- 12,955
- 33,646
- 259
कुकर की सीटी की आवाज सुनकर सुधा किचन की तरफ लगभग भागते हुए गई थोड़ी ही देर में रसोई का काम निपटा कर वह कुछ देर तक कुर्सी पर बैठ कर अपनी बेटी के फीस के बारे में सोचने लगी कि कैसे वह कॉलेज की फीस का इंतजाम कर पाएगी उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था अगर उसने किराएदार को भगाया ना होता तो उसका इंतजाम हो जाता लेकिन सुधा खुद अपने किराएदार को घर खाली कर के चले जाने के लिए बोल दी थी इसका भी एक कारण था सुधा की उम्र लगभग बैतालीस के करीब ही थी,, इस उम्र में भी उसमें अपने बदन के बनावट को बिगड़ने नहीं देते उसके बदन पर हल्की सी चर्बी ज्यादा थी जिसे ज्यादा तो बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता था। बैतालीस की उम्र होने के बावजूद भी सुधा गजब की लगती थी, गोरी चिट्टी और अच्छी खासी लंबाई की वजह से उसके बदन की बनावट बेहद खूबसूरत और मादक लगती थी। उसकी एक ही संतान होने के वजह से उसके बदन की बनावट बिगड़ी नहीं थी। इस उम्र में भी वह अपनी ही बेटी की बड़ी बहन लगती थी जिस बात का रितु को भी गर्व होता था।
वह अपने किराएदार के बारे में सोच रही थी वैसे तो वह अच्छा ही था उसने कोई भी बुरी लत नहीं थी अपने समय पर काम पर जाता था और अपने समय पर घर वापस आ जाता था उसकी बीवी काफी समय से बीमार होने की वजह से बिस्तर पर ही पड़ी रहती थी। ऐसे में उसकी शारीरिक जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी।
वैसे भी सुधा के किराएदार ने अपने संस्कार और भोलेपन की वजह से सुधा और रितु के मन में अपने प्रति इज्जत की भावना जागृत कर चुका था। हालांकि उसके किराएदार के मन में भी अब तक सुधा और रितु को लेकर कोई भी गलत भावना नहीं थी। सुधा का किराएदार ऊपर के कमरे में रहता था और उसे सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता था और सीढ़ियों के बगल में बाथरूम बना हुआ था और एक रोज सुधा बाथरूम में नहा रही थी जो कि गलती से दरवाजे की कड़ी लगाना भूल गई थी और उसी समय उसका किराएदार सीढ़ियों पर चढ़ते हुए बाथरूम में नहा रही सुधाकर उसकी नजर पड़ जाने की वजह से वह एकटक सुधा की खूबसूरत बदन को कामुक नजरों से देखने लगा और देखता भी कि नहीं आखिरकार सुधा भी तो अपनी आदत के अनुसार अपने बदन से सारे कपड़ों को उतारकर संपूर्ण नग्नावस्था में स्नान कर रही थी। सुधा का गोरा बदन पानी में भीग कर बेहद खूबसूरत हो चुका था जिसे देख कर उसका किराएदार पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह सीढ़ीयो पर चढ़ना भूल गया और सुधा के खूबसूरत नंगे बदन का रसपान अपनी आंखों से करने लगा नहाने में मसगुल सुधा को क्या पता था कि उसके नंगे बदन को उसका किराएदार ऊसको कामुक नजरों से घूर रहा है। वह तो मस्त होकर सब कुछ भूल कर अपनी ही मस्ती में अपनी बड़ी-बड़ी चुचियों को मसल मसल कर साबुन लगा रही थी और यही हरकत उसके किराएदार के मन मे कामभावना पैदा कर रही थी।
सुधा कि यह औपचारिक हरकत उसके किराएदार के लिए काम भावना प्रदीप्त करने का काम कर रही थी। पल भर में ही देखते देखते उसका किराएदार पूरी तरह से कामोत्जीत हो गया और मदहोश होकर बिना कुछ सोचे समझे बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा और सीधे जाकर बाथरूम के दरवाजे के करीब खड़ा हो गया।
