अध्याय 9
जब वासना की आग शांत हुई तो हमें अपनी स्तिथि का होश आया , मैंने मुस्कुराते हुए गुंजन भाभी और अंकित को देखा जो की अभी तक वही खड़े थे , वो ऐसे खड़े थे जैसे उनके पैर जम गए हो …
पता नहीं क्यों लेकिन मेरे चहरे में उनको देखकर कोई डर नहीं आया बल्कि एक मुस्कान मेरे चहरे में खिल गई …
“तुम लोग यंहा क्या कर रहे हो “
मैं अभी नंगा ही था और उन लोगो की तरफ पलटा , गुंजन भाभी की नजर मेरे मुस्झाये हुए लिंग पर पड़ी , और वो हडबडाकर फिर से मेरा चहरा देखने लगी ..
“वो .. वो तुम्हारी गाड़ी देखि तो लगा की कही तुम मुसीबत में तो नहीं फंस गए इसलिए तुम्हे ढूंढते हुए इधर आ गए , माफ़ करना .. चलो अंकित “
अंकित जो की हैरानी से कभी मुझे तो कभी अन्नू को देख रहा था , गुंजन भाभी के बोलने से उसे भी जैसे होश आया हो ..
“सॉरी सॉरी … “ वो दोनों तुरंत ही पलट कर जाने लगे , मैंने हँसते हुए अन्नू को देखा जो की नग्न ही खड़ी थी
उसने तुरंत मुझे अपने पास खिंच लिया और मेरे होठो में होठ डाल कर चूमने लगी …
“आई लव यु .. और ये भूलना मत “
उसने बड़े जोरो से मेरे होठो को चूमने के बाद कहा , उसका चहरा खिल चूका था और आँखों में मेरे लिए प्यार साफ़ दिखाई पड़ रहा था …
“घर चले “ मैंने मुस्कुराते हुए उसे देखा
“हम्म तुम्हे जलन नहीं हुई की अंकित ने मुझे ऐसे देख लिया “
उसने हलके से कहा
“वो दोनों यंहा गलती से आये थे तो छोडो अब , ऐसे भी तुम अब मेरी हो “ मैंने उसकी पलती कमर को पकड़ कर खिंच लिया जिससे वो फिर से मुझसे सट गई
हमारे होठो फिर से एक दुसरे से मिल चुके थे उसके कोमल होठो को चूसते हुए मैं अपने हाथो से उसके पिछवाड़े को सहला रहता , कोमल मगर पुष्ट निताम्भो को अपने हाथो से एक बार दबोच लिया ..
इतना मेरे लिंग में फिर से जान भरने के लिए काफी था , जीवन में पहली बार सम्भोग का आनंद वो भी उससे जिससे आप इतना प्यार करते हो , गजब का अहसास था , एक दुसरे का हो जाने का अहसास और साथ ही साथ वो मजा ….
मैंने खड़े खड़े ही फिर से अपना लिंग अन्नू की योनी से सहलाया , उसके भी होठो में मुस्कान आ चुकी थी , उसने अपने हाथो से मेरे लिंग को सहलाते हुए अपने योनी में प्रवेश दिला दिया ….
हम दोनों फिर से उसी मस्ती में डूब चुके थे ….
घर आने पर अन्नू का चहरा खिला हुआ था , वो मस्त लग रही थी जैसे वो हमेशा होती थी जैसे कोई बोझ उतर गया हो , हम हवेली के अंदर गये ही थे की मुझे वंहा गुंजन भाभी और अंकित बैठे हुए दिखाई दिए , वो अम्मा के सामने बैठे हुए थे , देखने पर मालूम पड़ रहा था की कोई सीरियस मामला है …
मैंने एक नजर दोंनो को देखा और उपर जाने लगा ..
“निशांत … इधर आओ “
अम्मा ने मुझे आवाज दी , वही अन्नू भी मेरे साथ ही आम्मा के पास पहुची ..
“जी अम्मा “
मेरे मन में पता नहीं क्यों लेकिन कोई भी डर नहीं था , ऐसा लग रहा था जैसे सालो की जंजीर किसी ने तोड़ दो हो , मैं खुद में बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था , बिलकुल ही शांत और संतुलित ..
