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जरुरWaiting for next update
Ek request hai-ki mohini ke last statement ke anusarsuhagraat raat waali baat pr
Ab Aaradhana ka purane pati ke sath life finish ho gyi hai,now time to move on
Sanju ghar ka mard bankar ghar ki aurat ka hath tham le aur aradhana bhi nai shuruwat kare sanju ke sath, ghar ke anadar aradhana ko sanju se pati aur putr dono ke roop sanju mile
Sanju aaradhana ke mang me sindur bharkar,managlsutra pahanakar apni bibi banakar phulo se saje bade pr sanju ke sath suhagraat manaye
Bhai please it's humble request mausi ki beti ke bare mei Sanju ki maa bahan ko pata hona chahiye Bhai please
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट हैसंजू ने बड़ी चालाकी से मां बेटी दोनों को एक ही बिस्तर पर चोदने का प्लान सफल बना दिया था,,, जैसा कि खुद साधना ने गांव जाते समय खंडहर में संजू की मां को इस खेल में मिलने के लिए चला चली थी ठीक वैसा ही संजू भी उसी चालाकी को दोहराते हुए मां बेटी दोनों के साथ जवानी का खेल खेल चुका था,,,, संजू ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह बड़े आसानी से मां बेटी दोनों को एक साथ चोदने के लिए मना लेगा,,, लेकिन कहते हैं ना जहां चाह होती है वहीं राह भी होती है,,, और इस कहावत को पूरी तरह से हकीकत में बदल दिया था संजू ने,,,
Sanju or uski ma
मां की बड़ी-बड़ी गांड और मोटी फुली हुई चूत के साथ-साथ बेटी की सुडौल गांड और चिकनी चूत का मजा एक साथ लेते हुए संजू अपने आप को दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझ रहा था,,, और इस मामले में वाकई में संजू बेहद खुश नसीब था जहां इस उम्र में लड़कों को एक लड़की बड़ी मुश्किल से छोड़ने के लिए मिलती थी वही संजू के नसीब में घर में ही सारा इंतजाम हो चुका था अपने घर में अपनी सगी मां के साथ-साथ अपनी छोटी बहन की चुदाई करके वह अपनी जवानी की गर्मी शांत करता था वही अपनी मौसी और अपनी मौसी की लड़की की चुदाई भी अब वह करना शुरू कर दिया था साथ ही,,, मनीषा की सहेली और गांव में जाकर तो वह अपनी तीनों मामियों और बड़ी मामी की लड़की के साथ जो शरीर सुख प्राप्त किया था उसे देखते हुए वाकई में संजू दुनिया का सबसे खुशनसीब लड़का था,,,।
संजू तो मां बेटी दोनों को एक साथ तृप्ति करके चला गया था और दोनों को एक दूसरे के सामने पूरी तरह से बेशर्म भी बना दिया था और वैसे भी चुदाई का सुख प्राप्त करने के लिए औरत किसी भी हद तक कर गुजरने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाती है जिसका उदाहरण दोनों मां बेटी थे दोनों एक दूसरे के सामने अपने सारे वस्त्र उतार कर नंगी हो चुके थे और एक जवान लड़के के लंड से खेलने के लिए अपने आप को पूरी तरह से तैयार कर चुके थे,,,, संजू तो दोनों की चुदाई करके चला गया था लेकिन दोनों मां बेटी बिस्तर पर बैठी हुई थी संपूर्ण नग्न अवस्था में दोनों एक दूसरे से नजर तक मिलने से कतरा रही थी,,,,
Sanju apni ma k sath
upload
बात की शुरुआत कैसे की जाए दोनों मां बेटी को समझ में नहीं आ रहा था लेकिन दोनों अच्छी तरह से समझ रहे थे जो होना था हो गया था और जो कुछ हुआ था उसमें ही दोनों की भलाई भी थी और जीवन का सुख भी छुपा हुआ था,,,, कमरे की खामोशी को साधना तोड़ते हुए बोली,,,।
देख मनीषा में ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती थी कि यह सब हो लेकिन जो कुछ भी हुआ इसमें हम दोनों की गलती नहीं है शायद कुदरत को यही मंजूर था वरना आज तक में यह सब के बारे में कभी सोची भी नहीं थी,,,
तुम सच कह रही हो मम्मी,,,(अपनी मम्मी से नजर मिलाई बिना ही वहां बिस्तर पर नंगी बैठे हुए नजर नीचे झुका कर बोली,,,) इसमें हम दोनों का दोस्त बिल्कुल भी नहीं है इसमें हम दोनों के बदन की जरूरत का दोष है हम दोनों की ख्वाहिश और मजबूरी का दोष,, है अगर हम दोनों के बदन की जरूरत हम दोनों को इतना मजबूर ना की होती तो शायद यह सब नहीं होता लेकिन शायद यह सब होना भी जरूरी है क्योंकि किसी भी हद तक जरूर को अपने अंदर दबा कर रखना खुद का नुकसान करना ही होता है,,,।
(साधना अपनी बेटी के जवाब से मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,, इसलिए वह मनीषा की तरफ धीरे से आगे बढ़ते हुए बोली,,,)
तू इतनी समझदार हो गई है मुझे यकीन नहीं होता अब तू सच में बड़ी हो गई है,,,(इतना कहने के साथ ही साधना मनीषा की खूबसूरत चेहरे को अपने दोनों हथेली में लेकर उसकी आंखों में देखने लगी और मनीष भी धीरे से नजर उठा कर अपनी मां की आंखों में देखने लगी दोनों की नजरों में एक दूसरे के लिए प्यार और इज्जत साफ नजर आ रही थी और इस समय दोनों चीज अवस्था में थे दोनों के बदन में एक बार फिर से वासना अपना जोर दिखने लगी और इस वासना के चलते साधना अपने प्यासे होठों को अपनी बेटी के लाल-लाल होठों की तरफ आगे बढ़ाने लगी और देखते ही देखते दोनों के होंठ आपस में मिल गए और दोनों एक दूसरे को चुंबन करने लगे साथ में साधना कामातुर होकर अपने दोनों हाथों को अपनी बेटी की चूची पर रख कर दबाना शुरू कर दी और यही हाल मनीषा का भी था मनीषा का भी अपने हाथ को अपनी मां की पपाया जैसी चूचियों पर रख कर दबाना शुरू कर दी दोनों औरतों के अंगों से खेलना अच्छी तरह से जानते थे,,,, इसलिए एक बार फिर से दोनों बिस्तर पर लेट गए और एक दूसरे के अंगों से खेलने लगे,,,
एक बार यह सिलसिला शुरू हुआ तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था मां बेटी दोनों जब भी मौका मिलता था एक दूसरे के अंगों से खेलना शुरू कर देते थे और दोनों को मजा भी आता था और जब कभी मौका मिलता था तो संजू को घर पर बुलाकर दोनों मां बेटी एक साथ संजू से चुदाई का मजा लूटते थे संजू का भी अच्छा समय चल रहा था कोचिंग की वजह से अच्छी आमदनी भी हो रही थी,,,, आराधना अपने बेटे से पूरी तरह से संतुष्ट थी मोहिनी की बात मानते हुए तीनों रात को एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर सोते थे और तब तक तीनों को नींद नहीं आती थी जब तक तीनों चुदाई का मजा पूरी तरह से लूट नहीं लेते थे,,,,।
ArAdhna
ऐसे ही एक दिन शाम के समय,,, जब खाना बनाने के लिए आराधना सब्जी काट रही थी मोहिनी अपनी मां का हाथ बता रही थी और संजू वहीं पास में बैठकर किताब पढ़ रहा था तभी दरवाजे पर दस्तक हुई,,,।
देख तो संजू कौन है,,,?
(दरवाजे पर हो रही दस्तक और अपनी मां की बात सुनते ही संजू अपनी जगह से उठकर खड़ा हो गया और दरवाजे की तरफ आगे बढ़ने लगा,,, और दरवाजे की कड़ी खोलकर जैसे ही वह दरवाजे पर देखा तो उसके पापा एक औरत के साथ उसके घर पर आए थे,,,)
पापा तुम,,,
बंद करिए बकवास मैं तेरा कोई पापा वापा नहीं हुंं ,(अपने पापा की बात से ही संजू समझ गया था कि वह पूरी तरह से नशे में थे,,, और उसके साथ एक तकरीबन 35 साल की एक गोरी औरत भी थी जिसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पापा दरवाजे पर ही खड़े थे,,,, सब्जी काट रही आराधना को अभी तक नहीं पता था कि दरवाजे पर कौन है इसलिए वह आवाज लगाते हुए बोली,,,)
कौन है संजू,,,?
