकर वंहा एक शान्ति छा गई लेकिन कुछ सेकण्ड के बाद ही कुछ नौकर तेजी से अपने काम में लग गए … उन्होंने सड़क को रोक दिया और मेरे लिए सड़क के बीचो बीच एक गद्दा लगा दिया ..
अब इस गद्दे में मैं दूसरो की ही नहीं अपनी ही हवेली की इज्जत को उतरने को तैयार था ….
एक एक करके मैंने बाकि की दोनों महिलाओ के साथ बीच सड़क में सम्भोग किया , उनके योनी में अपना वीर्य डाल दिया ..
मैंने अब पास खड़ी अम्मा को आने का इशारा किया ..
पूरी हवेली ये नजारा देख रही थी , साथ ही गाँव के और भी लोग थे जो वंहा दूर खड़े हुए थे ..
अम्मा के आँखों में शर्म और आंसू थे , वो मुझे डांटना चाहती थी लेकिन वो अपने ही जिस्म में उठने वाले तूफ़ान के आगे मजबूर थी ..
वो बुत बनी वही खड़ी रही मैंने आगे जाकर उनके हाथो को थाम लिया और उन्हें लाकर सीधे गद्दे में पटक दिया …
“बंद कमरों में बहुत कर लिया अब तो जो होगा वो खुले में होगा “
मैं चिल्लाया
यंहा मेरा विरोध करने वाला कोई नहीं था , सभी सर झुका कर खड़े थे , मैंने अम्मा के अंगो से उनके वस्त्र को हटाना शुरू किया , वो छटपटाई और मैंने अपनी शक्ति से उनके हवस से भर दिया
वो चाह कर भी खुद को वंहा से हटा नही पा रही थी , आखिर मैंने वही किया जो मुझे करना था , पुरे समाज के सामने मैंने अपनी ही अम्मा के साथ सम्भोग किया , सभी सर झुकाए हुए खड़े थे , और मेरे अंदर शैतान नाचने लगा था , मैं अब एक इन्शान नहीं रह गया था मेरे अंदर एक शैतान का जन्म हो चूका था …
Sunny deol type chudai chalu krr diya... yrr Kumar ne loduuu
 

Luckyloda

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अध्याय 28
खच की आवाज के साथ गुंजन ने मेरे गले में खंजर चला दिया था ,
खून के छीटे सीधे उसके चहरे में जा पड़े , वो किसी शैतान की तरह हँसने लगी …
मैं छटपटान चाहता था लेकिन कैसे ???
मेरा शरीर शुन्य था ,
खून की धार मेरे गले से बह रही थी , गुंजन ने फिर से अपना खंजर उठाया , इस बार निशाना सीधे मेरे दिल पर था , उसने अपने दोनों हाथो से मजबूती से खंजर को पकड़ रखा था उसने एक बार मुझे देखा और अपना हाथ चला दिया …
लेकिन ये क्या …
बूम ..
वो दूर जाकर गिरी , मैं अपना सर घुमा कर देखने में नाकाम रहा की आखिर हुआ क्या , लेकिन तभी मेरे सामने जो आकृति उभरी उसे देख कर मेरा मन ही खुश हो गया था …
“कुवर ,ये कहा फंस गए आप “
उसने मुस्कुराते हुए कहा और मेरे गले में बस अपनी उंगलिया चला दी , मेरे गले का जख्म अपने आप ही भरने लगा था , खून बहना रुक गया था …लेकिन मेरा शरीर अब भी नहीं हिल रहा था …
“आखिर आपको हुआ क्या है “
उसने इधर उधर देखा तो उसे खाली इंजेक्शन पड़ा हुआ दिखाई दिया
“क्या दिया है इस डायन ने आपको “
उसकी आँखे लाल होने लगी थी , उसने सीधे मेरे सर में हाथ रखा और आँखे बंद कर ली , अचानक से एक तेज उर्जा का संचार मेरे तन बदन में हुआ जैसे किसी ने मेरे नशों में फिर से जान भर दी हो …
“कोकू …”
मेरे मुह से निकला , उसने प्यार से मरे सर में हाथ फेरा लेकिन उसकी आँखे गुस्से से अभी भी लाल थी .
वो गुंजन की तरफ बढ़ गई उसने हाथो से इशारा किया और गुंजन हवा में लटकने लगी …
गुंजन को अभी भी समझ नहीं आ रहा था की आखिर ये क्या बला है ???
“बचाओ …कोई बचाओ “ गुंजन जोरो से चिल्लाने लगी ..
मैं कोकू के पास जाकर खड़ा हो गया था …
“मेरे कुवर को छूने की तुमे हिम्मत भी कैसे की , अब देख मैं तुझे कितनी दर्दनाक मौत देती हु “
कोकू ने गुस्से में कहा लेकिन तभी ..
“रुक जाओ , निशांत रोक ले इसे नहीं ऐसा मत करो “
भागता हुआ अंकित वंहा आया , कुछ देर के लिए वो भी कोकू को आश्चर्य से देखने लगा लेकिन फिर वो मरे पैरो में गिर गया …
“भाई इसे छोड़ दे ,माफ़ कर दे इसके पेट में मेरा बच्चा है ..”
मैंने आश्चर्य से अंकित की ओर देखा
“भाई तू चाचा बनने वाला है , उसी बच्चे की खातिर मुझे इसकी बात माननी पड़ी , चाहे हो मुझे मार ले लेकिन इसे छोड़ दे “
वो मेरे पैरो को पकडे हुए रो रहा था , मैंने कोकू का हाथ थाम लिया ..
“नहीं मेरी जान , ये मेरे भाई की गर्भवती है “
वो आश्चर्य और बेचैनी से मुझे देखने लगी
“इन दोनों ने मिलकर तुम्हारी जान लेने की कोशिस की है “
वो चिल्लाई लेकिन मैं बस मुस्कुराया
“जैसा भी है लेकिन मैं अपने दोस्त को सजा दे सकता हु उसके होने वाले बच्चे को नही , एक बार मुझसे गलती हुई थी , ये मुझसे दूर हो गया था लेकिन फिर भी मेरे बुरे वक्त में मेरे साथ खड़ा रहा , कम से कम इस बात के लिए तो मैं इसे एक बार माफ़ कर ही सकता हु , तुम्हे मेरी कसम है इन्हें छोड़ दो …”
कोकू का गुस्सा शांत हो गया था उसने गुंजन को नीचे उतार दिया और मेरा हाथ जोरो से थाम लिया ..
“याद रखना कुवर मेरा है , अगर किसी ने इसके तरफ आँखे भी उठाई तो आँखे नोच दूंगी “
कोकू ने मेरा हाथ थमा और उसने मुझे हवा में उड़ा दिया …
“हम कहा जा रहे है ??”
मैंने उसे इतना बेचैन कभी नहीं देखा था
“यंहा से बहुत दूर …”
उसने मुझसे बस इतना ही कहा ……….

