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Incest भोलू और सुमित्रा देवी

Damdardost

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दोस्तों इन दिनों भोलू अपनी दसवीं की पढ़ाई करने शहर गया हुआ था पर अब कुछ ही दिनों में वापस आने वाला है
 

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सभी साथियों को नववर्ष की शभकामनाएं
 
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इन सर्दियों में भोलू बड़ा ही धमाल मचाने वाला है
 
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नमस्कार दोस्तों मैं आपका परम मित्र मस्तराम आज मैं आपको एक अधेड़ घरेलू महिला और उसके बेटे की कामुक क्रीडा के बारे में बताने जा रहा हूं उन दिनों में मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के बाहरी इलाके में कमरा किराए पर लेकर अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी कर रहा था मैंने शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर एक गरीब बस्ती में कमरा किराए पर लिया था मेरा मकान मालिक फैक्ट्री में सिक्योरिटी गार्ड था और मकान मालकिन एक 50 वर्षीय घरेलू भोली भाली धार्मिक विचारों वाली एवं अंधविश्वास में यकीन रखने वाली महिला थी और उनके एक 12 वर्षीय नवी क्लास में पढ़ने वाला बेटा भी था जिसका नाम भोलू था परंतु वह पढ़ने में बहुत कमजोर था जिसकी गोलू के घर वालों को बहुत चिंता थी रोजाना उसके अध्यापक उसे पढ़ाई के प्रति गंभीर होने के लिए बोला करते थे तो मैंने भोलू को पढ़ाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में भोलू कमजोर से 50 प्रतिशत का विद्यार्थी बन गया गोलू के इस तरीके से परिवर्तन को देखकर उसके अध्यापकों ने उसके माता-पिता को विद्यालय बुलाकर भोलू को शाबाशी दी तो उसके माता-पिता बहुत प्रसन्न हुए और घर आकर मुझे मिठाई खिलाई और बहुत आशीर्वाद दिया और कहा की भैया आप इसे नियमित रूप से पढ़ाते रहिए और मैंने भी ऐसा ही किया जिससे गोलू कमजोर से होशियार विद्यार्थी बन गया और गोलू की मम्मी सुमित्रा देवी मुझे अपने घर का सदस्य समझने लगी और मुझ पर भरोसा करने लगी जब कभी गोलू के माता पिता किसी काम से कहीं रिश्तेदारी या गांव जाते तो मुझे भोलू की जिम्मेदारी सौंप जाते थे परंतु भोलू धीरे-धीरे बड़ा हो रहा था उसके हाथों में सीने में और गुप्तांग के आसपास छोटे-छोटे बाल निकलना शुरू हो गए थे मैं कुछ दिनों से देख रहा था कि आजकल गोलू अकेले में कुछ पढ़ता रहता है तथा बात भी कम करता है और ज्यादातर समय अपनी मां सुमित्रा देवी के साथ ही बिताता है एक दिन मैंने जब भोलू किसी काम से बाजार गया हुआ था तब उसके बैग से अश्लील चित्रों वाली कामुक कहानियों वाली एक किताब बरामद करी जब मैंने उस किताब को खोल कर देखा तो मैं दंग रह गया उस किताब में अधेड़ उम्र की महिलाएं निर्वस्त्र होकर विभिन्न आसनों में छोटे-छोटे किशोर उम्र के बालकों के साथ कामुक क्रीडा कर रही थी और उस किताब में मां का बेटे के साथ योन संबंध पर आधारित कुछ कहानियां भी छपी हुई थी अब मैं भोलू की मनोदशा को समझ चुका था परंतु मुझे डर इस बात का था कहीं भोलू अपनी ही मां सुमित्रा देवी के साथ अपनी यौन कुंठाओं को पूरा करने की गलती ना कर बैठे वरना गलत होगा इसलिए मैंने अब गोलू की गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दिया परंतु उसे इस बात का शक नहीं होने दिया अब मुझे लगने लगा था कि शायद मेरा डर सही साबित होने वाला था और शायद इसमें भोलू की इतनी गलती नहीं जितने कि बदलते परिवेश की है और उससे भी ज्यादा गलती है भोलू की मां सुमित्रा देवी की है क्योंकि सुमित्रा देवी एक 50 वर्षीय घरेलू कार्यों में व्यस्त रहने वाली भोली भाली शहर की चालाकियां से दूर धार्मिक विचारों वाली एवं अंधविश्वास में यकीन रखने वाली महिला है भोलू की मां सुमित्रा देवी का शरीर भरा हुआ एवं रंग गोरा था और कद भी सामान्य ही था और सुमित्रा देवी घर में ज्यादातर ब्लाउज और पेटीकोट में ऊपर से एक पतली सी लुगड़ी डालकर रहती थी गोलू की मां सुमित्रा देवी के स्तन यानी बूब्स 34 की साइज के थे और