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Adultery भाभियों का रहस्य

Black horse

Member
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अध्याय 14

ठाकुर ने मुझे हिदायत दी थी की मैं अपने कमरे से ना निकलू , लोगो को बताया गया था की मुझे कैद में रखा गया है , मैंने अम्मा से बात करने की बात की तो उन्होंने मेरा मोबाइल भी मुझे लौटा दिया था …
मैं अपने कमरे में बैठा था की रामिका वंहा आई …
उसके हाथो में एक थाली थी …
“तुम्हारा फेवरेट बिरियानी और कबाब “
“वाओ तुम्हे याद है ..???”
“अरे यार कैसे भूलूंगी , ऐसे ये लफड़ा क्या है , पापा ने तुम्हे किडनेप करवाया और तुम्हारे साथ बैठ कर ड्रिंक कर रहे थे , और कोई कैदी को बिरियानी खिलाता है क्या ..??”
मैं हँस पड़ा
“बेबी ये सब राजनीती की बाते है , तुम छोडो और बताओ कैसा चल रहा है “
“क्या बताऊ यार कालेज के बाद से सब कुछ बेकार लगता है , पापा को पड़ी है की मेरी शादी करवा दे , और मुझे इनका बिजिनेस सम्हालना है , लेकिन नहीं बिजिनेस अंकुर सम्हालेगा (अंकुर रामिका का छोटा भाई है जो अभी स्कुल में था ) , वाह ये क्या बात हुई …”
“कोई नहीं ठाकुर साहब से मैं बात करके देखूंगा , ऐसे तुम एक अच्छी बिजनेसवुमेन बनोगी , और साथ में एक अच्छी राजनितज्ञ भी “
“कास पापा भी मुझपर इतना भरोसा करते , छोडो तुम खाओ … तुमने मुझे सच में सरप्राइज कर दिया .. यार मेरे दो दोस्तों की शादी … मजा आ जायेगा “
वो बच्चो के जैसे उछली , मैं भी उसे देख कर हँसने लगा
“हा मजा तो आएगा , अगर मैं आज यंहा से जिन्दा बच कर चला गया “
‘यार फिक्र मत करो पापा तुम्हे कुछ भी नहीं करेंगे “
“मुझे पता है रामिका , लेकिन उन लोगो का क्या जिनके परिवार वाले मेरे कारण मारे गए “
“ओह आम के बगीचे में हुई लड़ाई में तुम्हारा भी हाथ था …” वो चौकी
“तो तुम्हे क्या लगता है मुझे यंहा क्यों पकड कर लाया गया … चलो छोडो , अभी थोडा आराम कर लेता हु , सुबह ही मुझे उन लोगो के हवाले सौप दिया जायेगा ,कुछ प्लानिंग भी करनी होगी जिन्दा बचने के लिए … सब ठीक रहा तो मैं तुम्हे फोन करता हु आराम से मिलकर बात करते है “
‘यार ये तुम क्या कह रहे हो मुझे तो डर लग रहा है “
“डरो मत मैं कुछ जुगाड़ लगा लूँगा …”
मैंने उसे भेजा और फिर अम्मा को काल लगा दिया , उन्हें मैंने कहा की सिर्फ दो लोगो को झील से थोड़ी दूर रहने बोल देना , मैं भाग कर वही आऊंगा, कोई झील की तरफ ना जाए और किसी को इस बात की कानो कान खबर भी नहीं होनी चाहिए , अम्मा पहले तो डर गई लेकिन मैंने उन्हें समझाया की मैंने बलवंत के साथ एक डील की है , मैंने उन्हें सारी बात बताई , उन्हें ये कहा की बलवंत मुझे वंहा से निकालेगा …
ऐसे तो आँखों में नींद नही थी लेकिन मैंने सोने की कोशिस की , सुबह के 4 बजे का वकत था जब मुझे किसी ने उठाया , ये खुद ठाकुर साहब थे …
“चलिए कुवर जाने का समय हो गया …”
उन्होंने मुझे निचे एक कोठी में ले जाकर बंद कर दिया , कुछ देर बाद कुछ लोग आये और उन्होंने मेरे हाथ बांध दिए और लगभग घसीटते हुए एक गाडी में बिठा दिया …
मैंने चारो ओर देखा , वंहा सिर्फ मर्द ही मर्द दिखाई दे रहे थे , पास ही ठाकुर बलवंत भी खड़े हुए मुस्कुरा रहे थे …
वो मेरे पास आये ..
“कुवर बाते तो बहुत अच्छी करते हो तुम , दिमाग भी बहुत चलाते हो लेकिन तुम ये भूल गए की मैं एक राजनेता हु , वादों से मुकरना मेरी पुरानी आदत है , एक अम्मा ने मेरे नाक में दम कर रखा है अब उसके भतीजा आ गया , वो भी अम्मा से कई गुना शातिर .. यार माफ़ करना लेकिन तुम्हे छोड़ देना खुद के पैरो में कुल्हाड़ी मरने जैसा होगा , कल को तुम बड़े नेता बन जाओगे तो साला मेरी ही तो मुश्किल बढ़ेगी ना ….अगर तुम कोई चूतिये होते तो शायद तुम्हे छोड़ भी देता लेकिन तुम बड़े शातिर हो तुम्हे नहीं छोडूंगा .. बाय बाय कुवर जी “
बलवंत की बात सुनकर मेरी हालत गंभीर हो गई , ये साला तो सच में नेता निकला सीधे बात से पलट गया ..
“सुनो बे इसके इलाके में नहीं जाना है समझ गए , और ख़ामोशी से मारो साले को फिर जश्न मनाते है “
बलवंत की बात सुनकर मैं काँप गया , साला बलवंत बहुत चालू निकला , आज मौत साफ साफ दिखाई देने लगी थी , उन लोगो ने मुझे जिप में डाला और चल दिए …