***************************************
शहर सुवालाल जी(अन्नू के पिता ) का घर ….
“आखिर ये हुआ कैसे “
सुवालाल जी की बात सुनकर अम्मा परेशान थी , डॉ चुतिया से मिलने के बाद वो अब्दुल और बलवंत के साथ सुवालाल के पास अन्नू से मिलने आई थी , एक वही थी जो निशांत के अंदर के शैतान को सम्हाल सकती थी …लेकिन यंहा तो मामला ही अलग हो चूका था ..
“क्या बताऊ अम्मा , जब से गांव से आई थी बस दिन रात रोना , ना ढंग से खाती थी ना पीती थी , मैं भी परेशान था , लेकिन आज पता नहीं क्या हुआ , वो कमरे में नहीं थी , बहुत ढूंढा सोचा आसपास कही गई होगी लेकिन वो नहीं मिली , सोचा था आपसे बात करके पुछू की कही वो फिर से गांव तो नहीं चली गई लेकिन अब आप लोग ही यंहा आ गए …”
“आखिर वो गई कहा ??”
अम्मा जैसे खुद से बडबडाई
इस बीच अब्दुल बोल उठा
“मैं जन्हा तक अन्नू को जानता हु वो बहुत ही समझदार लड़की है वो कही भी ऐसे ही नहीं चली जायेगी , उसे अपने दुःख का सामना करना आता है , मैं अभी यंहा के sp से बात करके उसे पूरा जोर लगाने को कहता हु , फिक्र मत कीजिए प्रशासन और पुलिस आपके साथ है , हम पूरा जोर लगा देंगे “
अब कोई कहता भी तो क्या ही कहता , कमरा अंदर से बंद था और अनु कही गायब थी , बस उसके कमरे की खिड़की खुली हुई थी लेकिन दो मंजिल उपर के कमरे से आखिर वो खिड़की से कैसे निकल सकती थी ????

**********************************************
इधर एक सुनसान कमरा
“कौन है ?? कौन है यंहा …दरवाजा खोलो “
अन्नू की आँखों में आंसू था वो आज सुबह से बस यही चिल्ला रही थी और बार बार दरवाजे को पिट रही थी लेकिन कही से कोई जवाब नहीं आ रहा था …
आखिर वो यंहा पहुची कैसे ???
उसने सोचने की बहुत कोशिस की
रात वो निशांत की याद में खूब रोई थी , एक कुवरगढ़ से आने के बाद से उसने एक अन्न का दाना अपने मुह में नहीं डाला था , रोते हुए कब उसकी नींद पड़ लग गई उसे पता भी ना चला ,जब नींद खुली तो वो इस कमरे में थी …
बेचैन और परेशान वो बस बार बार अपने कुँवर को ही याद किये जा रही थी ,,




