संजू का सुझाव थोड़ा अटपटा था लेकिन मनीषा को भा गया था,,,, कभी-कभी उसे अपने फैसले पर शर्मिंदगी का भी एहसास हो रहा था कि वह यह कौन सी शर्त मान ले रही है,,, जिसमें उसकी खुद की बदनामी हो सकती है संजू की नजर में भले ही संजू इस बात को दूसरों को ना बताएं लेकिन उसके मन में तो यही रहेगा ना कि खुद के बदन की प्यास बुझाने के लिए वह अपनी मम्मी को भी इस खेल में शामिल कर ली,,,, कभी-कभी मनीषा को अपने फैसले पर पछतावा होता था लेकिन अपनी फैसले के परिणाम के बारे में सोचकर उसके चेहरे पर प्रसन्नता और उत्तेजना के भाव साफ नजर आने लगते थे और यही होता है जब दिल और दिमाग पर वासना पूरी तरह से सवार हो जाए तो अच्छे बुरे की पहचान कर पाना मुश्किल हो जाता है,,, और यही मनीषा के साथ भी हो रहा था वह भूल गई थी कि वह किसी राह पर बढ़ रही है अपने फैसले का या सीधा-सीधा कह लो अपने षड्यंत्र का क्या परिणाम आ सकता है इस परिणाम के बारे में भी अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि इसके फल स्वरुप वह और उसकी मम्मी एक ही बिस्तर पर होगी और अपनी एकदम नंगी और उन दोनों की टांगों के बीच होगा संजू,,,।
जहां एक तरफ मनीषा को यह सब सो कर थोड़ा अजीब लग रहा था वहीं दूसरी तरफ वह इस तरह की कल्पना की दुनिया में इस कदर खो जाती थी कि मदहोशी पूरे बदन पर छा जाती थी वह अपने मन में सोचने लगती थी कि कितना मजा आएगा जब वह और उसकी मम्मी दोनों बिल्कुल निर्वस्त्र में बड़े से बिस्तर पर नंगी लेटी रहेगी और संजु अपना मोटा तगड़ा लंड अपने हाथ में लेकर हिलाते हुए दोनों की टांगों के बीच बारी-बारी से दोनों की गुलाबी चूत का भोसड़ा बनाएगा यह सब सोच कर ही मनीषा की चूत पानी फेंक रही थी,,,, अपनी हालत और आने वाले पल की उत्सुकता को देखते हुए उसे किसी भी तरह से अपना फैसला गलत नहीं लग रहा था,,। वह अपने फैसले पर बहुत खुश थी,,,।
वहीं दूसरी तरफ संजू भी सातवें आसमान पर था क्यूंकि मनीषा ने उसके प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर ली थी वैसे अगर वह उसके प्रस्ताव को स्वीकार न भी करती तो उसे कोई ज्यादा दिक्कत होने वाली नहीं थी क्योंकि वह समय-समय पर मनीषा की मां और मनीषा दोनों की चुदाई करता रहा था बस एक ही बिस्तर पर मां बेटी दोनों के साथ मजा लेना चाहता था इसलिए संजू ने इस प्रस्ताव को मनीषा के सामने रखा था और वह सफल भी हो चुका था,,,, मनीषा के फैसले पर संजू मन ही मन यह सोच रहा था कि चुदाई चीज ही ऐसी होती है कि अच्छे-अच्छे संस्कारी औरतें को धराशाई कर देती है और अगर ऐसा ना होता तो शायद मनीषा उसके प्रस्ताव पर उसके गाल पर तमाचा मार दी होती क्योंकि उसके प्रस्ताव में एक ही बिस्तर पर उसकी मां को शामिल करने की बात थी,,,,, लेकिन संजू जानता था कि ऐसा बिल्कुल भी होने वाला नहीं है उसके प्रस्ताव को स्वीकार करना ही था इसलिए तो वह इतनी बड़ी हिम्मत कर गया था,,,,
