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Incest मजबूरी या जरूरत

Sanju@

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आराधना भी अपने जीवन में खुशी चाहती थी जिस तरह से वह पहले रहा करती थी लेकिन शायद किस्मत में भी यही लिखा था इसलिए वह अपने जीवन के बारे में सोच कर उदास हो जाती थी,,, आराधना को देखकर किसी को भी ऐसा नहीं लगता था कि यह औरत अंदर से ईतनी दुखी है उसके चेहरे पर हमेशा एक चमक रहती थी उसकी खूबसूरती वैसे भी चांद की तरह चमकती रहती थी,,,,,,।
संजू अपनी मां को दुखी देखकर हमेशा यही सोचता रहता था कि वह ऐसा क्या करें कि उसकी मां की जीवन में फिर से खुशियां वापस आ जाए,,,, सोनू चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था,,,।

अपनी मां को रोता हुआ देखकर उसके मन में बहुत पीड़ा होती थी अपने बाप के प्रति उसे गुस्सा भी बहुत आता था,,,। रात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के कमरे में क्या हुआ होगा,,, आखिरकार संजू एक जवान लड़का था और एक औरत और मर्द के बीच के रिश्ते को अच्छी तरह से जानता था,, अपनी मां को किस तरह से दुल्हन की तरह तैयार होता हुआ देखा था संजू उससे खुश था वो जानता था कि आज शादी की सालगिरह पर उसकी मां उसके पिताजी को खुश करना चाहती है,,, और संजू की अपने मन में यही चाहता था कि उसके पिताजी उसकी मां से बहुत प्यार करें उसे दुनिया की सारी खुशियां दे,,,,। लेकिन रात को अपने बाप के कड़वे वचन को सुनकर वह मन ही मन उदास हो गया था अपने बाप की गंदी बातें उसके दिल पर छुरियां चला रही थी,,,,। बार-बार उसके जेहन में उसके बाप की कहीं एक ही बात घूम रही थी कि दूसरे के लिए तैयार होकर बैठी है दूसरों से चुदवाती है,,,।अपनी मां के बारे में अपने ही बात के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर संजू को बहुत गुस्सा आ रहा था,,,। संजु अपनी मां से बहुत प्यार करता था उसकी बहुत इज्जत करता था इसलिए उसके दुख से वह खुद दुखी था वह अपनी मां के लिए कुछ करना चाहता था लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था,,,,,,,,,,,, वह छोटे-मोटे घर के काम में हमेशा अपनी मां की मदद करते रहता था,,,।


ऐसे ही एक दिन,, शाम के वक्त उसकी मां खाना बना रही थी और वह वहीं पर बैठकर सब्जियां काट रहा था,,,।

संजू में तुझे कितनी बार कहती हो कि यह सब तेरा काम नहीं है तु यह सब मत किया कर,,,।

हां मम्मी तुम सच कह रही हो लड़कों को यह सब शोभा नहीं देता,,,, वैसे भी तुम हो मैं हूं तो यह सब भैया को काम करने की जरूरत ही नहीं है,,,।(मोहिनी भी अपनी मां का साथ देते हुए बोली,,,)


तू नहीं समझेगी मोहिनी,,,,मम्मी अकेले काम करके थक जाती है भले ही कुछ कहती नहीं है किसी से शिकायत नहीं करती लेकिन फिर भी हमें समझना चाहिए,,,, इसलिए मैं हमेशा मम्मी की मदद करते रहता हुं,,,।(इतना कहकर वह फिर से सब्जी काटने में लग गया,,, अपने बेटे की बातों को सुनकर आराधना मन ही मन खुश होने लगी,,,, उसे लगने लगा था कि उसका बेटा समझदार हो रहा है,,, उसके मन में
इस बात से तसल्ली थी कि चलो पति नहीं,,, ख्याल रखता तो क्या हुआ,,, बेटा तो ख्याल रखता है,,,।,,, मोहिनी भी वहीं पास में बैठ कर अपने भाई का हाथ बता रही थी यह देख कर आराधना कि खुशी का कोई ठिकाना ना था सब कुछ ठीक-ठाक ही था बस उसके पति की तरफ से ही निराशा हाथ लगी हुई थी,,,,। जैसे-तैसे जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,,आराधना को लगने लगा था कि उसका पति उसकी तरफ अब बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता था,,,। यह बात आराधना को खलने लगी थी,,,क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि भले दो बच्चों की मां हो गई थी लेकिन अभी भी उसकी खूबसूरती बरकरार थी और सब को सही होने के बावजूद भी उसका पति उसके खूबसूरत बदन पर उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था यह बात आराधना को अचंभित कर रही थी क्योंकि कुछ नहीं तो सही आए दिन वह उसकी मर्जी जाने बिना भी उसके साथ शारीरिक संबंध बना लेता था जिससे कुछ नहीं तो थोड़ा बहुत आराधना को भी तसल्ली हो जाती थी लेकिन महीनों गुजर गए थे उसके पति ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया नहीं था,,,। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने पति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए क्या करें उसे डर था कि कहीं बाहर तो उसका किसी के साथ नाजायज संबंध तो नहीं है,,, यह ख्याल उसे और ज्यादा परेशान कर देता था,,,,,,।


ऐसे ही रविवार का दिन था और आराधना की बहन जो की उम्र में उससे केवल 1 वर्ष ही बड़ी थी साधना आई हुई थी,,, उसे देख कर आराधना को बहुत खुशी हुई,,,, ।

क्या दीदी 5 महीने हो गए यही पास में रहती हो लेकिन कभी खबर नहीं लेती,,,।

क्या करूं आराधना काम बहुत रहता है दिन भर घर के काम से ही फुर्सत नहीं मिलती दोनों बच्चे बड़े हो गए हैं कॉलेज जाने लगे हैं,,, सुबह उठकर नाश्ता बना फिर खाना बना घर का कामकाज करो उसी में शाम हो जाता है फिर शाम को फिर वही काम शुरू,,,, बहुत दिनों से सोच रही थी मिलने के लिए लेकिन समय ही नहीं मिल रहा था और रविवार था तो सोचो चलो आज मिल ही लेती हूं,,,,


चलो कोई बात नहीं दीदी देर आए दुरुस्त आए,,,,
( तभी मोहिनी अपने कमरे से निकलकर बाहर आई और अपनी मौसी के पांव छूते हुए बोली,,,)

नमस्ते मौसी आज याद आई है तुम्हें,,,


अब सब लोग की एक ही शिकायत है,,,, तो भैया माफी चाहती हूं इतने दिनों बाद आने के लिए,,,(मोहिनी के सामने साधना हाथ जोड़कर बोली तो मोहिनी उसे आशीर्वाद देने की मुद्रा में अपना हाथ ऊपर करके बोली,,,)

कोई बात नहीं बच्चा हम तुम्हें माफ करते हैं,,,(पर इतना कहकर मोहिनी के साथ-साथ साधना आराधना दोनों हंसने लगी,,,,)


हाथ मुंह धो लो मैं खाना परोस देती हुं,,,,,,

(थोड़ी ही देर में साधना आराधना और मोहिनी तीनों बैठकर खाना खाने लगे,,,, आराधना जानती थी कि आज रविवार है इसलिए संजीव का कोई ठिकाना नहीं है कि कब घर आएगा,,,, बात ही बात में साधना ने रमेश का जिक्र करते हुए बोली,,)


क्या बात है आराधना,,,, जीजा जी नजर नहीं आ रहे हैं आज तो रविवार है छुट्टी का दिन,,,
(साधना के मुंह से रमेश का जिक्र सुनते ही आराधना के चेहरे पर उदासी जाने लगी और यही हाल मोहिनी का भी था क्योंकि वह अपने घर के हालत को अच्छी तरह से जानती थी,,, घर में जिस तरह का क्लेश फैला हुआ है उसी से मोहिनी भलीभांति परिचित थी इसलिए अपने पापा का जिक्र होते ही वह खाना खा चुकी थी इसलिए वहां से उठ गई और बोली,,)

मम्मी मैं अपने कमरे में आराम करने जा रहे हु आप दोनों बातें करो,,,,
(आराधना की अच्छी तरह से समझ रही थी कि मोहिनी वहां से इसलिए जा रही थी कि वह अपने मन का दुख अपनी बड़ी बहन से बता सकें,,, मोहिनी चली गई बगल वाले कमरे में और कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा तो साधना फिर बोली)

क्या हुआ तू कुछ बोल क्यों नहीं रही है कुछ हुआ है क्या,,,,
(अपनी बड़ी बहन की बात सुनकर आराधना रोने लगी,,, उसे रोती हुई देखना साधना एकदम से परेशान हो गई,,)

अरे रो क्यों रही है बताएगी भी कि क्या हुआ है,,,


क्या बताऊं दीदी मेरी तो जिंदगी नरक हो गई है,,,


अरे क्या हुआ है सब कुछ तो ठीक-ठाक था अब क्या हो गया,,,,


यह पूछो दीदी क्या नहीं हुआ है,,,, जिंदगी बर्बाद हो गई है,,,, जब से शराब पीना शुरू कीए है तब से जिंदगी तबाह हो गई है,,,,,।


क्या जीजा शराब पीने लगे,,,,(साधना आश्चर्य जताते हुए बोली)

हां दीदी रोटी दिनभर शराब के नशे में डूबे रहते हैं,,,,, घर गृहस्ती बच्चों बीवी का तो उन्हें शुध भी नहीं है,,,, हम लोगों की तरफ तो ध्यान ही नहीं देते,,,,


पर ऐसा क्या हो गया जो उन में इतना बदलाव आ गया,,,


क्या बताऊं दीदी,,, मेरे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है सब कुछ सही चल रहा था लेकिन कुछ महीनों से सब कुछ तहस-नहस हो गया है धीरे धीरे वह तो मुझ पर भी ध्यान देना बंद कर दीए है,,,।

क्या मतलब मैं समझी नहीं,,,,


दीदी पहले तो सप्ताह में दो-तीन बार मेरी मर्जी जाने बिना ही मेरे साथ संबंध बना लेते थे लेकिन महीना गुजर गया लेकिन उन्होंने मेरी तरफ ठीक से देखा था कि नहीं है,,,



क्या कह रही है तू,,,(साधना एकदम आश्चर्यचकित होते हुए बोली क्योंकि इस बात को अभी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बहन अभी भी बहुत खूबसूरत थी उसके बदन का रखरखाव एकदम सही ढंग का था मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाला खूबसूरत बदन की वह अभी भी मालकिन थी फिर भी उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था यह बात उसके लिए आश्चर्य चकित कर देने वाली थी,,,,)


