आराधना कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके जीवन में ऐसा फल आएगा उसके पति से दूर रहने का उसका फैसला हालत को देखते हुए बिल्कुल ठीक था और वह सब कुछ अच्छे से संभाल कर जीवन में आगे बढ़ रही थी लेकिन उसे इस बात का अभास तक नहीं था कि इस तरह से आगे से चलकर,,, उसका पति उससे से तलाक मांगेगा,,,, अशोक का यह फैसला आराधना के लिए वाकई में सर पर पहाड़ टूटने जैसा था,,, अब ऐसे हालात से कैसे निकाला जाए उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसके दोनों बच्चे संजू और मोहिनी भी हैरान थे,,,,,, मोहिनी तो इस बात से भी हैरान थी कि उसके पापा संजू और उसकी मां पर गलत संबंध का आरोप लगा रहे थे जोकि मोहिनी की नजर में यह सही भी था वह जानती थी अपनी मां और अपने बड़े भाई के बीच के संबंध को लेकिन उसके पापा इस तरह के इल्जाम को क्यों लगा रहे है उसे समझ में नहीं आ रहा था,,, और यही वह जानना भी चाहती थी,,,।
Sadhna or sanju kuch is tarah se
आराधना बदहवास होकर दीवाल से सटकर बैठी हुई थी और रोए जा रही थी उसके बगल में संजू बैठा हुआ था उसके ठीक सामने मोहिनी खड़ी थी जो की धीरे से चलकर अपनी मां के पास आई और वह भी एक तरफ होकर बैठ गई और बोली,,,।
मम्मी मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि पापा तुम पर और भाई पर इस तरह का इल्ज़ाम लगा रहे हैं उन्हें कैसे मालूम,,,,
(मोहिनी का यह सवाल सुनकर आराधना उसकी तरफ आश्चर्य से देखने लगी संजू की मोहिनी की तरफ देखने लगा संजू और आराधना इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि मां बेटे के बीच अवैध संबंध के बारे में मोहिनी अच्छी तरह से जानती है लेकिन मोहिनी के नजर में,,, उसके पापा को इस बात के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं है कुछ देर की खामोशी कमरे में छा जाने के बाद मोहिनी फिर से अपने सवाल को दोहराने लगी,,,)
बताओ मम्मी पापा ऐसा क्यों कहते हैं,,,? क्या उन्हें तुम दोनों के ऊपर शक है,,,
मैं क्या बोलूं,,, इस सवाल का जवाब तेरा भाई ही दे सकता है,,,(रोते हुए आराधना बोली तो संजू मोहिनी की तरफ देखने लगा मोहिनी सवालिया नजरों से समझो की तरफ देख रही थी वैसे भी छुपाने लायक कुछ भी नहीं था इसलिए संजू बोला)
Sanju or uski mausi
देख मोहिनी हम मां बेटे के बीच में जब इस तरह का गलत संबंध नहीं था फिर भी पापा मुझ पर इल्जाम लगाते थे मम्मी पर इल्जाम लगाते थे पहले बुरा कहते थे उन्हें मारते पीटते थे और वो भी इस बात के लिए कि मैं मम्मी की चुदाई करता हूं और मम्मी मुझसे चुदवाती है इसीलिए पापा का साथ नहीं देती,,, और यह एक दिन का नहीं था रोज का हो गया था रोज यही बात को लेकर पापा मम्मी की रोज पिटाई करते थे और मैं बीच बचाव करता था और इसीलिए पापा को ऐसा ही लगता था कि मेरे और मम्मी के बीच कुछ चल रहा है जबकि उसे समय कुछ भी नहीं चलता था,,,
क्या कह रहे हो भाई,,,