बाथरूम के दरवाजे पर इस तरह से अपने किराएदार को खड़ा हुआ देखकर सुधा पूरी तरह से घबरा गई उसे अपनी गलती का एहसास हो गया और वह रस्सी पर कड़ी चावल को एक झटके से खींच कर अपने बदन पर लपेट कर अपने नंगे बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी,,,, लेकिन सुधा की भरपूर जवानी बाढ़ के पानी की तरह की जौकी छोटे-मोटे मेड से रुकने वाली नहीं थी। इसलिए वह अपने बदन को संपूर्ण रूप से टावल की ओट में छुपा नहीं पा रही थी। कमर के नीचे जांघों के बीच की बेशकीमती खजाने को छुपाने की कोशिश करती तो भरपूर छातियां उजागर हो जाती थी और छातीयों को छुपाने की कोशिश करती तो बेशकीमती खजाना प्रदर्शित हो जाने का डर बना हुआ था। सुधा की हालत और उसकी शारीरिक भूगोल का नजारा उसके किराएदार के मन में काम भावना को संपूर्ण रूप से जागृत कर चुका था वह अपने आपे में नहीं था और काम भावना के नीहीत वह सुधा को जबरदस्ती अपनी बाहों में जकड़ ने का प्रयास करने लगा सुधा जो कि शर्म के मारे संकुचा रही थी इस तरह से अपनी इज्जत मान सम्मान पर खतरा आया देख कर एकाएक वह अपने किराएदार के गाल पर तमाचा जड़ दी इस एक तमाचे में उसके किराएदार का नशा काफूर हो गया और उसे अपनी गलती का एहसास हो गया वह माफी मांगने लगा लेकिन सुधा जो की जमाने की नजरों को अच्छी तरह से समझ चुकी थी और अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बेटी भी जवान हो चुकी है और इस तरह से ऐसे किराएदार का घर में रहना उन दोनों के लिए सही नहीं है इसलिए वह तुरंत ही उसे घर खाली कर देने के लिए बोल दी।
सुधा कुर्सी पर बैठे बैठे यही सब सोच रही थी काफी समय हो चुका था उसे नहाने भी जाना था इसलिए वह बेमन से कुर्सी पर से उठी और बाथरूम की तरफ जाने लगी,, कॉलेज की फीस की चिंता उसे सताए जा रही थी। ऐसी हालात में उसकी मदद उसकी सहेली शीला ही कर सकती थी। और वह उसके पास जाने का मन बना ली।
लेकिन उसे नहाना था ईसलिए बाथरूम में,,
घुस गई और बाथरूम में जाते ही उसने दरवाजे की कड़ी लगा दी। जब से उसके किराएदार वाला हादसा हुआ था तब से वह दरवाजे की कड़ी लगाना बिल्कुल भी बोलती नहीं थी और वह आदत के अनुसार ही अपने बदन पर से कपड़े हटाने लगी।
वह अपने किराएदार के बारे में सोच रही थी वैसे तो वह अच्छा ही था उसने कोई भी बुरी लत नहीं थी अपने समय पर काम पर जाता था और अपने समय पर घर वापस आ जाता था उसकी बीवी काफी समय से बीमार होने की वजह से बिस्तर पर ही पड़ी रहती थी। ऐसे में उसकी शारीरिक जरूरत पूरी नहीं हो पा रही थी।
वैसे भी सुधा के किराएदार ने अपने संस्कार और भोलेपन की वजह से सुधा और रितु के मन में अपने प्रति इज्जत की भावना जागृत कर चुका था। हालांकि उसके किराएदार के मन में भी अब तक सुधा और रितु को लेकर कोई भी गलत भावना नहीं थी। सुधा का किराएदार ऊपर के कमरे में रहता था और उसे सीढ़ियों से होकर जाना पड़ता था और सीढ़ियों के बगल में बाथरूम बना हुआ था और एक रोज सुधा बाथरूम में नहा रही थी जो कि गलती से दरवाजे की कड़ी लगाना भूल गई थी और उसी समय उसका किराएदार सीढ़ियों पर चढ़ते हुए बाथरूम में नहा रही सुधाकर उसकी नजर पड़ जाने की वजह से वह एकटक सुधा की खूबसूरत बदन को कामुक नजरों से देखने लगा और देखता भी कि