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Adultery मकान मालकीन और ऊसका कीराएदार

rohnny4545

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कुकर की सीटी की आवाज सुनकर सुधा किचन की तरफ लगभग भागते हुए गई थोड़ी ही देर में रसोई का काम निपटा कर वह कुछ देर तक कुर्सी पर बैठ कर अपनी बेटी के फीस के बारे में सोचने लगी कि कैसे वह कॉलेज की फीस का इंतजाम कर पाएगी उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था अगर उसने किराएदार को भगाया ना होता तो उसका इंतजाम हो जाता लेकिन सुधा खुद अपने किराएदार को घर खाली कर के चले जाने के लिए बोल दी थी इसका भी एक कारण था सुधा की उम्र लगभग बैतालीस के करीब ही थी,, इस उम्र में भी उसमें अपने बदन के बनावट को बिगड़ने नहीं देते उसके बदन पर हल्की सी चर्बी ज्यादा थी जिसे ज्यादा तो बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता था। बैतालीस की उम्र होने के बावजूद भी सुधा गजब की लगती थी, गोरी चिट्टी और अच्छी खासी लंबाई की वजह से उसके बदन की बनावट बेहद खूबसूरत और मादक लगती थी। उसकी एक ही संतान होने के वजह से उसके बदन की बनावट बिगड़ी नहीं थी। इस उम्र में भी वह अपनी ही बेटी की बड़ी बहन लगती थी जिस बात का रितु को भी गर्व होता था।
वह अपने किराएदार के बारे में सोच रही थी वैसे तो वह अच्छा ही था उसने कोई भी बुरी लत नहीं थी अपने समय पर काम पर जाता था और अपने समय पर घर वापस आ जाता था उसकी बीवी काफी समय से बीमार होने की वजह से बिस्तर पर ही पड़ी रहती थी। ऐसे में उसकी शारीरिक जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी।
वैसे भी सुधा के किराएदार ने अपने संस्कार और भोलेपन की वजह से सुधा और रितु के मन में अपने प्रति इज्जत की भावना जागृत कर चुका था। हालांकि उसके किराएदार के मन में भी अब तक सुधा और रितु को लेकर कोई भी गलत भावना नहीं थी। सुधा का किराएदार ऊपर के कमरे में रहता था और उसे सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता था और सीढ़ियों के बगल में बाथरूम बना हुआ था और एक रोज सुधा बाथरूम में नहा रही थी जो कि गलती से दरवाजे की कड़ी लगाना भूल गई थी और उसी समय उसका किराएदार सीढ़ियों पर चढ़ते हुए बाथरूम में नहा रही सुधाकर उसकी नजर पड़ जाने की वजह से वह एकटक सुधा की खूबसूरत बदन को कामुक नजरों से देखने लगा और देखता भी कि नहीं आखिरकार सुधा भी तो अपनी आदत के अनुसार अपने बदन से सारे कपड़ों को उतारकर संपूर्ण नग्नावस्था में स्नान कर रही थी। सुधा का गोरा बदन पानी में भीग कर बेहद खूबसूरत हो चुका था जिसे देख कर उसका किराएदार पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह सीढ़ीयो पर चढ़ना भूल गया और सुधा के खूबसूरत नंगे बदन का रसपान अपनी आंखों से करने लगा नहाने में मसगुल सुधा को क्या पता था कि उसके नंगे बदन को उसका किराएदार ऊसको कामुक नजरों से घूर रहा है। वह तो मस्त होकर सब कुछ भूल कर अपनी ही मस्ती में अपनी बड़ी-बड़ी चुचियों को मसल मसल कर साबुन लगा रही थी और यही हरकत उसके किराएदार के मन मे कामभावना पैदा कर रही थी।



