आराधना और संजू मोहिनी को लेकर पहले अपनी मौसी के घर गए और वहां से साधना और मनीषा को साथ लेकर बस स्टैंड पर सही समय पर पहुंच गए थे धीरे-धीरे बस के पैसेंजर राते जा रहे थे और अपना-अपना सामान बस में रखकर अपनी सीट पर बैठते चले जा रहे थे,,, अंधेरा हो चुका था इसलिए मोहिनी और मनीषा का वहां ठहरना उचित ना समझते हुए संजू ने उन्हें जाने के लिए बोल दिया था और वह दोनों थोड़ी देर रुक कर वहां से चली गई थी,,,, बस के चलने में अभी भी बहुत समय था,,,, बस मुख्य सड़क के किनारे खड़ी थी ठीक उसके सामने ही ढाबा था कुछ लोग ढाबे पर बैठकर चाय नाश्ता कर रहे थे,,,, क्योंकि उन्हें भी पता था कि बस के निकलने में अभी समय है इसलिए निश्चिंत होकर भर लोग अपना समय व्यतीत करते हुए चाय नाश्ता कर रहे थे,,,, संजू और साधना के पास कुछ ज्यादा समय नहीं था कुल मिलाकर चार बैग थे जो कि अभी भी उन लोगों के पास ही नीचे जमीन पर रखे हुए थे और उसके चारों तरफ तीनों खड़े होकर बातें कर रहे थे संजू की नजर बार-बार अपनी मौसी की सलवार सूट पर चली जा रही थी वह मन ही मन में उत्तेजित हुआ जा रहा था क्योंकि सलवार सूट में उसकी मौसी की गांड कुछ ज्यादा ही गदराई हुई नजर आ रही थी,,,,,,
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ना जाने कभी अब बस चलने को तैयार होगी,,,(आराधना दोनों हाथों को बात कर अपनी छाती से सटाते हुए बोली,,)
सारे यात्री आ जाएंगे तभी यह बस निकलेगी क्योंकि बहुत लोग दूर-दूर से आते हैं उन्होंने आने में समय हो जाता है तोबा लोग फोन करके ईत्ला कर देते हैं जब तक सारे यात्री बस में बैठ ना जाए तब तक बस जाएगी नहीं,,,,(संजू अपनी मां को समझाते हुए बोला)
तभी तो दिमाग खराब हो रहा है इससे अच्छा तो ट्रेन का रिजर्वेशन मिल गया होता तो अच्छा होता,,,(साधना भी अपने चारों तरफ नजर घुमाते हुए बोली,,,,,, बात ऐसी थी कि साधनों को बड़ी जोरों की पैसाब लगी हुई थी और वह अपने चारों तरफ नजर घुमाकर पेशाब करने के लिए सुनसान जगह ढूंढ रही थी पेशाब की तीव्रता इतनी तेज थी कि वह बार-बार अपने पैर को एकदम से जमीन पर पटक दे रही थी,,,,)

बात तो तुम सही कह रही है मौसी तकिन कर भी क्या सकते हैं शादी का सीजन चल रहा है इसलिए रिजर्वेशन मिल पाना मुश्किल हो गया इसीलिए तो बस की टिकट निकाले हैं और वैसे भी बस से जाने में भी कोई दिक्कत नहीं आएगी आराम से हवा पानी लेते हुए पहुंच जाएंगे यह तो सिर्फ यहां से दिक्कत हो रही है एक बार चल पड़ी तो चल पड़ी,,,,
बात तो तू ठीक ही कह रहा है संजू,,,, गर्मी भी बहुत है,,,,
सो तो है मम्मी लेकिन कर भी क्या सकते हैं,,,,
(इसी तरह से बातें करते करते समय व्यतीत होने लगा संजू अपनी मौसी को सलवार सूट में देखकर उत्तेजित तो हो जा रहा था लेकिन वह इस बात से थोड़ा खफा था कि अगर उसकी मौसी सलवार सूट की जगह साड़ी पहन कर आती तो शायद थोड़ी सी छेड़खानी हो जाती उसकी चूत से,,,,,,,, एक तरफ संजू अपनी मौसी को देखकर उत्तेजित भी हो रहा था उसके सलवार सूट से थोड़ा नाराज भी था लेकिन दूसरी तरफ साधना के तन बदन में अजीब सी हलचल हो रही थी उसे बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी अगर वह इस समय पेशाब करने का निर्णय नहीं ले पाती तो कुछ ही देर में उसकी चूत से पेशाब की धार फूट पड़ती और फिर दिक्कत हो जाती है और इसी दिक्कत से बचने के लिए वह संजू से बोली,,,,)

