मम्मी मुझे कल कॉलेज की फीस जमा करनी है।
( गीले बालों को टावेल से साफ करते हुए रितु बोली।)
मुझे पता है बेटा तो बिल्कुल भी चिंता मत कर मैं इंतजाम कर दूंगी।( आटा गूंथते हुए सुधा बोली,,, इतना सुनकर रीतु मुस्कुराते हुए सुधा को पीछे से अपनी बाहों में पकड़ कर सुधा के गालों को चूमने लगी, और सुधा को दुलार करते हुए बोली।)
ओह मम्मी मुझे मालूम था कि तुम फीस का बंदोबस्त जरूर करके रखी होगी मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।
अरे मैं अपनी लाडली बिटिया के लिए क्या इतना भी नहीं कर सकती।
( सुधा प्यार से ऋतु की नाक को पकड़ हल्के से हिलाते हुए बोली लेकिन इतना करने की वजह से हाथ में लगा आटा उसकी नाक पर लग गया और इस बात का एहसास होते ही सुधा घबराते हुए बोली।
मुझे माफ करना रितु तेरी नाक पर आटा लग गया,,,
कोई बात नहीं मम्मी मैं अभी जाकर इसे साफ कर लेती हूं।
( इतना कहकर रितु बाथरूम की तरफ चली गई,, और सुधा का चेहरा जो अब तक खुशहाल नजर आ रहा था ऊस खुशहाल चेहरे पर चिंताओं की लकीरें साफ नजर आने लगी। और सुधा का चिंता करना जायज था क्योंकि अच्छी तरह से जानती थी कि जिस शब्द को वह इतनी आसानी से कह गई थी उसे पूरा करने में जमीन आसमान एक कर देना पड़ेगा। फीस के पैसे इकट्ठा करने हैं मैं सुधा को काफी मशक्कत उठानी पड़ेगी यह बात वह अच्छी तरह से जानती थी लेकिन वह रितु को बिल्कुल भी परेशान नहीं होने देना चाहती थी इसलिए उसके सामने बिल्कुल भी चिंता व्यक्त नहीं की क्योंकि वह जानती थी कि इस दुनिया में रितु के सिवा उसका दूसरा कोई नहीं था। पति का देहांत 7 साल गुजर चुके थे तब से लेकर आज तक वास कपड़े से लेकर इधर उधर छूट तक काम करके घर खर्च चला रही थी। यह मुसीबत तो हमेशा की थी लेकिन मकान का किराया अभी जाने की वजह से उसकी मुसीबत कम हो जाती थी लेकिन कुछ महीनों से उसका मकान भी खाली पड़ा था जिससे उस की आवक कम हो चुकी थी। मकान का किराया आ जाने की वजह से उसका खर्चा अच्छी तरह से चल जा रहा था भले ही थोड़ी बहुत मुसीबत उठाना पड़ रहा था लेकिन कॉलेज की फीस और राशन खर्च चल जा रहा था।
और यही सब खर्चे पूरा करना उसके लिए भारी पड़ रहा था यही सब सोचते हुए वह आटा गुंथ रही थी कि तभी, रितु की आवाज सुनकर उसकी तंद्रा भंग हुई।
मम्मी मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही है नाश्ता तैयार हो गया क्या।,,,
( कलाई में घड़ी की बेल्ट बांधते हुए रितु बोली।)
हां बेटा मैंने नाश्ता तैयार कर दिया है यह लो (नाश्ते की प्लेट रितु को पकड़ाते हुए)
जल्दी से नाश्ता कर लो।
मम्मी तुम बहुत प्यारी हो।( नाश्ते की प्लेट को पकड़ते हुए रितु बोली और जवाब में सुधा भी मुस्कुरा दी। थोड़ी ही देर में नाश्ता करके रितु अपना बैग और पर्स उठा कर घर से बाहर की तरफ जाने लगी,,, तो सुधा भी उसे दरवाजे तक छोड़ने के लिए पीछे पीछे आ गई।
रितु अपनी मम्मी को बाय करके जाने लगी और सुधा खड़ी होकर उसे जाते हुए देखती रही सुधा की नजर रीतु के खूबसूरत बदन और ऊपर से नीचे की तरफ दौड़ रही थी।
रितु के भरे बदन और खास करके उसके नितंबों के मांसल घेराव को देख कर सुधा समझते देर नहीं लगी कि उसकी बेटी अब पूरी तरह से जवान हो चुकी थी और अब उसकी शादी भी करनी थी। सुधा की चिंताओं का घोड़ा काफी दूर तक अपनी गस्त लगाता कि तभी अचानक कुकर की सीटी की आवाज सुनकर सुधा की तंद्रा भंग हुई और लगभग भागते हुए किचन की तरफ आई ।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, क्रमश:,,,,,,,,,,,