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Incest मजबूरी या जरूरत

Napster

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आराधना की तबीयत नरम की इसलिए वह आधे दिन की छुट्टी लेकर घर पर पहुंच चुकी थी,,,संजू घर पर लौटा तो घर के बाहर स्कूटी खड़ी देख कर उसे लगा कि आज उसकी मां जल्दी आ गई होगी इसलिए दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर प्रवेश किया तो देखा कि,,, कमरे के बाहर ही दरवाजे पर उसकी मां बैठी हुई थी उसकी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी इसलिए संजू बोला,,।

क्या हुआ मम्मी आज ऑफिस से जल्दी आ गई,,,

हां बेटा आज थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही थी तो जल्दी घर पर आ गई,,,।
(तबीयत खराब होने की सुनते ही संजु एकदम चिंतित हो गयातुरंत अपना बैग रखकर अपनी मां के पास आ गया और उसके माथे पर हाथ रख कर देखने लगा कि क्या हुआ है,,, माथे पर हाथ रखते ही उसे गर्माहट का अहसास हुआ तो वह चिंतित भरे स्वर में बोला,,)

तुम्हें तो बुखार है,,,,


हां थोड़ा बुखार आ गया है लेकिन मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,,


चलो मैं तुम्हें दवाखाने ले चलता हूं,,,,


शाम होने दे तब चलेंगे अभी मेरा सर बहुत दर्द कर रहा है,,,


रुको मैं तुम्हारा सर दबा देता हूं,,, बाम लगाकर,,,, बम कहां पर है,,,

वही अंदर अलमारी के ड्रोवर में होगा,,,


एक काम करो मम्मी तुम अंदर कमरे में चलो मैं बाम लगाकर मालिश कर देता हूं आराम हो जाएगा,,,



(अपने बेटे को इतना चिंता करते हुए देखकर आराधना को बहुत खुशी हो रही थी कि चलो कोई तो है उसकी सुनने वाला उसकी फिक्र करने वाला जब से आराधना जॉब करने लगी थी तब से अशोक घर पर बहुत कम आने लगा था और इस बात की चिंता आराधना को अब बिल्कुल नहीं थी क्योंकि वह समझ गई थी कि वह कभी नहीं सुधरने वाला,,,, अपने बेटे की बात सुनकर आराधना अपनी जगह से खड़ी हुई और अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गई संजू भी अपनी मां के कमरे में गया और अलमारी खोलकर ड्रोवर में से बाम निकाल लिया,,,,,, और अपनी मां के करीब आकर उसके सिरहाने बैठ गया,,,, बम का ढक्कन खोलते हुए संजू अपनी मां से बोला,,)

ज्यादा दर्द कर रहा है क्या,,?

हां बहुत दर्द कर रहा हैं,,,


चिंता मत करो 5 मिनट में आराम हो जाएगा,,,,(इतना कहने के साथ ही थोड़ा सा दाम अपनी उंगली पर लेकर आना वापस बामको पास में पड़े टेबल पर रखी है और अपनी उंगली से अपनी मां के माथे मैं बाम लगाने लगा,,, संजू हल्के हाथों से अपनी मां के माथे में बाम लगा रहा था कि तभी उसकी नजर अपनी मां की छातीयो पर गई,,, अपनी मां की छातियों को देखकर राजु की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि आराधना की इच्छा होती है उसे उसके साड़ी का पल्लू हट चुका था और उसके ऊपर का एक बटन खुला हुआ था भारी-भरकम मदमस्त कर देने वाली चूचियां ब्लाउज में कैद एकदम साफ नजर आ रही थी,,,,,,

राजू के दिल की धड़कन पल भर में ही तेज हो गई थी,,,आराधना को इस बारे में बिल्कुल भी आभास नहीं था क्योंकि उसकी तबीयत नरम होने की वजह से और सर दर्द की वजह से उसका सारा ध्यान उसके सर पर ही था,,, संजू की आंखों में पल भर में ही चार बोतलों का नशा छाने लगा,,, वह अपनी मां की कदर आई हुई चूचियों को ब्लाउज में कैद देख रहा था जोकि चुचियों के हिसाब से ब्लाउज का साइज थोड़ा छोटा होने की वजह से चुचियां ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने के लिए बेताब नजर आ रही थी,, और ऊपर का पहला बटन खुला होने की वजह से संजू को उसकी मां की चूचियों के बीच की गहरी लकीर एकदम साफ नजर आ रही थी जो कि बेहद मादकता का रूप लिए हुए थी,,, पीठ के बल लेट होने की वजह से आराधना की चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह लहरा रही थी और उसका आधे से ज्यादा भाग ब्लाउज के बाहर झांक रहा था,,,, संजू का मन बहुत ललच रहा था,,, अपनी मां की चूचियों को छूने के लिए,,, बेहद अद्भुत नजारा बना हुआ था संजू अपनी मां के सर की मालिश कर रहा था और उसकी नजरें मां की चूचियों का टिकी हुई थी,,, इस बात से बेखबर आराधना आंखों को बंद करके लेटी हुई थी,,,, कुछ देर तक इसी तरह से आंखों से ही अपनी मां की मदमस्त जवानी का रसपान करते हुए संजू बोला,,,।

अब कैसा लग रहा है मम्मी,,,?




थोड़ा-थोड़ा आराम लग रहा है।(आंखों को बंद किए हुए आराधना बोली,,, संजू अपनी मां से भले उसकी तबीयत के बारे में सोच रहा था लेकिन उसकी नजरें उसकी चूचियों पर ही टिकी हुई थी जो कि सांसो की लय के साथ ऊपर नीचे हो रही थी,,, यह नजारा बेहद मादकता से भरा हुआ था,,,,संजू अपने मन में सोच रहा था कि काश उसे अपनी मां की सूचियों की मालिश करने का मौका मिल जाता तो कितना मजा आ जाता ,,, ऐसा नहीं था कि संजू की नजर पहली बार अपनी मां की चूचियों पर गई थी संजू कई बार अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देख चुका था जाने अनजाने में उसके अंगों को छू भी चुका था,,,,, उसकी नंगी चूचीयो के साथ-साथ उसकी रसीली चूत के भी दर्शन कर चुका था,,लेकिन जब आपकी मां की आंखों को देखता था तो उसे पहली बार का ही मजा आता है इसलिए तो इस समय भी उसकी हालत खराब होती जा रही थी ब्लाउज का पहला पत्र खुला होने की वजह से पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी चूचियां ब्लाउज में से बाहर की तरफ लचक गई थी और यही संजू के तन बदन में आग भी लगा रही थी,,,,वह अपनी मां के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए उसके सिर की मालिश करने के साथ-साथ अपनी आंखों से उसकी चुचियों का रस भी पी रहा था,,,,,,संजू यह बात अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां उसके पापा से बिल्कुल भी खुश नहीं है ना तो,,,,, सामाजिक जीवन में और ना ही शारीरिक,,,।

संजू अपनी मौसी की हालत को अच्छी तरह से समझता था जिस तरह से उसकी मौसी ने उसके साथ संबंध बनाकर अपनी प्यास बुझाई थी उसे देखते हुए संजू को इस बात का एहसास होने लगा था कि औरतों को भी भूख के साथ-साथ तन की भी खूब लगती है और वह अच्छी तरह से समझ रहा था उसकी मां को भी इसी की जरूरत है उसकी मां को भी तन की भूख जरूर लगती होगी परंतु,,, सामाजिक मर्यादा और अपने संस्कारों की वजह से उसकी मर्यादा की दीवार को लांघ नहीं पा रही है,,,, वरना बरसात वाली रात को ही रिश्तो के बीच की डोरी तार तार हो जाती,,,,,,, राजू अपने मन में यही सोच रहा था कि अगर कोशिश की जाए हालांकि वह पूरी कोशिश कर भी रहा था लेकिन हार नहीं मान रहा था वह जानता था कि एक न एक दिन जरूर उसकी मां अपने तन की प्याज की खातिर उसकी शरण में जरूर आएगी जैसा कि उसकी मौसी,,,, यही सब सोचकर राजू अपनी मां की चूची को स्पर्श करना चाहता था उसे दबाना चाहता था लेकिन ऐसा करने की हिम्मत उसमें हो नहीं पा रही थी,,,,,,,

इस बात का आभास संजू को अच्छी तरह से था कि जो कुछ भी वह अपनी मां से चाहता है उसकी मां को भली-भांति पता है वह सब कुछ जानती है कि उसका बेटा उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता है उसे चोदना चाहता हैं और इसी के चलते वह अपनी मां की चूची को छूकर पकड़ कर देखना चाहता था कि उसकी में क्या कहती हैं,,,, यही सोचकर संजू अपना हाथ आगे बढ़ाने लगा अपनी मां की चूची को पकड़ने के लिए,,,,,, आराधना की आंखें अभी भी बंद थी संजू एक हाथ से अपने मां के माथे की मालिश कर रहा था और दूसरे हाथ को उसकी चूची की तरफ आगे बढ़ा रहा था कि तभी आराधना की आंख खुल गई और संजू ने तुरंत अपने हाथ को पीछे खींच लिया,,,, ऐसा लग रहा था कि आराधना को आराम हो गया था उसके चेहरे की संतुष्टि बता रही थी,,,,। आराधना की आंख खुलते ही संजू बोला।।


अब कैसा लग रहा है मम्मी,,?


अब तो बिल्कुल भी दर्द नहीं कर रहा है,,,, तेरे हाथों में तो जादू है,,,,,(इतना कहने के साथ ही उसका ध्यान अपनी छातियों पर गया तो वह एकदम से सिहर उठीउसे इस बात का आभास हुआ कि साड़ी का पल्लू उसकी छातियों पर से हट गया है और उसकी खुली छातियां एकदम नजर आ रही है और ऊपर से ब्लाउज का ऊपर का बटन भी खुला हुआ है जिसमें से उसकी चूचियों का आधा भाग लचक कर बाहर की तरफ निकला हुआ है यह देखते ही वहतिरछी नजर से अपने बेटे की तरफ देखी तो उसका बेटा उसकी चूचियों की तरफ भी देख रहा था और का आभास होते ही उसकी दोनों टांगों के बीच कंपन सा महसूस होने लगा,,, प्रभात तुरंत अपने साड़ी के पल्लू से अपनी छातियों को ढक ली,,, अपनी मां की हरकत को देख कर संजू समझ गया था कि उसकी मां को आभास हो गया कि वह उसकी चूचियों को ही देख रहा है इसलिए उसके सवाल का जवाब देते हुए बोला,,,)

जादू मेरे हाथों में नहीं है बल्कि इस बाम में है,,, इसकी वजह से ही तुम्हारे सर का दर्द ठीक हुआ है,,,


फिर भी बारिश तो तू नहीं किया है ना इसलिए सारा श्रेय तुझे ही जाता है,,,,।
(जिस तरह से संजू आराधना के सिरहाने बैठकर उसके सर की मालिश कर रहा था उस पर बाम लगा रहा था यह देखते हुए आराधना मन ही मन बहुत खुश हो रही थी क्योंकि उसका बेटा उसका बहुत ख्याल रख रहा था इस समय तो उसके पति से भी ज्यादा,,,ना जाने क्यों यह जानते हुए भी कि उसका बेटा उसके खूबसूरत बदन की तरफ आकर्षित होकर अपने मन में उसे चोदने की भावना रखता है फिर भी आराधना अपने बेटे की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी बस किसी भी तरह से उन दोनों के बीच की मर्यादा की डोर को टूटने नहीं देना चाहती थी,,,, लेकिन फिर भी जिस तरह से उसका बेटा बाम लगाते समय भी उसकी चूचियों को घूर रहा था यह देखकर उसे अंदाजा लग गया था कि उसका बेटा किस कदर उसे चोदने की उसे पाने की भावना रखता है,,,,, संजू सर की मालिश करना बंद कर दिया था क्योंकि उसकी मां को आराम मिल गया था लेकिन अभी भी बुखार बरकरार था और धीरे-धीरे बड़े भी रहा था और बदन में दर्द भी हो रहा था इसलिए आराधना बोली,,,।


सर दर्द तो ठीक हो गया है लेकिन बुखार अभी भी है,,, तो जाकर मेडिकल से बुखार की कोई टेबलेट लेकर आ जा,,,

नहीं नहीं बिना डॉक्टर के दिखाएं इस तरह से दवा नहीं लेनी चाहिए,,,


नहीं-नहीं तू एक टेबलेट ला दे मुझे आराम हो जाएगा,,,


नहीं बिल्कुल भी नहीं चलो मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर चलता हूं,,,



नहीं मैं नहीं जाऊंगी तू जिद मत कर संजु,,,


तुम समझ नहीं रही हो मम्मी गोली खाने से बुखार उतर गया और बाद में फिर चड गया तब क्या करोगी ,,,


अरे तू कैसी बातें करता है,,,


नहीं मैं जो कुछ भी बोल रहा हूं सच कह रहा हूं अब तुम जोब भी करती हो इसलिए तुम्हारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है,,,, ऐसे नहीं चलने वाला है मैं तुम्हें क्लीनिक लेकर जाकर ही रहूंगा,,,(और इतना कहने के साथ ही आराधना ने कभी सोची नहीं थी और उसका बेटा बिस्तर पर से ही उसकी दोनों टांगों के बीच और उसके गर्दन के बीच हाथ डालकर उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,)


