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Incest मजबूरी या जरूरत

rohnny4545

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सुबह जब मोहिनी की नींद खुली तो देखी बगल में उसका भाई नहीं था सुबह के 6:00 बज रहे थे उसका भाई कमरे से बाहर निकल गया था कमरे की लाइट अभी भी चल रही थी मोहिनी अपनी दोनों टांगों के बीच की उस पतली करार की तरफ ध्यान से देखिए तो उस पर चिपचिपा पदार्थ लगा हुआ था जिसे वहां अपने हाथ लगाकर उसकी चिपचिपाहट को महसूस करने लगी,,,पल भर में ही रात को जो कुछ भी हुआ था वह सब कुछ मोहिनी की आंखों के सामने किसी मूवी की तरह चलने लगा,,,रात को उसने जिस तरह की हिम्मत दिखाई थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने भाई की आंखों के सामने ऐसा कुछ कर गुजरने की लेकिन जवानी की आग ने उसे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था और वह उसमें सफल भी हो गई थी,,,,।
मोहिनी अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई उसकी चिकनी चूत को देखकर क्या सोच रहा होगा,,,,,,अपने भाई की हालत को देखकर वहां बहुत खुश थी जितना वहां सोची थी उससे कहीं ज्यादा वहां अपने भाई को अपनी चूत दिखा कर परेशान कर चुकी थी,,,, मोहिनी की युक्ति पूरी तरह से कारगर साबित हुई थी वह कभी सोची नहीं थी कि उसका भाई उसकी चूत को देखकर इस कदर मदहोश हो जाएगा कि उसकी चूत से खेलने लगेगा,,,, मोहिनी को अभी भी अपनी चूत के अंदर अपने भाई की उंगली अंदर बाहर होती हुई महसूस हो रही थी जिससे उसके बदन में खुमारी छा रही थी,,,,।

अपनी चिकनी चूत से खेलते हुए अपने भाई को देखकर जिस तरह का आनंद का अनुभव मोहिनी के तन बदन में हो रहा था उसने आज तक ऐसा अनुभव महसूस नहीं की थी अपने भाई को अपना लंड हिलाता हुआ देखकर मोहिनी का धैर्य जवाब दे जा रहा था,,,, वह साफ तौर पर अपनी आंखों से देखी थी कि उसकी चूत से खेलते हुए कैसे उसका भाई अपना लंड अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से हीला रहा था,,,और उसके लिए पहला मौका था जब अपनी आंखों से एक लड़के को अपने लंड हिलाता हुआ देख रही थी एक तरह से मुठीयाता हुआ देख रही थी,,,हालांकि मोहिनी को लड़कों के द्वारा किया जाने वाला हस्तमैथुन के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था वरना वह अपने भाई की हरकत का अंदाजा लगा लेती कि वह क्या कर रहा है,,,,।

उस पल को याद करके उसके तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी जब उसका भाई उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने प्यासे होठों को उसकी चूत पर रख कर चाटना शुरू कर दिया था,,,,,, संजू की यह हरकतमोहिनी के लिए बेहद अद्भुत और आदरणीय थी जिसके बारे में उसने कभी कल्पना नहीं की थी लेकिन जिस तरह का सुख उसके भाई ने उसकी चूत को अपने होठों से लगा कर दिया था उस पल को वहां याद करके अभी भी पानी पानी हुई जा रही थी,,,,,, मोहिनी कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका भाई अपने होठों को उसकी चूत पर रख देगा और जीभ से उसके काम रस को चाट जाएगा शायद ऐसा करने में मर्दों को ज्यादा सुख मिलता होगा,,, क्योंकि उसकी हरकत का मजा मोहिनी ने भी खुल कर ली थी,,,, शायद औरत को प्यार करने का ढंग मर्दों के द्वारा इसी तरह से होता होगा,,,, मोहिनी अभी तक सिर्फ यही समझती आ रही थी कि औरतों से प्यार करने का मतलब था चुदाई जिसमें मर्द अपना लंड औरत की चूत में डाल कर हीलाता है और शांत हो जाता है लेकिन रात को उसके भाई की हर एक हरकत ने मोहिनी को सोचने पर मजबूर कर दिया था कि औरतों से प्यार करने का तरीका बहुत ही अलग अलग है और हर एक तरीका मस्ती से भरा हुआ मदहोश कर देने वाला है जिसका थोड़ा बहुत झलक मोहिनी को भी प्राप्त हो चुका था जिस की मस्ती में वह दो तीन बार झड़ चुकी थी,,,,,,।

मोहिनी अपने कमरे में बैठे बैठे अपनी हिम्मत की दाद दे रही थी और मन ही मन अपनी सबसे अच्छी सहेली रेणुका का धन्यवाद भी कर रही थी क्योंकि उसी की बदौलत आज उसे जवानी का थोड़ा बहुत उसे प्राप्त हुआ था जिसके चलते वह आगे भी इस सुख को प्राप्त करने में निरंतर लगी रहेगी,,,,,,लेकिन मोहिनी के समझ में एक बात बिल्कुल भी नहीं आ रही थी कि सब कुछ करने के बावजूद भी उसके भाई ने अपने लंड को उसकी चूत में डाला क्यों नहीं जिसकी वह बेसब्री से इंतजार कर रही थी और उसी सुख को प्राप्त करने के लिए उसका दिल की धड़कन बड़े जोरों से धड़क भी रहा था और वह व्याकुल भी थी अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेने के लिए,,, लेकिन उसके सोच के विपरीत उसके भाई ने अपने लंड का सुपाड़ा सिर्फ उसके चूत पर रगड़ा भर था उसमें डालने की हल्की सी कोशिश भर किया था लेकिन डाला नहीं था,,,यही मोहिनी को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार सब कुछ करने के बावजूद उसका भाई उसकी चूत में लंड डालकर चोदा क्यों नहीं,,,,, इस सवाल का जवाब शायद इस समय उसके पास बिल्कुल भी नहीं था,,, तभी दरवाजे पर हल्की सी आहट हुई तो वह अपने फ्रॉक को वापस सही से करने लगी,,,, दरवाजा खोल कर संजू कमरे में दाखिल हुआ और एक नजर मोहिनी के ऊपर डाला ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में उसकी गोरी गोरी जांघें चमक रही थी,,, जिसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,,,वही शर्म के मारे अपने भाई की तरफ नजर उठा कर देख नहीं पा रही थी वह अपनी नजरों को नीचे छुपाई हुई थी और संजू को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अभी भी नींद में है,,,,और यही हाल संजू का भी था संजू भाई ठीक से मोहिनी से नजर नहीं मिला पा रहा था दोनों को ऐसा लग रहा था कि रात को जो कुछ भी हुआ था उस बात से दोनों अपने अपने तरीके से अनजान हैं दोनों को कुछ भी पता नहीं है,,,,

लेकिन समझो की हरकत को मोहिनी अच्छी तरह से जानती थी और मोहिनी रात में किस अवस्था में सोई थी कैसे सोई थी इस बारे में संजु अच्छी तरह से जानता था,,, लेकिन एक बात का दुख उसे था कि अपनी बहन की चिकनी चूत को देखकर वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाया था और जो नहीं करना चाहिए था हम आकर बैठा था अच्छा हुआ कि उसकी बहन को इस बारे में कुछ पता नहीं है वरना वह क्या सोचेगी,,,।

