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संजू ने बड़ी चालाकी से मां बेटी दोनों को एक ही बिस्तर पर चोदने का प्लान सफल बना दिया था,,, जैसा कि खुद साधना ने गांव जाते समय खंडहर में संजू की मां को इस खेल में मिलने के लिए चला चली थी ठीक वैसा ही संजू भी उसी चालाकी को दोहराते हुए मां बेटी दोनों के साथ जवानी का खेल खेल चुका था,,,, संजू ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह बड़े आसानी से मां बेटी दोनों को एक साथ चोदने के लिए मना लेगा,,, लेकिन कहते हैं ना जहां चाह होती है वहीं राह भी होती है,,, और इस कहावत को पूरी तरह से हकीकत में बदल दिया था संजू ने,,,
Sanju or uski ma
मां की बड़ी-बड़ी गांड और मोटी फुली हुई चूत के साथ-साथ बेटी की सुडौल गांड और चिकनी चूत का मजा एक साथ लेते हुए संजू अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझ रहा था,,, और इस मामले में वाकई में संजू बेहद खुश नसीब था जहां इस उम्र में लड़कों को एक लड़की बड़ी मुश्किल से छोड़ने के लिए मिलती थी वही संजू के नसीब में घर में ही सारा इंतजाम हो चुका था अपने घर में अपनी सगी मां के साथ-साथ अपनी छोटी बहन की चुदाई करके वह अपनी जवानी की गर्मी शांत करता था वही अपनी मौसी और अपनी मौसी की लड़की की चुदाई भी अब वह करना शुरू कर दिया था साथ ही,,, मनीषा की सहेली और गांव में जाकर तो वह अपनी तीनों मामियों और बड़ी मामी की लड़की के साथ जो शरीर सुख प्राप्त किया था उसे देखते हुए वाकई में संजू दुनिया का सबसे खुशनसीब लड़का था,,,।
संजू तो मां बेटी दोनों को एक साथ तृप्ति करके चला गया था और दोनों को एक दूसरे के सामने पूरी तरह से बेशर्म भी बना दिया था और वैसे भी चुदाई का सुख प्राप्त करने के लिए औरत किसी भी हद तक कर गुजरने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है जिसका उदाहरण दोनों मां बेटी थे दोनों एक दूसरे के सामने अपने सारे वस्त्र उतार कर नंगी हो चुके थे और एक जवान लड़के के लंड से खेलने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुके थे,,,, संजू तो दोनों की चुदाई करके चला गया था लेकिन दोनों मां बेटी बिस्तर पर बैठी हुई थी संपूर्ण नग्न अवस्था में दोनों एक दूसरे से नजर तक मिलने से कतरा रही थी,,,,
Sanju apni ma k sath
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बात की शुरुआत कैसे की जाए दोनों मां बेटी को समझ में नहीं आ रहा था लेकिन दोनों अच्छी तरह से समझ रहे थे जो होना था हो गया था और जो कुछ हुआ था उसमें ही दोनों की भलाई भी थी और जीवन का सुख भी छुपा हुआ था,,,, कमरे की खामोशी को साधना तोड़ते हुए बोली,,,।
देख मनीषा में ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि यह सब हो लेकिन जो कुछ भी हुआ इसमें हम दोनों की गलती नहीं है शायद कुदरत को यही मंजूर था वरना आज तक में यह सब के बारे में कभी सोची भी नहीं थी,,,
तुम सच कह रही हो मम्मी,,,(अपनी मम्मी से नजर मिलाई बिना ही वहां बिस्तर पर नंगी बैठे हुए नजर नीचे झुका कर बोली,,,) इसमें हम दोनों का दोस्त बिल्कुल भी नहीं है इसमें हम दोनों के बदन की जरूरत का दोष है हम दोनों की ख्वाहिश और मजबूरी का दोष,, है अगर हम दोनों के बदन की जरूरत हम दोनों को इतना मजबूर ना की होती तो शायद यह सब नहीं होता लेकिन शायद यह सब होना भी जरूरी है क्योंकि किसी भी हद तक जरूर को अपने अंदर दबा कर रखना खुद का नुकसान करना ही होता है,,,।
