• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance मंगलसूत्र [Completed]

Status
Not open for further replies.

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
3,969
22,143
159
खाने के बाद मैं कुछ देर टहलने निकल गया और जब वापस आया तो देखा कि रोज़ की तरह चिन्नम्मा और अल्का रसोई की साफ़ सफाई नहीं कर रहीं थीं; सिर्फ चिन्नम्मा ही थीं। पूछने पर बताया कि अल्का स्नान करने गई है। और वो भी साफ सफाई कर के अपने घर चली जाएँगीं। तो मैंने सोचा कि चलो, अब लेट जाया जाए। बिस्तर पर लेटे लेटे मैंने महसूस किया कि मैं अल्का के आने की राह देख रहा हूँ। बेसब्री नहीं थी, लेकिन एक तरह की आस थी। अब वाली अल्का पहले वाली अल्का नहीं थी। ये मेरी प्रेमिका है, वो मेरी मौसी थी। अंतर है। वैसे तो कमरे में हम बस एक लालटेन जलाते थे, लेकिन उस रात मैंने ‘हमारे’ कमरे को निलाविलक्कु (एक तरह का फ्लोर लैंप) की रोशनी से भी नहला दिया था। जब अल्का कमरे में आई, तो यह बंदोबस्त देख कर मुस्कुरा उठी। कुछ बोली तो नहीं, लेकिन शर्मा ऐसी रही थी कि सच पूछो, दिल से आह निकल जाए।

काफी देर तक हम दोनों कुछ नहीं बोले। अंततः अल्का ने ही चुप्पी तोड़ी,

“मेरे कुट्टन, इतनी रौशनी में हम सोएँगे कैसे?”

“ये रौशनी मैंने सोने के लिए नहीं, बल्कि तुमको देखने के लिए करी है।”

अल्का और शरमा गई।

“पूरा समय तो मुझको देखा तुमने! मैं तो अभी भी वैसी ही हूँ, जैसी भोजन के समय थी। कोई अंतर थोड़े ही आ गया है मुझमें।”

“नहीं मेरी मोलू, बहुत अंतर आ गया है। सब कुछ बदल गया है।”

मैंने अल्का का हाथ पकड़ कर बिस्तर पर बैठाया। उसने मैक्सी पहनी हुई थी। उमस के कारण पसीने की एक पतली सी परत अब स्थाई रूप से हमारे शरीर पर मौजूद रहने लगी थी। चाहे नहाओ, चाहे न नहाओ! मानसून बस आ ही गया था, और कभी भी, किसी भी दिन बरस सकता था। मैंने बिना कुछ कहे ही उसकी मैक्सी के बटन खोले। उस मैक्सी में गले से लेकर नाभि तक बटन थे। अगर सारे बटन खोल दिए जाएँ, तो उसको बड़ी आसानी से कन्धों से सरका कर यूँ ही उतारा जा सकता था। तो मैंने उसको उतार दिया। अल्का अब सिर्फ चड्ढी पहने मेरे सामने बैठी हुई थी।

“मोल्लू?”

“हम्म्म?”

“मन होता है कि तुमको हमेशा ऐसे ही रखूँ!”

“अच्छा जी!”

“हाँ!” मैंने उसके एक मुलाक्कल को सहलाते हुए कहा।

“मेरी किस्मत तो देखो! एक तो इतने बुढ़ापे में जा कर मुझे अपना चेट्टन (पति) मिला, और मिला भी तो ऐसा जो मुझे बिना कपड़ों के रखना चाहता है!”

अल्का की बात पर कोई हँसे बिना कैसे रहे? हमेशा हंसने, मुस्कुराने वाली, बेहद खुशमिजाज़ लड़की! कैसा सौभाग्य है मेरा!

“मोल्लू?”

“हाँ मेरे कुट्टन?”

“इन पृयूरों को चख लूँ?”

