संजू ने बड़ी चालाकी से अपनी मां की आंखों के सामने ही अपनी छोटी बहन की चुदाई करके उसे भी इस खेल में पूरी तरह से शामिल कर लिया था और यह खेल दोनों भाई बहन मिलकर सफलतापूर्वक निपटा चुके थे,,,, संजू और मोहिनी दोनों नाटक कर रहे हैं इस बात का आभास तक नहीं हुआ आराधना को वह तो मूकदर्शक बनकर सब कुछ अपनी आंखों से देख रही थी अपनी आंखों के सामने ही अपने परिवार को वासना के सागर में डूबते हुए देख रही थी वह कभी सोची नहीं थी कि उसके परिवार में इस तरह के रिश्ते कायम हो जाएंगे बहन का भाई के साथ भाई का मां के साथ लेकिन आराधना यह सब अच्छी तरह से जानती थी कि जो कुछ भी हो रहा है सब कुछ गलत है समाज की नजर में लेकिन इस बात की संतुष्टि उसे थी कि जो कुछ भी हो रहा है वह चारदीवारी के अंदर हो रहा है पर वह भी एक दूसरे की सम्मति से जिसके बारे में बाहर वालों को कानो कान खबर तक नहीं पड़ेगी इस बात की तसल्ली से वह अपने मन को दिलासा देती थी,,,, और इस खेल का भरपूर मजा भी ले रही थी,,,,
रात की घमासान चुदाई और थकान से चूर होकर तीनों एक ही बिस्तर पर नग्न अवस्था में सो गए थे और सुबह सबसे पहले आराधना की नींद खुली थी और वह नित्यक्रम करके नहा धोकर तैयार हो गई थी और अपने कमरे में आकर अपने बेटे और अपनी बेटी को नग्न अवस्था में देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी मोहिनी के नंगे बदन पर नजर डालकर वह अपने आप पर गर्व कर रही थी कि उसकी बेटी भी उसकी तरह ही खूबसूरत है,,,,, आराधना मोहिनी को जगाते हुए उसकी गोल-गोल गांड पर हाथ रखकर उसे झकझोरते हुए बोली,,,,।
उठ मोहिनी सुबह हो गई है देख तो सही तू किस अवस्था में सोई है तुम दोनों इतना थक गई कि सुबह होने का भान तक नहीं है,,,,,।
(अपनी मां की आवाज को सुनकर मोहिनी और संजू दोनों धीरे से आंख खुले तो दोनों की नजर आपस में टकरा गई दोनों को जब स्थिति का भान हुआ तो दोनों एकदम से चौंक गए मोहिनी की तो एकदम से हालत खराब हो गई वह अपनी मां की आंखों के सामने अपनी मां के बिस्तर पर अपने भाई के साथ नंगी सोई हुई थी,,,, वैदम से उठ कर बैठ गई और बिस्तर पर पड़ी चादर को अपने नंगे बदन पर डालते हुए बोली,,,।
कितना बज रहा है मम्मी मेरी तो आंख ही नहीं खुली,,,
कैसे खुलेगी रात भर मेहनत जो की हो,,,,।
(मेहनत शब्द के मतलब को मोहिनी अच्छी तरह से समझती थी इसलिए अपनी मां की बात सुनते ही उसके चेहरे पर शर्म की लालिमा छा गई और वह शरमा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली लेकिन संजू बिल्कुल बेशर्म बना हुआ था सुबह का समय था इसलिए औपचारिक रूप से उसके बदन की गर्मी से उसके लंड में तनाव बरकरार था,,, वह भी अपनी बहन की तरह बिस्तर पर उठ कर बैठ गया लेकिन अपने नंगे बदन को छुपाने की बिल्कुल की कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि आप छुपाने लायक कुछ भी नहीं है,,,,, पर अपनी मां की बात सुनकर वह मोहिनी की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए बोला,,,)

