सुबह उठने पर मोहिनी के लिए दिन सामान्य था लेकिन आराधना और संजू के लिए असामान्य हो चुका था,,,, रात भर की जबरदस्त चुदाई के बाद लाजमी था कि एक छुईमुई सी खूबसूरत आराधना के खूबसूरत बदन में थोड़ा बहुत दर्द हो और वह थोड़ा लड़खड़ा कर भी चल रही थी क्योंकि रात भर संजू ने अपने मोटे तगड़े लंबे लंड से अपनी मां की जबरदस्त चुदाई किया था पहली बार आराधना के खूबसूरती गुलाबी सुराग में मुसल जैसा लंड गदर मचाया था जिसके चलते वाकई में चलते समय उसकी कमर बलखा जा रही थी,,,,,,,, वह तो गनीमत था कि आराधना अपने बदहवास और मदहोश बेटे को जबरदस्ती उसके कमरे में भेज दी वरना एक बार फिर से वह अपनी मां की चूत में लंड डालने के लिए तैयार हो गया था,,,, आराधना अपने बेटे की काम शक्ति को देखकर पूरी तरह से हैरान थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि कोई इस तरह से भी चुदाई करता होगा अलग-अलग आसन के साथ-साथ घंटो तक अपनी कमर हिलाने पर भी वह बिल्कुल नहीं थका था रात भर जागा और जगाया ना खुद सोया और ना सोने दिया,,, ऐसी अद्भुत ताकत को देखकर अभी भी आराधना की चूत से काम रस टपक रहा था,,, जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ था कि आराधना सुबह तक संभोग सुख लेते लेते जाग रही थी,,,, अपने पति के साथ आराधना इस तरह के अनुभव से कभी नहीं गुजरी थी ज्यादा से ज्यादा 12:30 या 1:00 बजे तक ही अशोक और आराधना की काम क्रीड़ा चलती थी और वह भी कुछ मिनटों के लिए ही यह तो पहली बार हुआ था कि वह सुबह 5:00 बजे तक जाग रही थी और अब सोने का कोई सवाल नहीं था वह जानती थी कि अगर अपने बेटे को फिर से मनमानी करने देती तो 6:00 भी बज जाता क्योंकि एक ही रात में आराधना अपने बेटे की काम तर्ष्णा और उसकी मर्दाना ताकत को भाप गई थी,,,,,,
आराधना जबरदस्ती अपने बेटे को उसके कमरे पर भेजने के बाद वही बाहर है कुर्सी पर बैठ गई थी और रात भर की घटनाक्रम के बारे में सोचने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि जो कुछ भी उसने कि वह सही है या गलत अच्छी तरह से जानती थी कि समाज की नजरों में नैतिकता के रूप में जो कुछ भी दोनों के बीच हुआ वह गलत था लेकिन अगर जरूरत के मुताबिक देखा जाए तो कुछ भी गलत नहीं हुआ था,,,, आराधना अपने मन में ही सोच रही थी कि चारदीवारी के अंदर क्या हो रहा है दूसरों को क्या मालूम अगर दुनिया की नजरों से छुपकर घर की चारदीवारी के अंदर वह और उसका बेटा संभोग करके एक अद्भुत सुख को प्राप्त कर रहे हैं तो इसमें गलत ही क्या है जरूरत तो उसकी भी है मजबूरी भी है आखिरकार एक औरत होने के नाते उसे भी अपने सुख पर अपनी जरूरत के बारे में सोचना चाहिए जैसा कि उसकी बड़ी दीदी ने कही थी और खुद अपनी ही बात पर अमल भी कर रही थी,,,,, कुर्सी पर बैठे-बैठे आराधना इस बारे में सोच कर हैरान हो जा रही थी कि अगर इस बारे में किसी को पता चल गया तो वह दुनिया को क्या मुझे दीखाएगी फिर इस बात से उसे तसल्ली होती थी कि दूसरों को पता ही कैसे चलेगा उसका बेटा तो कभी अपने मुंह से बताने वाला नहीं है कि वह अपनी मां को चोदता है और वह खुद बदनामी वाली बात अपने होठों पर किसी भी सूरत में लाने वाली नहीं है तो दोनों पहिया राज राजा ही रहेगा और इसी तरह से दोनों एक दूसरे को मजा देते