हां दीदी मैं सच कह रही हूं मुझे तो लगता है कि कहीं बाहर उनका किसी औरत के साथ संबंध तो नहीं है तभी तो वह ध्यान नहीं देते,,,।


भगवान ना करे ऐसा कुछ हो आराधना,,,, नहीं तो जिंदगी और ज्यादा बर्बाद हो जाएगी,,,,।
(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी उन दोनों की बातों को सुन रही थी क्योंकि वह दोनों की बातें बगल वाले कमरे में एकदम साफ सुनाई देती थी उन्हें इस बात का आभास तक नहीं था कि मोहिनी सबको सुन रही है,,,, अपने बाप के व्यवहार के बारे में सुनकर उसे भी ताज्जुब हो रहा था,,,,)


मैं क्या करूं दीदी तुम ही कुछ बताओ,,,,।


देख आराधना मर्दों को अपने बस में करने की तरकीब हर औरत के पास होती है,,,,औरत चाहे तो घर को बना दे और और अच्छा है तो घर को उजाड़ दे यह सब कुछ औरत के हाथ में होता है,,, और अपना घर एक बार फिर से बसाने के लिए तुझे सब कुछ करना होगा,,,।


क्या करना होगा ठीक है मुझे भी कुछ बताओ मैं सब कुछ करने को तैयार हूं,,,,।


देख आराधना,,,, तुझे अपना जीवन एक बार फिर से खुशियों से करने के लिए अपने पति को अपनी तरफ रीझाना,,, अगर वह पहल नहीं कर रहा है तो तुझे पहल करना होगा,,,,। तुझे जीजा को अपनी तरफ आकर्षित करना होगा इसके लिए तुझे बहुत कुछ करना होगा,,,।


मैं सब कुछ करुंगी दीदी,,, पहले बताओ तो करना क्या होगा,,,


तुझे हमेशा सज धज कर रहना होगा इस तरह से उदास चेहरा लेकर नहीं जब भी जीजा तेरे सामने आई तो तेरा चेहरा एकदम खिला होना चाहिए,,,, और यह,,,(आराधना के ब्लाउज की तरफ देख कर अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके ब्लाउज के ऊपरी कीनारी को पकड़कर उसे नीचे करते हुए बोली,,,) लो कट ब्लाउज पहना कर जिसमें से तेरी खरबूजे जैसी चूचीयां बाहर झांकती हो,,, जिसे देखकर ही जीजा के मुंह में पानी आ जाए,,,,।(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी अपनी मौसी की बात सुनकर उत्साहित होने लगी और वह बड़े ध्यान से अपनी मौसी की बात को सुनने लगी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली)
और हां बार-बार किसी बहाने से तो उनके सामने अपने साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा दिया कर,,,।


क्या दीदी,,,,


क्या दीदी नहीं तुझे यही करना होगा अगर अपना घर बचाना है तो, में ,, जानती हूं कि जीजा तेरे साथ बहुत बार संबंध बना चुके हैं बहुत बार तेरी चुदाई कर चुके हैं,,,(चुदाई की बात सुनते ही मोहिनी के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी चुदाई के मतलब को वह अच्छी तरह से समझती थी,,, अपनी मौसी के मुंह से इतने खुले शब्द सुनकर,, उसे आश्चर्य हो रहा था क्योंकि वह कभी भी अपनी मौसी के मुंह से इस तरह की बातें सुनी नहीं थी आज पहली बार इस तरह की गंदी बातें सुनकर मोहिनी के तन बदन में अजीब सी लहर उठ रही थी आखिरकार वापी एक जवान लड़की थी जो अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)
लेकिन फिर भी उनकी आंखों के सामने अगर कंधे से तेरे साड़ी का पल्लू गिरेगा तो ब्लाउज में से झांकती हुई बड़ी बड़ी चूची को देखकर जीजा की हालत खराब हो जाएगी और जरूर वह एक बार फिर से तेरे रूप यौवन के जाल में फंसते चले जाएंगे,,,,


अगर फिर भी ऐसा नहीं हुआ तो,,,(आराधना अपनी बड़ी बहन साधना की बात सुनकर उस पर शंका जताते हुए बोली,,,)

अरे जरूर होगा,,,, मर्दों की फितरत हीं यही है,,, और हां सच-सच बताना,, बिस्तर में शुरुआत कौन करता है,,,।

वही करते हैं मैं नहीं करती,,,,(आराधना शर्माते हुए बोली,,)


तभी तो सत्यानाश है हम औरतों की सबसे बड़ी परेशानी यही है,,, की शुरुआत खुद नहीं करती मर्दों का इंतजार करती रहती है,,, कि कब हमारे पति हम पर मेहरबान होंगे,,,,



तुम क्या करते हो दीदी,,,,


मैं अपने पति का इंतजार नहीं करती वह करें तो ठीक अगर नहीं करते हैं तो मैं खुद ही चढ बैठती हूं,,,


सच कह रही हो दीदी,,,(आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली)



तो क्या,,, आखिरकार हम औरतों का भी तो कुछ अधिकार है हमारी भी तो इच्छा होती है जिसे भूख लगने पर हम खाना खाते हैं उसी तरह से हमें जिस्म की भी भूख लगती है जिसे मिटाने के लिए हमें खुद आगे बढ़ना पड़ता है,,,


तो क्या चीज है कुछ कहते नहीं तुम्हारी पहल देखकर,,,


अरे वह तो पागल हो जाते हैं उन्हें इतना मजा आता है कि पूछो मत और उसके बाद जो चुदाई होती है उसका अनुभव ही कुछ और होता है,,,,
(पास के कमरे में सुन रही मोहिनी अपने कानों पर विश्वास नहीं कर पा रही थी उसकी मौसी खुले शब्दों में सब कुछ बोल रही थी मोहिनी जानती थी कि उसकी मौसी चुदाई के बारे में ही बात कर रही है जिसके बारे में सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच ना जाने कैसी लहर उठने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था बस वह सुने जा रही थी,,,)

तुम नसीब वाली हो दीदी,,, जो तूम्हे इतने अच्छे पति मिले
है,,,


तेरा भी नसीब जाग जाएगा,,, मेरी बहन बस मेरी बात मान कर,,, मर्द को औरत का पहन करना बहुत अच्छा लगता है,,, इसमें उन्हें सबसे ज्यादा खुशी मिलती और जीजा को भी खुशी की जरूरत है तो उन्हें खुशी देगी तभी तेरा जीवन घर संसार बना रहेगा,,,, बाहर की औरतें जो देंगी वही तुझे भी देना है बस तरीका अलग होना चाहिए और हां,,,। तू अपनी चूत तो साफ करती है ना,,,, बालों वाली तो नहीं है,,,,


नहीं दीदी 15 दिन में एक बार क्रीम बनाकर साफ कर देती हूं वैसे मुझे भी सफाई पसंद है,,,


और जीजा को,,,


पहले तो बहुत पसंद थी हमेशा चिकनी चूत रखने के लिए कहते थे,,, लेकिन अब नहीं पता,,,
(अपनी मौसी और अपनी मम्मी के मुंह से चूत शब्द सुनकर मोहिनी की हालत खराब होने लगीपर यह जानकर आश्चर्य होने लगा कि उसकी मां 15 दिन में एक बार अपनी चूत के बाल साफ करती है और उसने आज तक अपनी चूत के बाल साफ नहीं की थी हालांकि अभी झांटों का झुरमुट नहीं हुआ था,,, बस हल्के हल्के रेशमी बाल ही आते थेलेकिन अपनी मां के मुंह से सफाई वाली बात सुनकर उसकी भी इच्छा करने लगी थी क्रीम लगाकर साफ करने के लिए,,,, खुमारी में मोहिनी की सांसे तेज चलने लगी थी,,,,)


तो फिर से साफ कर क्रीम लगाकर साफ कर उस पर हल्का सा खुशबूदार क्रीम लगा लिया कर,,,, और हां तूने कभी जीजा जी के लंड को मुंह में ली है,,,।


कैसी बातें कर रही हो दीदी,,,


तेरी प्रॉब्लम का सलूशन ढूंढ रही हुं,,,, मैं वही,, सब करने को कह रही हूं जो मर्दों को पसंद है,,।
(लंड चूसने वाली बात से मोहिनी एकदम से गनगना गई थी,,, उसने अभी तक जवान लंड नहीं देखी थी और ना ही उसे इस बात का ज्ञान था कि लंड को मुंह में लेकर चूसा जाता है,,,, धड़कते दिल के साथ अपनी मां के जवाब का इंतजार कर रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)


देख इसमें शर्माने वाली कोई भी बात नहीं है तुझे सही बताने में शर्म महसूस हो रही है लेकिन मैं सही सही बता रही हूं मुझे तो अपने पति का लंड चूसने में बहुत मजा आता है,,, मेरी इस हरकत पर व चारों खाने चित हो जाते हैं,,,,।
(मोहिनी यह जानकर कि उसकी मौसी उसके मौसा का लंड चुस्ती है उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,/आराधना को भी इस बात से हैरानी हो रही थी कि उसकी बड़ी बहन उसके सामने एकदम खुले शब्दों में सब कुछ बोल दे रही हैं,,,//)

देख शर्मा मत आराधना मैं तुझे तेरा घर संसार बचाने का तरीका बता रही हूं अगर तू यह सब नहीं करेगी तो जीजा जी वाकई में बाहर किसी और औरत के साथ संबंध बनाने लगे क्या‌ तु यही चाहती है क्या तू यही चाहती है कि कोई गैर औरत वही सब करे जो मैं तुझे करने को कह रही हूं तो यह सब ना करके अपने पति को अपने हाथों से गवा दे अपने घर संसार को आग लगा दे,,,,।


नहीं नहीं दीदी मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती,,,,


तो जो मैं पूछ रही हूं उसे सच सच बता,,,,
(साधना अपनी बहन पर जोर दे रही थी जानने के लिए लेकिन आराधना को अपने मुंह से यह सब बताने में शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि इस तरह की बातों को उसने आज तक किसी से भी नहीं कही थी बगल वाले कमरे में मोहिनी भी अपनी मां के मुंह से जवाब सुनने के लिए बेताब थी,,, उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था)
बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन अपडेट है
आराधना की दीदी ने तो मर्दों को रिझाने के नए। तरीके बता रही है देखते हैं की ये रमेश क्या करता है
 

A.A.G.