सुधा कि यह औपचारिक हरकत उसके किराएदार के लिए काम भावना प्रदीप्त करने का काम कर रही थी। पल भर में ही देखते देखते उसका किराएदार पूरी तरह से कामोत्जीत हो गया और मदहोश होकर बिना कुछ सोचे समझे बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा और सीधे जाकर बाथरूम के दरवाजे के करीब खड़ा हो गया।
बाथरूम के दरवाजे पर इस तरह से अपने किराएदार को खड़ा हुआ देखकर सुधा पूरी तरह से घबरा गई उसे अपनी गलती का एहसास हो गया और वह रस्सी पर कड़ी चावल को एक झटके से खींच कर अपने बदन पर लपेट कर अपने नंगे बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी,,,, लेकिन सुधा की भरपूर जवानी बाढ़ के पानी की तरह की जौकी छोटे-मोटे मेड से रुकने वाली नहीं थी। इसलिए वह अपने बदन को संपूर्ण रूप से टावल की ओट में छुपा नहीं पा रही थी। कमर के नीचे जांघों के बीच की बेशकीमती खजाने को छुपाने की कोशिश करती तो भरपूर छातियां उजागर हो जाती थी और छातीयों को छुपाने की कोशिश करती तो बेशकीमती खजाना प्रदर्शित हो जाने का डर बना हुआ था। सुधा की हालत और उसकी शारीरिक भूगोल का नजारा उसके किराएदार के मन में काम भावना को संपूर्ण रूप से जागृत कर चुका था वह अपने आपे में नहीं था और काम भावना के नीहीत वह सुधा को जबरदस्ती अपनी बाहों में जकड़ ने का प्रयास करने लगा सुधा जो कि शर्म के मारे संकुचा रही थी इस तरह से अपनी इज्जत मान सम्मान पर खतरा आया देख कर एकाएक वह अपने किराएदार के गाल पर तमाचा जड़ दी इस एक तमाचे में उसके किराएदार का नशा काफूर हो गया और उसे अपनी गलती का एहसास हो गया वह माफी मांगने लगा लेकिन सुधा जो की जमाने की नजरों को अच्छी तरह से समझ चुकी थी और अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बेटी भी जवान हो चुकी है और इस तरह से ऐसे किराएदार का घर में रहना उन दोनों के लिए सही नहीं है इसलिए वह तुरंत ही उसे घर खाली कर देने के लिए बोल दी।
सुधा कुर्सी पर बैठे बैठे यही सब सोच रही थी काफी समय हो चुका था उसे नहाने भी जाना था इसलिए वह बेमन से कुर्सी पर से उठी और बाथरूम की तरफ जाने लगी,, कॉलेज की फीस की चिंता उसे सताए जा रही थी। ऐसी हालात में उसकी मदद उसकी सहेली शीला ही कर सकती थी। और वह उसके पास जाने का मन बना ली।
लेकिन उसे नहाना था ईसलिए बाथरूम में,,
घुस गई और बाथरूम में जाते ही उसने दरवाजे की कड़ी लगा दी। जब से उसके किराएदार वाला हादसा हुआ था तब से वह दरवाजे की कड़ी लगाना बिल्कुल भी बोलती नहीं थी और वह आदत के अनुसार ही अपने बदन पर से कपड़े हटाने लगी।
 
