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संजू अपनी मां और बहन दोनों को स्कूटी पर बैठ कर खरीदी करने के लिए निकल गया था लेकिन खरीदी करने से पहले और घर से निकलने से पहले जिस तरह की घमासान चुदाई उसने अपनी मां और बहन के साथ किया था उसे देखते हुए ऐसा लग रहा था की सुहागरात वाले दिन वह पूरी तरह से धमका कर देगा,,,और सही मायने में इस तरह की अद्भुत धमाके की उम्मीद मां और बेटी दोनों को भी था,,,।
अपने पति से तलाक लेने के,, आराधना पहली बार खरीदी करने के लिए निकल रही थी और वह भी अपने बेटे और अपनी बेटी के साथ,, यह आराधना के लिए बेहद रोमांचक था,,, क्योंकि आज उसे अपने बेटे में बेटा नहीं बल्कि एक मर्द नजर आ रहा था और उसे मर्द का दर्जा आज उसकी नजरों में एक पति और प्रेमी से बिल्कुल भी कम नहीं था,,, और वैसे भी आराधना के लिए संजू एक बेटे का फर्ज तो निभा ही रहा था लेकिन बेटे के रूप में नहीं बल्कि एक पति और प्रेमी के रूप में,,,। क्योंकि वैसे भी जो हक एक औरत पर प्रेमी और पति का होता है वही हक इस समय संजू का था वह प्रेमी और पति दोनों की जिम्मेदारी निभा रहा था घर के बाहर बेटे की और घर की चार दिवारी के अंदर पति और प्रेमी दोनों की जिम्मेदारी निभा रहा था वह किसी भी तरीके से आराधना को दुखी नहीं देखना चाह रहा था और इसीलिए वह अपनी मां को पूरी तरह से दुनिया का हर सुख देने के लिए,,, हरदम खड़ा था,,,।
यह सब कैसे हो गया आराधना समझ ही नहीं पाई थी जिस लड़के के सामने वह अश्लील शब्दों में बात नहीं करती थी अपने बदन को एक मां के रूप में ही ढंक कर ही रखती थी,,, संजोग ऐसा बन गया था कि आज उसी लड़के के सामने इस बेटे के सामने और जब चाहे तब अपनी दोनों टांगें खोल देती थी,,, स्कूटी पर बैठे बैठे आराधना अपने बेटे के बारे में ही सोच रही थी समय कैसे तेजी से गुजर जाता है इस बात का पता तक नहीं चलता और वही आराधना के साथ भी हुआ था,,, संजू के साथ मां बेटे का रिश्ता उसे ऐसा लगता था कि कल तक ही तो था यह पवित्र रिश्ता लेकिन कब समाज की दीवारों को मर्यादा की चादर को कब अपने हाथों से दूर हटाकर वह अपने ही बेटे को संपूर्ण रूप से मर्द बन चुकी थी इस बात का पता तक नहीं चला था,,, आराधना के लिए जो कल तक मजबूरी थी आज वह पूरी तरह से जरूरत बन चुकी थी। और इस रिश्ते से आराधना पूरी तरह से खुश भी थी उसे मां बेटे के बीच के अवैध रिश्ते के चलते अपने मन में किसी भी प्रकार का मलाल नहीं था बल्कि वह इस रिश्ते से एक बार फिर से खुलकर जी रही थी।
संजू स्कूटी को मध्धम रफ्तार से लेकर आगे बढ़ रहा था उसके मन में भी इस रिश्ते को लेकर बहुत कुछ चल रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे चोदने को इतनी सारी औरतें मिलेगी और वह भी घर की ही जिसमें खुद उसकी सगी मां और सगी बहन शामिल होंगी,,, संजू भी बहुत सीधा-साधा ही लड़का था लेकिन वक्त और हालात नहीं उसे पूरी तरह से बदल कर दिया था जो चुदाई का च,,, तक नहीं जानता था,,, उसने अपनी मर्दाना ताकत से संभोग की महा गाथा लिख दिया था जिसमें प्रमुख रूप से उसकी मां शामिल थी जिसके साथ वह जिंदगी का पूरा लुफ्त ले रहा था अब तक उसके जीवन में जितनी भी औरतें आई थी सब एक से बढ़कर एक थी सबके नंगे बदन का आनंद ले चुका था सबके वस्त्र को अपने हाथों से उतर कर उन्हें पूरी तरह से नंगी करने के बाद ही मजा लिया था उनकी भारी भरकम गोल-गोल गांड खरबूजे जैसी चूचियां,,, और उनकी अलग-अलग आकार की चूत का आनंद व पूरी तरह से ले चुका था अपनी मौसी से लेकर के अपनी चचेरी बहन और अपनी तीन मामियों के साथ-साथ बड़ी मामी की जवान लड़की जिसकी शादी में वह खुद शामिल हुआ था उसे भी वह अपने लंड का स्वाद चखा दिया था।
लेकिन जो मजा उसे अपनी मां के साथ आता था अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबाकर मुंह में लेकर पीने में आता था उसके साथ स्तन मर्दन में आता था,,,, वैसा मजा उसे किसी के साथ महसूस नहीं हुआ था हालांकि सबके साथ उसे आनंद जरूर आया था लेकिन जो आनंद की पराकाष्ठा उसे अपनी मां के साथ मिलती थी वह उसे किसी और के साथ महसूस तक नहीं हुई थी,,, वह अच्छी तरह,, से जानता था कि जो मजा उसे अपनी मां की चूत की मलाई को चाटने में आता था। वह मजा किसी और की चूत में उसे मिल ही नहीं था जो कसाव लंड डालने के बाद अपनी मां की चूत में महसूस होता था वैसा काश उसे ना तो मोहिनी और ना ही मनीषा और ना ही अपनी मामी की चूत में महसूस हुआ था जबकि मनीषा और मोहिनी तो पूरी तरह से जवानी की दहेज पर कदम रखकर पूरी तरह से जवान हो चुकी थी लेकिन फिर भी उन दोनों की चूत में अपनी मां की चूत जैसा कसाव उसे महसूस नहीं हुआ था,,,।