लो बहन चोदो,
और मांग लो डॉक्टर साहब से अपडेट😪😪😪😪😪


बहन चोद एक चुतियापा खत्म होता नहीं 😉😉😉


डॉक्टर साहब दो और नए खड़े कर देते हैं 😜😜😜😜😜😜



सस्पेंस की मां चोद रखी है डॉक्टर साहब ने🤣🤣🤣



अगले अपडेट का और भी बेसब्री से इंतजार है
 

Yamanadu

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अध्याय 27
झरने की आवाज और उसका ठंडा पानी में मेरे मन को शीतलता नहीं दे पा रहा था , मैं झरने के निचे खड़ा हुआ अपने अंदर की आग को शांत करने की कोशिस कर रहा था , अन्नू के जाने के बाद से ही मैं पागल सा हो गा गया था , सामने जो लड़की दिखे उसके उपर चढ़ जाता , कल मैंने गांव की स्त्रियों के साथ सड़क में ही सम्भोग कर दिया , मुझे अपनी अपने कुल की और ना ही अम्मा और उन ओरतो की इज्जत की कोई चिंता हुई , मैं एक जानवर बन रहा था और मेरा सामना करने वाला कोई नहीं था ,
आज सुबह से मैं 5 लडकियों को भोग चूका था , अम्मा गांव की कुछ ओरतो के साथ शहर गई थी और सभी को सख्त हिदायत दी गई थी की उनके आने तक मुझे कमरे से ना निकलने दिया जाए , हर एक घंटे में एक नयी लड़की को मेरे पास भेजा जा रहा था , ये सभी वही ओरते थी जिनकी कोख मुझे भरनी थी , 5 ओरतो के कोख में अपना वीर्य भरने के बाद भी मैं वासना की आग में जल रहा था, लेकिन मुझे थोड़ी चेतना जरुर आई , मैं खुद को स्वतंत्र करना चाहता था लेकिन उल्टे मैं वासना के भवर में फंस रहा था , ये ख्याल आते ही मैंने खुद को नियंत्रित करने की सोची , मेरा ये पागलपन गांव वालो के लिए और अम्मा के लिए भी एक मुसिबित बन चूका था , मैं बाहर जाने लगा तो मुझे लोगो ने रोका , कालू भी उनमे शामिल था …
“कुवर अम्मा का आदेश है आप बाहर नहीं जा सकते , आपको जो चाहिए वो हम आपको आपके कमरे में लाकर दे देंगे ..”
मैंने गुस्से से भरी आँखों से कालू को देखा , उसके चहरे में पसीने आ गए थे
“शांति मुझे शांति चाहिए “ मैंने दबे हुए स्वर में ही उससे कहा
“कहा रहती है महराज बताइए अभी आपकी सेवा में हाजिर कर देते है , अरे ये शांति कौन है “
पास खड़ा मुंशी थोडा सोचने लगा
“शायद महुआ की बहन का नाम है “
उसने सोचते हुए कहा
लेकिन उनकी इन हरकतों से मेरा दिमाग ख़राब हो गया था ,
“अबे चुतियो शांति मतलब , मन की शांति , मुझे मन की शांति चाहिए और ये मुझे इस कमरे में रहकर नहीं मिल सकता , जितना मैं सम्भोग करता हु उतना ही वासना और भी बलवती होने लगती है , ये एक श्राप सा है , मुझे एकांत चाहिए हटो सामने से वरना सबका सर फोड़ दूंगा “
मेरा गुस्सा देखकर वो थोड़े बाजु हुए
“कुवर , कोई पसंद आ जाए तो उसके घर चले जाना , सड़क में नहीं वरना अम्मा हमे मार डालेगी “
कालू ने हिम्मत करके कहा , मैं बिना कुछ बोले ही अपनी बुलेट उठा कर झरने की ओर चल पड़ा …
गांव में जो भी मुझे देखता वो वही जम जाता था ,कल की हरकत के बाद से सभी मुझसे डरने लगे थे , क्या मैं एक शैतान बन चूका हु ,
ये सवाल मेरे मन को खाए जा रहा था , अंकित भी अपने घर के सामने बैठा था हम दोनों की आँखे मिली वो उठ कर खड़ा हो गया लेकिन मैं अभी उससे बात नहीं करना चाहता था ..
मैं सीधे झरने के पास आकर निर्वस्त्र होकर झरने के निचे खड़ा हो गया , लेकिन ये पानी मुझे शांत नही कर पा रही थी , शायद वो अन्नू ही थी जिसका प्यार मुझे शांत कर सकता था लेकिन वो यंहा नहीं थी …
****************
इधर अंकित के घर में …
“नहीं भाभी वो मेरा बचपन का दोस्त है मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकता , आखिर अम्मा भी तो गई है ना डॉ साहब के पास , वो कोई ना कोई हल निकाल ही लेगी “
शायद ये जीवन में पहली बार था जब अंकित ने अपनी भाभी की बात नहीं मानी थी , गुंजन के हाथो में एक इंजेक्शन था , उसने बड़े ही प्यार से अंकित के सर को सहलाया और उसके हाथो को अपने पेट में रख दिया ..
“देख ये जो मेरे पेट के अंदर पल रहा है वो तेरा बच्चा है , तू क्या चाहता है की दुनिया वाले ये बोले की मेरा गर्भ भी उस कुवर ने भरा है , “
अंकित थोडा सकपकाया
“तो दुनिया वालो के सामने क्या बोलोगी की ये गर्भ भाई का है ??”
गुंजन मुस्कुराई
“नहीं छाती ठोककर बोलूंगी की ये गर्भ तेरा है , और मैं भी “
गुंजन अंकित के गोद में बैठ गई थी ..और उसके बालो को सहलाती हुई उसने अंकित के होठो को हलके से चूमा
“यंहा तो पूरा गांव ही कुवर ने नंगा कर दिया है , अब किस बात की शर्म “
गुंजन की बात सुनकर अंकित का सर झुक गया , वो कभी अपनी भाभी की पूजा करता था , उन्हें माँ के समान सम्मान देता था लेकिन कुवर के कारण उन दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ता बन गया और ये वासना की आग कभी नहीं बुझी , छिप छिप कर ही सही लेकिन दोनों एक दुसरे के जिस्म की आग को बुझाते रहे ,एक निश्छल प्रेम कब वासना बन गई उन्हें पता ही नहीं चला …
“वो सब तो ठीक है भाभी पर निशांत को मारने की क्या जरुरत है , वो हमारा नुकसान नहीं करेगा “
गुंजन जोरो से हँसी
“कल देखा उसने क्या किया , बीच सड़क में जिसने अपनी खुद की माँ की इज्जत उतार दी वो तेरी या मेरी क्या फिक्र करेगा …”
अंकित को पता था की अम्मा निशांत की असली माँ है ,इसलिए वो गुंजन की बात पर चौका नहीं , असल में गुंजन ने ही उसे ये बताया था ..
“भाभी वो अन्नू के जाने के कारन सदमे में था , वो ठीक हो जायेगा , मैं उसे अच्छे से जानता हु , अभी जब वो घर के सामने से गुजरा तो मैंने उसकी आँखों में देखा था , उसकी आँखों में प्रायश्चित था , वो अपने कृत्य से दुखी है , मैं जानता हु वो दिल का बहुत अच्छा है “
गुंजन उसे गुस्से से घूरने लगी
“तुझे समझ नहीं आता क्या , वो शैतान है और एक शैतान की ओलाद भी , ये एक इंजेक्शन उसके शरीर में लगा दे बस , उसका सारा शरीर लकवाग्रस्त हो जाएगा फिर अगर तुझसे ना हो सके तो मैं ही उसका सर पत्थर से कुचल दूंगी …”
गुंजन की आँखों में अंगारे थी उसका ये रूप देख कर अंकित भी काँप गया …
“लेकिन भाभी इससे आखिर होगा भी क्या ..आपको इससे क्या मिलेगा ??”
