Sanju@
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बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन अपडेट हैआराधना भी अपने जीवन में खुशी चाहती थी जिस तरह से वह पहले रहा करती थी लेकिन शायद किस्मत में भी यही लिखा था इसलिए वह अपने जीवन के बारे में सोच कर उदास हो जाती थी,,, आराधना को देखकर किसी को भी ऐसा नहीं लगता था कि यह औरत अंदर से ईतनी दुखी है उसके चेहरे पर हमेशा एक चमक रहती थी उसकी खूबसूरती वैसे भी चांद की तरह चमकती रहती थी,,,,,,।
संजू अपनी मां को दुखी देखकर हमेशा यही सोचता रहता था कि वह ऐसा क्या करें कि उसकी मां की जीवन में फिर से खुशियां वापस आ जाए,,,, सोनू चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था,,,।
अपनी मां को रोता हुआ देखकर उसके मन में बहुत पीड़ा होती थी अपने बाप के प्रति उसे गुस्सा भी बहुत आता था,,,। रात को अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां के कमरे में क्या हुआ होगा,,, आखिरकार संजू एक जवान लड़का था और एक औरत और मर्द के बीच के रिश्ते को अच्छी तरह से जानता था,, अपनी मां को किस तरह से दुल्हन की तरह तैयार होता हुआ देखा था संजू उससे खुश था वो जानता था कि आज शादी की सालगिरह पर उसकी मां उसके पिताजी को खुश करना चाहती है,,, और संजू की अपने मन में यही चाहता था कि उसके पिताजी उसकी मां से बहुत प्यार करें उसे दुनिया की सारी खुशियां दे,,,,। लेकिन रात को अपने बाप के कड़वे वचन को सुनकर वह मन ही मन उदास हो गया था अपने बाप की गंदी बातें उसके दिल पर छुरियां चला रही थी,,,,। बार-बार उसके जेहन में उसके बाप की कहीं एक ही बात घूम रही थी कि दूसरे के लिए तैयार होकर बैठी है दूसरों से चुदवाती है,,,।अपनी मां के बारे में अपने ही बात के मुंह से इतनी गंदी बात सुनकर संजू को बहुत गुस्सा आ रहा था,,,। संजु अपनी मां से बहुत प्यार करता था उसकी बहुत इज्जत करता था इसलिए उसके दुख से वह खुद दुखी था वह अपनी मां के लिए कुछ करना चाहता था लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा था,,,,,,,,,,,, वह छोटे-मोटे घर के काम में हमेशा अपनी मां की मदद करते रहता था,,,।
ऐसे ही एक दिन,, शाम के वक्त उसकी मां खाना बना रही थी और वह वहीं पर बैठकर सब्जियां काट रहा था,,,।
संजू में तुझे कितनी बार कहती हो कि यह सब तेरा काम नहीं है तु यह सब मत किया कर,,,।
हां मम्मी तुम सच कह रही हो लड़कों को यह सब शोभा नहीं देता,,,, वैसे भी तुम हो मैं हूं तो यह सब भैया को काम करने की जरूरत ही नहीं है,,,।(मोहिनी भी अपनी मां का साथ देते हुए बोली,,,)
तू नहीं समझेगी मोहिनी,,,,मम्मी अकेले काम करके थक जाती है भले ही कुछ कहती नहीं है किसी से शिकायत नहीं करती लेकिन फिर भी हमें समझना चाहिए,,,, इसलिए मैं हमेशा मम्मी की मदद करते रहता हुं,,,।(इतना कहकर वह फिर से सब्जी काटने में लग गया,,, अपने बेटे की बातों को सुनकर आराधना मन ही मन खुश होने लगी,,,, उसे लगने लगा था कि उसका बेटा समझदार हो रहा है,,, उसके मन में