रहेंगे और लेते रहेंगे,,,,, इस बारे में सोच कर आराधना के खूबसूरत चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि रात को जो कुछ भी हुआ था वह बेहद अद्भुत अविस्मरणीय और लाजवाब था जिसे वह कभी नहीं भूल पाएगी वह कभी सोची भी नहीं थी कि चुदवाने में इतना आनंद भी आता होगा वरना अपने पति के छोटे से लंड से वह कभी भी उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुंचकर चरम सुख को प्राप्त नहीं की थी लेकिन उसके बेटे ने अपनी कामकला और अपनी हरकत से जो आनंद और चर्मसुख दिया है वह बेहद अद्भुत था,,,,, आराधना अपने बेटे की हरकत के बारे में भी सोच रही थी कि कैसे वह अपने ही हाथों से उसके कपड़ों को उतारता गया उसके बदन पर से उसका एक-एक लिबास उतारकर उसे नग्न करता रहा और तब तक उतारता रहा जब तक कि वह बिस्तर पर संपूर्ण रूप से नंगी ना हो गई,,,, अपने बेटे के सामने संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था मैं उसे बेहद शर्म का अनुभव हो रहा था और इस बात से उसे इनकार भी नहीं था कि शर्म के साथ-साथ उत्तेजना का भी अनुभव उसे बराबर हो रहा था,,,। आराधना दिल में जो कुछ भी उसके बेटे ने हरकत किया था उसे वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी दिन में ही वह अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में ले लेती और एक अद्भुत सुख को प्राप्त करके एक नया जीवन की शुरुआत करती लेकिन ऐन मौके पर महीने के आ जाने से रंग में भंग पड़ गया था लेकिन दिन की कसर को वह रात को पूरी कर लेना चाहती थी इसीलिए तो मोहिनी के सामने दरवाजा बंद करने के बाद वह थोड़ी देर बाद खुद अपने दरवाजे को खोल दी थी ताकि उसका बेटा आराम से उसके कमरे में दाखिल हो सके,,,,,, लेकिन एक बार दरवाजा बंद कर लेने के बाद दोबारा जब उसे आराधना को लेने गई थी तो उसका दिल जोरों से धड़क रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपने प्रेमी के लिए दरवाजे को खोल रहे हो ताकि वह रात को आराम से उसके कमरे में आ सके एक अद्भुत अनुभव उसके तन बदन को अपने आगोश में ले रहा था,,,,,, सच में अद्भुत अनुभव से आराधना गुजर रही थी जब वह अपने बेटे के लिए दरवाजा खोल रही थी,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे बड़े किसी और के लिए अपने कपड़े खुद उतार रही हो,,,,
दरवाजा खुला छोड़ कर बिस्तर पर आने के बाद आराधना को नींद नहीं आ रही थी वह बिस्तर पर करवटें बदल रही थी उसका बदन कसमसा रहा था एक अजीब और मीठा सा दर्द उसके बदन में हो रहा था जिसका एहसास हुआ दिन नहीं अपने बेटे की हरकत से महसूस कर ली थी जब उसके बेटे ने कुर्सी पर अद्भुत तरीके से उसकी टांगों को खोलकर बिठाया था और उसके गुलाबी क्षेत्र पर अपनी जीभ रखकर उसके कसैले स्वाद को अपने अंदर उतारा था,,,,, इसीलिए तो मान मर्यादा से संस्कारों से पली हुई आराधना अपने बेटे की मदहोश कर देने वाली हरकत और उसकी जीद के आगे रिश्ते और मर्यादा की दीवार को गिराने में बिल्कुल भी विचार नहीं की और अपने बेटे का एक नई दुल्हन की तरह इंतजार करने लगी जैसे जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ रही थी वैसे वैसे आराधना बेचैन हुए जा रही थी,,, 11:45 का समय होते ही उसे अपनी गलती का अफसोस होने लगा वह अफसोस करने लगे कि उसे अपने बेटे के सामने दरवाजा बंद करके कड़ी नहीं लगाना चाहिए था शायद इसीलिए वह उसके कमरे में नहीं आया और सो गया उसे इस बात का जरा भी आवाज तक नहीं था कि उसका बेटा उसकी ही खूबसूरत बेटी की चूत में अपने लंड डालकर गर्मी शांत कर रहा है जो कि खुद उसकी ही बदौलत वह गरमा गया था,,,