तुम दोनों से ज्यादा तो मुझे मेहनत करना पड़ा था,,,, तुम दोनों की चूत इतनी कसी हुई है कि मेरे लंड की हालत खराब हो गई,,,,।
(मोहिनी तो अपने भाई के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई और थोड़ा बहुत शर्म की लालिमा आराधना के भी चेहरे पर साफ झलक रही थी लेकिन वह अपने बेटे की बात सुन कर मुस्कुरा रही थी,,,, और अपनी कमर पर हाथ रखते हुए बोली,,,)
मेरी तो ठीक है लेकिन मोहिनी की चोट पर तुझे कुछ ज्यादा मेहनत करनी पड़ गई मोहिनी का पहली बार था ना इसके लिए मम्मी की चूत कुछ ज्यादा ही कसी हुई होगी,,,,,
(मोहिनी तो अपनी मां की बात सुनकर उत्तेजना और शर्म से गदगद हुए जा रही थी,,, अपनी मां की बेशर्मी से भरी हुई रंडी वाली हरकत को तो अच्छी तरह से जानती थी लेकिन उसकी मौजूदगी में भी और पहली बार में ही उसकी मां इस तरह से बात करेगी उसे यकीन नहीं हो रहा था इसलिए सुबह-सुबह अपनी मां के मुंह से इस तरह की गंदी बात सुनकर वह हैरान भी हुए जा रही थी और अत्यधिक उत्तेजित भी हो जा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें चादर के अंदर उसका पूरा बदन नंगा था, जो कि रात को उसके भाई ने अपने हाथों से उसके एक-एक कपड़े उतारकर उसे नंगी किया था,,,,, अपनी मां की बात सुनकर आग में घी डालने का काम करते हुए संजू बोला,,,,)
रात को मेरा लंड ले लेकर मोहिनी की चूत अब थोड़ी ढीली हो गई होगी,,,,,,,, क्यों मोहिनी सच कह रहा हूं ना,,,,
(मोहिनी क्या कहती उससे तो कुछ भी बोला नहीं जा रहा था भले ही वह अपने भाई के साथ पूरी तरह से खुल चुकी थी और रात को बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए अपनी मां के सामने भी अपने भाई के लैंड को अपनी चूत में लेकर चुदाई का अद्भुत आनंद लूट चुकी थी लेकिन फिर भी इस समय अपनी मां के सामने उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए अपने भाई की बात सुनते ही वह अपने बदन पर चादर लपेटे हुए ही बिस्तर से उठने की कोशिश करते हुए बोली,,,)
बाप रे तुम दोनों की बातें सुनकर तो मुझे ना जाने क्या हो रहा है तुम दोनों बातें करो मैं जा रही हूं,,,,,(उसका इतना कहकर बिस्तर से उठना था कि संजू उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया,,,, और मोहिनी सीधे जाकर संजू की गोद में गिर गई संजु पूरी तरह से नंगा था और पीछे से मोहिनी की गांड एकदम खुली हुई थी और जैसे ही अपने भाई के गोद में गिरी उसका खड़ा लंड उसकी गांड में एकदम से धंस गया और वह एकदम से चौक कर उठने को हुई लेकिन संजू अपने दोनों हाथ को उसकी कमर पर रखकर उसे कस के पकड़ लिया था और अपनी गोद में