“तू तो गया रे छोटे …अपने को बहुत शातिर समझता था ना अब भुगत , बोला था तुझे की जितनी हो सके उतनी लडकिया चुदवा ले , अभी तक मेरी भी शक्ति बढ़ जाती , लेकिन नहीं तुझे तो शराफत का भुत चढ़ा था , तू तो गया बेटा “ अचानक से लौडू की आवाज आई
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चूका था , गांव के बाहर लौडू बेअसर था वही इन लोगो के साथ कोई लड़की भी नहीं थी , कुल मिलाकर आज मेरा मरना तय था ..
ये लोग मुझे एक बड़े से आम के बगीचे में ले गए , ये वही बगीचा था जो दोनों गांवो की सीमा पर था और यही वो कांड हुआ था जिसके कारन मैं यंहा था …
‘भाई इसी कमीने के कारण हमारे लोग मरे थे , इस साले को आसन मौत नहीं देंगे , इसे ऐसी मौत मारेंगे की आज के बाद कोई कुवरपुर वाला हमारे ओर देखने से भी काँप जायेंगे “
“सही कहा तुमने …इस साले को तो कुत्ते की मौत मारेंगे , बांध दो साले को “
उन्होंने मुझे एक पेड़ से बांध दिया..
एक आदमी सामने आया और उसने मेरे पेट में एक जोरदार मुक्का मारा ,
“आआ आ …” मेरे मुह से एक चीख निकली , उसके बाद कुछ लोग डंडा पकड कर आ गए और उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया …
मैं चिल्लाने लगा लेकिन यंहा रहम की कोई गुंजाईश नहीं बची थी , तभी एक ने मेरे सर पर पिस्तौल तान दी
“मादरचोद खुद को बहुत बढ़ा हीरो समझता है , क्या बोला था ये अपने साथी को ,फिक्र मत करो मुझे कुछ नहीं होगा .. मैं कल तक वापस आ जाऊंगा … हलवा है क्या ??? हमारे गांव के लोगो को मरवा कर तु जिन्दा कैसे जायेगा रे कुवर…. “
धाय …
एक गोली सीधे मेरे कानो के पास से गुजरी . कुछ देर तक सब कुछ सन्नाटा सा हो गया , मुझे उन लोगो के हसते हुए चहरे दिखाई दे रहे थे , वो सभी मुझपर ही हँस रहे थे ..
एक आदमी ने मेरे मुह को पकड लिया
“फिक्र मत कर इतने जल्दी नहीं मारेंगे तुझे “ सभी जोरो से हँसने लगे
उन लोग ने आग जलाई और एक सरिया उसमे गर्म करने लगे , उसे देख कर मैं काँप रहा था ,मौत सामने दिखाई दे रही थी , जो कुछ जीवन में किया सब आँखों के सामने चलने लगा था . आँखों के सामने अम्मा तो कभी अन्नू की तस्वीर आ जाती , दोनों कितने खुश थे , घर में शादी की धूम होने वाली थी लेकिन अब … अब मेरे मौत का मातम होगा … मेरे मर जाने के बाद गांव वालो का क्या होगा ,वो हमेशा कहते थे की गांव की जिमेदारी मेरे उपर है , उस श्राप का क्या होगा ???, भाभियों का क्या होगा ???
इतनी जिम्मेदारियों का बोझ लेकर मैं सुकून से कैसे मर सकता था ??
उन्होंने गर्म सरिया उठा लिया
मौत सामने तांडव करने लगी थी ,मैंने अपनी आँखे बंद कर ली , मुझे अपने चहरे के पास गर्मी का अहसास हुआ …
“आँख खोल साले नपुंसक …” कोई चिल्लाया , मैंने आँखों को और भी जोरो से बंद कर लिया ,उन्होंने मेरे आँखों को जबरदस्ती खोलने की कोशिस की लेकिन मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी , सरिये की गर्मी मुझे साफ महसूस हो रही थी , उन्होंने हलके उसे उसे मेरे गालो में झुआ दिया ..
“नही ………” मैं चीखा
वो खिलखिलाकर हँसने लगे
“ये टाइम पास बंद करो , इसे मारो और निकलो , ठाकुर साहब का फोन आ रहा है “
एक अधेड़ उम्र का आदमी बोल उठा
“भैया बहुत मजा आ रहा है , और ठाकुर साहब को आखिर क्या जल्दी है ??”
जिसके हाथ में सरिया था वो बोल उठा , लेकिन इससे वो अधेड़ उम्र का व्यक्ति गुस्सा हो गया
“भोसड़ी के तू बहस करेगा … जल्दी करो और लाश ठिकाने लगा दो “
सरिया पकडे हुए आदमी ने मुह बनाया और सरिया सीधे मेरे पेट में घोंप दिया ..
“माँ चुदा …”
“आआआअ … “ दर्द से मैं चिल्ला उठा , इस दर्दनाक चीख से पूरा बगीचा ही गूंज उठा ,लेकिन यंहा मेरी चीख को सुनने वाला कोई भी नहीं था …
“अबे क्या बकचोदी कर रहे हो तुम लोग हटो ..” वो अधेड़ आदमी इस हरकत से गुस्से में आ गया , उसने सभी को हटाया और पिस्तौल मेरे सामने तान दी ..
धाय धाय धाय …
तीन गोलिया सीधे मेरे शरीर पर जा लगी , मेरे सामने अब सब धुंधला होने लगा था , शरीर से खून फुहारे मार कर बह रहा था , तभी किसी ने मेरे शरीर में लगा हुआ सरिया निकाल दिया …
“इसे नदी में फेक दो “
आँखे बंद होते होते मुझे बस यही सुनाई दिया था ……….
अच्छा और भयानक सपना आया हमारे मुख्य किरदार को।
बहुत बड़िया लेख
 