(साधना अपनी बेटी के जवाब से मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,, इसलिए वह मनीषा की तरफ धीरे से आगे बढ़ते हुए बोली,,,)
तू इतनी समझदार हो गई है मुझे यकीन नहीं होता अब तू सच में बड़ी हो गई है,,,(इतना कहने के साथ ही साधना मनीषा की खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हथेली में लेकर उसकी आंखों में देखने लगी और मनीष भी धीरे से नजर उठा कर अपनी मां की आंखों में देखने लगी दोनों की नजरों में एक दूसरे के लिए प्यार और इज्जत साफ नजर आ रही थी और इस समय दोनों चीज अवस्था में थे दोनों के बदन में एक बार फिर से वासना अपना जोर दिखने लगी और इस वासना के चलते साधना अपने प्यासे होठों को अपनी बेटी के लाल-लाल होठों की तरफ आगे बढ़ाने लगी और देखते ही देखते दोनों के होंठ आपस में मिल गए और दोनों एक दूसरे को चुंबन करने लगे साथ में साधना कामातुर होकर अपने दोनों हाथों को अपनी बेटी की चूची पर रख कर दबाना शुरू कर दी और यही हाल मनीषा का भी था मनीषा का भी अपने हाथ को अपनी मां की पपाया जैसी चूचियों पर रख कर दबाना शुरू कर दी दोनों औरतों के अंगों से खेलना अच्छी तरह से जानते थे,,,, इसलिए एक बार फिर से दोनों बिस्तर पर लेट गए और एक दूसरे के अंगों से खेलने लगे,,,
एक बार यह सिलसिला शुरू हुआ तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था मां बेटी दोनों जब भी मौका मिलता था एक दूसरे के अंगों से खेलना शुरू कर देते थे और दोनों को मजा भी आता था और जब कभी मौका मिलता था तो संजू को घर पर बुलाकर दोनों मां बेटी एक साथ संजू से चुदाई का मजा लूटते थे संजू का भी अच्छा समय चल रहा था कोचिंग की वजह से अच्छी आमदनी भी हो रही थी,,,, आराधना अपने बेटे से पूरी तरह से संतुष्ट थी मोहिनी की बात मानते हुए तीनों रात को एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर सोते थे और तब तक तीनों को नींद नहीं आती थी जब तक तीनों चुदाई का मजा पूरी तरह से लूट नहीं लेते थे,,,,।
ArAdhna
ऐसे ही एक दिन शाम के समय,,, जब खाना बनाने के लिए आराधना सब्जी काट रही थी मोहिनी अपनी मां का हाथ बता रही थी और संजू वहीं पास में बैठकर किताब पढ़ रहा था तभी दरवाजे पर दस्तक हुई,,,।
देख तो संजू कौन है,,,?
(दरवाजे पर हो रही दस्तक और अपनी मां की बात सुनते ही संजू अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और दरवाजे की तरफ आगे बढ़ने लगा,,, और दरवाजे की कड़ी खोलकर जैसे ही वह दरवाजे पर देखा तो उसके पापा एक औरत के साथ उसके घर पर आए थे,,,)
पापा तुम,,,
बंद करिए बकवास मैं तेरा कोई पापा वापा नहीं हुंं ,(अपने पापा की बात से ही संजू समझ गया था कि वह पूरी तरह से नशे में थे,,, और उसके साथ एक तकरीबन 35 साल की एक गोरी औरत भी थी जिसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पापा दरवाजे पर ही खड़े थे,,,, सब्जी काट रही आराधना को अभी तक नहीं पता था कि दरवाजे पर कौन है इसलिए वह आवाज लगाते हुए बोली,,,)
कौन है संजू,,,?
