Mast updateसब कुछ सही चलने लगा था,,,, संजू सही समय पर कोचिंग क्लास पहुंच जाता था,,, धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा था,,,,, मनीषा को लगता नहीं था कि संजू अच्छी तरह से पढ़ आ पाएगा लेकिन वह जिस तरह से पढ़ाना शुरू किया था उसे देखते हुए 5 स्टूडेंट से कोचिंग क्लास शुरू हुई थी देखते ही देखते 55 विद्यार्थी हो चुके थे,,,, संजू की मेहनत और लगन देखकर मनीषा बहुत प्रभावित हो रही थी,,,, लेकिन दूसरी तरफ संजू के घर में अब सामान्य कुछ भी नहीं था संजू अपनी बहन के साथ रोज रात को अपनी रात रंगीन कर रहा था,,, मोहिनी के बदन में भी जवानी पूरी तरह से छा चुकी थी उसके अंगों में उभार कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगा था,,,,, मोहिनी अपने भाई से चुदवाए बिना बिल्कुल भी नहीं रहती थी,,, एक तरह से मोहिनी को अपने भाई के लंड का नशा हो चुका था जब तक उसकी मोटाई की रगड़ को वह अपनी चूत की अंदरूनी दीवारों पर महसूस नहीं करती थी तब तक उसे चैन नहीं मिलता था,,,, और यही हाल आराधना का हो चुका था हालांकि वह अभी तक इस सुख को प्राप्त नहीं कर पाई थी लेकिन जिस दिन से वह रात के समय अपनी बड़ी बहन को अपने बेटे के साथ चुदवाते देखी थी तब से उसके बदन में रह रहे कर ना जाने क्यों गलत भावनाएं उमड़ने लगी थी,,,, अपने बेटे के मजबूत जांघों की रगड़ अपनी बहन की मोटी जांघों पर वह अच्छी तरह से अपनी आंखों से देख पाई थी उसका जबरदस्त कमर हिला कर प्रहार करना सब कुछ आराधना के लिए अद्भुत,,, था,,,,,, अपनी बड़ी बहन की चुदाई देखकर वह पूरी तरह से बह चुकी थी और जिंदगी में पहली बार वह अपनी आंखों से किसी औरत को चुदवाते हुए देख रही थी और वह औरत को ही नहीं बल्कि उसकी बड़ी दीदी थी और उसको चोदने वाला कोई गैर मर्द नहीं उसका ही बेटा था,,,, आराधना अभी भी नहीं समझ पा रही थी कि आखिरकार वह इस रिश्ते को क्या नाम दें,,,,, मौसी और भतीजे में इस तरह के संबंध को वह पहली बार देख रही थी,,,,,।
एक तरफ उसे अपनी बड़ी दीदी और अपने बेटे की मेघनाथ हरकत की वजह से शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था वहीं दूसरी तरफ वह ना जाने क्यों अपने बेटे की दमदार मर्दाना ताकत की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी,,,, बार-बार आराधना की आंखों के सामने अपनी बेटी का जोर जोर से कमर हिलाना और अपनी बड़ी बहन की हर धक्के के साथ गर्म सिसकारी के साथ आनंद की अनुभूति करना यह सब याद आ रहा था,,,, आराधना इस बात को भी अपने मन में सोच कर हैरान हो रही थी कि,,,, क्या उसके बेटे का लंड उसकी बहन की चूत की गहराई तक मतलब कि उसके बच्चेदानी तक पहुंच रहा होगा अपने इस सवाल का जवाब वह खुद से ही देते हुए अपने मन को दिलासा देते हुए समझाती थी कि जरूर पहुंच रहा होगा आखिरकार उसके बेटे का लंड जरूर से कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा है और जिस तरह से उसकी बहन लंबी-लंबी सिसकारियां ले रही थी उसे जरूर बहुत मजा आता होगा,,,, आराधना अपने मन में यह बात सोच कर हैरान हो रही थी कि जब उसका बेटा एक उम्र दराज औरत को संतुष्टि का अहसास करा सकता है तो लड़कियों की तो हालत खराब कर देता होगा और कितनी देर तक करता है,,, इतनी देर तक की तो उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी अपने पति के साथ संभोग करते हुए 1 मिनट या 2 मिनट तो बहुत हो गया इतने में तो उसका पति ढेर हो जाता था तो उसे सुख और संतुष्टि कहां से प्रदान कर पाता इसलिए अपने बेटे की जबरदस्त चुदाई को देखकर आराधना सोचने पर मजबूर हो गई थी और अपनी बहन को इस कामलीला में शामिल देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि परिवारिक रिश्तो में इस तरह के रिश्ते क्या सच में पनपते हैं या सिर्फ उसके ही घर पर इस कामलीला का पाप लीला चल रहा है,,,, लेकिन जाते-जाते उसकी बड़ी दीदी ने जो उससे बात कही थी उसे याद करके वह भी सोचने पर मजबूर हो जाती थी कि सच में औरतों को अपने लिए भी जीना चाहिए अपनी जरूरतों का अपने सुख का ख्याल रखना चाहिए तो क्या अपनी जरूरत किसी गैर मर्द से जिस्मानी ताल्लुकात बनाना या उनसे संभोग करके पूरी तरह से तृप्त हो जाना है अगर अपनी बहन का उदाहरण देखे तो हां जो कुछ भी उसकी बहन कह रही थी वास्तविक जीवन में औरतों को अपना लेना चाहिए,,, तभी एक औरत का जीवन सफल कहलाता है और वैसे भी वह अपनी बहन की जिंदगी में कभी भी कोई परेशानी नहीं देखी थी वह अपनी मर्जी की मालकिन थी और अपने सुख के खातिर जीबी रही थी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा भी कर रही थी इसलिए ना जाने क्यों आराधना को अपनी बड़ी दीदी के जीवन से कुछ सीख लेने की भावना जाग रही थी,,, लेकिन फिर भी वह अपनी बड़ी बहन की तरह हरकत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी उसके आगे संस्कार और शर्म की दीवार खड़ी नजर आती थी,,, जो कि उस दीवार को लांघना शायद आराधना के बस में बिल्कुल भी नहीं था,,,,, फिर भी जब कभी भी वह उस रात वाले दृश्य को याद करती थी तब तक उसकी निप्पल तन कर खड़ी हो जाती थी बार-बार अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव करने लगती थी,,,,
महीना गुजर चुका था लेकिन अशोक घर पर नहीं आया था धीरे-धीरे आराधना भी अशोक की चिंता करना छोड़ दी थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह सुधरने वाला नहीं है और एक बार फिर सेवह अपने पिछले जीवन में झांकना या जाना बिल्कुल भी नहीं चाहती थी वह जिस तरह से जीना शुरू की थी उसमें एक तरह से उसे आनंद आ रहा था क्योंकि रात को वह चैन की नींद सोती तो थी,,,, लेकिन एक दिक्कत हो रही थी रात को जरूर और चैन की नींद सोती थी लेकिन बिस्तर पर सारी रात भर करवटें बदलती रहती थी उसे भी ना जाने क्यों एक मर्द की जरूरत पड़ने लगी थी लेकिन फिर भी वह किसी तरह से अपने आप को संभाले हुई थी,,,,।
संजू कोचिंग क्लास 4:00 बजे घर से निकल जाया करता था और 5:00 बजे के बाद उसकी मां आती थी इसलिए संजू पैदल या तो रिक्शा करके कोचिंग क्लास बहुत जाता था,,,, उसे भी कोचिंग क्लास में आनंद आने लगा था रोज नए नए चेहरे और उन्हें पढ़ाने की धुन में वह सब कुछ भूल जाता था एक तरह से वह मनीषा का मन ही मन बहुत ज्यादा शुक्रिया अदा करता था जो उसे कोचिंग क्लास में सहभागी बनाकर उसके जीवन को सुधारने में लगी थी,,, ऐसे ही एक दिन कोचिंग क्लास जाने से पहले गर्मी के कारण संजू बाथरूम में घुस गया और बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया बाहर के दरवाजे पर भी चिटकिनी नहीं लगाया क्योंकि वह जानता था कि इस समय कोई आने वाला नहीं है और किसी के आने से पहले ही वह घर से चला जाता था,,,,,
इसलिए बाथरूम में घुसते ही निश्चित होकर अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया,,,, संजू का गठीला बदन औरतों के लिए आकर्षण का कारण बना रहता था,,,, कपड़े उतार कर नंगा होने के बाद औपचारिक रूप से उसके लंड में सनसनाहट हो रही थी और वह अपने आप ही एकदम से खड़ा हो गया था,,, अपनी मौसी और अपनी बहन की चुदाई करने की वजह से अब उसे मुठ मारने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं पड़ती थी अगर मोहिनी उसका साथ ना देती तो शायद अपनी मौसी की याद में वह रोज हिला कर अपना काम चला लेता क्योंकि मौसी उसे रोज नहीं मिलती थी लेकिन मोहिनी रोज रात को उसे खुश कर देती थी इसलिए अपने खड़े लंड पर वह बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था और अपने बदन पर साबुन लगाने लगा था,,,,,।
दूसरी तरफ ऑफिस से जल्दी छुट्टी होने की वजह से आज आराधना जल्दी ही घर पर लौट आई थी बाहर स्कूटी खड़ी करके दरवाजे की तरफ देखी तो दरवाजा खुला हुआ था वह समझ गई कि संजू घर पर आ चुका है इसलिए धीरे से दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश की उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए अपने पर्स को एक तरफ रख कर वह बाथरूम की तरफ आगे कदम बढ़ाई,,,, तो देखी बाथरूम का दरवाजा हल्का खुला हुआ है,,,, उसे लगा कि बाथरूम में कोई नहीं है क्योंकि अगर बाथरूम में कोई होता तो बाथरूम का दरवाजा बंद होता है इसलिए वह निश्चिंत होकर दरवाजा को पकड़ कर खोल दी और जैसे ही दरवाजा खोल ही उसकी आंखों के सामने जो दृश्य नजर आया उसे देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसकी नजर सीधे अपने बेटे के खड़े लंड पर गई जो कि छत की तरफ मुंह उठाकर खड़ा था आज पहली बार आराधना अपने बेटे के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,, पल भर के लिए उसकी आंखें अपने बेटे के लंड पर जमी की जमी रह गई,,,, पहले तो संजू दरवाजा एकाएक खुलने पर एकदम से हड़बड़ा गया था लेकिन जब देखा कि बाहर उसकी मां खड़ी है तब वह एकदम बेशर्मी पर उतर आए और अपने बदन को बिल्कुल भी ढकने की कोशिश नहीं किया क्योंकि वह ताड़ लिया था कि उसकी मां उसके लंड को ही देख रही है,,,, और वह जानबूझकर अपनी मां को अपने लंड दिखाने लगा,,,,,।
खूबसूरत जवान औरत के लिए एक जवान लड़के का मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड हमेशा से उसकी कमजोरी और आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा है और उससे आराधना बिल्कुल भी अछूता नहीं थी इसलिए अपने बेटे के दमदार लंड को अपनी आंखों से देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह अपनी नजरों को हटा नहीं पा रही थी एक अजीब सा आकर्षण उसकी नजरों को लंड के आकर्षण में बांध कर रख दिया था,,,, तकरीबन आराधना ने इस दृश्य को केवल 15 सेकंड तक ही देखी थी लेकिन इन 15 सेकंड में हुआ है कि नहीं जिंदगी को जी चुकी थी पल भर में ही अपनी आंखों से वह तार चुकी थी कि उसके बेटे के लंड की मोटाई और लंबाई बेहद दमदार है पहले ही वह अपने बेटे के लंड की दमदार ताकत को अपनी बड़ी बहन की मदमस्त जवानी पर देख चुकी थी इसलिए उसे अपने बेटे की मर्दाना ताकत पर बिल्कुल भी साथ नहीं था,,,, लंड के इर्द-गिर्द झांठ के बाल साबुन का झाग लगा हुआ था जिससे उसका लंड और भी ज्यादा मनमोहक लग रहा था,,,, उत्तेजना के मारे आराधना का गला सूख चुका था और वह अपने सूखे हुए गले को ठीक से गिला करने की कोशिश करते हुए अपनी नजरों को ऊपर की तरफ ले गई तो उसकी चौड़ी छाती को देखकर आराधना की चूत से मदन रस की बूंद टपक गई,,,,, वह पहली बार अपने बेटे को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख रहे थे और पहली बार देखने के बाद उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसका बेटा मर्दाना ताकत से भरा हुआ एक जवान लड़का था जिसकी बाहों में आने के लिए औरत शायद इसीलिए मचल उठती होगी और यही हाल उसकी बड़ी दीदी का भी होगा,,,,,। अपनी मां की अपने लंड पर चिपकी हुई नजरों को देखकर संजू बहुत खुश हो रहा था और अपनी मां की आंखों के सामने बेशर्मी का उदाहरण देते हुए वह अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा उसे देखकर आराधना की दोनों टांगों के बीच बवंडर से उठने लगा था और तुरंत उसे होश आया कि वह क्या कर रही है और तुरंत अपने बेटे को सॉरी बोल कर वापस दरवाजा बंद करके अपने कमरे में चली गई,,,,।
संजू का काम बन चुका था वह समझ गया था कि उसकी मां भी उसके लंड की दीवानी हो गई है,,,, क्योंकि जिस तरह से वह प्यासी नजरों से देख रही थी संजू को लगने लगा था कि उसकी मां भी प्यासी है,,, और औरत के ऐसी प्यासे पन का फायदा उठाना हर एक मर्द जानता था और संजू को भी मालूम था कि उसे क्या करना है कब करना है बस वह सही मौके के इंतजार में था,,,,, मुठ मारने का उसका बिल्कुल भी विचार नहीं था लेकिन अपनी मां को इस तरह से अपना लंड देखता हुआ पागल अपने आप ही उसका दिमाग घूमने लगा था उसके मन में कल्पनाओं का तूफान उम्र रहा था और संजू उन कल्पनाओं के जंगल में अपने सपनों की राजकुमारी को ढूंढ रहा था जो कि पहले से ही बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी एकदम नग्न अवस्था में संजू अपनी कल्पनाओं के घोड़े पर सवार होकर बिस्तर के करीब गया और घोड़े पर से कूद कर सीधे बिस्तर पर पहुंच गया अपनी मां के दोनों टांगों के बीच और बिना कुछ बोले ही अपने मोटे लंड को अपनी मां के गुलाबी छेद में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया इस तरह की कल्पना करके संजू पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था और थोड़ी ही देर में पानी का फव्वारा निकला और सामने की दीवार को गीला कर दिया थोड़ी देर में शांत होने के बाद वह दीवार पर गिरे अपने लावे को पानी डालकर साफ करने लगा और फिर रावल पहन कर बाथरूम के बाहर आ गया,,,, थोड़ी ही देर में संजू तैयार हो चुका था लेकिन दूसरी तरफ आराधना की हालत खराब हो चुकी थी वह अपने कमरे में बिस्तर पर बैठी हुई थी और अपने बेटे के बारे में सोच कर हैरान हो रही थी,,,,,,।
मम्मी मैं जा रहा हूं,,,,
(अपने बेटे की आवाज सुनकर वह एकदम से चौक गई अपने बेटे से बात करने में उसे शर्म आ रही थी मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी तो दोबारा संजू बोला)
क्या हुआ मम्मी सो गई क्या,,,?