पापा है मम्मी,,,,
तुझे कितनी बार कहूं कि मैं तेरा पापा नहीं हूं,,,,
(संजू की बात सुनकर आराधना एकदम से चौंक गई थी क्योंकि लगभग लगभग साल भर होने आया था और अशोक अब जाकर घर पर आया था,,,, वह एकदम से अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और दरवाजे की तरफ आगे बढ़ने लगी,,, तब तक अशोक घर में दाखिल हो चुका था और उसके साथ वह औरत भी घर में प्रवेश कर चुकी थी उसके हाथ में कोई कागज था,,,, अपने पति को महीनो बाद देखकर आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसा व्यवहार करें क्योंकि जिस तरह का दुख यातना हुआ दे रहा था इतने महीनो से उसके ना होने से घर में शांति थी,,, फिर भी वह अपने आप को संभालते हुए बोली,,,)
आप ,,,
Aradhna
क्यों हैरानी हो रही है मुझे जिंदा देखकर तुझे तो ऐसा ही लगा होगा कि मैं दारु पी पी कर मर गया होऊंगा तेरी याद में,,,,(तब तक वहां पर मोहिनी भी आ चुकी थी और अपने पापा को देखकर उसके चेहरे पर खुशी के भाव साफ झलक रहे थे और वह एकदम से आवाज लगाते हुए बोली,,,)
पापा आप,,,,,
चुप कर मैं किसी का पापा नहीं हूं,,,
यह क्या कह रहे हैं आप यह दोनों आप ही के बच्चे हो और आप शराब पीने के बाद यह सब बकवास कर रहे हैं,,,, इतने दिनों में कभी हम लोगों की खबर लेने आए कि कैसे जी रहे हैं,,,
क्यों मेरी क्या जरूरत है तुझे तुझे तो एक जवान पति मिल गया है,,,(संजू की तरफ नजर ऊपर से नीचे करते हुए बोला)
अरे कुछ तो शर्म करो एक गैर पराई औरत के सामने इस तरह की गंदी बातें कर रहे हो,,,
ये ,,,, यह पराई औरत नहीं है,,,,(उसके गाल पर चुंबन करते हुए) बल्कि सही मायने में यही मेरी बीवी है,,,
(इतना सुनते ही आराधना के हाथों में कटी हुई सब्जी की थाली थी जो की एकदम से नीचे गिर गई,,,, और वह आश्चर्य से अशोक की तरफ देखने लगी,,,, संजू भी आश्चर्य से बोला,,,)
यह क्या कह रहे हो पापा,,,
मैं सही कह रहा हूं,,,, हम दोनों 5 साल से एक दूसरे के साथ संबंध में है मैं इस प्यार करता हूं और यह मुझसे प्यार करती है और हम दोनों जल्द ही शादी करने वाले हैं,,,,
क्या,,,(आराधना एकदम से टूटते हुए बोली,,,)
और हां,,,,(अशोक जिसके साथ आया था वह औरत मुस्कुराते हुए बोली) यह लो तलाक के कागजात इस पर अपने हस्ताक्षर कर दो वैसे भी तुम दोनों के बीच किसी भी प्रकार का रिश्ता नहीं है ना तुम इसे प्यार करती हो ना ही यह तुमसे प्यार करता है तो साथ में खाली एक रिश्ता निभाने का कोई मतलब नहीं होता इसलिए हस्ताक्षर करके तू भी आजाद हो जाओ तुम अपनी जिंदगी में खुश रहो और इसे अपनी जिंदगी में खुश रहने दो,,,,
नहीं यह नहीं हो सकता,,,, मैं कभी हस्ताक्षर नहीं करूंगी,,,,
कैसे नहीं करेगी,,,, और वैसे भी तुझे अब मेरी जरूरत ही कहां है तेरा बेटा बड़ा हो गया है जवान हो गया है तेरा बिस्तर गर्म कर देता है और तुझे क्या चाहिए,,,,।
(मोहिनी अपने पापा की बात सुनकर हैरान थी क्योंकि अभी तक मोहिनी को इस बात का पता बिल्कुल भी नहीं था कि उसके पापा यह बात जानते हैं कि संजू और उसकी मां के बीच अनैतिक रिश्ता है लेकिन वह कुछ बोल नहीं पा रही थी,,,, लेकिन पराई औरत के सामने अपने पापा को इस तरह की बात करते हुए संजू एकदम गुस्से में जोर से चिल्लाया)
बंद करो यह बकवास,,,
बकवास नहीं है हकीकत है अगर मैं किसी और के मुंह से सुना होता तो शायद मैं यकीन नहीं करता लेकिन तूने तो उसे दिन मुझे पूरी पिक्चर ही दिखा दिया था,,,,
भगवान के लिए चुप हो जाओ मुझ पर रहम करो,,,(आराधना एकदम से हाथ जोड़ते हुए अशोक से बोली)
देखो आराधना हम तुम्हें या तुम्हारे परिवार को परेशान करने या दुख देने के लिए नहीं आए हैं लेकिन हम यही चाहते हैं कि तुम पहले के रिश्ते को एकदम खत्म कर दो इस पर अपने हस्ताक्षर कर दो कानूनी तौर पर तुम भी आजाद हो जाओगी और अशोक भी,,,, मैं यह काम जाट को यहीं रख कर जा रही हूं तुम्हारे पास 5 दिन का समय है तुम सही फैसला ले सकती हो और आगे तुम्हारी मर्जी क्योंकि देखो जबरदस्ती का रिश्ता निभाने से अच्छा है कि खत्म हो जाए तो ही सही है मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम अशोक के साथ खुश नहीं हो और नहीं अशोक तुम्हारे साथ खुश है इसीलिए फैसला तुम्हारे हाथों में,,,,,
(और इतना कहने के साथ ही अशोक और औरत वहां से चले गए आराधना वही दीवाल के सहारे बैठ गई और रोने लगी)
बहुत ही कामुक गरमागरम अपडेट हैआराधना कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि उसके जीवन में ऐसा फल आएगा उसके पति से दूर रहने का उसका फैसला हालत को देखते हुए बिल्कुल ठीक था और वह सब कुछ अच्छे से संभाल कर जीवन में आगे बढ़ रही थी लेकिन उसे इस बात का अभास तक नहीं था कि इस तरह से आगे से चलकर,,, उसका पति उससे से तलाक मांगेगा,,,, अशोक का यह फैसला आराधना के लिए वाकई में सर पर पहाड़ टूटने जैसा था,,, अब ऐसे हालात से कैसे निकाला जाए उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसके दोनों बच्चे संजू और मोहिनी भी हैरान थे,,,,,, मोहिनी तो इस बात से भी हैरान थी कि उसके पापा संजू और उसकी मां पर गलत संबंध का आरोप लगा रहे थे जोकि मोहिनी की नजर में यह सही भी था वह जानती थी अपनी मां और अपने बड़े भाई के बीच के संबंध को लेकिन उसके पापा इस तरह के इल्जाम को क्यों लगा रहे है उसे समझ में नहीं आ रहा था,,, और यही वह जानना भी चाहती थी,,,।
Sadhna or sanju kuch is tarah se
आराधना बदहवास होकर दीवाल से सटकर बैठी हुई थी और रोए जा रही थी उसके बगल में संजू बैठा हुआ था उसके ठीक सामने मोहिनी खड़ी थी जो की धीरे से चलकर अपनी मां के पास आई और वह भी एक तरफ होकर बैठ गई और बोली,,,।
मम्मी मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि पापा तुम पर और भाई पर इस तरह का इल्ज़ाम लगा रहे हैं उन्हें कैसे मालूम,,,,
(मोहिनी का यह सवाल सुनकर आराधना उसकी तरफ आश्चर्य से देखने लगी संजू की मोहिनी की तरफ देखने लगा संजू और आराधना इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि मां बेटे के बीच अवैध संबंध के बारे में मोहिनी अच्छी तरह से जानती है लेकिन मोहिनी के नजर में,,, उसके पापा को इस बात के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं है कुछ देर की खामोशी कमरे में छा जाने के बाद मोहिनी फिर से अपने सवाल को दोहराने लगी,,,)
बताओ मम्मी पापा ऐसा क्यों कहते हैं,,,? क्या उन्हें तुम दोनों के ऊपर शक है,,,
मैं क्या बोलूं,,, इस सवाल का जवाब तेरा भाई ही दे सकता है,,,(रोते हुए आराधना बोली तो संजू मोहिनी की तरफ देखने लगा मोहिनी सवालिया नजरों से समझो की तरफ देख रही थी वैसे भी छुपाने लायक कुछ भी नहीं था इसलिए संजू बोला)
Sanju or uski mausi
देख मोहिनी हम मां बेटे के बीच में जब इस तरह का गलत संबंध नहीं था फिर भी पापा मुझ पर इल्जाम लगाते थे मम्मी पर इल्जाम लगाते थे पहले बुरा कहते थे उन्हें मारते पीटते थे और वो भी इस बात के लिए कि मैं मम्मी की चुदाई करता हूं और मम्मी मुझसे चुदवाती है इसीलिए पापा का साथ नहीं देती,,, और यह एक दिन का नहीं था रोज का हो गया था रोज यही बात को लेकर पापा मम्मी की रोज पिटाई करते थे और मैं बीच बचाव करता था और इसीलिए पापा को ऐसा ही लगता था कि मेरे और मम्मी के बीच कुछ चल रहा है जबकि उसे समय कुछ भी नहीं चलता था,,,
क्या कह रहे हो भाई,,,
मैं सच कह रहा हूं लेकिन मैं तुम्हें सच बताता हूं पापा जिस तरह का इल्जाम मुझ पर लगाते थे और मम्मी पर लगाते थे मैं ना चाह कर भी उस बारे में सोचने लगता था और जब कभी भी मैं अपने मन में कल्पना करता था मम्मी की चुदाई के लिए,,,,,, मुझे अजीब सा होने लगता था तुरंत ही मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मैं कल्पना में ही मम्मी की चुदाई करने लगता था और उसे समय मुझे इतना अच्छा लगता था कि पूछो मत वैसे तो मुझे यह सब नहीं बोलना चाहिए लेकिन हम तीनों के बीच इस तरह का रिश्ता है और इस रिश्ते को देखते हुए हम तीनों के बीच किसी भी प्रकार का पर्दा नहीं होना चाहिए इसलिए मैं सब कुछ बता दे रहा हूं और उसे समय मेरी हालत जो होती थी सच में मुझे मम्मी को छोड़ने का मन करता था क्योंकि मैं मम्मी को बचाते समय उनके अस्त व्यस्त कपड़ों को देख चुका था ,,, और बहुत बार में मम्मी को अर्धनग्न अवस्था में देख चुका हूं उनकी चूचियों को देख चुका हूं,,, और उन्हें बचाते समय मेरा हाथ अनजाने में ही उनकी चूचियों पर भी पड़ चुका है इसलिए ना चाहते हुए भी मेरे दिमाग में अजीब सी उलझन बनी रहती थी,,,, और ऐसे ही एक दिन दोपहर के समय पापा शराब पीकर घर आए थे और हम दोनों को भला बुरा कह रहे थे तुम उस समय घर पर नहीं थी,,, पापा फिर से हम दोनों के बीच गलत संबंध को लेकर जोर-जोर से चिल्ला रहे थे मुझे रहा नहीं क्या और मैं पापा को जोर से धक्का देकर गिरा दिया और वाकई में पापा के सामने ही मैं मम्मी की साड़ी को कमर तक उठाकर पापा के सामने ही मम्मी की चूत में लंड डालकर चोदना शुरू कर दिया यह सब देखकर पापा एकदम हैरान रह गए,,,
Sanju or sadhna
बाप रे क्या कह रहे हो संजू,,,(एकदम से हैरान होते हुए) और वह भी पापा की आंखों के सामने,,,,