Ek number

Well-Known Member
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173
अध्याय 14

ठाकुर ने मुझे हिदायत दी थी की मैं अपने कमरे से ना निकलू , लोगो को बताया गया था की मुझे कैद में रखा गया है , मैंने अम्मा से बात करने की बात की तो उन्होंने मेरा मोबाइल भी मुझे लौटा दिया था …
मैं अपने कमरे में बैठा था की रामिका वंहा आई …
उसके हाथो में एक थाली थी …
“तुम्हारा फेवरेट बिरियानी और कबाब “
“वाओ तुम्हे याद है ..???”
“अरे यार कैसे भूलूंगी , ऐसे ये लफड़ा क्या है , पापा ने तुम्हे किडनेप करवाया और तुम्हारे साथ बैठ कर ड्रिंक कर रहे थे , और कोई कैदी को बिरियानी खिलाता है क्या ..??”
मैं हँस पड़ा
“बेबी ये सब राजनीती की बाते है , तुम छोडो और बताओ कैसा चल रहा है “
“क्या बताऊ यार कालेज के बाद से सब कुछ बेकार लगता है , पापा को पड़ी है की मेरी शादी करवा दे , और मुझे इनका बिजिनेस सम्हालना है , लेकिन नहीं बिजिनेस अंकुर सम्हालेगा (अंकुर रामिका का छोटा भाई है जो अभी स्कुल में था ) , वाह ये क्या बात हुई …”
“कोई नहीं ठाकुर साहब से मैं बात करके देखूंगा , ऐसे तुम एक अच्छी बिजनेसवुमेन बनोगी , और साथ में एक अच्छी राजनितज्ञ भी “
“कास पापा भी मुझपर इतना भरोसा करते , छोडो तुम खाओ … तुमने मुझे सच में सरप्राइज कर दिया .. यार मेरे दो दोस्तों की शादी … मजा आ जायेगा “
वो बच्चो के जैसे उछली , मैं भी उसे देख कर हँसने लगा
“हा मजा तो आएगा , अगर मैं आज यंहा से जिन्दा बच कर चला गया “
‘यार फिक्र मत करो पापा तुम्हे कुछ भी नहीं करेंगे “
“मुझे पता है रामिका , लेकिन उन लोगो का क्या जिनके परिवार वाले मेरे कारण मारे गए “
“ओह आम के बगीचे में हुई लड़ाई में तुम्हारा भी हाथ था …” वो चौकी
“तो तुम्हे क्या लगता है मुझे यंहा क्यों पकड कर लाया गया … चलो छोडो , अभी थोडा आराम कर लेता हु , सुबह ही मुझे उन लोगो के हवाले सौप दिया जायेगा ,कुछ प्लानिंग भी करनी होगी जिन्दा बचने के लिए … सब ठीक रहा तो मैं तुम्हे फोन करता हु आराम से मिलकर बात करते है “
‘यार ये तुम क्या कह रहे हो मुझे तो डर लग रहा है “
“डरो मत मैं कुछ जुगाड़ लगा लूँगा …”
मैंने उसे भेजा और फिर अम्मा को काल लगा दिया , उन्हें मैंने कहा की सिर्फ दो लोगो को झील से थोड़ी दूर रहने बोल देना , मैं भाग कर वही आऊंगा, कोई झील की तरफ ना जाए और किसी को इस बात की कानो कान खबर भी नहीं होनी चाहिए , अम्मा पहले तो डर गई लेकिन मैंने उन्हें समझाया की मैंने बलवंत के साथ एक डील की है , मैंने उन्हें सारी बात बताई , उन्हें ये कहा की बलवंत मुझे वंहा से निकालेगा …
ऐसे तो आँखों में नींद नही थी लेकिन मैंने सोने की कोशिस की , सुबह के 4 बजे का वकत था जब मुझे किसी ने उठाया , ये खुद ठाकुर साहब थे …
“चलिए कुवर जाने का समय हो गया …”
उन्होंने मुझे निचे एक कोठी में ले जाकर बंद कर दिया , कुछ देर बाद कुछ लोग आये और उन्होंने मेरे हाथ बांध दिए और लगभग घसीटते हुए एक गाडी में बिठा दिया …
मैंने चारो ओर देखा , वंहा सिर्फ मर्द ही मर्द दिखाई दे रहे थे , पास ही ठाकुर बलवंत भी खड़े हुए मुस्कुरा रहे थे …
वो मेरे पास आये ..
“कुवर बाते तो बहुत अच्छी करते हो तुम , दिमाग भी बहुत चलाते हो लेकिन तुम ये भूल गए की मैं एक राजनेता हु , वादों से मुकरना मेरी पुरानी आदत है , एक अम्मा ने मेरे नाक में दम कर रखा है अब उसके भतीजा आ गया , वो भी अम्मा से कई गुना शातिर .. यार माफ़ करना लेकिन तुम्हे छोड़ देना खुद के पैरो में कुल्हाड़ी मरने जैसा होगा , कल को तुम बड़े नेता बन जाओगे तो साला मेरी ही तो मुश्किल बढ़ेगी ना ….अगर तुम कोई चूतिये होते तो शायद तुम्हे छोड़ भी देता लेकिन तुम बड़े शातिर हो तुम्हे नहीं छोडूंगा .. बाय बाय कुवर जी “
बलवंत की बात सुनकर मेरी हालत गंभीर हो गई , ये साला तो सच में नेता निकला सीधे बात से पलट गया ..
“सुनो बे इसके इलाके में नहीं जाना है समझ गए , और ख़ामोशी से मारो साले को फिर जश्न मनाते है “
बलवंत की बात सुनकर मैं काँप गया , साला बलवंत बहुत चालू निकला , आज मौत साफ साफ दिखाई देने लगी थी , उन लोगो ने मुझे जिप में डाला और चल दिए …
