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Adultery भाभियों का रहस्य

Sanju@

Well-Known Member
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अध्याय 9

जब वासना की आग शांत हुई तो हमें अपनी स्तिथि का होश आया , मैंने मुस्कुराते हुए गुंजन भाभी और अंकित को देखा जो की अभी तक वही खड़े थे , वो ऐसे खड़े थे जैसे उनके पैर जम गए हो …
पता नहीं क्यों लेकिन मेरे चहरे में उनको देखकर कोई डर नहीं आया बल्कि एक मुस्कान मेरे चहरे में खिल गई …
“तुम लोग यंहा क्या कर रहे हो “
मैं अभी नंगा ही था और उन लोगो की तरफ पलटा , गुंजन भाभी की नजर मेरे मुस्झाये हुए लिंग पर पड़ी , और वो हडबडाकर फिर से मेरा चहरा देखने लगी ..
“वो .. वो तुम्हारी गाड़ी देखि तो लगा की कही तुम मुसीबत में तो नहीं फंस गए इसलिए तुम्हे ढूंढते हुए इधर आ गए , माफ़ करना .. चलो अंकित “
अंकित जो की हैरानी से कभी मुझे तो कभी अन्नू को देख रहा था , गुंजन भाभी के बोलने से उसे भी जैसे होश आया हो ..
“सॉरी सॉरी … “ वो दोनों तुरंत ही पलट कर जाने लगे , मैंने हँसते हुए अन्नू को देखा जो की नग्न ही खड़ी थी
उसने तुरंत मुझे अपने पास खिंच लिया और मेरे होठो में होठ डाल कर चूमने लगी …
“आई लव यु .. और ये भूलना मत “
उसने बड़े जोरो से मेरे होठो को चूमने के बाद कहा , उसका चहरा खिल चूका था और आँखों में मेरे लिए प्यार साफ़ दिखाई पड़ रहा था …
“घर चले “ मैंने मुस्कुराते हुए उसे देखा
“हम्म तुम्हे जलन नहीं हुई की अंकित ने मुझे ऐसे देख लिया “
उसने हलके से कहा
“वो दोनों यंहा गलती से आये थे तो छोडो अब , ऐसे भी तुम अब मेरी हो “ मैंने उसकी पलती कमर को पकड़ कर खिंच लिया जिससे वो फिर से मुझसे सट गई
हमारे होठो फिर से एक दुसरे से मिल चुके थे उसके कोमल होठो को चूसते हुए मैं अपने हाथो से उसके पिछवाड़े को सहला रहता , कोमल मगर पुष्ट निताम्भो को अपने हाथो से एक बार दबोच लिया ..
इतना मेरे लिंग में फिर से जान भरने के लिए काफी था , जीवन में पहली बार सम्भोग का आनंद वो भी उससे जिससे आप इतना प्यार करते हो , गजब का अहसास था , एक दुसरे का हो जाने का अहसास और साथ ही साथ वो मजा ….
मैंने खड़े खड़े ही फिर से अपना लिंग अन्नू की योनी से सहलाया , उसके भी होठो में मुस्कान आ चुकी थी , उसने अपने हाथो से मेरे लिंग को सहलाते हुए अपने योनी में प्रवेश दिला दिया ….
हम दोनों फिर से उसी मस्ती में डूब चुके थे ….
घर आने पर अन्नू का चहरा खिला हुआ था , वो मस्त लग रही थी जैसे वो हमेशा होती थी जैसे कोई बोझ उतर गया हो , हम हवेली के अंदर गये ही थे की मुझे वंहा गुंजन भाभी और अंकित बैठे हुए दिखाई दिए , वो अम्मा के सामने बैठे हुए थे , देखने पर मालूम पड़ रहा था की कोई सीरियस मामला है …
मैंने एक नजर दोंनो को देखा और उपर जाने लगा ..
“निशांत … इधर आओ “
अम्मा ने मुझे आवाज दी , वही अन्नू भी मेरे साथ ही आम्मा के पास पहुची ..
“जी अम्मा “
मेरे मन में पता नहीं क्यों लेकिन कोई भी डर नहीं था , ऐसा लग रहा था जैसे सालो की जंजीर किसी ने तोड़ दो हो , मैं खुद में बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था , बिलकुल ही शांत और संतुलित ..
“तुम दोनों तो बचपन के दोस्त हो क्या हुआ आजकल बात भी नहीं कर रहे “
उन्होंने मुझे और अंकित को देखते हुए कहा
“नहीं ऐसा तो कुछ नहीं है , वो आप बैठी थी तो मैं …”
अंकित अभी भी सर गडाए बैठा था जैसे उसे यंहा आने का बिलकुल भी मन ना हो लेकिन फिर भी वो यंहा आया हो …
“अच्छा छोडो ये सब तुम कुछ लोगो के साथ जाओ , इनकी पहाड़ी के पास वाली जमीन पर फिर से नादलपुर के कुछ लोगो ने उत्पात मचा दिया है , जरुर बलवंत के आदमी होंगे हमारे गांव के लोगो को परेशान करने में उन्हें मजा आता है “
उनकी बात सुनकर मैं थोडा चौका , आज से पहले गांव और यंहा की राजनीती में अम्मा ने कभी मुझे नहीं शामिल किया था , ठाकुर बलवंत नादलपुर का मुखिया और हमारे क्षेत्र का विधायक था , उसका रुतबा पुरे प्रदेश में फैला हुआ था , अम्मा और बलवंत के परिवार के बीच हमेशा से दुश्मनी रही थी , आये दिन कुछ ना कुछ होता ही रहता , दोनों ही अलग अलग पार्टी को सपोर्ट करते , अभी बलवंत की पार्टी राज्य की सत्ता में थी और इससे अम्मा की मुश्किले और भी बढ़ गई थी , हमारे प्रत्यासी को बलवंत में बहुत ही कम अंतर से हराया था लेकिन हार तो हार ही होती है , रुतबे, पैसे और ताकत तीनो में वो हमशे कही ज्यादा था लेकिन अभी तक अम्मा ने कभी उसके सामने हार नहीं मानी थी , वो अम्मा की जीवटता ही थी की वो बलवंत जैसे इंसान के सामने भी गर्व के साथ खड़ी रहती , बलवंत के लोग आये दिन अम्मा और हमारे गांव के लोगो को परेशान करने का मौका ढूंढते रहते थे , पहाड़ी के पार थोड़े दूर से उनका गांव शुरू होता था , अधिकतर लड़ाई उधर ही होती , वो इलाका गांव से थोडा दूर पड़ता था और सुनसान भी (ये वही इलाका था जन्हा मैं और अंकित शराब पीने जाते और जन्हा वो पत्थर था , वो झरना दोनों गांव के बीच में पड़ता था ) कुछ लोग सोच रहे होंगे की दो पडोसी गांव इतने दूर कैसे , तो भाई लोग जंगलो में अधिकतर ऐसा ही होता है , 2 गांवो के बीच में 10, 15,20 किलोमीटर तक का जंगल होता है कई बार तो और भी ज्यादा ..
खैर दोनों गांव से पास वाले शहर की दुरी लगभग एक ही थी लेकिन रास्ते अलग थे , जिस रास्ते से हम कॉलेज गए थे वही रास्ता शहर की ओर से आने पर दो भागो में बाटता था जिसमे से एक नादलपुर जाता तो दूसरा हमारे गांव कुवरगढ़ … जी हमारे गांव का नाम कुवरगढ़ था क्यों था ?? मुझे क्या पता जिसने रखा उससे पूछो .. :lol1:
मैं अम्मा को चकित भाव से देख रहा था , वो मेरे ओर देखकर मुस्कुराई
“मेरे बाद सब तुम्हे ही देखना है , अभी से जिम्मेदारिया लेनी शुरू कर दो , अब तुम बड़े हो चुके हो , देखते है तुम इस मामले को कैसे सम्हालते हो ..”
उनके चहरे में एक मुस्कान अभी तक थी , मुझे डॉ की बात याद आई और मैंने अपनी नजरे झुका ली ..
“जी अम्मा मैं देखता हु … उधर तूम लोगो के आम के बगान है ना ??”
मैंने अंकित से कहा
“जी कुवर “ उसने बड़े ही शांत तरीके से जवाब दिया
“क्या हुआ है ??? “
इस बार वो कुछ ना बोला उसकी जगह गुंजन भाभी बोल उठी ..
“ वो बगीचा तो ऐसे भी भगवान भरोसे ही रहता है , वंहा देख रेख करने किसी को रखे तो उसे ये लोग मार पिट कर भागा देते है तो हम भी उधर ध्यान नहीं देते , वो हमारे आम चोरी कर ले ये सब भी समझ आता है लेकिन … लेकिन इस बार तो हद कर दिया उन्होंने , हम दोनों शहर गए थे और इसके भैया कुछ मजदूरो के साथ उस ओर गए थे ,सोचा था जो कुछ बचा हुआ है वो ही तुड़वाकर ले आयेंगे , लेकिन वंहा पहले से निदालपुर के कुछ लोग मौजूद थे , पता नहीं क्या हुआ दोनों के बीच झगडा हो गया और …”
गुंजन भाभी रोने लगी , मैंने अहिस्ता से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया ,
“फिक्र मत करे बताओ क्या हुआ ..”