मैं सच कह रहा हूं लेकिन मैं तुम्हें सच बताता हूं पापा जिस तरह का इल्जाम मुझ पर लगाते थे और मम्मी पर लगाते थे मैं ना चाह कर भी उस बारे में सोचने लगता था और जब कभी भी मैं अपने मन में कल्पना करता था मम्मी की चुदाई के लिए,,,,,, मुझे अजीब सा होने लगता था तुरंत ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मैं कल्पना में ही मम्मी की चुदाई करने लगता था और उसे समय मुझे इतना अच्छा लगता था कि पूछो मत वैसे तो मुझे यह सब नहीं बोलना चाहिए लेकिन हम तीनों के बीच इस तरह का रिश्ता है और इस रिश्ते को देखते हुए हम तीनों के बीच किसी भी प्रकार का पर्दा नहीं होना चाहिए इसलिए मैं सब कुछ बता दे रहा हूं और उसे समय मेरी हालत जो होती थी सच में मुझे मम्मी को छोड़ने का मन करता था क्योंकि मैं मम्मी को बचाते समय उनके अस्त व्यस्त कपड़ों को देख चुका था ,,, और बहुत बार में मम्मी को अर्धनग्न अवस्था में देख चुका हूं उनकी चूचियों को देख चुका हूं,,, और उन्हें बचाते समय मेरा हाथ अनजाने में ही उनकी चूचियों पर भी पड़ चुका है इसलिए ना चाहते हुए भी मेरे दिमाग में अजीब सी उलझन बनी रहती थी,,,, और ऐसे ही एक दिन दोपहर के समय पापा शराब पीकर घर आए थे और हम दोनों को भला बुरा कह रहे थे तुम उस समय घर पर नहीं थी,,, पापा फिर से हम दोनों के बीच गलत संबंध को लेकर जोर-जोर से चिल्ला रहे थे मुझे रहा नहीं क्या और मैं पापा को जोर से धक्का देकर गिरा दिया और वाकई में पापा के सामने ही मैं मम्मी की साड़ी को कमर तक उठाकर पापा के सामने ही मम्मी की चूत में लंड डालकर चोदना शुरू कर दिया यह सब देखकर पापा एकदम हैरान रह गए,,,
Sanju or sadhna
बाप रे क्या कह रहे हो संजू,,,(एकदम से हैरान होते हुए) और वह भी पापा की आंखों के सामने,,,,
तो क्या करता मोहिनी पापा रोज-रोज न करने के बावजूद भी गलत इल्जाम लगाते थे तो मैं सही में पापा की आंखों के सामने ही कर डाला,,,,
मम्मी ने तुम्हें रोकी नहीं,,,(अपनी मम्मी की तरफ देखते हुए)
मैं क्यों रोकती भला,,, जब किसी गलती को न करने के बावजूद भी कोई इस गलती के लिए दोषी ठहराए तो सच पूछो तो इंसान को वह गलती कर ही देना चाहिए ताकि मन में कोई मलाल ना रह जाए और उसे में मुझे भी बहुत मजा आया था एक तरह से मैं तेरे पापा से बदला ले रही थी,,,,
चलो कोई बात नहीं लेकिन अब इस मुसीबत से कैसे निपटा जाए,,,,
वही तो मै भी सोच रही हूं मैं तो कभी सोच ही नहीं थी कि तेरे पापा डिवोर्स लेने तक आ जाएंगे,,,,
एक तरह से मम्मी अच्छा ही होगा जिंदगी भर का जंजाल तो छुट जाएगा वैसे भी हम तीनों अपनी जिंदगी में कितने खुश हैं जब तक पापा घर से बाहर थे तब तक कितने सुकून से जी रहे थे किसी बात का टेंशन नहीं था लेकिन आज देखो पापा के आते ही फिर से टेंशन हो गया ना इसलिए कहता हूं,,, पापा को डाइवोर्स देकर जिंदगी भर का छुटकारा ले लो,,,, मैं तो हूं ही घर को संभालने के लिए और घर के साथ-साथ में तुम दोनों को भी संभाल सकता हूं यह तो तुम दोनों देखते ही आ रहे हो,,,,