नहीं थोड़ी थकान है तू जा,,,
ठीक है मम्मी मैं जा रहा हूं,,,,(और अपनी मां के कमरे की तरफ मुस्कुराता हुआ देखकर संजू घर से बाहर निकल गया लेकिन आज उसकी मां जल्दी आई थी इसलिए वापस कमरे में प्रवेश करता हुआ बोला,,,,)
मम्मी आज तुम जल्दी आ गई हो क्या मैं तुम्हारी स्कूटी ले जा सकता हूं,,,,।
(संजू आराधना के कमरे में पहुंच चुका था लेकिन आराधना को होश बिल्कुल भी नहीं था वह किसी ख्यालों में खोई हुई थी लेकिन अपने बेटे की बात सुनकर जैसे कोई उसे नींद से जगाया हो एकदम से हड़बड़ाहट में बिस्तर से उठ कर खड़ी हो गई और हडबड्ते हुए बोली,,,)
कककक क्या,,,?
अरे मम्मी कहां खोई हुई हो मैं पूछ रहा हूं कि मैं क्या तुम्हारी स्कूटी ले जा सकता हूं,,,
हां हां ठीक है ले जा,,,, चाबी देख दीवार पर टंगी होगी,,,।
(इतना सुनते ही संजू एक नजर अपनी मां के ऊपर डाला तो मुस्कुराने लगा वह समझ गया था कि उसके मोटे खडे लंड न६ उसका काम कर दिया है और वह चाबी लेकर घर से बाहर आ गया और उसको की चालू करके कोचिंग क्लास की तरफ चल दिया,,,, रात को भी आराधना अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी ,,, उससे बात करने में कतरा रही थी,,,,,,,, खाना खाने के बाद अपना सारा काम करके आराधना अपने कमरे में चली गई और संजु अपने कमरे में मोहिनी के साथ,,, शाम को अपनी मां को बेहद करीब से अपना लंड दिखाने की वजह से अभी तक उसके बदन में उत्तेजना का संचार हो रहा था इसलिए कमरे में जाते ही वह मोहिनी के कपड़ों को उतारकर उसे नंगी कर दिया और दूसरी तरफ आराधना का दिमाग काम करना बंद कर दिया था वह ना चाहते हुए भी बार-बार अपने बेटे के लंड के बारे में सोच रही थी,,,, और सोचते-सोचते उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला,,,,,।
तकरीबन रात को 2:00 बजे उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे कोई उसके कमरे में है और धीरे से उसके बिस्तर पर बैठ गया उसकी आंख नहीं खुल रही थी लेकिन उसे महसूस हो रहा था देखते ही देखते उसे समझ में आने लगा कि कमरे में उसका बेटा है और वह धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा है आराधना उसे अपना ब्लाउज का बटन खोलने से मना कर रही थी लेकिन वह मान नहीं रहा था देखते ही देखते संजू अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन को खोल कर उसकी नंगी चूची को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया था सोने से पहले आराधना अपनी ब्रा को उतार दी थी केवल ब्लाउज पहनी हुई थी अपनी मां की बड़ी-बड़ी चुचियों को दशहरी आम की तरह वह मुंह में लेकर पी रहा था उसकी मां उसे रोकने की बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन वह मान नहीं रहा था लेकिन संजू की इस हरकत की वजह से उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा और उसे मजा आने लगा,,,, देखते ही देखते आराधना की गरम सिसकारियां कमरे में घुसने लगी और संजू अपनी मां की चूची को पूरी तरह से निचोड़ डालना चाहता था बड़ी बड़ी चूची अपने हाथ में आया हुआ देखकर संजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी संजू पागलों की तरह अपनी मां की चूची को मुंह में लेकर पी रहा था और आराधना उसका सर पकड़ कर जोर जोर से अपनी छाती पर दबा रही थी,,,,, देखते ही देखते संजू का हाथ उसकी साड़ी की गिठान पर पहुंच गया और उसे खोलकर साड़ी को अलग करने लगा,,,,, उत्तेजना के मारे आराधना का गला सूख रहा था लेकिन आराधना अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से आनंदित हो चुकी थी देखते ही देखते समझो अपनी मां की साड़ी को पूरी तरह से उसके बदन से अलग कर दिया और उसकी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगा पेटिकोट की डोरी खुलते ही आराधना अपने आप ही अपनी गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा देता कि उसका बेटा बड़े आराम से उसकी पेटीकोट को उतार सकें संजू स्फूर्ति दिखाते हुए अपनी मां की पेटीकोट को पेंटी सहित पकड़कर उसे एक झटके से उतार दिया और देखते ही देखते संजू की मां बिस्तर पर पुरी तरह से नंगी हो गई,,,,, और अगले ही पल अपने बेटे की जीत को अपनी चूत पर महसूस करते ही वह एकदम से गनगना गई यह पल आराधना के लिए बेहद अद्भुत और अविस्मरणीय था आराधना इस पल में पूरी तरह से डूबती हुई अपने आपको महसूस करने लगी देखते ही देखते संजू ने अपनी जीभ से उसे पागल कर दिया,,,। देखते ही देखते आराधना पूरी तरह से मदहोश होने लगी और अपने आप ही अपने बेटे के लिए अपनी दोनों टांगों को खोल दी संजू अपने दोनों घुटनों के बल बैठकर अपनी मां की दोनों कमर तक अपना हाथ ले गया और उसे कस के पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसकी आदि गांड को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,,, और देखते ही देखते संजू अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की गुलाबी छेद पर रख कर एक करारा धक्का मारा और एक ही धक्के में संजू का लंड सारी अड़चनों को पार करता हुआ सीधा आराधना की बच्चेदानी से जा टकराया आराधना की चीख निकल गई और संजू ताबड़तोड़ धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया आराधना पूरी तरह से मस्त हो गई और देखते ही देखते गरम आहें भरते हुए उसका पानी निकल गया और जैसे ही उसकी आंख खुली उसके होश उड़ गए,,, उसके ऊपर संजू नहीं बल्कि वह बिस्तर पर अकेली ही थी पसीने से लथपथ वह सपना देख रही थी सपने में वह अपने बेटे के साथ संभोग रत थी अपनी छाती की तरफ नजर दौड़ाई तो ब्लाउज ज्यों का त्यों था,,, उसका एक भी बटन खुला नहीं था,,,, कमर के नीचे के हालात कुछ ठीक नहीं थे साड़ी कमर तक चढ़ी हुई थी साड़ी के नीचे उसने चड्डी नहीं पहनी थी उसकी चूत पर उसकी खुद की हथेली रखी हुई थी और उसकी चूत से मदन रस भल भला कर बह रहा था,,,, उसे समझते देर नहीं लगेगी सपने में उसे स्वप्नदोष हुआ है,,,, लेकिन आज तक ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ था इस तरह का एक बार और उसके साथ कॉलेज के दिन में हुआ था और तब से लेकर आज तक आज दूसरी बार नींद में उसका पानी निकल गया था वह हैरान थी अपनी हालत पर,,,, पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,, अभी भी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, वो बिस्तर पर से उठी और अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी सोने से पहले ही वह अपनी पेंटि निकाल चुकी थी और सपने में,,, उसे ऐसा ही नजर आ रहा था कि उसका बेटा खुद अपने हाथों से उसकी पेटीकोट के साथ-साथ उसकी पेंटी भी निकाल चुका था,,,, अपनी सांसो को दुरुस्त करने के बाद वह एक गिलास ठंडा पानी पी और अपने आप को शांत करने की कोशिश करने लगी बिस्तर पर बैठकर वो सपने के बारे में सोचने लगी कि इतना गंदा सपना उसे क्यों दिखाई दिया कहीं सपने में आने वाले दिनों का संकेत तो नहीं है कहीं ऐसा तो नहीं वह खुद अपने बेटे के साथ संभोग सुख प्राप्त करेगी अपनी बेटे के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाएगी,,, दुनिया समाज की परवाह किए बिना मां बेटे के बीच के पवित्र बंधन को तोड़ कर वहां अपने बेटे के साथ एक औरत और मर्द का रिश्ता कायम रखेगी,,,, यह सब सोचकर वह हैरान हो जा रही थी और अपने आप को ही झूठी सांत्वना देते हुए समझा रही थी कि नहीं ऐसा वह कभी नहीं करेगी अपने बेटे के साथ इस तरह का गलत संबंध वह कभी नहीं बनाएगी,,,।
बिस्तर पर बैठ कर वह घड़ी की तरफ देखी तो 3:30 का समय हो रहा था वह एकदम से हैरान हो गई थी,,, एक बार फिर से वह बिस्तर पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगी लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी,,, वो सपने के बारे में सोचने लगी और एहसास करने लगी कि सपना कितना हकीकत की तरह था ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी अभी उसका बेटा उसके कमरे में आकर उसकी चुदाई करके वापस चला गया है,,,, सपने में अपने बेटे की हरकत के बारे में सोचकर शर्म से उसके गाल लाल हो चुके थे सब कुछ हकीकत सा लग रहा था उसका कमरे में आना धीरे से बिस्तर पर बैठना और धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के बटन खोलना बटन खोलने के बाद उसकी चूचियों को जोर जोर से दबाना,,,, उसकी मजबूत बुझाओ और हथेलियों का दबाव अभी भी अपनी चुचियों पर साफ तौर पर महसूस कर पा रही थी सब कुछ हकीकत सा लग रहा था उसके रोकने के बावजूद भी उसके बेटे ने जिस तरह से जबरदस्ती दिखाते हुए चुचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू किया था उसके चलते नींद में भी उसके बदन में उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, और धीरे-धीरे साड़ी खोलना फिर पेटीकोट की डोरी खोलना औरत और उसका साथ देते हुए उसका खुद का अपनी गांड ऊपर की तरफ उठाकर पेटिकोट के साथ-साथ पेंटि उतरवाने में उसकी मदद करना,,,, और जिस तरह से अपने प्यासे होठों को उसकी चूत पर रख कर चाटना शुरू किया था उस पर तो आराधना पूरी तरह से गदगद हो गई थी,,,,, सपने में अपने बेटे की हरकत का बिल्कुल भी विरोध ना करना आराधना को और ज्यादा शर्मसार कर रहा था,,,, और देखते ही देखते जिस तरह से उसके बेटे ने अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा था और उसकी आधी गांड को अपनी जांघों पर रख दिया था उस पल को याद करके आराधना इस समय बेहद रोमांचित हो रही थी,,, और देखते ही देखते पहले ही प्रहार में अपने समूचे लंड को उसकी चूत में डालकर बच्चेदानी तक पहुंचा देना सब कुछ अद्भुत था,,, सपने के बारे में सोच कर एक बार फिर से आराधना की निप्पल तन गई थी सपना इतना हकीकत भी हो सकता है वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,, सपने में आकर उसके बेटे ने उसका पानी निकाल गया था,,,। इस बात का एहसास में वह पूरी तरह से डूब चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका मन क्या कह रहा है उसका दिल क्या चाहता है उसका दिमाग क्या करवाना चाहता है इस सपने को लेकर आराधना पूरी तरह से हैरान थी उसे लगने लगा था कि यह सपना भविष्य का संकेत है कहीं ना कहीं उसके मन में भी अपने बेटे के साथ चुदवाने की आस बंधती जा रही है,,,, इसीलिए वह अपने आप को और भी ज्यादा बेचैन महसूस कर रही थी बिस्तर पर करवट बदलते बदलते कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला,,,, सुबह जब आंख खुली तो मोहिनी उसे जगा रही थी काफी देर हो गई थी इसलिए झट से वह बिस्तर से उठ कर बैठ गई और अपने काम में लग गई,,,।
सब कुछ सही चलने लगा था,,,, संजू सही समय पर कोचिंग क्लास पहुंच जाता था,,, धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा था,,,,, मनीषा को लगता नहीं था कि संजू अच्छी तरह से पढ़ आ पाएगा लेकिन वह जिस तरह से पढ़ाना शुरू किया था उसे देखते हुए 5 स्टूडेंट से कोचिंग क्लास शुरू हुई थी देखते ही देखते 55 विद्यार्थी हो चुके थे,,,, संजू की मेहनत और लगन देखकर मनीषा बहुत प्रभावित हो रही थी,,,, लेकिन दूसरी तरफ संजू के घर में अब सामान्य कुछ भी नहीं था संजू अपनी बहन के साथ रोज रात को अपनी रात रंगीन कर रहा था,,, मोहिनी के बदन में भी जवानी पूरी तरह से छा चुकी थी उसके अंगों में उभार कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगा था,,,,, मोहिनी अपने भाई से चुदवाए बिना बिल्कुल भी नहीं रहती थी,,, एक तरह से मोहिनी को अपने भाई के लंड का नशा हो चुका था जब तक उसकी मोटाई की रगड़ को वह अपनी चूत की अंदरूनी दीवारों पर महसूस नहीं करती थी तब तक उसे चैन नहीं मिलता था,,,, और यही हाल आराधना का हो चुका था हालांकि वह अभी तक इस सुख को प्राप्त नहीं कर पाई थी लेकिन जिस दिन से वह रात के समय अपनी बड़ी बहन को अपने बेटे के साथ चुदवाते देखी थी तब से उसके बदन में रह रहे कर ना जाने क्यों गलत भावनाएं उमड़ने लगी थी,,,, अपने बेटे के मजबूत जांघों की रगड़ अपनी बहन की मोटी जांघों पर वह अच्छी तरह से अपनी आंखों से देख पाई थी उसका जबरदस्त कमर हिला कर प्रहार करना सब कुछ आराधना के लिए अद्भुत,,, था,,,,,, अपनी बड़ी बहन की चुदाई देखकर वह पूरी तरह से बह चुकी थी और जिंदगी में पहली बार वह अपनी आंखों से किसी औरत को चुदवाते हुए देख रही थी और वह औरत को ही नहीं बल्कि उसकी बड़ी दीदी थी और उसको चोदने वाला कोई गैर मर्द नहीं उसका ही बेटा था,,,, आराधना अभी भी नहीं समझ पा रही थी कि आखिरकार वह इस रिश्ते को क्या नाम दें,,,,, मौसी और भतीजे में इस तरह के संबंध को वह पहली बार देख रही थी,,,,,।