उन्होंने अपने साडी के पल्लू से अपनी आँखों का आंसू पोछा
“क्या बताऊ कुवर जी , वो लोग ज्यादा थे और उन्होंने उनको बहुत मारा, मजदूरो को भी मारा, बाकियों को तो छोड़ दिया लेकिन उन्हें वही रख लिया .. कहा है की इसकी बीवी को भेजो तब इसे छोड़ेंगे “
गुंजन भाभी जोरो से रोने लगी , अम्मा ने उन्हें शांत किया और फिर मेरी ओर देखा …
मुझे जीवन में पहली बार इतना गुस्सा आ रहा था , ऐसा लगा जैसे शरीर तपने लगा हो , मैं हमेशा से शांत व्यक्ति था लड़ाई झगड़े से कोशो दूर रहने वाला , लेकिन आज जाने क्या हो गया था , ऐसे भी मैं आजकल पहले जैसा रहा ही कहा था , मैं बुरी तरह से काँप रहा था , मैंने अंकित को देखा भाभी की बात सुनकर उसकी भी मुठ्ठी कस गई थी लेकिन वो अभी भी सर झुकाए ही बैठा था …
“आज के बाद वो ऐसा बोलने की सोचेंगे भी नहीं “
मैंने गुंजन भाभी का हाथ पकड़ का उन्हें अपने साथ खिंच लिया और ले जाकर सीधे अपनी बुलेट के पास पंहुचा ..
“सब तैयार हो जाओ …चलो सालो को दिखलाते है …”
मैंने चिल्लाते हुए बोला और कालू को इशारा किया , कालू हमारा पुराना वफादार और मारपीट एक्सपर्ट था , जेल आना जाना उसके लिए रोज का था , उसने अपनी कटार अपने हाथो में ले ली उसके साथ ही और भी बहुत से लोग थे सभी अपने अपने गाडियों में सवार हो चुके थे , मेरे ऐसा करने से अंकित भी चौक गया था वो भी दौड़ता हुआ हमारे पीछे आया ..
“भाभी बैठो आप …”
मैंने गुंजन भाभी से कहा
“मैं … मैं वंहा क्या करुँगी जाकर ..”
“डरो मत बैठो उन्होंने आपको बुलाया है न , उनको भुगतना पड़ेगा , बैठो “
उन्होंने एक बार अंकित की ओर देखा जो खुद भी हैरान था , भाभी मेरे साथ बुलेट में बैठ गई , वही अंकित भी अपनी बाइक लेके निकला … मेरे साथ करीब 50 लोगो का काफिला था जिसमे से 20 का तो काम ही यही था , जब भी लड़ाई होती तो उन्हें जाना ही था ..
वो बगीचा पहाड़ी के पीछे पड़ता था , मैंने सभी को अपनी गाड़ी थोड़े दूर बंद करने को कह दी , मुझे पता था की सामने वाले भी कम नहीं होंगे , और पूरी तैयारी में बैठे होंगे , कालू ने मेरे हाथो में भी एक कटार थमा दी ..
“कुवर जी आज शुभारम्भ हो ही जाए , आज बहुत दिनों के बाद लगा की कुवरपुर में जान आई हो “
कालू बहुत खुश था , क्योकि अम्मा कूटनीति में ज्यादा भरोसा रखती थी , मारपीट भी बस बचाव के लिए होता आक्रमण के लिए नहीं किया जाता ,लेकिन आज तो हम पुरे आक्रमण के मूड में थे ..
“क्या करना है सीधे टूट पड़े इनपर “ कालू जैसे मेरा सेनापति हो , उसने उसी लहजे में कहा
“नही ऐसे नहीं पहले देखो तो सालो ने हमें फ़साने के लिए क्या जाल बनाया है, अंकित तुम भाभी के साथ यंही रुकोगे , जब हम सिग्नल दे तो आ जाना , बाकी लोग आराम से कोई शोर नहीं करना है पहले छिपकर उन्हें देखते है फिर हमला करेंगे …
हम धीरे धीरे उस ओर बढ़ने लगे , थोड़े दूर के बाद ही हमें लोगो की आवाजे सुनाई देने लगी थी , मैंने सभी को सचेत किया , हम छिपकर उन्हें देखने लगे , अंकित के भैया एक पेड़ में बंधे हुए थे वो लोग वंहा आराम से बैठे थे , वो भी बहुत संख्या में थे लेकिन खासबात ये भी थी की उनका गाँव भी यंहा से पास था , वो कुछ देर में ही मदद माँगा सकते थे , मैं सोच में पड़ा रहा …
“क्यों कुवर हमला कर दे ..” कालू से मानो रहा नहीं जा रहा था
“अरे रुक यार , एक काम करो पहले सालो को घेर लो , किसी के पास धनुष बाण है क्या ..”
कालू हँसने लगा
“आज के जमाने में कौन धनुष चलाता है …”
“तो क्या है “
उसने अपने कमर से एक पिस्तौल निकाली
“बस ये एक और “
“5-6 लोगो के पास और होगी “
मैं फिर से सोच में पड़ गया ..
“सालो वंहा देखो बड़ा बड़ा रायफल ले कर घूम रहे है और तुम लोग छोटे छोटे तमंचो से इन्हें हारोगे …कुछ सोचना पड़ेगा …. जितनो के पास पिस्तौल है और जिनका निशाना अच्छा है वो हाथ उठाओ “
गिन कर 5 लोग थे , मुझे समझ आ गया था की आखिर नादलपुर वाले इन पर क्यों हावी हो जाते है , मैंने एक गहरी साँस ली ..
“कोई नहीं 5 लोग 5 दिशाओ में फ़ैल जाओ , सामने दो लोग रहेंगे लेकिन एक साथ नहीं थोडा अलग अलग , याद रहे सामने निकल कर गोली मत चला देना , छिपकर ही गोली चलना और तुरंत ही अपनी जगह बदल लेना , उन्हें समझ ही नहीं आना चाहिए की आखिर गोली कहा से चल रही है , जब एक तरफ ध्यान देंगे तभी दूसरी ओर से गोली चलाना , और सभी का निशाना बन्दुक धारियों पर ही होना चाहिए , गिन गिन कर मारो सालो को , लेकिन सामने जो दो लोग रहोगे वो कोई गोली मत चलाना , उनका ध्यान हमें बाकि की दिशाओ में खीचना है , थोड़े देर में बाद जब मैं बोलूँगा तभी इधर से गोलिया चलनी शुरू होगी और तभी हम उनपर एक साथ हमला करेंगे … ठीक है बंट जाओ सभी अभी कोई होशियारी दिखाकर सामने नहीं आएगा पहले गोलिया चलने दो फिर हमला होगा …”
मैंने सामने ज्यादा लोगो को रखा था , और उन्हें भेज दिया …
पहली गोली चली जो की सीधे एक बन्दुक धारी के हाथो में लगी , उधर के खेमे में खलबली मच गई सभी सतर्क होकर खड़े हो गए और उस ओर गोली चलाने लगे , तभी दुसरे ओर से एक गोली चली , सभी उस ओर घूम गए फिर तीसरी फिर कभी इधर से तो तुरंत बाद उधर से , पहले तो वो लोग परेशान हुई कई को गोली भी लगी लेकिन वो थोड़े सतर्क हो चुके थे तभी मैंने इशारा किया और सामने के दो लोग एक साथ गोलिया चलाने गले , उनका ध्यान हमारी ओर जाता उससे पहले ही मैंने इशारा कर दिया और चील्लाते हुए 50 लोग सामने वालो पर टूट पड़े , जिसके हाथ में जो था वो उससे ही सामने वाले को मार रहा था , मैं हाथो में कटार लिए खड़ा था किसी से भी नहीं लड़ रहा था ..
मैंने देखा की एक आदमी छिपकर अपना फोन निकाल रहा है , मैंने अपने पास खड़े बन्दुक धारी को उस आदमी की ओर इशारा किया ..
“पहले उस साले को मार नहीं तो हम लोग मर जायेंगे …”
बंदूख वाला तुरंत एक्शन में आया और गोली चला दी , थोड़े देर में ही सामने वाले घुटनों पर आ चुके थे , कुछ गंभीर रूप से घायल थे तो कुछ की जान भी जा चुकी थी , कुछ खुद को बचाने के लिए छिप गए थे जिसे ढूंढ ढूंढ कर निकाला जा रहा था , वही कुछ खुद को समर्पित कर चुके थे …
मुझे एक अजीब सी फिलिंग आ रही थी , इस गंभीर माहोल में भी आराम से था ..
मैंने गुंजन भाभी को बुलावा भेज दिया और भैया को खोलकर आजाद किया …
“किसने इनकी बीवी को यंहा बुलाया था …”
मैं चिल्लाया भैया ने एक आदमी पर उंगली उठाई , वो आदमी बुरी तरह से जख्मी था लेकिन उसकी अकड अभी भी कम नहीं हुई थी ..
मैंने उसे घसीटते हुए सामने लाया , उधर गुंजन भाभी भी वंहा आ गई थी …
“तो तुमने इनकी बीवी को बुलाया था ना , आ गई ये “
वो आदमी हँसने लगा ..
“अरे मैंने तो इसलिए इसे बुलाया था ताकि पूछ सकू की इसके मदर में कोई दम नहीं है क्या जो आज तक कोई बच्चा नहीं हुआ , साला तुम्हारा तो पूरा गांव ही नामर्दों का है ….थू, अपनी ओरतो को हमारे पास भेजा करो , सब के पेट फुला देंगे ..”
वो जोरो से हँसने था और किसी के पास भी उसकी बात का कोई जवाब नही था , मेरे मन में एक अजीब सी हलचल मचने लगी थी , मैंने अपना कटार उठाया और खचाक ….
खून के छींटे मेरे चहरे पर आ पड़े …
थोड़े देर में ही सभी लोग गांव की ओर निकल पड़े , उनकी तरफ से जो भी ठीक था उन्हें हिदायत देकर छोड़ दिया गया , मुझे आभास हो रहा था की इस कल्तेआम का अंजाम बहुत ही बुरा हो सकता है …
भैया को हॉस्पिटल के लिए भेज दिया लेकिन मैंने गुंजन भाभी और अंकित को रुकने को कहा ..
