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Incest मजबूरी या जरूरत

Alok

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Raj_sharma

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Rony bhai adheerta se intjaar Hai agle update ka.😊😊
 

Ajju Landwalia

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मनीषा को इस तरह से अपने प्यार का इजहार करता देखकर संजू की खुशी का ठिकाना ना था पहले दिन से ही मनीषा के प्रति उसका आकर्षण बरकरार था लेकिन अपने बदन की भूख मिटाने के लिए उसे अपनी मौसी का सहारा लेना पड़ रहा था और वह भी अपनी मौसी के प्रति पूरी तरह से समर्पित था क्योंकि उसकी मौसी नहीं उसे संभोग का एक अद्भुत अध्याय सिखाई थी,,



,,, लेकिन अब उसे लगने लगा था कि मां के साथ-साथ उसकी बेटी भी अब उसके पूरी तरह से आगोश में आ जाएगी,,,, अब तो कुछ नहीं शुरू शुरू में अपनी जिंदगी का पहला संभोग अनुभव अपनी मौसी से प्राप्त किया था उसकी पूरी कचौरी कैसी चूत के दर्शन करके वह अपने आप को धन्य समझते लगा था,,, उसे लगने लगा था कि सभी औरतों के पास लड़कियों के पास उसकी मौसी की तरह ही फूली हुई चूत होगी लेकिन जब उसने अपनी खूबसूरत जवान बहन की चूत की पहली बार दर्शन किया तब उसका यह भ्रम भंग हो गया था,,, वह समझ चुका था कि औरतों के पास बनेगी चूत होती है लेकिन चूत की खूबसूरती बनावट एक जैसी होने के बावजूद भी उनका अलग-अलग आकर्षण होता है,,, इसलिए मनीषा के अद्भुत चुंबन सुख को प्राप्त कर के वह अब मनीषा की चूत के दर्शन करने के लिए उत्सुक हो गया था और से पूरा यकीन हो गया था कि एक ना एक दिन जरूर वह मनीषा की चूत को अपनी आंखों से देख पाएगा,,,,, जवान खूबसूरत लड़का होने के नाते उसे इस बात का एहसास हो गया था कि मनीषा काव्य से उसे दूर क्यों रखना चाहती है मनीषा उसे प्यार करने लगी थी और कोई भी लड़की नहीं चाहेगी कि उसका प्रेमी किसी और लड़की के चक्कर में पड़े लेकिन काव्या के व्यक्तित्व और उसके हंसमुख अंदाज से संजू प्रभावित हो चुका था,,,, लेकिन फिर भी वह अपने आप को मनीषा की खातिर काव्या से दूर रहने का अपने मन में ही निश्चय कर लिया था,,,।

पहले दिन तो उसका फोन नहीं आया था इसलिए संजू को थोड़ी बहुत राहत महसूस हो रही थी और जिस तरह का वाक्या उसने अपनी मां के साथ किया था उसके चलते बार-बार उसका लंड खड़ा हो जा रहा था अपनी मां के लाल लाल होठों का स्पर्श उसकी गर्मी उसकी तपन अपने अंदर महसूस करके उसका लंड बार-बार लार टपका रहा था,,,, अपनी मां की चुचियों की गोलाई को अपने दोनों हाथों में लेकर जिस तरह से उसने दबाया था वह सुख संजू के लिए बेहद अद्भुत और कल्पना से परे था बाहर से कठोर दिखने वाली चूची जोकि ब्लाउज में रहने के बावजूद भी एकदम तनी हुई नजर आती थी वह छूने पर इतनी नरम नरम होगी उसे इस बात का अंदाजा नहीं था अपनी मां की चूचियों की तुलना वह अपनी मौसी साधना की चुचियों से और अपनी बहन मोहिनी की चुचियों से करता था और इन दोनों की तुलना में उसे अपनी मां की चूचियां कुछ ज्यादा ही रसभरी और खूबसूरत लगती थी,,,,,, उसे मुंह में लेकर पीने का मजा ही कुछ और था इस बात का आभास संजू को अच्छी तरह से हो गया था जबकि वह रोज रात को अपनी बहन की चूची को मुंह में लेकर जी भरकर उसे चूसता था लेकिन पल भर में जितना मजा उसकी मां की चूचीयों ने उसे प्रदान किया था उतना मजा उसे अपनी बहन की चूची में नहीं आया था,,,, इसलिए वह किसी भी तरह से अपनी मां को अपने वश में करने की युक्ति सोचता रहता था लेकिन उसकी युक्ति कामयाब होती नजर नहीं आती थी जब तक की आराधना पूरी तरह से उसकी बाहों में बिखर ना जाए हालांकि रात को उसकी मां पूरी तरह से अपने बेटे की आकर्षण में खो चुकी थी इन मौके पर मोहिनी के आ जाने पर सब कुछ भंग हो गया था और आराधना अपने आप को संभाल ले गई थी लेकिन यह बात आराधना भी अच्छी तरह से जानती थी कि अगर इसी तरह से चलता रहा तो वह और दिन तक अपने आप को अपने बेटे की बाहों में आने से नहीं संभाल पाएगी क्योंकि उसे भी अपनी जरूरत महसूस होने लगी थी और जिस दिन से वह अपनी बड़ी बहन को अपने बेटे से चुदवाते हुए देखी थी तब से तो उसे इस बात का एहसास हो गया था कि हर एक औरत की अपनी ख्वाहिश होती है और उसे पूरा करना औरत की खुशी और जरूरत भी होती है जिस तरह से उसकी बड़ी बहन अपनी खुशियों का ख्याल रखते हुए लोक लाज समाज का डर अपने मन में लिए बिना ही अपने ही भतीजे के साथ संभव को सुख का अद्भुत पल जी रही थी आराधना का मन भी अपनी बड़ी बहन की तरह ही समाज के परी खुशियां लूटने का सोच रही थी लेकिन मन ही मन इस तरह के ख्याल से वह शर्मिंदा हो जाती थी,,,,,,,

रात के 10:00 बज रहे थे संजू खाना खाकर कुछ देर के लिए घर के बाहर आकर टहलने के लिए निकला था कि तभी उसके मोबाइल की घंटी बजने लगी मोबाइल अपनी जेब से निकाल कर देखा तो कोई अनजान नंबर था इसलिए वह कॉल रिसीव करते हुए हेलो बोला,,,

हेलो कौन,,,,

इतनी जल्दी भूल गए,,,,(सामने से इतनी खूबसूरत सुरीली आवाज सुनकर संजू को समझते देर नहीं लगी कि सामने फोन पर कौन है वह कुछ बोल पाता इससे पहले ही वह खुद बोली)

मैं काव्या बोल रही हूं तो क्या फैसला किए हो आओगे ना मेरे घर पढ़ाने,,,
(इतना सुनते ही वह कुछ देर तक खामोश रहा और फिर बोला)

कल मैं तुम्हारे फोन का इंतजार कर रहा था लेकिन तुम मुझे फोन ही नहीं की,,,
हां मैं थोड़ा बिजी हो गई थी इसलिए तुम्हें फोन नहीं की लेकिन अब एकदम फ्री हूं,,,,

(संजू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह काव्या के घर उसे पढ़ाने के लिए जाए या ना जाए क्योंकि मनीषा ने उसे सख्त हिदायत दी थी कि काव्या से दूर रहना है,,, और संजू को अब तो इस बात का पता चल गया था कि मनीषा उसे प्यार करती है और वह किसी तरह से मनीषा का दिल तोड़ना नहीं चाहता था मनीषा जैसी खूबसूरत लड़की को अपने हाथों से निकलने नहीं देना चाहता था इसलिए उसे आगे संभाल कर कदम रखना था कुछ देर तक खामोशी छाई रही तो काव्या हो अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

क्या हुआ संजू क्या सोच रहे हो पढ़ाना नहीं चाहते क्या,,,?