यहां तक की नितंबो में भी अगर सही क्रम में लगाया जाए तो 1 से 10 नंबर तक केवल उसकी मां आराधना ही थी क्योंकि उसका मुकाबला नितंबो में भी कोई औरत नहीं कर पाती थी उम्र के इस पड़ाव पर भी उसके नितंबों का कसाव एकदम जवान लड़कियों की तरह था उसका आकर्षण अभी तक काम नहीं हुआ था इसीलिए तो आज भी संजू अपनी मां के नितंबों को देखते ही उत्तेजित हो जाता था अपनी मां के नितंबो से खेलने में उसकी भारी भरकम गांड से काम कीड़ा करने में जिस तरह का आनंद उसे महसूस होता था वह अद्भुत और अतुल्य था,,, इसीलिए तो वह इसी सुख को प्राप्त करने के लिए अपनी मां की गांड भी मर चुका था जिसमें भी उसे अत्यधिक उत्तेजना और आनंद की प्राप्ति हुई थी।
स्कूटी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ती चली जा रही थी मां बेटी और बेटे में अब किसी भी प्रकार का सामाजिक रिश्ता नहीं रह गया था जो कि घर के बाहर समाज के मित्रों में वह तीनों अभी भी भाई-बहन और मां के रिश्ते से जुड़े हुए थे लेकिन घर के अंदर प्रवेश करते ही दरवाजा के बंदे करते हैं घर की चारदीवारी के अंदर तीनों केवल मर्द और औरत बन जाते थे और इसमें उन तीनों को मजा भी आता था। अब इस रिश्ते को मोहिनी नया नाम देना चाहती थी अपने पति से तलाक लेने के बाद वह अपने पिता से अलग होने के बाद इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी वह इस पल को इस तरह से आनंददायक बनाना चाहती थी ताकि जिंदगी भर याद रहे और इसीलिए सुहागरात वाली युक्ति भी उसी की ही थी जिसकी वह खुद तैयारी करने में लगी हुई थी और इसीलिए तीनों खरीदी करने भी जा रहे थे क्योंकि तीनों अच्छी तरह से जानते थे की सुहागरात के दिन औरत नए वस्त्र के साथ-साथ नए-नए अंतर्वस्त्र भी पहनती हैं,, जो की सही तरीका का पहना जाए तो सुहागरात का मजा ही कुछ और हो जाता है वरना संजू तो रोज ही अपनी मां और बहन दोनों की चड्डी अपने हाथों से उतारता था लेकिन,, संजू चाहता था कि उसकी बहन और उसकी मां उसकी दिलाए हुई चड्डी और ब्रा पहनें ताकि उसे उतारने में उसे पूरी तरह से मदहोशी छा जाए क्योंकि औरत से संभोग से पहले मर्दों का अत्यधिक उत्तेजना महसूस करना बेहद जरूरी होता है और कभी कभार तो औरत के अंगों से नहीं बल्कि उनके अंतर्वस्त्र से ही मर्द पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबने लगते हैं इसलिए संजू उन दोनों को नए तरीके का ब्रा और पेटी दिलाने के लिए कपड़े की दुकान पर ले जा रहा था लेकिन वह भी मार्केट से थोड़ा दूर ताकि तीनों को कोई पहचान ना सके,,,,।
संजू तू इतनी दूर क्यों लेकर जा रहा है मार्केट तो चली गई,,,,,(मार्केट की आखिरी दुकान के आगे निकल जाने पर आराधना उसे दुकान की तरफ देखते हुए संजू से बोली..)
यहां से नहीं मम्मी आज कहीं और से लेंगे जहां तीनों को कोई पहचानता न हो,,,
लेकिन ऐसा क्यों,,,?
क्योंकि जिस जगह पर हम तीनों जा रहे हैं वहां पर मैं चाहता हूं की दुकान वाला हम तीनों को प्रेमी समझे,,,
तेरा कहने का मतलब क्या है मैं कुछ समझी नहीं,,,
अरे यार मेरा कहने का मतलब साफ है कि मैं आज तुम दोनों को,,, पेंटिं और ब्रा दिलाने लेकर जा रहा हूं दुकान पर और वह भी तुम दोनों को अपनी प्रेमिका बनाकर वहां पर किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए कि हम तीनों के बीच कौन सा रिश्ता है उन लोगों को ऐसा ही लगना चाहिए कि मैं तुम दोनों को पटाकर लेकर आया हूं,,,,
वाह भाई तब तो मजा आ जाएगा,,,,,(मोहिनी संजू की बात सुनते ही एकदम उत्साहित होते हुए बोली लेकिन आराधना कुछ देर खामोश रहने के बाद बोली)
लेकिन वहां पर किसी ने हम तीनों को पहचान लिया तो,,,,(आराधना को थोड़ा घबराहट भी हो रही थी लेकिन संजू की बात सुनकर उसके भी मन में उत्सुकता बढ़ गई थी वह भी आज दुकान पर संजू की प्रेमिका बनकर खरीदी करना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि उन दोनों को प्रेमी प्रेमिका के रूप में देखकर दुकान वाले क्या सोचते हैं क्योंकि दोनों के बीच उम्र का कुछ ज्यादा ही फर्क था,,,,)
इसीलिए तो मैं शहर से थोड़ा दूर जा रहा हूं ताकि वहां पर कोई हम तीनों को पहचान ना ले और देखना बहुत मजा आएगा सच कहूं तो मेरा तो सोच कर ही लैंड खड़ा हुए जा रहा है,,,
दिखा तो भाई देखु तो,,,(इतना कहने के साथ ही मोहिनी एकदम से बेशर्मी दिखाते हुए अपना हाथ आगे की तरफ लाकर उसके पेंट पर रख दी जो कि वाकई में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था संजू का लंड वाकई में खड़ा था उसके खड़े लंड को महसूस करते ही मोहिनी बोली,,)
सच में भाई तेरा तो खड़ा हो गया है मुझे तो लगता है की मम्मी की चुत भी पानी छोड़ रही होगी,,,
धत्,,,, हरमी,,,(प्यार से कंधे से मोहिनी को मारते हुए आराधना बोली तो संजू बोल पड़ा क्योंकि अभी भी मोहिनी का हाथ उसके पेंट के आगे वाले भाग पर था,,,)
अरे तू रंडी क्यों बन रही है अपना हाथ तो हटा कोई देख लेगा तो,,,,
देख लेगा तो देख लेगा वैसे भी तो तू हम दोनों को अपनी प्रेमिका बनाकर ले जा रहा है,,,,,
ऐसा कहीं की तो यही गाड़ी रोक कर पेड़ के पीछे ले जाकर तेरी चुदाई कर दूंगा,,,,