बड़ी बेसब्री से मनीषा को रविवार का इंतजार था क्योंकि संजू ने रविवार तक का ही मोहलत दिया था मनीषा को मनीषा को पूरी उम्मीद थी कि संजू रविवार तक सबको सही कर देगा और ऐसा माहौल खड़ा कर देगा कि घर में भी वह खुलकर उसके साथ चुदाई का मजा लूट सकेगी,,,, संजू से मिलने से पहले मनीषा ऐसी बिल्कुल भी नहीं थी मनीषा एक सुधरी हुई और संस्कारी लड़की थी लेकिन संजू की संगत में उसके प्रभाव में जाकर वहां संजू के साथ शारीरिक संबंध बनाने पर मजबूर हो गई और एक बार का यह सिलसिला शुरू हुआ तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था उसे चुदाई का नशा सा चढ़ गया था जब तक वह संजू के मोटे तगड़े लंड को अपनी चूत की गहराई में रगड़ हुआ महसूस नहीं करती थी तब तक उसे चैन नहीं आता था,,,, मनीषा अपने कमरे में बिस्तर पर लेटे-लेटे रविवार के बारे में ही सोच रही थी तभी उसे संजू की कहानी बात याद आई जब उसकी मां किचन के अंदर अपनी साड़ी कमर तक उठाए हुए अपनी दोनों टांगें फैला कर मोटी तगड़ी तगड़ी को अपनी चूत के अंदर बाहर कर रही थी यह ख्याल आते ही मनीषा के बदन में सनसनी से दौड़ने लगी और उसे अपनी मां के तरफ का यह रवैया थोड़ा अजीब लगने लगा क्योंकि वह कभी भी अपनी मां के बारे में इस तरह से सोची नहीं थी कि उसकी मां भी इस उम्र में चुदाई के सुख के लिए तड़प रही है,,,, वह अपनी मां के रवैया पर थोड़ा गहन अध्ययन करने लगी और अपने पापा की शारीरिक क्षमता के बारे में भी सोचने लगी,,, और उसका परिणाम यही हुआ की उसे भी इस बात का एहसास होने लगा कि उसके पापा में इस उम्र में वाकई में इतनी क्षमता नहीं थी कि उसकी मां की जवानी की प्यास को बुझा सके क्योंकि उनका शरीर भी थोड़ा भारी हो चुका था और आगे से तोंद निकली हुई थी और ऐसे में वह खुद सहारा लेकर चलते थे तो भला कैसे उसकी मां की जवानी की प्यास को अपने मर्दाना अंग से बुझा सकने की काबिलियत रखते,,,, एक औरत होने के नाते उसे भी इस बात का एहसास होने लगा कि वाकई में उसकी मां को भी उसी चीज की जरूरत है जिसके लिए वह खुद तड़प रही है। ,,,,,,, एक औरत होने के नाते अपनी मां की तरफ नरम रवैया रखने लगी क्योंकि वह जानती थी की हर औरत को जैसे खाने की भूख लगती है वैसे ही अपने जिस्म की भी भूख लगती है और समय-समय पर उसकी जरूरत पूरी भी होनी चाहिए अगर वह घर में सुख नहीं प्राप्त कर पा रही है तो ऐसे हालात में उसका बाहर निकलना उसकी मजबूरी बन जाती है,,, और उसे संजू की कही बात भी अच्छी तरह से याद थी,,,की उसकी मां में अभी भी जवानी पूरी तरह से बर्क र है उसे देखकर किसी का भी लैंड खड़ा हो जाएगा जैसा की किचन के अंदर उसकी हरकत को देख कर संजू का खुद का लंड खड़ा हो गया था और वह उसे चोदने का मन बना लिया था,,, और संजू नहीं अभी कहा था कि उसकी मां के की सैर पर उसे चोदने के लिए लड़कों की लाइन लग जाएगी और इसमें हकीकत भी था,,, क्योंकि ज्यादातर लड़की इस तरह की औरतों को ही बिस्तर पर ज्यादा पसंद करते हैं,,, उन्हें उम्र से कोई वास्ता नहीं होता उन्हें वास्ता होता है तो उनकी बड़ी-बड़ी गांड और उनकी गुलाबी चूत से,,,।