अभी भी सुडोल थे परंतु सबसे ज्यादा आकर्षक गोलू की मां सुमित्रा देवी के बड़े और चौड़े उभरे हुए कूल्हे थे और ज्यादातर समय सुमित्रा देवी ब्लाउज पेटीकोट में ही अपने घर के कार्य में व्यस्त रहती थी परंतु सुमित्रा देवी को भी इस बात का बिल्कुल भी एहसास नहीं था कि उसका सगा बेटा उसके कामुक नितंबों का दीवाना हो चुका है उधर जब भी सुमित्रा देवी घर में साफ सफाई का कोई कार्य नीचे झुककर कर रही होती तो भोलू चुपचाप अपनी मां सुमित्रा देवी के बड़े-बड़े कूल्हों को पीछे से देखकर निहारता रहता था शायद भोलू अपनी मां सुमित्रा देवी के बड़े-बड़े और चौड़े कूल्हों को साक्षात नग्न देखने की कामना करने लगा था इसी कारण जब भी भोलू की मां सुमित्रा देवी घर का कोई भी कार्य नीचे झुक कर घोड़ी बनी हुई अवस्था में कर रही होती थी तो निश्चित रूप से भोलू कहीं ना कहीं छुप कर पीछे से अपनी सगी मां सुमित्रा देवी के कामुक नितंबों को निहारता रहता था और सुमित्रा देवी भी इन सब बातों से अनजान अपने कार्य में व्यस्त रहती थी भोलू कि मां सुमित्रा देवी भी भोलू की इस मनोदशा के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार थी क्योंकि सुमित्रा देवी अभी भी गोलू को चार पांच साल का अबोधबालक ही समझती थी जबकि भोलू किशोरावस्था से युवावस्था में प्रवेश करने जा रहा था और उसकी मनोदशा के साथ-साथ उसमें शारीरिक परिवर्तन भी हो रहे थे परंतु सुमित्रा देवी अभी भी इन सभी चीजों से अनजान थी आखिर सुमित्रा देवी थी ही इतनी कामुक 50 वर्ष की उम्र में भी भरा हुआ शरीर रंग गोरा माथे पर बिंदिया लाल गहरी भरी हुई मांग हाथों में चूड़ियां एकदम भारतीय संस्कारवान नारी की तरह दिखती थी या यूं कहें कि दक्षिण भारत की घरेलू मोटी औरतों की तरह सुमित्रा देवी के कूल्हों का सौंदर्य देखते ही बनता था अब मैंने भोलू का रिएक्शन देखने के लिए एक योजना बनाई क्योंकि सुमित्रा देवी पूजा-पाठ और अंधविश्वास में यकीन रखती थी तो मैंने अपने एक मित्र जोकि थोड़ी बहुत क्रियाएं जानता था उसे बुलाया और समझाया की कैसे अपना फायदा उठाया जाए उसे कुछ पैसों की जरूरत थी तो मैंने उसे ₹4000 दे दिए मेरा मित्र बहुत खुश हुआ और बोला यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है क्या चाहते हो आप मस्त राम जी आप कहो तो भोलू का लिंग उसी की मां के नितंबों से चिपकवा दे सारी योजना बन जाने के बाद मैंने अपनी मकान मालकिन सुमित्रा देवी से कहा की आप लोग विशेष पूजा नहीं करवाते हैं इसी वजह से आपके घर में सरस्वती और लक्ष्मी का वास नहीं है तभी मेरी मकान मालकिन सुमित्रा देवी बोली जी भैया आप सही कह रहे हैं गोलू के पापा तो शराब पीकर मस्त रहते हैं और घर में कोई पूजा पाठ पर ध्यान नहीं देते कृपा करके आप ही कुछ उपाय बताएं और हमारे घर में भी पूजा पाठ करवाएं तो मैंने सुमित्रा देवी से कहा रविवार का दिन सही रहेगा क्योंकि रविवार को सभी देवी देवता प्रसन्न रहते हैं मैंने उन्हें कुछ सामग्री भी लिखाई जिसमें भांग भी थी और रविवार के दिन गोलू के पापा डबल ड्यूटी करते हैं रविवार के दिन लाख काम होने के बावजूद भी गोलू के पापा छुट्टी नहीं करते इसी दिन का लाभ मुझे उठाना था तो मैंने गोलू के पापा को भी बताया और कहा कृपया करके आप भी उपस्थित रहे तो उन्होंने कहा भैया जी जब आप यहां पर हो तो मुझे किसी प्रकार की कोई चिंता नहीं है आप जो भी करेंगे वह अच्छा ही करेंगे मुझे आप पर पूर्ण भरोसा है अपनी योजना के अनुसार मैंने सुमित्रा देवी को कहा कि आप कल यानी रविवार को रात्रि 7:30 बजे नहा धोकर साफ-सुथरे कपड़े पहन कर उपस्थित होवे और भोलू को भी नहला धुलाकर साथ लावे निर्धारित समय पर मेरा मित्र और भोलू एवं उसकी मां सुमित्रा देवी पहुंच गए अब हमने पूजा शुरू करें मेरे बताए अनुसार मेरी मकान मालकिन सुमित्रा देवी पतला सा ब्लाउज और पीले रंग का पतला सा पेटिकोट व लुगड़ी ओढ़ कर पूजा में आ गई साथ ही भोलू भी आ गया था पूजा शुरू हो चुकी थी मैंने अपने मित्र को पूरी घटना बता चुका था जिसकी वजह से उसने वही क्रियाएं करवाना शुरू किया जिससे कि गोलू को आनंद आवे रात के 8:30 बज चुके