काफी देर तक अपने बेटे के ना आने की वजह से उसके मन में निराशा फैल गई थी और वह भी सोने की कोशिश कर रही थी लेकिन तभी उसके कानों में बगल वाले कमरे का दरवाजा खोलने की आवाज आई तो उसका दिल जोरो से धड़कने लगा और तभी बाथरूम का दरवाजा खुला वह अपने मन में यही सोच रही थी कि काश उसका बेटा उसके कमरे की तरफ नजर भर कर देख ले तो उसे भी एहसास हो जाएगा कि उसकी मां ने उसके लिए दरवाजा खुला छोड़ दिए और ऐसा ही हुआ बाथरूम से निकलने के बाद संजू की नजर अपनी मां के कमरे पर गई और दरवाजा खोला देखकर वह खुशी से झूम उठा था अपने बेटे की आहट अपने कमरे में पाकर उसका दिल जोरो से धड़कने लगा था और वही हुआ जिसका उसे डर था वह अपने बेटे के साथ मां बेटे के पवित्र संबंधों को तार-तार करते हुए एक औरत और मर्द का रिश्ता कायम कर ली थी जिसमें उसे बेहद संतुष्टि और खुशी प्राप्त हो रही थी,,,,
कुर्सी पर बैठे बैठे ही आराधना की चूत से काम रस फिर से टपकने लगा था यह उसके बेटे की ही देन थी कि रात भर जमकर चुदवाने के बाद भी उसकी चूत से काम रस टपक रहा था वरना अशोक में इतना दम ही नहीं था कि वह उसकी चूत से बार-बार पानी निकाल सके,,, गहरी सांस लेते हुए आराधना कुर्सी पर से उठी और झाड़ू लेकर सारे कमरों में झाड़ू लगाकर सफाई करना शुरू कर दे धीरे धीरे सुबह हो गई थी आराधना सबसे पहले नहाती थी और इसीलिए बाथरूम में जाकर वह अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गए अपनी चूत की तरफ देखी तो अभी भी वह कचोरी की तरह फूली हुई थी मानो कि जैसे रात भर की चुदाई की वजह से सुज गई हो,,,,,,, आराधना अपने बदन पर पानी डालने के बाद साबुन लेकर अपनी चूत पर सबसे पहले साबुन लगाकर साफ की क्योंकि रात भर उसके बेटे का गरम लावा इसी पर गिरा था आराधना अपने संपूर्ण बदन पर साबुन लगा लगाकर साफ कर रहे थे और मंद मंद मुस्कुरा भी रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे गुजरी हुई रात उसकी सुहागरात थी और एक बेहद सुखमय सुहागरात मनाने के बाद जो खुशी एक दुल्हन के चेहरे पर होती है वही खुशी आराधना के भी खूबसूरत चेहरे पर साफ झलक रही थी,,,, आराधना नहा चुकी थी और अपने बदन पर केवल टावर लपेटकर बाथरूम का दरवाजा खोल कर देखने लगी की मोहिनी के कमरे का दरवाजा खुला है या नहीं दरवाजा बंद होने पर वह उसी तरह से बदन पर टावल लपेटे हुए ही अपने कमरे में चली गई और कमरे का दरवाजा बंद करके टावल को उतारकर बिस्तर पर फेंक दी और एक बार फिर से,,,, आदम कद आईने के सामने नंगी खड़ी हो गई,,,, आईने में अपनी नंगे बदन को एक बार फिर से देखने लगी,,, महीनों गुजर गए थे वह अपने खूबसूरत बदन को आईने में देखना बंद कर देते लेकिन अपने बेटे का अपने प्रति आकर्षण को देखकर वह अपने आपको आईने में देखने से रोक नहीं पाई थी और अब जाकर उसे इस बात का एहसास हो रहा था कि इस उम्र में भी उसने अपने बदन की बनावट को एक जवान लड़की की तरह बरकरार रखी