अध्याय 10
भाभी और अंकित पथ्थर की ओर बढ़ रहे थे लेकिन वो उसके पास जाते जाते थोड़े धीरे होते जा रहे थे , मुझे भी वो फिलिंग समझ आ रही थी , वो पत्थर अब जागृत था और उसकी शक्तिया मेरे अंदर थी , उसमे एक तीव्र आकर्षण भी था जिससे वो दोनों खींचे चले जा रहे थे …
आखिर भाभी उस पत्थर में बैठ गई उन्होंने आँखे उठा कर मेरे ओर देखा ,
पीले और लाल रंग की साडी , कलाई लाल चूड़ी से भरी हुई थी , उनका गोरा रंग चहरे में आये पसीने से चमक रहा था , मांग का सिंदूर पसीने के कारन थोडा और फ़ैल गया था , मेरी नजर थोड़ी निचे गई तो उनके गले में लगता मंगलसूत्र दिखाई पड़ा ,उनकी सांसे तेज चल रही थी , मैं जानता था की उन्हें क्या हो रहा है , वही अंकित की भी हालत कुछ ठीक नहीं थी , वो घबराया हुआ था लेकिन अपनी भाभी से नजरे नही हटा पा रहा था ,पेंट में बने तम्बू ने साफ साफ बता दिया था की वो क्या सोच रहा है ..
मैं जानता था की इन दोनों की हालत इस पत्थर के कारन हुई है और शायद मेरे साथ होने के कारन भी ..
मैं उन दोनों के पास पंहुचा और अंकित का हाथ पकड कर भाभी की जन्घो में रख दिया ,
“आह ,,,ओओ “
भाभी ने एक सिसकी ली और आँखे बंद कर ली , वो वासना के आंधी में फंस चुकी थी , वही अंकित जो उस स्त्री को अपनी माँ के समान मानता था वो भी उसे पाने को उत्तेजित होने लगा था ,
अंकित अपने हाथो को उनकी जांघ में सहलाने लगा था , दोनों ही उत्तेजना में बहने लगे थे , मैंने गुंजन भाभी को वही पत्त्थर में लिटा दिया , वो किसी कटपुतली की तरह चुप चाप लेट गई थी , मैंने अंकित का हाथ उनके वक्षो पर रख दिया और खुद वंहा से थोड़ी दूर चला गया ..
दोनों अब पागल हो चुके थे उन्हें खुद का कोई होश बाकी नहीं रह गया था , अंकित अपनी भाभी को धीरे धीरे निर्वस्त्र कर रहा था वही वो उनके जिस्म से खेलने लगा था , मैं भी इस खेल में कूदने को बेताब होने लगा लेकिन मैंने किसी तरह खुद को सम्हाले रखा , मैं देखना चाहता था की मेरे अंदर खुद को रोक पाने की कितनी ताकत है ..
अंकित अब भाभी के उपर पूरी तरह से चढ़ चूका था, दोनों ही निर्वस्त्र थे , अंकित ने अपने लिंग को गुंजन भाभी की योनी में डाल दिया ..
“आअअ ह ह ह …”
एक मादकता से भरी सिसकी मेरे कानो में आई , उन दोनों का कृत्या देख कर मेरे अंदर उफान मच गया लेकिन फिर भी मैं खुद को सम्हाले हुए खड़ा रहा ..
“शाबास निशांत .. बहुत खूब …”
एक आवाज मेरे कानो में पड़ी , मैं इस आवाज से अनजान था की ये किसकी आवाज है , मैंने चारो ओर देखा .. लेकिन वंहा कोई नहीं था , ये आवाज इतनी स्पष्ट की लगा जैसे मेरे पास ही कोई हो ..
“कौन है ..? “ मैं चारो ओर देखने लगा , एक ओर भाभी और अंकित अपने ही मस्ती में डूबे हुए थे वही एक अनजान सी आवाज ने मुझे चौका दिया था ..