पापा है मम्मी,,,,
तुझे कितनी बार कहूं कि मैं तेरा पापा नहीं हूं,,,,
(संजू की बात सुनकर आराधना एकदम से चौंक गई थी क्योंकि लगभग लगभग साल भर होने आया था और अशोक अब जाकर घर पर आया था,,,, वह एकदम से अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और दरवाजे की तरफ आगे बढ़ने लगी,,, तब तक अशोक घर में दाखिल हो चुका था और उसके साथ वह औरत भी घर में प्रवेश कर चुकी थी उसके हाथ में कोई कागज था,,,, अपने पति को महीनो बाद देखकर आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसा व्यवहार करें क्योंकि जिस तरह का दुख यातना हुआ दे रहा था इतने महीनो से उसके ना होने से घर में शांति थी,,, फिर भी वह अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)
आप ,,,
Aradhna
क्यों हैरानी हो रही है मुझे जिंदा देखकर तुझे तो ऐसा ही लगा होगा कि मैं दारु पी पी कर मर गया होऊंगा तेरी याद में,,,,(तब तक वहां पर मोहिनी भी आ चुकी थी और अपने पापा को देखकर उसके चेहरे पर खुशी के भाव साफ झलक रहे थे और वह एकदम से आवाज लगाते हुए बोली,,,)
पापा आप,,,,,
चुप कर मैं किसी का पापा नहीं हूं,,,
यह क्या कह रहे हैं आप यह दोनों आप ही के बच्चे हो और आप शराब पीने के बाद यह सब बकवास कर रहे हैं,,,, इतने दिनों में कभी हम लोगों की खबर लेने आए कि कैसे जी रहे हैं,,,
क्यों मेरी क्या जरूरत है तुझे तुझे तो एक जवान पति मिल गया है,,,(संजू की तरफ नजर ऊपर से नीचे करते हुए बोला)
अरे कुछ तो शर्म करो एक गैर पराई औरत के सामने इस तरह की गंदी बातें कर रहे हो,,,
ये ,,,, यह पराई औरत नहीं है,,,,(उसके गाल पर चुंबन करते हुए) बल्कि सही मायने में यही मेरी बीवी है,,,
(इतना सुनते ही आराधना के हाथों में कटी हुई सब्जी की थाली थी जो की एकदम से नीचे गिर गई,,,, और वह आश्चर्य से अशोक की तरफ देखने लगी,,,, संजू भी आश्चर्य से बोला,,,)
यह क्या कह रहे हो पापा,,,
मैं सही कह रहा हूं,,,, हम दोनों 5 साल से एक दूसरे के साथ संबंध में है मैं इस प्यार करता हूं और यह मुझसे प्यार करती है और हम दोनों जल्द ही शादी करने वाले हैं,,,,
क्या,,,(आराधना एकदम से टूटते हुए बोली,,,)
और हां,,,,(अशोक जिसके साथ आया था वह औरत मुस्कुराते हुए बोली) यह लो तलाक के कागजात इस पर अपने हस्ताक्षर कर दो वैसे भी तुम दोनों के बीच किसी भी प्रकार का रिश्ता नहीं है ना तुम इसे प्यार करती हो ना ही यह तुमसे प्यार करता है तो साथ में खाली एक रिश्ता निभाने का कोई मतलब नहीं होता इसलिए हस्ताक्षर करके तू भी आजाद हो जाओ तुम अपनी जिंदगी में खुश रहो और इसे अपनी जिंदगी में खुश रहने दो,,,,
नहीं यह नहीं हो सकता,,,, मैं कभी हस्ताक्षर नहीं करूंगी,,,,
कैसे नहीं करेगी,,,, और वैसे भी तुझे अब मेरी जरूरत ही कहां है तेरा बेटा बड़ा हो गया है जवान हो गया है तेरा बिस्तर गर्म कर देता है और तुझे क्या चाहिए,,,,।
(मोहिनी अपने पापा की बात सुनकर हैरान थी क्योंकि अभी तक मोहिनी को इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं था कि उसके पापा यह बात जानते हैं कि संजू और उसकी मां के बीच अनैतिक रिश्ता है लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, लेकिन पराई औरत के सामने अपने पापा को इस तरह की बात करते हुए संजू एकदम गुस्से में जोर से चिल्लाया)
बंद करो यह बकवास,,,
बकवास नहीं है हकीकत है अगर मैं किसी और के मुंह से सुना होता तो शायद मैं यकीन नहीं करता लेकिन तूने तो उसे दिन मुझे पूरी पिक्चर ही दिखा दिया था,,,,
भगवान के लिए चुप हो जाओ मुझ पर रहम करो,,,(आराधना एकदम से हाथ जोड़ते हुए अशोक से बोली)