हुई थी बस थोड़ा सा मांसल बदन हो गया था और सही मायने में गुदाज और गदराया बदन ही मर्दों के आकर्षण का केंद्र होता है औरतें अपने गदराए बदन की ताकत से ही मर्दों को अपनी तरफ रीझाने में कामयाब हो जाती है,,, लेकिन आराधना को इस बात का गर्व हुआ था कि उसने अपने बेटे को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए ऐसा कुछ भी नहीं की थी जैसा कि एक औरत मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए करती हैं एक नौजवान लड़का जो अभी-अभी जवान हुआ हो इस उम्र की औरतों में इतना रुचि नहीं लेता जैसा कि उसका बेटा उसके प्रति ले रहा था और आलम यह था कि रात में दो बदन एक जान हो गए थे,,, आईने में आराधना गोल-गोल घूम कर अपने संपूर्ण बदन के भुगोल को देख रही थी गोल गोल खरबूजे जैसी चूचियां अभी भी पपाया की तरह तनी हुई थी मांसल चिकना पेट एकदम चर्बी रहीत था,,, गहरी नाभि की गहराई में अपनी उंगली डालकर गोल-गोल घुमाते हुए आराधना अपने मन में सोचने लगी कि उसकी नाभि भी उसकी चूत से कम नहीं थी बेहद खूबसूरत लग रही थी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार पर नजर गई तो अपनी चूत को देखकर आराधना खुद शर्म से पानी-पानी हो गई उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि इसी चूत से जिस चूत से उसका बेटा जन्म लिया था वही रात भर इसी चूत में अपना लंड डालकर उसकी चुदाई किया है और इस बात से भी हैरान थी कि छोटे से गुलाबी छेद में उसके बेटे का बम पिलाट लंड कैसे खो जा रहा था,,,,, अनजाने में ही आराधना अपनी चूत पर अपनी हथेली ना कभी तो अपनी सोच की वजह से उसके बदन में उत्तेजना खिलाया रोड रही थी जिसकी वजह से उसकी चूत से काम रस टपक रहा था और वह उसकी हथेली में लग गया था और वह तुरंत अपनी हथेली अपनी चूत पर से हटा कर उसे ठीक अपनी नजरों के सामने कर दी थी और हथेली में लगे अपने काम रस को देख रही थी उसे खुद ही अपनी नाक के नजदीक लाकर उसकी खुशबू को महसूस कर रही थी और सोच रही थी की चूत से निकले काम रस में ऐसा क्या है जो कि उसका बेटा पागलों की तरह चाट रहा था और उसका एक बूंद भी जमीन पर गिरने नहीं दे रहा था,,,, आराधना को अपने ही चूत से निकले काम बरस की खुशबू थोड़ी अजीब लग रही थी और यह सोचकर और हैरान हो रही थी कि जब इसकी खुशबू ऐसी है तो उसका बेटा कितनी हिम्मत करके उसे चाटा है शायद आराधना एक औरत होने के नाते भी यह बात बोल गई थी कि मदहोशी में मर्द औरत की चूत से निकला काम रस तो क्या उसकी गांड का छेद भी जीभ से चाट जाता है,,,
अपने चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर वह,,, अलमारी की तरफ गई और अलमारी में से अपने बेटे के द्वारा खरीदी गई ब्रा और पेंटी निकाल ले और उसे पहन ली जो कि बेहद आरामदायक लग रहा था अब ब्रा और पैंटी पहनने में उसे बिल्कुल भी झिझक नहीं हो रही थी अब तो उसे इस बात की खुशी थी कि उसने उसके बेटे के द्वारा खरीदी गई ब्रा और पेंटी पहनी है वरना उसे पहनने के बारे में सोचकर ही वह शर्म से पानी-पानी हो जाती थी लेकिन एक ही रात में संजू ने अपनी जबरदस्त चुदाई का प्रदर्शन करते हो अपनी मां की सोच को पूरी तरह से बदल दिया था,,,, अब वो भी अपनी बड़ी दीदी की तरह सोचने लगी थी,,,, ब्रा और पैंटी पहन ने के बाद वह फिर