एक तरफ उसे अपनी बड़ी दीदी और अपने बेटे की मेघनाथ हरकत की वजह से शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था वहीं दूसरी तरफ वह ना जाने क्यों अपने बेटे की दमदार मर्दाना ताकत की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी,,,, बार-बार आराधना की आंखों के सामने अपनी बेटी का जोर जोर से कमर हिलाना और अपनी बड़ी बहन की हर धक्के के साथ गर्म सिसकारी के साथ आनंद की अनुभूति करना यह सब याद आ रहा था,,,, आराधना इस बात को भी अपने मन में सोच कर हैरान हो रही थी कि,,,, क्या उसके बेटे का लंड उसकी बहन की चूत की गहराई तक मतलब कि उसके बच्चेदानी तक पहुंच रहा होगा अपने इस सवाल का जवाब वह खुद से ही देते हुए अपने मन को दिलासा देते हुए समझाती थी कि जरूर पहुंच रहा होगा आखिरकार उसके बेटे का लंड जरूर से कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा है और जिस तरह से उसकी बहन लंबी-लंबी सिसकारियां ले रही थी उसे जरूर बहुत मजा आता होगा,,,, आराधना अपने मन में यह बात सोच कर हैरान हो रही थी कि जब उसका बेटा एक उम्र दराज औरत को संतुष्टि का अहसास करा सकता है तो लड़कियों की तो हालत खराब कर देता होगा और कितनी देर तक करता है,,, इतनी देर तक की तो उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी अपने पति के साथ संभोग करते हुए 1 मिनट या 2 मिनट तो बहुत हो गया इतने में तो उसका पति ढेर हो जाता था तो उसे सुख और संतुष्टि कहां से प्रदान कर पाता इसलिए अपने बेटे की जबरदस्त चुदाई को देखकर आराधना सोचने पर मजबूर हो गई थी और अपनी बहन को इस कामलीला में शामिल देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि परिवारिक रिश्तो में इस तरह के रिश्ते क्या सच में पनपते हैं या सिर्फ उसके ही घर पर इस कामलीला का पाप लीला चल रहा है,,,, लेकिन जाते-जाते उसकी बड़ी दीदी ने जो उससे बात कही थी उसे याद करके वह भी सोचने पर मजबूर हो जाती थी कि सच में औरतों को अपने लिए भी जीना चाहिए अपनी जरूरतों का अपने सुख का ख्याल रखना चाहिए तो क्या अपनी जरूरत किसी गैर मर्द से जिस्मानी ताल्लुकात बनाना या उनसे संभोग करके पूरी तरह से तृप्त हो जाना है अगर अपनी बहन का उदाहरण देखे तो हां जो कुछ भी उसकी बहन कह रही थी वास्तविक जीवन में औरतों को अपना लेना चाहिए,,, तभी एक औरत का जीवन सफल कहलाता है और वैसे भी वह अपनी बहन की जिंदगी में कभी भी कोई परेशानी नहीं देखी थी वह अपनी मर्जी की मालकिन थी और अपने सुख के खातिर जीबी रही थी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा भी कर रही थी इसलिए ना जाने क्यों आराधना को अपनी बड़ी दीदी के जीवन से कुछ सीख लेने की भावना जाग रही थी,,, लेकिन फिर भी वह अपनी बड़ी बहन की तरह हरकत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी उसके आगे संस्कार और शर्म की दीवार खड़ी नजर आती थी,,, जो कि उस दीवार को लांघना शायद आराधना के बस में बिल्कुल भी नहीं था,,,,, फिर भी जब कभी भी वह उस रात वाले दृश्य को याद करती थी तब तक उसकी निप्पल तन कर खड़ी हो जाती थी बार-बार अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव करने लगती थी,,,,
महीना गुजर चुका था लेकिन अशोक घर पर नहीं आया था धीरे-धीरे आराधना भी अशोक की चिंता करना छोड़ दी थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह सुधरने वाला नहीं है और एक बार फिर सेवह अपने पिछले जीवन में झांकना या जाना बिल्कुल भी नहीं चाहती थी वह जिस तरह से जीना शुरू की थी उसमें एक तरह से उसे आनंद आ रहा था क्योंकि रात को वह चैन की नींद सोती तो थी,,,, लेकिन एक दिक्कत हो रही थी रात को जरूर और चैन की नींद सोती थी लेकिन बिस्तर पर सारी रात भर करवटें बदलती रहती थी उसे भी ना जाने क्यों एक मर्द की जरूरत पड़ने लगी थी लेकिन फिर भी वह किसी तरह से अपने आप को संभाले हुई थी,,,,।
संजू कोचिंग क्लास 4:00 बजे घर से निकल जाया करता था और 5:00 बजे के बाद उसकी मां आती थी इसलिए संजू पैदल या तो रिक्शा करके कोचिंग क्लास बहुत जाता था,,,, उसे भी कोचिंग क्लास में आनंद आने लगा था रोज नए नए चेहरे और उन्हें पढ़ाने की धुन में वह सब कुछ भूल जाता था एक तरह से वह मनीषा का मन ही मन बहुत ज्यादा शुक्रिया अदा करता था जो उसे कोचिंग क्लास में सहभागी बनाकर उसके जीवन को सुधारने में लगी थी,,, ऐसे ही एक दिन कोचिंग क्लास जाने से पहले गर्मी के कारण संजू बाथरूम में घुस गया और बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया बाहर के दरवाजे पर भी चिटकिनी नहीं लगाया क्योंकि वह जानता था कि इस समय कोई आने वाला नहीं है और किसी के आने से पहले ही वह घर से चला जाता था,,,,,
इसलिए बाथरूम में घुसते ही निश्चित होकर अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया,,,, संजू का गठीला बदन औरतों के लिए आकर्षण का कारण बना रहता था,,,, कपड़े उतार कर नंगा होने के बाद औपचारिक रूप से उसके लंड में सनसनाहट हो रही थी और वह अपने आप ही एकदम से खड़ा हो गया था,,, अपनी मौसी और अपनी बहन की चुदाई करने की वजह से अब उसे मुठ मारने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं पड़ती थी अगर मोहिनी उसका साथ ना देती तो शायद अपनी मौसी की याद में वह रोज हिला कर अपना काम चला लेता क्योंकि मौसी उसे रोज नहीं मिलती थी लेकिन मोहिनी रोज रात को उसे खुश कर देती थी इसलिए अपने खड़े लंड पर वह बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था और अपने बदन पर साबुन लगाने लगा था,,,,,।
दूसरी तरफ ऑफिस से जल्दी छुट्टी होने की वजह से आज आराधना जल्दी ही घर पर लौट आई थी बाहर स्कूटी खड़ी करके दरवाजे की तरफ देखी तो दरवाजा खुला हुआ था वह समझ गई कि संजू घर पर आ चुका है इसलिए धीरे से दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश की उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए अपने पर्स को एक तरफ रख कर वह बाथरूम की तरफ आगे कदम बढ़ाई,,,, तो देखी बाथरूम का दरवाजा हल्का खुला हुआ है,,,, उसे लगा कि बाथरूम में कोई नहीं है क्योंकि अगर बाथरूम में कोई होता तो बाथरूम का दरवाजा बंद होता है इसलिए वह निश्चिंत होकर दरवाजा को पकड़ कर खोल दी और जैसे ही दरवाजा खोल ही उसकी आंखों के सामने जो दृश्य नजर आया उसे देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसकी नजर सीधे अपने बेटे के खड़े लंड पर गई जो कि छत की तरफ मुंह उठाकर खड़ा था आज पहली बार आराधना अपने बेटे के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,, पल भर के लिए उसकी आंखें अपने बेटे के लंड पर जमी की जमी रह गई,,,, पहले तो संजू दरवाजा एकाएक खुलने पर एकदम से हड़बड़ा गया था लेकिन जब देखा कि बाहर उसकी मां खड़ी है तब वह एकदम बेशर्मी पर उतर आए और अपने बदन को बिल्कुल भी ढकने की कोशिश नहीं किया क्योंकि वह ताड़ लिया था कि उसकी मां उसके लंड को ही देख रही है,,,, और वह जानबूझकर अपनी मां को अपने लंड दिखाने लगा,,,,,।
खूबसूरत जवान औरत के लिए एक जवान लड़के का मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड हमेशा से उसकी कमजोरी और आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा है और उससे आराधना बिल्कुल भी अछूता नहीं थी इसलिए अपने बेटे के दमदार लंड को अपनी आंखों से देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह अपनी नजरों को हटा नहीं पा रही थी एक अजीब सा आकर्षण उसकी नजरों को लंड के आकर्षण में बांध कर रख दिया था,,,, तकरीबन आराधना ने इस दृश्य को केवल 15 सेकंड तक ही देखी थी लेकिन इन 15 सेकंड में हुआ है कि नहीं जिंदगी को जी चुकी थी पल भर में ही अपनी आंखों से वह तार चुकी थी कि उसके बेटे के लंड की मोटाई और लंबाई बेहद दमदार है पहले ही वह अपने बेटे के लंड की दमदार ताकत को अपनी बड़ी बहन की मदमस्त जवानी पर देख चुकी थी इसलिए उसे अपने बेटे की मर्दाना ताकत पर बिल्कुल भी साथ नहीं था,,,, लंड के इर्द-गिर्द झांठ के बाल साबुन का झाग लगा हुआ था जिससे उसका लंड और भी ज्यादा मनमोहक लग रहा था,,,, उत्तेजना के मारे आराधना का गला सूख चुका था और वह अपने सूखे हुए गले को ठीक से गिला करने की कोशिश करते हुए अपनी नजरों को ऊपर की तरफ ले गई तो उसकी चौड़ी छाती को देखकर आराधना की चूत से मदन रस की बूंद टपक गई,,,,, वह पहली बार अपने बेटे को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख रहे थे और पहली बार देखने के बाद उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसका बेटा मर्दाना ताकत से भरा हुआ एक जवान लड़का था जिसकी बाहों में आने के लिए औरत शायद इसीलिए मचल उठती होगी और यही हाल उसकी बड़ी दीदी का भी होगा,,,,,। अपनी मां की अपने लंड पर चिपकी हुई नजरों को देखकर संजू बहुत खुश हो रहा था और अपनी मां की आंखों के सामने बेशर्मी का उदाहरण देते हुए वह अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा उसे देखकर आराधना की दोनों टांगों के बीच बवंडर से उठने लगा था और तुरंत उसे होश आया कि वह क्या कर रही है और तुरंत अपने बेटे को सॉरी बोल कर वापस दरवाजा बंद करके अपने कमरे में चली गई,,,,।
संजू का काम बन चुका था वह समझ गया था कि उसकी मां भी उसके लंड की दीवानी हो गई है,,,, क्योंकि जिस तरह से वह प्यासी नजरों से देख रही थी संजू को लगने लगा था कि उसकी मां भी प्यासी है,,, और औरत के ऐसी प्यासे पन का फायदा उठाना हर एक मर्द जानता था और संजू को भी मालूम था कि उसे क्या करना है कब करना है बस वह सही मौके के इंतजार में था,,,,, मुठ मारने का उसका बिल्कुल भी विचार नहीं था लेकिन अपनी मां को इस तरह से अपना लंड देखता हुआ पागल अपने आप ही उसका दिमाग घूमने लगा था उसके मन में कल्पनाओं का तूफान उम्र रहा था और संजू उन कल्पनाओं के जंगल में अपने सपनों की राजकुमारी को ढूंढ रहा था जो कि पहले से ही बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी एकदम नग्न अवस्था में संजू अपनी कल्पनाओं के घोड़े पर सवार होकर बिस्तर के करीब गया और घोड़े पर से कूद कर सीधे बिस्तर पर पहुंच गया अपनी मां के दोनों टांगों के बीच और बिना कुछ बोले ही अपने मोटे लंड को अपनी मां के गुलाबी छेद में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया इस तरह की कल्पना करके संजू पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था और थोड़ी ही देर में पानी का फव्वारा निकला और सामने की दीवार को गीला कर दिया थोड़ी देर में शांत होने के बाद वह दीवार पर गिरे अपने लावे को पानी डालकर साफ करने लगा और फिर रावल पहन कर बाथरूम के बाहर आ गया,,,, थोड़ी ही देर में संजू तैयार हो चुका था लेकिन दूसरी तरफ आराधना की हालत खराब हो चुकी थी वह अपने कमरे में बिस्तर पर बैठी हुई थी और अपने बेटे के बारे में सोच कर हैरान हो रही थी,,,,,,।
मम्मी मैं जा रहा हूं,,,,
(अपने बेटे की आवाज सुनकर वह एकदम से चौक गई अपने बेटे से बात करने में उसे शर्म आ रही थी मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी तो दोबारा संजू बोला)
क्या हुआ मम्मी सो गई क्या,,,?
