Nice oneअध्याय 28खच की आवाज के साथ गुंजन ने मेरे गले में खंजर चला दिया था ,
खून के छीटे सीधे उसके चहरे में जा पड़े , वो किसी शैतान की तरह हँसने लगी …
मैं छटपटान चाहता था लेकिन कैसे ???
मेरा शरीर शुन्य था ,
खून की धार मेरे गले से बह रही थी , गुंजन ने फिर से अपना खंजर उठाया , इस बार निशाना सीधे मेरे दिल पर था , उसने अपने दोनों हाथो से मजबूती से खंजर को पकड़ रखा था उसने एक बार मुझे देखा और अपना हाथ चला दिया …
लेकिन ये क्या …
बूम ..
वो दूर जाकर गिरी , मैं अपना सर घुमा कर देखने में नाकाम रहा की आखिर हुआ क्या , लेकिन तभी मेरे सामने जो आकृति उभरी उसे देख कर मेरा मन ही खुश हो गया था …
“कुवर ,ये कहा फंस गए आप “
उसने मुस्कुराते हुए कहा और मेरे गले में बस अपनी उंगलिया चला दी , मेरे गले का जख्म अपने आप ही भरने लगा था , खून बहना रुक गया था …लेकिन मेरा शरीर अब भी नहीं हिल रहा था …
“आखिर आपको हुआ क्या है “
उसने इधर उधर देखा तो उसे खाली इंजेक्शन पड़ा हुआ दिखाई दिया
“क्या दिया है इस डायन ने आपको “
उसकी आँखे लाल होने लगी थी , उसने सीधे मेरे सर में हाथ रखा और आँखे बंद कर ली , अचानक से एक तेज उर्जा का संचार मेरे तन बदन में हुआ जैसे किसी ने मेरे नशों में फिर से जान भर दी हो …
“कोकू …”
मेरे मुह से निकला , उसने प्यार से मरे सर में हाथ फेरा लेकिन उसकी आँखे गुस्से से अभी भी लाल थी .
वो गुंजन की तरफ बढ़ गई उसने हाथो से इशारा किया और गुंजन हवा में लटकने लगी …
गुंजन को अभी भी समझ नहीं आ रहा था की आखिर ये क्या बला है ???
“बचाओ …कोई बचाओ “ गुंजन जोरो से चिल्लाने लगी ..
मैं कोकू के पास जाकर खड़ा हो गया था …
“मेरे कुवर को छूने की तुमे हिम्मत भी कैसे की , अब देख मैं तुझे कितनी दर्दनाक मौत देती हु “
कोकू ने गुस्से में कहा लेकिन तभी ..
“रुक जाओ , निशांत रोक ले इसे नहीं ऐसा मत करो “
भागता हुआ अंकित वंहा आया , कुछ देर के लिए वो भी कोकू को आश्चर्य से देखने लगा लेकिन फिर वो मरे पैरो में गिर गया …
“भाई इसे छोड़ दे ,माफ़ कर दे इसके पेट में मेरा बच्चा है ..”
मैंने आश्चर्य से अंकित की ओर देखा
“भाई तू चाचा बनने वाला है , उसी बच्चे की खातिर मुझे इसकी बात माननी पड़ी , चाहे हो मुझे मार ले लेकिन इसे छोड़ दे “
वो मेरे पैरो को पकडे हुए रो रहा था , मैंने कोकू का हाथ थाम लिया ..
“नहीं मेरी जान , ये मेरे भाई की गर्भवती है “
वो आश्चर्य और बेचैनी से मुझे देखने लगी
“इन दोनों ने मिलकर तुम्हारी जान लेने की कोशिस की है “
वो चिल्लाई लेकिन मैं बस मुस्कुराया
“जैसा भी है लेकिन मैं अपने दोस्त को सजा दे सकता हु उसके होने वाले बच्चे को नही , एक बार मुझसे गलती हुई थी , ये मुझसे दूर हो गया था लेकिन फिर भी मेरे बुरे वक्त में मेरे साथ खड़ा रहा , कम से कम इस बात के लिए तो मैं इसे एक बार माफ़ कर ही सकता हु , तुम्हे मेरी कसम है इन्हें छोड़ दो …”
कोकू का गुस्सा शांत हो गया था उसने गुंजन को नीचे उतार दिया और मेरा हाथ जोरो से थाम लिया ..
“याद रखना कुवर मेरा है , अगर किसी ने इसके तरफ आँखे भी उठाई तो आँखे नोच दूंगी “
कोकू ने मेरा हाथ थमा और उसने मुझे हवा में उड़ा दिया …
“हम कहा जा रहे है ??”
मैंने उसे इतना बेचैन कभी नहीं देखा था
“यंहा से बहुत दूर …”
उसने मुझसे बस इतना ही कहा ……….
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शहर सुवालाल जी(अन्नू के पिता ) का घर ….
“आखिर ये हुआ कैसे “
सुवालाल जी की बात सुनकर अम्मा परेशान थी , डॉ चुतिया से मिलने के बाद वो अब्दुल और बलवंत के साथ सुवालाल के पास अन्नू से मिलने आई थी , एक वही थी जो निशांत के अंदर के शैतान को सम्हाल सकती थी …लेकिन यंहा तो मामला ही अलग हो चूका था ..
“क्या बताऊ अम्मा , जब से गांव से आई थी बस दिन रात रोना , ना ढंग से खाती थी ना पीती थी , मैं भी परेशान था , लेकिन आज पता नहीं क्या हुआ , वो कमरे में नहीं थी , बहुत ढूंढा सोचा आसपास कही गई होगी लेकिन वो नहीं मिली , सोचा था आपसे बात करके पुछू की कही वो फिर से गांव तो नहीं चली गई लेकिन अब आप लोग ही यंहा आ गए …”
“आखिर वो गई कहा ??”
अम्मा जैसे खुद से बडबडाई
इस बीच अब्दुल बोल उठा
“मैं जन्हा तक अन्नू को जानता हु वो बहुत ही समझदार लड़की है वो कही भी ऐसे ही नहीं चली जायेगी , उसे अपने दुःख का सामना करना आता है , मैं अभी यंहा के sp से बात करके उसे पूरा जोर लगाने को कहता हु , फिक्र मत कीजिए प्रशासन और पुलिस आपके साथ है , हम पूरा जोर लगा देंगे “
अब कोई कहता भी तो क्या ही कहता , कमरा अंदर से बंद था और अनु कही गायब थी , बस उसके कमरे की खिड़की खुली हुई थी लेकिन दो मंजिल उपर के कमरे से आखिर वो खिड़की से कैसे निकल सकती थी ????
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इधर एक सुनसान कमरा
“कौन है ?? कौन है यंहा …दरवाजा खोलो “
अन्नू की आँखों में आंसू था वो आज सुबह से बस यही चिल्ला रही थी और बार बार दरवाजे को पिट रही थी लेकिन कही से कोई जवाब नहीं आ रहा था …
आखिर वो यंहा पहुची कैसे ???
उसने सोचने की बहुत कोशिस की
रात वो निशांत की याद में खूब रोई थी , एक कुवरगढ़ से आने के बाद से उसने एक अन्न का दाना अपने मुह में नहीं डाला था , रोते हुए कब उसकी नींद पड़ लग गई उसे पता भी ना चला ,जब नींद खुली तो वो इस कमरे में थी …
बेचैन और परेशान वो बस बार बार अपने कुँवर को ही याद किये जा रही थी ,,