“मैं कही बाहर नही हु, तुम्हारे अंदर ही हु , मैं इस पत्थर की वो शक्तिया हु जो अब तुम्हारे अंदर है …”
“शक्तियों की कोई आवाज नहीं होती “
“हा हा हा (वो जोरो से हँसा ) लेकिन उनके मालिक की तो होती है , हजारो सालो तक इस ताकत का मालिक एक तांत्रिक था , जिसका कुछ अंश इस पत्थर में रह गया था , अब यही इन शक्तियों की आवाज है ..”
“क्या चाहिए तुम्हे ..??”
मैं बहुत ही आशंकित हो चूका था
“मुझे … ?? हा हा हा .. मुझे भला क्या चाहिए होगा , लेकिन मैं तुम्हे बहुत कुछ दे सकता हु , पुरे दुनिया को मुठ्ठी में करने की ताकत … तुमने ये सही किया की इन दोनों को यंहा ले आये , इनके सम्भोग से तुम और भी ताकतवर हो जाओगे , ये दोनों एक दुसरे को माँ बेटे की तरह मानते थे , अब देखो वासना के वसीभूत होकर की एक दुसरे के जिस्म को भोग रहे है … ये पाप है और पाप से शैतान खुश होता है , तुम इस पत्थर पर किसी भी स्त्री और पुरुष के बीच सम्भोग करवा सकते हो , और हर बार जब कोई पाप करेगा तो तुम्हारी ताकत और भी बढ़ जायेगी , तुम शैतान के सबसे प्रिय बन जाओगे , दुनिया तुम्हारे कदमो में होगी …”
“चुप करो ना ही मुझे ये शक्तिया चाहिए ना ही तुम , मुझे किसी शैतान को खुश नही करना चाहता …”
“हा हा हा .. इस मौके को यु ना गवाओ निशांत , ऐसा भाग्य सभी को नहीं मिलता, तुम चाहो तो इस पत्थर को गांव के चौराहे में या भरे बाजार रख दो , लोग बाजार में ही अपनी माँ बहन और बेटियों के साथ भी सम्भोग के लिए मजबूर हो जायेंगे , तुम चाहो तो ये पाप उनसे करवा सकते हो और खुद भी इससे और भी ज्यादा शक्तिशाली बन सकते हो …”
ये सोच कर भी मेरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया , ये पत्थर इतना शक्तिशाली है ???
“मत सोचो इस ताकत के मजे लो , और दूसरो को भी लेने दो ..”
वो आवाज मेरे अंदर गूंज गई ,
“नहीं … नहीं ऐसा नहीं हो सकता , मैं इस ताकत को अपने हिसाब से चलाऊंगा ना की ये ताकत मुझे अपने ही हिसाब से नचाएगी …”
उधर से फिर से एक जोरो की हँसी गूंजी
“तुम इतने ताकतवर नहीं हो की इस ताकत को सम्हाल पाओ , तुम वासना के भूखे हो , हर मनुष्य है , और ये ताकत तुम्हे बस मनुष्यों को उसके असली रूप में ले आता है , सभी को जिस्म की प्यास होती है और ये बस उस प्यास को बढ़ा देता है , फिर देखो … यही है ना जिसने तुम्हे चमचा मारा था , कहा था की गुंजन उसकी माँ है , अब देखो उसे की उसके जिस्म को भोग रहा है … मनुष्य ऐसा ही है , समाज और नैतिकता के बंधन के कारण वो बंधा हुआ है लेकिन अगर उसके मन से इसका बोध निकाल दे तो उसके लिए जिस्म केवल जिस्म है , और वासना की पूर्ति ही एक मात्र लक्ष्य …”
मैं अंकित और गुंजन भाभी को देखने लगा , ये सच था , अंकित अपनी कमर जोरो से हिला रहा था और गुंजन भाभी भी उसका साथ देते हुए अपने पैरो को उसके कमर में बांध कर मजे ले रही थी , दोनों ही कामुक आवाजे निकाल रहे थे …
“मैं तुम्हारे बहकावे में नहीं आऊंगा , मुझे तुम्हे कंट्रोल करना है ..”