नहीं थोड़ी थकान है तू जा,,,
ठीक है मम्मी मैं जा रहा हूं,,,,(और अपनी मां के कमरे की तरफ मुस्कुराता हुआ देखकर संजू घर से बाहर निकल गया लेकिन आज उसकी मां जल्दी आई थी इसलिए वापस कमरे में प्रवेश करता हुआ बोला,,,,)
मम्मी आज तुम जल्दी आ गई हो क्या मैं तुम्हारी स्कूटी ले जा सकता हूं,,,,।
(संजू आराधना के कमरे में पहुंच चुका था लेकिन आराधना को होश बिल्कुल भी नहीं था वह किसी ख्यालों में खोई हुई थी लेकिन अपने बेटे की बात सुनकर जैसे कोई उसे नींद से जगाया हो एकदम से हड़बड़ाहट में बिस्तर से उठ कर खड़ी हो गई और हडबड्ते हुए बोली,,,)
कककक क्या,,,?
अरे मम्मी कहां खोई हुई हो मैं पूछ रहा हूं कि मैं क्या तुम्हारी स्कूटी ले जा सकता हूं,,,
हां हां ठीक है ले जा,,,, चाबी देख दीवार पर टंगी होगी,,,।
(इतना सुनते ही संजू एक नजर अपनी मां के ऊपर डाला तो मुस्कुराने लगा वह समझ गया था कि उसके मोटे खडे लंड न६ उसका काम कर दिया है और वह चाबी लेकर घर से बाहर आ गया और उसको की चालू करके कोचिंग क्लास की तरफ चल दिया,,,, रात को भी आराधना अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी ,,, उससे बात करने में कतरा रही थी,,,,,,,, खाना खाने के बाद अपना सारा काम करके आराधना अपने कमरे में चली गई और संजु अपने कमरे में मोहिनी के साथ,,, शाम को अपनी मां को बेहद करीब से अपना लंड दिखाने की वजह से अभी तक उसके बदन में उत्तेजना का संचार हो रहा था इसलिए कमरे में जाते ही वह मोहिनी के कपड़ों को उतारकर उसे नंगी कर दिया और दूसरी तरफ आराधना का दिमाग काम करना बंद कर दिया था वह ना चाहते हुए भी बार-बार अपने बेटे के लंड के बारे में सोच रही थी,,,, और सोचते-सोचते उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला,,,,,।
तकरीबन रात को 2:00 बजे उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे कोई उसके कमरे में है और धीरे से उसके बिस्तर पर बैठ गया उसकी आंख नहीं खुल रही थी लेकिन उसे महसूस हो रहा था देखते ही देखते उसे समझ में आने लगा कि कमरे में उसका बेटा है और वह धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा है आराधना उसे अपना ब्लाउज का बटन खोलने से मना कर रही थी लेकिन वह मान नहीं रहा था देखते ही देखते संजू अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन को खोल कर उसकी नंगी चूची को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया था सोने से पहले आराधना अपनी ब्रा को उतार दी थी केवल ब्लाउज पहनी हुई थी अपनी मां की बड़ी-बड़ी चुचियों को दशहरी आम की तरह वह मुंह में लेकर पी रहा था उसकी मां उसे रोकने की बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन वह मान नहीं रहा था लेकिन संजू की इस हरकत की वजह से उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा और उसे मजा आने लगा,,,, देखते ही देखते आराधना की गरम सिसकारियां कमरे में घुसने लगी और संजू अपनी मां की चूची को पूरी तरह से निचोड़ डालना चाहता था बड़ी बड़ी चूची अपने हाथ में आया हुआ देखकर संजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी संजू पागलों की तरह अपनी मां की चूची को मुंह में लेकर पी रहा था और आराधना उसका सर पकड़ कर जोर जोर से अपनी छाती पर दबा रही थी,,,,, देखते ही देखते संजू का हाथ उसकी साड़ी की गिठान पर पहुंच गया और उसे खोलकर साड़ी को अलग करने लगा,,,,, उत्तेजना के मारे आराधना का गला सूख रहा था लेकिन आराधना अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से आनंदित हो चुकी थी देखते ही देखते समझो अपनी मां की साड़ी को पूरी तरह से उसके बदन से अलग कर दिया और उसकी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगा पेटिकोट की डोरी खुलते ही आराधना अपने आप ही अपनी गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा देता कि उसका बेटा बड़े आराम से उसकी पेटीकोट को उतार सकें संजू स्फूर्ति दिखाते हुए अपनी मां की पेटीकोट को पेंटी सहित पकड़कर उसे एक झटके से उतार दिया और देखते ही देखते संजू की मां बिस्तर पर पुरी तरह से नंगी हो गई,,,,, और अगले ही पल अपने बेटे की जीत को अपनी चूत पर महसूस करते ही वह एकदम से गनगना गई यह पल आराधना के लिए बेहद अद्भुत और अविस्मरणीय था आराधना इस पल में पूरी तरह से डूबती हुई अपने आपको महसूस करने लगी देखते ही देखते संजू ने अपनी जीभ से उसे पागल कर दिया,,,। देखते ही देखते आराधना पूरी तरह से मदहोश होने लगी और अपने आप ही अपने बेटे के लिए अपनी दोनों टांगों को खोल दी संजू अपने दोनों घुटनों के बल बैठकर अपनी मां की दोनों कमर तक अपना हाथ ले गया और उसे कस के पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसकी आदि गांड को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,,, और देखते ही देखते संजू अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की गुलाबी छेद पर रख कर एक करारा धक्का मारा और एक ही धक्के में संजू का लंड सारी अड़चनों को पार करता हुआ सीधा आराधना की बच्चेदानी से जा टकराया आराधना की चीख निकल गई और संजू ताबड़तोड़ धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया आराधना पूरी तरह से मस्त हो गई और देखते ही देखते गरम आहें भरते हुए उसका पानी निकल गया और जैसे ही उसकी आंख खुली उसके होश उड़ गए,,, उसके ऊपर संजू नहीं बल्कि वह बिस्तर पर अकेली ही थी पसीने से लथपथ वह सपना देख रही थी सपने में वह अपने बेटे के साथ संभोग रत थी अपनी छाती की तरफ नजर दौड़ाई तो ब्लाउज ज्यों का त्यों था,,, उसका एक भी बटन खुला नहीं था,,,, कमर के नीचे के हालात कुछ ठीक नहीं थे साड़ी कमर तक चढ़ी हुई थी साड़ी के नीचे उसने चड्डी नहीं पहनी थी उसकी चूत पर उसकी खुद की हथेली रखी हुई थी और उसकी चूत से मदन रस भल भला कर बह रहा था,,,, उसे समझते देर नहीं लगेगी सपने में उसे स्वप्नदोष हुआ है,,,, लेकिन आज तक ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ था इस तरह का एक बार और उसके साथ कॉलेज के दिन में हुआ था और तब से लेकर आज तक आज दूसरी बार नींद में उसका पानी निकल गया था वह हैरान थी अपनी हालत पर,,,, पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,, अभी भी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, वो बिस्तर पर से उठी और अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी सोने से पहले ही वह अपनी पेंटि निकाल चुकी थी और सपने में,,, उसे ऐसा ही नजर आ रहा था कि उसका बेटा खुद अपने हाथों से उसकी पेटीकोट के साथ-साथ उसकी पेंटी भी निकाल चुका था,,,, अपनी सांसो को दुरुस्त करने के बाद वह एक गिलास ठंडा पानी पी और अपने आप को शांत करने की कोशिश करने लगी बिस्तर पर बैठकर वो सपने के बारे में सोचने लगी कि इतना गंदा सपना उसे क्यों दिखाई दिया कहीं सपने में आने वाले दिनों का संकेत तो नहीं है कहीं ऐसा तो नहीं वह खुद अपने बेटे के साथ संभोग सुख प्राप्त करेगी अपनी बेटे के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाएगी,,, दुनिया समाज की परवाह किए बिना मां बेटे के बीच के पवित्र बंधन को तोड़ कर वहां अपने बेटे के साथ एक औरत और मर्द का रिश्ता कायम रखेगी,,,, यह सब सोचकर वह हैरान हो जा रही थी और अपने आप को ही झूठी सांत्वना देते हुए समझा रही थी कि नहीं ऐसा वह कभी नहीं करेगी अपने बेटे के साथ इस तरह का गलत संबंध वह कभी नहीं बनाएगी,,,।
बिस्तर पर बैठ कर वह घड़ी की तरफ देखी तो 3:30 का समय हो रहा था वह एकदम से हैरान हो गई थी,,, एक बार फिर से वह बिस्तर पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगी लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी,,, वो सपने के बारे में सोचने लगी और एहसास करने लगी कि सपना कितना हकीकत की तरह था ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी अभी उसका बेटा उसके कमरे में आकर उसकी चुदाई करके वापस चला गया है,,,, सपने में अपने बेटे की हरकत के बारे में सोचकर शर्म से उसके गाल लाल हो चुके थे सब कुछ हकीकत सा लग रहा था उसका कमरे में आना धीरे से बिस्तर पर बैठना और धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के बटन खोलना बटन खोलने के बाद उसकी चूचियों को जोर जोर से दबाना,,,, उसकी मजबूत बुझाओ और हथेलियों का दबाव अभी भी अपनी चुचियों पर साफ तौर पर महसूस कर पा रही थी सब कुछ हकीकत सा लग रहा था उसके रोकने के बावजूद भी उसके बेटे ने जिस तरह से जबरदस्ती दिखाते हुए चुचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू किया था उसके चलते नींद में भी उसके बदन में उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, और धीरे-धीरे साड़ी खोलना फिर पेटीकोट की डोरी खोलना औरत और उसका साथ देते हुए उसका खुद का अपनी गांड ऊपर की तरफ उठाकर पेटिकोट के साथ-साथ पेंटि उतरवाने में उसकी मदद करना,,,, और जिस तरह से अपने प्यासे होठों को उसकी चूत पर रख कर चाटना शुरू किया था उस पर तो आराधना पूरी तरह से गदगद हो गई थी,,,,, सपने में अपने बेटे की हरकत का बिल्कुल भी विरोध ना करना आराधना को और ज्यादा शर्मसार कर रहा था,,,, और देखते ही देखते जिस तरह से उसके बेटे ने अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा था और उसकी आधी गांड को अपनी जांघों पर रख दिया था उस पल को याद करके आराधना इस समय बेहद रोमांचित हो रही थी,,, और देखते ही देखते पहले ही प्रहार में अपने समूचे लंड को उसकी चूत में डालकर बच्चेदानी तक पहुंचा देना सब कुछ अद्भुत था,,, सपने के बारे में सोच कर एक बार फिर से आराधना की निप्पल तन गई थी सपना इतना हकीकत भी हो सकता है वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,, सपने में आकर उसके बेटे ने उसका पानी निकाल गया था,,,। इस बात का एहसास में वह पूरी तरह से डूब चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका मन क्या कह रहा है उसका दिल क्या चाहता है उसका दिमाग क्या करवाना चाहता है इस सपने को लेकर आराधना पूरी तरह से हैरान थी उसे लगने लगा था कि यह सपना भविष्य का संकेत है कहीं ना कहीं उसके मन में भी अपने बेटे के साथ चुदवाने की आस बंधती जा रही है,,,, इसीलिए वह अपने आप को और भी ज्यादा बेचैन महसूस कर रही थी बिस्तर पर करवट बदलते बदलते कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला,,,, सुबह जब आंख खुली तो मोहिनी उसे जगा रही थी काफी देर हो गई थी इसलिए झट से वह बिस्तर से उठ कर बैठ गई और अपने काम में लग गई,,,।
Mast updateसब कुछ सही चलने लगा था,,,, संजू सही समय पर कोचिंग क्लास पहुंच जाता था,,, धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा था,,,,, मनीषा को लगता नहीं था कि संजू अच्छी तरह से पढ़ आ पाएगा लेकिन वह जिस तरह से पढ़ाना शुरू किया था उसे देखते हुए 5 स्टूडेंट से कोचिंग क्लास शुरू हुई थी देखते ही देखते 55 विद्यार्थी हो चुके थे,,,, संजू की मेहनत और लगन देखकर मनीषा बहुत प्रभावित हो रही थी,,,, लेकिन दूसरी तरफ संजू के घर में अब सामान्य कुछ भी नहीं था संजू अपनी बहन के साथ रोज रात को अपनी रात रंगीन कर रहा था,,, मोहिनी के बदन में भी जवानी पूरी तरह से छा चुकी थी उसके अंगों में उभार कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगा था,,,,, मोहिनी अपने भाई से चुदवाए बिना बिल्कुल भी नहीं रहती थी,,, एक तरह से मोहिनी को अपने भाई के लंड का नशा हो चुका था जब तक उसकी मोटाई की रगड़ को वह अपनी चूत की अंदरूनी दीवारों पर महसूस नहीं करती थी तब तक उसे चैन नहीं मिलता था,,,, और यही हाल आराधना का हो चुका था हालांकि वह अभी तक इस सुख को प्राप्त नहीं कर पाई थी लेकिन जिस दिन से वह रात के समय अपनी बड़ी बहन को अपने बेटे के साथ चुदवाते देखी थी तब से उसके बदन में रह रहे कर ना जाने क्यों गलत भावनाएं उमड़ने लगी थी,,,, अपने बेटे के मजबूत जांघों की रगड़ अपनी बहन की मोटी जांघों पर वह अच्छी तरह से अपनी आंखों से देख पाई थी उसका जबरदस्त कमर हिला कर प्रहार करना सब कुछ आराधना के लिए अद्भुत,,, था,,,,,, अपनी बड़ी बहन की चुदाई देखकर वह पूरी तरह से बह चुकी थी और जिंदगी में पहली बार वह अपनी आंखों से किसी औरत को चुदवाते हुए देख रही थी और वह औरत को ही नहीं बल्कि उसकी बड़ी दीदी थी और उसको चोदने वाला कोई गैर मर्द नहीं उसका ही बेटा था,,,, आराधना अभी भी नहीं समझ पा रही थी कि आखिरकार वह इस रिश्ते को क्या नाम दें,,,,, मौसी और भतीजे में इस तरह के संबंध को वह पहली बार देख रही थी,,,,,।