गुंजन हँसने लगी और फिर गंभीर होकर अंकित के चहरे को हाथो से पकड लिया …
“अगर एक कुवर जायेगा तो दूसरा कुवर आएगा , तू मेरी जान तू , तू होगा दूसरा कुवर , इस गांव की सभी महिलाओ के योनी को भोगने वाला , सभी के गर्भ में अपना बच्चा डालने वाला , और अम्मा की सारी सम्पत्ति का अकेला वारिस , मैं तुझे राजा के दोस्त की तरह नहीं बल्कि राजा की तरह देखना चाहती हु , मैं तुझे वो शैतानी शक्ति दिलवाऊगी और फिर अम्मा के हवेली में तू अम्मा को ही कुतिया बना कर रखना , उसके गले में कुत्ते का पट्टा होगा और वो नंगी तेरे आदेश पर अपनी गांड हिलाएगी ,और मैं उसके बड़े से सिहासन में मैं सबके सामने तेरे गोद में बैठूंगी , तू यंहा का राजा होगा और मैं तेरी रानी “
गुंजन की बातो में जैसे सम्मोहन था , अंकित के सामने वो नजारा घुमने लगा , उसके शरीर में जैसे कोई करेंट दौड़ गया था , गुंजन ये बात समझती थी उसने अंकित का हाथ पकड कर अपने साड़ी के अंदर अपनी योनी पर टिका दिया …
“सोच मेरे राज जब हमें यु छिप छिप कर नहीं मिलना पड़ेगा , जब तू मुझे पुरे हवेली में दौड़ा दौड़ा कर भोगेगा , और मैं खिलखिलाते हुए अपने राजा की बांहों में समां जाउंगी “
अंकित का लिंग तनने लगा था , लेकिन था तो वो निशांत का दोस्त ही ..
“भाभी बस , ये सपना अच्छा है लेकिन , लेकिन मैं कुवर की जगह कभी नहीं ले सकता “
गुंजन के होठो पर एक मुस्कान आ गई
“ले सकता है , आखिर तुम दोनों का बाप एक ही तो है “
अंकित आँखे फाड़े गुंजन को देखने लगा , उसके माथे पर पसीना था और पूरा शरीर काँप रहा था , उसे अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ …
“क्या बोल रही हो ??”
उसके हर शब्द काँप रहे थे … गुंजन के होठो की मुस्कान और भी तेज हो गई
“हा वो तांत्रिक ही तुम्हारा असली बाप है और तुम्हारी माँ अपनी मर्जी से उसके पास जाया करती थी , तुम उसकी पहली ओलाद हो , उन दोनों के प्रेम का बीज जबकि निशांत … वो तो बलात्कार से पैदा हुआ है , निशांत ना केवल तुम्हारा नाजायज भाई है बल्कि वो तुम्हारे असली पिता का कातिल भी है “
अंकित को जैसे अपने कानो पर यकीन नहीं हो रहा था , उसके आँखों के सामने अपनी माँ की छबि आ गई , कितनी सुन्दर थी उसकी माँ और कितनी भोली भाली सी , उसे यकीन नहीं हो रहा था की वो ऐसा कर सकती थी , वो चाहता था की गुंजन की बात झूठ हो लेकिन गुंजन के आँखों में उसने आत्मविश्वास देखा था ..
“लेकिन …”
वो कुछ बोलने ही वाला था की गुंजन ने उसके होठो पर उंगली रख दी
“ये बात गांव की कुछ ओरते जानती है ,अम्मा भी , सभी को पता है की तुम भी उसी तांत्रिक का खून हो लेकिन सभी ने तुम्हारी जगह निशांत को वो ताकत दी , तुम बड़े बेटे थे उस शक्ति पर पहला हक तुम्हारा था , मैंने कई बार ये बात सभी के सामने रखी लेकिन इस राज को कोई समाज के बीच नहीं खोलना चाहता इसलिए तुम्हारे पिता का सच सिमित लोगो को ही पता रहा , इसीलिए तुम्हारी जगह भाभियों की समिति ने निशांत को ताकत दिलवाई …”
अंकित का मन उधेड़ बन में लगा हुआ था , गुंजन ने उसका हाथ थाम लिया और अपने पेट में रख दिया
“अगर मेरे लिए नहीं तो इसके लिए ही सही , तुम्हे ये करना ही होगा अंकित , तुम्हे तुम्हारे होने वाले बच्चे की कसम है “
**************************
इधर झरने में
मैंने ठन्डे पानी से खुद को शांत किया और अपने जीवन के बारे में सोचने लगा , क्या क्या नहीं हो गया मेरे साथ , एक बार तो मैं मौत के मुह से बाहर निकला , जीवन पता नही और क्या क्या रंग दिखाने वाली थी …
एक गाड़ी की आवाज से मेरा ध्यान उस ओर गया , सामने से अंकित आ रहा था , उसके चहरे का रंग उड़ा हुआ था , मैं झरने से निकल कर उसके पास गया ,मैं अभी भी नग्न था …
“तुम यंहा क्या करे रहे हो , और इतने परेशान को दिख रहे हो “
मैंने उसके पास पंहुचा
“भाई मुझे माफ़ कर देना “
वो रो पड़ा और मेरे गले से लग गया , मैं कुछ समझ पता उससे पहले से मेरे पीठ पर कुछ चुभा और अंकित मुझसे अलग हुआ ..
“अबे ये क्या था ??”
वो बस रो रहा था ,मैंने उसके हाथो में एक इंजेक्शन देखा और आश्चर्य से अंकित की ओर देखने लगा , आखिर ये कर क्या रहा है … मैं कुछ समझने की कोशिस कर ही रहा था की मेरी आवाज लडखडाने लगी , हाथ पैर जैसे सुन्न होने लगे ,
“ये क्या है “ मैं बोला लेकिन बोल मुह से अच्छे से नहीं निकल पाए , मेरे पैरो ने जवाब दे दिया था , मैं जमीन में गिरने लगा
अंकित ने दौड़कर मुझे सम्हाला और मुझे उसी पत्थर पर सुला दिया ,
“माफ़ करना भाई , मुझे दौलत और ताकत की चाहत नही है ,लेकिन जिसकी मुझे चाहत है उसने मुझे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया “
वो रोते हुए मेरे हाथो को थाम लिया , तभी मुझे वंहा किसी और के भी होने का अहसास हुआ , मैं अपना सर नहीं घुमा पा रहा था , पूरा शरीर ही शुन्य हो गया था , मेरा मेरे शरीर पर जैसे कोई अधिकार ही ना रहा हो ..
मैं निर्जीव सा बस उन्हें देखे जा रहा था ..
मुस्कुराता हुआ गुंजन भाभी का चहरा मेरे सामने आया …
“बहुत बढ़िया , देखो तो कितना सुंदर शरीर है इसका और ये ..”
उन्होंने मेरे लिंग को सहलाया
“इसके कारण पूरा गांव डरा हुआ था , अब सबको चैन मिलेगा और मैं बनूँगी इस गांव की रानी , और अम्मा होगी मेरी दासी हा हा हा “ वो जोरो से हँस पड़ी
मेरे कानो आवाज तो आ रही थी गुंजन का ये रूप देखकर मैं भी हैरान था लेकिन क्या करता …
“तुम अब यंहा से जाओ अंकित आगे जो होगा तुम उसे नहीं देख पाओगे “
“भाभी प्लीज … “
“जाओ यंहा से “
गुंजन जोरो से चिल्लाई अंकित अपने आंसू पोछता हुआ वंहा से निकल गया
भाभी ने एक खंजर आगे किया …
“तेरी एक एक बोटी काट दूंगी , किसी को पता भी नहीं लगेगा की तू कहा गया “
उनकी आंखे लाल थी और चहरा तमतमाया हुआ ….
उन्होंने खंजर मेरे गले में रखा और ..
खच ….
रक्त की धार मेरे गले से बहने लगी थी ………….
Chutiya bro msst ... kalm chlate ho
.. sayd tum wahi ho jo desibees aur xossip p tha.. drchutiyqaaaa. Welcome back
 