जबकि मोहिनी को सब कुछ पता था उसकी हरे कर कर जानबूझकर की गई थी वह अपने भाई को अपनी चिकनी तो दिखा कर उकसा रही थी और संजू अपनी बहन की चिकनी चूत देखकर बहक भी गया थालेकिन वह संजू के सामने ऐसे भी वार कर रही थी कि जैसे रात में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में उसे कुछ भी पता नहीं हो और संजू कोई तुझे ही लग रहा था कि रात में जो कुछ भी हुआ था उस बारे में मोहिनी को कुछ भी पता नहीं है क्योंकि संजू मोहिनी के सोने की आदत से अच्छी तरह से वाकिफ था,,,,।

संजू नहा चुका था,,,मोहिनी दीदी नजर नीचे झुका कर बैठी हुई थी संजू को लग रहा था कि जैसे वह नींद में है इसलिए वहां उसके कंधे को पकड़कर हिलाते हुए बोला,,,।

मोहिनी उठ जा कॉलेज नहीं जाना है क्या देर हो रही है,,,


कितना बज रहा है,,,,(नींद में होने का नाटक करते हुए मोहिनी बोली)

6:30 बज रहा है देर हो रही है जल्दी से उठ जा,,,,


बाप रे 6:30 बज गए और तुम मुझे अभी उठा रहे हो,,,
( और इतना कहने के साथ ही मोहिनी होंठों पर कामुक मुस्कान लिए हुए कमरे से बाहर निकल‌,गई,,, और संजू अपनी बहन को कमरे से बाहर जाते हुए देखता रह गया उसकी सुडोल गांड फ्रॉक के घेराव में बहुत ही सुगठीत लग रही थी,,,रात को जिस तरह का मजा उसकी बहन ने दी थी उस बारे में संजू ने भी कभी कल्पना नहीं किया था उसकी बहन की चूत इतनी खूबसूरत होगी इस बारे में कभी उसने सोचा नहीं था अपनी बहन की चिकनी चूत देखने से पहले वह केवल अपनी मौसी की चूत के बारे में कल्पना किया करता था और उसी के बारे में सोचा करता था लेकिन अपनी बहन की चिकनी चूत देखने के बाद चूत के मायने बदल गए थे,,, अभी भी संजू को अपनी उंगली के अंदर अपनी बहन की चूत की गर्मी महसूस हो रही थी,,,,उसकी चूत से निकला काम रस चाटने में जिस तरह कहा ना तो उसे प्राप्त हुआ था शायद ऐसा मजा उसे कभी नहीं आया था,,,,संजू का मन बहुत कर रहा था कि अपने लंड को अपनी बहन की चूत में डालकर उसकी चुदाई करते लेकिन संजू दो बार अपनी मौसी की चुदाई कर चुका था और अपने लंड की मोटाई के बारे में उसे अच्छी तरह से ज्ञान था जोकि अपनी बहन की गुलाबी चूत के छोटे से छेद को देखकर उसका ज्ञान और ज्यादा बढ़ गया था वह समझ गया था कि उसके लंड का मोटा सुपाड़ा उसकी बहन की गुलाबी चूत के छोटे से छेद में बिना मोहिनी की मदद के बिना जाना नामुमकिन है इसलिए वह अपनी मंशा को मारकर केवल अपने लंड के सुपाड़े को अपनी बहन की चूत पर रगड कर अपना पानी निकाल कर शांत किया था,,,।संजू अपने कमरे में खड़े खड़े अपने बाल को संवारते हुए आईने में अपने आप को देखकर यही सोच रहा था कि अगर उसकी बहन की सोने की आदत इसी तरह से रही तो वह जरूर एक दिन अपनी बहन की चुदाई करके रहेगा,,,,,।

दूसरी तरफ आराधना परेशान थी अपनी बहन से उधार के पैसे लिए हुए महीना जैसा बीतने को हो गया था लेकिन अशोक की तरफ से किसी भी प्रकार का पैसे की मदद नहीं मिल पा रही थी,,, उसकी तनख्वाह कहां चली जाती थी इस बारे में उसे अंदाजा भी नहीं था,,,, आराधना एक अच्छी सी जॉब के लिए अपनी बहन को पहले से ही बोल के रखी हुई थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर अशोक उसे पैसे ना दे सका तो वह खुद नौकरी करके अपनी बहन के पैसे लौटा देगी और परिवार को थोड़ी बहुत मदद करेगी भले ही अशोक को उसकी नौकरी करने में किसी भी प्रकार की चीजें महसूस होती हो लेकिन वह नौकरी करके ही रहेगी,,,,
इसीलिए आराधना आज ज्यादा परेशान थे क्योंकि आज उसे जॉब के लिए इंटरव्यू देने जाना था,,,,जिसके बारे में उसने अब तक किसी को भी नहीं बोली थी वहां अपने मन में यही सोच रही थी कि जब जॉब फाइनल हो जाएगी तभी सब को बताएगी क्योंकि उसे इस बात का डर था कि अगर उसे जो बोले कंपनी नहीं दिए तो उसका मजाक बनकर रह जाएगा और वह अपने परिवार में अपना मजाक बनता और ज्यादा देखना पसंद नहीं कर सकती थी,,,,,, अशोक से अब उसे उम्मीद ना के बराबर रह गई थी क्योंकि घर में झगड़ा मार तो नहीं हो रहा था लेकिन अशोक की तरफ से किसी भी प्रकार का सहायता भी नहीं हो रहा था,,,, घर में फिर से पैसों की किल्लत हो जाए, अब यह आराधना को मंजूर नहीं था,,, जिंदगी में पहली बार वह मजबूरन अपनी बहन से सहायता मांगने उसके घर गई थी,,, वह तो उसकी बहन उसकी मुसीबत को समझती थी कि उसकी मदद करती वरना कोई और होता तो खाली मुंह लौटना पड़ता और इससे बड़ी बेइज्जती और क्या हो सकती थी,,,,।

आराधना जल्दी जल्दी नाश्ता तैयार करने के बाद खाना बना रही थी क्योंकि उसे 10:00 बजे तक ऑफिस पहुंचना था,,, संजू तैयार हो चुका था लेकिन वह सबसे लास्ट में घर से बाहर निकलता था मोहिनी नहा धोकर तैयार हो चुकी थी और नाश्ता करके कॉलेज के लिए निकल गई थी अशोक बीपी ना बोले चाय नाश्ता करके घर से निकल गया था अब घर में उसका होना ना होना एक बराबर हो गया था,,, अशोक को आराधना से बात किए 15: 20 दिन हो चुके थे,,,लेकिन अशोक को बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता था लेकिन आराधना को फर्क जरूर पड़ता था क्योंकि अशोक उसका पति था उसका हमसफर था उसका अमराही था लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर आकर उसका इस तरह से नजरअंदाज करना आराधना के दिल पर गहरा गांव दे रहा था,,, प्यार से बात करना तो दूर उसकी तरफ देखना भी अशोक ने छोड़ दिया था तो शारीरिक सुख की तो बात ही क्या करनी इस उम्र में औरतें शरीर सुख पाने के लिए कुछ ज्यादा ही एक्टिव रहती है लेकिन आराधना के लिए सब कुछ सपना सा लगने लगा था,,,,,