से आदम कद आईने के सामने आकर खड़ी हो गई,,, और अपने आप को देख कर उसके चेहरे पर प्रसन्नता और खुशी के भाव नजर आने लगे वाकई में वह स्वर्ग से उतरी हुई अप्सरा लग रही थी परी लग रही थी जैसा कि उसका बेटा कहता रहता है अपने बेटे की बात उसे आज बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं लग रही थी वह पूरी तरह से अपने बेटे की बात से सहमत थी,,, और मन ही मन अपने खूबसूरत बदन की बनाई ले रही थी कि यह बदन ऐसा ही बरकरार रहे ताकि उसका बेटा जिंदगी भर उसकी तरफ आकर्षित रहे और उससे ढेर सारा प्यार करें,,,,
थोड़ी ही देर में आराधना कपड़े पहन कर रसोई में खाना बनाने लगी थी नाश्ता तैयार करने लगी थी और संजू भी उठ गया था मोहिनी अभी सो रही थी संजू बाथरूम में जाकर नित्य कर्म से निपटकर ब्रश कर रहा था और नहाने जा रहा था,,, संजू भी अपनी मां की तरह ही बाथरूम में जाते अपने सारे कपड़े उतार कर नंगा हो गया था और रात की मदहोशी अभी भी उसके बदन पर छाई हुई थी लंड अभी भी पूरी तरह से हरकत में था उस पर अभी भी उसकी मां की चूत का काम रस लगा हुआ था अपनी मां की खूबसूरत पिघलती भी जवानी को अपने लंड पर महसूस करके संजू एक बार अपने लड़के को अपनी मुट्ठी में कस के दबाते हुए बोला,,,।
ओहहह मम्मी,,,,,
(पूरी तरह से गर्म होने के बावजूद भी संजू ने आज मुठिया नहीं मारा क्योंकि अब उसे इसकी जरूरत बिल्कुल भी नहीं थी जिसके बारे में सोच सोच कर वह अपने हाथ से हीलाता था अब वो खूबसूरत औरत औरत की चूत उसके मुट्ठी में आ चुकी थी इसके लिए जल्दी से नहा कर कपड़े पहन कर तैयार हो गया और थोड़ी देर में मोहिनी भी उठ गई और वह भी ब्रश करने लगी, और वह जैसे ही बाथरूम में नहाने के लिए गए संजू तुरंत रसोई घर में आ गया और अपनी मां को देखकर मुस्कुराने लगा आराधना अपने बेटे से नजर नहीं मिला पा रही थी लेकिन उसके होठों पर भी मुस्कान थी वह नजरों को नीचे करके सब्जी काट रहे थे अपनी मां की उभरी हुई गांड देखकर संजू से रहा नहीं गया और वह भी अपनी मां के पीछे जाकर खड़ा हो गया और उसे अपनी बाहों में लेकर अपने लंड के खड़े होने का निर्देश उसे उसकी गांड पर साड़ी के ऊपर लंड रगड़ करदेने लगा,, रात का नशा अभी भी आराधना की आंखों में साफ नजर आ रहा था लेकिन फिर भी वह ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती थी कि मोहिनी की नजर में आ जाए इसलिए वह संजू से बोली,,,।)
पागल हो गया है क्या मोहिनी आ जाएगी सब गड़बड़ हो जाएगा अब तो मैं तेरी हो गई हूं फिर भी तुझसे सब्र क्यों नहीं होता,,,
ओहहहह मम्मी तुम्हें क्या लगता है कहीं रात में सब कुछ हो गया यह तो अभी शुरुआत है,,,,(अपनी मां की गर्दन पर चुंबन करते हुए वह बोला और अपनी हरकत से आराधना को भी बता रहा था कि यह इतनी जल्दी खत्म होने वाला नहीं है तो आप शुरुआत है आगे या खेल जारी रहेगा और उसकी प्यास ऐसे ही बढ़ती जाएगी लेकिन आराधना डर रही थी खबर आ रही थी किसी भी वक्त मोहिनी आ सकती थी,,,, उसके डर को खत्म करते हुए संजू बोला,,,)