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सुबह जब आराधना की नींद खुली तो,, देखी की उसका पति बिस्तर पर नहीं था,,,,वह धीरे से उठी,,, कलाइयों में चूड़ियों की खनक से कमरा गूंजने लगा था एक समय था जब आराधना को अपनी इन्हीं चूड़ियों की खनक मन मोहिनी लगती थी,,,,,, जब उसकी नई नई शादी हुई थी तो,,, वह बड़े शौक से हाथों में ढेर सारी रंगीन चूड़ियां पहना करती थी उसकी खनक उसे बहुत अच्छी लगती थी और उसके पति को भी चुड़ीयों की आवाज मदहोश कर देती थी,,,,,अपनी कलाई में ढेर सारी चूड़ियां पहनना उसे पसंद तो था उससे ज्यादा वह अपने पति को रिझाने के लिए चूड़ियां पहना करती थी क्योंकि शुरुआती दौर पर उसका पति उसे बेहद प्यार करता था,,,, और आराधना थी भी बला की खूबसूरत,,,, उसकी सहेलियां भी उसकी खूबसूरती से ईर्ष्या करती थी,,, एकदम गोरा रंग गोल गोल मुखड़ा तीखे नैन नक्श लाल-लाल होठों की लिपस्टिक ना लगाने के बावजूद भी एकदम लाल रहते हैं जिन्हें देखकर ही मर्दों का मन उसे अपने होठों में भरकर पीने को करता था,,,,, बदन की बनावट ऐसा लगता था कि जैसे भगवान ने खुद अपने हाथों से तराशा हो जैसे किसी मूर्तिकार की कारीगरी का उत्तम नमूना छात्रों की शोभा बढ़ा रही दोनों चूचियां नारंगी के आकार के होने के बावजूद भी बेहद आकर्षक और ऊपर से कठोर लगते थे,,,, पतली कमर हिरनी की तरह मदहोश कर देती थी कमर के नीचे वाला भाग हल्का सा उधार लिए हुए नितंबों की शक्ल में गढा हुआ था जिसे देखकर ही मर्दों की आह निकल जाती थी वैसे तो आराधना संपूर्ण रूप से आकर्षक थी,,, उसे चाहे जिधर से भी देखो वह भगवान की कारीगरी का उत्तम नमूना ही लगती थी जिसे देखकर कभी मन नहीं भरता था लेकिन उसके संपूर्ण बताने में सबसे उत्तेजक केंद्र बिंदु उसके गोलाकार नितंब थे जिनका उभार देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए,,, चिकनी मांसल जांघें केले के तने के समान बेहद खूबसूरत नजर आते थे कसी हुई सलवार में उसके बदन का हर एक कटाव बड़ी बारीकी से आंखों में बस जाता था,,,,,,


एक तरह से आराधना के बदन का संपूर्ण वजूद मुंह में पानी ला देने वाला था,,,, कॉलेज के समय में बहुत से लड़के उसके पीछे पड़े हुए थे उससे बात करने को तरसते थे उससे दोस्ती करने को मैं चलते रहते थे उसके साथ साल भी सुख भोगने का सपना देखा करते थे और कई लोग तो रोज कॉलेज आने से पहले बाथरूम में उसे याद करके मुठ्ठ भी मारा करते थे,,, लेकिन आराधना थी कि किसी को भी भाव नहीं देती थी वह सिर्फ पढ़ाई में मन लगा दी थी ना कि इधर-उधर की बातों में उसकी सहेलियां भी उससे यही कहा करती थी कि तू कैसी लड़की है इतने सारे लड़के तुझे भाव देते हैं लेकिन तू किसी के भी हाथ नहीं आती अगर हमारे पीछे यह लोग पढ़े होते तो हम कब से इन्हें अपने पर्स में रखकर घुमा दी होती,,, जवाब में बस वो मुस्कुरा देती थी उसकी मुस्कुराहट बेहद खूबसूरत थी,,,,।

जैसे सभी लड़कियों का सपना होता है शादी को लेकर उसी तरह का सपना वह भी देखा करती थी वह भी अपने मन में यही सोचा करती थी कि उसके सपनों का राजकुमार एक दिन आएगा और उसे शादी करके अपने साथ में जाएगा उसकी जिंदगी और खूबसूरत हो जाएगी जहां पर वह खुशी से अपना जीवन गुजारेगी और शुरू शुरू में ऐसा हुआ भी रमेश को उसके मम्मी पापा ने पसंद किया था और अपने मम्मी पापा की पसंद पर वह मुहर लगा चुकी थी,,, रमेश ठीक-ठाक ही था उसके साथ वह शुरू के कुछ वर्षों तक बेहद खुशी से अपना जीवन गुजारने लगी,,, रमेश एक बैंक में काम करता था,,, इसलिए दोनों का गुजारा बड़े अच्छे से हो रहा था रमेश अपनी बीवी हर अदा से बहुत प्यार करता था उसकी हर एक इच्छा पूरी करता था उसे घुमाने ले जाता था सप्ताह में एक बार सिनेमा में पिक्चर दिखाने के लिए जाता था सब कुछ आराधना के सोचने के अनुसार हो रहा था जिसको भी वह अपने पति में जाती थी वह सारी खूबियां रमेश में थी लेकिन धीरे-धीरे दिन बदलने लगा संजू और मोहिनी के जन्म के बाद रमेश का रवैया आराधना के प्रति बदलने लगा,,,दोस्तों की संगत में वह शराब पीना शुरू कर दिया था पहले तो शौक के लिए पीता था लेकिन अब उस की लत बन चुकी थी जो कि उसकी जिंदगी को ओर दुभर बनाई जा रही थी जिसके बारे में वह कभी सोच भी नहीं सकता था,,,,। आराधना उसे लाख समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माना शराब की उसे बुरी लत लग चुकी थी और शराब के नशे में वह अपनी बीवी से बदतमीजी भी करता था उसे मारता भी था,,,,,,आराधना कभी सपने में भी नहीं सोची थी की अच्छी खासी चल रही जिंदगी में इस तरह का बदलाव आएगा,,, जिसका जिम्मेदार केवल रमेश ही था,,,।

नींद से उठ कर बिस्तर पर बैठकर आराधना यही सब अपनी पिछले दिनों के बारे में सोच रही थी पिछले दिनों से और आपकी जिंदगी में पूरी तरह से बदलाव आ चुका था अब उसकी जिंदगी में केवल दुख ही दुख था और एक बड़ी जिम्मेदारी थी अपने बच्चों का पालन पोषण करने के लिए,,, क्योंकि रमेश अपने बच्चों के प्रति भी बेजवाबदार होता जा रहा था,,,,,, अपनी किस्मत को कोसते हुए वह अपने ऊपर एक नजर डाली और मन मसोस कर रह गई क्योंकि वह रात को एक दुल्हन की तरह तैयार हुई थी उसे लगा था कि उसका पति आज के दिन जरूर सुधर जाएगा और अपनी सालगिरह पर खुशी खुशी इस अवसर पर एक पति की तरह पेश आएगा और उसके साथ सुहागरात मनाएगा ,,,, सुहागरात मनाया लेकिन सिर्फ अपने लिए अपनी खुशी के लिए अपनी गर्मी शांत करने के लिए अपनी बीवी की खुशियों का उसे बिल्कुल भी परवाह नहीं थी 9:00 बजे से लेकर के 12:00 बजे तक उसका इंतजार करती रह गई खाना परोस कर खुद नहीं खाई वह सोची थी कि अपने पति के साथ ही खाएगी लेकिन उसके पति को उसकी चिंता कहां थी शादी के सालगिरह पर वह उसे बधाई भी नहीं दिया और ना उसे खाना खिला कर खुद खाया बस आया और साड़ी उठाकर चोदना शुरू कर दिया उस पर भी गंदा इल्जाम लगाने लगा कि किसी दूसरे से चुदवाने के लिए तैयार हुई है,,,,। आराधना मजबूर हो चुकी थी,,, वह बिस्तर पर से उठी और घड़ी में देखी सुबह के 5:00 बज रहे थे इसलिए वह सीधा नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई,,, बाथरूम भी छोटा था लेकिन व्यवस्था के लिए ठीक ही था,,,।


बाथरूम में जोकि टॉयलेट और बाथरूम एक नहीं बना हुआ था इसलिए पहले सोच लिया करने के बाद वह‌ धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारने लगी जिस कपड़े को होगा पहनकर एकदम दुल्हन की तरह सजी थी उसे उतारते समय उसे दुख भी हो रहा था और अपनी किस्मत पर उसे रोना भी आ रहा था अपने मन में यही सोच रही थी कि रमेश की जगह अगर कोई और होता तो शायद उसे दुल्हन के रूप में देखकर अपनी सारी गंदी आदतों को छोड़ देता लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था वह धीरे-धीरे अपने कपड़े उतारने लगी साड़ी को उतारकर वही नीचे रख दी बाथरूम में एक छोटा सा आने लगा था जिसमें उसके जांघों तक का अक्स नजर आता था,,,, वह अपने आपको आईने में निहार रही थी,,,,और अपनी खूबसूरत चेहरे को देखकर अपने मन में यही सोच रही थी कि उसकी खूबसूरती में ऐसी कौन सी कमी आ गई थी उसका पति उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता और शराब को उसकी सौतन बना दिया है,,,