एक तरफ उसे अपनी बड़ी दीदी और अपने बेटे की मेघनाथ हरकत की वजह से शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था वहीं दूसरी तरफ वह ना जाने क्यों अपने बेटे की दमदार मर्दाना ताकत की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी,,,, बार-बार आराधना की आंखों के सामने अपनी बेटी का जोर जोर से कमर हिलाना और अपनी बड़ी बहन की हर धक्के के साथ गर्म सिसकारी के साथ आनंद की अनुभूति करना यह सब याद आ रहा था,,,, आराधना इस बात को भी अपने मन में सोच कर हैरान हो रही थी कि,,,, क्या उसके बेटे का लंड उसकी बहन की चूत की गहराई तक मतलब कि उसके बच्चेदानी तक पहुंच रहा होगा अपने इस सवाल का जवाब वह खुद से ही देते हुए अपने मन को दिलासा देते हुए समझाती थी कि जरूर पहुंच रहा होगा आखिरकार उसके बेटे का लंड जरूर से कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा है और जिस तरह से उसकी बहन लंबी-लंबी सिसकारियां ले रही थी उसे जरूर बहुत मजा आता होगा,,,, आराधना अपने मन में यह बात सोच कर हैरान हो रही थी कि जब उसका बेटा एक उम्र दराज औरत को संतुष्टि का अहसास करा सकता है तो लड़कियों की तो हालत खराब कर देता होगा और कितनी देर तक करता है,,, इतनी देर तक की तो उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी अपने पति के साथ संभोग करते हुए 1 मिनट या 2 मिनट तो बहुत हो गया इतने में तो उसका पति ढेर हो जाता था तो उसे सुख और संतुष्टि कहां से प्रदान कर पाता इसलिए अपने बेटे की जबरदस्त चुदाई को देखकर आराधना सोचने पर मजबूर हो गई थी और अपनी बहन को इस कामलीला में शामिल देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि परिवारिक रिश्तो में इस तरह के रिश्ते क्या सच में पनपते हैं या सिर्फ उसके ही घर पर इस कामलीला का पाप लीला चल रहा है,,,, लेकिन जाते-जाते उसकी बड़ी दीदी ने जो उससे बात कही थी उसे याद करके वह भी सोचने पर मजबूर हो जाती थी कि सच में औरतों को अपने लिए भी जीना चाहिए अपनी जरूरतों का अपने सुख का ख्याल रखना चाहिए तो क्या अपनी जरूरत किसी गैर मर्द से जिस्मानी ताल्लुकात बनाना या उनसे संभोग करके पूरी तरह से तृप्त हो जाना है अगर अपनी बहन का उदाहरण देखे तो हां जो कुछ भी उसकी बहन कह रही थी वास्तविक जीवन में औरतों को अपना लेना चाहिए,,, तभी एक औरत का जीवन सफल कहलाता है और वैसे भी वह अपनी बहन की जिंदगी में कभी भी कोई परेशानी नहीं देखी थी वह अपनी मर्जी की मालकिन थी और अपने सुख के खातिर जीबी रही थी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा भी कर रही थी इसलिए ना जाने क्यों आराधना को अपनी बड़ी दीदी के जीवन से कुछ सीख लेने की भावना जाग रही थी,,, लेकिन फिर भी वह अपनी बड़ी बहन की तरह हरकत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी उसके आगे संस्कार और शर्म की दीवार खड़ी नजर आती थी,,, जो कि उस दीवार को लांघना शायद आराधना के बस में बिल्कुल भी नहीं था,,,,, फिर भी जब कभी भी वह उस रात वाले दृश्य को याद करती थी तब तक उसकी निप्पल तन कर खड़ी हो जाती थी बार-बार अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव करने लगती थी,,,,
महीना गुजर चुका था लेकिन अशोक घर पर नहीं आया था धीरे-धीरे आराधना भी अशोक की चिंता करना छोड़ दी थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह सुधरने वाला नहीं है और एक बार फिर सेवह अपने पिछले जीवन में झांकना या जाना बिल्कुल भी नहीं चाहती थी वह जिस तरह से जीना शुरू की थी उसमें एक तरह से उसे आनंद आ रहा था क्योंकि रात को वह चैन की नींद सोती तो थी,,,, लेकिन एक दिक्कत हो रही थी रात को जरूर और चैन की नींद सोती थी लेकिन बिस्तर पर सारी रात भर करवटें बदलती रहती थी उसे भी ना जाने क्यों एक मर्द की जरूरत पड़ने लगी थी लेकिन फिर भी वह किसी तरह से अपने आप को संभाले हुई थी,,,,।
संजू कोचिंग क्लास 4:00 बजे घर से निकल जाया करता था और 5:00 बजे के बाद उसकी मां आती थी इसलिए संजू पैदल या तो रिक्शा करके कोचिंग क्लास बहुत जाता था,,,, उसे भी कोचिंग क्लास में आनंद आने लगा था रोज नए नए चेहरे और उन्हें पढ़ाने की धुन में वह सब कुछ भूल जाता था एक तरह से वह मनीषा का मन ही मन बहुत ज्यादा शुक्रिया अदा करता था जो उसे कोचिंग क्लास में सहभागी बनाकर उसके जीवन को सुधारने में लगी थी,,, ऐसे ही एक दिन कोचिंग क्लास जाने से पहले गर्मी के कारण संजू बाथरूम में घुस गया और बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया बाहर के दरवाजे पर भी चिटकिनी नहीं लगाया क्योंकि वह जानता था कि इस समय कोई आने वाला नहीं है और किसी के आने से पहले ही वह घर से चला जाता था,,,,,
इसलिए बाथरूम में घुसते ही निश्चित होकर अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया,,,, संजू का गठीला बदन औरतों के लिए आकर्षण का कारण बना रहता था,,,, कपड़े उतार कर नंगा होने के बाद औपचारिक रूप से उसके लंड में सनसनाहट हो रही थी और वह अपने आप ही एकदम से खड़ा हो गया था,,, अपनी मौसी और अपनी बहन की चुदाई करने की वजह से अब उसे मुठ मारने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं पड़ती थी अगर मोहिनी उसका साथ ना देती तो शायद अपनी मौसी की याद में वह रोज हिला कर अपना काम चला लेता क्योंकि मौसी उसे रोज नहीं मिलती थी लेकिन मोहिनी रोज रात को उसे खुश कर देती थी इसलिए अपने खड़े लंड पर वह बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था और अपने बदन पर साबुन लगाने लगा था,,,,,।
दूसरी तरफ ऑफिस से जल्दी छुट्टी होने की वजह से आज आराधना जल्दी ही घर पर लौट आई थी बाहर स्कूटी खड़ी करके दरवाजे की तरफ देखी तो दरवाजा खुला हुआ था वह समझ गई कि संजू घर पर आ चुका है इसलिए धीरे से दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश की उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए अपने पर्स को एक तरफ रख कर वह बाथरूम की तरफ आगे कदम बढ़ाई,,,, तो देखी बाथरूम का दरवाजा हल्का खुला हुआ है,,,, उसे लगा कि बाथरूम में कोई नहीं है क्योंकि अगर बाथरूम में कोई होता तो बाथरूम का दरवाजा बंद होता है इसलिए वह निश्चिंत होकर दरवाजा को पकड़ कर खोल दी और जैसे ही दरवाजा खोल ही उसकी आंखों के सामने जो दृश्य नजर आया उसे देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसकी नजर सीधे अपने बेटे के खड़े लंड पर गई जो कि छत की तरफ मुंह उठाकर खड़ा था आज पहली बार आराधना अपने बेटे के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,, पल भर के लिए उसकी आंखें अपने बेटे के लंड पर जमी की जमी रह गई,,,, पहले तो संजू दरवाजा एकाएक खुलने पर एकदम से हड़बड़ा गया था लेकिन जब देखा कि बाहर उसकी मां खड़ी है तब वह एकदम बेशर्मी पर उतर आए और अपने बदन को बिल्कुल भी ढकने की कोशिश नहीं किया क्योंकि वह ताड़ लिया था कि उसकी मां उसके लंड को ही देख रही है,,,, और वह जानबूझकर अपनी मां को अपने लंड दिखाने लगा,,,,,।
खूबसूरत जवान औरत के लिए एक जवान लड़के का मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड हमेशा से उसकी कमजोरी और आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा है और उससे आराधना बिल्कुल भी अछूता नहीं थी इसलिए अपने बेटे के दमदार लंड को अपनी आंखों से देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह अपनी नजरों को हटा नहीं पा रही थी एक अजीब सा आकर्षण उसकी नजरों को लंड के आकर्षण में बांध कर रख दिया था,,,, तकरीबन आराधना ने इस दृश्य को केवल 15 सेकंड तक ही देखी थी लेकिन इन 15 सेकंड में हुआ है कि नहीं जिंदगी को जी चुकी थी पल भर में ही अपनी आंखों से वह तार चुकी थी कि उसके बेटे के लंड की मोटाई और लंबाई बेहद दमदार है पहले ही वह अपने बेटे के लंड की दमदार ताकत को अपनी बड़ी बहन की मदमस्त जवानी पर देख चुकी थी इसलिए उसे अपने बेटे की मर्दाना ताकत पर बिल्कुल भी साथ नहीं था,,,, लंड के इर्द-गिर्द झांठ के बाल साबुन का झाग लगा हुआ था जिससे उसका लंड और भी ज्यादा मनमोहक लग रहा था,,,, उत्तेजना के मारे आराधना का गला सूख चुका था और वह अपने सूखे हुए गले को ठीक से गिला करने की कोशिश करते हुए अपनी नजरों को ऊपर की तरफ ले गई तो उसकी चौड़ी छाती को देखकर आराधना की चूत से मदन रस की बूंद टपक गई,,,,, वह पहली बार अपने बेटे को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख रहे थे और पहली बार देखने के बाद उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसका बेटा मर्दाना ताकत से भरा हुआ एक जवान लड़का था जिसकी बाहों में आने के लिए औरत शायद इसीलिए मचल उठती होगी और यही हाल उसकी बड़ी दीदी का भी होगा,,,,,। अपनी मां की अपने लंड पर चिपकी हुई नजरों को देखकर संजू बहुत खुश हो रहा था और अपनी मां की आंखों के सामने बेशर्मी का उदाहरण देते हुए वह अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा उसे देखकर आराधना की दोनों टांगों के बीच बवंडर से उठने लगा था और तुरंत उसे होश आया कि वह क्या कर रही है और तुरंत अपने बेटे को सॉरी बोल कर वापस दरवाजा बंद करके अपने कमरे में चली गई,,,,।
संजू का काम बन चुका था वह समझ गया था कि उसकी मां भी उसके लंड की दीवानी हो गई है,,,, क्योंकि जिस तरह से वह प्यासी नजरों से देख रही थी संजू को लगने लगा था कि उसकी मां भी प्यासी है,,, और औरत के ऐसी प्यासे पन का फायदा उठाना हर एक मर्द जानता था और संजू को भी मालूम था कि उसे क्या करना है कब करना है बस वह सही मौके के इंतजार में था,,,,, मुठ मारने का उसका बिल्कुल भी विचार नहीं था लेकिन अपनी मां को इस तरह से अपना लंड देखता हुआ पागल अपने आप ही उसका दिमाग घूमने लगा था उसके मन में कल्पनाओं का तूफान उम्र रहा था और संजू उन कल्पनाओं के जंगल में अपने सपनों की राजकुमारी को ढूंढ रहा था जो कि पहले से ही बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी एकदम नग्न अवस्था में संजू अपनी कल्पनाओं के घोड़े पर सवार होकर बिस्तर के करीब गया और घोड़े पर से कूद कर सीधे बिस्तर पर पहुंच गया अपनी मां के दोनों टांगों के बीच और बिना कुछ बोले ही अपने मोटे लंड को अपनी मां के गुलाबी छेद में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया इस तरह की कल्पना करके संजू पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था और थोड़ी ही देर में पानी का फव्वारा निकला और सामने की दीवार को गीला कर दिया थोड़ी देर में शांत होने के बाद वह दीवार पर गिरे अपने लावे को पानी डालकर साफ करने लगा और फिर रावल पहन कर बाथरूम के बाहर आ गया,,,, थोड़ी ही देर में संजू तैयार हो चुका था लेकिन दूसरी तरफ आराधना की हालत खराब हो चुकी थी वह अपने कमरे में बिस्तर पर बैठी हुई थी और अपने बेटे के बारे में सोच कर हैरान हो रही थी,,,,,,।
मम्मी मैं जा रहा हूं,,,,
(अपने बेटे की आवाज सुनकर वह एकदम से चौक गई अपने बेटे से बात करने में उसे शर्म आ रही थी मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी तो दोबारा संजू बोला)
क्या हुआ मम्मी सो गई क्या,,,?