“तुम दोनों तो बचपन के दोस्त हो क्या हुआ आजकल बात भी नहीं कर रहे “
उन्होंने मुझे और अंकित को देखते हुए कहा
“नहीं ऐसा तो कुछ नहीं है , वो आप बैठी थी तो मैं …”
अंकित अभी भी सर गडाए बैठा था जैसे उसे यंहा आने का बिलकुल भी मन ना हो लेकिन फिर भी वो यंहा आया हो …
“अच्छा छोडो ये सब तुम कुछ लोगो के साथ जाओ , इनकी पहाड़ी के पास वाली जमीन पर फिर से नादलपुर के कुछ लोगो ने उत्पात मचा दिया है , जरुर बलवंत के आदमी होंगे हमारे गांव के लोगो को परेशान करने में उन्हें मजा आता है “
उनकी बात सुनकर मैं थोडा चौका , आज से पहले गांव और यंहा की राजनीती में अम्मा ने कभी मुझे नहीं शामिल किया था , ठाकुर बलवंत नादलपुर का मुखिया और हमारे क्षेत्र का विधायक था , उसका रुतबा पुरे प्रदेश में फैला हुआ था , अम्मा और बलवंत के परिवार के बीच हमेशा से दुश्मनी रही थी , आये दिन कुछ ना कुछ होता ही रहता , दोनों ही अलग अलग पार्टी को सपोर्ट करते , अभी बलवंत की पार्टी राज्य की सत्ता में थी और इससे अम्मा की मुश्किले और भी बढ़ गई थी , हमारे प्रत्यासी को बलवंत में बहुत ही कम अंतर से हराया था लेकिन हार तो हार ही होती है , रुतबे, पैसे और ताकत तीनो में वो हमशे कही ज्यादा था लेकिन अभी तक अम्मा ने कभी उसके सामने हार नहीं मानी थी , वो अम्मा की जीवटता ही थी की वो बलवंत जैसे इंसान के सामने भी गर्व के साथ खड़ी रहती , बलवंत के लोग आये दिन अम्मा और हमारे गांव के लोगो को परेशान करने का मौका ढूंढते रहते थे , पहाड़ी के पार थोड़े दूर से उनका गांव शुरू होता था , अधिकतर लड़ाई उधर ही होती , वो इलाका गांव से थोडा दूर पड़ता था और सुनसान भी (ये वही इलाका था जन्हा मैं और अंकित शराब पीने जाते और जन्हा वो पत्थर था , वो झरना दोनों गांव के बीच में पड़ता था ) कुछ लोग सोच रहे होंगे की दो पडोसी गांव इतने दूर कैसे , तो भाई लोग जंगलो में अधिकतर ऐसा ही होता है , 2 गांवो के बीच में 10, 15,20 किलोमीटर तक का जंगल होता है कई बार तो और भी ज्यादा ..
खैर दोनों गांव से पास वाले शहर की दुरी लगभग एक ही थी लेकिन रास्ते अलग थे , जिस रास्ते से हम कॉलेज गए थे वही रास्ता शहर की ओर से आने पर दो भागो में बाटता था जिसमे से एक नादलपुर जाता तो दूसरा हमारे गांव कुवरगढ़ … जी हमारे गांव का नाम कुवरगढ़ था क्यों था ?? मुझे क्या पता जिसने रखा उससे पूछो .. ![:lol1: :lol1: :lol1:](/uploads/smilies/xf/kinnu2.gif)
मैं अम्मा को चकित भाव से देख रहा था , वो मेरे ओर देखकर मुस्कुराई
“मेरे बाद सब तुम्हे ही देखना है , अभी से जिम्मेदारिया लेनी शुरू कर दो , अब तुम बड़े हो चुके हो , देखते है तुम इस मामले को कैसे सम्हालते हो ..”
उनके चहरे में एक मुस्कान अभी तक थी , मुझे डॉ की बात याद आई और मैंने अपनी नजरे झुका ली ..
“जी अम्मा मैं देखता हु … उधर तूम लोगो के आम के बगान है ना ??”
मैंने अंकित से कहा
“जी कुवर “ उसने बड़े ही शांत तरीके से जवाब दिया
“क्या हुआ है ??? “
इस बार वो कुछ ना बोला उसकी जगह गुंजन भाभी बोल उठी ..