Ajju Landwalia

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अध्याय 28
खच की आवाज के साथ गुंजन ने मेरे गले में खंजर चला दिया था ,
खून के छीटे सीधे उसके चहरे में जा पड़े , वो किसी शैतान की तरह हँसने लगी …
मैं छटपटान चाहता था लेकिन कैसे ???
मेरा शरीर शुन्य था ,
खून की धार मेरे गले से बह रही थी , गुंजन ने फिर से अपना खंजर उठाया , इस बार निशाना सीधे मेरे दिल पर था , उसने अपने दोनों हाथो से मजबूती से खंजर को पकड़ रखा था उसने एक बार मुझे देखा और अपना हाथ चला दिया …
लेकिन ये क्या …
बूम ..
वो दूर जाकर गिरी , मैं अपना सर घुमा कर देखने में नाकाम रहा की आखिर हुआ क्या , लेकिन तभी मेरे सामने जो आकृति उभरी उसे देख कर मेरा मन ही खुश हो गया था …
“कुवर ,ये कहा फंस गए आप “
उसने मुस्कुराते हुए कहा और मेरे गले में बस अपनी उंगलिया चला दी , मेरे गले का जख्म अपने आप ही भरने लगा था , खून बहना रुक गया था …लेकिन मेरा शरीर अब भी नहीं हिल रहा था …
“आखिर आपको हुआ क्या है “
उसने इधर उधर देखा तो उसे खाली इंजेक्शन पड़ा हुआ दिखाई दिया
“क्या दिया है इस डायन ने आपको “
उसकी आँखे लाल होने लगी थी , उसने सीधे मेरे सर में हाथ रखा और आँखे बंद कर ली , अचानक से एक तेज उर्जा का संचार मेरे तन बदन में हुआ जैसे किसी ने मेरे नशों में फिर से जान भर दी हो …
“कोकू …”
मेरे मुह से निकला , उसने प्यार से मरे सर में हाथ फेरा लेकिन उसकी आँखे गुस्से से अभी भी लाल थी .
वो गुंजन की तरफ बढ़ गई उसने हाथो से इशारा किया और गुंजन हवा में लटकने लगी …
गुंजन को अभी भी समझ नहीं आ रहा था की आखिर ये क्या बला है ???
“बचाओ …कोई बचाओ “ गुंजन जोरो से चिल्लाने लगी ..
मैं कोकू के पास जाकर खड़ा हो गया था …
“मेरे कुवर को छूने की तुमे हिम्मत भी कैसे की , अब देख मैं तुझे कितनी दर्दनाक मौत देती हु “
कोकू ने गुस्से में कहा लेकिन तभी ..
“रुक जाओ , निशांत रोक ले इसे नहीं ऐसा मत करो “
भागता हुआ अंकित वंहा आया , कुछ देर के लिए वो भी कोकू को आश्चर्य से देखने लगा लेकिन फिर वो मरे पैरो में गिर गया …
“भाई इसे छोड़ दे ,माफ़ कर दे इसके पेट में मेरा बच्चा है ..”
मैंने आश्चर्य से अंकित की ओर देखा
“भाई तू चाचा बनने वाला है , उसी बच्चे की खातिर मुझे इसकी बात माननी पड़ी , चाहे हो मुझे मार ले लेकिन इसे छोड़ दे “
वो मेरे पैरो को पकडे हुए रो रहा था , मैंने कोकू का हाथ थाम लिया ..
“नहीं मेरी जान , ये मेरे भाई की गर्भवती है “
वो आश्चर्य और बेचैनी से मुझे देखने लगी
“इन दोनों ने मिलकर तुम्हारी जान लेने की कोशिस की है “
वो चिल्लाई लेकिन मैं बस मुस्कुराया
“जैसा भी है लेकिन मैं अपने दोस्त को सजा दे सकता हु उसके होने वाले बच्चे को नही , एक बार मुझसे गलती हुई थी , ये मुझसे दूर हो गया था लेकिन फिर भी मेरे बुरे वक्त में मेरे साथ खड़ा रहा , कम से कम इस बात के लिए तो मैं इसे एक बार माफ़ कर ही सकता हु , तुम्हे मेरी कसम है इन्हें छोड़ दो …”
कोकू का गुस्सा शांत हो गया था उसने गुंजन को नीचे उतार दिया और मेरा हाथ जोरो से थाम लिया ..
“याद रखना कुवर मेरा है , अगर किसी ने इसके तरफ आँखे भी उठाई तो आँखे नोच दूंगी “
कोकू ने मेरा हाथ थमा और उसने मुझे हवा में उड़ा दिया …
“हम कहा जा रहे है ??”
मैंने उसे इतना बेचैन कभी नहीं देखा था
“यंहा से बहुत दूर …”
उसने मुझसे बस इतना ही कहा ……….

***************************************
शहर सुवालाल जी(अन्नू के पिता ) का घर ….
“आखिर ये हुआ कैसे “
सुवालाल जी की बात सुनकर अम्मा परेशान थी , डॉ चुतिया से मिलने के बाद वो अब्दुल और बलवंत के साथ सुवालाल के पास अन्नू से मिलने आई थी , एक वही थी जो निशांत के अंदर के शैतान को सम्हाल सकती थी …लेकिन यंहा तो मामला ही अलग हो चूका था ..
“क्या बताऊ अम्मा , जब से गांव से आई थी बस दिन रात रोना , ना ढंग से खाती थी ना पीती थी , मैं भी परेशान था , लेकिन आज पता नहीं क्या हुआ , वो कमरे में नहीं थी , बहुत ढूंढा सोचा आसपास कही गई होगी लेकिन वो नहीं मिली , सोचा था आपसे बात करके पुछू की कही वो फिर से गांव तो नहीं चली गई लेकिन अब आप लोग ही यंहा आ गए …”
“आखिर वो गई कहा ??”
अम्मा जैसे खुद से बडबडाई
इस बीच अब्दुल बोल उठा
“मैं जन्हा तक अन्नू को जानता हु वो बहुत ही समझदार लड़की है वो कही भी ऐसे ही नहीं चली जायेगी , उसे अपने दुःख का सामना करना आता है , मैं अभी यंहा के sp से बात करके उसे पूरा जोर लगाने को कहता हु , फिक्र मत कीजिए प्रशासन और पुलिस आपके साथ है , हम पूरा जोर लगा देंगे “
अब कोई कहता भी तो क्या ही कहता , कमरा अंदर से बंद था और अनु कही गायब थी , बस उसके कमरे की खिड़की खुली हुई थी लेकिन दो मंजिल उपर के कमरे से आखिर वो खिड़की से कैसे निकल सकती थी ????

**********************************************
इधर एक सुनसान कमरा
“कौन है ?? कौन है यंहा …दरवाजा खोलो “
अन्नू की आँखों में आंसू था वो आज सुबह से बस यही चिल्ला रही थी और बार बार दरवाजे को पिट रही थी लेकिन कही से कोई जवाब नहीं आ रहा था …
आखिर वो यंहा पहुची कैसे ???
उसने सोचने की बहुत कोशिस की
रात वो निशांत की याद में खूब रोई थी , एक कुवरगढ़ से आने के बाद से उसने एक अन्न का दाना अपने मुह में नहीं डाला था , रोते हुए कब उसकी नींद पड़ लग गई उसे पता भी ना चला ,जब नींद खुली तो वो इस कमरे में थी …
बेचैन और परेशान वो बस बार बार अपने कुँवर को ही याद किये जा रही थी ,,

Koku, ise kaise bul gaya me, aakhir sachcha pyar he dono me...... Nishant ko bachane ke liye Koku to aana hi tha..........

Gunjan ko chhod kar shayad Nishant ne bahut badi galti ki he..... ye aage chal kar lafda jarur karegi....

Annu ko aakshir kisne kaid kar rakha he, shayad Balwant....... ya koi aur.........

Waiting for the next
 

parkas

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अध्याय 28
खच की आवाज के साथ गुंजन ने मेरे गले में खंजर चला दिया था ,
खून के छीटे सीधे उसके चहरे में जा पड़े , वो किसी शैतान की तरह हँसने लगी …
मैं छटपटान चाहता था लेकिन कैसे ???
मेरा शरीर शुन्य था ,
खून की धार मेरे गले से बह रही थी , गुंजन ने फिर से अपना खंजर उठाया , इस बार निशाना सीधे मेरे दिल पर था , उसने अपने दोनों हाथो से मजबूती से खंजर को पकड़ रखा था उसने एक बार मुझे देखा और अपना हाथ चला दिया …
लेकिन ये क्या …
बूम ..
वो दूर जाकर गिरी , मैं अपना सर घुमा कर देखने में नाकाम रहा की आखिर हुआ क्या , लेकिन तभी मेरे सामने जो आकृति उभरी उसे देख कर मेरा मन ही खुश हो गया था …
“कुवर ,ये कहा फंस गए आप “
उसने मुस्कुराते हुए कहा और मेरे गले में बस अपनी उंगलिया चला दी , मेरे गले का जख्म अपने आप ही भरने लगा था , खून बहना रुक गया था …लेकिन मेरा शरीर अब भी नहीं हिल रहा था …
“आखिर आपको हुआ क्या है “
उसने इधर उधर देखा तो उसे खाली इंजेक्शन पड़ा हुआ दिखाई दिया
“क्या दिया है इस डायन ने आपको “
उसकी आँखे लाल होने लगी थी , उसने सीधे मेरे सर में हाथ रखा और आँखे बंद कर ली , अचानक से एक तेज उर्जा का संचार मेरे तन बदन में हुआ जैसे किसी ने मेरे नशों में फिर से जान भर दी हो …
“कोकू …”
मेरे मुह से निकला , उसने प्यार से मरे सर में हाथ फेरा लेकिन उसकी आँखे गुस्से से अभी भी लाल थी .
वो गुंजन की तरफ बढ़ गई उसने हाथो से इशारा किया और गुंजन हवा में लटकने लगी …
गुंजन को अभी भी समझ नहीं आ रहा था की आखिर ये क्या बला है ???
“बचाओ …कोई बचाओ “ गुंजन जोरो से चिल्लाने लगी ..
मैं कोकू के पास जाकर खड़ा हो गया था …
“मेरे कुवर को छूने की तुमे हिम्मत भी कैसे की , अब देख मैं तुझे कितनी दर्दनाक मौत देती हु “
कोकू ने गुस्से में कहा लेकिन तभी ..
“रुक जाओ , निशांत रोक ले इसे नहीं ऐसा मत करो “
भागता हुआ अंकित वंहा आया , कुछ देर के लिए वो भी कोकू को आश्चर्य से देखने लगा लेकिन फिर वो मरे पैरो में गिर गया …
“भाई इसे छोड़ दे ,माफ़ कर दे इसके पेट में मेरा बच्चा है ..”
मैंने आश्चर्य से अंकित की ओर देखा
“भाई तू चाचा बनने वाला है , उसी बच्चे की खातिर मुझे इसकी बात माननी पड़ी , चाहे हो मुझे मार ले लेकिन इसे छोड़ दे “
वो मेरे पैरो को पकडे हुए रो रहा था , मैंने कोकू का हाथ थाम लिया ..
“नहीं मेरी जान , ये मेरे भाई की गर्भवती है “
वो आश्चर्य और बेचैनी से मुझे देखने लगी
“इन दोनों ने मिलकर तुम्हारी जान लेने की कोशिस की है “
वो चिल्लाई लेकिन मैं बस मुस्कुराया
“जैसा भी है लेकिन मैं अपने दोस्त को सजा दे सकता हु उसके होने वाले बच्चे को नही , एक बार मुझसे गलती हुई थी , ये मुझसे दूर हो गया था लेकिन फिर भी मेरे बुरे वक्त में मेरे साथ खड़ा रहा , कम से कम इस बात के लिए तो मैं इसे एक बार माफ़ कर ही सकता हु , तुम्हे मेरी कसम है इन्हें छोड़ दो …”
कोकू का गुस्सा शांत हो गया था उसने गुंजन को नीचे उतार दिया और मेरा हाथ जोरो से थाम लिया ..
“याद रखना कुवर मेरा है , अगर किसी ने इसके तरफ आँखे भी उठाई तो आँखे नोच दूंगी “
कोकू ने मेरा हाथ थमा और उसने मुझे हवा में उड़ा दिया …
“हम कहा जा रहे है ??”
मैंने उसे इतना बेचैन कभी नहीं देखा था
“यंहा से बहुत दूर …”
उसने मुझसे बस इतना ही कहा ……….