अरे अरे यह क्या कर रहा है,,,, अरे रहने दे,,, गिर जाऊंगी,,,,,,,,
(लेकिन संजू कहां मानने वाला था,,, वह अपनी मां को गोद में उठा चुका था बेहद अद्भुत और अवर्णनीय नजारा थाअपनी मां को गोद में उठाने से पहले संजू ने भी नहीं सोचा था कि वह अपनी मां को गोद में उठा लेगा,,,, संजू की बाजुओं का दम देखकर आराधना एकदम से हैरान हो चुकी थी,,, उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसका बेटा उसे अपनी गोद में एकदम आराम से उठा लीया है,,, और संजु अपनी मां को गोद में उठाए हुए ही उसे कमरे से बाहर वाले कमरे तरफ ले जाने लगा था,,,,, आराधना के चेहरे पर आश्चर्य के भाव नजर आ रहे थे इस तरह से तो उसके पति ने भी कभी अपनी गोद में नही उठाया था और ना ही उसे उठाने लायक भी था क्योंकि अशोक शरीर से उतना दमखम वाला नहीं था,,, इसलिए तो अपने बेटे के दम पर उसे नाज हो रहा था,,, संजू तो पहले से ही अपनी मां की सूचियों को देखकर पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था जिसकी वजह से पहले उसका लंड खड़ा हो गया था और इस समय जानबूझकर अपनी मां को इस तरह से गोद में उठाया हुआ था कि उसका खड़ा लंड जो की पैंट में तंबू बनाया हुआ था,, वह सीधे-सीधे नीचे से आराधना की गांड में चुभ रहा था पहले तो अफरा तफरी में आराधना का ध्यान उस तरफ बिल्कुल भी नहीं गया लेकिन जैसे-जैसे उसे अपनी गांड पर कुछ चुभता हुआमहसूस हुआ तो वैसे ही उसका ध्यान उस ओर गया तो उसे अंदाजा लगाते देर नहीं लगी कि उसकी गांड पर जो कुछ भी चुभ रहा है वह कुछ और नहीं बल्कि उसके बेटे का लंड है इसका मतलब साफ था कि उसका बेटा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,, औरआराधना को जिस तरह से संजू ने बिना जानकारी दी उसे अपनी गोद में उठा लिया था उससे आराधना पूरी तरह से सिहर उठी थी उसके तन बदन में उत्तेजना की लाश दौड़ने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी हो रही थी वह पूरी तरह से उत्तेजना काम कर रही थी कि तभी अपने बेटे के लंड को अपनी गांड पर चुभता हुआ महसूस करते ही उसके सब्र का बांध टूट गया,,, और उसकी बुर से छल छलाकर मदन रस बहने लगा,,, आराधना झड़ने लगी थी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी,,, अपने बेटे के संसर्ग में आकर यह उसका पहला स्खलन था,, जो कि बेहद कामुकता से भरा हुआ था आराधना के जीवन का यह पहला स्खलन था जो कि बिना कुछ किए ही वह झड़ गई थी,,,, आराधना की सांसे बेहद गहरी चल रही थी संजु को तो इस बात का एहसास तक नहीं ताकि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां का पानी निकल गया है वापस जानबूझकर अपने पेंट में बने तंबू को अपनी मां की गांड से रगड़ रहा था उसे ऐसा करने में अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी,,,,,,, संजु अपनी मां को गोद में उठाएखड़ा था क्योंकि उसे भी अद्भुत सुख प्राप्त हो रहा था क्योंकि उसका आनंद सीधे-सीधे उसकी मां की नरम नरम गांड पर चुभ रहा था,,, आराधना झड़ चुकी थी उसके मदन रस्सी उसकी पेंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,, उसे अपनी चूत पर गुस्सा आ रहा था कि बिल्कुल भी सब्र नहीं कर पाई और बहने लगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में गहरी सांस लेते हुए बोली,,,।

अरे मुझे नीचे उतारेगा भी या ईसी तरह से गोद में उठाए हुए ही क्लीनिक लेकर जाएगा,,,,।

(इतना सुनते ही संजू मुस्कुराते अपनी मां को नीचे उतार दिया और उसकी मां बोली,,,)

तू यहीं रुक मैं फ्रेश होकर आती हूं,,,(इतना कहकर बाथरूम की तरफ जाने लगी लेकिन बाथरूम में जाते-जाते तिरछी नजर अपने बेटे की पेंट की तरफ डाली तो अपने बेटे के पेंट में अपने तंबू को देखकर एकदम हैरान रह गई,,, बाथरूम का दरवाजा खोलकर बाथरूम में घुस गई,,,।)
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
आराधना को सरदर्द हो रहा था तो संजु ने बाम लगाने का बोलकर आराधना को रुम में ले गया वो बाम लगाने के बहाने उसकी मदमस्त चुची को देखकर उत्तेजित हो गया बाम लगाने से आराम मिलने पर दवाखाना ले जाने का कहकर अपने गोद में उठा कर अपने खडे लंड को उसकी गांड मे चुभाने लगा इसका अहसास होने से आराधना उत्तेजित होकर भलभला कर अपने बुर से मदन रस बहा कर अपनी पेंटी गिली कर दी
उसे अपने बेटे संजु की मर्दानगी पर गर्व होने लगा खैर देखते हैं आगे
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
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Rony bhai Agle adhyaay ka besabri se Intzaar Rahega😘
 

Napster

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आराधना की हालत पूरी तरह से खराब थी उसने कभी सपने भी नहीं सोची थी कि उसके बेटे की हरकत की वजह से इस कदर उसकी चूत अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाएगी और अपना काम रस छोड़ने लगेगी,,,, आराधना अपने बेटे की गोद में ही झड़ गई थी,,, बेहद अद्भुत और आवरणीय अविस्मरणीय वह पल था जब आराधना अपनी बेटे की गोद में अपना काम रस छोड़ते हुए झड़ रही थी,,,, उसकी बेटी को तो इस बात का अंदाजा भी नहीं होगा कि उसकी हरकत की वजह से उसकी मां ने पानी छोड़ दी है,,, आराधना की गहरी चलती सांसे एक बात का सबूत थी कि संजू के लंड की चुभन साधना अपनी गांड पर बर्दाश्त नहीं कर पाई थी और झड़ गई थी,,,,, पहले तो यह की आराधना कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसका बेटा उसे इस तरह से अपनी गोद में उठा लिया और उसकी गोद में चाहते ही ना जाने कि उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी क्योंकि इस तरह से उसके पति ने भी कभी उसे अपनी गोद में उठाकर इधर से उधर नहीं ले गया था ,,,। अपने बेटे की ताकत और हरकत देखकर वह पूरी तरह से उत्तेजना से सरोबोर हो चुकी थी,,उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी पूछने लगी थी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की उस पतली दरार में तो मानो भूचाल सा आ गया था,,,
Sanju or uski ma


और बची खुची कसर को संजू के लंड की चुभन ने पूरा कर दिया था,,,जैसे ही संजू को इस बात का अहसास हुआ कि उसकी गोल-गोल कांड पर उसके बेटे का लंड चुभ रहा है इस बात के एहसास से ही उसकी चुत पानी फेंकना शुरू कर दी थी,,,, और वह अद्भुत सुख में अपने पूरे वजूद को पिघलते हुए महसूस कर रही थी,,,, आज तक इस तरह से आराधना का पानी नहीं निकला था इसलिए तो वह हैरान थी उसकी चड्डी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी इसीलिए वह फ्रेश होने का बहाना करके बाथरूम में घुस गई थी और बाथरूम का दरवाजा बंद करते ही वह अपनी साड़ी उठाकर सबसे पहले अपनी नजरों को अपनी चड्डी पर घुमाने लगी थी आगे का पूरा भाग पूरी तरह से पानी से सरोवर हो चुका था,,, अजीब से चिपचिपाहट महसूस करते हुए आराधना अपनी चड्डी को अपने हाथों से उतारने लगी और अगले ही पल वह अपनी चड्डी उतार कर उसे अपने हाथों में लेकर चारों तरफ घुमा कर देखने लगी आज उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकला था और तन बदन में अजीब सी सनसनी दौड़ गई थी,,,,।



इस अद्भुत मुठभेड़ में जो कुछ भी हुआ था उसी से हैरानी के साथ-साथ आराधना पूरी तरह से संतुष्टि का अहसास भी कर रही थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लग गई थी और वह नीचे बैठ कर के साफ करने लगी थी और उसकी गुलाबी चूत से इतनी तीव्रता से उसका नमकीन रस बाहर निकल रहा था कि उसमें से आ रही सीटी की आवाज बाहर खड़े संजू के कानों में एकदम साफ तौर पर सुनाई दे रही थी जिसे सुनकर संजू पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि बाथरूम में उसकी मां मुत रही है,,,पल भर में ही संजू बाथरूम के अंदर के दृश्य की कल्पना अपने मन मस्तिष्क में करने लगा था वह अपने मन में सोचने लगा था कि कैसे उसकी मां बाथरूम में घुसते ही बाथरूम का दरवाजा बंद कर ली होगी और अपनी साड़ी को कमर तक उठाकर अपनी गोरी गोरी गांड से चड्डी को नीचे घुटनों तक सरका कर बैठ गई होगी,,, और अपनी गुलाबी चूत के गुलाबी छेद में से पेशाब की धार मार रही होगी,,,,इस तरह की कल्पना करते ही संजू उत्तेजना से भर गया था उसे लगने लगा था कि कहीं उसका लावा ना निकल जाए बड़ी मुश्किल से वह संभाले हुए था और अंदर बाथरूम में आराधना पेशाब करते हुए बाथरूम में घुसते घुसते जिस तरह के दृश्य को अपनी आंखों से देखी थी उसके बारे में सोच सोच कर पूरी तरह से हैरान थी संजू के पेंट में अद्भुत तंबू बना हुआ था जिसे देखकर आराधना समझ गई थी कि उसके बेटे के पेंट में उसका हथियार कमजोर नहीं बल्कि बेहद दमदार है जिसकी जुबान वहां अपनी गांड पर करके झड़ गई थी सिर्फ इतने से ही उसका यह हाल था तो अगर उसका बेटा अपने लंड को उसकी चूत में डालने का तब उसका क्या हाल होगा वह तो पानी पानी हो जाएगी,,,यह ख्याल मन में आते ही शर्म के मारे उसके गाल लाल हो गए क्योंकि अनजाने में ही यह ख्याल उसके मन में आया था कि उसके बेटे का लंड उसकी चूत में जाएगा,,,,।
Sanju or uski ma



आराधना,,, पेशाब कर चुकी थी और जल्दी जल्दी अपनी चड्डी को पानी से धोकर वही रस्सी पर टांग दी थी दूसरी चड्डी बाथरूम में नहीं थी इसलिए वह ऐसे ही अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके बाथरूम से बाहर निकल गई आज वह साड़ी के नीचे चड्डी नहीं पहनी थी,,,, जैसे ही आराधना बाथरूम से बाहर निकले संजू बोला,,,।



अब चले,,,

तू बगैर लिए जाएगा तो नहीं इसलिए जाना ही पड़ेगा चल,,,
(इतना कहने के साथ ही दोनों मां-बेटे घर से बाहर निकल कर दरवाजा बंद करके ताला लगा दी है और संजू स्कूटी चालू करके अपनी मां के पीछे बैठने का इंतजार करने लगा दरवाजे पर ताला लगाकर आराधना अपने बेटे के कंधे का सहारा लेकर स्कूटी पर बैठ गई और बैठने की वजह से आराधना का बदन संजू के बदन से एकदम सट गया,,,, एहसास संजू के साथ-साथ आराधना के भी तन बदन में आग लगाने लगा था,,,,)

बैठ गई हो मम्मी,,,


हां,,(अपना एक हाथ संजू के कंधे पर रखकर) अब चल,,,

(इतना सुनते ही संजू स्कूटी को आगे बढ़ा दिया,,, साड़ी पहने होने की वजह से आराधना अपनी दोनों टांगों को एक तरफ करके बैठी थी जिसकी वजह से संजू को उतना मजा नहीं आ रहा था जितना कि अगर वह दोनों टांगों को दोनों तरफ करके बैठती,,, इस तरह से बैठने से संजीव अपनी पीठ पर अपनी मां की चुचियों का दबाव अच्छी तरह से महसूस कर पाता,, लेकिन इस समय ऐसा संभव बिल्कुल भी नहीं था,,, थोड़ी ही देर में दोनों क्लीनिक पहुंच गए,,,दोपहर का समय होने की वजह से क्लीनिक पर बिल्कुल भी भीड़ नहीं थी इसलिए ज्यादा ही नंबर आ गया और दोनों डॉक्टर के केबिन में चले गए,,,, डॉक्टर तकरीबन 40 साल का था,,, उसकी नजर जैसे ही आराधना पर पड़ी वह उसे देखता ही रह गया ऐसा लग रहा था कि जैसे पहली बार कोई खूबसूरत औरत उसकी क्लीनिक में आई थी,,,, डॉक्टर की गलती इसमें बिल्कुल भी नहीं थी आराधना के बदन की बनावट और उसका व्यक्तित्व ही ऐसा था कि कोई भी उसकी तरफ आकर्षित हो जाता था लेकिन डॉक्टर को ईस समय आराधना की बड़ी बड़ी चूची आकर्षित कर रही थी,,,,,, डॉक्टर ने दोनों को कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और दोनों मां-बेटे टेबल के सामने कुर्सी पर बैठ गए,,)




क्या तकलीफ है,,,?