“तू तो गया रे छोटे …अपने को बहुत शातिर समझता था ना अब भुगत , बोला था तुझे की जितनी हो सके उतनी लडकिया चुदवा ले , अभी तक मेरी भी शक्ति बढ़ जाती , लेकिन नहीं तुझे तो शराफत का भुत चढ़ा था , तू तो गया बेटा “ अचानक से लौडू की आवाज आई
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चूका था , गांव के बाहर लौडू बेअसर था वही इन लोगो के साथ कोई लड़की भी नहीं थी , कुल मिलाकर आज मेरा मरना तय था ..
ये लोग मुझे एक बड़े से आम के बगीचे में ले गए , ये वही बगीचा था जो दोनों गांवो की सीमा पर था और यही वो कांड हुआ था जिसके कारन मैं यंहा था …
‘भाई इसी कमीने के कारण हमारे लोग मरे थे , इस साले को आसन मौत नहीं देंगे , इसे ऐसी मौत मारेंगे की आज के बाद कोई कुवरपुर वाला हमारे ओर देखने से भी काँप जायेंगे “
“सही कहा तुमने …इस साले को तो कुत्ते की मौत मारेंगे , बांध दो साले को “
उन्होंने मुझे एक पेड़ से बांध दिया..
एक आदमी सामने आया और उसने मेरे पेट में एक जोरदार मुक्का मारा ,
“आआ आ …” मेरे मुह से एक चीख निकली , उसके बाद कुछ लोग डंडा पकड कर आ गए और उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया …
मैं चिल्लाने लगा लेकिन यंहा रहम की कोई गुंजाईश नहीं बची थी , तभी एक ने मेरे सर पर पिस्तौल तान दी
“मादरचोद खुद को बहुत बढ़ा हीरो समझता है , क्या बोला था ये अपने साथी को ,फिक्र मत करो मुझे कुछ नहीं होगा .. मैं कल तक वापस आ जाऊंगा … हलवा है क्या ??? हमारे गांव के लोगो को मरवा कर तु जिन्दा कैसे जायेगा रे कुवर…. “
धाय …
एक गोली सीधे मेरे कानो के पास से गुजरी . कुछ देर तक सब कुछ सन्नाटा सा हो गया , मुझे उन लोगो के हसते हुए चहरे दिखाई दे रहे थे , वो सभी मुझपर ही हँस रहे थे ..
एक आदमी ने मेरे मुह को पकड लिया
“फिक्र मत कर इतने जल्दी नहीं मारेंगे तुझे “ सभी जोरो से हँसने लगे
उन लोग ने आग जलाई और एक सरिया उसमे गर्म करने लगे , उसे देख कर मैं काँप रहा था ,मौत सामने दिखाई दे रही थी , जो कुछ जीवन में किया सब आँखों के सामने चलने लगा था . आँखों के सामने अम्मा तो कभी अन्नू की तस्वीर आ जाती , दोनों कितने खुश थे , घर में शादी की धूम होने वाली थी लेकिन अब … अब मेरे मौत का मातम होगा … मेरे मर जाने के बाद गांव वालो का क्या होगा ,वो हमेशा कहते थे की गांव की जिमेदारी मेरे उपर है , उस श्राप का क्या होगा ???, भाभियों का क्या होगा ???
इतनी जिम्मेदारियों का बोझ लेकर मैं सुकून से कैसे मर सकता था ??
उन्होंने गर्म सरिया उठा लिया
मौत सामने तांडव करने लगी थी ,मैंने अपनी आँखे बंद कर ली , मुझे अपने चहरे के पास गर्मी का अहसास हुआ …
“आँख खोल साले नपुंसक …” कोई चिल्लाया , मैंने आँखों को और भी जोरो से बंद कर लिया ,उन्होंने मेरे आँखों को जबरदस्ती खोलने की कोशिस की लेकिन मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी , सरिये की गर्मी मुझे साफ महसूस हो रही थी , उन्होंने हलके उसे उसे मेरे गालो में झुआ दिया ..
“नही ………” मैं चीखा
वो खिलखिलाकर हँसने लगे
“ये टाइम पास बंद करो , इसे मारो और निकलो , ठाकुर साहब का फोन आ रहा है “
एक अधेड़ उम्र का आदमी बोल उठा
“भैया बहुत मजा आ रहा है , और ठाकुर साहब को आखिर क्या जल्दी है ??”
जिसके हाथ में सरिया था वो बोल उठा , लेकिन इससे वो अधेड़ उम्र का व्यक्ति गुस्सा हो गया
“भोसड़ी के तू बहस करेगा … जल्दी करो और लाश ठिकाने लगा दो “
सरिया पकडे हुए आदमी ने मुह बनाया और सरिया सीधे मेरे पेट में घोंप दिया ..
“माँ चुदा …”
“आआआअ … “ दर्द से मैं चिल्ला उठा , इस दर्दनाक चीख से पूरा बगीचा ही गूंज उठा ,लेकिन यंहा मेरी चीख को सुनने वाला कोई भी नहीं था …
“अबे क्या बकचोदी कर रहे हो तुम लोग हटो ..” वो अधेड़ आदमी इस हरकत से गुस्से में आ गया , उसने सभी को हटाया और पिस्तौल मेरे सामने तान दी ..
धाय धाय धाय …
तीन गोलिया सीधे मेरे शरीर पर जा लगी , मेरे सामने अब सब धुंधला होने लगा था , शरीर से खून फुहारे मार कर बह रहा था , तभी किसी ने मेरे शरीर में लगा हुआ सरिया निकाल दिया …
“इसे नदी में फेक दो “
आँखे बंद होते होते मुझे बस यही सुनाई दिया था ……….
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FoX - Federation of Xossipians
8,591
34,830
219
अध्याय 14