लेकिन आज तक मेरे खानदान में किसी ने तलाक नहीं लिया है बदनामी हो जाएगी,,,
और आज तक हम लोगों की तरह कोई परेशान भी तो नहीं हुआ है देख नहीं रही हो पापा किसी गैर औरत के साथ कितना खुश हैं बेशर्म हो चुके हैं वरना इस तरह से गैर औरत को घर पर ना लाते और वह भी कितनी बेशर्मी के साथ डिवोर्स मांग रही थी देखी नहीं,,, पापा को अगर एक मौका और दे दोगी तो भी वह सुधरने वाले नहीं है,,,,
मैं जानती हूं वह सुधरने वाले नहीं है लेकिन,,,
लेकिन वेकिन कुछ नहीं मम्मी भाई सच कह रहा है हम तीनों अपनी जिंदगी में कितना खुश है तुम नौकरी करने लगी हो तुम्हारे चेहरे पर कितनी रौनक आ गई है वरना जब तक पापा घर पर थे तब तक तुम्हारे चेहरे पर भी 12:00 बजे रहते थे,,, एक तरह से तुम्हारी जवानी वापस लौट आई है,,,,
मैं भी चाहती हूं तेरे पापा से तलाक लेना मैं भी उसे जैसे कमीने के साथ नहीं रहना चाहती जो रोज बिस्तर पर औरतें बदलता हो,,,, लेकिन फिर भी मुझे दीदी से बात करना होगा,,,,
ठीक है हम कल ही मौसी के साथ बैठकर बात कर लेते हैं,,,,।
(संजू और मोहिनी के साथ-साथ आराधना भी अपने पति के साथ तलाक लेना चाहती थी क्योंकि वह अपनी जिंदगी में खुश थी अपने बच्चों के साथ खुश थी और जो खुशी उसका पति बिस्तर पर नहीं दे सकता था वह सुख उसका बेटा रोज उसे देता था इसलिए उसे अब अशोक की जरूरत भी नहीं थी,,, थोड़ी देर बैठे रहने के बाद वापस आराधना खाना बनाने लगी,,, मोहिनी भी काम में हाथ बंटाने लगी,,, लेकिन बार-बार उसकी आंखों के सामने अपने भाई के द्वारा बताई गई बात याद आ जाती थी वह नजारा याद आ जाता था जिसे उसने खुद अपनी आंखों से अच्छी नहीं थी लेकिन कल्पना करके मस्त हुए जा रही थी वह यह सोच रही थी कि कैसा लग रहा होगा जब एक पति के सामने उसका ही बेटा अपनी मां की चुदाई करें और वह भी सिर्फ अपने पापा को जलाने के लिए अपने पापा को दिखाने के लिए की अब उसकी जरूरत नहीं है और एक पत्नी भी अपने ही पति के सामने अपने बेटे के साथ चुदवा कर एकदम मस्त हो जाए,,, और यह जाता है कि अब उसकी जिंदगी में उसका कोई काम नहीं है जो सुख उसे देना चाहिए अब उसका जवान बेटा उसे भरपूर मात्रा में दे रहा है,,,। ऊफफ,,, इस नजारे के बारे में सोचकर ही वह गना गना जा रही थी,,,, और मन ही मन मुस्कुरा रही थी उसे मुस्कुराता हुआ देखकर आराधना बोली,,,)
पागल हो गई है क्या अपने आप में ही क्या मुस्कुरा रही है,,,
कुछ नहीं मम्मी मैं सोच रही हूं,,,
क्या सोच रही है,,,
यही कि वह नजारा क्या होगा जब पापा की आंखों के सामने भाई तुम्हारी साड़ी कमर तक उठाकर तुम्हारी बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों से फैला कर अपने लंड को तुम्हारी चूत में डालकर चुदाई कर रहा होगा,,,
अब तू भी शुरू पड़ गई,,,
शुरू नहीं पड़ गई लेकिन तुम दोनों ने मुझे कभी बताया ही नहीं,,,