देखो आराधना हम तुम्हें या तुम्हारे परिवार को परेशान करने या दुख देने के लिए नहीं आए हैं लेकिन हम यही चाहते हैं कि तुम पहले के रिश्ते को एकदम खत्म कर दो इस पर अपने हस्ताक्षर कर दो कानूनी तौर पर तुम भी आजाद हो जाओगी और अशोक भी,,,, मैं यह काम जाट को यहीं रख कर जा रही हूं तुम्हारे पास 5 दिन का समय है तुम सही फैसला ले सकती हो और आगे तुम्हारी मर्जी क्योंकि देखो जबरदस्ती का रिश्ता निभाने से अच्छा है कि खत्म हो जाए तो ही सही है मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम अशोक के साथ खुश नहीं हो और नहीं अशोक तुम्हारे साथ खुश है इसीलिए फैसला तुम्हारे हाथों में,,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अशोक और औरत वहां से चले गए आराधना वही दीवाल के सहारे बैठ गई और रोने लगी)
Sanju or uski ma
मां की बड़ी-बड़ी गांड और मोटी फुली हुई चूत के साथ-साथ बेटी की सुडौल गांड और चिकनी चूत का मजा एक साथ लेते हुए संजू अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझ रहा था,,, और इस मामले में वाकई में संजू बेहद खुश नसीब था जहां इस उम्र में लड़कों को एक लड़की बड़ी मुश्किल से छोड़ने के लिए मिलती थी वही संजू के नसीब में घर में ही सारा इंतजाम हो चुका था अपने घर में अपनी सगी मां के साथ-साथ अपनी छोटी बहन की चुदाई करके वह अपनी जवानी की गर्मी शांत करता था वही अपनी मौसी और अपनी मौसी की लड़की की चुदाई भी अब वह करना शुरू कर दिया था साथ ही,,, मनीषा की सहेली और गांव में जाकर तो वह अपनी तीनों मामियों और बड़ी मामी की लड़की के साथ जो शरीर सुख प्राप्त किया था उसे देखते हुए वाकई में संजू दुनिया का सबसे खुशनसीब लड़का था,,,।
संजू तो मां बेटी दोनों को एक साथ तृप्ति करके चला गया था और दोनों को एक दूसरे के सामने पूरी तरह से बेशर्म भी बना दिया था और वैसे भी चुदाई का सुख प्राप्त करने के लिए औरत किसी भी हद तक कर गुजरने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है जिसका उदाहरण दोनों मां बेटी थे दोनों एक दूसरे के सामने अपने सारे वस्त्र उतार कर नंगी हो चुके थे और एक जवान लड़के के लंड से खेलने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुके थे,,,, संजू तो दोनों की चुदाई करके चला गया था लेकिन दोनों मां बेटी बिस्तर पर बैठी हुई थी संपूर्ण नग्न अवस्था में दोनों एक दूसरे से नजर तक मिलने से कतरा रही थी,,,,
Sanju apni ma k sath
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बात की शुरुआत कैसे की जाए दोनों मां बेटी को समझ में नहीं आ रहा था लेकिन दोनों अच्छी तरह से समझ रहे थे जो होना था हो गया था और जो कुछ हुआ था उसमें ही दोनों की भलाई भी थी और जीवन का सुख भी छुपा हुआ था,,,, कमरे की खामोशी को साधना तोड़ते हुए बोली,,,।
देख मनीषा में ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि यह सब हो लेकिन जो कुछ भी हुआ इसमें हम दोनों की गलती नहीं है शायद कुदरत को यही मंजूर था वरना आज तक में यह सब के बारे में कभी सोची भी नहीं थी,,,
तुम सच कह रही हो मम्मी,,,(अपनी मम्मी से नजर मिलाई बिना ही वहां बिस्तर पर नंगी बैठे हुए नजर नीचे झुका कर बोली,,,) इसमें हम दोनों का दोस्त बिल्कुल भी नहीं है इसमें हम दोनों के बदन की जरूरत का दोष है हम दोनों की ख्वाहिश और मजबूरी का दोष,, है अगर हम दोनों के बदन की जरूरत हम दोनों को इतना मजबूर ना की होती तो शायद यह सब नहीं होता लेकिन शायद यह सब होना भी जरूरी है क्योंकि किसी भी हद तक जरूर को अपने अंदर दबा कर रखना खुद का नुकसान करना ही होता है,,,।
(साधना अपनी बेटी के जवाब से मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,, इसलिए वह मनीषा की तरफ धीरे से आगे बढ़ते हुए बोली,,,)