“मुझे कुछ बात करनी है “ भाभी और अंकित दोनों ही चौके
“लेकिन उनके साथ मेरा रहना जरुरी है ..”गुंजन भाभी ने कहा
“बस कुछ देर की ही बात है , रास्ते में एक झील पड़ती है थोड़ी देर वही रुकते है फिर घर चले जायेंगे “दोनों ने एक दुसरे की ओर देखा
“बस थोड़ी देर …” मैंने अंकित को देखते हुए कहा
“ठीक है ..” वो भी मान चूका था ,
आते समय हम सड़क से थोडा अंदर गाड़ी रखकर झील की ओर चल पड़े , बाकियों को हमने घर भेज दिया था ,अभी शाम ढलने को थी लेकिन पूरी तरह से ढली नहीं थी …
“कुवर जी आपको क्या कहना है जल्दी कहिये , मेरे पति की हालत ठीक नहीं मुझे उनके पास रहना चाहिए “
गुंजन भाभी अभी थोड़ी बेचैन थी ..
“बिलकुल भाभी , झील के पास एक पत्थर है , उसपर बैठकर बात करे , बस थोड़ी देर “
वो फिर से अंकित की ओर देखने लगी ..
“ठीक है चलिए “
थोडा ही चलने पर हम उस पत्थर के पास पहुच चुके थे ………….
निशांत के घर आने पी अम्मा ने उसे नादलपुर के लोगो के उत्पात और गुंजन भाभी के पति को छुड़ाने के लिए बोला नादलपुर के लोगो को मारकर उनके पति को छुड़ा लिया फिर अंकित और गुंजन भाभी को इस पत्थर की तरफ ले जाता है अब तो उस चामत्कारिक पत्थर पर कुछ बहुत ही मज़ेदार होने वाला है 😍... निशांत अन्नू का सहग़म व आपसी विश्वास बढ़ाने के लिए सम्भोग, अंकित व गुंजन भाभी का उन्हें देखना बढ़िया रहा
 

Ek number

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173
अध्याय 11
तेज बारिश थी , मैं अपने बुलेट में बारिश का मजा लेता हुआ आ रहा था , तभी मेरी नजर रोड के किनारे बने अब्दुल के चाय की टपरी पर पड़ी , अँधेरा गहरा गया था और हवाए भी बहुत तेज चल रही थी , ऐसे में अभी भी वंहा थोड़ी रौशनी थी , मैं वही रुक गया , मन में शंका हुई की कही ये किसी मुसीबत में तो नहीं है ..
मैंने बुलेट रोकी और अंदर झाँका …
“काका …. अब्दुल …”
अंदर की हालत बहुत ही ख़राब लग रही थी , पानी भी चुह रहा था , लेकीन अदर मुझे काका एक चटाई पर सोये हुए दिख गए …
गजब का आदमी है ऐसे हालत में भी यही पड़ा है …
तभी मुझे ऐसा लगा की कोई मुझे छिपकर देख रहा है , मैं उस ओर पलटा ..
“कुवर जी …” सामने से एक महिला की नाजुक की आवाज आई
“हा आप कौन ..” अँधेरे में मुझे उसकी केवल परछाई दिख रही थी , तभी वो साया थोडा सामने आया , उसके दुधिया रंग में दिए का प्रकाश पड़ते ही मुझे वो चाहता दिखाई देने लगा ..
“आआप ..” मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था
“मैं रजिया हु , अब्दुल की अम्मी “
“अरे काकी आप , यंहा …”
“हा ये तो दारू पीकर सो गए और अब्दुल अभी घर में ही है , ये आंधी तूफ़ान में मैं ही यही फंस गई “
बोलते हुए वो सामने आई , मैंने उसे पहली बार ऐसे पास से देखा , उन्होंने एक चूड़ीदार सलवार कमीज डाल रखी थी , हलके सफ़ेद रंग के उन कपड़ो में कुछ फुल बने हुए थे , कपडे देखने में महंगे तो नही थे लेकिन उनके जिस्म में बिलकुल ही फिट थे , थोडा गदराया जिस्म और उसपर बारिश में वो थोड़ी भीग गई थी , उनका दुधिया जिस्म कपड़ो की आड़ से बाहर झांक रहा था , अंदर पहनी सिमिज भी साफ साफ दिखाई पड़ रही थी , कंधे में कोई दुपट्टा नहीं डाला था और इसकी वजह से वक्षो की गहराई भी अपना रास्ता बता रही थी ..
थोड़े उमस के कारण चहरे और शरीर में पसीना चमक रहा था , भीगे बदन की हलकी खुसबू मेरे नथुनों में पड़ने लगी , वही उनके उठे हुए पुष्ट और कोमल नितंभ भी मेरा ध्यान आकर्षित कर रहे थे …
“अब्दुल की अम्मी तो बिलकुल ही माल है यार , अब समझ आया की अब्दुल का ये दुधिया रूप कहा से आया है, इसका बाप तो पूरा नल्ला लगता है , बेवडा तो है ही …” मेरे अंदर बैठे मन के एक कोने ने कहा ..
“चुप कर ये मेरे दोस्त की माँ है …साले हवसी “ मेरा उत्तर पा कर वो हँसने लगा ..
“मेरा नाम क्यों नहीं रख देता हमारी बाते तो अब होती ही रहेंगी , क्यों ना हम दोस्त बन जाए , तू मेरी भूख मिटा और मैं तुझे सताना बंद कर दूंगा “
मैंने उसे कुछ नहीं कहा , ये सभी बाते मेरे मन के अंदर ही हो रही थी …
“चलिए मैं आपको छोड़ देता हु …”
मैंने काकी से कहा ..
“अरे कुवर जी आप कहा तकलीफ करते हो , बारिश थोड़ी कम हो जाए तो मैं खुद ही चली जाउंगी ..”
मैंने बाहर देखा सच में बारिश तेज हो रही थी , अभी तक तो मैं खुद की मस्ती में आ रहा था ..
“आप बहुत भीग गये है मैं आपके लिए चाय बना देती हु , सिगरेट भी लेंगे ..”
मैं उन्हें देखने लगा वो मेरे दोस्त की अम्मी थी , आखिर उनके सामने मैं कैसे सिगरेट पि सकता था , वो शायद मेरे मनो भावों को समझ गई और हलके से मुस्कुराई ..
“आप संकोच ना करे , जो चाहिए खुल कर मांगे “
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा , उनके हुस्न से मैं बेचैन हुआ जा रहा था , मासूम सा चहरा और मुस्कुराने पर उनकी सफ़ेद दांतों की पंक्तियों को देखने लगा ..
“वंहा मांग लो कुवर , इसकी चुद ही मांग लो सोचो बारिश में खुले आसमान के नीचे तुम इसकी दौड़ा दौड़ा कर ले सकते हो , बोलो तो मैं मदद कर दू …” अंदर बैठा मन बोल उठा और मेरे लिंग में एक अकडन आने लगी ..
“चुप कर लौडू ऐसा मत कर “ मैंने उसे डांटते हुए कहा
“वह क्या नाम रखा है तुमने मेरा लौडू … आज से हम दोस्त हुए कुवर ..क्योकि तुम मुझे अपना गुलाम बना नहीं पओगे ना ही मैं तुम्हे पूरी तरह से काबू कर पा रहा हु , तो दोस्ती में ही हम दोनों की भलाई है , तुम बस मुझे मेरा दाना पानी देते रहो ”
उसकी बात सुनकर मैं झल्ला गया
“ठीक है दोस्त हुए … अब चुप रह कोई हरकत नहीं , और ये मेरा लिंग क्यों तन रहा है इसे शांत कर “
वो हँस पड़ा
“जवान हो तो जवानी के मजे लोग कुवर जी “
“क्या हुआ कुवर आप बेचैन लग रहे हो कही बुखार तो नहीं हो गया “ काकी पास आई और मेरे माथे पर अपना हाथ रख कर देखने लगी , उसके कोमल हाथ पड़ते हुए मेरा मन और जोरो से डोला रे , बोला हिंडोला रे … :lol1:
“नहीं काकी मैं ठीक हु “ मैं थोडा सकपकाया
वो हँस पड़ी ..
“जैसा आपके बारे में सुना था आप वैसे ही है , बिलकुल शर्मीले , चलिए आप के लिए कुछ अच्छा लाती हु “
वो अंदर चली गई …
“ओ हो कुवर जी … बहुत शर्मीले हो आप तो … साला उसे नहीं पता की तू चीज क्या है , यही कुतिया बना कर चोद उसे , अबे गांड देखि है उसकी … वाह वाह क्या मस्त थी , पीछे से डालेगा ना तो कसम से बहुत मजा आएगा “ लौडू की बात सुनकर मेरा भी लिंग झटके खाने लगा , साला आँखों के सामने वही चित्र चलने लगे , अगर रजिया सच में कुतिया की तरह इस झमझम पानी में खड़ी रहे और मैं पीछे से उसके योनी में अपना लिंग … ओ हो साला …
“चुप कर भोसड़ी के … तूने कहा था ना की तू मेरी वासना को नहीं जगायेगा ..”
“मैंने ऐसा कब कहा … मैंने कहा था की मैं आपको नहीं सताऊंगा .. लोगो के मन में वासना जगाना तो मेरा काम ही है , हजारो सालो से मैं यही तो करता आया हु , अभी बोलो तो रजिया के अंदर ऐसी तड़प पैदा कर दू की वो यही नंगी होकर नाचे हा हा हा “
“चुप कर साले ऐसा कुछ नही करना है तुझे ..”
मन नहीं मान रहा था , मेरी हालत तो ऐसी थी की मैं भी यही चाहता था जो लौडू मुझसे कह रहा था , लेकिन अंदर की नैतिकता अभी भी जिन्दा थी , सही गलत की समझ मैं भुला नहीं था , हा अब वासना के थपेड़ो ने मेरी हालत खराब जरुर कर दी थी , सोचा था की घर जाकर पूरी वासना अन्नू के अंदर निकाल दूंगा , लेकिन अब सामने एक नई परी आ गई थी ..