थे मेरी मकान मालकिन सुमित्रा देवी ने हमारे मकान के सारे गेट बंद कर दिए थे ताकि कोई पूजा में व्यवधान ना डाल सके अब पूजा शुरू हो चुकी थी मेरे बताए अनुसार मेरा मित्र सुमित्रा देवी को हर 2 मिनट में यज्ञ में आहुति देने के लिए कहता अब समझने वाली बात यह है की मेरे मित्र ने सुमित्रा देवी को बताया था कि उन्हें कमर के बल झुक कर घोड़ी अवस्था में आहुति देनी है इसी कारण से मेरी मकान मालिक सुमित्रा देवी बार-बार उस पतले से पेटीकोट में घोड़ी बन रही थी और ठीक उनके पीछे हमने भोलू को खड़ा रहने के लिए कहा था भोलू का काम आसानी से बन रहा था गोलू बार-बार अपनी मम्मी के बड़े-बड़े कूल्हों को देखकर आनंदित हो रहा था अब कुछ देर बाद मेरे मित्र ने प्रसाद स्वरूप भांग सुमित्रा देवी और उसके पुत्र भोलू को पिला दी कुछ समय पश्चात भांग ने अपना असर दिखाना शुरू किया अब भोलू और उसकी मां सुमित्रा देवी को भांग का नशा हो चुका था जिसके कारण सुमित्रा देवी पूजा में पूरे भक्ति भाव से डूब चुकी थी अब दोबारा हमने वही क्रियाएं करवाना शुरू किया तो सुमित्रा देवी जैसे ही नीचे झुकी पीछे से सुमित्रा देवी के मदमस्त कामुक बड़े-बड़े एवं चौड़े कूल्हे गोलाई में फैल गए और ठीक पीछे भोलू अपनी सगी मां के कूल्हो को देखकर आनंदित होने लगा मैंने देखा कि भोलू का लिंग हरकत में आ चुका था भोलू का लिंग अपनी सगी मां की मदमस्त गांड को देखकर फड़फड़ाने लगा था अब मैंने अपने दोस्त को इशारा किया तो उसने गोलू की मां को नीचे झुक कर 5 मिनट तक दंडवत प्रणाम करने को कहा सुमित्रा देवी ने ऐसा ही किया अब भोलू टकटकी लगाए अपनी मां सुमित्रा देवी के मदमस्त कूल्हो को देख रहा था
Mast update👍👍
 
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सभी साथियों को नमस्कार आप सभी ने कहानी के पिछले भाग में यह जान लिया होगा कि भोलू की मनोदशा क्या हो चुकी थी जिसके चलते भोलू अपनी सगी मां सुमित्रा देवी के कामुक और मदमस्त नितंबों का साक्षात नग्न दर्शन करना चाहता था

मैंने अपने मित्र से पूजा को जल्दी समाप्त कर जाने को कहा क्योंकि अब भोलू की कामेच्छा शिखर पर थी और भोलू के हाव भाव देखकर प्रतीत हो रहा था कि शायद आज वह बहुत जल्दी में था तो मेरे कहे अनुसार मेरे मित्र ने पूजा की क्रियाएं तुरंत समाप्त करते हुए कहा की पूजा विधिपूर्वक सकुशल संपन्न हो चुकी है मैं भी चलता हूं अब आप प्रसाद ग्रहण कर भोजन करें और आराम करें फिर मैंने उसे दरवाजे के बाहर तक छोड़ा और वह चला गया अब मैं वापस घर के अंदर आ गया और मैंने घर के सभी दरवाजे अच्छी तरीके से चेक कर लिए थे जो कि बंद थे भोलू के पिताजी अपने नाइट ड्यूटी पर पहले से ही जा चुके थे यानी कि घर में अब केवल मैं एवं भोलू और उसकी मां सुमित्रा देवी ही थे फिर मैं भी अपने रूम की तरफ चला आया हूं और उधर गोलू और उसकी मां सुमित्रा देवी अपने कमरे के अंदर चले गए तभी सुमित्रा देवी की आवाज आई कि भैया जी आप भी खाना खा लो मैं भी घर के अंदर चला गया हम तीनों ने साथ-साथ खाना खाया और फिर हाथ धोकर पानी पीकर मैं अपने कमरे की तरफ आने लगा और सुमित्रा देवी खाना खाने के बाद भोलू को बोली की आज बहुत थकान हो गई है तू गेट चेक करके आजा मैं कमरे में सोने जा रही हूं हालांकि मेरे मकान मालकिन का मकान छोटा ही था एक बड़ा कमरा जिसमें भोलू उसकी मां सुमित्रा देवी और पिताजी तीनों एक साथ सोते थे कमरे के बाजू में ही एक छोटा सा रसोईघर और उसके सामने छोटा सा बरामदा तथा साइड में शौचालय था और पीछे गली में एक छोटा सा कमरा जो कि मैंने किराए पर लिया हुआ था और गली के दूसरे कोने पर पानी का नल लगा हुआ था जहां सभी लोग नहाने धोने का काम किया करते थे करीबन 15 मिनट बाद मैं चुपचाप भोलू को चेक करने के लिए बाहर आया और सुमित्रा देवी के कमरे एवं मेरे कमरे के बीच से एक रास्ता था जोकि उपयोग में नहीं था और ना ही वहां कोई गेट लगा हुआ था उस छोटी सी गली में अंदर घुस कर मैं पहले ही जायजा ले चुका था उस छोटी सी गली का दूसरा कोना सुमित्रा देवी के कमरे में खुलता था जहां से पूरे कमरे का स्पष्ट नजारा दिखता था मैं चुपचाप धीरे-धीरे