यह भी बताने वाली चीज है,,,,
तो क्या हम तीनों के बीच किसी भी प्रकार का पर्दा नहीं रहना चाहिए,,,
अच्छा तो मैं तुझे बताऊं कि आज तेरे पापा आए थे और तेरा भाई तेरे पापा की आंखों के सामने मेरी साड़ी कमर तक उठाकर मुझे चोद रहा था और मुझे मजा आ रहा था,,,
तो क्या,,,(ऐसा कहते हुए मोहिनी हंसने लगे और थोड़ी देर में खाना बनाकर तैयार हो गया तीनों खाना खाकर एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर सो गए,,,,
दूसरे दिन सुबह उठने पर आराधना थोड़ी उलझन में थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी बड़ी दीदी से कैसे बात करें वैसे तो उसकी बड़ी दीदी को उसके पति के बारे में सब कुछ मालूम था लेकिन फिर भी तलाक वाली बात पर उसे थोड़ा अजीब लग रहा था,,,, लेकिन फिर भी बात तो करना ही था,,,, इसलिए आराधना अपनी बड़ी दीदी को फोन करके अपने घर पर बुला ली थी और थोड़ी ही देर में साधना भी उसके घर पर पहुंच चुकी थी लेकिन साधना को मालूम नहीं था कि किस बारे में आराधना उसे घर पर तात्कालिक बुलाई है,,,, घर पर पहुंचते ही वह आराधना से बोली,,,)
ऐसा क्या हो गया कि तू इतनी जल्दबाजी में मुझे घर पर बुला ली,,,,(घर पर मोहिनी को भी देखकर साधना इस तरह का सवाल की थी अगर मोहिनी घर पर ना होती तो वह समझ जाती की आराधना उसे चुदवाने के लिए घर पर बुलाई है वैसे तो जब आराधना का फोन आया था घर पर आने के लिए तो साधना को ऐसा ही लगा था इसलिए वह बाथरूम में जाकर अपनी चूत पर एक खूबसूरत हल्की खुशबू वाला सेंट मार ली थी और लिपस्टिक लगाकर अपनी लाल-लाल होठों को और भी ज्यादा गहरा लाल कर ली थी,,,, और तो और वह जानबूझकर पेटी भी नहीं पहनी थी साड़ी के अंदर वह पूरी तरह से नंगी थी वह आराधना के फोन पर पहनी हुई पेटी भी निकाल कर रख दी थी,,, लेकिन घर पर जैसे ही वह मोहिनी को भी अच्छी तो उसका सारा नशा फूरर हो गया,,,,, साधना के घर में प्रवेश करते ही संजू ने तुरंत दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा दिया तीनों की खामोशी को देखकर साधना समझ गई कि मामला कुछ गड़बड़ है इसलिए वह फिर से बोली,,,,)
क्या हुआ तुम तीनों इतने परेशान क्यों हो,,,?
क्या बताऊं दीदी,,,(कुर्सी को अपनी बड़ी दीदी के आगे करते हुए जिसे खुद अपने हाथों से लेकर साधना उसे पर बैठ गई भारी भरकम गांड होने की वजह से कुर्सी पर बैठने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी लेकिन फिर भी वह एडजस्ट हो गई थी,,,) कल मोहिनी के पापा आए थे,,,,
तो,,,(आश्चर्य से)
एक औरत को लेकर उसकी बाहों में बाहें डालकर,,,
क्या कह रही है,,,
खामोशी पापा किसी गैर औरत को लेकर आए थे,,,(संजू बीच में बोल पड़ा,,,)
लेकिन किस लिए,,,,
डिवोर्स के कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए,,,(इतना कहते हुए आराधना रोने लगी,,,)
डायवोर्स,,,वो तुझे डिवोर्स देना चाहता है,,,
हां दीदी,,,,
लेकिन क्यों,,,?