जी डॉक्टर साहब मेरी मम्मी को आज बहुत तेज बुखार है सर भी दर्द कर रहा था लेकिन सर अभी दर्द नहीं कर रहा है,,,
(डॉक्टर संजु की बात को सुन रहा था लेकिन उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि इतने बड़े लड़के की यह औरत मां है क्योंकि उसके बदन की बनावट,, इस तरह की थी कि लगता ही नहीं था कि उसका इतना बड़ा बेटा भी होगा,,,, डॉक्टर की नजर बार-बार आराधना की छातियों पर चली जा रही थी,,,, संजू की बात सुनकर डॉक्टर अपनी कुर्सी से खड़ा होता हुआ बोला,,,)

चलिए उस टेबल पर लेट जाइए चेकअप करना पड़ेगा,,,,
(आराधना इतना सुनते ही अपनी जगह से खड़ी हुई और चुपचाप जाकर उस टेबल पर लेट गई जो कि पेशेंट के लिए ही रखा गया था जिस पर पेशेंट का चेकअप होता था,,,,, डॉक्टर टेबल के करीब गया आराधना पीठ के बल लेटी हुई थी उसकी उन्नत छातियां पीठ के बल लेट होने की वजह से विशाल रूप धारण करके पानी भरे गुब्बारे की तरह ब्लाउज में फैल चुकी थी वह तो अच्छा था कि ऊपर साड़ी का पल्लू था वरना ऐसी हालत में देखकर डॉक्टर का पानी निकल गया होता,,, डॉ आराधना की बड़ी-बड़ी छातियां और से खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए ब्लड प्रेशर नापने वाले कंपास को खोल कर उस पट्टे को आराधना कि बांह पर लपेटने लगा,,, डॉक्टर की किस्मत इसलिए बहुत अच्छी थी कि वह अपने पैसे के अनुसार आराधना को छू सकता था उसकी खूबसूरत बदन को स्पर्श कर सकता,,, इसलिए उसकी बांह पर पट्टा लपेट ते हुए डॉक्टर को उत्तेजना का अनुभव हो रहा था,,, पीछे कुर्सी पर बैठकर संजू देख रहा था उसका ध्यान डॉक्टर पर बिल्कुल भी नहीं था कि डॉक्टर उसकी मां को गंदी नजर से देख रहा है,,, ब्लड प्रेशर के पट्टे में हवा भरते हुए एक नजर थर्मामीटर पर डालते हुए,,, बोला,,)



बीपी तो एकदम सही है,,,,(इतना कहते हुए पट्टा को वापस करने लगा,,, और पट्टे को निकालते समय बोला) आपका नाम क्या है,,,


आराधना,,,


जी आराधना जी,,,, अपना बीपी एकदम कंप्लीट है कोई दिक्कत नहीं है,,,, बस थोड़ा सा बुखार लग रहा है,,,(इतना कहने के साथ ही वह आल्हा को अपने कान में लगाकर लेकर उसकी नोब को जानबूझकर ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी छातियों पर लगाकर उसका बुखार नापने लगा,,, आराधना शर्मा से सीहरने लगी थी संजू कुर्सी पर बैठकर यह सब देख रहा था लेकिन जो कुछ भी डॉक्टर कर रहा था संजू को अच्छा तो नहीं लग रहा था लेकिन वह कर भी क्या सकता था सिर्फ देखने के सिवाय और डॉक्टर था कि लोग को ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुचियों पर दबाकर उसकी गर्मी को नाप रहा था पेंट के अंदर डॉक्टर के लंड में भी हरकत करना शुरू कर दिया था,,, गोल गोल बड़ी सूचियों को डॉक्टर अपने आला के नोब से दबा रहा था और ऐसा करने से डॉक्टर को इस बात का एहसास हुआ कि आराधना की बड़ी-बड़ी चूचियां वास्तव में कितनी नरम गरम है डॉक्टर का मन तो कर रहा था कि अपने हाथों से आराधना के ब्लाउज का सारा बटन खोल कर उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु कर दें लेकिन डॉक्टर होने के नाते ऐसा करना मुनासिब बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फिर भी चेकअप करने के बहाने डॉक्टर ने उसकी चुचियों कोब्लाउज के ऊपर से ही छूने का सुख प्राप्त कर लिया था,,,,,।

डॉक्टर को मजा आ रहा था तो आराधना कि सांसे ऊपर नीचे हो रही थी क्योंकि डॉक्टर जानबूझकर उस लोग को कुछ ज्यादा ही जोर से दबा रहा था जिससे ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियां दब जा रही थी इससे पहले भी वह दूसरे क्लीनिक पर जा चुकी थी लेकिन इस तरह से किसी भी डॉक्टर ने उसका चेकअप नहीं किया था जिस तरह से यह डॉक्टर उसका चेकअप कर रहा था इसलिए तो आराधना कि तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी वह शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,,, आराधना की कसमसाहटऔर उलझन और ज्यादा बढ़ गई जब डॉक्टर ने उसे गहरी गहरी सांसें लेने के लिए बोला,,,, डॉक्टर जानबूझ कर उसे गहरी सांस लेने के लिए बोल रहा था क्योंकि डॉ आराधना की बड़ी-बड़ी चुचियों को उठते बैठते हुए अपनी आंखों में कैद कर लेना चाहता था ,,, डॉक्टर के कहे अनुसार आराधना गहरी गहरी सांस लेने लगी और ऐसा करने पर उसकी छातियों पर जो तूफान उठने लगा उसे देखकर डॉक्टर के हौसले पस्त होने लगे उसके पेंट में गदर सा मचने लगाऔर देखते ही देखते हैं उसके पैंट के आगे वाले भाग में अच्छा-खासा तंबू बन गया जो कि उस पर अभी किसी की नजर नहीं गई थी,,,, जब जब आराधना गहरी सांस अंदर की तरफ जाती थी तब तक उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ऊपर की तरफ फुटबॉल की तरह उठा रही थी जिसे लपक ने के लिए डॉक्टर पूरी तरह से लालायित नजर आ रहा था लेकिन वह आराधना के फुटबॉल नुमा चुचियों को लपक ने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा था,,, क्योंकि ऐसा करना उसके हित में बिल्कुल भी नहीं था उठती बैठती चुचियों पर अपने आला का नॉब लगाकर डॉक्टर पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगा था,,,, 30 से 40 सेकंड के काम में डॉक्टर ने पूरा 5 मिनट लगा दिया था वह आराधना की चुचियों से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था,,,, अपने मन को मार कर डॉक्टर आल्हा को अपने काम से हटाकर अपने गले में लगाते हुए आराधना से बोला,,,।)

आराधना जी बुखार थोड़ा ज्यादा है इसलिए आपको टेबलेट तो दे ही रहा हूं लेकिन इंजेक्शन भी लगाना पड़ेगा,,,


नहीं नहीं डॉक्टर साहब इंजेक्शन से मुझे बहुत डर लगता है,,,


देखिए इंजेक्शन तो तुम्हें लगवाना ही पड़ेगा वरना अभी तो तुम्हारा बुखार उतर जाएगा लेकिन दो-तीन दिन बाद फिर से तुम्हें और तेज बुखार चलेगा क्योंकि तुम्हारा बुखार मलेरिया के असर का है,,,पर अगर तुम नहीं चाहती इंजेक्शन लगवाने के लिए तो मैं जिद नहीं करता हूं लेकिन एक डॉक्टर होने के नाते मेरा फर्ज बनता है कि तुम्हें सही सलाह देना,,,,
(इतना सुनते ही संजू से रहा नहीं गया और वह अपनी जगह से उठकर डॉक्टर से बोला)


कोई बात नहीं डॉक्टर आप इंजेक्शन लगा दीजिए,,,

(संजू की बात सुनते ही डॉक्टर की आंखों में चमक आ गई,, क्योंकि उसके दिमाग में कुछ और चल रहा था,,,)

नहीं संजू यह क्या कर रहा है तू मुझे इंजेक्शन से बहुत डर लगता है,,,


मम्मी इंजेक्शन से आराम भी चल जाएगा,,, तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो,,,।

(डॉक्टर सुई लगाने के लिए इंजेक्शन तैयार करने लगा,,, आराधना उठ कर बैठ गई थी वह अपने साड़ी का पल्लू ठीक करके अपनी बांह आगे किए हुए थी डॉक्टर सीरीज में दवा भरकर जैसे ही आराधना के पास आया तो उसे बैठा हुआ देखकर बोला,,,)

हाथ में नहीं लगाना है लेट जाओ,,,
(इतना सुनते ही आराधना संजू की तरफ देखने लगी तो आराधना के मन की बात को समझते हुए डॉक्टर बोला)

देखो यह मलेरिया से संबंधित इंजेक्शन है अगर हाथ में लगा दिया तो हाथ बहुत दर्द करेगा और तुम से हाथ उठाया नहीं जाएगा,,,,


तब तो तकलीफ हो जाएगी डॉक्टर साहब,,, नहीं नहीं आप ऐसा कीजिए कमर पर लगा दीजिए,,,(संजू अपना अभी प्राय देते हुए बोला तो डॉक्टर बात को आगे बढ़ाते हुए बोला)


कमर में नहीं कुल्हे में,,,,
(इतना सुनते ही आराधना के होश उड़ गए जिस तरह की हरकत डॉक्टर ने ब्लाउज के ऊपर से उसकी चुचियों के साथ किया था उसे देखते हुए उसे लगने लगा कि डॉक्टर के मन में कुछ और चल रहा है लेकिन क्या करें वह डॉक्टर था और वह पेशेंट थी,,, डॉक्टर जो कहता है उसे मानना ही था,,,। इसलिए संजू बोला,,,)

ठीक है मम्मी तुम लेट जाओ चिंता मत करो मैं हूं ना,,,

(आराधना को इंजेक्शन से बहुत डर लगता था और वहां अपने बेटे की बात मानते हुए पेट के बल लेट गई हालांकि उसे कमर के साइड लेटना था लेकिन घबराहट में वहां पेट के बल लेट चुकी थी जिससे उसकी भारी-भरकम गांड एकदम उभर कर सामने नजर आ रही थी जिसे देखकर डॉक्टर के मुंह में पानी आ रहा था और यही हाल संजू का भी था क्योंकि जिस तरह से टेबल पर उसकी मां पेट के बल लेटी हुई थी उसकी भारी-भरकम गोल-गोल गांड संजू की आंखों के सामने नाच रही थी और साड़ी इतने कस के बाद ही हुई थी कि साड़ी के ऊपर से ही नितंबों का पूरा भूगोल साफ नजर आ रहा था उसके आकार और निखार दोनों उभर कर सामने आ रहे थे,,,,।

आराधना की चिकनी मांसल कमर देख कर डॉक्टर का ईमान पर चलने लगा था उसके बीच की गहरी पतली दरार तो डॉक्टर के होश उड़ा रही थी,,, डॉक्टर का मन अपने दोनों हाथों से आराधना की चिकनी कमर पकड़ने को कर रहा था उसकी बड़ी-बड़ी गण को अपने दोनों हाथ के लिए में भर-भर कर दबाने को कर रहा था लेकिन ऐसा कर सकना शायद उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था बस वहां आराधना की खूबसूरती को अपनी आंखों से पी सकता था,,,,,,

डॉक्टर सिरिंज में दवा भरकर इंजेक्शन तैयार कर चुका था वह संजू को आराधना की साड़ी को थोड़ा नीचे करने के लिए बोला,,, डॉक्टर का बस चलता तो वह कमर से नहीं बल्कि नीचे से साड़ी को कमर तक उठा देता और उसकी गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देखकर शायद एकदम मदहोश हो जाता,,,, डॉक्टर की बात सुनते हीसंजू आगे बढ़ा और अपनी मां की कमर पर की साड़ी को नीचे की तरफ खींचने लगा था कि डॉक्टर अच्छे से उसके कोणों पर इंजेक्शन लगा सके,,, लेकिन साड़ी इतनी कसके बांधी हुई थी कि संजू से ठीक से नीचे खींची नहीं जा रही थी,,, तो डॉक्टर ही आगे बढ़कर आराधना की चिकनी कमर को छूते हुए आराधना की कमर पर की साड़ी को अपनी उंगली को उसकी कमर पर बनी साड़ी के अंदर डालते हुए उसे अच्छे से हथेली से पकड़ लिया,, कमर की गोरी चिकनी नरमाहट को अपनी उंगली पर महसूस करते ही डॉक्टर के तन बदन में आग लगने लगी वह लंबी सांस लेते हुए आराधना की साड़ी को थोड़ा नीचे की तरफ सरकाया तो साड़ी आराम से कमर से नीचे सरक गई और ऐसा करने से,,, डॉक्टर की आंखों के सामने आराधना की नितंबों की दरार के ऊपरी वाला हिस्सा जो की गोल बिंदु के रूप में नजर आ रहा था वह नजर आने लगा उसे देखते ही डॉक्टर एकदम से सुध बुध खो दियाशायद इस तरह से उसने आज तक किसी भी औरत को इंजेक्शन लगाने का प्रयास नहीं किया था आराधना को देखकर उसका ईमान डोलने लगा था और वह इसीलिए हाथ में लगाने की वजाय उसकी गांड पर इंजेक्शन लगाने जा रहा था,,,,डॉक्टर को आराधना की गांड की दरार एकदम साफ नजर आ रही थी और वह भी ऊपर हिस्से की जहां से गांड की शुरुआत होती है और यह है संजू की देख रहा था संजू की हालत तो खराब होने लगी थी लेकिन जैसे ही संजू की नजर डॉक्टर के पेंट के आगे वाले भाग पर गई तो उसके होश उड़ गए क्योंकि उसमे तंबू बना हुआ था जोकी संजू को समझते देर नहीं लगी कि उसकी मां की गांड को देखकर डॉक्टर का लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था संजू को गुस्सा तो बहुत आ रहा था लेकिन ना जाने क्यों इस बात का गर्व हो रहा था कि उसकी मां की खूबसूरती देखकर डॉक्टर से सहन नहीं हो रहा था उसकी जवानी डॉक्टर बर्दाश्त नहीं कर पा रहा,,, था,,,।