उस गली में होते हुए सुमित्रा देवी के कमरे के कोने तक पहुंच चुका था अब मैंने चुपचाप कमरे के अंदर झांक कर देखा की सुमित्रा देवी केवल ब्लाउज और उस पतले से पेटीकोट में ही करवट लिए अपने पलंग पर गहरी नींद में सो रही थी परंतु भोलू कहीं नजर नहीं आ रहा था मैंने चुपचाप नजर बनाए रखी हुई थी सुमित्रा देवी दूसरी तरफ मुंह करके करवट लिए हुए सो रही थी और सुमित्रा देवी के बड़े-बड़े व चौड़े कूल्हे उस पतले से पेटीकोट में बड़े ही कामुक और मदरमस्त लग रहे थे परंतु मेरी चिंता का विषय तो भोलू था जो कि उस कमरे में अभी तक नहीं आया था फिर कुछ मिनटों की इंतजार के पश्चात मेरा भोलू पर जो शक था वह यकीन में बदलने जा रहा था भोलू कमरे में आया और उस वक्त उसने केवल बनियान और तौलिया लपेट रखा था फिर भोलू ने सुमित्रा देवी के पास जाकर उसे धीरे से आवाज दी तीन बार आवाज देने पर भी सुमित्रा देवी ने कोई जवाब नहीं दिया तो भोलू ने सुमित्रा देवी के कंधे पर हाथ रखकर उसे थोड़ा सा हिलाया परंतु सुमित्रा देवी तो भांग के असर और दिन भर की थकान के कारण बेहोशी की अवस्था में गहरी नींद में सो रही थी अब भोलू की आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई थी और चेहरे पर मासूमियत की जगह कुटिल मुस्कान साफ नजर आ रही थी अब भोलू सुमित्रा देवी के पैरों के नजदीक आकर पलंग पर बैठ गया और सुमित्रा देवी यानी कि अपनी सगी मां के बड़े-बड़े कूल्हों को नजदीक से देखने लगा और कामुक होने लगा भोलू सुमित्रा देवी के कामुक और मदमस्त बड़े-बड़े नितंबों को नजदीक से देख कर कामवासना के वशीभूत होकर आनंदित होने लगा अब भोलू ने अपना दाया हाथ धीरे धीरे डरते हुए अपनी मां सुमित्रा देवी के कूल्हे पर रखा जैसे ही भोलू को अपनी सगी मां सुमित्रा देवी के नरम मुलायम एवं गद्देदार कूल्हों का स्पर्श महसूस हुआ तो वह कामोत्तेजना और वासना के कारण आनंदित होते हुए बेकाबू होने लगा तो उसने अपना हाथ वापस हटा लिया अब कुछ ही क्षणों के बाद भोलू अपने दोनों हाथों की हथेलियों को अपनी सगी मां सुमित्रा देवी के दोनों कूल्हों पर रखकर नर्म एवं मुलायम स्पर्श को महसूस करके वासना के सागर में गोते खाने लगा भोलू अपनी ही मां सुमित्रा देवी के बड़े-बड़े कूल्हों को पेटीकोट में ऊपर से ही बार-बार छू रहा था उन्हें सहला रहा था अब भोलू पलंग से नीचे उतरा और अपनी सोती हुई मां सुमित्रा देवी के पेटीकोट में बड़े-बड़े व चौड़े के नजदीक खड़ा हो गया अब उसने अपना तौलिया हटाया तो उसका 6 इंच लंबा काला व मोटा एकदम गधे जैसा लिंग हवा में लहराता हुआ दिखाई दिया अब भोलू ने अपने लिंग की ऊपर की त्वचा को पीछे खींचते हुए अपने लिंग के गोल चिकने सुपाडे को अपनी मां सुमित्रा देवी के पेटीकोट में बड़े-बड़े व चौड़े कूल्हों की दरार के नजदीक ले गया जैसे ही गोलू ने अपने लिंग का सुपाड़ा सुमित्रा देवी के कूल्हों से चिपकाया तो उस क्षण प्राप्त उस अजीब अतिकामुक स्पर्श के आनंद से भोलू के मुंह से आह निकल आई और भोलू अपने दोनों हाथों से अपनी मां सुमित्रा देवी के कूल्हों को फैलाते हुए अपने लिंग का सुपाड़ा कूल्हों की दरारों से चिपकाते हुए खड़ा हो गया और अपनी मां सुमित्रा देवी के बड़े-बड़े मदमस्त कूल्हों का असीम आनंद प्राप्त करने लगा करीब 10 मिनट तक भोलू इसी तरह अपनी मां सुमित्रा देवी के साथ आलिंगन करता रहा
Nice update👍👍
 
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साथियों नमस्कार कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था की भोलू मेरी उम्मीदों से भी ज्यादा शातिर तो था ही परंतु अब वो चालाकी और चतुराई के साथ परिस्थिति उत्पन्न करने में भी सक्षम होता जा रहा था क्योंकि गोलू अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था इस बात का पता मुझे तब चला जब गोलू ने मेरे पूजा करने वाले मित्र को फोन पर दोबारा पूजा करने का आग्रह किया और मेरे मित्र से गहरी नींद आने की दवाई के बारे में पूछा तो मैंने अपने मित्र को पूरा हाल बताया और उसे कहां की वह भोलू को आयुर्वेदिक औषधि के बारे में बताएं मैं भी यही चाहता हूं मेरे मित्र ने हमारे प्लान