इस बात से तसल्ली थी कि चलो पति नहीं,,, ख्याल रखता तो क्या हुआ,,, बेटा तो ख्याल रखता है,,,।,,, मोहिनी भी वहीं पास में बैठ कर अपने भाई का हाथ बता रही थी यह देख कर आराधना कि खुशी का कोई ठिकाना ना था सब कुछ ठीक-ठाक ही था बस उसके पति की तरफ से ही निराशा हाथ लगी हुई थी,,,,। जैसे-तैसे जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ती चली जा रही थी,,,,आराधना को लगने लगा था कि उसका पति उसकी तरफ अब बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता था,,,। यह बात आराधना को खलने लगी थी,,,क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानती थी कि भले दो बच्चों की मां हो गई थी लेकिन अभी भी उसकी खूबसूरती बरकरार थी और सब को सही होने के बावजूद भी उसका पति उसके खूबसूरत बदन पर उसकी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा था यह बात आराधना को अचंभित कर रही थी क्योंकि कुछ नहीं तो सही आए दिन वह उसकी मर्जी जाने बिना भी उसके साथ शारीरिक संबंध बना लेता था जिससे कुछ नहीं तो थोड़ा बहुत आराधना को भी तसल्ली हो जाती थी लेकिन महीनों गुजर गए थे उसके पति ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया नहीं था,,,। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अपने पति को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए क्या करें उसे डर था कि कहीं बाहर तो उसका किसी के साथ नाजायज संबंध तो नहीं है,,, यह ख्याल उसे और ज्यादा परेशान कर देता था,,,,,,।
ऐसे ही रविवार का दिन था और आराधना की बहन जो की उम्र में उससे केवल 1 वर्ष ही बड़ी थी साधना आई हुई थी,,, उसे देख कर आराधना को बहुत खुशी हुई,,,, ।
क्या दीदी 5 महीने हो गए यही पास में रहती हो लेकिन कभी खबर नहीं लेती,,,।
क्या करूं आराधना काम बहुत रहता है दिन भर घर के काम से ही फुर्सत नहीं मिलती दोनों बच्चे बड़े हो गए हैं कॉलेज जाने लगे हैं,,, सुबह उठकर नाश्ता बना फिर खाना बना घर का कामकाज करो उसी में शाम हो जाता है फिर शाम को फिर वही काम शुरू,,,, बहुत दिनों से सोच रही थी मिलने के लिए लेकिन समय ही नहीं मिल रहा था और रविवार था तो सोचो चलो आज मिल ही लेती हूं,,,,
चलो कोई बात नहीं दीदी देर आए दुरुस्त आए,,,,
( तभी मोहिनी अपने कमरे से निकलकर बाहर आई और अपनी मौसी के पांव छूते हुए बोली,,,)
नमस्ते मौसी आज याद आई है तुम्हें,,,
अब सब लोग की एक ही शिकायत है,,,, तो भैया माफी चाहती हूं इतने दिनों बाद आने के लिए,,,(मोहिनी के सामने साधना हाथ जोड़कर बोली तो मोहिनी उसे आशीर्वाद देने की मुद्रा में अपना हाथ ऊपर करके बोली,,,)
कोई बात नहीं बच्चा हम तुम्हें माफ करते हैं,,,(पर इतना कहकर मोहिनी के साथ-साथ साधना आराधना दोनों हंसने लगी,,,,)
हाथ मुंह धो लो मैं खाना परोस देती हुं,,,,,,
(थोड़ी ही देर में साधना आराधना और मोहिनी तीनों बैठकर खाना खाने लगे,,,, आराधना जानती थी कि आज रविवार है इसलिए संजीव का कोई ठिकाना नहीं है कि कब घर आएगा,,,, बात ही बात में साधना ने रमेश का जिक्र करते हुए बोली,,)
क्या बात है आराधना,,,, जीजा जी नजर नहीं आ रहे हैं आज तो रविवार है छुट्टी का दिन,,,
(साधना के मुंह से रमेश का जिक्र सुनते ही आराधना के चेहरे पर उदासी जाने लगी और यही हाल मोहिनी का भी था क्योंकि वह अपने घर के हालत को अच्छी तरह से जानती थी,,, घर में जिस तरह का क्लेश फैला हुआ है उसी से मोहिनी भलीभांति परिचित थी इसलिए अपने पापा का जिक्र होते ही वह खाना खा चुकी थी इसलिए वहां से उठ गई और बोली,,)
मम्मी मैं अपने कमरे में आराम करने जा रहे हु आप दोनों बातें करो,,,,