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शहर सुवालाल जी(अन्नू के पिता ) का घर ….
“आखिर ये हुआ कैसे “
सुवालाल जी की बात सुनकर अम्मा परेशान थी , डॉ चुतिया से मिलने के बाद वो अब्दुल और बलवंत के साथ सुवालाल के पास अन्नू से मिलने आई थी , एक वही थी जो निशांत के अंदर के शैतान को सम्हाल सकती थी …लेकिन यंहा तो मामला ही अलग हो चूका था ..
“क्या बताऊ अम्मा , जब से गांव से आई थी बस दिन रात रोना , ना ढंग से खाती थी ना पीती थी , मैं भी परेशान था , लेकिन आज पता नहीं क्या हुआ , वो कमरे में नहीं थी , बहुत ढूंढा सोचा आसपास कही गई होगी लेकिन वो नहीं मिली , सोचा था आपसे बात करके पुछू की कही वो फिर से गांव तो नहीं चली गई लेकिन अब आप लोग ही यंहा आ गए …”
“आखिर वो गई कहा ??”
अम्मा जैसे खुद से बडबडाई
इस बीच अब्दुल बोल उठा
“मैं जन्हा तक अन्नू को जानता हु वो बहुत ही समझदार लड़की है वो कही भी ऐसे ही नहीं चली जायेगी , उसे अपने दुःख का सामना करना आता है , मैं अभी यंहा के sp से बात करके उसे पूरा जोर लगाने को कहता हु , फिक्र मत कीजिए प्रशासन और पुलिस आपके साथ है , हम पूरा जोर लगा देंगे “
अब कोई कहता भी तो क्या ही कहता , कमरा अंदर से बंद था और अनु कही गायब थी , बस उसके कमरे की खिड़की खुली हुई थी लेकिन दो मंजिल उपर के कमरे से आखिर वो खिड़की से कैसे निकल सकती थी ????

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इधर एक सुनसान कमरा
“कौन है ?? कौन है यंहा …दरवाजा खोलो “
अन्नू की आँखों में आंसू था वो आज सुबह से बस यही चिल्ला रही थी और बार बार दरवाजे को पिट रही थी लेकिन कही से कोई जवाब नहीं आ रहा था …
आखिर वो यंहा पहुची कैसे ???
उसने सोचने की बहुत कोशिस की
रात वो निशांत की याद में खूब रोई थी , एक कुवरगढ़ से आने के बाद से उसने एक अन्न का दाना अपने मुह में नहीं डाला था , रोते हुए कब उसकी नींद पड़ लग गई उसे पता भी ना चला ,जब नींद खुली तो वो इस कमरे में थी …
बेचैन और परेशान वो बस बार बार अपने कुँवर को ही याद किये जा रही थी ,,
Bahut hi badhiya update diya hai Chutiyadr bhai.....
Nice and lovely update....
 