के अनुसार भोलू को मेरी बताई हुई आयुर्वेदिक औषधि की गोलियां उपलब्ध करवा दी एवं उपयोग की विधि भी बता दी भोलू अब निश्चित हो चुका था की अब वो अपनी मम्मी सुमित्रा देवी की बड़ी व चौड़ी गांड को साक्षात नग्न देखकर रात भर यौन सुख का आनंद ले सकता है और भोलू अपनी आगामी तैयारियों में लग गया शनिवार की रात थी अगले दिन रविवार था तो भोलू सुबह देर तक सो सकता था और सुमित्रा देवी भी आराम से सुबह तक उठ सकती थी गोलू ने इसी रात का फायदा उठाया उसने अपनी मां सुमित्रा देवी के खाने में वह आयुर्वेदिक औषधि की 2 गोलियां मिला दी थी और रोजाना की तरह सुमित्रा देवी और भोलू ने 7:30 बजे तक खाना खा लिया था करीबन आधा घंटे बाद भोलू ने अपनी मां सुमित्रा देवी को दूध का गिलास पीने को दिया तब तक औषधि का हल्का-हल्का असर होना शुरू हो चुका था और फिर मीठे दूध के सेवन से औषधि ने अपना पूरा असर दिखाना शुरू कर दिया था रात के 9:00 बजने वाले थे हमारा मकान ग्रामीण इलाके में होने के कारण 8:00 बजे तक सभी लोग खाना खा पीकर सो जाते हैं और 9 बजते बजते पूरा इलाका सुनसान हो जाता है भोलू की मम्मी सुमित्रा देवी भी रोजाना की तरह अपनी साड़ी उतार कर ब्लाउज और पेटीकोट में अपने दोनों घुटनों को मोड़कर छाती से चिपकाए हुए दूसरी तरफ करवट लिए गहरी नींद में बेसुधी में सो रही थी और भोलू अपनी मम्मी सुमित्रा देवी को अपनी सपनों की रानी के रूप में देख रहा था परंतु भोलू अभी तक इस बात से अनजान था की वह जो भी हरकतें कर रहा है मैं सकरी गली के उस कोने से देख रहा था अब भोलू ने अपना कच्छे का नाड़ा खोल कर कच्छा उतार दिया था और बनियान पहना हुआ था अब उसने अपने पिताजी वाली लूंगी बांध ली और सामने पलंग पर गहरी नींद में बेहोशी की हालत में सो रही अपनी मम्मी सुमित्रा देवी के नजदीक जाकर अपनी मम्मी के बड़े और चौड़े कूल्हों को घूर घूर कर देखने लगा अब भोलू ने अपना एक हाथ अपने मम्मी सुमित्रा देवी के कंधों पर रखकर उसे हिला कर चेक किया परंतु गोलू की मम्मी सुमित्रा देवी तो औषधि के प्रभाव से गहरी निद्रा में जा चुकी थी अब भोलू एकदम निश्चिंत होते हुए अपना हाथ अपनी मम्मी सुमित्रा देवी के कूल्हों पर रखकर उन्हें सहलाने लगा और कामवासना से उत्तेजित होने लगा भोलू ने लूंगी का पर्दा खोलते हुए अपने तने हुए लिंग का सुपाड़ा पेटीकोट के ऊपर से ही कूल्हों के बीच दरार में सटा लिया और दोनों हाथ अपनी मम्मी सुमित्रा की कमर में डालकर उसके कान में धीरे-धीरे कुछ कहने लगा मैंने ध्यान से सुना तो सुनाई दिया की वह अपने आपको अपनी मां सुमित्रा देवी का पति यानी कि स्वयं पिताजी का रोल अदा कर रहा था अपनी ही मां को अपनी पत्नी समझकर अश्लील कामुक और उत्तेजक संबोधन से बुला रहा था कह रहा था आओ सुमित्रा बहुत दिनों से तुम्हारे कूल्हों की मालिश नहीं हुई है आज मैं कर देता हूं जरा पेटिकोट उठा कर अपनी गांड तो दिखाओ मैं तो शुरु से ही तुम्हारे बड़े-बड़े कूल्हों का दीवाना हूं और उत्तेजना में भोलू ने अपने ही हाथों से अपनी मम्मी सुमित्रा देवी का पेटीकोट ऊपर कमर तक सरका दिया मैं भी अपनी मकान मालकिन और गोलू की मम्मी सुमित्रा देवी की बड़ी व चौड़ी नग्न गांड को देखकर उत्तेजित होने लगा था भोलू अपनी मम्मी सुमित्रा को इस तरह से नंगी देखकर पूरी तरह से वासना में भर चुका था अब उसने भी अपनी लुगी हटाकर दूर कर दी और अपने दोनों हाथों से अपनी मम्मी सुमित्रा देवी के बड़े और चौड़े कूल्हों को फैलाते हुए अपनी जीभ से गांड के छेद को चाटने लगा और अपनी मम्मी सूत्रा की मस्त योनि को अपनी जीभ से चाटने लगा करीबन 15 मिनट तक भोलू अपनी मम्मी सुमित्रा देवी के नंगे कूल्हों और योनि को पीछे से बैठकर खूब चाटा और सहलाया अब गोलू ने अपने तने हुए लिंग का सुपाड़ा अपनी मम्मी सुमित्रा की गांड के छेद से चिपका कर लेट गया और अपने दाएं हाथ से सुमित्रा देवी के स्तनों को सहलाने लगा करीब 15:20 मिनट तक वह इसी तरीके से अपनी मम्मी सुमित्रा देवी के कुलवा से चिपका रहा और अंत में भोलू के लिंग से अपनी मम्मी सुमित्रा देवी की बड़ी और चौड़ी गांड में वीर्य की धार छूट गई शायद पहली बार भोलू ने किसी अधेड़ महिला के नितंबों से अपना लिंग घर्षण किया था 5 मिनट बाद भोलू ने एक कपड़े से अपनी मम्मी सुमित्रा देवी की गांड और चुत को अच्छी तरह से साफ कर दिया और वापस पहले की तरह पेटीकोट को नीचे पांव तक सरका कर सामान्य कर दिया ताकि सुबह जब सुमित्रा देवी उठे तो उन्हें जरा सा भी शक ना हो​
