EPISODE - 2
रुचि की दिनचर्या में कुछ खास काम नहीं होते थे। उसके यहां दो सर्वेंट थे एक औरत एक मर्द, सारे काम दोनों करते थे, रुचि को कोई काम नहीं करना पड़ता था, यहां तक कि यदि पानी भी पीना हो तो नौकर हाथ में ला कर देते थे। उसका पति शरद सुबह 9बजे ऑफिस को निकल जाता और रात 8 बजे तक आता था, रुचि सारे दिन फ्री रहती थी। रुचि के लिए एक कार अलग से शरद ने दे रखी थी जिससे वो जहां चाहे आ जा सकती थी। रुचि ने दिन का समय अपनी सहेलियों साधना हेमांगी लतिका और राधिका के साथ गुजरना शुरू कर दिया था, हर दिन वो किसी एक सहेली के घर जाती और कभी दूसरी के घर। इस तरह मिलते मिलते छह महीने गुजर गए और सब रुचि की पक्की से भी पक्की सहेलियां बन चुकी थी। वे चारों भी अमीर थी और सभी तरह से संपन्न, इस तरह उनकी प्रगाढ़ता बढ़ने लगी। अभी तक रुचि का किसी भी सहेली के पति से आमना सामना नहीं हुआ था, बस उसने उनके फोटो घर में लगे देखे थे।
अब आगे
आज रुचि साधना के यहां आई हुई है, अक्सर वो दिन का खाना यहीं खा लिया करती है, आज भी दोनों से साथ में खाना खाया और बैठे बैठे बातें कर रहे थे तभी साधना की doorbell बजी, सर्वेंट ने दरवाजा खोला तभी साधना का पति अमित अंदर आया, जिसे देख साधना उठ खड़ी हुई और बोली अरे आप,,,,, आज कैसे ?? अमित बोला हां यार ऑफिस के एक पेनड्राइव यही कल लाया था सुबह ले जाना भूल गया तो आना पड़ा, तब तक रुचि भी खड़ी हो गई थी अब अमित की नजर रुचि पर पड़ी, रुचि हमेशा ही टिपटॉप रहती है स्टाइलिश साड़ियां स्पेशल ब्लाउज करीने से सजे बाल और टाइट नाभी के नीचे बांधी हुई साड़ी, जब वो खड़ी हुई पूरी अप्सरा लग रही थी और वो साधना से कई गुना खूबसूरत थी, वैसे साधना भी कम सुंदर नहीं थी मगर रुचि तो कयामत थी। अमित ने उसको देखा और उसके दिल की एक धड़कन मिस हो गई और वो एकटक रुचि को देखता रह गया वो उसके चेहरे में ही को गया, उसने आज तक इतनी हसीन औरत अपनी जिंदगी में नहीं देखी थी, फिर धीरे धीरे उसने रुचि के पूरे शरीर का मुआयना किया, सफेद शफ्फाक रंग संगमरमरी सुतवा नाक पतली गर्दन और उन्नत वक्ष स्थल साधना से दुगने तो नहीं मगर कम भी नहीं , कठोर कसे ब्लाउज में छूटने को तड़पते हुए बॉब्स, ब्लाउज और साड़ी के बीच सपाट चिकना चमकदार सफेद पेट, जिसे देखकर अमित बेहोश होते होते बचा, रुचि की गहरी गोल गोल नाभी साफ दिखाई दे रही थी, अमित का बुरा हाल था, रुचि कुछ पूछने को साधना की तरफ मुड़ी और अमित की नजर दो बाहर को निकले हुए एकदम गोल सुडोल नितंबों पर पड़ी, क्या ही कठोर थे, अमित क्या करे क्या न करे, मन की उथल पुथल को किसी तरह समेटे हुए वो घर के अंदर की और बढ़ने लगा।
तभी साधना बोली सुनिए, अमित ठिठका पीछे पलटा और बोला हां क्या, साधना बोली इनसे मिलिए मेरी सहेली रुचि ये अक्सर आती रहती है यहां और हम दिन का समय साथ ही बिताते हैं आप दिन में घर नहीं रहते ना, इसलिए आज तक मिलना नहीं हुआ, फिर रुचि से बोली, रुचि ये मेरे पति अमित हैं, रुचि ने शर्माते हुए दोनों हाथ जोड़ लिए और अमित की आंखों में देखते हुए बोली नमस्ते,,, और शर्माते हुए अपनी नजरें नीची कर ली, अमित बोला ओह ओ, हमारे घर बहार आती रही और हम उससे मरहूम ही रहे, आपने हमें आज तक कभी बताया ही नहीं साधना कि आपकी इतनी खूबसूरत कोई सहेली भी है, वो तो मैं किस्मत से आज आ गया वरना हमें पता ही नही चलता कि एक हीरा हमारे यहां अपनी छटा रोज बिखेर रहा है।