आराधना पेट के बल अपनी आंखों को बंद किए हुए लेटी थी,, वह चाहती थी जल्द से जल्द डॉक्टर उसे इंजेक्शन लगा दे ताकि वह इंजेक्शन से होने वाले दर्द से निजात पा सके,,, डॉक्टर अपने हाथ में इंजेक्शन लेकर आराधना को लगाने के लिए तैयार था आराधना की गोरी गोरी बड़ी-बड़ी गांड की चमक डॉक्टर की आंखों में साफ नजर आ रही थी,,, अगर इस समय संजू उसके साथ ना होता तो शायद वह आराधना की गांड को दोनों हाथों से पकड़ कर उसे छूने का और भी ज्यादा सुख प्राप्त कर लेता,,,,।

डॉक्टर अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए आराधना को इंजेक्शन लगाने लगा और जैसे ही सिरिंज को आराधना की गांड में अंदर की तरफ धंसायावैसे ही आराधना के मुंह से आह निकल गई
इस तरह से डॉ आराधना को इंजेक्शन लगाते हुए




और संजू ने तुरंत अपनी मां की टांग को पकड़कर उसे सांत्वना देने लगा कि बस हो गया,,, और देखते ही देखते डॉक्टर ने सीरीज की सारी दवा को आराधना की गांड में प्रवेश करा दिया,,,और धीरे से सुई को बाहर निकाल कर अपने अंगूठे से उस जगह को गोल-गोल दबाकर उसे उसी तरह से छोड़ दिया,,, और सिरिंज को कूड़े में फेंकते हुए बोला,,,।


आप अपनी साड़ी ठीक कर लीजिए,,(और इतना कहने के साथ ही वह वापस अपनी कुर्सी पर आकर बैठ गया और दवा देने लगा,,,, थोड़ी देर में आराधना भी अपनी साड़ी को व्यवस्थित करके टेबल पर से नीचे उतर गई और दोनों मां-बेटे दवा लेकर क्लीनिक से बाहर निकल गए और जाते-जाते डॉक्टर आराधना की कसी हुई काम को देखकर पेंट के ऊपर से अपने लंड को मसलने लगा,,,, दोनों दवा लेकर क्लीनिक से बाहर निकल चुके थे और संजू स्कूटी पर बैठा कर अपनी मां को घर पर लेकर आ गया,,,)
बहुत ही सुंदर लाजवाब और मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
आराधना की उफान मारती हुई चिकनी जवानी देख डॉ के लौडे लग गये और वो अपना लंड मसलते रहा
बहुत बढिया
 

rohnny4545

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काव्या के साथ संजू अद्भुत और अविस्मरणीय पल गुजार कर अपने घर वापस आ चुका था लेकिन इस बारे में किसी को कानों कान तक खबर नहीं हुई थी,,, उसके बिस्तर पर आने वाली काव्य तीसरी औरत थी पहली उसकी मौसी दूसरी उसकी खुद की बहन और तीसरी मनीषा की सहेली काव्या काव्या के साथ बिताया गया एक-एक पल उसके लिए मद भरी थी जिसमें पूरी तरह से नशा छाया हुआ था वह कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह से कोई लड़की अपने ही घर ले जाकर उससे चुदवाएगी,,,


धीरे-धीरे संजु को अपनी मर्दाना ताकत पर गर्व होने लगा था औरत को चोदने और उसको संतुष्टि प्रदान करने में उसका आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था उसे पूरा यकीन हो गया था कि अब वह किसी भी तरह की औरत को अपनी मर्दाना ताकत से तृप्त करने की क्षमता रखता है,,,, काव्या की गोल-गोल और बड़ी बड़ी चूची उसे अभी तक याद आ रही थी,,,,,, एक तरह से वह मन ही मन काव्या को धन्यवाद कर रहा था क्योंकि काव्या की वजह से ही मनीषा अपने प्यार का इजहार उससे कर पाई थी और वह इस बात को भी समझ गया था कि बहुत ही जल्द मनीषा भी उसके बिस्तर पर आने वाली है क्योंकि जिस तरह से उसने पहल करते हुए उसके होठों को चुंबन की थी और उसने खुद उसका सहकार देते हुए उसके होंठों का रसपान करना शुरू किया था और अपने दोनों हाथों से उसके गोल गोल नितंबों को पकड़कर दबाया था,,, यह सब उसकी जिंदगी में आने वाले सुख के लक्षण थे,,,,,, मनीषा ने जिस तरह से अपने प्यार का इजहार की थी उसे लगने लगा था कि संजू काव्या के करीब बिल्कुल भी नहीं जाएगा लेकिन वह कहां जानती थी कि संजू औरतों के मामले में चालाक हो गया है और एक तरफ उसका प्यार पाने के बावजूद भी उसे धोखा देते हुए,, काव्या के साथ संभोग सुख प्राप्त करके अपने घर आ चुका होगा,,,, इस बात से अनजान वह अपने ख्यालों में खोई हुई थी संजू उसे बहुत अच्छा लगने लगा था जिस तरह से उसने उसका साथ देते हुए कोचिंग क्लास चलाने में मदद किया था और धीरे-धीरे कोचिंग क्लास को और भी आगे लेते जा रहा था यह सब देखते हुए मनीषा उसे प्यार करने लगी थी वैसे भी संजू का व्यक्तित्व और उसकी कद काठी उसका भोला चेहरा सब कुछ मनीषा को भा गया था इसलिए वह चचेरी बहन होने के बावजूद भी संजु को किसी और से बांटना नहीं चाहती थी संजू को अपना बॉयफ्रेंड समझने लगी थी,,,।


ऐसे ही धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे थे,,, काव्या का जब भी मन होता वह फोन करके संजू को अपने घर बुला लेती और संजू काव्या को पूरी तरह से संतुष्टि प्रदान करके खुद संतुष्ट होकर वहां से वापस आ जाता था संजू की कोशिश उसकी मां को पाने में लगातार जारी थी लेकिन आराधना अपने कदम को डगमगाने से बार-बार रोक ले रही थी वहीं दूसरी तरफ मोहिनी अपनी जवानी की खुशबू अपने भाई पर लुटा रही थी,,,,,, अशोक धीरे-धीरे घर पर आना छोड़ दिया था संजू ए बात अच्छी तरह से जानता था कि उसके पिताजी आई आज किस्म के इंसान हो चुके हैं जब से वह अपने पिताजी को गेस्ट हाउस में किसी लड़की को ले जाते देखा था तब से वह अपने बाप से और ज्यादा नफरत करने लगा था और यही हाल मोहिनी का भी था पहले उसे अपने पापा की बहुत याद आती थी लेकिन सच्चाई जानने के बाद वह भी अपने पापा से घृणा करने लगी थी,,,,,,

ऐसे ही रविवार का दिन था रविवार का दिन होने की वजह से मोहिनी और संजू दोनों को कॉलेज नहीं जाना था दोनों देर तक कमरे में सो रहे थे और आराधना उठकर घर का काम करते हुए नहा धोकर तैयार हो गई थी और रसोई बना रही थी वही बगल वाले कमरे में नींद खुल जाने की वजह से सुबह की उत्तेजना का पूरा फायदा उठाते हुए संजू अपनी बहन के दोनों टांगों को फैला कर उसकी चूत में अपना लंड डालकर अपनी कमर हिला रहा था इस बात से आराधना बिल्कुल अनजान थी उसे अपने बेटे और अपनी बेटी पर बिल्कुल भी शक नहीं होता था यह जानते हुए भी कि एक जवान बेटा होने के बावजूद भी अपनी ही मां पर गंदी नजर रखता है तो वह अपनी बहन के साथ क्या करता होगा इस बात का ख्याल कभी भी आराधना के मन में नहीं आया था और इसी का फायदा उठाते हुए संजू और मोहिनी एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे,,,, मोहिनी शुरू शुरू में अपना संपूर्ण दामोदार अपना संपूर्ण वजूद संजू के हाथों में सौंप देती थी लेकिन धीरे-धीरे वह चलाक होने लगी थी औरतों को अपने तरीके से किस तरह का सुख प्राप्त करना है वह समझने लगी थी इसलिए अब वह पूरी तरह से कंट्रोल अपने हाथों में रख लेती थी और आज सुबह भी वह पूरी तरह से अपने भाई पर छा जाने की कोशिश कर रही थी उसके ऊपर सवार होकर वहां पर अपनी चूची को पकड़कर खुद उसके मुंह में डाल रही थी और उसे जबरजस्ती पिला रही थी संजू को अपनी बहन का यह रवैया बहुत ज्यादा उत्तेजित कर जाता था वह भी अपनी बहन के हाथों में पूरा कंट्रोल देकर पूरी तरह से उसके हाथों की कठपुतली बन जाना पसंद करता था,,,, और उसे इसमें मजा भी आता था,,,।

सुबह के 6:15 बज रहे थे आराधना रसोई तैयार कर रही थी और संजू और मोहिनी अपने कमरे में बिल्कुल नग्न अवस्था में काम क्रीड़ा में खोए हुए थे संजू पीठ के बल लेटा हुआ था और मोहिनी उसके ऊपर सवार होकर अपनी चूची उसके मुंह में डालकर उसे अपना दूध पिला रही थी,,।
मोहिनी अपने भाई पर पूरी तरह से छाते हुए


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ले पी मेरे भाई ले पी,,,आहहहहह कितना मजा आता है जब तु पीता है,,,, ले दूसरा भी पी,,( पहले चूची को मुंह में से निकाल कर दूसरी चूची उसके मुंह में डालते हुए) पहले कितनी नारंगी जैसी थी तो धीरे-धीरे से खरबूजा की तरह बनाता जा रहा है,,,ऊहहहहहह‌ निप्पल को चाट,,,आहहहहह बस मेरे भाई ऐसे ही बहुत मस्त पीता है तू,,,,ऊफफ,,,,,आहहहहहहह ,,,,
(मोहिनी पूरी तरह से गर्म हो जा रही थी उसकी गरम सिसकारियां एकदम सीमित आवाज में थी जो कि कमरे से बाहर तक नहीं पहुंच पा रहे थे क्योंकि मोहिनी को मालूम था कि अगर जोर-जोर से वह सिसकारी लेना शुरू कर देगी तो उसकी मां को शक हो जाएगा इसीलिए वह अपने आप पर पूरी तरह से काबू करके आनंद ले रहे थे संजय पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था अपनी बहन की इस हरकत पर वह आनंद विभोर हुआ जा रहा था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह वही मोहिनी है जो पहले लड़कों से शर्म आती थी लेकिन अब देखो खुद ही उसके नंगे बदन पर बैठी हुई है और मजा ले रही है मोहिनी को इस कदर बेशर्म बनाने में भी संजू का ही हाथ था अगर संजू उसके साथ इस तरह की गलत हरकत ना करता तो शायद मोहिनी अभी भी पहले वाली ही मोहिनी रहती,,,, संजू औरतों के बदन से कैसे आनंद लेना है अच्छी तरह से जानता था वह पूरी तरह से मस्त होकर मोहिनी की चूची को दबा दबा कर पी रहा था और मोहिनी भी उसे पिला रही थी संजू का लंड पूरी तरह से खड़ा होकर मोहिनी की पीठ पर ठोकर मार रहा था जिसे अपनी पीठ पर महसूस करके मोहिनी के तन बदन में उत्तेजना की लहर उठ रही थी,,,,
Mohini apne bhai k mooh par choot rakhte huye

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इस तरह की कामुक हरकत की वजह से मोहिनी की चूत से मदन रस टपक रहा था जो की पूरी तरह से संजू के पेट को भिगो रहा था,,,,, संजीव को मोहिनी कुछ भी बोलने का मौका नहीं दे रही थी बार-बार उसके मुंह में अपनी चूचियां दे दे रही थी और संजू को अपनी बहन की चूची पीने में बहुत मजा आता था अपनी बहन की क्या संजू को किसी भी औरत की चूची पीने में बहुत मजा आता था इस तरह से उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जाती थी,,,, कुछ देर तक मोहिनी और संजू इसी तरह से मजा लेते रहे दोनों अच्छी तरह से जानते थे कि आज छुट्टी का दिन है और उसकी मां उसे सात 7:30 बजे से पहले उठाने वाली नहीं थी इसीलिए इस मौके का वह दोनों पूरी तरह से फायदा उठा रहे थे,,,
Mohini or sanju