तू इतनी समझदार हो गई है मुझे यकीन नहीं होता अब तू सच में बड़ी हो गई है,,,(इतना कहने के साथ ही साधना मनीषा की खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हथेली में लेकर उसकी आंखों में देखने लगी और मनीष भी धीरे से नजर उठा कर अपनी मां की आंखों में देखने लगी दोनों की नजरों में एक दूसरे के लिए प्यार और इज्जत साफ नजर आ रही थी और इस समय दोनों चीज अवस्था में थे दोनों के बदन में एक बार फिर से वासना अपना जोर दिखने लगी और इस वासना के चलते साधना अपने प्यासे होठों को अपनी बेटी के लाल-लाल होठों की तरफ आगे बढ़ाने लगी और देखते ही देखते दोनों के होंठ आपस में मिल गए और दोनों एक दूसरे को चुंबन करने लगे साथ में साधना कामातुर होकर अपने दोनों हाथों को अपनी बेटी की चूची पर रख कर दबाना शुरू कर दी और यही हाल मनीषा का भी था मनीषा का भी अपने हाथ को अपनी मां की पपाया जैसी चूचियों पर रख कर दबाना शुरू कर दी दोनों औरतों के अंगों से खेलना अच्छी तरह से जानते थे,,,, इसलिए एक बार फिर से दोनों बिस्तर पर लेट गए और एक दूसरे के अंगों से खेलने लगे,,,
एक बार यह सिलसिला शुरू हुआ तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था मां बेटी दोनों जब भी मौका मिलता था एक दूसरे के अंगों से खेलना शुरू कर देते थे और दोनों को मजा भी आता था और जब कभी मौका मिलता था तो संजू को घर पर बुलाकर दोनों मां बेटी एक साथ संजू से चुदाई का मजा लूटते थे संजू का भी अच्छा समय चल रहा था कोचिंग की वजह से अच्छी आमदनी भी हो रही थी,,,, आराधना अपने बेटे से पूरी तरह से संतुष्ट थी मोहिनी की बात मानते हुए तीनों रात को एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर सोते थे और तब तक तीनों को नींद नहीं आती थी जब तक तीनों चुदाई का मजा पूरी तरह से लूट नहीं लेते थे,,,,।
ArAdhna
ऐसे ही एक दिन शाम के समय,,, जब खाना बनाने के लिए आराधना सब्जी काट रही थी मोहिनी अपनी मां का हाथ बता रही थी और संजू वहीं पास में बैठकर किताब पढ़ रहा था तभी दरवाजे पर दस्तक हुई,,,।
देख तो संजू कौन है,,,?
(दरवाजे पर हो रही दस्तक और अपनी मां की बात सुनते ही संजू अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और दरवाजे की तरफ आगे बढ़ने लगा,,, और दरवाजे की कड़ी खोलकर जैसे ही वह दरवाजे पर देखा तो उसके पापा एक औरत के साथ उसके घर पर आए थे,,,)
पापा तुम,,,
बंद करिए बकवास मैं तेरा कोई पापा वापा नहीं हुंं ,(अपने पापा की बात से ही संजू समझ गया था कि वह पूरी तरह से नशे में थे,,, और उसके साथ एक तकरीबन 35 साल की एक गोरी औरत भी थी जिसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पापा दरवाजे पर ही खड़े थे,,,, सब्जी काट रही आराधना को अभी तक नहीं पता था कि दरवाजे पर कौन है इसलिए वह आवाज लगाते हुए बोली,,,)
कौन है संजू,,,?
पापा है मम्मी,,,,
तुझे कितनी बार कहूं कि मैं तेरा पापा नहीं हूं,,,,
(संजू की बात सुनकर आराधना एकदम से चौंक गई थी क्योंकि लगभग लगभग साल भर होने आया था और अशोक अब जाकर घर पर आया था,,,, वह एकदम से अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और दरवाजे की तरफ आगे बढ़ने लगी,,, तब तक अशोक घर में दाखिल हो चुका था और उसके साथ वह औरत भी घर में प्रवेश कर चुकी थी उसके हाथ में कोई कागज था,,,, अपने पति को महीनो बाद देखकर आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसा व्यवहार करें क्योंकि जिस तरह का दुख यातना हुआ दे रहा था इतने महीनो से उसके ना होने से घर में शांति थी,,, फिर भी वह अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)
आप ,,,
Aradhna