“मैंने तुमको पहले ही कहा है न कुट्टन, तुमको जैसा मन करे, तुम खेलो। मेरा सब कुछ तुम्हारा है। लेकिन एक पल को रुको, मैं दरवाज़ा बंद करके आती हूँ।”

“नहीं बैठो न! कौन आएगा? अम्मम्मा तो सो गई हैं। और चिन्नम्मा अपने घर चली गई हैं।”

“हाँ, वो तो ठीक है। लेकिन अगर अम्मा जग गईं और मुझे इस हालत में देखा, तो मेरी खाल खींच लेंगी।”

“क्यों खींच लेंगी? हम क्या कुछ गलत कर रहे हैं? मुझे तुमसे प्रेम है मोलू! मुझे तुम्हारे साथ रहना है उम्र भर। तुम मेरी हो, और मैं तुम्हारा। अब यह एक अटल सत्य है। इसको कोई झुठला नहीं सकता।”

“तो क्या तुम मेरे लिए अपने अच्चन, अम्मा और अम्मम्मा (नानी) से झगड़ा कर लोगे?”

“झगड़ा क्यों करना पड़ेगा? मैं उनसे बात करूँगा। मुझे लगता है कि सभी मान जाएँगे!”

“पता नहीं! तुम बहुत अच्छे हो... इसलिए तुमको सभी में सिर्फ अच्छाई ही दिखती है। मुझे तो बहुत डर लग रहा है चिन्नू! हम जिस रास्ते पर चल पड़े हैं, उसकी कोई मंज़िल भी है, या बस यूँ ही!” कहते हुए अल्का उदास हो गई।

“मंज़िल है मोलू! कहो तो कल ही बात करूँ मैं अम्मम्मा से?”

“नहीं! अभी नहीं। पहले अपना काम देखो। वहां फोकस करो। तुम्हारा काम खुद में ही एक पहाड़ है। एक बार वो पूरा हो जाए, तो फिर आगे का सोचेंगे। तुम या मैं एक समय में दो दो पहाड़ नहीं लाँघ सकते। इतना इंतज़ार किया है, तो थोड़ा सा और सही। लेकिन अभी नहीं। अभी मुश्किल होगी।”

यह कह कर अल्का मुझसे लिपट गई। अल्का जैसी कर्मठ, और मज़बूत इरादों वाली लड़की अगर इस तरह से डर जाए, तो सोचने वाली बात तो है। प्रेम के कारण किसी व्यक्ति को आघात लग सकता है, मुझे यह बात समझ में आ गई थी। हमारा प्रेम जल्दी से परवान चढ़ा था या कि हमको अपना एक दूसरे के लिए प्रेम समझने में समय लग गया था? जैसा कि मैं पहले भी बता चुका हूँ कि मुझे एक लम्बे समय से अपने लिए अल्का जैसी लड़की का ही साथ श्रेयस्कर लगता था। इस लिहाज़ से ‘अल्का जैसी किसी लड़की’ से तो अल्का ही कहीं अच्छी है। शारीरिक आसक्ति तो मुझे अब हुई है। लेकिन उसके गुणों से आसक्ति तो न जाने कब से है। यह तो मेरी भली किस्मत है कि वो किसी और को नहीं मिली। वैसे यह सब बातें तो ठीक हैं, लेकिन मैं अल्का को क्यों पसंद था? उसने ही मुझे कहा कि वो बहुत दिनों से मुझसे प्रेम करती है। हम इतने लम्बे लम्बे अंतराल पर एक दूसरे से मिलते हैं। कुछ तो बात होगी, कि मैं उसको भी पसंद हूँ!

“मोलू मेरी, बिलकुल मत डरो। मैं तुम्हारे साथ हूँ। हमारे सब काम पूरे होंगे।” मैंने उसको आलिंगनबद्ध कर के उसके सर को चूमते हुए कहा।

मुझे अपने कंधे पर उसके गरम गरम आँसू गिरते महसूस हुए।

“अरे! तुम रो क्यों रही हो?” मैंने उसको अपने से अलग करते, और उसके आँसू पोंछते हुए पूछा, “क्या हो गया? प्लीज़ अपने मन की बात मुझसे कह दो?”

“कुछ नहीं मेरे कुट्टन। मैं दुःखी नहीं हूँ। बस तुमसे दूर होने के ख़याल से डर गई हूँ।”

“अरे, लेकिन हम अभी अभी तो मिले हैं! दूर क्यों होंगे? तुम मत डरो। तुम्हारा प्रेम मेरे साथ है। और मेरे हाथों में ताक़त है। अगर हमको सबसे दूर हो कर अपना अलग घर बसाना पड़े, तो वो भी करने में सक्षम हूँ मैं!”