थोड़े देर ही हुए थे की काकी हाथो में एक बोतल पकड कर आई , मैं उसे पहचानता था वो देशी शराब की बोतल थी …
“काकी ये सब ..???”
“लो दो दो घूंट लगाते है ऐसे भी बारिश में दोनों ही भीग चुके है , थोड़ी गर्मी आ जाएगी “
उन्होंने दो ग्लास में उसे डाल दिया और खुद एक ही साँस में पूरा अपने हलक से उतार गई , मैंने भी एक ही साँस में पूरा ग्लास पि लिया , एक तगजी और गर्मी मेरे अंदर भी आ गई थी …
“बारिश कितना सुहाना है ना “
वो झोपड़े से निकल कर बाहर चली गई और हाथ फैला कर बारिश को अपने शरीर में लेने लगी , चारो ओर अँधेरा था लेकिन अब आँखे इतनी अभ्यस्त भी हो चुकी थी , मैंने एक ग्लास और अंदर किया और उनके साथ ही बाहर आ गया , बारिश का पानी पड़ते हुए मन में एक शांति का संचार हुआ , मैं उनके पास आया ..
“बहुत हो गया अब और ना रुका जायेगा …..” लौडू ने हलके से कहा
“नही यार ये मेरे दोस्त की माँ है ..”
“अबे तेरी तो नहीं है , जा झपट में मैं और कुछ नही सुनने वाला आ फु जा मजे कर “
वो चुप हो गया था और इधर राजिया का जिस्म पानी से गिला होकर और भी मादक लग रहा था , मैं उनके पास पंहुचा , उन्होंने मेरा हाथ पकड कर मुझे अपनी ओर खीच लिया ..
हम दोनों के चहरे बिलकुल ही पास थे …
“कितना अच्छा लग रहा है ना कुवर जी “
“हा काकी “
मैंने अपने हाथ उनके निताम्भो में रख दिए वो मुझसे और भी सटकर खड़ी हो गई
मैंने उसके चहरे को उपर किया , उनकी आँखे बंद थी , और सांसे तेज , मैं समझ चूका था की वासना की आग उनके मन में भी धधकने लगी है , दुधिया गोर चहरे पर फडफडाते हुए गुलाबी होठो को मैंने अपने होठो से लगा दिया , उन्होंने मुझे कसकर जकड लिया था …
हम दोनों के होठ आपस में घुलने लगे थे , और हाथ उनके जिस्म को यंहा वंहा छूना शुरू कर चुके थे , वो हलकी हलकी सिसकिया ले रही थी ..
“कुवर जी मुझे अपना बना लो ये आग अब बर्दास्त नहीं हो रही ..”
मैंने उन्हें वही जमीन में लिटा दिया ,जमीन बारिश के कारन कीचड़ से भरी हुई थी , मेरा मुह उनके स्तनों पर चला गया , मैं उसे कपडे के उपर से ही मानो खा रहा था , वही मेरा हाथ उनके जन्घो के बीच पहुच चूका था , वो चुह्क उठी ..
“कुवर …आह इतना मजा मुझे कभी नहीं आया “
मैंने सलवार का नाडा खोला और जितनी जल्दी हो सके उनके कपड़ो को उनके जिस्म से हटा दिया , हम दोनों ही मरजात नंगे धने बारिश में बीच सड़क में लेटे हुए थे , मेरा लिंग अब जवाब दे चूका था , वो योनी की कोमलता पाने को बेताब हो रहा था , मैंने अपने लिंग को उनकी योनी पर टिकाया , उन्होंने भी अपना पैर फैला कर मेरा पूरा साथ दिया ,लिंग योनी के अंदर जाने लगा और उसकी चमड़ी पीछे होने लगी , ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लिंग में किसी ने बहुत सारी हवा भर दी हो , वो फुल कर योनी को जकड़ चूका था ..
“आह कुवर जी …”
वो उत्तेजना में चिल्लाई और मेरे पीठ पर अपने हाथ कस लिए , मैंने अपने कमर को तेजी से चलाना शुरू कर दिया , हर एक झटके पर वो सिसकी लेती और उसकी सिसकी मुझे और भी उत्तेजित करते जाती थी , बहुत देर तक ऐसे ही भोगने के बाद मैंने उनके गर्भ में अपना वीर्य छोड़ दिया …
ऐसा लगा जी एक आंधी ख़म हो गई हो लेकिन अभी तो शुरुवात थी , हम दोनों ही कीचड़ से सन चुके थे , मैंने उसे गोद में उठाकर अपने गाड़ी में रख दिया , मेरा वीर्य पात तो हो चूका था लेकिन अभी भी लिंग की अकड में कोई कमी नहीं आई थी ना ही , मैंने उसे अपनी बुलेट में बिठा दिया और उसके टांग फैलाकर फिर से धक्के लगाने लगा , थोड़ी देर बाद मैंने रजिया का हाथ बुलेट पर रख दिया उसे झुककर उसके पीछे खड़ा हो गया , बारिश अभी थोड़ी कम हो चुकी थी लेकिन अभी भी बरस रही थी , हमारे जिस्म पर पानी की छींटे तो पड़ रही थी लेकिन वासना और भी बढती ही मालूम हो रही थी , मैं रजिया के पीछे खड़ा था और पीछे से उसके कुलहो को सहलाता हुआ मैंने अपना लिंग उसके योनी में डाल दिया ..
“आह मजा आ गया “ वो बेसुद से बोली , उसके उठे हुए कुल्ल्हो को पकड कर मैं तेजी से धक्के दे रहा था ,मुझे लग रहा था की उसकी योनी मेरे लिंग का पूरा रस निचोड़ लेगी , लेकिन तभी ..
“अम्मी … कुवर … या खुदा ये क्या हो रहा है …”
हमारे सामने अब्दुल खड़ा था , उसे देख कर मुझे जोर का झटका लगा
“साले लौडू मरवा दिया ना ..” मैंने अपने मन में कहा
“कुछ नही हुआ है ये तो एक बहुत ही अच्छा मौका है , अपना हाथ अब्दुल की ओर कर …”
“मतलब …??’
“मतलब बचना चाहता है न इससे तो हाथ अब्दुल की ओर कर …”
“तू क्या करने वाला है …”
“तू कर बे चूतिये “
मैंने लौडू की बात मान ली और अपना हाथ अब्दुल की तरफ कर दिया , वो हमशे थोड़े ही दूर में खड़ा था , हाथो में एक छत्ता था शायद वो अपनी अम्मी को ही ले जाने के लिए आया था , बारिश भी थोड़ी कम हो चुकी थी , मैंने जैसे ही हाथ उसकी ओर किया मुझे ऐसा लगा जी मेरे हाथो से कोई शक्ति निकल कर अब्दुल के अंदर चली गई , अब्दुल के हाथो से उसका छत्ता छुट गया …
“ये क्या किया तूने ..”
“तू बस इसकी अम्मी को चोदता रह और मजा देख , फिक्र मत कर तेरे दोस्त को कुछ नहीं होगा “
लौडू की बात सुनकर मैं अपने हवास की धार रजिया के गर्भ में छोड़ने के लिए जोरो से धक्के मारने लगा , अब्दुल आँखे फाडे हमें देख रहा था वो सामने आया और अपनी अम्मी के चहरे को पकड कर उनके होठो में होठ डाल दिया , उसके आँखों में आंसू थे लेकिन जैसे वो अपने हालत पर काबू ना कर पा रहा हो , उसने तुरंत ही अपने सारे कपडे खोल लिए , रजिया ने एक बार उसे देखा लेकिन वो कुछ ना बोली , अब्दुल ने अपना लिंग हिलाया और अपनी अम्मी के होठो पर टिका दिया …
रजिया ने अपने बेटे का लिंग अपने मुह में भर लिया था ..
“अल्लाह… मैं ये क्या पाप कर रहा हु नहीं ,,, आह इतना मजा मुझे की आ रहा है ,नहीं बचाओ कोई “ अब्दुल असहाय होकर चिल्लाया , मुझे अपने किये पर दुःख हुआ लेकिन अब देर हो चुकी ही , मैंने और भी जोरो से धक्के लगाये और अपने वीर्य की धार रजिया के गर्भ में डाल दी …
मेरे अंदर का उफान शांत हो चूका था लेकिन अब्दुल के अंदर का उफान तो अभी शुरू हुआ था , मैं रजिया को छोड़कर हटा वो मेरी जगह अब्दुल आ गया .. वो मुझे रोते हुए देखने लगा
“कुवर ये क्या हो रहा है , मैं अपनी ही माँ के साथ .. ये मुझे रोक क्यों नहीं रही है , मुझे इतना मजा क्यों आ रहा है .. आह आह “
उसने अपना लिंग उसी योनी में घुसा दिया था जन्हा से वो खुद निकला था …
मेरे मन में ग्लानी के भाव आ रहे थे ,मैंने खुद बचने के लिए एक सीधे साधे आदमी को फंसा दिया था ..