नहीं नहीं ऐसी बात नहीं काव्या लेकिन हमारे कोचिंग क्लास की कुछ नहीं है मैं किसी के घर पर जाकर पढ़ाना यह कोचिंग क्लास के नियम के विरुद्ध है अगर इस बात की किसी को भनक लग गई तो हो सकता है कुछ गड़बड़ हो जाए,,,
Sanju or kavya



किसी को नहीं सिर्फ मनीषा को मैं अच्छी तरह से समझती हूं,,, तुम मनीषा के डरे हो तुम उसकी चिंता करना बिल्कुल भी छोड़ देना जानती हो उसको इस बात की भनक तक नहीं लगेगी और ना ही मैं उसे कभी बताऊंगी,,,,
(जिस बात का डर संजू को अपने मन में था उस डर को पूरी तरह से काव्या ने अपनी बात कह कर खत्म कर चुकी थी,,,, इसलिए वो एकदम खुश होता हुआ बोला,,,)

तुम सच कह रही हो काव्या मुझे मनीषा दीदी का ही डर था और तुमने सब कुछ आसान कर दी हो अगर ऐसा है तो मैं जरूर तुम्हारे घर तुम्हें पढ़ा नहीं आऊंगा लेकिन मैं तो ना तो तुम्हारा घर देखा हूं ना तुम्हारा एड्रेस जानता हूं,,,,

तुम उसकी चिंता छोड़ दो बस कल तुम कोचिंग क्लास से छूटकर जो आगे वाला चार रास्ता है वही एक चाय की शॉप है वही खड़े रहना मैं वहीं से तुम्हें अपने साथ लेकर चलूंगी इससे मनीषा को बिल्कुल शक भी नहीं होगा और ना ही तुम मेरे बारे में कभी कुछ बताना अगर मेरे बारे में पूछे तो बोल देना कि वह मजाक कर रही थी उसे पढ़ना नहीं है,,,,


वाह काव्य वाह मान गए तुम्हारा दिमाग बड़ी तेजी से चलता है,,,,, तो कब मिलना है,,,

कल कोचिंग क्लास से छूटने के बाद,,,,
(इतना कहने के साथ ही काव्या ने फोन काट दिया और मन ही मन मुस्कुराने लगी कल संजू को अपने घर लेकर आने का प्रयोजन कुछ और ही था क्योंकि कल उसके घर पर उसके मम्मी पापा नहीं थे कहीं बाहर जाने वाले थे और ऐसे में उसे खुला दौर मिल जाएगा अपनी मनमानी करने का वैसे भी काव्या जवान खूबसूरत लड़कों के प्रति बहुत ही जल्दी फिसल जाती थी और संजू को देखते ही उसकी चूत में पानी भर आया था दूसरी तरफ संजू भी बहुत खुश था उसे इस बात का आभास होने लगा था कि उसके साथ कुछ रोमांचक होने वाला है,,,,, दूसरे दिन कोचिंग कलास से छुटते ही मनीषा अपने घर की तरफ चली गई और संजू अपने घर की तरफ लेकिन काव्या के बताया अनुसार वह चाय की दुकान पर खड़ा रह गया और थोड़ी ही देर में उसे काफी स्कूटी पर आती नजर आई और वह खुश हो गया,,,, काव्या ठीक संजू के सामने स्कूटी खड़ी कर दी आज वह सफेद रंग की टी-शर्ट और डेनिम रंग की जींस पहनी हुई थी जिसमें वह बला की खूबसूरत लग रही थी,, काले रंग के गोगल्स में उसका खूबसूरत गोरा मुखड़ा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था ,,, काव्या ने आज अपने दोनों संतरो को अपनी सफेद रंग की टीशर्ट के अंदर छुपा रखी थी,,,, उसकी खूबसूरती देखकर संजू से रहा नहीं थे और वह बोला,,,



तुम तो बहुत खूबसूरत हो काव्या,,,

थैंक यू संजू,,,, आओ बैठो मैं तुम्हें अपने घर ले चलती हूं,,,,

(इतना सुनते ही संजू काव्या के पीछे स्कूटी पर बैठ गया और काव्या एक्सीलेटर देकर अपनी स्कूटी को आगे बढ़ा दी,,, संजू का दिल जोरों से धड़क रहा था इतनी खूबसूरत लड़की के पीछे वह कभी बैठा नहीं था हालांकि वह मनीषा के साथ बैठ चुका था लेकिन वह उसकी खुद की चचेरी बहन थी इसलिए इस समय का एहसास कुछ और था,,,, कभी अभी जिस मकसद से उसे अपने घर पर लेकर जा रही थी उसके बारे में सोच कर उसका भी दिल जोरों से धड़क रहा था खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की हलचल पूरी तरह से उसे धराशाई कर रही थी,,,,,,, थोड़ी ही देर में काव्या संजू को लेकर अपने फ्लैट पर पहुंच गई वैसे भी फ्लैट में रहने वाले किसी एक दूसरे से मतलब रखते नहीं थे इसलिए काव्या को इस बात की बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी वह बड़े आराम से संजू को अपने कमरे में ले कर चली गई और उसे सोफे पर बैठने के लिए बोल कर उसके लिए चाय नाश्ता लेने के लिए किचन में चली गई,,, संजू उसे किचन में जाता हुआ देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था क्योंकि ब्लू रंग की जींस में उसकी गांड कुछ ज्यादा ही उभरी हुई लग रही थी जिसे देखकर संजू का लंड हरकत में आ रहा था,,,,



काव्या मनीषा की ही हम उम्र लड़की थी लेकिन काव्या का बदन कुछ ज्यादा ही भरा हुआ था,,, जिसे देखकर संजू के मुंह में बार बार पानी आ रहा था,,,। संजू सोफे पर बैठ कर कमरे का मुआयना कर रहा था कमरे को बहुत ही अच्छी तरह से सजा हुआ था हर एक वस्तु अपनी जगह पर सही सलामत रखे हुई थी,,,, थोड़ी ही देर में काव्या चाय का कप एक प्लेट में लेकर और बिस्किट लेकर आ गई,,,,।

लो संजू चाय पियो,,,(प्लेट में से चाय का कप लेकर हुआ थोड़ा सा झुककर संजू की तरफ चाय का कप आगे बढ़ा दी लेकिन उसका ऐसा करने से उसके सफेद रंग की टीशर्ट में से उसकी मदमस्त कर देने वाली चूचियां नजर आने लगी और संजू को पलभर में ही पता चल गया था कि टी-शर्ट के अंदर उसने ब्रा नहीं पहनी हुई है यह अहसास होते ही संजू के तन बदन में आग लग गई और काव्या ने भी संजू की नजरों को अच्छी तरह से भांप ली थी और इसलिए मन ही मन खुश हो रही थी,,, संजू हाथ आगे बढ़ाकर चाय का कप ले लिया और धीरे-धीरे पीना शुरू कर दिया ठीक उसके बगल में ही एकदम सटकर काव्या बैठ गई और वह भी चाय का कप लेकर पीने लगी,,,, ईतनी खूबसूरत लड़की के बेहद करीब एकदम सटकर बैठने की वजह से संजू अपने आप को असहज महसूस कर रहा था उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारियां फूट रही थी,,,,,,,, संजू का दिल जोरों से धड़क रहा था लेकिन काव्या एकदम सहज थी,,,,, चाय की चुस्की लेते हुए काव्या बोली,,,।




संजू तुमने मनीषा को तो नहीं बताए हो ना कि तुम मेरे घर आए हो,,,

नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं पर मैं उसे बताना भी नहीं चाहता था तुमने तो नहीं बताई हो ना,,,


मैं भला क्यों बताऊं,,, मैं उसे अच्छी तरह से जानती हूं मैं अगर उसे बता देती तो तुम मेरे घर पर कभी नहीं आ पाते,,,
(संजू का दिल जोरों से धड़क रहा था उसके मन में जिस तरह की आशंका उठ रही थी उसे लग रहा था कि जरूर कुछ ना कुछ होने वाला है क्योंकि जिस तरह की बातें काव्या कर रही थी वह बेहद नमकीन की तरह थी खट्टी और मीठी,,,, संजू जवाब देते हुए बोला,,)

लेकिन ऐसा क्यों,,,?