मनीषा के मन में बहुत सारी बातें चल रही और उसे यह भी अच्छी तरह से मालूम था कि संजू के बताएं अनुसार अगर वह चाहता तो उसकी मां की चुदाई कर सकता था बस उसे अपना लंड दिखाने की जरूरत थी और वाकई में इस बात को मनीषा से भला अच्छा कौन जान सकता है कि संजू के पास उसकी दोनों टांगों के बीच कैसा गजब का हथियार है जिसे देखने के बाद औरत की चूत से अपने आप ही पानी छोड़ जाता है और वाकई में संजू की कहानी बात सच हो जाती है अगर संजू जरा सा हिम्मत दिखा कर किचन में अपना लंड हिलाते हुए प्रवेश कर जाता तो उसकी मां जरूर उसके लिए अपनी दोनों टांगें खोल देती और यह नहीं देखता कि वह उसकी सगी मौसी है,,,,।
मोटी तगड़ी ककड़ी के बारे में ख्याल आते ही उसके जेहन में पुरानी बातें याद आने लगी उसे याद आने लगा कि वाकई में उसके घर में हमेशा कुछ होना हो ककड़ी और बैगन जरूर होते थे,,,, और इस बात को सोचकर मनीषा को पक्का यकीन हो गया था कि संजू की कहानी बात एकदम सच है क्योंकि वह हमेशा से किचन में ककड़ी और बैगन देखते आ रही थी,,,, और किचन की हालत को देखकर ही संजू ने बनी बनाई बात कह दिया था जबकि इसका हकीकत से कोई वास्ता नहीं था मनीषा की मां ने कभी भी अपनी जवानी की आग बुझाने के लिए ककड़ी और बैगन का सहारा नहीं ली थी,,,,
रात के 9:00 बज रहे थे और यह सब सोने के बाद उत्तेजना के मारे मनीषा की चूत कचोरी की तरह फूल गई थी और उसे भी इस समय ककड़ी का इस्तेमाल करना ही बेहतर लगा क्योंकि संजू की गैर मौजूदगी में उसकी बहन के साथ वह इसी तरह से मजा लेती थी कमरे का लॉक भी ठीक हो गया था इसलिए वह धीरे से किचन में कहीं और फ्रिज में से मोटी तगड़ी का ककडी निकाल कर अपने कमरे में ले आई और फिर उसे पर अच्छे से सरसों का तेल लगाकर अपनी सलवार को निकाल कर अलग कर दी और अपनी पैंटी को बिना उतारे,,,, सिर्फ उसकी किनारी पड़कर दूसरी तरफ खींचकर अपनी चूत को एकदम से बाहर निकाल दी क्योंकि उसकी चूत कचोरी की तरह खुली हुई थी जिसकी वजह से उसकी पेंटिं का दूसरा हिस्सा उसके दूसरे छोर पर एकदम से टिक गया था,,,।
ककड़ी के मोटे वाले हिस्से को वह अपनी चूत पर लगाकर अपनी आंखों को बंद कर ली और कल्पना करने लगी कि जैसे उसकी दोनों टांगें खेल है संजू अपने मोटे तगड़े लंड को उसकी चूत में प्रवेश कर रहा है और वह धीरे-धीरे कपड़े को अपनी चूत के अंदर प्रवेश करना शुरू कर दी,,,, देखते ही देखते तेल से सनी हुई कड़ी चिकनाहट पाकर धीरे-धीरे मनीषा की चूत में प्रवेश करना शुरू कर दी अपने हाथ से मजा लेने का आनंद तब और ज्यादा बढ़ जाता है जब उसमें कल्पनाओं का तड़का लगा होता है और इस समय मनीषा के साथ भी यही हो रहा था क्योंकि वह कल्पना में संजू को महसूस कर रही थी संजू कल्पना में उसकी दोनों मोटी -मोटी जांघो को अपने हाथों से पकड़ कर उसे फैलाते हुए अपनी कमर हिलाकर उसकी चुदाई कर रहा था,,,।