“हा हा हा मजा ही आ गया , इसे कहते है पाप , जिस योनी से ये निकला था उसी में अपना लिंग डाल रहा है , माँ के साथ सम्भोग से बढ़ा पाप तो दुनिया में कोई नहीं , शाबास कुवर , इससे हमारी ताकत और भी बढ़ जायेगी , हमने शैतान के लिए एक खास तोहफा दे दिया है “
लौडू की आवाज अपने अंदर सुनकर मैं गुस्से से भर गया …
“तूने मुझसे ये क्या करवा डाला कमीने , इस मासूम से लड़के को देख , जो हवस में अँधा होकर अपनी ही माँ से सम्भोग कर रहा है , और उस माँ को देख जो हवस के आगे अपने ही बेटे के लिंग से मजे ले रही है , सोचा है जब इनका हवस खत्म हो जायेगा तो फिर क्या होगा , ये कैसे एक दुसरे को अपना मुह दिखायेंगे ,कही ग्लानी से भरकर ये आत्महत्या ना कर बैठे …”
“अरे यार कुछ नहीं होगा , तुम तो अभी अभी ये सब देख रहे हो मैंने हजारो साल ये देखा है , कोई नहीं मरता बल्कि इस सुख को भोगने को बेताब हो जाते है , पाप करने का अपना ही मजा है दोस्त , जाकर देखो दुनिया में कितने लोग है जो पाप करने की हसरत रखते है , क्योकि पाप में एक गजब का आकर्षण है , अगर दुनिया ये मान ले ना की ये पाप नहीं तो साला कोई करने की सोचेगा भी नहीं , लेकिन इस दुनिया ने अपनी नैतिकता बनाई , अपने नियम बनाये , सही और गलत बनाया और इसी से पैदा हुआ पाप का आकर्षण , जाकर देखो दुनिया को वही करने में मजा आता है जिसे लोग पाप कहते है , रिश्तो में सम्भोग हो या दारू सिगरेट जैसा नशा , समाज ने इसे पाप कहा और लोग इसके पीछे दीवाने हो गए , और जो मजा छिपकर पाप करने में आता है वो खुल्मखुल्ला करने में नहीं आता .. इसलिए प्रेमीयो की जब शादी नही हुई होती तो उन्हें एक दुसरे से मिलने में कितना मजा आता है वही शादी के बाद एक दुसरे का शक्ल भी देखना पसंद नहीं करते हा हा हा …”
लौडू की बातो में एक सच था वो सच जिसने मुझे निरुत्तर कर दिया था , यंहा अब्दुल पुरे जोश में लगा हुआ था …
“मुझे माफ़ कर देना अम्मी मुझे माफ़ कर देना , मैं … आह मैं मजबूर हु , इस मजे के आगे आह , कितना मजा आ रहा है “ वो पुरे ताकत से अपनी माँ के योनी में अपना लिंग डाल रहा था , मैंने अपने कपडे उठा लिए और उन्हें पहन कर झोपडी से एक दारू की बोतल उठाई पूरी बोतल वही बैठे बैठे गटक गया ..
इधर अब्दुल ने अपनी माँ की योनी में अपना वीर्य डाल दिया था , वो खुद जमीन पर गिर गया था और रजिया अभी भी मेरे बुलेट में लेटी हुई थी ..
मैंने दोनों को उठाया …
“खुद को साफ़ करो और घर जाओ , इस बात को ज्यादा सोचना नहीं मैं निकलता हु …”
मैंने अपनी बुलेट उठाई और हवेली की ओर बढ़ चला , मुझे लग रहा था जैसे लौडू नहीं मैं ही शैतान बन गया हु , मैंने अपने फायदे के लिए अब्दुल जैसे मासूम आदमी से ऐसा बड़ा पाप करवा दिया था , ग्लानी का भाव तो था लेकिन फिर भी इतना की मुझे फर्क नही पड़ रहा था ..
मैं सच में एक शैतान बन गया था …………
Behtreen update
 

aman rathore

Enigma ke pankhe
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अध्याय 11
तेज बारिश थी , मैं अपने बुलेट में बारिश का मजा लेता हुआ आ रहा था , तभी मेरी नजर रोड के किनारे बने अब्दुल के चाय की टपरी पर पड़ी , अँधेरा गहरा गया था और हवाए भी बहुत तेज चल रही थी , ऐसे में अभी भी वंहा थोड़ी रौशनी थी , मैं वही रुक गया , मन में शंका हुई की कही ये किसी मुसीबत में तो नहीं है ..
मैंने बुलेट रोकी और अंदर झाँका …
“काका …. अब्दुल …”
अंदर की हालत बहुत ही ख़राब लग रही थी , पानी भी चुह रहा था , लेकीन अदर मुझे काका एक चटाई पर सोये हुए दिख गए …
गजब का आदमी है ऐसे हालत में भी यही पड़ा है …
तभी मुझे ऐसा लगा की कोई मुझे छिपकर देख रहा है , मैं उस ओर पलटा ..
“कुवर जी …” सामने से एक महिला की नाजुक की आवाज आई
“हा आप कौन ..” अँधेरे में मुझे उसकी केवल परछाई दिख रही थी , तभी वो साया थोडा सामने आया , उसके दुधिया रंग में दिए का प्रकाश पड़ते ही मुझे वो चाहता दिखाई देने लगा ..
“आआप ..” मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था
“मैं रजिया हु , अब्दुल की अम्मी “
“अरे काकी आप , यंहा …”
“हा ये तो दारू पीकर सो गए और अब्दुल अभी घर में ही है , ये आंधी तूफ़ान में मैं ही यही फंस गई “
बोलते हुए वो सामने आई , मैंने उसे पहली बार ऐसे पास से देखा , उन्होंने एक चूड़ीदार सलवार कमीज डाल रखी थी , हलके सफ़ेद रंग के उन कपड़ो में कुछ फुल बने हुए थे , कपडे देखने में महंगे तो नही थे लेकिन उनके जिस्म में बिलकुल ही फिट थे , थोडा गदराया जिस्म और उसपर बारिश में वो थोड़ी भीग गई थी , उनका दुधिया जिस्म कपड़ो की आड़ से बाहर झांक रहा था , अंदर पहनी सिमिज भी साफ साफ दिखाई पड़ रही थी , कंधे में कोई दुपट्टा नहीं डाला था और इसकी वजह से वक्षो की गहराई भी अपना रास्ता बता रही थी ..
थोड़े उमस के कारण चहरे और शरीर में पसीना चमक रहा था , भीगे बदन की हलकी खुसबू मेरे नथुनों में पड़ने लगी , वही उनके उठे हुए पुष्ट और कोमल नितंभ भी मेरा ध्यान आकर्षित कर रहे थे …
“अब्दुल की अम्मी तो बिलकुल ही माल है यार , अब समझ आया की अब्दुल का ये दुधिया रूप कहा से आया है, इसका बाप तो पूरा नल्ला लगता है , बेवडा तो है ही …” मेरे अंदर बैठे मन के एक कोने ने कहा ..
“चुप कर ये मेरे दोस्त की माँ है …साले हवसी “ मेरा उत्तर पा कर वो हँसने लगा ..
“मेरा नाम क्यों नहीं रख देता हमारी बाते तो अब होती ही रहेंगी , क्यों ना हम दोस्त बन जाए , तू मेरी भूख मिटा और मैं तुझे सताना बंद कर दूंगा “
मैंने उसे कुछ नहीं कहा , ये सभी बाते मेरे मन के अंदर ही हो रही थी …
“चलिए मैं आपको छोड़ देता हु …”
मैंने काकी से कहा ..
“अरे कुवर जी आप कहा तकलीफ करते हो , बारिश थोड़ी कम हो जाए तो मैं खुद ही चली जाउंगी ..”
मैंने बाहर देखा सच में बारिश तेज हो रही थी , अभी तक तो मैं खुद की मस्ती में आ रहा था ..
“आप बहुत भीग गये है मैं आपके लिए चाय बना देती हु , सिगरेट भी लेंगे ..”
मैं उन्हें देखने लगा वो मेरे दोस्त की अम्मी थी , आखिर उनके सामने मैं कैसे सिगरेट पि सकता था , वो शायद मेरे मनो भावों को समझ गई और हलके से मुस्कुराई ..
“आप संकोच ना करे , जो चाहिए खुल कर मांगे “
उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा , उनके हुस्न से मैं बेचैन हुआ जा रहा था , मासूम सा चहरा और मुस्कुराने पर उनकी सफ़ेद दांतों की पंक्तियों को देखने लगा ..
“वंहा मांग लो कुवर , इसकी चुद ही मांग लो सोचो बारिश में खुले आसमान के नीचे तुम इसकी दौड़ा दौड़ा कर ले सकते हो , बोलो तो मैं मदद कर दू …” अंदर बैठा मन बोल उठा और मेरे लिंग में एक अकडन आने लगी ..
“चुप कर लौडू ऐसा मत कर “ मैंने उसे डांटते हुए कहा
“वह क्या नाम रखा है तुमने मेरा लौडू … आज से हम दोस्त हुए कुवर ..क्योकि तुम मुझे अपना गुलाम बना नहीं पओगे ना ही मैं तुम्हे पूरी तरह से काबू कर पा रहा हु , तो दोस्ती में ही हम दोनों की भलाई है , तुम बस मुझे मेरा दाना पानी देते रहो ”
उसकी बात सुनकर मैं झल्ला गया
“ठीक है दोस्त हुए … अब चुप रह कोई हरकत नहीं , और ये मेरा लिंग क्यों तन रहा है इसे शांत कर “
वो हँस पड़ा
“जवान हो तो जवानी के मजे लोग कुवर जी “
“क्या हुआ कुवर आप बेचैन लग रहे हो कही बुखार तो नहीं हो गया “ काकी पास आई और मेरे माथे पर अपना हाथ रख कर देखने लगी , उसके कोमल हाथ पड़ते हुए मेरा मन और जोरो से डोला रे , बोला हिंडोला रे … :lol1:
“नहीं काकी मैं ठीक हु “ मैं थोडा सकपकाया
वो हँस पड़ी ..
“जैसा आपके बारे में सुना था आप वैसे ही है , बिलकुल शर्मीले , चलिए आप के लिए कुछ अच्छा लाती हु “
वो अंदर चली गई …
“ओ हो कुवर जी … बहुत शर्मीले हो आप तो … साला उसे नहीं पता की तू चीज क्या है , यही कुतिया बना कर चोद उसे , अबे गांड देखि है उसकी … वाह वाह क्या मस्त थी , पीछे से डालेगा ना तो कसम से बहुत मजा आएगा “ लौडू की बात सुनकर मेरा भी लिंग झटके खाने लगा , साला आँखों के सामने वही चित्र चलने लगे , अगर रजिया सच में कुतिया की तरह इस झमझम पानी में खड़ी रहे और मैं पीछे से उसके योनी में अपना लिंग … ओ हो साला …
“चुप कर भोसड़ी के … तूने कहा था ना की तू मेरी वासना को नहीं जगायेगा ..”