अरे तुम नहीं जानते संजू लड़कीयों का नेचर ही कुछ ऐसा होता है,,, वह जिस को पसंद करती हैं उसे किसी और लड़की के साथ देखना तो बिल्कुल भी पसंद नहीं करती हैं,,,


तुम क्या कह रही हो मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं,,,

देखो समझो तुम हैंडसम हो खूबसूरत हो तुम्हारा बॉडी बिल्डिंग जबरदस्त है इसलिए मनीषा इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि अगर तुम किसी लड़की के चक्कर में पढ़ोगे तो उसका कोचिंग क्लास के लिए अच्छा नहीं होगा इसीलिए शायद वह नहीं चाहती कि तुम मेरे घर पर आकर मुझे पढ़ाओ,,,,


चलो कोई बात नहीं काबिया इस बात की भनक तक मनीषा दीदी को नहीं लगेगी लेकिन तुम भी कभी मत बताना वैसे पढ़ाना शुरू करें,,,,।
(संजू की बात सुनकर काव्या को लगने लगा कि संजू नासमझ है उसे कुछ पता नहीं चल रहा है इसलिए उसके कंधे पर हाथ रखकर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोली,,)

मुझे पढ़ा लोगे संजू,,,

हां क्यों नहीं मेरा तो काम ही यही है,,,(अपने कंधे पर एक नौजवान खूबसूरत का हाथ महसूस करते हैं संजू के तन बदन में आग लग रही थी उसकी सांसे ऊपर नीचे हो रही थी)

मुझे खुली किताब अच्छी लगती है,,,, खुली किताब उस किताब के फडफडाते हुए पन्ने,, और हर एक पन्ने में अद्भुत शब्दों का जमावट कभी इस तरह की किताब पढ़े हो,,,,
Sanju bedroom me kavya k sath

(काव्या की बातों को सुनकर संजू का दिल धक-धक कर रहा था उसके हर एक शब्द में मादकता छुपी हुई थी जिसका एहसास संजू के तन बदन में आग लगा रहा था वह एक टक काव्य की तरफ देखता चला जा रहा था इतना तो एहसास हो गया था कि कुछ गड़बड़ जरूर होने वाला है फिर भी अपने आप को संभालते हुए वाह बात का रुख बदलते हुए बोला,,,)

घर में कौन-कौन रहता है,,,

मम्मी पापा लेकिन इस समय कोई नहीं है इस समय मैं और तुम और यह तन्हाई,,,, संजू बताओ ना खुली किताब कभी पड़े हो उसकी खूबसूरती को अपनी आंखों से टटोले,,,हो,,
(इतना कहते हुए काव्या संजू के बेहद करीब आती जा रही थी अपने दाग तेरे होठों को संजू के प्यासे होठों की तरह धीरे-धीरे आगे बढ़ा रही थी यह एहसास संजू के लिए बेहद अनोखा था और बेहद रोमांचकारी था जिसके चलते उसके तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह कसमसा रहा,,, था,, उसके मुंह से घबराहट में एकदम हकलाहट भरा स्वर निकला,,,)

न नन। नहीं तो,,,

देखना चाहोगे पढ़ना चाहोगे खुली किताब को,,,
(इतना कहने के साथ ही काव्या अपने होठों को संजू के होठों के बेहद करीब आकर वापस अपनी जगह पर बैठते गई,,, संजू काव्या की नशीली आंखों में पूरी तरह से डूबने लगा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और काव्य संजू की हालत को देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी काव्या किसी भी तरह से समय गंवाना नहीं चाहती थी क्योंकि उसके मम्मी पापा तीन-चार घंटों के लिए ही गए थे वह तीन-चार घंटे बाद या कभी भी आ सकते थे,,, इसलिए मौके की नजाकत को समझते हुए काव्या संजू की आंखों में देखती रही संजू भी उसे ही देख रहा था देखते ही देखते काव्या अपनी सफेद रंग की टीशर्ट को अपने दोनों हाथों को मोड़कर टी-शर्ट की किनारी को पकड़कर ऊपर की तरफ उठाने लगी है देख कर संजू का दिल जोरो से धड़कने लगा और देखते ही देखते संजू की आंखों के सामने ही काफी अपनी सफेद रंग की टीशर्ट को उतारकर अपने नंगे जिस्म की नुमाइश करने लगी संजू की आंखें फटी की फटी रह गई सफेद टी-शर्ट के अंदर वाकई में ब्रा नहीं पहनी थी उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम तन कर खड़े थे उत्तम गुलाबी चूचियां जिसे देखकर संजू के तन बदन में आग लगा था आज अपनी किस्मत पर इतरा रहा था क्योंकि बिना मांगे उसे सब कुछ मिल रहा था,,,, संजू कभी काव्या की तरफ तो कभी उसकी चुचियों की तरफ देख रहा था उसे बिल्कुल भी होशो हवास नहीं था काव्या मंद मंद मुस्कुराते हुए बोली,,,।)

संजू पढ़ना चाहोगे इस खुली किताब के एक-एक शब्द को,,,
(संजू क्या बोलता बोलने जैसा कुछ भी नहीं था और वैसे भी वह बुद्धू बनकर कठपुतली बनना नहीं चाहता था इसलिए वह चार्ज अपने हाथों में ले लेना चाहता था वैसे भी अपनी मौसी और अपनी बहन से वह काफी कुछ सीख चुका था औरतों को खुश करने के लिए इसलिए बिना कुछ बोले अपने दोनों हाथ आगे बढ़ाकर अपनी हथेली को काव्या की चुचियों पर रख दिया और उसे अपनी हथेली में कस के दबा दिया,,,,)

आहहहहह,,,,(संजय उत्तेजना के मारे उतनी की ओर से काव्य की सूची को दबाया था कि उसके मुंह से कराने की आवाज निकल गई थी जिसकी परवाह किए बिना संजू उसकी चूचियों को दबाता हुआ बोला)

काव्या तुम बहुत खूबसूरत हो,,,,,,(संजू के मोसे इतना सुनते ही काव्या हंसने लगी और हंसते हुए बोली)