नहीं थोड़ी थकान है तू जा,,,
ठीक है मम्मी मैं जा रहा हूं,,,,(और अपनी मां के कमरे की तरफ मुस्कुराता हुआ देखकर संजू घर से बाहर निकल गया लेकिन आज उसकी मां जल्दी आई थी इसलिए वापस कमरे में प्रवेश करता हुआ बोला,,,,)
मम्मी आज तुम जल्दी आ गई हो क्या मैं तुम्हारी स्कूटी ले जा सकता हूं,,,,।
(संजू आराधना के कमरे में पहुंच चुका था लेकिन आराधना को होश बिल्कुल भी नहीं था वह किसी ख्यालों में खोई हुई थी लेकिन अपने बेटे की बात सुनकर जैसे कोई उसे नींद से जगाया हो एकदम से हड़बड़ाहट में बिस्तर से उठ कर खड़ी हो गई और हडबड्ते हुए बोली,,,)
कककक क्या,,,?
अरे मम्मी कहां खोई हुई हो मैं पूछ रहा हूं कि मैं क्या तुम्हारी स्कूटी ले जा सकता हूं,,,
हां हां ठीक है ले जा,,,, चाबी देख दीवार पर टंगी होगी,,,।
(इतना सुनते ही संजू एक नजर अपनी मां के ऊपर डाला तो मुस्कुराने लगा वह समझ गया था कि उसके मोटे खडे लंड न६ उसका काम कर दिया है और वह चाबी लेकर घर से बाहर आ गया और उसको की चालू करके कोचिंग क्लास की तरफ चल दिया,,,, रात को भी आराधना अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी ,,, उससे बात करने में कतरा रही थी,,,,,,,, खाना खाने के बाद अपना सारा काम करके आराधना अपने कमरे में चली गई और संजु अपने कमरे में मोहिनी के साथ,,, शाम को अपनी मां को बेहद करीब से अपना लंड दिखाने की वजह से अभी तक उसके बदन में उत्तेजना का संचार हो रहा था इसलिए कमरे में जाते ही वह मोहिनी के कपड़ों को उतारकर उसे नंगी कर दिया और दूसरी तरफ आराधना का दिमाग काम करना बंद कर दिया था वह ना चाहते हुए भी बार-बार अपने बेटे के लंड के बारे में सोच रही थी,,,, और सोचते-सोचते उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला,,,,,।
तकरीबन रात को 2:00 बजे उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे कोई उसके कमरे में है और धीरे से उसके बिस्तर पर बैठ गया उसकी आंख नहीं खुल रही थी लेकिन उसे महसूस हो रहा था देखते ही देखते उसे समझ में आने लगा कि कमरे में उसका बेटा है और वह धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा है आराधना उसे अपना ब्लाउज का बटन खोलने से मना कर रही थी लेकिन वह मान नहीं रहा था देखते ही देखते संजू अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन को खोल कर उसकी नंगी चूची को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया था सोने से पहले आराधना अपनी ब्रा को उतार दी थी केवल ब्लाउज पहनी हुई थी अपनी मां की बड़ी-बड़ी चुचियों को दशहरी आम की तरह वह मुंह में लेकर पी रहा था उसकी मां उसे रोकने की बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन वह मान नहीं रहा था लेकिन संजू की इस हरकत की वजह से उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा और उसे मजा आने लगा,,,, देखते ही देखते आराधना की गरम सिसकारियां कमरे में घुसने लगी और संजू अपनी मां की चूची को पूरी तरह से निचोड़ डालना चाहता था बड़ी बड़ी चूची अपने हाथ में आया हुआ देखकर संजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी संजू पागलों की तरह अपनी मां की चूची को मुंह में लेकर पी रहा था और आराधना उसका सर पकड़ कर जोर जोर से अपनी छाती पर दबा रही थी,,,,, देखते ही देखते संजू का हाथ उसकी साड़ी की गिठान पर पहुंच गया और उसे खोलकर साड़ी को अलग करने लगा,,,,, उत्तेजना के मारे आराधना का गला सूख रहा था लेकिन आराधना अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से आनंदित हो चुकी थी देखते ही देखते समझो अपनी मां की साड़ी को पूरी तरह से उसके बदन से अलग कर दिया और उसकी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगा पेटिकोट की डोरी खुलते ही आराधना अपने आप ही अपनी गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा देता कि उसका बेटा बड़े आराम से उसकी पेटीकोट को उतार सकें संजू स्फूर्ति दिखाते हुए अपनी मां की पेटीकोट को पेंटी सहित पकड़कर उसे एक झटके से उतार दिया और देखते ही देखते संजू की मां बिस्तर पर पुरी तरह से नंगी हो गई,,,,, और अगले ही पल अपने बेटे की जीत को अपनी चूत पर महसूस करते ही वह एकदम से गनगना गई यह पल आराधना के लिए बेहद अद्भुत और अविस्मरणीय था आराधना इस पल में पूरी तरह से डूबती हुई अपने आपको महसूस करने लगी देखते ही देखते संजू ने अपनी जीभ से उसे पागल कर दिया,,,। देखते ही देखते आराधना पूरी तरह से मदहोश होने लगी और अपने आप ही अपने बेटे के लिए अपनी दोनों टांगों को खोल दी संजू अपने दोनों घुटनों के बल बैठकर अपनी मां की दोनों कमर तक अपना हाथ ले गया और उसे कस के पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसकी आदि गांड को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,,, और देखते ही देखते संजू अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की गुलाबी छेद पर रख कर एक करारा धक्का मारा और एक ही धक्के में संजू का लंड सारी अड़चनों को पार करता हुआ सीधा आराधना की बच्चेदानी से जा टकराया आराधना की चीख निकल गई और संजू ताबड़तोड़ धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया आराधना पूरी तरह से मस्त हो गई और देखते ही देखते गरम आहें भरते हुए उसका पानी निकल गया और जैसे ही उसकी आंख खुली उसके होश उड़ गए,,, उसके ऊपर संजू नहीं बल्कि वह बिस्तर पर अकेली ही थी पसीने से लथपथ वह सपना देख रही थी सपने में वह अपने बेटे के साथ संभोग रत थी अपनी छाती की तरफ नजर दौड़ाई तो ब्लाउज ज्यों का त्यों था,,, उसका एक भी बटन खुला नहीं था,,,, कमर के नीचे के हालात कुछ ठीक नहीं थे साड़ी कमर तक चढ़ी हुई थी साड़ी के नीचे उसने चड्डी नहीं पहनी थी उसकी चूत पर उसकी खुद की हथेली रखी हुई थी और उसकी चूत से मदन रस भल भला कर बह रहा था,,,, उसे समझते देर नहीं लगेगी सपने में उसे स्वप्नदोष हुआ है,,,, लेकिन आज तक ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ था इस तरह का एक बार और उसके साथ कॉलेज के दिन में हुआ था और तब से लेकर आज तक आज दूसरी बार नींद में उसका पानी निकल गया था वह हैरान थी अपनी हालत पर,,,, पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,, अभी भी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, वो बिस्तर पर से उठी और अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी सोने से पहले ही वह अपनी पेंटि निकाल चुकी थी और सपने में,,, उसे ऐसा ही नजर आ रहा था कि उसका बेटा खुद अपने हाथों से उसकी पेटीकोट के साथ-साथ उसकी पेंटी भी निकाल चुका था,,,, अपनी सांसो को दुरुस्त करने के बाद वह एक गिलास ठंडा पानी पी और अपने आप को शांत करने की कोशिश करने लगी बिस्तर पर बैठकर वो सपने के बारे में सोचने लगी कि इतना गंदा सपना उसे क्यों दिखाई दिया कहीं सपने में आने वाले दिनों का संकेत तो नहीं है कहीं ऐसा तो नहीं वह खुद अपने बेटे के साथ संभोग सुख प्राप्त करेगी अपनी बेटे के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाएगी,,, दुनिया समाज की परवाह किए बिना मां बेटे के बीच के पवित्र बंधन को तोड़ कर वहां अपने बेटे के साथ एक औरत और मर्द का रिश्ता कायम रखेगी,,,, यह सब सोचकर वह हैरान हो जा रही थी और अपने आप को ही झूठी सांत्वना देते हुए समझा रही थी कि नहीं ऐसा वह कभी नहीं करेगी अपने बेटे के साथ इस तरह का गलत संबंध वह कभी नहीं बनाएगी,,,।
बिस्तर पर बैठ कर वह घड़ी की तरफ देखी तो 3:30 का समय हो रहा था वह एकदम से हैरान हो गई थी,,, एक बार फिर से वह बिस्तर पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगी लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी,,, वो सपने के बारे में सोचने लगी और एहसास करने लगी कि सपना कितना हकीकत की तरह था ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी अभी उसका बेटा उसके कमरे में आकर उसकी चुदाई करके वापस चला गया है,,,, सपने में अपने बेटे की हरकत के बारे में सोचकर शर्म से उसके गाल लाल हो चुके थे सब कुछ हकीकत सा लग रहा था उसका कमरे में आना धीरे से बिस्तर पर बैठना और धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के बटन खोलना बटन खोलने के बाद उसकी चूचियों को जोर जोर से दबाना,,,, उसकी मजबूत बुझाओ और हथेलियों का दबाव अभी भी अपनी चुचियों पर साफ तौर पर महसूस कर पा रही थी सब कुछ हकीकत सा लग रहा था उसके रोकने के बावजूद भी उसके बेटे ने जिस तरह से जबरदस्ती दिखाते हुए चुचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू किया था उसके चलते नींद में भी उसके बदन में उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, और धीरे-धीरे साड़ी खोलना फिर पेटीकोट की डोरी खोलना औरत और उसका साथ देते हुए उसका खुद का अपनी गांड ऊपर की तरफ उठाकर पेटिकोट के साथ-साथ पेंटि उतरवाने में उसकी मदद करना,,,, और जिस तरह से अपने प्यासे होठों को उसकी चूत पर रख कर चाटना शुरू किया था उस पर तो आराधना पूरी तरह से गदगद हो गई थी,,,,, सपने में अपने बेटे की हरकत का बिल्कुल भी विरोध ना करना आराधना को और ज्यादा शर्मसार कर रहा था,,,, और देखते ही देखते जिस तरह से उसके बेटे ने अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा था और उसकी आधी गांड को अपनी जांघों पर रख दिया था उस पल को याद करके आराधना इस समय बेहद रोमांचित हो रही थी,,, और देखते ही देखते पहले ही प्रहार में अपने समूचे लंड को उसकी चूत में डालकर बच्चेदानी तक पहुंचा देना सब कुछ अद्भुत था,,, सपने के बारे में सोच कर एक बार फिर से आराधना की निप्पल तन गई थी सपना इतना हकीकत भी हो सकता है वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,, सपने में आकर उसके बेटे ने उसका पानी निकाल गया था,,,। इस बात का एहसास में वह पूरी तरह से डूब चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका मन क्या कह रहा है उसका दिल क्या चाहता है उसका दिमाग क्या करवाना चाहता है इस सपने को लेकर आराधना पूरी तरह से हैरान थी उसे लगने लगा था कि यह सपना भविष्य का संकेत है कहीं ना कहीं उसके मन में भी अपने बेटे के साथ चुदवाने की आस बंधती जा रही है,,,, इसीलिए वह अपने आप को और भी ज्यादा बेचैन महसूस कर रही थी बिस्तर पर करवट बदलते बदलते कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला,,,, सुबह जब आंख खुली तो मोहिनी उसे जगा रही थी काफी देर हो गई थी इसलिए झट से वह बिस्तर से उठ कर बैठ गई और अपने काम में लग गई,,,।
Bohot hi kamuk or uuttejna- porn updateसब कुछ सही चलने लगा था,,,, संजू सही समय पर कोचिंग क्लास पहुंच जाता था,,, धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा था,,,,, मनीषा को लगता नहीं था कि संजू अच्छी तरह से पढ़ आ पाएगा लेकिन वह जिस तरह से पढ़ाना शुरू किया था उसे देखते हुए 5 स्टूडेंट से कोचिंग क्लास शुरू हुई थी देखते ही देखते 55 विद्यार्थी हो चुके थे,,,, संजू की मेहनत और लगन देखकर मनीषा बहुत प्रभावित हो रही थी,,,, लेकिन दूसरी तरफ संजू के घर में अब सामान्य कुछ भी नहीं था संजू अपनी बहन के साथ रोज रात को अपनी रात रंगीन कर रहा था,,, मोहिनी के बदन में भी जवानी पूरी तरह से छा चुकी थी उसके अंगों में उभार कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगा था,,,,, मोहिनी अपने भाई से चुदवाए बिना बिल्कुल भी नहीं रहती थी,,, एक तरह से मोहिनी को अपने भाई के लंड का नशा हो चुका था जब तक उसकी मोटाई की रगड़ को वह अपनी चूत की अंदरूनी दीवारों पर महसूस नहीं करती थी तब तक उसे चैन नहीं मिलता था,,,, और यही हाल आराधना का हो चुका था हालांकि वह अभी तक इस सुख को प्राप्त नहीं कर पाई थी लेकिन जिस दिन से वह रात के समय अपनी बड़ी बहन को अपने बेटे के साथ चुदवाते देखी थी तब से उसके बदन में रह रहे कर ना जाने क्यों गलत भावनाएं उमड़ने लगी थी,,,, अपने बेटे के मजबूत जांघों की रगड़ अपनी बहन की मोटी जांघों पर वह अच्छी तरह से अपनी आंखों से देख पाई थी उसका जबरदस्त कमर हिला कर प्रहार करना सब कुछ आराधना के लिए अद्भुत,,, था,,,,,, अपनी बड़ी बहन की चुदाई देखकर वह पूरी तरह से बह चुकी थी और जिंदगी में पहली बार वह अपनी आंखों से किसी औरत को चुदवाते हुए देख रही थी और वह औरत को ही नहीं बल्कि उसकी बड़ी दीदी थी और उसको चोदने वाला कोई गैर मर्द नहीं उसका ही बेटा था,,,, आराधना अभी भी नहीं समझ पा रही थी कि आखिरकार वह इस रिश्ते को क्या नाम दें,,,,, मौसी और भतीजे में इस तरह के संबंध को वह पहली बार देख रही थी,,,,,।