“हाँ मेरे चेट्टन! हाँ! मुझे उस बात में कोई संदेह नहीं है। लेकिन दोबारा ये सबसे अलग होने वाली बात मत बोलना। अपनी जड़ें छोड़ कर हमारा ख़ुद का क्या अस्तित्व है! और हम सबसे अलग हो कर अपना घर बसा भी लें, तो क्या? मैं वो औरत नहीं बनना चाहती जो घर तोड़ती है।”

“इसीलिए तो मैंने कहा न आलू, कि मैं सबसे बात करूँगा। और सबको मना लूँगा!”

अल्का मुस्कुराई, “थैंक यू मेरे चिन्नू!”

“आओ, मैं तुमको सुला दूँ!” कह कर मैंने अल्का को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके बगल आ कर लेट गया।

“लेकिन, दरवाज़ा और निलाविलक्कु?”

“शिह्हह्ह... अब एक और शब्द नहीं। मैं तुमको सुलाने के लिए एक गाना सुनाऊँ?”

“तुम गाते हो?” अल्का ने आश्चर्य करते हुए पूछा, “पहले क्यों नहीं बताया?”

“पति के गुण धीरे धीरे मालूम होने चाहिए, प्रिये। इससे प्रेम बढ़ता है!” मैंने हाल ही में देखी हुई एक मजेदार हिंदी फिल्म का एक डायलॉग चिपका दिया। मौके पर चौका मारना इसको ही कहते हैं। अल्का शर्म से मुस्कुराई।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
3,969
22,143
159
मैंने अल्का के सीने पर हल्की हल्की थपकी देते हुए गुनगुनाना शुरू किया,

जाग दिल-ए-दीवाना, रुत जागी वस्ल-ए-यार की,
बसी हुई जुल्फ में आई है सबा प्यार की

“बाप रे! यह कौन सी भाषा? हिंदी?”

“नहीं! उर्दू! अब बीच में टोंको मत, गाने का आनंद लो।”

“लेकिन मेरे चेट्टा, गाने का अर्थ तो समझ में आना चाहिए न, उसका आनंद उठाने के लिए?”

“वो भी बताऊँगा। लेकिन सुनो तो पहले”


जाग दिल-ए-दीवाना, रुत जागी वस्ल-ए-यार की,
बसी हुई जुल्फ में आई है सबा प्यार की

“ऐ मेरे दीवाने दिल, जाग। मेरी मोलू से मिलन की ऋतु जागी है। उसकी महकती हुई ज़ुल्फ़ों से प्यार की सुगंध आ रही है।” मेरे अनुवाद पर अल्का शर्म से मुस्कुराई। उसके गालों पर वही परिचित लालिमा फैल गई।

दो दिल के, कुछ ले के पयाम आई है
चाहत के, कुछ ले के सलाम आई है
दर पे तेरे सुबह खड़ी हुई है दीदार की

“(ये ऋतु) हमारे दिलों के संदेश ले कर आई है। चाहत की बातें ले कर आई है। अपने प्रियतम के दर्शनों की सुबह आ गई है।”

“सुबह? लेकिन अभी तो रात है, कुट्टन!” अल्का ने मुझे छेड़ा।

“चुप्प!” मैंने उसको प्यार से झिड़का।


एक परी कुछ शाद सी, नाशाद सी
बैठी हुई शबनम में तेरी याद की
भीग रही होगी कहीं, कली सी गुलज़ार की

“एक परी, यानि कि तुम, क्या पता प्रसन्न है, या नाराज़ है!”

“प्रसन्न है” अल्का ने मुस्कुराते हुए कहा, तो मैंने उसको चूम लिया।

“तुम हमारे प्रेम की याद में उसी तरह भीग रही हो, जैसे किसी खिले हुए बगीचे में कोई कली ओस से भीग जाती है!”