तो कर देना भाई,,,, मैं तो तैयार हूं तेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तेरी बातें सुनकर तो मेरी चूत पानी छोड़ रही है,,,,(संजू के पेट के ऊपर से ही उसके लंड को अपनी हथेली में जोर से दबाते हुए मदहोश होते हुए मोहिनी बोली तो संजू बोला,,,)
देख लो मम्मी तुम्हारी लड़की लंड लेने के लिए तड़प रही है कहो तो यही पेड़ के पीछे ले जाऊं,,
तुम दोनों की शरारत यहां भी शुरू हो गई मोहिनी तो ठीक से बैठ संजू को गाड़ी चलाने दे जो कुछ भी करना है घर पर पहुंच कर कर लेना यहां रास्ते पर नाटक मत कर,,,,,
सच कहूं तो मम्मी मुझे तो रहा ही नहीं जा रहा है तुम कहती हो तो सीधे से बैठ जाती हूं नहीं तो इसी समय संजू के पेट में से उसका लैंड निकाल लेती,,,,
तू तो एकदम छिनार हो गई रे,,,,(करने की बात सुनकर आराधना बोली)
छिनार की बेटी छिनार नहीं होगी तो और क्या होगी,,,,
तू बहुत बोलने लगी है,,,(एक बार फिर से धीरे से उसके सर में मारते हुए आराधना मुस्कुराते हुए बोली वाकई हालात ने उसे पूरी तरह से बदल दिया था पहले वह छिनार के मतलब को समझ नहीं पाती थी लेकिन अब उसे समझ में आने लगा की छिनार किसे कहते हैं क्योंकि वह पूरी तरह से समाज के रीति-रिवाज को बंधन को मर्यादा की दीवार को तोड़कर अपने सुख के लिए आगे बढ़ चुकी थी जिसमें सारे रिश्ते नातो को अपनी जरूरत के दलदल में डुबोते चली जा रही थी,,,,, अब उसे छिनार शब्द अच्छा लगने लगा था अपने आप पर इस शब्द को वह पूरी तरह से कसा हुआ समझती थी और वैसे भी जब उसे चोदते समय यह शब्द का उपयोग संजू करता था तो उसे और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होता था वह पूरी तरह से मत हो जाती थी और अपने बेटे के मर्दाना अंग को अपने अंदर पूरी तरह से भींच लेती थी।
एक घंटा गाड़ी चलाने के बाद तीनों शहर के बाहर एक बड़े से कपड़े की दुकान पर पहुंच चुके थे इस जगह पर ना तो पहले कभी आराधना आई थी और ना ही मोहिनी लेकिन संजू वहां चुका था संजू इस जगह को देख चुका था इसीलिए वह बड़े आराम से यहां पहुंच चुका था कपड़े की दुकान काफी बड़ी थी संजू स्कूटी को पार्किंग में खड़ी कर दिया था कपड़े की दुकान के बाहर खड़े होकर मोहिनी बोली।
बाप रे यह तो बहुत बड़ी दुकान है।
हां मैंने यह बहुत बड़ी दुकान है और अंदर देखना कपड़े दिखाने वाली लेडिस ही हैं,,,।
(संजू की बात सुनते ही आराधना के चेहरे पर शर्म की हवाइयां उड़ने लगी उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई पहचान वाला अंदर मिल ना जाए)
बहुत ही शानदार और लाज़वाब अपडेट हैसंजू अपनी मां और बहन दोनों को स्कूटी पर बैठ कर खरीदी करने के लिए निकल गया था लेकिन खरीदी करने से पहले और घर से निकलने से पहले जिस तरह की घमासान चुदाई उसने अपनी मां और बहन के साथ किया था उसे देखते हुए ऐसा लग रहा था की सुहागरात वाले दिन वह पूरी तरह से धमका कर देगा,,,और सही मायने में इस तरह की अद्भुत धमाके की उम्मीद मां और बेटी दोनों को भी था,,,।
अपने पति से तलाक लेने के,, आराधना पहली बार खरीदी करने के लिए निकल रही थी और वह भी अपने बेटे और अपनी बेटी के साथ,, यह आराधना के लिए बेहद रोमांचक था,,, क्योंकि आज उसे अपने बेटे में बेटा नहीं बल्कि एक मर्द नजर आ रहा था और उसे मर्द का दर्जा आज उसकी नजरों में एक पति और प्रेमी से बिल्कुल भी कम नहीं था,,, और वैसे भी आराधना के लिए संजू एक बेटे का फर्ज तो निभा ही रहा था लेकिन बेटे के रूप में नहीं बल्कि एक पति और प्रेमी के रूप में,,,। क्योंकि वैसे भी जो हक एक औरत पर प्रेमी और पति का होता है वही हक इस समय संजू का था वह प्रेमी और पति दोनों की जिम्मेदारी निभा रहा था घर के बाहर बेटे की और घर की चार दिवारी के अंदर पति और प्रेमी दोनों की जिम्मेदारी निभा रहा था वह किसी भी तरीके से आराधना को दुखी नहीं देखना चाह रहा था और इसीलिए वह अपनी मां को पूरी तरह से दुनिया का हर सुख देने के लिए,,, हरदम खड़ा था,,,।
यह सब कैसे हो गया आराधना समझ ही नहीं पाई थी जिस लड़के के सामने वह अश्लील शब्दों में बात नहीं करती थी अपने बदन को एक मां के रूप में ही ढंक कर ही रखती थी,,, संजोग ऐसा बन गया था कि आज उसी लड़के के सामने इस बेटे के सामने और जब चाहे तब अपनी दोनों टांगें खोल देती थी,,, स्कूटी पर बैठे बैठे आराधना अपने बेटे के बारे में ही सोच रही थी समय कैसे तेजी से गुजर जाता है इस बात का पता तक नहीं चलता और वही आराधना के साथ भी हुआ था,,, संजू के साथ मां बेटे का रिश्ता उसे ऐसा लगता था कि कल तक ही तो था यह पवित्र रिश्ता लेकिन कब समाज की दीवारों को मर्यादा की चादर को कब अपने हाथों से दूर हटाकर वह अपने ही बेटे को संपूर्ण रूप से मर्द बन चुकी थी इस बात का पता तक नहीं चला था,,, आराधना के लिए जो कल तक मजबूरी थी आज वह पूरी तरह से जरूरत बन चुकी थी। और इस रिश्ते से आराधना पूरी तरह से खुश भी थी उसे मां बेटे के बीच के अवैध रिश्ते के चलते अपने मन में किसी भी प्रकार का मलाल नहीं था बल्कि वह इस रिश्ते से एक बार फिर से खुलकर जी रही थी।