संजु अभी बस के चलने में थोड़ा समय है,,,, क्यों ना सामने के ढाबे से कुछ वेफर वगैरा ले लिया जाए ताकि रास्ते में खाते हुए समय व्यतीत कर लेंगे,,,
इतना नाश्ता तो है ना दीदी,,,,
अरे वह तो खाना है मैं पड़ी के की बात कर रही हूं,,,,
हां मम्मी मौसी ठीक कह रही हैं खाना तो इतनी गर्मी में खराब हो जाएगा बस कल शाम को जाकर पहुंचेगी रात भी हो सकती है इसलिए कुछ तो चाहिए ना रास्ते के लिए,,,,
ठीक है जाओ लेकिन जल्दी आना,,,,
ठीक है मम्मी तुम समान का ख्याल रखना हम जल्दी आते हैं,,,,।

(इतना कहने के साथ ही संजू और उसकी मौसी दोनों सड़क के दाएं बाएं देखकर अच्छे तरीके से सड़क पार कर के सामने ढाबे पर पहुंच गए जहां पर थोड़ी भीड़ बढ़ती आराधना उन दोनों को देखती रही लेकिन भीड़ भाड़ होने की वजह से दोनों भीड़ में कहीं खो गए आराधना को दोनों नजर नहीं आ रहे थे,,,, आराधना अपनी आंखों से अपनी बड़ी दीदी को अपने जवान बेटे से चुदवाते हुए देख चुकी थी वह अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे संजू और उसकी बड़ी बेटी के बीच शारीरिक संबंध स्थापित हो चुका है दोनों एक दूसरे से मजा लेते हैं,,,,, यह सब जानने के बावजूद भी आराधना के मन में किसी भी प्रकार का शंका नहीं हो रहा था,,,, वैसे भी इस जगह पर आराधना के लिए शक करने जैसा कुछ भी नहीं था अगर कोई और जगह होती तो साधना और अपने बेटे को एकांत में देखकर उसे जरूर शक होता कि दोनों के बीच जरूर कुछ ना कुछ शुरू हो गया होगा लेकिन इस समय मुख्य सड़क पर भीड़ भाड़ में ऐसा कुछ भी संभव नहीं था इसलिए वह निश्चित थी,,,,,
सड़क पार करते हुए ही संजू अपने मन की बात को अपनी मौसी से बताते हुए बोला,,,

मौसी तुम सलवार सूट में एकदम पटाखा लग रही हो तुम्हारी गांड को ज्यादा ही बड़ी-बड़ी दिख रही है मेरा तो लंड खड़ा हो गया,,,
संभाल कर रख बेटा हर जगह शुरू नहीं हो जाने का वैसे मेरी तारीफ करने के लिए शुक्रिया,,,
तुम तारीफ के ही लायक हो मौसी वैसे कोई और जगह होती तो मैं सच में तुम्हारी चुदाई कर दिया होता लेकिन इस समय मैं मजबूर हूं और हां तुम साड़ी पहनकर क्यों नहीं आई साड़ी पहन कर आई होती तो शायद बस के अंदर हम दोनों थोड़ा बहुत मजा कर सकते थे,,,,

नहीं नहीं बस के अंदर कुछ भी नहीं वैसे भी तेरी मां भी है साथ में समझा हम दोनों के लिए होते तो पूरे सफर पर चुदाई का मजा लेते चलते लेकिन बस में ऐसा कुछ भी मत करना कि तेरी मां को जरा भी शक हो और वैसे भी सफर के दौरान मुझे साड़ी नहीं बल्कि सलवार सूट में ही आरामदायक महसूस होता है इसलिए मैं सलवार सूट पहन कर आई हूं,,,,,
लेकिन तुम्हारी सलवार सूट बहुत खुशी हुई है तुम्हारी गांड तुम्हारी चूची एकदम बाहर निकली हुई नजर आ रही है जिस किसी की भी नजर तुम्हारे पर पड़ रही है सबसे पहले तुम्हारी गांड को ही देख रहे हैं,,,,
देखने दे मेरी गांड देखकर मस्त हो जाएंगे और अपना हाथ से ही लाकर शांत हो जाएंगे उन्हें भी तो पता चलना चाहिए कि उनके बीच से कौन सी हसीना गुजरी है,,,