भाई इसी तरह से तु मां की भी चूचियों को पी रहा था ना,,,, बड़ा मजा आया होगा तुझे मेरे से ज्यादा बड़ी बड़ी चूचीया है मां की,,,, काश तू मां की चूत में लंड डालकर चोद‌ पाता तो मुझे और मजा आता,,, कोई बात नहीं तू बिल्कुल भी चिंता मत कर एक दिन देखना मम्मी खुद तुझे अपनी चूत परोस कर देगी,,,,(अपनी बात का खुद ही जवाब देते हुए मोहिनी बोल रही थी क्योंकि वह खुद संजू को बोलने का मौका नहीं दे रही थी,,, लेकिन मोहिनी के मुंह से अपनी मां का जिक्र करते हैं उसकी उत्तेजना हो ज्यादा बढ़ गई और वह अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर मोहिनी की नंगी गांड को अपनी हथेली में दबोच लिया और उसे जोर से दबाना शुरू कर दिया,,,,,, संजू के लिए अपनी उत्तेजना दबा पाना मुश्किल हुआ जा रहा था क्योंकि मोहिनी ने आराधना का जिक्र करके आग में घी डालने का काम कर दी थी,,,, इसलिए संजू पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था,,,, अपनी फाइल की हालत देखकर मोहिनी भी समझ गई थी कि उसका भाई एकदम से चुदवासा हो गया है,,, किस लिए वह अपने भाई के मुंह में से अपनी चूची को बाहर निकाल कर उसके ऊपर से उतर गई और उसके लंड को पकड़ कर ले जाने लगी जो कि काफी मोटा महसूस हो रहा था,,,।
Sanju or mohini


ओहहहह भाई लगता है कि तू आज मेरी चूत फाड़ डालेगा आज तो तेरा लंड और ज्यादा मोटा हो गया है,,,,।

हारे मोहिनी तुमने मम्मी का जिक्र करके मेरी हालत खराब कर दी है,,,

तू चिंता मत कर भाई मैं तेरी हालत एकदम सही कर दूंगी,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी अपने भाई के लंड को अपने लाल-लाल होठों के बीच भर ली और उसे लॉलीपॉप कि तरह चूसना शुरु कर दी,,,,,, मोहिनी भी पूरी तरह से चुदक्कड़ हो गई थी उसे भी पूरा ज्ञान हो चुका था कि मजा कैसे लिया जाता है इसलिए वह अपने भाई के लंड को पूरा का पूरा अपने गले तक उतारकर उसे चूसने का आनंद ले रही थी,,,,,, जिस समय दोनों शुरुआत किए थे दोनों इस खेल में नए-नए थे हालांकि संजू को एक बार की चुदाई का अनुभव हो चुका था और वह भी अपनी मौसी के साथ अपनी मौसी के साथ उसने औरत को खुश करने के लिए बहुत कुछ क्रियाओं को सीखा था जो कि वह अपनी बहन पर पूरी तरह से आजमा चुका था और देखते ही देखते मोहिनी खुद इस खेल में इतनी माहिर हो गई थी कि अपने भाई पर पूरी तरह से हावी हो रही थी वह उसके मोटे तगड़े लंबे लंड को बड़े आराम से अपने गले तक उतार लेती थी और उसे इतना तड़पाती थी कि कभी-कभी संजू को लगने लगता था कि उसका पानी छूट जाएगा,,,, मोहिनी उसकी तड़प और ज्यादा बढ़ाते हुए उसके लंड के बैगनी रंग के सुपाड़े को आइसक्रीम के कौन की तरह जीभ लगाकर चाट रही थी और मोहिनी के जीभ की गर्मी से धीरे-धीरे संजू का लंड आइसक्रीम के बर्फ की तरह पिघल रहा था और उसमें से लार नहीं कर रही थी जिसे मोहिनी खुद अपनी जीभ से चाट रही थी संजू हाथ की कोहनी के सहारे अपनी गर्दन को ऊपर उठाकर अपने लंड की तरफ देख रहा था और मोहिनी के खूबसूरत चेहरे की तरफ संजू अपनी बहन की तरफ देखकर समझ ही नहीं पा रहा था कि यह वही सीधी साधी भोली भाली मोहिनी है अब उसमें कितना बदलाव आ चुका था इस समय संजू को अपनी बहन में एक रंडी पन दिख रहा था जो कि एक मर्द को खुश करने के सारे तरीके को आजमा रही थी,,, मोहिनी के बाल में बकल लगा हुआ था और संजू अपना हाथ आगे बढ़ा कर उस बक्कल को खींच लिया और देखते ही देखते उसके खूबसूरत रेशमी बाल एकदम से खुल गए और खुले बालों में मोहिनी की खूबसूरती और ज्यादा बढ़ गई रह-रहकर संजू अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाल देता था,,,, मोहिनी अपनी हरकत से अपने भाई को पूरी तरह से पागल कर चुकी थी संजु को लगता था कि किसी भी वक्त उसके लंड का फव्वारा फूट पड़ेगा,,,,, इसलिए वह कसमसा रहा था और अपने भाई की कसम साहट को देखकर मोहिनी समझ गई कि उसका भाई पूरी तरह से गर्म हो चुका है और देखते ही देखते मोहिनी अपने भाई के लंबे मोटे लंड को अपने मुंह में से बाहर निकाल कर खुद अपने भाई के कमर के इर्द-गिर्द अपने घुटने रख कर अपने लिए जगह बनाने लगी देखते ही देखते मोहिनी की खूबसूरत सुगठित मांसल गांड संजू के मोटे तगड़े लंड के ऊपर आ चुकी थी संजू समझ चुका था कि उसकी बहन का करने वाली है और मोहिनी तुरंत अपना एक हाथ नीचे की तरफ से जाकर अपने भाई के लंड को पकड़ लिया और धीरे से अपनी तरबूज जैसी गांड को नीचे की तरफ ले जाने लगी देखते ही देखते मोहिनी अपने हाथों से अपने भाई के लंड के सुपाड़े को रास्ता दिखाते हुए अपने गुलाबी चूत से सटा दी और गरम चूत का स्पर्श होते हैं संजू पूरी तरह से गनगना गया,,,, मोहिनी की हर एक हरकत जानलेवा साबित हो रही थी संजू पल पल चुदास की आग में जल रहा था,,,,, संजू को इस समय अपनी तरफ से कुछ नहीं करना था जो कुछ करना था मोहिनी को करना था इसलिए मोहिनी जैसे ही संजू के लंड को अपने चूत का द्वार दिखाइ,,, मोहिनी तुरंत अपनी तरबूज जैसी गांड का भार अपने भाई के भालानुमा लंड पर बढ़ाने लगी और देखते ही देखते चूत की चिकनाहट पाते ही संजू का मोटा तगड़ा लंड धीरे-धीरे करके मोहिनी की चूत में समाने लगा यह नजारा संजू अपनी आंखों से एकदम साफ देख रहा था और इस नजारे को देखकर काम विह्वल हुआ जा रहा था,,,,।


देखते ही देखते ही मोहिनी अपने अनुभव का फायदा उठाते हुए अपने भाई के मोटे तगड़े लंबे लंड को अपनी चूत की गहराई में छुपा ली और अपने भाई के लंड को पूरी तरह से गप कर लेने के बाद उसके ऊपर आसन लगाकर बैठ गई,,,, दोनों की सांसे गहरी चल रही थी कुछ देर तक मोहिनी उसी अवस्था में बैठी रही अपने भाई के मोटे तगड़े लंड की गर्माहट को अपनी चूत के अंदर महसूस करके वह पल पल मदहोश हुए जा रही थी,, मोहिनी आज अपने अनुभव से संजू को पूरी तरह से तड़पा दाल रही थी संजू का मन नीचे से धक्का लगाने को कर रहा था,,, लेकिन मोहिनी ने पूरी तरह से अपने भाई पर कब्जा जमा रखा था वह नीचे से अपनी कमर तक मिला नहीं पा रहा था लेकिन मोहिनी को इस बात का एहसास हो रहा था कि संजू धक्का लगाना चाहता है इसलिए वह बोली,,,।


आज तू कुछ नहीं करेगा भाई जो कुछ करना है मुझे करना है ,,,,(और इतना कहने के साथ ही मोहिनी धीरे से अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठाने लगी और संजू का लंड धीरे-धीरे उसकी चूत के छेद से बाहर होने लगा देखते ही देखते संजीव को लगने लगा कि मोहिनी उसकी चूत से उसके नंबर को पूरी तरह से बाहर निकाल देंगे लेकिन जैसे ही सुपाड़ा किनारे पर आया मोहिनी तुरंत नीचे बैठ गई और इसी तरह से ऊपर नीचे करके उठक बैठक करने लगी संजु को स्वर्ग का सुख प्राप्त हो रहा था वह पूरी तरह से मदहोश हुआ जा रहा था देखते ही देखते मोहिनी की रफ्तार उठक बैठक में बढ़ने लगी और उसकी चूत से चप्प चप्प की आवाज आना शुरू हो गई संजू की सबसे बड़ी गहरी चलने लगी मोनी पूरी तरह से मदहोश में जा रही थी वह अपने भाई के कंधों को दोनों हाथों से पकड़ कर अपनी गांड को जोर-जोर से अपने भाई के लंड पर पटक रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे ही वह कपड़े धो रही हो,,, संजू का मोटा तगड़ा लंड बड़े आराम से सटाक सटाक करके चूत के अंदर बाहर हो रहा था,,,,,,,

देखते ही देखते घड़ी में 7:15 बज गए दोनों की इस काम क्रीड़ा को 1 घंटे जैसा समय हो गया था,,,,, आराधना को लगने लगा कि मोहिनी और संजू आज देर तक सो रहे हैं इसलिए वहां रसोई का काम छोड़कर उनके कमरे के बाहर आकर दरवाजा खटखटाते हुए बोली,,,।

संजू अरे मोहिनी कब तक सोते रहोगे बहुत देर हो रही है चलो जल्दी उठो,,,,।
(अपनी मां की आवाज सुनते ही दोनों एकदम से चौंक गए मोहिनी उसी तरह से अपने भाई के लैंड कर बैठी रह गई कोई जवाब ना मिलने पर आराधना फिर से उन दोनों का नाम लेकर बुलाई तो इस बार संजू नींद में होने का नाटक करते हुए बोला,,,)

क्या मम्मी आज रविवार है आज तो सोने दो,,,

7:15 बज रहे हैं कितना सोएगा जल्दी से उठ कर नहा धो लो नाश्ता तैयार हो गया,,, चलो जल्दी,,,,,


ठीक है मम्मी 10 मिनट में आया,,

10 मिनट से 1 मिनट भी ज्यादा नहीं होना चाहिए,,,(इतना कहने के साथ ही आराधना वापस रसोई घर में चली गई तो संजू मोहिनी की तरफ देख कर मुस्कुराया और उसे अपनी बाहों में लेकर तुरंत पलट गया यह देखकर मोहिनी भी हैरान हो गई अब वह नीचे और संजू ऊपर था अब पूरा कंट्रोल संजू के हाथ में आ चुका था और संजू कमर हिलाना शुरू कर दिया मोहिनी को भी मजा आने लगा संजू का लंड बड़ी तेजी से मोहिनी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था मोहिनी बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारी को रोके हुए थी,,,, अपने वादे के मुताबिक संजू मोहिनी को और 5 मिनट तक चोदता रहा और घर जाने के बाद कुछ ही देर में अपने कपड़े पहन कर कमरे से बाहर आ गया और थोड़ी देर में मोहिनी भी कमरे से बाहर आ गई थी,,,,।

संजू कुछ देर तक यूं ही कुर्सी पर बैठा रहा और मोहिनी जल्दी-जल्दी बाथरूम जाकर नहा कर बाहर आ गई थी मोहिनी को देखकर संजू मुस्कुराया और वह भी उठकर बाथरूम में चला गया और नहाने के लिए अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया बाथरूम का दरवाजा बंद कर दिया था और से मालूम था कि आप कोई आने वाला नहीं है इसलिए निश्चिंत होकर वा नहा रहा था कि तभी उसकी नजर सामने की दीवार पर बनी हुई पेंटिं पर गई और संजू उत्सुकता बस उस पेंटी को अपने हाथ में ले लिया और पेंटी को हाथ में लेते उसे समझते देर नहीं लगी कि वह पहनती उसकी मां की है और अपनी मां की पेंटिंग को हाथ में लेते हुए उसके तन बदन में एक बार फिर से उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,,,
 