तो इस खूबसूरती के रस को पियो,,,
(संजू काव्य के इशारे को अच्छी तरह से समझ रहा था इसलिए वह तुरंत अपने होठों को आगे बढ़ाया और देखते ही देखते काव्या की चूची के चेहरे पर रखकर उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया,,,, अद्भुत अतुलनीय बेमिसाल जिसकी संजू ने कभी कल्पना नहीं किया था काव्या एक हाई सोसाइटी की लड़की होने के नाते उसकी खूबसूरती और ज्यादा चमक रही थी इसलिए संजू के तन बदन में उसकी खूबसूरती की चमक देखकर और ज्यादा आग लग रही थी वह दोनों हाथों से दबा दबा कर काव्य की सूचियों को पीना शुरू कर दिया काव्या पल भर में ही मदमस्त होने लगी क्योंकि संजू उसकी चूचियों को चूसने में एकदम बस्कूल हो गया था एकदम मन लगाकर उसकी चुचियों से खेल रहा था,,,, इसलिए काव्या को संजू की हरकत अच्छी लग रही थी क्योंकि जिन जिन लड़कों के साथ उसने संबंध बनाए थे वह लड़के चूची को तो बाद में सबसे पहले टांगों के बीच की दरार में पहुंचने की कोशिश करते थे लेकिन संजू उनमें से बिल्कुल भी नहीं था वह शायद औरतों के हर एक अंग के महत्व को जानता था इसलिए इस समय काव्या की चुचियों सेवर जी भर कर खेल लेना चाहता था कभी दांई चूची कभी बाईं चूची तो कभी दोनों को एक साथ मुंह में भरने की कोशिश करता था,,, संजू का लंड खड़ा हो चुका था और काव्या मदहोश होने लगी थी,,,, काव्या की आंखों में नशा छाने लगा था संजू ने पल भर में उसे पूरी तरह से मदहोश कर दिया था काव्या की आंखें बंद हो चुकी थी वह गहरी गहरी सांस ले रही थी,,, आंखों को खोलने की उसने ताकत नहीं बची थी वह इस कदर मदहोश हो चुकी थी और आंखों को बंद किए हुए ही वह बोली,,,।

यहां नहीं संजू मेरे कमरे में चलो,,,,

कहां है तुम्हारा कमरा,,?


वो रहा सामने,,,,(सामने के दरवाजे की तरफ उंगली के इशारे से बोली और जैसे ही उठने चली संजू ने तुरंत उसे अपनी गोद में उठा लिया यह देखकर काव्या एकदम से अपनी आंखों को खोल दी,, संजू बड़े आराम से उसे अपनी गोद में उठाए हुए सामने की कमरे की तरफ ले जा रहा था सामने का कमरे का दरवाजा खुला हुआ था इसलिए हल्का सा धक्का मारकर संजू उसे खोल दिया,,, जितनी आराम से समझो उसके शरीर को अपनी गोद में उठाया था उसे देखकर काव्या हैरान हुए जा रही थी उसकी ताकत को देखकर,,,, देखते ही देखते कमरे का दरवाजा खुल गया घर संजू काव्या को ले जाकर उसके बिस्तर पर मैं राम-राम कर दी पर पटक दिया गद्दे पर पटकने की वजह से वह स्प्रिंग की तरह उछल गई और साथ ही उसकी बड़ी बड़ी चुचियां भी रबड़ के गेंद की तरह ऊछल गई,,, जिसकी वजह से वह थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,।

आहहहह क्या करते हो,,,

खुली किताब को पढ़ने की कोशिश कर रहा हूं तुम्हारे हर एक पन्ने को अपने हाथों से पलटने की कोशिश कर रहा हूं (और इतना कहने के साथ ही समझो काव्या के जिंस की बटन को खोलने लगा,, संजू की हरकत और उसकी बात को सुनकर काव्य समझ गई कि संजू देखने में सिर्फ भोला भाला है बाकी अंदर से बहुत तेज है और देखते ही देखते संजू काव्य के जींस के बटन को खोल दिया और उसे नीचे की तरफ खींचने लगा संजू ने अब तक कई बार साड़ी हो को अपने हाथों से खोला था और सलवार को लेकिन आज पहली बार जींस को एक खूबसूरत लड़की के जिस्म से उतारने की कोशिश कर रहा था यह अनुभव उसके लिए बेहद उन्मआदक था,,,। संजू को थोड़ी दिक्कत हो रही थी लेकिन एक खूबसूरत औरत के बदन से जिसको उतारने ने उसे बहुत मजा भी आ रहा था,,,, काव्या की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि दूसरी मुलाकात में अपने बदन को एक अंजाम लड़के को सौंप रही थी,,। जींस के नीचे काव्य काली रंग की चड्डी पहनी हुई थी जो कि उसके खूबसूरत गोरे रंग पर और ज्यादा खूबसूरत लग रही थी देखते ही देखते संजू काव्या की लंबी चिकनी टांगों में से जींस को उतारकर उसे लगभग लगभग नंगी ही कर दिया,,,, जींस को उतारकर संजू जींस को बिस्तर के नीचे फेंक दिया खुद अपनी टीशर्ट उतारने लगा टी-शर्ट के उतारते ही उसकी चौड़ी छाती को देखकर काव्य पानी पानी होने लगी और देखते ही देखते संजू बिना देर किए अपने जींस को उतारने लगा और देखते ही देखते,,, संजू काव्या की आंखों के सामने एकदम नंगा खड़ा हो गया केवल उसके बदन पर छोटी सी अंदर भी अर्थी जिसमें उसका लंड एकदम खुला हुआ नजर आ रहा था जिसको देखकर काव्य की दोनों टांगों के बीच हलचल सी होने लगी थी,,,, काव्या संजू के अंडरवियर की तरफ देखते हुए बोली,,।



वाह संजू तुम्हारी चड्डी में तो बहुत ही खतरनाक हथियार लग रहा है,,,,

डरो मत चाहे जितना भी बड़ा हो तुम बड़े आराम से अपनी चूत में ले लोगी,,,।
(संजू के मुंह से चूत शब्द सुनकर काव्या के तन बदन में हलचल सी होने लगी वह समझ गए कि संजू खेला खाया लड़का है,,)

वैसे काव्या तुम्हारी एक खुली किताब बहुत खूबसूरत है इसे सच में मैं पढ़ना चाहता हूं,,,,


लेकिन इसका एक पन्ना अभी रह गया है,,,(काव्या अपनी चड्डी की तरफ इशारा करते हुए बोली तो जवाब में संजू बोला)

इस अंतिम पन्ने को मैं समय आने पर खोलूंगा लेकिन अभी तुम्हें कुछ और करना है,,,

क्या करना,,, है,,,(काव्या आश्चर्य से बोली तो संजू घुटनों के बल बेड पर चडगया और घुटनों के बाद ही आगे बढ़ने लगा देखते ही देखते वह एकदम सिरहाने पहुंच गया और,,, अपने लंड को जो कि अभी भी अंडरवियर में कैद था उसे आगे की तरफ करते हुए बोला,,,)

लो अपने हाथों से उतारो काव्या,,,
(संजू की यह बात सुनकर काव्या के तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूटने लगी और वह तुरंत अपना दोनों हाथ आगे बढ़ाकर एक झटके में संजू के अंदर बीयर को नीचे की तरफ खींच दी है और उसका लंड हवा में एकदम से लहराने,, लगा,,,, काव्या ने अपने जीवन में इस तरह के मोटे तगड़े लंबे लंड को नहीं देखी थी संजू का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लंबा था जिसे देख कर उसके मुंह के साथ-साथ उसकी चूत में भी पानी आ रहा था,,, संजू के लंड को लहराता हुआ देखकर आश्चर्य से काव्या का मुंह खुला का खुला रह गया था और वहां एकदम आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)

बाप रे इतना बड़ा मैंने आज तक नहीं देखी,,,(और इतना कहने के साथ ही काव्या अपना दोनों हाथ आगे बढ़ा कर संजू के लंड को दोनों हाथों से थाम ली और उसे मुंह में रहकर लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दी,,, संजू का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा था इसलिए काव्य के फोटो का आकार एकदम छल्ले की तरह गोल हो गया था फिर भी काव्या बड़े चाव से उसे अपने मुंह में अंदर बाहर कर रही थी और देखते ही देखते संजू अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था उसके बालों में लगे रिबन को अपने हाथों से खोल कर उसके बालों को एकदम खुला कर दिया जिसकी वजह से काव्य और ज्यादा सेक्सी लगने लगी,,,)