मर्दों को अपने वश में करने वाली मदहोश कर देने वाली जवानी उसके पास से खूबसूरत अंग था फिर भी वह विवस थी कि उसका पति उसकी तरफ बिल्कुल भी आकर्षित नहीं हो रहा था,,,, ब्लाउज में कैद अपने पंख फड़फड़ा ते हुए कबूतरों को देखकर वह सोचने लगी की इतनी खूबसूरत चूची होने के बावजूद भी इसी पीने की जगह,,,मेरी जवानी का नशा करने की जगह वह शराब का नशा कर रहा है,,, यह सोचते हुए वह धीरे-धीरे अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी,,, आराधना की चूचियां एकदम गोलघर थोड़ी बड़ी बड़ी थी अब ब्लाउज का आकार चुचियों के माप से थोड़ा छोटा था,,, जिसकी वजह से ब्लाउज के सारे बटन करते हैं उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज से बाहर आने के लिए व्याकुल हो जाती थी ऐसा लगता था कि छोटे से ब्लाउज में उसकी चुचियों का दम घुट रहा हो,,, इसी वजह से चूचियों के बीच की पतली गहरी लकीर ज्यादा लंबी नजर आती थी,,,,,,,देखते ही देखते आराधना अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल दी और उसे धीरे से अपनी बाहों में से अलग कर के नीचे गिरा दी उसके बदन पर लाल रंग की ब्रा बेहद खूबसूरत लग रही थी और कबूतरों को कैद करने का यह पिंजरा भी कबूतरों के साइज के हिसाब से छोटा ही था,,,, इसलिए ब्रा रुपी पिंजरे में कैद होने के बादआराधना की चूचियां और ज्यादा आकर्षक लगती थी जिसे देखकर ही मर्दों के मुंह में पानी आ जाता था और उसे दबोचने के लिए हमेशा लालायित रहते थे,,,। गोरे रंग पर लाल रंग की ब्रा आराधना की खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा दे रहे थे,,,
अपनी मदमस्त कर देने वाली चुचियों को ब्रा में कैद देखकर लंबी आह भरते हुए आराधना अरे दोनों हाथों को अपने पेटीकोट की डोरी पर रखकर अपनी नाजुक उंगलियों का सहारा देकर उसे खोलने लगी,,,,। जितने चाव और उम्मीद लगाकर आराधना रात को इन कपड़ों को पहन रही थी उतनी ही मायूस और उदास होकर उन्हें उतार रही थी,,, देखते ही देखते आराधना अपनी नाजुक उंगलियों का सहारा लेकर थोड़ी सी हरकत करके पेटिकोट की डोरी को खींच दी और अगले ही पर कमर पर नितंबों पर कस के बांधी हुई पेटिकोट ढीली हो गई,,,। जिसे वह रात को बड़े अरमानों से अपने नितंबों पर कसकर बांधी थी ताकि उसकी गांड को ज्यादा बड़ी लगने लगे और उसका पति उत्तेजित होकर उसकी गांड की गहराई में खो जाएं,,,, लेकिन सारे अरमान धरी की धरी रह गए,,,,,,,

पेटिकोट की डोरी को खोलने के बाद में उसी तरह से उसे छोड़ दी और अगले ही पल उसकी पेटीकोट कमर से जुदा होकर नीचे उसके कदमों में जा गिरा,,,,जो पेटीकोट उसके नंगे पन को उठा कर रहे थे वही पेटीकोट उससे अलग होकर उसे नंगी करने में लग गए,,,, आराधना बाथरूम के अंदर संपूर्ण व्यवस्था में नहीं लेकिन अर्धनग्न अवस्था में हो चुकी थी केवल उसके बदन पर लाल रंग की पैंटी और लाल रंग की ब्रा ही थी जिसे वह लाल जोड़े की तरह अपनी शादी की सालगिरह पर पहनी थी ब्रा और पेंटी दोनों नए थे,,,

पर नजर पड़ते ही उसे रात वाली घटना याद आने लगी जब उसका पति जबरदस्ती करते हुए उसकी पेंटी को खींचकर निकालने की कोशिश कर रहा था जिसे वह पैसे बचाकर इसी दिन के लिए खरीद कर रखी थी और वह नहीं चाहती थी कि उसका पति अपनी मनमानी करने के चक्कर में उसकी पैंटी को नुकसान पहुंचाए,,, लाल रंग की ब्रा और पैंटी में,, अर्धनग्न अवस्था में भी वह परी लग रही थी,,,, खूबसूरती के मामले में आराधना दो कदम आगे थी,,,।

आईने में लाल रंग की ब्रा और पैंटी में सजे अपने बदन को देख कर दुखी होने के बावजूद भी आराधना को अपने बदन पर गर्व होता था दो-दो जवान बच्चों की मां होने के बावजूद भी,, उसके शरीर में जरा भी बदलाव नहीं आया था बल्कि उसका बदन और भी ज्यादा खूबसूरत हो गया था छोटी-छोटी नौरंगिया जैसी चूची खरबूजे जैसी हो गई थी,,, गांड के उभार में और आकार में मदहोशी भरा बदलाव आ गया था,,,, जिसे देखकर हर कोई गर्म आहह भरता था,,,।
आईने में अपने आप को देखते हुए आराधना अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ ले जाकर अपनी ब्रा का हुक खोलने लगी,,, और अगले ही पल ब्रा का हुक खुलते ही खरबूजे जैसी चुचियों पर कसी हुई कटोरी ढीली हो गई और आराधना उसे अपनी बाहों में से अलग करते हुए उसे नीचे नहीं दिलाई बल्कि उसे हैंगर में टांग दी,,, रात को लगाए हुए परफ्यूम की खुशबू अभी भी ब्रा में से आ रही थी,,,अपनी मदमस्त कर देने वाले चूचियों को देखकर खुद उसके मुंह में पानी आ गया था जिसे वह नीचे से अपने दोनों अकेले में भरकर अपनी हथेली को ऊपर की तरफ लाकर हल्का सा उत्तेजना भरा मसाज करते हुए अपनी दोनों चूची की निप्पलो को एक साथ अपनी उंगली और अंगूठे के बीच रखकर हल्का सा दबाते हुए आहहह भर गई,,,,। एक अद्भुत एहसास उसके तन बदन में फैलने लगा जो कि यह एहसास वह अपने पति द्वारा प्राप्त करना चाहती थी रात को बड़े अरमान थे उसके उसका पति उससे प्यार करें उसके बदन से खेले उसकी दोनों चूचियों को मुंह में भर कर पिए,,,, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था,,,उसका पति रात को उससे प्यार तो किया था लेकिन केवल अपनी गर्मी शांत करने के लिए,,,,।
Aradhna cream lagakar apni chut saaf ki thi


अफसोस भरी आह भरकर आराधना अपनी लाल रंग की पैंटी को अपने दोनों हाथों की नाजुक उंगलियों में फंसा कर उसे नीचे की तरफ खींचने ही वाली थी कि,,, उसे अपनी बुर वाली जगह अच्छी खासी फूली हुई दिखाई दी,,,, जिस पर अभी भी चिपचिपाहट महसूस हो रहा था,,,, जो कि रात को उसके पति की गर्मी का रस था,,,, आराधना को साफ दिखाई दे रहा था कि उसकी चुत की दोनों मोटी मोटी फांक पैंटी के ऊपर उपसी हुई है अगर इस हालात में, कोई उसे देख ले तो उसकी चुत में लंड डाले बिना नहीं रह पाए,,,,
Aradhna ki chikni chut

गरम आहह भरते हुए आराधना अपनी पेंटिं को धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकाने लगी,,, और जैसे ही वह पेंटी को घुटने तक लाइ उसे उसी स्थिति में छोड़कर,,, वह अपनी चिकनी चूत को देखने लगी जिसे वह क्रीम लगाकर साफ की थी,,, दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी उसकी चूत एक पतली दरार की शक्ल में अभी भी बरकरार थी केवल हल्की सी गुलाबी पत्ती बाहर की तरफ झांक रही थी और हल्की सी मदन रस की बूंद मोती के दाने की तरह उसके ऊपरी मुहाने पर चमक रही थी,,,,,,आराधना अपनी हथेली उसपर रखकर उसे हल्के से सहला कर मानो कि जैसे उसे दुलार कर रही हो,,,,, हथेली की हल्की रगड़ से हीबहुत तेज होने लगी लेकिन अपनी उत्तेजना को अपने अंदर दबाकर वह तुरंत अपनी हथेली को वहां से हटा ली,,,,,

घुटनों में फंसी अपनी लाल रंग की पैंटी को बाहर निकाल कर वह हेंगर पर टांग दी,,, बाथरूम के अंदर का पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी,,,, आईने में अपने नंगे पन को देखकर उसे अपने बदन पर गर्व होता हुआ महसूस हो रहा था,,,। सबसे ज्यादा आकर्षक उसे अपनी चिकनी चूत लग रही थी चिकनी चूत को देख कर उसे ख्याल आया कि कल वह क्रीम यहीं पर भूल गई थी वह नहीं चाहती थी कि वह क्रीम उसकी बेटि यां उसके बेटे के हाथ लगे,,, क्योंकि वह नहीं जानती थी कि उसकी बेटी अभी क्रीम का उपयोग करती है या नहीं,,,, लेकिन वह अपने बच्चों को यह नहीं जताना चाहते थे कि उसकी मां क्रीम लगाकर अपनी चूत को चिकनी करती है,,,, इसलिए वह उस क्रीम को वहां से हटा देना चाहती थी लेकिन अभी नहाना बाकी था इसलिए नहाने लगी,,,, थोड़ी देर में ही वह नहा कर अपने बदन पर टावल लपेट लीऔर बाथरूम से निकलते समय उस क्रीम को साथ में ले ली और उसे लेकर अपने कमरे में आ गई जिसे वह अलमारी में कपड़ों के नीचे छिपा दी,,,, और अपने कपड़े पहन कर तैयार हो गई,,,।
Taiyar hone k baad aradhna

दीवार में टांगने घड़ी में 5:30 का समय हो रहा था स्कूल जाने के लिए संजू और मोरनी को जगाना जरूरी था इसलिए वहदोनों के कमरे तक पहुंच कर बाहर से ही दोनों को आवाज लगाकर जगा दीऔर नाश्ता बनाने लगी थोड़ी ही देर में उसके दोनों बच्चे भी नहा कर तैयार हो गए थे और स्कूल जाने के लिए रेडी थे,,,, रमेश भी बाहर कर वापस आ चुका था और नहा कर तैयार हो गया था वह आराधना से नज़रें नहीं मिला पा रहा था और ना ही आराधना ही कुछ कहना चाहती थी वह खामोश होकर अपने बच्चों को और रमेश को नाश्ता दीदी और तीनों नाश्ता करके अपने-अपने राह पर चले गए,,,,।
nice update..!!
ab sanju hi apni maa ko woh pyaar dega..aur uski tadap mitayega..wahi uska rajkumar banega jiska usse intejar tha..!!
 

A.A.G.