(आराधना की अच्छी तरह से समझ रही थी कि मोहिनी वहां से इसलिए जा रही थी कि वह अपने मन का दुख अपनी बड़ी बहन से बता सकें,,, मोहिनी चली गई बगल वाले कमरे में और कुछ देर तक सन्नाटा छाया रहा तो साधना फिर बोली)
क्या हुआ तू कुछ बोल क्यों नहीं रही है कुछ हुआ है क्या,,,,
(अपनी बड़ी बहन की बात सुनकर आराधना रोने लगी,,, उसे रोती हुई देखना साधना एकदम से परेशान हो गई,,)
अरे रो क्यों रही है बताएगी भी कि क्या हुआ है,,,
क्या बताऊं दीदी मेरी तो जिंदगी नरक हो गई है,,,
अरे क्या हुआ है सब कुछ तो ठीक-ठाक था अब क्या हो गया,,,,
यह पूछो दीदी क्या नहीं हुआ है,,,, जिंदगी बर्बाद हो गई है,,,, जब से शराब पीना शुरू कीए है तब से जिंदगी तबाह हो गई है,,,,,।
क्या जीजा शराब पीने लगे,,,,(साधना आश्चर्य जताते हुए बोली)
हां दीदी रोटी दिनभर शराब के नशे में डूबे रहते हैं,,,,, घर गृहस्ती बच्चों बीवी का तो उन्हें शुध भी नहीं है,,,, हम लोगों की तरफ तो ध्यान ही नहीं देते,,,,
पर ऐसा क्या हो गया जो उन में इतना बदलाव आ गया,,,
क्या बताऊं दीदी,,, मेरे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है सब कुछ सही चल रहा था लेकिन कुछ महीनों से सब कुछ तहस-नहस हो गया है धीरे धीरे वह तो मुझ पर भी ध्यान देना बंद कर दीए है,,,।
क्या मतलब मैं समझी नहीं,,,,
दीदी पहले तो सप्ताह में दो-तीन बार मेरी मर्जी जाने बिना ही मेरे साथ संबंध बना लेते थे लेकिन महीना गुजर गया लेकिन उन्होंने मेरी तरफ ठीक से देखा था कि नहीं है,,,
क्या कह रही है तू,,,(साधना एकदम आश्चर्यचकित होते हुए बोली क्योंकि इस बात को अभी अच्छी तरह से जानती थी कि उसकी बहन अभी भी बहुत खूबसूरत थी उसके बदन का रखरखाव एकदम सही ढंग का था मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित करने वाला खूबसूरत बदन की वह अभी भी मालकिन थी फिर भी उसका पति उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा था यह बात उसके लिए आश्चर्य चकित कर देने वाली थी,,,,)
हां दीदी मैं सच कह रही हूं मुझे तो लगता है कि कहीं बाहर उनका किसी औरत के साथ संबंध तो नहीं है तभी तो वह ध्यान नहीं देते,,,।
भगवान ना करे ऐसा कुछ हो आराधना,,,, नहीं तो जिंदगी और ज्यादा बर्बाद हो जाएगी,,,,।
(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी उन दोनों की बातों को सुन रही थी क्योंकि वह दोनों की बातें बगल वाले कमरे में एकदम साफ सुनाई देती थी उन्हें इस बात का आभास तक नहीं था कि मोहिनी सबको सुन रही है,,,, अपने बाप के व्यवहार के बारे में सुनकर उसे भी ताज्जुब हो रहा था,,,,)
मैं क्या करूं दीदी तुम ही कुछ बताओ,,,,।
देख आराधना मर्दों को अपने बस में करने की तरकीब हर औरत के पास होती है,,,,औरत चाहे तो घर को बना दे और और अच्छा है तो घर को उजाड़ दे यह सब कुछ औरत के हाथ में होता है,,, और अपना घर एक बार फिर से बसाने के लिए तुझे सब कुछ करना होगा,,,।
क्या करना होगा ठीक है मुझे भी कुछ बताओ मैं सब कुछ करने को तैयार हूं,,,,।
देख आराधना,,,, तुझे अपना जीवन एक बार फिर से खुशियों से करने के लिए अपने पति को अपनी तरफ रीझाना,,, अगर वह पहल नहीं कर रहा है तो तुझे पहल करना होगा,,,,। तुझे जीजा को अपनी तरफ आकर्षित करना होगा इसके लिए तुझे बहुत कुछ करना होगा,,,।
मैं सब कुछ करुंगी दीदी,,, पहले बताओ तो करना क्या होगा,,,