रुचि अपनी तारीफ सुनकर मन में बहुत खुश हुई उसके गाल लाल हो गए लेकिन परोक्ष रूप से नजरों को ऊपर उठा कर अमित की आंखों में देखती हुई बोली - कुछ भी!!! कुछ भी बोलते हैं आप, और धीरे से साधना का हाथ जोर से पकड़ लिया। अमित को लगा शायद वो कुछ ज्यादा ही बोल गया है , उसने भीतर जाने में ही भलाई समझी, वो सहम गया था कहीं रुचि अन्यथा न लें इन बातों को, उसका मकसद थोड़ा हंसी मजाक का सा था। वो चला गया, साधना ने रुचि से कहा तुम यहीं बैठो मैं देख लेती हूं अमित को, तुम बुरा मत मानना उनकी आदत है मजाक करने की, रुचि बोली नहीं मैं क्यों बुरा मानू मेरी अच्छी सहेली के पति भी अच्छे ही होंगे इतना विश्वास है मुझे तुम उनको देखो, मैं ठीक हूं। साधना अंदर चली गई।
अब रुचि ने जोर की सांस ली खुद को संयत किया और जो हुआ उसको सोचने लगी। जब अमित अंदर आया रुचि ने उसको देखा बलिष्ठ शरीर एवरेज हाइट सुंदर चेहरा काफी कुछ वरुण धवन से मिलता जुलता वही कद काठी, पर्पल सूट पहना हुआ पिंक शर्त और गहरी बैंगनी टाई, चमचमाते जूते, किसी हीरो से कम नहीं लग रहा था, उसका भी दिल धड़कना भूल गया था, अचानक उसे कॉलेज के दिन याद आ गए, क्या इसे ही तो नहीं देखा था मैने अपने ख्वाब में अपने जीवनसाथी के रूप में, वो अमित को देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी। उसका दिल अभी भी अजीब सी धड़कन में धड़क रहा था।
उधर रूम में जब साधना गई अमित कबर्ड में कुछ टटोल रहा था साधना ने अमित की पीछे से बांहों में भर लिया और बोली क्या यार तुम भी कभी भी शुरू हो जाते हो, ये तो देखना चाहिए पहली बार मिल रहे हो थोड़ा तो संयमित बातें किया करो कोई कैसा है उसे क्या पसंद है क्या नहीं, बस शुरू हो गए, माना कि रुचि सुंदर है और बहुत सुंदर है मगर क्या भोली भी होगी जरूरी है।
अमित तब तक पेनड्राइव खोज चुका था उसको पेंट में रखते हुए पलटा और साधना को सामने से आलिंगन में लेते हुए उसके गाल पर एक जोरदार चुम्बन देते हुए बोला, यार तूने आज तक बताया नहीं इतनी पटाखा तेरी कोई दोस्त भी है और जोर से हंसते हुए बोला jokes apart, वो बुरा मान गई है शायद, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था, सॉरी जान,,, और उसको कस के सीने से लगा लिया, तब साधना अमित के कान में सरगोशी करते हुए बोली नहीं उसको बुरा नहीं लगा है, मैने पूछ लिया है, मगर बेबी तुम ऐसा मत किया करो जब तक लाइन क्लियर न हो।
अमित बोला आज तक तो ऐसा मौका कभी आया नहीं कि तुमसे सुंदर कोई मिली हो, अगर मिली भी हो तो मुझे लगी नहीं तुम ही मेरे ख्वाबों की रानी हो, लेकिन आज दिल मचल गया है, क्या तुम लाइन क्लियर करवाओगी इस रुचि के साथ मेरी। और इतना कहकर वो साधना को छोड़कर भागने लगा, उसे लगा साधना को बुरा लगेगा और वो उसे छोड़ेगी नहीं, हुआ भी ऐसा ही साधना ने भागते हुए अमित के कोट का सिरा कस कर पकड़ लिया और मजबूरन अमित को रुकना पड़ा, साधना उसके सामने गई और बड़ी बड़ी आंखों से उसे डराने की कोशिश करने लगी, अमित बोला सॉरी यार मैं तो ऐसे ही, लेकिन तब तक साधना की जोर से हंसी फूट पड़ी और वो हंसते हुए बोली मेरे प्यारे सजन का पहली बार किसी पर दिल आया है और मैं क्या नाराज होंगी उससे, जान, मैं अभी रुचि को इस एंगल से में जानती हूं, लेकिन यदि उसका जरा भी तुम में इंट्रेस्ट होगा में वादा करती हूं तुम्हारे लिए उसकी लाइन क्लियर करवाऊंगी, मगर अगर नहीं इंट्रेस्ट हुआ तो तुमको ऐसा सोचना छोड़ना होगा, हम ऐसे लोग नहीं है डियर, कि किसी की मर्ज़ी के खिलाफ जाकर उसको प्रेशराइज्ड करें।
अमित बोला well said, darling, मैंने तो जो दिल में था तुमसे कह दिया, हुआ तो हुआ, नहीं तो हम दोनों तो हैं ही मस्तियां करने को, चलो मैं अब जाता हूं पहले ही बड़ी देर हो चुकी है, शाम को मिलते हैं। साधना बोली मैं रुचि के दिल की थाह लेने की कोशिश करती हूं फिर रात को बताती हूं, तब तक दोनों डाइनिंग तक आ गए थे अमित ने साधनसे फिर रुचि से bye बोला और बाहर निकल गया।
Bye me too, till next narration,,,