आहहहह काव्या बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही ऐसे ही पूरा अंदर लेकर चूसो,,,आहहहहह काव्या तुम बहुत अच्छी होआहहहहह बड़ा मजा आ रहा है,,,, दोनों पूरी तरह से मदहोश हुए जा रहे थे काव्या संजू को अपने घर लाकर अपने कमरे में उसके साथ रंगरलिया मना रही थी कुछ देर तक संजू अपनी कमर हिलाता रहा उसके बाद वह खुद अपने लंड को काव्य के मुंह में से बाहर निकाल कर उसकी दोनों टांगों के बीच आगे बढ़ा और काव्य की तरफ देखते हुए बोला,,,।

मेरी जान अब समय आ गया है आखिरी पन्ने को खोलने का,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू अपने दोनों हाथों से काव्य की चड्डी को उतारने लगा और देखते ही देखते काव्या भी संजू का साथ देते हुए अपनी गांड को पर उठाकर चड्डी उतरवाने में उसकी मदद करने लगी देखते ही देखते काव्या संजू की आंखों के सामने अपने ही बिस्तर पर एकदम नंगी हो गई,,,, उसके नंगे खूबसूरत बदन को देखकर संजू की आंखों में चमक आ गई संजू से रहा नहीं जा रहा था उसकी खूबसूरत चूत एकदम चिकनी थी ऐसा लग रहा था कि आज ही क्रीम लगाकर उसने साफ की है और अपने इसी शंका को दूर करने के लिए वह बोला,,,।

लगता है काव्य तुमने आज ही क्रीम लगाकर साफ की हो,,,

ऊमममम,,,

हाय मेरी जान कितनी अच्छी हो तुम,,,(और इतना कहने के साथ ही काव्य की दोनों टांगों को खोलते हुए उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाकर वह अपने प्यासे होठों को तुरंत काव्या की दहकती हुई भट्टी पर रख दिया और उसे चाटना शुरू कर दिया काव्य के बदन में उत्तेजना की लहर उठने लगी वह मां मादक सिसकारियां से अपने ही कमरे को शोर से भर दी,,,, काव्या की चूत से निकल रही मलाई का स्वाद कसैला होने के बावजूद भी संजु को वह बेहद मधुर लग रहा था संजू पूरा मन लगाकर काव्या की कचोरी जैसी फूली हुई चूत का रस चाट रहा था संजू की हरकत से काव्य फूले नहीं समा रही थी वह पागलों की तरह अपने सर को इधर-उधर भटक रहे थे और उत्तेजना के मारे अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाल ले रही थी जिसे संजू अपने दोनों हाथों से थाम कर उसकी चूत में अपनी पूरी जीभ डाल देता,, था,,, संजू की हरकत की वजह से देखते ही देखते काव्या झड़ चुकी थी उसके चूत से मादक मदन रस फव्वारा की तरह फूट पड़ा था जिसे संजू अमृत की धारा समझकर उसे अपने गले में गटक रहा था,,,,, काव्या से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था संजू की हरकत से वह पूरी तरह से मदमस्त हो चुकी थी संजू जैसी हरकत उसके साथ आज तक किसी ने भी नहीं की थी जिसके साथ भी हो शारीरिक संबंध बनाई थी वह तुरंत जुदाई पर उतर आए थे लेकिन संजू उसके बदन से जी भर कर खेल रहा था उसे पूरी तरह से मदमस्त कर रहा था इसीलिए तो काव्या संजू की दीवानी होती चली जा रही थी उसकी मादक सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी लेकिन दोनों के सिवा उसकी सिसकारियो की आवाज सुनने वाला वहां कोई नहीं था ,,,,।

संजू समझ गया था कि लोहा पूरी तरह से गर्म हो चुका है हथोड़ा मारने में अब बिल्कुल भी चुक नहीं करना चाहिए इसलिए वह तुरंत उठा और काव्या की दोनों टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाने लगा देखते ही देखते संजू उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और उसकी आधी गांड को अपनी जांघों पर रख दिया गदराया बदन होने की वजह से काव्या की गांड बड़ी-बड़ी थी इसलिए संजू को भी बहुत मजा आ रहा था काव्या की चिपचिपाई हुई चूत को देखकर संजू बोला,,,

हाय मेरी जान तुम्हारी चूत कितना पानी छोड़ रही है,,

तुम्हारे लंड को देखकर संजू मैंने आज तक तुम्हारे जितना मोटा तगड़ा लंड नहीं देखी,,,

और इसे तुम आज अपनी चूत में भी लोगी,,,

ओहहहह संजू डाल दो अपने लंड को मेरी चूत में मेरी प्यास बुझा दो,,,


चिंता मत करो मेरी जान देखो मेरा कमाल,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू अपने लंड के सुपारी को काव्या की गुलाबी चूत पर रख कर उसे हल्का सा धक्का मारा और लंड का सुपाड़ा अंदर प्रवेश करने लगा लेकिन मोटा होने के नाते काव्य को दर्द होने लगा)

आहहहहह ,,, संजू,,,, दर्द कर रहा है,,,

कुछ नहीं होगा काव्या बस थोड़ी देर में मजा आने लगेगा,,,
(और इतना कहने के साथ ही अपने लंड को अंदर डालने का प्रयास करने लगा,,, देखते ही देखते संजू की अथाग मेहनत और काव्या की हिम्मत को देखते हुए धीरे-धीरे संजू का लंड अंदर घुसने लगा दर्द काव्या को हो रहा था लेकिन उसे मालूम था कि मजा भी बहुत आएगा क्योंकि उसे अनुभव पहले भी था देखते ही देखते संजू का आधा लंड काव्या की चूत में समा गया,,,, संजू गहरी गहरी सांस ले रहा था वह अपने दोनों हाथों को काव्य की चुचियों पर रखकर से दबाते हुए एक जबरदस्त धक्का मारा और अगले ही पल संजू का लंड पूरी तरह से काव्या की चूत में समा गया,, एक हल्की सी चीख काव्या के मुंह से निकली और सब कुछ सही हो गया अपनी कमर को हिलाता हुआ संजू काव्य को चोदना शुरू कर दिया था काफी अकोमोड़ते तोहरे लंड से चुदने का यह पहला अनुभव था और उसे बहुत मजा आ रहा था क्योंकि उसे संजू का मोटा लंबा लंड अपने बच्चेदानी पर महसूस हो रहा था इसलिए उसकी खुशी और ज्यादा बढ़ जा रही थी वह पूरी तरह से आनंद के सागर में गोते लगाने लगी थी,,, संजू दीवानों की तरह अपनी कमर हिला रहा था उसे कमर हिलाने में और काव्या को चोदने में बहुत मजा आ रहा था वह कभी सोचा नहीं था कि इस तरह से एक हाई सोसाइटी की लड़की उसे चोदने को मिलेगी,,,

कैसा लग रहा है काव्या,,,

मुझे तो बहुत मजा आ रहा है संजू बस ऐसे ही अपनी कमर हिलाते रहें,,,,आहहहहहहह बहुत मजा आ रहा है,,,