“ वो बगीचा तो ऐसे भी भगवान भरोसे ही रहता है , वंहा देख रेख करने किसी को रखे तो उसे ये लोग मार पिट कर भागा देते है तो हम भी उधर ध्यान नहीं देते , वो हमारे आम चोरी कर ले ये सब भी समझ आता है लेकिन … लेकिन इस बार तो हद कर दिया उन्होंने , हम दोनों शहर गए थे और इसके भैया कुछ मजदूरो के साथ उस ओर गए थे ,सोचा था जो कुछ बचा हुआ है वो ही तुड़वाकर ले आयेंगे , लेकिन वंहा पहले से निदालपुर के कुछ लोग मौजूद थे , पता नहीं क्या हुआ दोनों के बीच झगडा हो गया और …”
गुंजन भाभी रोने लगी , मैंने अहिस्ता से उनके कंधे पर अपना हाथ रख दिया ,
“फिक्र मत करे बताओ क्या हुआ ..”
उन्होंने अपने साडी के पल्लू से अपनी आँखों का आंसू पोछा
“क्या बताऊ कुवर जी , वो लोग ज्यादा थे और उन्होंने उनको बहुत मारा, मजदूरो को भी मारा, बाकियों को तो छोड़ दिया लेकिन उन्हें वही रख लिया .. कहा है की इसकी बीवी को भेजो तब इसे छोड़ेंगे “
गुंजन भाभी जोरो से रोने लगी , अम्मा ने उन्हें शांत किया और फिर मेरी ओर देखा …
मुझे जीवन में पहली बार इतना गुस्सा आ रहा था , ऐसा लगा जैसे शरीर तपने लगा हो , मैं हमेशा से शांत व्यक्ति था लड़ाई झगड़े से कोशो दूर रहने वाला , लेकिन आज जाने क्या हो गया था , ऐसे भी मैं आजकल पहले जैसा रहा ही कहा था , मैं बुरी तरह से काँप रहा था , मैंने अंकित को देखा भाभी की बात सुनकर उसकी भी मुठ्ठी कस गई थी लेकिन वो अभी भी सर झुकाए ही बैठा था …
“आज के बाद वो ऐसा बोलने की सोचेंगे भी नहीं “
मैंने गुंजन भाभी का हाथ पकड़ का उन्हें अपने साथ खिंच लिया और ले जाकर सीधे अपनी बुलेट के पास पंहुचा ..
“सब तैयार हो जाओ …चलो सालो को दिखलाते है …”
मैंने चिल्लाते हुए बोला और कालू को इशारा किया , कालू हमारा पुराना वफादार और मारपीट एक्सपर्ट था , जेल आना जाना उसके लिए रोज का था , उसने अपनी कटार अपने हाथो में ले ली उसके साथ ही और भी बहुत से लोग थे सभी अपने अपने गाडियों में सवार हो चुके थे , मेरे ऐसा करने से अंकित भी चौक गया था वो भी दौड़ता हुआ हमारे पीछे आया ..
“भाभी बैठो आप …”
मैंने गुंजन भाभी से कहा
“मैं … मैं वंहा क्या करुँगी जाकर ..”
“डरो मत बैठो उन्होंने आपको बुलाया है न , उनको भुगतना पड़ेगा , बैठो “
उन्होंने एक बार अंकित की ओर देखा जो खुद भी हैरान था , भाभी मेरे साथ बुलेट में बैठ गई , वही अंकित भी अपनी बाइक लेके निकला … मेरे साथ करीब 50 लोगो का काफिला था जिसमे से 20 का तो काम ही यही था , जब भी लड़ाई होती तो उन्हें जाना ही था ..
वो बगीचा पहाड़ी के पीछे पड़ता था , मैंने सभी को अपनी गाड़ी थोड़े दूर बंद करने को कह दी , मुझे पता था की सामने वाले भी कम नहीं होंगे , और पूरी तैयारी में बैठे होंगे , कालू ने मेरे हाथो में भी एक कटार थमा दी ..
“कुवर जी आज शुभारम्भ हो ही जाए , आज बहुत दिनों के बाद लगा की कुवरपुर में जान आई हो “
कालू बहुत खुश था , क्योकि अम्मा कूटनीति में ज्यादा भरोसा रखती थी , मारपीट भी बस बचाव के लिए होता आक्रमण के लिए नहीं किया जाता ,लेकिन आज तो हम पुरे आक्रमण के मूड में थे ..