से उसे उठने नहीं दे रहा था आराधना खड़ी-खड़ी यह द्रश्य देख कर मुस्कुरा रही थी,,,, वह अपनी आंखों के सामने अपने बेटे को अपनी बहन के साथ मस्ती करते हुए देख रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी क्योंकि अब बोलने जैसा कुछ भी नहीं था रिश्तो के बीच की मर्यादा तार-तार हो चुकी थी,,,, वह अपनी बहन की कमर को कस के पकड़ कर उसकी गोल-गोल कांड को अपने लंड पर दबाते हुए बोला,,,)
कहां चली मेरी जान सुबह-सुबह तुम्हारी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया है,,,,,
जाने दो भाई कुछ तो शर्म करो मम्मी खड़ी है,,,,
रात को मम्मी भी बिस्तर पर नंगी ही थी मैं बारी-बारी से तुम दोनों की चूत में बड़ा लंड डाल रहा था तब शर्म नहीं आ रही थी और अभी शर्म आ रही है,,,,
भाई,,,,आहहह जाने दो भाई,,,,(संजू की पकड़ से छूटने की नाकाम कोशिश करते हुए मोहिनी अपने भाई के लंड पर छटपटा रही थी हालांकि उसे मजा भी बहुत आ रहा था लेकिन अपनी मां के सामने जानबूझकर शर्माने का नाटक कर रही थी लेकिन इसी बीच संजू जल्दबाजी दिखाता हु आपने खड़े लंड को बहुत ही जल्द ही अपनी बहन की चूत के गुलाबी छेद पर रखकर उसकी कमर को नीचे की तरफ दबा दिया और उसकी चूत में लब लबाकर संजू का लंड घुसता चला गया और अपनी मां की आंखों के सामने शर्म और हया का ढोंग करते-करते मदहोशी में मोहिनी की आंखें बंद होने लगी वह मदहोश होने लगी उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी अपने भाई के मोटे तगड़े लंड को अपनी बहन चूत की गहराई में महसूस कर के वह पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी,,,,। और संजू इसी बीच अपनी बहन की कमर को पकड़े हुए उसे ऊपर नीचे करके अपने लंड पर उठाने और बैठाने के बाद ऐसा करने पर मोहिनी की चूत में संजू का लंड अंदर बाहर होने लगा और लंड के घर्षण से चूत की अंदरूनी दीवारें पिघलने लगी और मोहिनी को आनंदित करने का की मोहिनी मदहोश होकर अपने आप ही अपनी कार को अपने भाई के लंड पर उछालना शुरू कर दी,,,, चुदाई का सुख ईतना अद्भुत और कमाल का होता है कि रिश्ते नातों की गहराई को एक तरफ करके बस आनंदित हो उठता है रिश्ता चाहे जो भी हो बस उसे चुत या बुर की जरूरत होती है लड़कियों और औरतों को लंड के पीछे का रिश्ता बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता और ठीक है ऐसा ही लड़कों को भी चूत के पीछे का रिश्ता चाहे जैसा भी हो उसे बिल्कुल भी दिखाई नहीं देता उसे दिखाई देती है तो सिर्फ चुत,,,,।
और इस समय संजू और मोहिनी के साथ भी यही हो रहा था अपनी मां की मौजूदगी में ही संजू अपनी बहन की चूत में लंड डाल रहा था और मोहिनी भी अपनी मां की मौजूदगी में पूरी तरह से मस्त होकर अपने भाई के लंड पर कूद रही थी,,,, यह गरमा गरम नजारा देखकर खुद आराधना की चूत से पानी निकलने लगा लेकिन वह अपनी भावनाओं पर काबू करते हुए बोली,,,।