तो क्या करता मोहिनी पापा रोज-रोज न करने के बावजूद भी गलत इल्जाम लगाते थे तो मैं सही में पापा की आंखों के सामने ही कर डाला,,,,
मम्मी ने तुम्हें रोकी नहीं,,,(अपनी मम्मी की तरफ देखते हुए)
मैं क्यों रोकती भला,,, जब किसी गलती को न करने के बावजूद भी कोई इस गलती के लिए दोषी ठहराए तो सच पूछो तो इंसान को वह गलती कर ही देना चाहिए ताकि मन में कोई मलाल ना रह जाए और उसे में मुझे भी बहुत मजा आया था एक तरह से मैं तेरे पापा से बदला ले रही थी,,,,
चलो कोई बात नहीं लेकिन अब इस मुसीबत से कैसे निपटा जाए,,,,
वही तो मै भी सोच रही हूं मैं तो कभी सोच ही नहीं थी कि तेरे पापा डिवोर्स लेने तक आ जाएंगे,,,,
एक तरह से मम्मी अच्छा ही होगा जिंदगी भर का जंजाल तो छुट जाएगा वैसे भी हम तीनों अपनी जिंदगी में कितने खुश हैं जब तक पापा घर से बाहर थे तब तक कितने सुकून से जी रहे थे किसी बात का टेंशन नहीं था लेकिन आज देखो पापा के आते ही फिर से टेंशन हो गया ना इसलिए कहता हूं,,, पापा को डाइवोर्स देकर जिंदगी भर का छुटकारा ले लो,,,, मैं तो हूं ही घर को संभालने के लिए और घर के साथ-साथ में तुम दोनों को भी संभाल सकता हूं यह तो तुम दोनों देखते ही आ रहे हो,,,,
लेकिन आज तक मेरे खानदान में किसी ने तलाक नहीं लिया है बदनामी हो जाएगी,,,
और आज तक हम लोगों की तरह कोई परेशान भी तो नहीं हुआ है देख नहीं रही हो पापा किसी गैर औरत के साथ कितना खुश हैं बेशर्म हो चुके हैं वरना इस तरह से गैर औरत को घर पर ना लाते और वह भी कितनी बेशर्मी के साथ डिवोर्स मांग रही थी देखी नहीं,,, पापा को अगर एक मौका और दे दोगी तो भी वह सुधरने वाले नहीं है,,,,
मैं जानती हूं वह सुधरने वाले नहीं है लेकिन,,,
लेकिन वेकिन कुछ नहीं मम्मी भाई सच कह रहा है हम तीनों अपनी जिंदगी में कितना खुश है तुम नौकरी करने लगी हो तुम्हारे चेहरे पर कितनी रौनक आ गई है वरना जब तक पापा घर पर थे तब तक तुम्हारे चेहरे पर भी 12:00 बजे रहते थे,,, एक तरह से तुम्हारी जवानी वापस लौट आई है,,,,
मैं भी चाहती हूं तेरे पापा से तलाक लेना मैं भी उसे जैसे कमीने के साथ नहीं रहना चाहती जो रोज बिस्तर पर औरतें बदलता हो,,,, लेकिन फिर भी मुझे दीदी से बात करना होगा,,,,
ठीक है हम कल ही मौसी के साथ बैठकर बात कर लेते हैं,,,,।
(संजू और मोहिनी के साथ-साथ आराधना भी अपने पति के साथ तलाक लेना चाहती थी क्योंकि वह अपनी जिंदगी में खुश थी अपने बच्चों के साथ खुश थी और जो खुशी उसका पति बिस्तर पर नहीं दे सकता था वह सुख उसका बेटा रोज उसे देता था इसलिए उसे अब अशोक की जरूरत भी नहीं थी,,, थोड़ी देर बैठे रहने के बाद वापस आराधना खाना बनाने लगी,,, मोहिनी भी काम में हाथ बंटाने लगी,,, लेकिन बार-बार उसकी आंखों के सामने अपने भाई के द्वारा बताई गई बात याद आ जाती थी वह नजारा याद आ जाता था जिसे उसने खुद अपनी आंखों से अच्छी नहीं थी लेकिन कल्पना करके मस्त हुए जा रही थी वह यह सोच रही थी कि कैसा लग रहा होगा जब एक पति के सामने उसका ही बेटा अपनी मां की चुदाई करें और वह भी सिर्फ अपने पापा को जलाने के लिए अपने पापा को दिखाने के लिए की अब उसकी जरूरत नहीं है और एक पत्नी भी अपने ही पति के सामने अपने बेटे के साथ चुदवा कर एकदम मस्त हो जाए,,, और यह जाता है कि अब उसकी जिंदगी में उसका कोई काम नहीं है जो सुख उसे देना चाहिए अब उसका जवान बेटा उसे भरपूर मात्रा में दे रहा है,,,। ऊफफ,,, इस नजारे के बारे में सोचकर ही वह गना गना जा रही थी,,,, और मन ही मन मुस्कुरा रही थी उसे मुस्कुराता हुआ देखकर आराधना बोली,,,)
पागल हो गई है क्या अपने आप में ही क्या मुस्कुरा रही है,,,
कुछ नहीं मम्मी मैं सोच रही हूं,,,
क्या सोच रही है,,,
यही कि वह नजारा क्या होगा जब पापा की आंखों के सामने भाई तुम्हारी साड़ी कमर तक उठाकर तुम्हारी बड़ी-बड़ी गांड को दोनों हाथों से फैला कर अपने लंड को तुम्हारी चूत में डालकर चुदाई कर रहा होगा,,,
अब तू भी शुरू पड़ गई,,,
शुरू नहीं पड़ गई लेकिन तुम दोनों ने मुझे कभी बताया ही नहीं,,,
यह भी बताने वाली चीज है,,,,
तो क्या हम तीनों के बीच किसी भी प्रकार का पर्दा नहीं रहना चाहिए,,,
अच्छा तो मैं तुझे बताऊं कि आज तेरे पापा आए थे और तेरा भाई तेरे पापा की आंखों के सामने मेरी साड़ी कमर तक उठाकर मुझे चोद रहा था और मुझे मजा आ रहा था,,,
तो क्या,,,(ऐसा कहते हुए मोहिनी हंसने लगे और थोड़ी देर में खाना बनाकर तैयार हो गया तीनों खाना खाकर एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर सो गए,,,,
दूसरे दिन सुबह उठने पर आराधना थोड़ी उलझन में थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी बड़ी दीदी से कैसे बात करें वैसे तो उसकी बड़ी दीदी को उसके पति के बारे में सब कुछ मालूम था लेकिन फिर भी तलाक वाली बात पर उसे थोड़ा अजीब लग रहा था,,,, लेकिन फिर भी बात तो करना ही था,,,, इसलिए आराधना अपनी बड़ी दीदी को फोन करके अपने घर पर बुला ली थी और थोड़ी ही देर में साधना भी उसके घर पर पहुंच चुकी थी लेकिन साधना को मालूम नहीं था कि किस बारे में आराधना उसे घर पर तात्कालिक बुलाई है,,,, घर पर पहुंचते ही वह आराधना से बोली,,,)
ऐसा क्या हो गया कि तू इतनी जल्दबाजी में मुझे घर पर बुला ली,,,,(घर पर मोहिनी को भी देखकर साधना इस तरह का सवाल की थी अगर मोहिनी घर पर ना होती तो वह समझ जाती की आराधना उसे चुदवाने के लिए घर पर बुलाई है वैसे तो जब आराधना का फोन आया था घर पर आने के लिए तो साधना को ऐसा ही लगा था इसलिए वह बाथरूम में जाकर अपनी चूत पर एक खूबसूरत हल्की खुशबू वाला सेंट मार ली थी और लिपस्टिक लगाकर अपनी लाल-लाल होठों को और भी ज्यादा गहरा लाल कर ली थी,,,, और तो और वह जानबूझकर पेटी भी नहीं पहनी थी साड़ी के अंदर वह पूरी तरह से नंगी थी वह आराधना के फोन पर पहनी हुई पेटी भी निकाल कर रख दी थी,,, लेकिन घर पर जैसे ही वह मोहिनी को भी अच्छी तो उसका सारा नशा फूरर हो गया,,,,, साधना के घर में प्रवेश करते ही संजू ने तुरंत दरवाजे को बंद करके कड़ी लगा दिया तीनों की खामोशी को देखकर साधना समझ गई कि मामला कुछ गड़बड़ है इसलिए वह फिर से बोली,,,,)
क्या हुआ तुम तीनों इतने परेशान क्यों हो,,,?
क्या बताऊं दीदी,,,(कुर्सी को अपनी बड़ी दीदी के आगे करते हुए जिसे खुद अपने हाथों से लेकर साधना उसे पर बैठ गई भारी भरकम गांड होने की वजह से कुर्सी पर बैठने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी लेकिन फिर भी वह एडजस्ट हो गई थी,,,) कल मोहिनी के पापा आए थे,,,,
तो,,,(आश्चर्य से)
एक औरत को लेकर उसकी बाहों में बाहें डालकर,,,
क्या कह रही है,,,
खामोशी पापा किसी गैर औरत को लेकर आए थे,,,(संजू बीच में बोल पड़ा,,,)
लेकिन किस लिए,,,,
डिवोर्स के कागजात पर हस्ताक्षर करने के लिए,,,(इतना कहते हुए आराधना रोने लगी,,,)
डायवोर्स,,,वो तुझे डिवोर्स देना चाहता है,,,
हां दीदी,,,,
लेकिन क्यों,,,?
जिस औरत को घर पर लेकर आए थे उसके साथ शादी करना चाहते हैं और वह औरत खुद उनसे शादी करना चाहती है और वह दोनों का लफड़ा 5-6 सालों से चल रहा था,,,
यह बात है,,,, वैसे भी उसे समझाने का कोई मतलब नहीं है उसके चरित्र को मैं अच्छी तरह से समझ गई हूं,,, उस औरत ने कुछ बोली,,,
उसी ने तो अपने हाथों से डाइवोर्स के कागज टी मुझे देकर गई है और 5 दिन का समय लेकर गई है,,,,
इतनी बेशर्मी,,,,
तो क्या दीदी मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है क्या करूं,,,,
(कुछ देर खामोश रहने के बाद साधना बोली,,,)
देखा आराधना जब तक अशोक के साथ थी तब तक तुझे कोई सुख नहीं मिला मैं तुझे देखते आ रही हूं,,, अशोक ने तुझे दुख के सिवा और कुछ नहीं दिया तेरे चेहरे पर जो अभी रंगत है ना उसके ना होने पर ही है अगर उसके साथ रहती तो अब तक तो तू बुड्ढी हो जाती,,,, वह हरामी बाहर दूसरी औरतों के साथ रंगरेलियां बनता है और तुझे परेशान करता है,,,, मेरी मान निकल जा इस जंजाल से आजाद हो जा,,,
क्या कह रही हो दीदी लोग क्या कहेंगे,,,
तू लोगों की चिंता मत कर लोगों की चिंता करेगी तो जीना दुबर हो जाएगा तू कितनी परेशान है हम कितने परेशान हैं यह तो हम ही जानते हैं बाहर वाले थोड़ी जानते हैं,,, वैसे भी वह अब तेरे कोई काम का नहीं है,,,(संजू की तरफ देखते हुए) अपने बेटे के सहारे तू आराम से जी लेगी,,,(संजू और आराधना साधना के कहने के मतलब को अच्छी तरह से समझ रहे थे,,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
अच्छा यह घर किसके नाम पर है,,,,
उन्हीं के नाम पर है,,,
बस फिर क्या है अगर उसे डिवोर्स चाहिए तो उसके पहले उसे इस घर को तेरे नाम पर करना होगा और ₹100000 नगद देना होगा,,, तभी,,, डिवोर्स के कागजात पर दस्तखत करना,,,
₹100000,,,,(आराधना एकदम आश्चर्य जताते हुए बोली,,,)
तो क्या अभी बच्चों की पढ़ाई भी तो करवानी है फिर शादी ब्याह कुछ तो सहारा रहेगा और वैसे भी घर अगर उसके नाम पर रहा और तूने दस्तखत कर दी तो वह घर से भी निकाल देगा इसीलिए कहती हूं डिवोर्स का कुछ तो खामियाजा उसको भी भुगतना पड़ेगा,,,