क्यों हैरानी हो रही है मुझे जिंदा देखकर तुझे तो ऐसा ही लगा होगा कि मैं दारु पी पी कर मर गया होऊंगा तेरी याद में,,,,(तब तक वहां पर मोहिनी भी आ चुकी थी और अपने पापा को देखकर उसके चेहरे पर खुशी के भाव साफ झलक रहे थे और वह एकदम से आवाज लगाते हुए बोली,,,)
पापा आप,,,,,
चुप कर मैं किसी का पापा नहीं हूं,,,
यह क्या कह रहे हैं आप यह दोनों आप ही के बच्चे हो और आप शराब पीने के बाद यह सब बकवास कर रहे हैं,,,, इतने दिनों में कभी हम लोगों की खबर लेने आए कि कैसे जी रहे हैं,,,
क्यों मेरी क्या जरूरत है तुझे तुझे तो एक जवान पति मिल गया है,,,(संजू की तरफ नजर ऊपर से नीचे करते हुए बोला)
अरे कुछ तो शर्म करो एक गैर पराई औरत के सामने इस तरह की गंदी बातें कर रहे हो,,,
ये ,,,, यह पराई औरत नहीं है,,,,(उसके गाल पर चुंबन करते हुए) बल्कि सही मायने में यही मेरी बीवी है,,,
(इतना सुनते ही आराधना के हाथों में कटी हुई सब्जी की थाली थी जो की एकदम से नीचे गिर गई,,,, और वह आश्चर्य से अशोक की तरफ देखने लगी,,,, संजू भी आश्चर्य से बोला,,,)
यह क्या कह रहे हो पापा,,,
मैं सही कह रहा हूं,,,, हम दोनों 5 साल से एक दूसरे के साथ संबंध में है मैं इस प्यार करता हूं और यह मुझसे प्यार करती है और हम दोनों जल्द ही शादी करने वाले हैं,,,,
क्या,,,(आराधना एकदम से टूटते हुए बोली,,,)
और हां,,,,(अशोक जिसके साथ आया था वह औरत मुस्कुराते हुए बोली) यह लो तलाक के कागजात इस पर अपने हस्ताक्षर कर दो वैसे भी तुम दोनों के बीच किसी भी प्रकार का रिश्ता नहीं है ना तुम इसे प्यार करती हो ना ही यह तुमसे प्यार करता है तो साथ में खाली एक रिश्ता निभाने का कोई मतलब नहीं होता इसलिए हस्ताक्षर करके तू भी आजाद हो जाओ तुम अपनी जिंदगी में खुश रहो और इसे अपनी जिंदगी में खुश रहने दो,,,,
नहीं यह नहीं हो सकता,,,, मैं कभी हस्ताक्षर नहीं करूंगी,,,,
कैसे नहीं करेगी,,,, और वैसे भी तुझे अब मेरी जरूरत ही कहां है तेरा बेटा बड़ा हो गया है जवान हो गया है तेरा बिस्तर गर्म कर देता है और तुझे क्या चाहिए,,,,।
(मोहिनी अपने पापा की बात सुनकर हैरान थी क्योंकि अभी तक मोहिनी को इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं था कि उसके पापा यह बात जानते हैं कि संजू और उसकी मां के बीच अनैतिक रिश्ता है लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, लेकिन पराई औरत के सामने अपने पापा को इस तरह की बात करते हुए संजू एकदम गुस्से में जोर से चिल्लाया)
बंद करो यह बकवास,,,
बकवास नहीं है हकीकत है अगर मैं किसी और के मुंह से सुना होता तो शायद मैं यकीन नहीं करता लेकिन तूने तो उसे दिन मुझे पूरी पिक्चर ही दिखा दिया था,,,,
भगवान के लिए चुप हो जाओ मुझ पर रहम करो,,,(आराधना एकदम से हाथ जोड़ते हुए अशोक से बोली)
देखो आराधना हम तुम्हें या तुम्हारे परिवार को परेशान करने या दुख देने के लिए नहीं आए हैं लेकिन हम यही चाहते हैं कि तुम पहले के रिश्ते को एकदम खत्म कर दो इस पर अपने हस्ताक्षर कर दो कानूनी तौर पर तुम भी आजाद हो जाओगी और अशोक भी,,,, मैं यह काम जाट को यहीं रख कर जा रही हूं तुम्हारे पास 5 दिन का समय है तुम सही फैसला ले सकती हो और आगे तुम्हारी मर्जी क्योंकि देखो जबरदस्ती का रिश्ता निभाने से अच्छा है कि खत्म हो जाए तो ही सही है मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम अशोक के साथ खुश नहीं हो और नहीं अशोक तुम्हारे साथ खुश है इसीलिए फैसला तुम्हारे हाथों में,,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अशोक और औरत वहां से चले गए आराधना वही दीवाल के सहारे बैठ गई और रोने लगी)
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