बात तो तुम सही कह रही हो मौसी,,,,
(इस तरह की बातें करते हुए दोनों सड़क पार कर चुके थे और ढाबे पर पहुंच चुके थे ढाबे पर पहुंचते ही आराधना कुछ वेफर और स्नेक के पड़ीके खरीद ली और उन पड़ी को को संजू को थमाते हुए इधर-उधर चकर पकर देखने लगी तो अपनी मौसी को इस तरह से इधर उधर देखता हुआ पाकर संजू बोला,,,)
क्या हुआ मौसी इधर उधर क्या देख रही हो,,,
अरे बुद्धू मुझे बड़े जोरों की पेशाब लगी है,,,,
तो कर लो ना इसमें कौन सी बड़ी बात है,,,
अरे पागल कहां कर लूं कहीं अच्छी जगह दिखी होती तो मैं वहीं नहीं कर लेती एक बहाने से तो मैं इधर आई हूं,,,
क्या मौसी पेशाब करने के लिए आना था तो मम्मी को लेकर आ गई होती उन्हें पता चलेगा तो वह क्या सोचेंगी,,,

अरे उन्हें कैसे पता चलेगा,,,, तू बातों में वक्त बर्बाद कर रहा है और मेरा प्रेशर बढ़ता जा रहा है ऐसा ना हो कि सलवार में ही मेरा पैसाब छुट जाए,,,
ऐसा बिल्कुल भी मत करना मौसी वरना सफर का मजा किरकिरा हो जाएगा,,,
तभी तो कह रही हूं जल्दी से कोई जगह बता यहां तो सब लोग खड़े हैं,,,,
कोई बात नहीं चलो भाभी के पीछे लेकर चलता हूं,,,
वहां तो बहुत अंधेरा है,,,
तो क्या हुआ उजाले में पेशाब करोगी,,,,
अच्छा चल जल्दी चल,,, इसीलिए तो मैं तुझे लेकर आई हूं तेरी मम्मी के साथ आती तो कोई भी अंधेरे का फायदा उठाते हुए पकड़ लेता और फिर मेरे साथ से तेरी मां की भी चुदाई कर देता,,,

वैसे भी मौसी तुम चोदने लायक हो,,,,(अपनी छोटी सी मोबाइल की बैटरी जलाकर वह ढाबे के पीछे आगे आगे चलने लगा और पीछे पीछे साधना चलने लगी संजू की बात सुनकर वह बोली)
मैं चोदने लायक हूं तेरी मां तेरी मां को तो कोई आ जाए तो दिन रात चोदते ही रहे,,,,
(अपनी मौसी कि मुझे अपनी मां के बारे में इस तरह की गंदी बातें सुनकर संजू को बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वह तो मन ही मन उत्तेजित हो रहा था क्योंकि अगर यह बात कोई और कहां होता तो शायद वह गुस्से से आगबबूला हो जाता लेकिन उसकी मां के बारे में अश्लील बातें करने वाली उसकी मां की खुद की सगी बड़ी बहन थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं रहा था देखते ही देखते दोनों ढाबे के पीछे पहुंच चुके थे चारों तरफ झाड़ियां झाड़ियां थी और चारों तरफ अंधेरा ही था सिर्फ मोबाइल का टॉर्च जल रहा था जिसने थोड़ा थोड़ा साफ नजर आ रहा था एक अच्छी सी जगह देखकर संजू अपनी मौसी से बोला,,,)
बस मौसी यही कर लो इससे अच्छी जगह कोई और नहीं है,,,,

ठीक है संजू ले मेरा पर्स पकड़,,,।
(इतना कहने के साथ ही साधना अपने पर्स को संजू को पकड़ते हुए तुरंत अपने सलवार की डोरी खोलने लगी और इस दौरान संजू मोबाइल के टॉर्च से सब कुछ साफ दिख रहा था उसकी आंखों के सामने उसकी मौसी अपनी सलवार की टोपी खोलकर तुरंत अपनी चड्डी सहित उसे घुटनों तक खींचकर तुरंत नीचे बैठ गई और पेशाब की धार मारने लगी उसे इतने जोरो की पिशाब लगी हुई थी कि तुरंत उसकी चूत से सीटी की आवाज आने लगी जिसे सुनकर संजू का धैर्य जवाब दे रहा था उसका लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो चुका था वह मोबाइल के टॉर्च में अपनी मौसी की गोरी गोरी बड़ी बड़ी गांड देख रहा था और उत्तेजित हो रहा था थोड़ी ही देर में साधना पेशाब करके खड़ी हो गई हो अपनी सवार को ऊपर करने ही वाली थी कि संजु से रहा नहीं गया और वह तुरंत अपनी मौसी का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा और से बाहों में लेकर उसके लाल-लाल होठों को चूसना शुरू कर दिया इस दौरान उसने अपने मोबाइल के टॉर्च को बंद कर दिया था ताकि दूर से कोई देख ना सके,,,)
अरे पागल हो गया है क्या थोड़ा तो शर्म कर कहां पर हैं इसका तो लिहाज कर कोई आ गया तो गजब हो जाएगा,,,