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आराधना भी अपने जीवन में खुशी चाहती थी जिस तरह से वह पहले रहा करती थी लेकिन शायद किस्मत में भी यही लिखा था इसलिए वह अपने जीवन के बारे में सोच कर उदास हो जाती थी,,, आराधना को देखकर किसी को भी ऐसा नहीं लगता था कि यह औरत अंदर से ईतनी दुखी है उसके चेहरे पर हमेशा एक चमक रहती थी उसकी खूबसूरती वैसे भी चांद की तरह चमकती रहती थी,,,,,,।
संजू अपनी मां को दुखी देखकर हमेशा यही सोचता रहता था कि वह ऐसा क्या करें कि उसकी मां की जीवन में फिर से खुशियां वापस आ जाए,,,, सोनू चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था,,,।

अपनी मां को रोता हुआ देखकर उसके मन में बहुत पीड़ा होती थी अपने बाप के प्रति उसे गुस्सा भी बहुत आता था,,,। रात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के कमरे में क्या हुआ होगा,,, आखिरकार संजू एक जवान लड़का था और एक औरत और मर्द के बीच के रिश्ते को अच्छी तरह से जानता था,, अपनी मां को किस तरह से दुल्हन की तरह तैयार होता हुआ देखा था संजू उससे खुश था वो जानता था कि आज शादी की सालगिरह पर उसकी मां उसके पिताजी को खुश करना चाहती है,,, और संजू की अपने मन में यही चाहता था कि उसके पिताजी उसकी मां से बहुत प्यार करें उसे दुनिया की सारी खुशियां दे,,,,। लेकिन रात को अपने बाप के कड़वे वचन को सुनकर वह मन ही मन उदास हो गया था अपने बाप की गंदी बातें उसके दिल पर छुरियां चला रही थी,,,,। बार-बार उसके जेहन में उसके बाप की कहीं एक ही बात घूम रही थी कि दूसरे के लिए तैयार होकर बैठी है दूसरों से चुदवाती है,,,।अपनी मां के बारे में अपने ही बात के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर संजू को बहुत गुस्सा आ रहा था,,,। संजु अपनी मां से बहुत प्यार करता था उसकी बहुत इज्जत करता था इसलिए उसके दुख से वह खुद दुखी था वह अपनी मां के लिए कुछ करना चाहता था लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था,,,,,,,,,,,, वह छोटे-मोटे घर के काम में हमेशा अपनी मां की मदद करते रहता था,,,।


ऐसे ही एक दिन,, शाम के वक्त उसकी मां खाना बना रही थी और वह वहीं पर बैठकर सब्जियां काट रहा था,,,।

संजू में तुझे कितनी बार कहती हो कि यह सब तेरा काम नहीं है तु यह सब मत किया कर,,,।

हां मम्मी तुम सच कह रही हो लड़कों को यह सब शोभा नहीं देता,,,, वैसे भी तुम हो मैं हूं तो यह सब भैया को काम करने की जरूरत ही नहीं है,,,।(मोहिनी भी अपनी मां का साथ देते हुए बोली,,,)


तू नहीं समझेगी मोहिनी,,,,मम्मी अकेले काम करके थक जाती है भले ही कुछ कहती नहीं है किसी से शिकायत नहीं करती लेकिन फिर भी हमें समझना चाहिए,,,, इसलिए मैं हमेशा मम्मी की मदद करते रहता हुं,,,।(इतना कहकर वह फिर से सब्जी काटने में लग गया,,, अपने बेटे की बातों को सुनकर आराधना मन ही मन खुश होने लगी,,,, उसे लगने लगा था कि उसका बेटा समझदार हो रहा है,,, उसके मन में
इस बात से तसल्ली थी कि चलो पति नहीं,,, ख्याल रखता तो क्या हुआ,,, बेटा तो ख्याल रखता है,,,।,,, मोहिनी भी वहीं पास में बैठ कर अपने भाई का हाथ बता रही थी यह देख कर आराधना कि खुशी का कोई ठिकाना ना था सब कुछ ठीक-ठाक ही था बस उसके पति की तरफ से ही निराशा हाथ लगी हुई थी,,,,। जैसे-तैसे जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,,आराधना को लगने लगा था कि उसका पति उसकी तरफ अब बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता था,,,। यह बात आराधना को खलने लगी थी,,,क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि भले दो बच्चों की मां हो गई थी लेकिन अभी भी उसकी खूबसूरती बरकरार थी और सब को सही होने के बावजूद भी उसका पति उसके खूबसूरत बदन पर उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था यह बात आराधना को अचंभित कर रही थी क्योंकि कुछ नहीं तो सही आए दिन वह उसकी मर्जी जाने बिना भी उसके साथ शारीरिक संबंध बना लेता था जिससे कुछ नहीं तो थोड़ा बहुत आराधना को भी तसल्ली हो जाती थी लेकिन महीनों गुजर गए थे उसके पति ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया नहीं था,,,। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने पति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए क्या करें उसे डर था कि कहीं बाहर तो उसका किसी के साथ नाजायज संबंध तो नहीं है,,, यह ख्याल उसे और ज्यादा परेशान कर देता था,,,,,,।


ऐसे ही रविवार का दिन था और आराधना की बहन जो की उम्र में उससे केवल 1 वर्ष ही बड़ी थी साधना आई हुई थी,,, उसे देख कर आराधना को बहुत खुशी हुई,,,, ।

क्या दीदी 5 महीने हो गए यही पास में रहती हो लेकिन कभी खबर नहीं लेती,,,।

क्या करूं आराधना काम बहुत रहता है दिन भर घर के काम से ही फुर्सत नहीं मिलती दोनों बच्चे बड़े हो गए हैं कॉलेज जाने लगे हैं,,, सुबह उठकर नाश्ता बना फिर खाना बना घर का कामकाज करो उसी में शाम हो जाता है फिर शाम को फिर वही काम शुरू,,,, बहुत दिनों से सोच रही थी मिलने के लिए लेकिन समय ही नहीं मिल रहा था और रविवार था तो सोचो चलो आज मिल ही लेती हूं,,,,


चलो कोई बात नहीं दीदी देर आए दुरुस्त आए,,,,
( तभी मोहिनी अपने कमरे से निकलकर बाहर आई और अपनी मौसी के पांव छूते हुए बोली,,,)

नमस्ते मौसी आज याद आई है तुम्हें,,,


अब सब लोग की एक ही शिकायत है,,,, तो भैया माफी चाहती हूं इतने दिनों बाद आने के लिए,,,(मोहिनी के सामने साधना हाथ जोड़कर बोली तो मोहिनी उसे आशीर्वाद देने की मुद्रा में अपना हाथ ऊपर करके बोली,,,)

कोई बात नहीं बच्चा हम तुम्हें माफ करते हैं,,,(पर इतना कहकर मोहिनी के साथ-साथ साधना आराधना दोनों हंसने लगी,,,,)


हाथ मुंह धो लो मैं खाना परोस देती हुं,,,,,,

(थोड़ी ही देर में साधना आराधना और मोहिनी तीनों बैठकर खाना खाने लगे,,,, आराधना जानती थी कि आज रविवार है इसलिए संजीव का कोई ठिकाना नहीं है कि कब घर आएगा,,,, बात ही बात में साधना ने रमेश का जिक्र करते हुए बोली,,)


क्या बात है आराधना,,,, जीजा जी नजर नहीं आ रहे हैं आज तो रविवार है छुट्टी का दिन,,,
(साधना के मुंह से रमेश का जिक्र सुनते ही आराधना के चेहरे पर उदासी जाने लगी और यही हाल मोहिनी का भी था क्योंकि वह अपने घर के हालत को अच्छी तरह से जानती थी,,, घर में जिस तरह का क्लेश फैला हुआ है उसी से मोहिनी भलीभांति परिचित थी इसलिए अपने पापा का जिक्र होते ही वह खाना खा चुकी थी इसलिए वहां से उठ गई और बोली,,)

मम्मी मैं अपने कमरे में आराम करने जा रहे हु आप दोनों बातें करो,,,,
(आराधना की अच्छी तरह से समझ रही थी कि मोहिनी वहां से इसलिए जा रही थी कि वह अपने मन का दुख अपनी बड़ी बहन से बता सकें,,, मोहिनी चली गई बगल वाले कमरे में और कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा तो साधना फिर बोली)

क्या हुआ तू कुछ बोल क्यों नहीं रही है कुछ हुआ है क्या,,,,
(अपनी बड़ी बहन की बात सुनकर आराधना रोने लगी,,, उसे रोती हुई देखना साधना एकदम से परेशान हो गई,,)

अरे रो क्यों रही है बताएगी भी कि क्या हुआ है,,,


क्या बताऊं दीदी मेरी तो जिंदगी नरक हो गई है,,,


अरे क्या हुआ है सब कुछ तो ठीक-ठाक था अब क्या हो गया,,,,


यह पूछो दीदी क्या नहीं हुआ है,,,, जिंदगी बर्बाद हो गई है,,,, जब से शराब पीना शुरू कीए है तब से जिंदगी तबाह हो गई है,,,,,।


क्या जीजा शराब पीने लगे,,,,(साधना आश्चर्य जताते हुए बोली)

हां दीदी रोटी दिनभर शराब के नशे में डूबे रहते हैं,,,,, घर गृहस्ती बच्चों बीवी का तो उन्हें शुध भी नहीं है,,,, हम लोगों की तरफ तो ध्यान ही नहीं देते,,,,


पर ऐसा क्या हो गया जो उन में इतना बदलाव आ गया,,,


क्या बताऊं दीदी,,, मेरे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है सब कुछ सही चल रहा था लेकिन कुछ महीनों से सब कुछ तहस-नहस हो गया है धीरे धीरे वह तो मुझ पर भी ध्यान देना बंद कर दीए है,,,।

क्या मतलब मैं समझी नहीं,,,,


दीदी पहले तो सप्ताह में दो-तीन बार मेरी मर्जी जाने बिना ही मेरे साथ संबंध बना लेते थे लेकिन महीना गुजर गया लेकिन उन्होंने मेरी तरफ ठीक से देखा था कि नहीं है,,,



क्या कह रही है तू,,,(साधना एकदम आश्चर्यचकित होते हुए बोली क्योंकि इस बात को अभी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बहन अभी भी बहुत खूबसूरत थी उसके बदन का रखरखाव एकदम सही ढंग का था मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाला खूबसूरत बदन की वह अभी भी मालकिन थी फिर भी उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था यह बात उसके लिए आश्चर्य चकित कर देने वाली थी,,,,)


हां दीदी मैं सच कह रही हूं मुझे तो लगता है कि कहीं बाहर उनका किसी औरत के साथ संबंध तो नहीं है तभी तो वह ध्यान नहीं देते,,,।