रोज की तरह संजू सब के चले जाने के बाद रसोई घर में प्रवेश किया और अपनी मां का देह लालित्य देखकर पूरी तरह से मदहोश हो गया,,,, कुछ देर पहले ही आराधना बाथरूम से नहाकर बाहर निकली थी और अपने गीले बालों को टोवल से पोछकर सुखाई नही थी,, जिसकी वजह से गीले बालों से टपकता हुआ पानी पीछे से उसके ब्लाउज को पूरी तरह से भिगो दिया था,,, और यही हाल ब्लाउज का आगे से भी था क्योंकि रेशमी बालों की लटे आगे को भी ब्लाउज से चिपकी हुई थी जो कि आगे से ब्लाउज को पूरी तरह से गिला कर चुकी थी,,,, आनन-फानन में आराधना को अपनी स्थिति का धान बिल्कुल भी नहीं था रसोई घर में प्रवेश करते समय बालों के पानी से जिले ब्लाउज को देखकर संजू के तन बदन में आग लग गई थी क्योंकि जो जुल्फें आगे से ब्लाउज को गीला कर चुकी थी उसमें से आराधना की चूची की चॉकलेटी निप्पल एकदम साफ नजर आ रही थी,,,, वो भी इसलिए की आराधना ने जल्दबाजी में खाना बनाने के चक्कर में ब्रा नहीं पहनी थी सिर्फ ब्लाउज पहन ली थी और पानी से भीगने की वजह से उसकी गोरी गोरी चूचियों के साथ-साथ उसकी चॉकलेटी रंग की निप्पल साफ नजर आ रही थी जिसे देख कर संजु की हालत खराब होने लगी और उसके मुंह में पानी आने लगा,,,, आराधना इस बात से बिल्कुल बेखबर थी कि उसकी चूची पानी के पीलेपन की वजह से साफ नजर आ रही है,,,, संजू के पेंट में हलचल सी होने लगी वह रोज की तरह पीछे की तरफ जाकर मटके में से पानी निकाल कर पीने लगा और अपनी मां को पीछे से देखने लगा उसका पिछवाड़ा बेहद खूबसूरत नजर आ रहा था एकदम गोल-गोल कसी हुई साड़ी में एकदम कसी हुई गांड,,, कमर की गहराई को नापने के लिए गहरी लगी है उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे,,, कुल मिलाकर अद्भुत रूप की मालकिन थी आराधना,,, जिसके जवानी का रस संजू खुद अपनी आंखों से पी रहा था,,,,,,।

पेंट में संजू का लंड पूरी तरह से अकड़न पर था वह अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी का तो पहले से ही कायल था लेकिन आज अपनी मां का गीला ब्लाउज देखकर उसमें से झांकती चूचियां ओर चुचीयों की शोभा बढ़ा रही चॉकलेटी निप्पल देखकर उसकी तो और ज्यादा हालत खराब हो गई,,,,,,, खूबसूरत औरत की मदहोश कर देने वाली जवानी का रस आंखों से पीने का भी अपना अलग मजा था,,, और इस मजे को देखो कि उसका बेटा खुद लूट रहा था,,,,।

अपनी स्थिति से बेखबर आराधना जल्दी-जल्दी प्लेट में नाश्ता लगाकर अपने बेटे की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,,।

ले संजु जल्दी से नाश्ता कर ले,,, मुझे आज एक बहुत जरूरी काम है जिसके सिलसिले में मुझे बाहर जाना है,,,


कहां जाना है मम्मी,,,(इतना कहते हुए संजू जानबूझकर किचन के ऊपरी फ्लोर पर अपनी कमर टीका कर अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,,)


बहुत जरूरी काम है अभी कुछ नहीं बता सकती जब काम हो जाएगा तब तुझे शाम को बता दूंगी,,,,(आराधना जल्दी-जल्दी रोटी पकाते हुए बोली,,, संजू ठीक है अपनी मां के सामने खड़ा होकर अपनी मां की चूचियों की तरफ देख रहा था जो कि ब्लाउज के गले पन से बाहर की तरफ झांक रही थी,,,, और अपनी मां की चूचियों को घूरते हुए वह बोला,,,)


चलो कोई बात नहीं मम्मी अभी नहीं बताना है तो ना सही लेकिन ऐसे ही मत चली जाना बाहर नहीं तो पूरा मोहल्ला तुम्हारे पीछे पीछे चल पड़ेगा,,,।
(आराधना को संजीव के कहने का मतलब बिल्कुल समझ में नहीं आया तो वह आश्चर्यजनक तरीके से संजू की तरफ देखते हुए सिर्फ इशारा करके पूछी की क्या हुआ जवाब में संजू बिल्कुल भी शर्म ना करते हुए एकदम बेशर्मी की हद पार करते हुए अपनी उंगली से अपनी मां की ‌चुचीयों की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,)

देख लो तुमने आज ब्रा नहीं पहनी हो और ब्लाउज गीला होने की वजह से सब कुछ नजर आ रहा है,,,।
(जैसे ही आराधना संजू की बात सुनकर अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसके होश उड़ गए बालों के पानी से गिला हुआ ब्लाउज में सेउसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम साफ नजर आ रही थी और सूचियों के लिए कल भी एक दम साफ नजर आ रही थी जिसे खुद देखकर वह शरमा गई अपने बेटे के सामने हुआ शर्म से पानी पानी होने लगी,,,अपने बेटे से नजर मिलाने तक की हिम्मत उसमें नहीं थी वह अपनी नजरों को नीचे झुका कर इधर-उधर करने लगी,,,,,, वह हैरान थी कि उसके बेटे ने कितने साफ शब्दों में उसकी गलती को बता दिया था जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस होने लगी थी,,,आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे के सामने वह क्या करें उसका बेटा जो कि अपनी आंखों से उसकी चूचियों को घूर रहा था यह पल उसके लिए बेहद है शर्मसार कर देने वाला था लेकिन उसके बेटे के लिए यह पल बेहद मादकता से भरा हुआ था उसे तो इस नजारे को देखने में खुशी मिल रही थी वरना वह इस तरह से बेशर्मी दिखाते हुए अपनी मां को उसकी गलती का एहसास नहीं कराता,,,,।
पल भर में आराधना की सांसे तेजी से चलने लगी क्योंकि उसका बेटा उस जगह से हटने की जगह उसे ही घूर कर देख रहा था,,,शायद यह आराधना की गलती थी जो कि संजू इस कदर बेशर्मी दिखा रहा था क्योंकि अगर वह पहले ही उसे डांट फटकार कर मना कर दी होती तो शायद वह उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होठों को चुंबन करने की हिम्मत ना कर सकता और ना ही उसे अपनी बाहों में लेकर उसके नितंबों को अपनी हथेली में लेकर जोर से दबाने की जुर्रत कर पाता,,,,, वह तो अच्छा हुआ कि रात के समय आराधना अपने आप को काबू में करके अपने बेटे को अपने से अलग कर दिया वरना उस रात को ही दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता खत्म हो जाता ,,,, संजू को उसी तरह से बेशर्मी से खड़ा देखकर आराधना ही वहां से हटना मुनासिब समझी और शर्मिंदगी का अहसास लिए हुए वह बोली,,।