ठाकुर ने मुझे हिदायत दी थी की मैं अपने कमरे से ना निकलू , लोगो को बताया गया था की मुझे कैद में रखा गया है , मैंने अम्मा से बात करने की बात की तो उन्होंने मेरा मोबाइल भी मुझे लौटा दिया था …
मैं अपने कमरे में बैठा था की रामिका वंहा आई …
उसके हाथो में एक थाली थी …
“तुम्हारा फेवरेट बिरियानी और कबाब “
“वाओ तुम्हे याद है ..???”
“अरे यार कैसे भूलूंगी , ऐसे ये लफड़ा क्या है , पापा ने तुम्हे किडनेप करवाया और तुम्हारे साथ बैठ कर ड्रिंक कर रहे थे , और कोई कैदी को बिरियानी खिलाता है क्या ..??”
मैं हँस पड़ा
“बेबी ये सब राजनीती की बाते है , तुम छोडो और बताओ कैसा चल रहा है “
“क्या बताऊ यार कालेज के बाद से सब कुछ बेकार लगता है , पापा को पड़ी है की मेरी शादी करवा दे , और मुझे इनका बिजिनेस सम्हालना है , लेकिन नहीं बिजिनेस अंकुर सम्हालेगा (अंकुर रामिका का छोटा भाई है जो अभी स्कुल में था ) , वाह ये क्या बात हुई …”
“कोई नहीं ठाकुर साहब से मैं बात करके देखूंगा , ऐसे तुम एक अच्छी बिजनेसवुमेन बनोगी , और साथ में एक अच्छी राजनितज्ञ भी “
“कास पापा भी मुझपर इतना भरोसा करते , छोडो तुम खाओ … तुमने मुझे सच में सरप्राइज कर दिया .. यार मेरे दो दोस्तों की शादी … मजा आ जायेगा “
वो बच्चो के जैसे उछली , मैं भी उसे देख कर हँसने लगा
“हा मजा तो आएगा , अगर मैं आज यंहा से जिन्दा बच कर चला गया “
‘यार फिक्र मत करो पापा तुम्हे कुछ भी नहीं करेंगे “
“मुझे पता है रामिका , लेकिन उन लोगो का क्या जिनके परिवार वाले मेरे कारण मारे गए “
“ओह आम के बगीचे में हुई लड़ाई में तुम्हारा भी हाथ था …” वो चौकी
“तो तुम्हे क्या लगता है मुझे यंहा क्यों पकड कर लाया गया … चलो छोडो , अभी थोडा आराम कर लेता हु , सुबह ही मुझे उन लोगो के हवाले सौप दिया जायेगा ,कुछ प्लानिंग भी करनी होगी जिन्दा बचने के लिए … सब ठीक रहा तो मैं तुम्हे फोन करता हु आराम से मिलकर बात करते है “
‘यार ये तुम क्या कह रहे हो मुझे तो डर लग रहा है “
“डरो मत मैं कुछ जुगाड़ लगा लूँगा …”
मैंने उसे भेजा और फिर अम्मा को काल लगा दिया , उन्हें मैंने कहा की सिर्फ दो लोगो को झील से थोड़ी दूर रहने बोल देना , मैं भाग कर वही आऊंगा, कोई झील की तरफ ना जाए और किसी को इस बात की कानो कान खबर भी नहीं होनी चाहिए , अम्मा पहले तो डर गई लेकिन मैंने उन्हें समझाया की मैंने बलवंत के साथ एक डील की है , मैंने उन्हें सारी बात बताई , उन्हें ये कहा की बलवंत मुझे वंहा से निकालेगा …
ऐसे तो आँखों में नींद नही थी लेकिन मैंने सोने की कोशिस की , सुबह के 4 बजे का वकत था जब मुझे किसी ने उठाया , ये खुद ठाकुर साहब थे …
“चलिए कुवर जाने का समय हो गया …”
उन्होंने मुझे निचे एक कोठी में ले जाकर बंद कर दिया , कुछ देर बाद कुछ लोग आये और उन्होंने मेरे हाथ बांध दिए और लगभग घसीटते हुए एक गाडी में बिठा दिया …
मैंने चारो ओर देखा , वंहा सिर्फ मर्द ही मर्द दिखाई दे रहे थे , पास ही ठाकुर बलवंत भी खड़े हुए मुस्कुरा रहे थे …
वो मेरे पास आये ..
“कुवर बाते तो बहुत अच्छी करते हो तुम , दिमाग भी बहुत चलाते हो लेकिन तुम ये भूल गए की मैं एक राजनेता हु , वादों से मुकरना मेरी पुरानी आदत है , एक अम्मा ने मेरे नाक में दम कर रखा है अब उसके भतीजा आ गया , वो भी अम्मा से कई गुना शातिर .. यार माफ़ करना लेकिन तुम्हे छोड़ देना खुद के पैरो में कुल्हाड़ी मरने जैसा होगा , कल को तुम बड़े नेता बन जाओगे तो साला मेरी ही तो मुश्किल बढ़ेगी ना ….अगर तुम कोई चूतिये होते तो शायद तुम्हे छोड़ भी देता लेकिन तुम बड़े शातिर हो तुम्हे नहीं छोडूंगा .. बाय बाय कुवर जी “
बलवंत की बात सुनकर मेरी हालत गंभीर हो गई , ये साला तो सच में नेता निकला सीधे बात से पलट गया ..
“सुनो बे इसके इलाके में नहीं जाना है समझ गए , और ख़ामोशी से मारो साले को फिर जश्न मनाते है “
बलवंत की बात सुनकर मैं काँप गया , साला बलवंत बहुत चालू निकला , आज मौत साफ साफ दिखाई देने लगी थी , उन लोगो ने मुझे जिप में डाला और चल दिए …