हां मौसी तुम सच कह रही हो,,,,(एकदम से खुश होता हुआ संजू बोला,,, आराधना के चेहरे पर भी थोड़ी राहत नजर आ रही थी क्योंकि वह अभी तक घर के बारे में और एक लाख रुपए नगद के बारे में कुछ सोची ही नहीं थी,,,, वह अपने मन में सोचने लगी कि दीदी की बात सही अगर घर उसके नाम पर हो गया तो सर छुपाने का जगह तो रहेगा उसके बच्चों के लिए और ₹100000 नगद मिल गया तो पढ़ाई लिखाई में काम आएगा शादी ब्याह में काम आएगा,,,,)
तुम्हारी बात एकदम सही है दीदी लेकिन क्या अशोक मान जाएगा,,,
क्यों नहीं मानेगा मानना ही पड़ेगा अगर उसे दूसरी शादी करनी है तो इतना तो देना ही होगा,,,,
अच्छा हुआ दीदी तुमसे पूछ ली अगर अपने मन का करती तो शायद वह सच में हमें घर से भी निकाल देता और हमारे हाथ भी कुछ नहीं लगता,,,,
और आराधना तु बिल्कुल भी टेंशन मत लेना एक बार देखना इस जंजाल से निकल जाएगी तो एकदम सुखी हो जाएगी संजू भी बड़ा हो गया है कमाने लगा है ,,,
तभी तो कोई चिंता नहीं है दीदी,,,,
(साधना अपनी बातों से आराधना को समझा दी थी और आराधना को भी अपनी बहन की बात सुनकर थोड़ा राहत मिल रही थी थोड़ी देर बाद साधना आराधना की तरफ देखकर इशारा करके मोहिनी को कहीं और भेजने के लिए बोल रही थी आराधना भी साधना के सारे को समझ गई थी लेकिन कहां भेजे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,,, मोहिनी दोनों बहनों के इशारे को समझ नहीं पा रही थी वह केवल बैठी हुई थी संजू भी अपनी मौसी के इशारे को समझ गया था तभी संजू बोला,,,)
अरे कब से मौसी आई है चाय तो बना दो मम्मी,,,,
अरे मम्मी क्यों मैं हूं ना मैं बना देती हूं,,, दूध तो पड़ा ही है,,,,(इतना कहने के साथ ही मोहिनी अपनी जगह से उठकर खड़ी हो गई और रसोई घर की तरफ जाने लगी तो धीरे से साधना आराधना को बोली,,,)
कोई जुगाड़ कर मुझे रहा नहीं जा रहा है तेरा जब फोन आया था मुझे यही लगा था कि तू चुदवाने के लिए मुझे बुला रही है,,,,
मैं क्या बताऊं दीदी मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है तुम ही कुछ जुगाड़ लगाओ,,,,
(थोड़ी देर सोचने के बाद वह कुर्सी पर से उठी और धीरे से रसोई घर में चली गई और थोड़ी ही देर में मोहिनी और साधना दोनों रसोई घर से बाहर आए और मोहिनी मुस्कुराते हुए घर से बाहर चली गई,,,, उसके बाहर जाते हैं साधना खुद दरवाजा बंद करके कड़ी लगा दी और जल्दी-जल्दी दीवाल का सहारा लेकर आराधना की आंखों के सामने ही अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी,,, उसकी ऐसी हरकत पर उसकी बड़ी-बड़ी कहानी एकदम नंगी नजर आने लगी जिसे देखकर आराधना बोली,,,)
दीदी तुम तो चड्डी नहीं पहनी हो,,,
पहले पहनी थी लेकिन तेरा जब फोन आया तो मुझे ऐसा ही कुछ मामला लगा तो मैंने चड्डी उतार दी ताकि,,, जल्दी से चुदवा सकूं,,,
बाप रे दीदी तुम तो बहुत चालाक हो और बहुत उतावली भी हो,,,
क्या करूं बहुत दिन हो गया है ना इसलिए आने जा रहा है,,,तु वहां खड़े क्या कर रहा है जल्दी से आना,,,(संजू की तरफ देख कर बोली तो संजू भी जल्दी से अपनी मौसी के पास आ गया और बोला)
लेकिन मौसी मोहिनी को कहां भेज दी हो वह आ गई तो,,,
अरे भाई इतनी जल्दी नहीं आने वाली मैं उसे नुक्कड़ की दुकान पर भेजी हूं उस मेडिकल पर,,,(दीवाल पड़कर अपनी गांड को थोड़ा और उभारते हुए वह बोली,,,)
मेडिकल पर लेकिन किस लिए,,,(आराधना आश्चर्य से अपनी बड़ी बहन की तरफ देखते हुए बोली,,,)
व्हिस्पर लेने के लिए,,,,
क्या तुम्हारा महीना चल रहा है दीदी,,,
अरे बुद्धू से एक बहाने से भेजी हूं उसे आने-जाने में 15 मिनट लगेगा तब तक मेरा काम हो जाएगा और तू इस तरह से सवाल पूछ पूछ कर मेरा दिमाग मत खराब कर,,, और तू जल्दी कर अभी तक अपनी पेंट भी नहीं उतारा,,,,
Sanju or uski mausi
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क्या मौसी तुम तो एकदम रंडी हो गई हो क्या बहन बनाई हो,,,,(और इतना कहने के साथ ही संजू अपनी पेंट का बटन खोलकर उसे खींचकर घुटनों तक कर दिया और अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़कर अपनी मौसी की गुलाबी चूत पर उसका सुपाड़ा लगाकर हल्का सा धक्का लगाया और चूत का गीलापन पाकर संजू का लंड बड़े आराम से साधना की चूत में प्रवेश कर गया,,,, और फिर संजू अपनी मौसी की कमर पकड़ कर चोदना शुरू कर दिया अपनी मौसी की छीनारपन पर संजू कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया था वह अपनी मौसी की कमर पकड़कर उसे चोदना शुरू कर दिया था,,,,।
खुद आराधना भी अपनी बहन की बेशर्मी देखकर हैरान हो गई थी वह अपनी बहन को इस तरह से चुदवाते हुए देख कर खुद उत्तेजित हो गई थी उसकी चूत भी पानी छोड़ रही थी,,,, संजू पागलों की तरह धक्के पर धक्का लगा रहा था,,, वह अपने बदन में काफी उत्तेजना महसूस कर रहा था इसलिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़कर खुद अपने हाथों से अपनी मौसी का ब्लाउज का बटन खोलकर उसकी नंगी चूचियों को जोर-जोर से दबाते हुए धक्के लगा रहा था,,,
साधना एकदम तृप्त हो चुकी थी हर धक्के के साथ उसके मुंह से गर्म आह निकल जा रही थी,,,, संजू अपनी मौसी को पूरी तरह से त्प्त कर देना चाहता था,,,, कुछ देर तक घोड़ी बनाकर चोदने के बाद संजू,,, संजू धीरे से अपने लंड को अपनी मौसी की चूत से बाहर निकाल लिया उसकी यह हरकत साधना को पसंद नहीं आई थी लेकिन वह कुछ कह पाती से पहले ही संजू अपनी स्थिति को बदलते हुए अपनी मौसी को कड़ी किया और उसे दीवार से सटा दिया ऐसे में उसकी मौसी का चेहरा संजू की तरफ था और संजू धीरे से उसकी दोनों टांगों को उठाकर उसे अपनी कमर पर लपेट लिया और दीवार से सटे हुए ही उसे गोद में उठाए हुए अपने लंड को एक बार फिर से उसकी गुलाबी चूत में डालकर चोदना शुरू कर दिया यह स्थिति में चोदना संजू को काफी उत्तेजना से भरपूर लग रहा था और यही हाल साधना का भी था आराधना तो अपने बेटे की ताकत को देखकर हैरान रह गई थी संजू जोर-जोर से तक के लग रहा था देखते ही देखते 15 मिनट जैसा समय हो चुका था और फिर तभी दरवाजे पर दस्तक होने लगी लेकिन इस बार संजू रुक नहीं और जोर-जोर से धक्के लगाता हुआ पूरा पानी निकाल लेने के बाद अपने लंड अपनी मौसी की चूत से बाहर निकाला,, ।
Sanju or uski mausi
जल्दी-जल्दी संजू अपने कपड़ों को दुरुस्त करके दरवाजे को खोलने के लिए आगे बढ़ा लेकिन तब तक इशारा करके अपनी मौसी को रसोई घर में जाने के लिए बोल दिया था,,,, मौके की नजाकत को देखते हुए साधना भी जल्दी से अपने कपड़ों को दुरुस्त कर दी वैसे भी वह पेटी तो पहनी नहीं थी बस साड़ी को नीचे गिरना था और वह जल्दी से साड़ी को नीचे गिरा दी लेकिन ब्लाउज का बटन खुला हुआ था जिसे जल्दी से वह बंद करते हुए रसोई घर में चली गई,,,,।
संजू जैसे ही दरवाजा खोला तो मोहिनी थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए बोली,,,।
इतनी देर लगती है दरवाजा खोलने में,,,
बाथरूम में था,,,
और मौसी,,,,
मम्मी और मौसी दोनों रसोई घर में है वैसे तु लेने क्या गई थी,,,,
कुछ नहीं मौसी का है,,,,(और इतना कहने के साथ मुस्कुराते हुए वह रसोई घर में चली गई,,,, थोड़ी ही देर में साधना रसोई घर में से बाहर निकली और केवल मोहिनी को दिखाने के लिए बाथरुम में घुस गई था कि मोहिनी को लगे कि वाकई में उसका महीना चल रहा है थोड़ी देर बाद वह बाथरूम से बाहर आई तो तीनों मिलकर चाय पीने लगे,,,, और फिर जाते-जाते साधना बोली,,,,)
तू चिंता मत कर आराधना उसे यह संदेश भिजवा देना या तो फिर वह खुद आएगा ही उसे बता देना तभी डिवोर्स होगा और मेरे पहचान का वकील भी है सब कुछ सही कर देगा,,,,
ठीक है दीदी अच्छा हुआ तुम आ गई तो हम लोगों का काम भी आसान हो गया,,,,
कोई बात नहीं जब उससे बात हो जाए तो मुझे बता देना,,,,
ठीक है दीदी,,,,
(थोड़ी देर में साधना अपने घर के लिए निकल गई,,,)
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट हैतलाक के कागजात देने के दो दिन बाद ही अशोक वापस घर पर आया और तलाक के बारे में बातें करने लगा उस समय घर पर केवल संजू और आराधना ही थे,,,।
तो क्या सोची है तूने,,,, मुझे तुझसे तलाक चाहिए और उससे शादी करना है,,,, वैसे तो मैं तुझे तलाक दिए बिना ही शादी करके कहीं भी रह सकता था लेकिन मुझे तुझे दिखाना भी है कि पति के बिना जिंदगी कैसी हो जाती है,,,
तू क्या दिखाएगा मुझे तुझे क्या लगा था कि मैं तुझे तलाक नहीं दूंगी मैं भी तुझसे छुटकारा चाहती हूं,,,
हां वह तो है छुटकारा तो तू मुझसे चाहती ही है क्योंकि जवान लंड जो मिल गया है चूत में लेने के लिए,,,
(संजू वहीं खड़ा अपने बाप की गंदी बातों पर सुन रहा था उसका भी मन जवाब देने को कर रहा था कि तभी उसे पहले ही आराधना बोल उठी,,,)
हां तो सच कह रहा है तेरे लंड में तो दम ही नहीं था मेरी जवानी की प्यास बुझाने के लिए,,, तभी तो दो धक्के में ही पस्त हो जाता था,,, ।
(जब बात मर्दानगी पर आ गई तो अशोक एकदम आग बबूला हो गया क्योंकि उसकी बीवी सीधे-सीधे उसकी मर्दानगी पर सवाल उठा रही थी उसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह एकदम से गुस्से में आगे बढ़ते हुए बोला,,,)
हरामजादी मुझे नामर्द कहती है,,,(इतना कहने के साथ ही वह आगे बड़ा और आराधना को करने के लिए जैसे ही हाथ आगे बढ़ाया संजू तुरंत लपक कर उसका हाथ पकड़ लिया और गुस्से में बोला,,,)