Awesome👍👍
 
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नमस्कार साथियों कहानी के पिछले भाग में आप लोगों ने पढ़ा था की भोलू ने अपनी मां सुमित्रा देवी की बड़ी गांड को पेटिकोट उठाकर नंगा कर दिया था और गांड के छेद से अपना लिंग सटाकर वीर्य छोड़ दिया था और फिर अगले दिन रोजाना की तरह सामान्य दिनचर्या व्यतीत हो जाने पर मैंने गोलू की मम्मी सुमित्रा देवी से बात करना चाहा उस वक्त भोलू भी स्कूल गया हुआ था और सुमित्रा देवी वही अपने पुराने ब्लाउज और पेटिकोट पहने हुए घर में झाड़ू लगा रही थी तो मैंने उनसे कहा की
आंटी जी शायद आपके पेटिकोट पर पीछे कुछ लगा हुआ है तो सुमित्रा देवी पीछे अपने हाथ से साफ करते हुए बोली शायद भैया जी मिट्टी वगैरह लग गई है और मैं भी अपने काम में लग गया परंतु सुमित्रा देवी को शक तो हो ही गया था और उनके शक की पुष्टि मैं कर चुका था अब सुमित्रा देवी सीधे ही बाथरूम में नहाने के लिए घुस गई और जैसा मैंने सोचा था शायद उसी के अनुसार फटाफट अपना पेटीकोट उतार कर उसे पीछे से कूल्हों की तरफ से ध्यान से देखने लगी कुछ ही देर में सुमित्रा देवी को अपनी उंगलियों पर कुछ चिपचिपाहट महसूस हुई उसे जब सुमित्रा देवी ने सूंघकर कर देखा तो वह समझ गई कि किसी ने उनके पेटीकोट पर अपना वीर्य गिराया है लेकिन तभी सुमित्रा देवी ने सोचा शायद 3 दिन पहले जब वो शाम को लगने वाले हॉट बाजार में सामान लेने गई थी तब अत्यधिक भीड़ होने के कारण और अपनी आदत के अनुसार नीचे झुककर सामान लेते वक्त किसी मनचले ने किया है क्योंकि उस दिन सुमित्रा देवी को भीड़ में किसी अनजान ने अपने लंण्ड का स्वाद चखाया था उस अनजान ने करीब दो-तीन मिनट तक पीछे से सुमित्रा देवी के कूल्हो मैं अपना नंगा लिंग सटाया था और शायद उसी का वीर्य पेटीकोट में लगा था अभी तक सुमित्रा देवी को अपने सगे बेटे भोलू पर जरा भी इस कारनामे का शक नहीं था​
Behtreen update👍👍
 
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नमस्कार साथियों सर्वप्रथम आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं मैं उम्मीद करता हूं कि मेरे सभी मित्रों को इस वर्ष मनचाही सफलताएं मिले मित्रों कहानी में आपने पिछले भाग में पढ़ा था भोलू अब तक अपनी योजना के अनुसार सफल होता जा रहा था क्योंकि इसमें मेरा भी सहयोग था हालांकि भोलू की मां सुमित्रा देवी को इस बात का जरा भी शक नहीं था की उनका सगा बेटा ही रात में सुमित्रा देवी के बड़े-बड़े और चौड़े कूल्हो मैं लंण्ड सटाकर मूतता है मैं देख रहा था कि पिछले कुछ दिनों से भोलू आराम से जीवन व्यतीत कर रहा था पहले की तरह अब उसे कोई जल्दबाजी नहीं थी और उधर सुमित्रा देवी भी अपने पड़ोस में रहने वाली महिलाओं से बातचीत कर रही थी तो शायद उन्हीं महिलाओं में से किसी एक ने भोलू की मां सुमित्रा देवी को पेटीकोट के अंदर चड्डी पहनने की सलाह दी थी उसी का परिणाम आज सुबह जब भोलू की मां सुमित्रा देवी नीचे झुक कर झाड़ू लगा रही थी तो मैंने देखा कि आज पेटीकोट में पीछे से चड्डी की दोनों लाइन वी शेप में उभर रही थी और उस चड्डी में कसी हुई सुमित्रा देवी की बड़ी व चौड़ी गांड बड़ी ही कामुक और उत्तेजक लग रही थी सुमित्रा देवी जितना ज्यादा नीचे झुका करती पीछे से उनकी गांड उतनी ही ज्यादा चौड़ाई में फेल जाया करती थी और भोलू भी अपनी हरकतों पर नियंत्रण रखते हुए समय व्यतीत कर रहा था मुझे पता चला कि आज भोलू के पिता जी आने वाले हैं और शाम को गोलू के पिताजी घर आ चुके थे भोलू और उसकी मम्मी सुमित्रा देवी बहुत ही प्रसन्न थे रोजाना की तरह खाना खा पीकर वह लोग सो चुके थे और फिर अगले दिन सुबह मेरी बातचीत भोलू के पिताजी से हुई भोलू के पिताजी ने मुझे धन्यवाद दिया और कहां भैया जी आप इनका ध्यान रखा कीजिए और