ओहो,,,, जल्दबाजी में ‌मेै भूल गई,,,(इतना कहने के साथ ही वह रसोई घर से बाहर निकलने लगी और जाते-जाते अनजाने में ही एक नजर संजू की पेंट के आगे वाले भाग पर डाली तो हैरान रह गई उसमें अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जो कि इस बात का सबूत था कि उसकी चुचियों को देखकर उसके लड़के का लंड खड़ा हो गया था,,, उसके खड़े लंड के एहसास सेआराधना की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार की नसों में रक्त का भ्रमण बड़ी तेजी से होने लगा,,,, आराधना जल्दी-जल्दी अपने कमरे में गई और अपना ब्लाउज का बटन खोल कर अपने ब्लाउज को बिस्तर पर फेंक दी और अलमारी में से लाल रंग की ब्रा निकाल कर उसे पहनने लगी,,,, ब्लाउज पूरा किया था इसलिए पहनना ठीक नहीं था इसलिए वह अलमारी में से दूसरा ब्लाउज खोजने लगी तो उसे सिर्फ रस्सी वाली जो कि पीछे से बांधी जाती थी वही ब्लाउज मिला और उसे पहनना उसकी मजबूरी थी,,, आनन-फानन में वह अपना ब्लाउज पहनकर पीछे अपना दोनों हाथ लाकर रस्सी को बांधने की कोशिश करने लगी जो की रस्सी ठीक से बंध नहीं पा रही थी,,,, आराधना चाहती तो नॉर्मल कपड़े पहनकर ही इंटरव्यू देने जा सकती थी लेकिन वह इंप्रेशन खराब नहीं करना चाहती थी क्योंकि उसे इस नौकरी की सख्त जरूरत थी इसलिए वह थोड़ा बन ठन कर जाना चाहती थी,,,।

आराधना वापस रसोई घर में आ चुकी थी संजू नाश्ता कर चुका था इस बार का ब्लाउज पीछे से एकदम खुला हुआ केवल एक पतली सी रस्सी थी जिसे बांधा जाता था,,,।संजू अपनी मां को इस ब्लाउज में देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया वह बला की खूबसूरत नजर आ रही थी,,,, संजू अपनी मां की तारीफ करना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं कर पाया तभी उसकी नजर अपनी मां के पेट पर गई जहां से ठीक से रस्सी ना बांधने की वजह से अंदर की ब्रा की पट्टी नजर आ रही थी,,, जिसे देखकर संजु अपनी मां से बोला,,,।

मम्मी ब्लाउज की तस्वीर ठीक से बांधो ब्रा की पट्टी नजर आ रही है,,,।
(अपनी बेटी की बातें सुनकर आराधना फिर से हक्की बक्की रह गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें आनन-फानन में वह फिर से अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाने की कोशिश करते हुए अपनी ब्लाउज की रस्सी बांधने की नाकाम कोशिश करने लगी तो संजू ही आगे बढ़कर बिना कुछ बोले अपनी मां के ठीक पीछे आ गया और जल्दबाजी में बांधी गई ब्लाउज की डोरी को अच्छे से बांधने के लिए फिर से खोलने लगा आराधना उसे इनकार नहीं कर पाए वह एकदम से संजू के आकर्षण में बंद चुकी थी उसके मुंह से एक शब्द नहीं फूट रहे थे वह अपने आप को एक तरह से संजू के हवाले कर चुकी थी,,,,।

संजु अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को खोल दो रहा था फिर से अच्छी तरह से बांधने के लिए लेकिनआराधना को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसका बेटा उसके ब्लाउज की डोरी खोल कर उसे धीरे-धीरे अपने हाथों से नंगी करने जा रहा है यह एहसास उसे और ज्यादा उत्तेजित करने लगा था उसकी चूत से काम रस बहना शुरू हो गया था जो कि उसकी पेंटी को गीला कर रहा था,,, संजू ठीक अपनी मां के पीछे खड़ा था उसकी उन्नत गांड से महज 2 अंगुल की दूरी पर संजू का तंबू था अगर अनजाने में ही आराधना के पैर हल्के से पीछे की तरफ आ जाती तो यह संजू ही थोड़ा सा आगे की तरफ अपनी कमर कर देता तो संजू का लंड उसकी मां की गांड से एकदम स्पर्श हो जाता और वह पल शायद दोनों की जिंदगी में एक नई गाथा लिखने की शुरुआत कर देता,,,,, अपनी मां की चिकनी पीठ पर अपने मूल्यों का स्पर्श होते ही संजू पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा थाअपनी मां के ब्लाउज की डोरी को खोलते समय संजू को भी वही एहसास हो रहा था जो की आराधना को हो रहा था संजु को भी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां के ब्लाउज की डोरी खोल कर धीरे-धीरे उसे नंगी करने जा रहा है,,,,।

देखते ही देखते अपनी मां की इजाजत पाए बिना ही समझू आगे बढ़कर अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को खोलकर उसे वापस अच्छी तरह से मांग रहा था और उसे अच्छी तरह से बांध भी चुका था यह उसका पहली बार था जब वह किसी औरत के ब्लाउज की डोरी को बांध रहा था और उसे अच्छी तरीके से बात भी दिया था इस बात से शायद आराधना को भी हैरानी हो रही थी,,,, ब्रा की पट्टी थोड़ी सी टीम ली थी तो संजू अपनी मां की ब्रा की पट्टी में उंगली को हल कैसे डालकर उसे उंगली से ही सीधा करने लगा यह हरकत आराधना के लिए अद्भुत अवर्णनीय थी साथ ही ना जाने क्या हुआ के आराधना खुद ही अपनी कमर को हल्के से पीछे की तरफ कर दी और जैसे किसी पल का इंतजार संजू को भी था बॉबी हल्के से आगे आया और दोनों के कोमल अंग एक दूसरे के अंगों से रगड़ खा गए,,, आराधना की गांड संजू के पेंट में बने तंबू से स्पर्श हो गई और आराधना को इतने से हीअपने बेटे की लंड के कड़क पन का एहसास अपनी गांड पर हो गया वह पूरी तरह से मस्त हो गई और इस पल की मस्ती को वह काबू में ना कर सकी और उसकी चूत से काम रस की बूंदे टपकने लगी,,,।

संजू अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को बांध चुका था और वह भी अच्छे तरीके से उसे कॉलेज आने में देर हो रही थी तो वह तुरंत रसोई घर से बाहर आया और अपना बैग उठाकर अपनी मां को बाय बोल कर चला गया कुछ देर तक आराधना वहीं खड़ी की खड़ी रह गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो गया अपनी पेंटिंग को पूरी तरह से की थी महसूस कर रही थी और उसी का जायजा लेने के लिए वह अपनी साड़ी को उठाकर कमर तक खींच दी और अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच पर जाकर अपनी पैंटी का मुआयना करने लगी जो की पूरी तरह से गीली हो चुकी थी गीली पेंटिं मैं वह अपने आप को सहज महसूस नहीं कर पा रही थी,,, और इसलिए वह तुरंत अपने कमरे में वापस गई,,, और अपनी गीली पेंटिं निकालकर दूसरी पेंटी पहन ली और तैयार होकर घर से बाहर निकल गई इंटरव्यू के लिए,,,।
 

Raj_sharma

परिवर्तनमेव स्थिरमस्ति ||❣️
Supreme
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259
सुबह जब मोहिनी की नींद खुली तो देखी बगल में उसका भाई नहीं था सुबह के 6:00 बज रहे थे उसका भाई कमरे से बाहर निकल गया था कमरे की लाइट अभी भी चल रही थी मोहिनी अपनी दोनों टांगों के बीच की उस पतली करार की तरफ ध्यान से देखिए तो उस पर चिपचिपा पदार्थ लगा हुआ था जिसे वहां अपने हाथ लगाकर उसकी चिपचिपाहट को महसूस करने लगी,,,पल भर में ही रात को जो कुछ भी हुआ था वह सब कुछ मोहिनी की आंखों के सामने किसी मूवी की तरह चलने लगा,,,रात को उसने जिस तरह की हिम्मत दिखाई थी वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह अपने भाई की आंखों के सामने ऐसा कुछ कर गुजरने की लेकिन जवानी की आग ने उसे ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था और वह उसमें सफल भी हो गई थी,,,,।
मोहिनी अपने मन में सोचने लगी कि उसका भाई उसकी चिकनी चूत को देखकर क्या सोच रहा होगा,,,,,,अपने भाई की हालत को देखकर वहां बहुत खुश थी जितना वहां सोची थी उससे कहीं ज्यादा वहां अपने भाई को अपनी चूत दिखा कर परेशान कर चुकी थी,,,, मोहिनी की युक्ति पूरी तरह से कारगर साबित हुई थी वह कभी सोची नहीं थी कि उसका भाई उसकी चूत को देखकर इस कदर मदहोश हो जाएगा कि उसकी चूत से खेलने लगेगा,,,, मोहिनी को अभी भी अपनी चूत के अंदर अपने भाई की उंगली अंदर बाहर होती हुई महसूस हो रही थी जिससे उसके बदन में खुमारी छा रही थी,,,,।