हाथ चला कि तो बिल्कुल भी मत करना वरना ही टांगे भी तोड़ दूंगा क्योंकि हम दोनों के पीछे बाप बेटे का रिश्ता बिल्कुल भी नहीं रह गया है और रही बात मर्दानगी की तो वाकई में तेरे में अगर दम होता तो यह,,(अपनी मां की तरफ इशारा करके) कभी प्यासी ना रहती,,,,
देख में कुछ भी बर्दाश्त करता हूं लेकिन मर्दानगी पर अगर कोई उंगली उठाए तो मुझसे बर्दाश्त नहीं होता,,, अगर तुम दोनों की बातों में जरा भी सच्चाई होती तो वह औरत मेरे साथ ना रहती,,, मुझसे शादी करने के लिए तैयार नहीं होती,,,
वह तो तेरी सरकारी नौकरी की वजह से तेरे साथ में है तेरी तनख्वाह के कारण तेरे साथ में है वरना तेरे में दम कहां की तू किसी औरत की जवानी की आग को बुझा सके,,,,(गुस्से से आग बबूला होते हुए आराधना बोली)
हरामजादी,,, तू अच्छी तरह से जानती है कि तू दूसरी औरतों की तरह थी कि नहीं एकदम ठंडी है मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने का हुनर तुझ में है ही ना हीं तेरे बदन में किसी भी प्रकार का आकर्षण है कि कोई तुझे देख कर आकर्षित हो और किसी का खड़ा हो,,,
(अपने आप के मुंह से अपनी मां के लिए गाली सुनकर एक बार फिर से संजू उसकी बाहों को जोर से पकड़ कर झगझोड़ते हुए बोला,,,)
देख मैं तुझे अभी भी कहता हूं की गली से बात मत कर और जो तू कहता है ना कि इसमें,,,(एक बार फिर से अपनी मां की तरफ आंखों से इशारा करके) इसमें कोई दम ही नहीं है इसके बदन में कोई आकर्षण ही नहीं है कि किसी का इसे देखकर खड़ा हो तो फैसला इसी समय हो जाए अगर तू एक बाप की औलाद है तो,,,
poems about despair
हरामी के पिल्ले बाप का नाम मत लेना,,,,
इसलिए तो कह रहा हूं दूध का दूध पानी का पानी हो जाए अगर तू एक बाप की औलाद है तो अभी फैसला करने के लिए तैयार हो जाएगा,,,,।
(अपने बेटे को अपनी तरफ से लड़ता हुआ देखकर आराधना मन ही मन बहुत ज्यादा प्रसन्न हो रही थी लेकिन आज उसे ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि वह एक बेटे की हैसियत से उसकी तरफदारी कर रहा था बल्कि ऐसा लग रहा था कि जैसे उसका कोई प्रेमी हो जो उसकी तरफदारी करके उसके पति से उसे पाने के लिए लड़ रहा हो और संजू की यही हरकत आराधना के मन में उतरती चली जा रही थी आराधना भी पूरी तरह से अपने बेटे की बातों को सुनकर पूरी तरह से प्रसन्नता के शिखर पर चली जा रही थी आज वह बहुत खुश नजर आ रही थी,,, लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह से फैसला करेगा उसके मन में इस बात का डर भी था कि कहीं वह फिर से तो नहीं अपने ही बाप के सामने उसको चोदेगा,,,, और इस बात से उसे घबराहट भी हो रही थी और मन में उत्तेजना भी हो रही थी क्योंकि अपने ही पति के सामने अपने बेटे के द्वारा चुदवाने में उसे बहुत मजा आया था उसे उसे समय ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे वह अपने पति से अपनी बेइज्जती का अपने अपमान का बदला ले रही हो और जी भर कर उसने बदल ली भी थी लेकिन इस समय क्या होने वाला है उसे पता नहीं था संजू की बातों को सुनकर अशोक खामोश हो चुका था,,,, लेकिन बाद उसकी मर्दानगी पर आ गई थी इसलिए वह भी काफी गुस्से में नजर आ रहा था और वह भी समझ नहीं पा रहा था कि उसका बेटा ऐसा क्या करेगा कि जिससे दोनों की मर्दानगी के बारे में पता चलेगा और इस बात के बारे में पता चलेगा की आराधना में अभी भी पूरी तरह से जवानी बरकरार है जो की हकीकत ही था कि उम्र के इस पड़ाव में भी आराधना बेलगाम घोड़ी की तरह थी वह पूरी तरह से जवानी से भरी हुई थी और कोई भी जवां मर्द उसकी जवानी उसकी चूत से निचोडने के लिए व्याकुल नजर आता था,,, कुछ देर तक कमरे में खामोशी छाई रही तो इस खामोशी भरे सन्नाटे को तोड़ते हुए संजू बोला,,,)
है तैयार अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए,,,
चल रहने दे कल का लौंडा मुझसे क्या टक्कर लेगा,,,
कल का लौंडा ही तेरी बीवी की जवानी की प्यास बुझा रहा है अपने मोटे लंड से और तेरी बीवी भी जी भरकर चुदाई का मजा लूट रही है,,,।
(संजू किस तरह की बातों को सुनकर आराधना की चूत से मदन रस टपकने लगा क्योंकि वह पूरी तरह से एक उसके प्रेमी की भाषा बोल रहा था ना कि उसके बेटे की आज पूरी तरह से आराधना को संजू में अपना प्रेमी अपना पति नजर आ रहा था जो कि उसकी तरफदारी कर रहा था और बातों ही बातों में उसकी जवानी की तारीफ भी कर रहा था अशोक तो अपने ही बेटे के मुंह से अपनी मां के लिए इस तरह के शब्दों को सुनकर पूरी तरह से हैरान हो चुका था लेकिन इसमें कुछ ज्यादा हैरानी की बात नहीं थी क्योंकि इससे भी ज्यादा हैरानी भरी हरकत को तो वह अपनी आंखों से ही उसे दिन देख चुका था जब उसकी आंखों के सामने ही उसका जवान बेटा अपनी ही मन की चुदाई कर रहा था और उसकी मां भी बेशर्म बनाकर अपने ही पति के सामने अपने ही बेटे से चुदवा रही थी,,,,,, संजू अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
क्या हुआ आगे बढ़ाना है कि यहीं से हार मान लेना है,,,,
जाने दे मेरे राजा इसमें दम ही नहीं है दम होता तो आज मैं इसके बिस्तर पर होती,,,
(अपनी पत्नी के मुंह से इस तरह की बेशर्मी भरी बातें सुनकर अशोक पूरी तरह से दंग हो गया था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके सामने उसकी बीवी खड़ी है ऐसा लग रहा था कि जैसे वह किसी रेड लाइट एरिया में खड़ा है और उसके सामने कोई रंडी उस भाव तोल कर रही है लेकिन अपनी बीवी के मुंह से अपनी मर्दानी की पर सवाल उठता हुआ देख कर वह एकदम कड़े स्वर में बोला,,,)
मैं तैयार हूं क्या करना होगा,,,,,,(अशोक ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता था लेकिन बाद मर्दानगी पर आ गई थी इसलिए उसे हां कहना ही पड़ा,,,)
सोच लो अभी भी तुम्हारे पास समय है,,,, क्यों बेइज्जत होकर इस घर से जाना चाहते हो वैसे भी पहले से ही इतनी बेइज्जती करवा चुके हो एक खूबसूरत जवानी से भरी हुई औरत तुमसे नहीं संभाली गई,,,,,,,
वह सब बातें छोड़ अभी जो करना है वह बता ना तुझे पानी पिला दिया तो मेरा नाम अशोक नहीं,,,,
मेरा मन नहीं मान रहा है आखिरकार तुम हो तो मेरे आप ही इसलिए कहता हूं कि शांति से तलाक के लिए ₹100000 नगद और यह घर हमारे नाम कर दो अगर मेरे सर के पीछे पड़ो के तो फिर एक बार फिर से अपने ही नजर में गिर जाओगे,,,,
मैं एक फूटी कौड़ी नहीं देने वाला और यहां से धक्के मार कर निकाल दूंगा,,,
ऐसा कभी सपने में भी मत सोचना,,, वरना रांडवा ही रह जाओगे शादी करने के बारे में सोच भी नहीं सकते मुझे भी थोड़ा बहुत कानून मालूम है जिंदगी भर खर्चा देने से अच्छा है कि एक ही बार में ₹100000 और यह घर हमारे नाम कर दो और रुखसत हो जाओ यहां से वरना शादी के बारे में सोचना भी नहीं और अगर मैं अपने पर आ गई तो तुम्हें जेल की चक्की पीसने के लिए मजबूर कर दूंगी,,,,
तु मुझे धमकी दे रही है हरामजादी,,,
वैसे तो यह तेरे लिए सलाह ही है लेकिन इसे धमकी ही समझना,,,, तू भले घाट घाट का पानी पिया होगा लेकिन,,, तू औरत की ताकत तो नहीं जानता तुझे तो सिर्फ बिस्तर पर ही मर्दानगी दिखाने आती है और वह भी ठीक से नहीं दिखा पाता,,,,
साली मेरी मर्दानगी पर सवाल मत उठाना अगर मैं मर्द नहीं होता तो दो-दो बच्चों की मां नहीं बनी होती,,,
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मैं तो मां बन गई लेकिन तू बाप बन पाया तु कभी बाप नहीं बन पाया,,,, यह जो कुछ भी हो रहा है सब तेरी ही करनी धरनी है,,,,।
(आराधना की बात बिल्कुल सही थी जो कुछ भी आराधना के घर में हो रहा था उसके पीछे पूरी तरह से अशोक ही जिम्मेदार था क्योंकि पहले संजू ऐसा बिल्कुल भी नहीं था वह अपनी मां को एक मां के नजरिया सही देखा था लेकिन घर मे हो रहे झगड़े को देखकर और आधी आधी रात को अपने आप की काली करतूतों को देखकर और वह भी अपनी बीवी के साथ,,, यह सब देखकर संजू अपने आप में ही बड़ा होने लगा और अपनी मां को अपने आप की जुर्म से बचने के लिए उसे बीच में कूदना ही पड़ा और समय जिस तरह के हालात उसे कमरे में नजर आते थे उसे देखकर उसकी आंखों में भी वासना के डोरे उपसने लगे थे,,, अपनी मां को अर्धनग्न अवस्था में देखकर और उसे अपने पाप के जुर्म से बचने के लिए इधर-उधर हाथ लगाना ही पड़ता था और ऐसे में वह पूरी तरह से जवान था और एक जवान खूबसूरत औरत के अंगों पर हाथ पडते ही उसके अंदर की भी जवान और करने की दोनों फुटने लगती थी,,, और बार-बार अपनी और अपनी बीवी के बीच में अपने बेटे को आता देख कर अशोक गुस्से से तिल मिला जाता था और जवान बेटे के सामने बेबसी की हालत में वह अपने ही बेटे और अपनी ही बीवी पर झूठा इल्जाम लगाता था दोनों के बीच शारीरिक संबंध को लेकर बातें बनाया करता था और इन्हीं बातों को सुनकर जो कुछ भी संजू अपने मन में सोचा नहीं था उसे करने के लिए प्रेरित होने लगा,,,, और पति से प्यार न पाकर अपने बेटे के द्वारा अपने आप को संभालने की स्थिति में आराधना का भी झुकाव अपने बेटे की तरफ बढ़ने लगा और बढ़ते बढ़ते इतना बढ़ गया कि दोनों एक ही बिस्तर तक आ गए और दोनों के बीच जिस्मानी ताल्लुकात पैदा हो गए,,,, ओर यह सिलसिला अभी तक शुरू था,,,)
अपने आप को छुपाने के लिए मुझ पर झूठा इल्जाम मत लगा,,,,(अशोक गुस्से में बोला)