“हा हा हा कोशिस कर के देख लो , कुछ देर बाद तुम्हारा लिंग इतना बेताब हो जायेगा की तुम खुद ही गुंजन के उपर टूट पड़ोगे …”
ये सच था , मेरी तो अभी से हालत बहुत ही ख़राब थी , मुझे कुछ समझ ही नही आ रहा था की आखिर मैं करू क्या , मैंने खुद पर बहुत कंट्रोल करने की कोशिस की लेकिन मैं अपने आपे से बाहर जाने लगा था , अचानक मेरी नजर झील पर पड़ी और मैं दौड़कर झील में कूद गया …
ठंढा पानी पड़ते ही मन की वासना दूर होने लगी , हालाकि अभी भी मेरे लिए खुद को रोक पाना बहुत मुश्किल हो रहा था लेकिन मैं जानता था की अगर आज मैंने खुद को कंट्रोल नहीं किया तो शायद कभी नहीं कर पाऊंगा , मैंने अपनी किस्मत को स्वीकार कर लिया था , लेकिन मैं इस शक्ति की गुलामी नहीं करना चाहता था , बल्कि इसका मालिक बनना चाहता था …
“अब कहो क्या कहते हो …” मैंने सवाल किया ..
“तुम मुर्ख हो जो इतना अच्छा मौका गवा रहे हो , जरा देखो तो गुंजन के कोमल गोर निताम्भो को जो पत्थर में कैसे दब रहे है , और अंकित को देखो जो उन कोमल निताम्भो पर खुद रहा है , हाय कितना मजा आ रहा होगा उसे , जब उनका लिंग गुंजन के कोमल और गिले चिपचिपे योनी में जा रहा होगा , देखो जरा “
उसकी बात सुनकर मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी ..
“नहीं रुक जाओ नहीं ..”
मैंने आँखे बंद कर ली और खुद को पानी के अंदर डाल दिया , मैं तब तक अंदर रहा जब तक मैं साँस लेने की लिए तड़फ ना उठा … मुझे खुद को कंट्रोल करना है …मैंने फिर से गहरी सांसे भरी और फिर से पानी के अंदर चला गया , ऐसा मैं करता ही रहा , ऐसा करने से मेरा मन एकाग्र होने लगा और वासना की आग शांत होने लगी , एक ओर तो मेरा मन कह रहा था की इस मजे से वांछित मत रह , कम से कम एक बार देख ले उन्हें , एक बार उनकी आवाजे तो सुन कितनी मादकता से भरी हुई है , वही दूसरी ओर मन का हिस्सा मुझे किसी भी बहकावे में आने से रोक रहा था ,
“अगर तूने आवाजे भी सुन ली तो खुद को कंट्रोल करना और भी मुश्किल हो जायेगा , बस यही करता रह डूब अंदर और सांसे रोक ले …”
मैंने कही पढ़ रखा था की सांसे रोक देने से मन की गति भी रुक जाती है , आज इसका उदाहरण मैं खुद था , मैं जितनी डुबकिया झील में लगा रहा था उतना ही मेरा मन शांत होने लगा था , मैंने गहरी साँस ली और फिर से अंदर डूब गया , जब निकला तो अंकित को इस ओर आता हुआ पाया ..
वो दौड़ते हुए आया और पानी में छलांग लगा दिया …
मैंने उसे सम्हाला ..
“अंकित तू ठीक तो है ना …”
मैं उसका चहरा पढ़ सकता था , वासना का भुत उतर चूका था वो ग्लानी से भरा हुआ था ..
मैंने एक बार गुंजन भाभी की ओर देखा वो अभी भी पत्थर में पड़ी ही थी और उनके योनी से वीर्य बह रहा था …
“मैं पापी हु मुझे मर जाना चाहिए “ अंकित रोने लगा , मैंने उसे सम्हाला
“नहीं तु पापी नहीं है .. ना ही भाभी ने कुछ गलत किया , सही गलत को भूल जाओ और इन्हें लेकर जल्दी से घर जा , पहले इन्हें सहारा देकर यंहा ला और झील के पानी से उनके शरीर को धो दे ..”