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rohnny4545

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धीरे-धीरे करके सुधा का बदन वस्त्र विहीन होने लगा वह अपने हाथों से अपनी साड़ी के पल्लू को कंधों से गिरा कर कमर में बंधी अपनी साड़ी को खोलने लगी,, और वहं अपनी साड़ी को वही नीचे रखदी,,, उसके खूबसूरत बदन पर से साड़ी के हटते ही उसकी बड़ी बड़ी गोलाकार चूचियां ब्लाउज के ऊपर से ही उभरी हुई नजर आने लगी जिसे देख कर अंदाजा लगाया जा सकता था कि सुधा की चूचियां बेहद शानदार और जानदार है। सुधा अपने हाथों से अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी जो की बड़ी मुश्किल से बंद की गई थी क्योंकि सुधा की चुचियों का आकार कुछ ज्यादा ही था जो कि उसकी ब्लाउज में ठीक से समा नहीं पाते थे, और इसी वजह से दोनों चुचियों के आपस में रगड़ खाने की वजह से बीच की लकीर कुछ ज्यादा ही लंबी और गहरी नजर आती थी जिस पर किसी का भी नजर पड़ने पर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ जाती थी। अगले ही पल सुधा एक एक करके अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी और उसे अपने वहां से निकाल कर उसे भी लेकर जमीन पर रख दी थी लाल रंग की ब्रा के अंदर सुधा की बड़ी-बड़ी चूचियां बिल्कुल भी छुप नहीं पा रही थी। आधी से ज्यादा चूचियां ब्रा के बाहर नजर आती थी। सुधा अपने हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर अपने पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी,,, और देखते ही देखते उसके कदमों में गिर गई अब उसके बदन पर मात्र ब्रा और पेंटी की बची थी जोंकि इस समय उसके गोरे बदन को और भी ज्यादा खूबसूरत बना रही थी। सुधा को अपनी सहेली सीला से मिलने की कुछ ज्यादा ही ऊतावल थी, इसलिए जल्दी से अपनी पैंटी को उतारने के लिए वह अपनी उंगलियों में अपनी पेंटि के दोनों छोर को फंसाई ही थी कि उसकी नजर पेंटी के
उस फटे हुए हिस्से पर गई जहां से उसकी बुर के घुंघराले बाल नजर आ रहे थे। सुधा कुछ सेकंड का कुछ हिस्से को पकड़ कर उसे देखती रही और मन ही मन दुखी हो रही थी क्योंकि बहुत दिनों से वह अपने लिए नई पेंटी खरीदना चाहती थी लेकिन खरीद नहीं पा रही थी। इसलिए इस तरह की फटी पेंटी पहनना उसके लिए मजबूरी बन चुकी थी। दुखी मन से वहां अपनी पैंटी को उतारने लगी और अगले ही पल वह अपनी मोटी चीकनी जांघों से होती हुई अपनी पेंटी को अपने पैरों से बाहर निकाल दी,,, बदन से पेंटीके दूर होते ही उसका खूबसूरत बदन चमकने लगा,, ना चाहते हुए भी औपचारिकता वस सुधा का हाथ ऊसकी जांघों के बीच पहुंच गया, और सुधा अपनी नाजुक उंगलियों से अपने झांटो की झुरमुटो को सहलाने लगी,,, जो कि इस समय काफी बड़े हो चुके थे,,, सुधा के बड़े हो चुके घुंघराले झांटो की वजह से सुधा की खूबसूरत बुर की खूबसूरती और भी ज्यादा शोभायमान हो जा रही थी।
झाटों की झुरमुटों के बीच की पतली दरार बेशक इस समय बिल्कुल भी नजर नहीं आ रही थी। देखते ही देखते सुधा ठंडी आह भरते हुए अपनी हथेली का दबाव अपनी बुर पर बढ़ा दी जिसकी वजह से उसके मुख से हल्की सेी आह निकल गई,,, और सुधा तुरंत उस संवेदनशील जगह से अपने हाथ को हटा ली। वह अपनी शारीरिक जरूरत को अपनी कमजोरी नहीं बनाना चाहती थी। इसलिए वहां जल्दी जल्दी अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाकर अपनी ब्रा के हुक को खोल दी,,
सुधा इस तरह से नंगी होकर नहा रही थी ।



सुधा नहा कर तैयार हो चुकी थी और नाश्ता करके अपनी सहेली शीला के घर चल दी।
 
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:congrats:for new story
1st update me sudha ke ghar ki situation Batai he . sath me jawaani ki dehlij pe aayi beti ki jarurate aur uaje shadi ki chinta, ghar chalane ke liye paise in mushkilo se ghiri sudha ke liye Makan ke kiraya he ab ek Matr sahara dikh raha he
 

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