उसके बाद भोलू अपने पिताजी को बस स्टैंड तक छोड़ने चला गया और मैं भी अपने कॉलेज चला गया शाम को मैंने अपने खबरी से भोलू की मम्मी सुमित्रा देवी और अन्य महिलाओं के बीच हुई बातचीत के बारे में जाना तो पता चला कि भोलू के पिताजी रात में भोलू की मम्मी के साथ तीन बार चुदाई कर चुके थे जिसकी वजह से सुमित्रा देवी अब बहुत अच्छा महसूस कर रही थी परंतु उधर सुमित्रा देवी के सगे बेटे भोलू का लंण्ड मचल रहा था हर बार की तरह इस भी बार भोलू ने शाम के खाने में आयुर्वेदिक औषधि मिला दी थी और वही निर्धारित समय पर सुमित्रा देवी को एक गिलास दूध भी पिला दिया था रात के 10:30 बज रहे थे चारों ओर सन्नाटा था परंतु मैं जाग रहा था और निर्धारित जगह से सारा कार्यक्रम देखने वाला था सुमित्रा देवी हर बार की तरह अपने कमरे में पलंग पर ब्लाउज और पतले से पेटीकोट में दूसरी तरफ करवट लिए अपने घुटनों को मोडकर औषधि के प्रभाव से बेहोशी की हालत में बेसुध होकर सो रही थी परंतु भोलू कहीं नजर नहीं आ रहा था आज शायद भोलू ने कुछ नया ही विचार बनाया था अब मैंने देखा की गोलू कमरे में अंदर आ गया उसने बनियान और अपने पिताजी की लूंगी लपेट रखी थी अब गोलू अपनी मां सुमित्रा देवी के नजदीक आया और धीरे से आवाज दी और हिलाया परंतु सुमित्रा देवी तो संपूर्ण रुप से बेहोशी की हालत में सो रही थी अब गोलू निश्चिंत हो चुका था गोलू ने अपना हाथ अपनी मां सुमित्रा के कूल्हों पर रखा और आनंदित होने लगा गोलू अपनी ही मम्मी सुमित्रा देवी के बड़े और चौड़े कूल्हो को अपने दोनों हाथों से सहलाने लगा अब गोलू ने अपना तना हुआ गधे जैसा लंण्ड में ऊपर से ही अपनी मम्मी सुमित्रा की बड़ी व चौड़ी गांड में सटा दिया और अपनी मम्मी सुमित्रा को आलिंगन करने लगा अब गोलू ने अपने हाथों से अपनी मम्मी सुमित्रा देवी के पेटिकोट को कमर तक सरका दिया और चड्डी में कसी हुई सुमित्रा की बड़ी और चौड़ी गांड को सहलाने लगा और गोलू ने अब अपनी मम्मी सुमित्रा की पहनी हुई चड्डी को नीचे घुटनों तक सरकाते हुए अपनी मां सुमित्रा को नंगा कर दिया था अब वह सुमित्रा के दोनों कूल्हो को चौड़ा करते हुए सुमित्रा की गांड के छेद को मस्ती में अपनी जीभ से चाटने लगा और सुमित्रा की योनि को भी चाटने लगा गोलू मस्ती में आकर अपनी मम्मी सुमित्रा की बड़ी गांड और योनि को चाट चाट कर खूब आनंदित हो रहा था अब गोलू अपनी मम्मी सुमित्रा के बगल में लेट गया और सोती हुई अपनी मम्मी सुमित्रा देवी की कानों में कुछ कहने लगा मैंने ध्यान से सुना तो पाया की गोलू स्वयं को सुमित्रा देवी का पति यानी अपने आप को पिताजी समझ रहा था और कह रहा था सुमित्रा आओ मेरे लंण्ड की रानी आजकल तो तुम पेटिकोट के नीचे चड्डी भी पहनने लग गई मेरी जान आखिर कब तक मेरे लंण्ड से अपनी बड़ी और चोडी गांड को बचाओगी तुम्हारी इस गांड में पिचकारी तो मैं ही छोडूंगा आखिर तुम्हारी गांड को तो मैं कब से चोदना चाहता हूं सुमित्रा मेरी रानी तुम्हारी कांड की गोलाई और चौड़ाई मेरे लंण्ड को मचला देती है

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नमस्कार साथियों जैसा कि मैं आपको अपडेट दिया था की भोलू शहर में अपनी दसवीं की पढ़ाई करने गया हुआ था और मेरे ही कहने पर भोलू के पिताजी और उसकी मम्मी सुमित्रा देवी ने उसका एडमिशन शहर में करवाया था मैंने हीं उसे रूम दिलवाया और हर हफ्ते जाकर उसको चेक किया करता था और उसकी पढ़ाई में मदद किया करता था अब मुझे यकीन हो गया था कि भोलू दसवीं की परीक्षा प्रथम प्रयास में ही 60 से 65% अंकों के साथ पास कर लेगा इधर भोलू की मम्मी सुमित्रा देवी की तबीयत थोड़ी खराब हो गई थी जिसकी वजह से भोलू के पिताजी भी छुट्टियां लेकर यहीं पर थे फिर मेरे कहने पर मैं भोलू के पिताजी उसकी मम्मी सुमित्रा देवी को शहर के बड़े अस्पताल में डॉक्टर को दिखवाने गए वहां भोलू भी आया और डॉक्टर ने अच्छे से देखने के बाद सभी जांचें करवाने के बाद बताया कि भोलू की मम्मी सुमित्रा देवी को हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी है इसलिए इन्हें चिंता कम करने की और भरपूर नींद लेने की दवाइयां