उसने एक अजीब निगाहों से मुझे देखा
“देख अभी बात करने का समय नहीं है जल्दी जा “
मेरी बात सुनकर वो दौड़ा और गुंजन भाभी को जल्दी से झील के पानी में डाल दिया , वो मानो बेहोश थी , ठंडा पानी शरीर में पड़ते ही वो चोक कर उठी ..
अपनी हालत देख कर वो चौकी और अपने तन को छिपाने के जतन करने लगी ..
“भाभी वंहा सभी आपका इन्तजार कर रहे होंगे आपको जल्दी जाना चाहिए “
मेरी बात सुनकर वो हडबडाई और बिना कुछ बोले ही वंहा से बाहर निकल गई उन्होंने जल्दी जल्दी अपने कपडे पहने , तभी बदल जोरो से गरजा , मैं अभी भी पानी में ही था अंकित और गुंजन भाभी बिना एक दुसरे को देखे ही वंहा से भागे ..
जोरो से बारिश होने लगी थी , मैं अभी भी झील में ही था ..
यंहा अब पूरा एकांत था , रात हो चुकी थी और हलके चाद के प्रकाश भी मुझे ये जगह साफ दिखाई पड़ रही थी ..
अपने अपने पुरे कपडे निकाल दिए और बारिश में भीगता हुआ उस पत्थर पर जा बैठा , एक करेंट सा मेरे अंदर दौड़ा ऐसा लगा जी पत्थर से कुछ निकल कर मेरे अंदर आ रहा है …
“मैंने तुम्हे कंट्रोल कर लिया “ मैं जोरो से हँसने लगा था ..
“मुझे कोई कंट्रोल नहीं कर सकता , कोई भी नहीं मैं शैतानी शक्ति हु और तुम एक साधारण मानव , मैं तुम्हारा उपयोग शैतान का काम करने में कर रहा हु , तुम मेरा उपयोग नहीं कर सकते … कभी भी नहीं “
उसकी आवाज सुनकर मैं फिर से हँसा ..
“तुम्हारी आवाज में वो दम नहीं लग रहा ,,क्या बात है … हा हा हा “
मैं जोरो से हँस पड़ा ..
“तुमने बस एक बार खुद को कंट्रोल किया है और यंहा तुम्हारे पास झील का पानी था , बाकि समय में करोगे .. मैं तुम्हे उस समय उत्तेजित करूँगा जब तुम्हारे सामने तुम्हारी अम्मा होगी … हा हा हा “
वो शक्ति भी हँसने लगी , लेकिन मुझे बहुत ही तेज गुस्सा आया ..
“तू मेरी गुलाम है … “ मैं चिल्लाया
“वो तो वक्त ही बताएगा …”
अचानक से सब शांत हो चूका था … मेरी सांसे तेज थी और शरीर गर्म , मन में कोई डर नहीं कोई संदेह नहीं कोई सवाल नहीं ….
मुझे नहीं पता था की ये शक्ति क्या है लेकिन इससे खेलने में अब मुझे मजा आने लगा था ……………
अंकित और गुंजन भाभी दोनो ही पत्थर पर जाकर बैठ जाते हैं और उस पत्थर की वजह से उनमें संबंध बन जाते है क्युकी वो एक बुरी आत्मा के चंगुल में है
वो बुरी आत्मा है और बुराई हमेशा ही अच्छाई पर भारी पड़ी है और वही निशांत के साथ हो रहा है । उसने जानबूझ कर गुंजन और अंकित को वहां लेकर आया जहां बुरी शक्तियों की जीत होनी ही थी ।
निशांत भले ही खुद पर नियंत्रण रखने की बात करे पर तांत्रिक का जादू तो चल ही गया । भाभी और देवर के बीच ऐसा रिश्ता कायम कर दिया जिसे उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था देखते हैं अब निशांत उस बुरी शक्ति पर कंट्रोल कर पाएगा या नहीं