अभी-अभी मोहिनी बाथरूम में गई है और इतनी जल्दी बाहर निकलने वाले हैं और वैसे भी बाथरूम के दरवाजे के खुलने और बंद होने की आवाज कुछ ज्यादा ही तेज होती है तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी,,,(ब्लाउज के ऊपर सही अपनी मां की चूची को दबाते हुए बोला,, आराधना भले उसे रोक रहे थे लेकिन अपने बेटे के खड़े लंड को अपनी गांड पर महसूस करके वह भी गर्म होने लगी थी लेकिन उसे डर भी था और उसके डर के भी चाहिए संजू फिर से मनमानी करते हुए उसकी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगा था आराधना उसे रोकने की कोशिश कर भी रही थी और उसे आगे बढ़ने भी दे रही थी क्योंकि वह उस तरह से बचाव नहीं कर रही थी जिस तरह से करना चाहिए था संजू मौके की नजाकत को अच्छी तरह से समझता था वह जानता था कि मोहिनी कुछ समय बाथरूम में ही गुजारती है ,,, इसलिए अपनी मां के रोकने के बावजूद भी वहां अपनी मां की साड़ी को कमर तक उठा दिया था आराधना एक बार फिर से अपने बेटे की हरकत की वजह से गरम हो चुकी थी कमर तक साड़ी के उठते हैं संजू को अपने द्वारा खरीदी गई पेंटिं नजर आई और वह खुश होता हुआ बोला,,,।
वह मम्मी मुझे बहुत खुशी हुई कि तुम पैंटी पहनी हो और वह भी उस दिन खरीदी हुई देखो तुम्हारी गांड पर कितनी खूबसूरत लग रही है,,,।
(अपने बेटे के मुंह से गांड शब्द सुनते ही एकदम से शर्म आ गई और बोली)
धीरे बोल मोहिनी सुन लेगी,,,
नहीं सुनेगी मम्मी,,,(पर इतना कहने के साथ ही संजू अपनी हथेली को पीछे से आगे की तरफ ले जाते हुए उसकी पैंटी के ऊपर से हाथ रखकर चूत की स्थिति को परखने लगा जो की पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और अपनी मां की चूत को गीली होता हुआ देखकर संजू बोला,,)
वह मम्मी यह हुई ना बात मेरी तरह तुम भी तड़प रही हो,,,
चल रहने दे मैं नहीं तड़प रही हूं साड़ी नीचे कर दे मोहिनी आ जाएगी,,,
मुझसे झूठ मत बोलो मम्मी मैं भी जानता हूं कि तुम भी मेरे लंड के लिए तड़प रही हो तभी तो चूत पानी फेंक रही है और कह रही हो साड़ी नीचे कर दु,,, मैं साड़ी तो नहीं लेकिन तुम्हारी पेंटी जरूर नीचे कर दूंगा,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू अपनी मां की नई-नई मुलायम पेंटिं को अपने हाथ से पकड़ कर ही झटके से नीचे कर दिया,,, उसका उतावलापन देखकर अनायास ही आराधना के मुंह से निकल गया,,,)
अरे अरे संभाल कर फट ना जाए,,,,
चिंता मत करो मम्मी पहनती नहीं फटेगी लेकिन तुम्हारी चूत जरूर फाड़ दूंगा और वैसे भी अगर पेंट फट दी गई तो नया खरीद दूंगा,,,
बहुत पैसे हो गए हैं ना तेरे पास,,,(आराधना अपने बेटे से बात भी कर रही थी और बार-बार दरवाजे की तरफ देख भी ले रही थी और पीछे नजर करके अपने बेटे की हरकत को भी देख रही थी संजू ने आराधना की पेंटी को उसके घुटनों तक ला दिया था उसकी बड़ी बड़ी नंगी गांड देखकर एक बार फिर से संजू के मुंह में पानी आने लगा था और आराधना भी अपने बेटे की अगली हरकत के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर ली थी संजू तुरंत,,, थोड़ा सा नीचे झुकते हुए बोला)