जिस औरत को घर पर लेकर आए थे उसके साथ शादी करना चाहते हैं और वह औरत खुद उनसे शादी करना चाहती है और वह दोनों का लफड़ा 5-6 सालों से चल रहा था,,,
यह बात है,,,, वैसे भी उसे समझाने का कोई मतलब नहीं है उसके चरित्र को मैं अच्छी तरह से समझ गई हूं,,, उस औरत ने कुछ बोली,,,
उसी ने तो अपने हाथों से डाइवोर्स के कागज टी मुझे देकर गई है और 5 दिन का समय लेकर गई है,,,,
इतनी बेशर्मी,,,,
तो क्या दीदी मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्या करूं,,,,
(कुछ देर खामोश रहने के बाद साधना बोली,,,)
देखा आराधना जब तक अशोक के साथ थी तब तक तुझे कोई सुख नहीं मिला मैं तुझे देखते आ रही हूं,,, अशोक ने तुझे दुख के सिवा और कुछ नहीं दिया तेरे चेहरे पर जो अभी रंगत है ना उसके ना होने पर ही है अगर उसके साथ रहती तो अब तक तो तू बुड्ढी हो जाती,,,, वह हरामी बाहर दूसरी औरतों के साथ रंगरेलियां बनता है और तुझे परेशान करता है,,,, मेरी मान निकल जा इस जंजाल से आजाद हो जा,,,
क्या कह रही हो दीदी लोग क्या कहेंगे,,,
तू लोगों की चिंता मत कर लोगों की चिंता करेगी तो जीना दुबर हो जाएगा तू कितनी परेशान है हम कितने परेशान हैं यह तो हम ही जानते हैं बाहर वाले थोड़ी जानते हैं,,, वैसे भी वह अब तेरे कोई काम का नहीं है,,,(संजू की तरफ देखते हुए) अपने बेटे के सहारे तू आराम से जी लेगी,,,(संजू और आराधना साधना के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहे थे,,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
अच्छा यह घर किसके नाम पर है,,,,
उन्हीं के नाम पर है,,,
बस फिर क्या है अगर उसे डिवोर्स चाहिए तो उसके पहले उसे इस घर को तेरे नाम पर करना होगा और ₹100000 नगद देना होगा,,, तभी,,, डिवोर्स के कागजात पर दस्तखत करना,,,
₹100000,,,,(आराधना एकदम आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)
तो क्या अभी बच्चों की पढ़ाई भी तो करवानी है फिर शादी ब्याह कुछ तो सहारा रहेगा और वैसे भी घर अगर उसके नाम पर रहा और तूने दस्तखत कर दी तो वह घर से भी निकाल देगा इसीलिए कहती हूं डिवोर्स का कुछ तो खामियाजा उसको भी भुगतना पड़ेगा,,,
हां मौसी तुम सच कह रही हो,,,,(एकदम से खुश होता हुआ संजू बोला,,, आराधना के चेहरे पर भी थोड़ी राहत नजर आ रही थी क्योंकि वह अभी तक घर के बारे में और एक लाख रुपए नगद के बारे में कुछ सोची ही नहीं थी,,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि दीदी की बात सही अगर घर उसके नाम पर हो गया तो सर छुपाने का जगह तो रहेगा उसके बच्चों के लिए और ₹100000 नगद मिल गया तो पढ़ाई लिखाई में काम आएगा शादी ब्याह में काम आएगा,,,,)
तुम्हारी बात एकदम सही है दीदी लेकिन क्या अशोक मान जाएगा,,,
क्यों नहीं मानेगा मानना ही पड़ेगा अगर उसे दूसरी शादी करनी है तो इतना तो देना ही होगा,,,,
अच्छा हुआ दीदी तुमसे पूछ ली अगर अपने मन का करती तो शायद वह सच में हमें घर से भी निकाल देता और हमारे हाथ भी कुछ नहीं लगता,,,,
और आराधना तु बिल्कुल भी टेंशन मत लेना एक बार देखना इस जंजाल से निकल जाएगी तो एकदम सुखी हो जाएगी संजू भी बड़ा हो गया है कमाने लगा है ,,,
तभी तो कोई चिंता नहीं है दीदी,,,,