“तू तो गया रे छोटे …अपने को बहुत शातिर समझता था ना अब भुगत , बोला था तुझे की जितनी हो सके उतनी लडकिया चुदवा ले , अभी तक मेरी भी शक्ति बढ़ जाती , लेकिन नहीं तुझे तो शराफत का भुत चढ़ा था , तू तो गया बेटा “ अचानक से लौडू की आवाज आई
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चूका था , गांव के बाहर लौडू बेअसर था वही इन लोगो के साथ कोई लड़की भी नहीं थी , कुल मिलाकर आज मेरा मरना तय था ..
ये लोग मुझे एक बड़े से आम के बगीचे में ले गए , ये वही बगीचा था जो दोनों गांवो की सीमा पर था और यही वो कांड हुआ था जिसके कारन मैं यंहा था …
‘भाई इसी कमीने के कारण हमारे लोग मरे थे , इस साले को आसन मौत नहीं देंगे , इसे ऐसी मौत मारेंगे की आज के बाद कोई कुवरपुर वाला हमारे ओर देखने से भी काँप जायेंगे “
“सही कहा तुमने …इस साले को तो कुत्ते की मौत मारेंगे , बांध दो साले को “
उन्होंने मुझे एक पेड़ से बांध दिया..
एक आदमी सामने आया और उसने मेरे पेट में एक जोरदार मुक्का मारा ,
“आआ आ …” मेरे मुह से एक चीख निकली , उसके बाद कुछ लोग डंडा पकड कर आ गए और उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया …
मैं चिल्लाने लगा लेकिन यंहा रहम की कोई गुंजाईश नहीं बची थी , तभी एक ने मेरे सर पर पिस्तौल तान दी
“मादरचोद खुद को बहुत बढ़ा हीरो समझता है , क्या बोला था ये अपने साथी को ,फिक्र मत करो मुझे कुछ नहीं होगा .. मैं कल तक वापस आ जाऊंगा … हलवा है क्या ??? हमारे गांव के लोगो को मरवा कर तु जिन्दा कैसे जायेगा रे कुवर…. “
धाय …
एक गोली सीधे मेरे कानो के पास से गुजरी . कुछ देर तक सब कुछ सन्नाटा सा हो गया , मुझे उन लोगो के हसते हुए चहरे दिखाई दे रहे थे , वो सभी मुझपर ही हँस रहे थे ..
एक आदमी ने मेरे मुह को पकड लिया
“फिक्र मत कर इतने जल्दी नहीं मारेंगे तुझे “ सभी जोरो से हँसने लगे
उन लोग ने आग जलाई और एक सरिया उसमे गर्म करने लगे , उसे देख कर मैं काँप रहा था ,मौत सामने दिखाई दे रही थी , जो कुछ जीवन में किया सब आँखों के सामने चलने लगा था . आँखों के सामने अम्मा तो कभी अन्नू की तस्वीर आ जाती , दोनों कितने खुश थे , घर में शादी की धूम होने वाली थी लेकिन अब … अब मेरे मौत का मातम होगा … मेरे मर जाने के बाद गांव वालो का क्या होगा ,वो हमेशा कहते थे की गांव की जिमेदारी मेरे उपर है , उस श्राप का क्या होगा ???, भाभियों का क्या होगा ???
इतनी जिम्मेदारियों का बोझ लेकर मैं सुकून से कैसे मर सकता था ??
उन्होंने गर्म सरिया उठा लिया
मौत सामने तांडव करने लगी थी ,मैंने अपनी आँखे बंद कर ली , मुझे अपने चहरे के पास गर्मी का अहसास हुआ …
“आँख खोल साले नपुंसक …” कोई चिल्लाया , मैंने आँखों को और भी जोरो से बंद कर लिया ,उन्होंने मेरे आँखों को जबरदस्ती खोलने की कोशिस की लेकिन मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी , सरिये की गर्मी मुझे साफ महसूस हो रही थी , उन्होंने हलके उसे उसे मेरे गालो में झुआ दिया ..
“नही ………” मैं चीखा
वो खिलखिलाकर हँसने लगे
“ये टाइम पास बंद करो , इसे मारो और निकलो , ठाकुर साहब का फोन आ रहा है “
एक अधेड़ उम्र का आदमी बोल उठा
“भैया बहुत मजा आ रहा है , और ठाकुर साहब को आखिर क्या जल्दी है ??”
जिसके हाथ में सरिया था वो बोल उठा , लेकिन इससे वो अधेड़ उम्र का व्यक्ति गुस्सा हो गया
“भोसड़ी के तू बहस करेगा … जल्दी करो और लाश ठिकाने लगा दो “
सरिया पकडे हुए आदमी ने मुह बनाया और सरिया सीधे मेरे पेट में घोंप दिया ..
“माँ चुदा …”
“आआआअ … “ दर्द से मैं चिल्ला उठा , इस दर्दनाक चीख से पूरा बगीचा ही गूंज उठा ,लेकिन यंहा मेरी चीख को सुनने वाला कोई भी नहीं था …
“अबे क्या बकचोदी कर रहे हो तुम लोग हटो ..” वो अधेड़ आदमी इस हरकत से गुस्से में आ गया , उसने सभी को हटाया और पिस्तौल मेरे सामने तान दी ..
धाय धाय धाय …
तीन गोलिया सीधे मेरे शरीर पर जा लगी , मेरे सामने अब सब धुंधला होने लगा था , शरीर से खून फुहारे मार कर बह रहा था , तभी किसी ने मेरे शरीर में लगा हुआ सरिया निकाल दिया …
“इसे नदी में फेक दो “
आँखे बंद होते होते मुझे बस यही सुनाई दिया था ……….
अब कुंवर को जादुई लकड़ी घोल के पिला दो.... चुतिया बन जाएगा
लेकिन जान तो बच जायेगी :D
 