संजू स्कूटी को मध्धम रफ्तार से लेकर आगे बढ़ रहा था उसके मन में भी इस रिश्ते को लेकर बहुत कुछ चल रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे चोदने को इतनी सारी औरतें मिलेगी और वह भी घर की ही जिसमें खुद उसकी सगी मां और सगी बहन शामिल होंगी,,, संजू भी बहुत सीधा-साधा ही लड़का था लेकिन वक्त और हालात नहीं उसे पूरी तरह से बदल कर दिया था जो चुदाई का च,,, तक नहीं जानता था,,, उसने अपनी मर्दाना ताकत से संभोग की महा गाथा लिख दिया था जिसमें प्रमुख रूप से उसकी मां शामिल थी जिसके साथ वह जिंदगी का पूरा लुफ्त ले रहा था अब तक उसके जीवन में जितनी भी औरतें आई थी सब एक से बढ़कर एक थी सबके नंगे बदन का आनंद ले चुका था सबके वस्त्र को अपने हाथों से उतर कर उन्हें पूरी तरह से नंगी करने के बाद ही मजा लिया था उनकी भारी भरकम गोल-गोल गांड खरबूजे जैसी चूचियां,,, और उनकी अलग-अलग आकार की चूत का आनंद व पूरी तरह से ले चुका था अपनी मौसी से लेकर के अपनी चचेरी बहन और अपनी तीन मामियों के साथ-साथ बड़ी मामी की जवान लड़की जिसकी शादी में वह खुद शामिल हुआ था उसे भी वह अपने लंड का स्वाद चखा दिया था।
लेकिन जो मजा उसे अपनी मां के साथ आता था अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबाकर मुंह में लेकर पीने में आता था उसके साथ स्तन मर्दन में आता था,,,, वैसा मजा उसे किसी के साथ महसूस नहीं हुआ था हालांकि सबके साथ उसे आनंद जरूर आया था लेकिन जो आनंद की पराकाष्ठा उसे अपनी मां के साथ मिलती थी वह उसे किसी और के साथ महसूस तक नहीं हुई थी,,, वह अच्छी तरह,, से जानता था कि जो मजा उसे अपनी मां की चूत की मलाई को चाटने में आता था। वह मजा किसी और की चूत में उसे मिल ही नहीं था जो कसाव लंड डालने के बाद अपनी मां की चूत में महसूस होता था वैसा काश उसे ना तो मोहिनी और ना ही मनीषा और ना ही अपनी मामी की चूत में महसूस हुआ था जबकि मनीषा और मोहिनी तो पूरी तरह से जवानी की दहेज पर कदम रखकर पूरी तरह से जवान हो चुकी थी लेकिन फिर भी उन दोनों की चूत में अपनी मां की चूत जैसा कसाव उसे महसूस नहीं हुआ था,,,।
यहां तक की नितंबो में भी अगर सही क्रम में लगाया जाए तो 1 से 10 नंबर तक केवल उसकी मां आराधना ही थी क्योंकि उसका मुकाबला नितंबो में भी कोई औरत नहीं कर पाती थी उम्र के इस पड़ाव पर भी उसके नितंबों का कसाव एकदम जवान लड़कियों की तरह था उसका आकर्षण अभी तक काम नहीं हुआ था इसीलिए तो आज भी संजू अपनी मां के नितंबों को देखते ही उत्तेजित हो जाता था अपनी मां के नितंबो से खेलने में उसकी भारी भरकम गांड से काम कीड़ा करने में जिस तरह का आनंद उसे महसूस होता था वह अद्भुत और अतुल्य था,,, इसीलिए तो वह इसी सुख को प्राप्त करने के लिए अपनी मां की गांड भी मर चुका था जिसमें भी उसे अत्यधिक उत्तेजना और आनंद की प्राप्ति हुई थी।
स्कूटी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ती चली जा रही थी मां बेटी और बेटे में अब किसी भी प्रकार का सामाजिक रिश्ता नहीं रह गया था जो कि घर के बाहर समाज के मित्रों में वह तीनों अभी भी भाई-बहन और मां के रिश्ते से जुड़े हुए थे लेकिन घर के अंदर प्रवेश करते ही दरवाजा के बंदे करते हैं घर की चारदीवारी के अंदर तीनों केवल मर्द और औरत बन जाते थे और इसमें उन तीनों को मजा भी आता था। अब इस रिश्ते को मोहिनी नया नाम देना चाहती थी अपने पति से तलाक लेने के बाद वह अपने पिता से अलग होने के बाद इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी वह इस पल को इस तरह से आनंददायक बनाना चाहती थी ताकि जिंदगी भर याद रहे और इसीलिए सुहागरात वाली युक्ति भी उसी की ही थी जिसकी वह खुद तैयारी करने में लगी हुई थी और इसीलिए तीनों खरीदी करने भी जा रहे थे क्योंकि तीनों अच्छी तरह से जानते थे की सुहागरात के दिन औरत नए वस्त्र के साथ-साथ नए-नए अंतर्वस्त्र भी पहनती हैं,, जो की सही तरीका का पहना जाए तो सुहागरात का मजा ही कुछ और हो जाता है वरना संजू तो रोज ही अपनी मां और बहन दोनों की चड्डी अपने हाथों से उतारता था लेकिन,, संजू चाहता था कि उसकी बहन और उसकी मां उसकी दिलाए हुई चड्डी और ब्रा पहनें ताकि उसे उतारने में उसे पूरी तरह से मदहोशी छा जाए क्योंकि औरत से संभोग से पहले मर्दों का अत्यधिक उत्तेजना महसूस करना बेहद जरूरी होता है और कभी कभार तो औरत के अंगों से नहीं बल्कि उनके अंतर्वस्त्र से ही मर्द पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबने लगते हैं इसलिए संजू उन दोनों को नए तरीके का ब्रा और पेटी दिलाने के लिए कपड़े की दुकान पर ले जा रहा था लेकिन वह भी मार्केट से थोड़ा दूर ताकि तीनों को कोई पहचान ना सके,,,,।
संजू तू इतनी दूर क्यों लेकर जा रहा है मार्केट तो चली गई,,,,,(मार्केट की आखिरी दुकान के आगे निकल जाने पर आराधना उसे दुकान की तरफ देखते हुए संजू से बोली..)