तुझे हमेशा सज धज कर रहना होगा इस तरह से उदास चेहरा लेकर नहीं जब भी जीजा तेरे सामने आई तो तेरा चेहरा एकदम खिला होना चाहिए,,,, और यह,,,(आराधना के ब्लाउज की तरफ देख कर अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसके ब्लाउज के ऊपरी कीनारी को पकड़कर उसे नीचे करते हुए बोली,,,) लो कट ब्लाउज पहना कर जिसमें से तेरी खरबूजे जैसी चूचीयां बाहर झांकती हो,,, जिसे देखकर ही जीजा के मुंह में पानी आ जाए,,,,।(बगल वाले कमरे में बैठी मोहिनी अपनी मौसी की बात सुनकर उत्साहित होने लगी और वह बड़े ध्यान से अपनी मौसी की बात को सुनने लगी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली)
और हां बार-बार किसी बहाने से तो उनके सामने अपने साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा दिया कर,,,।
क्या दीदी,,,,
क्या दीदी नहीं तुझे यही करना होगा अगर अपना घर बचाना है तो, में ,, जानती हूं कि जीजा तेरे साथ बहुत बार संबंध बना चुके हैं बहुत बार तेरी चुदाई कर चुके हैं,,,(चुदाई की बात सुनते ही मोहिनी के बदन में अजीब सी हलचल होने लगी चुदाई के मतलब को वह अच्छी तरह से समझती थी,,, अपनी मौसी के मुंह से इतने खुले शब्द सुनकर,, उसे आश्चर्य हो रहा था क्योंकि वह कभी भी अपनी मौसी के मुंह से इस तरह की बातें सुनी नहीं थी आज पहली बार इस तरह की गंदी बातें सुनकर मोहिनी के तन बदन में अजीब सी लहर उठ रही थी आखिरकार वापी एक जवान लड़की थी जो अभी-अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,)
लेकिन फिर भी उनकी आंखों के सामने अगर कंधे से तेरे साड़ी का पल्लू गिरेगा तो ब्लाउज में से झांकती हुई बड़ी बड़ी चूची को देखकर जीजा की हालत खराब हो जाएगी और जरूर वह एक बार फिर से तेरे रूप यौवन के जाल में फंसते चले जाएंगे,,,,
अगर फिर भी ऐसा नहीं हुआ तो,,,(आराधना अपनी बड़ी बहन साधना की बात सुनकर उस पर शंका जताते हुए बोली,,,)
अरे जरूर होगा,,,, मर्दों की फितरत हीं यही है,,, और हां सच-सच बताना,, बिस्तर में शुरुआत कौन करता है,,,।
वही करते हैं मैं नहीं करती,,,,(आराधना शर्माते हुए बोली,,)
तभी तो सत्यानाश है हम औरतों की सबसे बड़ी परेशानी यही है,,, की शुरुआत खुद नहीं करती मर्दों का इंतजार करती रहती है,,, कि कब हमारे पति हम पर मेहरबान होंगे,,,,
तुम क्या करते हो दीदी,,,,
मैं अपने पति का इंतजार नहीं करती वह करें तो ठीक अगर नहीं करते हैं तो मैं खुद ही चढ बैठती हूं,,,
सच कह रही हो दीदी,,,(आराधना आश्चर्य जताते हुए बोली)
तो क्या,,, आखिरकार हम औरतों का भी तो कुछ अधिकार है हमारी भी तो इच्छा होती है जिसे भूख लगने पर हम खाना खाते हैं उसी तरह से हमें जिस्म की भी भूख लगती है जिसे मिटाने के लिए हमें खुद आगे बढ़ना पड़ता है,,,
तो क्या चीज है कुछ कहते नहीं तुम्हारी पहल देखकर,,,
अरे वह तो पागल हो जाते हैं उन्हें इतना मजा आता है कि पूछो मत और उसके बाद जो चुदाई होती है उसका अनुभव ही कुछ और होता है,,,,
(पास के कमरे में सुन रही मोहिनी अपने कानों पर विश्वास नहीं कर पा रही थी उसकी मौसी खुले शब्दों में सब कुछ बोल रही थी मोहिनी जानती थी कि उसकी मौसी चुदाई के बारे में ही बात कर रही है जिसके बारे में सुनकर उसकी दोनों टांगों के बीच ना जाने कैसी लहर उठने लगी थी उसे समझ में नहीं आ रहा था बस वह सुने जा रही थी,,,)
तुम नसीब वाली हो दीदी,,, जो तूम्हे इतने अच्छे पति मिले
है,,,
तेरा भी नसीब जाग जाएगा,,, मेरी बहन बस मेरी बात मान कर,,, मर्द को औरत का पहन करना बहुत अच्छा लगता है,,, इसमें उन्हें सबसे ज्यादा खुशी मिलती और जीजा को भी खुशी की जरूरत है तो उन्हें खुशी देगी तभी तेरा जीवन घर संसार बना रहेगा,,,, बाहर की औरतें जो देंगी वही तुझे भी देना है बस तरीका अलग होना चाहिए और हां,,,। तू अपनी चूत तो साफ करती है ना,,,, बालों वाली तो नहीं है,,,,
नहीं दीदी 15 दिन में एक बार क्रीम बनाकर साफ कर देती हूं वैसे मुझे भी सफाई पसंद है,,,
और जीजा को,,,
पहले तो बहुत पसंद थी हमेशा चिकनी चूत रखने के लिए कहते थे,,, लेकिन अब नहीं पता,,,
(अपनी मौसी और अपनी मम्मी के मुंह से चूत शब्द सुनकर मोहिनी की हालत खराब होने लगीपर यह जानकर आश्चर्य होने लगा कि उसकी मां 15 दिन में एक बार अपनी चूत के बाल साफ करती है और उसने आज तक अपनी चूत के बाल साफ नहीं की थी हालांकि अभी झांटों का झुरमुट नहीं हुआ था,,, बस हल्के हल्के रेशमी बाल ही आते थेलेकिन अपनी मां के मुंह से सफाई वाली बात सुनकर उसकी भी इच्छा करने लगी थी क्रीम लगाकर साफ करने के लिए,,,, खुमारी में मोहिनी की सांसे तेज चलने लगी थी,,,,)
तो फिर से साफ कर क्रीम लगाकर साफ कर उस पर हल्का सा खुशबूदार क्रीम लगा लिया कर,,,, और हां तूने कभी जीजा जी के लंड को मुंह में ली है,,,।
कैसी बातें कर रही हो दीदी,,,
तेरी प्रॉब्लम का सलूशन ढूंढ रही हुं,,,, मैं वही,, सब करने को कह रही हूं जो मर्दों को पसंद है,,।
(लंड चूसने वाली बात से मोहिनी एकदम से गनगना गई थी,,, उसने अभी तक जवान लंड नहीं देखी थी और ना ही उसे इस बात का ज्ञान था कि लंड को मुंह में लेकर चूसा जाता है,,,, धड़कते दिल के साथ अपनी मां के जवाब का इंतजार कर रही थी,,,, साधना अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)
देख इसमें शर्माने वाली कोई भी बात नहीं है तुझे सही बताने में शर्म महसूस हो रही है लेकिन मैं सही सही बता रही हूं मुझे तो अपने पति का लंड चूसने में बहुत मजा आता है,,, मेरी इस हरकत पर व चारों खाने चित हो जाते हैं,,,,।
(मोहिनी यह जानकर कि उसकी मौसी उसके मौसा का लंड चुस्ती है उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी,,/आराधना को भी इस बात से हैरानी हो रही थी कि उसकी बड़ी बहन उसके सामने एकदम खुले शब्दों में सब कुछ बोल दे रही हैं,,,//)
देख शर्मा मत आराधना मैं तुझे तेरा घर संसार बचाने का तरीका बता रही हूं अगर तू यह सब नहीं करेगी तो जीजा जी वाकई में बाहर किसी और औरत के साथ संबंध बनाने लगे क्या तु यही चाहती है क्या तू यही चाहती है कि कोई गैर औरत वही सब करे जो मैं तुझे करने को कह रही हूं तो यह सब ना करके अपने पति को अपने हाथों से गवा दे अपने घर संसार को आग लगा दे,,,,।
नहीं नहीं दीदी मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहती,,,,
तो जो मैं पूछ रही हूं उसे सच सच बता,,,,
(साधना अपनी बहन पर जोर दे रही थी जानने के लिए लेकिन आराधना को अपने मुंह से यह सब बताने में शर्म महसूस हो रही थी क्योंकि इस तरह की बातों को उसने आज तक किसी से भी नहीं कही थी बगल वाले कमरे में मोहिनी भी अपनी मां के मुंह से जवाब सुनने के लिए बेताब थी,,, उसका दिल भी जोरों से धड़क रहा था)
आराधना की दीदी ने तो मर्दों को रिझाने के नए। तरीके बता रही है देखते हैं की ये रमेश क्या करता है