Tiger 786

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173
अध्याय 28
खच की आवाज के साथ गुंजन ने मेरे गले में खंजर चला दिया था ,
खून के छीटे सीधे उसके चहरे में जा पड़े , वो किसी शैतान की तरह हँसने लगी …
मैं छटपटान चाहता था लेकिन कैसे ???
मेरा शरीर शुन्य था ,
खून की धार मेरे गले से बह रही थी , गुंजन ने फिर से अपना खंजर उठाया , इस बार निशाना सीधे मेरे दिल पर था , उसने अपने दोनों हाथो से मजबूती से खंजर को पकड़ रखा था उसने एक बार मुझे देखा और अपना हाथ चला दिया …
लेकिन ये क्या …
बूम ..
वो दूर जाकर गिरी , मैं अपना सर घुमा कर देखने में नाकाम रहा की आखिर हुआ क्या , लेकिन तभी मेरे सामने जो आकृति उभरी उसे देख कर मेरा मन ही खुश हो गया था …
“कुवर ,ये कहा फंस गए आप “
उसने मुस्कुराते हुए कहा और मेरे गले में बस अपनी उंगलिया चला दी , मेरे गले का जख्म अपने आप ही भरने लगा था , खून बहना रुक गया था …लेकिन मेरा शरीर अब भी नहीं हिल रहा था …
“आखिर आपको हुआ क्या है “
उसने इधर उधर देखा तो उसे खाली इंजेक्शन पड़ा हुआ दिखाई दिया
“क्या दिया है इस डायन ने आपको “
उसकी आँखे लाल होने लगी थी , उसने सीधे मेरे सर में हाथ रखा और आँखे बंद कर ली , अचानक से एक तेज उर्जा का संचार मेरे तन बदन में हुआ जैसे किसी ने मेरे नशों में फिर से जान भर दी हो …
“कोकू …”
मेरे मुह से निकला , उसने प्यार से मरे सर में हाथ फेरा लेकिन उसकी आँखे गुस्से से अभी भी लाल थी .
वो गुंजन की तरफ बढ़ गई उसने हाथो से इशारा किया और गुंजन हवा में लटकने लगी …
गुंजन को अभी भी समझ नहीं आ रहा था की आखिर ये क्या बला है ???
“बचाओ …कोई बचाओ “ गुंजन जोरो से चिल्लाने लगी ..
मैं कोकू के पास जाकर खड़ा हो गया था …
“मेरे कुवर को छूने की तुमे हिम्मत भी कैसे की , अब देख मैं तुझे कितनी दर्दनाक मौत देती हु “
कोकू ने गुस्से में कहा लेकिन तभी ..
“रुक जाओ , निशांत रोक ले इसे नहीं ऐसा मत करो “
भागता हुआ अंकित वंहा आया , कुछ देर के लिए वो भी कोकू को आश्चर्य से देखने लगा लेकिन फिर वो मरे पैरो में गिर गया …
“भाई इसे छोड़ दे ,माफ़ कर दे इसके पेट में मेरा बच्चा है ..”
मैंने आश्चर्य से अंकित की ओर देखा
“भाई तू चाचा बनने वाला है , उसी बच्चे की खातिर मुझे इसकी बात माननी पड़ी , चाहे हो मुझे मार ले लेकिन इसे छोड़ दे “
वो मेरे पैरो को पकडे हुए रो रहा था , मैंने कोकू का हाथ थाम लिया ..
“नहीं मेरी जान , ये मेरे भाई की गर्भवती है “
वो आश्चर्य और बेचैनी से मुझे देखने लगी
“इन दोनों ने मिलकर तुम्हारी जान लेने की कोशिस की है “
वो चिल्लाई लेकिन मैं बस मुस्कुराया
“जैसा भी है लेकिन मैं अपने दोस्त को सजा दे सकता हु उसके होने वाले बच्चे को नही , एक बार मुझसे गलती हुई थी , ये मुझसे दूर हो गया था लेकिन फिर भी मेरे बुरे वक्त में मेरे साथ खड़ा रहा , कम से कम इस बात के लिए तो मैं इसे एक बार माफ़ कर ही सकता हु , तुम्हे मेरी कसम है इन्हें छोड़ दो …”
कोकू का गुस्सा शांत हो गया था उसने गुंजन को नीचे उतार दिया और मेरा हाथ जोरो से थाम लिया ..
“याद रखना कुवर मेरा है , अगर किसी ने इसके तरफ आँखे भी उठाई तो आँखे नोच दूंगी “
कोकू ने मेरा हाथ थमा और उसने मुझे हवा में उड़ा दिया …
“हम कहा जा रहे है ??”
मैंने उसे इतना बेचैन कभी नहीं देखा था
“यंहा से बहुत दूर …”
उसने मुझसे बस इतना ही कहा ……….

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शहर सुवालाल जी(अन्नू के पिता ) का घर ….
“आखिर ये हुआ कैसे “
सुवालाल जी की बात सुनकर अम्मा परेशान थी , डॉ चुतिया से मिलने के बाद वो अब्दुल और बलवंत के साथ सुवालाल के पास अन्नू से मिलने आई थी , एक वही थी जो निशांत के अंदर के शैतान को सम्हाल सकती थी …लेकिन यंहा तो मामला ही अलग हो चूका था ..
“क्या बताऊ अम्मा , जब से गांव से आई थी बस दिन रात रोना , ना ढंग से खाती थी ना पीती थी , मैं भी परेशान था , लेकिन आज पता नहीं क्या हुआ , वो कमरे में नहीं थी , बहुत ढूंढा सोचा आसपास कही गई होगी लेकिन वो नहीं मिली , सोचा था आपसे बात करके पुछू की कही वो फिर से गांव तो नहीं चली गई लेकिन अब आप लोग ही यंहा आ गए …”
“आखिर वो गई कहा ??”
अम्मा जैसे खुद से बडबडाई
इस बीच अब्दुल बोल उठा
“मैं जन्हा तक अन्नू को जानता हु वो बहुत ही समझदार लड़की है वो कही भी ऐसे ही नहीं चली जायेगी , उसे अपने दुःख का सामना करना आता है , मैं अभी यंहा के sp से बात करके उसे पूरा जोर लगाने को कहता हु , फिक्र मत कीजिए प्रशासन और पुलिस आपके साथ है , हम पूरा जोर लगा देंगे “
अब कोई कहता भी तो क्या ही कहता , कमरा अंदर से बंद था और अनु कही गायब थी , बस उसके कमरे की खिड़की खुली हुई थी लेकिन दो मंजिल उपर के कमरे से आखिर वो खिड़की से कैसे निकल सकती थी ????

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इधर एक सुनसान कमरा
“कौन है ?? कौन है यंहा …दरवाजा खोलो “
अन्नू की आँखों में आंसू था वो आज सुबह से बस यही चिल्ला रही थी और बार बार दरवाजे को पिट रही थी लेकिन कही से कोई जवाब नहीं आ रहा था …
आखिर वो यंहा पहुची कैसे ???
उसने सोचने की बहुत कोशिस की
रात वो निशांत की याद में खूब रोई थी , एक कुवरगढ़ से आने के बाद से उसने एक अन्न का दाना अपने मुह में नहीं डाला था , रोते हुए कब उसकी नींद पड़ लग गई उसे पता भी ना चला ,जब नींद खुली तो वो इस कमरे में थी …
बेचैन और परेशान वो बस बार बार अपने कुँवर को ही याद किये जा रही थी ,,
Awesome update
 
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