भगवान ना करे ऐसा कुछ हो आराधना,,,, नहीं तो जिंदगी और ज्यादा बर्बाद हो जाएगी,,,,।
(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी उन दोनों की बातों को सुन रही थी क्योंकि वह दोनों की बातें बगल वाले कमरे में एकदम साफ सुनाई देती थी उन्हें इस बात का आभास तक नहीं था कि मोहिनी सबको सुन रही है,,,, अपने बाप के व्यवहार के बारे में सुनकर उसे भी ताज्जुब हो रहा था,,,,)


मैं क्या करूं दीदी तुम ही कुछ बताओ,,,,।


देख आराधना मर्दों को अपने बस में करने की तरकीब हर औरत के पास होती है,,,,औरत चाहे तो घर को बना दे और और अच्छा है तो घर को उजाड़ दे यह सब कुछ औरत के हाथ में होता है,,, और अपना घर एक बार फिर से बसाने के लिए तुझे सब कुछ करना होगा,,,।


क्या करना होगा ठीक है मुझे भी कुछ बताओ मैं सब कुछ करने को तैयार हूं,,,,।


देख आराधना,,,, तुझे अपना जीवन एक बार फिर से खुशियों से करने के लिए अपने पति को अपनी तरफ रीझाना,,, अगर वह पहल नहीं कर रहा है तो तुझे पहल करना होगा,,,,। तुझे जीजा को अपनी तरफ आकर्षित करना होगा इसके लिए तुझे बहुत कुछ करना होगा,,,।


मैं सब कुछ करुंगी दीदी,,, पहले बताओ तो करना क्या होगा,,,


तुझे हमेशा सज धज कर रहना होगा इस तरह से उदास चेहरा लेकर नहीं जब भी जीजा तेरे सामने आई तो तेरा चेहरा एकदम खिला होना चाहिए,,,, और यह,,,(आराधना के ब्लाउज की तरफ देख कर अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके ब्लाउज के ऊपरी कीनारी को पकड़कर उसे नीचे करते हुए बोली,,,) लो कट ब्लाउज पहना कर जिसमें से तेरी खरबूजे जैसी चूचीयां बाहर झांकती हो,,, जिसे देखकर ही जीजा के मुंह में पानी आ जाए,,,,।(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी अपनी मौसी की बात सुनकर उत्साहित होने लगी और वह बड़े ध्यान से अपनी मौसी की बात को सुनने लगी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली)
और हां बार-बार किसी बहाने से तो उनके सामने अपने साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा दिया कर,,,।


क्या दीदी,,,,


क्या दीदी नहीं तुझे यही करना होगा अगर अपना घर बचाना है तो, में ,, जानती हूं कि जीजा तेरे साथ बहुत बार संबंध बना चुके हैं बहुत बार तेरी चुदाई कर चुके हैं,,,(चुदाई की बात सुनते ही मोहिनी के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी चुदाई के मतलब को वह अच्छी तरह से समझती थी,,, अपनी मौसी के मुंह से इतने खुले शब्द सुनकर,, उसे आश्चर्य हो रहा था क्योंकि वह कभी भी अपनी मौसी के मुंह से इस तरह की बातें सुनी नहीं थी आज पहली बार इस तरह की गंदी बातें सुनकर मोहिनी के तन बदन में अजीब सी लहर उठ रही थी आखिरकार वापी एक जवान लड़की थी जो अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)
लेकिन फिर भी उनकी आंखों के सामने अगर कंधे से तेरे साड़ी का पल्लू गिरेगा तो ब्लाउज में से झांकती हुई बड़ी बड़ी चूची को देखकर जीजा की हालत खराब हो जाएगी और जरूर वह एक बार फिर से तेरे रूप यौवन के जाल में फंसते चले जाएंगे,,,,


अगर फिर भी ऐसा नहीं हुआ तो,,,(आराधना अपनी बड़ी बहन साधना की बात सुनकर उस पर शंका जताते हुए बोली,,,)

अरे जरूर होगा,,,, मर्दों की फितरत हीं यही है,,, और हां सच-सच बताना,, बिस्तर में शुरुआत कौन करता है,,,।

वही करते हैं मैं नहीं करती,,,,(आराधना शर्माते हुए बोली,,)


तभी तो सत्यानाश है हम औरतों की सबसे बड़ी परेशानी यही है,,, की शुरुआत खुद नहीं करती मर्दों का इंतजार करती रहती है,,, कि कब हमारे पति हम पर मेहरबान होंगे,,,,



तुम क्या करते हो दीदी,,,,


मैं अपने पति का इंतजार नहीं करती वह करें तो ठीक अगर नहीं करते हैं तो मैं खुद ही चढ बैठती हूं,,,


सच कह रही हो दीदी,,,(आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली)



तो क्या,,, आखिरकार हम औरतों का भी तो कुछ अधिकार है हमारी भी तो इच्छा होती है जिसे भूख लगने पर हम खाना खाते हैं उसी तरह से हमें जिस्म की भी भूख लगती है जिसे मिटाने के लिए हमें खुद आगे बढ़ना पड़ता है,,,


तो क्या चीज है कुछ कहते नहीं तुम्हारी पहल देखकर,,,


अरे वह तो पागल हो जाते हैं उन्हें इतना मजा आता है कि पूछो मत और उसके बाद जो चुदाई होती है उसका अनुभव ही कुछ और होता है,,,,
(पास के कमरे में सुन रही मोहिनी अपने कानों पर विश्वास नहीं कर पा रही थी उसकी मौसी खुले शब्दों में सब कुछ बोल रही थी मोहिनी जानती थी कि उसकी मौसी चुदाई के बारे में ही बात कर रही है जिसके बारे में सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच ना जाने कैसी लहर उठने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था बस वह सुने जा रही थी,,,)

तुम नसीब वाली हो दीदी,,, जो तूम्हे इतने अच्छे पति मिले
है,,,


तेरा भी नसीब जाग जाएगा,,, मेरी बहन बस मेरी बात मान कर,,, मर्द को औरत का पहन करना बहुत अच्छा लगता है,,, इसमें उन्हें सबसे ज्यादा खुशी मिलती और जीजा को भी खुशी की जरूरत है तो उन्हें खुशी देगी तभी तेरा जीवन घर संसार बना रहेगा,,,, बाहर की औरतें जो देंगी वही तुझे भी देना है बस तरीका अलग होना चाहिए और हां,,,। तू अपनी चूत तो साफ करती है ना,,,, बालों वाली तो नहीं है,,,,


नहीं दीदी 15 दिन में एक बार क्रीम बनाकर साफ कर देती हूं वैसे मुझे भी सफाई पसंद है,,,


और जीजा को,,,


पहले तो बहुत पसंद थी हमेशा चिकनी चूत रखने के लिए कहते थे,,, लेकिन अब नहीं पता,,,
(अपनी मौसी और अपनी मम्मी के मुंह से चूत शब्द सुनकर मोहिनी की हालत खराब होने लगीपर यह जानकर आश्चर्य होने लगा कि उसकी मां 15 दिन में एक बार अपनी चूत के बाल साफ करती है और उसने आज तक अपनी चूत के बाल साफ नहीं की थी हालांकि अभी झांटों का झुरमुट नहीं हुआ था,,, बस हल्के हल्के रेशमी बाल ही आते थेलेकिन अपनी मां के मुंह से सफाई वाली बात सुनकर उसकी भी इच्छा करने लगी थी क्रीम लगाकर साफ करने के लिए,,,, खुमारी में मोहिनी की सांसे तेज चलने लगी थी,,,,)


तो फिर से साफ कर क्रीम लगाकर साफ कर उस पर हल्का सा खुशबूदार क्रीम लगा लिया कर,,,, और हां तूने कभी जीजा जी के लंड को मुंह में ली है,,,।


कैसी बातें कर रही हो दीदी,,,


तेरी प्रॉब्लम का सलूशन ढूंढ रही हुं,,,, मैं वही,, सब करने को कह रही हूं जो मर्दों को पसंद है,,।
(लंड चूसने वाली बात से मोहिनी एकदम से गनगना गई थी,,, उसने अभी तक जवान लंड नहीं देखी थी और ना ही उसे इस बात का ज्ञान था कि लंड को मुंह में लेकर चूसा जाता है,,,, धड़कते दिल के साथ अपनी मां के जवाब का इंतजार कर रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)


देख इसमें शर्माने वाली कोई भी बात नहीं है तुझे सही बताने में शर्म महसूस हो रही है लेकिन मैं सही सही बता रही हूं मुझे तो अपने पति का लंड चूसने में बहुत मजा आता है,,, मेरी इस हरकत पर व चारों खाने चित हो जाते हैं,,,,।
(मोहिनी यह जानकर कि उसकी मौसी उसके मौसा का लंड चुस्ती है उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,/आराधना को भी इस बात से हैरानी हो रही थी कि उसकी बड़ी बहन उसके सामने एकदम खुले शब्दों में सब कुछ बोल दे रही हैं,,,//)

देख शर्मा मत आराधना मैं तुझे तेरा घर संसार बचाने का तरीका बता रही हूं अगर तू यह सब नहीं करेगी तो जीजा जी वाकई में बाहर किसी और औरत के साथ संबंध बनाने लगे क्या‌ तु यही चाहती है क्या तू यही चाहती है कि कोई गैर औरत वही सब करे जो मैं तुझे करने को कह रही हूं तो यह सब ना करके अपने पति को अपने हाथों से गवा दे अपने घर संसार को आग लगा दे,,,,।


नहीं नहीं दीदी मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती,,,,


तो जो मैं पूछ रही हूं उसे सच सच बता,,,,
(साधना अपनी बहन पर जोर दे रही थी जानने के लिए लेकिन आराधना को अपने मुंह से यह सब बताने में शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि इस तरह की बातों को उसने आज तक किसी से भी नहीं कही थी बगल वाले कमरे में मोहिनी भी अपनी मां के मुंह से जवाब सुनने के लिए बेताब थी,,, उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था)
nice update..!!
aaradhana ko sadhana solution bata rahi hai..aur side ke room me baithi mohini garam ho rahi hai..sanju sach me apni maa ka bahot khayal rakhta hai..yeh sadhana aaradhana ko jo baate samjha rahi hai uss waqt shayad sanju ghar par nahi hai..ab dekhte hai aage kya hota hai..!!
 