इस तरह के कल्पना में रच कर मनीषा पूरी तरह से बावरी हो गई थी और बड़ी जोरों से उसे ककड़ी को अपनी चूत के अंदर बाहर कर रही थी और देखते ही देखते उसके मदन रस का फवारा उसकी चूत से फूट पड़ा और वह झड़ने लगी,,,,।
दूसरी तरफ आराधना का महीना चल रहा था इसलिए उसके साथ चुदाई संभव बिल्कुल भी नहीं थी,,, आराधना खाना बना रही थी और मोहिनी सब्जी काट रही थी संजू रसोई घर में प्रवेश किया और अपनी मां को पीछे से बाहों में भरकर उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया,,,।
ऊममममम यह क्या कर रहा है,,,,?(आराधना इस तरह से बिना हिचकीचाहट अपनी बेटी की आंखों के सामने ही अपने बेटे की हरकत का आनंद लेते हुए रोटी पका रही थी,,)
तुमसे प्यार कर रहा हूं रानी,,,(संजू अपनी मां की गर्दन पर अपने होठों को रगड़ते हुए बोला,,, उसकी इस हरकत से आराधना के बदन में सुरसुरी से दौड़ने लगी खास करके उसकी दोनों टांगों के बीच की पतली दरार में हलचल सी मचने लगी थी,,,,)
कह तो ऐसा रहा है कि जैसे कभी करता ही नहीं है,,,
करता तो रोज हो मेरी जान लेकिन क्या करूं जब भी तुमसे प्यार करता हूं तो ऐसा ही लगता है कि जैसे पहली बार कर रहा हूं इसलिए तो यह तडप बढ़ती जाती है,,,,।
(उनसे थोड़ी ही दूरी पर दरवाजे पर बैठकर सब्जी काट रही मोहिनी अपनी मां और अपने भाई की इस कमगीता को देखकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और उसकी नजर अपने भाई के पेट पर थी जिसमें तंबू बढ़ता चला जा रहा था और यह देखकर मोहिनी बोली,,,)
भाई तेरा तो खड़ा हो रहा है लेकिन कर कुछ पाएगा नहीं मम्मी तुझे करने नहीं देगी,,,,
यही तो रोना है मोहिनी मम्मी को चोदने का बहुत मन कर रहा है लेकिन क्या करूं मम्मी का पीरियड चल रहा है,,,,(ऐसा कहते हुए संजू अपने पेट में बना तंबू अपनी मां की बड़ी-बड़ी गांड पर रगड़ रहा था जिसका एहसास आराधना को पागल बना रहा था उसका भी मन बहुत कर रहा था अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में लेने के लिए लेकिन वह मजबूर थी,,,, इसलिए संजू की हरकत का मजा लेते हुए उसे सांत्वना देते हुए वह बोली,,,)
बस दो दिन और रह गए हैं उसके बाद खूब मजा कर लेना,,,
लेकिन अभी मेरा बहुत मन कर रहा है,,,,
मोहिनी है ना,,,,
मोहिनी की तो रात भर जम कर लूंगा लेकिन इस समय तो तुम्हारे से ही अपनी प्यास बुझाना है,,,,
तो फिर अपने लड़के को ऐसे ही गांड पर रगड रगड़ कर पानी निकाल दे,,,,।
(अपनी मां की बात सुनकर उसका जोश और ज्यादा बढ़ गया और वहां अपनी मां के कंधे को पकड़ कर उसे दोनों हाथों से घूमाकर उसकी खूबसूरत चेहरे को अपनी तरफ कर लिया और उसकी आंखों में देखते हुए बोला,,,)
