फूफा फौज में बुआ मौज में
नमस्कार साथियों मैं आपका मित्र आज आपको हमारे मोहल्ले में रहने वाले बुआ और भतीजे की योन आनंद से भरपूर कामुक और उत्तेजना से भरी हुई मस्त कर देने वाली कहानी बताने जा रहा हूं उम्मीद है आप लोगों को पसंद आएगी अभी कुछ ही दिन पहले हम सभी ने होली का त्योहार बड़े ही आनंद से मनाया था
और उसी होली के त्यौहार पर हमारे मोहल्ले में रहने वाले बुआ और भतीजे ने होली के रंगों का भांग के नशे में बड़ा ही अनोखा आनंद लिया हुआ यूं कि हमारे मकान से पीछे वाले मकान में सात आठ कमरे बने हुए हैं जिनमें गरीब एवं मजदूरी करने वाले लोग किराए पर रहते हैं सभी कम पढ़े लिखे व ज्यादातर अनपढ़ है और शाम को शराब पीने वाले मजदूर है उन्हीं में से एक परिवार जिसमें रामलाल जो कि खुद 55 वर्ष का है उसकी पत्नी कांता देवी जो कि 50 वर्षीय ग्रामीण पर भरे हुए शरीर की महिला है एवं रामलाल की बहन सुमित्रा जोकि 52 वर्ष की गोरे रंग की अनपढ़ और अंधविश्वास में यकीन रखने वाली औरत है होली के अगले दिन जब सब रंग गुलाल खेलते हैं उस दिन रामलाल वाले मकान में भी सभी लोग गुलाल लगाकर होली खेल रहे थे ज्यादातर पुरुष शराब पीकर टूल थे और महिलाएं उनमें से कुछ औरतों ने भी देसी शराब पी रखी थी जिसकी वजह से सब उन्मादी होकर होली का आनंद ले रहे थे इधर रामलाल की पत्नी और बहन सुमित्रा भी घर का कामकाज पूरा करके होली खेल रही थी परंतु रामलाल का 14 वर्षीय लड़का राजू जोकि नवी क्लास का छात्र था और पास के ही सरकारी स्कूल में पढ़ने जाता था कहने को तो पढ़ने जाता था परंतु आवारागर्दी करना बीड़ी पीना कभी-कभी अपने पिता की दारू की बोतल में से 1 2 पैक पी लेना और पानी मिलाकर रख देना आदि गुणों से भरपूर था दूसरी तरफ राजू के बाकी दोस्त जो कि मजदूरी किया करते थे शहर में देसी वेश्याओं के पास जाया करते थे और संभोग का आनंद लिया करते थे अपने दोस्तों की बातें सुन सुनकर राजू ने भी किसी औरत को चोदने का मन बना लिया था राजू के दोस्तों ने राजू को हस्तमैथुन करना भी सिखा दिया था जिसकी वजह से राजू में भी किसी औरत को चोदने की इच्छा प्रबल होती जा रही थी और कुछ दिनों बाद राजू का दोस्त सलीम जोकि मकानों पर रंग पेंट का काम करता है शहर से एक नग्न चित्र वाली अश्लील किताब लेकर आया राजू ने सलीम से वह किताब ली और अपने स्कूल बैग में रखकर घर ले आया और उस किताब में छपे हुए चित्रों को देखकर राजू के मन में औरतों को नंगा देखने की और औरतों के अंगों को अर्थात औरत की योनि औरत के नितंब एवं औरतों के स्तनों को देखने की इच्छा और भी ज्यादा प्रबल होने लगी थी उस मकान में रहने वाले अन्य पुरुषों की तुलना में राजू में तेज दिमाग और स्थिति उत्पन्न करने की कला थी इससे पहले ही राजू का दोस्त सलीम राजू को छोटे-छोटे तरीके बता चुका था जिसकी मदद से राजू औरतों के अंगों को छू सकता था और सलीम ने राजू को एक दो बार अपने साथ शहर ले जाकर इसका नमूना भी दिखाया शहरों में आमतौर पर हटवाड़ा लगा करते हैं जिसमें ज्यादातर सामान नीचे सड़क पर रखकर ही बेचा जाता है हटवाड़ा में ज्यादातर शाम के समय घरों की महिलाएं सब्जियां व जरूरत से जुड़ा सामान लेने के लिए आती हैं इनमें सभी प्रकार की महिलाएं पैसे वाली, गरीब मजदूर आती है ऐसे ही एक हटवाड़ा मैं सलीम अपने साथ राजू को शहर लेकर गया जहां सलीम ने राजू को दिखाया किस तरीके से सलीम भीड में अपने हाथ से औरतों की योनि को एवं मोटी व भारी शरीर वाली महिलाओं के नितंबों को अर्थात कूल्हो को छू रहा था और आनंद ले रहा था जब भीड़ में कोई भरे हुए शरीर की महिला नीचे झुक कर सामान ले रही होती थी तो सलीम अंडरवियर में से अपना लिंग बाहर निकाल कर भीड़ में उस महिला के पीछे खड़ा होकर अपना लिंग उस महिला के बड़े व चौड़े कूल्हों में पीछे से चिपका देता और आनंद लेता जैसे ही वह महिला विरोध स्वरूप खड़ी होती उससे पहले ही बड़ी ही चालाकी से सलीम साइड में हो कर अनजान बनकर खड़ा हो जाता और वह महिला सलीम को पहचान ही नहीं पाती और वहां से चली जाती है ऐसा सलीम ने चार पांच महिलाओं के साथ किया इस तरीके से राजू को भी बड़ा आनंद आने लगा राजू ने भी सोच लिया की अब वह भी औरतों के कूल्हों में अपना लिंग चिपका कर आनंद लेगा फिर एक दिन सलीम किसी काम से राजू के घर आया तो उस वक्त राजू की बुआ सुमित्रा अपने घर के बाहर झाड़ू निकाल रही थी उस वक्त सुमित्रा ने घाघरा लुगड़ी पहन रखी थी नीचे झुकी होने के कारण सुमित्रा के बड़े-बड़े व चौड़े कूल्हे सलीम को बड़े ही आनंदित कर रहे थे फिर कुछ देर बाद सलीम और राजू बाजार की तरफ चले गए सलीम ने राजू को बताया कि तेरे घर में ही बहुत अच्छा माल है तेरी बुआ सुमित्रा क्यों ना तू उससे ही सबसे पहले आनंद लें पहले तो राजू नाराज हो गया और घर आ गया परंतु कुछ दिनों बाद ही