देखते ही देखते संजू के धक्के तेज होने लगे,,,, संजू ने तुरंत पोजीशन बदलते हुए काव्य को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी चूत में डालकर चोदना शुरू कर दिया इस तरह से काव्या को और ज्यादा मजा आने लगा क्योंकि पूरा का पूरा लंड उसे अपनी चूत के अंदर महसूस हो रहा था काव्या पलंग के ऊपरी हिस्से को पकड़कर टेका लिए हुए थे क्योंकि संजू के हर एक धक्के सेवा पूरी तरह से हिल जा रही थी देखते ही देखते पलंग में से चरर चरर की आवाज आने लगी संजू के धक्के इतनी तेज थी कि पलंग तक मिल जा रही थी काव्या को बहुत मजा आ रहा था उसकी फुली हुई चूत चरमरा गई थी संजू को जागो अपने घर पर लेकर आई थी तो उसे इस बात का एहसास बिल्कुल भी नहीं था कि संजू चुदाई करने में माहिर है वह उसे अनाड़ी समझती थी लेकिन वह अनाड़ी नहीं खिलाड़ी निकल गया था इसीलिए तो वह अपने मोटे तगड़े लंड से काव्या की चूत का भोसड़ा बना रहा था देखते ही देखते काव्य की सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी और यही हाल संजू का भी था संजु पीछे से काव्या की कमर को कस के पकड़ लिया था और धक्कों की रफ्तार को तेज कर दिया था और देखते ही देखते दोनों एक साथ झड़ना शुरु कर दिए संजू उसकी पीठ के ऊपर ढेर हो गया था,,,, थोड़ी देर में सब कुछ शांत हुआ तो दोनों पीठ के बल पलंग पर लेटे हुए थे घड़ी में 7:30 का समय हो रहा था संजू के जाने का समय हो गया था वह उठा लेकिन कपड़े नहीं पहना और काव्य से बोला,,,

काव्या जाने से पहले मुझे कॉफी पिला देती तो बहुत मजा आ जाता,,,

कॉफी लो अभी बना कर लाती हूं,,,(और इतना कहने के साथ ही बिस्तर पर से नीचे उतरी और अपने कपड़े पहनने के लिए अपने कपड़े उठाई थी कि संजू उसके हाथ से उसका कपड़ा छीनते हुए बोला,,,)

बिना कपड़ों के एकदम नंगी,,,

क्या बिना कपड़ों के,,,

हां मेरी रानी बिना कपड़ों के एकदम नंगी किचन में जाओ और कॉफी बनाओ,,,

जैसी आपकी मर्जी मेरे राजा,,,,
(और इतना कहने के साथ ही काव्य किचन की तरफ एकदम नंगी जाने लगी उसकी मटकती भी गोल गोल गांड को देखकर एक बार फिर से संजू का लंड खड़ा होने लगा और वह भी पीछे पीछे किचन में चल दिया,,,, किचन में संजू को देखकर काव्या बोली,,)

तुम क्यों आ गए,,,

तुम्हारी गांड देखकर मुझसे रहा नहीं जा रहा है,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू फुर्ती दिखाते हुए उसे दूसरी तरफ मुंह करके घुमा दिया और उसकी कमर पकड़कर आकर की तरफ खींच लिया ऐसा करने से उसकी गांड एक बार फिर से ऊपर की तरफ उठ गई और संजू अपने खड़े लंड को एक बार फिर से उसकी गुलाबी छेद में डालकर चोदना शुरु कर, दीया,,
Kitchen me Sanju or kavya



, काव्या संजू की हरकत और उसकी ताकत को देखकर हैरान हो गई थी लेकिन उसे बहुत मजा आ रहा था इस तरह से किचन में नंगी होकर चुदवाने का यह पहला अनुभव था जिसमें वह पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी संजू जी भर कर उस की चुदाई करता रहा और उसे संपूर्ण संतुष्टि का एहसास दिला कर खुद भी एकदम ढेर हो गया इसके बाद,, काव्या अपने हाथों से कॉफी बनाकर उसे पिलाई तब तक दोनों एकदम नंगे ही थे,,
Sanju kitchen me kavya ki chudai karta hua



, इसके बाद दोनों कपड़े पहन कर अपने कमरे से बाहर आ गए क्योंकि संजू को छोड़ने जाना भी था और वह संजू को अपनी स्कूटी पर बैठा कर उसके घर के करीब वाले चौराहे पर छोड़ कर चली गई,,,।


Wah Rohnny Bhai,

Kya mast update post ki he................

Sanju ki to lottery hi lag gayi he..............Kavya ke rup me..................

Badi kamukt ladki he kavya.........................maja aa gaya bhai

Keep posting
 

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,, आराधना खाना बनाते हुए अपने पति के बारे में सोच रही थी कि वह अपने पति को क्या जवाब देगी क्या बोलेगी कैसे समझाएंगी,,,लेकिन वह मन में ठान चुकी थी कि चाहे जो हो जाए वह यह जॉब को करके ही रहेगी,,, क्योंकि महीने के अंत में मिलने वाली तनख्वाह के बारे में वह पहले से ही सोच विचार कर रखी थी उन पैसों से वह घर के लिए बहुत कुछ करना चाहती थी और अधिकांशतः तौर पर वह अपनी घर की जरूरतों को पूरी करके अपने परिवार का जीवन यापन करना चाहती थी,,,,,,,,



आज खुशी के मारे आराधना ने सब्जी पूरी और खीर बनाई थी,,,,,,, खाने का समय हो गया था इसलिए आराधना अपने दोनों बच्चों को बुलाकर खुद साथ में बैठकर खाने लगी तो है पहले साथ में बैठकर खाना नहीं खाती थी अपने पति का इंतजार करती रहती थी और अपने पति के साथ ही खाना खाती थी लेकिन अपने पति के व्यवहार और उसके बेरुखी के कारण उसने अपने जीवन में धीरे-धीरे परिवर्तन लाना शुरू कर दी थी,,,, और अपने पति का इंतजार किए बिना ही अपने बच्चों के साथ खाना खाने लगी थीं,,,,,, थाली में पड़ी मीठी खीर की कटोरी को देखकर संजू को अपनी बहन की गुलाबी चूत याद आ रही थी एकदम फुली हुई कसी हुई और मालपुए के मीठे रस से भरा हुआ,,,,, अपनी बहन की गुलाबी चूत याद आते ही,,, संजू के मुंह में पानी आने लगा था और जिस तरह से संजू खीर से भरी हुई कटोरी को अपनी बहन की चूत को याद करके देख रहा था उसे देखते हुए आराधना बोली,,,।)

संजू तेरे मुंह में पानी आ रहा है ना खीर देख कर,,, ज्यादा इंतजार करने की जरूरत नहीं है खाना शुरु कर दे,,,।


हां हां खाता हूं,,,(अपनी मां की बात सुनते ही संजु हकलाहट भरे स्वर में बोला,,,वह अपनी मां को कैसे समझा था कि उसे खीर देखकर नहीं बल्कि अपनी बहन की चूत को याद करके मुंह में पानी आ रहा है,,,, वकील नहीं बल्कि अपनी बहन की चूत का रस पीना चाहता था,,,, मोहिनी भी संजू की तरफ देख रही थी,,,, और अपने भाई के भोले चेहरे को देख कर मोहिनी अपने मन में सोचने लगी कि सीधा-साधा दिखने वाला उसका भाई एक लड़की की चूत देखकर कैसा मदहोश हो गया था,,,,अपने भाई के इस तरह के चरित्र पर उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था लेकिन क्या करें जो कुछ भी रात को हुआ था उसी से इनकार करना अपनी नामुमकिन था,,, लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि मर्दों की हालत औरत के अंगों को देखकर हमेशा खराब हो जाती है और वह तो अपने भाई को सीधे-सीधे आसमान की सैर पर प्ले गई थी अपनी चूत दिखा कर,,,




ऐसे में उसका भाई क्या दुनिया का कोई भी मर्द होता तो मदहोश होकर पिघल जाता और वही उसके भाई ने भी किया था बस अपने लंड को उसकी चूत में डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाया,,, था,,, अपने भाई की उस हरकत को याद करके मोहिनी की चूत के इर्द-गिर्द चीटियां रेंगने लगी उसे अपनी चूत में खुजली महसूस होने लगी,,,वह अपने भाई की जीभ को फिर से अपनी चूत पर और चूत के अंदर महसूस करना चाहती थी,,,, उस पल को याद करके मोहिनी की चूत अपने आप गीली होना शुरू हो गई थी,,,,।