ऐसे नहीं,,,(और इतना कहने के साथ ही अपने प्यास होठों को अपनी मां के लाल-लाल होठों पर रखकर उसके होठों का रसपान करते हुए उसे चुंबन करने लगा आराधना भी अपने बेटे की हरकत से पूरी तरह से पानी पानी में जा रही थी वह भी मदहोश हुए जा रही थी उसकी चूत में भी आग लगी हुई थी लेकिन वह अपने बेटे के लंड से समय अपनी चूत में नहीं ले सकती थी,,,,, संजू अपनी प्यास कैसे बुझाएगा उसे नहीं मालूम था और कुछ देर तक संजू अपनी मां के लाल-लाल होठों का रस पान करने के बाद उसके कंधों को पकड़ते हुए एक हाथ उसके सर पर रखकर और एक हाथ उसके कंधे पर रखकर उसे नीचे की तरफ ले जाने लगा आराधना को समझते देर नहीं लगी कि उसका बेटा क्या करवाना चाह रहा है लेकिन यह समय उसके भी बदन में मदहोशी पूरी तरह से अपना असर दिख रही थी और वह अपने बेटे की गुलाम बनी उसके इशारे पर नीचे अपने घुटनों पर जाकर बैठ गई,,,,, और अपनी मां को घुटनों पर बैठी हुई देखकर संजू गहरी सांस लेते हुए बोला,,,)
मेरी जान अब तु अच्छी तरह से जानती है तुझे क्या करना है,,,,।
(संजू प्यासी आंखों से अपनी मां की तरफ देखने लगा और मोहिनी भी अपनी मां को ही देख रही थी देखते-देखते आराधना अपना दोनों हाथ ऊपर की तरफ उठाकर अपने बेटे के पेट का बटन खोलने लगी और उसकी चैन खोलकर दोनों हाथों से उसकी पेंट और अंडरवियर दोनों को पकड़े हुए उसे नीचे घुटनों तक खींच दी अंडरवियर से बाहर निकलते ही उसका लंड हवा में लहराने लगा जिसे देखकर आराधना के मुंह में पानी आ गया और वह नापाक कर अपने बेटे के लंड को पकड़ ली उसके मोटे सुपाडे को अपने होठों पर रगड़ते हुए उसे धीरे से अपनी लाल-लाल होठों के बीच भर ली और से चूसना शुरू कर दी संजू पूरी तरह से मदहोश हो गया अपनी मां की ईस हरकत पर उसके बदन में सुरसुरी से दौड़ गई वह गहरी सांस लेते हुए अपना हाथ अपनी मां के सर पर रख दिया और धीरे-धीरे अपनी कमर को आगे पीछे करके हिलना शुरू कर दिया आराधना पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी,,,,, आराधना भी अपने बेटे के लंड को मुंह में नहीं बल्कि अपनी चूत में लेना चाहती थी लेकिन मजबूर थी पीरियड इसलिए वह भी मुंह में लेकर ही आनंद ले रही थी,,,,।
मोहिनी यह सब देखकर उत्तेजित हुए जा रही थी लेकिन वह वहीं बैठकर सब्जी काट रही थी और इस मदहोशी भरे नजारे का मजा लूट रही थी,,,, संजू पूरी तरह से उत्तेजना के शिखर पर विराजमान हो गया था और वह अपने दोनों हाथों से अपनी मां का सर पड़कर अपनी कमर को जोर-जोर से हिलता हुआ अपनी मां के लाल लाल होठों के बीच अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए उसके मुंह को ही चोद रहा था,,, और फिर देखते ही देखते यह कहे कि उसके बदन में अकड़न बढ़ने लगी और वह भर भरा कर अपनी मां के मुंह में ही झडना शुरू कर दिया और तब तक बाहर नहीं निकाला जब तक की उसके लंड से आखरी बूंद तक बाहर ना निकल गया,,,।