अपनी चिकनी चूत से खेलते हुए अपने भाई को देखकर जिस तरह का आनंद का अनुभव मोहिनी के तन बदन में हो रहा था उसने आज तक ऐसा अनुभव महसूस नहीं की थी अपने भाई को अपना लंड हिलाता हुआ देखकर मोहिनी का धैर्य जवाब दे जा रहा था,,,, वह साफ तौर पर अपनी आंखों से देखी थी कि उसकी चूत से खेलते हुए कैसे उसका भाई अपना लंड अपने हाथ में लेकर जोर-जोर से हीला रहा था,,,और उसके लिए पहला मौका था जब अपनी आंखों से एक लड़के को अपने लंड हिलाता हुआ देख रही थी एक तरह से मुठीयाता हुआ देख रही थी,,,हालांकि मोहिनी को लड़कों के द्वारा किया जाने वाला हस्तमैथुन के बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था वरना वह अपने भाई की हरकत का अंदाजा लगा लेती कि वह क्या कर रहा है,,,,।

उस पल को याद करके उसके तन बदन में सिहरन सी दौड़ने लगी जब उसका भाई उसकी दोनों टांगों के बीच जगह बनाते हुए अपने प्यासे होठों को उसकी चूत पर रख कर चाटना शुरू कर दिया था,,,,,, संजू की यह हरकतमोहिनी के लिए बेहद अद्भुत और आदरणीय थी जिसके बारे में उसने कभी कल्पना नहीं की थी लेकिन जिस तरह का सुख उसके भाई ने उसकी चूत को अपने होठों से लगा कर दिया था उस पल को वहां याद करके अभी भी पानी पानी हुई जा रही थी,,,,,, मोहिनी कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसका भाई अपने होठों को उसकी चूत पर रख देगा और जीभ से उसके काम रस को चाट जाएगा शायद ऐसा करने में मर्दों को ज्यादा सुख मिलता होगा,,, क्योंकि उसकी हरकत का मजा मोहिनी ने भी खुल कर ली थी,,,, शायद औरत को प्यार करने का ढंग मर्दों के द्वारा इसी तरह से होता होगा,,,, मोहिनी अभी तक सिर्फ यही समझती आ रही थी कि औरतों से प्यार करने का मतलब था चुदाई जिसमें मर्द अपना लंड औरत की चूत में डाल कर हीलाता है और शांत हो जाता है लेकिन रात को उसके भाई की हर एक हरकत ने मोहिनी को सोचने पर मजबूर कर दिया था कि औरतों से प्यार करने का तरीका बहुत ही अलग अलग है और हर एक तरीका मस्ती से भरा हुआ मदहोश कर देने वाला है जिसका थोड़ा बहुत झलक मोहिनी को भी प्राप्त हो चुका था जिस की मस्ती में वह दो तीन बार झड़ चुकी थी,,,,,,।

मोहिनी अपने कमरे में बैठे बैठे अपनी हिम्मत की दाद दे रही थी और मन ही मन अपनी सबसे अच्छी सहेली रेणुका का धन्यवाद भी कर रही थी क्योंकि उसी की बदौलत आज उसे जवानी का थोड़ा बहुत उसे प्राप्त हुआ था जिसके चलते वह आगे भी इस सुख को प्राप्त करने में निरंतर लगी रहेगी,,,,,,लेकिन मोहिनी के समझ में एक बात बिल्कुल भी नहीं आ रही थी कि सब कुछ करने के बावजूद भी उसके भाई ने अपने लंड को उसकी चूत में डाला क्यों नहीं जिसकी वह बेसब्री से इंतजार कर रही थी और उसी सुख को प्राप्त करने के लिए उसका दिल की धड़कन बड़े जोरों से धड़क भी रहा था और वह व्याकुल भी थी अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेने के लिए,,, लेकिन उसके सोच के विपरीत उसके भाई ने अपने लंड का सुपाड़ा सिर्फ उसके चूत पर रगड़ा भर था उसमें डालने की हल्की सी कोशिश भर किया था लेकिन डाला नहीं था,,,यही मोहिनी को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार सब कुछ करने के बावजूद उसका भाई उसकी चूत में लंड डालकर चोदा क्यों नहीं,,,,, इस सवाल का जवाब शायद इस समय उसके पास बिल्कुल भी नहीं था,,, तभी दरवाजे पर हल्की सी आहट हुई तो वह अपने फ्रॉक को वापस सही से करने लगी,,,, दरवाजा खोल कर संजू कमरे में दाखिल हुआ और एक नजर मोहिनी के ऊपर डाला ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में उसकी गोरी गोरी जांघें चमक रही थी,,, जिसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था,,,,वही शर्म के मारे अपने भाई की तरफ नजर उठा कर देख नहीं पा रही थी वह अपनी नजरों को नीचे छुपाई हुई थी और संजू को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अभी भी नींद में है,,,,और यही हाल संजू का भी था संजू भाई ठीक से मोहिनी से नजर नहीं मिला पा रहा था दोनों को ऐसा लग रहा था कि रात को जो कुछ भी हुआ था उस बात से दोनों अपने अपने तरीके से अनजान हैं दोनों को कुछ भी पता नहीं है,,,,

लेकिन समझो की हरकत को मोहिनी अच्छी तरह से जानती थी और मोहिनी रात में किस अवस्था में सोई थी कैसे सोई थी इस बारे में संजु अच्छी तरह से जानता था,,, लेकिन एक बात का दुख उसे था कि अपनी बहन की चिकनी चूत को देखकर वह अपने आप पर काबू नहीं कर पाया था और जो नहीं करना चाहिए था हम आकर बैठा था अच्छा हुआ कि उसकी बहन को इस बारे में कुछ पता नहीं है वरना वह क्या सोचेगी,,,।

जबकि मोहिनी को सब कुछ पता था उसकी हरे कर कर जानबूझकर की गई थी वह अपने भाई को अपनी चिकनी तो दिखा कर उकसा रही थी और संजू अपनी बहन की चिकनी चूत देखकर बहक भी गया थालेकिन वह संजू के सामने ऐसे भी वार कर रही थी कि जैसे रात में जो कुछ भी हुआ उसके बारे में उसे कुछ भी पता नहीं हो और संजू कोई तुझे ही लग रहा था कि रात में जो कुछ भी हुआ था उस बारे में मोहिनी को कुछ भी पता नहीं है क्योंकि संजू मोहिनी के सोने की आदत से अच्छी तरह से वाकिफ था,,,,।