“मैंने ऐसा कब कहा … मैंने कहा था की मैं आपको नहीं सताऊंगा .. लोगो के मन में वासना जगाना तो मेरा काम ही है , हजारो सालो से मैं यही तो करता आया हु , अभी बोलो तो रजिया के अंदर ऐसी तड़प पैदा कर दू की वो यही नंगी होकर नाचे हा हा हा “
“चुप कर साले ऐसा कुछ नही करना है तुझे ..”
मन नहीं मान रहा था , मेरी हालत तो ऐसी थी की मैं भी यही चाहता था जो लौडू मुझसे कह रहा था , लेकिन अंदर की नैतिकता अभी भी जिन्दा थी , सही गलत की समझ मैं भुला नहीं था , हा अब वासना के थपेड़ो ने मेरी हालत खराब जरुर कर दी थी , सोचा था की घर जाकर पूरी वासना अन्नू के अंदर निकाल दूंगा , लेकिन अब सामने एक नई परी आ गई थी ..
थोड़े देर ही हुए थे की काकी हाथो में एक बोतल पकड कर आई , मैं उसे पहचानता था वो देशी शराब की बोतल थी …
“काकी ये सब ..???”
“लो दो दो घूंट लगाते है ऐसे भी बारिश में दोनों ही भीग चुके है , थोड़ी गर्मी आ जाएगी “
उन्होंने दो ग्लास में उसे डाल दिया और खुद एक ही साँस में पूरा अपने हलक से उतार गई , मैंने भी एक ही साँस में पूरा ग्लास पि लिया , एक तगजी और गर्मी मेरे अंदर भी आ गई थी …
“बारिश कितना सुहाना है ना “
वो झोपड़े से निकल कर बाहर चली गई और हाथ फैला कर बारिश को अपने शरीर में लेने लगी , चारो ओर अँधेरा था लेकिन अब आँखे इतनी अभ्यस्त भी हो चुकी थी , मैंने एक ग्लास और अंदर किया और उनके साथ ही बाहर आ गया , बारिश का पानी पड़ते हुए मन में एक शांति का संचार हुआ , मैं उनके पास आया ..
“बहुत हो गया अब और ना रुका जायेगा …..” लौडू ने हलके से कहा
“नही यार ये मेरे दोस्त की माँ है ..”
“अबे तेरी तो नहीं है , जा झपट में मैं और कुछ नही सुनने वाला आ फु जा मजे कर “
वो चुप हो गया था और इधर राजिया का जिस्म पानी से गिला होकर और भी मादक लग रहा था , मैं उनके पास पंहुचा , उन्होंने मेरा हाथ पकड कर मुझे अपनी ओर खीच लिया ..
हम दोनों के चहरे बिलकुल ही पास थे …
“कितना अच्छा लग रहा है ना कुवर जी “
“हा काकी “
मैंने अपने हाथ उनके निताम्भो में रख दिए वो मुझसे और भी सटकर खड़ी हो गई
मैंने उसके चहरे को उपर किया , उनकी आँखे बंद थी , और सांसे तेज , मैं समझ चूका था की वासना की आग उनके मन में भी धधकने लगी है , दुधिया गोर चहरे पर फडफडाते हुए गुलाबी होठो को मैंने अपने होठो से लगा दिया , उन्होंने मुझे कसकर जकड लिया था …
हम दोनों के होठ आपस में घुलने लगे थे , और हाथ उनके जिस्म को यंहा वंहा छूना शुरू कर चुके थे , वो हलकी हलकी सिसकिया ले रही थी ..
“कुवर जी मुझे अपना बना लो ये आग अब बर्दास्त नहीं हो रही ..”
मैंने उन्हें वही जमीन में लिटा दिया ,जमीन बारिश के कारन कीचड़ से भरी हुई थी , मेरा मुह उनके स्तनों पर चला गया , मैं उसे कपडे के उपर से ही मानो खा रहा था , वही मेरा हाथ उनके जन्घो के बीच पहुच चूका था , वो चुह्क उठी ..
“कुवर …आह इतना मजा मुझे कभी नहीं आया “
मैंने सलवार का नाडा खोला और जितनी जल्दी हो सके उनके कपड़ो को उनके जिस्म से हटा दिया , हम दोनों ही मरजात नंगे धने बारिश में बीच सड़क में लेटे हुए थे , मेरा लिंग अब जवाब दे चूका था , वो योनी की कोमलता पाने को बेताब हो रहा था , मैंने अपने लिंग को उनकी योनी पर टिकाया , उन्होंने भी अपना पैर फैला कर मेरा पूरा साथ दिया ,लिंग योनी के अंदर जाने लगा और उसकी चमड़ी पीछे होने लगी , ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लिंग में किसी ने बहुत सारी हवा भर दी हो , वो फुल कर योनी को जकड़ चूका था ..
“आह कुवर जी …”
वो उत्तेजना में चिल्लाई और मेरे पीठ पर अपने हाथ कस लिए , मैंने अपने कमर को तेजी से चलाना शुरू कर दिया , हर एक झटके पर वो सिसकी लेती और उसकी सिसकी मुझे और भी उत्तेजित करते जाती थी , बहुत देर तक ऐसे ही भोगने के बाद मैंने उनके गर्भ में अपना वीर्य छोड़ दिया …
ऐसा लगा जी एक आंधी ख़म हो गई हो लेकिन अभी तो शुरुवात थी , हम दोनों ही कीचड़ से सन चुके थे , मैंने उसे गोद में उठाकर अपने गाड़ी में रख दिया , मेरा वीर्य पात तो हो चूका था लेकिन अभी भी लिंग की अकड में कोई कमी नहीं आई थी ना ही , मैंने उसे अपनी बुलेट में बिठा दिया और उसके टांग फैलाकर फिर से धक्के लगाने लगा , थोड़ी देर बाद मैंने रजिया का हाथ बुलेट पर रख दिया उसे झुककर उसके पीछे खड़ा हो गया , बारिश अभी थोड़ी कम हो चुकी थी लेकिन अभी भी बरस रही थी , हमारे जिस्म पर पानी की छींटे तो पड़ रही थी लेकिन वासना और भी बढती ही मालूम हो रही थी , मैं रजिया के पीछे खड़ा था और पीछे से उसके कुलहो को सहलाता हुआ मैंने अपना लिंग उसके योनी में डाल दिया ..
“आह मजा आ गया “ वो बेसुद से बोली , उसके उठे हुए कुल्ल्हो को पकड कर मैं तेजी से धक्के दे रहा था ,मुझे लग रहा था की उसकी योनी मेरे लिंग का पूरा रस निचोड़ लेगी , लेकिन तभी ..
“अम्मी … कुवर … या खुदा ये क्या हो रहा है …”
हमारे सामने अब्दुल खड़ा था , उसे देख कर मुझे जोर का झटका लगा
“साले लौडू मरवा दिया ना ..” मैंने अपने मन में कहा
“कुछ नही हुआ है ये तो एक बहुत ही अच्छा मौका है , अपना हाथ अब्दुल की ओर कर …”
“मतलब …??’
“मतलब बचना चाहता है न इससे तो हाथ अब्दुल की ओर कर …”
“तू क्या करने वाला है …”
“तू कर बे चूतिये “
मैंने लौडू की बात मान ली और अपना हाथ अब्दुल की तरफ कर दिया , वो हमशे थोड़े ही दूर में खड़ा था , हाथो में एक छत्ता था शायद वो अपनी अम्मी को ही ले जाने के लिए आया था , बारिश भी थोड़ी कम हो चुकी थी , मैंने जैसे ही हाथ उसकी ओर किया मुझे ऐसा लगा जी मेरे हाथो से कोई शक्ति निकल कर अब्दुल के अंदर चली गई , अब्दुल के हाथो से उसका छत्ता छुट गया …
“ये क्या किया तूने ..”
“तू बस इसकी अम्मी को चोदता रह और मजा देख , फिक्र मत कर तेरे दोस्त को कुछ नहीं होगा “
लौडू की बात सुनकर मैं अपने हवास की धार रजिया के गर्भ में छोड़ने के लिए जोरो से धक्के मारने लगा , अब्दुल आँखे फाडे हमें देख रहा था वो सामने आया और अपनी अम्मी के चहरे को पकड कर उनके होठो में होठ डाल दिया , उसके आँखों में आंसू थे लेकिन जैसे वो अपने हालत पर काबू ना कर पा रहा हो , उसने तुरंत ही अपने सारे कपडे खोल लिए , रजिया ने एक बार उसे देखा लेकिन वो कुछ ना बोली , अब्दुल ने अपना लिंग हिलाया और अपनी अम्मी के होठो पर टिका दिया …
रजिया ने अपने बेटे का लिंग अपने मुह में भर लिया था ..
“अल्लाह… मैं ये क्या पाप कर रहा हु नहीं ,,, आह इतना मजा मुझे की आ रहा है ,नहीं बचाओ कोई “ अब्दुल असहाय होकर चिल्लाया , मुझे अपने किये पर दुःख हुआ लेकिन अब देर हो चुकी ही , मैंने और भी जोरो से धक्के लगाये और अपने वीर्य की धार रजिया के गर्भ में डाल दी …
मेरे अंदर का उफान शांत हो चूका था लेकिन अब्दुल के अंदर का उफान तो अभी शुरू हुआ था , मैं रजिया को छोड़कर हटा वो मेरी जगह अब्दुल आ गया .. वो मुझे रोते हुए देखने लगा
“कुवर ये क्या हो रहा है , मैं अपनी ही माँ के साथ .. ये मुझे रोक क्यों नहीं रही है , मुझे इतना मजा क्यों आ रहा है .. आह आह “
उसने अपना लिंग उसी योनी में घुसा दिया था जन्हा से वो खुद निकला था …
मेरे मन में ग्लानी के भाव आ रहे थे ,मैंने खुद बचने के लिए एक सीधे साधे आदमी को फंसा दिया था ..