यहां से नहीं मम्मी आज कहीं और से लेंगे जहां तीनों को कोई पहचानता न हो,,,
लेकिन ऐसा क्यों,,,?
क्योंकि जिस जगह पर हम तीनों जा रहे हैं वहां पर मैं चाहता हूं की दुकान वाला हम तीनों को प्रेमी समझे,,,
तेरा कहने का मतलब क्या है मैं कुछ समझी नहीं,,,
अरे यार मेरा कहने का मतलब साफ है कि मैं आज तुम दोनों को,,, पेंटिं और ब्रा दिलाने लेकर जा रहा हूं दुकान पर और वह भी तुम दोनों को अपनी प्रेमिका बनाकर वहां पर किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए कि हम तीनों के बीच कौन सा रिश्ता है उन लोगों को ऐसा ही लगना चाहिए कि मैं तुम दोनों को पटाकर लेकर आया हूं,,,,
वाह भाई तब तो मजा आ जाएगा,,,,,(मोहिनी संजू की बात सुनते ही एकदम उत्साहित होते हुए बोली लेकिन आराधना कुछ देर खामोश रहने के बाद बोली)
लेकिन वहां पर किसी ने हम तीनों को पहचान लिया तो,,,,(आराधना को थोड़ा घबराहट भी हो रही थी लेकिन संजू की बात सुनकर उसके भी मन में उत्सुकता बढ़ गई थी वह भी आज दुकान पर संजू की प्रेमिका बनकर खरीदी करना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि उन दोनों को प्रेमी प्रेमिका के रूप में देखकर दुकान वाले क्या सोचते हैं क्योंकि दोनों के बीच उम्र का कुछ ज्यादा ही फर्क था,,,,)
इसीलिए तो मैं शहर से थोड़ा दूर जा रहा हूं ताकि वहां पर कोई हम तीनों को पहचान ना ले और देखना बहुत मजा आएगा सच कहूं तो मेरा तो सोच कर ही लैंड खड़ा हुए जा रहा है,,,
दिखा तो भाई देखु तो,,,(इतना कहने के साथ ही मोहिनी एकदम से बेशर्मी दिखाते हुए अपना हाथ आगे की तरफ लाकर उसके पेंट पर रख दी जो कि वाकई में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था संजू का लंड वाकई में खड़ा था उसके खड़े लंड को महसूस करते ही मोहिनी बोली,,)
सच में भाई तेरा तो खड़ा हो गया है मुझे तो लगता है की मम्मी की चुत भी पानी छोड़ रही होगी,,,
धत्,,,, हरमी,,,(प्यार से कंधे से मोहिनी को मारते हुए आराधना बोली तो संजू बोल पड़ा क्योंकि अभी भी मोहिनी का हाथ उसके पेंट के आगे वाले भाग पर था,,,)
अरे तू रंडी क्यों बन रही है अपना हाथ तो हटा कोई देख लेगा तो,,,,
देख लेगा तो देख लेगा वैसे भी तो तू हम दोनों को अपनी प्रेमिका बनाकर ले जा रहा है,,,,,
ऐसा कहीं की तो यही गाड़ी रोक कर पेड़ के पीछे ले जाकर तेरी चुदाई कर दूंगा,,,,
तो कर देना भाई,,,, मैं तो तैयार हूं तेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तेरी बातें सुनकर तो मेरी चूत पानी छोड़ रही है,,,,(संजू के पेट के ऊपर से ही उसके लंड को अपनी हथेली में जोर से दबाते हुए मदहोश होते हुए मोहिनी बोली तो संजू बोला,,,)
देख लो मम्मी तुम्हारी लड़की लंड लेने के लिए तड़प रही है कहो तो यही पेड़ के पीछे ले जाऊं,,
तुम दोनों की शरारत यहां भी शुरू हो गई मोहिनी तो ठीक से बैठ संजू को गाड़ी चलाने दे जो कुछ भी करना है घर पर पहुंच कर कर लेना यहां रास्ते पर नाटक मत कर,,,,,
सच कहूं तो मम्मी मुझे तो रहा ही नहीं जा रहा है तुम कहती हो तो सीधे से बैठ जाती हूं नहीं तो इसी समय संजू के पेट में से उसका लैंड निकाल लेती,,,,
तू तो एकदम छिनार हो गई रे,,,,(करने की बात सुनकर आराधना बोली)
छिनार की बेटी छिनार नहीं होगी तो और क्या होगी,,,,
तू बहुत बोलने लगी है,,,(एक बार फिर से धीरे से उसके सर में मारते हुए आराधना मुस्कुराते हुए बोली वाकई हालात ने उसे पूरी तरह से बदल दिया था पहले वह छिनार के मतलब को समझ नहीं पाती थी लेकिन अब उसे समझ में आने लगा की छिनार किसे कहते हैं क्योंकि वह पूरी तरह से समाज के रीति-रिवाज को बंधन को मर्यादा की दीवार को तोड़कर अपने सुख के लिए आगे बढ़ चुकी थी जिसमें सारे रिश्ते नातो को अपनी जरूरत के दलदल में डुबोते चली जा रही थी,,,,, अब उसे छिनार शब्द अच्छा लगने लगा था अपने आप पर इस शब्द को वह पूरी तरह से कसा हुआ समझती थी और वैसे भी जब उसे चोदते समय यह शब्द का उपयोग संजू करता था तो उसे और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होता था वह पूरी तरह से मत हो जाती थी और अपने बेटे के मर्दाना अंग को अपने अंदर पूरी तरह से भींच लेती थी।