(साधना अपनी बातों से आराधना को समझा दी थी और आराधना को भी अपनी बहन की बात सुनकर थोड़ा राहत मिल रही थी थोड़ी देर बाद साधना आराधना की तरफ देखकर इशारा करके मोहिनी को कहीं और भेजने के लिए बोल रही थी आराधना भी साधना के सारे को समझ गई थी लेकिन कहां भेजे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, मोहिनी दोनों बहनों के इशारे को समझ नहीं पा रही थी वह केवल बैठी हुई थी संजू भी अपनी मौसी के इशारे को समझ गया था तभी संजू बोला,,,)
अरे कब से मौसी आई है चाय तो बना दो मम्मी,,,,
अरे मम्मी क्यों मैं हूं ना मैं बना देती हूं,,, दूध तो पड़ा ही है,,,,(इतना कहने के साथ ही मोहिनी अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और रसोई घर की तरफ जाने लगी तो धीरे से साधना आराधना को बोली,,,)
कोई जुगाड़ कर मुझे रहा नहीं जा रहा है तेरा जब फोन आया था मुझे यही लगा था कि तू चुदवाने के लिए मुझे बुला रही है,,,,
मैं क्या बताऊं दीदी मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है तुम ही कुछ जुगाड़ लगाओ,,,,
(थोड़ी देर सोचने के बाद वह कुर्सी पर से उठी और धीरे से रसोई घर में चली गई और थोड़ी ही देर में मोहिनी और साधना दोनों रसोई घर से बाहर आए और मोहिनी मुस्कुराते हुए घर से बाहर चली गई,,,, उसके बाहर जाते हैं साधना खुद दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दी और जल्दी-जल्दी दीवाल का सहारा लेकर आराधना की आंखों के सामने ही अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी,,, उसकी ऐसी हरकत पर उसकी बड़ी-बड़ी कहानी एकदम नंगी नजर आने लगी जिसे देखकर आराधना बोली,,,)
दीदी तुम तो चड्डी नहीं पहनी हो,,,
पहले पहनी थी लेकिन तेरा जब फोन आया तो मुझे ऐसा ही कुछ मामला लगा तो मैंने चड्डी उतार दी ताकि,,, जल्दी से चुदवा सकूं,,,
बाप रे दीदी तुम तो बहुत चालाक हो और बहुत उतावली भी हो,,,
क्या करूं बहुत दिन हो गया है ना इसलिए आने जा रहा है,,,तु वहां खड़े क्या कर रहा है जल्दी से आना,,,(संजू की तरफ देख कर बोली तो संजू भी जल्दी से अपनी मौसी के पास आ गया और बोला)
लेकिन मौसी मोहिनी को कहां भेज दी हो वह आ गई तो,,,
अरे भाई इतनी जल्दी नहीं आने वाली मैं उसे नुक्कड़ की दुकान पर भेजी हूं उस मेडिकल पर,,,(दीवाल पड़कर अपनी गांड को थोड़ा और उभारते हुए वह बोली,,,)
मेडिकल पर लेकिन किस लिए,,,(आराधना आश्चर्य से अपनी बड़ी बहन की तरफ देखते हुए बोली,,,)
व्हिस्पर लेने के लिए,,,,
क्या तुम्हारा महीना चल रहा है दीदी,,,
अरे बुद्धू से एक बहाने से भेजी हूं उसे आने-जाने में 15 मिनट लगेगा तब तक मेरा काम हो जाएगा और तू इस तरह से सवाल पूछ पूछ कर मेरा दिमाग मत खराब कर,,, और तू जल्दी कर अभी तक अपनी पेंट भी नहीं उतारा,,,,
Sanju or uski mausi
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क्या मौसी तुम तो एकदम रंडी हो गई हो क्या बहन बनाई हो,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू अपनी पेंट का बटन खोलकर उसे खींचकर घुटनों तक कर दिया और अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़कर अपनी मौसी की गुलाबी चूत पर उसका सुपाड़ा लगाकर हल्का सा धक्का लगाया और चूत का गीलापन पाकर संजू का लंड बड़े आराम से साधना की चूत में प्रवेश कर गया,,,, और फिर संजू अपनी मौसी की कमर पकड़ कर चोदना शुरू कर दिया अपनी मौसी की छीनारपन पर संजू कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया था वह अपनी मौसी की कमर पकड़कर उसे चोदना शुरू कर दिया था,,,,।