तुम बात को बदलने की कोशिश कर रहे हो इसीलिए कह रहा हूं कि हमारी शर्त मान कर चले जाओ,,,,,,
नहीं मैं यहां हार मानने के लिए नहीं आया हूं,,,,
तो तैयार हो,,,
हां मैं बिल्कुल तैयार हुं ,,
सोच लो अगर हार गए तो,,,,
जैसा तुम दोनों कहते हो वैसा ही करूंगा,,,,
मम्मी पापा तो एकदम तैयार हो गए हैं,,,, तो शुरू करें ,,,,
लेकिन करना क्या है,,,?(आराधना भी आश्चर्य जताते हुए बोली क्योंकि उसे भी नहीं मालूम था कि संजू कौन सा खेल खेलने वाला है,,,)
बहुत आसान है मेरी जान,,,(अपनी मां को जान कहकर संबोधित करते हुए) तुम्हें ज्यादा कुछ नहीं करना है बस अपनी साड़ी कमर तक उठाना है और अपनी चड्डी को अपने हाथों से एकदम मादक अदा भी खैर कर उसे उतरना है बस इतनी से ही मर्दानगी का पता चल जाएगा अगर इतना देखकर इनका लंड खड़ा हो गया,,, तो सही मायने में यह पूरे मर्द हैं और अगर मेरा नहीं खड़ा हुआ तो मैं हार मान लूंगा,,,, और फिर समझ जाऊंगा कि इनमें किसी भी प्रकार की कमी नहीं है,,,,।
यह कैसा खेल है,,,(आराधना फिर से संजू की तरफ देखते हुए बोली)
तुम नहीं जानती रानी जवानी का थर्मोमीटर औरतों की दोनों टांगों के बीच होती है उसे देखकर ही मर्दों का पर चढ़ने लगता है बस यही देखना है कि तुम्हारी टांगों के बीच की पतली दरार को देखकर कौन सबसे पहले उत्तेजित होता है और कितना होता है,,,,
(संजू एकदम बेशर्मी भरी बातें अपनी मां के सामने तो करता ही था लेकिन अपने आप के सामने भी वह पूरी तरह से बेशर्म हो चुका था क्योंकि वह जानता था कि उसके बाप से अब उसका कोई रिश्ता नहीं है वह इस परिवार के लिए बिल्कुल अनजान बन गया था,,, संजू की बातों को सुनने के बाद अशोक कुछ देर खामोश रहने के बाद बोला,,,)
मैं बिल्कुल तैयार हूं,,,,
ऐसे नहीं,,,(और इतना कहने के साथ ही अपने पेट की बटन खोलने लगा और देखते ही देखते संजू पेट की बटन खोलने के बाद अपने अंडरवियर सहित अपनी पेट को नीचे घुटनों तक खींच दिया और,,, कमर के नीचे दोनों टांगों के बीच उसका हथियार एकदम से झुलने लगा जो कि सुषुप्त अवस्था में भी गजब का लग रहा था जिसे देखकर ही अशोक के पसीने छूट रहे थे,,,) अपनी पैंट इस तरह से उतार दो,,,, तभी तो पता चलेगा की मम्मी का थर्मामीटर हम दोनों के पारे को कितना ऊपर ले जाता है ,,,,
(अशोक को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें,,,, अपने बेटे के लंड को जो कि अभी खड़ा भी नहीं था उसे देखकर उसके खुद के पसीने छूट रहे थे लेकिन वह इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं था,,, वह भी संजू की तरह अपने पेंट को घुटनों के नीचे खींच दिया,,, और उसके लंड को देखकर आराधना की हंसी छूटने वाली थी लेकिन वह अपने आप को किसी तरह से रोक ले गई आराधना की जवानी के दिन अशोक के छोटे से लंड से गुजर रही थी और जब तक उसने अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में नहीं ली थी तब तक उसे अपने पति का ही लंड बड़ा लगता था लेकिन अब बात कुछ और थी इसीलिए तो अपने पति के छोटे से लंड को देखकर उसकी हंसी छूटने वाली थी,,,,।)
अब शुरू करो मम्मी,,,,
(अपने बेटे की बेशर्मी भरी बातों को सुनकर आराधना भी पूरी तरह से मस्ती के सागर में गोते लगाने लगी थी उसकी खुद की चूत पानी छोड़ रही थी,,, अपने पति और अपने बेटे को अर्धनग्न अवस्था में देखकर वह भी अपने काम को अंजाम देने के लिए तैयार हो गई कमरे के अंदर का दृश्य धीरे-धीरे पूरी तरह से अपने पूरे सबाब में अपनी रंगत बिखेर रहा था,,,,, आराधना अपने बेटे के द्वारा बताए गए खेल को खेलने के लिए काफी उत्सुक भी थी और काफी उत्तेजित भी थी वह धीरे-धीरे अपनी मादक अदा बिखेरना शुरू कर दी वह दोनों हाथों को अपनी जांघों के इर्द-गिर्द रखकर अपनी नाजुक उंगलियां के सहारे अपनी साड़ी को पकड़ ली और उसे उंगलियों के सहारे से ऊपर की तरफ उठाना शुरू कर दी और जैसे-जैसे साड़ी ऊपर की तरह पड़ रही थी अशोक के लंड में तो नहीं लेकिन संजू के लंड में गजब की हरकत हो रही थी,,, देखते ही देखते अपनी मादक मुस्कान बिखरे हुए आराधना अपनी साड़ी को घुटनों तक उठा दी थी और उसकी नंगी मांसल चिकनी पिंडलियों को देखकर अशोक के लंड में अभी भी जरा सा भी हरकत नहीं हुआ,,, लेकिन संजू के लंड में भूचाल आना शुरू हो गया,,, संजू अपनी कमर पर दोनों हाथ रखकर मुस्कुराता हुआ अपनी मां की तरफ देख रहा था वह अपने लंड की तरफ देख भी नहीं रहा था लेकिन उसे एहसास हो रहा था कि उसके लंड में हरकत हो रही है और वह इस बात से बहुत खुश भी था,,,,।
अपनी मां की नंगी चिकनी टांग को देखकर ही संजू से रहा नहीं गया और वह अपनी मां की खूबसूरती की तारीफ में बोला,,,।
वाह मेरी जान क्या मस्त जवानी है तेरी,,, तेरी तो पिंडलियों पर ही लंड रगड़ रगड़ कर पानी निकाल दुं,,,।
(एक तरफ आराधना की नंगी घुटनों के नीचे के भाग को देखकर संजू की हालत खराब हो रही थी वहीं दूसरी तरफ अशोक के लंड में जरा भी हरकत नहीं हो रही थी तो वह खुद ही अपने लंड को पकड़कर झटका मार कर उसे नींद से जगाने की कोशिश कर रहा था,, )
और ऊपर कर मेरी रानी साड़ी उठा अपना जलवा दिखा जवानी दिखा,,,,
(अपने बेटे के लंड की हालत और अपने बेटे के जोश को देखकर आराधना मन ही मन में मुस्कुरा रही थी खुश हो रही थी उत्तेजित हो रही थी और देखते ही देखते वह अपनी साड़ी को अपनी आधी जांघो तक उठा दी उसकी मोटी मोटी केले के तने के समान चिकनी जांघों को देख कर तो संजू का लंड जैसे ग्रीन सिग्नल पकड़ फाटक का डंडा एकदम से खड़ा हो जाता है इस तरह से उसका लंड भी पूरी तरह से खड़ा हो गया मानो कि जैसे ढीले डाले फुग्गे में हवा भर दी गई हो,,, वहीं दूसरी तरफ अशोक की हालत खराब हुई जा रही थी वह अपने लंड को पकड़ कर जोर-जोर से हिला रहा था लेकिन उसमें बिल्कुल भी हरकत नहीं हो रही थी,,, उसकी एक बजा यह भी थी कि वह अपनी आंखों के सामने अपनी जवान बेटे और अपनी बीवी की शर्म भरी हरकत को देख रहा था,,,,)
वाह मेरी आराधना रानी क्या मस्त मोटी मोटी जांगे हैं तेरी आहहहह इसे देखकर तो किसी का भी लंड खड़ा हो जाए,,,,ऊफफ,,,, कमर तक उठा मेरी जान अपनी साड़ी को,,,आहहहहह क्या मस्त नजारा है इसे देखने के लिए ही तो मैं तड़प रहा हूं,,,,।
(अशोक की तरफ से किसी भी प्रकार की हरकत नहीं हो रही थी ना तो लंड से और ना ही मुंह से लेकिन संजू की तरफ से उसका लंड और मुंह दोनों हरकत में आ चुके थे,,,, और दोनों बराबर हरकत कर रहे थे अपने बेटे की बात को सुनकर आराधना भी पूरी तरह से मस्ती के सागर में डूबने के लिए तैयार थी और अपने बेटे की बात सुनते ही वह एकदम से अपनी साड़ी को कमर तक उठा दी और उसकी साड़ी कमर तक उठते ही उसकी पीले रंग की लाजवाब चड्डी नजर आने लगी जो कि उसके गोरे रंग पर और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी चड्डी आगे से पूरी तरह से खेली हो चुकी थी जो कि इस बात का सबूत था कि इस खेल में उसे भी बहुत मजा आ रहा था और यह नजारा अशोक भी देख रहा था अशोक भी अपनी बीवी की चड्डी के आगे वाले गीलेपन को देखकर अंदर ही अंदर गुस्से से आग बबूला हो रहा था,,,,। वहीं दूसरी तरफ संजू और आराधना दोनों एकदम खुश नजर आ रहे थे वह दोनों जानबूझकर अशोक के सामने इस तरह की हरकत करके मुस्कुरा रहे थे वह अशोक को बेइज्जत करना चाहते थे अशोक को उसके ही नजर में गिराना चाहते थे और जो की इसमें दोनों कामयाब भी होते नजर आ रहे थे अपनी मां की गली चड्डी को देखकर संजू अपने लंड को हाथ में पकड़ लिया उसे धीरे-धीरे मुठीयाते हुए बोला,,,)
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देख रहे हो अशोक बाबू तुम्हारी बीवी पानी छोड़ रही है मेरे लंड को देखकर,,,,(अपने लंड को बेशर्मी से मुट्ठी आते हुए) तुम्हारी बीवी अपनी चूत में मेरे लंड को लेना चाहती है,,,, इस बेहतरीन नजारे को देखकर भी अशोक बाबू तुम्हारे लंड में तो बिल्कुल भी हरकत नहीं हो रही है,,,,(अपने बाप के लंड की तरफ देखकर,,,,,, अशोक को तो जैसे काटो तो खून नहीं वह बेहद शर्मिंदगी महसूस कर रहा था उसकी हालत एकदम खराब हो रही थी अपनी आंखों के सामने ही अपनी बीवी और अपने बेटे की शर्मनाक हरकत को देखकर वह गुस्से से आग बबूला होता जा रहा था लेकिन वह इस समय शर्त के अधीन हो चुका था और इस बात तो उसे भी एहसास था कि वाकई में उसके लंड में किसी भी प्रकार की हरकत नहीं हो रही थी,,,, संजू अपनी बेशर्मी भरी बातों को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
हाय मेरी जान तू कितना पानी छोड़ती है आज तो तेरी चुत की खैर नहीं,,, बस अब जल्दी से अपनी चड्डी उतार दे और नंगी हो जा,,,,
बस मेरे राजा देर किस बात की है,,,,(और इतना कहने के साथ ही आराधना अपने दोनों हाथों की नाजुक उंगलियों से अपनी पीली चड्डी पकड़ कर उसे उतारना शुरू कर दी और देखते ही देखते वह पूरी तरह से नंगी हो गई कमर के नीचे वह पूरी तरह से नंगी थी एकदम पागल कर देने वाले अंदाज में वह अपनी दोनों टांगों को थोड़ा सा खोल कर अपनी चूत को संजू की तरफ आगे परोसते हुए अपनी हथेली को अपनी चूत पर रखकर रगड़ते हुए बोली,,,,)
हाय मेरे राजा तेरे लंड को देखकर मेरी चूत पानी छोड़ रही है,,, और इन महाशय को देखो अभी तक इनके लंड में हरकत ही नहीं हुई है,,,,(अशोक की तरफ देखकर एक कदम आगे बढ़कर संजू के खड़े लंड को अपने पति के सामने ही पकड़ ली और उसे आगे पीछे करके हिलाते हुए बोली,,,) इसे कहते हैं मर्द और इसे कहते हैं मर्दानगी,,,,,