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Desi Man

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बहुत मस्त अपडेट है दोस्त
 

Sanju@

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संजू की कामलीला लगातार जारी थी वह रोज रात को अपनी बहन की जमकर चुदाई करता था चुदवा चुदवा कर मोहिनी की बुर और ज्यादा खूबसूरत और रसीली हो चुकी थी उसके बदन में भराव आना शुरू हो गया था चुचियों का उठाव थोड़ा और बढ़ गया था नितंबों का घेराव सुडोल और बेहद खूबसूरत आकर्षक होता जा रहा था मोहिनी पहले से ही बला की खूबसूरत थी लेकिन अपने भाई के हाथों से जी भर कर चुदवाने के बात उसकी जवानी और ज्यादा महकने लगी थी जिसकी खुशबू कॉलेज के सभी लड़कों में उत्तेजना जगा रहे थे लेकिन मोहिनी किसी को भी भाव नहीं देती थी,,,। दूसरी तरफ अपनी बहन से पूरी तरह से रजामंदी पाकर संजू अपनी मां को उकसाने में पूरी तरह से लग गया था वह किसी भी तरह से अपनी मां को चोदना चाहता था उसकी बड़ी बड़ी गांड उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसका नंगा बदन हमेशा से संजू की उत्तेजना का प्रमुख कारण रहा था और अब तो उसे इस बात का पूरा यकीन था कि उसकी मां भी अंदर ही अंदर प्यासी है क्योंकि अशोक महीनों से घर नहीं आया था एक औरत के बदन की प्यास एक औरत को किस कदर मजबूर कर देती है वह अपनी मौसी की हालत को देखकर अच्छी तरह से जानता था,,,, ऐसा नहीं था कि आराधना के तन बदन में उत्तेजना की आग नहीं लगती थी रह रहे कर उसे भी बदन की प्यास सताने लगती थी पुरुष संसर्ग के लिए वह भी तड़पने लगती थी लेकिन,, किसी भी तरह से वह अपने आप को संभाल ले जाती थी उसी के चलते तो वह बेहद माधव और कामोत्तेजना से भरा हुआ सपना देखी थी जिसमें वह खुद अपने बेटे के साथ संभोग करके तृप्त हो रही थी,,,, और उस सपने के चलते वह इतनी अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी कि उसे सपना भी हकीकत लग रहा था,,,,,,

संजु का अपनी चचेरी बहन मनीषा के प्रति भी लगाव था,,, क्योंकि वह पहली बार में ही मनीषा को केवल एक छोटी सी टीशर्ट और पेंटी में देख चुका था उसके नंगे गोरे बदन को देख कर उस समय भी उसके तन बदन में आग लग गई थी लेकिन,,, लेकिन अपने बदन की गर्मी उसने उसकी मां की चुदाई करके मिटाया था लेकिन जब से दोनों साथ मिलकर कोचिंग क्लास करने लगे थे तब से संजू का लंड मनीषा को देखकर टन टना जाता है लेकिन वह मनीषा के मन में क्या चल रहा है इस बात से पूरी तरह से वाकिफ नहीं था इसलिए वह आगे बढ़ने से डरता था किसी हद तक मनीषा का भी आकर्षण संजू की तरफ बढ़ता जा रहा था वैसे भी संजू बेहद आकर्षक और कसरती बदन का लड़का था,,,। कोचिंग क्लास बहुत बढ़िया चल रही थी देखते ही देखते कोचिंग क्लास का नाम फेमस होने लगा था,,,,।

अपनी सबसे अच्छी सहेली सा कोचिंग क्लास फेमस होता देखकर,,, काव्या जो कि मनीषा की सबसे अच्छी सहेली थी वह उसका कोचिंग क्लास देखने की जिद करने लगी,,,।

अरे यार मनीषा तेरा कोचिंग क्लास तो चल निकला जरा हमें भी तो ले चल हम भी तो देखें कैसा है तेरा कोचिंग क्लास जरूरत पड़ेगी तो हम भी तेरा साथ देंगे,,,


अरे ले चलूंगी काव्या तू भी कहां इतना जिद कर रही है,,,, किसी दिन समय मिलेगा तो तुझे ले चलूंगी,,,,(कॉलेज से छूटकर पार्किंग की तरफ जाते हुए मनीषा काव्या से बोली जो कि वह भी पार्किंग की तरफ ही जा रही थी,,,,)

नहीं ऐसे काम नहीं चलेगा मैं आज ही तेरे कोचिंग आऊंगी आखिरकार मेरी सबसे बेस्ट फ्रेंड का कोचिंग क्लास है और मैंने अभी तक उसकी मुलाकात भी नहीं नहीं हूं यह तो नाइंसाफी है,,,,

तू समझा कर काव्या मैं तुझे खुद ले चलूंगी,,,,

नहीं नहीं बिल्कुल भी नहीं तो मुझे एड्रेस बता मैं आज शाम को ही पहुंच जाऊंगी आखिरकार तुझसे पार्टी भी तो चाहिए,,,,


पार्टी तो मैं दे दूंगी,,,


वह तो मैं ले ही लूंगी लेकिन तू एड्रेस बता,,,
(काव्या के इतना पीछे पड़ने पर मनीषा कोई बहाना नहीं बना पाई और उसे एड्रेस दे दी और थोड़ी देर में दोनों अपने अपने घर की तरफ निकल गए मनीषा काव्या को कोचिंग क्लास नहीं ले जाना चाहती थी जिसकी वजह था संजू,,,,, क्योंकि वह काव्य को अच्छी तरह से जानती थी और संजू के व्यक्तित्व से अच्छी तरह से वाकिफ थी वह जानती थी कि संजू को देखते ही काव्या उस पर लट्टू हो जाएगी और मनीषा ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी क्योंकि कहीं ना कहीं संजू के लिए उसके मन के कोने में आकर्षण था और वह किसी और लड़की को उसके करीब जाने नहीं देना चाहती थी लेकिन उसकी जीद के आगे वह ना चाहते हुए भी उसे एड्रेस दे दी थी,,,,,,,,,,,।

कोचिंग का समय होते ही संजू और मनीषा दोनों अपने-अपने घर से निकल चुके थे और थोड़ी ही देर में कोचिंग क्लास पहुंच चुके थे,,, आज मनीषा चुस्त सलवार और शॉर्ट कुर्ती पहनी हुई थी जिसमें उसकी मोटी मोटी जांगे और भी ज्यादा खूबसूरत उभर कर नजर आ रहे थे और साथ ही उसके नितंबों का आकार गोलाकार मटके की तरह नजर आ रहा था जिसे देखकर संजू का लंड बुलबुला छोड़ रहा था,,,,,,,,,,,, अभी तक काव्या कोचिंग क्लास पर नहीं पहुंची थी इसलिए मनीषा को लग रहा था कि वह नहीं आने वाली है और इस बात का उसे राहत थी,,,,,,, क्लास छूटने में 10 मिनट का समय रह गया था तभी काव्या क्लास के दरवाजे पर आकर खड़ी हो गई जिस पर नजर पड़ते मनीषा एकदम से परेशान हो गई,,,,,।

अरे काव्या तुम बहुत लेट आई अब तो क्लास छूटने वाला है,,,

अरे तो क्या हुआ कौन सा मैं इधर कोचिंग क्लास ज्वाइन करने आई हूं मैं तो सिर्फ तुम्हारा यह कोचिंग क्लास देखने के लिए आई थी,,,,(इतना कहने के साथ ही काव्या क्लास के अंदर प्रवेश कर गई और क्लास के अंदर चारों तरफ नजर घुमा कर देखने लगी काफी स्टूडेंट पढ़ रहे थे)
काफी कम समय में तुम्हारी कोचिंग क्लास का बहुत नाम हो गया है मनीषा इस बात की मुझे बहुत खुशी है,,,,(इतना कहते हुए उसकी नजर संजू के ऊपर जाकर ठहर गई जो कि एक स्टूडेंट को कुछ समझा रहा था,,)

यह कौन है मनीषा,,,,?

ये ये,,,, मेरा कजिन है संजू,,,,

वाव काफी हैंडसम है तुम्हारा कजिन,,,,,,,(उसके कसरती गठीला बदन को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए) लगता है रोज जिम जाता है,,,,
(मनीषा काव्या की नजरों को अच्छी तरह से पहचानती थी इसलिए अंदर ही अंदर उसे जलन हो रही थी मनीषा कुछ बोल पाती,,, काव्या अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,) यार मनीषा तुम्हारा कजिन इतना हैंडसम है मिलवाओगी नहीं उससे,,,

हां हां क्यों नहीं,,,(मनीषा एकदम बेमन से बोली,,,,) क्लास खत्म हो जाने दो फिर तुम्हें मिलवाती हुं,,,,

ठीक है कोई बात नहीं मैं यहीं पर इंतजार कर लेती हूं,,,,,
(काव्या उसी क्लास में खाली बेंच पर जाकर बैठ गई और बार-बार संजू की तरफ भी देख रही थी संजू भी उसके आते ही तिरछी नजर उसके खूबसूरत बदन पर डाल चुका था इसलिए बार-बार चोर नजरों से उसे देख ले रहा था,,, काव्या की बेहद खूबसूरत सुडोल बदन वाली खूबसूरत लड़की थी एक मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए सब कुछ था उसके पास पीली रंग की टीशर्ट में उसकी चुचियों का उभार बेहद कामुकता भरा नजर आ रहा था,,, जिस पर बार-बार संजू की नजर चली जा रही थी,,,, लेकिन मनीषा काव्या की उपस्थिति से असहज महसूस कर रही थी,, काव्या का इधर आना मनीषा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था,,,,।

देखते ही देखते समय गुजर गया और कोचिंग क्लास छूट गई सभी स्टूडेंट कोचिंग क्लास से निकल गए और क्लास में रह गए केवल मनीषा काव्या और संजू,,, मौजूदा हालात को देखते हुए मनीषा को ना चाहते हुए भी संजू को काव्या से अवगत कराना पड़ा,,,।


संजू यही मेरी सबसे बेस्ट फ्रेंड काव्या,,, और काव्या यह है संजू,,,,
(काव्या संजू को करीब से देखी तो देखती ही रह गई उसके मोहक आकर्षक व्यक्तित्व के आगे वह धराशाई होती हुई नजर आने लगी वो खुद ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर उस से हाथ मिलाने चाहिए तो संजू भी उसकी खूबसूरती के आगे अपने आप को रोक नहीं पाया और हाथ आगे बढ़ा कर काव्या से हाथ मिलाने लगा उसकी गोरी नरम नरम हथेली के साथ-साथ उंगलियों का स्पर्श महसूस करते ही संजू के लंड में हलचल होने लगी,,,,)

तुमसे मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई संजू,,,,


और मुझे भी काव्या,,,(संजू मुस्कुराते हुए बोला मनीषा दोनों की हरकतों को देख रही थी और अंदर ही अंदर जल भून रही थी,, संजू मनीषा का चचेरा भाई था लेकिन ऐसा महसूस कर रही थी कि जैसे वह उसका भाई नहीं बल्कि उसका प्रेमियों और वह अपने प्रेमी को किसी और से बांटना नहीं चाहती थी,,,,, मनीषा चाह कर भी दोनों के बीच में कुछ बोल नहीं पा रही थी और काव्य इस मौके का पूरी तरह से फायदा उठा रही थी,,,,)

इस कोचिंग कलास की सफलता प्राप्ति में मनीषा को मुझे पार्टी देने वाली नहीं है लेकिन संजू तुम तो मुझे पार्टी दे सकते हो,,,,

हां हां क्यों नहीं काव्या,,,,,, मैं अभी सबके लिए कुछ नाश्ता लेकर आता हूं,,,, मनीषा दीदी अपनी स्कूटी की चाबी देना तो,,,

मेरी स्कूटी में पेट्रोल कम है फिर वापस जाने में दिक्कत हो जाएगी,,,,

लो संजू तुम मेरी स्कूटी ले जाओ,,, नीचे पार्किंग में लाल रंग की स्कूटी है उस पर भी मेरा नाम लिखा हुआ है तो पहचान जाओगे,,,,(इतना कहने के साथ ही वह बेंच पर बैठे हुए ही अपने पर्स में से अपनी स्कूटी की चाबी निकालने लगी और संजू की नजर उसके पीली टीशर्ट में से नजर आती हुई उसकी दोनों गोलाइयों पर पड़ गई,,, संजू काव्या की सूचियों को देखकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था और काव्या अपने पर्स में से चाबी निकालकर संजू को थमा दी संजू काव्या के हाथों से स्कूटी की चाबी लेकर तुरंत बाहर आ गया और उसे काव्या की स्कूटी ढूंढने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई,,,, मनीषा अंदर ही अंदर काव्या से एकदम जलने लगी थी लेकिन कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, लेकिन का पिया को इस बात का बिल्कुल भी आभास नहीं था कि उसका यहां आना मनीषा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है और वैसे भी काव्या को उन दोनों के बीच किसी भी प्रकार के रिश्ते के पनपने की शंका ही नहीं थी क्योंकि दोनों चचेरे थे और संजू उसे मनीषा दीदी कहकर बुलाता था,,,,)

यार मनीषा संजू कितना हैंडसम है उसके चेहरे पर कितनी मासूमियत है और उसकी बॉडी कितनी डिवेलप है ऐसा लगता है कि किसी फिल्म का हीरो हो मैं तो कसम से तेरे चचेरे भाई को देखती ही रह गई,,,


चल अब ज्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत कर वह ऐसा वैसा लड़का नहीं है,,,

यार मनीषा लड़के तो सब एक जैसे ही होते हैं बस इशारे की देर होती है,,,, वरना संजू भी उन्हीं लड़कों में से है जिन्हें इस उम्र में लड़कियों के दोनों टांगों के बीच की ही ज्यादा जरूरत होती है,,,


कैसी बातें कर रही है काव्या,,,, कोचिंग क्लास में इस तरह की बातें शोभा नहीं देती कोई सुन लेगा तो हम लोगों की इमेज खराब हो जाएगी,,,