आराधना के साथ-साथ संजु और मोहीनी ने भी खाना खाना शुरु कर दिया था लेकिन संजु इस बात से बेचैन हुआ जा रहा था कि,,,आज उसकी बहन में फ्रॉक की जगह सलवार कमीज पहनी थी,,,, और यह देखकर संजु के अरमानों पर पानी फिर गया था,,, ऐसा नहीं था कि मोहीनी के फ्रॉक ना पहनने का मलाल केवल संजू को ही था,,,, मोहिनी भी फ्रॉक ना पहनने की वजह से खुद हैरान थी क्योंकि वह आज भी फ्रॉक कहना चाहती थी लेकिन आनन-फानन में उसे याद नहीं रहा और वह अनजाने मेरी सलवार कमीज पहन ली थी अब उसके लिए दिक्कत इस बात की हो गई थी कि वह अगर वापस अपनी सलवार कमीज उतारकर फ्रोक पहनती तो संजू को इस बात का साफ हो सकता था कि उसकी बहन जो कुछ भी कर रही है जानबूझकर कर रही है और मोहिनी ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि उसके भाई को जरा सा भी शक हो कि वह जानबूझकर फ्रॉक के अंदर चड्डी नहीं पहनती,,,, मोहिनी को लगने लगा कि आज की रात वह अपने मन की नहीं कर पाएगी,,, इसलिए अपने मन को मार कर सारा ध्यान भोजन ग्रहण करने में लगा दी खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था शायद आज जो मिलने की खुशी में उसकी मां की आंखों से और भी ज्यादा स्वादिष्ट खाना बन गया था,,,,,।



खाना खा लेने के बाद आराधना बर्तन मांजने लगी और मोहिनी घर में झाड़ू लगाने लगी अभी तक अशोक घर पर नहीं आया था,,,,, अभी आराधना बर्तन मांज ही रही थी कि अशोक घर में दाखिल होते ही,,, आराधना से जोर से बोला,,,।


या मैं क्या सुन रहा हूं,,,, तुम जॉब करोगी,,,,


हां अब बिल्कुल ठीक सुने हैं,,,(आराधना उसी तरह से बैठे हुए ही अशोक की तरफ देख कर बोली)


क्या तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुम अब मुझसे पूछे बिना ही जॉब करोगी घर से बाहर निकलोगी,,,


क्या करूं मजबूरी हो गई है,,, तुम्हें पता भी है कि 3 महीनों से घर कैसे चल रहा है आपने घर पर 3 महीने से तनख्वाह दिए हो कि नहीं,,,,


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देख मैं कुछ सुनना नहीं चाहता,,,,
(संजू और मोहिनी खड़े होकर हैरानी से सब कुछ देख रहे थे और अशोक अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला) तू यह जॉब बिल्कुल भी नहीं करेगी,,,


मैं यह जॉब करके रहूंगी हम लोगों को पैसे की जरूरत है और तुम से पूरा नहीं पड़ रहा है,,,,,,(इतना कहते हुए आराधना अपनी जगह पर खड़ी हो गई,,, और आराधना का जवाब सुनकर अशोक जल भुन जा रहा था,,, वह आराधना की बातें सुनकर गुस्से से बोला)

पैसे नहीं पूरे पड रहे हैं या कुछ और,,,(इतना कहते हुए अशोक आराधना के बिल्कुल करीब पहुंच गया और उसकी वहां पकड़ कर बोला) देख रहा हूं कुछ दिनों से तेरे तेवर बदले बदले नजर आ रहे हैं,,,, मेरे से पूरा नहीं पड़ रहा है तो बाहर चुदवाने के लिए जोब का बहाना बना रही है,,,,।


यह क्या कह रहे हैं आप कुछ तो शर्म करिए मोहिनी और संजू खड़े हैं,,,,।
(मोहिनी तो अपने पापा के मुंह से चुदवाने जैसे शब्दों को सुनकर एकदम हक्की बक्की रह गई क्योंकि उसने आज तक अपने पापा की मुंह से इस तरह के शब्दों को नहीं सुनी थी जो कि अक्सर रातों को ही होती थी और वह घोड़े बेच कर सो रही होती थी लेकिन आज वह जाग रही थी अपने पापा के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर एकदम हैरान संजू भी हैरान हो गया था क्योंकि आज उसके पापा मोहिनी की मौजूदगी में इस तरह की बातें कर रहा था,,,,)




अरे तो क्या हुआ खड़े हैं तो खड़े रहने दे आखिरकार बच्चों को भी तो पता चले उनकी मां क्या गुल खिलाती है,,, किस-किस का लेती फिरती है,,,,,
(इस बार आराधना एकदम गुस्से में आ गई और एकदम क्रोधित होते हुए बोली,,,)


अशोक,,,, तुम को शर्म नहीं आती इस तरह की बातें करते हुए,,,,।

शर्म,,,, सर मैं तो तुझे आनी ही चाहिए हरामजादी,,, दूसरों का लंड तुझे पसंद आ रहा है,,, हरामी कुत्तिया,,,(इतना कहने के साथ ही अशोक ने जोर से आराधना को धक्का मारा और वह दो कदम पीछे जाकर गिरने ही वाली थी कि ,, सही समय पर फुर्ती दिखाते हुए,,, संजू अपनी मां को अपने हाथों में थाम लिया और उसे गिरने से बचा लिया अपने पापा की हरकत पर मोहिनी पूरी तरह से हथ भ्रत हो गई वह एकदम से घबरा गई वह रोने लगी,,,,संजू सोच रहा था कि सब कुछ बातों से हल हो जाएगा लेकिन उसे बीच-बचाव करना ही पड़ा अपनी मां को गिरने से बचाते हुए उसका हाथ अनजाने में ही उसकी चूची पर आ गया था जिसे सहारा देते समय वाह अपनी मां को उठाते हुए अनजाने में ही चूची को जोर से दबा दिया था पहले तो उसे लगा था कि शायद उसकी मां की बांह उसके हाथ में आ गई हैलेकिन दबाते ही उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसके हाथों में तो उसकी मां की चूची आ गई थी,,,, जल्दी से अपनी मां को खड़ी की और अपने हाथ को जल्दी से ऊंची पर से हटा दिया क्योंकि मोहिनी वहीं मौजूद थी,,,, और अपनी मां को संभालते हुए बोला,,,)

पापा मम्मी पर इल्जाम लगाते हुए पहले कभी सोचा है कि 3 महीनों से घर का खर्चा कैसे चल रहा है घर में राशन है कि खत्म हो गया है दूधवाले उधार दे रहे हैं कि नहीं,,,, इन सब के बारे में कभी सोचे हो मैं जानता हूं,,,,मम्मी मौसी के पास से उधार पैसे लेकर आई थी तब जाकर घर का राशन आया वरना सब को भूखे ही सोना पड़ता तुम्हारा क्या है तू तो दारु पी के पेट भर लेते हो,,,,,


संजू ,,,देख रहा हूं तू बहुत अपनी मां की तरफदारी करने लगा है तेरी मां ने तुझे भी कुछ दिखा दी है क्या या कुछ दे दी है,,,।
(मोहिनी तो अपने पापा की यह बात सुनकर एकदम सनन है कि उसे उम्मीद नहीं थी कि उसके पापा इस तरह से बातें करेंगे अपने पापा के कहने का मतलब को मोहिनी अच्छी तरह से समझ रही थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा उसके बड़े भाई पर इस तरह से इल्जाम लगा रहे हैं वह आंखें फाड़ सब कुछ देख रही थी और आराधना रोने लगी थी,,,, यह सब सुनकर और देख कर संजू का पारा और ज्यादा गरम हो गया वह आगे बढ़ा और अपने पापा का गिरेबान पकड़कर बोला,,,,)