बाप रे तुम दोनों अभी भी शुरू पड़ गए जल्दी से काम खत्म करके नहा धोकर तैयार हो जाना मैं नाश्ता तैयार करती हूं,,,,,
(इतना कहने के साथ ही आराधना कमरे से बाहर निकल गई हालांकि अपनी बेटी के लंड को अपनी बेटी की चूत में अंदर-बाहर होता हुआ देखकर खुद उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और वह खुद अपने बेटे के लंड पर उठक बैठक करना चाहती थी लेकिन वह नहा धोकर तैयार हो चुकी थी इसलिए ऐसा करना इस समय वह जरूरी नहीं समझी,,,,
आराधना की कमरे से बाहर जाते ही संजू अपनी बहन की चूत में लंड डाले हुए उसे घोड़ी बना लिया और घुटनों के बल खड़ा होकर जबरदस्त धक्का लगाना शुरू कर दिया,,, और अपनी बहन की नंगी चूची को जोर जोर से दबाते हुए बोला,,,)

तुमने तो कमाल कर दी मोहिनी रात में मम्मी को ऐसा बेवकूफ बनाई कि मम्मी को चारों खाने चित कर दी मम्मी को तो बिल्कुल भी एहसास तक नहीं हुआ कि तुम नाटक कर रही हो,,,,
भाई तुम भी तो बाद में सारी बाजी को पलट कर रख दिया,,,,
अब हमें किसी का डर नहीं है जब चाहे तब चुदाई का मजा लूट सकते हैं,,,
आहहह आहहहह तुम सच कह रहे हो,,,आहहहह भाई थोड़ा धीरे से,,,,आहहहह अब हमें किसी का डर नहीं है,,,,
हां मेरी रानी अब तेरी चूत से मुझे कोई अलग नहीं कर सकता,,,,,

(कुछ ही देर में संजू अपनी बहन की चुदाई करता हुआ,,, उसे पूरी तरह से तृप्त करता हुआ झड़ गया,,,, अब तीनों को खुला दौर मिल चुका था तीनों को किसी का डर नहीं था तीनों घर की चारदीवारी में सारे रिश्ते नाते को भूल कर एक दूसरे में समा जाते थे और बाहर समाज के सामने रिश्तेदारी निभाते थे इसी तरह से उन तीनों का जीवन अच्छी तरह से गुजरने लगा था तीनों को अब किसी बात की कमी नहीं थी ट्यूशन का काम अच्छा चल रहा था आराधना का ऑफिस का काम भी बहुत अच्छा चल रहा था आमदनी ठीक-ठाक हो जा रही थी जिससे तीनों की जरूरतें पूरी हो जा रही थी और शरीर की जरूरत भी आपस में पूरी हो जा रही थी,,,,,,, जैसे तैसे करके महीनों गुजर गए और तीनों का शारीरिक संबंध और भी ज्यादा गहरा होता चला गया बीच-बीच में संजू मौका मिलते ही अपनी मौसी की चुदाई कर देता था उसे भी पूरी तरह से तृप्ति का एहसास कराता था और मनीषा तो उसकी दीवानी हो चुकी थी खास करके उसकी मर्दानगी की,,,,,,,
अशोक के जाने के बाद आराधना अपने बेटे और बेटी का प्यार पाकर बहुत खुश थी उसे किसी बात की फिक्र नहीं होती थी बीच-बीच में उसे अशोक की चिंता होती जरूर थी लेकिन अब वह अशोक को भी भूल चुके थे क्योंकि संजू भी उसे इतना प्यार और सुख देता था कि अशोक कि उसे जरूरत ही नहीं थी ऐसे ही एक दिन आराधना के मोबाइल की घंटी बजी और आराधना कॉल रिसीव करके हेलो बोली क्योंकि अनजान नंबर था,,,,।
हेलो कौन,,,?