एक घंटा गाड़ी चलाने के बाद तीनों शहर के बाहर एक बड़े से कपड़े की दुकान पर पहुंच चुके थे इस जगह पर ना तो पहले कभी आराधना आई थी और ना ही मोहिनी लेकिन संजू वहां चुका था संजू इस जगह को देख चुका था इसीलिए वह बड़े आराम से यहां पहुंच चुका था कपड़े की दुकान काफी बड़ी थी संजू स्कूटी को पार्किंग में खड़ी कर दिया था कपड़े की दुकान के बाहर खड़े होकर मोहिनी बोली।
बाप रे यह तो बहुत बड़ी दुकान है।
हां मैंने यह बहुत बड़ी दुकान है और अंदर देखना कपड़े दिखाने वाली लेडिस ही हैं,,,।
(संजू की बात सुनते ही आराधना के चेहरे पर शर्म की हवाइयां उड़ने लगी उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई पहचान वाला अंदर मिल ना जाए)
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गयासंजू अपनी मां और बहन दोनों को स्कूटी पर बैठ कर खरीदी करने के लिए निकल गया था लेकिन खरीदी करने से पहले और घर से निकलने से पहले जिस तरह की घमासान चुदाई उसने अपनी मां और बहन के साथ किया था उसे देखते हुए ऐसा लग रहा था की सुहागरात वाले दिन वह पूरी तरह से धमका कर देगा,,,और सही मायने में इस तरह की अद्भुत धमाके की उम्मीद मां और बेटी दोनों को भी था,,,।
अपने पति से तलाक लेने के,, आराधना पहली बार खरीदी करने के लिए निकल रही थी और वह भी अपने बेटे और अपनी बेटी के साथ,, यह आराधना के लिए बेहद रोमांचक था,,, क्योंकि आज उसे अपने बेटे में बेटा नहीं बल्कि एक मर्द नजर आ रहा था और उसे मर्द का दर्जा आज उसकी नजरों में एक पति और प्रेमी से बिल्कुल भी कम नहीं था,,, और वैसे भी आराधना के लिए संजू एक बेटे का फर्ज तो निभा ही रहा था लेकिन बेटे के रूप में नहीं बल्कि एक पति और प्रेमी के रूप में,,,। क्योंकि वैसे भी जो हक एक औरत पर प्रेमी और पति का होता है वही हक इस समय संजू का था वह प्रेमी और पति दोनों की जिम्मेदारी निभा रहा था घर के बाहर बेटे की और घर की चार दिवारी के अंदर पति और प्रेमी दोनों की जिम्मेदारी निभा रहा था वह किसी भी तरीके से आराधना को दुखी नहीं देखना चाह रहा था और इसीलिए वह अपनी मां को पूरी तरह से दुनिया का हर सुख देने के लिए,,, हरदम खड़ा था,,,।
यह सब कैसे हो गया आराधना समझ ही नहीं पाई थी जिस लड़के के सामने वह अश्लील शब्दों में बात नहीं करती थी अपने बदन को एक मां के रूप में ही ढंक कर ही रखती थी,,, संजोग ऐसा बन गया था कि आज उसी लड़के के सामने इस बेटे के सामने और जब चाहे तब अपनी दोनों टांगें खोल देती थी,,, स्कूटी पर बैठे बैठे आराधना अपने बेटे के बारे में ही सोच रही थी समय कैसे तेजी से गुजर जाता है इस बात का पता तक नहीं चलता और वही आराधना के साथ भी हुआ था,,, संजू के साथ मां बेटे का रिश्ता उसे ऐसा लगता था कि कल तक ही तो था यह पवित्र रिश्ता लेकिन कब समाज की दीवारों को मर्यादा की चादर को कब अपने हाथों से दूर हटाकर वह अपने ही बेटे को संपूर्ण रूप से मर्द बन चुकी थी इस बात का पता तक नहीं चला था,,, आराधना के लिए जो कल तक मजबूरी थी आज वह पूरी तरह से जरूरत बन चुकी थी। और इस रिश्ते से आराधना पूरी तरह से खुश भी थी उसे मां बेटे के बीच के अवैध रिश्ते के चलते अपने मन में किसी भी प्रकार का मलाल नहीं था बल्कि वह इस रिश्ते से एक बार फिर से खुलकर जी रही थी।
संजू स्कूटी को मध्धम रफ्तार से लेकर आगे बढ़ रहा था उसके मन में भी इस रिश्ते को लेकर बहुत कुछ चल रहा था वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे चोदने को इतनी सारी औरतें मिलेगी और वह भी घर की ही जिसमें खुद उसकी सगी मां और सगी बहन शामिल होंगी,,, संजू भी बहुत सीधा-साधा ही लड़का था लेकिन वक्त और हालात नहीं उसे पूरी तरह से बदल कर दिया था जो चुदाई का च,,, तक नहीं जानता था,,, उसने अपनी मर्दाना ताकत से संभोग की महा गाथा लिख दिया था जिसमें प्रमुख रूप से उसकी मां शामिल थी जिसके साथ वह जिंदगी का पूरा लुफ्त ले रहा था अब तक उसके जीवन में जितनी भी औरतें आई थी सब एक से बढ़कर एक थी सबके नंगे बदन का आनंद ले चुका था सबके वस्त्र को अपने हाथों से उतर कर उन्हें पूरी तरह से नंगी करने के बाद ही मजा लिया था उनकी भारी भरकम गोल-गोल गांड खरबूजे जैसी चूचियां,,, और उनकी अलग-अलग आकार की चूत का आनंद व पूरी तरह से ले चुका था अपनी मौसी से लेकर के अपनी चचेरी बहन और अपनी तीन मामियों के साथ-साथ बड़ी मामी की जवान लड़की जिसकी शादी में वह खुद शामिल हुआ था उसे भी वह अपने लंड का स्वाद चखा दिया था।