“क्या करना है सीधे टूट पड़े इनपर “ कालू जैसे मेरा सेनापति हो , उसने उसी लहजे में कहा
“नही ऐसे नहीं पहले देखो तो सालो ने हमें फ़साने के लिए क्या जाल बनाया है, अंकित तुम भाभी के साथ यंही रुकोगे , जब हम सिग्नल दे तो आ जाना , बाकी लोग आराम से कोई शोर नहीं करना है पहले छिपकर उन्हें देखते है फिर हमला करेंगे …
हम धीरे धीरे उस ओर बढ़ने लगे , थोड़े दूर के बाद ही हमें लोगो की आवाजे सुनाई देने लगी थी , मैंने सभी को सचेत किया , हम छिपकर उन्हें देखने लगे , अंकित के भैया एक पेड़ में बंधे हुए थे वो लोग वंहा आराम से बैठे थे , वो भी बहुत संख्या में थे लेकिन खासबात ये भी थी की उनका गाँव भी यंहा से पास था , वो कुछ देर में ही मदद माँगा सकते थे , मैं सोच में पड़ा रहा …
“क्यों कुवर हमला कर दे ..” कालू से मानो रहा नहीं जा रहा था
“अरे रुक यार , एक काम करो पहले सालो को घेर लो , किसी के पास धनुष बाण है क्या ..”
कालू हँसने लगा
“आज के जमाने में कौन धनुष चलाता है …”
“तो क्या है “
उसने अपने कमर से एक पिस्तौल निकाली
“बस ये एक और “
“5-6 लोगो के पास और होगी “
मैं फिर से सोच में पड़ गया ..
“सालो वंहा देखो बड़ा बड़ा रायफल ले कर घूम रहे है और तुम लोग छोटे छोटे तमंचो से इन्हें हारोगे …कुछ सोचना पड़ेगा …. जितनो के पास पिस्तौल है और जिनका निशाना अच्छा है वो हाथ उठाओ “
गिन कर 5 लोग थे , मुझे समझ आ गया था की आखिर नादलपुर वाले इन पर क्यों हावी हो जाते है , मैंने एक गहरी साँस ली ..
“कोई नहीं 5 लोग 5 दिशाओ में फ़ैल जाओ , सामने दो लोग रहेंगे लेकिन एक साथ नहीं थोडा अलग अलग , याद रहे सामने निकल कर गोली मत चला देना , छिपकर ही गोली चलना और तुरंत ही अपनी जगह बदल लेना , उन्हें समझ ही नहीं आना चाहिए की आखिर गोली कहा से चल रही है , जब एक तरफ ध्यान देंगे तभी दूसरी ओर से गोली चलाना , और सभी का निशाना बन्दुक धारियों पर ही होना चाहिए , गिन गिन कर मारो सालो को , लेकिन सामने जो दो लोग रहोगे वो कोई गोली मत चलाना , उनका ध्यान हमें बाकि की दिशाओ में खीचना है , थोड़े देर में बाद जब मैं बोलूँगा तभी इधर से गोलिया चलनी शुरू होगी और तभी हम उनपर एक साथ हमला करेंगे … ठीक है बंट जाओ सभी अभी कोई होशियारी दिखाकर सामने नहीं आएगा पहले गोलिया चलने दो फिर हमला होगा …”
मैंने सामने ज्यादा लोगो को रखा था , और उन्हें भेज दिया …
पहली गोली चली जो की सीधे एक बन्दुक धारी के हाथो में लगी , उधर के खेमे में खलबली मच गई सभी सतर्क होकर खड़े हो गए और उस ओर गोली चलाने लगे , तभी दुसरे ओर से एक गोली चली , सभी उस ओर घूम गए फिर तीसरी फिर कभी इधर से तो तुरंत बाद उधर से , पहले तो वो लोग परेशान हुई कई को गोली भी लगी लेकिन वो थोड़े सतर्क हो चुके थे तभी मैंने इशारा किया और सामने के दो लोग एक साथ गोलिया चलाने गले , उनका ध्यान हमारी ओर जाता उससे पहले ही मैंने इशारा कर दिया और चील्लाते हुए 50 लोग सामने वालो पर टूट पड़े , जिसके हाथ में जो था वो उससे ही सामने वाले को मार रहा था , मैं हाथो में कटार लिए खड़ा था किसी से भी नहीं लड़ रहा था ..
मैंने देखा की एक आदमी छिपकर अपना फोन निकाल रहा है , मैंने अपने पास खड़े बन्दुक धारी को उस आदमी की ओर इशारा किया ..