अल्का मुस्कुराई और लपक कर मेरे आलिंगन में बंध गई। उसके दोनों ठोस मुलाक्कल और मुलाक्कन्न मेरे सीने में चुभने लगे। मीठी चुभन! आह! इस एहसास का आनंद तो उम्र भर ले सकता हूँ, फिर भी न अघाऊँ।


आ मेरे दिल, अब ख्वाबों से मुँह मोड़ ले
बीती हुई, सब रातें यहीं छोड़ दे
तेरे तो दिन रात है अब आँखों में दिलदार की

“ऐ मेरे दिल, अब सपने देखने ज़रुरत नहीं और ना ही पिछली बातें याद करने की! अब तुम्हारा, यानि मेरे दिल का, मेरे प्रेम का भविष्य तुम्हारे प्रियतम, यानि तुम्हारी आँखों में है, मेरी आलू!”

मैंने बड़े ही रोमांटिक अंदाज़ में गाना और उसका अनुवाद समाप्त किया और अल्का की दोनों आँखों को कई बार चूमा।



यह बेहद सुन्दर गीत फिल्म "उंचे लोग" से है। इसके गीतकार हैं, मजरुह सुल्तानपुरी जी, गायक हैं, मोहम्मद रफ़ी जी, और संगीतकार हैं, चित्रगुप्त जी। सुनें यह गीत! आत्मा तृप्त हो जाएगी
 
Last edited:

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
3,969
22,143
159
“यह तो प्रेम गीत है, कुट्टन! लोरी नहीं!”

“हाँ! प्रेम गीत है, मेरी जान!”

“तो फिर इतना सुन्दर गीत सुन कर मुझे नींद कैसे आएगी? बोलो भला!”

“ओहो! गलती हो गई फिर तो!” मैंने थोड़ा नाटकीय तरीके से कहा, “अब क्या करें?”

“अब? अब ये करो मेरे चेट्टा कि तुमने मुझे इतना सुन्दर प्रेम गीत सुनाया है, तो मैं भी तुमको अपना प्रेम देती हूँ। आओ, तुमको अपने पृयूरों का स्वाद चखा दूँ?”

मैं एकदम से उत्साहित हो गया। लेकिन मैं कुछ करता, उसके पहले अल्का ने कहा,

“लेकिन तुमने यह (मेरे शॉर्ट्स की तरफ संकेत कर के) क्यों पहन रखा है? अब से तुम बिना कपड़ों के मेरे साथ सो सकते हो।” उसने शर्माते हुए आगे कहा।

मैंने झट पट अपना शॉर्ट्स उतार दिया! इससे अच्छा क्या हो सकता है भला। मैं तो बस मर्यादा के कारण उसको पहनता जा रहा था। पूर्णतया निर्वस्त्र होने के बाद मैंने अपनी अल्का को मन भर कर निहारा। कमरे की टिमटिमाती रोशनी में जगमगाती मेरी अल्का कितनी सुन्दर लग रही थी! सुन्दर.... और प्यारी! उसके सीने पर उसके सुन्दर से मुलाक्कल और उनके दोनों मुलाक्कन्न सुशोभित हो रहे थे। लेकिन आश्चर्य है कि न जाने क्यों, उसको ऐसी अवस्था में देख कर भी मेरे मन में कोई कामुक भाव नहीं जगे। उसको ऐसे देख कर कुछ ऐसा लगा कि जैसे वो कोई गुड़िया हो, जिसको सहेज कर रखा जाए। मैं अपने इस ख़याल पर मुस्कुरा उठा। अल्का ने मुझे मुस्कुराते देखा, तो आँखों के इशारे से उसने पूछा ‘क्या?’ और मैंने सर हिला कर उत्तर दिया, ‘कुछ नहीं’..

मैंने साँस भर कर धीरे धीरे से उसके दोनों मुलाक्कन्न पर फूँक मारी। उमस और गर्मी के सताए दोनों कोमल अंग थोड़ी सी राहत पाते ही सक्रिय हो उठे। दोनों मुलाक्कन्न पहले लगभग सपाट थे, लेकिन फूँक मारने के कुछ ही क्षणों में वो दोनों उठने लगे। अल्का और मैं दोनों ही इस बात पर मुस्कुरा उठे।

“बदमाश!” उसने धीरे से कहा।

मैंने नीचे झुक कर बारी बारी से दोनों को चूमा, और फिर उसके एक मुलाक्कन्न को मुँह में ले कर कोमलता से चूसने लगा। अल्का के गले से एक मीठी सिसकारी निकल गई। उसकी आँखें बंद हो गईं। कोई दो मिनट उसको चूसने, दुलारने के बाद मैंने दूसरे मुलाक्कन्न पर भी वही सब किया, जिससे वो बुरा न मान जाए। अल्का नीचे काँपती हुई इस अनोखे कृत्य का अनुभव कर रही थी। मुझे नहीं मालूम था कि यह सब करने से एक नारी को क्या अनुभव होता है। मेरे लिए तो यह सब बिलकुल नया था।

“कैसे लगे पृयूर?” जब मैंने स्तनपान बंद किया, तो अल्का ने पूछा।

“बहुत मीठे!”

“बदमाश है चिन्नू मेरा.... और झूठा भी!” कह कर उसने मुझे गले से लगा लिया।

अगला काम मैंने उसकी चड्ढी उतारने का किया। वो थोड़ी सी तो हिचकी, लेकिन फिर उसने खुद ही अपने नितम्ब उठा कर निर्वस्त्र होने मेरे मेरी मदद करी। इस समय तक मुझे कामोत्तेजना से पागल हो जाना चाहिए था। लेकिन मुझे खुद ही आश्चर्य हुआ कि वैसा कुछ नहीं हुआ। जब मेरी अल्का पूर्ण नग्न हो गई, तब मैंने तसल्ली से उसके शरीर के हर हिस्से को चूमा। फिर कहा,

“मोलू, अब तुम मेरी हो। मेरा सुख, दुःख, प्रेम, क्रोध, सब कुछ, सब तुमसे है और तुमको समर्पित है। एक बार मेरा प्रोजेक्ट ख़तम हो जाए, फिर मैं खुद अम्मम्मा से तुम्हारा हाथ परिणय में मांग लूँगा। अम्मा और अच्चन को मैं मना लूँगा। वो दिन दूर नहीं, जब हम सात जन्मों के लिए बंध जाएँगे!”

मेरी बात सुन कर अल्का मुस्कुरा उठी और उसकी आँखों में आँसू भर गए। वो भावातिरेक में आ कर मेरे आलिंगन में बंध गई। हम दोनों कब सो गए, कुछ याद नहीं।
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
3,969
22,143
159
दोस्तों, आज के लिए इतना ही।
ऑफिस का काम बहुत है, और मेरी दुनिया में ढेर सारे और भी ग़म हैं, यहाँ कहानियाँ लिखने के सिवा।
जल्दी ही अगला, सुन्दर सा अपडेट देता हूँ।
 

mashish

BHARAT
8,032
25,908
218
है न रोमांटिक? इन्सेस्ट इसलिए है कि कहानी की हीरोइन हीरो की मौसी है।
इतनी बड़ी बात आपने मिस कैसे कर दी?!
कोई और समय होता तो इसको रोमांटिक कहानी ही बोलता।
लेकिन चूँकि xforum में हैं, तो बिना incest लिखे कोई परिंदा भी पर नहीं मारेगा।
इस बात का गवाह 'कायाकल्प' कहानी है मेरी!
miss nahi ki writer ji is story ko romantic with incest kahenge aur ye baat sach hai ki yha incest ka bolbala hai
 
  • Like
Reactions: avsji
1,204
3,127
143
Nice update 👍
 
  • Like
Reactions: avsji

Napster

Well-Known Member
4,513
12,595
158
अती सुंदर अपडेट के बारे क्या कहना
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट है भाई
मज़ा आ गया
अगले अपडेट की प्रतिक्षा में
जल्दी से दिजियेगा
 
  • Like
Reactions: SKYESH and avsji

sunoanuj

Well-Known Member
2,956
7,955
159
बहुत ही मस्त ओर प्रेमसे ओत प्रोत अपडेट । 👏👏👏
 
  • Like
Reactions: avsji
185
631
109
Bohot hi sunder Roop se pariwari rishton, samajik bandhan aur darr ke sath sath prem aur sunhere bhavishay ki was ka chitran Kiya hai, keep going on
 
  • Like
Reactions: avsji
Status
Not open for further replies.
Top