संजू नहा चुका था,,,मोहिनी दीदी नजर नीचे झुका कर बैठी हुई थी संजू को लग रहा था कि जैसे वह नींद में है इसलिए वहां उसके कंधे को पकड़कर हिलाते हुए बोला,,,।

मोहिनी उठ जा कॉलेज नहीं जाना है क्या देर हो रही है,,,


कितना बज रहा है,,,,(नींद में होने का नाटक करते हुए मोहिनी बोली)

6:30 बज रहा है देर हो रही है जल्दी से उठ जा,,,,


बाप रे 6:30 बज गए और तुम मुझे अभी उठा रहे हो,,,
( और इतना कहने के साथ ही मोहिनी होंठों पर कामुक मुस्कान लिए हुए कमरे से बाहर निकल‌,गई,,, और संजू अपनी बहन को कमरे से बाहर जाते हुए देखता रह गया उसकी सुडोल गांड फ्रॉक के घेराव में बहुत ही सुगठीत लग रही थी,,,रात को जिस तरह का मजा उसकी बहन ने दी थी उस बारे में संजू ने भी कभी कल्पना नहीं किया था उसकी बहन की चूत इतनी खूबसूरत होगी इस बारे में कभी उसने सोचा नहीं था अपनी बहन की चिकनी चूत देखने से पहले वह केवल अपनी मौसी की चूत के बारे में कल्पना किया करता था और उसी के बारे में सोचा करता था लेकिन अपनी बहन की चिकनी चूत देखने के बाद चूत के मायने बदल गए थे,,, अभी भी संजू को अपनी उंगली के अंदर अपनी बहन की चूत की गर्मी महसूस हो रही थी,,,,उसकी चूत से निकला काम रस चाटने में जिस तरह कहा ना तो उसे प्राप्त हुआ था शायद ऐसा मजा उसे कभी नहीं आया था,,,,संजू का मन बहुत कर रहा था कि अपने लंड को अपनी बहन की चूत में डालकर उसकी चुदाई करते लेकिन संजू दो बार अपनी मौसी की चुदाई कर चुका था और अपने लंड की मोटाई के बारे में उसे अच्छी तरह से ज्ञान था जोकि अपनी बहन की गुलाबी चूत के छोटे से छेद को देखकर उसका ज्ञान और ज्यादा बढ़ गया था वह समझ गया था कि उसके लंड का मोटा सुपाड़ा उसकी बहन की गुलाबी चूत के छोटे से छेद में बिना मोहिनी की मदद के बिना जाना नामुमकिन है इसलिए वह अपनी मंशा को मारकर केवल अपने लंड के सुपाड़े को अपनी बहन की चूत पर रगड कर अपना पानी निकाल कर शांत किया था,,,।संजू अपने कमरे में खड़े खड़े अपने बाल को संवारते हुए आईने में अपने आप को देखकर यही सोच रहा था कि अगर उसकी बहन की सोने की आदत इसी तरह से रही तो वह जरूर एक दिन अपनी बहन की चुदाई करके रहेगा,,,,,।

दूसरी तरफ आराधना परेशान थी अपनी बहन से उधार के पैसे लिए हुए महीना जैसा बीतने को हो गया था लेकिन अशोक की तरफ से किसी भी प्रकार का पैसे की मदद नहीं मिल पा रही थी,,, उसकी तनख्वाह कहां चली जाती थी इस बारे में उसे अंदाजा भी नहीं था,,,, आराधना एक अच्छी सी जॉब के लिए अपनी बहन को पहले से ही बोल के रखी हुई थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर अशोक उसे पैसे ना दे सका तो वह खुद नौकरी करके अपनी बहन के पैसे लौटा देगी और परिवार को थोड़ी बहुत मदद करेगी भले ही अशोक को उसकी नौकरी करने में किसी भी प्रकार की चीजें महसूस होती हो लेकिन वह नौकरी करके ही रहेगी,,,,
इसीलिए आराधना आज ज्यादा परेशान थे क्योंकि आज उसे जॉब के लिए इंटरव्यू देने जाना था,,,,जिसके बारे में उसने अब तक किसी को भी नहीं बोली थी वहां अपने मन में यही सोच रही थी कि जब जॉब फाइनल हो जाएगी तभी सब को बताएगी क्योंकि उसे इस बात का डर था कि अगर उसे जो बोले कंपनी नहीं दिए तो उसका मजाक बनकर रह जाएगा और वह अपने परिवार में अपना मजाक बनता और ज्यादा देखना पसंद नहीं कर सकती थी,,,,,, अशोक से अब उसे उम्मीद ना के बराबर रह गई थी क्योंकि घर में झगड़ा मार तो नहीं हो रहा था लेकिन अशोक की तरफ से किसी भी प्रकार का सहायता भी नहीं हो रहा था,,,, घर में फिर से पैसों की किल्लत हो जाए, अब यह आराधना को मंजूर नहीं था,,, जिंदगी में पहली बार वह मजबूरन अपनी बहन से सहायता मांगने उसके घर गई थी,,, वह तो उसकी बहन उसकी मुसीबत को समझती थी कि उसकी मदद करती वरना कोई और होता तो खाली मुंह लौटना पड़ता और इससे बड़ी बेइज्जती और क्या हो सकती थी,,,,।

आराधना जल्दी जल्दी नाश्ता तैयार करने के बाद खाना बना रही थी क्योंकि उसे 10:00 बजे तक ऑफिस पहुंचना था,,, संजू तैयार हो चुका था लेकिन वह सबसे लास्ट में घर से बाहर निकलता था मोहिनी नहा धोकर तैयार हो चुकी थी और नाश्ता करके कॉलेज के लिए निकल गई थी अशोक बीपी ना बोले चाय नाश्ता करके घर से निकल गया था अब घर में उसका होना ना होना एक बराबर हो गया था,,, अशोक को आराधना से बात किए 15: 20 दिन हो चुके थे,,,लेकिन अशोक को बिल्कुल भी फर्क नहीं पड़ता था लेकिन आराधना को फर्क जरूर पड़ता था क्योंकि अशोक उसका पति था उसका हमसफर था उसका अमराही था लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर आकर उसका इस तरह से नजरअंदाज करना आराधना के दिल पर गहरा गांव दे रहा था,,, प्यार से बात करना तो दूर उसकी तरफ देखना भी अशोक ने छोड़ दिया था तो शारीरिक सुख की तो बात ही क्या करनी इस उम्र में औरतें शरीर सुख पाने के लिए कुछ ज्यादा ही एक्टिव रहती है लेकिन आराधना के लिए सब कुछ सपना सा लगने लगा था,,,,,