कुछ खराब नहीं होगा मौसी अब ना जाने कब तुम्हारी चूत चोदने को मिले इससे अच्छा मौका मुझे कभी नहीं मिलेगा तुम्हारी गांड में देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा है मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया है देखो तो जरा,,,(इतना कहने के साथ ही संजु अपनी मौसी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और साधना भी पूरी तरह से मजा लूटी जब उसका हाथ संजू के लैंड पर जो की पैंट के अंदर पूरी तरह से खड़ा हो चुका था उस पर पड़ा वह उत्तेजना के मारे पेंट के ऊपर से ही संजू के लंड को दबा दीं,,,, उसका इस तरह से लंड को दबाना संजू के लिए आगे बढ़ने का सिग्नल था और संजू इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था इसलिए वह तुरंत अपनी मौसी के कंधों को पकड़कर घुमा दिया और उसे घोड़ी बनने के लिए बोल दिया,,,,, सलवार पहले से ही खुली हुई थी इसलिए मौके का फायदा उठाते हुए साधना भी जल्दी से झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड संजू के सामने परोस दी और संजू बिना मोबाइल की टॉर्च जलाए अंधेरे में ही अपनी मौसी की गांड को दोनों हाथों से पकड़कर टटोल ते हुए अपने लंड को बाहर निकाल लिया और एक हाथ से अपनी मौसी की चूत को टटोलकर उस पर अपने लंड का सुपाड़ा रखकर जोरदार धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड एक बार में ही साधना की चूत में समा गया,,,,,
साधना एकदम उत्तेजना से गदगद हो गई,,,, वह भी काफी दिनों बाद संजू के मोटे तगड़े लंड को अपनी चूत की गहराई में महसूस करके पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ऐसी जगह पर संजू उसकी चुदाई कर देगा लेकिन जो कुछ भी संजु कर रहा था उसमें साधना को बहुत मजा आ रहा था,,,, संजू के पास ज्यादा समय नहीं था वह अपनी मौसी की कमर पकड़कर बड़ी रफ्तार से अपने मोटे लंड को अपनी मौसी की चूत के अंदर बार कर रहा था,,, साथ ही अपना हाथ आगे बढ़ाकर कुर्ती के ऊपर से ही बड़ी बड़ी चूची को दबा रहा था देखते ही देखते जबरदस्त चुदाई का प्रदर्शन करते हुए संजू अपनी मौसी का पानी निकालते हुए खुद झड़ गया,,,,, संजू अपने लंड को अपनी मौसी की चूत से बाहर निकाल कर हांफते हुए बोला,,,)
सच में मौसी तुम बहुत कमाल हो मजा आ गया,,,(इतना कहते हुए वह अपने लंड को पकड़ कर हीलाते हुए पेशाब करने लगा और साधना अपनी सलवार और चड्डी को एक साथ ऊपर करके अपने सलवार की डोरी बांधने लगी और बोली,,,)
अब जल्दी कर आखिर कर लिया ना अपनी मनमानी,,,, जल्दी हम दोनों को काफी समय हो गया है पता नहीं आराधना क्या सोचती होगी,,,,।
(इतना कहने के साथ ही दोनों वापस ढाबे पर आ गए और साधना पानी की 2 बोतल खरीदने लगी दोनों बोतल को हाथ में लेकर वह दोनों बस की तरफ चल दिए काफी समय से साधना दोनों को देखने की कोशिश कर रही थी लेकिन दोनों दिखाई नहीं देने थे और जैसे ही दोनों दिखाई दिए आराधना के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव में जान आ जाएगी और वह दोनों जैसे ही आराधना के पास पहुंचे आराधना बोली)
कहां देर लगा रही थी कब से बस वाला बोल रहा है कि जो भी सवारी है जल्दी से बैठ जाओ 10 मिनट में चलने वाली है,,,
अरे क्या बताऊं आराधना ढाबा वाला तो लूट मचाया है पानी के बोतल का डबल भाव मांग रहा था इसलिए रिकझिक में देर हो गई,,,, चलो जल्दी से अपना सामान रखते हैं,,,,।
(इतना कहने के साथ ही संजू बस के क्लीनर से बस का कंपार्टमेंट खुलवा कर उसमें सामान रख दिया और फिर तीनों अपने बस की केबिन में जाकर बैठ गए,,, अंदर बैठने के बाद क्लीनर को अपनी बस की टिकट दिखा कर सब कुछ क्लियर कर लिया और फिर केबिन का दरवाजा बंद करके खिड़की को थोड़ा सा खोल दिया था कि हवा आ सके और रात का समय होने के नाते ठंडी ठंडी हवा चल रही थी और थोड़ी देर में बस भी स्टार्ट हो गई तीनों का बस का सफर शुरू हो चुका था,,,)