एक तरफ उसे अपनी बड़ी दीदी और अपने बेटे की मेघनाथ हरकत की वजह से शर्मिंदगी का अहसास हो रहा था वहीं दूसरी तरफ वह ना जाने क्यों अपने बेटे की दमदार मर्दाना ताकत की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी,,,, बार-बार आराधना की आंखों के सामने अपनी बेटी का जोर जोर से कमर हिलाना और अपनी बड़ी बहन की हर धक्के के साथ गर्म सिसकारी के साथ आनंद की अनुभूति करना यह सब याद आ रहा था,,,, आराधना इस बात को भी अपने मन में सोच कर हैरान हो रही थी कि,,,, क्या उसके बेटे का लंड उसकी बहन की चूत की गहराई तक मतलब कि उसके बच्चेदानी तक पहुंच रहा होगा अपने इस सवाल का जवाब वह खुद से ही देते हुए अपने मन को दिलासा देते हुए समझाती थी कि जरूर पहुंच रहा होगा आखिरकार उसके बेटे का लंड जरूर से कुछ ज्यादा ही लंबा और मोटा है और जिस तरह से उसकी बहन लंबी-लंबी सिसकारियां ले रही थी उसे जरूर बहुत मजा आता होगा,,,, आराधना अपने मन में यह बात सोच कर हैरान हो रही थी कि जब उसका बेटा एक उम्र दराज औरत को संतुष्टि का अहसास करा सकता है तो लड़कियों की तो हालत खराब कर देता होगा और कितनी देर तक करता है,,, इतनी देर तक की तो उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी अपने पति के साथ संभोग करते हुए 1 मिनट या 2 मिनट तो बहुत हो गया इतने में तो उसका पति ढेर हो जाता था तो उसे सुख और संतुष्टि कहां से प्रदान कर पाता इसलिए अपने बेटे की जबरदस्त चुदाई को देखकर आराधना सोचने पर मजबूर हो गई थी और अपनी बहन को इस कामलीला में शामिल देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि परिवारिक रिश्तो में इस तरह के रिश्ते क्या सच में पनपते हैं या सिर्फ उसके ही घर पर इस कामलीला का पाप लीला चल रहा है,,,, लेकिन जाते-जाते उसकी बड़ी दीदी ने जो उससे बात कही थी उसे याद करके वह भी सोचने पर मजबूर हो जाती थी कि सच में औरतों को अपने लिए भी जीना चाहिए अपनी जरूरतों का अपने सुख का ख्याल रखना चाहिए तो क्या अपनी जरूरत किसी गैर मर्द से जिस्मानी ताल्लुकात बनाना या उनसे संभोग करके पूरी तरह से तृप्त हो जाना है अगर अपनी बहन का उदाहरण देखे तो हां जो कुछ भी उसकी बहन कह रही थी वास्तविक जीवन में औरतों को अपना लेना चाहिए,,, तभी एक औरत का जीवन सफल कहलाता है और वैसे भी वह अपनी बहन की जिंदगी में कभी भी कोई परेशानी नहीं देखी थी वह अपनी मर्जी की मालकिन थी और अपने सुख के खातिर जीबी रही थी और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा भी कर रही थी इसलिए ना जाने क्यों आराधना को अपनी बड़ी दीदी के जीवन से कुछ सीख लेने की भावना जाग रही थी,,, लेकिन फिर भी वह अपनी बड़ी बहन की तरह हरकत करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी उसके आगे संस्कार और शर्म की दीवार खड़ी नजर आती थी,,, जो कि उस दीवार को लांघना शायद आराधना के बस में बिल्कुल भी नहीं था,,,,, फिर भी जब कभी भी वह उस रात वाले दृश्य को याद करती थी तब तक उसकी निप्पल तन कर खड़ी हो जाती थी बार-बार अपने बदन में उत्तेजना का अनुभव करने लगती थी,,,,
महीना गुजर चुका था लेकिन अशोक घर पर नहीं आया था धीरे-धीरे आराधना भी अशोक की चिंता करना छोड़ दी थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह सुधरने वाला नहीं है और एक बार फिर सेवह अपने पिछले जीवन में झांकना या जाना बिल्कुल भी नहीं चाहती थी वह जिस तरह से जीना शुरू की थी उसमें एक तरह से उसे आनंद आ रहा था क्योंकि रात को वह चैन की नींद सोती तो थी,,,, लेकिन एक दिक्कत हो रही थी रात को जरूर और चैन की नींद सोती थी लेकिन बिस्तर पर सारी रात भर करवटें बदलती रहती थी उसे भी ना जाने क्यों एक मर्द की जरूरत पड़ने लगी थी लेकिन फिर भी वह किसी तरह से अपने आप को संभाले हुई थी,,,,।
संजू कोचिंग क्लास 4:00 बजे घर से निकल जाया करता था और 5:00 बजे के बाद उसकी मां आती थी इसलिए संजू पैदल या तो रिक्शा करके कोचिंग क्लास बहुत जाता था,,,, उसे भी कोचिंग क्लास में आनंद आने लगा था रोज नए नए चेहरे और उन्हें पढ़ाने की धुन में वह सब कुछ भूल जाता था एक तरह से वह मनीषा का मन ही मन बहुत ज्यादा शुक्रिया अदा करता था जो उसे कोचिंग क्लास में सहभागी बनाकर उसके जीवन को सुधारने में लगी थी,,, ऐसे ही एक दिन कोचिंग क्लास जाने से पहले गर्मी के कारण संजू बाथरूम में घुस गया और बाथरूम का दरवाजा बंद नहीं किया बाहर के दरवाजे पर भी चिटकिनी नहीं लगाया क्योंकि वह जानता था कि इस समय कोई आने वाला नहीं है और किसी के आने से पहले ही वह घर से चला जाता था,,,,,
इसलिए बाथरूम में घुसते ही निश्चित होकर अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगा हो गया,,,, संजू का गठीला बदन औरतों के लिए आकर्षण का कारण बना रहता था,,,, कपड़े उतार कर नंगा होने के बाद औपचारिक रूप से उसके लंड में सनसनाहट हो रही थी और वह अपने आप ही एकदम से खड़ा हो गया था,,, अपनी मौसी और अपनी बहन की चुदाई करने की वजह से अब उसे मुठ मारने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं पड़ती थी अगर मोहिनी उसका साथ ना देती तो शायद अपनी मौसी की याद में वह रोज हिला कर अपना काम चला लेता क्योंकि मौसी उसे रोज नहीं मिलती थी लेकिन मोहिनी रोज रात को उसे खुश कर देती थी इसलिए अपने खड़े लंड पर वह बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था और अपने बदन पर साबुन लगाने लगा था,,,,,।
दूसरी तरफ ऑफिस से जल्दी छुट्टी होने की वजह से आज आराधना जल्दी ही घर पर लौट आई थी बाहर स्कूटी खड़ी करके दरवाजे की तरफ देखी तो दरवाजा खुला हुआ था वह समझ गई कि संजू घर पर आ चुका है इसलिए धीरे से दरवाजा खोल कर अंदर प्रवेश की उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी इसलिए अपने पर्स को एक तरफ रख कर वह बाथरूम की तरफ आगे कदम बढ़ाई,,,, तो देखी बाथरूम का दरवाजा हल्का खुला हुआ है,,,, उसे लगा कि बाथरूम में कोई नहीं है क्योंकि अगर बाथरूम में कोई होता तो बाथरूम का दरवाजा बंद होता है इसलिए वह निश्चिंत होकर दरवाजा को पकड़ कर खोल दी और जैसे ही दरवाजा खोल ही उसकी आंखों के सामने जो दृश्य नजर आया उसे देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई उसकी नजर सीधे अपने बेटे के खड़े लंड पर गई जो कि छत की तरफ मुंह उठाकर खड़ा था आज पहली बार आराधना अपने बेटे के लंड को बेहद करीब से देख रही थी,,, पल भर के लिए उसकी आंखें अपने बेटे के लंड पर जमी की जमी रह गई,,,, पहले तो संजू दरवाजा एकाएक खुलने पर एकदम से हड़बड़ा गया था लेकिन जब देखा कि बाहर उसकी मां खड़ी है तब वह एकदम बेशर्मी पर उतर आए और अपने बदन को बिल्कुल भी ढकने की कोशिश नहीं किया क्योंकि वह ताड़ लिया था कि उसकी मां उसके लंड को ही देख रही है,,,, और वह जानबूझकर अपनी मां को अपने लंड दिखाने लगा,,,,,।
खूबसूरत जवान औरत के लिए एक जवान लड़के का मर्दाना ताकत से भरा हुआ लंड हमेशा से उसकी कमजोरी और आकर्षण का केंद्र बिंदु रहा है और उससे आराधना बिल्कुल भी अछूता नहीं थी इसलिए अपने बेटे के दमदार लंड को अपनी आंखों से देख कर उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें वह अपनी नजरों को हटा नहीं पा रही थी एक अजीब सा आकर्षण उसकी नजरों को लंड के आकर्षण में बांध कर रख दिया था,,,, तकरीबन आराधना ने इस दृश्य को केवल 15 सेकंड तक ही देखी थी लेकिन इन 15 सेकंड में हुआ है कि नहीं जिंदगी को जी चुकी थी पल भर में ही अपनी आंखों से वह तार चुकी थी कि उसके बेटे के लंड की मोटाई और लंबाई बेहद दमदार है पहले ही वह अपने बेटे के लंड की दमदार ताकत को अपनी बड़ी बहन की मदमस्त जवानी पर देख चुकी थी इसलिए उसे अपने बेटे की मर्दाना ताकत पर बिल्कुल भी साथ नहीं था,,,, लंड के इर्द-गिर्द झांठ के बाल साबुन का झाग लगा हुआ था जिससे उसका लंड और भी ज्यादा मनमोहक लग रहा था,,,, उत्तेजना के मारे आराधना का गला सूख चुका था और वह अपने सूखे हुए गले को ठीक से गिला करने की कोशिश करते हुए अपनी नजरों को ऊपर की तरफ ले गई तो उसकी चौड़ी छाती को देखकर आराधना की चूत से मदन रस की बूंद टपक गई,,,,, वह पहली बार अपने बेटे को पूरी तरह से नग्न अवस्था में देख रहे थे और पहली बार देखने के बाद उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि उसका बेटा मर्दाना ताकत से भरा हुआ एक जवान लड़का था जिसकी बाहों में आने के लिए औरत शायद इसीलिए मचल उठती होगी और यही हाल उसकी बड़ी दीदी का भी होगा,,,,,। अपनी मां की अपने लंड पर चिपकी हुई नजरों को देखकर संजू बहुत खुश हो रहा था और अपनी मां की आंखों के सामने बेशर्मी का उदाहरण देते हुए वह अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर नीचे करके हिलाने लगा उसे देखकर आराधना की दोनों टांगों के बीच बवंडर से उठने लगा था और तुरंत उसे होश आया कि वह क्या कर रही है और तुरंत अपने बेटे को सॉरी बोल कर वापस दरवाजा बंद करके अपने कमरे में चली गई,,,,।
संजू का काम बन चुका था वह समझ गया था कि उसकी मां भी उसके लंड की दीवानी हो गई है,,,, क्योंकि जिस तरह से वह प्यासी नजरों से देख रही थी संजू को लगने लगा था कि उसकी मां भी प्यासी है,,, और औरत के ऐसी प्यासे पन का फायदा उठाना हर एक मर्द जानता था और संजू को भी मालूम था कि उसे क्या करना है कब करना है बस वह सही मौके के इंतजार में था,,,,, मुठ मारने का उसका बिल्कुल भी विचार नहीं था लेकिन अपनी मां को इस तरह से अपना लंड देखता हुआ पागल अपने आप ही उसका दिमाग घूमने लगा था उसके मन में कल्पनाओं का तूफान उम्र रहा था और संजू उन कल्पनाओं के जंगल में अपने सपनों की राजकुमारी को ढूंढ रहा था जो कि पहले से ही बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी एकदम नग्न अवस्था में संजू अपनी कल्पनाओं के घोड़े पर सवार होकर बिस्तर के करीब गया और घोड़े पर से कूद कर सीधे बिस्तर पर पहुंच गया अपनी मां के दोनों टांगों के बीच और बिना कुछ बोले ही अपने मोटे लंड को अपनी मां के गुलाबी छेद में डालकर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया इस तरह की कल्पना करके संजू पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था और थोड़ी ही देर में पानी का फव्वारा निकला और सामने की दीवार को गीला कर दिया थोड़ी देर में शांत होने के बाद वह दीवार पर गिरे अपने लावे को पानी डालकर साफ करने लगा और फिर रावल पहन कर बाथरूम के बाहर आ गया,,,, थोड़ी ही देर में संजू तैयार हो चुका था लेकिन दूसरी तरफ आराधना की हालत खराब हो चुकी थी वह अपने कमरे में बिस्तर पर बैठी हुई थी और अपने बेटे के बारे में सोच कर हैरान हो रही थी,,,,,,।
मम्मी मैं जा रहा हूं,,,,
(अपने बेटे की आवाज सुनकर वह एकदम से चौक गई अपने बेटे से बात करने में उसे शर्म आ रही थी मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी तो दोबारा संजू बोला)
क्या हुआ मम्मी सो गई क्या,,,?