रोज की तरह संजू सब के चले जाने के बाद रसोई घर में प्रवेश किया और अपनी मां का देह लालित्य देखकर पूरी तरह से मदहोश हो गया,,,, कुछ देर पहले ही आराधना बाथरूम से नहाकर बाहर निकली थी और अपने गीले बालों को टोवल से पोछकर सुखाई नही थी,, जिसकी वजह से गीले बालों से टपकता हुआ पानी पीछे से उसके ब्लाउज को पूरी तरह से भिगो दिया था,,, और यही हाल ब्लाउज का आगे से भी था क्योंकि रेशमी बालों की लटे आगे को भी ब्लाउज से चिपकी हुई थी जो कि आगे से ब्लाउज को पूरी तरह से गिला कर चुकी थी,,,, आनन-फानन में आराधना को अपनी स्थिति का धान बिल्कुल भी नहीं था रसोई घर में प्रवेश करते समय बालों के पानी से जिले ब्लाउज को देखकर संजू के तन बदन में आग लग गई थी क्योंकि जो जुल्फें आगे से ब्लाउज को गीला कर चुकी थी उसमें से आराधना की चूची की चॉकलेटी निप्पल एकदम साफ नजर आ रही थी,,,, वो भी इसलिए की आराधना ने जल्दबाजी में खाना बनाने के चक्कर में ब्रा नहीं पहनी थी सिर्फ ब्लाउज पहन ली थी और पानी से भीगने की वजह से उसकी गोरी गोरी चूचियों के साथ-साथ उसकी चॉकलेटी रंग की निप्पल साफ नजर आ रही थी जिसे देख कर संजु की हालत खराब होने लगी और उसके मुंह में पानी आने लगा,,,, आराधना इस बात से बिल्कुल बेखबर थी कि उसकी चूची पानी के पीलेपन की वजह से साफ नजर आ रही है,,,, संजू के पेंट में हलचल सी होने लगी वह रोज की तरह पीछे की तरफ जाकर मटके में से पानी निकाल कर पीने लगा और अपनी मां को पीछे से देखने लगा उसका पिछवाड़ा बेहद खूबसूरत नजर आ रहा था एकदम गोल-गोल कसी हुई साड़ी में एकदम कसी हुई गांड,,, कमर की गहराई को नापने के लिए गहरी लगी है उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे थे,,, कुल मिलाकर अद्भुत रूप की मालकिन थी आराधना,,, जिसके जवानी का रस संजू खुद अपनी आंखों से पी रहा था,,,,,,।

पेंट में संजू का लंड पूरी तरह से अकड़न पर था वह अपनी मां की मदहोश कर देने वाली जवानी का तो पहले से ही कायल था लेकिन आज अपनी मां का गीला ब्लाउज देखकर उसमें से झांकती चूचियां ओर चुचीयों की शोभा बढ़ा रही चॉकलेटी निप्पल देखकर उसकी तो और ज्यादा हालत खराब हो गई,,,,,,, खूबसूरत औरत की मदहोश कर देने वाली जवानी का रस आंखों से पीने का भी अपना अलग मजा था,,, और इस मजे को देखो कि उसका बेटा खुद लूट रहा था,,,,।

अपनी स्थिति से बेखबर आराधना जल्दी-जल्दी प्लेट में नाश्ता लगाकर अपने बेटे की तरफ बढ़ाते हुए बोली,,,।

ले संजु जल्दी से नाश्ता कर ले,,, मुझे आज एक बहुत जरूरी काम है जिसके सिलसिले में मुझे बाहर जाना है,,,


कहां जाना है मम्मी,,,(इतना कहते हुए संजू जानबूझकर किचन के ऊपरी फ्लोर पर अपनी कमर टीका कर अपनी मां की तरफ देखते हुए बोला,,,)


बहुत जरूरी काम है अभी कुछ नहीं बता सकती जब काम हो जाएगा तब तुझे शाम को बता दूंगी,,,,(आराधना जल्दी-जल्दी रोटी पकाते हुए बोली,,, संजू ठीक है अपनी मां के सामने खड़ा होकर अपनी मां की चूचियों की तरफ देख रहा था जो कि ब्लाउज के गले पन से बाहर की तरफ झांक रही थी,,,, और अपनी मां की चूचियों को घूरते हुए वह बोला,,,)


चलो कोई बात नहीं मम्मी अभी नहीं बताना है तो ना सही लेकिन ऐसे ही मत चली जाना बाहर नहीं तो पूरा मोहल्ला तुम्हारे पीछे पीछे चल पड़ेगा,,,।
(आराधना को संजीव के कहने का मतलब बिल्कुल समझ में नहीं आया तो वह आश्चर्यजनक तरीके से संजू की तरफ देखते हुए सिर्फ इशारा करके पूछी की क्या हुआ जवाब में संजू बिल्कुल भी शर्म ना करते हुए एकदम बेशर्मी की हद पार करते हुए अपनी उंगली से अपनी मां की ‌चुचीयों की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,)

देख लो तुमने आज ब्रा नहीं पहनी हो और ब्लाउज गीला होने की वजह से सब कुछ नजर आ रहा है,,,।
(जैसे ही आराधना संजू की बात सुनकर अपनी छातियों की तरफ देखी तो उसके होश उड़ गए बालों के पानी से गिला हुआ ब्लाउज में सेउसकी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम साफ नजर आ रही थी और सूचियों के लिए कल भी एक दम साफ नजर आ रही थी जिसे खुद देखकर वह शरमा गई अपने बेटे के सामने हुआ शर्म से पानी पानी होने लगी,,,अपने बेटे से नजर मिलाने तक की हिम्मत उसमें नहीं थी वह अपनी नजरों को नीचे झुका कर इधर-उधर करने लगी,,,,,, वह हैरान थी कि उसके बेटे ने कितने साफ शब्दों में उसकी गलती को बता दिया था जिससे उसकी दोनों टांगों के बीच हलचल सी महसूस होने लगी थी,,,आराधना को समझ में नहीं आ रहा था कि अपने बेटे के सामने वह क्या करें उसका बेटा जो कि अपनी आंखों से उसकी चूचियों को घूर रहा था यह पल उसके लिए बेहद है शर्मसार कर देने वाला था लेकिन उसके बेटे के लिए यह पल बेहद मादकता से भरा हुआ था उसे तो इस नजारे को देखने में खुशी मिल रही थी वरना वह इस तरह से बेशर्मी दिखाते हुए अपनी मां को उसकी गलती का एहसास नहीं कराता,,,,।
पल भर में आराधना की सांसे तेजी से चलने लगी क्योंकि उसका बेटा उस जगह से हटने की जगह उसे ही घूर कर देख रहा था,,,शायद यह आराधना की गलती थी जो कि संजू इस कदर बेशर्मी दिखा रहा था क्योंकि अगर वह पहले ही उसे डांट फटकार कर मना कर दी होती तो शायद वह उसे अपनी बाहों में लेकर उसके होठों को चुंबन करने की हिम्मत ना कर सकता और ना ही उसे अपनी बाहों में लेकर उसके नितंबों को अपनी हथेली में लेकर जोर से दबाने की जुर्रत कर पाता,,,,, वह तो अच्छा हुआ कि रात के समय आराधना अपने आप को काबू में करके अपने बेटे को अपने से अलग कर दिया वरना उस रात को ही दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता खत्म हो जाता ,,,, संजू को उसी तरह से बेशर्मी से खड़ा देखकर आराधना ही वहां से हटना मुनासिब समझी और शर्मिंदगी का अहसास लिए हुए वह बोली,,।

ओहो,,,, जल्दबाजी में ‌मेै भूल गई,,,(इतना कहने के साथ ही वह रसोई घर से बाहर निकलने लगी और जाते-जाते अनजाने में ही एक नजर संजू की पेंट के आगे वाले भाग पर डाली तो हैरान रह गई उसमें अच्छा खासा तंबू बना हुआ था जो कि इस बात का सबूत था कि उसकी चुचियों को देखकर उसके लड़के का लंड खड़ा हो गया था,,, उसके खड़े लंड के एहसास सेआराधना की दोनों टांगों के बीच की पतली दरार की नसों में रक्त का भ्रमण बड़ी तेजी से होने लगा,,,, आराधना जल्दी-जल्दी अपने कमरे में गई और अपना ब्लाउज का बटन खोल कर अपने ब्लाउज को बिस्तर पर फेंक दी और अलमारी में से लाल रंग की ब्रा निकाल कर उसे पहनने लगी,,,, ब्लाउज पूरा किया था इसलिए पहनना ठीक नहीं था इसलिए वह अलमारी में से दूसरा ब्लाउज खोजने लगी तो उसे सिर्फ रस्सी वाली जो कि पीछे से बांधी जाती थी वही ब्लाउज मिला और उसे पहनना उसकी मजबूरी थी,,, आनन-फानन में वह अपना ब्लाउज पहनकर पीछे अपना दोनों हाथ लाकर रस्सी को बांधने की कोशिश करने लगी जो की रस्सी ठीक से बंध नहीं पा रही थी,,,, आराधना चाहती तो नॉर्मल कपड़े पहनकर ही इंटरव्यू देने जा सकती थी लेकिन वह इंप्रेशन खराब नहीं करना चाहती थी क्योंकि उसे इस नौकरी की सख्त जरूरत थी इसलिए वह थोड़ा बन ठन कर जाना चाहती थी,,,।