Desi Man

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बढ़ीया अपडेट है दोस्त
अगर मोहीनी की जगह सोनू होता तो ठीक रहता
 

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आराधना भी अपने जीवन में खुशी चाहती थी जिस तरह से वह पहले रहा करती थी लेकिन शायद किस्मत में भी यही लिखा था इसलिए वह अपने जीवन के बारे में सोच कर उदास हो जाती थी,,, आराधना को देखकर किसी को भी ऐसा नहीं लगता था कि यह औरत अंदर से ईतनी दुखी है उसके चेहरे पर हमेशा एक चमक रहती थी उसकी खूबसूरती वैसे भी चांद की तरह चमकती रहती थी,,,,,,।
संजू अपनी मां को दुखी देखकर हमेशा यही सोचता रहता था कि वह ऐसा क्या करें कि उसकी मां की जीवन में फिर से खुशियां वापस आ जाए,,,, सोनू चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था,,,।

अपनी मां को रोता हुआ देखकर उसके मन में बहुत पीड़ा होती थी अपने बाप के प्रति उसे गुस्सा भी बहुत आता था,,,। रात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के कमरे में क्या हुआ होगा,,, आखिरकार संजू एक जवान लड़का था और एक औरत और मर्द के बीच के रिश्ते को अच्छी तरह से जानता था,, अपनी मां को किस तरह से दुल्हन की तरह तैयार होता हुआ देखा था संजू उससे खुश था वो जानता था कि आज शादी की सालगिरह पर उसकी मां उसके पिताजी को खुश करना चाहती है,,, और संजू की अपने मन में यही चाहता था कि उसके पिताजी उसकी मां से बहुत प्यार करें उसे दुनिया की सारी खुशियां दे,,,,। लेकिन रात को अपने बाप के कड़वे वचन को सुनकर वह मन ही मन उदास हो गया था अपने बाप की गंदी बातें उसके दिल पर छुरियां चला रही थी,,,,। बार-बार उसके जेहन में उसके बाप की कहीं एक ही बात घूम रही थी कि दूसरे के लिए तैयार होकर बैठी है दूसरों से चुदवाती है,,,।अपनी मां के बारे में अपने ही बात के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर संजू को बहुत गुस्सा आ रहा था,,,। संजु अपनी मां से बहुत प्यार करता था उसकी बहुत इज्जत करता था इसलिए उसके दुख से वह खुद दुखी था वह अपनी मां के लिए कुछ करना चाहता था लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था,,,,,,,,,,,, वह छोटे-मोटे घर के काम में हमेशा अपनी मां की मदद करते रहता था,,,।


ऐसे ही एक दिन,, शाम के वक्त उसकी मां खाना बना रही थी और वह वहीं पर बैठकर सब्जियां काट रहा था,,,।

संजू में तुझे कितनी बार कहती हो कि यह सब तेरा काम नहीं है तु यह सब मत किया कर,,,।

हां मम्मी तुम सच कह रही हो लड़कों को यह सब शोभा नहीं देता,,,, वैसे भी तुम हो मैं हूं तो यह सब भैया को काम करने की जरूरत ही नहीं है,,,।(मोहिनी भी अपनी मां का साथ देते हुए बोली,,,)


तू नहीं समझेगी मोहिनी,,,,मम्मी अकेले काम करके थक जाती है भले ही कुछ कहती नहीं है किसी से शिकायत नहीं करती लेकिन फिर भी हमें समझना चाहिए,,,, इसलिए मैं हमेशा मम्मी की मदद करते रहता हुं,,,।(इतना कहकर वह फिर से सब्जी काटने में लग गया,,, अपने बेटे की बातों को सुनकर आराधना मन ही मन खुश होने लगी,,,, उसे लगने लगा था कि उसका बेटा समझदार हो रहा है,,, उसके मन में
इस बात से तसल्ली थी कि चलो पति नहीं,,, ख्याल रखता तो क्या हुआ,,, बेटा तो ख्याल रखता है,,,।,,, मोहिनी भी वहीं पास में बैठ कर अपने भाई का हाथ बता रही थी यह देख कर आराधना कि खुशी का कोई ठिकाना ना था सब कुछ ठीक-ठाक ही था बस उसके पति की तरफ से ही निराशा हाथ लगी हुई थी,,,,। जैसे-तैसे जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,,आराधना को लगने लगा था कि उसका पति उसकी तरफ अब बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता था,,,। यह बात आराधना को खलने लगी थी,,,क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि भले दो बच्चों की मां हो गई थी लेकिन अभी भी उसकी खूबसूरती बरकरार थी और सब को सही होने के बावजूद भी उसका पति उसके खूबसूरत बदन पर उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था यह बात आराधना को अचंभित कर रही थी क्योंकि कुछ नहीं तो सही आए दिन वह उसकी मर्जी जाने बिना भी उसके साथ शारीरिक संबंध बना लेता था जिससे कुछ नहीं तो थोड़ा बहुत आराधना को भी तसल्ली हो जाती थी लेकिन महीनों गुजर गए थे उसके पति ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया नहीं था,,,। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने पति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए क्या करें उसे डर था कि कहीं बाहर तो उसका किसी के साथ नाजायज संबंध तो नहीं है,,, यह ख्याल उसे और ज्यादा परेशान कर देता था,,,,,,।


ऐसे ही रविवार का दिन था और आराधना की बहन जो की उम्र में उससे केवल 1 वर्ष ही बड़ी थी साधना आई हुई थी,,, उसे देख कर आराधना को बहुत खुशी हुई,,,, ।

क्या दीदी 5 महीने हो गए यही पास में रहती हो लेकिन कभी खबर नहीं लेती,,,।

क्या करूं आराधना काम बहुत रहता है दिन भर घर के काम से ही फुर्सत नहीं मिलती दोनों बच्चे बड़े हो गए हैं कॉलेज जाने लगे हैं,,, सुबह उठकर नाश्ता बना फिर खाना बना घर का कामकाज करो उसी में शाम हो जाता है फिर शाम को फिर वही काम शुरू,,,, बहुत दिनों से सोच रही थी मिलने के लिए लेकिन समय ही नहीं मिल रहा था और रविवार था तो सोचो चलो आज मिल ही लेती हूं,,,,


चलो कोई बात नहीं दीदी देर आए दुरुस्त आए,,,,
( तभी मोहिनी अपने कमरे से निकलकर बाहर आई और अपनी मौसी के पांव छूते हुए बोली,,,)

नमस्ते मौसी आज याद आई है तुम्हें,,,


अब सब लोग की एक ही शिकायत है,,,, तो भैया माफी चाहती हूं इतने दिनों बाद आने के लिए,,,(मोहिनी के सामने साधना हाथ जोड़कर बोली तो मोहिनी उसे आशीर्वाद देने की मुद्रा में अपना हाथ ऊपर करके बोली,,,)

कोई बात नहीं बच्चा हम तुम्हें माफ करते हैं,,,(पर इतना कहकर मोहिनी के साथ-साथ साधना आराधना दोनों हंसने लगी,,,,)


हाथ मुंह धो लो मैं खाना परोस देती हुं,,,,,,

(थोड़ी ही देर में साधना आराधना और मोहिनी तीनों बैठकर खाना खाने लगे,,,, आराधना जानती थी कि आज रविवार है इसलिए संजीव का कोई ठिकाना नहीं है कि कब घर आएगा,,,, बात ही बात में साधना ने रमेश का जिक्र करते हुए बोली,,)


क्या बात है आराधना,,,, जीजा जी नजर नहीं आ रहे हैं आज तो रविवार है छुट्टी का दिन,,,
(साधना के मुंह से रमेश का जिक्र सुनते ही आराधना के चेहरे पर उदासी जाने लगी और यही हाल मोहिनी का भी था क्योंकि वह अपने घर के हालत को अच्छी तरह से जानती थी,,, घर में जिस तरह का क्लेश फैला हुआ है उसी से मोहिनी भलीभांति परिचित थी इसलिए अपने पापा का जिक्र होते ही वह खाना खा चुकी थी इसलिए वहां से उठ गई और बोली,,)

मम्मी मैं अपने कमरे में आराम करने जा रहे हु आप दोनों बातें करो,,,,
(आराधना की अच्छी तरह से समझ रही थी कि मोहिनी वहां से इसलिए जा रही थी कि वह अपने मन का दुख अपनी बड़ी बहन से बता सकें,,, मोहिनी चली गई बगल वाले कमरे में और कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा तो साधना फिर बोली)

क्या हुआ तू कुछ बोल क्यों नहीं रही है कुछ हुआ है क्या,,,,
(अपनी बड़ी बहन की बात सुनकर आराधना रोने लगी,,, उसे रोती हुई देखना साधना एकदम से परेशान हो गई,,)

अरे रो क्यों रही है बताएगी भी कि क्या हुआ है,,,


क्या बताऊं दीदी मेरी तो जिंदगी नरक हो गई है,,,


अरे क्या हुआ है सब कुछ तो ठीक-ठाक था अब क्या हो गया,,,,


यह पूछो दीदी क्या नहीं हुआ है,,,, जिंदगी बर्बाद हो गई है,,,, जब से शराब पीना शुरू कीए है तब से जिंदगी तबाह हो गई है,,,,,।


क्या जीजा शराब पीने लगे,,,,(साधना आश्चर्य जताते हुए बोली)

हां दीदी रोटी दिनभर शराब के नशे में डूबे रहते हैं,,,,, घर गृहस्ती बच्चों बीवी का तो उन्हें शुध भी नहीं है,,,, हम लोगों की तरफ तो ध्यान ही नहीं देते,,,,


पर ऐसा क्या हो गया जो उन में इतना बदलाव आ गया,,,


क्या बताऊं दीदी,,, मेरे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है सब कुछ सही चल रहा था लेकिन कुछ महीनों से सब कुछ तहस-नहस हो गया है धीरे धीरे वह तो मुझ पर भी ध्यान देना बंद कर दीए है,,,।

क्या मतलब मैं समझी नहीं,,,,


दीदी पहले तो सप्ताह में दो-तीन बार मेरी मर्जी जाने बिना ही मेरे साथ संबंध बना लेते थे लेकिन महीना गुजर गया लेकिन उन्होंने मेरी तरफ ठीक से देखा था कि नहीं है,,,



क्या कह रही है तू,,,(साधना एकदम आश्चर्यचकित होते हुए बोली क्योंकि इस बात को अभी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बहन अभी भी बहुत खूबसूरत थी उसके बदन का रखरखाव एकदम सही ढंग का था मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाला खूबसूरत बदन की वह अभी भी मालकिन थी फिर भी उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था यह बात उसके लिए आश्चर्य चकित कर देने वाली थी,,,,)