लेकिन जो मजा उसे अपनी मां के साथ आता था अपनी मां की बड़ी-बड़ी चूचियों को दबाकर मुंह में लेकर पीने में आता था उसके साथ स्तन मर्दन में आता था,,,, वैसा मजा उसे किसी के साथ महसूस नहीं हुआ था हालांकि सबके साथ उसे आनंद जरूर आया था लेकिन जो आनंद की पराकाष्ठा उसे अपनी मां के साथ मिलती थी वह उसे किसी और के साथ महसूस तक नहीं हुई थी,,, वह अच्छी तरह,, से जानता था कि जो मजा उसे अपनी मां की चूत की मलाई को चाटने में आता था। वह मजा किसी और की चूत में उसे मिल ही नहीं था जो कसाव लंड डालने के बाद अपनी मां की चूत में महसूस होता था वैसा काश उसे ना तो मोहिनी और ना ही मनीषा और ना ही अपनी मामी की चूत में महसूस हुआ था जबकि मनीषा और मोहिनी तो पूरी तरह से जवानी की दहेज पर कदम रखकर पूरी तरह से जवान हो चुकी थी लेकिन फिर भी उन दोनों की चूत में अपनी मां की चूत जैसा कसाव उसे महसूस नहीं हुआ था,,,।
यहां तक की नितंबो में भी अगर सही क्रम में लगाया जाए तो 1 से 10 नंबर तक केवल उसकी मां आराधना ही थी क्योंकि उसका मुकाबला नितंबो में भी कोई औरत नहीं कर पाती थी उम्र के इस पड़ाव पर भी उसके नितंबों का कसाव एकदम जवान लड़कियों की तरह था उसका आकर्षण अभी तक काम नहीं हुआ था इसीलिए तो आज भी संजू अपनी मां के नितंबों को देखते ही उत्तेजित हो जाता था अपनी मां के नितंबो से खेलने में उसकी भारी भरकम गांड से काम कीड़ा करने में जिस तरह का आनंद उसे महसूस होता था वह अद्भुत और अतुल्य था,,, इसीलिए तो वह इसी सुख को प्राप्त करने के लिए अपनी मां की गांड भी मर चुका था जिसमें भी उसे अत्यधिक उत्तेजना और आनंद की प्राप्ति हुई थी।
स्कूटी अपनी रफ्तार से आगे बढ़ती चली जा रही थी मां बेटी और बेटे में अब किसी भी प्रकार का सामाजिक रिश्ता नहीं रह गया था जो कि घर के बाहर समाज के मित्रों में वह तीनों अभी भी भाई-बहन और मां के रिश्ते से जुड़े हुए थे लेकिन घर के अंदर प्रवेश करते ही दरवाजा के बंदे करते हैं घर की चारदीवारी के अंदर तीनों केवल मर्द और औरत बन जाते थे और इसमें उन तीनों को मजा भी आता था। अब इस रिश्ते को मोहिनी नया नाम देना चाहती थी अपने पति से तलाक लेने के बाद वह अपने पिता से अलग होने के बाद इस पल को पूरी तरह से जी लेना चाहती थी वह इस पल को इस तरह से आनंददायक बनाना चाहती थी ताकि जिंदगी भर याद रहे और इसीलिए सुहागरात वाली युक्ति भी उसी की ही थी जिसकी वह खुद तैयारी करने में लगी हुई थी और इसीलिए तीनों खरीदी करने भी जा रहे थे क्योंकि तीनों अच्छी तरह से जानते थे की सुहागरात के दिन औरत नए वस्त्र के साथ-साथ नए-नए अंतर्वस्त्र भी पहनती हैं,, जो की सही तरीका का पहना जाए तो सुहागरात का मजा ही कुछ और हो जाता है वरना संजू तो रोज ही अपनी मां और बहन दोनों की चड्डी अपने हाथों से उतारता था लेकिन,, संजू चाहता था कि उसकी बहन और उसकी मां उसकी दिलाए हुई चड्डी और ब्रा पहनें ताकि उसे उतारने में उसे पूरी तरह से मदहोशी छा जाए क्योंकि औरत से संभोग से पहले मर्दों का अत्यधिक उत्तेजना महसूस करना बेहद जरूरी होता है और कभी कभार तो औरत के अंगों से नहीं बल्कि उनके अंतर्वस्त्र से ही मर्द पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबने लगते हैं इसलिए संजू उन दोनों को नए तरीके का ब्रा और पेटी दिलाने के लिए कपड़े की दुकान पर ले जा रहा था लेकिन वह भी मार्केट से थोड़ा दूर ताकि तीनों को कोई पहचान ना सके,,,,।
संजू तू इतनी दूर क्यों लेकर जा रहा है मार्केट तो चली गई,,,,,(मार्केट की आखिरी दुकान के आगे निकल जाने पर आराधना उसे दुकान की तरफ देखते हुए संजू से बोली..)
यहां से नहीं मम्मी आज कहीं और से लेंगे जहां तीनों को कोई पहचानता न हो,,,
लेकिन ऐसा क्यों,,,?