नहीं थोड़ी थकान है तू जा,,,
ठीक है मम्मी मैं जा रहा हूं,,,,(और अपनी मां के कमरे की तरफ मुस्कुराता हुआ देखकर संजू घर से बाहर निकल गया लेकिन आज उसकी मां जल्दी आई थी इसलिए वापस कमरे में प्रवेश करता हुआ बोला,,,,)
मम्मी आज तुम जल्दी आ गई हो क्या मैं तुम्हारी स्कूटी ले जा सकता हूं,,,,।
(संजू आराधना के कमरे में पहुंच चुका था लेकिन आराधना को होश बिल्कुल भी नहीं था वह किसी ख्यालों में खोई हुई थी लेकिन अपने बेटे की बात सुनकर जैसे कोई उसे नींद से जगाया हो एकदम से हड़बड़ाहट में बिस्तर से उठ कर खड़ी हो गई और हडबड्ते हुए बोली,,,)
कककक क्या,,,?
अरे मम्मी कहां खोई हुई हो मैं पूछ रहा हूं कि मैं क्या तुम्हारी स्कूटी ले जा सकता हूं,,,
हां हां ठीक है ले जा,,,, चाबी देख दीवार पर टंगी होगी,,,।
(इतना सुनते ही संजू एक नजर अपनी मां के ऊपर डाला तो मुस्कुराने लगा वह समझ गया था कि उसके मोटे खडे लंड न६ उसका काम कर दिया है और वह चाबी लेकर घर से बाहर आ गया और उसको की चालू करके कोचिंग क्लास की तरफ चल दिया,,,, रात को भी आराधना अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी ,,, उससे बात करने में कतरा रही थी,,,,,,,, खाना खाने के बाद अपना सारा काम करके आराधना अपने कमरे में चली गई और संजु अपने कमरे में मोहिनी के साथ,,, शाम को अपनी मां को बेहद करीब से अपना लंड दिखाने की वजह से अभी तक उसके बदन में उत्तेजना का संचार हो रहा था इसलिए कमरे में जाते ही वह मोहिनी के कपड़ों को उतारकर उसे नंगी कर दिया और दूसरी तरफ आराधना का दिमाग काम करना बंद कर दिया था वह ना चाहते हुए भी बार-बार अपने बेटे के लंड के बारे में सोच रही थी,,,, और सोचते-सोचते उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला,,,,,।
तकरीबन रात को 2:00 बजे उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे कोई उसके कमरे में है और धीरे से उसके बिस्तर पर बैठ गया उसकी आंख नहीं खुल रही थी लेकिन उसे महसूस हो रहा था देखते ही देखते उसे समझ में आने लगा कि कमरे में उसका बेटा है और वह धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा है आराधना उसे अपना ब्लाउज का बटन खोलने से मना कर रही थी लेकिन वह मान नहीं रहा था देखते ही देखते संजू अपनी मां के ब्लाउज के सारे बटन को खोल कर उसकी नंगी चूची को जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया था सोने से पहले आराधना अपनी ब्रा को उतार दी थी केवल ब्लाउज पहनी हुई थी अपनी मां की बड़ी-बड़ी चुचियों को दशहरी आम की तरह वह मुंह में लेकर पी रहा था उसकी मां उसे रोकने की बहुत कोशिश कर रही थी लेकिन वह मान नहीं रहा था लेकिन संजू की इस हरकत की वजह से उसके बदन में उत्तेजना का संचार होने लगा और उसे मजा आने लगा,,,, देखते ही देखते आराधना की गरम सिसकारियां कमरे में घुसने लगी और संजू अपनी मां की चूची को पूरी तरह से निचोड़ डालना चाहता था बड़ी बड़ी चूची अपने हाथ में आया हुआ देखकर संजू की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ती जा रही थी संजू पागलों की तरह अपनी मां की चूची को मुंह में लेकर पी रहा था और आराधना उसका सर पकड़ कर जोर जोर से अपनी छाती पर दबा रही थी,,,,, देखते ही देखते संजू का हाथ उसकी साड़ी की गिठान पर पहुंच गया और उसे खोलकर साड़ी को अलग करने लगा,,,,, उत्तेजना के मारे आराधना का गला सूख रहा था लेकिन आराधना अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से आनंदित हो चुकी थी देखते ही देखते समझो अपनी मां की साड़ी को पूरी तरह से उसके बदन से अलग कर दिया और उसकी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगा पेटिकोट की डोरी खुलते ही आराधना अपने आप ही अपनी गांड को हवा में ऊपर की तरफ उठा देता कि उसका बेटा बड़े आराम से उसकी पेटीकोट को उतार सकें संजू स्फूर्ति दिखाते हुए अपनी मां की पेटीकोट को पेंटी सहित पकड़कर उसे एक झटके से उतार दिया और देखते ही देखते संजू की मां बिस्तर पर पुरी तरह से नंगी हो गई,,,,, और अगले ही पल अपने बेटे की जीत को अपनी चूत पर महसूस करते ही वह एकदम से गनगना गई यह पल आराधना के लिए बेहद अद्भुत और अविस्मरणीय था आराधना इस पल में पूरी तरह से डूबती हुई अपने आपको महसूस करने लगी देखते ही देखते संजू ने अपनी जीभ से उसे पागल कर दिया,,,। देखते ही देखते आराधना पूरी तरह से मदहोश होने लगी और अपने आप ही अपने बेटे के लिए अपनी दोनों टांगों को खोल दी संजू अपने दोनों घुटनों के बल बैठकर अपनी मां की दोनों कमर तक अपना हाथ ले गया और उसे कस के पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसकी आदि गांड को अपनी जांघों पर चढ़ा लिया,,,, और देखते ही देखते संजू अपने मोटे तगड़े लंड को अपनी मां की गुलाबी छेद पर रख कर एक करारा धक्का मारा और एक ही धक्के में संजू का लंड सारी अड़चनों को पार करता हुआ सीधा आराधना की बच्चेदानी से जा टकराया आराधना की चीख निकल गई और संजू ताबड़तोड़ धक्के पर धक्का लगाना शुरू कर दिया आराधना पूरी तरह से मस्त हो गई और देखते ही देखते गरम आहें भरते हुए उसका पानी निकल गया और जैसे ही उसकी आंख खुली उसके होश उड़ गए,,, उसके ऊपर संजू नहीं बल्कि वह बिस्तर पर अकेली ही थी पसीने से लथपथ वह सपना देख रही थी सपने में वह अपने बेटे के साथ संभोग रत थी अपनी छाती की तरफ नजर दौड़ाई तो ब्लाउज ज्यों का त्यों था,,, उसका एक भी बटन खुला नहीं था,,,, कमर के नीचे के हालात कुछ ठीक नहीं थे साड़ी कमर तक चढ़ी हुई थी साड़ी के नीचे उसने चड्डी नहीं पहनी थी उसकी चूत पर उसकी खुद की हथेली रखी हुई थी और उसकी चूत से मदन रस भल भला कर बह रहा था,,,, उसे समझते देर नहीं लगेगी सपने में उसे स्वप्नदोष हुआ है,,,, लेकिन आज तक ऐसा उसके साथ कभी नहीं हुआ था इस तरह का एक बार और उसके साथ कॉलेज के दिन में हुआ था और तब से लेकर आज तक आज दूसरी बार नींद में उसका पानी निकल गया था वह हैरान थी अपनी हालत पर,,,, पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,, अभी भी उसकी सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी,,,, वो बिस्तर पर से उठी और अपने कपड़ों को दुरुस्त करने लगी सोने से पहले ही वह अपनी पेंटि निकाल चुकी थी और सपने में,,, उसे ऐसा ही नजर आ रहा था कि उसका बेटा खुद अपने हाथों से उसकी पेटीकोट के साथ-साथ उसकी पेंटी भी निकाल चुका था,,,, अपनी सांसो को दुरुस्त करने के बाद वह एक गिलास ठंडा पानी पी और अपने आप को शांत करने की कोशिश करने लगी बिस्तर पर बैठकर वो सपने के बारे में सोचने लगी कि इतना गंदा सपना उसे क्यों दिखाई दिया कहीं सपने में आने वाले दिनों का संकेत तो नहीं है कहीं ऐसा तो नहीं वह खुद अपने बेटे के साथ संभोग सुख प्राप्त करेगी अपनी बेटे के साथ जिस्मानी ताल्लुकात बनाएगी,,, दुनिया समाज की परवाह किए बिना मां बेटे के बीच के पवित्र बंधन को तोड़ कर वहां अपने बेटे के साथ एक औरत और मर्द का रिश्ता कायम रखेगी,,,, यह सब सोचकर वह हैरान हो जा रही थी और अपने आप को ही झूठी सांत्वना देते हुए समझा रही थी कि नहीं ऐसा वह कभी नहीं करेगी अपने बेटे के साथ इस तरह का गलत संबंध वह कभी नहीं बनाएगी,,,।
बिस्तर पर बैठ कर वह घड़ी की तरफ देखी तो 3:30 का समय हो रहा था वह एकदम से हैरान हो गई थी,,, एक बार फिर से वह बिस्तर पर लेट कर सोने की कोशिश करने लगी लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी,,, वो सपने के बारे में सोचने लगी और एहसास करने लगी कि सपना कितना हकीकत की तरह था ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी अभी उसका बेटा उसके कमरे में आकर उसकी चुदाई करके वापस चला गया है,,,, सपने में अपने बेटे की हरकत के बारे में सोचकर शर्म से उसके गाल लाल हो चुके थे सब कुछ हकीकत सा लग रहा था उसका कमरे में आना धीरे से बिस्तर पर बैठना और धीरे-धीरे उसके ब्लाउज के बटन खोलना बटन खोलने के बाद उसकी चूचियों को जोर जोर से दबाना,,,, उसकी मजबूत बुझाओ और हथेलियों का दबाव अभी भी अपनी चुचियों पर साफ तौर पर महसूस कर पा रही थी सब कुछ हकीकत सा लग रहा था उसके रोकने के बावजूद भी उसके बेटे ने जिस तरह से जबरदस्ती दिखाते हुए चुचियों को मुंह में लेकर पीना शुरू किया था उसके चलते नींद में भी उसके बदन में उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, और धीरे-धीरे साड़ी खोलना फिर पेटीकोट की डोरी खोलना औरत और उसका साथ देते हुए उसका खुद का अपनी गांड ऊपर की तरफ उठाकर पेटिकोट के साथ-साथ पेंटि उतरवाने में उसकी मदद करना,,,, और जिस तरह से अपने प्यासे होठों को उसकी चूत पर रख कर चाटना शुरू किया था उस पर तो आराधना पूरी तरह से गदगद हो गई थी,,,,, सपने में अपने बेटे की हरकत का बिल्कुल भी विरोध ना करना आराधना को और ज्यादा शर्मसार कर रहा था,,,, और देखते ही देखते जिस तरह से उसके बेटे ने अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ ले जाकर उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा था और उसकी आधी गांड को अपनी जांघों पर रख दिया था उस पल को याद करके आराधना इस समय बेहद रोमांचित हो रही थी,,, और देखते ही देखते पहले ही प्रहार में अपने समूचे लंड को उसकी चूत में डालकर बच्चेदानी तक पहुंचा देना सब कुछ अद्भुत था,,, सपने के बारे में सोच कर एक बार फिर से आराधना की निप्पल तन गई थी सपना इतना हकीकत भी हो सकता है वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी,,,, सपने में आकर उसके बेटे ने उसका पानी निकाल गया था,,,। इस बात का एहसास में वह पूरी तरह से डूब चुकी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसका मन क्या कह रहा है उसका दिल क्या चाहता है उसका दिमाग क्या करवाना चाहता है इस सपने को लेकर आराधना पूरी तरह से हैरान थी उसे लगने लगा था कि यह सपना भविष्य का संकेत है कहीं ना कहीं उसके मन में भी अपने बेटे के साथ चुदवाने की आस बंधती जा रही है,,,, इसीलिए वह अपने आप को और भी ज्यादा बेचैन महसूस कर रही थी बिस्तर पर करवट बदलते बदलते कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला,,,, सुबह जब आंख खुली तो मोहिनी उसे जगा रही थी काफी देर हो गई थी इसलिए झट से वह बिस्तर से उठ कर बैठ गई और अपने काम में लग गई,,,।