Yamraaj

Put your Attitude on my Dick......
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अध्याय 14

ठाकुर ने मुझे हिदायत दी थी की मैं अपने कमरे से ना निकलू , लोगो को बताया गया था की मुझे कैद में रखा गया है , मैंने अम्मा से बात करने की बात की तो उन्होंने मेरा मोबाइल भी मुझे लौटा दिया था …
मैं अपने कमरे में बैठा था की रामिका वंहा आई …
उसके हाथो में एक थाली थी …
“तुम्हारा फेवरेट बिरियानी और कबाब “
“वाओ तुम्हे याद है ..???”
“अरे यार कैसे भूलूंगी , ऐसे ये लफड़ा क्या है , पापा ने तुम्हे किडनेप करवाया और तुम्हारे साथ बैठ कर ड्रिंक कर रहे थे , और कोई कैदी को बिरियानी खिलाता है क्या ..??”
मैं हँस पड़ा
“बेबी ये सब राजनीती की बाते है , तुम छोडो और बताओ कैसा चल रहा है “
“क्या बताऊ यार कालेज के बाद से सब कुछ बेकार लगता है , पापा को पड़ी है की मेरी शादी करवा दे , और मुझे इनका बिजिनेस सम्हालना है , लेकिन नहीं बिजिनेस अंकुर सम्हालेगा (अंकुर रामिका का छोटा भाई है जो अभी स्कुल में था ) , वाह ये क्या बात हुई …”
“कोई नहीं ठाकुर साहब से मैं बात करके देखूंगा , ऐसे तुम एक अच्छी बिजनेसवुमेन बनोगी , और साथ में एक अच्छी राजनितज्ञ भी “
“कास पापा भी मुझपर इतना भरोसा करते , छोडो तुम खाओ … तुमने मुझे सच में सरप्राइज कर दिया .. यार मेरे दो दोस्तों की शादी … मजा आ जायेगा “
वो बच्चो के जैसे उछली , मैं भी उसे देख कर हँसने लगा
“हा मजा तो आएगा , अगर मैं आज यंहा से जिन्दा बच कर चला गया “
‘यार फिक्र मत करो पापा तुम्हे कुछ भी नहीं करेंगे “
“मुझे पता है रामिका , लेकिन उन लोगो का क्या जिनके परिवार वाले मेरे कारण मारे गए “
“ओह आम के बगीचे में हुई लड़ाई में तुम्हारा भी हाथ था …” वो चौकी
“तो तुम्हे क्या लगता है मुझे यंहा क्यों पकड कर लाया गया … चलो छोडो , अभी थोडा आराम कर लेता हु , सुबह ही मुझे उन लोगो के हवाले सौप दिया जायेगा ,कुछ प्लानिंग भी करनी होगी जिन्दा बचने के लिए … सब ठीक रहा तो मैं तुम्हे फोन करता हु आराम से मिलकर बात करते है “
‘यार ये तुम क्या कह रहे हो मुझे तो डर लग रहा है “
“डरो मत मैं कुछ जुगाड़ लगा लूँगा …”
मैंने उसे भेजा और फिर अम्मा को काल लगा दिया , उन्हें मैंने कहा की सिर्फ दो लोगो को झील से थोड़ी दूर रहने बोल देना , मैं भाग कर वही आऊंगा, कोई झील की तरफ ना जाए और किसी को इस बात की कानो कान खबर भी नहीं होनी चाहिए , अम्मा पहले तो डर गई लेकिन मैंने उन्हें समझाया की मैंने बलवंत के साथ एक डील की है , मैंने उन्हें सारी बात बताई , उन्हें ये कहा की बलवंत मुझे वंहा से निकालेगा …
ऐसे तो आँखों में नींद नही थी लेकिन मैंने सोने की कोशिस की , सुबह के 4 बजे का वकत था जब मुझे किसी ने उठाया , ये खुद ठाकुर साहब थे …
“चलिए कुवर जाने का समय हो गया …”
उन्होंने मुझे निचे एक कोठी में ले जाकर बंद कर दिया , कुछ देर बाद कुछ लोग आये और उन्होंने मेरे हाथ बांध दिए और लगभग घसीटते हुए एक गाडी में बिठा दिया …
मैंने चारो ओर देखा , वंहा सिर्फ मर्द ही मर्द दिखाई दे रहे थे , पास ही ठाकुर बलवंत भी खड़े हुए मुस्कुरा रहे थे …
वो मेरे पास आये ..
“कुवर बाते तो बहुत अच्छी करते हो तुम , दिमाग भी बहुत चलाते हो लेकिन तुम ये भूल गए की मैं एक राजनेता हु , वादों से मुकरना मेरी पुरानी आदत है , एक अम्मा ने मेरे नाक में दम कर रखा है अब उसके भतीजा आ गया , वो भी अम्मा से कई गुना शातिर .. यार माफ़ करना लेकिन तुम्हे छोड़ देना खुद के पैरो में कुल्हाड़ी मरने जैसा होगा , कल को तुम बड़े नेता बन जाओगे तो साला मेरी ही तो मुश्किल बढ़ेगी ना ….अगर तुम कोई चूतिये होते तो शायद तुम्हे छोड़ भी देता लेकिन तुम बड़े शातिर हो तुम्हे नहीं छोडूंगा .. बाय बाय कुवर जी “
बलवंत की बात सुनकर मेरी हालत गंभीर हो गई , ये साला तो सच में नेता निकला सीधे बात से पलट गया ..
“सुनो बे इसके इलाके में नहीं जाना है समझ गए , और ख़ामोशी से मारो साले को फिर जश्न मनाते है “
बलवंत की बात सुनकर मैं काँप गया , साला बलवंत बहुत चालू निकला , आज मौत साफ साफ दिखाई देने लगी थी , उन लोगो ने मुझे जिप में डाला और चल दिए …
“तू तो गया रे छोटे …अपने को बहुत शातिर समझता था ना अब भुगत , बोला था तुझे की जितनी हो सके उतनी लडकिया चुदवा ले , अभी तक मेरी भी शक्ति बढ़ जाती , लेकिन नहीं तुझे तो शराफत का भुत चढ़ा था , तू तो गया बेटा “ अचानक से लौडू की आवाज आई
मेरा दिमाग काम करना बंद कर चूका था , गांव के बाहर लौडू बेअसर था वही इन लोगो के साथ कोई लड़की भी नहीं थी , कुल मिलाकर आज मेरा मरना तय था ..