और सलाह दी और शाम वाली गाड़ी से हम सभी वापस गांव आ गए भोलू वहीं शहर में था करीब 15 दिन की दवाइयां डॉक्टर साहब ने लिखी थी जो हम खरीद कर लाए थे और 15 दिन बाद डॉक्टर साहब ने दोबारा बुलवाया था और फिर तय हुआ कि 15 दिन बाद भोलू की मम्मी सुमित्रा देवी को हम यहां से गाड़ी में बैठा देंगे और वहां शहर में भोलू अपनी मां सुमित्रा देवी को गाड़ी पर लेने आ जाएगा उधर साथियों आप जानते हो कि भोलू तो भोलू ही है वह वहां भी पूरी तैयारी में ही था क्योंकि अब भोलू शहर की चालाकियां को समझ गया था और उधर भोलू भी अपनी मकान मालकिन यानी की मेरी मुंह बोली ताई जी के बड़े-बड़े और चौड़े नितम्बों को वासना की नजर से देखकर आनन्द लेने लग गया था और साथ ही भोलू ने एक दोस्त भी बना लिया था जिसका नाम बाबूभाई था बाबूभाई ने भोलू को बड़ा ही आनंद देने वाला नुस्खा भी दिया था जिसकी वजह से भोलू आनंद भी लेता और नियंत्रण में भी रहता था यहां गांव से भोलू की मम्मी सुमित्रा
 

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देवी घी भेजती थी और भोलू भी बादाम और सफेद मूसली दबाकर खाता था जिसकी वजह से भोलू का शरीर बलिष्ठ और दिमाग तेज हो गया था और हर हफ्ते बाबूभाई का दिया हुआ नुस्खे के कारण भोलू के अंडकोष बड़े बड़े और वीर्य से लबालब भरे हुए हो गए थे जिसके कारण भोलू को चलने में भी दर्द होने लगा था अब भोलू ने भी अपने गुरु बाबूभाई को बताया तो बाबूभाई ने उसे एक भांग की गोली दी और कहा शाम को खाने से एक घंटा पहले लेना और रात को दूध पीना सारा दर्द आनंद में बदल जाएगा और फिर भोलू ने वही किया रात के दस बज रहे थे और भोलू को अब मस्त आनन्द आने लगा भोलू जैसे ही आंखें बंद करके अपनी मम्मी सुमित्रा देवी की बड़ी और चौड़ी गोरी गोरी गांड़ को याद करता तो बिल्कुल सजीव चित्रण उसे महसूस होने लगा उसे अपनी मम्मी सुमित्रा देवी के साथ बिताई गयी राते याद आरही थी और भोलू का लंड तना हुआ फड़फड़ा रहा था और भोलू को अपने अंडकोष में बड़ा ही मीठा मीठा दर्द हो रहा था जिसमे उसे आनन्द आ रहा था भोलू अपनी आंखे बंद करके अपनी मम्मी सुमित्रा देवी के बड़े बड़े और चौड़े नंगे कूल्हों को साफ महसूस कर रहा था तभी उसे गली से कुछ आवाज आई तो भोलू ने अपने कमरे की खिड़की से बाहर देखा तो उसे वहां गली में मेरी ताई अपना मुंह दूसरी तरफ किए अपना पेटीकोट कमर तक उठाकर बैठी पेशाब करती हुई दिखाई दी और पीछे से ताई के बड़े बड़े और चौड़े गोरे गोरे नंगे कूल्हों को देख कर भोलू को बहुत आनंद आया और फिर ताई जब उठने लगी तो ताई के बड़े बड़े और चौड़े गोरे गोरे नंगे कूल्हों की गोलाई और चौड़ाई देख कर तो भोलू के लन्ड से गाढ़े गाढ़े वीर्य की कुछ बूंदे निकल गई जिससे भोलू को बड़ा ही मीठा मीठा आनंद आया और उस रात भोलू को बड़ी अच्छी नींद आई और अगले दिन भोलू नियमित रूप से अपने स्कूल गया और कब आठ दिन निकल गए पता ही नहीं चला था फिर से भोलू को अपने अंडकोष में ऐठन महसूस होने लगी थी भोलू के अंडकोष भी गाढ़े गाढ़े वीर्य से लबालब भर गए थे और मोटे मोटे रसगुल्ले जैसे हो गए थे और अगले दिन भोलू की मम्मी सुमित्रा देवी आने वाली थी तो भोलू अपनी मम्मी सुमित्रा देवी को लेने स्टेशन पहुंच गया और वह अपने रूम पर ले आया रूम पर आने के बाद भोलू की मम्मी सुमित्रा देवी ने मकान मालकिन से बहुत देर तक बात करी और चाय पी रात के नौ बज रहे थे अब भोलू ने अपनी मम्मी को अपने रूम में बुला लिया था फिर दोनों ने खाना खाया और सो गए अगले दिन भोलू अपनी मां सुमित्रा देवी को साथ लेकर डॉक्टर साहब को चेकअप कराने लेकर गया डॉक्टर साहब ने अच्छे से चेकअप करने के बाद पूछा कि अब कैसा लग रहा है तो भोलू की मम्मी सुमित्रा देवी ने कहा कि थोड़ी सुस्ती और घुटनों में हाथों में दर्द होता है तो डॉक्टर साहब ने एक तेल भी लिख दिया और कहा कि सुबह और शाम दोनों टाइम मालिश करवा ले जिससे दर्द में आराम मिलेगा फिर भोलू ने डॉक्टर साहब से कहा कि उसकी मम्मी सुमित्रा देवी ठीक से सोती नहीं बस काम ही काम ले लगे रहती हैं आराम भी नहीं करती है
 
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