सॉरी सॉरी बाबा मैं तो ऐसे ही मजाक कर रही थी,,,,।
(दोनों अभी बातें कर ही रहे थे कि संजू आ गया और स्कूटी की चाबी काव्या गौतम आते हुए पॉलीथिन की थैली में से समोसे कचोरी और पेप्सी का कैन निकालने लगा,,,, यह देखकर काव्या बोली,,)

यह हुई ना बात संजू तुमने तो सच में पार्टी दे दी,,,
(मनीषा को बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थी देखते ही देखते संजू ने तीन प्लेट लगा दिया और तीनों में एक समोसा एक कचोरी रख दिया और मनीषा और काव्या को थमा दिया और खुद भी खाने लगा संजू तिरछी नजरों से काव्या की तरफ देख रहा था खासकर के पीली टी-शर्ट में भरी हुई उसकी दोनों चूचियां और टी-शर्ट के अंदर से झांकती हुई उसकी चुचियों के बीच की पतली लकीर जिसे देखकर वह पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,, काव्या भी चोर नजरों से संजू की तरफ देख रही थी दोनों की नजरें आपस में टकराई और दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे,,,, एक लड़की होने के नाते दोनों की यह हरकत भला मनीषा से कैसे चुप ही रह सकती थी मनीषा भी उन दोनों की हरकत को देख रही थी और अंदर ही अंदर जल रही थी वह किसी भी तरह से संजू को रोकना चाहती थी वह नहीं चाहती थी कि संजू काव्या की तरफ आकर्षित हो क्योंकि मन ही मन मनीषा उसे चाहने लगी थी,,,,।

जैसे तैसे करके तीनों ने अपना अपना नाश्ता खत्म करके पेप्सी पीना शुरू कर दी और बात ही बात में काव्या एक बार फिर से मनीषा का दिल जलाने वाली बात कर दी,,,

यार संजू तुम इतना अच्छा पढ़ाते हो मुझे भी पढ़ा दिया करो मेरी इंग्लिश थोड़ी कमजोर है,,,

जरूर तुम भी चली आया करो कोचिंग क्लास,,,

नहीं नहीं यहां नहीं प्राइवेट में मेरे घर पर,,,,,

हां हां क्यों नहीं बोलो कब से पढ़ाना है,,,


जब से तुम कहो मैं तो हमेशा तैयार हूं,,,


नहीं नहीं ये कैसे हो सकता है,,,,(दोनों की बातों को सुनकर मनीषा एकदम से बीच में कूदते हुए बोली) संजू को और भी काम रहते हैं वह प्राइवेट में नहीं पढ़ा सकता,,,

नहीं दीदी मैं पढ़ा लूंगा,,,,


लेकिन मैंनेज कैसे करोगे,,,,


कर लूंगा दीदी,,,,


हां मनीषा संजू मैनेज कर लेंगे थोड़ा बहुत मुझे पढ़ा देंगे तो फाइनल एग्जाम में मुझे भी राहत मिल जाएगी,,,


ठीक है तुम दोनों जैसा ठीक समझो,,,,,


चलो तब तय है कल से संजू तुम मेरे घर आ जाना मैं तुम्हें एड्रेस बता दूंगी,,, लेकिन तुम्हारा मोबाइल नंबर तो मुझे मालूम ही नहीं है,,,

अरे हां मेरा मोबाइल नंबर लिख लो,,,
(मनीषा की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी वह बहुत गुस्से में थी लेकिन अपना गुस्सा जाहिर नहीं होने दे रही थी कोचिंग क्लास ज्वाइन करने के बाद ही संजू ने एक छोटा सा मोबाइल ले लिया था और अपना नंबर काव्या को दे दिया काव्या अपने मोबाइल में नंबर सेट करके उसे सेव कर ली थी,,,, थोड़ी ही देर में काव्या मनीषा और संजू के साथ बाहर आई और अपनी स्कूटी पर बैठ कर चली गई,,,, और संजू भी ऑटो पकड़ कर अपने घर की तरफ चला गया मनीषा अपने घर पर पहुंचकर बहुत परेशान हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें काव्या की हरकत से वह अच्छी तरह से वाकिफ थी,,,,,, वह जानती थी कि जिस तरह से वह कोचिंग क्लास में बात कर रही थी कि मर्दों को केवल लड़कीयों कि दोनों टांगों के बीच पहुंचना रहता है वह अपना कथन सच कर देगी वह संजू को जरूर अपनी दोनों टांगों के बीच ले लेगी और फिर संजू उसका गुलाम बन जाएगा ऐसा सोचकर मनीषा पूरी तरह से परेशान हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करेगा संजीव को रोकना चाहती थी वह काव्या से दूर रखना चाहती थी क्योंकि संजू के प्रति उसका लगाव बढ़ता जा रहा था,,,,, वह मोबाइल हाथ में लेकर अपनी बालकनी में इधर से उधर घूम रही थी वह संजू को फोन लगाना चाहती थी और संजू को फोन पर सब कुछ बता देना चाहती थी लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं था वह उस से रूबरू मुलाकात करना चाहती थी लेकिन अभी समय बहुत हो रहा था इसके लिए वह संजू से कुछ बोल नहीं पाई,,,,,,,।

दूसरी तरफ संजू खाना खा रहा था साथ में उसकी मां और उसकी बहन भी खाना खा रही थी,,,,,,, खाना खाते समय आराधना का आंचल उसके कंधे पर से नीचे सरक गया था जिससे उसकी मद भरी खरबूजे जैसी चूचियां ब्लाउज में अपना उभार लिए हुए नजर आ रही थी और उसके ऊपर का एक बटन खुला नहीं था बल्कि टूट चुका था जिस पर संजू की नजर पड़ते ही पेंट में उसका लंड दंगल मचाने को तैयार हो गया,,,,,,, संजू खाना खाते समय तिरछी नजरों से अपनी मां की चूची की तरफ देख रहा था उसे इस बात का एहसास हो गया था कि ब्लाउज के अंदर उसकी मां ने ब्रा भी नहीं पहनी थी जिसकी वजह से,,, उसकी सूची की निप्पल खजूर की तरह ब्लाउज के ऊपर से ही उप्सी हुई नजर आ रही थी जिसे देख कर संजू के मुंह में पानी आ रहा था मोहिनी भी अपने भाई की नजर से वाकिफ हो चुकी थी वह भी अपने भाई की तिरछी नजरों को देखकर दंग रह गई थी क्योंकि वह समझ गई थी कि उसका भाई उसकी मां की चुचियों को देख रहा है और इस बात की उसके मन में खुशी भी थे क्योंकि वह भी चाहती थी किसी तरह से उसकी मां उसके भाई से चुदवाना शुरू कर दे ताकि बाहर का कोई इतनी खूबसूरत औरत के साथ गलत ना कर सके,,,, मोहिनी अपने भाई की हरकत को अच्छी तरह से समझ रही थी लेकिन उसकी मां बिल्कुल भी उन दोनों की ओर ध्यान नहीं दे रही थी और खाना खाने में मस्त बोलते इसलिए नजर बचाकर मोहिनी अपने भाई के हाथ पर अपनी कोहनी से मारकर इशारा करते हुए उसे आंख मार दी संजू भी अपनी बहन का इशारा पाकर और ज्यादा मस्ती में आ गया था और अपनी बहन की उपस्थिति में ही अपनी मां से बोला,,,।)

मम्मी तुम्हारे ब्लाउज का बटन टूटा हुआ है,,, तुम बटन लगाना भूल गई कि अभी अभी टूटा है,,,,।
(आराधना अपने बेटे के बात को सुनकर अपनी स्थिति पर गौर कर पाती इससे पहले ही संजू फिर से अपना दूसरा पासा फेंकते हुए बोला,,,) और मम्मी तुमने अंदर ब्रा भी नहीं पहनी हो सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा है,,,,.
(इस बार आराधना एकदम से झेंप गई वह अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसे भी इस बात का आभास हुआ कि उसके ब्लाउज का ऊपर का बटन टूटा हुआ है और उसकी साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया है और आज उसने जल्दबाजी में ब्रा भी नहीं पहनी थी,,,,,, उसका गोरा मुखड़ा शर्म से लाल हो गया हुआ तुरंत अपनी साड़ी के पल्लू को ठीक करके अपने कंधे पर डाल दी और अपनी छातियों को साड़ी के पल्लू के नीचे छुपा ली,,, उसे ऐसा करता हुआ देखकर मोहिनी भी चुटकी लेते हुए बोली,,,)


क्या करती हो मम्मी ब्लाउज तो ढंग का पहन लिया करो तुम्हें ऑफिस जाना पड़ता है अगर इसी हाल में ऑफिस पहुंच गई तो देखने वालों का तो होश उड़ जाएगा और तुमने ब्रा भी नहीं पहनी हो भाई ठीक कह रहा है ऐसे में तुम्हारा आधा तो बाहर झूल रहा है,,,,।
(मोहिनी की बात सुनते ही शर्म के मारे और आश्चर्य से आराधना का मुंह खुला का खुला रह गया और वह उसे चुप कराते हुए बोली)

चुपकर बेशरम जल्दी से खाना खत्म कर मुझे पता है मुझे क्या करना है,,,,(आराधना यह बात गुस्से में बोली थी इसलिए दोनों एकदम खामोश हो गए थे और खाना खा रहे थे खाना खत्म करते ही,,,, संजू थोड़ा हवा लेने के लिए घर से बाहर निकल गया और मोहिनी अपनी मां का हाथ बताने लगी तो आराधना उससे बोली)

मैंने तुझे जरा भी शर्म है कि नहीं अपने भाई के सामने ऐसी बातें करती है,,,

ऐसा क्या कह दी मम्मी जो कुछ कही थी सच तो कही थी तुम्हारे ब्लाउज के बटन टूटा हुआ है और भाई ने भी तो यही कहा,,,

कहां तू कहां लेकिन तूने क्या कही आधा बाहर झुल रहा है,, अपने भाई के सामने यह सब कहते हुए तुझे शर्म नहीं आती है इतनी बड़ी हो गई लेकिन तुझे जरा भी अक्ल नहीं है कि कहां क्या कहा जाता है,,,

क्या मम्मी तुम भी कुछ ज्यादा ही ओवर रिएक्ट कर रही हो आखिर इस घर में हम तीनों के सिवा है कौन ऐसा भी तो नहीं था कि मैं किसी और के सामने कह रही थी अपने भाई के सामने ही कहीं ना,,,

अरे बुद्धू अब तुझे कैसे समझाऊं तो उसकी गैर हाजरी में मुझसे यह कहीं होती तो मैं तुझे कुछ नहीं कहती लेकिन वह एक लड़का है वह लड़कों के सामने औरतों कि ईस तरह की बातें नहीं की जाती समझ में आया,,,

ठीक है मम्मी आगे से ऐसा नहीं होगा बस,,,
(और इतना कहकर दोनों फिर से अपने-अपने काम में लग गए मोहिनी बात को ज्यादा तूल नहीं देना चाहती थी क्योंकि अगर वह बात को आगे बढ़ाती तो हो सकता था उसकी मां को इस बात का शक हो जाए कि उसकी लड़की गलत राह पर चल पड़ी है और इसीलिए वह किसी तरह से बात को वही खत्म कर दी थी लेकिन काम करते समय आराधना के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी अपने बेटे के द्वारा कहा गया एक-एक शब्द को याद करके वह उत्तेजित हो जा रहे थे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके बेटे ने ऐसे खुले शब्दों में उसी से कैसे कह दिया कि ब्लाउज का बटन टूटा हुआ है और वह ब्रा भी नहीं पहनी है उसे भी अपनी बहन की उपस्थिति का जरा भी बाहर नहीं रहा और ना ही एक मां के सामने इस तरह के शब्दों का उपयोग करने में उसे जरा भी शर्म नहीं आई,,,, आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपने बेटे को समझाए उसकी हरकत को देखते हुए आराधना को इस बात का एहसास हो गया था कि संजू उसकी खूबसूरती का दीवाना हो चुका है लेकिन वह अपना निशाना गलत जगह लगा रहा है उसे आकर्षण और वासना इन्हें इतना अंधा और नासमझ कर दिया है कि वह आपसी रिश्तो को भी नहीं पहचान रहा है,,, आराधना बड़े ही धर्म संकट में फंसी हुई थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपने बेटे को कैसे समझाएं लेकिन इस बात से उसे इनकार भी नहीं था कि उसकी इन हरकतों की वजह से उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगती थी बदन में उत्तेजना का संचार होने लगता था खास करके उसके दोनों टांगों के बीच की पतली दरार हमेशा गीली होने लगती थी,,,,,, इन्हीं सब खयालों में खोए हुए वहां अपने सारे काम खत्म करके अपने कमरे में चली गई थोड़ी ही देर में संजू घर में वापस लौटा तो मोहिनी का दरवाजा बंद था लेकिन उसकी मां की कमरे का दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था जिसमें से ट्यूबलाइट की रोशनी आ रही थी वह बाहर का दरवाजा बंद करके उस पर कड़ी लगाकर अपने कमरे मैं जाने वाला था कि तभी उसके मन में क्या हुआ वह अपनी मां के कमरे की तरफ चल दिया और जैसे ही थोड़े से खुले हुए दरवाजे को धक्का देकर खोला तो बिस्तर पर बैठी हुई उसकी मां के होश उड़ गए और तुरंत उसकी उंगली में सुई चुभ गई,,,,
आराधना अपने बेटे और बेटी की बात को सुनकर वह कमरे में आकर अपना ब्लाउज उतार कर उसमें बटन टांग रही थी और अपने बदन पर चादर डाल रखी थी लेकिन संजू के द्वारा इस तरह से दरवाजा खोलने पर वह पूरी तरह से चौक गई थी और उसके हाथ की उंगली में सोई चुभ गई थी जिसकी वजह से उस में से खून निकलने लगा था संजू भैया देखकर एकदम हैरान हो क्या और तुरंत दौड़ता हुआ आया और एकदम से अपनी मां के कदमों घुटनों के बल बैठ गया और तुरंत उसका कलाई पकड़ कर उसकी उंगली को जिस में से खून निकल रहा था उसे अपने मुंह में भर कर उसके खून को चूसने लगा या देखकर आराधना पूरी तरह से गनगना गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने हाथ को पीछे लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन संजू ने उसकी कलाई को कस के पकड़ रखा था और उसकी उंगली को अपने मुंह में लेकर उसके खून को बंद करने की कोशिश कर रहा था आराधना के तन बदन में आग लगने लगी थी उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसके सामने बैठा हुआ उसका बेटा नहीं बल्कि उसका प्रेमी है और उसके चोट लग जाने पर वह पूरी तरह से परेशान है और उसकी परेशानी दूर करने के लिए उसकी उंगली को अपने मुंह में लेकर चूस रहा है,,,, यह सब आराधना के लिए बिल्कुल नया था उसके तन बदन में उत्तेजना की फुहार फूटने लगी थी,,,,।