“पहले उस साले को मार नहीं तो हम लोग मर जायेंगे …”
बंदूख वाला तुरंत एक्शन में आया और गोली चला दी , थोड़े देर में ही सामने वाले घुटनों पर आ चुके थे , कुछ गंभीर रूप से घायल थे तो कुछ की जान भी जा चुकी थी , कुछ खुद को बचाने के लिए छिप गए थे जिसे ढूंढ ढूंढ कर निकाला जा रहा था , वही कुछ खुद को समर्पित कर चुके थे …
मुझे एक अजीब सी फिलिंग आ रही थी , इस गंभीर माहोल में भी आराम से था ..
मैंने गुंजन भाभी को बुलावा भेज दिया और भैया को खोलकर आजाद किया …
“किसने इनकी बीवी को यंहा बुलाया था …”
मैं चिल्लाया भैया ने एक आदमी पर उंगली उठाई , वो आदमी बुरी तरह से जख्मी था लेकिन उसकी अकड अभी भी कम नहीं हुई थी ..
मैंने उसे घसीटते हुए सामने लाया , उधर गुंजन भाभी भी वंहा आ गई थी …
“तो तुमने इनकी बीवी को बुलाया था ना , आ गई ये “
वो आदमी हँसने लगा ..
“अरे मैंने तो इसलिए इसे बुलाया था ताकि पूछ सकू की इसके मदर में कोई दम नहीं है क्या जो आज तक कोई बच्चा नहीं हुआ , साला तुम्हारा तो पूरा गांव ही नामर्दों का है ….थू, अपनी ओरतो को हमारे पास भेजा करो , सब के पेट फुला देंगे ..”
वो जोरो से हँसने था और किसी के पास भी उसकी बात का कोई जवाब नही था , मेरे मन में एक अजीब सी हलचल मचने लगी थी , मैंने अपना कटार उठाया और खचाक ….
खून के छींटे मेरे चहरे पर आ पड़े …
थोड़े देर में ही सभी लोग गांव की ओर निकल पड़े , उनकी तरफ से जो भी ठीक था उन्हें हिदायत देकर छोड़ दिया गया , मुझे आभास हो रहा था की इस कल्तेआम का अंजाम बहुत ही बुरा हो सकता है …
भैया को हॉस्पिटल के लिए भेज दिया लेकिन मैंने गुंजन भाभी और अंकित को रुकने को कहा ..
“मुझे कुछ बात करनी है “ भाभी और अंकित दोनों ही चौके
“लेकिन उनके साथ मेरा रहना जरुरी है ..”गुंजन भाभी ने कहा
“बस कुछ देर की ही बात है , रास्ते में एक झील पड़ती है थोड़ी देर वही रुकते है फिर घर चले जायेंगे “दोनों ने एक दुसरे की ओर देखा
“बस थोड़ी देर …” मैंने अंकित को देखते हुए कहा
“ठीक है ..” वो भी मान चूका था ,
आते समय हम सड़क से थोडा अंदर गाड़ी रखकर झील की ओर चल पड़े , बाकियों को हमने घर भेज दिया था ,अभी शाम ढलने को थी लेकिन पूरी तरह से ढली नहीं थी …
“कुवर जी आपको क्या कहना है जल्दी कहिये , मेरे पति की हालत ठीक नहीं मुझे उनके पास रहना चाहिए “
गुंजन भाभी अभी थोड़ी बेचैन थी ..
“बिलकुल भाभी , झील के पास एक पत्थर है , उसपर बैठकर बात करे , बस थोड़ी देर “
वो फिर से अंकित की ओर देखने लगी ..
“ठीक है चलिए “
थोडा ही चलने पर हम उस पत्थर के पास पहुच चुके थे ………….
निशांत के घर आने पी अम्मा ने उसे नादलपुर के लोगो के उत्पात और गुंजन भाभी के पति को छुड़ाने के लिए बोला नादलपुर के लोगो को मारकर उनके पति को छुड़ा लिया फिर अंकित और गुंजन भाभी को इस पत्थर की तरफ ले जाता है अब तो उस चामत्कारिक पत्थर पर कुछ बहुत ही मज़ेदार होने वाला है
![Smiling face with heart-eyes :heart_eyes: 😍](https://cdn.jsdelivr.net/joypixels/assets/7.0/png/unicode/64/1f60d.png)
... निशांत अन्नू का सहग़म व आपसी विश्वास बढ़ाने के लिए सम्भोग, अंकित व गुंजन भाभी का उन्हें देखना बढ़िया रहा