बहुत पैसे हैं मम्मी तुम्हारे लिए तुम जो कहोगी वह तुमको लाकर दूंगा,,,,,,(और इतना सुनकर आराधना कुछ बोल पाती इससे पहले ही संजू अपने हाथों से उसकी बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों से पकड़कर फैलाते हुए अपनी प्यासी होठों को उसकी चूत पर रख दिया और आराधना के शब्द उसके गले में ही घुट कर रह गए और वह गर्म सिसकारी लेने लगी संजू एक बार फिर से अपनी मां के काम रस को चाट रहा था और आराधना भी अब अपने बेटे से खुल चुकी थी इसलिए अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने बेटे के मुंह पर रगड़ रही थी गोल-गोल घुमा रही थी ऐसा करने में उसे अद्भुत सुख मिल रहा था और अपनी मां की हरकत को देखते हुए संजू की पूरी तरह से मस्त हो गया था वह तुरंत खड़ा हुआ क्योंकि वह जानता था कि उन दोनों के पास समय ज्यादा नहीं है और वहां अपने पेंट की चैन खोलकर उसमें से अपने लंड को बाहर निकाल कर सीधा अपनी मां के गुलाबी छेद में डाल दिया और उसके कमर पकड़कर रसोई घर में चोदना शुरू कर दिया आराधना के लिए अभी पहला मौका था जब वह रसोई घर,,, में चुदवा रही थी,,,
आराधना एक बार फिर से अपने बेटे के मोटे लंड को अपनी चूत में महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो गई,,,,,, अपनी आंखों को बंद करके गरमा गरम आहें भरने लगी संजू ने अपनी हरकत से पूरी तरह से उसे अपनी आगोश में ले लिया मदहोश कर दिया उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़कर वह अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था आराधना कभी सोचे नहीं थे कि इस तरह से उसका बेटा रसोई घर में उसे दबोच लेगा,,, अपनी बेटी की हरकत और उसकी हिम्मत की मन ही मन वह दाद दे रही थी,,,, आराधना के काम रस के रिसाव के कारण लंड और चूत के मिलन से चप्प चप्प की आवाज आ रही थी,,,, राजू जानता था कि उसके पास समय कम है इसलिए वह अपनी कमर को जोर जोर से हिला रहा था बड़ी तेजी से संजू का उसकी मां की चूत के अंदर बाहर हो रहा था,,, आराधना भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि मोहिनी किसी भी समय बाथरूम से बाहर आ जाएगी इसलिए वह अपने बेटे से बोली,,,।
संजू जल्दी कर मोहिनी किसी भी समय आ जाएगी,,,
(संजू अपनी मां के चिंता करने के कारण को अच्छी तरह से समझता था वैसे तो अगर मोहिनी इस हालात में उन दोनों को देख ले तो मोहिनी मन ही मन खुश हो जाएगी लेकिन आराधना को इस बात का कहां पता था कि संजू और मोहिनी में बहुत कुछ हो चुका है और वह दोनों यही चाहते थे जो इस समय संजू कर रहा है संजू फिर भी अपनी मां की बात मानते हुए तुरंत अपने हाथ को ऊपर की तरफ ले गया और ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां के दोनों घर पर चोर को पकड़ कर धड़ाधड़ अपनी मां की चूत में लंड पहनने लगा और देखते ही देखते दोनों की सांसें उखडने लगी और अगले ही पल संजू अपनी मां की चूत में अपना गरम लावा उड़ेल दिया,,,
सब कुछ शांत हो गया था संजू जल्दी से अपने लंड को अपने पेंट के अंदर डाला चैन बंद कर लिया और आराधना भी,, जैसे अपनी पेंटी को घुटनों से ऊपर की तरफ उठाकर पड़ने लगी वैसे ही बाथरूम का दरवाजा खुला और आराधना भी फुर्ती दिखाते हुए तुरंत अपनी चड्डी को पहली और साड़ी को नीचे गिरा दी और नाश्ता तैयार करने लगी,,,, संजू की तब तक एक पराठा लेकर खाने लगा था,,,,,। आराधना की सांसे अभी भी बड़ी तेजी से चल रही थी उसे इस बात की खुशी थी कि उसके बेटे ने जल्दी से काम खत्म भी कर दिया मोहिनी के आने से पहले वह अपने कपड़ों को दुरुस्त भी कर ले मम्मी को बिल्कुल भी शक नहीं हुआ और वह दोनों नाश्ता करके कॉलेज के लिए निकल गए और थोड़ी देर बाद आराधना भी टिफिन लेकर ऑफिस के लिए निकल गई,,,।