ये लोग मुझे एक बड़े से आम के बगीचे में ले गए , ये वही बगीचा था जो दोनों गांवो की सीमा पर था और यही वो कांड हुआ था जिसके कारन मैं यंहा था …
‘भाई इसी कमीने के कारण हमारे लोग मरे थे , इस साले को आसन मौत नहीं देंगे , इसे ऐसी मौत मारेंगे की आज के बाद कोई कुवरपुर वाला हमारे ओर देखने से भी काँप जायेंगे “
“सही कहा तुमने …इस साले को तो कुत्ते की मौत मारेंगे , बांध दो साले को “
उन्होंने मुझे एक पेड़ से बांध दिया..
एक आदमी सामने आया और उसने मेरे पेट में एक जोरदार मुक्का मारा ,
“आआ आ …” मेरे मुह से एक चीख निकली , उसके बाद कुछ लोग डंडा पकड कर आ गए और उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया …
मैं चिल्लाने लगा लेकिन यंहा रहम की कोई गुंजाईश नहीं बची थी , तभी एक ने मेरे सर पर पिस्तौल तान दी
“मादरचोद खुद को बहुत बढ़ा हीरो समझता है , क्या बोला था ये अपने साथी को ,फिक्र मत करो मुझे कुछ नहीं होगा .. मैं कल तक वापस आ जाऊंगा … हलवा है क्या ??? हमारे गांव के लोगो को मरवा कर तु जिन्दा कैसे जायेगा रे कुवर…. “
धाय …
एक गोली सीधे मेरे कानो के पास से गुजरी . कुछ देर तक सब कुछ सन्नाटा सा हो गया , मुझे उन लोगो के हसते हुए चहरे दिखाई दे रहे थे , वो सभी मुझपर ही हँस रहे थे ..
एक आदमी ने मेरे मुह को पकड लिया
“फिक्र मत कर इतने जल्दी नहीं मारेंगे तुझे “ सभी जोरो से हँसने लगे
उन लोग ने आग जलाई और एक सरिया उसमे गर्म करने लगे , उसे देख कर मैं काँप रहा था ,मौत सामने दिखाई दे रही थी , जो कुछ जीवन में किया सब आँखों के सामने चलने लगा था . आँखों के सामने अम्मा तो कभी अन्नू की तस्वीर आ जाती , दोनों कितने खुश थे , घर में शादी की धूम होने वाली थी लेकिन अब … अब मेरे मौत का मातम होगा … मेरे मर जाने के बाद गांव वालो का क्या होगा ,वो हमेशा कहते थे की गांव की जिमेदारी मेरे उपर है , उस श्राप का क्या होगा ???, भाभियों का क्या होगा ???
इतनी जिम्मेदारियों का बोझ लेकर मैं सुकून से कैसे मर सकता था ??
उन्होंने गर्म सरिया उठा लिया
मौत सामने तांडव करने लगी थी ,मैंने अपनी आँखे बंद कर ली , मुझे अपने चहरे के पास गर्मी का अहसास हुआ …
“आँख खोल साले नपुंसक …” कोई चिल्लाया , मैंने आँखों को और भी जोरो से बंद कर लिया ,उन्होंने मेरे आँखों को जबरदस्ती खोलने की कोशिस की लेकिन मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी थी , सरिये की गर्मी मुझे साफ महसूस हो रही थी , उन्होंने हलके उसे उसे मेरे गालो में झुआ दिया ..
“नही ………” मैं चीखा
वो खिलखिलाकर हँसने लगे
“ये टाइम पास बंद करो , इसे मारो और निकलो , ठाकुर साहब का फोन आ रहा है “
एक अधेड़ उम्र का आदमी बोल उठा
“भैया बहुत मजा आ रहा है , और ठाकुर साहब को आखिर क्या जल्दी है ??”
जिसके हाथ में सरिया था वो बोल उठा , लेकिन इससे वो अधेड़ उम्र का व्यक्ति गुस्सा हो गया
“भोसड़ी के तू बहस करेगा … जल्दी करो और लाश ठिकाने लगा दो “
सरिया पकडे हुए आदमी ने मुह बनाया और सरिया सीधे मेरे पेट में घोंप दिया ..
“माँ चुदा …”
“आआआअ … “ दर्द से मैं चिल्ला उठा , इस दर्दनाक चीख से पूरा बगीचा ही गूंज उठा ,लेकिन यंहा मेरी चीख को सुनने वाला कोई भी नहीं था …
“अबे क्या बकचोदी कर रहे हो तुम लोग हटो ..” वो अधेड़ आदमी इस हरकत से गुस्से में आ गया , उसने सभी को हटाया और पिस्तौल मेरे सामने तान दी ..
धाय धाय धाय …
तीन गोलिया सीधे मेरे शरीर पर जा लगी , मेरे सामने अब सब धुंधला होने लगा था , शरीर से खून फुहारे मार कर बह रहा था , तभी किसी ने मेरे शरीर में लगा हुआ सरिया निकाल दिया …
“इसे नदी में फेक दो “
आँखे बंद होते होते मुझे बस यही सुनाई दिया था ……….
Bs yahi kahna h ki next update bhi aaj hi de do...
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut hi behtarin kahani hai…
 

ASR

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Divine
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Chutiyadr डाक्टर साहेब ये तो ग़ज़ब का चुटियापा हो गया, स्तब्ध कर दिया, निशांत की तो लाग ली अब तो या आप या शैतान ही बचा सकता है, बहुत रोचक मोड़ पर एपिसोड पूरा किया है, अब तुरंत ही दूसरा अंक प्रकाशित कर इस दुविधा से आप सभी को बाहर निकले..
 

Prabha2103

New Member
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सच मे ऐसा हुआ है लगता नही।

कहानी में बहुत बढ़िया सस्पेन्स बन पड़ा है।

उत्सुकता जगा दी आपने की आगे क्या होगा।

आपकी लेखनी की जितनी प्रशंशा की जाए कम है

साधुवाद।
 
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