(अपनी मां का हाथ अपने लंड पर पडते ही,,, संजू अपने आप के सामने अपनी उत्तेजना को संभाल नहीं पाया और तुरंत उसे अपनी बाहों में भरकर उसके लाल-लाल होठों को अपने होठों में भरकर चूसना शुरू कर दिया यह देखकर तो अशोक की हालत एकदम से खराब हो गई वह पागलों की तरह दोनों की हरकत को देखने लगा एक बार पहले भी उसकी आंखों के सामने ही दोनों बेशर्मी की सारी हदें पार कर चुके थे लेकिन आज फिर से उसकी आंखों के सामने वही दृश्य दोहराया जा रहा था,,, संजू से रहा नहीं जा रहा था वह पागलों की तरह अपनी मां को चूमते हुए उसे अपनी बाहों में पकड़ कर धीरे-धीरे दीवार की तरफ आगे पढ़ने लगा और जैसे ही उसकी पीठ को वह दीवार से सटाया वह अपने सब्र का बांध एकदम से तोड़ दिया,,, और तुरंत अपनी मां की दोनों टांगों को पड़कर उसे दीवार के सहारे ऊपर उठाया और अपनी कमर से लपेट दिया इस तरह से उसकी मां उसकी गोद में आ चुकी थी और संजू अपने लंड को अपना हाथ नीचे की तरफ ले जाकर उसे पकड़ लिया और उसके गुलाबी छेद पर लगाकर एक धक्का मारा और पूरा का पुरा लंड एक ही बार में आराधना की चूत में समा गया,,,,।
अशोक कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आराधना से तलाक मांगने पर उसके घर में इस तरह का नजारा देखने को मिलेगा संजू पागलों की तरह अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था और आराधना पागलों की तरह गरमा गरम सिसकारी छोड़ रही थी जो कि इस बात का सबूत था कि उसे अपने बेटे के साथ कितना मजा मिल रहा था,,,,, संजू और आराधना को इस बात की बिल्कुल भी चिंता नहीं थी कि वह अशोक के सामने संभोग कर रहे हैं उन्हें तो बल्कि इस बात की खुशी थी कि वह वाकई में अशोक के सामने फिर से चुदाई का खेल खेल रहे हैं अशोक पूरी तरह से अपनी नजरों में गिर चुका था अशोक ने अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड का लोहा भी मान लिया था क्योंकि किसी भी सूरत में,,, संजू के लंड के आगे उसका लंड कुछ भी नहीं था और जिस तरह से वह दम खम दिखा कर अपनी गोद में उठाए हुए उसकी चुदाई कर रहा था यह उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था कुछ देर तक दोनों इसी तरह से गुत्थम गुत्था होकर एक दूसरे को मजा लेते और देते हुए झड़ना शुरू कर दिए,,,, और फिर धीरे से संजू अपने लंड को अपनी मां की चूत में से बाहर निकाला और अपनी मां को धीरे से अपनी गोद में से नीचे उतार दिया आराधना गहरी गहरी सांस लेते हुए बोली,,,)
देख लिया इसे कहते हैं मर्द अब तू अपनी शर्तें भी हार चुका है अगर मुझे छुटकारा चाहता है तलाक जाता है तो मेरी शर्त मानने वरना जिंदगी भर तुझे इसी तरह से बेइज्जत करते रहूंगी,,,,
(अशोक के पास दूसरा कोई चारा नहीं था वह किसी भी तरह से अब संजू और अपनी बीवी से आंख मिलाकर उनके सामने खड़ा नहीं हो सकता था क्योंकि वह पूरी तरह से उन दोनों की आंखों के सामने भेज तो चुका था सर ऊंचा करके अपनी बीवी और बच्चों के सामने जीना उसके लिए बिल्कुल भी मुमकिन नहीं था इसलिए वह उन दोनों की शर्त मानते हुए बोला,,,)
ठीक है मुझे मंजूर है परसों में₹100000 नगद हो रही है यह घर तुम्हारा नाम कर दूंगा,,,,(इतना कहने के साथ ही अशोक घर से बाहर निकल गया बेइज्जत होकर और उसे जाता हुआ देखकर दोनों के चेहरे पर सुकून नजर आने लगा)
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है अशोक से आराधना का पीछा छूट ही गया संजू बड़ा वाला कामिना है कैसे अशोक की नई बीवी की गांड़ में उंगली कर दी और उसे उफ तक नहीं करने दियाअपने बाप के सामने ही एक बार फिर से अपनी मां की चुदाई करके और अपनी मर्दानी की को अपने आप की मर्दानगी से कुछ ज्यादा ही बेहतर दिखा कर अपने ही आप को अपनी ही नजर में गिरने पर मजबूर कर दिया था,,, अशोक भी अपने बेटे की मर्दाना ताकत को देखकर दंग रह गया था यह दूसरी बार था जब उसकी आंखों के सामने ही उसके बेटे ने अपनी मां की जमकर चुदाई किया था और उसकी मां भी बिना शर्म किया बेशर्मों की तरह एक रंडी की तरह अपने पति के सामने अपनी ही बेटी के लैंड को अपनी चूत में लेकर अपनी प्यास बुझाने की पूरी कोशिश की थी और अपनी ही नजर में अपने पति को गिराने की भरपूर कोशिश की थी जिसमें वह कामयाबी हो गई थी यह एक तरह से अपने पति के गाल पर थप्पड़ था,,, क्योंकि जिस हालात में वह छोड़कर गया था उसे बाहर निकलना आराधना के लिए बहुत मुश्किल था लेकिन जैसे तैसे करके वह उस मुसीबत की घड़ी से बाहर निकल गई थी साथ ही नए सिरे से अपनी जिंदगी की शुरुआत की थी अपने बच्चों के साथ जिसमें उसे सारे सुख मिल रहे थे जिसमें जिस्मानी सुख भी शामिल था और सभी सुखों के आगे जिस्मानी सुख का कद कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है,,,।
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वैसे तो अशोक तलाक के बदले आराधना को एक फूटी कोड़ी नहीं देने वाला था और उसे ऐसा ही लग रहा था कि वह सीधी शादी औरत उसे आराम से तलाक दे देगी लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था तलाक के बदले में आराधना की कुछ शर्ते द ₹100000 नगद और जिस घर में रहते थे वह घर उसके नाम पर करना था और जिस तरह से संजू ने मरदानी की दिखाने की शर्त के आगे अपनी कुछ शर्ते रखी थी अशोक को मुंह की खानी पड़ी थी और उसे आराधना की शर्त मानना पड़ा था और वहां से वह चलता बना था,,,।
आराधना ने फोन करके अपनी बड़ी बहन को सब कुछ बताती थी और निश्चित किए हुए दिन पर आराधना अपनी बड़ी बहन साधना के साथ-साथ अपने बच्चों और मनीषा को भी लेकर कोर्ट पहुंच चुकी थी आराधना के पक्ष से साधना की पहचान का ही वकील था जो सब कुछ कागज तैयार कर चुका था,,, वहां पर पहले से ही अशोक और उसकी होने वाली बीवी मौजूद थी साधना उसे औरत को देखकर धीरे से आराधना के कान मे बोली,,,।
यार आराधना यह तो तेरी झांट के बाल भी बराबर नहीं है,,, अशोक सच में साला एकदम चुतीया है जो इतनी खूबसूरत रसमलाई को छोड़कर बर्फी के पीछे लट्टू हुआ है,,,,(साधना की बात को संजू सुन रहा था और वह भी मुस्कुराते हुए बोला,,,)
सच कह रही हो मौसी यह औरत तो मम्मी की चूत के पानी के बराबर भी नहीं है,,,
धत्,, हरामी,,,,(आराधना अपने बेटे को आंख दिखाते हुए बोली,,,, बीच में साधना बोल पड़ी,,,)
सच ही तो कह रहा है संजू,,,, अगर यह संजू के नीचे आ जाए तो संजू एक ही रात में इसकी चुत का भोसड़ा बना देगा,,,
हाय दइया दीदी कुछ तो शर्म करो,,, सब लोग यहां पर हैं,,,।
अरे तो क्या हुआ सच ही तो कह रही हूं,,, इसके शरीर को देखकर तुझे नहीं लग रहा है कि संजू का मोटा तगड़ा लंड यह झेल नहीं पाएगी वह तो हम दोनों हैं जो संजू के हर एक धक्के को झेल लेते हैं,,,,(साधना की बातें आराधना को अच्छी तो लग रही थी लेकिन वह शर्म से पानी पानी हो जा रही थी उसे इस बात का डर था कि कहीं उन दोनों की बात कोई सुन ना ले इसलिए वह चकर पकर देख ले रही थी,,,, लेकिन किसी का भी ध्यान उन तीनों की तरफ नहीं था,,, संजू बार-बार अपने पापा के साथ खड़ी उसे औरत की तरफ देख ले रहा था खास करके संजू अपनी नजरों से ही उसकी छतिया और उसकी गांड का माप नापने की कोशिश कर रहा था और उसे अपनी मौसी की बात में सच्चाई नजर आ रही थी उसे पूरा यकीन था कि अगर एक रात के लिए जरूर उसे मिल जाए तो सच में उसकी चूत का भोसड़ा बना दे,,,,, संजू की नजर को साधना भी बड़े अच्छे से पहचान रही थी इसलिए वह मुस्कुराते हुए बोली,,,)
क्या देख रहा है संजू अपनी नई मां की गांड देख रहा है ना,,,।
हाय दीदी कुछ तो शर्म करो,,,(साधना को चुप कराने की कोशिश करते हुए वह बोली,,)
इसमें कौन सी शर्म जब वह खुद की अपनी सगी मां की जमकर चुदाई कर सकता है तो वह तो सिर्फ मुंह बोली है,,,, अच्छा संजू अगर तू सच में अपनी मां की औलाद है तो उसे औरत की गांड पर अपना हाथ फिरा कर दिखा,,,,
यह क्या कह रही हो दीदी बात बिगड़ जाएगी,,,(साधना एकदम आश्चर्य और चिंता दर्शाते हुए बोली क्योंकि उसे अपनी बड़ी बहन की है बात अच्छी नहीं लगी थी क्योंकि इसमें गड़बड़ होने की बात थी अगर वह औरत संजू की हरकत पर आपत्ति जताती है तो बहुत गड़बड़ हो सकती थी,,,,)
कुछ बात नहीं बिगड़ेगी संजू को मैं अच्छी तरह से जानती हूं संजू बड़े अच्छे से संभाल लेगा,,, क्यों संजू सही कह रही हु ना,,,,
(साधना की बात सुनकर संजू कुछ बोला नहीं बस मुस्कुरा रहा था और उसकी मुस्कुराहट देखकर आराधना समझ गई थी कि यह साधना की बात मान गया है इसलिए आराधना के चेहरे पर चिंता के भाव नजर आने लगे,,,, और वह संजू से बोली,,,)
नहीं संजु ऐसा बिल्कुल भी मत करना,,,
(जवाब में संजू कुछ बोला नहीं बस सही मौके का इंतजार करता रहा और थोड़ी देर बाद उसे वह मौका मिल ही गया जब अशोक और साधना का वकील और उसका वकील कागजात लेकर जज के पास गए उस समय वह औरत अपने दोनों हाथ बांधकर खिड़की से कोर्ट की कार्रवाई देख रही थी तभी संजू आगे बढ़ा और उसे आगे बढ़ता हुआ देख कर आराधना का दिल जोरो से धड़कने लगा इन सब के बीच मोहिनी और मनीषा दोनों थोड़ी दूरी पर एक बेंच पर बैठकर बातें कर रहे थे,,, उन दोनों तो मानो जैसे यहां पर पिकनिक मनाने आए थे वैसे भी इस तलाक को लेकर घर का कोई सदस्य कुछ ज्यादा चिंतित नहीं था सबको बस इस रिश्ते से छुटकारा चाहिए था और वह आज होने वाला था,,,,।