“हा हा हा मजा ही आ गया , इसे कहते है पाप , जिस योनी से ये निकला था उसी में अपना लिंग डाल रहा है , माँ के साथ सम्भोग से बढ़ा पाप तो दुनिया में कोई नहीं , शाबास कुवर , इससे हमारी ताकत और भी बढ़ जायेगी , हमने शैतान के लिए एक खास तोहफा दे दिया है “
लौडू की आवाज अपने अंदर सुनकर मैं गुस्से से भर गया …
“तूने मुझसे ये क्या करवा डाला कमीने , इस मासूम से लड़के को देख , जो हवस में अँधा होकर अपनी ही माँ से सम्भोग कर रहा है , और उस माँ को देख जो हवस के आगे अपने ही बेटे के लिंग से मजे ले रही है , सोचा है जब इनका हवस खत्म हो जायेगा तो फिर क्या होगा , ये कैसे एक दुसरे को अपना मुह दिखायेंगे ,कही ग्लानी से भरकर ये आत्महत्या ना कर बैठे …”
“अरे यार कुछ नहीं होगा , तुम तो अभी अभी ये सब देख रहे हो मैंने हजारो साल ये देखा है , कोई नहीं मरता बल्कि इस सुख को भोगने को बेताब हो जाते है , पाप करने का अपना ही मजा है दोस्त , जाकर देखो दुनिया में कितने लोग है जो पाप करने की हसरत रखते है , क्योकि पाप में एक गजब का आकर्षण है , अगर दुनिया ये मान ले ना की ये पाप नहीं तो साला कोई करने की सोचेगा भी नहीं , लेकिन इस दुनिया ने अपनी नैतिकता बनाई , अपने नियम बनाये , सही और गलत बनाया और इसी से पैदा हुआ पाप का आकर्षण , जाकर देखो दुनिया को वही करने में मजा आता है जिसे लोग पाप कहते है , रिश्तो में सम्भोग हो या दारू सिगरेट जैसा नशा , समाज ने इसे पाप कहा और लोग इसके पीछे दीवाने हो गए , और जो मजा छिपकर पाप करने में आता है वो खुल्मखुल्ला करने में नहीं आता .. इसलिए प्रेमीयो की जब शादी नही हुई होती तो उन्हें एक दुसरे से मिलने में कितना मजा आता है वही शादी के बाद एक दुसरे का शक्ल भी देखना पसंद नहीं करते हा हा हा …”
लौडू की बातो में एक सच था वो सच जिसने मुझे निरुत्तर कर दिया था , यंहा अब्दुल पुरे जोश में लगा हुआ था …
“मुझे माफ़ कर देना अम्मी मुझे माफ़ कर देना , मैं … आह मैं मजबूर हु , इस मजे के आगे आह , कितना मजा आ रहा है “ वो पुरे ताकत से अपनी माँ के योनी में अपना लिंग डाल रहा था , मैंने अपने कपडे उठा लिए और उन्हें पहन कर झोपडी से एक दारू की बोतल उठाई पूरी बोतल वही बैठे बैठे गटक गया ..
इधर अब्दुल ने अपनी माँ की योनी में अपना वीर्य डाल दिया था , वो खुद जमीन पर गिर गया था और रजिया अभी भी मेरे बुलेट में लेटी हुई थी ..
मैंने दोनों को उठाया …
“खुद को साफ़ करो और घर जाओ , इस बात को ज्यादा सोचना नहीं मैं निकलता हु …”
मैंने अपनी बुलेट उठाई और हवेली की ओर बढ़ चला , मुझे लग रहा था जैसे लौडू नहीं मैं ही शैतान बन गया हु , मैंने अपने फायदे के लिए अब्दुल जैसे मासूम आदमी से ऐसा बड़ा पाप करवा दिया था , ग्लानी का भाव तो था लेकिन फिर भी इतना की मुझे फर्क नही पड़ रहा था ..
मैं सच में एक शैतान बन गया था …………
:superb: :good: :perfect: awesome update hai dr sahab,
Behad hi shandaar, lajawab aur amazing update hai bhai,
 
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nice update. naamkaran bhi achcha kiya us shetan ka lodu 🤣. raziya ko chod dala lodu ke kehne par ,par galat waqt pe abdul aa gaya aur lodu ne usko bhi apne mayajal me fasake apni hi maa se sex karwa diya .
 

Tiger 786

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अध्याय 10
भाभी और अंकित पथ्थर की ओर बढ़ रहे थे लेकिन वो उसके पास जाते जाते थोड़े धीरे होते जा रहे थे , मुझे भी वो फिलिंग समझ आ रही थी , वो पत्थर अब जागृत था और उसकी शक्तिया मेरे अंदर थी , उसमे एक तीव्र आकर्षण भी था जिससे वो दोनों खींचे चले जा रहे थे …
आखिर भाभी उस पत्थर में बैठ गई उन्होंने आँखे उठा कर मेरे ओर देखा ,
पीले और लाल रंग की साडी , कलाई लाल चूड़ी से भरी हुई थी , उनका गोरा रंग चहरे में आये पसीने से चमक रहा था , मांग का सिंदूर पसीने के कारन थोडा और फ़ैल गया था , मेरी नजर थोड़ी निचे गई तो उनके गले में लगता मंगलसूत्र दिखाई पड़ा ,उनकी सांसे तेज चल रही थी , मैं जानता था की उन्हें क्या हो रहा है , वही अंकित की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी , वो घबराया हुआ था लेकिन अपनी भाभी से नजरे नही हटा पा रहा था ,पेंट में बने तम्बू ने साफ साफ बता दिया था की वो क्या सोच रहा है ..
मैं जानता था की इन दोनों की हालत इस पत्थर के कारन हुई है और शायद मेरे साथ होने के कारन भी ..
मैं उन दोनों के पास पंहुचा और अंकित का हाथ पकड कर भाभी की जन्घो में रख दिया ,
“आह ,,,ओओ “
भाभी ने एक सिसकी ली और आँखे बंद कर ली , वो वासना के आंधी में फंस चुकी थी , वही अंकित जो उस स्त्री को अपनी माँ के समान मानता था वो भी उसे पाने को उत्तेजित होने लगा था ,
अंकित अपने हाथो को उनकी जांघ में सहलाने लगा था , दोनों ही उत्तेजना में बहने लगे थे , मैंने गुंजन भाभी को वही पत्त्थर में लिटा दिया , वो किसी कटपुतली की तरह चुप चाप लेट गई थी , मैंने अंकित का हाथ उनके वक्षो पर रख दिया और खुद वंहा से थोड़ी दूर चला गया ..
दोनों अब पागल हो चुके थे उन्हें खुद का कोई होश बाकी नहीं रह गया था , अंकित अपनी भाभी को धीरे धीरे निर्वस्त्र कर रहा था वही वो उनके जिस्म से खेलने लगा था , मैं भी इस खेल में कूदने को बेताब होने लगा लेकिन मैंने किसी तरह खुद को सम्हाले रखा , मैं देखना चाहता था की मेरे अंदर खुद को रोक पाने की कितनी ताकत है ..
अंकित अब भाभी के उपर पूरी तरह से चढ़ चूका था, दोनों ही निर्वस्त्र थे , अंकित ने अपने लिंग को गुंजन भाभी की योनी में डाल दिया ..
“आअअ ह ह ह …”
एक मादकता से भरी सिसकी मेरे कानो में आई , उन दोनों का कृत्या देख कर मेरे अंदर उफान मच गया लेकिन फिर भी मैं खुद को सम्हाले हुए खड़ा रहा ..
“शाबास निशांत .. बहुत खूब …”
एक आवाज मेरे कानो में पड़ी , मैं इस आवाज से अनजान था की ये किसकी आवाज है , मैंने चारो ओर देखा .. लेकिन वंहा कोई नहीं था , ये आवाज इतनी स्पष्ट की लगा जैसे मेरे पास ही कोई हो ..
“कौन है ..? “ मैं चारो ओर देखने लगा , एक ओर भाभी और अंकित अपने ही मस्ती में डूबे हुए थे वही एक अनजान सी आवाज ने मुझे चौका दिया था ..
“मैं कही बाहर नही हु, तुम्हारे अंदर ही हु , मैं इस पत्थर की वो शक्तिया हु जो अब तुम्हारे अंदर है …”
“शक्तियों की कोई आवाज नहीं होती “
“हा हा हा (वो जोरो से हँसा ) लेकिन उनके मालिक की तो होती है , हजारो सालो तक इस ताकत का मालिक एक तांत्रिक था , जिसका कुछ अंश इस पत्थर में रह गया था , अब यही इन शक्तियों की आवाज है ..”
“क्या चाहिए तुम्हे ..??”