खुद आराधना भी अपनी बहन की बेशर्मी देखकर हैरान हो गई थी वह अपनी बहन को इस तरह से चुदवाते हुए देख कर खुद उत्तेजित हो गई थी उसकी चूत भी पानी छोड़ रही थी,,,, संजू पागलों की तरह धक्के पर धक्का लगा रहा था,,, वह अपने बदन में काफी उत्तेजना महसूस कर रहा था इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़कर खुद अपने हाथों से अपनी मौसी का ब्लाउज का बटन खोलकर उसकी नंगी चूचियों को जोर-जोर से दबाते हुए धक्के लगा रहा था,,,
साधना एकदम तृप्त हो चुकी थी हर धक्के के साथ उसके मुंह से गर्म आह निकल जा रही थी,,,, संजू अपनी मौसी को पूरी तरह से त्प्त कर देना चाहता था,,,, कुछ देर तक घोड़ी बनाकर चोदने के बाद संजू,,, संजू धीरे से अपने लंड को अपनी मौसी की चूत से बाहर निकाल लिया उसकी यह हरकत साधना को पसंद नहीं आई थी लेकिन वह कुछ कह पाती से पहले ही संजू अपनी स्थिति को बदलते हुए अपनी मौसी को कड़ी किया और उसे दीवार से सटा दिया ऐसे में उसकी मौसी का चेहरा संजू की तरफ था और संजू धीरे से उसकी दोनों टांगों को उठाकर उसे अपनी कमर पर लपेट लिया और दीवार से सटे हुए ही उसे गोद में उठाए हुए अपने लंड को एक बार फिर से उसकी गुलाबी चूत में डालकर चोदना शुरू कर दिया यह स्थिति में चोदना संजू को काफी उत्तेजना से भरपूर लग रहा था और यही हाल साधना का भी था आराधना तो अपने बेटे की ताकत को देखकर हैरान रह गई थी संजू जोर-जोर से तक के लग रहा था देखते ही देखते 15 मिनट जैसा समय हो चुका था और फिर तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी लेकिन इस बार संजू रुक नहीं और जोर-जोर से धक्के लगाता हुआ पूरा पानी निकाल लेने के बाद अपने लंड अपनी मौसी की चूत से बाहर निकाला,, ।
Sanju or uski mausi
जल्दी-जल्दी संजू अपने कपड़ों को दुरुस्त करके दरवाजे को खोलने के लिए आगे बढ़ा लेकिन तब तक इशारा करके अपनी मौसी को रसोई घर में जाने के लिए बोल दिया था,,,, मौके की नजाकत को देखते हुए साधना भी जल्दी से अपने कपड़ों को दुरुस्त कर दी वैसे भी वह पेटी तो पहनी नहीं थी बस साड़ी को नीचे गिरना था और वह जल्दी से साड़ी को नीचे गिरा दी लेकिन ब्लाउज का बटन खुला हुआ था जिसे जल्दी से वह बंद करते हुए रसोई घर में चली गई,,,,।
संजू जैसे ही दरवाजा खोला तो मोहिनी थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,।
इतनी देर लगती है दरवाजा खोलने में,,,
बाथरूम में था,,,
और मौसी,,,,
मम्मी और मौसी दोनों रसोई घर में है वैसे तु लेने क्या गई थी,,,,
कुछ नहीं मौसी का है,,,,(और इतना कहने के साथ मुस्कुराते हुए वह रसोई घर में चली गई,,,, थोड़ी ही देर में साधना रसोई घर में से बाहर निकली और केवल मोहिनी को दिखाने के लिए बाथरुम में घुस गई था कि मोहिनी को लगे कि वाकई में उसका महीना चल रहा है थोड़ी देर बाद वह बाथरूम से बाहर आई तो तीनों मिलकर चाय पीने लगे,,,, और फिर जाते-जाते साधना बोली,,,,)
तू चिंता मत कर आराधना उसे यह संदेश भिजवा देना या तो फिर वह खुद आएगा ही उसे बता देना तभी डिवोर्स होगा और मेरे पहचान का वकील भी है सब कुछ सही कर देगा,,,,
ठीक है दीदी अच्छा हुआ तुम आ गई तो हम लोगों का काम भी आसान हो गया,,,,
कोई बात नहीं जब उससे बात हो जाए तो मुझे बता देना,,,,
ठीक है दीदी,,,,
(थोड़ी देर में साधना अपने घर के लिए निकल गई,,,)