आराधना वापस रसोई घर में आ चुकी थी संजू नाश्ता कर चुका था इस बार का ब्लाउज पीछे से एकदम खुला हुआ केवल एक पतली सी रस्सी थी जिसे बांधा जाता था,,,।संजू अपनी मां को इस ब्लाउज में देखकर पूरी तरह से मस्त हो गया वह बला की खूबसूरत नजर आ रही थी,,,, संजू अपनी मां की तारीफ करना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं कर पाया तभी उसकी नजर अपनी मां के पेट पर गई जहां से ठीक से रस्सी ना बांधने की वजह से अंदर की ब्रा की पट्टी नजर आ रही थी,,, जिसे देखकर संजु अपनी मां से बोला,,,।

मम्मी ब्लाउज की तस्वीर ठीक से बांधो ब्रा की पट्टी नजर आ रही है,,,।
(अपनी बेटी की बातें सुनकर आराधना फिर से हक्की बक्की रह गई उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें आनन-फानन में वह फिर से अपने दोनों हाथों को पीछे ले जाने की कोशिश करते हुए अपनी ब्लाउज की रस्सी बांधने की नाकाम कोशिश करने लगी तो संजू ही आगे बढ़कर बिना कुछ बोले अपनी मां के ठीक पीछे आ गया और जल्दबाजी में बांधी गई ब्लाउज की डोरी को अच्छे से बांधने के लिए फिर से खोलने लगा आराधना उसे इनकार नहीं कर पाए वह एकदम से संजू के आकर्षण में बंद चुकी थी उसके मुंह से एक शब्द नहीं फूट रहे थे वह अपने आप को एक तरह से संजू के हवाले कर चुकी थी,,,,।

संजु अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को खोल दो रहा था फिर से अच्छी तरह से बांधने के लिए लेकिनआराधना को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे उसका बेटा उसके ब्लाउज की डोरी खोल कर उसे धीरे-धीरे अपने हाथों से नंगी करने जा रहा है यह एहसास उसे और ज्यादा उत्तेजित करने लगा था उसकी चूत से काम रस बहना शुरू हो गया था जो कि उसकी पेंटी को गीला कर रहा था,,, संजू ठीक अपनी मां के पीछे खड़ा था उसकी उन्नत गांड से महज 2 अंगुल की दूरी पर संजू का तंबू था अगर अनजाने में ही आराधना के पैर हल्के से पीछे की तरफ आ जाती तो यह संजू ही थोड़ा सा आगे की तरफ अपनी कमर कर देता तो संजू का लंड उसकी मां की गांड से एकदम स्पर्श हो जाता और वह पल शायद दोनों की जिंदगी में एक नई गाथा लिखने की शुरुआत कर देता,,,,, अपनी मां की चिकनी पीठ पर अपने मूल्यों का स्पर्श होते ही संजू पूरी तरह से उत्तेजित हुआ जा रहा थाअपनी मां के ब्लाउज की डोरी को खोलते समय संजू को भी वही एहसास हो रहा था जो की आराधना को हो रहा था संजु को भी ऐसा लग रहा था कि जैसे वह अपनी मां के ब्लाउज की डोरी खोल कर धीरे-धीरे उसे नंगी करने जा रहा है,,,,।

देखते ही देखते अपनी मां की इजाजत पाए बिना ही समझू आगे बढ़कर अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को खोलकर उसे वापस अच्छी तरह से मांग रहा था और उसे अच्छी तरह से बांध भी चुका था यह उसका पहली बार था जब वह किसी औरत के ब्लाउज की डोरी को बांध रहा था और उसे अच्छी तरीके से बात भी दिया था इस बात से शायद आराधना को भी हैरानी हो रही थी,,,, ब्रा की पट्टी थोड़ी सी टीम ली थी तो संजू अपनी मां की ब्रा की पट्टी में उंगली को हल कैसे डालकर उसे उंगली से ही सीधा करने लगा यह हरकत आराधना के लिए अद्भुत अवर्णनीय थी साथ ही ना जाने क्या हुआ के आराधना खुद ही अपनी कमर को हल्के से पीछे की तरफ कर दी और जैसे किसी पल का इंतजार संजू को भी था बॉबी हल्के से आगे आया और दोनों के कोमल अंग एक दूसरे के अंगों से रगड़ खा गए,,, आराधना की गांड संजू के पेंट में बने तंबू से स्पर्श हो गई और आराधना को इतने से हीअपने बेटे की लंड के कड़क पन का एहसास अपनी गांड पर हो गया वह पूरी तरह से मस्त हो गई और इस पल की मस्ती को वह काबू में ना कर सकी और उसकी चूत से काम रस की बूंदे टपकने लगी,,,।

संजू अपनी मां के ब्लाउज की डोरी को बांध चुका था और वह भी अच्छे तरीके से उसे कॉलेज आने में देर हो रही थी तो वह तुरंत रसोई घर से बाहर आया और अपना बैग उठाकर अपनी मां को बाय बोल कर चला गया कुछ देर तक आराधना वहीं खड़ी की खड़ी रह गई,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो गया अपनी पेंटिंग को पूरी तरह से की थी महसूस कर रही थी और उसी का जायजा लेने के लिए वह अपनी साड़ी को उठाकर कमर तक खींच दी और अपनी नजरों को अपनी दोनों टांगों के बीच पर जाकर अपनी पैंटी का मुआयना करने लगी जो की पूरी तरह से गीली हो चुकी थी गीली पेंटिं मैं वह अपने आप को सहज महसूस नहीं कर पा रही थी,,, और इसलिए वह तुरंत अपने कमरे में वापस गई,,, और अपनी गीली पेंटिं निकालकर दूसरी पेंटी पहन ली और तैयार होकर घर से बाहर निकल गई इंटरव्यू के लिए,,,।
Wah rony bhai wahh jya must kamuk update tha.. Aisa lagta h ki bas aap likhte jao or hum sab padhte jaye. Kamukta ka sama bandh diya aapne.
Pehle sanju ki bahan jaha chusne ko taiyar thi wahi sadhna bhi patri pe aarahi hai,
 

Hunk1988

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लगता है माँ से पहले बहन चुद जायेगी।
Bilkul asa ho sakta h,maa to lund ka swad chakh chuki h aur usk pati kuch bhi kre pr taang utha k chodta to h,mohini bahan ki chut to abhi fudak rhi h lund lene k liye,khayi nhi h na isiliye jyada utawali ho rhi h lund ka swad lene ko,wo to jb sanju ka moosal andar ja kr chut fadega tb pta chalega kya dukh h pahli chudai me,abhi to chut ne sirf ungali hi jhela h
 
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