हां दीदी मैं सच कह रही हूं मुझे तो लगता है कि कहीं बाहर उनका किसी औरत के साथ संबंध तो नहीं है तभी तो वह ध्यान नहीं देते,,,।


भगवान ना करे ऐसा कुछ हो आराधना,,,, नहीं तो जिंदगी और ज्यादा बर्बाद हो जाएगी,,,,।
(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी उन दोनों की बातों को सुन रही थी क्योंकि वह दोनों की बातें बगल वाले कमरे में एकदम साफ सुनाई देती थी उन्हें इस बात का आभास तक नहीं था कि मोहिनी सबको सुन रही है,,,, अपने बाप के व्यवहार के बारे में सुनकर उसे भी ताज्जुब हो रहा था,,,,)


मैं क्या करूं दीदी तुम ही कुछ बताओ,,,,।


देख आराधना मर्दों को अपने बस में करने की तरकीब हर औरत के पास होती है,,,,औरत चाहे तो घर को बना दे और और अच्छा है तो घर को उजाड़ दे यह सब कुछ औरत के हाथ में होता है,,, और अपना घर एक बार फिर से बसाने के लिए तुझे सब कुछ करना होगा,,,।


क्या करना होगा ठीक है मुझे भी कुछ बताओ मैं सब कुछ करने को तैयार हूं,,,,।


देख आराधना,,,, तुझे अपना जीवन एक बार फिर से खुशियों से करने के लिए अपने पति को अपनी तरफ रीझाना,,, अगर वह पहल नहीं कर रहा है तो तुझे पहल करना होगा,,,,। तुझे जीजा को अपनी तरफ आकर्षित करना होगा इसके लिए तुझे बहुत कुछ करना होगा,,,।


मैं सब कुछ करुंगी दीदी,,, पहले बताओ तो करना क्या होगा,,,


तुझे हमेशा सज धज कर रहना होगा इस तरह से उदास चेहरा लेकर नहीं जब भी जीजा तेरे सामने आई तो तेरा चेहरा एकदम खिला होना चाहिए,,,, और यह,,,(आराधना के ब्लाउज की तरफ देख कर अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके ब्लाउज के ऊपरी कीनारी को पकड़कर उसे नीचे करते हुए बोली,,,) लो कट ब्लाउज पहना कर जिसमें से तेरी खरबूजे जैसी चूचीयां बाहर झांकती हो,,, जिसे देखकर ही जीजा के मुंह में पानी आ जाए,,,,।(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी अपनी मौसी की बात सुनकर उत्साहित होने लगी और वह बड़े ध्यान से अपनी मौसी की बात को सुनने लगी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली)
और हां बार-बार किसी बहाने से तो उनके सामने अपने साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा दिया कर,,,।


क्या दीदी,,,,


क्या दीदी नहीं तुझे यही करना होगा अगर अपना घर बचाना है तो, में ,, जानती हूं कि जीजा तेरे साथ बहुत बार संबंध बना चुके हैं बहुत बार तेरी चुदाई कर चुके हैं,,,(चुदाई की बात सुनते ही मोहिनी के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी चुदाई के मतलब को वह अच्छी तरह से समझती थी,,, अपनी मौसी के मुंह से इतने खुले शब्द सुनकर,, उसे आश्चर्य हो रहा था क्योंकि वह कभी भी अपनी मौसी के मुंह से इस तरह की बातें सुनी नहीं थी आज पहली बार इस तरह की गंदी बातें सुनकर मोहिनी के तन बदन में अजीब सी लहर उठ रही थी आखिरकार वापी एक जवान लड़की थी जो अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)
लेकिन फिर भी उनकी आंखों के सामने अगर कंधे से तेरे साड़ी का पल्लू गिरेगा तो ब्लाउज में से झांकती हुई बड़ी बड़ी चूची को देखकर जीजा की हालत खराब हो जाएगी और जरूर वह एक बार फिर से तेरे रूप यौवन के जाल में फंसते चले जाएंगे,,,,


अगर फिर भी ऐसा नहीं हुआ तो,,,(आराधना अपनी बड़ी बहन साधना की बात सुनकर उस पर शंका जताते हुए बोली,,,)

अरे जरूर होगा,,,, मर्दों की फितरत हीं यही है,,, और हां सच-सच बताना,, बिस्तर में शुरुआत कौन करता है,,,।

वही करते हैं मैं नहीं करती,,,,(आराधना शर्माते हुए बोली,,)


तभी तो सत्यानाश है हम औरतों की सबसे बड़ी परेशानी यही है,,, की शुरुआत खुद नहीं करती मर्दों का इंतजार करती रहती है,,, कि कब हमारे पति हम पर मेहरबान होंगे,,,,



तुम क्या करते हो दीदी,,,,


मैं अपने पति का इंतजार नहीं करती वह करें तो ठीक अगर नहीं करते हैं तो मैं खुद ही चढ बैठती हूं,,,


सच कह रही हो दीदी,,,(आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली)



तो क्या,,, आखिरकार हम औरतों का भी तो कुछ अधिकार है हमारी भी तो इच्छा होती है जिसे भूख लगने पर हम खाना खाते हैं उसी तरह से हमें जिस्म की भी भूख लगती है जिसे मिटाने के लिए हमें खुद आगे बढ़ना पड़ता है,,,


तो क्या चीज है कुछ कहते नहीं तुम्हारी पहल देखकर,,,


अरे वह तो पागल हो जाते हैं उन्हें इतना मजा आता है कि पूछो मत और उसके बाद जो चुदाई होती है उसका अनुभव ही कुछ और होता है,,,,
(पास के कमरे में सुन रही मोहिनी अपने कानों पर विश्वास नहीं कर पा रही थी उसकी मौसी खुले शब्दों में सब कुछ बोल रही थी मोहिनी जानती थी कि उसकी मौसी चुदाई के बारे में ही बात कर रही है जिसके बारे में सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच ना जाने कैसी लहर उठने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था बस वह सुने जा रही थी,,,)

तुम नसीब वाली हो दीदी,,, जो तूम्हे इतने अच्छे पति मिले
है,,,


तेरा भी नसीब जाग जाएगा,,, मेरी बहन बस मेरी बात मान कर,,, मर्द को औरत का पहन करना बहुत अच्छा लगता है,,, इसमें उन्हें सबसे ज्यादा खुशी मिलती और जीजा को भी खुशी की जरूरत है तो उन्हें खुशी देगी तभी तेरा जीवन घर संसार बना रहेगा,,,, बाहर की औरतें जो देंगी वही तुझे भी देना है बस तरीका अलग होना चाहिए और हां,,,। तू अपनी चूत तो साफ करती है ना,,,, बालों वाली तो नहीं है,,,,


नहीं दीदी 15 दिन में एक बार क्रीम बनाकर साफ कर देती हूं वैसे मुझे भी सफाई पसंद है,,,


और जीजा को,,,


पहले तो बहुत पसंद थी हमेशा चिकनी चूत रखने के लिए कहते थे,,, लेकिन अब नहीं पता,,,
(अपनी मौसी और अपनी मम्मी के मुंह से चूत शब्द सुनकर मोहिनी की हालत खराब होने लगीपर यह जानकर आश्चर्य होने लगा कि उसकी मां 15 दिन में एक बार अपनी चूत के बाल साफ करती है और उसने आज तक अपनी चूत के बाल साफ नहीं की थी हालांकि अभी झांटों का झुरमुट नहीं हुआ था,,, बस हल्के हल्के रेशमी बाल ही आते थेलेकिन अपनी मां के मुंह से सफाई वाली बात सुनकर उसकी भी इच्छा करने लगी थी क्रीम लगाकर साफ करने के लिए,,,, खुमारी में मोहिनी की सांसे तेज चलने लगी थी,,,,)


तो फिर से साफ कर क्रीम लगाकर साफ कर उस पर हल्का सा खुशबूदार क्रीम लगा लिया कर,,,, और हां तूने कभी जीजा जी के लंड को मुंह में ली है,,,।


कैसी बातें कर रही हो दीदी,,,


तेरी प्रॉब्लम का सलूशन ढूंढ रही हुं,,,, मैं वही,, सब करने को कह रही हूं जो मर्दों को पसंद है,,।
(लंड चूसने वाली बात से मोहिनी एकदम से गनगना गई थी,,, उसने अभी तक जवान लंड नहीं देखी थी और ना ही उसे इस बात का ज्ञान था कि लंड को मुंह में लेकर चूसा जाता है,,,, धड़कते दिल के साथ अपनी मां के जवाब का इंतजार कर रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)


देख इसमें शर्माने वाली कोई भी बात नहीं है तुझे सही बताने में शर्म महसूस हो रही है लेकिन मैं सही सही बता रही हूं मुझे तो अपने पति का लंड चूसने में बहुत मजा आता है,,, मेरी इस हरकत पर व चारों खाने चित हो जाते हैं,,,,।
(मोहिनी यह जानकर कि उसकी मौसी उसके मौसा का लंड चुस्ती है उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,/आराधना को भी इस बात से हैरानी हो रही थी कि उसकी बड़ी बहन उसके सामने एकदम खुले शब्दों में सब कुछ बोल दे रही हैं,,,//)

देख शर्मा मत आराधना मैं तुझे तेरा घर संसार बचाने का तरीका बता रही हूं अगर तू यह सब नहीं करेगी तो जीजा जी वाकई में बाहर किसी और औरत के साथ संबंध बनाने लगे क्या‌ तु यही चाहती है क्या तू यही चाहती है कि कोई गैर औरत वही सब करे जो मैं तुझे करने को कह रही हूं तो यह सब ना करके अपने पति को अपने हाथों से गवा दे अपने घर संसार को आग लगा दे,,,,।


नहीं नहीं दीदी मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती,,,,


तो जो मैं पूछ रही हूं उसे सच सच बता,,,,
(साधना अपनी बहन पर जोर दे रही थी जानने के लिए लेकिन आराधना को अपने मुंह से यह सब बताने में शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि इस तरह की बातों को उसने आज तक किसी से भी नहीं कही थी बगल वाले कमरे में मोहिनी भी अपनी मां के मुंह से जवाब सुनने के लिए बेताब थी,,, उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था)
Majedar update
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut barhiya kahani…
 
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