क्योंकि जिस जगह पर हम तीनों जा रहे हैं वहां पर मैं चाहता हूं की दुकान वाला हम तीनों को प्रेमी समझे,,,
तेरा कहने का मतलब क्या है मैं कुछ समझी नहीं,,,
अरे यार मेरा कहने का मतलब साफ है कि मैं आज तुम दोनों को,,, पेंटिं और ब्रा दिलाने लेकर जा रहा हूं दुकान पर और वह भी तुम दोनों को अपनी प्रेमिका बनाकर वहां पर किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए कि हम तीनों के बीच कौन सा रिश्ता है उन लोगों को ऐसा ही लगना चाहिए कि मैं तुम दोनों को पटाकर लेकर आया हूं,,,,
वाह भाई तब तो मजा आ जाएगा,,,,,(मोहिनी संजू की बात सुनते ही एकदम उत्साहित होते हुए बोली लेकिन आराधना कुछ देर खामोश रहने के बाद बोली)
लेकिन वहां पर किसी ने हम तीनों को पहचान लिया तो,,,,(आराधना को थोड़ा घबराहट भी हो रही थी लेकिन संजू की बात सुनकर उसके भी मन में उत्सुकता बढ़ गई थी वह भी आज दुकान पर संजू की प्रेमिका बनकर खरीदी करना चाहती थी वह देखना चाहती थी कि उन दोनों को प्रेमी प्रेमिका के रूप में देखकर दुकान वाले क्या सोचते हैं क्योंकि दोनों के बीच उम्र का कुछ ज्यादा ही फर्क था,,,,)
इसीलिए तो मैं शहर से थोड़ा दूर जा रहा हूं ताकि वहां पर कोई हम तीनों को पहचान ना ले और देखना बहुत मजा आएगा सच कहूं तो मेरा तो सोच कर ही लैंड खड़ा हुए जा रहा है,,,
दिखा तो भाई देखु तो,,,(इतना कहने के साथ ही मोहिनी एकदम से बेशर्मी दिखाते हुए अपना हाथ आगे की तरफ लाकर उसके पेंट पर रख दी जो कि वाकई में अच्छा खासा तंबू बना हुआ था संजू का लंड वाकई में खड़ा था उसके खड़े लंड को महसूस करते ही मोहिनी बोली,,)
सच में भाई तेरा तो खड़ा हो गया है मुझे तो लगता है की मम्मी की चुत भी पानी छोड़ रही होगी,,,
धत्,,,, हरमी,,,(प्यार से कंधे से मोहिनी को मारते हुए आराधना बोली तो संजू बोल पड़ा क्योंकि अभी भी मोहिनी का हाथ उसके पेंट के आगे वाले भाग पर था,,,)
अरे तू रंडी क्यों बन रही है अपना हाथ तो हटा कोई देख लेगा तो,,,,
देख लेगा तो देख लेगा वैसे भी तो तू हम दोनों को अपनी प्रेमिका बनाकर ले जा रहा है,,,,,
ऐसा कहीं की तो यही गाड़ी रोक कर पेड़ के पीछे ले जाकर तेरी चुदाई कर दूंगा,,,,
तो कर देना भाई,,,, मैं तो तैयार हूं तेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तेरी बातें सुनकर तो मेरी चूत पानी छोड़ रही है,,,,(संजू के पेट के ऊपर से ही उसके लंड को अपनी हथेली में जोर से दबाते हुए मदहोश होते हुए मोहिनी बोली तो संजू बोला,,,)
देख लो मम्मी तुम्हारी लड़की लंड लेने के लिए तड़प रही है कहो तो यही पेड़ के पीछे ले जाऊं,,
तुम दोनों की शरारत यहां भी शुरू हो गई मोहिनी तो ठीक से बैठ संजू को गाड़ी चलाने दे जो कुछ भी करना है घर पर पहुंच कर कर लेना यहां रास्ते पर नाटक मत कर,,,,,
सच कहूं तो मम्मी मुझे तो रहा ही नहीं जा रहा है तुम कहती हो तो सीधे से बैठ जाती हूं नहीं तो इसी समय संजू के पेट में से उसका लैंड निकाल लेती,,,,
तू तो एकदम छिनार हो गई रे,,,,(करने की बात सुनकर आराधना बोली)
छिनार की बेटी छिनार नहीं होगी तो और क्या होगी,,,,
तू बहुत बोलने लगी है,,,(एक बार फिर से धीरे से उसके सर में मारते हुए आराधना मुस्कुराते हुए बोली वाकई हालात ने उसे पूरी तरह से बदल दिया था पहले वह छिनार के मतलब को समझ नहीं पाती थी लेकिन अब उसे समझ में आने लगा की छिनार किसे कहते हैं क्योंकि वह पूरी तरह से समाज के रीति-रिवाज को बंधन को मर्यादा की दीवार को तोड़कर अपने सुख के लिए आगे बढ़ चुकी थी जिसमें सारे रिश्ते नातो को अपनी जरूरत के दलदल में डुबोते चली जा रही थी,,,,, अब उसे छिनार शब्द अच्छा लगने लगा था अपने आप पर इस शब्द को वह पूरी तरह से कसा हुआ समझती थी और वैसे भी जब उसे चोदते समय यह शब्द का उपयोग संजू करता था तो उसे और भी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होता था वह पूरी तरह से मत हो जाती थी और अपने बेटे के मर्दाना अंग को अपने अंदर पूरी तरह से भींच लेती थी।
एक घंटा गाड़ी चलाने के बाद तीनों शहर के बाहर एक बड़े से कपड़े की दुकान पर पहुंच चुके थे इस जगह पर ना तो पहले कभी आराधना आई थी और ना ही मोहिनी लेकिन संजू वहां चुका था संजू इस जगह को देख चुका था इसीलिए वह बड़े आराम से यहां पहुंच चुका था कपड़े की दुकान काफी बड़ी थी संजू स्कूटी को पार्किंग में खड़ी कर दिया था कपड़े की दुकान के बाहर खड़े होकर मोहिनी बोली।
बाप रे यह तो बहुत बड़ी दुकान है।
हां मैंने यह बहुत बड़ी दुकान है और अंदर देखना कपड़े दिखाने वाली लेडिस ही हैं,,,।
(संजू की बात सुनते ही आराधना के चेहरे पर शर्म की हवाइयां उड़ने लगी उसे इस बात का डर था कि कहीं कोई पहचान वाला अंदर मिल ना जाए)