मैं बहुत ही आशंकित हो चूका था
“मुझे … ?? हा हा हा .. मुझे भला क्या चाहिए होगा , लेकिन मैं तुम्हे बहुत कुछ दे सकता हु , पुरे दुनिया को मुठ्ठी में करने की ताकत … तुमने ये सही किया की इन दोनों को यंहा ले आये , इनके सम्भोग से तुम और भी ताकतवर हो जाओगे , ये दोनों एक दुसरे को माँ बेटे की तरह मानते थे , अब देखो वासना के वसीभूत होकर की एक दुसरे के जिस्म को भोग रहे है … ये पाप है और पाप से शैतान खुश होता है , तुम इस पत्थर पर किसी भी स्त्री और पुरुष के बीच सम्भोग करवा सकते हो , और हर बार जब कोई पाप करेगा तो तुम्हारी ताकत और भी बढ़ जायेगी , तुम शैतान के सबसे प्रिय बन जाओगे , दुनिया तुम्हारे कदमो में होगी …”
“चुप करो ना ही मुझे ये शक्तिया चाहिए ना ही तुम , मुझे किसी शैतान को खुश नही करना चाहता …”
“हा हा हा .. इस मौके को यु ना गवाओ निशांत , ऐसा भाग्य सभी को नहीं मिलता, तुम चाहो तो इस पत्थर को गांव के चौराहे में या भरे बाजार रख दो , लोग बाजार में ही अपनी माँ बहन और बेटियों के साथ भी सम्भोग के लिए मजबूर हो जायेंगे , तुम चाहो तो ये पाप उनसे करवा सकते हो और खुद भी इससे और भी ज्यादा शक्तिशाली बन सकते हो …”
ये सोच कर भी मेरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया , ये पत्थर इतना शक्तिशाली है ???
“मत सोचो इस ताकत के मजे लो , और दूसरो को भी लेने दो ..”
वो आवाज मेरे अंदर गूंज गई ,
“नहीं … नहीं ऐसा नहीं हो सकता , मैं इस ताकत को अपने हिसाब से चलाऊंगा ना की ये ताकत मुझे अपने ही हिसाब से नचाएगी …”
उधर से फिर से एक जोरो की हँसी गूंजी
“तुम इतने ताकतवर नहीं हो की इस ताकत को सम्हाल पाओ , तुम वासना के भूखे हो , हर मनुष्य है , और ये ताकत तुम्हे बस मनुष्यों को उसके असली रूप में ले आता है , सभी को जिस्म की प्यास होती है और ये बस उस प्यास को बढ़ा देता है , फिर देखो … यही है ना जिसने तुम्हे चमचा मारा था , कहा था की गुंजन उसकी माँ है , अब देखो उसे की उसके जिस्म को भोग रहा है … मनुष्य ऐसा ही है , समाज और नैतिकता के बंधन के कारण वो बंधा हुआ है लेकिन अगर उसके मन से इसका बोध निकाल दे तो उसके लिए जिस्म केवल जिस्म है , और वासना की पूर्ति ही एक मात्र लक्ष्य …”
मैं अंकित और गुंजन भाभी को देखने लगा , ये सच था , अंकित अपनी कमर जोरो से हिला रहा था और गुंजन भाभी भी उसका साथ देते हुए अपने पैरो को उसके कमर में बांध कर मजे ले रही थी , दोनों ही कामुक आवाजे निकाल रहे थे …
“मैं तुम्हारे बहकावे में नहीं आऊंगा , मुझे तुम्हे कंट्रोल करना है ..”
“हा हा हा कोशिस कर के देख लो , कुछ देर बाद तुम्हारा लिंग इतना बेताब हो जायेगा की तुम खुद ही गुंजन के उपर टूट पड़ोगे …”
ये सच था , मेरी तो अभी से हालत बहुत ही ख़राब थी , मुझे कुछ समझ ही नही आ रहा था की आखिर मैं करू क्या , मैंने खुद पर बहुत कंट्रोल करने की कोशिस की लेकिन मैं अपने आपे से बाहर जाने लगा था , अचानक मेरी नजर झील पर पड़ी और मैं दौड़कर झील में कूद गया …
ठंढा पानी पड़ते ही मन की वासना दूर होने लगी , हालाकि अभी भी मेरे लिए खुद को रोक पाना बहुत मुश्किल हो रहा था लेकिन मैं जानता था की अगर आज मैंने खुद को कंट्रोल नहीं किया तो शायद कभी नहीं कर पाऊंगा , मैंने अपनी किस्मत को स्वीकार कर लिया था , लेकिन मैं इस शक्ति की गुलामी नहीं करना चाहता था , बल्कि इसका मालिक बनना चाहता था …
“अब कहो क्या कहते हो …” मैंने सवाल किया ..
“तुम मुर्ख हो जो इतना अच्छा मौका गवा रहे हो , जरा देखो तो गुंजन के कोमल गोर निताम्भो को जो पत्थर में कैसे दब रहे है , और अंकित को देखो जो उन कोमल निताम्भो पर खुद रहा है , हाय कितना मजा आ रहा होगा उसे , जब उनका लिंग गुंजन के कोमल और गिले चिपचिपे योनी में जा रहा होगा , देखो जरा “
उसकी बात सुनकर मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी ..
“नहीं रुक जाओ नहीं ..”
मैंने आँखे बंद कर ली और खुद को पानी के अंदर डाल दिया , मैं तब तक अंदर रहा जब तक मैं साँस लेने की लिए तड़फ ना उठा … मुझे खुद को कंट्रोल करना है …मैंने फिर से गहरी सांसे भरी और फिर से पानी के अंदर चला गया , ऐसा मैं करता ही रहा , ऐसा करने से मेरा मन एकाग्र होने लगा और वासना की आग शांत होने लगी , एक ओर तो मेरा मन कह रहा था की इस मजे से वांछित मत रह , कम से कम एक बार देख ले उन्हें , एक बार उनकी आवाजे तो सुन कितनी मादकता से भरी हुई है , वही दूसरी ओर मन का हिस्सा मुझे किसी भी बहकावे में आने से रोक रहा था ,
“अगर तूने आवाजे भी सुन ली तो खुद को कंट्रोल करना और भी मुश्किल हो जायेगा , बस यही करता रह डूब अंदर और सांसे रोक ले …”
मैंने कही पढ़ रखा था की सांसे रोक देने से मन की गति भी रुक जाती है , आज इसका उदाहरण मैं खुद था , मैं जितनी डुबकिया झील में लगा रहा था उतना ही मेरा मन शांत होने लगा था , मैंने गहरी साँस ली और फिर से अंदर डूब गया , जब निकला तो अंकित को इस ओर आता हुआ पाया ..
वो दौड़ते हुए आया और पानी में छलांग लगा दिया …
मैंने उसे सम्हाला ..
“अंकित तू ठीक तो है ना …”
मैं उसका चहरा पढ़ सकता था , वासना का भुत उतर चूका था वो ग्लानी से भरा हुआ था ..
मैंने एक बार गुंजन भाभी की ओर देखा वो अभी भी पत्थर में पड़ी ही थी और उनके योनी से वीर्य बह रहा था …
“मैं पापी हु मुझे मर जाना चाहिए “ अंकित रोने लगा , मैंने उसे सम्हाला
“नहीं तु पापी नहीं है .. ना ही भाभी ने कुछ गलत किया , सही गलत को भूल जाओ और इन्हें लेकर जल्दी से घर जा , पहले इन्हें सहारा देकर यंहा ला और झील के पानी से उनके शरीर को धो दे ..”
उसने एक अजीब निगाहों से मुझे देखा
“देख अभी बात करने का समय नहीं है जल्दी जा “
मेरी बात सुनकर वो दौड़ा और गुंजन भाभी को जल्दी से झील के पानी में डाल दिया , वो मानो बेहोश थी , ठंडा पानी शरीर में पड़ते ही वो चोक कर उठी ..
अपनी हालत देख कर वो चौकी और अपने तन को छिपाने के जतन करने लगी ..
“भाभी वंहा सभी आपका इन्तजार कर रहे होंगे आपको जल्दी जाना चाहिए “
मेरी बात सुनकर वो हडबडाई और बिना कुछ बोले ही वंहा से बाहर निकल गई उन्होंने जल्दी जल्दी अपने कपडे पहने , तभी बदल जोरो से गरजा , मैं अभी भी पानी में ही था अंकित और गुंजन भाभी बिना एक दुसरे को देखे ही वंहा से भागे ..
जोरो से बारिश होने लगी थी , मैं अभी भी झील में ही था ..
यंहा अब पूरा एकांत था , रात हो चुकी थी और हलके चाद के प्रकाश भी मुझे ये जगह साफ दिखाई पड़ रही थी ..
अपने अपने पुरे कपडे निकाल दिए और बारिश में भीगता हुआ उस पत्थर पर जा बैठा , एक करेंट सा मेरे अंदर दौड़ा ऐसा लगा जी पत्थर से कुछ निकल कर मेरे अंदर आ रहा है …
“मैंने तुम्हे कंट्रोल कर लिया “ मैं जोरो से हँसने लगा था ..
“मुझे कोई कंट्रोल नहीं कर सकता , कोई भी नहीं मैं शैतानी शक्ति हु और तुम एक साधारण मानव , मैं तुम्हारा उपयोग शैतान का काम करने में कर रहा हु , तुम मेरा उपयोग नहीं कर सकते … कभी भी नहीं “
उसकी आवाज सुनकर मैं फिर से हँसा ..
“तुम्हारी आवाज में वो दम नहीं लग रहा ,,क्या बात है … हा हा हा “
मैं जोरो से हँस पड़ा ..
“तुमने बस एक बार खुद को कंट्रोल किया है और यंहा तुम्हारे पास झील का पानी था , बाकि समय में करोगे .. मैं तुम्हे उस समय उत्तेजित करूँगा जब तुम्हारे सामने तुम्हारी अम्मा होगी … हा हा हा “
वो शक्ति भी हँसने लगी , लेकिन मुझे बहुत ही तेज गुस्सा आया ..
“तू मेरी गुलाम है … “ मैं चिल्लाया
“वो तो वक्त ही बताएगा …”
अचानक से सब शांत हो चूका था … मेरी सांसे तेज थी और शरीर गर्म , मन में कोई डर नहीं कोई संदेह नहीं कोई सवाल नहीं ….
मुझे नहीं पता था की ये शक्ति क्या है लेकिन इससे खेलने में अब मुझे मजा आने लगा था ……………
Behtreen update
 
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