नहीं आखिरकार सुधा भी तो अपनी आदत के अनुसार अपने बदन से सारे कपड़ों को उतारकर संपूर्ण नग्नावस्था में स्नान कर रही थी। सुधा का गोरा बदन पानी में भीग कर बेहद खूबसूरत हो चुका था जिसे देख कर उसका किराएदार पूरी तरह से मदहोश हो चुका था वह सीढ़ीयो पर चढ़ना भूल गया और सुधा के खूबसूरत नंगे बदन का रसपान अपनी आंखों से करने लगा नहाने में मसगुल सुधा को क्या पता था कि उसके नंगे बदन को उसका किराएदार ऊसको कामुक नजरों से घूर रहा है। वह तो मस्त होकर सब कुछ भूल कर अपनी ही मस्ती में अपनी बड़ी-बड़ी चुचियों को मसल मसल कर साबुन लगा रही थी और यही हरकत उसके किराएदार के मन मे कामभावना पैदा कर रही थी।
सुधा कि यह औपचारिक हरकत उसके किराएदार के लिए काम भावना प्रदीप्त करने का काम कर रही थी। पल भर में ही देखते देखते उसका किराएदार पूरी तरह से कामोत्जीत हो गया और मदहोश होकर बिना कुछ सोचे समझे बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा और सीधे जाकर बाथरूम के दरवाजे के करीब खड़ा हो गया।
बाथरूम के दरवाजे पर इस तरह से अपने किराएदार को खड़ा हुआ देखकर सुधा पूरी तरह से घबरा गई उसे अपनी गलती का एहसास हो गया और वह रस्सी पर कड़ी चावल को एक झटके से खींच कर अपने बदन पर लपेट कर अपने नंगे बदन को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी,,,, लेकिन सुधा की भरपूर जवानी बाढ़ के पानी की तरह की जौकी छोटे-मोटे मेड से रुकने वाली नहीं थी। इसलिए वह अपने बदन को संपूर्ण रूप से टावल की ओट में छुपा नहीं पा रही थी। कमर के नीचे जांघों के बीच की बेशकीमती खजाने को छुपाने की कोशिश करती तो भरपूर छातियां उजागर हो जाती थी और छातीयों को छुपाने की कोशिश करती तो बेशकीमती खजाना प्रदर्शित हो जाने का डर बना हुआ था। सुधा की हालत और उसकी शारीरिक भूगोल का नजारा उसके किराएदार के मन में काम भावना को संपूर्ण रूप से जागृत कर चुका था वह अपने आपे में नहीं था और काम भावना के नीहीत वह सुधा को जबरदस्ती अपनी बाहों में जकड़ ने का प्रयास करने लगा सुधा जो कि शर्म के मारे संकुचा रही थी इस तरह से अपनी इज्जत मान सम्मान पर खतरा आया देख कर एकाएक वह अपने किराएदार के गाल पर तमाचा जड़ दी इस एक तमाचे में उसके किराएदार का नशा काफूर हो गया और उसे अपनी गलती का एहसास हो गया वह माफी मांगने लगा लेकिन सुधा जो की जमाने की नजरों को अच्छी तरह से समझ चुकी थी और अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बेटी भी जवान हो चुकी है और इस तरह से ऐसे किराएदार का घर में रहना उन दोनों के लिए सही नहीं है इसलिए वह तुरंत ही उसे घर खाली कर देने के लिए बोल दी।
सुधा कुर्सी पर बैठे बैठे यही सब सोच रही थी काफी समय हो चुका था उसे नहाने भी जाना था इसलिए वह बेमन से कुर्सी पर से उठी और बाथरूम की तरफ जाने लगी,, कॉलेज की फीस की चिंता उसे सताए जा रही थी। ऐसी हालात में उसकी मदद उसकी सहेली शीला ही कर सकती थी। और वह उसके पास जाने का मन बना ली।
लेकिन उसे नहाना था ईसलिए बाथरूम में,,
घुस गई और बाथरूम में जाते ही उसने दरवाजे की कड़ी लगा दी। जब से उसके किराएदार वाला हादसा हुआ था तब से वह दरवाजे की कड़ी लगाना बिल्कुल भी बोलती नहीं थी और वह आदत के अनुसार ही अपने बदन पर से कपड़े हटाने लगी।
Last edited: