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Incest मजबूरी या जरूरत

rohnny4545

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मोहिनी का दिल जोरों से धड़क रहा था बगल वाले कमरे में वहां दीवार से कान सटाए बैठी हुई थी,,वो पहली बार इस तरह की गंदी वार्तालाप को अपने कानों से सुन रही थी और वह भी अपनी मां और अपनी मौसी के मुंह से,,,, उन दोनों को देखकर कभी ऐसा लगता है कि नहीं था कि दोनों इस तरह से खुले तौर पर बातें करती होंगी,,, मोहिनी की सहेलियां भी इस तरह की बातें आपस में किया करती थी लेकिन मोहिनी कभी भी इस तरह की वार्तालाप नहीं करी सम्मिलित नहीं हुई थी उसे इन सब से दूरी बनाए रहने में ही अपनी भलाई नजर आती थी लेकिन आज उसे इस तरह की बातें ना जाने क्यों अच्छी लगने लगी थी उन बातों को सुनकर उसके बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी,,, अपनी मौसी के सवाल का जवाब अपनी मां के मुंह से सुनने के लिए उसके कान भी बेताब थे,,,वह देखना चाहती थी कि उसकी मां क्या जवाब देती है उसकी मौसी की तरह वह भी वही हरकत करती है उसकी मौसी करती है या इन सब से वह अछूती है,,,।

दूसरी तरफ आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा हूं समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बहन को क्या जवाब दें क्योंकि वास्तविकता यही थी कि उसने कभी भी अपने मन से अपने पति का लंड मुंह में लेकर चूसी नहीं थी,,,,,,वह अपने पति के ज्यादा दबाव देने पर है यह क्रिया को की थी अपने मन से कभी भी नहीं की इसलिए वह अपनी बहन को जवाब देने में कतरा रही थी,,,।

Sadhna ki badi badi gaand

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बोलना आराधना डरती क्यों है तुझसे मैं पूछ रही हूं कोई और तो नहीं पूछ रहा है और जो कुछ भी है मैं भी सही सही बता दी हुं ,,,,, तू क्यों शर्मा रही है,,,।


अब क्या बताऊं दीदी,,,, मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,


मतलब तुमने आज तक जीजा का लंड मुंह में नहीं ली,, या वह देते ही नहीं है,,,।


नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं है वह तो हमेशा यही चाहते हैं लेकिन मुझे ही अच्छा नहीं लगता,,,,।


क्या पागलों जैसी बात कर रही है आराधना,,,, एक औरत होकर एक बहुत ही खूबसूरत पल कों एक बेहतरीन अनुभव को तु खो दे रही है,,,, तु शायद नहीं जानती थी अधिकतर औरतों को इसी तरह से लंड को मुंह में लेकर चूसने में बहुत मजा आता है और उत्तेजना भी ज्यादा महसूस होती है,,पर इस कला में जो महारत हासिल कर ले वह अपने पति को अपना गुलाम बना कर रखती है और एक तू है कि अपना ब्रह्मास्त्र ही छोड़ बैठी है,,,,


पर मुझे बड़ा अजीब लगता है दीदी,,,,


पता नहीं क्यों तुझे अजीब लगता है तु दिल से यह सब नहीं करती होगी,,,, अच्छा जीजा तेरी चूत चाटते होंगे ना,,,


हां,,,,,

(अपनी मौसी किस तरह की बात सुनकर और अपनी मां का जवाब सुनकर मोहिनी की दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार में हलचल होने लगी उसे इस बात से और ज्यादा उत्तेजना का अनुभव नहीं लगा कि उसके पापा उसकी मम्मी की चूत चाटते हैं इसके बारे में मोहिनी को अभी तक कुछ भी पता ही नहीं था,,,,, वह तो अपने मन में ही कल्पना करने लगी कि कैसे उसके पापा उसकी मम्मी की चूत चाटते होंगे क्योंकि चूत की कल्पना करना उसके लिए कोई मुश्किल काम नहीं था क्योंकि उसकी दोनों टांगों के बीच में एक खूबसूरत चूत थी,,,, आराधना का जवाब सुनकर उसकी बहन बोली,,,)


अच्छा फिर तुझे कैसा लगता है जब जीजा तेरी चूत चाटते हैं तो,,,।


पूछो मत दीदी बहुत अच्छा लगता है ऐसा लगता है कि जैसे मैं हवा में उड़ रही हूं,,,,।
Mohini ki khubsurti




और फिर,,,,, तु एकदम मस्त जाती है,( साधना की बात सुनकर आराधना हां में सिर हिला दी,,,) तो यही सोच किसी जा तुझे इतना मजा देते हैं और बदले में तू उनको थोड़ा भी मजा नहीं दे पाती जब वह तेरी चूत चाट सकते हैं जीभ से तो क्या तू उनके लंड को अपने मुंह में लेकर चूस नहीं सकती,,,, तू खुद अपनी दुश्मन बनी बैठी है,,,, अपने पति को खुश करने के लिए तो औरत सब कुछ कर देती है उसे पसंद हो या चाहे ना हो वह सब कुछ करने को तैयार हो जाती है और एक तू है जो इतना नहीं कर सकती जबकि वह करने में भी औरत को बहुत मजा आता है,,,। अच्छा तो एक बात बता अपना घर संसार बसाना चाहती है कि नहीं यही चाहती है कि जीजा तेरी एक सौतन लाकर घर में रख दें,,,।


नहीं नहीं दीदी मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहती मैं अपना घर संसार बचाना चाहती हूं,,,


तो फिर तुझे जो मैं कह रही हूं वह सब कुछ करना होगा,,,,, करेगी ना,,,


हां दीदी मैं सब कुछ करूंगी उन्हें पहले जैसा बनाने के लिए मैं सब कुछ करूंगी,,,,


चल ठीक है अब देखना तेरा जीवन कैसे खुशियों से महक उठता है,,,,।

(बगल वाले कमरे में मोहिनी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसे अपनी पेंटी गीली होती है महसूस हो रही थी पहली बार वह उत्तेजना का अनुभव भी की थी,,,, यही सब सोचते हुए उसे कब नींद लग गई उसे पता ही नहीं चला,,,, शाम को जब समझे घर पर आया तो घर में अपनी मौसी को देख कर बहुत खुश हुआ और वहां जैसा कि पहले करना था वैसे ही जाकर उसके गले लग कर मिलने लगा,,,,)


अरे मेरा बच्चा अभी तक कहां था,,,,(संजू की पीठ को सहलाते हुए,,,)

बस यही था मौसी,,,(वह साधना के गले लगे हुए ही बोला जब भी वह अपनी मौसी से मिलता था तो इसी तरह से मिलता था लेकिन आज उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी जब उसकी मौसी की बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी छाती से दबने लगी,,,, चुचियों की नर्माहट और उत्तेजित निप्पलो को अपनी छातियों में धंसता हुआ महसूस करके संजू पूरी तरह से गनगना गया,,,संजू पूरी तरह से जवान था इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी छाती पर उसकी मौसी की चूची ही रगड खा रही है,,,। मैं तुरंत अपनी मौसी से अलग हुआ और अनजाने में उसकी नजर साधना की दमदार छातियों पर चली गई जो की पूरी तरह से उठी हुई थी मानो कि उसके ब्लाउज में बड़े-बड़े दो फुटबॉल भर दिए गए हो,,,,,,, इससे पहले संजू का ध्यान इन सब पर बिल्कुल भी नहीं किया था लेकिन आज अचानक ही उसका ध्यान अपनी मौसी की दमदार छातियों पर ठहर सी गई थी,,, पल भर में ही साधना ने संजू की जवान नजरों को ताड लिया,,, साधना मर्दों की नजरों को अच्छी तरह से पहचानती थी और इस समय साधना को अपने भतीजे संजू की आंखों में जवानी की उमंग लालसा नजर आ रही थी,,, साधना संजू की हालत को अच्छी तरह से समझ सकती थी क्योंकि जिस तरह से वह उसको कर देना खाली थी ऐसे में कोई भी हो वह उसकी बड़ी बड़ी छातियों का स्पर्श पाते ही गर्म हो जाता,,,, लेकिन साधना को भी आज संजू की नजरों में बदलाव पहली बार महसूस हुआ था,,,,। साधना ही अपनी बात को बदलते हुए बोली,,,।


और बेटा पढ़ाई कैसी चल रही है,,,


एकदम ठीक मौसी,,,


ऐसे ही पढ़ते रहो,,,, जरूर कामयाब हो जाओगे,,,


बस आपका आशीर्वाद चाहिए मौसी,,,,


मेरा आशीर्वाद तो सदा तुम दोनों पर बना हुआ है,,,(तब तक मोहिनी भी उधर आ गई थी और साधना मोहिनी के सर पर हाथ रखते हुए बोली,,, सब लोग बहुत खुश थे शिवाय आराधना के अपनी मम्मी गई सोच रही थी कि जिस तरह से उसकी बहन ने उसको करने के लिए कही है क्या हुआ उस तरह से कर पाएगी अपने मन में यही सोच कर परेशान हो रही थी लेकिन फिर भी अपने मन को दिलासा देते हुए समझा भी रही थी वह कर लेगी अपना घर बचाने के लिए वह कुछ भी कर सकती हैं,,,, यही सोच उसकी हिम्मत बढ़ा रहा था,,,।

शाम ढलने लगी थी खाना बनाने की तैयारी में आराधना लगी हुई थी आज अपनी बड़ी बहन साधना के मनपसंद की खीर बनाने जा रही थी इस बात को जानकर संजू मोहीनी के साथ-साथ साधना भी खुश थी,,,,।

चलो इसी बात पर बच्चों मैं तुम्हें नुक्कड़ पर पानी पूरी खिलाने के लिए ले चलती हूं,,,।

हां मौसी मुझे भी पानी पूरी खाना था,,,(मोहिनी एकदम से चहकते हुए बोली,,, संजू भी तैयार हो गया तभी साधना आराधना से बोली,,)

आराधना तू भी चल जल्दी आ जाएंगे,,,।


नहीं नहीं दीदी तुम लोग जाओ मैं खाना बनाती हूं,,,,


चलना क्या हुआ जल्दी आ तो जाएंगे,,,,


नहीं दीदी,,,, तुम लोग हो आओ ,,,,,


अच्छा तो कुछ खाएगी,,,,


हां मौसी मम्मी को भी पानी पुरी के साथ साथ छोला और समोसा भी पसंद है,,,(संजू अपनी मां की पसंद बताते हुए बोला,,)


ठीक है आते समय में पैक करा कर लें आऊंगी,,,
(इतना कहकर वो लोग घर से बाहर चले गए,,, आराधना भाई बैठकर सब्जी काटते हुए उन लोगों को जाते हुए देखती रह गई,,,,,, और सोचने लगी कि उसे भी इसी तरह की जिंदगी चाहिए थी एकदम खुशहाल और अच्छी खासी चल भी रही थी लेकिन रमेश की शराब की लत ने सब सत्यानाश कर दिया था,,,, आराधना के मन में बार-बार उसकी बीवी की कही बातें याद आ रही थी पहल करने वाली,,,शादी से लेकर आज तक दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी आराधना ने बिस्तर पर अपने पति के साथ पहल कभी नहीं की थी शुरुआत हमेशा उसका पति करता था हालांकि उसका मन हमेशा उत्सुक रहता था बिस्तर पर पहुंचते ही वह सोचती थी कि उसका पति उसे बाहों में लेकर खूब प्यार करें उसके कपड़ों को उतारकर उसे नंगी करें उसकी बड़ी बड़ी चूची को दबा दबा कर मुंह में लेकर चूसे उसकी चूत को अपने होंठों में भर कर उसका रसपान करें,,,, उसकी दीदी के कहे अनुसार चूत चटवाने में उसे बहुत मजा आता था,,,,अपने पति के मुंह में तो वह अपना कोमल अंग दे देती थी लेकिन उसका कड़क और अपने मुंह में नहीं लेती थी और यही साधना उसे समझा रही थी कि पति को वश में करने का सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र यही अगर वह भी पहल करते हुए उसके पति का लंड अपने मुंह में लेकर चूसेगी तो उसका पति चारों खाने चित हो जाएगा,,, आराधना अपने मन में यही सोच कर रही थी कि जैसा उस की दीदी बताई है वैसा ही वह करेगी,,,,,,,।

घर से बाहर निकल कर सड़क पर चलते हुए मोहिनी और उसकी मौसी साधना आगे-आगे चल रही थी और संजू दोनों के पीछे पीछे चल रहा था उसकी नजर एक बार फिर से अचानक साधना की मदमस्त बड़ी-बड़ी गांड पर चली गई जो की कसी हुई साड़ी पहनने की वजह से उसकी गदराई गांड साड़ी से बाहर आने के लिए मचल रही थी,,,,,,। यह संजू के लिए दूसरा पल था जब वह अपनी मौसी को गलत नजरिए से देख तो नहीं रहा था लेकिन पल भर में उसके मन में गलत विचार आ गया था तुरंत वह अपने आप को संभालते हुए अपनी नजरों को इधर-उधर घुमा कर देखने लगा लेकिन बंद तो आखिर मन होता है और जवानी में इस तरह का दृश्य देखकर फिसल जाता है जैसे कोई मनमोहक मादक दृश्य बिल्कुल भी नहीं था लेकिन औरत की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को मटकती हुई देखना भले ही वह साड़ी में कैद क्यों ना हो उसमें भी एक अपना मजा ही होता है और यही मजा संजू को भी प्राप्त करा था अपना मन इधर-उधर करने लगा लेकिन बार-बार उसकी नजर साधना की बड़ी बड़ी गांड पर चली जा रही थी नितंबों के उभार के ऊपर पतली कमर के दोनों छोर पर कमर का कटाव बेहद गहरा नजर आ रहा था जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था संजू की नजरें इससे पहले कभी भटकी नहीं थी लेकिन आज भटक रही थी,,,,

बार-बार उस के लंड में अजीब सी हरकत होने लगी थी,,, अभी नुक्कड़ आया नहीं था और संजू की नजरें गुरुत्वाकर्षण बल के नियम के अनुसार साधना की मदमस्त गांड की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी,,,, अभी तक तो ठीक था लेकिन अचानक ही मोहिनी की गांड पर भी उसकी नजर चली जा रही थी जो कि सलवार के अंदर एकदम कसी हुई थी,,, जिसे देखते उसके मन में अचानक यह ख्याल आ रहा था कि मोहिनी की गांड मौसी की गांड जितनी बड़ी तो नहीं है लेकिन फिर भी एकदम कसी हुई सुडोल है,,,।

इस साल के गंदे विचार मन में आते ही संजू अपने मन को कोसने लगा अपने आप पर गुस्सा करने लगा,,,, लेकिन फिर भी अपनी हरकत पर संजू खुद बाज नहीं आ रहा था बार-बार उसकी नजर साधना की गांड पर तो कभी अपनी बहन मोहिनी की गांड पर चली जा रही है आखिरकार अजीब से मनोमंथन से गुजरते हुए वह लोग नुक्कड़ पर पहुंच गए,,, वहां पर ढेर सारी नाश्ते की स्टॉल और ठेले लगे हुए थे एक खाली ठेला देखकर वह लोग वहीं पर चले गए और पानी पूरी का आनंद लेने लगे,,,, पानी पूरी खाते हुए संजू चोर नजरों से अपनी मौसी को ही देख रहा था जो कि पानी पुरी को हाथ में लेकर थोड़ा आगे की तरफ झुक जा रही थी ताकि पानी उसके ऊपर ना गिर जाए और उसके ऐसा करने पर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम बाहर को निकल आ रही थी संजू को इस बात का डर था कि कहीं उसकी मौसी की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज का बटन तोड़कर बाहर ना जाए,,,, यह नजारा देखने में संजू को बहुत मजा आ रहा था,,,, आज ना जाने क्यों उसे अपनी मौसी एकदम सेक्सी लगने लगी थी हालांकि वह बहुत गर्म पहले से ही थी,,, लेकिन अपनी मौसी को देखने का संजू का नजरिया आज बदला था,,,।आज ना जाने क्यों उसका मन उसकी मौसी की बड़ी बड़ी चूचीयो के बीच की पतली गहरी लकीर की गहराई में डूब जाने को कर रहा था,,,,,

संजू बार-बार अपनी उत्तेजना को दबाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मौसी को देखते ही उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,।पानी पूरी खाते हुए अचानक कि उसके मन में उसके दोस्त की बात याद आ गई इसी तरह से उसकी मौसी पहले भी उसके घर आया करती थी और ऐसे ही उसके दोस्त ने उसकी मौसी को आते जाते देखा था तो संजु से उसकी मौसी का जिक्र करते हुए बोला था कि संजू तेरी मौसी बहुत मस्त लगती है एकदम सेक्सी उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर हम लोगों की हालत खराब हो जाती हैं सच कहता हूं उसकी चूची इतनी बड़ी बड़ी है कि अगर सारा दिन मुंह में लेकर पीओ तो भी उसका दूध खत्म नहीं होगा,,, कसम से संगीत तेरी मौसी अगर एक रात के लिए मिल जाएगा तो जिंदगी बन जाए उसकी दोनों टांगों के बीच तो एकदम जन्नत होगी,,,, उसकी बुर की अमृतधारा होठों पर लगाकर पीने का मन करता है,,,उस समय अपने दोस्त की इस तरह की गंदी बात को सुनकर संजू पूरी तरह से क्रोधित हो गया था और उसे मारा भी था उस दिन से उसने उसी से बात करना भी छोड़ दिया था लेकिन आज ऐसा लग रहा था कि उसकी दोस्त की कही बात सच थी,,,।

जिस तरह की बातें संजू के दोस्त ने महीनों पहले बोला था आज संजु का मन अपनी मौसी को देखकर उसी तरह से मचल रहा था,,,,।


वह तीनों पानी पुरी खा चुके थे,,, साधना पैसे चूका कर आराधना के लिए भी पानी पुरी पेक करवाली थी और,, समोसे छोले के ठेले पर जाकर,,, तीनो ने छोले समोसे भी खाएं और पेक करवा कर घर लेकर आ गए,,,,,,,

घर पर पहुंचकर आराधना ने भी पानीपुरी और छोला समोसा खाए और वापस खाना बनाने में कई मोहिनी अपनी मां की मदद करने लगी,,,, संजु बगल वाले कमरे में जाकर थोड़ी बहुत पढ़ाई करने लगा साधना रसोई घर में ही बैठे हुई थी उसे जोरो की पिशाब लगी तो वह तो वह रसोई घर से बाहर निकल कर बाथरूम में चली गई,,,, सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे इसलिए,,, साधना को लगा कि इतनी जल्दी कोई आएगा नहीं इसलिए वो बाथरूम में घुसते ही जल्दबाजी दिखाते हुए बाथरूम की कड़ी नहीं लगाई और उसी तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर नीचे बैठकर मूतने लगी,,, उसी समय संजु को भी बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,,,,,
 
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मोहिनी का दिल जोरों से धड़क रहा था बगल वाले कमरे में वहां दीवार से कान सटाए बैठी हुई थी,,वो पहली बार इस तरह की गंदी वार्तालाप को अपने कानों से सुन रही थी और वह भी अपनी मां और अपनी मौसी के मुंह से,,,, उन दोनों को देखकर कभी ऐसा लगता है कि नहीं था कि दोनों इस तरह से खुले तौर पर बातें करती होंगी,,, मोहिनी की सहेलियां भी इस तरह की बातें आपस में किया करती थी लेकिन मोहिनी कभी भी इस तरह की वार्तालाप नहीं करी सम्मिलित नहीं हुई थी उसे इन सब से दूरी बनाए रहने में ही अपनी भलाई नजर आती थी लेकिन आज उसे इस तरह की बातें ना जाने क्यों अच्छी लगने लगी थी उन बातों को सुनकर उसके बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी,,, अपनी मौसी के सवाल का जवाब अपनी मां के मुंह से सुनने के लिए उसके कान भी बेताब थे,,,वह देखना चाहती थी कि उसकी मां क्या जवाब देती है उसकी मौसी की तरह वह भी वही हरकत करती है उसकी मौसी करती है या इन सब से वह अछूती है,,,।

दूसरी तरफ आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा हूं समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बहन को क्या जवाब दें क्योंकि वास्तविकता यही थी कि उसने कभी भी अपने मन से अपने पति का लंड मुंह में लेकर चूसी नहीं थी,,,,,,वह अपने पति के ज्यादा दबाव देने पर है यह क्रिया को की थी अपने मन से कभी भी नहीं की इसलिए वह अपनी बहन को जवाब देने में कतरा रही थी,,,।

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बोलना आराधना डरती क्यों है तुझसे मैं पूछ रही हूं कोई और तो नहीं पूछ रहा है और जो कुछ भी है मैं भी सही सही बता दी हुं ,,,,, तू क्यों शर्मा रही है,,,।


अब क्या बताऊं दीदी,,,, मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,


मतलब तुमने आज तक जीजा का लंड मुंह में नहीं ली,, या वह देते ही नहीं है,,,।


नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं है वह तो हमेशा यही चाहते हैं लेकिन मुझे ही अच्छा नहीं लगता,,,,।


क्या पागलों जैसी बात कर रही है आराधना,,,, एक औरत होकर एक बहुत ही खूबसूरत पल कों एक बेहतरीन अनुभव को तु खो दे रही है,,,, तु शायद नहीं जानती थी अधिकतर औरतों को इसी तरह से लंड को मुंह में लेकर चूसने में बहुत मजा आता है और उत्तेजना भी ज्यादा महसूस होती है,,पर इस कला में जो महारत हासिल कर ले वह अपने पति को अपना गुलाम बना कर रखती है और एक तू है कि अपना ब्रह्मास्त्र ही छोड़ बैठी है,,,,


पर मुझे बड़ा अजीब लगता है दीदी,,,,


पता नहीं क्यों तुझे अजीब लगता है तु दिल से यह सब नहीं करती होगी,,,, अच्छा जीजा तेरी चूत चाटते होंगे ना,,,


हां,,,,,

(अपनी मौसी किस तरह की बात सुनकर और अपनी मां का जवाब सुनकर मोहिनी की दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार में हलचल होने लगी उसे इस बात से और ज्यादा उत्तेजना का अनुभव नहीं लगा कि उसके पापा उसकी मम्मी की चूत चाटते हैं इसके बारे में मोहिनी को अभी तक कुछ भी पता ही नहीं था,,,,, वह तो अपने मन में ही कल्पना करने लगी कि कैसे उसके पापा उसकी मम्मी की चूत चाटते होंगे क्योंकि चूत की कल्पना करना उसके लिए कोई मुश्किल काम नहीं था क्योंकि उसकी दोनों टांगों के बीच में एक खूबसूरत चूत थी,,,, आराधना का जवाब सुनकर उसकी बहन बोली,,,)


अच्छा फिर तुझे कैसा लगता है जब जीजा तेरी चूत चाटते हैं तो,,,।


पूछो मत दीदी बहुत अच्छा लगता है ऐसा लगता है कि जैसे मैं हवा में उड़ रही हूं,,,,।
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और फिर,,,,, तु एकदम मस्त जाती है,( साधना की बात सुनकर आराधना हां में सिर हिला दी,,,) तो यही सोच किसी जा तुझे इतना मजा देते हैं और बदले में तू उनको थोड़ा भी मजा नहीं दे पाती जब वह तेरी चूत चाट सकते हैं जीभ से तो क्या तू उनके लंड को अपने मुंह में लेकर चूस नहीं सकती,,,, तू खुद अपनी दुश्मन बनी बैठी है,,,, अपने पति को खुश करने के लिए तो औरत सब कुछ कर देती है उसे पसंद हो या चाहे ना हो वह सब कुछ करने को तैयार हो जाती है और एक तू है जो इतना नहीं कर सकती जबकि वह करने में भी औरत को बहुत मजा आता है,,,। अच्छा तो एक बात बता अपना घर संसार बसाना चाहती है कि नहीं यही चाहती है कि जीजा तेरी एक सौतन लाकर घर में रख दें,,,।


नहीं नहीं दीदी मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहती मैं अपना घर संसार बचाना चाहती हूं,,,


तो फिर तुझे जो मैं कह रही हूं वह सब कुछ करना होगा,,,,, करेगी ना,,,


हां दीदी मैं सब कुछ करूंगी उन्हें पहले जैसा बनाने के लिए मैं सब कुछ करूंगी,,,,


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(बगल वाले कमरे में मोहिनी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसे अपनी पेंटी गीली होती है महसूस हो रही थी पहली बार वह उत्तेजना का अनुभव भी की थी,,,, यही सब सोचते हुए उसे कब नींद लग गई उसे पता ही नहीं चला,,,, शाम को जब समझे घर पर आया तो घर में अपनी मौसी को देख कर बहुत खुश हुआ और वहां जैसा कि पहले करना था वैसे ही जाकर उसके गले लग कर मिलने लगा,,,,)


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बस यही था मौसी,,,(वह साधना के गले लगे हुए ही बोला जब भी वह अपनी मौसी से मिलता था तो इसी तरह से मिलता था लेकिन आज उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी जब उसकी मौसी की बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी छाती से दबने लगी,,,, चुचियों की नर्माहट और उत्तेजित निप्पलो को अपनी छातियों में धंसता हुआ महसूस करके संजू पूरी तरह से गनगना गया,,,संजू पूरी तरह से जवान था इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी छाती पर उसकी मौसी की चूची ही रगड खा रही है,,,। मैं तुरंत अपनी मौसी से अलग हुआ और अनजाने में उसकी नजर साधना की दमदार छातियों पर चली गई जो की पूरी तरह से उठी हुई थी मानो कि उसके ब्लाउज में बड़े-बड़े दो फुटबॉल भर दिए गए हो,,,,,,, इससे पहले संजू का ध्यान इन सब पर बिल्कुल भी नहीं किया था लेकिन आज अचानक ही उसका ध्यान अपनी मौसी की दमदार छातियों पर ठहर सी गई थी,,, पल भर में ही साधना ने संजू की जवान नजरों को ताड लिया,,, साधना मर्दों की नजरों को अच्छी तरह से पहचानती थी और इस समय साधना को अपने भतीजे संजू की आंखों में जवानी की उमंग लालसा नजर आ रही थी,,, साधना संजू की हालत को अच्छी तरह से समझ सकती थी क्योंकि जिस तरह से वह उसको कर देना खाली थी ऐसे में कोई भी हो वह उसकी बड़ी बड़ी छातियों का स्पर्श पाते ही गर्म हो जाता,,,, लेकिन साधना को भी आज संजू की नजरों में बदलाव पहली बार महसूस हुआ था,,,,। साधना ही अपनी बात को बदलते हुए बोली,,,।


और बेटा पढ़ाई कैसी चल रही है,,,


एकदम ठीक मौसी,,,


ऐसे ही पढ़ते रहो,,,, जरूर कामयाब हो जाओगे,,,


बस आपका आशीर्वाद चाहिए मौसी,,,,


मेरा आशीर्वाद तो सदा तुम दोनों पर बना हुआ है,,,(तब तक मोहिनी भी उधर आ गई थी और साधना मोहिनी के सर पर हाथ रखते हुए बोली,,, सब लोग बहुत खुश थे शिवाय आराधना के अपनी मम्मी गई सोच रही थी कि जिस तरह से उसकी बहन ने उसको करने के लिए कही है क्या हुआ उस तरह से कर पाएगी अपने मन में यही सोच कर परेशान हो रही थी लेकिन फिर भी अपने मन को दिलासा देते हुए समझा भी रही थी वह कर लेगी अपना घर बचाने के लिए वह कुछ भी कर सकती हैं,,,, यही सोच उसकी हिम्मत बढ़ा रहा था,,,।

शाम ढलने लगी थी खाना बनाने की तैयारी में आराधना लगी हुई थी आज अपनी बड़ी बहन साधना के मनपसंद की खीर बनाने जा रही थी इस बात को जानकर संजू मोहीनी के साथ-साथ साधना भी खुश थी,,,,।

चलो इसी बात पर बच्चों मैं तुम्हें नुक्कड़ पर पानी पूरी खिलाने के लिए ले चलती हूं,,,।

हां मौसी मुझे भी पानी पूरी खाना था,,,(मोहिनी एकदम से चहकते हुए बोली,,, संजू भी तैयार हो गया तभी साधना आराधना से बोली,,)

आराधना तू भी चल जल्दी आ जाएंगे,,,।


नहीं नहीं दीदी तुम लोग जाओ मैं खाना बनाती हूं,,,,


चलना क्या हुआ जल्दी आ तो जाएंगे,,,,


नहीं दीदी,,,, तुम लोग हो आओ ,,,,,


अच्छा तो कुछ खाएगी,,,,


हां मौसी मम्मी को भी पानी पुरी के साथ साथ छोला और समोसा भी पसंद है,,,(संजू अपनी मां की पसंद बताते हुए बोला,,)


ठीक है आते समय में पैक करा कर लें आऊंगी,,,
(इतना कहकर वो लोग घर से बाहर चले गए,,, आराधना भाई बैठकर सब्जी काटते हुए उन लोगों को जाते हुए देखती रह गई,,,,,, और सोचने लगी कि उसे भी इसी तरह की जिंदगी चाहिए थी एकदम खुशहाल और अच्छी खासी चल भी रही थी लेकिन रमेश की शराब की लत ने सब सत्यानाश कर दिया था,,,, आराधना के मन में बार-बार उसकी बीवी की कही बातें याद आ रही थी पहल करने वाली,,,शादी से लेकर आज तक दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी आराधना ने बिस्तर पर अपने पति के साथ पहल कभी नहीं की थी शुरुआत हमेशा उसका पति करता था हालांकि उसका मन हमेशा उत्सुक रहता था बिस्तर पर पहुंचते ही वह सोचती थी कि उसका पति उसे बाहों में लेकर खूब प्यार करें उसके कपड़ों को उतारकर उसे नंगी करें उसकी बड़ी बड़ी चूची को दबा दबा कर मुंह में लेकर चूसे उसकी चूत को अपने होंठों में भर कर उसका रसपान करें,,,, उसकी दीदी के कहे अनुसार चूत चटवाने में उसे बहुत मजा आता था,,,,अपने पति के मुंह में तो वह अपना कोमल अंग दे देती थी लेकिन उसका कड़क और अपने मुंह में नहीं लेती थी और यही साधना उसे समझा रही थी कि पति को वश में करने का सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र यही अगर वह भी पहल करते हुए उसके पति का लंड अपने मुंह में लेकर चूसेगी तो उसका पति चारों खाने चित हो जाएगा,,, आराधना अपने मन में यही सोच कर रही थी कि जैसा उस की दीदी बताई है वैसा ही वह करेगी,,,,,,,।

घर से बाहर निकल कर सड़क पर चलते हुए मोहिनी और उसकी मौसी साधना आगे-आगे चल रही थी और संजू दोनों के पीछे पीछे चल रहा था उसकी नजर एक बार फिर से अचानक साधना की मदमस्त बड़ी-बड़ी गांड पर चली गई जो की कसी हुई साड़ी पहनने की वजह से उसकी गदराई गांड साड़ी से बाहर आने के लिए मचल रही थी,,,,,,। यह संजू के लिए दूसरा पल था जब वह अपनी मौसी को गलत नजरिए से देख तो नहीं रहा था लेकिन पल भर में उसके मन में गलत विचार आ गया था तुरंत वह अपने आप को संभालते हुए अपनी नजरों को इधर-उधर घुमा कर देखने लगा लेकिन बंद तो आखिर मन होता है और जवानी में इस तरह का दृश्य देखकर फिसल जाता है जैसे कोई मनमोहक मादक दृश्य बिल्कुल भी नहीं था लेकिन औरत की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को मटकती हुई देखना भले ही वह साड़ी में कैद क्यों ना हो उसमें भी एक अपना मजा ही होता है और यही मजा संजू को भी प्राप्त करा था अपना मन इधर-उधर करने लगा लेकिन बार-बार उसकी नजर साधना की बड़ी बड़ी गांड पर चली जा रही थी नितंबों के उभार के ऊपर पतली कमर के दोनों छोर पर कमर का कटाव बेहद गहरा नजर आ रहा था जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था संजू की नजरें इससे पहले कभी भटकी नहीं थी लेकिन आज भटक रही थी,,,,

बार-बार उस के लंड में अजीब सी हरकत होने लगी थी,,, अभी नुक्कड़ आया नहीं था और संजू की नजरें गुरुत्वाकर्षण बल के नियम के अनुसार साधना की मदमस्त गांड की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी,,,, अभी तक तो ठीक था लेकिन अचानक ही मोहिनी की गांड पर भी उसकी नजर चली जा रही थी जो कि सलवार के अंदर एकदम कसी हुई थी,,, जिसे देखते उसके मन में अचानक यह ख्याल आ रहा था कि मोहिनी की गांड मौसी की गांड जितनी बड़ी तो नहीं है लेकिन फिर भी एकदम कसी हुई सुडोल है,,,।

इस साल के गंदे विचार मन में आते ही संजू अपने मन को कोसने लगा अपने आप पर गुस्सा करने लगा,,,, लेकिन फिर भी अपनी हरकत पर संजू खुद बाज नहीं आ रहा था बार-बार उसकी नजर साधना की गांड पर तो कभी अपनी बहन मोहिनी की गांड पर चली जा रही है आखिरकार अजीब से मनोमंथन से गुजरते हुए वह लोग नुक्कड़ पर पहुंच गए,,, वहां पर ढेर सारी नाश्ते की स्टॉल और ठेले लगे हुए थे एक खाली ठेला देखकर वह लोग वहीं पर चले गए और पानी पूरी का आनंद लेने लगे,,,, पानी पूरी खाते हुए संजू चोर नजरों से अपनी मौसी को ही देख रहा था जो कि पानी पुरी को हाथ में लेकर थोड़ा आगे की तरफ झुक जा रही थी ताकि पानी उसके ऊपर ना गिर जाए और उसके ऐसा करने पर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम बाहर को निकल आ रही थी संजू को इस बात का डर था कि कहीं उसकी मौसी की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज का बटन तोड़कर बाहर ना जाए,,,, यह नजारा देखने में संजू को बहुत मजा आ रहा था,,,, आज ना जाने क्यों उसे अपनी मौसी एकदम सेक्सी लगने लगी थी हालांकि वह बहुत गर्म पहले से ही थी,,, लेकिन अपनी मौसी को देखने का संजू का नजरिया आज बदला था,,,।आज ना जाने क्यों उसका मन उसकी मौसी की बड़ी बड़ी चूचीयो के बीच की पतली गहरी लकीर की गहराई में डूब जाने को कर रहा था,,,,,

संजू बार-बार अपनी उत्तेजना को दबाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मौसी को देखते ही उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,।पानी पूरी खाते हुए अचानक कि उसके मन में उसके दोस्त की बात याद आ गई इसी तरह से उसकी मौसी पहले भी उसके घर आया करती थी और ऐसे ही उसके दोस्त ने उसकी मौसी को आते जाते देखा था तो संजु से उसकी मौसी का जिक्र करते हुए बोला था कि संजू तेरी मौसी बहुत मस्त लगती है एकदम सेक्सी उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर हम लोगों की हालत खराब हो जाती हैं सच कहता हूं उसकी चूची इतनी बड़ी बड़ी है कि अगर सारा दिन मुंह में लेकर पीओ तो भी उसका दूध खत्म नहीं होगा,,, कसम से संगीत तेरी मौसी अगर एक रात के लिए मिल जाएगा तो जिंदगी बन जाए उसकी दोनों टांगों के बीच तो एकदम जन्नत होगी,,,, उसकी बुर की अमृतधारा होठों पर लगाकर पीने का मन करता है,,,उस समय अपने दोस्त की इस तरह की गंदी बात को सुनकर संजू पूरी तरह से क्रोधित हो गया था और उसे मारा भी था उस दिन से उसने उसी से बात करना भी छोड़ दिया था लेकिन आज ऐसा लग रहा था कि उसकी दोस्त की कही बात सच थी,,,।

जिस तरह की बातें संजू के दोस्त ने महीनों पहले बोला था आज संजु का मन अपनी मौसी को देखकर उसी तरह से मचल रहा था,,,,।


वह तीनों पानी पुरी खा चुके थे,,, साधना पैसे चूका कर आराधना के लिए भी पानी पुरी पेक करवाली थी और,, समोसे छोले के ठेले पर जाकर,,, तीनो ने छोले समोसे भी खाएं और पेक करवा कर घर लेकर आ गए,,,,,,,

घर पर पहुंचकर आराधना ने भी पानीपुरी और छोला समोसा खाए और वापस खाना बनाने में कई मोहिनी अपनी मां की मदद करने लगी,,,, संजु बगल वाले कमरे में जाकर थोड़ी बहुत पढ़ाई करने लगा साधना रसोई घर में ही बैठे हुई थी उसे जोरो की पिशाब लगी तो वह तो वह रसोई घर से बाहर निकल कर बाथरूम में चली गई,,,, सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे इसलिए,,, साधना को लगा कि इतनी जल्दी कोई आएगा नहीं इसलिए वो बाथरूम में घुसते ही जल्दबाजी दिखाते हुए बाथरूम की कड़ी नहीं लगाई और उसी तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर नीचे बैठकर मूतने लगी,,, उसी समय संजु को भी बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,,,,,
Mast hai bhai
 

Kammy sidhu

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मोहिनी का दिल जोरों से धड़क रहा था बगल वाले कमरे में वहां दीवार से कान सटाए बैठी हुई थी,,वो पहली बार इस तरह की गंदी वार्तालाप को अपने कानों से सुन रही थी और वह भी अपनी मां और अपनी मौसी के मुंह से,,,, उन दोनों को देखकर कभी ऐसा लगता है कि नहीं था कि दोनों इस तरह से खुले तौर पर बातें करती होंगी,,, मोहिनी की सहेलियां भी इस तरह की बातें आपस में किया करती थी लेकिन मोहिनी कभी भी इस तरह की वार्तालाप नहीं करी सम्मिलित नहीं हुई थी उसे इन सब से दूरी बनाए रहने में ही अपनी भलाई नजर आती थी लेकिन आज उसे इस तरह की बातें ना जाने क्यों अच्छी लगने लगी थी उन बातों को सुनकर उसके बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी थी,,, अपनी मौसी के सवाल का जवाब अपनी मां के मुंह से सुनने के लिए उसके कान भी बेताब थे,,,वह देखना चाहती थी कि उसकी मां क्या जवाब देती है उसकी मौसी की तरह वह भी वही हरकत करती है उसकी मौसी करती है या इन सब से वह अछूती है,,,।

दूसरी तरफ आराधना का दिल जोरों से धड़क रहा हूं समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बहन को क्या जवाब दें क्योंकि वास्तविकता यही थी कि उसने कभी भी अपने मन से अपने पति का लंड मुंह में लेकर चूसी नहीं थी,,,,,,वह अपने पति के ज्यादा दबाव देने पर है यह क्रिया को की थी अपने मन से कभी भी नहीं की इसलिए वह अपनी बहन को जवाब देने में कतरा रही थी,,,।

Sadhna ki badi badi gaand

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बोलना आराधना डरती क्यों है तुझसे मैं पूछ रही हूं कोई और तो नहीं पूछ रहा है और जो कुछ भी है मैं भी सही सही बता दी हुं ,,,,, तू क्यों शर्मा रही है,,,।


अब क्या बताऊं दीदी,,,, मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,


मतलब तुमने आज तक जीजा का लंड मुंह में नहीं ली,, या वह देते ही नहीं है,,,।


नहीं दीदी ऐसी कोई बात नहीं है वह तो हमेशा यही चाहते हैं लेकिन मुझे ही अच्छा नहीं लगता,,,,।


क्या पागलों जैसी बात कर रही है आराधना,,,, एक औरत होकर एक बहुत ही खूबसूरत पल कों एक बेहतरीन अनुभव को तु खो दे रही है,,,, तु शायद नहीं जानती थी अधिकतर औरतों को इसी तरह से लंड को मुंह में लेकर चूसने में बहुत मजा आता है और उत्तेजना भी ज्यादा महसूस होती है,,पर इस कला में जो महारत हासिल कर ले वह अपने पति को अपना गुलाम बना कर रखती है और एक तू है कि अपना ब्रह्मास्त्र ही छोड़ बैठी है,,,,


पर मुझे बड़ा अजीब लगता है दीदी,,,,


पता नहीं क्यों तुझे अजीब लगता है तु दिल से यह सब नहीं करती होगी,,,, अच्छा जीजा तेरी चूत चाटते होंगे ना,,,


हां,,,,,

(अपनी मौसी किस तरह की बात सुनकर और अपनी मां का जवाब सुनकर मोहिनी की दोनों टांगों के बीच की पत्नी दरार में हलचल होने लगी उसे इस बात से और ज्यादा उत्तेजना का अनुभव नहीं लगा कि उसके पापा उसकी मम्मी की चूत चाटते हैं इसके बारे में मोहिनी को अभी तक कुछ भी पता ही नहीं था,,,,, वह तो अपने मन में ही कल्पना करने लगी कि कैसे उसके पापा उसकी मम्मी की चूत चाटते होंगे क्योंकि चूत की कल्पना करना उसके लिए कोई मुश्किल काम नहीं था क्योंकि उसकी दोनों टांगों के बीच में एक खूबसूरत चूत थी,,,, आराधना का जवाब सुनकर उसकी बहन बोली,,,)


अच्छा फिर तुझे कैसा लगता है जब जीजा तेरी चूत चाटते हैं तो,,,।


पूछो मत दीदी बहुत अच्छा लगता है ऐसा लगता है कि जैसे मैं हवा में उड़ रही हूं,,,,।
Mohini ki khubsurti




और फिर,,,,, तु एकदम मस्त जाती है,( साधना की बात सुनकर आराधना हां में सिर हिला दी,,,) तो यही सोच किसी जा तुझे इतना मजा देते हैं और बदले में तू उनको थोड़ा भी मजा नहीं दे पाती जब वह तेरी चूत चाट सकते हैं जीभ से तो क्या तू उनके लंड को अपने मुंह में लेकर चूस नहीं सकती,,,, तू खुद अपनी दुश्मन बनी बैठी है,,,, अपने पति को खुश करने के लिए तो औरत सब कुछ कर देती है उसे पसंद हो या चाहे ना हो वह सब कुछ करने को तैयार हो जाती है और एक तू है जो इतना नहीं कर सकती जबकि वह करने में भी औरत को बहुत मजा आता है,,,। अच्छा तो एक बात बता अपना घर संसार बसाना चाहती है कि नहीं यही चाहती है कि जीजा तेरी एक सौतन लाकर घर में रख दें,,,।


नहीं नहीं दीदी मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहती मैं अपना घर संसार बचाना चाहती हूं,,,


तो फिर तुझे जो मैं कह रही हूं वह सब कुछ करना होगा,,,,, करेगी ना,,,


हां दीदी मैं सब कुछ करूंगी उन्हें पहले जैसा बनाने के लिए मैं सब कुछ करूंगी,,,,


चल ठीक है अब देखना तेरा जीवन कैसे खुशियों से महक उठता है,,,,।

(बगल वाले कमरे में मोहिनी की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी उसकी हालत पल-पल खराब होती जा रही थी उसे अपनी पेंटी गीली होती है महसूस हो रही थी पहली बार वह उत्तेजना का अनुभव भी की थी,,,, यही सब सोचते हुए उसे कब नींद लग गई उसे पता ही नहीं चला,,,, शाम को जब समझे घर पर आया तो घर में अपनी मौसी को देख कर बहुत खुश हुआ और वहां जैसा कि पहले करना था वैसे ही जाकर उसके गले लग कर मिलने लगा,,,,)


अरे मेरा बच्चा अभी तक कहां था,,,,(संजू की पीठ को सहलाते हुए,,,)

बस यही था मौसी,,,(वह साधना के गले लगे हुए ही बोला जब भी वह अपनी मौसी से मिलता था तो इसी तरह से मिलता था लेकिन आज उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी जब उसकी मौसी की बड़ी-बड़ी चूचियां उसकी छाती से दबने लगी,,,, चुचियों की नर्माहट और उत्तेजित निप्पलो को अपनी छातियों में धंसता हुआ महसूस करके संजू पूरी तरह से गनगना गया,,,संजू पूरी तरह से जवान था इसलिए उसे समझते देर नहीं लगी कि उसकी छाती पर उसकी मौसी की चूची ही रगड खा रही है,,,। मैं तुरंत अपनी मौसी से अलग हुआ और अनजाने में उसकी नजर साधना की दमदार छातियों पर चली गई जो की पूरी तरह से उठी हुई थी मानो कि उसके ब्लाउज में बड़े-बड़े दो फुटबॉल भर दिए गए हो,,,,,,, इससे पहले संजू का ध्यान इन सब पर बिल्कुल भी नहीं किया था लेकिन आज अचानक ही उसका ध्यान अपनी मौसी की दमदार छातियों पर ठहर सी गई थी,,, पल भर में ही साधना ने संजू की जवान नजरों को ताड लिया,,, साधना मर्दों की नजरों को अच्छी तरह से पहचानती थी और इस समय साधना को अपने भतीजे संजू की आंखों में जवानी की उमंग लालसा नजर आ रही थी,,, साधना संजू की हालत को अच्छी तरह से समझ सकती थी क्योंकि जिस तरह से वह उसको कर देना खाली थी ऐसे में कोई भी हो वह उसकी बड़ी बड़ी छातियों का स्पर्श पाते ही गर्म हो जाता,,,, लेकिन साधना को भी आज संजू की नजरों में बदलाव पहली बार महसूस हुआ था,,,,। साधना ही अपनी बात को बदलते हुए बोली,,,।


और बेटा पढ़ाई कैसी चल रही है,,,


एकदम ठीक मौसी,,,


ऐसे ही पढ़ते रहो,,,, जरूर कामयाब हो जाओगे,,,


बस आपका आशीर्वाद चाहिए मौसी,,,,


मेरा आशीर्वाद तो सदा तुम दोनों पर बना हुआ है,,,(तब तक मोहिनी भी उधर आ गई थी और साधना मोहिनी के सर पर हाथ रखते हुए बोली,,, सब लोग बहुत खुश थे शिवाय आराधना के अपनी मम्मी गई सोच रही थी कि जिस तरह से उसकी बहन ने उसको करने के लिए कही है क्या हुआ उस तरह से कर पाएगी अपने मन में यही सोच कर परेशान हो रही थी लेकिन फिर भी अपने मन को दिलासा देते हुए समझा भी रही थी वह कर लेगी अपना घर बचाने के लिए वह कुछ भी कर सकती हैं,,,, यही सोच उसकी हिम्मत बढ़ा रहा था,,,।

शाम ढलने लगी थी खाना बनाने की तैयारी में आराधना लगी हुई थी आज अपनी बड़ी बहन साधना के मनपसंद की खीर बनाने जा रही थी इस बात को जानकर संजू मोहीनी के साथ-साथ साधना भी खुश थी,,,,।

चलो इसी बात पर बच्चों मैं तुम्हें नुक्कड़ पर पानी पूरी खिलाने के लिए ले चलती हूं,,,।

हां मौसी मुझे भी पानी पूरी खाना था,,,(मोहिनी एकदम से चहकते हुए बोली,,, संजू भी तैयार हो गया तभी साधना आराधना से बोली,,)

आराधना तू भी चल जल्दी आ जाएंगे,,,।


नहीं नहीं दीदी तुम लोग जाओ मैं खाना बनाती हूं,,,,


चलना क्या हुआ जल्दी आ तो जाएंगे,,,,


नहीं दीदी,,,, तुम लोग हो आओ ,,,,,


अच्छा तो कुछ खाएगी,,,,


हां मौसी मम्मी को भी पानी पुरी के साथ साथ छोला और समोसा भी पसंद है,,,(संजू अपनी मां की पसंद बताते हुए बोला,,)


ठीक है आते समय में पैक करा कर लें आऊंगी,,,
(इतना कहकर वो लोग घर से बाहर चले गए,,, आराधना भाई बैठकर सब्जी काटते हुए उन लोगों को जाते हुए देखती रह गई,,,,,, और सोचने लगी कि उसे भी इसी तरह की जिंदगी चाहिए थी एकदम खुशहाल और अच्छी खासी चल भी रही थी लेकिन रमेश की शराब की लत ने सब सत्यानाश कर दिया था,,,, आराधना के मन में बार-बार उसकी बीवी की कही बातें याद आ रही थी पहल करने वाली,,,शादी से लेकर आज तक दो दो बच्चों की मां होने के बावजूद भी आराधना ने बिस्तर पर अपने पति के साथ पहल कभी नहीं की थी शुरुआत हमेशा उसका पति करता था हालांकि उसका मन हमेशा उत्सुक रहता था बिस्तर पर पहुंचते ही वह सोचती थी कि उसका पति उसे बाहों में लेकर खूब प्यार करें उसके कपड़ों को उतारकर उसे नंगी करें उसकी बड़ी बड़ी चूची को दबा दबा कर मुंह में लेकर चूसे उसकी चूत को अपने होंठों में भर कर उसका रसपान करें,,,, उसकी दीदी के कहे अनुसार चूत चटवाने में उसे बहुत मजा आता था,,,,अपने पति के मुंह में तो वह अपना कोमल अंग दे देती थी लेकिन उसका कड़क और अपने मुंह में नहीं लेती थी और यही साधना उसे समझा रही थी कि पति को वश में करने का सबसे बड़ा ब्रह्मास्त्र यही अगर वह भी पहल करते हुए उसके पति का लंड अपने मुंह में लेकर चूसेगी तो उसका पति चारों खाने चित हो जाएगा,,, आराधना अपने मन में यही सोच कर रही थी कि जैसा उस की दीदी बताई है वैसा ही वह करेगी,,,,,,,।

घर से बाहर निकल कर सड़क पर चलते हुए मोहिनी और उसकी मौसी साधना आगे-आगे चल रही थी और संजू दोनों के पीछे पीछे चल रहा था उसकी नजर एक बार फिर से अचानक साधना की मदमस्त बड़ी-बड़ी गांड पर चली गई जो की कसी हुई साड़ी पहनने की वजह से उसकी गदराई गांड साड़ी से बाहर आने के लिए मचल रही थी,,,,,,। यह संजू के लिए दूसरा पल था जब वह अपनी मौसी को गलत नजरिए से देख तो नहीं रहा था लेकिन पल भर में उसके मन में गलत विचार आ गया था तुरंत वह अपने आप को संभालते हुए अपनी नजरों को इधर-उधर घुमा कर देखने लगा लेकिन बंद तो आखिर मन होता है और जवानी में इस तरह का दृश्य देखकर फिसल जाता है जैसे कोई मनमोहक मादक दृश्य बिल्कुल भी नहीं था लेकिन औरत की मदमस्त बड़ी बड़ी गांड को मटकती हुई देखना भले ही वह साड़ी में कैद क्यों ना हो उसमें भी एक अपना मजा ही होता है और यही मजा संजू को भी प्राप्त करा था अपना मन इधर-उधर करने लगा लेकिन बार-बार उसकी नजर साधना की बड़ी बड़ी गांड पर चली जा रही थी नितंबों के उभार के ऊपर पतली कमर के दोनों छोर पर कमर का कटाव बेहद गहरा नजर आ रहा था जो कि उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहा था संजू की नजरें इससे पहले कभी भटकी नहीं थी लेकिन आज भटक रही थी,,,,

बार-बार उस के लंड में अजीब सी हरकत होने लगी थी,,, अभी नुक्कड़ आया नहीं था और संजू की नजरें गुरुत्वाकर्षण बल के नियम के अनुसार साधना की मदमस्त गांड की तरफ आकर्षित हुए जा रही थी,,,, अभी तक तो ठीक था लेकिन अचानक ही मोहिनी की गांड पर भी उसकी नजर चली जा रही थी जो कि सलवार के अंदर एकदम कसी हुई थी,,, जिसे देखते उसके मन में अचानक यह ख्याल आ रहा था कि मोहिनी की गांड मौसी की गांड जितनी बड़ी तो नहीं है लेकिन फिर भी एकदम कसी हुई सुडोल है,,,।

इस साल के गंदे विचार मन में आते ही संजू अपने मन को कोसने लगा अपने आप पर गुस्सा करने लगा,,,, लेकिन फिर भी अपनी हरकत पर संजू खुद बाज नहीं आ रहा था बार-बार उसकी नजर साधना की गांड पर तो कभी अपनी बहन मोहिनी की गांड पर चली जा रही है आखिरकार अजीब से मनोमंथन से गुजरते हुए वह लोग नुक्कड़ पर पहुंच गए,,, वहां पर ढेर सारी नाश्ते की स्टॉल और ठेले लगे हुए थे एक खाली ठेला देखकर वह लोग वहीं पर चले गए और पानी पूरी का आनंद लेने लगे,,,, पानी पूरी खाते हुए संजू चोर नजरों से अपनी मौसी को ही देख रहा था जो कि पानी पुरी को हाथ में लेकर थोड़ा आगे की तरफ झुक जा रही थी ताकि पानी उसके ऊपर ना गिर जाए और उसके ऐसा करने पर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम बाहर को निकल आ रही थी संजू को इस बात का डर था कि कहीं उसकी मौसी की बड़ी-बड़ी चूचियां ब्लाउज का बटन तोड़कर बाहर ना जाए,,,, यह नजारा देखने में संजू को बहुत मजा आ रहा था,,,, आज ना जाने क्यों उसे अपनी मौसी एकदम सेक्सी लगने लगी थी हालांकि वह बहुत गर्म पहले से ही थी,,, लेकिन अपनी मौसी को देखने का संजू का नजरिया आज बदला था,,,।आज ना जाने क्यों उसका मन उसकी मौसी की बड़ी बड़ी चूचीयो के बीच की पतली गहरी लकीर की गहराई में डूब जाने को कर रहा था,,,,,

संजू बार-बार अपनी उत्तेजना को दबाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मौसी को देखते ही उसकी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जा रही थी,,,।पानी पूरी खाते हुए अचानक कि उसके मन में उसके दोस्त की बात याद आ गई इसी तरह से उसकी मौसी पहले भी उसके घर आया करती थी और ऐसे ही उसके दोस्त ने उसकी मौसी को आते जाते देखा था तो संजु से उसकी मौसी का जिक्र करते हुए बोला था कि संजू तेरी मौसी बहुत मस्त लगती है एकदम सेक्सी उसकी बड़ी बड़ी गांड देखकर हम लोगों की हालत खराब हो जाती हैं सच कहता हूं उसकी चूची इतनी बड़ी बड़ी है कि अगर सारा दिन मुंह में लेकर पीओ तो भी उसका दूध खत्म नहीं होगा,,, कसम से संगीत तेरी मौसी अगर एक रात के लिए मिल जाएगा तो जिंदगी बन जाए उसकी दोनों टांगों के बीच तो एकदम जन्नत होगी,,,, उसकी बुर की अमृतधारा होठों पर लगाकर पीने का मन करता है,,,उस समय अपने दोस्त की इस तरह की गंदी बात को सुनकर संजू पूरी तरह से क्रोधित हो गया था और उसे मारा भी था उस दिन से उसने उसी से बात करना भी छोड़ दिया था लेकिन आज ऐसा लग रहा था कि उसकी दोस्त की कही बात सच थी,,,।

जिस तरह की बातें संजू के दोस्त ने महीनों पहले बोला था आज संजु का मन अपनी मौसी को देखकर उसी तरह से मचल रहा था,,,,।


वह तीनों पानी पुरी खा चुके थे,,, साधना पैसे चूका कर आराधना के लिए भी पानी पुरी पेक करवाली थी और,, समोसे छोले के ठेले पर जाकर,,, तीनो ने छोले समोसे भी खाएं और पेक करवा कर घर लेकर आ गए,,,,,,,

घर पर पहुंचकर आराधना ने भी पानीपुरी और छोला समोसा खाए और वापस खाना बनाने में कई मोहिनी अपनी मां की मदद करने लगी,,,, संजु बगल वाले कमरे में जाकर थोड़ी बहुत पढ़ाई करने लगा साधना रसोई घर में ही बैठे हुई थी उसे जोरो की पिशाब लगी तो वह तो वह रसोई घर से बाहर निकल कर बाथरूम में चली गई,,,, सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त थे इसलिए,,, साधना को लगा कि इतनी जल्दी कोई आएगा नहीं इसलिए वो बाथरूम में घुसते ही जल्दबाजी दिखाते हुए बाथरूम की कड़ी नहीं लगाई और उसी तरह से अपनी साड़ी कमर तक उठाकर नीचे बैठकर मूतने लगी,,, उसी समय संजु को भी बड़े जोरों की पेशाब लगी हुई थी,,,,,,
Nice story nd update, abb lagta hain Sanju pehle Massi ko kela khavaiga
 
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