बस कर अगर एक शब्द भी आकर बोला तो यहीं पर बाप बेटी का रिश्ता खत्म कर दूंगा,,, जैसा तू खुद है वैसा ही तुझे दिखाई देता है,,,, और रही बात जॉब करने की तो मम्मी है जॉब करके रहेगी मैं भी देखता हूं कौन रोकता है,, दे मम्मी को इस तरह से घुट घुट कर जीते हुए नहीं देखना चाहता उसे भी पूरा हक है अपनी जिंदगी आजादी से जीने का,,,,
(आराधना अपने बेटे की बात सुन रही थी और हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी उसका बेटा देखते ही देखते बहुत बड़ा हो गया था जो कि उसकी खुशियों के बारे में बातें कर रहा था उसकी आजादी के बारे में सोच रहा था,,,,अशोक संजू की पकड़ से पूरी तरह से हैरान था उसे इस बात का अंदाजा हो गया था कि आप संजू उससे ज्यादा तगड़ा और मजबूत हो चुका है उसके साथ झगड़ा करने में अपनी ही बेज्जती करने के बराबर है इसलिए वह गुस्से से संजू का हाथ छुड़ाते हुए बोला,,,,)

भाड़ में जाओ तुम लोग,,,,,
(और इतना कहकर कमरे से बाहर निकल गया संजू मोहिनी और आराधना में से किसी ने भी उसे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया,,,, आराधना रोते हुए कमरे की दहलीज पर बैठ गई थी और आंसू बहा रही थी उसे देखकर मानी उसके पास जाकर उसे चुप कराने लगी,,, संजू भी उन दोनों के पास जाकर बैठ गया और अपनी मां को समझाते हुए बोला,,,)

बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी सब कुछ ठीक हो जाएगा तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है,,,, तुम्हें भी खुलकर जीने का हक है,,, हम दोनों की तरफ से किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं है हम लोग भी यही चाहते हैं कि तुम्हें जॉब करो और अपनी जिंदगी बेहतर करो,,,, क्योंकि घर में जो कुछ भी होता है इसे भूलने का बस यही तरीका है,,,,।
(संजू की बातों को सुनकर आराधना को धीरे बदलने लगी उसे सांत्वना मिलने लगी कि उसका बेटा और उसकी बेटी उसके बारे में अच्छा ही सोच रहे थे,,,, थोड़ी देर बाद आराधना अपने कमरे में चली गई,,,, और संजू और मोहिनी भी अपने कमरे में आ गए संजू के अरमानों पर तो पहले से ही मोहिनी ने ठंडा पानी गिरा दी थी सलवार समीज पहनकर वही सोच रहा था कि अगर आज भी मोहिनी फ्रॉक पहन कर सोएगी तो आज वह फिर से अपनी बहन की चूत का रसपान करेगा और उसमें लंड डालने की कोशिश करेगा,,,लेकिन ऐसा हो नहीं पाया था दोनों बैठ कर अपने पापा के बारे में बातें कर रहे थे मोहिनी पहली बार अपने पापा के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर पूरी तरह से हैरान थी क्योंकि उसके पापा सीधे सीधे समझी और उसकी मां के बीच गलत संबंध के बारे में बोल रहे थे ,,,, मोहिनी हैरान होते हुए अपने भाई से बोली,,,)


क्या मेरे सो जाने के बाद यही सब होता था घर में,,,!


हां,,, मोहिनी रोज रात को यही सब होता था,,,,।
(संजू अपनी बहन को बहुत कुछ बताना चाहता था जो कुछ भी रात को होता था वह खुल कर बताना चाहता था लेकिन इतना सुनकर ही मोहनी रोने लगी उसे रोता हुआ देखकर संजु समझ गया कि आगे बढ़ाना ठीक नहीं हैकाफी देर तक दोनों इसी तरह से बैठे रह गया और कब दोनों को नींद आ गई पता ही नहीं चला,,,, सवेरे उठकर आराधना रात को जो कुछ भी हुआ उसे भूल जाना चाहती थी आज उसकी जॉब का पहला दिन था इसलिए जल्दी से आहत होकर नाश्ता और खाना दोनों तैयार कर चुकी थी क्योंकि वह लेट नहीं होना चाहती थी,,,,,,,, लेकिन नहाने के बाद अपने ब्लाउज का बटन बंद करते समय उसे रात वाली अपने बेटे की हरकत याद आ गई जब हो उसे उठाने के चक्कर में उसकी चूची को दबाते हुए उसे उठा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि रात को संजू के यहां पर जो कुछ भी हुआ था वह अनजाने में हुआ था या जानबूझकर,,,, यही सब सोचकर उसके तन बदन में झनझनाहट सी फैलने लगी थी क्योंकि उसे संभालने के चक्कर में संजु ने बड़ी जोर से चूची को दबाया था जो कि अनजाने में ही उसके हाथ में आ गई थी और यही आराधना नहीं समझ पा रही थी कि ,, संजू ने जो कुछ भी किया जानबूझकर किया या अनजाने में,,,,।

जॉब का आज पहला दिन था इसलिए आराधना हल्का सा मेकअप की थी और बला की खूबसूरत लग रही थी जिसे देखकर मोहिनी भी हैरान हो गई थी वह अपनी मां को देखते हुए बोली,,,।

वाह मम्मी तुम तो आज बहुत खूबसूरत लग रही हो,,,

चल रहने दे जल्दी से नाश्ता कर और कॉलेज के लिए जा तुझे भी देर हो रही होगी,,,,


इतनी भी देर नहीं हो रही हैं,, मैं समय पर पहुंच जाऊंगी,,, और तुम भी समय पर ऑफिस पहुंच जाना आज पहला दिन है ना,,,

हां मैं भी यही सोच रही हो और वैसे भी आज ऑफिस आने जाने के लिए स्कूटी मिल जाएगी तो आराम रहेगा,,,,, मैं तुझे भी तेरे कॉलेज छोड़ दूंगी,,,,


यह तो बहुत अच्छा रहेगा,,,,
(इतना क्या करवा नाश्ता करने लगी और सब्जी भी आकर नाश्ता करने लगा वह अपनी मां की खूबसूरती को अपनी आंखों से पी रहा था आज उसकी मां और भी ज्यादा बला की खूबसूरत लग रही थी लेकिन मोहिनी की मौजूदगी में वहां अपनी मां से उसकी खूबसूरती की तारीफ नहीं कर पा रहा था,,,,, थोड़ी देर में मोहिनी और संजु कॉलेज जाने के लिए निकल गए,,, और उसके बाद आराधना भी बड़ी प्रसन्नता के साथ घर से बाहर ऑफिस जाने के लिए निकल गई,,,,शाम को जब वह घर लौटी तो बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि ऑफिस से उसे स्कूटी मिली थी और भाई स्कूटी बड़े आराम से चला कर घर पर लेकर आई थी इस बात की खुशी उसे और ज्यादा थी,,,, अपनी बड़ी बड़ी गांड स्कूटी की सीट पर रखने में उसे पहले तो बहुत ही अजीब लग रहा था और तन बदन में उत्तेजना का एहसास भी हो रहा था,,,,।

आराधना को जॉब करते 10 दिन गुजर चुके थे इन 10 दिनों में वह बड़े अच्छे से अपना काम संभाल ली थी,, संजय को भी अच्छा हो गया था घर में स्कूटी होने की वजह से हुआ अभी शाम को सब्जी वगैरह लेने के लिए निकल जाता था और उसी बहाने घूम भी लेता था,,, संजू और मोहीनी का भी काम नहीं बन पा रहा था, मोहिनी का महावारी शुरू हो गया था और वह इस दौरान कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहती थी,,,,।

आराधना की तबीयत थोड़ा नरम पड़ने की वजह से वह आधे दिन की छुट्टी लेकर घर पर आ गई थी,,,
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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