अरे मुझे भूल गई,,,,,
(आवाज कुछ जानी पहचानी लग रही थी वैसे भी कुछ ही महीने हुए थे आराधना को मोबाइल लिए हुए,,,, इसलिए वह समझ नहीं पा रही थी कि आवाज किसकी है,,,)
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मैं माफी चाहती हूं मैं पहचानी नहीं,,,,
अरे पगली सुखदेव बोल रहा हूं,,,,
भैया,,,,,, आप,,,,, नमस्ते भैया,,,,, तबीयत कैसी है सब मजे में तो है ना बच्चे कैसे हैं,,,,
अरे पगली सब एक ही सांस में पूछ डालेगी क्या,,,, सब कुशल मंगल है सब ठीक है,,,,
बहुत दिनों बाद मुझे याद कर रहे हो,,,
क्या करूं आराधना कैसे खबर अंतर पूछता कुछ समझ में नहीं आता यह तो अच्छा हुआ कि मोबाइल है तो आज साधना से नंबर लेकर तुझे फोन किया हूं,,,, और हां लल्ली की शादी तय हो गई है,,,,
क्या बात कर रहे हो भैया हमारी बिटिया इतनी बड़ी हो गई अब शादी लायक,,,
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हां आराधना इसलिए तो फोन किया हूं,,,, 1 सप्ताह बाद शादी है इतनी जल्दबाजी में शादी तय हो गई कि कुछ कर नहीं पा रहा हूं अगर समय होता तो मैं खुद वहां आकर तुम लोगों को गांव लेकर आता लेकिन शादी की तैयारी भी करना है इसलिए फोन से आमंत्रण भेज रहा हूं,,,,, शादी से 5 दिन पहले ही तुम दोनों को परिवार सहित आना है,,,,
इतनी जल्दी,,,,
अरे पगली यह जल्दी है मेरा बस चलता तो महीना पहले से बुला लेता,,,,, कोई दिक्कत है तो बता देना,,,,
नहीं नहीं भैया कोई दिक्कत नहीं है,,,,, मैं आ जाऊंगी वैसे भी बहुत समय हो गया है गांव आए,,,,
ठीक है आराधना मैं फोन रखता हूं दूसरों लोगों को भी बुलाना है,,,,
ठीक है भैया नमस्ते,,,
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खुश रहो,,,,।
(फोन कट गया था आराधना के चेहरे पर संतुष्टि के भाव नजर आ रहे थे बरसो बाद वह गांव जाने वाली थी वह तो अपना मायका ही भूल चुकी थी क्योंकि अपनी गृहस्ती में इतना उलझ गई थी और इतना दुखी थी कि उसे कुछ समझ में नहीं आया और कब इतना समय गुजर गया उसे इस बात का अहसास तक नहीं हुआ लेकिन आज अपने भाई के फोन से पुरानी यादें ताजा हो गई थी वह तुरंत अपनी बड़ी बहन साधना को फोन लगाइ ,,)
हेलो दीदी,,, भैया का फोन आया था,,,
आराधना मुझे भी भैया का फोन आया था लल्ली की शादी तय हो गई है,,,, मैं तो बहुत खुश हूं गांव जाने के नाम से,,, कुछ दिन वहां आराम तो करेंगे,,,
सच कह रही हो दीदी मैं भी यही सोच रही थी,,,,
बात तो ठीक है लेकिन मनीषा नहीं जा पाएगी और ना ही मनीषा के पापा जा पाएंगे मनीषा का एग्जाम शुरू होने वाला है,,,,,

मेरी भी यही दिक्कत है दीदी मोहिनी का एग्जाम शुरू होने वाला है,,,,,
तो कोई बात नहीं मैं तो और संजू चलेंगे बहुत मजा आएगा वैसे भी संजू बहुत छोटा था तब गांव गया था अब गांव जाएगा तो वहां का माहौल देखकर खुश हो जाएगा,,,,
तुम ठीक कह रही हो दीदी,,,,,,
हां आराधना दो दिन बाद ही हमें निकलना होगा क्योंकि 5 दिन पहले से ही भैया हमें अपने घर देखना चाहते हैं,,,,
ठीक है दीदी संजू के आते ही जाने की तैयारी शुरू कर देती हूं लेकिन एक दिक्कत है,,,
कैसी दिक्कत,,,,
मोहिनी,,,,
अरे बुद्धू मैं भी जानती हूं मोहिनी को मेरे घर पर छोड़ देना मनीषा के साथ,,,,
आराधना और मोहिनी इस तरह से मजा लेते हुए

हा दीदी यह ठीक रहेगा,,,,, मनीषा के साथ मोहिनी को छोड़कर मैं निश्चिंत हो जाऊंगी,,,,
चल ठीक है आराधना मैं रखती हूं तैयारी भी करना है 2 दिन का ही समय भी है,,,,
हां दीदी मैं भी संजू से बात कर लूं,,,,
ठीक है,,,(इतना कहकर साधना फोन काट दि)