साधना उत्सुकता से और आराधना चिंतित होकर देख रही थी वह औरत जिसे संजू का आप शादी करने वाला था वह दोनों हाथ बांधकर खिड़की में से देख रही थी और ऐसी अवस्था में भले चाहे जो भी हो संजू को वह औरत बेहद कामनीय लग रही थी उसके नितंबों का उभार उसकी मां जितना उन्नत तो नहीं था लेकिन किसी भी मर्द को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए काफी था,,,। न जाने क्यों वह औरत भी बार-बार तिरछी नजर से संजू की तरफ देख ले रही थी,,,,,,।
औरतों की संगत में संजू बेहद शातीर और चालाक हो चुका था,,,, वह अपने चारों तरफ नजर दौड़ा कर पूरी तरह से तसल्ली कर लेने के बाद उसे औरत की तरफ आगे बढ़ा और देखते ही देखते वह एकदम से उसके करीब पहुंच गया संजू को अपने बेहद करीब देखकर वह औरत भी थोड़ा सा शक पका गई लेकिन वह औरत संजू के इतने करीब आने पर कुछ रिएक्शन दे पाती इससे पहले ही संजू अपनी हरकत को अंजाम देते हुए अपने हाथ को उसके नितंबों के पीछे ले गया और अपनी हथेली को उसके नितंबों के नीचे वाले भाग पर रखते हुए हल्के से दबाव बनाते हुए उसे ऊपर की तरफ ले आया मानो कि वह उसकी गांड को सहला रहा हो,,,, वह औरत तो संजू की हरकत से पूरी तरह से शक पका गई आश्चर्य से उसकी आंखें एकदम चौड़ी हो गई,,,, और वह संजू की तरफ फटी आंखों से देखने लगी वह औरत कुछ बोल पाती से पहले ही संजू उसके नितंबों पर हाथ रखे हुए ही बोला,,,।)
आज से मेरे पापा के साथ तुम्हारा नया रिश्ता शुरू हो रहा है इस नए रिश्ते के लिए तुम्हें ढेर सारी बधाई तो मानो या ना मानो लेकिन तुम्हारे और मेरे बीच मां बेटे वाला ही रिश्ता है क्योंकि मैं अपने पापा का बेटा हूं और मेरे पापा आप तुमसे शादी करने वाले हैं इस रिश्ते से तुम मेरी मां हुई,,,।(संजू उससे बात करने के दौरान उसकी आंखों में देख रहा था और संजू की बात सुनकर वह भी हैरान थी क्योंकि उसे उम्मीद नहीं थी कि उसकी वजह से आज उससे उसका आप अलग हो रहा है लेकिन फिर भी उसके लड़के में इस बात को लेकर जरा भी दुख नहीं है बल्कि वह उसे नई जीवन की शुरुआत के लिए बधाई दे रहा है वह अपने मन में यही बात सोच रही थी कि मौका देखकर संजू उसकी गोल-गोल गांड पर एक बार फिर से हाथ घुमाते हुए अपनी बीच वाली उंगली को उसकी गांड की दरार के पीछे करते हुए ऊपर की तरफ ले आया लेकिन चीज जगह से उसने उंगली को अंदर धंसाने की शुरूआत किया था ऐसे हालात में उसकी उंगली उस औरत को अपनी चूत पर महसूस हुई जिससे वह पूरी तरह से गन गना गई थी,,,, ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे औरत ने पहली बार इस तरह की हरकत को अपने बदन में महसूस की थी और जिसे महसूस करने के बाद वह पूरी तरह से मचल उठी थी,,,, संजू उस औरत को बोलने नहीं दे रहा था क्योंकि वह जानता था कि अगर उसे बोलने का मौका दिया तो गड़बड़ हो जाएगा दूर खड़ी आराधना और साधना अपने बेटे की हरकत को देख रही थी आराधना है उसके बेटे की हिम्मत और ताकत को देखकर और साधना इस बात से खुश थी कि उसका भतीजा उसके विश्वास पर पूरी तरह से खरा उतरा था,,,, संजू अपनी उंगली का जादू दिखाते हुए उस औरत से बोला,,,।
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तुम्हें देखकर ही मैं समझ गया था कि मेरे पापा के लिए तुम एकदम फिट औरत हो,,,,,(संजू की बात सुनकर वह औरत आश्चर्य से आराधना की तरफ देखने लगी क्योंकि उसे इस बात का एहसास अच्छी तरह से था की खूबसूरती के मामले में उससे ज्यादा आराधना खूबसूरत थी और हसीन भी थी उसके बदन से जवानी पूरी तरह से टपक रही थी इसलिए उसे आश्चर्य हो रहा था और संजू भी शायद उसकी आंखों में इस आश्चर्य को पढ दिया था इसलिए वह बोला,,)
वहां मत देखो मैं जानता हूं तुम क्या सोच रही हो तुम यही सोच रही हो ना कि मुझे भी ज्यादा खूबसूरत तो वह है,,,, लेकिन शायद तुम एक बात नहीं जानती क्योंकि मेरे पापा को ही पता है कि भले ही वह कितनी भी खूबसूरत औरत है लेकिन बिस्तर पर बिल्कुल ठंडी है और मेरे पापा को बिस्तर पर एकदम गर्म औरत चाहिए बिल्कुल तुम्हारी तरह तुम्हें देख कर ही मैं समझ गया था कि तुम बहुत गर्म औरत हो मेरे पापा की लायक इसीलिए तो सब कुछ छोड़-छाड़ कर वह तुम्हारे पीछे पागल हुए हैं,,,,(संजू की इस बात में उसे औरत को अपनी खूबसूरती और अपनी जवानी के बारे में बडाई नजर आ रही थी अपनी तारीफ नजर आ रही थी इसलिए वह अंदर ही अंदर एकदम खुश होने लगी लेकिन संजू की बातों को सुनकर और जो हरकत उसने किया था उसकी वजह से उसे अपनी चूत गीली होती हुई महसूस हो रही थी जिससे वह खुद हैरान थी,,,, वह अभी तक कुछ बोली नहीं थी लेकिन वह संजू की बात को सुनकर वह बोली,,)
तुम अपनी मां के बारे में ऐसा क्यों कह रहे हो और तुम्हें ऐसा कहना भी नहीं चाहिए अपनी मां के बारे में,,,
मैं जानता हूं तुम जो कुछ भी कह रही हो उसमें सच्चाई है एक बेटे को अपनी मां के बारे में इस तरह की अंदरुनी बातें नहीं बतानी चाहिए लेकिन मैं क्या करता मजबूर हूं मेरी मां की वजह से आज मेरे पापा अलग हो रहे हैं अगर मेरी मां भी तुम्हारी तरह गर्म औरत होती बिस्तर पर मेरे पापा का साथ देती तो शायद आज मेरा परिवार इस तरह से बिखरता नहीं लेकिन फिर भी मैं तुम्हें बधाई दूंगा,,,, तुम मेरे पापा का साथ बहुत अच्छे तरीके से दोगी इसलिए मैं तुम्हें यहां सिर्फ बधाई देने आया हूं,,,(ऐसा कहते हुए संजू फिर से अपनी हथेली को उसके लिए नितंबो पर रख दिया और इस बार उत्तेजना के मारे कस के दबा भी दिया जिससे वह एकदम से चौंक गई और अपने अगल-बगल देखने लगी लेकिन कोई भी उन दोनों को देख नहीं रहा था सिवाय आराधना और साधना के जोकी वह दोनों भी तिरछी नजरों से ही देख रहे थे,,,,, लेकिन फिर भी उस औरत के मुंह से आह निकल गई,,)
आहहहह ,,, यह क्या कर रहे हो,,,
मैं माफी चाहूंगा लेकिन तुम्हारी जैसी खूबसूरत और गर्म औरत को इतने करीब देखकर मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पाया और मेरी सबसे बड़ी कमजोरी है औरतों की खूबसूरत गांड जो कि काम ही देखने को मिलती है और वह आकर्षण मुझे तुम्हारी गांड में देखने को मिल रही है इतनी उभरी हुई कई हुई साड़ी में तुम्हारी गांड और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही है,,,।
(संजू किस तरह से खुली और गंदी बातों को सुनकर वह औरत एकदम से हैरान थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि संजू उसे कोई मौका ही नहीं दे रहा था बोलने का बस अपनी तरफ से हरकत भी कर रहा था और बोले जा रहा था और उसे यह भी समझ में नहीं आ रहा था कि एक तरफ वह उसे मां का दर्जा भी दे रहा था और इस तरह की हरकत भी कर रहा था हालांकि इसकी हरकत को लेकर उसके बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूट रही थी और उसकी चूत से मदन रस का रिसाव भी हो रहा था,,,। संजू की हरकत की वजह से उसकी सांसे गहरी चलने लगी थी संजू को बहुत मजा आ रहा था संजू को अच्छी तरह से एहसास हो रहा था कि उसकी हरकत की वजह से वह औरत पूरी तरह से चुदवासी हो रही थी,,,, संजू उसे औरत से और बातें कर पाता इससे पहले ही अंदर से एक आदमी आया और आराधना को बुलाने लगा और संजू भी अपनी मां के साथ अंदर चला गया,,,,।
थोड़ी देर बाद सब लोग बाहर आ गए सभी के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आ रहे थे सब कुछ सही तरीके से संपन्न हो चुका था अपनी मां को कोर्ट रूम से बाहर निकलते हुए देख कर मोहिनी और मनीष भी दोनों की तरफ आगे बढ़ गए और सब कुछ सही हो गया यह जानकर राहत की सांस लिए थे वादे के मुताबिक आराधना के हाथों में एक लाख रुपया नगद और घर के कागजात थे जिससे वह और ज्यादा खुश नजर आ रही थी,,,।
अशोक अपनी होने वाली बीवी को लेकर वहां से चला गया था क्योंकि वह पहले से ही संजू और अपनी बीवी की नजरों में गिर चुका था इसलिए वहां पर खड़ा रहना उसके लिए उचित नहीं था लेकिन साधना बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि संजू उसके विश्वास पर पूरी तरह से खरा उतरा था और इस बात को देखकर आराधना भी हैरान हो गई थी कि उसकी इतनी अश्लील हरकत के बावजूद भी अशोक की होने वाली बीवी ने उसे कुछ भी नहीं कही थी,,,।
अब आराधना तेरे जीवन का नया अध्याय शुरू हो रहा है जिसे तू अपने तरीके से और एकदम खुश होकर जीना संजू तो है ही तेरे साथ,,,(संजू वाली बात वह बड़े धीरे से बोली थी क्योंकि उसके कहने के मतलब को आराधना अच्छी तरह से समझ रही थी इसलिए साधना की बात सुनकर वह शर्मा गई थी,,,, इसके बाद सब लोग अपनी-अपने घर चले गए घर पर पहुंचने के बाद आराधना और मोहिनी बहुत खुश नजर आ रहे थे साथ ही संजू की बहुत खुश था मोहिनी बोली,,,)
अब तो हम लोगों के पास पैसे भी हो गए हैं क्यों ना हम लोग इस मौके को अच्छी तरह से मनाए,,,
लेकिन किस तरह से,,,(आराधना बोली)
सुहागरात की तरह,,,(मोहिनी की बात सुनते ही आराधना और संजू दोनों आश्चर्य से मोहिनी की तरफ देखने लगे और उसकी बात के मतलब को समझ कर दोनों के चेहरे पर मादक मुस्कान तैरने लगी)