अद्भुत और मादकता से भरा हुआ यह दृश्य धीरे-धीरे दोनों को मदहोश कर रहा था संजू को अपनी मां की उंगली अपने मुंह में लेकर चूसने में इतना अधिक मजा आ रहा था कि पूछो मत उसे ऐसा ही लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां की चूची की निप्पल को मुंह में लेकर चूस रहा हो,,, संजू पूरी तरह से अपनी मां की उंगली को अपनी मां की चूची की निप्पल समझकर उसे चूसने में मशगूल हो चुका था आराधना भी अपने बेटे की हरकत की मदहोशी में खोने लगी थी उसे भी अपनी स्थिति का भान बिल्कुल भी नहीं था अभी तक संजू का ध्यान केवल अपनी मां की उंगली पर था लेकिन जैसे ही उसकी नजरें अपनी मां की छातियों पर गई उसके होश उड़ गए,,,,, संजू को अब जाकर इस बात का एहसास हुआ कि उसकी मां अपना ब्लाउज उतार कर उसने बटन लगा रही थी उसकी नंगी चूचियां संजू की आंखों के सामने नृत्य कर रही थी आराधना थोड़ा सा झुकी हुई थी इसलिए उसकी दोनों खरबूजे जैसी सूचियां दशहरी आम की तरह झूल रही थी जिसे देखने में संजू को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आम के बगीचे में आम के पेड़ पर लटक रहे दशहरी आम को जी भर कर देख रहा हो और उन्हें पाने की लालसा में लार टपका रहा हो,,,,,,, जैसे ही आराधना का ध्यान अपने बेटे की नजरों पर गई और उसकी नजरों की सीधान को वह अपनी छातियों पर खत्म होता हुआ महसूस की तो वैसे ही वह शर्म से पानी पानी हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने बेटे के सामने अपनी छातियों को छुपाने में उसे शर्म महसूस हो रही थी,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ट्यूबलाइट की रोशनी में सब कुछ साफ नजर आ रहा था उसे भी इस बात का अंदाजा था कि उसकी चूचियां उसके बेटे को एकदम साफ नजर आ रही हैं और अपने बेटे की आंखों में वह अपनी चूची की मस्ती की चमक एकदम साफ देख पा रही थी ,,, आराधना को अपने बेटे की आंखों में मदहोशी नजर आ रही थी उसकी खूबसूरत जवानी का नशा नजर आ रहा था वह अच्छी तरह से देख पा रही थी कि उसकी मदहोश जवानी में उसका बेटा पूरी तरह से खो चुका है,,, अपने बेटे की आंखों में हूं चलती हुई मस्ती को देखकर आराधना भी अपना आपा खोने लगी थी संजू काफी देर से देख रहा था कि उसकी मां को पता होने के बावजूद भी अपनी चुचियों को छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही है तो संजू की हिम्मत पड़ने लगी और संजू अपना हाथ आगे बढ़ाकर अपनी मां की चूची को पकड़ लिया उसे अपनी हथेली में लेकर संजू को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह पूरी दुनिया को अपनी हथेली में भर लिया हो रख लिया हो और वह धीरे-धीरे अपनी मां की चूची को दबाना शुरू कर दिया पल भर में ही आराधना के तन बदन में आग लगने लगी उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी उसकी सांसो की गति तेज होने लगी संजू अपनी मां की मूली को अपने मुंह में लिए हुए ही दूसरा हाथ भी आगे बढ़ाया और दोनों हाथों से अपनी मां के लटक रहे जैसे चुचियों को पकड़ लिया और उन्हें दबाना शुरू कर दिया उसे इस बात का आभास था कि स्तन मर्दन से औरतों की उत्तेजना जाग जाती है और इसीलिए वह अपनी मां को पूरी तरह से अपनी आगोश में लेना चाहता था अपनी मां की चूची दबाकर उसे उत्तेजित करना चाहता था इसी कार्य में वह पूरी तरह से लग चुका था और धीरे-धीरे अपनी मां की चूची को अपनी हथेली में भरकर दबाते हुए अपनी मां के चेहरे की तरफ देख रहा था पल भर में ही आराधना का चेहरा उत्तेजना के मारे एकदम लाल हो चुका था धीरे-धीरे संजू अपनी जगह से ऊपर की तरफ उठा और अपने मुंह से अपनी मां की उंगली को बाहर निकालकर धीरे से अपनी मां की चूची को पकड़े हुए उसे बिस्तर पर लेट आने लगा उसकी मां पूरी तरह से अपने बेटे की हरकत के आगे मंत्रमुग्ध हो गई थी जैसा संजू कर रहा था वैसे ही आराधना होती जा रही थी। ,, देखते ही देखते संजू अपनी मां को बिस्तर पर लिटा दिया पीठ के बल आराधना लेट चुकी थी कमर के ऊपर वह पूरी तरह से नंगी थी उसकी बड़ी-बड़ी भी खरबूजे जैसी चूचियां पानी भरे गुब्बारे की तरह उसकी छाती पर लौट रही थी जिसे संजू जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया था देखते ही देखते आराधना के मुख से गरमा गरम सिसकारी की आवाज उठने लगी थी जिसे सुनकर संजू पागल हुआ जा रहा था और देखते ही देखते वह अपने प्यासे होठों को अपनी मां की चूची की तरफ बढ़ाया और देखते ही देखते अपनी मां की चूची को मुंह में भर लिया और उसे पीना शुरु कर दिया आराधना पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबना शुरू कर दी थी वह अपने बेटे की हरकत को देखकर वह पूरी तरह से काम आतुर हुए जा रही थी उसे अपनी चूत पानी छोड़ते हुए महसूस हो रही थी बरसों के बाद किसी ने उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरु किया था,,,, इसलिए वह अपने बेटे की हरकत पर पूरी तरह से गदगद हुए जा रही थी,,, देखते ही देखते वह उत्तेजना के मारे अपना सर दाएं बाएं पटकने लगी और तभी बगल में बर्तन के गिरने और दरवाजा खुलने की आवाज‌ आई तो उसे एकदम से होश आया और वह तुरंत संजू को अपने ऊपर से उठाने लगे लेकिन संजू पूरी तरह से हम मस्ती के सागर में डूबता चला जा रहा था वह अपनी मां की चूची को बारी-बारी से पीना शुरू कर दिया था,,,।

मोहिनी जाग गई है,,,(आराधना एकदम घबराए स्वर में बोली संजू इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ था कि अगर उसकी बहन मोहिनी दोनों को ही सहादत में देख भी लेती तो गुस्सा करने की जगह वह खुश हो जाएगी लेकिन वहां अपनी मां को मोहिनी की आंखों के सामने बेइज्जत होते हुए नहीं देखना चाहता था इसलिए तुरंत अपनी मां की बात मानते हुए उठकर खड़ा हो गया और तुरंत आराधना भी उठ कर बैठ गई संजू ने तुरंत चादर को अपनी मां के बदन पर डाल दिया और उसके हाथों से गिरा ब्लाउज और सुई धागा लेकर खुद ही बटन लगाने का नाटक करने लगा तब तक मोहिनी दरवाजे पर आ चुकी थी और दरवाजे पर खड़ी होकर बोली)

भाई तुम मम्मी के ब्लाउज में बटन लगा रहे हो,,,

हां मोहिनी वो क्या है ना कि मम्मी की उंगली में सुई छुप गई थी इसके लिए मैं लेकर बटन लगा रहा हूं,,,
(इतना सुनकर मोहिनी अपने भाई के पजामे की तरफ देखी तो सारा मामला उसे समझ में आ गया था उसे समझते देर नहीं लगी थी कि कुछ देर पहले उसके आने से पहले यहां पर कुछ और चल रहा था इस बात की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी लेकिन फिर भी वह कमरे में आते हुए बोली)

लाओ भाई तुमसे नहीं होगा मैं लगा देती हूं,,,(इतना कहकर मोहिनी अपने भाई के पास आई और उसके हाथ से अपनी मां का ब्लाउज लेकर उसमें बटन लगाने लगे तब तक आराधना की नजर अपने बेटे के पजामे की तरफ गई तो एकदम पूरी तरह से चौक गई उसकी पैंट में तंबू बना हुआ था और वह नहीं चाहती थी कि उसके बेटी की नजर उसके भाई के बने तंबू पर पड़े इसलिए वह 1 बहाने से बोली)


संजू अब तू जा मोहिनी लगा देगी जाकर आराम कर,,,,
(संजू भी ज्यादा कुछ बोला नहीं और मुस्कुराता हुआ अपनी मां के कमरे से बाहर चला गया थोड़ी ही देर में मोहिनी भी अपनी मां के ब्लाउज में बटन लगाकर उसे दे दी और वापस अपने कमरे मैं चली गई आराधना तुरंत खड़ी हुई और ब्लाउज पहनकर अपने दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा ले क्योंकि उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका बेटा फिर से ना आ जाए वह बिस्तर पर बैठ कर मन ही मन अपनी स्थिति पर शर्मिंदा होने लगी और इस इस बात की खुशी थी कि अच्छा हुआ उसकी बेटी आ गई वरना आज जरूर कुछ ना कुछ हो जाता और दूसरी तरफ संजू मोहिनी का इंतजार कर रहा था मोहिनी के आते ही वह तुरंत मोहिनी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके बदन से उसके सारे कपड़े उतार कर उसे नंगी कर दिया क्योंकि कुछ देर पहले की उत्तेजना वह अपनी बहन को चोद कर शांत कर देना चाहता था मोहिनी मुस्कुराते हुए अपने भाई से बोली,,,

कमरे में क्या हो रहा था,,,?

पूछ मत मोहिनी आज तो मैं मम्मी की चूची को पकड़कर जोर-जोर से दबाया,,,

क्या भाई तू सच कह रहा है,,,

हारे मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,,,,(अपनी बहन की चूची को दबाते हुए बोला)

लेकिन यह हो कैसे गया,,,,?

पूछ मत मोहिनी आज तो ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरी दुनिया मेरी बाहों में आ गई हो मैंने तो मां की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथ से दबाया भी और उन्हें बिस्तर पर लेटा कर उनकी दोनों चूची को मुंह में लेकर जी भरकर पिया,,,

मममी ने कुछ बोला नहीं,,,,,

अरे वह क्या बोलती उनकी तो हालत मैंने खराब कर दिया था वह तो गर्मागर्म सिसकारी ले रही थी मानो कि जैसे मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया,,,,


फिर क्या हुआ भाई,,,

फिर क्या फिर तू आ गई और सारा मामला खत्म हो गया अगर तू थोड़ी देर और नहीं आई होती तो आज मैं अपने लंड को मम्मी की चूत में डाल ही दिया होता,,,

धत् तेरी की मैं भी गलत समय पर आ गई,,,


चल कोई बात नहीं मेरी रानी आधा सफर तो तय हो गया है हम मंजिल दूर नहीं है देखना एक ना एक दिन में मम्मी की दोनों टांगों के बीच पहुंच ही जाऊंगा,,,,( और इतना कहने के साथ ही,, संजू अपनी बहन की दोनों टांगों को फैला कर अपने खड़े लंड को अपनी बहन की चूत में डालकर चोदना शुरू कर दिया और तब तक चोदता रहा जब तक कि दोनों एकदम शांत नहीं हो गए,,,,।)
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है
लगता है काव्या जल्दी ही संजू से चुदने वाली है वही मनीषा को काव्या से जलन हो रही है अब वह संजू से अपने प्यार का इजहार कर सकती है वही आज फिर संजू आराधना की चुदाई नही कर पाया देखते हैं आगे क्या होता है
 
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